Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(06-03-2019, 02:29 AM)neerathemall Wrote: दीदी नेअपनी शादी से पहले चूत चुदवाई
(30-05-2022, 02:54 PM)neerathemall Wrote:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(05-07-2022, 11:01 AM)neerathemall Wrote:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(31-05-2022, 04:27 PM)neerathemall Wrote: Sofy B
![[Image: 67766889_021_d794.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/7/381/67766889/67766889_021_d794.jpg)
![[Image: 67766889_121_8b83.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/7/381/67766889/67766889_121_8b83.jpg) ![[Image: 61805095_013_8c5c.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/1/90/61805095/61805095_013_8c5c.jpg)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(06-03-2019, 02:29 AM)neerathemall Wrote: दीदी नेअपनी शादी से पहले चूत चुदवाई
(06-03-2019, 02:30 AM)neerathemall Wrote:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(30-05-2022, 03:46 PM)neerathemall Wrote:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(06-03-2019, 02:29 AM)neerathemall Wrote: दीदी नेअपनी शादी से पहले चूत चुदवाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(31-05-2022, 04:22 PM)neerathemall Wrote:
![[Image: 48024669_115_a1a5.jpg]](https://cdni.pornpics.com/1280/7/349/48024669/48024669_115_a1a5.jpg)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(06-03-2019, 02:33 AM)neerathemall Wrote: मेरे घर में मेरे माता-पिता और हम भाई-बहन हैं। हमारी मिड्ल क्लास फैमिली है, पिताजी एक कम्पनी में काम करते हैं और माँ हाउस वाइफ हैं।
मेरी बहन मुझसे 3 साल बड़ी है, उसका रंग गोरा है, उसकी चूचियाँ बहुत ही आकर्षक हैं, उसकी फिगर 34-26-35 की है।
पहले मैंने उसे कभी भी बुरी नज़र से नहीं देखा था और हम अच्छे दोस्त भी थे, मैं अपनी दीदी से सारी बातें शेयर करता था और वो भी मुझे अपनी सब बात बताती थीं।
बात आज से 5 साल पहले की है जब मैंने अपनी सग़ी बहन के साथ पहली बार सेक्स किया था।
यह कहानी तब शुरू हुई जब उसकी शादी तय हो गई। वो मुझे छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि वो शादी करके अपने पति के साथ दिल्ली में ही शिफ्ट होने वाली थी। जिससे उसकी शादी होने वाली थी.. वो कुछ खास नहीं है.. एकदम दुबला पतला सा है.. जबकि दीदी काफ़ी सुन्दर थीं।
लेकिन वो पैसे वाले थे इसलिए पिताजी ने उसकी शादी उसी से फिक्स कर दी थी।
शादी की बात सुन कर दीदी काफ़ी गुस्सा हो गई थीं.. तो माँ ने मुझे उसे मनाने के लिए बोला।
मैं दीदी के कमरे में गया अन्दर जाते ही दीदी मुझसे गले लिपट कर रोने लगी। उस समय मैंने पहली बार उसकी चूचियों को महसूस किया था.. जो मेरी छाती से सटी हुई थीं।
मुझे कुछ अजीब सा लगा.. पर मुझे अच्छा महसूस हो रहा था।
मैं उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे समझाने लगा.. पर वो और भी ज्यादा रोने लगी और मुझे और ज़्यादा ज़ोर से गले लगा लिया।
ऐसा करते ही मेरा लंड जो उसके चूचियों के स्पर्श होने के कारण हार्ड हो गया था और मैं लगातार उसकी चूत पर अपने लौड़े का दबाव डाल रहा था।
इस सब को करते हुए मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। तभी दीदी को समझ में आ गया और वो मुझसे थोड़ी दूर हो गई और बिस्तर पर जा कर बैठ गई।
मैं उसे समझाने लगा कि आख़िर एक दिन तो आपको शादी करनी ही है और वैसे भी ये दिखने में भले ही ज्यादा अच्छा ना लगते हों.. पर लगते तो शरीफ ही हैं.. और अच्छा कमा भी लेते हैं।
वो थोड़ी देर बाद मान गई.. इससे माँ भी खुश हो गई थीं।
थोड़े दिनों बाद शादी की तैयारियाँ शुरू हो गईं। उसी समय पापा को कुछ जरूरी काम से आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ा और वो मुझे सब तैयारियाँ संभालने को कह गए।
वैसे भी शॉपिंग करने के लिए मैं और दीदी ही जाने वाले थे.. तो हम चल पड़े शॉपिंग करने।
उसने मुझसे कहा- हम लिंक रोड चलेंगे।
हम ट्रेन से उधर के लिए निकल पड़े। ट्रेन में वो लेडीज कम्पार्टमेंट में ना जाते हुए मेरे साथ जेंट्स कम्पार्टमेंट में चढ़ गई। ट्रेन में बैठने की जगह नहीं मिली.. तो मैं उसे ले कर एक साइड में खड़ा हो गया और उसे भीड़ से कवर करके खड़ा हो गया।
जैसे ही ट्रेन आगे बड़ी.. भीड़ और बढ़ती गई और मैं उसके एकदम करीब जा कर खड़ा हो गया.. वो अच्छा महसूस कर रही थी।
मैंने कहा- हम अगले स्टेशन पर उतर जाएंगे और टैक्सी ले लेंगे।
लेकिन उसने मना कर दिया और कहा- टैक्सी में काफ़ी पैसे लग जाएंगे।
हम वैसे ही खड़े रहे.. उतने में किसी का पीछे से धक्का लगा और मैं दीदी के एकदम करीब हो गया। ऐसे में उसके मम्मे मेरी छाती को टच करने लगे थे। मैं उससे नज़र नहीं मिला पा रहा था। थोड़ी देर मैं ऐसे ही खड़ा रहा.. लेकिन भीड़ ज़्यादा बढ़ गई और मैं और दीदी एकदम चिपक गए। ऐसे में मेरा तना हुआ लंड दीदी की चूत को टच कर रहा था। वो मेरे सामने एकदम गुस्से से देख रही थीं.. लेकिन मैं मजबूर था।
वो भी थोड़ी देर बाद शान्त हो गईं लेकिन मैंने उससे थोड़ा दूर होने के प्रयास में मैंने हाथ उठाया.. तो मेरा हाथ दीदी के मम्मों से टच हो गया.. लेकिन इस बार दीदी ने कोई गुस्सा नहीं किया। शायद भीड़ के कारण 10-15 मिनट ऐसे ही चिपक कर खड़े रहने के कारण मैं और दीदी एकदम गर्म हो गए थे।
मेरा लंड और कड़क हो गया था और मैं दीदी की चूत को और ज़ोर से टच करने लगा। अब हम दोनों को मज़ा आ रहा था और मैं एक बार तो पैंट मैं ही डिसचार्ज हो गया।
उतने में हमारा स्टेशन आ गया और हम दोनों उतर कर शॉपिंग करने लगे।
दीदी अब मुझसे और ज़्यादा खुल कर बात कर रही थी। उसने अपने लिए ड्रेस खरीदे और वो बार-बार कुछ ना कुछ बहाने मेरे लंड को टच करने लगी।
मैं भी उसे ड्रेस दिखाने के बहाने उसके चूचियों को टच करने लगा और वो मुझे एक अजीब सी स्माइल दे देती।
अब मैं बहुत खुश हो गया था, मैं अब दीदी के हाथ में हाथ डाल कर चलने लगा.. ऐसा करते ही मेरा हाथ उसकी चूचियों को टच कर जाता था।
जब शॉपिंग हो गई.. तो काफ़ी सामान हो गया था, मैंने दीदी से कहा- अब ट्रेन में नहीं जा सकेंगे.. क्योंकि काफ़ी सामान है.. तो हम टैक्सी ले लेते हैं।
इस बार दीदी ने ‘हाँ’ कर दी और हम टैक्सी में बैठ गए।
मैंने पूछा- दीदी आप शादी की बात सुन कर गुस्सा क्यों हो गई थी?
तो उसने कहा- अरे यार वो काफ़ी दुबला पतला है।
मैंने पूछा- तो क्या हुआ?
उसने कहा- तुम नहीं समझोगे..
मैंने फिर पूछा- मैं ‘क्या’ नहीं समझूँगा?
लेकिन उसने बात टाल दी और कहा- घर जा कर बताऊँगी।
हम दोनों घर आ गए और खाना खा कर अपने बेडरूम में चले गए। कमरे में हमारे बिस्तर अलग-अलग थे।
मैंने दीदी से कहा- आप चली जाओगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
दीदी ने भी कहा- मुझे भी तुमसे दूर नहीं जाना.. वैसे भी आज शॉपिंग में काफ़ी ‘मज़ा’ आया ना?
ऐसा पूछते-पूछते उसने मुझे अजीब सी स्माइल दी। मैं सोच में पड़ गया कि क्या कहूँ। फिर उसने मुझे दोबारा पूछा.. तो मैंने ‘हाँ’ कर दी।
मैंने कहा- चलो दीदी.. नई ड्रेस ट्राई करते हैं।
वो भी खुश हो गई और वो सारे कपड़े ट्राई करके मुझे बता रही थी। उसके ऐसा करने से मुझे उसका अर्धनग्न शरीर दिखता था.. इससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
ड्रेसेज में एक नाइटी भी थी.. जो कि काफ़ी झीनी थी। मैंने उससे पूछा- ये क्यों नहीं ट्राई की?
तो वो शर्मा गई और बोली- ये मैं शादी के बाद पहनूँगी।
मैंने कहा- ऐसा क्यों?
तो वो कुछ नहीं कह पाई.. लेकिन मेरी ज़िद के कारण वो मान गई और जब वो नाइटी पहन कर आई.. तो क्या बताऊँ यारों.. वो क्या मस्त माल लग रही थी।
मैं उसे देखते ही रह गया.. मेरी नज़र उसकी चूचियों पर ही थी.. नाइटी पतली होने के कारण उसकी भरी हुई चूचियों का साइज़ साफ दिखाई दे रहा था। मैं बड़े गौर से उसके मम्मों का दीदार कर रहा था.. उतने में दीदी ने मुझसे पूछा- क्या देख रहे हो?
तब जा कर मैं होश में आया और उसके दुबारा पूछने पर कहा- आप तो अप्सरा जैसी लग रही हो।
वो शर्मा गई..
बाद में उसने कहा- चलो.. अब साड़ी ट्राई करते हैं।
मैंने कहा- आपने तो कभी साड़ी पहनी नहीं.. तो ट्राई कैसे करोगी?
उसने कहा- ट्राई तो करना पड़ेगा.. शादी के बाद तो साड़ी ही पहननी है।
(06-03-2019, 02:38 AM)neerathemall Wrote: हम दोनों साड़ी निकालने लगे। कमरे के दोनों तरफ बिस्तर होने के कारण बीच में बहुत कम जगह थी.. तो दीदी ने कहा- एक काम करो.. दोनों बिस्तर मिला दो ताकि अच्छी जगह हो जाए।
मैंने वैसा ही किया.. दीदी सोच रही थी कि कहाँ से शुरूआत करूँ।
मैंने दीदी से पूछा- क्या सोच रही हो?
उसने कहा- मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कहाँ से शुरूआत करूँ।
मैंने कहा- मैं कुछ मदद करूँ?
तो उसने मना कर दिया और कहा- मैं खुद ही ट्राई करती हूँ।
ये सुन कर मैं उदास हो गया.. दीदी नाइटी के ऊपर से ही साड़ी पहनने लगी। लेकिन नाइटी सिल्की होने के वजह से वो ठीक से पहन नहीं पा रही थी। उसने मेरी ओर देखा.. और मैं हँस पड़ा।
मैं उसे चिढ़ाने लगा- इतनी बड़ी हो गई और साड़ी भी पहनना नहीं आता।
वो गुस्सा हो गई और मुझसे रिक्वेस्ट करने लगी- प्लीज़ मेरी हेल्प करो.. मैंने पहले कभी साड़ी नहीं पहनी है।
मैं बोला- एक काम करो.. माँ से ही पूछ लो।
तो उसने कहा- नहीं.. मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहती हूँ.. अब तुम ही मेरी मदद करो।
मैंने कहा- ठीक है एक काम करो.. पहले साड़ी को कमर पर लपेट लो।
दीदी बोली- वो ही तो कर रही हूँ.. पर ठीक से बैठी ही नहीं।
मैं बोला- माँ कैसे पहनती हैं?
दीदी बोली- वो पहले नीचे पेटीकोट पहनती हैं उसकी वजह से साड़ी को ग्रिप अच्छी मिलती है।
मैं- तो तुम भी पहन लो।
दीदी- मेरे पास पेटीकोट नहीं है.. मैं नया पेटीकोट लेना ही भूल गई।
मैं- तो अब क्या करें..
दीदी- चलो एक बार फिर से ट्राई करते हैं.. तुम मेरी मदद करो.. साड़ी को कमर पर पकड़ कर रखो.. मैं ट्राइ करती हूँ। अब दीदी साड़ी को कमर पर लपेटने लगी थी और मैंने धीरे से दीदी की कमर पर हाथ रख दिया। हाथ रखते ही मेरे दिल में कुछ होने लगा।
दीदी बोली- अरे मुझे लपेटने तो दो..
फिर दीदी ने साड़ी को कमर पर लपेट लिया और मैं आगे से उसकी कमर से साड़ी पकड़ कर खड़ा हो गया।
दीदी बोली- अरे बुद्धू आगे नहीं.. पीछे खड़े रहो.. ताकि मैं साड़ी अच्छे से पहन लूँ।
मैं पीछे जा कर खड़ा हो गया। दीदी आगे से थोड़ी झुकी.. साड़ी का पल्लू लेने तो उसकी गाण्ड मेरे तने हुए लंड से टकराई और मुझे झटका लगा।
मेरे हाथ से साड़ी गिर गई और दीदी गुस्सा हो गई, उसने गुर्रा कर कहा- ठीक से पकड़ो..
मैंने कहा- आपकी नाइटी बहुत सिल्की है.. तो मैं क्या करूँ?
दीदी सोच में पड़ गई और फिर बोली- एक काम करती हूँ.. तू लाइट बन्द कर दे.. मैं नाइटी निकाल देती हूँ.. फिर ट्राई करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है.. लेकिन अंधेरे में मुझे दिखेगा कैसे?
दीदी बोली- तुझे मैं जितना बोलूँ तू उतना ही करना..
मैंने कहा- ठीक है..
मैंने लाइट बन्द कर दी।
(06-03-2019, 02:38 AM)neerathemall Wrote: दीदी बोली- तू साड़ी पकड़.. मैं नाइटी निकाल देती हूँ।
वो नाइटी निकालने लगी.. मैं अंधेरे में भी दीदी का गोरा शरीर थोड़ा-थोड़ा देख सकता था। दीदी ने नाइटी निकाल दी और कहा- साड़ी मुझे दो.. मैं उसे कमर पर लपेटती हूँ.. और तू पीछे से उसे पकड़ के रखना।
मैं बोला- ठीक है।
वो साड़ी कमर पर लपेट रही थी और मैं वहीं खड़ा.. उसे देख रहा था। अंधेरे में भी उसकी चूचियों का साइज़ अच्छी तरह दिख रहा था। मैंने फर्स्ट टाइम किसी लड़की को ब्रा ओर पैन्टी में देखा था। वो भी अपनी सग़ी बहन को ऐसा देख रहा था।
मैं गर्म होने लगा.. इतने में दीदी बोली- एक काम करो.. तुम पीछे से मेरी कमर पकड़ लो..
अब जब साड़ी पकड़ने की कोई ज़रूरत नहीं थी.. तब भी दीदी ने मुझे कमर पकड़ने को क्यों कहा.. मैं सोचने लगा।
इतने में दीदी साड़ी पहनते हुए थोड़ी पीछे आई और वो मुझसे एकदम साथ में लग कर खड़ी हो गई और उसी वक्त मेरा हाथ अपने आप उसकी कमर को ढूँढने लगा.. लेकिन अंधेरा होने के कारण मेरा हाथ उसकी जाँघ को टच हो गया।
मैंने महसूस किया कि उसकी नंगी जांघ बहुत ही नरम और चिकनी थी।
मैं उसे सहलाने लगा.. तो दीदी बोली- अरे.. मेरी कमर पकड़ो न..
मैंने अंधेरा होने का नाटक करते हुए उसकी जाँघ सहलाता रहा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और शायद दीदी को भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वो कुछ नहीं बोल रही थी और ना ही मुझे रोक रही थी.. तो मैंने अपना काम चालू रखा। उसकी कमर ढूंढने का ड्रामा करते हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।
क्या मुलायम और गदीली भरावदार गाण्ड थी उसकी.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था।
इतने में दीदी ने मेरा हाथ वहाँ से हटा कर अपनी कमर पर रख दिया। मुझे थोड़ी शर्म आने लगी और मैं सोचता रहा कि मुझे यह अपनी बहन के साथ यह नहीं करना चाहिये था।
मैं वैसे ही खड़ा रहा.. फिर दीदी ने साड़ी फटाफट पहन ली और मुझसे कहा- मैंने साड़ी पहन ली है.. तुम लाइट चालू कर दो।
मैंने लाइट चालू की.. और उसे देखते ही रह गया क्योंकि उसने ब्लाउज नहीं पहना था.. केवल ब्रा पर साड़ी लपेटी थी। क्या सेक्सी माल लग रही थी।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- दीदी आप बहुत सुन्दर लग रही हो।
वो शर्मा गई।
मैंने पूछा- आप ब्लाउज पहनना तो भूल ही गई हो।
तो उसने कहा- मुझे मालूम है.. मुझे सिर्फ़ साड़ी ट्राई करनी थी.. इसलिए अब उसने वापिस अपनी नाइटी पहन ली और कहा- चलो.. अब देर हो गई.. सो जाते हैं।
मैं जा कर अपने बिस्तर पर लेट गया और दीदी भी आ कर मेरे बाजू में लेट गई।
हम वैसे ही बातें कर रहे थे और बातों ही बातों में हम एकदम नजदीक आ गए। फिर कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
रात में मुझे कुछ भारीपन महसूस होने के कारण मेरी नींद खुल गई। जब आँख खुली.. तो देखा दीदी का एक पैर मेरी कमर पर था और उसकी नाइटी घुटनों तक उठी हुई थी। मैं पेट के बल लेटा हुआ था.. धीरे से सीधा हुआ।
अब मुझे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था। मेरे सीधे होने के कारण दीदी की नाइटी और थोड़ी ऊपर उठ गई। मेरा लंड अब लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था।
मैंने धीरे से दीदी की नाइटी कमर तक ऊपर कर दी, अब दीदी की पैन्टी मुझे साफ दिखाई दे रही थी। मैं एकदम खुश हो गया।
अब मैं धीरे से और थोड़ा उससे सट गया और अब मेरा लंड दीदी की चूत पर टच होने लगा था।
डर और ख़ुशी के मारे मेरी साँस फूल रही थी..
थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा, फिर मैंने अपना एक हाथ दीदी की मुलायम जांघ पर रख दिया और बिना हिले थोड़ी देर उसको महसूस करता रहा।
दीदी की कोई प्रतिक्रिया ना आते देख.. मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब मैं अपना हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघ और चूतड़ों पर फेरता रहा और उसके और थोड़ा नज़दीक हो गया.. जिसके कारण मेरा लंड और नजदीक से दीदी की चूत को छूने लगा और उत्तेजना में और मैं झड़ गया।
कुछ देर यूं ही निढाल पड़ा रहने के बाद मैंने एक हाथ से दीदी की नाइटी को आगे से खोल दिया.. जिसके कारण उसकी ब्रा में कैद उसके बड़े मम्मे मुझे दिखाई देने लगे थे।
मैंने एक हाथ को उसके मम्मों के ऊपर रख दिया और देखा कि दीदी का कोई विरोध नहीं हो रहा है.. तो फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा.. उसके आगे जाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर सोचा कि क्यों ना मैं ऐसे ही सो जाऊँ.. फिर देखते हैं सुबह दीदी क्या कहती है।
मैं ऐसे ही एक हाथ उसकी कमर में डाल कर सो गया।
सुबह जब दीदी की आँख खुली.. तो देखा उसका एक पैर मेरी कमर पर है और मेरा हाथ उसकी कमर में है। उसकी नाइटी सामने से खुली हुई थी। उसे लगा शायद नींद में खुल गई होगी।
जब उसने पैर हटाया तो देखा उसकी पैन्टी पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुआ था और मेरा लंड का उभार भी उसे साफ दिखाई दे रहा था। ये सब मैं चुपके से देख रहा था क्योंकि मैं उसके पहले जाग गया था।
दीदी थोड़ी देर तक मेरे लंड की तरफ देखती रही। फिर उसने धीरे से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.. जिसके कारण मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया और दीदी थोड़ी देर ऐसे ही उसे महसूस करने के बाद उसने धीरे से उसका हाथ मेरे पजामे में डाल दिया।
(06-03-2019, 02:39 AM)neerathemall Wrote: उत्तेजना के कारण मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगीं और लंड और कड़क हो गया.. जिसके कारण दीदी डर गई और उसने तुरंत अपना हाथ निकाल लिया।
फिर थोड़ी देर मैं वैसे ही सोया रहा और वो उठ कर फ्रेश होने चली गई।
थोड़ी देर बाद वो मुझे जगाने आई.. बोली- चलो फ्रेश हो जाओ.. फिर साथ में नाश्ता करते हैं।
नाश्ता करने के बाद दीदी बोली- चलो, आज बाकी की शॉपिंग ख़त्म करते हैं।
हम दोनों फिर निकल पड़े लेकिन इस बार दीदी लेडीज कम्पार्टमेंट में चढ़ गई थी। मुझे लगा शायद उसे पता चल गया है और मेरी सारी बाजी उल्टी पड़ गई। इस बार ट्रेन से उतर कर जब हम शॉपिंग करने लगे.. तभी अचानक दीदी को किसी का धक्का लगा और वो गिर गई.. जिसके कारण उसके पैर में चोट आ गई। मैं दीदी को तुरंत टैक्सी में ले कर घर वापस आ गया। जब लौटा तो देखा माँ घर पर नहीं थीं।
मैंने फ़ोन करके पूछा.. तो पता चला कि हमारे रिलेटिव में किसी की डेथ हो गई है.. तो वो वहाँ गई हैं। उस वक्त दादी भी नहीं थीं.. तो उनको रात वहीं रुकना पड़ेगा।
मैंने दीदी को बोला- माँ तो कल आएंगी.. तुम अन्दर कमरे में चलो.. मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ।
तो उसने कहा- नहीं सिर्फ़ दर्द की गोली ला दो.. सब ठीक हो जाएगा। थोड़ी देर में दीदी सो गई.. लेकिन उसे ठीक से नींद नहीं आ रही थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- दर्द काफ़ी हो रहा है।
मैंने पूछा- मैं पैर दबा दूँ।
तो उसने ‘हाँ’ कर दी। मैं दीदी के पैर दबाता रहा.. क्या मुलायम पैर थे यार.. मज़ा आ गया।
मैं अब भी डर रहा था।
फिर मैं धीरे-धीरे उसकी जांघ तक दबाने लगा और दबाते-दबाते मैंने उसकी नाइटी ऊपर सरका दी। अब उसकी गोरी-गोरी जांघें दिखाई दे रही थीं।
मैं उसे काफ़ी देर तक दबाता रहा उस दौरान मैं उसकी नाइटी में अन्दर तक हाथ डाल कर उसके पैर दबाने लगा। ऐसा करते हुए कभी-कभी मैं उसकी पैन्टी तक हाथ डाल देता.. लेकिन दीदी का कोई विरोध नहीं आ रहा था.. जिससे मेरा उत्साह और बढ़ गया।
मैंने दीदी से पूछा- अब कुछ राहत मिली?
दीदी बोली- हाँ.. पैर में तो मिली.. लेकिन कमर और पीठ में अभी भी दर्द है।
मैंने पूछा- मैं उधर भी दबा दूँ?
वो बोली- ठीक है..
अब मैं नाइटी के ऊपर से ही उसकी कमर दबाने लगा और पीठ पर मालिश करने लगा।
ऐसा करने में मुझे मज़ा नहीं आ रहा था.. तो मैंने पूछा- बाम लगा दूँ.. कुछ अच्छा लगेगा।
वो थोड़ा सोचने लगी.. फिर बोली- ठीक है.. एक काम करो.. नाइटी के अन्दर से ही हाथ डाल कर बाम लगा दो।
मैं तुरंत बाम ले कर आ गया और दीदी को पेट के बल होने को कहा। मैं दीदी के ऊपर आ गया ताकि आसानी से मालिश कर सकूँ। मैंने थोड़ी सी बाम हाथ में ली और दीदी की नाइटी में हाथ डाल कर उसकी नाज़ुक कमर को सहलाने लगा।
दीदी को मज़ा आ रहा था.. मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर उसकी कमर को सहलाता रहा। मैं उसकी पैन्टी को महसूस कर रहा था.. बीच-बीच में मैं उसकी गाण्ड तक दबा देता था.. जिसके कारण मेरा लंड टाइट हो गया था।
मैं दीदी के ऊपर बैठा हुआ था.. सो थोड़ा ऊपर को हो गया और अपने लंड को उसकी गाण्ड के छेद पर टच करने लगा। साथ ही मैं ऐसे बर्ताव करने लगा कि मुझे कुछ पता ही नहीं हो।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं धीरे-धीरे अब उसकी पीठ पर मालिश करने लगा और मैं दीदी की नंगी पीठ पर सहलाने का ‘घर्षण-सुख’ का पूरा मज़ा उठा रहा था।
दोस्तो, पता नहीं मेरी दीदी क्या सोच कर मेरी हरकतों को बढ़ावा दे रही थी.. पर दीदी को चोदने का मेरा तो बहुत मन हो रहा था..
(06-03-2019, 02:39 AM)neerathemall Wrote: मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर दीदी की पीठ सहलाता रहा, मैं उसकी पैंटी को छू कर रहा था.. उसके कूल्हे तक दबा देता था.. इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगने लगा।
अब आगे..
दीदी भी बीच-बीच में कुछ अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी। शायद दीदी अब गर्म हो गई थी और उसे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मुझे उसकी ब्रा गड़ रही थी और वो दीदी को चुभ रही थी।
मैंने दीदी को कहा- दीदी ये क्या बीच में चुभ रहा है.. इससे ठीक से मालिश नहीं हो रही है.. इसे निकाल दूँ?
दीदी ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने अब दोनों हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. लेकिन वो बाहर नहीं निकली।
मैंने दीदी से पूछा- इसे बाहर कैसे निकालूँ?
दीदी थोड़ी ऊपर उठ गई और उसने ब्रा बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दी और कहा- अब पूरी पीठ पर ठीक से मालिश करो।
मैंने फिर से अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। अब मैं उसकी पूरी नंगी पीठ महसूस कर रहा था। मैं थोड़ी हिम्मत करके मेरा हाथ आगे की ओर ले गया.. तो उसके मम्मों का साइड का हिस्सा मेरे हाथ से टच हो गया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा..
मैं अपना लंड दीदी की गाण्ड पर और ज़ोर से दबाने लगा। ऐसे ही मालिश करते-करते मैंने नाइटी कमर के ऊपर तक उठा दी।
मेरा लंड अब एकदम तन गया था।
दीदी बोली- ये क्या चुभ रहा है?
तो मैं थोड़ा शर्मा गया।
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.. ये तो वो मालिश करते-करते हो गया। दीदी एक काम करो.. आप नाइटी निकाल दो ताकि मैं आपकी पूरी बॉडी मसाज कर देता हूँ।
दीदी ने नाइटी निकाल दी, अब दीदी के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने पहली बार किसी लड़की की चूचियों को नंगा देखा और वो भी मेरी सग़ी बहन के.. क्या गोरे दूध थे यार..
अब मैंने दीदी को पीठ के बल लेटा दिया और उसके पेट पर मालिश करने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी नाभि को मसाज करने लगा। दीदी के मुँह से ‘आअहह.. ऊओह..’ जैसी आवाजें आने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अच्छा लग रहा है.. और करो..
मैं उसके पेट को सहलाते-सहलाते थोड़ा ऊपर आ गया और उसके चूचों को दबाने लगा। पहले तो मैंने उसको पूरा अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश की.. पर वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे, मैं उसके निप्पलों को हाथ में ले के मींजने लगा।
दीदी अब ज़ोर से ‘आहह..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैं और ज़्यादा गर्म हो गया, मैंने देखा कि दीदी की आँखें बन्द थीं।
जैसे ही दीदी ने आवाज़ निकालने के लिए अपना मुँह खोला.. तो मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा.. दीदी मुझसे होंठ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने और जोरों से उसके होंठ दबा लिए और चूसने लगा, साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाने लगा.. जिससे दीदी एकदम गर्म हो गई, अब वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दीदी मेरी जीभ को चूसने लगी, बारी-बारी से हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे, कुछ मिनट तक हम ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी। अब मैं दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरा दूध दबाने लगा।
मैं जंगल के भूखे शेर की तरह उसका चूचा चूस रहा था।
दीदी बोली- भाई.. थोड़ा धीरे चूसो.. मुझे दर्द हो रहा है.. मैं थोड़े कहीं भागे जा रही हूँ.. प्लीज़ थोड़ा धीरे चूसो।
मैं अब उसके एक निप्पल को दाँतों से चबाने लगा और बीच में उसे काट भी देता था.. जिससे दीदी की चीख निकल जाती थी।
मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
फिर मैंने दीदी की पैन्टी को निकाल दिया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(06-03-2019, 02:39 AM)neerathemall Wrote: मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर दीदी की पीठ सहलाता रहा, मैं उसकी पैंटी को छू कर रहा था.. उसके कूल्हे तक दबा देता था.. इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगने लगा।
अब आगे..
दीदी भी बीच-बीच में कुछ अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी। शायद दीदी अब गर्म हो गई थी और उसे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मुझे उसकी ब्रा गड़ रही थी और वो दीदी को चुभ रही थी।
मैंने दीदी को कहा- दीदी ये क्या बीच में चुभ रहा है.. इससे ठीक से मालिश नहीं हो रही है.. इसे निकाल दूँ?
दीदी ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने अब दोनों हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. लेकिन वो बाहर नहीं निकली।
मैंने दीदी से पूछा- इसे बाहर कैसे निकालूँ?
दीदी थोड़ी ऊपर उठ गई और उसने ब्रा बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दी और कहा- अब पूरी पीठ पर ठीक से मालिश करो।
मैंने फिर से अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। अब मैं उसकी पूरी नंगी पीठ महसूस कर रहा था। मैं थोड़ी हिम्मत करके मेरा हाथ आगे की ओर ले गया.. तो उसके मम्मों का साइड का हिस्सा मेरे हाथ से टच हो गया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा..
मैं अपना लंड दीदी की गाण्ड पर और ज़ोर से दबाने लगा। ऐसे ही मालिश करते-करते मैंने नाइटी कमर के ऊपर तक उठा दी।
मेरा लंड अब एकदम तन गया था।
दीदी बोली- ये क्या चुभ रहा है?
तो मैं थोड़ा शर्मा गया।
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.. ये तो वो मालिश करते-करते हो गया। दीदी एक काम करो.. आप नाइटी निकाल दो ताकि मैं आपकी पूरी बॉडी मसाज कर देता हूँ।
दीदी ने नाइटी निकाल दी, अब दीदी के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने पहली बार किसी लड़की की चूचियों को नंगा देखा और वो भी मेरी सग़ी बहन के.. क्या गोरे दूध थे यार..
अब मैंने दीदी को पीठ के बल लेटा दिया और उसके पेट पर मालिश करने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी नाभि को मसाज करने लगा। दीदी के मुँह से ‘आअहह.. ऊओह..’ जैसी आवाजें आने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अच्छा लग रहा है.. और करो..
मैं उसके पेट को सहलाते-सहलाते थोड़ा ऊपर आ गया और उसके चूचों को दबाने लगा। पहले तो मैंने उसको पूरा अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश की.. पर वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे, मैं उसके निप्पलों को हाथ में ले के मींजने लगा।
दीदी अब ज़ोर से ‘आहह..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैं और ज़्यादा गर्म हो गया, मैंने देखा कि दीदी की आँखें बन्द थीं।
जैसे ही दीदी ने आवाज़ निकालने के लिए अपना मुँह खोला.. तो मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा.. दीदी मुझसे होंठ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने और जोरों से उसके होंठ दबा लिए और चूसने लगा, साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाने लगा.. जिससे दीदी एकदम गर्म हो गई, अब वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दीदी मेरी जीभ को चूसने लगी, बारी-बारी से हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे, कुछ मिनट तक हम ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी। अब मैं दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरा दूध दबाने लगा।
मैं जंगल के भूखे शेर की तरह उसका चूचा चूस रहा था।
दीदी बोली- भाई.. थोड़ा धीरे चूसो.. मुझे दर्द हो रहा है.. मैं थोड़े कहीं भागे जा रही हूँ.. प्लीज़ थोड़ा धीरे चूसो।
मैं अब उसके एक निप्पल को दाँतों से चबाने लगा और बीच में उसे काट भी देता था.. जिससे दीदी की चीख निकल जाती थी।
मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
फिर मैंने दीदी की पैन्टी को निकाल दिया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
(06-03-2019, 02:40 AM)neerathemall Wrote: उसकी गरम चूत को दोनों हाथ से खोल कर मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी। उसकी चूत पहले से ही पानी छोड़ रही थी।
जैसे ही मैंने अन्दर जीभ डाली.. दीदी ने मेरे सर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया।
बोली- चूसो भैया.. चूसो.. मेरा पानी निकाल दो भैया.. प्लीज़..
मैं और उत्तेजित हो गया और ज़ोर से दीदी की चूत चाटने लगा। कुछ ही मिनट में दीदी अकड़ने लगी और उसने अपना पूरा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया, मैंने सारा पानी पी लिया, मेरा पूरा मुँह दीदी के पानी से भरा हुआ था।
दीदी ने मेरे मुँह को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब दीदी बोली- मुझे भी तेरा चूसना है।
मैंने पूछा- क्या?
दीदी ने नीचे इशारा किया.. मैं बोला- अपने मुँह से बोलो।
तो वो शर्मा गई.. फिर बोली- तेरा लंड चूसना है।
तुरंत उसने मेरा पजामा निकाल दिया और उसके बाद उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया। मेरा लम्बा और मोटा लंड देख कर पहले तो वो डर गई।
फिर बोली- इतना बड़ा..
‘हाँ आपके लिए है..’
उसने तुरन्त अपना मुँह खोल कर लौड़े को अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था.. फिर भी वो उसे पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसके सर को पीछे से पकड़ा और अपना लंड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करके उसका मुँह चोदने लगा।
काफ़ी देर चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. जिससे दीदी को घुटन महसूस हो रही थी।
फिर भी मैं उसके मुँह को ज़ोर से चोदने लगा और अपना पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया.. वो मेरा पानी पूरा पीने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन पानी इतना ज़्यादा था कि उसके मुँह से बाहर गिर रहा था।
अब मैं दीदी की ओर देख रहा था, दीदी ने कहा- मज़ा आ गया।
मैं फिर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा।
दीदी उल्टी हो कर मेरा लंड फिर से हिलाने लगी.. और चूसने लगी.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर फेरने लगा।
मैं दीदी को तड़पा रहा था.. तो वो बोली- प्लीज़ भाई.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. अपने लंड से.. मैं ऐसे ही लंड के लिए तरसती थी और इसीलिए मैं उस चूतिया से शादी के लिए राज़ी नहीं हो रही थी क्योंकि वो दुबला-पतला है और ना जाने उसका लंड इतना बड़ा होगा या नहीं.. वो मुझे संतुष्ट कर सकेगा या नहीं.. प्लीज़ भाई फाड़ दे मेरी चूत को.. बना दे मेरी चूत को भोसड़ा..
मैं ऐसे शब्द दीदी के मुँह से सुन कर और जोश में आ गया।
मैं धीरे से दीदी की चूत में अपना लंड डालने लगा..
अभी आधा ही गया होगा कि दीदी चिल्लाने लगी, मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा।
तभी मैंने ज़ोर का एक और झटका लगाया.. इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया।
दीदी के मुँह से चीख निकल गई और वो रोने लगी, वो गिड़गिड़ा कर बोली- प्लीज़.. इसे निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी।
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके चूचों को दबाता रहा।
जब वो थोड़ा शान्त हुई.. तो फिर मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ दे रही थी.. वो नीचे से अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
मैं अब ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो ‘आअहह.. मररररर गइईईईई.. ईईहह..’ चिल्लाने लगी।
पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें आ रही थीं.. और पूरा कमरा ‘छप.. छप..’ की आवाज़ से गूँज रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा। दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने दीदी को बोला- मेरा पानी निकलने वाला है।
दीदी बोली- मेरे अन्दर ही छोड़ दे.. यह मेरी पहली चुदाई है.. और वो भी मेरे भाई से.. मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. वैसे भी मेरी शादी होने वाली है.. कोई प्रोब्लम नहीं होगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं एक ज़ोर से पिचकारी मारता हुआ दीदी की चूत में झड़ गया। मेरा गर्म लावा दीदी की चूत से बह रहा था और मैं निढाल हो कर दीदी पर गिर गया।
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े रहे।
दीदी बोली- भाई अगर मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया.. तो वादा करो तुम ही मेरी प्यास को शान्त करोगे.. आज तो मैंने जन्नत की सैर की है.. बहुत मज़ा आया.. अब तुम ही मेरे पति हो.. जब जी चाहे तुम मुझे चोद सकते हो।
हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए।
आगे मैंने दीदी को खूब चोदा और आज भी चोदता हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(06-03-2019, 02:39 AM)neerathemall Wrote: मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर दीदी की पीठ सहलाता रहा, मैं उसकी पैंटी को छू कर रहा था.. उसके कूल्हे तक दबा देता था.. इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगने लगा।
अब आगे..
दीदी भी बीच-बीच में कुछ अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी। शायद दीदी अब गर्म हो गई थी और उसे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मुझे उसकी ब्रा गड़ रही थी और वो दीदी को चुभ रही थी।
मैंने दीदी को कहा- दीदी ये क्या बीच में चुभ रहा है.. इससे ठीक से मालिश नहीं हो रही है.. इसे निकाल दूँ?
दीदी ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने अब दोनों हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. लेकिन वो बाहर नहीं निकली।
मैंने दीदी से पूछा- इसे बाहर कैसे निकालूँ?
दीदी थोड़ी ऊपर उठ गई और उसने ब्रा बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दी और कहा- अब पूरी पीठ पर ठीक से मालिश करो।
मैंने फिर से अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। अब मैं उसकी पूरी नंगी पीठ महसूस कर रहा था। मैं थोड़ी हिम्मत करके मेरा हाथ आगे की ओर ले गया.. तो उसके मम्मों का साइड का हिस्सा मेरे हाथ से टच हो गया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा..
मैं अपना लंड दीदी की गाण्ड पर और ज़ोर से दबाने लगा। ऐसे ही मालिश करते-करते मैंने नाइटी कमर के ऊपर तक उठा दी।
मेरा लंड अब एकदम तन गया था।
दीदी बोली- ये क्या चुभ रहा है?
तो मैं थोड़ा शर्मा गया।
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.. ये तो वो मालिश करते-करते हो गया। दीदी एक काम करो.. आप नाइटी निकाल दो ताकि मैं आपकी पूरी बॉडी मसाज कर देता हूँ।
दीदी ने नाइटी निकाल दी, अब दीदी के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने पहली बार किसी लड़की की चूचियों को नंगा देखा और वो भी मेरी सग़ी बहन के.. क्या गोरे दूध थे यार..
अब मैंने दीदी को पीठ के बल लेटा दिया और उसके पेट पर मालिश करने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी नाभि को मसाज करने लगा। दीदी के मुँह से ‘आअहह.. ऊओह..’ जैसी आवाजें आने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अच्छा लग रहा है.. और करो..
मैं उसके पेट को सहलाते-सहलाते थोड़ा ऊपर आ गया और उसके चूचों को दबाने लगा। पहले तो मैंने उसको पूरा अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश की.. पर वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे, मैं उसके निप्पलों को हाथ में ले के मींजने लगा।
दीदी अब ज़ोर से ‘आहह..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैं और ज़्यादा गर्म हो गया, मैंने देखा कि दीदी की आँखें बन्द थीं।
जैसे ही दीदी ने आवाज़ निकालने के लिए अपना मुँह खोला.. तो मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा.. दीदी मुझसे होंठ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने और जोरों से उसके होंठ दबा लिए और चूसने लगा, साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाने लगा.. जिससे दीदी एकदम गर्म हो गई, अब वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दीदी मेरी जीभ को चूसने लगी, बारी-बारी से हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे, कुछ मिनट तक हम ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी। अब मैं दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरा दूध दबाने लगा।
मैं जंगल के भूखे शेर की तरह उसका चूचा चूस रहा था।
दीदी बोली- भाई.. थोड़ा धीरे चूसो.. मुझे दर्द हो रहा है.. मैं थोड़े कहीं भागे जा रही हूँ.. प्लीज़ थोड़ा धीरे चूसो।
मैं अब उसके एक निप्पल को दाँतों से चबाने लगा और बीच में उसे काट भी देता था.. जिससे दीदी की चीख निकल जाती थी।
मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
फिर मैंने दीदी की पैन्टी को निकाल दिया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
(06-03-2019, 02:40 AM)neerathemall Wrote: उसकी गरम चूत को दोनों हाथ से खोल कर मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी। उसकी चूत पहले से ही पानी छोड़ रही थी।
जैसे ही मैंने अन्दर जीभ डाली.. दीदी ने मेरे सर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया।
बोली- चूसो भैया.. चूसो.. मेरा पानी निकाल दो भैया.. प्लीज़..
मैं और उत्तेजित हो गया और ज़ोर से दीदी की चूत चाटने लगा। कुछ ही मिनट में दीदी अकड़ने लगी और उसने अपना पूरा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया, मैंने सारा पानी पी लिया, मेरा पूरा मुँह दीदी के पानी से भरा हुआ था।
दीदी ने मेरे मुँह को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब दीदी बोली- मुझे भी तेरा चूसना है।
मैंने पूछा- क्या?
दीदी ने नीचे इशारा किया.. मैं बोला- अपने मुँह से बोलो।
तो वो शर्मा गई.. फिर बोली- तेरा लंड चूसना है।
तुरंत उसने मेरा पजामा निकाल दिया और उसके बाद उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया। मेरा लम्बा और मोटा लंड देख कर पहले तो वो डर गई।
फिर बोली- इतना बड़ा..
‘हाँ आपके लिए है..’
उसने तुरन्त अपना मुँह खोल कर लौड़े को अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था.. फिर भी वो उसे पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसके सर को पीछे से पकड़ा और अपना लंड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करके उसका मुँह चोदने लगा।
काफ़ी देर चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. जिससे दीदी को घुटन महसूस हो रही थी।
फिर भी मैं उसके मुँह को ज़ोर से चोदने लगा और अपना पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया.. वो मेरा पानी पूरा पीने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन पानी इतना ज़्यादा था कि उसके मुँह से बाहर गिर रहा था।
अब मैं दीदी की ओर देख रहा था, दीदी ने कहा- मज़ा आ गया।
मैं फिर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा।
दीदी उल्टी हो कर मेरा लंड फिर से हिलाने लगी.. और चूसने लगी.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर फेरने लगा।
मैं दीदी को तड़पा रहा था.. तो वो बोली- प्लीज़ भाई.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. अपने लंड से.. मैं ऐसे ही लंड के लिए तरसती थी और इसीलिए मैं उस चूतिया से शादी के लिए राज़ी नहीं हो रही थी क्योंकि वो दुबला-पतला है और ना जाने उसका लंड इतना बड़ा होगा या नहीं.. वो मुझे संतुष्ट कर सकेगा या नहीं.. प्लीज़ भाई फाड़ दे मेरी चूत को.. बना दे मेरी चूत को भोसड़ा..
मैं ऐसे शब्द दीदी के मुँह से सुन कर और जोश में आ गया।
मैं धीरे से दीदी की चूत में अपना लंड डालने लगा..
अभी आधा ही गया होगा कि दीदी चिल्लाने लगी, मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा।
तभी मैंने ज़ोर का एक और झटका लगाया.. इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया।
दीदी के मुँह से चीख निकल गई और वो रोने लगी, वो गिड़गिड़ा कर बोली- प्लीज़.. इसे निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी।
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके चूचों को दबाता रहा।
जब वो थोड़ा शान्त हुई.. तो फिर मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ दे रही थी.. वो नीचे से अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
मैं अब ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो ‘आअहह.. मररररर गइईईईई.. ईईहह..’ चिल्लाने लगी।
पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें आ रही थीं.. और पूरा कमरा ‘छप.. छप..’ की आवाज़ से गूँज रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा। दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने दीदी को बोला- मेरा पानी निकलने वाला है।
दीदी बोली- मेरे अन्दर ही छोड़ दे.. यह मेरी पहली चुदाई है.. और वो भी मेरे भाई से.. मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. वैसे भी मेरी शादी होने वाली है.. कोई प्रोब्लम नहीं होगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं एक ज़ोर से पिचकारी मारता हुआ दीदी की चूत में झड़ गया। मेरा गर्म लावा दीदी की चूत से बह रहा था और मैं निढाल हो कर दीदी पर गिर गया।
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े रहे।
दीदी बोली- भाई अगर मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया.. तो वादा करो तुम ही मेरी प्यास को शान्त करोगे.. आज तो मैंने जन्नत की सैर की है.. बहुत मज़ा आया.. अब तुम ही मेरे पति हो.. जब जी चाहे तुम मुझे चोद सकते हो।
हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए।
आगे मैंने दीदी को खूब चोदा और आज भी चोदता हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
11-12-2023, 05:21 PM
(This post was last modified: 11-12-2023, 05:24 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(06-03-2019, 02:39 AM)neerathemall Wrote: मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर दीदी की पीठ सहलाता रहा, मैं उसकी पैंटी को छू कर रहा था.. उसके कूल्हे तक दबा देता था.. इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगने लगा (06-03-2019, 02:40 AM)neerathemall Wrote: उसकी गरम चूत को दोनों हाथ से खोल कर मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी। उसकी चूत पहले से ही पानी छोड़ रही थी।
जैसे ही मैंने अन्दर जीभ डाली.. दीदी ने मेरे सर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया।
बोली- चूसो भैया.. चूसो.. मेरा पानी निकाल दो भैया.. प्लीज़..
मैं और उत्तेजित हो गया और ज़ोर से दीदी की चूत चाटने लगा। कुछ ही मिनट में दीदी अकड़ने लगी और उसने अपना पूरा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया, मैंने सारा पानी पी लिया, मेरा पूरा मुँह दीदी के पानी से भरा हुआ था।
दीदी ने मेरे मुँह को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब दीदी बोली- मुझे भी तेरा चूसना है।
मैंने पूछा- क्या?
दीदी ने नीचे इशारा किया.. मैं बोला- अपने मुँह से बोलो।
तो वो शर्मा गई.. फिर बोली- तेरा लंड चूसना है।
तुरंत उसने मेरा पजामा निकाल दिया और उसके बाद उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया। मेरा लम्बा और मोटा लंड देख कर पहले तो वो डर गई।
फिर बोली- इतना बड़ा..
‘हाँ आपके लिए है..’
उसने तुरन्त अपना मुँह खोल कर लौड़े को अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था.. फिर भी वो उसे पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसके सर को पीछे से पकड़ा और अपना लंड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करके उसका मुँह चोदने लगा।
काफ़ी देर चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. जिससे दीदी को घुटन महसूस हो रही थी।
फिर भी मैं उसके मुँह को ज़ोर से चोदने लगा और अपना पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया.. वो मेरा पानी पूरा पीने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन पानी इतना ज़्यादा था कि उसके मुँह से बाहर गिर रहा था।
अब मैं दीदी की ओर देख रहा था, दीदी ने कहा- मज़ा आ गया।
मैं फिर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा।
दीदी उल्टी हो कर मेरा लंड फिर से हिलाने लगी.. और चूसने लगी.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर फेरने लगा।
मैं दीदी को तड़पा रहा था.. तो वो बोली- प्लीज़ भाई.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. अपने लंड से.. मैं ऐसे ही लंड के लिए तरसती थी और इसीलिए मैं उस चूतिया से शादी के लिए राज़ी नहीं हो रही थी क्योंकि वो दुबला-पतला है और ना जाने उसका लंड इतना बड़ा होगा या नहीं.. वो मुझे संतुष्ट कर सकेगा या नहीं.. प्लीज़ भाई फाड़ दे मेरी चूत को.. बना दे मेरी चूत को भोसड़ा..
मैं ऐसे शब्द दीदी के मुँह से सुन कर और जोश में आ गया।
मैं धीरे से दीदी की चूत में अपना लंड डालने लगा..
अभी आधा ही गया होगा कि दीदी चिल्लाने लगी, मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा।
तभी मैंने ज़ोर का एक और झटका लगाया.. इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया।
दीदी के मुँह से चीख निकल गई और वो रोने लगी, वो गिड़गिड़ा कर बोली- प्लीज़.. इसे निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी।
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके चूचों को दबाता रहा।
जब वो थोड़ा शान्त हुई.. तो फिर मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ दे रही थी.. वो नीचे से अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
मैं अब ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो ‘आअहह.. मररररर गइईईईई.. ईईहह..’ चिल्लाने लगी।
पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें आ रही थीं.. और पूरा कमरा ‘छप.. छप..’ की आवाज़ से गूँज रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा। दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने दीदी को बोला- मेरा पानी निकलने वाला है।
दीदी बोली- मेरे अन्दर ही छोड़ दे.. यह मेरी पहली चुदाई है.. और वो भी मेरे भाई से.. मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. वैसे भी मेरी शादी होने वाली है.. कोई प्रोब्लम नहीं होगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं एक ज़ोर से पिचकारी मारता हुआ दीदी की चूत में झड़ गया। मेरा गर्म लावा दीदी की चूत से बह रहा था और मैं निढाल हो कर दीदी पर गिर गया।
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े रहे।
दीदी बोली- भाई अगर मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया.. तो वादा करो तुम ही मेरी प्यास को शान्त करोगे.. आज तो मैंने जन्नत की सैर की है.. बहुत मज़ा आया.. अब तुम ही मेरे पति हो.. जब जी चाहे तुम मुझे चोद सकते हो।
हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए।
आगे मैंने दीदी को खूब चोदा और आज भी चोदता हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 12,681
Threads: 0
Likes Received: 6,988 in 5,322 posts
Likes Given: 73,154
Joined: Feb 2022
Reputation:
91
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
दीदी ने अपनी शादी से पहले चूत चुदवाई
!!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(30-05-2022, 02:50 PM)neerathemall Wrote:
दीदी ने अपनी शादी से पहले चूत चुदवाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
|