12-01-2024, 08:42 AM
waiting for comments
Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
|
12-01-2024, 08:42 AM
waiting for comments
19-01-2024, 02:13 PM
जोरू का गुलाम भाग ११६
रात भर और जैसे ही जेठानी बिस्तर पे लेटीं ,उनके देवर देवरानी ने जेठानी की पहले तो आँखे ब्लाइंड फोल्ड की , फिर हाथ बांधे और फिर सरसर सरसर , ब्लाउज पेटीकोट पलंग के नीचे। " क्या कर रहे हो , " वो चीखीं पर देवर के होंठों ने उनके होठ बंद कर दिए और समझाया , "एक स्पेशल डिश , सिर्फ भौजी के लिए लेकिन हम दोनों भी साथ देंगे। खाने में भी खिलाने में भी। " मुस्कराकर उनके देवर बोले। कहने की बात नहीं जेठानी की तरह अब मैं भी वस्त्र विहीन थी ,आलमोस्ट , सिर्फ एक छोटी सी थांग। और बगल के बेड साइड टेबल पर तब तक दो बड़े बाउल , फ्रूट क्रीम , व्हिप्पड क्रीम और उसमे चेरी ,ग्रेप्स , मैंगो स्लाइसेज और भी बहुत कुछ , ( ये डिश भी मम्मी ने ही उन्हें सिखाई थी और उसका इस्तेमाल करना भी ) साथ में एक वाइन की बॉटल और एक प्लेट में लांग स्लाइसेज अल्फांसो के , बड़ी साइज के डार्क रेड ग्रेप्स , चेरी ,स्ट्राबेरी ,और आइस क्यूब्स शुरआत उन्होंने की एक व्हिप्ड क्रीम में लिपटी स्ट्रबेरी के साथ , अपने होंठों में लेकर सीधे अपनी भौजी के होंठों पर थोड़ी देर उन्होंने क्रीम अपनी भौजी के होंठों पर लिथड़ी और फिर चेरी इनके मुंह से उनके मुंह में , और साथ में इनकी जीभ भी , भौजाई भी कम गरम नहीं थी और पूरी खेली खायी , थोड़ी ही देर में टंग फाइट चालू हो गयी भौजी और देवर के बीच , देवरानी क्यों पीछे रहती। जेठानी की ब्रा अगले ही पल पलंग के नीचे और उनके बड़े बड़े मम्मे उछलकर बाहर , लेकिन मानना होगा जेठानी को ,उन्होंने खूब मेंटेन कर के रखा था , अच्छी खासी बड़ी बड़ी साइज , ३६ डी डी ,लेकिन एकदम कड़े बिना ब्रा के भी खड़े। अगर कहीं इनकी भौजी के गदराये जोबन की फोटो कोई ब्रा में भी फेसबुक पे पोस्ट कर देता तो शहर में ग़दर मच जाता। हाथ तो जेठानी जी के मैंने बाँध ही दिए थे ,पलंग के हेड बोर्ड से , बस , ढेर सारी फ्रूट क्रीम उठा के ,उनके दोनों जोबनो पे और क्लिक क्लिक , हाँ बस निपल बाहर थे , फिर अपनी जेठानी के उभारों के नीचे से मैंने लिक करना शुरू किया और थोड़ी देर में मेरी जीभ उनके निप्स फ्लिक कर रही थी। जिस तरह से वो कसमसा रही थी साफ़ पता चल रहा था उन पे असर , और फिर एक आइस क्यूब मेरे होंठों के बीच , सीधे उनके कड़े खड़े निप्स पे। वो सिसक रही थी लेकिन ठीक से सिसक भी नहीं पा रही थीं। जैसे कोई किसी लड़की के मुंह में मोटा लंड पेले बस उसी तरह उन्होंने अपनी जीभ पेल रखी थी और जेठानी जी चूस भी उसी तरह से रही थीं।
19-01-2024, 02:15 PM
आइस - क्रीम
वो सिसक रही थी लेकिन ठीक से सिसक भी नहीं पा रही थीं। जैसे कोई किसी लड़की के मुंह में मोटा लंड पेले बस उसी तरह उन्होंने अपनी जीभ पेल रखी थी और जेठानी जी चूस भी उसी तरह से रही थीं। और मैं भी अब पूरी ताकत से अब इनकी भौजी के निप्स चूस रही थी कभी हलके से काट भी लेती। और उनका दूसरा निप मेरी उँगलियों के बीच। कौन मरद होगा जो मेरी जेठानी की खड़ी कड़ी ३६ डीडी वाली चूँचियों को देख के अपने को रोक पायेगा ,और वो तो देवर थे उनका तो हक़ था अपनी भौजी के जुबना पे। बस रसीले होंठों को छोड़ के सीधे जुबना पे उनके होंठ , पहले तो जो फ्रूट क्रीम मैंने लगायी लपेटी थी उसे अपनी बड़ी सी जीभ निकाल के अच्छे से चाट चाट के साफ़ किया और अब उनका एक हाथ भौजी की चूँची की रगड़ाई मसलाई तो दूसरी चूँची मेरे सैंयां के होंठों के कब्जे में। मेरे होंठों ने नीचे की राह ली , बस उनकी पैंटी सरका के , थोड़ी सी व्हिप्पड क्रीम उनकी बुर के फांकों पे , और फिर अपने सैंया के लिए एक क्रीम में लिपटी चेरी सीधे जेठानी के निचले होंठों के बीच जेठानी जोर जोर से सिसक रही थीं ,चूतड़ उछाल रही थीं , पर आँख बंद ,हाथ बंधे , और अब उन होंठों को बंद कराने की जिमेदारी मेरी थी , व्हिप्पड क्रीम में मैंने थोड़ी सी रेड वाइन डाली और फिर एक बड़े से चम्मच में उसे भर के सीधे जेठानी के सिसकते होंठों पर ,कुछ बहते हुए फिर जोबन पर आ रहा था और कुछ गालों पे , और फिर एक चेरी मेरे मुंह से उनके मुंह में तो कभी उनके मुंह से मेरे मुंह में , उधर मेरे सैंया ने पैंटी में छिपी चेरी देख ली थी। बस ट्रेजर हंट चालू हुयी ,पहले तो पैंटी सरका के जेठानी की बुर की पुत्तियों को उन्होंने चाटा चूसा , फिर नहीं रहा गया तो एक झटके में पैंटी उतारी नहीं ,फाड़ दी। और सीधे उनका मुंह अपनी भाभी के बुर पे और क्या चटाई शुरू हुयी। चूत चटोरे तो ये जबरदस्त थे ,मैं क्या ,मम्मी ,मंजूबाई ,गीता सब इनका लोहा मानती थीं। और आज तो दुगुने जोश में , अपनी भौजाई की इन्हे ऐसी की तैसी करनी थी , बस दो चार पांच मिनट में जेठानी जी झड़ने के कगार पर आ गयीं , पर मैं कौन सा अपनी जेठानी को झड़वाना चाहती थी ,वो भी इतनी जल्दी। रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी। मैं तो बस उन्हें तड़पा तड़पा कर , मैने एक बार फिर से बाउल से फ्रूट क्रीम निकाल के जेठानी की बड़ी चूँचियो पर लिथड़ दिया , और आज मैं उनकी बात मान गयी की जब उन्होंने अपने गाँव वाले कॉलेज से इंटर पास किया था तो उसी समय उनके उभार मेरे आज के उभार की साइज के हो गए थे बल्कि कप साइज बड़ी ही थी ३४ डी। सच में उनकी चूँचियाँ इत्ती तोप ताप के वो रखती हैं वरना अगर मर्दों की निगाह पड़े तो बिना इनकी फाड़े न छोड़ें। मैंने जोर से जेठानी के दोनों खड़े मूंगफली के बराबर निप्स एक साथ पिंच किये ,और वो चीख पड़ीं , मारे दर्द के बिलखने लगीं और ये तो शुरुआत थी। मैंने उन्हें अपनी भौजी की बुर छोड़ कर भौजी की रसीली नंगी चूँचियों की दावत दी। मेरी बात और वो टालें , उपर से अगर ३६ डीडी साइज का जोबन कौन मर्द छोड़ता है ,वो भी इत्ता गोरा कड़क ,मांसल भी सख्त भी और अबकी उभारों के ऊपरी भाग से जो ब्लाउज के बाहर छलकता झलकता रहता है , वहीँ से उन्होंने लिक करना शुरू किया और मैंने शहद के छत्ते का मोर्चा सम्हाला। मेरे गुलाबी होंठों के बीच अबकी चेरी नहीं बल्कि आइस क्यूब थी। मेरे होंठ आइस क्यूब हलके इनकी भौजी की चूत के होंठों पर बस हलके से रगड़ गए और वो सिसक गयीं। उनकी बुर अभी भी कसी थी , मुझसे चार साल पहले इनकी शादी हुयी थी ,और ये साफ़ थी की ये जोबन गाँव के लौंडो ने छोड़ा तो नहीं होगा पर उतना इस्तेमाल लगता है इनका हुआ नहीं ,जितना होना चाहिए था दोनों हाथों की उँगलियों से जेठानी जी की कसी फुद्दी मैंने फैलाई , पूरी ताकत से और अपने अपने होंठ सटा के , होंठ के अंदर का आइस क्यूब सीधे आधे से ज्यादा बुर में , उईईईईई उईईईईई , बहुत तेज से चीखीं वो ,
19-01-2024, 02:15 PM
आइस ट्रीटमेंट
होंठ के अंदर का आइस क्यूब सीधे आधे से ज्यादा बुर में , उईईईईई उईईईईई , बहुत तेज से चीखीं वो , इसी चीख को तो सुनने के लिए मेरे कान तरस रहे था। मैंने होंठ से अपनी प्यारी छिनार जेठानी की बुर सील कर दी , बस। वो चूतड़ पटक रही थीं ,कमर उछाल रही थीं ,चीख रही थीं ,पर आइस क्यूब अभी भी उनकी बुर में अटका ,... और साथ ही उन्होंने , उनके सीधे साधे देवर ने कचकचा के अपनी भौजाई के जुबना पे दांत कचकचा के गड़ा दिए। एक बार दो बार तीन बार , उसी जगह पर , उईईईईई उईईईईई उनकी चीखे रुक नहीं रही थीं। और अब लाख छुपातीं ये दांत के निशान उनके उभारों पर हफ्ते भर तो दिखते। एक उभार तो अभी भी खाली था , उसपे मेरे हाथ ने कब्जा किया , अंगूठे और तर्जनी के बीच एक आइस क्यूब दबा के , हलके हलके उनके बूब्स पे फिर सीधे निप्स पे एक आइस क्यूब बूब्स पे और दूसरा निप्स पे , पर जिस तरह जेठानी के निप्स कड़े और टनटना रहे थे ,चूँचियाँ पथराई हुयी थीं , बुर की पुत्तियाँ फुदक रही थीं , ये साफ़ था इस दर्द में उन्हें बहुत मजा मिल रहा था , " स्साली छिनार ,रंडी की जनी ,ये भी मेरी बाकी ससुरालवालियों की तरह है जिन्हे दर्द में मजा मिलता है ,अभी तो शुरुआत है " मैं बुदबुदा रही थी। पर मैं उन्हें मजा भी देना चाहती थी ,मजे से सज़ा। आइसक्यूब अब वापस मेरे मुंह पे ,मेरे होंठों के बीच और उस आइस क्यूब से बस मैंने जेठानी जी के क्लीट को छू बाहर दिया उईईईईई ,जैसे उन्हें ४४० वोल्ट का करेंट लगा हो ,जिस तरह से वो सिसक रही थीं , और अब एंगल मैंने चेंज किया ,आइस क्यूब मेरे मुंह में और क्लीट मेरे होंठों के बीच , कुछ देर तक अपनी बर्फ सी ठंडी जीभ से क्लिट फ्लिक कर के बस होंठों के बीच दबा के मैंने कस कस के चूसना शुरू किया। एक दो मिनट में ही मेरी जीभ नयी नयी बछेड़ियों की पानी निकाल देती थी। कुछ देर में ही इनकी भाभी झड़ने के कगार पर , साथ साथ में इनके दांत अपनी भौजाई की चूँचियों को पिन कुशन बना रहे थे , कोई जगह उन बड़े गदराये उभारों पर बची नहीं थी जहां इनके दांत न लगे हों। अबकी जब वो झड़ने के कगार पर आ गयी तो भी मैं नहीं रुकी , हाँ जैसे ही झड़ना शुरू हुआ , पूरी ताकत से मेरे मुंह का आइस क्यूब उनकी क्लिट पे और एक बार फिर वही ४४० वोल्ट का करेंट , उईईईईईई ,अह्ह्ह्हह्हह ,नाहीईईईई बिचारी तड़प रही थीं ,चूतड़ पटक रही थी ,पर घडी देख के पूरे ४० सेकेण्ड मैं आइस क्यूब उनके क्लिट पे प्रेस कर के , और एक मिनट का गैप फिर वही फ्लिक , चूसना और अबकी साथ में दो ऊँगली मेरी जेठानी की बुर में , एकदम गीली ,सटाक से दो उँगलियाँ अंदर गयी और फिर घचक घचक , पूरे जड़ तक उनका जी प्वाइंट भी मैंने ढूंढ लिए , फिर तो क्लीट और जी प्वाइंट पर साथ साथ हमला , अबकी दो मिनट में ही वो झड़ने के कगार पर आ गयी। लेकिन फिर एक बार आइस क्यूब ट्रीटमेंट ,... अब वो भी सब कुछ छोड़ के ये खेल देख रहे थे। चौथी बार में आइस क्यूब लगाने पर भी जेठानी एक ही गुहार कर रही थीं झाड़ दे ,मुझे झाड़ दे प्लीज , झाड़ दे मुझे , और मैंने उन्हें बिना झाड़े छोड़ दिया। मैं क्या कोई भी लौंडियाँ छोड़ देती। सामने कुतुबमीनार , लम्बा मोटा टनटनाया , कड़ा खड़ा बौराया , पूरे बालिश्त भर का मेरे सैंया का लंड , जिसके बारे में सोच सोच के मेरी सारी ससुरालवालियों की गीली हो रही थी।
19-01-2024, 02:17 PM
मेरा वाला,.... लॉलीपॉप
चौथी बार में आइस क्यूब लगाने पर भी जेठानी एक ही गुहार कर रही थीं झाड़ दे ,मुझे झाड़ दे प्लीज , झाड़ दे मुझे , और मैंने उन्हें बिना झाड़े छोड़ दिया। मैं क्या कोई भी लौंडियाँ छोड़ देती। सामने कुतुबमीनार , लम्बा मोटा टनटनाया , कड़ा खड़ा बौराया , पूरे बालिश्त भर का मेरे सैंया का लंड , जिसके बारे में सोच सोच के मेरी सारी ससुरालवालियों की गीली हो रही थी। जो बहुत जल्द भाभीचोद ,बहनचोद और मादरचोद होने वाला था। और मैंने बिना कुछ सोचे उसे गड़प कर लिया। क्या मस्त रसीला मोटा सुपाड़ा था ,मुजफफरपुर की लीची मात। चूसती चुभलाती मैंने कनखियों से देखा , देवर ने भौजाई का ब्लाइंडफोल्ड खोल दिया। ……………………………. अब तो मेरी जेठानी ,मुझे चूसते चाटते देख कर ये ललचा रही थीं की , लेकिन कोई भी लड़की औरत हो नहीं सकती थी जो इनके मूसलचंद को देख कर अपने पे काबू रख पाती थी। इनकी चीज थी है ऐसी। मैंने भी सोचा ले देख खुल के , और सुपाड़े को आजाद कर दिया पल भर के लिए। और कनखियों से जेठानी की ओर देखा , हालत खराब थी बिचारी की। ऐसे ललचा रही थीं जैसे इस के लिए कुछ भी ,कुछ करने को तैयार हो जायेगी वो। जान बूझ के इनकी भौजी की इग्नोर मारते हुए , मैंने फ्रूट क्रीम बाउल से ढेर सारी फ्रूट क्रीम ले कर उनके मोटे मोटे सुपाड़े पर लिथड़ दी और फिर प्लेट से अल्फांसो की पीसेज मुंह में लेकर सीधे एक बार फिर सुपाड़ा गड़प। मैं जोर जोर से चूस रही थी चुभला रही थी , और जेठानी ललचा रही थीं , और मैं अब समझ रही थी, अपनी जेठानी की व्यथा कथा, मॉल जाते समय, जब दिया श्रुति और विनोदवा क किस्सा सुना रही थी तभी किसी बात पर उनके मुंह से निकल पड़ा, " ज्यादातर के तो चार साढ़े चार इंच का ही होता है " उसी समय मैं समझ गयी जेठ जी का, वो नीली वाली गोली खा के , मुट्ठ वुट्ठ मार के खींच तान के चार सवा चार का होता होगा, और वो भी टू मिनट मैगी नूडल, इसीलिए जेठानी हरदम छनछनाई रहती हैं , ... लग रहा था मेरी सास इनकी बार तो लगातार गुड्डी की गली के बाहर जो गदहे खड़े रहते हैं उनके साथ हफ्ते भर लगातार, तो ये ,... और जेठ जी के टाइम कोई उनका पालतू खरगोश वरगोश रहा होगा , उसी पे दिल आ गया होगा,... और अब जेठानी के सामने जेठ जी का पूरा दूना, बल्कि दूने से भी ज्यादा, लम्बा भी मोटा भी कड़ा भी,... उन्हें दिखा के मैं और ज्यादा ,... जैसे शैतान लड़कियां अपनी सहेलियों को दिखा दिखा के लॉलीपॉप चाटती चूसती हैं , और सहेलियां ललचाती रहती हैं, यार एक लिक, बस एक लिक, प्रॉमिस मैं भी जेठानी जी को दिखा के कभी सिर्फ पकड़ के उन्हें दिखाती, मुश्किल से मुट्ठी में आ रहा था , मोटा इतना और लम्बा की दो तिहाई मेरी मुट्ठी से बाहर , फिर उन्हें दिखा के जस्ट लिक कर लेती , कभी मोटा खुला सुपाड़ा तो कभी चर्म दंड. टच करती, हटा लेती, टच करती, हटा लेती, बस जीभ की टिप से जेठानी के मुंह में पानी आ रहा था, वो सोच भी नहीं सकती थीं , इत्ता मोटा इत्ता मस्त ,उम्मीद से ज्यादा, बहुत ज्यादा
26-01-2024, 10:01 AM
Amazing, आइस क्यूब के अपडेट ने तो अंदर से ही गर्म कर दिया............प्रतीक्षा है अगले रसप्रद अपडेट की
02-02-2024, 07:37 PM
02-02-2024, 07:40 PM
मैंगो शेक, व्हिप्पड क्रीम
लेकिन मैं खो गयी थी यादों में ,महीने भर से थोड़े ही पहले तो , मेरे सोना मोना की बर्थडे की रात , पहली बार उन्हें आम का स्वाद मैंने उन्हें ऐसी ही तो चखाया था , मैंगो पीसेज मेरे मुंह में थे और उनका सुपाड़ा चूस चूस कर जो मैंने मलाई निकाली , मैंगो शेक बनाया , वो मेरे मुंह से सीधे इनके मुंह में , और ये लड़का भी न ,अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल के , एक एक बूँद चाट चाट के , गुड्डी से बाजी जीतने के लिए ये पहला कदम था। जिसके कंधे पर रख के मेरी जेठानी बंदूक चलाती थी, कच्चे टिकोरे वाली, कैसे बोलती थी, मेरे भइया आम नहीं खाते , खाना तो दूर नाम भी नहीं लेते ' और असली खिलाड़न मेरी जेठानी, आँख नचाके मुझसे बोल रही थीं, " कोमल ये बाजी तू हार जायेगी,... " और उसी समय मेरे मन में सिर्फ ये आया की तुम दोनों की माँ की चूत, मेरा पति सिर्फ मेरा है,... और वो,... सर झटक के वो सब बातें मैंने हवा में उड़ा दी और एक बार फिर और कनखियों से मैंने जेठानी जी को देखा ,नहीं नहीं उनके चेहरे को नहीं ,निचले होंठो को , जिसतरह से उनकी बुर फूल सिकुड़ रही थी , साफ़ साफ़ लग रहा था कितने जबरदस्त चींटे काट रहे थे उन्हें। पर इग्नोर करते हुए एक बार फिर मैंने सैयां जी का खूंटा आजाद कर दिया और अबकी व्हिप्पड क्रीम सीधे पूरे लंड पे नीचे से ऊपर तक लिथड़ दिया और चाटने लगी , अबकी बेस से शुरू कर सुपाड़े तक , बार बार लगातार। जैसे कोई लड़की किसी नदीदी लड़की को दिखा दिखा के अपना लॉलीपॉप चाटे चूसे पर दे न। जेठानी जी की चेहरे को मैंने अबकी खुल के देखा , एक तड़प ,जैसे बिचारी कुछ कहना चाह रही हो पर कह न पा रही , उनके संस्कार , पर आज उनके संस्कारों की तो मैं माँ चोद देने वाली थी। " क्यों चाहिए ,... " अपने सैयां के मोटे खूंटे को पकड के मैंने उन्हें ललचाया , ललचाते वो बोलीं , " हाँ , ... नेकी और पूछ पूछ। " लेकिन मैंने तब भी उनका हाथ नहीं खोला ,बोली मैं, मिलेगा लेकिन मेरी शर्तों पे , आप को खुल के अपनी गाँव की की बोली में , बोलना होगा , जोर जोर से मांगना होगा , और मुझसे नहीं मेरे इनसे। एक पल के लिए तो वो हिचकिचाई और बोलीं , इनसे , " देवर जी ,दे दो न , देवर जी ,दो न। " " क्या भाभी , खुल के बोलिये न क्या चाहिए , " वो क्यों मौका छोड़ते। " लास्ट ऑफर दीदी , अगर अगले पांच सेकेण्ड तक आपने नहीं माँगा ,खुल के तो बस सोच लीजिये मैं और आपके देवर मस्ती करेंगे आप यही देखियेगा। '''' और बेचारी जेठानी बोल ही पड़ीं , " देवर दै दा न , आपन , आपन ,... आपन लंड " मैं और वो एक साथ मुस्करा पड़े ,पर वो भी न मम्मी की संगत में रह के न एकदम , अपनी भौजाई को उन्होंने मेरी ओर मोड़ दिया , " अरे भौजी अब हमार कहाँ ,यी तो आपकी देवरानी का होगया है ,उसी से मांगिये न। " और मैं एक बार चाटने चूसने में लगी थी , बेचारी अब उनसे नहीं रहा जा रहा था ,मुझसे बिनती की उन्होंने , " हे दे दो न , दिलवा दो न ,.. " मैं क्यों सुनती मैं तो चूसने में लगी थी मैं लंड चूसती रही जिसे देख के बेचारी की हालत ख़राब थी। " दिलवा दो न लंड " दुबारा बोलीं वो।
02-02-2024, 07:41 PM
आई ऑन द स्काई
मैं लंड चूसती रही जिसे देख के बेचारी की हालत ख़राब थी। " दिलवा दो न लंड " दुबारा बोलीं वो। " दीदी आप कुछ बोल रही थीं " अब सुपाड़ा में बाहर निकाल के जेठानी की आँख में आँख डाल के देखते पूछा , और बोली एक बार फिर बोलिये न , हाँ खूंटा अभी भी कोमल के कोमल हाथ में ही था , खड़े कंचे के बराबर निप्स को छूते ,रगड़ते। " हे दिलवा दे न लंड , बस थोड़ी देर के लिए ,एक बार के लिए " " अरे दीदी एक बार के लिए क्यों बार बार , अरे मैंने तो आप से कितनी बार कहा मैं तो मिल बाँट के खाने में यकीन रखती हूँ , चाहे इनकी बहन हो या ,... अरे घिसेगा तो थोड़ी , फिर हाथी घूमे गाँव गाँव ,जिसका हाथी उसका नाम। चाहे ये बहनचोद बने मादरचोद बने , फिर किसी को चोदना क्या ये चूँची भी नहीं पकड़ सकते मेरे पीठ पीछे,बिना मुझे बताये , ... लीजिये न और फिर आप की तो बात अलग है , आप इनकी एकलौती भाभी है ,आइये न मिल के मजे लेते हैं। " और मैंने जेठानी जी का हाथ खोल दिया। जैसे कोई कितने दिनों का भूखा प्यासा हो ,बस वैसे ही वो नदीदी लपकी , पर मैंने उन्हें रोक दिया। " अरे दीदी , आपके देवर का ही है , जब मैं इनकी बहनों को नहीं रोकती तो आप का तो हक बनता है। आराम से मजे ले ले के ,मिल बाँट के खाते हैं न ,फिर आज तो आपकी छुट्टी ख़तम हुयी है ,आज आपको ये पूरा का पूरा , बस मुंह खोल के मांगिये ,देवर से लंड , और दिल खोल के घोंटिये। और मैंने उन्हें फ्रूट क्रीम की ओर इशारा किया। मुस्कराते हुए उन्होंने फ्रूट क्रीम उठायी और अपने देवर के मस्ताए खूंटे में लपेटा , खूब प्यार से। मैंने मुस्कराकर छत की ओर देखा कैमरे आन थे। ………………………………………………….. मैं सिर्फ इस लिए अपनी जेठानी को ६ घण्टे के लिए बाहर नहीं ले गयी थी की उनके देवर अपनी 'धार्मिक संस्कारी भाभी ' के लिए ,'जिस किचेन में कभी लहसुन प्याज नहीं आता ' उसी किचेन में अंडा मछली मटन चिकेन पोर्क और भी बहुत कुछ , अपनी संस्कारी भाभी के लिए बनाएं , बल्कि इस लिए भी की साथ साथ , अब झूठे ही कंपनी के सिक्योर्टी के इंचार्ज थोड़े ही बनाये गए थे , जगह जगह , बेड रूम से लेकर टॉयलेट तक हर जगह कैमरे फिट कर दें ,बेड रूम में तो एक दर्जन से ऊपर ,हाई रिजोल्यूशन , ३६० डिग्री ,बहुत कम रौशनी में चलने वाले ,रिमोट आपरेटेड और वॉयस रिकॉर्डर्स।
02-02-2024, 07:43 PM
Updates posted
Please do read my other story, enjoy like and comment छुटकी - होली दीदी की ससुराल में (xossipy.com)
06-02-2024, 11:42 PM
बढ़िया...........खूंटा एकदम खड़ा कर दिया
14-02-2024, 09:26 AM
Waiting for next part
24-02-2024, 09:26 PM
Update please
03-03-2024, 03:59 PM
Wait for next part please update
03-03-2024, 04:02 PM
Story sirf comment ke liye likhti ho?
14-03-2024, 06:17 AM
Update please
23-03-2024, 08:02 AM
Update
18-04-2024, 06:59 AM
update pls
29-07-2024, 06:57 AM
(19-01-2019, 09:36 AM)komaalrani Wrote: वोमेन आन टॉपAah kya mast ckdwa ka malai se bhari chut dikhai ho bhauji Komal aisi chut mujhe chusna bahut pasand hai khub man se achhi tarah chusta hu
08-08-2024, 03:38 AM
Pls update..
|
« Next Oldest | Next Newest »
|