08-01-2024, 11:28 AM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.

Fantasy नौकरानी और उसकी जवान बेटी का यौन शौषण
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![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:29 AM
![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:30 AM
![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:31 AM
झाँट विहीन
![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:32 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:34 AM
![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:37 AM
(08-01-2024, 11:34 AM)neerathemall Wrote:सम्मान और गरिमा: अपनी नौकरानी के साथ उसी सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करें जो आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ करते हैं। उसकी राय को महत्व दें, उसकी चिंताओं को सुनें और उसके योगदान को पहचानें। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:40 AM
(08-01-2024, 11:31 AM)neerathemall Wrote:एक समय की बात बताती हूं दुनिया की बारे में तुम्हें समझाती हूं एक लड़की गरीब थी! इसकी भी कहानी अजीब थी मां -बाप बीमार रहते बीमारी का कष्ट सहते मां -बाप को लड़की की शादी की चिंता होती चिंता से मां- बाप की परेशानी और बढ.जाती लड़की दिनभर काम करती मां -बाप छोटे भाई का पेट भरती मां बाप को जब परेशान देखती उनसे परेशानी का कारण पूछती तब जाहिर करते मां बाप ब्याह की चिंता धिक्कार हैं नहीं कर पा रहा हूं कुछ मैं हूं ऐसा पिता! लड़की बोलती चिंता मत कीजिए ,सब कुछ भूल जाइए नहीं करना है मुझे ब्याह ,कृपा करेंगे हम पर अवश्य अल्लाह! मैं जीवन भर आप लोगों के साथ रहूंगी हमेशा आप लोगों की सेवा करने के तैयार रहूंगी मां बाप सुनकर अपनी बेटी की बातेंंं भूल जाते अपने कष्ट सारे फिर भी यह सोचकर मन व्यथित होता अंदर ही अंदर शादी को लेकर मन चिंतित होता एक दिन गरीब लड़की के घर आया एक रिश्ता आया लड़के वालों ने दहेज फरमाया सुनकर लड़के के घरवालों की बातें! शादी कैसे करे अनुमान नहीं लगा पाते मां बाप लड़की के परिवार के आगे हाथ फैलाएं कृपा करें कुछ रहम फरमाए वरना रह जाएगी मेरी बिटिया कुंवारी कौन लेगा उसके जख्म मे भागीदारी लड़की वाले अकड कर बोले ,फिर से अपना मुंह खोले बेटी तुम्हारी भोली-भाली, दिखती यह बहुत कामवाली! इसको देखकर हम दहेज ना कर देते पर दुनिया के रीति-रिवाज को हम भी ग्रहण करते अगर हम दहेज नहीं लेंगे, तो दुनिया वाले क्या कहेंगे दहेज कम कर देते हैं ,दुनिया की रीित से थोड़ा हट जाते हैं, पांच लाख की जगह दो लाख दे दो हमारी विडंबना को भी समझो किसी तरह मां पैसे जुटाई मां अपना मंगलसूत्र गिरवी रख आई लड़की जब यह सुन पाई ,वह बहुत ही गुस्साई पर सब भगवान की ही माया हैं, कही धूप तो कहीं छाया हैं, आखिर आ ही गया दिन शादी का आज से ही शुरु हो गया दिन, लड़की के,बर्बादी का शादी करके ससुराल चली नेक बेटी आंख में आसुं एवं दिल में मां बाप के सपने सजोती! बेटी के जाने के बाद सोचो उस परिवार पर क्या बीता होगा जिस घर में साक्षात् लक्ष्मी ने अवतार लिया होगा ब्याह कर बेटी ससुराल आई ,उसको देखते ही सास गुस्साई, शायद सास को बहुत सारे सामानों की लालसा थी यह सब सोचना उसकी निराशा थी, ससुर उसके अच्छे थे ,मन से सच्चे थे बेटी की तरह प्यार देते ,अपनी पत्नी के आगे झुक जाते घरवाले उससे बहुत काम कराते, नौकरानी के जैसे एक पर एक काम बढ़ाते, पति था बहुत प्यार करता ,पर मां के सामने कैसे नाम लेता! एक दिन यह पता चला अंदर का यह राज खुला! बनने वाली थी यह बेटी मां , जो इन परिस्थितियों में भी परिवार पर लुटा रही थी जां सास को जब यह पता चला,खुशी के उसके ठिकाना ना रहा, करने लगी बहू पर रहम ,कर दी उससे नफरत थोड़ा कम, जब मेरी बहू को लड़का होगा, वह मेरा प्यारा पोता होगा पूरे परिवार को बच्चे की लालसा थी लड़का होगा यही सबको आशा थी मां बन गई वह लड़की बेचारी किस्मत ने सबके अरमानों पर फेरी पानी मां ने एक सुंदर सी बेटी को जन्म दिया बच्ची का इस दुनिया में आगमन हुआ! घृणा करने लगे सब उससे नफरत करने लगे देखते ही देखते बदल गया पति ,ससुर का व्यवहार यह भी करने लगे मां के साथ दुर्व्यवहार इसमें भला लड़की की क्या गलती थी आखिर यह दुनिया लड़के -लड़कियों में भेद करती हेै जुल्म ढा़ रहे थे मां पर यह शैतान कहीं नहीं दिख रहा था इनमे इंसान यह मां पर इतना जुल्म ढाए, दिन-रात मां बेटी दोनों को सताए जुल्म सहते -सहते मर गई मां बेचारी भूलकर अपनी बेटी और दुनिया सारी मरते वक्त भी मां को यह हो रहा था एहसास करके जा रही अकेली अपनी बेटी को छोड़ कर उसका साथ ,खुश हो गए परिवार वाले चिंता सता रहा थी कि इस लड़की को कैसे पाले सब सोचें इसको भी मार देते हैं इसको भी भगवान के पास भेज देते हैं सब बोले इसे कौन मारेगा ,कौन पाप का भागीदार बनेगा यह जिम्मेदारी सांस पर आई, उसने अपनी कथा सुनाई मैं तो इस उम्र में हूं भगवान की भक्त कर सकती हूं कैसे इस बच्ची का कत्ल दूसरा अंक ससुर का आया ,उसने भी ना फरमाया इसके बाद लड़के का आया ,उसने यह जिम्मेदारी उठाया! वह सोचा मां और बेटी की लाश साथ ठिकानेे लगाऊंगा इन दोनों को एक साथ मुक्ति दिलाऊंगा वह मारने के लिए कमरे में पहुंचा बच्ची का रोता चेहरा देखा वहअपनी मां को देखकर राे रहीे थी शायद उसे भी अनुभव था,कि वह अपनी मां को खो रही थी यह देख कर पति का दिल दहला बच्ची को देखकर उसका मन बदला वह बच्ची का चेहरा देखा ,कहा दे रहा हूं मै खुद को धोखा इस बच्ची का क्या कसूर है ,आखिर यह भी किस्मत के आगे मजबूर है बेटी को गोद में उठाया, मां की लाश को दफनाया घर आकर वह भड़का ,बिजली की तरह मां-बाप कड़का बोला मैं हूं बदनसीब अपनी पत्नी का हत्यारा आप लोगों के चलते मैंने ही उसको मारा मां अब आप ही बताइए खुद भी समझ जाइए यदि मैं लड़की होता तो आपके साथ भी ऐसा होता क्या कोई मां अपने बच्चे को छोड़कर रह पाएगी सब कुछ भूल जाए पर बच्चों को ना भूल पाएगी पूरे परिवार को एहसास हुआ, सब को अपनी किए पर पश्चाताप हुआ सोचें बच्ची को देंगे खूब प्यार खूब शिक्षा पाप कम करने के लिए गरीबों को भी दिए भिक्षा बच्ची जब बड़ी हुई ,सबसे पहले वह पापा कहीं पिता को यह सुनकर अच्छा लगा, इस बेटी की बात सच्चा लगा फिर भी पूरे परिवार को अफसोस था, कितना गंदा उस समय हमारा सोच था लेखिका- पूनम चौधरी Mbbs जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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08-01-2024, 11:46 AM
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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09-01-2024, 04:18 AM
Please please update
09-01-2024, 07:29 PM
Please update
13-01-2024, 06:57 PM
Update,??
15-01-2024, 04:54 PM
![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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23-05-2024, 02:14 AM
Good story
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