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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#81
दीदी, अब तो शायद झरने वाला हूँ बोलो कहाँ निकालूं?”

“ मेर चूत को भर दे मेरे राजा. अपना सारा रस उंड़ेल दे मेरी प्यासी चूत में.”

विकी के धक्के तेज़ होने लगे. मैं समझ गयी कि वो सुचमुच झड़ने वाला है. इतने में विकी ज़ोर से चीखा और उसका सारा बदन काँप उठा. मुझे अपनी चूत में बहुत तेज़ पिचकारी की धार के समान गरम गरम वीर्य भरने का एहसास होने लगा. विकी ने चार पाँच पिचकारी मेरी चूत में मार के लंड बाहर खींचा और गांद में जड़ तक घुसेड दिया. गांद में भी गरम वीर्य का एहसास होने लगा. मैं तो मानो नशे में थी. मेरी चूत और गांद विकी के वीर्य से लबालूब भर गये थे. चार पाँच पिचकारी गांद में मारने के बाद विकी ने लंड मेरे मुँह में पेल दिया. बाप रे! कितना वीर्य है इसके बॉल्स में? ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरा मुँह भी विकी के वीर्य से भर गया. मैं और ना सह सकी और फिर से होश खो बैठी. 15-20 मिनिट के बाद होश आया. मैं तो मानो विकी के वीर्य मैं नहाई हुई थी. मेरी चूत में से वीर्य निकल रहा था. मेरी गांद में से वीर्य निकल रहा था, और मेरे मुँह से भी वीर्य निकल रहा था. ये वीर्य शायद काफ़ी देर से निकल रहा था क्योंकि चादर विकी के वीर्य और मेरी चूत के रूस के मिश्रण से गीली हो चुकी थी.

विकी ने टवल से मेरी गांद से निकालते हुए वीर्य को सॉफ किया और फिर मुझे चित लिटा के मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत और झाँटें भी सॉफ करने लगा. उसका लंड सिकुड चुक्का था लेकिन सिकुड़ी हुई हालत में भी 8 इंच लंबा था और उसकी टाँगों के बीच किसी मंदिर के घंटे की तरह झूल रहा था. सुबह के सात बज चुके थे. मेरा एक एक अंग दर्द कर रहा था. सबसे ज़्यादा दर्द तो मेरी गांद में हो रहा था. चूत भी बुरी तरह सूज गयी थी और ऐसा दर्द हो रहा था जैसा सुहाग रात को मेरी कुँवारी चूत की चुदाई के बाद हुआ था. पूरा बदन टूट सा रहा था. मैं विकी के होंठों को चूमते हुए बोली,“ हो गयी तेरी ख्वाहिश पूरी? तू खुश तो है ना? लेकिन मेरे राजा अपनी सग़ी बेहन को चोदना पाप है . आज के बाद इस बारे में कभी सोचना भी मत. भूल जा की तूने दीदी को कभी चोदा भी है.”

“ जी दीदी. मैं पूरी कोशिश करूँगा. आज के बाद मैं आपको एक भाई की तरह ही प्यार करूँगा.”

“ वेरी गुड ! जा अब नहा ले. मैं भी इस कमरे को सॉफ करके नहा लूँगी.” विकी अपने कमरे में चला गया. मैं भी उठी लेकिन गिरते गिरते बची. चूत इतनी सूज गयी थी की मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. गांद में भी बहुत दर्द हो रहा था. किसी तरह से कमरे की सफाई की और फिर नहा धो के खुद भी सॉफ हुई. हालाँकि दर्द बहुत हो रहा था लेकिन जो आनंद विकी ने दिया वो ना तो मेरे पति ने और ना ही मेरे देवर ने दिया था.

अगले दिन पापा और मम्मी वापस आ गये. मैं जब अगले दिन सो के उठी तो मेरा और भी बुरा हाल था. चूत और भी ज़्यादा सूज गयी थी और गांद का दर्द भी ठीक नहीं हुआ था. डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी था. अगले दिन मैं एक लेडी डॉक्टर के पास गयी. लेडी डॉक्टर को देखते ही मेरे होश उड़ गये. वो मेरे कॉलेज की दोस्त वीना निकली. वो भी मुझे देखते ही पहचान गयी और खूब गले मिली,

“ अरे कंचन तू! तू यहाँ कैसे. कितने दिनों बाद मिल रही है.”

“ हां वीना, कॉलेज के बाद अब मिल रहे हैं. कैसी है तू?” वीना भी मेरी अच्छी दोस्त थी. पढ़ाई में अच्छी थी, इसलिए आज डॉक्टर बन गयी थी. हम दोनो बचपन की खूब बातें करते रहे.

“ कंचन मुझे अच्छी तरह याद है तू कॉलेज की सुबसे सेक्सी लड़की थी.”

“ हट ! तू कौन सी कम थी?”

“ भाई जीजाजी को क्यों नहीं साथ लाई?”

“ वो तो मुझे छोड़ने आए थे. चले गये. मेरी मा की तबीयत थोड़ी खराब थी.”

“ अच्छा बता डॉक्टर के पास कैसे आना हुआ?” अब मैं सकपका गयी. हड़बड़ा के बोली

“ नहीं वैसे ही, कोई ख़ास बात नहीं है. फिर कभी दिखा लूँगी.”

“ अरे कंचन तू पागल है क्या. तेरी दोस्त डॉक्टर है और तू मुझे कुच्छ बताना नहीं चाहती.”

“ नहीं कुच्छ ख़ास नहीं.”

“ अब तू ये ही कहती रहेगी या कुच्छ बताएगी भी. डॉक्टर से क्या च्छुपाना.” मैं साहस जुटा के बोली,

“ देख वीना मेरे टाँगों के बीच की जगह में दर्द हो रहा है.”

“ ओ ! तो तू इसलिए इतना शर्मा रही है! चल उतार अपनी सलवार. देखें क्या प्राब्लम है.”

“ मैने तो आज तक किसी के सामने सलवार नहीं उतारी.” मैं शरमाते हुए बोली.

“ अच्छा ! जीजाजी के सामने भी नहीं?”

“ ओह हो! वो तो दूसरी बात है.”

“ जब एक मरद के सामने सलवार उतार सकती है तो औरत के सामने उतारने में कैसी शर्म? वो भी एक डॉक्टर के सामने.” वीना ने मेरी सलवार का नारा खींच दिया.

“ चल अब बिस्तेर पे लेट जा, और पॅंटी भी उतार दे.” मैं बिस्तेर पे लेट गयी लेकिन पॅंटी नहीं उतारी. वीना ने ही मेरी पॅंटी भी उतार दी. मैने टाँगें ज़ोर के चूत को छुपा रखा था.

“ कंचन, चल टाँगें फैला. देखें क्या प्राब्लम है.” मैने शरम से आँखें बंद कर लीं और टाँगें फैला दी.

“ बाप रे ! कंचन, इतना जंगल क्यों उगा रखा है?” वीना ने मेरी झाँटें हटा के चूत को देखने लगी, “ हाई राम ! ये क्या ? तेरी चूत तो बहुत ज़्यादा सूज गयी है. और भी कहीं दर्द है?”

“ हां पीछे भी दर्द हो रहा है.” मैं हिचकिचाते हुए बोली. वीना ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतरो को दोनो हाथों से फैला के मेरे गांद के छेद को देखने लगी.

“ हे भगवान ! कंचन तू क्या कर रही थी ? ये तो फॅट गयी है.” मैं तो मारे शरम के लाल हो गयी. “ और भी कहीं दर्द है?”

“ हां पूरे बदन में ही दर्द हो रहा है.”

“ हूँ! चल कपड़े पहन ले, फिर बात करते हैं.” मैने अपनी पॅंटी और सलवार पहन ली. वीना बोली

“ देख मैने ऐसे केसस पहले भी देखे हैं. लेकिन वो सब ऐसी लड़कियो के थे जिनकी नयी शादी हुई थी और वो सुहाग रात के बाद या हनिमून के बाद मेरे पास आई थी. आमतौर पे लड़कियाँ छ्होटे कद की थी और उनकी शादी लंबे तगड़े मर्द से हो गयी. सुहाग रात को कुँवारी चूत को चोदना हर मर्द को नहीं आता. ऐसे में अगर मरद का लंड मोटा और बड़ा हो और लड़की की चूत छोटी हो तो उसकी ये हालत हो जाती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#82
दीदी, अब तो शायद झरने वाला हूँ बोलो कहाँ निकालूं?”

“ मेर चूत को भर दे मेरे राजा. अपना सारा रस उंड़ेल दे मेरी प्यासी चूत में.”

विकी के धक्के तेज़ होने लगे. मैं समझ गयी कि वो सुचमुच झड़ने वाला है. इतने में विकी ज़ोर से चीखा और उसका सारा बदन काँप उठा. मुझे अपनी चूत में बहुत तेज़ पिचकारी की धार के समान गरम गरम वीर्य भरने का एहसास होने लगा. विकी ने चार पाँच पिचकारी मेरी चूत में मार के लंड बाहर खींचा और गांद में जड़ तक घुसेड दिया. गांद में भी गरम वीर्य का एहसास होने लगा. मैं तो मानो नशे में थी. मेरी चूत और गांद विकी के वीर्य से लबालूब भर गये थे. चार पाँच पिचकारी गांद में मारने के बाद विकी ने लंड मेरे मुँह में पेल दिया. बाप रे! कितना वीर्य है इसके बॉल्स में? ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरा मुँह भी विकी के वीर्य से भर गया. मैं और ना सह सकी और फिर से होश खो बैठी. 15-20 मिनिट के बाद होश आया. मैं तो मानो विकी के वीर्य मैं नहाई हुई थी. मेरी चूत में से वीर्य निकल रहा था. मेरी गांद में से वीर्य निकल रहा था, और मेरे मुँह से भी वीर्य निकल रहा था. ये वीर्य शायद काफ़ी देर से निकल रहा था क्योंकि चादर विकी के वीर्य और मेरी चूत के रूस के मिश्रण से गीली हो चुकी थी.

विकी ने टवल से मेरी गांद से निकालते हुए वीर्य को सॉफ किया और फिर मुझे चित लिटा के मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत और झाँटें भी सॉफ करने लगा. उसका लंड सिकुड चुक्का था लेकिन सिकुड़ी हुई हालत में भी 8 इंच लंबा था और उसकी टाँगों के बीच किसी मंदिर के घंटे की तरह झूल रहा था. सुबह के सात बज चुके थे. मेरा एक एक अंग दर्द कर रहा था. सबसे ज़्यादा दर्द तो मेरी गांद में हो रहा था. चूत भी बुरी तरह सूज गयी थी और ऐसा दर्द हो रहा था जैसा सुहाग रात को मेरी कुँवारी चूत की चुदाई के बाद हुआ था. पूरा बदन टूट सा रहा था. मैं विकी के होंठों को चूमते हुए बोली,“ हो गयी तेरी ख्वाहिश पूरी? तू खुश तो है ना? लेकिन मेरे राजा अपनी सग़ी बेहन को चोदना पाप है . आज के बाद इस बारे में कभी सोचना भी मत. भूल जा की तूने दीदी को कभी चोदा भी है.”

“ जी दीदी. मैं पूरी कोशिश करूँगा. आज के बाद मैं आपको एक भाई की तरह ही प्यार करूँगा.”

“ वेरी गुड ! जा अब नहा ले. मैं भी इस कमरे को सॉफ करके नहा लूँगी.” विकी अपने कमरे में चला गया. मैं भी उठी लेकिन गिरते गिरते बची. चूत इतनी सूज गयी थी की मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. गांद में भी बहुत दर्द हो रहा था. किसी तरह से कमरे की सफाई की और फिर नहा धो के खुद भी सॉफ हुई. हालाँकि दर्द बहुत हो रहा था लेकिन जो आनंद विकी ने दिया वो ना तो मेरे पति ने और ना ही मेरे देवर ने दिया था.

अगले दिन पापा और मम्मी वापस आ गये. मैं जब अगले दिन सो के उठी तो मेरा और भी बुरा हाल था. चूत और भी ज़्यादा सूज गयी थी और गांद का दर्द भी ठीक नहीं हुआ था
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#86
(10-12-2023, 06:53 PM)neerathemall Wrote: .















































……..
अगले दिन पापा और मम्मी वापस आ गये. मैं जब अगले दिन सो के उठी तो मेरा और भी बुरा हाल था. चूत और भी ज़्यादा सूज गयी थी और गांद का दर्द भी ठीक नहीं हुआ था. डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी था. अगले दिन मैं एक लेडी डॉक्टर के पास गयी. लेडी डॉक्टर को देखते ही मेरे होश उड़ गये. वो मेरे कॉलेज की दोस्त वीना निकली. वो भी मुझे देखते ही पहचान गयी और खूब गले मिली,
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#87
मिली,

“ अरे कंचन तू! तू यहाँ कैसे. कितने दिनों बाद मिल रही है.”

“ हां वीना, कॉलेज के बाद अब मिल रहे हैं. कैसी है तू?” वीना भी मेरी अच्छी दोस्त थी. पढ़ाई में अच्छी थी, इसलिए आज डॉक्टर बन गयी थी. हम दोनो बचपन की खूब बातें करते रहे.

“ कंचन मुझे अच्छी तरह याद है तू कॉलेज की सुबसे सेक्सी लड़की थी.”

“ हट ! तू कौन सी कम थी?”

“ भाई जीजाजी को क्यों नहीं साथ लाई?”

“ वो तो मुझे छोड़ने आए थे. चले गये. मेरी मा की तबीयत थोड़ी खराब थी.”

“ अच्छा बता डॉक्टर के पास कैसे आना हुआ?” अब मैं सकपका गयी. हड़बड़ा के बोली

“ नहीं वैसे ही, कोई ख़ास बात नहीं है. फिर कभी दिखा लूँगी.”

“ अरे कंचन तू पागल है क्या. तेरी दोस्त डॉक्टर है और तू मुझे कुच्छ बताना नहीं चाहती.”

“ नहीं कुच्छ ख़ास नहीं.”

“ अब तू ये ही कहती रहेगी या कुच्छ बताएगी भी. डॉक्टर से क्या च्छुपाना.” मैं साहस जुटा के बोली,

“ देख वीना मेरे टाँगों के बीच की जगह में दर्द हो रहा है.”

“ ओ ! तो तू इसलिए इतना शर्मा रही है! चल उतार अपनी सलवार. देखें क्या प्राब्लम है.”

“ मैने तो आज तक किसी के सामने सलवार नहीं उतारी.” मैं शरमाते हुए बोली.

“ अच्छा ! जीजाजी के सामने भी नहीं?”

“ ओह हो! वो तो दूसरी बात है.”

“ जब एक मरद के सामने सलवार उतार सकती है तो औरत के सामने उतारने में कैसी शर्म? वो भी एक डॉक्टर के सामने.” वीना ने मेरी सलवार का नारा खींच दिया.

“ चल अब बिस्तेर पे लेट जा, और पॅंटी भी उतार दे.” मैं बिस्तेर पे लेट गयी लेकिन पॅंटी नहीं उतारी. वीना ने ही मेरी पॅंटी भी उतार दी. मैने टाँगें ज़ोर के चूत को छुपा रखा था.

“ कंचन, चल टाँगें फैला. देखें क्या प्राब्लम है.” मैने शरम से आँखें बंद कर लीं और टाँगें फैला दी.

“ बाप रे ! कंचन, इतना जंगल क्यों उगा रखा है?” वीना ने मेरी झाँटें हटा के चूत को देखने लगी, “ हाई राम ! ये क्या ? तेरी चूत तो बहुत ज़्यादा सूज गयी है. और भी कहीं दर्द है?”

“ हां पीछे भी दर्द हो रहा है.” मैं हिचकिचाते हुए बोली. वीना ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे चूतरो को दोनो हाथों से फैला के मेरे गांद के छेद को देखने लगी.

“ हे भगवान ! कंचन तू क्या कर रही थी ? ये तो फॅट गयी है.” मैं तो मारे शरम के लाल हो गयी. “ और भी कहीं दर्द है?”

“ हां पूरे बदन में ही दर्द हो रहा है.”

“ हूँ! चल कपड़े पहन ले, फिर बात करते हैं.” मैने अपनी पॅंटी और सलवार पहन ली. वीना बोली

“ देख मैने ऐसे केसस पहले भी देखे हैं. लेकिन वो सब ऐसी लड़कियो के थे जिनकी नयी शादी हुई थी और वो सुहाग रात के बाद या हनिमून के बाद मेरे पास आई थी. आमतौर पे लड़कियाँ छ्होटे कद की थी और उनकी शादी लंबे तगड़े मर्द से हो गयी. सुहाग रात को कुँवारी चूत को चोदना हर मर्द को नहीं आता. ऐसे में अगर मरद का लंड मोटा और बड़ा हो और लड़की की चूत छोटी हो तो उसकी ये हालत हो जाती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#88
एक बार एक केस ऐसा भी आया था जब दस आदमियो ने मिल के एक औरत के साथ बलात्कार किया. उस औरत की चूत की भी ऐसी ही हालत थी जैसी तेरी चूत की है. लेकिन तेरी तो गांद की भी बहुत खराब हालत है. फॅट गयी है. देख कंचन मुझे मालूम है मरद लोगों को औरत की गांद मारने का बहुत शौक होता है. मेरे पति को भी है. अगर मैं उनसे कहूँ कि आज आपको या तो सिर्फ़ चूत दूँगी या सिर्फ़ गांद, एक चीज़ ले लीजिए तो वो तो मेरी गांद ही लेंगे. लेकिन जो हालत तेरी गांद की है वो हालत तो कोई मूसल या घोड़े का लंड ही कर सकता है. अब मुझे सच सच बता तेरे साथ बलात्कार तो नहीं हुआ.”

“ नहीं वीना तू कैसी बातें कर रही है? अरे भाई शादी शुदा हूँ और मेरे पति का ख़ासा मोटा और बड़ा है.”

“ ओ ! तो तेरी ये हालत जीजाजी ने की है?”

“ तो और कौन करेगा?”“

क्यों झूट बोल रही है. सच सच बता किसने चोदा है तुझे ?”

“ मैं क्यों झूट बोलूँगी ? मेरे पति का बहुत बड़ा है. उन्होने ही ये सब किया है.”

“ देख कंचन तू बिल्कुल झूट बोल रही है. पहली बात तेरी शादी को दो साल से ज़्यादा हो चुके हैं. तू कुँवारी तो है नहीं. जीजाजी का कितना भी मोटा और बड़ा क्यों ना हो अगर वो तुझे दो साल से चोद रहे हैं तो आज अचानक तेरी चूत की ऐसी हालत कैसे हो गयी ? ऐसी हालत तो उस कुँवारी चूत की होती है जिसे मोटे तगड़े लंड से बहुत बेरहमी से चोदा गया हो. और फिर क्या जीजाजी ने तेरी गांद दो साल में कल रात पहली बार ली ? दूसरी बात, जीजाजी तो तुझे छोड़ के वापस चले गये थे ना ?” मेरी चोरी पकरी गयी और मैं शर्म से एकदम लाल हो गयी.

“ तेरा चेहरा बता रहा है कि तुझे किसी गैर मरद ने चोदा है. वो भी किसी ऐसे मरद ने जिसका लंड वाकाई घोड़े के लंड जैसा होगा. बोल मैं ठीक कह रही हूँ ना ? सच सच बता. मैं तेरी दोस्त हूँ किसी से कहूँगी नहीं.” मेरे पास कोई चारा नहीं बचा. लेकिन फिर भी मैं ये तो कभी नहीं बता सकती थी कि मेरे सगे भाई ने ही मुझे चोदा है. मैं धीमी आवाज़ में बोली.

“ हां वीना मुझसे ग़लती हो गयी . मैने एक गैर मरद से……….”

“ क्यों जीजाजी तुझे संतुष्ट नहीं कर पाते ?”

“ नहीं वीना ऐसी बात नहीं है. लेकिन मैने जब उस आदमी का देखा तो अपने पर कंट्रोल ना कर सकी.”

“ क्यों बहुत बड़ा था.?”

“ बड़ा ? बिल्कुल घोड़े के लंड जैसा ! मैने कभी पिक्चर या फोटो में भी इतना बड़ा लंड नहीं देखा. पूरा एक फुट लंबा लंड है उसका.”

“ बाप रे! मेरे पास एक दो पेशेंट्स आए थे जिनके पति का 9 इंच का था. सिर्फ़ एक पेशेंट आई थी जो कहती थी कि उसके पति का लंड 10 इंच लंबा है. लेकिन एक फुट लंबा लंड !”

“ सच वीना सिकुड़ी हुई हालत में ही 8 इंच का होता है. ऐसे लंड को देख कर तो अच्छी से अच्छी पति व्रता औरत का मन भी डोल जाए. जब पहली बार उसकी टाँगों के बीच में एक मोटे नाग के समान झूलता हुआ देखा तभी मेरा मन डोल गया था. लेकिन खड़ा होके बिजली का खंबा बन जाएगा इसका बिल्कुल अंदाज़ नहीं था. चुदवाने से पहले जब उसका लंड देखा तो मैं काँप गयी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. बेशरम ने पूरी रात बड़ी बेरहमी से चोदा और गांद भी मारी. तू ही सोच, एक फुट लंबा लंड अच्छों अच्छों की चूत फाड़ दे. उसने तो पूरा एक फुट का लंड मेरी गांद में पेल दिया. मैं तो दो बार बेहोश भी हो गयी थी.. अब मुझे बहुत बुरा लग रहा है. पति को क्या मुँह दिखाउंगी.”

मैने अपनी सफाई पेश करते हुए वीना को आधा सच बता दिया. वीना मेरी कहानी सुन के कुच्छ उत्तेजित लग रही थी. वो बोली,

“ कुँचन बुरा मत मान. ग़लती तो हर इंसान से हो जाती है. विश्वामित्रा जैसे सन्यासी का मन अगर एक अप्सरा को देख के डोल सकता है तो तू तो एक साधारण औरत है. फिर ऐसे लंबे ,मोटे लंड को देख कर किस औरत का मन नहीं डोलेगा? मैं तेरी जगह होती तो शायद यही ग़लती मैं भी कर बैठती.” वीना की बात सुन के मुझे चैन आया. मैने पूचछा,

“ वीना तेरे पति कैसे हैं मैं आज तक मिली नहीं.”

“ मिलवा दूँगी. उनको देख कर तेरा मन नहीं डोलेगा क्योकि उनका लंड तो 6 इंच का है.” ये कह कर वो ज़ोर से हसणे लगी. मुझे लगा कि वीना के मन में भी एक लंबे मोटे लंड की चाह है. हर औरत के मन में होती है.

“ वीना सच बता तूने भी कभी किसी गैर मरद से चुडवाया है ?”

“ अरे भाई हमारा ऐसा नसीब कहाँ. हां अगर तू इस मरद से मिलवा दे तो सोच सकती हूँ” वीना हंसते हुए बोली.

“ धुत ! अच्छा वीना अब इसका इलाज तो बता.”

“ देख कंचन इस आदमी से अब एक हफ्ते तक तो बिल्कुल मत चुदवाना, नहीं तो तेरी चूत और गांद इलाज के लायक नहीं रह जाएगी. अपना ये जंगल भी सॉफ कर ले क्योंकि मैं तुझे एक दवाई दे रही हूँ जो रोज़ चूत के चारों ओर लगानी है. ये ही दवाई गांद के चारों ओर भी लगानी है. चूत और गांद को सेकने की भी ज़रूरत है. एक हफ्ते के बाद फिर से दिखा देना. मैं तुझे एक जेल्ली भी देती हूँ. जब भी गांद देनी हो तो अपनी गांद में और लंड पे अच्छी तरह लगा लेना. ये जेल्ली वॅसलीन से ज़्यादा चिकनी है. इतनी चिकनी की लंड एक ही धक्के में पूरा गांद में उतर जाए. इसलिए जीजाजी को बोलना ज़रा धीरे धीरे डालें. और हां इस आदमी को अब गांद मत देना. नहीं तो कुच्छ दिनों में तेरी गांद इतनी चौड़ी हो जाएगी की जीजाजी को पता लग जाएगा कि तू किसी औरको भी गांद दे रही है.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#89
दवाई ले कर मैं घर चली गयी. वीना को क्या बताती कि अब तो मेरी चूत और गांद पे विकी के लंड का ही नाम लिखा है. मेरी चूत या गांद कितनी भी चौड़ी क्यों ना हो जाए अब तो विकी के लंड के बिना जीना नामुमकिन था. लेकिन एक हफ्ते का टाइम निकालना ज़रूरी था. एक हफ्ते से पहले मेरी चूत और गांद की हालत ठीक नहीं होने वाली थी. घर पहुँची तो विकी मेरा इंतज़ार कर रहा था. देखते ही बोला,

“ कहाँ गयी थी दीदी ? मैं तो बहुत देर से आपका इंतज़ार कर रहा हूँ. मैं तो समझा आप नाराज़ हो के कहीं अपने घर तो नहीं चली गयी.”

“ तुझसे नाराज़ क्यों होंगी? तूने जो कुच्छ किया मेरी मर्ज़ी से किया. मैं तो डॉक्टर के पास गयी थी.”

‘ क्या हुआ दीदी?” विकी ने घबरा के पूचछा.

“देख विकी तेरा बहुत बड़ा है. मेरे आगे और पीछे बहुत दर्द हो रहा था.”

“ तो डॉक्टर ने क्या कहा?”

“ आगे से तो बहुत सूज गयी है, और पीछे का छेद फॅट गया है.”

“ सॉरी दीदी मैने जान के कुच्छ नहीं किया.”
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#91
जानती हूँ, तेरा है ही इतना बड़ा. तेरा कोई दोष नहीं.”

“ डॉक्टर ने क्या इलाज बताया?”

“ पहले तो बाल साफ करने को कहा. आगे और पीछे लगाने के लिए दवाई दी है और सेक भी करना है एक हफ्ते तक. पता नहीं बाल कैसे साफ कर पाउन्गि?”

“ दीदी आप बुरा ना मानो तो मैं आपके बाल साआफ कर दूँगा.”

“ हट पागल ! तूने जो कुच्छ करना था कर लिया.”

“ दीदी विश्वास करिए. मैं आपको एक भाई की तरह देखूँगा.”

“ अच्छा ! भाई भी अपनी बेहन की चूत के बाल सॉफ करते हैं?” मैने आख़िर चूत जैसा शब्द इस्तेमाल कर ही लिया. इस तरह का शब्द मैने विकी से चुदाई के बाद से अभी तक इस्तेमाल नहीं किया था. चुड़वाते वक़्त ऐसे शब्द बोलना और बात थी.

“ तो क्या हो गया दीदी? बेहन की तकलीफ़ में भाई काम ना आए तो भाई कैसा? और मैं आपको धोका नहीं दूँगा. वैसे भी आप अपने आप कैसे बाल साफ करोगी?”

“ तू ठीक कह रहा है. ठीक है तू ही साफ कर देना. लेकिन ध्यान रहे कोई शरारत नहीं.”

“ प्रॉमिस दीदी बिल्कुल नहीं.”

“ ठीक है आज रात को मेरे कमरे में आ जाना. साथ में अपना शेविंग का समान भी ले आना.”

रात में जब मम्मी, पापा अपने कमरे में चले गये तो विकी शेविंग का सामान ले के मेरे कमरे में आया. मैं भी नहा धो कर विकी के आने का इंतज़ार कर रही थी. मैने वोही छ्होटा सा नाइट गाउन पहन रखा था. अंडर से सिर्फ़ पॅंटी पहनी हुई थी.

“ चलो दीदी अपना गाउन उतार दो और बिस्तेर पे बैठ जाओ.”

“ अच्छा! गाउन क्यों उतारू? तूने जिस जगह पे काम करना है वो जगह तुझे मिल जाएगी.”

“ अच्छा बाबा अब बैठ जाओ.” मैं बिस्तेर पे बैठ गयी.

“ अब टाँगें तो खोलो शेव कैसे करूँगा?” मैने धीरे धीरे टाँगें फैला के चौड़ी कर दी. गाउन सामने से खुल गया. मेरी छ्होटी सी पॅंटी ने मेरी सूजी हुई चूत को बड़ी मुश्किल से धक रखा था. झाँटें तो पूरी बाहर ही निकली हुई थी.
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#92
ओफ दीदी आपने तो पॅंटी भी नहीं उतारी. वैसे भी बड़ी मुश्किल से आपकी जायदाद को ढक पाती है.” ये कह के उसने मुझे खड़ा कर दिया और पॅंटी नीचे सरकाने लगा. मेरी पॅंटी हमेशा की तरह मेरे विशाल चूतरो से सिमट के उनके बीच की दरार में फँसी हुई थी. विकी ने खीच के चूतरो के बीच फँसी पॅंटी को निकाला.

“ दीदी आपकी पॅंटी हमेशा ही आपके नितंबो के बीच में फँसी होती है.”

“ अरे तो इसमे मेरा क्या कसूर ?”“

हां दीदी आपका कोई कसूर नहीं. कसूर तो इन मोटे मोटे नितंबों का है. बेचारी पॅंटी क्या करे? पिस जाती होगी इन भारी नितंबों के बीच में.” विकी ने मेरी पॅंटी उतार दी और अपने नाक पे लगाके सूंघने और चूमने लगा.

“ऊफ़ क्या मादक खुश्बू है! सच दीदी आपकी पॅंटी कितनी लकी है. अब अपना गाउन भी उतार दो नहीं तो शेव करते हुए खराब हो जाएगा.” ये कह कर विकी ने मेरा गाउन भी उतार दिया. अब तो मैं बिल्कुल नंगी थी. अपने भाई के सामने इस तरह नंगी खड़े हुए मुझे शरम आ रही थी. वासना के नशे में नंगी होना और होशो हवास में नंगी होने में बहुत फ़र्क़ है. अपनी जांघों के बीच में अपनी चूत को च्छुपाने की कोशिश करने लगी. विकी ने मुझे बिस्तेर पे बैठा दिया और टाँगों को चौड़ा कर दिया. मेरी झांतों से भरी चूत विकी के सामने थी. विकी का चेहरा लाल हो गया. उसका लॉडा हरकत करने लगा जिसे वो च्छुपाने की कोशिश करने लगा. विकी मेरी टाँगों के बीच में बैठ गया.

“ बाप रे दीदी ! ये तो पूरा जंगल है.” ये कह कर विकी मेरी झांतों में हाथ फेरने लगा. मेरी चूत धीरे धीरे गीली होने लगी.

“ विकी तू ये सब क्या कर रहा है. अपना काम कर.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#93
विकी ने पहले कैंची से मेरी झांतों को काटना शुरू किया. जब झाँटें इतनी छ्होटी हो गयी की अब कैंची से काटना मुश्किल हो गया तब विकी ने शेविंग क्रीम निकाला. झाँटें काटने से मेरी पूरी चूत की बनावट नज़र आनी शुरू हो गयी थी. मुझे भी अपनी चूत की बनावट देखे 12 साल हो गये थे. विकी ने खूब सारा शेविंग क्रीम मेरी चूत के चारों ओर लगाया और फिर रेज़र से बाल साफ करने लगा. जैसे जैसे बाल साफ होते जा रहे थे मेरी गोरी चिकनी स्किन उभरती जा रही थी. विकी ने बड़े प्यार से शेव कर रहा था. थोड़ी देर में बोला,

“ दीदी अब लेट जाओ और पैर ऊपर की ओर मोड़ के फैला दो.” मैं लेट गयी और टाँगें मोड़ के छाती से लगा दी. बिल्कुल चुदवाने की मुद्रा थी. विकी ने उस जगह भी शेविंग क्रीम लगाया जहाँ वो मेरे बैठे होने के कारण नहीं लगा सका था. बाल तो मेरी गांद तक थे. विकी ने अच्छी तरह शेविंग क्रीम लगा के रेज़र से बाल सॉफ कर दिए. पूरी चूत शेव करने के बाद उसने गरम पानी से चूत को साफ किया. फिर बोला “ दीदी देखो अब ठीक है?” मैने टाँगों के बीच देखा तो अपनी ही चूत को पहचान ना पाई. कितनी गोरी, सुंदर,सॉफ और चिकनी लग रही थी. कितने फूली हुई थी. विकी के लंड ने इतनी सूजा दी थी कि अब तो किसी डबल रोटी से भी डबल लग रही थी. दोनो फांकों के बीच से निकले होंठ इतने बड़े थे मानो छ्होटा सा लंड हो. विकी भी मेरी चूत को घूरे जा रहा था. उसके लंड ने तो लूँगी का टेंट बना दिया था. मैं उसके लंड की ओर इशारा करके बोली,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#94
विकी तू तो शायद मुझे एक भाई की नज़र से देख रहा है ना.?” विकी का चेहरा लाल हो गया,

“ दीदी आपकी ये है ही इतनी खूबसूरत की भाई का मन भी डोल जाए. ये तो बहुत ज़्यादा सूज गयी है, मैं सेक के दवाई लगा देता हूँ. लेकिन सेकेंगे कैसे?”

“ कोई बात नहीं बिना सेके ही दवाई लगा दे.”

“ नहीं दीदी ऐसे नहीं हो सकता. मैं सेकने का इंतज़ाम करता हूँ.” ये कह कर विकी बाहर जाने को हुआ. मैं उसे रोकते हुए बोली,

“ कहाँ जा रहा है? मम्मी पापा उठ जाएँगे.” विकी वापस आ गया.“ ये बात तो ठीक है. अच्छा, मेरे पास एक उपाय है. अगर आप मानो तो बोलूं.”

“ बोल तो. पता तो लगे कौन सा उपाय है.”

“ दीदी जब जानवर को चोट लगती है तो वो अपने जख्म को चाट के सेकता है और उसकी चोट ठीक हो जाती है. वो तो दवाई भी नहीं लगाता.”

“ तेरी बात ठीक है. लेकिन ना तो मैं जानवर हूँ और ना ही मेरी जीभ मेरे टाँगों के बीच में पहुँचेगी.”

“ मैने कब कहा आपकी जीभ आपकी टाँगों के बीच में पहुँचेगी? लेकिन मेरी जीभ तो पहुँच सकती है ना.”

“ ओ ! तो अब समझी. तेरी नियत फिर से खराब हो रही है.”

“ नहीं दीदी मेरी नीयत बिल्कुल खराब नहीं है. सेकने का और कोई रास्ता भी तो नहीं है. मैं आपको प्रॉमिस करता हूँ कोई ग़लत काम नहीं करूँगा. सिर्फ़ चाट के सेक दूँगा और फिर दवाई लगा देंगे.” चूत की चटाई की बात सुन के ही मेरी चूत गीली होने लगी थी. गीली तो जब विकी शेव कर रहा था तभी हो गयी थी लेकिन अब तो और भी ज़्यादा गीली हो गयी थी. मैं अपनी उत्तेजना को च्छूपाते हुए बोली,

“ देख विकी तुझे मेरी कसम यदि तूने कोई ग़लत काम किया तो. सिर्फ़ सेकना और दवाई लगाना है. कुच्छ और किया तो कभी बात नहीं करूँगी.”

“ आपकी कसम दीदी, और कुच्छ नहीं करूँगा, चलो गाउन उतार दो और लेट जाओ.”

“ अच्छा बदमाश गाउन क्यों उतारू? दीदी को नंगी करने का बहुत शौक हो गया है? वैसे भी तो सेक सकता है.”

“ दीदी वैसे अच्छी तरह नहीं सेक पाउन्गा. उतार भी दो ना. मेरे सामने कपड़े उतारने में क्या शरमाना?”

“ ठीक है उतार देती हूँ, लेकिन कोई शरारत नहीं करना.” मैं तो नंगी होना ही चाहती थी. मैने गाउन उतार दिया और बिस्तेर पे चित लेट गयी.विकी ने मेरी टाँगें चौड़ी कर दी. टाँगों के बीच का नज़ारा देखते ही उसका लंड फंफनाने लगा. वो जल्दी से मेरी टाँगों के बीच में बैठ गया और अपनी जीभ मेरी चूत से लगा दी. ऊऊफ़ ! विकी की गरम गरम जीभ बहुत अच्छी लग रही थी. मुझे अहसास हुआ कि यदि चूत चटवानी हो तो झाँटें नहीं होनी चाहिए. एक नया सा अहसास हो रहा था. मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो रही थी. मुझे डर था कि कहीं मेरी चूत का रस बाहर ना निकल आए. विकी मेरी चूत के छेद के चारों ओर चाट रहा था लेकिन एक बार भी छेद को नहीं चॅटा और ना ही जीभ को छेद में डाला. मेरी वासना बढ़ती जा रही थी लेकिन आज चुदवाना ख़तरे से खाली नहीं था. जब मुझ से और नहीं सहा गया तो मैने विकी का सिर पकड़ के चूत का छेद उसके होंठों पे रगड़ दिया. मेरी चूत के होंठ उसके चेहरे पे रगड़ गये और उसका चेहरा मेरी चूत के रस से सन गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#95
दीदी क्या कर रही हो? मैं तो ठीक से सेक रहा था.”

“ नहीं मेरे राजा तू ठीक से नहीं सेक रहा था. जिस जगह सबसे ज़्यादा चोट लगी है वहाँ तो तूने सेका ही नहीं. उसके चारों ओर सेके जा रहा है.”

“ सॉरी दीदी वहाँ भी सेक देता हूँ.” ये कह के विकी ने मेरी चूत में मुँह दे दिया और जीभ चूत के अंडर घुसेड दी. अब तो बहुत मज़ा आ रहा था. मैं तो झरने वाली हो रही थी. विकी ने मेरी टाँगें मोड़ के मेरे सीने से चिपका दी. इस मुद्रा में मेरे चूतेर और ऊपेर हो गये मेरी गांद का छेद विकी के मुँह के सामने आ गया.विकी ने मेरी गांद को भी चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में जीभ गांद के छेद में भी घुसेड देता. बहुत मज़ा आ रहा था. विकी के होंठ मेरी चूत के रस से गीले हो गये. विकी बोला,

“दीदी, आपकी चूत तो बिल्कुल गीली है. इसका मतलब ये कुच्छ चाहती है.”“हट बदमाश ये कुच्छ नहीं चाहती. कोई मरद इस तरह से किसी औरत की चूत चॅटेगा तो क्या गीली नहीं होगी? लेकिन तेरा लंड भी तो फंफनाया हुआ है.”

“ दीदी आपके जैसी खूबसूरत औरत जिसके पीछे सारा शहर जान देता है, किसी मरद के सामने चूत खोल के बिल्कुल नंगी पड़ी हुई हो और वो मरद उसकी सेक्सी चूत चाट रहा हो तो क्या उसका लंड खड़ा नहीं होगा. आपको नंगी देख कर तो विश्वामित्रा जैसे सन्यासी का मन भी डोल जाए. मेरी तो किस्मत खराब है. मेरे लंड की प्यास तो अब कभी नहीं बुझेगी.”

“ ऐसा मत बोल विकी. जब तेरी शादी हो जाएगी तो तेरी तू अपनी बीवी को रोज़ चोदना.”

“ दीदी आपको चोदने के बाद अब किसी और को चोदने का मन नहीं करता.”

“ सब ठीक हो जाएगा मेरे राजा. आख़िर तू मुझे सारी ज़िंदगी तो नहीं चोद सकता.”

“ जब तक चोद सकता हूँ तब तक भी तो आप चोदने नहीं दे रही हो.”

“अच्छा ! तो तेरे प्रॉमिस का क्या हुआ.?”

“ दीदी आपको चोदने के लिए तो मैं कोई भी प्रॉमिस तोड़ सकता हूँ.”

“ विकी मैं तेरे दिल की हालत समझती हूँ. मुझे मालूम है कि कोई भी मरद इस तरह किसी औरत को नंगी करके उसकी चूत चाते तो अपने आप को आख़िर कब तक कंट्रोल कर सकता है? एक काम कर सकती हूँ. जब तू मेरी चूत को सैक के दवाई लगा देगा उसके बाद तू अपने लंड को मेरे मुँह में डाल सकता है. मैं तुझे उतना ही मज़ा दूँगी जितना तुझे चोदने से मिलेगा. इस तरह तेरे लंड की प्यास भी बुझ जाएगी.”

“ सच दीदी? आप बहुत अच्छी हो. लेकिन आप जानती हो चोदने और लंड को चूसने का अलग अलग मज़ा होता है. दोनो को कंपेर नहीं कर सकते. मैं आपसे एक बात कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगी?”

“ नहीं मेरे राजा बोल, क्या बात है?”

“ जब आप ठीक हो जाओगी, तो क्या मैं आपको तब तक चोद सकता हूँ जब तक आप जीजाजी के पास नहीं जाती?”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#96
“ तू तो बहुत चालाक है. ठीक है चोद लेना. मैं तो वापस तब तक नहीं जा सकती जब तक मेरी चूत पे बाल नहीं आ जाते. तेरे जीजाजी को क्या कहूँगी. उन्हें तो मेरी चूत के बाल बहुत पसंद हैं.”

“ फिर तो मज़ा आ जाएगा. सच रोज़ चोदुन्गा आपको.”

“ जब तक मैं यहाँ हूँ तब तक जी भर के चोद लेना अपनी दीदी को. अब तो खुश है ना?”

उसके बाद विकी ने थोरी देर और मेरी चूत और गांद को चाता. मैं इस बीच दो बार झाड़ चुकी थी. फिर उसने मेरी चूत और गांद के छेद पे दवाई लगा दी. दवाई लगाने के बाद उसने अपनी लूँगी उतार दी और अपने फँफनाए हुए लॉड को मेरे होंठों पे टीका दिया. मैं तो उसके गधे जैसे लंड को चूसने के लिए उतावली हो ही रही थी.

विकी के मोटे लंड को मुँह में लेने के लिए मुझे पूरा मुँह खोलना पड़ा. मैं बड़े प्यार से लंड के सुपरे को चूसने लगी. धीरे धीरे पूरे लंड को चाटने लगी और उसके नीचे लटकते हुए बड़े बड़े बॉल्स को भी सहलाने और चूमने लगी. काफ देर तक मैने विकी के मूसल को चूसा. विकी ने जोश में आके लंड मेरे मुँह में पेलना शुरू कर दिया. उसका लंड मेरे गले तक घुस गया था. विकी ने मेरा मुँह पकड़ के धक्के लगाने शुरू कर दिए. वो अपने एक फुट लंबे लंड को सुपरे तक बाहर खींचता और फिर पूरा लंड मेरे मुँह में पेलने की कोशिश करता. अब एक फुट लंबा लंड तो मुँह में जाना मुश्किल था लेकिन 8 इंच तो घुस ही जाता था. विकी मेरे मुँह को ऐसे चोद रहा था जैसे मेरी चूत चोद रहा हो. मैं उसके लटकते हुए बॉल्स को दबा और सहला रही थी. करीब आधे घंटे तक भयंकर धक्के लगाने के बाद विकी झाड़ गया और ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में निकाल दिया. ऐसा लगता था था कि कभी उसका वीर्य निकलना बंद ही नहीं होगा. मैं जल्दी जल्दी उसके वीर्य को पीती जा रही थी, लेकिन फिर भी बहुत सारा वीर्य मेरे मुँह से निकल कर टपकने लगा. विकी के लॉड को कुच्छ राहत मिली. अब ये रोज़ का सिलसिला हो गया. विकी रोज़ रात को आता, मेरी चूत और गांद को चाट के सैकता और दवाई लगाने के बाद मेरे मुँह में अपना लंड पेल कर अपनी प्यास बुझाता.

एक हफ्ते के बाद मैं फिर अपनी सहेली वीना के पास चेक अप कराने गयी. उसने अच्छी तरह से मेरी चूत और गांद की जाँच की.

“कंचन तेरी चूत और गांद तो बहुत जल्दी ठीक हो गयी, लगता है जीजाजी ने बहुत सेवा की है. देख कंचन मैं एक बार फिर से कह देती हूँ अब उस आदमी को भूल के भी गांद मत देना.”

“नहीं दूँगी डॉक्टर साहिबा.”

“कुच्छ दिन और सेक कर ले तो अच्छा है. लेकिन अब दवाई लगाने की ज़रूरत नहीं है. वैसे किससे सेक करवा रही है?”

“तेरे जीजाजी से और किससे?”

मैने विकी को बताया कि डॉक्टर ने कुच्छ दिन और सेक करने को कहा है लेकिन गांद देने को बिल्कुल मना किया है. ये सुन कर विकी का दिल टूट सा गया.

“दीदी जिस गांद के लिए ज़िंदगी भर तडपा हूँ वो ही नहीं दोगि तो कैसे जीऊँगा?”

“ हाई मेरे प्यारे भैया, तेरे लिए तो जान भी दे दूं. तुझे गांद नहीं दूँगी तो किसे दूँगी? देख डॉक्टर ने एक जेल्ली दी है. आगे से ये जेल्ली मेरी गांद में और अपने मूसल पे लगा लेना. लेकिन गांद थोड़ा धीरे धीरे मारा कर. तू तो गधा है लेकिन मैं तो गधी नहीं हूँ ना. मैं तो औरत हूँ.”

“हाई दीदी आप कितनी अच्छी हो. आप की कसम आगे से ऐसे आपकी गांद मारूँगा की आपको पता ही नहीं चलेगा.”

अब विकी ने मेरी चूत और गांद को सेकने का एक नया तरीका निकाल लिया था. वो अब मेरी चूत और गांद पे कभी मक्खन और कभी शहद लगा कर चाटने लगा. जी भर चाटने के बाद रात भर मुझे चोद्ता और गांद भी मारता. गांद मारने के बाद वो बड़े प्यार से मेरे चूतरो को चौड़ा करके अपने होंठों से मेरी गांद के लाल हुए छेद को चूमता और जीभ अंडर डाल कर चाटता. करीब करीब एक महीना हो चला था. अब मेरी चूत पे फिर से झांतों का घना जंगल हो गया था. पिया के घर जाने के दिन भी नज़दीक आ गये थे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#97
(24-04-2019, 09:05 AM)neerathemall Wrote:
बहन - कंचन के बदन की गरमी
Heart Heart Heart





















Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#98
Nice story
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#99
(03-03-2024, 03:01 PM)sri7869 Wrote: Nice story

Namaskar Namaskar Namaskar
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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