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मम्मी की करतूतें देख भाई से चुदी
#1
मम्मी की करतूतें देख भाई से चुदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी उम्र 30 वर्ष है। और यह घटना 6 साल पुरानी है।
पहले में अपनी पारिवारिक पृष्ठ भूमि बता दूँ। मेरे घर में हम 3 बहन और 1 भाई हुआ करते थे। मेरी 2 बड़ी बहनें तीसरे नंबर पर मैं और 2 साल छोटा भाई।
पिताजी की मर्डर तभी हो गया था जब मैं बहुत छोटी थी और मेरी माँ 32 साल की थी।

जैसे जैसे हम बड़े हुए और कुछ समझदार हुए तो मम्मी जी के कारनामों के बारे में सुनने समझने लगे।
दरअसल पापा का मर्डर भी मम्मी के किसी आशिक ने ही किया था। यहाँ ‘किसी’ का मतलब पता नहीं मम्मी के कितने आशिक थे। हमारा गुजारा भी उन अंकलों के दिये पैसों से हो रहा था।
अपनी मम्मी की रंगरेलियाँ मैंने अपनी जवानी की शुरुआत से ही देखनी शुरू कर दी थी और देखती रही हूँ।
मम्मी के आशिक हमारे घर में ही आते और मम्मी को चोदते और हम बहनें भाई केवल देखते रहते।
उम्र के हिसाब से बड़ी बहनों की शादी हो गयी।

अब घर में मैं भाई और मम्मी रह गए। मम्मी को तो सेक्स की इतनी लत लग गयी थी या पैसे की भूख थी अब वो होटलों में और बाहर भी रात रात भर रहने लगी थी। कई बार तो गांव से बाहर भी कई दिन तक रहती।
मेरी उम्र 22 साल हो गयी थी और भाई भी 20 वर्ष में जवानी की दहलीज पर था। तो घर हमें ही संभालना पड़ रहा था। अब तक इतना सुकून था कि मम्मी ने मुझे और मेरी बहनों को इस दलदल में नहीं धकेला था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
जैसा कि मैंने बताया कि मैं और मेरा भाई दोनों जवान हो चुके थे और मम्मी का लाइव सेक्स देखकर ही हम बड़े हुए थे। अब मेरी भी सेक्स की आग भड़कने लगी थी। पहले पहल तो अंगुली से काम चलाया. पर जब आग बढ़ी तो खीरा केला मूली भी ट्राय किये पर जो संतुष्टि मम्मी में देखी वो नहीं मिल पाई। आंखों के सामने वो बड़े बड़े लन्ड घूमते रहते। पर किसी अजनबी पर भरोसा करने की हिम्मत ही नहीं थी।

अब शेष बचा मेरा भाई। जिस अवस्था से में गुजरी हूँ, कमोबेश वही सब देखकर भाई भी जवान हुआ है. पर मुझे पता था कि वो अपने हाथ से ही संतुष्ट था क्योंकि उसके नहाने के बाद उसके अंडरवियर बनियान मैं ही धोती थी और उसकी अंडरवियर उसके काम रस से सरोबार होती और मेरी बाथरूम में लटकी हुई पेन्टी की हालत ऐसी तैसी हो रही होती थी।

मेरे ऊपर अपने भाई की खुमारी चढ़ चुकी थी। अब मैं उसे सेक्सी नजरों से देखने लगी। पर उसे तैयार कैसे करूँ अपनी खुमारी उतारने के लिए।

एक दिन मैंने एक उपाय किया। मम्मी घर पर थी नहीं, मैं भाई से पहले ही बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई और दरवाजा जानबूझकर लॉक किये बिना छोड़ दिया और अंदर की लाइट भी चालू नहीं की।

मैं बाथरूम में पूरी नंगी हो गयी। इतने में ही भाई भी नहाने के लिए आ गया। उसने अंदर झांके बिना ही बेपरवाही से अंदर घुसकर बाथरूम का दरवाजा लगा दिया और लाइट ऑन की।

लाइट ऑन करते ही हमारी नजरें मिली औऱ मैं जानबूझकर हड़बड़ाई। भाई भी अचंभित नजरों से मुझे देखने लगा। अब उसकी नजरें मेरी छाती पर अटक गई। मैंने अपना शरीर तौलिये से ढकने की नाकाम कोशिश की।

पर भाई का पेन्ट का तम्बू बन चुका था। वो मुझे और मैं उसे ललचाई नज़र से देखने लगे। मैंने बाथरूम से बाहर निकलने की अनचाही कोशिश की पर दरवाजे पर भाई खड़ा था। उसने मुझे पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा।

मैंने भी दिखावटी विरोध किया और इसी खींचातानी में मेरे तौलिये ने भी मेरा साथ छोड़ दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी अपने भाई के आगोश में थी।

आज मेरे मन की होने वाली थी। आज भाई ने भी शर्म हया सब छोड़ दी। मैं वहीं खड़ी रही। यदि मैं और नखरे दिखाती तो हो सकता था कि मेरा भाई डर जाता और कुछ करता भी नहीं।

मेरी चूत धधक रही थी, मैं इतना रिस्क लेने के चक्कर में नहीं थी कि यह सुनहरा मौक़ा गँवा दूँ। मेरे भाई ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मैं उसके आगोश में चली गयी। भाई के सीने से चिपकते ही हम दोनों एक दूसरे को भींचने लगे। हम दोनों भाई बहन इस तरह से एक दूसरे से चिपके थे जैसे फिल्मों में हीरो हिरोइन गले मिलते हैं। अब दोनों की जिस्म की वासना चरम पर थी।

मैं तो वैसे ही नंगी थी, मैंने भाई के बचे हुए इनरवियर निकाले। भाई का लंड चूत में जाने को तैयार खड़ा था।

मैंने भी फॉरप्ले में समय बर्बाद ना करते हुए भाई की लंड को सीधा अपने चूत के छेद पर सेट किया और बोली- भाई बुझा दे इस चिड़िया की आग। ले ले मजा अपनी दीदी का। बन जा बहनचोद।
भाई- हाँ दीदी, बहुत ही तड़फाया है तूने। मम्मी की चुदाई देख देख कर पगला गया था मैं। अंकल लोग कितने मजे लेते है मम्मी के … और मैं या हम सिर्फ देखते रहते और मुट्ठ मारकर और मूली गाजर से अपनी जवानी बर्बाद कर रहे हैं।

मूली गाजर सुन कर में हैरान रह गयी। मैं समझ चुकी थी कि भाई भी मेरे पर पूरी नजर जमाये हुए था।

भाई- जो इज्जत मम्मी ने अपनी सोसायटी में बनाई है, उससे तो कोई लड़की मुझे भाव नहीं देने वाली. इसलिए ही मेरी नजर आप पर थी दीदी। पर मुझे अंदाज भी नहीं था कि यह सब यूँ अचानक ही हो जाएगा।

हम भाई बहन एक दूसरे के जिस्म को मसलते हुए बाते कर रहे थे।

मैं- भाई सही बताऊँ तो मेरी फुद्दी की हालत भी ऐसी ही थी। यह भी एक अच्छे लन्ड के लिए मरी जा रही थी। पर मैं बाहर का रिस्क लेना नहीं चाहती थी और तेरे से यह कैसे कहती। पर आज किस्मत ने हमें मिला ही दिया। अब बातें ही करेगा या अपनी दीदी की आरती भी उतरेगा।
“दीदी मेरा लन्ड तो आपकी चूत की आरती उतारने को कब से तड़प रहा है।”

और भाई ने देर ना करते हुए मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से ही मेरी चूत में अपना लन्ड घुसेड़ दिया। मेरी चूत गाजर खीरा खाकर वैसे ही खुली हुई थी बस लन्ड का अहसास पहली बार था तो हल्की की सी आह के साथ मैं भी लन्ड का आंनद लेने लगी।

भाई बिल्कुल लय और ताल से मेरी चूत मार रहा था और मैं भी बिल्कुल शाँति से उसका साथ दे रही थी और अपनी पहली चुदाई का मजा ले रही थी।

मेरा भाई यकीनन पहली बार चूत चुदाई कर रहा था पर वो किसी मँजे हुए खिलाड़ी की तरह से अपनी बहन की चूत चोद रहा था। भाई मुझे करीब 10 मिनट तक यूँ ही चोदता रहा। तब तक मैं एक बार झड़ चुकी थी।

कुछ देर बाद भाई का शरीर भी अकड़ने लगा। वो बोला- दीदी, अब मेरा होने वाला है कहाँ छोड़ूँ?

मैंने अपने भाई को जवाब दिया- मेरी चूत के अंदर ही छोड़ ना भाई … तुम्हारी ताकत में बाहर वेस्ट थोड़े करूँगी।

4-6 धक्कों के बाद भाई ने अपने कामरस से मेरी चूत भर दी। मैंने भी अपनी चूत में भाई के लंड का गरम लावा पाकर धन्य महसूस किया।

अब हमें कुछ होश आया तो लगा कि काफी लेट हो गए हैं, मम्मी किसी भी समय आ सकती है। हम फटाफट साथ ही नहाए।

नहाते वक्त भी भाई का लंड दुबारा खड़ा हो गया और टन से मेरी चूत को सलामी देने लगा. पर घर की एक चाबी मम्मी के पास थी और वो कभी भी आ सकती थी तो मैंने भाई को मना किया और फिर कभी के लिये राजी किया।

हम नहा कर गीले बदन एक दूसरे के गले मिले और बाथरूम से बाहर निकले। बाहर कमरे में हमने अपने बदन पौंछे और फिर अपने कपड़े पहने.
कपड़े पहन कर मैं अपने भाई के पास गयी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने लगी. भाई की जीभ मेरे होंठों के बीच में घुस गयी और मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया. फिर मैंने भी अपनी जीभ भाई को चुसवाई.

इस फ्रेंच किस से मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी और लंड मांग रही थी. भाई का लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया था लेकिन हम दोनों ने खुद की वासना पर काबू किया और कहा कि अगला मौक़ा मिलते ही हम दोनों खुल कर चुदाई करेंगे.

कुछ देर बाद मम्मी भी आ गयी। हमने मिल कर खाना खाया और सब अपने काम में बिजी हो गए।

मम्मी का बाहर रहने का प्रोग्राम चलता रहता था और अब हम भाई बहन भी खुल चुके थे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
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अपने भाई से बाथरूम में चुदा कर में बाहर निकली। कुछ देर में मम्मी भी आ गयी। आज मम्मी जल्दी आ गयी थी। हमने मम्मी के साथ बैठकर खाना खाया और मम्मी अपने रूम में आराम करने चली गयी।

मम्मी इतनी थकी हुई लग रही थी कि वो आज कहीं जाने वाली नहीं थी। यह देखकर हम दोनों भाई बहन का मुंह उतर गया। हम एक दूसरे का मुंह देखने लगे।
मम्मी के घर में रहते हमारा कुछ होना संभव नहीं था क्योंकि हमें डर रहता कि मम्मी रात में कभी भी जग सकती है या मम्मी से मिलने रात में कोई आ भी सकता है।
ऐसे में हमें रिस्क था।

तभी भाई को एक आईडिया आया। शाम का डिनर लेने से पहले भाई मार्किट से नींद की दवा ले आया। हम सभी डिनर पर साथ बैठे और डिनर किया।
आज कई दिनों बाद डिनर मम्मी ने अपने हाथ से बनाया था।

डिनर पूरा हो गया तो भाई ने मम्मी को पानी का गिलास पकड़ाया। मम्मी पानी पीकर अपने रूम में चली गयी।

मैं खुशी से भाई के गले लग गयी। पर भाई ने मुझे रोका और बोला- दवा का असर तो होने दो।
मैंने भाई को पूछा- तुमने दवा कब दी?
तो भाई ने बताया- जब मैंने मम्मी को पानी का गिलास पकड़ाया तो उसमें नींद की दवा पहले से घोल रखी थी।

मैंने कुछ समय और अपने मन को काबू किया और अपने रूम में चली गयी। रूम में बैठे बैठे अपने मोबाईल पर अन्तर्वासना पर स्टोरी पढ़ने लगी।

कामुक स्टोरी पढ़कर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। मैंने स्टोरी पढ़ते पढ़ते ही अपने जिस्म से खेलना शुरू कर दिया। मेरा पूरा शरीर अंगारे की भांति तपने लगा। धीरे धीरे मैंने अपने सारे कपड़े एक एक कर उतार फेंके और अपने संतरों को दबाने लगी और अपनी चूत को हाथ से रगड़ने लगी।

जब वासना बर्दाश्त से बाहर हो गयी तो पहले से ला कर रखा हुआ खीरा अपनी चूत में उतार दिया। खीरे से हस्तमैथुन करके एक बार तो मैं फारिंग हो ही गयी. पर भाई के लौड़े का स्वाद खीरे में कहाँ था।
यह सब करते करते आधा घंटा और निकल गया।

तभी भाई ने अपने रूम से आवाज लगाई। मैंने फटाफट अपने कपड़े पहने, थोड़े बाल संवारे ताकि भाई को मेरी रूम में किये हुए सेक्सी ड्रामे का पता ना चले.

मैं जल्दी से रूम से निकली और मम्मी के रूम के पास गई और देखा तो मम्मी आराम से सो रही है। मम्मी ने अपने कपड़े भी नहीं बदले थे जबकि मम्मी नंगी ही सोती हैं।
मुझे पूर्ण विश्वास हो गया कि मम्मी पर दवा ने असर कर दिया है।

मैं जल्दी से भाई के कमरे में घुस गई।
पर यह क्या?
भाई तो चादर ओढ़ के सोया है।

मैं गुस्से से आगबबूला हो गयी और भाई की चादर झटके से खींच ली। भाई पूरा जन्मजात नंगा आँखें खोल कर सोया हुआ था और चादर खिंचते ही जोर से हँसने लगा।
मैंने उसे चुप कराते हुए डाँटा- तेरे हँसने से अभी मम्मी जाग जाएगी।
भाई ने मुझे कहा- मम्मी को इतनी डोज दी है कि सुबह से पहले मूतने भी नहीं उठेगी।
यह सुनकर मैं भी खिलखिलाकर हँस पड़ी।

भाई- अब हँसती ही रहोगी या और भी कुछ करेंगे?
मैं- और क्या करना है अभी?
भाई- बहनचोद को यह भी समझाना पड़ेगा। वही करना है जो हमारी माँ हमेशा करती है और हमने सुबह बाथरूम में अधूरा छोड़ा है।
मैं- वो सब मैं नहीं समझती, सीधे सीधे बताओ कि क्या करना है?
भाई- सीधे सीधे में समझ जाओ कि तुम्हारी चुदाई करनी है।
मैं- यह चुदाई क्या होती है।
भाई मेरे पर झपटते हुए- आ जा मेरे पास, अभी बताता हूं कि चुदाई क्या होती है।

इस तरह हम पकड़म पकड़ाई खेलने लग गए और दौड़ते दौड़ते भाई ने मेरे आधे कपड़े तो यूँही फाड़ दिए। अब मैं भी थक गई और भाई की बांहों में गिर गयी। भाई ने भी मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा। मैं भी उसको साथ देने लगी।

थोड़ी देर होंठों का रस पीने के बाद अब मेरी चूत में आग लग चुकी थी। मेरे भाई ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए ही थे कि डोर बेल बज गयी।
भाई नंगा ही था तो दरवाजा मुझे खोलना पड़ा।

आप सब समझते ही हो कि इस वक्त दरवाजे पर कौन होगा।
वो मेरे मम्मी के आशिक अंकल थे।
मैंने दरवाजा खोला और उन्हें बोला कि मम्मी आज बाहर गयी हुई हैं।
उन्होंने मेरी और सरसरी नजरों से देखा तब मुझे ख्याल आया कि मेरे भी कपड़े तो भाई ने फाड़ रखे हैं।
मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और भाई के रूम में घुस गई.

तब तक भाई ने अपना अंडरवियर भी निकाल दिया था। मैंने जाते ही भाई के लण्ड को मुँह में लेना चाहा पर भाई ने मुझे रोका और वो मेरे कपड़े उतारने लगा।
कुछ ही देर में उसने मेरे बदन पर सिर्फ पेंटी छोड़ी थी। हम दोनो लगभग पूरी तरह नग्न थे।

अब भाई ने मुझे अपनी बांहों में भरकर बेड पर गिरा दिया और मुझे ऊपर से रौंदने लगा। उसने मुझे सर से चूत तक पूरा चूमा और चूत तक पहुंच कर मेरी चूत चड्डी के ऊपर से ही चाटने लगा। अब उसने मेरी चड्डी भी उतार फेंकी।

मैंने उसे रोकते हुए अपनी साइड इस तरह बदली कि अब हम एक दूसरे के लन्ड और चूत मुँह में ले सके यानि कि 69 की पोजिशन।

कुछ ही देर में मेरी चूत ने तो पानी छोड़ दिया पर पता नहीं भाई कौनसी मिट्टी का बना था उसका स्टैमिना गजब का था। अब मुझसे और इंतजार नहीं हो रहा था। पर मेरे भाई ने तो आज अन्तर्वासना की कोई अलग ही कहानी पढ़ रखी थी।

उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और खुद फर्श पर लेट गया और बोला- बहुत प्यास लगी है, मुझे पानी पिला दो।
पानी लाने के लिए मैं बाहर जाने लगी तो भाई ने मुझे रोक और बोला- मेरी प्यारी दीदी, बाहर कहाँ जा रही हो? मुझे तो तुम्हारी टंकी का पानी पीना है।

मैं उसका इशारा समझ गयी और उसके ऊपर चढ़ गई। मैंने अपने सु सु से अपने भाई की प्यास बुझाई।
भाई बोला- अब मुझे भी सु सु आ रही है.
मैं उसका मतलब समझ गयी और उसे साफ मना कर दिया.
तो उसने मुझे अपने मूत से पूरा नहला ही दिया।

अब भाई ने मुझे फर्श से उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं अपनी टांगें फैलाकर लेट गयी और भाई को अपने ऊपर खींच लिया। भाई का मूसल फनफनाता हथियार मेरी चूत का बैंड बजाने को तैयार खड़ा था।
भाई ने अपना लण्ड मेरी चूत पर सेट किया और एक झनाटेदार धक्का दे मारा।

मेरी चीख निकल गयी- उह माँ … बहनचोद क्या कर रहा है, आज ही मार देगा क्या अपनी दीदी को?
भाई- नहीं बहना, मैं तुझे नहीं तेरी इस प्यारी सी चूत को मारना चाहता हूँ। कई सालों की तपस्या से यह चूत मिली है अब तो इसको भोग लेने दो।
मैं- पूरा मजा ले भाई, मैं भी तो कब से इस दिन का इंतजार कर रही थी। अब यह चूत सिर्फ तेरी है जितना भोगना है भोग। चोद दे अपनी इस लाड़ली बहन को। फाड़ दे मेरी चूत को।
भाई- हाँ रण्डी अब तो तेरा ऐसा हाल करूँगा चोद चोद कर कि मम्मी भी हैरान हो जाएगी। बहन की चूत तो नसीब वालों को मिलती है।

इसी तरह करीब 25 मिनट तक वो मुझे चोदता रहा और तब तक मैं तीन बार झड़ चुकी थी।
अब भाई भी झड़ने वाला था, वो बोला- दीदी, मैं आने वाला हूँ कहाँ निकालूं?
हमने कोई सेफ्टी तो ली नहीं थी तो मैंने उसे अपने शरीर पर ही झाड़ा और उसके लण्ड को पूरा चाट कर साफ किया।

मम्मी सुबह 8.00 बजे से पहले जागने वाली थी नहीं तो हमने छह बजे का अलार्म सेट किया और नंगे ही सो गए।

सुबह जब अलार्म बजा तो हम उठे। हमारा मूड एक और चुदाई का था। हमारे हाथ फिर से एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे। भाई मेरे चूचों को और मैं उसके लण्ड को जगाने लगी।

मैंने अपने भाई का लौड़ा मुहँ में लिया और पूरे मजे लेकर चूसने लगी। कुछ ही देर में लौड़ा पूरा कड़क हो गया।

भाई ने मुझे घोड़ी बनाया और अपना लण्ड पीछे से डॉगी स्टाईल में मेरी चूत में घुसा दिया। करीब सात मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपना कामरस छोड़ दिया।

फिर हमने अपने कपड़े पहने और अपने रूम में जाकर सो गए।

कुछ देर के बाद जब मम्मी उठी और हमे अपने अपने रूम में सोया देखकर घर के काम में लग गयी। उसे क्या पता कि रात में उसकी औलाद ने क्या गुल खिलाया है।

सुबह की चुदाई में भाई ने अपना माल मेरी चूत में ही गिरा दिया था तो मम्मी से नजर बचा कर मैंने उनके रूम में रखी एक गर्भ निरोधक गोली खा ली।

बाद जब भी मौका मिला हमने जम कर चुदाई की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
thanks
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Ok cool I'll let you know
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#7
(29-01-2023, 12:40 AM)neerathemall Wrote:
मम्मी की करतूतें देख भाई से चुदी

Namaskar thanks
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