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Adultery पत्नी, साली और पड़ोसन अदला -बदली
#41
[Image: 30503307_039_0326.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#42
(17-09-2022, 11:23 AM)Kam1nam2 Wrote: Bhosdi kab tak mana karegi
Kutiya nakhre kar rahii he uski chut me ek rand bethi he us rand ko nikalo kutiya khud chudayegi

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#44
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#45
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#46
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#47
Ab age
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#48
राज: "सुनीता रानी, तेरी सेक्सी बहन की टाँगे और पीठकी मालिश करके आया हूँ. वो तो रूपेश की नींद खुल गयी वरना आज तो उसके मम्मे भी मसल देता।"
उत्तेजित होकर मैं बोल उठी, "तुम तो चौके पे चौके मारते जा रहे हो मेरे राजा, मुझे कब रूपेश का लंड खाने को मिलेगा.. आह.."
राज: "सुनीता रानी, जिस दिन तुम्हारी गोरी गोरी सेक्सी बहन मुझसे चुदने के लिए मान जायेगी उसी दिन!"
मैं: "मेरे राजा, मैं चाहती हूँ की रूपेश मुझे घोड़ी बनाकर बहुत देर तक चोदे और सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दे."
राज ने मुझे चोदना चालू रक्खा और अब मेरी गांडमें ऊँगली अंदर बाहर करने लगा. मुझे पता था की जिस दिन वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होता हैं तभी मेरी गांड से खेलता है. 
मैं: "आह आह, चोदो चोदो मुझे फाड़ डालो मेरी चुत को.. आह. काश रूपेश अभी मेरे मम्मे मसलकर मुझे चोदता होता.."
सारिका की नंगी गोरी पीठ को याद करते हुए राज मेरी छूट में जोरसे धक्के लगाता रहा. 
राज: "साली सारिका की गोरी पीठ इतनी सुन्दर हैं तो गांड, मम्मे और चुत कितनी गोरी और सुन्दर होगी.. आह.. काश रूपेश नींद से न जागता और मैं उसे आज ही चोद देता आह."
मैं: "राज, मैं भी रूपेश का कड़क लौड़ा चूसकर उसका सारा वीर्य पी जाना चाहती हूँ."
अब राज से और बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने लंड को बाहर निकाला और हमेशा की तरह सारा वीर्य मेरे खुले मुँहमे डाल दिया. 
तभी राज की नज़र बैडरूम के दरवाज़े पर गयी. हॉल की उत्तेजित अवस्था के बाद वो जल्दी जल्दी बैडरूम में घुस आया था और उसने गलती से दरवाजा खुला छोड़ दिया था. 
इतनी सुनसान रात में मेरी और राज की जोर जोर से बाते खासकर उनमें सारिका और रूपेश का जिक्र सुनकर सारिका हमारे बैडरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी. ऐसा लग रहा था की उसने मेरी और राज की सारी बातें सुन ली थी. मैं तो नीचे लेटकर राज के लंड से निकलता वीर्य निगल रही थी, इसलिए मुझे तो वो दिखाई नहीं दी. मेरे बदनपर राज चढ़ा हुआ था इसलिए सिर्फ उसे ही सारिका दिखी. जैसे हि उन दोनों की आँखें मिली, सारिका ने शर्माकर अपना चेहरा दोनों हाथोंमे छुपा लिया और हॉल की और भागी. 
अगले दिन सुबह जब राज और सारिका की आँखें मिली तो ऐसा लगा की उसकी आंखोंमें भी एक अजीब सा नशा था. राज जैसा नौजवान उससे प्यार करने के लिए तरस रहा हूँ यह उसीके मुँहसे सुनकर शायद सारिका थोड़ा गर्वित भी हो गयी थी. 
"लगता हैं किसी के आँखें लाल लाल दिख रही हैं..कोई रात को अच्छे से सोया नहीं," राज ने हंसकर ताना कसते हुए कहा. 
"आप भी तो रात को देरतक जाग रहे थे राज भैया, और साथ में मेरी दीदी को भी नींद से जगाया लगता हैं," उसने भी हँसते हुए पलटवार किया. 
बेशर्म राज बोल उठा, "अब तो अपना अपना स्टैमिना है रात को देर तक जगने और जगाने में!" 
"क्या खिचड़ी पक रही है ज़रा हमें भी बताओ?" रूपेश ने पूंछा. 
"अरे कुछ नहीं, ऐसे ही एक दूजे की टांग खींच रहे हैं यह दोनों," मैंने बात को पलटाते हुए कहा. 
जबकि मैं जान गयी थी सारिका रात के किस किस्सेके बारे में बोल रही थी. मुझे भी अच्छा लगा की आखिर सारिका ने वह सारी सेक्सी बाते सुन ली और फिर भी बुरा नहीं माना. 
जैसे ही रूपेश दूकान के लिए निकल गया, सारिका ने कहा, "ओ दीदी, मेरी कमर में मोच आयी है, जरा मसल दो न प्लीज।"
मैं: "मैं अभी खाना बनाने में व्यस्त हूँ, तेरे जीजा को बैंक जाने में देरी पसंद नहीं हैं. बादमें मसल दूँगी।"
फिर जान बूझ कर मैं राज से बोली, "अरे राज, थोड़ा सारिका की मदद कर दो न, वैसे भी तुम फालतू में अखबार पलट रहे हो."
राज को और क्या चाहिए था, वो बोला, "सारिका, चलो अंदर और बेडपर लेट जाओ मैं मोचको ठीक करनेवाला स्पेशल तेल लेकर आता हूँ."
सारिका बैडरूम में जाकर पेट के बलपर लेट गयी. 
जैसे ही राज उसके निकट गया, उसने कहा, "अपनी नाइटी को ऊपर कर लो ताकि कमर को मसल सकूं."
मैं जान बूझ कर बैडरूम के दरवाजे के पास ही खड़ी थी. सारिका उठकर उसने अपनी नाइटी को कंधो और गर्दन पे से उतारकर बाजू में रख दी. 
अब वह सिर्फ जामुनी रंग की ब्रा और हलके नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. राज ने तेल लगाकर उसकी नाजुक कमर को प्यारसे सहलाना शुरू किया. 
राज: "सारिका, सॉरी यार रात को मैं थोड़ा ज्यादा ही एक्साइट हो गया था और बहुत कुछ बोल गया. सॉरी मुझे गलत मत समझना।"
"नहीं नहीं राज भैया, अब तो मैं आप को बड़ी अच्छी तरह से समझ गयी हूँ," खिलखिलाते हुए सारिका बोली. 
अब राज और मैं भी समझ गयी की कमर में मोच तो सिर्फ अकेलेमें बात करने का एक बहाना था. 
"चलो, अब तुम सब सुन चुकी हो, मुझसे भी और तुम्हारी दीदी से भी. हम दोनों भी चुदाई के समय अक्सर ऐसी सेक्सी बातें करते हैं," उसकी कसी हुई पतली कमर मसलते हुए राज ने कहा. 
यह सब देखकर और उनकी बातें सुनकर मैं अपने मम्मे खुद दबाने लग गयी थी और पैंटी के उपरसे ही चुत सहलाने लगी. 
सारिका: "राज भैया, आप और सुनीता दीदी बहुत ही बिनधास्त और सेक्सी कपल हो. आप दोनोंके साथ रहकर मेरा और रूपेश का भी सेक्स लाइफ कितना अच्छा हो गया है. अब लगभग हर रात चुदाई की रात होती हैं और मुझे लगता हैं रूपेश भी सुनीता दीदी के बारे में सोचकर मुझे चोदता है, बस खुलके बताता नहीं."
राज ने उसकी पैंटी थोड़ी सी और नीचे सरकाकर उसके चूतडोंको हलके से मसलते हुए पूंछा, "और तुम, क्या तुम मेरे बारे में सोचती हो? क्या मैं भी तुम्हें पसंद हूँ?" 
"आह, राज भैया अगर आप मुझे इतने अच्छे न लगते तो क्या आप अभी मेरी कमर के नीचे मसलते होते?" उसने भी सवाल के बदले सच्चा सवाल करके राज की बोलती बंद कर दी. 
अब राज ने नीचे झुककर उसकी पीठ, कमर और नितम्बोँको चूमना शुरू किया. सारिका के मुँह से आहें निकल रही थी और दरवाजे पर खड़ी मैं अब मेरी पैंटी नीचे कर अपनी चुत सेहला रही थी. इतने में शायद राज को ख़याल आया की इसके आगे जो भी करना हैं वो सुनीता और रूपेश के होते हुए ही करना हैं, उनकी पीठ पीछे नहीं. 
लग रहा था की बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को रोका और सारिका से कहा, "मेरी छोटी साली डार्लिंग, आज की रात मेरे साथ तुम और तुम्हारी दीदी के साथ रूपेश. जो वासना की आग लगी हुई हैं उसमें चारों एक साथ जल जाएंगे। बस रूपेश को पहले से मत बताओ, उसके लिए यह एक स्पेशल सरप्राइज रहने दो."
वहांसे उठकर जैसे ही वो बाहर आया, राज ने मुझे बाहों में लेकर चूमा और कहा, "डार्लिंग, अपना सपना आज रात को पूरा होने वाला हैं. सारिका को भी मुझसे चुदने तैयार हो गयी है. बधाई हो."
हम दोनों ख़ुशी के मारे जैसे पागल हो गये थे. 
सारिका ने रूपेश को दूकान बंद कर जल्दी आने को कह दिया था. हम दोनों बहनोंने मिलकर घर को अच्छा सजा दिया था. सुगंध से भरी मोमबत्तियां जल रही थी और थोड़ा परफ्यूम भी छिड़का था. रूपेश आज सात बजे ही आ गया. शाम को भोजन के साथ खास मेहेंगी वाली लाल वाइन का भी दौर हुआ. मैं और सारिका हलके से मेकअप से बड़ी सुन्दर लग रही थी. 
राज ने रूपेश और सारिका से कहा, "लगता है आज गर्मी ज्यादा हैं. आप लोग अंदर हमारे साथ ही सो जाओ, वह काफी ठंडा हैं. ऐसे ठन्डे बैडरूम में गरम होने का मजा ही कुछ और हैं!"
हम चारों हंस दिए. वो दोनों अपना गद्दा लेने लगे तो मैंने कहा, "अरे यार, हमारा डबल बेड काफी बड़ा हैं, हम चारो आराम से सो जायेगे।"
वाइन का असर सभी पर था इसलिए बिना संकोच हम चारो अंदर गए. दोनों कपल आजु बाजू लेट गए, लगभग कुछ इंच का ही फासला था. नीले रंग की धीमी नाईट लैंप में कुछ कुछ तो दिख ही रहा था. जैसे हि राजने मुझे बाहोंमे लिया मेरे होठोंसे आह निकली. उधर रूपेश और सारिका भी चूमा चाटी में लगे हुए थे।. मुझे पता था की आज अगर मैं पीछे हट गए तो हमारी फैंटसी कभी पूरी नहीं होगी. जितना राज सरिकाके लिए बेकरार था शायद मैं उससे भी ज्यादा रूपेश के लिए तड़प रही थी!
राज ने मेरी नाइटी उतार दी और मेरे उभरे हुए मम्मे चूसने लगा (क्यों की रात को ब्रा खोल कर सोने की मेरी आदत थी). अब मैंने भी राज का अंडरवियर खोल दिया और हम सेक्स के तूफ़ान में बहते गए. 
उसी बिस्तरपर रूपेश और सारिका नंगे भी अब होकर गुत्थम गुत्था हो रहे थे. अब सारी शर्म हया ख़तम हुई और हम चारो जोर शोरसे अलग अलग प्रकार से चुदाई का आनंद लेने लगे. सारिका का गोरा बदन और उसकी मदमस्त गांड चमक रही थी. रूपेश भी आँखे फाड़ फाड़ कर मेरे नंगे बदन को देखकर सारिका को चोद रहा था. 
"ऐसा साथ साथ एक ही बिस्तर पर चुदाई करने में कितना मजा आ रहा हैं न?" राज जानबूझकर ऊंचे स्वर में बोला। 
उसके बाद सब के सब बिनधास्त हो कर सेक्सी बाते करने लगे. राज ने सारिका की सुंदरता की जमके तारीफ़ की और रूपेश भी मेरी ताऱीफोंके पूल बाँधने लगा. 
राज: "वाह सारिका, क्या गोरी गोरी और मस्त जाँघे हैं तुम्हारी, लगता हैं एकदम मुलायम भी होगी. और तुम्हारे बूब्स भी कितने बड़े और सख्त हैं."
सारिका: "हाँ राज भैया, मुझे ख़ुशी हैं की आपको मेरे बूब्स अच्छे लगे. आपका लंड भी कितना प्यार से दीदी को चोद रहा हैं.. बड़ा मस्त लग रहा हैं। आह आह."
रूपेश: " सुनीता दीदी, आप की गोल गांड बड़ी मस्त लग रही हैं, जब आप घोड़ी बनकर चुदाई करोगी तो कितना मजा आता होगा. और आप के बड़े बड़े मम्मे तो.. एकदम आमों की तरह आह.. चूसने का मन करता हैं."
मैं: "रूपेश, वाह वाह तुम्हारा खड़ा लंड क्या फूर्ति से चुदाई कर रहा हैं. काश यह मेरी चुत में घुसता और मैं फुदक फुदक कर चुदवाती आह. यार, आज से हम लोग ऐसे ही एक ही बिस्तर पर रोज रात को सोयेंगे आह क्या मजा आ रहा हैं!"
अब राज ने उठ कर किसी को पूंछे बिना ही ट्यूबलाइट जला दी. एकदम पूरी रौशनी में चारो नंग धडंग अपने अपने पार्टनर के साथ सेक्स का आनंद लूटने लगे. पहली बार सारिका को पूर्ण रूपसे नग्नावस्था में देखकर राज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया और मुझे नंगी देखकर रूपेश की आँखें फटी की फटी रह गयी. 
मैंने बड़ी बेशर्मी से रूपेश से कहा, "रूपेश, हम लोग तो सिक्सटी नाइन करके एक दुसरे को पहले भरपूर एक्साइट करते हैं और बाद में अलग अलग प्रकार से चुदाई करते हैं." 
रूपेश: "राज भाई, सारिका काफी शर्मीली हैं। ये मेरा लंड तो बड़े प्यारसे चूसती हैं मगर अभी तक उसने मेरा वीर्य अपने मुँह में नहीं लिया. और मुझे उसकी चुत चाटने से भी रोकती हैं!" 
"ये देखो मैं सुनीता की चुत कैसे चाटता हूँ,", यह कहकर राज ने मेरी गांड के नीचे तकिया रख्खा और मेरी मांसल टाँगे खोल दी. अब रूपेश आँखे फाड़ फाड़कर मेरी बिना बालोंकी साफ़ चुत को देखने लगा. 
उसी समय मैंने सारिका से कहा, "सारिका डार्लिंग, मैं तो तेरे जीजू के लौड़े का माल बड़े चाव से पी जाती हूँ. शुरू शुरू में मुझे भी अजीब लगता था, मगर अब तो उसके बगैर हमारा सेक्स पूरा ही नहीं होता!"
जैसे ही राज की जीभ और होंठ मेरी चुत और उसके क्लाइटोरिस को छेड़ने लगे मैं जोर से आहे भरने लगी और मैंने बाजू में लेटी हुई सारिका का हाथ पकड़ लिया। 
दोनों बहनोंकी नजरे मिली और मैं हाँफते हुए बोली, "सारिका, तुम भी ऐसे ही चुत चटवाकर देखो बड़ा मजा आता हैं आह आह।.."
रूपेश सारिका के मम्मों को मसल रहा था और मेरे नंगे बदन को वासना भरी नजरोसे देख रहा था. 
सारिका अपने पति के लंड को सेहला रही थी और वो भी मदहोश हो जा रही थी. मैंने सोचा की लोहा गरम हैं और हथौड़ा मारने का यही सही समय हैं और राज को आँख मारी. 
राज: " रूपेश, आज तुम इस रसीली चुत को चाटकर देखो तुम्हें भी बहुत मजा आएगा!"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#49
Tyyyyy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#50
इतना कहकर राज मेरे ऊपर से हट गया और फिर रूपेश ने सारिका की आंखोंमे देखा. वो भी जैसे कामरस में डूब गयी थी और उसने रूपेश को मेरी चुत की तरफ हलके से धकेल दिया. 
इशारा पाकर रूपेश मेरी टांगो के बीच आ गया और एक ही झटके में वो चूत चाटने लगा. उसी क्षण राज ने भी सारिका को बाहोंमे लिया और उसके होंठ चूमने लगा. राज बारी बारी से उसके वक्ष चूसने और चूमने लगा. 
रूपेश ने जैसे ही गर्दन उठाकर राज और सारिका का पोज देखा फिर वो भी बिना कुछ सोचे समझे मेरे ऊपर चढ़ गया. 
"सुनीता दीदी, कबसे आप को चोदना चाहता था. आह. कितनी सेक्सी और माल है आप, क्या मम्मे हैं आप के," कहकर रूपेश मेरे कठोर वक्ष चूसने लगा. 
फिर मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला, "दीदी, जब से तुम को देखा था, तभी से मैं तुम्हारा आशिक हो गया था, पर हिम्मत नहीं कर पा रहा था."
मैंने भी उसे चूम कर कहा, "रूपेश, मुझे भी तुम पहली नजर में भा गए थे और कबसे मेरा मन कर गया था तुम्हारे साथ सेक्स करने का. आज जाकर मौका मिला हैं!"
रूपेश जोर जोर से मेरी चूचियाँ मसलने लगा तब मैं बोली, "रूपेश डार्लिंग, इतनी बेताबी मत दिखाओ, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ, आज पूरी रात मस्ती करेंगे, पहले मुझे तुम्हारा यह कड़क लंड तो चूसने दो."
इतना कहकर रूपेश का खड़ा हुआ तगड़ा लंड मैंने मुह में ले लिया। आह, कितना मजा आ रहा था एक नया लंड मुँह में लेकर. 
मैं उसका पूरा लंड मुँह में लेकर धीरे धीरे चूस रही थी और रूपेश मेरे बालों में हाथ फिरा रहा था। मैं कभी पूरा मुँह में ले लेती फिर कभी चूसते चूसते बाहर निकाल देती। उसके लंड का सुपारा मैंने पूरा खोल लिया था और अपनी हथेलियों से भी उसकी गोटिया मसल देती थी। लंडपर एकाद वीर्य की बूँद आयी तो उसे चाटकर मैं बड़े प्यार से रूपेश की आँखों में देख रही थी. वो तो ख़ुशी के सांतवे आसमान में था. मुझे वीर्य चाटते हुए देखकर शायद सारिका भी उसके बारे में सोचने लगी. 
अब थोड़ा ऊपर उठकर मैंने उसके लंड को अपने मम्मों के बीच में रख कर अपने हाथों से दोनों मम्मों को दबाया और लंड की मसाज करने लग जिसे अंग्रेजी में टिट फ़किंग कहते हैं. रूपेश को लगा वो तो यहीं मेरे मम्मोंपर ही छूट जायेगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#51
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#52
अब रूपेश ने मुझे बेड पर लिटाया और अपना मुह फिर से मेरी चूत में कर दिया। मेरी चूत चिकनी तो थी ही, परफ्यूम लगाकर मैंने खुशबूदार भी कर रखा था। अब रूपेश से रहा न गया और उसने मेरी टांगों को चौड़ा करके अपना लम्बा चौड़ा लंड गीली रसीली चुत में पूरा ठेल दिया। पूरी ताकत से वो धक्के पर धक्के लगाने लग गया! मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर उसका जोश बढ़ा रही थी।
कुछ देर बाद मैंने रूपेश से नीचे आने को कहा तो रूपेश पलटी खाकर नीचे हो गया और मैं चढ़ गई उसके ऊपर और चुदाई करने लगी रूपेश की। अब मेरे बड़े बड़े वक्ष झूल रहे थे और रूपेश भी नीचे से धक्के लगा रहा था। मेरा ऑर्गैज़म आनेवाला था और रूपेश पर तो जैसे पागलपन सवार था मेरी चूत फाड़ने का. 
रूपेश ने मुझे फिर से नीचे किया और मेरी टांगों को ऊपर करके अपने कन्धों पर रख दिया और घुसा दिया अपना लंड फिर से मेरी चुत में. इस बार उसकी स्पीड इतनी थी कि मैं जोर जोर से बोल रही थी, " आह, मजा आ गया... उम्म्ह... अहह... हय... याह... रूपेश डार्लिंग, फाड़ दो आज मेरी चूत को... रुकना नहीं! और जोर से... और जोर से!"
मेरी हर आवाज पर रूपेश का जोश और धक्के बढ़ते गए और एक जोरदार धमाके से उसने मेरी की चूत अपने माल से भर दी और निढाल होकर मेरे नंगे बदन के ऊपर ही लेट गया।
अब तक राज ने अपना लौड़ा सारिका के मुँह में भर कर उसके मुँह को चोदना चालू किया. वो इतने प्यार से और ताकतसे चूसने लगी की मुझे लगा राज का फव्वारा ही निकल जाएगा. अब राज ने खींचकर उसका लौड़ा सारिका के मुँह से निकाला और एक पल गवाए बगैर उसके गोरे मखमली बदन पर सिक्सटी नाइन की पोज में लेट गया. उसकी परवाह किये बगैर उसकी जाँघे खोल दी और राज उसकी गुलाबी मीठी चुत चाटने लगा. 
जीवन में पहली बार किसीकी जीभ सारिका की चुत पर लगने से उसे तो जैसे बिजली का झटका ही लग गया. वो पूरे जोश से उसका लंड चूसने लगी. अब मैंने देखा की राज ने खुशी से आँखें मूंद लीं, सारिका तो ऐसे लिंग चूस रही थी जैसे पहली बार चूस रही हो. राज धीरे से उसकी चुत का दाना रगड़ता गया और फिर बेहद निश्चिंतता से चरम सुख आने पर उसके मुँह में स्खलित हो गया. राज के लंड से निकलते हुए वीर्य को सारिका ने निगल लिया।
यह उसका वीर्य पीने का पहला अनुभव था. कुछ ही पलों में उसकी चुत से प्रेमरस की धरा बह रही थी जिसकी एक एक बूँद राज ने चाट ली. 
एक ही रात में रूपेश ने जिंदगी की पहली चुत चटाई मेरे साथ की और सारिका ने जिंदगी में पहली बार वीर्य निगलना राज के लौड़े से किया था!
कुछ ही मिनटोंमें राज का लंड फिर से खड़ा होकर सारिका के नंगे बदन को जैसे सलामी देने लगा. अब उसने आव देखा न ताव और सारिका की टाँगे अलग कर उसे चोदने लगा. उसकी जोरदार रफ़्तार से सारिका भी चिल्लाकर आहें भरकर आनंद लेने लगी, "राज भैया, चोदो मुझे जी भरके चोदो।"
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#53
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#54
अब उसे घोड़ी बनाकर राज पीछे से लंड अंदर बाहर करने लगा. राज ने बताया की सारिका की चुत मेरी चुत से थोड़ी ज्यादा टाइट थी, इसलिए उसे चोदने में राज को और भी मज़ा आ रहा था. 
राज: "सारिका, कितने दिन से इस पल का इंतज़ार था मेरी जान, आज से मैं रोज तुझे चोदा करूँगा और मेरी सुनीता रानी रूपेश से चुदती रहेगी।"
आखिर राज का फव्वारा छूटने वाला था इसलिए वो फिर से सिक्सटी नाइन की पोज में चला गया और उसका दाना मुँह में लेकर चूसता रहा. कुछ ही क्षणोंमें राज का वीर्य एक जोरदार पिचकारी के रूप में सारिका के मुँह में उतर गया. उसने भी सारा वीर्य फिर से पी डाला और उसके बाद भी राज के लंड को चाटती और चूमती रही. 
दस मिनट रूकने के बाद राज फिरसे सारिका के निप्पल्स चूसने लगा और फिर उसे बोला, "सारिका डार्लिंग, तुम्हारी गोरी गोरी चूचियोंके बीच में मुझे फक करना हैं."
"हां, राज भैया, ये लो मैंने अपने बूब्स नजदीक कर लिए, आओ और अपने सख्त लौड़े से चोदो इन्हे," सारिका बोली. 
फिर राज ने अपना लंड उसकी चूचियोंके बीच रगड़ना शुरू किया. इस असीम सुख से राज भी सांतवे आसमान में उड़ रहा था. 
कुछ देर बाद राज बोला, "डार्लिंग, अब घोड़ी बन जाओ, मैं तुमको डॉगी पोज में चोद कर तुम्हारी मस्त गांड को चांटे मारूंगा."
तुरंत सारिका डॉगी पोज में आ गयी और काफी देर तक उस पोज में चुदाई करने के बाद राज ने कहा, "सारिका, अब मेरा फव्वारा छूटने वाला हैं. खोल तेरा मुँह और चूस ले."
सारिका अपने घुटनोंपर बैठ गयी और राज के लौडेको प्यार से चूसने लगी. चूसते हुए उसके आंखोंमे बड़े प्यार से देखती और जैसे ही वीर्य की धरा निकली वो निगलने लगी. 
इस तरह, उस रात में हमने चार बार सेक्स करके हमारी जिंदगी का नया अध्याय शुरू किया. 
अब इसके बाद की हर रात हम पार्टनर बदल बदल कर चोदते रहे. सारिका भी अब सिक्सटी नाइन, वीर्य पीना और अपनी चुत चटवाने में पूरी एक्सपर्ट हो गयी थी. 
अगले महीने रूपेशकी माँ की तबियत खराब हो जाने की खबर आयी. अब रूपेश और सारिका को कुछ दिन के लिए उन्हें मिलने अपने गांव जाना जरूरी था. बैंक के कर्जे की हर माह की किश्त बड़ी होने के कारण दुकान ज्यादा दिन बंद भी नहीं रख सकते थे. इसलिए यह तय हुआ की रूपेश और सारिका साथमें दो दिन के लिए जाए और रूपेश वापिस आ जाये. सारिका वही पर रूककर अपनी सांस का कुछ दिन तक ख़याल रखेगी. 
दो दिन बाद जब रूपेश लौटके आया तब उसने बताया, "माँ की सेहत अब बेहतर हैं, बस थोड़े दिन सारिका घर संभाल लेगी तो सब ठीक हो जाएगा और फिर सारिका को लाने के लिए मैं चला जाऊंगा."
राज ने कहा, "चलो, अच्छी बात हैं. अब ज़रा दुकान पर अच्छा ध्यान दो और पिछले दो दिन की जो कमाई नहीं मिली उसकी कसर पूरी निकल लो. आगे चलके देखेंगे, अगर जरूरत पड़ी तो सारिका के लेने छुट्टी के दिन मैं चला जाऊँगा. अब और फिरसे दो तीन दिन दुकान बंद नहीं रख सकते."
रूपेश भी बड़ा समझदार था. उसने भी पूरा दिन और शाम को देर तक दूकान चलाई. दोपहर का खाना भी सुनीता देकर आयी. आखिर रात के ११ बजे रूपेश घर पहुंचा. खाना टेबल पर लगाकर मैं और राज बैडरूम में चले गए थे. खाना खाकर थोड़ी वाइन पीकर रूपेश भी सो गया. 
अगले तीन-चार दिन तक ऐसा ही चला, फिर जब हमने बैठकर हिसाब लगाया तो लगा की हां अब महीने के किश्त के पैसे भी आ गए और थोड़ा मुनाफा भी हो गया है. उस दिन रूपेश नौ बजे घर पर आया और हम तीनों ने साथ में हसीं मजाक के साथ भोजन किया. तीनो थोड़ा सा टहलकर घर पर लौटे. अब रूपेश को अकेलापन खल रहा था, खास कर सारिका न होने के कारण उसका लौड़ा और भी ज्यादा अकेलापन महसूस कर रहा था. 
मैं राज को खींचकर बैडरूम में लेकर गयी और उसे प्यार से चूमते हुए कहा, "मेरे प्यारे राजा, क्या तुम अपनी रानी की हर इच्छा पूरी करना चाहते हो?" 
राज मुझसे इतना ज्यादा प्यार करता है की उसके मुँह से सिर्फ, "हां मेरी जान, जो तुम चाहो" इतना ही निकल पाया. 
मै: "फिर आज मेरा तुम दोनों लंडोंसे चुदने को मन हो रहा हैं."
अब मेरा पति कितना भी बिनधास्त और खुले विचारोंका था मगर सारिका की नामौजूदगी में मेरे और रूपेश के साथ थ्रीसम उसके लिए भी थोड़ा अजीब ख़याल था. 
राज की चुप्पी देखकर मैं थोड़ी उदास हो गयी. 
अब मेरी नाराजगी देखकर राज को बुरा लग गया. शायद उसने सोचा की सिर्फ मेरी खुशीके लिए सुनीता ने अपनी सगी बहन को मुझे सौंप दिया तो मुझे भी एक अच्छे पति के नाते उसकी हर इच्छा हर फैंटसी पूरी करनी चाहिए. 
अब राज ने तो हां तो कर दी पर वो सोच रहा था की इस बात को कैसे शुरू किया जाए. अब मैंने इस बारे में पहले से ही कुछ सोच कर रखा था. 
मैंने पहले तो एक झीनी से हलके गुलाबी रंग की स्लीवलेस नाइटी पेहेन ली. 
फिर हमारे बैडरूम के ड्रावर से एक ब्लू फिल्म की कैसेट निकाली और हॉल में जाकर लगा दी. 
सोफे पर मैं बीच में बैठ गयी. राज और रूपेश मेरी दोनों तरफ बिलकुल चिपक कर बैठ गए. 
रूपेश पिछले एक हफ्ते से एक भूखा शेर बना हुआ था, कुछ ही क्षण में उसने मेरे हाथ, कंधे और जाँघे सहलाना शुरू कर दिया. दूसरी और से राज मेरे होठोंको चूमकर मेरी मीठी जीभ चूसने लगा. अब मेरे हाथ राज की लुंगी में घुस कर उसके खड़े लंड को सेहला रहे थे तभी रूपेश ने मेरी नाइटी को कन्धोंपे से हटाकर मेरी बड़ी बड़ी चूचियोंको प्यारसे दबाने लगा. अब मेरा दूसरा हाथ रूपेश की लुंगी में घुसकर उसके तगड़े लौड़े से खलने लगा. "दोनों हाथों में लड्डू" यह कहावत तो सुनी थी मगर आज मेरे दोनों हाथोंमे कड़क लंड जरूर थे.
अब हम तीनोंसे रहा न गया और वहींसे कपडे उतारते हुए हम लोग बैडरूम में दाखिल हो गए. मैं बेडपर बीचो बीच लेट गयी और आगे बढ़के रूपेश का तना हुआ लौड़ा मुँहमे लेकर चूसने लगी. बीच बीच में बाहर निकलकर उसके सुपाडेको जीभ लगाकर उसे और भी उत्तेजित करने लगी. राज ने अपनी सुनीता रानी की जाँघे खोलकर वो मेरी मीठी और गीली योनि चाटने लग गया. राज की जीभ और होंठ मेरी चुत पर जैसे जादू कर जाते हैं. मेरी चुत चटवाना मुझे बड़ा ही अच्छा लगता हैं. 
रूपेश हफ्ते भर की भूख प्यास के बाद अब मेरे मुँह से मिलने वाले सुख से पागल हो जा रहा था 
रूपेश ने नशीली आवाज में कहा, "सुनीता दीदी, आप कितनी अच्छी हो, अभी सारिका यहा नहीं हैं फिर भी आप मुझे इतना सुख दे रही हो. आह आह क्या चूसती हो आप.. और राज भैया आप कितने दिलवाले हैं. सचमुच आप दोनों के साथ रहकर मुझे और सारिका को जीवन का कितना सुख मिला हैं आह आह. और आज तो आप दो दो लौड़े एक साथ झेलोगी."
यह सब बाते सुनकर और राज की जीभ की जादू के कारण मैं अब तक दो बार स्खलित हो चुकी थी. 
आज मेरी दो लौडोंसे चुदने की फैंटसी सच हो गयी थी. अब मैंने ऊंगलीके इशारे से दोनों लडकोंको जगह बदलने को कहा. रूपेश तुरंत मेरी गांड उठाकर मेरी चुत चोदने लगा और मैं जोर जोर से राज का कड़क लंड चूसने लगी. 
मेरी चूचियाँ मसल कर राज बोला, "मेरी जान, आज कितना प्यार से लंड चूस रही हो, लगता हैं की पूरा खा जाओगी. आह चूसो और साथ में मेरी गोटियों से भी खेलो!" 
मुझे इतने सालोंसे पता था की गोटियोंसे खेलने से राज का ऑर्गज़्म बहुत जबरदस्त हो जाता हैं. थोड़ी ही देर में रूपेश मेरी चुत में और राज मेरे मुँह में लगभग एक ही साथ झड़ गए. अब बिस्तर पर बीच में मैं लेटी थी और मेरी दोनों तरफ लेट कर राज और रूपेश हांफ रहे थे. 
अब पहली बार थ्रीसम करने के बाद राज की पुरानी फैंटसी जाग गयी और शायद उसने सोचा आज सुनीता रानी इतनी ज्यादा एक्साइटेड हैं की शायद मान जाए. मेरे बदन पर चढ़कर राज मेरे वक्ष चूसने लगा और मैं अपने दोनों हाथों से दोनों लडकोंके लंडोको सहलाकर खड़ा करने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#55
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