14-06-2019, 05:19 PM
शुरुआत उन दिनों से करते हैं जब हम पर ये पहाड़ टूटने शुरू हुए थे। पिताजी का एक्सीडेंट में देहांत हो गया था । तब मैं अयान 8 साल का दूसरी क्लास का स्टूडेंट था। लव मैरिज होने के चलते मम्मी के घर वालों ने उनसे नाता तोड़ लिया था। तब मम्मी की उम्र बस 27 की थी। मेरे परिवार में सिर्फ मैं H, मेरी मम्मी और मेरे दादाजी थे। तब 55 वर्षीय दादाजी फौज से रिटायर्ड थे, और गांव में अपनी 15 बीघे की जमीन पर खेती बाड़ी किया करते थे। मुझे याद है, उनके और गाँव वालों के सहयोग से ही हमने उन मुश्किल दिनों का सामना किया।
हालांकि लोगों ने बहुत समझाया, पर मम्मी ने दूसरी शादी करने से मना कर दिया। 2 साल हम गाँव पर दादाजी के साथ ही रहे , फिर गाँव वालों की हिदायतों से तंग आकर मम्मी ने वापस शहर आकर एक बुटीक खोल लिया। बुटीक के साथ साथ मम्मी 10वी तक के बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ा के हमारा खर्च निकलने लगी। क्योंकि पापा से शादी के बाद उन्हओने पढ़ाई छोड़ दी थी, तो वो फिर से अच्छी नोकरी की तलाश में डिग्री पूरी करने लगी, जोकि गाव के मुकाबले शहर में ज्यादा आसान था। दादाजी ने भी इस decision में मम्मी का साथ दिया और हमे शहर में सेटल कर आए। वो गांव में ही खेती करके हमे सपोर्ट करने लगे।
शहर में हम गांव के ही एक आदमी के घर पर किराए पर रहने लगे। उसका नाम रमेश था जिसके पास शहर में कारपेन्टरी का बिज़नेस था। उसने भी गांव को छोड़ दिया था और अपनी बीबी और 20 साल के लड़के कमल के साथ अपना बिज़नेस देखता था।
आब बात करते हैं मेरी मम्मी की। मम्मी का नाम रश्मि है। मम्मी का रंग गोरा लंबाई करीब 5'5" है। भरा हुआ बदन, जिसे देखकर मर्दो की नजर घूम जाए। अगर आप उन्हें इमेजिन ही करना चाहते हैं तो सनी लियोनी की तरह देखिये, बस पेट पर थोड़े से बॉडी फैट के साथ। हालांकि चेहरे में उनके नशे से ज्यादा क्यूटनेस है,उनकी बड़ी आंखों की बदौलत। पापा से उलट मम्मी शहर के एक अमीर घर से थी जिनका टेक्सटाइल बिज़नेस था। उनका सपना था मॉडलिंग का, जोकि मेरे पिताजी से भागकर शादी करने और फिर उनके गुजरने के बाद सपना ही बना रह गया। हालांकि उन्होंने खुद को माँ बनने के बाद भी मेन्टेन करके रख हुआ है।
परिवार के दूसरे सदस्य हैं मेरे दादाजी अजयबहादुर। वो फौज से रिटायर्ड 6'3" के पहलवान समझिये। लगातार hardships झेलने की वजह से चाहे वो खेती हो या ड्यूटी, उनकी फिटनेस काफी अच्छी थी।
और में इस कहानी का narrator अयान।
तो ये घटना उस समय की है जब मैं 6वीं में था। कॉलेज से वापस आते वक्त मुझे मम्मी साथ लाती थी, क्योंकि उनका बुटीक कॉलेज से घर के रास्ते पर पड़ता था। उस दिन जोरो की बारिश हुई थी, और मम्मी को आने में देर हो गयी थी। मैं, बारिश में अकेला ही घर की तरफ निकल पड़ा। रास्ते पूरे खाली थे। क्योंकि मैंने अपना बैग पॉलीथीन में कस के बांध रखा था तो मुझे किताब कॉपी के भीगने का खतरा नही था। अपने बेस्ट फ्रेंड राजीव के साथ मैं छपछापते चला आ रहा था। राजीव 14 साल का लड़का था जो मेरा क्लासमेट था। उसकी मम्मी हमारी क्लास टीचर थी,जोकि मेरा पहला क्रश भी थी। हमेशा उनके लाल होंठ और कसी चुचियाँ मेरा ध्यान आकर्षित करते थे। हालांकि तब ठरक की बजाए बस सीधा सा आकर्षण ही था। आज पता नही क्यों वो नही आई थी, जिसका फायदा हम दोनों उठा के बारिश में। भीगते हुए आ रहे थे।
भीगते खेलते जब हम आगे बढ़े तब मुझे एक जाना पहचाना चेहरा दिखाई दिया। ये मेरी मम्मी का ही चेहरा था जोकि एक दुकान की शेड के नीचे खड़ी थी। दुकान रमेश अंकल की थी जिसपर वो कारपेन्टरी से बने समान बेचते थे। मम्मी को देख के मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने उन्हें दूर से ही बुलाया, पर वो शायद बहुत ध्यान से किसी से बात कर रही थी। वो कमल भैया थे। उन्होंने हाथ दिखा के कुर्सी की ओर इशारा किया और मम्मी थोड़ा अंदर जाकर वहीं कुर्सी पर बैठ कर फिर से उनसे कुछ बातें करने लगीं।
कुर्सी पर बैठ के उनकी पीठ अब मेरी और राजीव की तरफ हो गयी। भागते हुए जब हम उनके पास तक पहुँचे तभी अच्चानक से वो कुर्सी से उठी और तेज़ आवाज़ में कमल भैया से बोलीं
"पागल हो गए हो क्या? समझ क्या रखा है? जाके रमेश भाई से बोल दो परसो तक उन्हें पूरी पाई मिल जाएगी जब पापाजी(मेरे दादाजी) गांव से आएंगे।"
फिर एकाएक मुड़के वो वापस दुकान से बाहर उस तेज बारिश में जाने लगी तो हमसे भिड़ंत हो गयी। मेरी हाइट तो उतनी नही थी पर राजीव का मुँह सीधा मम्मी की भीगी छाती पर लगा , और वो धक्के से पीछे गिर पड़ा। मम्मी हमे देख के सकपका गयी। तुरंत हमे उठाया और डाँटना शुरू किया
" तुम रुक नही सकते थे अयान, अभी बीमार पड़ जाओगे तो पड़े रहना, नही कराउंगी तुहारा इलाज। और तुम राजीव, तुम्हारी मम्मी ने तुमको नही मना किया? साथ में उनके क्यों नही आये?"
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हालांकि लोगों ने बहुत समझाया, पर मम्मी ने दूसरी शादी करने से मना कर दिया। 2 साल हम गाँव पर दादाजी के साथ ही रहे , फिर गाँव वालों की हिदायतों से तंग आकर मम्मी ने वापस शहर आकर एक बुटीक खोल लिया। बुटीक के साथ साथ मम्मी 10वी तक के बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ा के हमारा खर्च निकलने लगी। क्योंकि पापा से शादी के बाद उन्हओने पढ़ाई छोड़ दी थी, तो वो फिर से अच्छी नोकरी की तलाश में डिग्री पूरी करने लगी, जोकि गाव के मुकाबले शहर में ज्यादा आसान था। दादाजी ने भी इस decision में मम्मी का साथ दिया और हमे शहर में सेटल कर आए। वो गांव में ही खेती करके हमे सपोर्ट करने लगे।
शहर में हम गांव के ही एक आदमी के घर पर किराए पर रहने लगे। उसका नाम रमेश था जिसके पास शहर में कारपेन्टरी का बिज़नेस था। उसने भी गांव को छोड़ दिया था और अपनी बीबी और 20 साल के लड़के कमल के साथ अपना बिज़नेस देखता था।
आब बात करते हैं मेरी मम्मी की। मम्मी का नाम रश्मि है। मम्मी का रंग गोरा लंबाई करीब 5'5" है। भरा हुआ बदन, जिसे देखकर मर्दो की नजर घूम जाए। अगर आप उन्हें इमेजिन ही करना चाहते हैं तो सनी लियोनी की तरह देखिये, बस पेट पर थोड़े से बॉडी फैट के साथ। हालांकि चेहरे में उनके नशे से ज्यादा क्यूटनेस है,उनकी बड़ी आंखों की बदौलत। पापा से उलट मम्मी शहर के एक अमीर घर से थी जिनका टेक्सटाइल बिज़नेस था। उनका सपना था मॉडलिंग का, जोकि मेरे पिताजी से भागकर शादी करने और फिर उनके गुजरने के बाद सपना ही बना रह गया। हालांकि उन्होंने खुद को माँ बनने के बाद भी मेन्टेन करके रख हुआ है।
परिवार के दूसरे सदस्य हैं मेरे दादाजी अजयबहादुर। वो फौज से रिटायर्ड 6'3" के पहलवान समझिये। लगातार hardships झेलने की वजह से चाहे वो खेती हो या ड्यूटी, उनकी फिटनेस काफी अच्छी थी।
और में इस कहानी का narrator अयान।
तो ये घटना उस समय की है जब मैं 6वीं में था। कॉलेज से वापस आते वक्त मुझे मम्मी साथ लाती थी, क्योंकि उनका बुटीक कॉलेज से घर के रास्ते पर पड़ता था। उस दिन जोरो की बारिश हुई थी, और मम्मी को आने में देर हो गयी थी। मैं, बारिश में अकेला ही घर की तरफ निकल पड़ा। रास्ते पूरे खाली थे। क्योंकि मैंने अपना बैग पॉलीथीन में कस के बांध रखा था तो मुझे किताब कॉपी के भीगने का खतरा नही था। अपने बेस्ट फ्रेंड राजीव के साथ मैं छपछापते चला आ रहा था। राजीव 14 साल का लड़का था जो मेरा क्लासमेट था। उसकी मम्मी हमारी क्लास टीचर थी,जोकि मेरा पहला क्रश भी थी। हमेशा उनके लाल होंठ और कसी चुचियाँ मेरा ध्यान आकर्षित करते थे। हालांकि तब ठरक की बजाए बस सीधा सा आकर्षण ही था। आज पता नही क्यों वो नही आई थी, जिसका फायदा हम दोनों उठा के बारिश में। भीगते हुए आ रहे थे।
भीगते खेलते जब हम आगे बढ़े तब मुझे एक जाना पहचाना चेहरा दिखाई दिया। ये मेरी मम्मी का ही चेहरा था जोकि एक दुकान की शेड के नीचे खड़ी थी। दुकान रमेश अंकल की थी जिसपर वो कारपेन्टरी से बने समान बेचते थे। मम्मी को देख के मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने उन्हें दूर से ही बुलाया, पर वो शायद बहुत ध्यान से किसी से बात कर रही थी। वो कमल भैया थे। उन्होंने हाथ दिखा के कुर्सी की ओर इशारा किया और मम्मी थोड़ा अंदर जाकर वहीं कुर्सी पर बैठ कर फिर से उनसे कुछ बातें करने लगीं।
कुर्सी पर बैठ के उनकी पीठ अब मेरी और राजीव की तरफ हो गयी। भागते हुए जब हम उनके पास तक पहुँचे तभी अच्चानक से वो कुर्सी से उठी और तेज़ आवाज़ में कमल भैया से बोलीं
"पागल हो गए हो क्या? समझ क्या रखा है? जाके रमेश भाई से बोल दो परसो तक उन्हें पूरी पाई मिल जाएगी जब पापाजी(मेरे दादाजी) गांव से आएंगे।"
फिर एकाएक मुड़के वो वापस दुकान से बाहर उस तेज बारिश में जाने लगी तो हमसे भिड़ंत हो गयी। मेरी हाइट तो उतनी नही थी पर राजीव का मुँह सीधा मम्मी की भीगी छाती पर लगा , और वो धक्के से पीछे गिर पड़ा। मम्मी हमे देख के सकपका गयी। तुरंत हमे उठाया और डाँटना शुरू किया
" तुम रुक नही सकते थे अयान, अभी बीमार पड़ जाओगे तो पड़े रहना, नही कराउंगी तुहारा इलाज। और तुम राजीव, तुम्हारी मम्मी ने तुमको नही मना किया? साथ में उनके क्यों नही आये?"
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