11-01-2024, 12:57 PM
(This post was last modified: 16-01-2024, 10:15 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
दोस्त की अम्मी को उसी के घर में चोदा
आर
मेरा एक दोस्त था उसका नाम सलीम था.
एक दिन मैं उसके घर गया, तो मैंने उसको आवाज दी.
जब उसकी कोई आवाज नहीं आई तो मैंने दरवाजे की सांकल बजाने के लिए हाथ आगे किया, तो देखा कि उसके घर का दरवाजा खुला था.
मैं अन्दर आ गया लेकिन अन्दर भी सलीम कहीं नजर नहीं आ रहा था.
तभी मुझे बगल के कमरे से आवाज़ सुनाई दी.
मैंने कमरे में जाकर देखा, तो मेरी आंखें खुली रह गईं और मेरा शरीर थोड़ी देर के लिए सुन्न अवस्था में आ गया.
क़मरे में नफीसा आंटी (सलीम की अम्मी) बिल्कुल नंगी थीं और वो लम्बी मोटी सफ़ेद मूली से अपनी चूत चोद रही थी.
आंटी की टाँगे ऊपर उठी हुई थीं और आंख बंद करके ‘आहह आहहह उम्महह हह आहह हहह …’ की आवाज निकाल रही थीं.
थोड़ी देर बाद मुझे होश आया. अब आंटी की चुदाई देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और धीरे धीरे उनके पास आ गया.
तभी शायद मेरी आहट सुनकर नफीसा आंटी ने आंखें खोल दीं.
वो मुझे देखकर थोड़ा सा डर गईं और बिस्तर पर हड़बड़ा कर बैठ गईं.
आंटी एकदम से डर गई थीं. वो घबराई हुई आवाज में बोलीं- राज तुम कब आए?
मैं कुछ नहीं बोला … बस आंटी की नंगी जवानी को ही देखता रहा.
आंटी बोलीं- प्लीज़ तुम सलीम को कुछ मत कहना.
मैंने कहा- नफीसा आंटी ये सब क्यों कर रही हो?
ये कहते हुए मैं उनके पास को चला गया.
उनकी नजर मेरे फूलते लौड़े पर गई तो मुस्करा कर बोलीं- मैं क्या करूं राज … मुझे किसी लंड ही नहीं मिलता.
ये कहते हुए आंटी ने मेरा खड़ा लौड़ा पकड़ लिया.
मैंने भी देर ना करते हुए नफीसा आंटी के बड़े बड़े बूब्स दबाने शुरू कर दिए.
वो बोलीं- राज, तेरा लौड़ा तो कमाल का है. इतना लंबा लंड तूने अब तक अपनी आंटी से छुपाकर रखा है.
मैंने कहा- आंटी, आपने भी तो मुझसे अपने ये बड़े बड़े पपीते छिपा कर रखे थे.
आंटी हंस दीं और मैं उनके मम्मों को दोनों हाथों से मसलने लगा. वो भी धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगीं.
मैंने उनसे कहा- सलीम कहां है?
वो बोलीं- सलीम अपनी खाला के घर गया है … वो कल सुबह तक आएगा.
ये सुनकर मैं खुश हो गया और बोला- मैं अभी आता हूं.
आंटी बोलीं- किधर जा रहे हो?
मैंने कहा- दरवाजा बंद कर दूँ.
आंटी ने हंस कर कहा- ओके.
मैं भागकर गया और मेन दरवाजा बंद करके आ गया. मैं उनके एक दूध के निप्पल को मींजने लगा और बोला- अब आपको असली लंड मिल गया है. इसका मजा ले लो.
नफीसा आंटी ये सुनकर मेरे लौड़े को ऐसे चूसने लगी थीं, जैसे उसमें रसमलाई लगी हो.
मैं भी उनके मुंह में लंड को अन्दर बाहर करने लगा. कुछ ही देर में हम दोनों गर्म हो गए थे.
आंटी मूली से अपनी आधी चुदाई के बीच में ही रह गई थीं, इसलिए वो पहले से ही गर्म थीं.
उन्होंने मेरे लौड़े को चूसकर भी गीला कर दिया था.
अब वो कुतिया की पोजीशन में आ गईं. मैंने अपने लौड़े को आंटी की चूत में घुसा दिया और उन्हें चोदने लगा.
मैंने उनके दूध मसलते हुए कहा- आंटी, आपकी चूत तो बहुत गर्म है.
वो बोली- राज, तुम मुझे आंटी नहीं नफीसा बोलो. मेरी इस गर्म प्यासी चूत को अपने लंड के पानी से ठंडा कर दो.
मैं जोश में आ गया और नफीसा आंटी को चोदने लगा.
नफीसा आंटी ‘आहह आहहह आहह …’ करके गांड आगे पीछे करके चुत में लंड लेने लगीं.
उनकी चूत में लंड सटासट सटासट अन्दर बाहर हो रहा था.
नफीसा आंटी की उम्र चालीस थी और उनकी उठी हुई गांड और बड़ी बड़ी चूचियां, जमाने को बेकाबू करने में सक्षम थीं.
आंटी अपनी गांड को तेजी से आगे पीछे करने लगीं और थप थप थप की आवाज तेज हो गई.
दस मिनट की चुदाई के बाद नफीसा आंटी चिल्लाने लगीं- आह राज और तेज चोदो मुझे … आह और तेज चोदो … आह फ़ाड़ दे मेरी चुत.
मैं भी तेजी से चुत में लंड अन्दर-बाहर करने लगा और उनकी चूत में अन्दर तक लंड पेलने लगा.
फिर मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया. उनके ऊपर चढ़कर चुत में लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
नफीसा आंटी अपने भारी भरकर शरीर में मुझे जकड़ने लगीं और मैं तेजी से लंड को अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
आंटी बोलीं- राज, मैं तेरा लंड पहले क्यों नहीं देख पाई. कितना मजेदार लंड है. आह … तेरा लंड अपने दोस्त की अम्मी को चोद रहा है … आह … और चोद … और चोद … चोद अपने दोस्त की अम्मी को.
मैंने भी लंड चुत की जड़ तक ठांसते हुए कहा- आंटी, आप भी कितनी सेक्सी हो.
वो बोलीं- राज तेरा लौड़ा मेरी चूत को बड़ा मज़ा दे रहा है. अपने दोस्त की अम्मी को आज जमकर चोद दे.
मैंने नफीसा आंटी की दोनों टांगों को उठाकर मोड़ दिया और उनके ऊपर चढ़ कर लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ झटके पर झटके लगाने लगा. अब मेरा लंड सीधा अन्दर बच्चेदानी तक जाने लगा.
नफीसा आंटी की चूत खुली हुई थी, तो उनको दर्द नहीं हो रहा था और वो मज़े से लंड ले रही थीं.
मेरे लौड़े की रफ्तार और तेज़ होती जा रही थी. तभी नफीसा आंटी ने अपनी चूत में लंड दबा लिया. मैं समझ गया कि आंटी की चुत हार गई. उसी वक्त नफीसा आंटी ने पानी छोड़ दिया और गीला लंड फच्च फच्च फच्च करके अन्दर बाहर होने लगा.
कुछ ही देर बाद नफीसा आंटी फिर से चार्ज हो गईं और उनकी कमर फिर से चलने लगी.
अब हम दोनों बेहद गर्म हो गए थे और नफीसा आंटी चिल्लाने लगी थीं- आह राज और तेज़ तेज़ चोदो मुझे … पूरा लंड अन्दर तक घुसा दे. अपनी नफीसा की चूत को और चोद चोद … आह फ़ाड़ दे आहह ऊईईई आहहह आहह.
कुछ मिनट बाद मेरे शरीर की रफ्तार तेज हो गई और झटके के साथ लंड ने वीर्य छोड़ दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने आंटी की चुत से लंड निकाल लिया और दोनों चिपक कर लेट गए.
नफीसा आंटी आज बहुत खुश थीं.
आंटी मुझसे लिपट गईं और बोलीं- राज तुम मुझे ऐसे ही चोदोगे, मेरी प्यास बुझाओगे!
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन सलीम को पता नहीं चलना चाहिए.
वो बोलीं- राज तुम अपने दोस्त की अम्मी को जब चाहे चोद सकते हो. इस बात का सलीम को कभी पता नहीं चलेगा. वो हमेशा बोलता है कि अम्मी राज मेरा सबसे अच्छा दोस्त है.
चुदाई को बीस मिनट बीत चुके थे. अब आंटी धीरे धीरे मेरे लौड़े पर हाथ फेरने लगीं और मस्ती करने लगीं.
मैं भी गर्म हो गया और नफीसा आंटी की गांड को दबाने लगा. नफीसा आंटी लंड को गपागप गपागप चूसने लगीं और मेरे सामने झुक गईं.
मैंने उनकी गांड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और वो लंड को मस्ती से चूस रही थीं.
मैंने उनकी गांड के छेद पर अपनी उंगली घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगा.
वो लॉलीपॉप के जैसे लंड को गले तक अन्दर ले रही थीं. इधर मैंने अपनी दो उंगलियां गांड में डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया था.
कुछ देर बाद मैंने आंटी को उठाकर घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी भूरी गांड में लौड़ा घुसा दिया.
आंटी की गांड में मेरा लंड सट्ट से चला गया. मैं आंटी की गांड मारने लगा.
नफीसा आंटी अपनी गांड आगे पीछे करके लंड के मज़े लेने लगीं.
मैंने पूछा- नफीसा आपकी गांड तो गड्ढा है … क्या मूली से पीछे से मजे भी लेती हो?
नफीसा आंटी ने बताया कि पहले सलीम के अब्बा मेरी गांड को जमकर चोदते थे. उसी समय से गांड मराने की लत लगी हुई है.
मैंने कहा- नफीसा, तभी तो तेरी गांड इतनी बड़ी है.
अब हम दोनों खुल चुके थे.
मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.
आंटी की गांड से ‘थप थप थप …’ की आवाज आने लगी.
नफीसा आंटी ने बताया कि सलीम के अब्बा ने मेरी गांड को ही सबसे ज्यादा बार चोदा है.
मैंने कहा- नफीसा, तुमने सलीम के और दोस्तों से भी चुदवाया है क्या?
उन्होंने बताया कि हां उन्होंने सलीम के दो दोस्तों और ट्यूशन वाले मास्टर से भी चुदवाया है … लेकिन सलीम को कुछ भी पता नहीं है.
मैंने उनके नाम पूछे तो उन्होंने मुझे दोस्तों के नाम नहीं बताए.
मेरा लंड नफीसा आंटी को जमकर चोद रहा था और नफीसा आंटी ‘आहह उहह आहह …’ करके अपनी गांड आगे पीछे कर रही थीं.
नफीसा आंटी की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे हाथों में पूरी आ नहीं पा रही थीं, मैं उन्हें तब भी अपनी मुट्ठियों में भींच कर दबाने लगा और उनकी गीली गांड को चोदने में लगा हुआ था.
कुछ देर बाद मैंने नफीसा आंटी को लंड पर बैठने को कहा और खुद नीचे लेट गया.
नफीसा आंटी ने अपनी गांड मेरे लौड़े पर रख दी और लंड अन्दर चला गया.
आंटी उछल उछल कर लंड पर अपनी गांड पटकने लगीं.
मैंने उनकी चूचियों को पकड़ लिया और मसलने लगा.
वो भी मस्ती में मेरे लंड को गांड में अन्दर तक ले रही थीं.
कुछ देर बाद नफीसा आंटी लंड पर तेज़ तेज़ उछलने लगीं और मैं ‘आह हहह उम्महह …’ की आवाज निकालने लगा.
अब आंटी की गांड मेरे लौड़े पर हावी हो गई थी, वो एक परिपक्व खिलाड़ी की तरह मेरे लौड़े से खेल रही थीं.
कुछ ही देर में मेरा शरीर उनके वज़न को झेलने में असफल हो गया इसलिए मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर गांड में लंड घुसाकर तेज़ तेज़ चोदने लगा.
इस वक्त मेरा लौड़ा नफीसा आंटी की गांड को ऐसे चोद रहा था, जैसे कोई पिस्टन सिस्टम को सैट करके छोड़ दिया हो.
बीस मिनट बाद मेरा लंड सटासट सटासट सटासट करते हुए थक गया और ज्वालामुखी फट गया.
लंड से गर्म वीर्य की धार नफीसा आंटी की गांड में छूट गई.
मैं नफीसा आंटी के ऊपर चिपक कर लेट गया.
पांच मिनट बाद मैंने लंड गांड से निकाला तो वीर्य भी निकलने लगा.
मेरी नज़र घड़ी पर गई तो तीन बजने वाले थे. मैं झटपट खड़ा होकर अपने कपड़े पहनने लगा.
नफीसा आंटी बोलीं- राज क्या हुआ?
मैंने कहा- तीन बजे मेरी क्लास है.
नफीसा आंटी मुझसे लिपट गईं और बोलीं- राज, आज की छुट्टी कर लो.
मैंने कहा- नफीसा, मुझे जाना होगा.
वो बोलीं- ठीक है … तुम अभी जा सकते हो … लेकिन तुम्हें रात को पक्के में आना होगा.
मैंने कहा- मैं मम्मी से क्या बोलूंगा?
नफीसा आंटी ने मेरी मम्मी को फोन कर दिया और बोलीं- दीदी, कल सलीम का टेस्ट है … तो आप राज को मेरे घर भेज देना. दोनों लड़के साथ में रात में पढ़ाई कर लेंगे.
मम्मी ने कहा- ठीक है.
नफीसा आंटी ने थैंक्स बोल कर फोन रख दिया.
वो बोलीं- राज जाओ और रात के लिए तैयार होकर जल्दी वापस आ जाओ.
मैंने कहा- नफीसा, तुम बहुत चालाक हो.
मैं अपने घर आ गया.
शाम को मम्मी ने कहा- नफीसा का फोन आया था, तुम वहां चले जाओ और अच्छे से पढ़ाई करना.
पहले तो मैंने यूं ही आनाकानी का नाटक किया, पर बाद में मैं हां बोलकर घर से आ गया.
रात को नफीसा आंटी ने सिल्क का लहंगा पहना था. मैंने उन्हें हैरत से देखा तो उन्होंने बोला- ये मेरे निकाह के वक्त का है.
वो
एक दिन मैं उसके घर गया, तो मैंने उसको आवाज दी.
जब उसकी कोई आवाज नहीं आई तो मैंने दरवाजे की सांकल बजाने के लिए हाथ आगे किया, तो देखा कि उसके घर का दरवाजा खुला था.
मैं अन्दर आ गया लेकिन अन्दर भी सलीम कहीं नजर नहीं आ रहा था.
तभी मुझे बगल के कमरे से आवाज़ सुनाई दी.
मैंने कमरे में जाकर देखा, तो मेरी आंखें खुली रह गईं और मेरा शरीर थोड़ी देर के लिए सुन्न अवस्था में आ गया.
क़मरे में नफीसा आंटी (सलीम की अम्मी) बिल्कुल नंगी थीं और वो लम्बी मोटी सफ़ेद मूली से अपनी चूत चोद रही थी.
आंटी की टाँगे ऊपर उठी हुई थीं और आंख बंद करके ‘आहह आहहह उम्महह हह आहह हहह …’ की आवाज निकाल रही थीं.
थोड़ी देर बाद मुझे होश आया. अब आंटी की चुदाई देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और धीरे धीरे उनके पास आ गया.
तभी शायद मेरी आहट सुनकर नफीसा आंटी ने आंखें खोल दीं.
वो मुझे देखकर थोड़ा सा डर गईं और बिस्तर पर हड़बड़ा कर बैठ गईं.
आंटी एकदम से डर गई थीं. वो घबराई हुई आवाज में बोलीं- राज तुम कब आए?
मैं कुछ नहीं बोला … बस आंटी की नंगी जवानी को ही देखता रहा.
आंटी बोलीं- प्लीज़ तुम सलीम को कुछ मत कहना.
मैंने कहा- नफीसा आंटी ये सब क्यों कर रही हो?
ये कहते हुए मैं उनके पास को चला गया.
उनकी नजर मेरे फूलते लौड़े पर गई तो मुस्करा कर बोलीं- मैं क्या करूं राज … मुझे किसी लंड ही नहीं मिलता.
ये कहते हुए आंटी ने मेरा खड़ा लौड़ा पकड़ लिया.
मैंने भी देर ना करते हुए नफीसा आंटी के बड़े बड़े बूब्स दबाने शुरू कर दिए.
वो बोलीं- राज, तेरा लौड़ा तो कमाल का है. इतना लंबा लंड तूने अब तक अपनी आंटी से छुपाकर रखा है.
मैंने कहा- आंटी, आपने भी तो मुझसे अपने ये बड़े बड़े पपीते छिपा कर रखे थे.
आंटी हंस दीं और मैं उनके मम्मों को दोनों हाथों से मसलने लगा. वो भी धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगीं.
मैंने उनसे कहा- सलीम कहां है?
वो बोलीं- सलीम अपनी खाला के घर गया है … वो कल सुबह तक आएगा.
ये सुनकर मैं खुश हो गया और बोला- मैं अभी आता हूं.
आंटी बोलीं- किधर जा रहे हो?
मैंने कहा- दरवाजा बंद कर दूँ.
आंटी ने हंस कर कहा- ओके.
मैं भागकर गया और मेन दरवाजा बंद करके आ गया. मैं उनके एक दूध के निप्पल को मींजने लगा और बोला- अब आपको असली लंड मिल गया है. इसका मजा ले लो.
नफीसा आंटी ये सुनकर मेरे लौड़े को ऐसे चूसने लगी थीं, जैसे उसमें रसमलाई लगी हो.
मैं भी उनके मुंह में लंड को अन्दर बाहर करने लगा. कुछ ही देर में हम दोनों गर्म हो गए थे.
आंटी मूली से अपनी आधी चुदाई के बीच में ही रह गई थीं, इसलिए वो पहले से ही गर्म थीं.
उन्होंने मेरे लौड़े को चूसकर भी गीला कर दिया था.
अब वो कुतिया की पोजीशन में आ गईं. मैंने अपने लौड़े को आंटी की चूत में घुसा दिया और उन्हें चोदने लगा.
मैंने उनके दूध मसलते हुए कहा- आंटी, आपकी चूत तो बहुत गर्म है.
वो बोली- राज, तुम मुझे आंटी नहीं नफीसा बोलो. मेरी इस गर्म प्यासी चूत को अपने लंड के पानी से ठंडा कर दो.
मैं जोश में आ गया और नफीसा आंटी को चोदने लगा.
नफीसा आंटी ‘आहह आहहह आहह …’ करके गांड आगे पीछे करके चुत में लंड लेने लगीं.
उनकी चूत में लंड सटासट सटासट अन्दर बाहर हो रहा था.
नफीसा आंटी की उम्र चालीस थी और उनकी उठी हुई गांड और बड़ी बड़ी चूचियां, जमाने को बेकाबू करने में सक्षम थीं.
आंटी अपनी गांड को तेजी से आगे पीछे करने लगीं और थप थप थप की आवाज तेज हो गई.
दस मिनट की चुदाई के बाद नफीसा आंटी चिल्लाने लगीं- आह राज और तेज चोदो मुझे … आह और तेज चोदो … आह फ़ाड़ दे मेरी चुत.
मैं भी तेजी से चुत में लंड अन्दर-बाहर करने लगा और उनकी चूत में अन्दर तक लंड पेलने लगा.
फिर मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया. उनके ऊपर चढ़कर चुत में लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
नफीसा आंटी अपने भारी भरकर शरीर में मुझे जकड़ने लगीं और मैं तेजी से लंड को अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
आंटी बोलीं- राज, मैं तेरा लंड पहले क्यों नहीं देख पाई. कितना मजेदार लंड है. आह … तेरा लंड अपने दोस्त की अम्मी को चोद रहा है … आह … और चोद … और चोद … चोद अपने दोस्त की अम्मी को.
मैंने भी लंड चुत की जड़ तक ठांसते हुए कहा- आंटी, आप भी कितनी सेक्सी हो.
वो बोलीं- राज तेरा लौड़ा मेरी चूत को बड़ा मज़ा दे रहा है. अपने दोस्त की अम्मी को आज जमकर चोद दे.
मैंने नफीसा आंटी की दोनों टांगों को उठाकर मोड़ दिया और उनके ऊपर चढ़ कर लंड घुसा दिया और तेज़ तेज़ झटके पर झटके लगाने लगा. अब मेरा लंड सीधा अन्दर बच्चेदानी तक जाने लगा.
नफीसा आंटी की चूत खुली हुई थी, तो उनको दर्द नहीं हो रहा था और वो मज़े से लंड ले रही थीं.
मेरे लौड़े की रफ्तार और तेज़ होती जा रही थी. तभी नफीसा आंटी ने अपनी चूत में लंड दबा लिया. मैं समझ गया कि आंटी की चुत हार गई. उसी वक्त नफीसा आंटी ने पानी छोड़ दिया और गीला लंड फच्च फच्च फच्च करके अन्दर बाहर होने लगा.
कुछ ही देर बाद नफीसा आंटी फिर से चार्ज हो गईं और उनकी कमर फिर से चलने लगी.
अब हम दोनों बेहद गर्म हो गए थे और नफीसा आंटी चिल्लाने लगी थीं- आह राज और तेज़ तेज़ चोदो मुझे … पूरा लंड अन्दर तक घुसा दे. अपनी नफीसा की चूत को और चोद चोद … आह फ़ाड़ दे आहह ऊईईई आहहह आहह.
कुछ मिनट बाद मेरे शरीर की रफ्तार तेज हो गई और झटके के साथ लंड ने वीर्य छोड़ दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने आंटी की चुत से लंड निकाल लिया और दोनों चिपक कर लेट गए.
नफीसा आंटी आज बहुत खुश थीं.
आंटी मुझसे लिपट गईं और बोलीं- राज तुम मुझे ऐसे ही चोदोगे, मेरी प्यास बुझाओगे!
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन सलीम को पता नहीं चलना चाहिए.
वो बोलीं- राज तुम अपने दोस्त की अम्मी को जब चाहे चोद सकते हो. इस बात का सलीम को कभी पता नहीं चलेगा. वो हमेशा बोलता है कि अम्मी राज मेरा सबसे अच्छा दोस्त है.
चुदाई को बीस मिनट बीत चुके थे. अब आंटी धीरे धीरे मेरे लौड़े पर हाथ फेरने लगीं और मस्ती करने लगीं.
मैं भी गर्म हो गया और नफीसा आंटी की गांड को दबाने लगा. नफीसा आंटी लंड को गपागप गपागप चूसने लगीं और मेरे सामने झुक गईं.
मैंने उनकी गांड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और वो लंड को मस्ती से चूस रही थीं.
मैंने उनकी गांड के छेद पर अपनी उंगली घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगा.
वो लॉलीपॉप के जैसे लंड को गले तक अन्दर ले रही थीं. इधर मैंने अपनी दो उंगलियां गांड में डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया था.
कुछ देर बाद मैंने आंटी को उठाकर घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी भूरी गांड में लौड़ा घुसा दिया.
आंटी की गांड में मेरा लंड सट्ट से चला गया. मैं आंटी की गांड मारने लगा.
नफीसा आंटी अपनी गांड आगे पीछे करके लंड के मज़े लेने लगीं.
मैंने पूछा- नफीसा आपकी गांड तो गड्ढा है … क्या मूली से पीछे से मजे भी लेती हो?
नफीसा आंटी ने बताया कि पहले सलीम के अब्बा मेरी गांड को जमकर चोदते थे. उसी समय से गांड मराने की लत लगी हुई है.
मैंने कहा- नफीसा, तभी तो तेरी गांड इतनी बड़ी है.
अब हम दोनों खुल चुके थे.
मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.
आंटी की गांड से ‘थप थप थप …’ की आवाज आने लगी.
मैं नफीसा आंटी की गांड को घोड़े के जैसे चोदने लगा.
नफीसा आंटी ने बताया कि सलीम के अब्बा ने मेरी गांड को ही सबसे ज्यादा बार चोदा है.
मैंने कहा- नफीसा, तुमने सलीम के और दोस्तों से भी चुदवाया है क्या?
उन्होंने बताया कि हां उन्होंने सलीम के दो दोस्तों और ट्यूशन वाले मास्टर से भी चुदवाया है … लेकिन सलीम को कुछ भी पता नहीं है.
मैंने उनके नाम पूछे तो उन्होंने मुझे दोस्तों के नाम नहीं बताए.
मेरा लंड नफीसा आंटी को जमकर चोद रहा था और नफीसा आंटी ‘आहह उहह आहह …’ करके अपनी गांड आगे पीछे कर रही थीं.
नफीसा आंटी की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे हाथों में पूरी आ नहीं पा रही थीं, मैं उन्हें तब भी अपनी मुट्ठियों में भींच कर दबाने लगा और उनकी गीली गांड को चोदने में लगा हुआ था.
कुछ देर बाद मैंने नफीसा आंटी को लंड पर बैठने को कहा और खुद नीचे लेट गया.
नफीसा आंटी ने अपनी गांड मेरे लौड़े पर रख दी और लंड अन्दर चला गया.
आंटी उछल उछल कर लंड पर अपनी गांड पटकने लगीं.
मैंने उनकी चूचियों को पकड़ लिया और मसलने लगा.
वो भी मस्ती में मेरे लंड को गांड में अन्दर तक ले रही थीं.
कुछ देर बाद नफीसा आंटी लंड पर तेज़ तेज़ उछलने लगीं और मैं ‘आह हहह उम्महह …’ की आवाज निकालने लगा.
अब आंटी की गांड मेरे लौड़े पर हावी हो गई थी, वो एक परिपक्व खिलाड़ी की तरह मेरे लौड़े से खेल रही थीं.
कुछ ही देर में मेरा शरीर उनके वज़न को झेलने में असफल हो गया इसलिए मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर गांड में लंड घुसाकर तेज़ तेज़ चोदने लगा.
इस वक्त मेरा लौड़ा नफीसा आंटी की गांड को ऐसे चोद रहा था, जैसे कोई पिस्टन सिस्टम को सैट करके छोड़ दिया हो.
बीस मिनट बाद मेरा लंड सटासट सटासट सटासट करते हुए थक गया और ज्वालामुखी फट गया.
लंड से गर्म वीर्य की धार नफीसा आंटी की गांड में छूट गई.
मैं नफीसा आंटी के ऊपर चिपक कर लेट गया.
पांच मिनट बाद मैंने लंड गांड से निकाला तो वीर्य भी निकलने लगा.
मेरी नज़र घड़ी पर गई तो तीन बजने वाले थे. मैं झटपट खड़ा होकर अपने कपड़े पहनने लगा.
नफीसा आंटी बोलीं- राज क्या हुआ?
मैंने कहा- तीन बजे मेरी क्लास है.
नफीसा आंटी मुझसे लिपट गईं और बोलीं- राज, आज की छुट्टी कर लो.
मैंने कहा- नफीसा, मुझे जाना होगा.
वो बोलीं- ठीक है … तुम अभी जा सकते हो … लेकिन तुम्हें रात को पक्के में आना होगा.
मैंने कहा- मैं मम्मी से क्या बोलूंगा?
नफीसा आंटी ने मेरी मम्मी को फोन कर दिया और बोलीं- दीदी, कल सलीम का टेस्ट है … तो आप राज को मेरे घर भेज देना. दोनों लड़के साथ में रात में पढ़ाई कर लेंगे.
मम्मी ने कहा- ठीक है.
नफीसा आंटी ने थैंक्स बोल कर फोन रख दिया.
वो बोलीं- राज जाओ और रात के लिए तैयार होकर जल्दी वापस आ जाओ.
मैंने कहा- नफीसा, तुम बहुत चालाक हो.
मैं अपने घर आ गया.
शाम को मम्मी ने कहा- नफीसा का फोन आया था, तुम वहां चले जाओ और अच्छे से पढ़ाई करना.
पहले तो मैंने यूं ही आनाकानी का नाटक किया, पर बाद में मैं हां बोलकर घर से आ गया.
रात को नफीसा आंटी ने सिल्क का लहंगा पहना था. मैंने उन्हें हैरत से देखा तो उन्होंने बोला- ये मेरे निकाह के वक्त का है.
वो
२
नफीसा आंटी 42 साल की हो गई हैं, लेकिन चुदाई का नशा उनमें 21 साल की जवान कमसिन लड़की से भी ज्यादा है.
उस दिन मैं नफीसा आंटी को चोदकर उनके घर से ट्यूशन पढ़ने चला गया था.
फिर जब मैं ट्यूशन से लौट कर घर जैसे ही आया तो मम्मी ने मुझे आवाज दे दी.
मम्मी बोलीं- राज, नफीसा आंटी का फोन आया था. सलीम का टेस्ट है तो तुम दोनों रात में साथ पढ़ लेना. तुम सलीम के घर चले जाना.
मैंने नाटक करते हुए कहा- वहां मुझे नींद नहीं आयेगी.
तो मम्मी चिल्लाने लगी और बोली- तू वहां पढ़ने जा रहा है कि सोने?
मैं चुप हो गया और बोला- ठीक है, पहले मुझे खाना दे दो.
मम्मी ने खाना दे दिया और मैं अन्दर ही अन्दर खुश होते हुए खाना खाकर अपने कमरे में आ गया.
मैंने बैग में बुक्स के साथ कंडोम और डेरी मिल्क रख ली और मम्मी को बोल कर निकल गया.
मैं जैसे ही सलीम के घर पहुंचा तो देखा कि नफीसा आंटी सिल्क का लंहगा पहनी हुई थीं और एकदम दुल्हन सी सजी हुई थीं.
मैं उन्हें वासना से देखता हुआ घर में अन्दर आ गया.
दरवाजा बंद करके हम दोनों बेडरूम में पहुंचे तो बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियों से दिल के आकार का फूल बना था.
पूरे कमरे में इत्र की खुशबू आ रही थी.
मैंने उनके लहंगे की तारीफ़ की, तो नफीसा आंटी ने बताया- यह मेरे निकाह का लंहगा है जो आज मैंने बहुत दिन बाद तुम्हारे लिए ही पहना है.
मैं समझ गया कि आज रात आंटी मेरे साथ बहुत दमदार चुदाई करने वाली हैं.
मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर बैठा दिया और उनके होंठों को चूमने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे और धीरे धीरे दोनों गर्म होने लगे.
मैंने नफीसा आंटी का दुपट्टा हटा दिया और ब्लाउज की डोरी खोल दीं.
अब दोनों ही एक दूसरे की जीभ और होंठों को चूसने लगे थे.
यूं ही उन्हें लबों को चूमते चूसते हुए ही मैंने नफीसा आंटी का ब्लाउज उतार दिया.
उनके बड़े बड़े चुचे गुलाबी ब्रा से बाहर निकले पड़ रहे थे.
मैंने आंटी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उनकी ‘आह आअहह ओहहह …’ की गर्म सिसकारियां निकलने लगीं.
फिर मैंने आंटी की ब्रा उतार दी और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया; लहंगे का नाड़ा खोल कर उतार दिया.
अब मेरे सामने एक छोटी सी नई गुलाबी मखमली पैंटी आंटी की चूत को ढके हुई थी.
मैंने आंटी की संगमरमर सी चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए उनकी पैंटी उतार दी.
आह … आंटी की चूत बिल्कुल चिकनी और साफ थी. उन्होंने शायद शाम को ही अपनी झांटें साफ की थीं.
मैंने अपनी जुबान आंटी की चूत पर रख दी और चुत चूसने लगा.
वो टांगें फैला कर मादक सिसकारियां भरने लगीं और मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगीं.
मैंने पूरी जीभ चुत के अन्दर घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगा.
वो ‘ओआह उम्मह आह ऊईई ऊईईई …’ करने लगीं.
चुत की दीवारों से रस टपकने लगा था, इससे मेरी जीभ उनकी चूत में काफी अन्दर तक मजा लेने लगी थी.
आंटी अपनी गांड उठा कर और मेरा सर चुत पर दबा कर अपनी चुत चुदाई का मजा लेने लगी थीं.
थोड़ी ही देर में आंटी की आवाजें तेज हो गईं और चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने चुत से निकली मलाई को चाटकर साफ़ कर दिया.
कुछ देर बाद नफीसा आंटी उठीं और उन्होंने मुझे नंगा कर दिया.
मेरे सामने आकर आंटी मेरे लंड को हिलाने लगीं. फिर मेरे लंड को पकड़ कर मुंह में डाल लिया और चूसने लगीं.
वो लंड को लॉलीपॉप समझकर चूसने लगीं.
तभी मुझे कुछ याद आया तो मैंने कहा- नफीसा रूको.
वो मेरी तरफ देखने लगीं तो मैंने बैग से एक डेरी मिल्क निकाल कर उनके हाथ में पकड़ा दी.
उन्होंने डेरी मिल्क को लंड पर मल दी और लंड मुंह में लेकर चूसने लगीं.
वो लंड को ‘मुउह मुउह मुउह …’ करके चूसने लगी थीं.
मैं भी जोश में आकर आंटी के मुंह में अन्दर तक झटके लगाने लगा था.
मेरा लंड आंटी के मुंह को गले तक जाकर चोदने लगा था.
उन्होंने लंड की डेरी मिल्क पूरी तरह से चूस कर साफ़ कर दी.
अब चुदाई की बेला आ गई थी.
मैंने आंटी की गांड के नीचे दो तकिए लगा दिए; उनकी चूत ऊपर को उठ गई.
मैंने लंड पर दानेदार वाला कंडोम लगाया और लंड का सुपारा गीली चुत की फांकों में रख कर एक बार आंटी की तरफ देखा.
आंटी को लगा कि मैं अभी लौड़े से चुत की फांकों को रगड़ूँगा … मगर मैंने एक तेज झटके से लंड चुत के अन्दर घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
नफीसा आंटी की ‘हह आहह मर गई … आह फाड़ दी मेरी चुत … आहहह …’ करने लगीं लेकिन फिर जल्दी ही पूरा लंड चुत में मजे से लेने लगीं.
कुछ ही पलों बाद मजा बढ़ गया और उन्होंने अपनी बांहों में मुझे भर लिया.
मैं आंटी को कुछ ज्यादा ही तेज तेज झटकों से चोदने लगा.
अब मैं नफीसा आंटी की उठी हुई चूत में लंड सटासट सटासट अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा और मेरा लंड आंटी की बच्चेदानी को टक्कर मारने लगा.
नफीसा आंटी की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे मुंह के सामने हिल रही थीं … मैं एक को चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा.
आंटी काफी गर्म हो गई थीं, वो अपनी टांगें हवा में उठा कर बोलीं- राज, आज सलीम की अम्मी की सुहागरात है. अब तू सलीम का वालिद हो गया … और ये कनीज नफीसा तेरी बेगम हो गई.
मैंने कहा- अच्छा ऐसा है क्या बेगम … तो आज तो माबदौलत को आपकी चुत को फाड़ने का मजा लेना है.
आंटी बोलीं- मेरे सरताज, अब चाहे चुत को फाड़ो या छोड़ दो … बस मुझे पूरी ताकत से चोद दो.
मैं जोर जोर से चुत में झटके मारने लगा.
‘आहह आहह उह आहहह मर गई …’ करके आंटी लंड का भरपूर मजा ले रही थीं.
नफीसा आंटी बोलीं- राज, तुम अपनी बेगम को चोदकर खुश तो हो ना!
मैंने लंड सुपारे तक चुत से बाहर निकाल लिया और झटके से घुसा दिया.
फिर रफ्तार से आंटी की चुत चोदने लगा और बोला- हां मेरी नफीसा बानो … मैं बहुत खुश हूं.
कुछ देर बाद मैंने नफीसा आंटी को इशारा किया, तो वो घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से चूत में लंड घुसा दिया और आंटी के ऊपर चढ़कर चोदने लगा.
अब नफीसा आंटी भी अपनी गांड आगे पीछे करके लंड चुत की गहराई में लेने लगीं.
अब हम दोनों ही चरम पर आ गए थे और अपनी अपनी कमर तेजी से चलाने लगे थे.
आंटी की गांड से मेरे लंड के टट्टे लगते तो ‘थप थप थप थप …’ की मधुर और तेज आवाज़ आने लगी.
दानेदार कंडोम चूत में घिस रहा था … तो नफीसा आंटी को बड़ा मस्त लग रहा था और वो ‘आह ओहहह …’ करके चूत से लंड को दबा लेतीं और मैं उसी वक्त जोर से झटका मार देता … तो उनकी मादक ‘आह उह …’ निकल जाती.
हम दोनों ही फुल चार्ज हो गए थे और दोनों की रफ्तार अपने चरम पर थी.
नफीसा आंटी की चूत कसने लगी और मेरे झटकों की रफ्तार से उनकी चूत का कसाव खुल गया और चुत ने पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड अभी भी पूरी मजबूती से अपने अंतिम दौर में था मगर चुत के रस छोड़ देने से लंड ‘फच्च फच्च …’ करके अन्दर बाहर होने लगा.
मैंने उसी समय आंटी की गांड में थूक लगाया और लंड चुत से खींच कर एकदम से आंटी की गांड में घुसा दिया.
मेरा गीला लंड सटाक से गांड के अन्दर घुसता चला गया और मैं आंटी की क़मर पकड़कर दे दनादन चोदने लगा.
वो भी एक बार को सिहर उठीं और अगले ही पल अपनी गांड आगे पीछे करके लंड के मज़े लेने लगीं.
मेरा लंड आंटी की गांड को घिसता हुआ चोदने लगा. वो मीठी आवाज में ‘आह आह …’ करके लंड लेने लगीं.
मेरा लंड जो अपने अंतिम दौर में आ गया था, वो आंटी की गांड में चलते ही फिर से जवान हो गया था.
नफीसा आंटी आंटी भी फिर से कामुक हो गई थीं और वो पूरी मस्ती से अपनी गांड में लंड ले रही थीं.
वो बोलीं- आह राज … मेरे सरताज और तेज चोदो मुझे … आहह और चोदो मुझे मेरे खालिक अपनी नफीसा को जमकर चोदो.
मैं जोश में आ गया और मैंने लंड की रफ्तार बढ़ा दी; तेज़ी से गांड के अन्दर-बाहर लंड पेलने लगा.
मेरा लंड नफीसा आंटी की गांड में इस समय फ्रंटियर एक्सप्रेस ट्रेन के जैसे दौड़ने लगा था. नफीसा आंटी भी अपनी गांड को आगे पीछे करती हुई मजा लेने में लगी थीं.
मैंने कुछ गुलाब की पत्तियां नफीसा आंटी की चुत में भर दीं और उंगली करते हुए तेज़ी से गांड मारने लगा.
आंटी की चुत में भी मजा आने लगा था. वो अपने दोनों छेदों में मजा ले रही थीं.
तभी मेरे लौड़े ने अपनी रफ़्तार एकदम से बढ़ा दी और झटके के साथ ही पानी छोड़ दिया.
झड़ जाने के बाद मैंने नफीसा आंटी की गांड से लंड निकाल लिया और कंडोम हटा दिया.
नफीसा आंटी आगे आ गईं और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगीं, उन्होंने लंड को चूस कर साफ़ कर दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.
तभी नफीसा आंटी के मोबाइल में घंटी बजी.
मैंने देखा कि मेरी मम्मी ने आंटी को फोन किया था.
मेरी मम्मी बोलीं- राज सो गया क्या?
नफीसा आंटी बोलीं- नहीं दीदी, अभी तो उन्होंने एक ही चैप्टर कंम्पलीट किया है. बस वो दोनों थोड़ा रेस्ट कर रहे हैं.
मम्मी बोलीं- ठीक है नफीसा आज उसे सोने मत देना … और देखना ठीक से पढ़ रहा है कि नहीं.
नफीसा आंटी बोलीं- ठीक है दीदी … मैं उसे सोने नहीं दूंगी.
इसके बाद आंटी ने फ़ोन रख दिया.
अब नफीसा आंटी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो बोलीं- मेरे शौहर … सुना आपने … अब तो मेरी सास ने भी परमीशन दे दी कि आपको रात भर जगाना.
ये कह कर आंटी मेरे लंड को सहलाने लगीं. नफीसा आंटी मेरी तरफ अपनी करवट लेकर हो गईं और लंड चूसने लगीं.
कुछ ही देर में आंटी की गांड मेरे सामने आ गई, मैंने उनकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया और वो मजा लेने लगीं.
थोड़ी देर बाद मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और गुलाब की पंखुड़ियों से उनके बदन को ढक दिया.
मैं उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों के बीच लंड रखकर चोदने लगा.
लंड आंटी के मुंह तक जाता और थूक से लिपट कर चुचियों को रगड़ने लगता.
थूक और गुलाब की पत्तियां रगड़ने लगीं और गुलाब की महक बढ़ने लगी.
नफीसा आंटी की चूचियों पर लंड रगड़ने से उनकी चूचियां गुलाबी हो गईं, पत्तियों ने रंग छोड़ दिया था.
अब मैंने नफीसा आंटी की दोनों टांगों को चौड़ा किया और बीच में आकर लंड घुसा दिया और गपागप गपागप चोदने लगा.
आंटी ‘आहहह आहहह आहहह …’ करके लंड का मजा लेने लगीं.
मैं भी मस्ती से चोदने लगा और उनकी चूचियां दबाते हुए झटके मारने लगा.
मैंने नफीसा आंटी को चोदते हुए उनसे कहा- नफीसा, मैं तुमको कंडोम के बिना चोदना चाहता हूं.
वो हंसती हुई बोलीं- मैं तो तुम्हारे लौड़े की गुलाम हूं … बेगम हूं तुम्हारी … तुम जैसे चाहो वैसे चोदो.
मैंने लंड बाहर निकाला और कंडोम उतार दिया, अपने लंड में थूक लगाया और चुत में घुसा दिया.
एक मीठी आह के साथ आंटी ने चुत उठानी शुरू कर दी.
मेरा लंड मस्ती से चुत में अन्दर बाहर होने लगा.
नफीसा आंटी बोलीं- राज, आज से मैं तुम्हें एक नए नाम से बोलूंगी.
मैंने कहा- क्या है वो नया नाम?
वो बोलीं- अब से तुम्हारा नाम समीर है.
मैंने कहा- ठीक है, समीर नफीसा खान.
वो बोलीं- हां मेरे समीर चोदो मुझे … आह उम्मह और तेज़ और तेज़ पेलो.
मैं भी जोश में आ गया और लंड को तेज़ तेज़ अन्दर बाहर करने लगा. मेरा लौड़ा पूरा अन्दर तक जाने लगा और उनकी चूत में गर्मी बढ़ने लगी.
फिर मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और ऊपर से चोदने लगा. मेरा लौड़ा इस आसन में बड़ी आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था.
मैं इस वक्त नफीसा आंटी को बिंदास होकर चोदने लगा था और वो भी बिल्कुल मस्त होकर मुझसे चुदवा रही थीं.
नफीसा आंटी की चूत में गर्मी अपने चरम पर आने लगी और उन्होंने लंड को कसना तेज कर दिया.
कुछ ही झटकों के बाद उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और लंड गपागप गपागप अन्दर बाहर होने लगा.
फिर मैंने आंटी को उठाकर घोड़ी बना दिया और उनकी चूत में लंड घुसा दिया.
लंड बिल्कुल गीला हो गया था इसलिए मुझे मजा कम आ रहा था. मैंने लंड चुत से निकाल कर गांड में घुसा दिया और लंड अन्दर बाहर करने लगा.
नफीसा आंटी भी अपनी गांड आगे पीछे करके चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
इस समय हमें कोई रोकने वाला नहीं था. हम दोनों ही मादक सिसकारियां भरने लगे थे.
आज मैं अपने ही दोस्त की मां को चोदकर सुहागरात मना रहा था. हम दोनों अपनी अपनी कमर को तेजी से चलाने लगे और ताबड़तोड़ चुदाई की थप थप थप थप आवाज कमरे में भरने लगी.
मैंने कुछ देर बाद गांड में से लंड निकाल लिया और नफीसा को सीधा लिटा कर उनकी चूत में लंड घुसा दिया और अपनी पूरी रफ़्तार से आंटी की चुत चोदने लगा.
मेरा लौड़ा आंटी की चुत में अन्दर बच्चेदानी तक जाने लगा और नफीसा आंटी को इसमें बहुत मज़ा आ रहा था.
वो कामुक आवाज में बोलीं- आह समीर और तेज़ और तेज़ अपनी नफीसा को और चोदो आह मजा आ रहा है.
मैंने भी अपने लौड़े को रफ्तार दे दी और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा. तभी मेरा लौड़ा सख्त हो गया और लंड से एक तेज़ पिचकारी बच्चेदानी में छोड़ दी.
मैं नफीसा आंटी के ऊपर चिपक कर लेट गया. हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं और लंड का पानी अन्दर से बाहर निकलने लगा था.
पांच मिनट बाद मैंने लंड निकाल लिया और ऐसे ही लिपटकर आंटी की चूचियों को मसलने लगा.
हम दोनों को पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई.
सुबह अचानक मेरी नींद खुली तो दोनों नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे हुए थे.
मैंने धीरे से नफीसा आंटी को अलग किया और बाथरूम में आ गया.
जब वापस कमरे में आया तो नफीसा आंटी दोनों टांगों को फैला कर सो रही थीं.
मेरा लौड़ा उनकी चिकनी चूत देखकर फिर से खड़ा हो गया.
मैंने धीरे से एक तकिया आंटी की गांड के नीचे लगा दिया. लंड पर थूक लगा कर उनकी चूत में घुसा दिया और एकदम से तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
इससे नफीसा आंटी की नींद खुल गई. मेरा लौड़ा उन्हें धकापेल चोद रहा था.
धीरे धीरे वो भी अपने हाथ मेरे जिस्म में चलाने लगीं और मैं अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा.
दस मिनट बाद मैंने नफीसा आंटी को घोड़ी बनाकर आगे पीछे जमकर चोदा.
फिर तीस मिनट बाद मैंने आंटी की चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों ने साथ में नहाया और नफीसा आंटी ने नहाते समय लंड को चूस कर उसका रस पिया.
उसके बाद मैं अपने घर आ गया और नाश्ता करके अपने रूम जाकर सो गया.
दिन में खाने के लिए मम्मी ने जगाया. वो बोलीं- रात भर पढ़ाई की थी क्या?
मैंने कहा- हां नफीसा आंटी ने सोने ही नहीं दिया.
मम्मी खुश हो गईं और बोलीं- नफीसा को मैंने कहा था.
उस दिन मैं नफीसा आंटी को चोदकर उनके घर से ट्यूशन पढ़ने चला गया था.
फिर जब मैं ट्यूशन से लौट कर घर जैसे ही आया तो मम्मी ने मुझे आवाज दे दी.
मम्मी बोलीं- राज, नफीसा आंटी का फोन आया था. सलीम का टेस्ट है तो तुम दोनों रात में साथ पढ़ लेना. तुम सलीम के घर चले जाना.
मैंने नाटक करते हुए कहा- वहां मुझे नींद नहीं आयेगी.
तो मम्मी चिल्लाने लगी और बोली- तू वहां पढ़ने जा रहा है कि सोने?
मैं चुप हो गया और बोला- ठीक है, पहले मुझे खाना दे दो.
मम्मी ने खाना दे दिया और मैं अन्दर ही अन्दर खुश होते हुए खाना खाकर अपने कमरे में आ गया.
मैंने बैग में बुक्स के साथ कंडोम और डेरी मिल्क रख ली और मम्मी को बोल कर निकल गया.
मैं जैसे ही सलीम के घर पहुंचा तो देखा कि नफीसा आंटी सिल्क का लंहगा पहनी हुई थीं और एकदम दुल्हन सी सजी हुई थीं.
मैं उन्हें वासना से देखता हुआ घर में अन्दर आ गया.
दरवाजा बंद करके हम दोनों बेडरूम में पहुंचे तो बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियों से दिल के आकार का फूल बना था.
पूरे कमरे में इत्र की खुशबू आ रही थी.
मैंने उनके लहंगे की तारीफ़ की, तो नफीसा आंटी ने बताया- यह मेरे निकाह का लंहगा है जो आज मैंने बहुत दिन बाद तुम्हारे लिए ही पहना है.
मैं समझ गया कि आज रात आंटी मेरे साथ बहुत दमदार चुदाई करने वाली हैं.
मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर बैठा दिया और उनके होंठों को चूमने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे और धीरे धीरे दोनों गर्म होने लगे.
मैंने नफीसा आंटी का दुपट्टा हटा दिया और ब्लाउज की डोरी खोल दीं.
अब दोनों ही एक दूसरे की जीभ और होंठों को चूसने लगे थे.
यूं ही उन्हें लबों को चूमते चूसते हुए ही मैंने नफीसा आंटी का ब्लाउज उतार दिया.
उनके बड़े बड़े चुचे गुलाबी ब्रा से बाहर निकले पड़ रहे थे.
मैंने आंटी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और उनकी ‘आह आअहह ओहहह …’ की गर्म सिसकारियां निकलने लगीं.
फिर मैंने आंटी की ब्रा उतार दी और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया; लहंगे का नाड़ा खोल कर उतार दिया.
अब मेरे सामने एक छोटी सी नई गुलाबी मखमली पैंटी आंटी की चूत को ढके हुई थी.
मैंने आंटी की संगमरमर सी चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए उनकी पैंटी उतार दी.
आह … आंटी की चूत बिल्कुल चिकनी और साफ थी. उन्होंने शायद शाम को ही अपनी झांटें साफ की थीं.
मैंने अपनी जुबान आंटी की चूत पर रख दी और चुत चूसने लगा.
वो टांगें फैला कर मादक सिसकारियां भरने लगीं और मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगीं.
मैंने पूरी जीभ चुत के अन्दर घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगा.
वो ‘ओआह उम्मह आह ऊईई ऊईईई …’ करने लगीं.
चुत की दीवारों से रस टपकने लगा था, इससे मेरी जीभ उनकी चूत में काफी अन्दर तक मजा लेने लगी थी.
आंटी अपनी गांड उठा कर और मेरा सर चुत पर दबा कर अपनी चुत चुदाई का मजा लेने लगी थीं.
थोड़ी ही देर में आंटी की आवाजें तेज हो गईं और चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने चुत से निकली मलाई को चाटकर साफ़ कर दिया.
कुछ देर बाद नफीसा आंटी उठीं और उन्होंने मुझे नंगा कर दिया.
मेरे सामने आकर आंटी मेरे लंड को हिलाने लगीं. फिर मेरे लंड को पकड़ कर मुंह में डाल लिया और चूसने लगीं.
वो लंड को लॉलीपॉप समझकर चूसने लगीं.
तभी मुझे कुछ याद आया तो मैंने कहा- नफीसा रूको.
वो मेरी तरफ देखने लगीं तो मैंने बैग से एक डेरी मिल्क निकाल कर उनके हाथ में पकड़ा दी.
उन्होंने डेरी मिल्क को लंड पर मल दी और लंड मुंह में लेकर चूसने लगीं.
वो लंड को ‘मुउह मुउह मुउह …’ करके चूसने लगी थीं.
मैं भी जोश में आकर आंटी के मुंह में अन्दर तक झटके लगाने लगा था.
मेरा लंड आंटी के मुंह को गले तक जाकर चोदने लगा था.
उन्होंने लंड की डेरी मिल्क पूरी तरह से चूस कर साफ़ कर दी.
अब चुदाई की बेला आ गई थी.
मैंने आंटी की गांड के नीचे दो तकिए लगा दिए; उनकी चूत ऊपर को उठ गई.
मैंने लंड पर दानेदार वाला कंडोम लगाया और लंड का सुपारा गीली चुत की फांकों में रख कर एक बार आंटी की तरफ देखा.
आंटी को लगा कि मैं अभी लौड़े से चुत की फांकों को रगड़ूँगा … मगर मैंने एक तेज झटके से लंड चुत के अन्दर घुसा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा.
नफीसा आंटी की ‘हह आहह मर गई … आह फाड़ दी मेरी चुत … आहहह …’ करने लगीं लेकिन फिर जल्दी ही पूरा लंड चुत में मजे से लेने लगीं.
कुछ ही पलों बाद मजा बढ़ गया और उन्होंने अपनी बांहों में मुझे भर लिया.
मैं आंटी को कुछ ज्यादा ही तेज तेज झटकों से चोदने लगा.
अब मैं नफीसा आंटी की उठी हुई चूत में लंड सटासट सटासट अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा और मेरा लंड आंटी की बच्चेदानी को टक्कर मारने लगा.
नफीसा आंटी की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे मुंह के सामने हिल रही थीं … मैं एक को चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा.
आंटी काफी गर्म हो गई थीं, वो अपनी टांगें हवा में उठा कर बोलीं- राज, आज सलीम की अम्मी की सुहागरात है. अब तू सलीम का वालिद हो गया … और ये कनीज नफीसा तेरी बेगम हो गई.
मैंने कहा- अच्छा ऐसा है क्या बेगम … तो आज तो माबदौलत को आपकी चुत को फाड़ने का मजा लेना है.
आंटी बोलीं- मेरे सरताज, अब चाहे चुत को फाड़ो या छोड़ दो … बस मुझे पूरी ताकत से चोद दो.
मैं जोर जोर से चुत में झटके मारने लगा.
‘आहह आहह उह आहहह मर गई …’ करके आंटी लंड का भरपूर मजा ले रही थीं.
नफीसा आंटी बोलीं- राज, तुम अपनी बेगम को चोदकर खुश तो हो ना!
मैंने लंड सुपारे तक चुत से बाहर निकाल लिया और झटके से घुसा दिया.
फिर रफ्तार से आंटी की चुत चोदने लगा और बोला- हां मेरी नफीसा बानो … मैं बहुत खुश हूं.
कुछ देर बाद मैंने नफीसा आंटी को इशारा किया, तो वो घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से चूत में लंड घुसा दिया और आंटी के ऊपर चढ़कर चोदने लगा.
अब नफीसा आंटी भी अपनी गांड आगे पीछे करके लंड चुत की गहराई में लेने लगीं.
अब हम दोनों ही चरम पर आ गए थे और अपनी अपनी कमर तेजी से चलाने लगे थे.
आंटी की गांड से मेरे लंड के टट्टे लगते तो ‘थप थप थप थप …’ की मधुर और तेज आवाज़ आने लगी.
दानेदार कंडोम चूत में घिस रहा था … तो नफीसा आंटी को बड़ा मस्त लग रहा था और वो ‘आह ओहहह …’ करके चूत से लंड को दबा लेतीं और मैं उसी वक्त जोर से झटका मार देता … तो उनकी मादक ‘आह उह …’ निकल जाती.
हम दोनों ही फुल चार्ज हो गए थे और दोनों की रफ्तार अपने चरम पर थी.
नफीसा आंटी की चूत कसने लगी और मेरे झटकों की रफ्तार से उनकी चूत का कसाव खुल गया और चुत ने पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड अभी भी पूरी मजबूती से अपने अंतिम दौर में था मगर चुत के रस छोड़ देने से लंड ‘फच्च फच्च …’ करके अन्दर बाहर होने लगा.
मैंने उसी समय आंटी की गांड में थूक लगाया और लंड चुत से खींच कर एकदम से आंटी की गांड में घुसा दिया.
मेरा गीला लंड सटाक से गांड के अन्दर घुसता चला गया और मैं आंटी की क़मर पकड़कर दे दनादन चोदने लगा.
वो भी एक बार को सिहर उठीं और अगले ही पल अपनी गांड आगे पीछे करके लंड के मज़े लेने लगीं.
मेरा लंड आंटी की गांड को घिसता हुआ चोदने लगा. वो मीठी आवाज में ‘आह आह …’ करके लंड लेने लगीं.
मेरा लंड जो अपने अंतिम दौर में आ गया था, वो आंटी की गांड में चलते ही फिर से जवान हो गया था.
नफीसा आंटी आंटी भी फिर से कामुक हो गई थीं और वो पूरी मस्ती से अपनी गांड में लंड ले रही थीं.
वो बोलीं- आह राज … मेरे सरताज और तेज चोदो मुझे … आहह और चोदो मुझे मेरे खालिक अपनी नफीसा को जमकर चोदो.
मैं जोश में आ गया और मैंने लंड की रफ्तार बढ़ा दी; तेज़ी से गांड के अन्दर-बाहर लंड पेलने लगा.
मेरा लंड नफीसा आंटी की गांड में इस समय फ्रंटियर एक्सप्रेस ट्रेन के जैसे दौड़ने लगा था. नफीसा आंटी भी अपनी गांड को आगे पीछे करती हुई मजा लेने में लगी थीं.
मैंने कुछ गुलाब की पत्तियां नफीसा आंटी की चुत में भर दीं और उंगली करते हुए तेज़ी से गांड मारने लगा.
आंटी की चुत में भी मजा आने लगा था. वो अपने दोनों छेदों में मजा ले रही थीं.
तभी मेरे लौड़े ने अपनी रफ़्तार एकदम से बढ़ा दी और झटके के साथ ही पानी छोड़ दिया.
झड़ जाने के बाद मैंने नफीसा आंटी की गांड से लंड निकाल लिया और कंडोम हटा दिया.
नफीसा आंटी आगे आ गईं और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगीं, उन्होंने लंड को चूस कर साफ़ कर दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.
तभी नफीसा आंटी के मोबाइल में घंटी बजी.
मैंने देखा कि मेरी मम्मी ने आंटी को फोन किया था.
मेरी मम्मी बोलीं- राज सो गया क्या?
नफीसा आंटी बोलीं- नहीं दीदी, अभी तो उन्होंने एक ही चैप्टर कंम्पलीट किया है. बस वो दोनों थोड़ा रेस्ट कर रहे हैं.
मम्मी बोलीं- ठीक है नफीसा आज उसे सोने मत देना … और देखना ठीक से पढ़ रहा है कि नहीं.
नफीसा आंटी बोलीं- ठीक है दीदी … मैं उसे सोने नहीं दूंगी.
इसके बाद आंटी ने फ़ोन रख दिया.
अब नफीसा आंटी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो बोलीं- मेरे शौहर … सुना आपने … अब तो मेरी सास ने भी परमीशन दे दी कि आपको रात भर जगाना.
ये कह कर आंटी मेरे लंड को सहलाने लगीं. नफीसा आंटी मेरी तरफ अपनी करवट लेकर हो गईं और लंड चूसने लगीं.
कुछ ही देर में आंटी की गांड मेरे सामने आ गई, मैंने उनकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया और वो मजा लेने लगीं.
थोड़ी देर बाद मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया और गुलाब की पंखुड़ियों से उनके बदन को ढक दिया.
मैं उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों के बीच लंड रखकर चोदने लगा.
लंड आंटी के मुंह तक जाता और थूक से लिपट कर चुचियों को रगड़ने लगता.
थूक और गुलाब की पत्तियां रगड़ने लगीं और गुलाब की महक बढ़ने लगी.
नफीसा आंटी की चूचियों पर लंड रगड़ने से उनकी चूचियां गुलाबी हो गईं, पत्तियों ने रंग छोड़ दिया था.
अब मैंने नफीसा आंटी की दोनों टांगों को चौड़ा किया और बीच में आकर लंड घुसा दिया और गपागप गपागप चोदने लगा.
आंटी ‘आहहह आहहह आहहह …’ करके लंड का मजा लेने लगीं.
मैं भी मस्ती से चोदने लगा और उनकी चूचियां दबाते हुए झटके मारने लगा.
मैंने नफीसा आंटी को चोदते हुए उनसे कहा- नफीसा, मैं तुमको कंडोम के बिना चोदना चाहता हूं.
वो हंसती हुई बोलीं- मैं तो तुम्हारे लौड़े की गुलाम हूं … बेगम हूं तुम्हारी … तुम जैसे चाहो वैसे चोदो.
मैंने लंड बाहर निकाला और कंडोम उतार दिया, अपने लंड में थूक लगाया और चुत में घुसा दिया.
एक मीठी आह के साथ आंटी ने चुत उठानी शुरू कर दी.
मेरा लंड मस्ती से चुत में अन्दर बाहर होने लगा.
नफीसा आंटी बोलीं- राज, आज से मैं तुम्हें एक नए नाम से बोलूंगी.
मैंने कहा- क्या है वो नया नाम?
वो बोलीं- अब से तुम्हारा नाम समीर है.
मैंने कहा- ठीक है, समीर नफीसा खान.
वो बोलीं- हां मेरे समीर चोदो मुझे … आह उम्मह और तेज़ और तेज़ पेलो.
मैं भी जोश में आ गया और लंड को तेज़ तेज़ अन्दर बाहर करने लगा. मेरा लौड़ा पूरा अन्दर तक जाने लगा और उनकी चूत में गर्मी बढ़ने लगी.
फिर मैंने नफीसा आंटी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और ऊपर से चोदने लगा. मेरा लौड़ा इस आसन में बड़ी आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था.
मैं इस वक्त नफीसा आंटी को बिंदास होकर चोदने लगा था और वो भी बिल्कुल मस्त होकर मुझसे चुदवा रही थीं.
नफीसा आंटी की चूत में गर्मी अपने चरम पर आने लगी और उन्होंने लंड को कसना तेज कर दिया.
कुछ ही झटकों के बाद उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और लंड गपागप गपागप अन्दर बाहर होने लगा.
फिर मैंने आंटी को उठाकर घोड़ी बना दिया और उनकी चूत में लंड घुसा दिया.
लंड बिल्कुल गीला हो गया था इसलिए मुझे मजा कम आ रहा था. मैंने लंड चुत से निकाल कर गांड में घुसा दिया और लंड अन्दर बाहर करने लगा.
नफीसा आंटी भी अपनी गांड आगे पीछे करके चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
इस समय हमें कोई रोकने वाला नहीं था. हम दोनों ही मादक सिसकारियां भरने लगे थे.
आज मैं अपने ही दोस्त की मां को चोदकर सुहागरात मना रहा था. हम दोनों अपनी अपनी कमर को तेजी से चलाने लगे और ताबड़तोड़ चुदाई की थप थप थप थप आवाज कमरे में भरने लगी.
मैंने कुछ देर बाद गांड में से लंड निकाल लिया और नफीसा को सीधा लिटा कर उनकी चूत में लंड घुसा दिया और अपनी पूरी रफ़्तार से आंटी की चुत चोदने लगा.
मेरा लौड़ा आंटी की चुत में अन्दर बच्चेदानी तक जाने लगा और नफीसा आंटी को इसमें बहुत मज़ा आ रहा था.
वो कामुक आवाज में बोलीं- आह समीर और तेज़ और तेज़ अपनी नफीसा को और चोदो आह मजा आ रहा है.
मैंने भी अपने लौड़े को रफ्तार दे दी और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा. तभी मेरा लौड़ा सख्त हो गया और लंड से एक तेज़ पिचकारी बच्चेदानी में छोड़ दी.
मैं नफीसा आंटी के ऊपर चिपक कर लेट गया. हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं और लंड का पानी अन्दर से बाहर निकलने लगा था.
पांच मिनट बाद मैंने लंड निकाल लिया और ऐसे ही लिपटकर आंटी की चूचियों को मसलने लगा.
हम दोनों को पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई.
सुबह अचानक मेरी नींद खुली तो दोनों नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे हुए थे.
मैंने धीरे से नफीसा आंटी को अलग किया और बाथरूम में आ गया.
जब वापस कमरे में आया तो नफीसा आंटी दोनों टांगों को फैला कर सो रही थीं.
मेरा लौड़ा उनकी चिकनी चूत देखकर फिर से खड़ा हो गया.
मैंने धीरे से एक तकिया आंटी की गांड के नीचे लगा दिया. लंड पर थूक लगा कर उनकी चूत में घुसा दिया और एकदम से तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
इससे नफीसा आंटी की नींद खुल गई. मेरा लौड़ा उन्हें धकापेल चोद रहा था.
धीरे धीरे वो भी अपने हाथ मेरे जिस्म में चलाने लगीं और मैं अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा.
दस मिनट बाद मैंने नफीसा आंटी को घोड़ी बनाकर आगे पीछे जमकर चोदा.
फिर तीस मिनट बाद मैंने आंटी की चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों ने साथ में नहाया और नफीसा आंटी ने नहाते समय लंड को चूस कर उसका रस पिया.
उसके बाद मैं अपने घर आ गया और नाश्ता करके अपने रूम जाकर सो गया.
दिन में खाने के लिए मम्मी ने जगाया. वो बोलीं- रात भर पढ़ाई की थी क्या?
मैंने कहा- हां नफीसा आंटी ने सोने ही नहीं दिया.
मम्मी खुश हो गईं और बोलीं- नफीसा को मैंने कहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.