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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#61






खैर इस सब के बाद भी मैं अपने भाई विकी को नहीं भुला सकी. अब तो मैं कुँवारी भी नहीं थी. सोच लिया था कि इस बार मायके गयी तो विकी से चुदवाने की तमन्ना ज़रूर पूरी करूँगी. आख़िर वो दिन भी आ गया. मायके से बुलावा आ गया. मम्मी ने होली पे एक महीने के लिए बुलाया था.
























































।।।।।।।।।।।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
मायके में 

























।।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#63
खैर इस सब के बाद भी मैं अपने भाई विकी को नहीं भुला सकी. अब तो मैं कुँवारी भी नहीं थी. सोच लिया था कि इस बार मायके गयी तो विकी से चुदवाने की तमन्ना ज़रूर पूरी करूँगी. आख़िर वो दिन भी आ गया. मायके से बुलावा आ गया. मम्मी ने होली पे एक महीने के लिए बुलाया था.












।।।।
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#64
होली पे ये मुझे मायके छ्चोड़ने आए. मम्मी ने मुझे इस बार कम से कम एक महीने रुकने के लिए कहा. एक महीने बिना चुदाई के गुज़ारना तो बड़ा मुश्किल मालूम पर रहा था. जाने से एक रात पहले इन्होने मुझे पूरी रात चोदा. मैने भी जी भर के चुडवाया क्योंकि अगला एक महीना तो सूखा ही जाने वाला था. शादी के बाद पहला मोका था जब मैं इतने लंबे समय के लिए मायके रहने आई थी. अगले दिन ये वापस चले गये. जिस दिन ये गये उसी दिन विकी का दोस्त सुधीर घर पे आया. केयी दिनों से मैने उनकी बातें नहीं सुनी थी. दरवाज़े के पीछे खड़ी हो गयी कान लगा के. सोचा था अब किसी और लड़की की बातें करते होंगे. लेकिन जो सुना वो सुन के तो मेरा पसीना छूट गया.

“ हाई, सुधीर बारे दिनों के बाद आया है. लगता है कुत्ते की तरह मेरी दीदी को सूघता हुआ आ गया.”

“ सूंघ कैसे सकता हूँ यार तूने कभी इस कुत्ते को अपनी दीदी की चूत सूँघाई ही नहीं. तेरी दीदी अगर एक बार भी मेरे सामने अपनी चूत खोल कर बैठ जाए तो तेरी कसम सारी उमर कुत्ता बनने को तैयार हूँ.”

“ हा हा. हा. कुत्ता बन के क्या करेगा?

“ सारी उमर तेरी दीदी की चूत चाटूंगा. कल बाज़ार में देखा था. सच शादी के बाद से तो जवानी और भी निखर आई है. चूटर क्या फैल गये हैं. तेरे जीजाजी ज़रूर उसकी गांद भी मारते होंगे.”

“ नहीं यार शायद जीजाजी दीदी की गांद नहीं मारते.”

“तुझे कैसे पता?”

“ क्योंकि कल रात मैने दीदी और जीजाजी की रास लीला देखी. पूरी रात चोदा उन्होने दीदी को लेकिन गांद नहीं मारी. ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की की चुदाई देखी, और वो भी अपनी बेहन की.”

“ वाह प्यारे! तू तो बहुत तेज़ निकला. लेकिन देखा कैसे? बता ना यार क्या क्या देखा.?”

“ ऐसे नहीं बताउन्गा. कुच्छ फीस देनी परेगी.”

“ जो तू कहेगा वो दूँगा.जल्दी बता.”

“ अगर तू अपनी बहन की चूत दिलवाएगा तो बताउन्गा.”

“ उसकी चूत तो मैने भी नहीं ली.”

“ अच्छा चल दर्शन ही करा दे.”

“ ठीक है यार करा दूँगा. कल मेरे घर चल. जब नहाने जाएगी तो देख लेना. अब तो बता दे”

“ यार मुझे मालूम था कि दीदी और जीजा जी आने वाले हैं और दीदी यहाँ एक महीने रहेगी. मेरे और दीदी के कमरे के बीच एक दरवाज़ा है. मैने दीदी के कमरे के दरवाज़े में बड़ा सा छेद कर दिया और उसमे लकड़ी का गुटका फँसा दिया. वैसे देखने में पता ही नहीं लगता है कि वहाँ इतना बड़ा छेद है. जीजा जी आज जाने वाले थे. मुझे मालूम था कि रात में दीदी की चुदाई ज़रूर होगी. मैने ही दीदी का कमरा उनके आने से पहले तैयार किया था. मैने उनका बेड ठीक छेद के सामने और दरवाज़े के नज़दीक इस प्रकार से लगाया की सोने वाले की टाँगें छेद की तरफ हों. छेद में से सब कुच्छ बिल्कुल सॉफ दिखाई देता है. रात में अगर वरामदे की लाइट ऑन कर दो तो अंडर काफ़ी रोशनी हो जाती है क्योंकि रोशनदान और खिड़की से काफ़ी लाइट अंडर जाती है. सुबसे अच्छी बात तो ये हुई की जीजाजी ने भी नाइट लॅंप ऑफ नहीं किया. नाइट लॅंप और रोशनदान से आती हुई रोशनी से अंडर काफ़ी उजाला हो गया था. इसके इलावा जीजाजी लेटने से पहले बाथरूम गये ओर बाथरूम का दरवाज़ा और लाइट दोनो खुले छोड़ आए. अब तो अंडर उजाला ही उजाला था. अपना प्लान ज़रूरत से ज़्यादा कामयाब हो गया.”

“ फिर क्या हुआ? जल्दी बता, मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है.”

“ रात में खाना खाने के बाद जीजाजी जल्दी ही दीदी को ले कर अपने कमरे में चले गये. मैने भी अपने कमरे में पहुँच कर लाइट बंद कर दी और लकड़ी का गुटका दरवाज़े के छेद में से निकाल लिया. अब अंडर सब कुच्छ सॉफ नज़र आ रहा था और उनकी बातें भी सुनाई पड़ रही थी. जीजाजी काफ़ी उतावले लग रहे थे. उन्होने कमरे में घुसते ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गये. काफ़ी मोटा लंड है उनका. अपने कपड़े उतार कर दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगे. फिर उन्होने दीदी का कुर्ता उतार दिया और एक झटके से सलवार का नाडा खींच दिया. दीदी की सलवार खुल के नीचे गिर गयी. अब दीदी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी में थी. जीजाजी का लॉडा भी तन गया था. दीदी ने पंजों के बल थोड़ा सा ऊपर हो कर उनका लॉडा अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. वो दीदी के होंठों का रास्पान करते हुए उसकी पीठ और चूतर सहला रहे थे. ऊफ़ क्या विशाल चूतर थे! शादी से पहले एक बार देखे थे लेकिन अब तो खूब निखर आए थे और फैल भी गये थे. दीदी की पॅंटी तो उसकी चूतरो की दरार में घुसी जा रही थी. जीजाजी ने दीदी पीठ पे हाथ फेरते हुए ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को उतार के बिस्तेर पे फेंक दिया. क्या ज़ालिम चूचियाँ थी! मैने कयि बार दीदी की ब्रा में झाँका था लॅकिन कल रात पहली बार दीदी की चुचियाँ नंगी देखी. जीजाजी दीदी की चुचिओ को मसल रहे थे और दीदी ने भी उनके लॉड को सहलाना शुरू कर दिया था. अब जीजाजी ने दीदी की पॅंटी भी उतार दी. ऊफ़ क्या ग़ज़ब का नज़ारा था. दीदी की चूत पे इतने घने बाल थे की पूरा जंगल लग रहा था. बाल दीदी की नाभि से आधा इंच नीचे ही शुरू हो गये थे और पूरी चूत को ढक रखा था. दीदी की चूत के दर्शन तो उसकी शादी से पहले भी कर चुक्का हूँ पर कल रात तो पहली बार पूरी तरह नंगी देखा. बहुत ही खूबसूरत लग रही थी.
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#65
दीदी की मादक सिसकियाँ सुन के मेरा बुरा हाल था. तभी जीजाजी ने दीदी को उठा के बिस्तेर पे लिटा दिया. दीदी ने अपनी टाँगें मोड़ के चुदवाने की मुद्रा में चौड़ी कर ली. अब तो घनी झांतों के बीच से दीदी की चूत सॉफ नज़र आने लगी. टाँगों को फैलाने से चूत की दोनो फाँकें चौड़ी हो गयी थी और चूत के उभरे हुए होंठ खुले हुए थे. ट्रेन में जब मैने दीदी की कुँवारी चूत के दर्शन किए थे तब तो ये होंठ इतने उभरे हुए नहीं थे और खुले तो बिल्कुल भी नहीं थे. अब तो ऐसा लग रहा था जैसे दीदी की चूत मुँह फाडे लंड को निगलने का इंतज़ार कर रही हो. शायद दो साल की चुदाई से चूत की ये हालत हो गयी थी. इस मुद्रा में दीदी के विशाल चूतर भी फैल गये थे और उनके बीच में से छ्होटा सा गुलाबी छेद नज़र आ रहा था. दीदी की गांद देख कर तो मेरा लंड झरते झरते बचा. मुझे पूरा विषवास था कि दीदी की गांद ज़रूर मारी जाएगी. मुझे जीजाजी से जलन हो रही थी. मेरी दीदी की मेरे ही सामने चुदाई होने जा रही थी और मैं लंड हाथ में पकड़ के लाचार बैठा था. जीजाजी दीदी की फैली हुई टाँगों के बीच में बैठ गये और लंड का सुपरा चूत के खुले हुए होंठों के बीच टीका दिया. फिर उन्होने दीदी की चुचिओ को दोनो हाथों से पकड़ के करारा सा धक्का लगा दिया. जीजाजी का लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा अंडर घुस गया. दीदी के मुँह से ऊफ़ ऊफ़ अया…आआहह अया ऊओह ऊवू की आवाज़ें आ रही थी. जीजाजी लंड पूरा बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगे. दीदी की चूत से फ़च फ़च फ़च का संगीत निकल रहा था. दीदी भी चूतरो को उछाल उछाल के लंड अंडर ले रही थी. करीब आधे घंटे की भयंकर चुदाई के बाद जीजाजी झाड़ गये. लगता था उनके लंड ने ढेर सारा वीर्य दीदी की चूत में उंड़ेल दिया था क्योंकि उनका वीर्य दीदी की चूत से निकल के उसकी गांद की ओर बहने लगा था. थोड़ी देर में दीदी की गांद का छेद वीर्य से धक गया. जीजाजी ने लंड को बाहर खींच लिया. लंड प्लॉप की आवाज़ के साथ बाहर आ गया. फिर जीजाजी ने टवल से दीदी की चूत को सॉफ किया और अपने लंड को भी सॉफ किया. दोनो लेटे हुए बातें कर रहे थे और दीदी धीरे धीरे जीजाजी के लंड को सहला रही थी. थोरी देर में लंड फिर से खरा हो गया और जीजाजी ने एक बार फिर दीदी की को चोदा. इस तरह रात में चार बार दीदी की चुदाई हुई. लेकिन यार जीजाजी ने एक बार भी दीदी की गांद नहीं मारी. चोदा भी सिर्फ़ एक ही मुद्रा में. लगता है जीजाजी काम कला में अनारी हैं.”“ तू सच कह रहा है यार विकी. इतनी खूबसूरत औरत के तो तीनो छेद चोदने में मज़ा आ जाए.”

“ सच यार, हम तो अपना लंड हाथ में पकड़े अपनी आँखों के सामने अपनी ही बहन की चुदाई देखते रहे. काश इस लॉड को भी दीदी की चूत नसीब हो जाए!” विकी आहें भरता हुआ बोला.

विकी और सुधीर की बातें सुन कर मैं दंग रह गयी. हे भगवान! विकी ने तो मेरी चुदाई तक देख ली.

अब तो मैने सोच लिया की इस एक महीने के अंडर ही मैं विकी से ज़रूर चुदवाउन्गि. विकी का लॉडा अब भी मेरी आँखों के सामने घूम जाता था. अब तो मुझे मालूम था कि विकी दरवाज़े के छेद में से मेरे कमरे में झँकता है. मैं रोज़ रात को कपड़े बदलने के बहाने नंगी हो कर केयी पोज़ में उसे अपने बदन के दर्शन कराने लगी. मेरी चूत के बॉल इतने लंबे थे की मेरी चूत पूरी तरह ढक जाती थी. मैने चूत के होंठों के चारों ओर के बॉल काट के छ्होटे कर दिए. अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में बेड पर लेट कर नॉवेल पढ़ने का बहाना करती. पेटिकोट को इतना ऊपर चढ़ा लेती की दरवाज़े के छेद से झँकते हुए विकी को मेरी फूली हुई चूत के दर्शन आसानी से हो जाते.
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#66
एक दिन मैं रात को विकी के कमरे में जा के बोली,

“ विकी, मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा, मैं तेरे बाथरूम में नहा लूँ?”

“ ज़रूर दीदी, इसमे पूछने की क्या बात है. नहा लीजिए.”

मैने विकी के बाथरूम में नाहया और जान बूझ कर अपनी उतरी हुई पॅंटी को विकी के बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छोड़ आई. अपने कमरे में आ के मैने लाइट बंद कर ली और दरवाज़े के छेद में फँसे लकड़ी के गुटके को निकाल के विकी के कमरे में झाँकने लगी. विकी अपने बाथरूम में गया. जब वो बाहर निकला तो उसके हाथ में मेरी पॅंटी थी. वो मेरी पॅंटी को सूंघ रहा था और उसके चेहरे पर उत्तेजना थी. उसने अपने कपड़े उतार दिए. जैसे ही उसने अपनी पॅंट उतारी मैं तो बेहोश होते होते बची. उसका लॉडा बुरी तरह से फंफना रहा था. इतना मोटा और लंबा था की मैने आज तक किसी ब्लू फिल्म में भी इतना बड़ा लंड नहीं देखा था. अब मेरी समझ में आया कि क्यों मम्मी भी इस भयानक लॉड को देख के घबरा गयी थी. लॉडा कहाँ था, ये तो वाकाई बिजली का खंबा था! अपनी आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी आदमी का लंड इतना बड़ा भी हो सकता है. मैं सोचने लगी की इस राक्षस को झेल भी पाउन्गि की नहीं. ये तो सुचमुच मेरी चूत फाड़ देगा. ये बिजली का खमबा तो मेरी चूत को किसी और के लायक छोड़ेगा ही नहीं. इतने में विकी ने मेरी पॅंटी को उस जगह चूमना शुरू कर दिया जहाँ मेरी चूत पॅंटी पे रगड़ती थी. फिर उसने पंटी को अपने लंड के सुपरे पे रख लिया और अपने लंड को हाथ से आगे पीछे करने लगा. उसके लंड पे तंगी मेरी छ्होटी सी पॅंटी ऐसी लग रही थी जैसे किसी नारियल के पेड पर तंगी हुई हो. थोरी देर मूठ मारने के बाद विकी झार गया और सारा वीर्य मेरी पॅंटी पर उंड़ेल दिया. पॅंटी से अपने लंड को सॉफ करके उसने मेरी पॅंटी वापस अपने बाथरूम में रख दी.

जल्दी ही वो मोका भी हाथ लग गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था. मम्मी पापा को किसी शादी में दो दिन के लिए जाना था. जिस दिन मम्मी पापा गये उसी रात का प्लान मैने बनाया. रात को नहा के मैने वो गाउन पहन लिया जो मेरे पति ने मुझे हनिमून के दौरान दिया था. ये गाउन सिल्क का था और मेरे घुटनों से 6 इंच ऊपर रहता था. गाउन के नीचे मैने ब्रा और पॅंटी नहीं पहनी. अब तो मैं उस छ्होटे से गाउन के नीचे बिल्कुल नंगी थी. मैने लकड़ी का गुटका निकाल के विकी के कमरे में झाँका. विकी के बदन पे सिर्फ़ एक लूँगी थी ओर वो बिस्तेर पे लेटा हुआ कोई नॉवेल पढ़ रहा था. उसका एक हाथ लंड को सहला रहा था.
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#67
समझ गयी, ज़रूर वो कोई गंदा नॉवेल पढ़ रहा था. मैं उसके कमरे में गयी. मुझे देख कर वो नॉवेल च्छुपाने की कोशिश करने लगा. मैने उसकी ओर जाते हुए पूचछा,

“ विकी क्या पढ़ रहा है?”

“ कुच्छ नहीं दीदी ऐसे ही”

“ मुझे दिखा क्या है.”

“ नहीं दीदी क्या देखोगी, ये तो हिस्टरी की किताब है.”

मैने झपट्टा मार के विकी से किताब छ्चीन ली. विकी ने वापस किताब छीनने की कोशिश की लेकिन में अपने कमरे में भाग गयी और अंडर आके लाइट बंद करके एक कोने में छिप गयी. विकी भी मेरे पीछे भागा. कमरे में आके जब उसकी आँखें अंधेरे में अड्जस्ट हुई तो उसने मुझे कोने में च्छूपा देख लिया और मेरे साथ छीना झपटी करने लगा. उसने किताब वापस छीन ली. मैने उसे ज़ोर से धक्का दे के अपने बिस्तेर पे गिरा दिया और उसके सीने पे चढ़ बैठी. विकी चित पड़ा हुआ था. मेरा गाउन छ्होटा सा तो था ही उसके ऊपर बैठने के कारण सामने से खुल गया. मेरी नंगी चूत विकी के सीने से टच करने लगी, लेकिन अंधेरा होने के कारण वो देख नहीं सका. मैने विकी को गुदगुदाना शुरू कर दिया और थोड़ा सा सरक के नीचे की ओर हो गयी. नीचे की ओर सरकने से विकी का लंड मेरे भारी नितंबों के नीचे दब गया. ऊऊफ़! उसका लंड मेरे नंगे चूतरो के नीचे बिल्कुल नंगा था! शायद छ्चीना झपटी में विकी की लूँगी खुल गयी थी. लंड खड़ा होने लगा था लेकिन बेचारा मेरे भारी चूतरो के नीचे दबे होने का कारण उसके पेट से चिपका हुआ था. बाप रे! इतना लंबा था कि उसकी नाभि तक पहुँच रहा था. मैं सोचने लगी कि जो लॉडा इसकी नाभि तक पहुँच रहा है वो तो मेरी चूत फाड़ के छाती तक घुस जाएगा. अब तो चाहे चूत फॅट जाए मैने चुदवाने की ठान ली थी. मेरा बदन वासना की आग में जलने लगा. इतने मोटे लंड का स्पर्श पा कर मेरी चूत रस छ्चोड़ने लगी. मैं विकी को गुदगुदाने के बहाने उसके ऊपर आगे पीछे होने लगी और उसके मूसल को अपने चूतरो की दरार में रगड़ने लगी. कभी थोडा आगे झुक जाती तो उसका मोटा लॉडा मेरी चूत की दोनो फांकों के बीच फँस जाता और गीली चूत उसके लंड पे रगड़ जाती. मेरी चूत के रस से उसका लॉड के नीचे का भाग बॉल्स से ले कर सुपरे तक गीला हो गया था. अब तो मैं उसके लंड पे आगे पीछे फिसल रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था. बड़ा ही मादक खेल था. अकसर उसके लंड का सुपरा मेरी चूत के होंठों को चूम लेता और छेद में दाखिल होने की कोशिश करता. विकी ने जिस हाथ में किताब पकड़ रखी थी उसने उस हाथ को अपने सिर के ऊपर सीधा कर रखा था जिससे वो मेरी पहुँच से बाहर हो गया था. किताब तक पहुँचने के लिए आगे सरकना ज़रूरी था. ये तो बहुत अच्छा मोका था. आगे सरकने के बहाने मैं अपनी चूत विकी के मुँह पे रगड़ सकती थी. मुझे अच्छी तरह याद था जब पिच्छली बार मैने अपनी चूत विकी के मुँह पर रगडी थी. लेकिन उस वक़्त मैने पॅंटी पहनी हुई थी. किताब छ्चीनने के बहाने मैं तेज़ी से आगे की ओर हुई. अब मेरी चूत ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी. मैने झपट्टा मारा और उसके हाथ से किताब छ्चीनने के बहाने उसके मुँह पर गिर गयी. ऊऊओफ़! मेरी नंगी गीली चूत विकी के होंठों से चिपक गयी. मैने अपनी चूत को 5 सेकेंड तक विकी के मुँह पर ज़ोर से दबा दिया. मेरी चूत इतना रस छोड़ रही थी कि विकी के होंठ और मुँह गीले हो गये. ये ही नहीं मेरी झाँटें भी उसके मुँह में घुस गयी. विकी हड़बड़ा गया और मैं किताब छ्चीनने में कामयाब हो गयी. किताब छ्चीन के मैं जैसे ही उठने लगी विकी ने मुझे गिरा लिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा. अब मैं पेट के बल पड़ी हुई थी और विकी मेरी पीठ पर बैठा हुआ था. मैने किताब को अपने नीचे दबा लिया. विकी हांफता हुआ बोला,

“ दीदी किताब दे दो नहीं तो छ्चीन लूँगा.”

“ अरे जा, जा. इतना दम है तो छीन ले.” मैं उसे चिड़ाती हुई बोली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#68
समझदार नहीँ है क्या
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#69
किताब छीनने के चक्कर में सरक कर मेरी टाँगों के बीच में आ गया. उसका तना हुआ लंड मेरे चूतरो से टकराने लगा. वो मुझे गुदगुदी करने लगा और मैं च्चटपटाने लगी. ऐसा करते हुए उसका लंड कभी मेरे चूतरो की दरार में घुस जाता तो कभी मेरी चूत पे रगड़ जाता. मैं तो अभी से झरने वाली हो रही थी. अब तो खेल और भी मादक हो गया था. हम दोनो ही अंजान बने हुए थे. इस छीना झपटी में मेरा गाउन तो खुल ही गया था, शायद विकी की लूँगी भी खुल चुकी थी. अंधेरा होने के कारण सॉफ दिखाई नहीं दे रहा था. मैं अचानक झटके से सीधी हो कर पीठ के बल हो गयी. गाउन सामने से पूरा खुल कर हट गया. विकी मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था और मैं उसके नीचे बिल्कुल नंगी थी. मैं भी विकी को गुद गुडी करने लगी. अंधेरे में कुच्छ दिख तो नहीं रहा था लेकिन शायद अब तो विकी भी बिल्कुल नंगा था. छ्चीना झपटी का नाटक करते हुए मैने विकी को अपनी टाँगों के बीच में दबा लिया.

“अब बोल नालयक! कहाँ बच के जाएगा? इतनी कमज़ोर नहीं हूँ.”

“ अच्छा दीदी, अभी आपको मज़ा चखाता हूँ.” ये कह के अपने आप को छुड़ाने के लिए उसने मेरी टाँगें चौड़ी कर दी. टाँगें चौड़ी होते ही उसका तना हुआ लॉडा मेरी चूत से रगड़ने लगा. मेरी चूत बुरी तरह से गीली थी. रस बाहर निकल के मेरी झांतों को गीला कर रहा था. मैने उसकी गुदगुदी से बचाने का बहाना करते हुए टाँगों को मोड़ के अपने सीने से चिपका लिया. ऐसा करने से मेरी फूली हुई चूत की दोनो फाँकें चौड़ी हो गयी और उसके बीच के होंठ खुल गये. ये तो चुदाई की मुद्रा थी. इसी मुद्रा में तो औरत अपनी चूत मर्द के लंड को सोन्प देती है. अब मैने अपने आप को विकी के नीचे इस तरह से अड्जस्ट किया कि विकी के लंड का सुपरा मेरी चूत के छेद पे टिक गया. मैं सिहर उठी. इसी पल का तो बरसों से इंतज़ार था.

“ विकी मुझ में इतना दम है कि तुझे एक ही झटके में उठा के फेंक दूं.”

“ अच्छा दीदी! इतना दम कहाँ से आ गया? ज़रा फेंक के तो दिखाओ.”

“ तो ये ले.” मैने अपने चूतर ऊपर की ओर उच्छालते हुए कहा. विकी के लंड का सुपरा मेरी बुरी तरह गीली चूत के मुँह पे तो था ही, इस धक्के के कारण फ़च से एक इंच अंडर घुस गया. मेरे मुँह से बड़ी ज़ोर से चीख निकलने वाली थी. मैने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. मेरी चूत का छेद इतने मोटे लंड के अंडर घुसने के कारण बुरी तरह चौड़ा हो गया था. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. मैं घबरा गयी. हाई राम कहीं चूत फॅट ही ना जाए!

“ बस दीदी इतना ही दम है?” विकी मुझे और ज़ोर से गुदगुदाने लगा. शायद विकी को पता नहीं था कि उसका लॉडा मेरी चूत में दाखिल हो चुका था. उसने कभी किसी लड़की को आज तक चोदा तो था नहीं. मैने भी उसकी नादानी का फ़ायदा उठाया और अपने चूतर उछाल उच्छाल के उसे अपने ऊपर से गिराने का नाटक करने लगी. ऐसा करने से धीरे धीरे विकी का लंड 3 इंच मेरी चूत में उतर चुका था. मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत में किसीने पेड का तना घुसेड दिया हो.विकी को भी अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन अभी तक उसे समझ नहीं आया था कि क्या हो रहा है.

“ दिखाओ दीदी हमे भी तो अपना दम दिखाओ. या फिर सारा दम निकल गया? किसी ऐसे वैसे मर्द से पाला नहीं पड़ा है ” विकी मुझे चिड़ाते हुए बोला. मैने पूरी ताक़त से विकी को गिराने का बहाना करते हुए अपने चूतर ऊपर उच्छाल दिए,

“ अच्छा तो ये ले….आाआआईयईईईईईईईईईईईईईई… ऊऊओिइ. एम्म आआआआआ........ मार गयीईईईई…ये क्या कर रहा है बेशरम आआआआहह.” इस ज़बरदस्त धक्के से विकी का मूसल 6 इंच मेरी चूत में धँस गया. विकी के मोटे लंड ने मेरी चूत इतनी ज़्यादा चौड़ी कर दी की फटने को हो रही थी. लोगों का पूरा लंड ही 6 इंच लंबा होता है, इसका तो आधा ही लंड अभी मेरी चूत में घुसा था! हाई राम! पूरा घुस गया तो क्या होगा? मेरी चीख सुन के विकी बुरी तरह घबरा गया,

“ क्या हुआ दीदी?”

“ इसस्स्स्सस्स………अंजान बनता है …….आआआआः. तुझे शरम नहीं आती मैं तेरी दीदी हूँ. तेरी सग़ी बेहन हूँ.ऊऊऊफ़, मर गयीईईईईई….इससस्स” ये कहते हुए मैने विकी का लंड पकड़ लिया और बिस्तेर के पास रखे टेबल लॅंप को ऑन कर दिया. लंड तो मैने इसलिए पकड़ लिया कि कहीं वो घबरा के बाहर ना निकाल ले, लेकिन नाटक ऐसा किया जैसे मैं उसके लंड को और अंडर घुसने से रोक रही हूँ. लाइट ऑन होते ही मुझे अपने नीचे नंगी देख कर विकी के होश उड़ गये. वो हकलाता हुआ बोला,

“ ये क्या दीदी आप के कपड़े…?”

“ चुप, बेशरम! भोला बनता है. गुदगुदी करने के बहाने मेरा गाउन खोल दिया. मुझे पता ही नहीं चला तूने अपनी लूँगी कब उतारी. अपनी दीदी के साथ बलात्कार कर रहा है अंधेरे का फ़ायदा उठा कर.”

“ नहीं दीदी आपकी कसम…..” विकी बुरी तरह घबराया हुआ था.

“ बकवास मत कर. मैं सूब समझती हूँ. ये क्या किया तूने ?” मैं अपनी टाँगें खूब चौड़ी करके उसके लंड को दबाती हुई बोली. पहली बार उसने नीचे की ओर देखा. अभी तक तो उसकी नज़रें मेरी चूचिओ पर लगी हुई थी. मेरी फैली हुई टाँगों के बीच के घने जंगल में अपना लंड मेरी चूत में फँसा हुआ देख कर और भी घबरा गया और लंड को बाहर खींचने की कोशिश करने लगा. इसीलिए तो मैने उसका लंड पकड़ रखा था.
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#70
दीदी सच मुझे नहीं पता ये कैसे हो गया. मैं तो आपके साथ खेल रहा था.”

“ क्यों झूट बोल रहा है. अगर तेरे मन में कोई खोट नहीं था तो तेरा ये खड़ा कैसे हो गया?” मैने फिर से उसका लंड दबाते हुए पूछा.

“ सच दीदी आपकी कसम, मुझे कुच्छ पता नहीं चला.”

“ नाटक करना बंद कर. ये खड़ा हो गया, तूने अपनी दीदी को नंगी कर दिया और इसे मेरे अंडर भी घुसेड दिया और तुझे पता ही नहीं चला? तेरे मन में हमेशा से ही खोट था. तू क्या समझता है मुझे कुच्छ पता नहीं? परसों जब मैं तेरे बाथरूम से नहा के आई, उसके बाद तूने मेरी पॅंटी के साथ क्या किया था?”

“ ज्ज्जीए, दीदी आपको कैसे पता?”

“ मुझे सब पता है. मुझे ये भी पता है कि तूने दरवाज़े में छेद कर रखा है और मेरे कमरे में झाकता है. सच बता तूने अभी तक क्या देखा है?”

“ सच दीदी मैने कुच्छ भी नहीं देखा.”

“ देख विकी, अगर झूट बोलेगा तो जो तूने आज मेरे साथ किया है मैं मम्मी को बता दूँगी.तुझे मेरी कसम सच सच सब कुच्छ बता दे. मुझे पता है तेरी उम्र में लड़के छुप छुप के लड़कियो को देखने की कोशिश करते हैं. सच बोलेगा तो माफ़ कर सकती हूँ.”

“ प्रॉमिस करो कि आप मम्मी से शिकायत नहीं करोगी.”

“ प्रॉमिस. लेकिन जो पूछुन्गि उसका सच सच जबाब देना. झूट बोला तो शिकायत कर दूँगी.”

“ ठीक है दीदी, मैं आपको सब बता दूँगा.”

“ तो बता, तुझे मेरी पॅंटी अच्छी लगती है?”

“ जी दीदी, बहुत अच्छी लगती है.”

“लेकिन मेरी अलमारी से तो तूने कभी मेरी पॅंटी निकाली नहीं.”

“ वो तो सब धूलि हुई पॅंटीस हैं ना.”

“ ओ ! तो तुझे पहनी हुई पॅंटी अच्छी लगती हैं?”

“जी.”

“ क्यों, मेरी पहनी हुई पॅंटी में ऐसा क्या है?”

“ उसमें आपकी …. उम्म… वो चीज़ च्छूपी होती है ना.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ वो चीज़ क्या?”

“ प्लीज़ दीदी …… आपको पता तो है.”

“ मैं तेरे मुँह से सुनना चाहती हूँ. नहीं बताना है तो बोल.”

“ नहीं नहीं दीदी ऐसी बात नहीं है. मेरा मतलब था कि आपकी पॅंटी में आपके टाँगों के बीच की चीज़ च्छूपी होती है इसलिए.”

“ टाँगों के बीच की क्या चीज़?”

“ ओफ दीदी! आपकी …..उम्म….बहुत गंदा शब्द है, बोला नहीं जा रहा.”

“ ये सब करते हुए शर्म नहीं आई अब बोलने में शर्म आ रही है. बोलता है या फिर…?”

“ दीदी प्लीज़! मेरा मतलब है आपकी वो… वो… उम्म….उम्म.. च… चू…….चूत.” विकी बुरी तरह शरमाता हुआ बोला.

“ ओह! तो चूत बोलने में इतनी शर्म आ रही है जनाब को.”

“ दीदी आपके सामने ऐसे शब्द कैसे बोल सकता हूँ?”

“ अच्छा ! दीदी की चूत देखने में तो शर्म आई नहीं , चूत बोलने में बड़ी शरम आ रही है. लेकिन पॅंटी को सूंघ क्यों रहा था?”

“ बस वैसे ही.”

“ वैसे ही ? पॅंटी कोई सूंघने की चीज़ है? या कोई खुशबूदार चीज़ है ?”

“ बहुत खुशबूदार चीज़ है दीदी. उसमे आपकी खुश्बू आती है.”

“ मेरी खुश्बू तो मेरे दूसरे कपड़ो में भी होती है.”

“ नहीं दीदी आपकी च….छ्च ….चूत की महक तो आपकी पॅंटी में ही आएगी ना.”

“ ओ ! तो तुझे मेरी चूत की महक बहुत पसंद है ? चल, सूंघने तक तो ठीक है लेकिन उसके बाद तूने क्या किया ?”

“ जी, उसके बाद मैने पनती को अपनी टाँगों के बीच में जो होता है उसके ऊपर रग्रा.”

“ फिर वोही बात. टाँगों के बीच में क्या होता है?”

“ आपको पता तो है.”

“ नहीं मुझे क्या पता लड़के उसे क्या बोलते हैं?”

“ दीदी उसे लंड बोलते हैं.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ अच्छा तो उसे लंड बोलते हैं. लंड के ऊपर रगड़ने में मज़ा आता है?”

“ दीदी बहुत मज़ा आता है. एक तो पॅंटी का कपड़ा इतना मुलायम होता है और फिर ये सोच के कि जो पॅंटी अभी अभी आपकी चूत पर थी अब मेरे लंड पर है. आपकी चूत का ध्यान करके लंड पे पॅंटी रगड़ने में बहुत ही मज़ा आता है. ”

तब तो तूने मुझे नंगी भी ज़रूर देखा होगा?”

“ सिर्फ़ आपकी शादी के बाद. अभी कुच्छ दिन पहले उस दरवाज़े के छेद में से आपको कई बार पूरी तरह नंगी देख चुक्का हूँ. लेकिन जब आप खड़ी हुई होती हो तब आपकी चूत आपकी झांतों से धक जाती है.”

“ अच्छा तो ट्रेन के बाद मेरी चूत के दर्शन नहीं कर सका?”

“ नहीं दीदी अभी दो दिन पहले आप सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में लेटी नॉवेल पढ़ रही थी. पेटिकोट आपकी जांघों तक उठा हुआ था. आपने टाँगें चौड़ी कर रखी थी. मैं दरवाज़े के छेद में से झाँक रहा था. पॅंटी पहनना तो शायद आपने छोड़ ही दिया है. आपकी गोरी गोरी टाँगों के बीच में से एक बार फिर आपकी चूत के दर्शन हो गये. लेकिन शादी से पहले और शादी के बाद आपकी चूत में बहुत फरक हो गया है.”

“ क्यों ऐसा क्या फरक देख लिया तूने?”

“ आपकी चूत पहले से ही फूली हुई थी लेकिन अब शादी के बाद तो किसी डबल रोटी से भी ज़्यादा फूल गयी है. चूत के होंठ भी बड़े बड़े लग रहे थे और कुच्छ ज़्यादा ही खुले हुए नज़र आ रहे थे. ऐसा क्यों हो गया दीदी?”

“ तू भूल गया मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, और तेरे जीजाजी का लंड ख़ासा मोटा है. दो साल तक मोटे लंड से चुदवाने के बाद चूत चौड़ी नहीं होगी तो और क्या होगा?” मेरे मुँह से ‘चूत’, ‘लंड’ और ‘चुदाई’ जैसे शब्द सुन के विकी का लंड फंफनाने लगा था. उसकी शरम अब ख़त्म हो गयी थी. मैने उसके लंड को सहलाते हुए पूचछा,

“पहले मेरी चूत ज़्यादा अच्छी लगती थी कि अब शादी के बाद?”

“ दीदी मुझे तो आपकी चूत हमेशा ही अच्छी लगती है, लेकिन शादी के बाद और भी खूबसूरत हो गयी है.”

“ कभी किसी को चोदा है तूने?”

“ नहीं दीदी अपनी ऐसी किस्मत कहाँ.”

“ किसी दूसरी लड़की की चूत तो ज़रूर देखी होगी? तान्क झाँक करने की आदत तो है ही तेरी.”

“ आपकी कसम दीदी आपके सिवा आज तक किसी लड़की की चूत भी नहीं देखी. सिर्फ़ फोटो में देखी है.”

“ क्यों सुधीर की बेहन की चूत नहीं देखी?”

“ नहीं दीदी. वो पहले आपकी पॅंटी माँग रहा था.”

“ अक्च्छा, कभी अपनी दीदी को चोदने का दिल किया तेरा?”

“ कैसी बातें कर रही हो दीदी. मैं तो ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकता. आप तो मेरी सग़ी बेहन हो.”

“ फिर झूट बोला. मुझे नंगी देखने के लिए दरवाज़े में छेद किया, मेरी पॅंटी को सूँघता है और लंड पे रगड़ता है, तब मैं तेरी बहन नहीं हूँ?”

“ बेहन को नंगी देखना और बात है और सुचमुच चोदना दूसरी बात है.”

“ और बेहन की चुदाई देखना?”

“ क्या मतलब आपका दीदी?”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#71
जिस दिन तेरे जीजाजी गये उसके अगले दिन मैं तेरे और सुधीर के बीच सब बातें सुन चुकी हूँ. क्या क्या बता रहा था तू सुधीर को?” अब तो विकी के माथे पे पसीना आ गया. वो हकलाता हुआ बोला,

“ आपने सब सुन लिया? मैने ऐसा वैसा तो कुच्छ नहीं कहा.”

“ हाया…न… ऐसा वैसा कुच्छ नहीं कहा, सिर्फ़ विस्तार से अपनी बेहन की चुदाई का आँखों देखा हाल सुधीर को सुना दिया. जीजाजी तो काम कला में अनाड़ी हैं ना? तू बड़ा माहिर है ? और अब तो तेरे लंड को भी तेरी दीदी की चूत नसीब हो गयी है. अंधेरे का फ़ायदा उठा के तूने भी अपनी बेहन को ही चोद दिया.”

“ नहीं दीदी ये तो अंजाने में अंडर घुस गया.”

“ विकी सच सच बोल. दीदी को चोदने का मन करता है?”

“ हां दीदी बहुत करता है.”

“ क्यों?”

“ आप हो ही इतनी सेक्सी. जब से जवान हुआ हूँ आपके लिए तरस रहा हूँ.”

“ अच्छा अगर तुझे किसी और लड़की की दिला दूं तो?”

“ नहीं दीदी मुझे किसी और लड़की की नहीं चाहिए, मुझे तो सिर्फ़ आपकी…….”

“ हाँ हां बोल क्या बोल रहा है?”

“ दीदी मुझे तो सिर्फ़ आपकी ही चाहिए.एक बात और बोलूं तो आप बुरा तो नहीं मानोगी?”

“नहीं मानूँगी, बोल.”

“ आधा लंड तो आपकी चूत में घुस ही चुका है. अब पूरा भी अंडर चला जाए तो क्या फरक पड़ेगा? सिर्फ़ आज चोद लेने दो प्लीज़! आज के बाद फिर ऐसी ग़लती नहीं करूँगा.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ ये क्या कह रहा है विकी? एक भाई का अपनी सग़ी बहन को चोदना ठीक बात नहीं है.ये पाप है.”

“ किसी को पता नहीं लगेगा. आप कितनी अच्छी हो दीदी. मैने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा है.” विकी गिड़गिडता हुआ बोला.

“ देख विकी ये बात अच्छी तो नहीं है लेकिन अब तू मुझे आधा तो चोद ही चुका है, इसलिए मैं तुझे सिर्फ़ आज एक बार चोदने दूँगी. आज के बाद फिर कभी इस बारे में सोचना भी मत.”

“ सच दीदी ! आप कितनी अच्छी हो. लेकिन मैं तो चुदाई की कला में अनाड़ी हूँ, आपको सीखाना पड़ेगा. ” ये कहते हुए वो मेरी चूचियाँ मसल्ने लगा. मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी. मैं उसके विशाल लंड और बॉल्स को सहलाने लगी.

“ ठीक है सिखा दूँगी.”

“ लेकिन दीदी आप अपना गाउन तो उतार लो.”

“ क्यों गाउन उतारने की क्या ज़रूरत है?”

“ सिर्फ़ एक ही बार तो चोदना है, पूरी नंगी कर के चोदुन्गा.” ये कह कर विकी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर खींच लिया और मुझे उठा के खड़ा कर दिया. फिर उसने मेरा गाउन उतार दिया और अपनी लूँगी को जो उसके पैरों में फँसी हुई थी निकाल फेंका. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे. मैने पहली बार विकी का तना हुआ लंड इतने करीब से देखा और मेरी तो चीख ही निकल गयी.

“ ऊई मा ये क्या है?”

“ लंड है दीदी. आपने मेरा लंड पहले कभी नहीं देखा?”

“ तूने सब्को अपनी तरह समझ रखा है क्या ? मैं तेरी तरह तान्क झाँक नहीं करती.”

“ तो हाथ लगा के देखो ना.”

मैं उसके विशाल लंड को हाथ में ले कर सहलाती हुई बोली,

“ हाई राम! विकी तुझे पता है तेरा लंड कितना लंबा और मोटा है? इतना बड़ा लंड आदमियो का तो होता नहीं, ऐसा लंड तो घोड़े का होता है.”

“ हां दीदी एक दिन नापा था. एक फुट लंबा है और गोलाई में 8 इंच है.”

“ बाप रे! लंड है या बिजली का खुम्बा? पता नहीं मैं इसे झेल भी पाउन्गि या नहीं. ”

“ क्यों दीदी जीजाजी का भी तो ख़ासा मोटा है. उनका लंड तो आपकी चूत में बड़ी आसानी से जा रहा था.”

“ उनका लंड तो आदमी का लंड है ना घोड़े का तो है नहीं और ना ही मैं घोड़ी हूँ जो इस लंड को झेल सकूँ.” मैं प्यार से विकी के विशाल लंड पे आगे पीछे हाथ फेरने लगी. मेरी उंगलिओ के घेरे में तो उसका लंड आ नहीं रहा था. आज मेरा बरसों का सपना साकार होने जा रहा था लेकिन डर भी लग रहा था की कहीं मेरी चूत फॅट ना जाए. विकी ने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा. एक हाथ उसने मेरी टाँगों के बीच डाल दिया और मेरी चूत को अपनी मुट्ही में भर लिया. धीरे धीरे वो मेरी लंबी लंबी झांतों में हाथ फेर रहा था और कभी कभी चूत की दोनो फांकों के बीच उंगली रगड़ देता. फिर उसने दोनो हाथों से मेरे विशाल चूतरो को सहलाना शुरू कर दिया और उसका लंड मेरी चूत से टकराने लगा. मैने पंजों के बल ऊपर हो कर उसके लंड को अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी पेड़ की मोटी टहनी पे टाँगें दोनो तरफ किए लटक रही थी. विकी का उतावलापन बढ़ता जा रहा था. मेरे चूतरो को मसलता हुआ बोला,दीदी आपके चूतेर भी बहुत सेक्सी हैं.” मैं वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी. विकी फिर बोला,

“ अब चोदु दीदी?”

“ हुउँ, चोद ले”. विकी ने मुझे अपनी बाहों में उठा के बिस्तेर पर चित लिटा दिया. उसने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और मोड़ के मेरी छाति से लगा दिया. इस मुद्रा में मेरी फूली हुई चूत और भी ज़्यादा उभर आई और उसका मुँह ऐसे खुल गया जैसे बरसों से लंड की प्यासी हो. विकी गौर से मेरी चूत के खुले हुए छेद को देख रहा था. फिर अचानक उसने मेरी टाँगों के बीच मुँह डाल दिया. वो जीभ से मेरी चूत के खुले हुए होंठों को चाटने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#72
आ….अया विकी ये क्या कर रहा है? एयाया………..” बहुत मज़ा आ रहा था. विकी चूत के कटाव में और कभी चूत के अंडर जीभ पेलने लगा. पहली बार किसी लड़की की चूत चाट रहा था लेकिन अनाड़ी बिकुल नहीं लग रहा था. उसने मेरी चूत को अच्छी तरह चॅटा और जितनी अंडर जीभ डाल सकता था उतनी अंडर जीभ को घुसेड़ा. मेरी चूत बुरी तरह रुस छ्चोड़ रही थी. मेरी झाँटें विकी के मुँह में घुस गयी थी लेकिन उसकी परवाह किए बिना वो मेरी चूत चाते जा रहा था. मेरे मुँह से “ …एयेए, …. ऊ उवई माआअ…. अयाया” जैसे वासना भरे शब्दों को सुन कर उसका जोश और भी बढ़ गया था. मैने भी जोश में आ कर उसका मुँह अपनी चूत पे मसल दिया. मेरी चूत तो गीली थी ही, झाँटें भी गीली हो चुकी थी. विकी का चेहरा मेरे रस से सन गया. मुझ से और नहीं सहा जा रहा था. एक बार तो झाड़ भी चुकी थी. मैं विकी के मुँह को अपनी चूत पे रगड़ते हुए बोली,

“ बस कर विकी, अब चोद अपनी दीदी को.” विकी ने उठ कर अपने मोटे लंड का सुपरा मेरी चूत के छेद पर टीका दिया,

“ इज़ाज़त हो तो पेल दूं दीदी?”

“ ऊओफ़ बदमाश ! अब तंग मत कर. इतनी देर से टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत तेरे हवाले क्यों की हुई है? अब चोद भी मेरे राजा.”

“ तो ये लो दीदी.” ये कहते हुए विकी ने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ ओउइ मया…….आ…..आआआः धीरे, तेरा बहुत मोटा है.” विकी का लंड फ़च से मेरी चूत को चीरता हुआ 4 इंच अंडर घुस गया. उसने एक बार फिर लंड को बाहर खींच के एक और ज़ोर का धक्का लगाया.

“ आआआअ……हह….ऊऊओह.” लॉडा 7 इंच घुस चुक्का था और मुझे ऐसा लग रहा था की अब मेरी चूत में और जगह नहीं है. मेरी वासना के साथ मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी. अभी तो 5 इंच और अंडर जाना बाकी था. इससे पहले कि मैं कुच्छ कहती विकी ने पूरा लॉडा बाहर खींच के पूरी ताक़त से एक भयंकर धक्का लगा दिया.

“ आआआआआआईयईईईईईईईईई………ओईईई… म्‍म्म्माआआअ मार गाइिईईई आआहह. एयेए…….आआआहह ……ऊओह छोड़ मुझे आ.एयेए…..आआआआः मैं मर् जाउन्गि” इस भयंकर धक्के से वो मोटा ताना 10 इंच अंडर घुस गया था. उस मोटे लॉड ने मेरी चूत इतनी फैला दी की बस फटने को हो रही थी. अंडर जाने की तो बिल्कुल जगह नहीं थी. हाई राम! पूरा लंड कैसे झेल पाउन्गि?

“ विकी बस कर मेरे राजा अब और अंडर मत डाल. मर जाउन्गि. तेरा बहुत बड़ा है.”

“ दीदी मैने सुना है लंड कितना ही बड़ा क्योन्ना हो औरत की चूत में समा ही जाता है.” एक तरफ डर भी लग रहा था और दूसरी तरफ विकी के एक फुट के लंड से चुदाई का मौका भी नहीं खोना चाहती थी. जब तक मरद का पूरा लॉडा चूत में ना जाए तब तक चुदाई का मज़ा ही क्या. विकी थोड़ी देर बिना हीले मेरे ऊपर पड़ा रहा और फिर जब तोड़ा दर्द कम हुआ तो धीरे धीरे लंड को मेरी चूत में अंडर बाहर करने लगा. इन छ्होटे छ्होटे धक्कों से मेरी चूत फिर से गीली होने लगी. अचानक उसने पूरा लॉडा बाहर खींच के बहुत ही ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ आाऐययईईईई….. आआअहह …..ऊऊऊओह …माआ….. ईइसस्सस्स………आअहह…..ईीइसस्सस्स. फाड़ डालेगा ? इतनी बेरहमी से चोद रहा है अपनी दीदी को. तेरी सग़ी बेहन हूँ. आआ…ह…. कुच्छ तो ख्याल कर. ऊीइ…. सच मच फॅट जाएगी, बेशरम!” इस धक्के से विकी का लॉडा जड़ तक मेरी चूत में समा गया था. उसके मोटे मोटे बॉल्स मेरी गांद से टकरा रहे थे. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी चूत विकी का एक फुट लंबा लॉडा निगल गयी थी. दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था.
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#73
नहीं फटेगी दीदी, मुझे यकीन था कि आपकी चूत मेरा लॉडा ज़रूर झेल लेगी.”

“ अच्छा ! तुझे ऐसा यकीन कैसे हो गया ? तुझे क्या पता इस वक़्त मेरी चूत का क्या हाल है.”

“ मेरी प्यारी दीदी की चूत बनी ही मेरे लौडे के लिए है. बोलो दीदी मैं ही पहला मर्द हूँ ना जिसने आपकी चूत सबसे पहले देखी?”

“ हां मेरे राजा तूने ही सबसे पहले मेरी चूत देखी थी.”

“ देखी ही नहीं चूत की महक भी मैने ही सबसे पहले ली है.”

“ हाँ ये बात भी सच है.”

“ तो फिर आपने सबसे पहले मुझे अपनी चूत क्यों नहीं दी?”

“ कैसे देती विकी, मैं तेरी बेहन हूँ.”

“ अब भी तो दे रही हो.”

“अब की बात तो अलग है. मैने दी कहाँ तूने ज़बरदस्ती ले ली.”

“ इतने प्यार से दे रही हो दीदी. इसे ज़बरदस्ती लेना कहते हैं?”

“ अब जब तूने ले ही ली है तो क्यों ना अच्छी तरह से दूं. मैं चाहती हूँ की आज तुझे औरत को चोदने का पूरा मज़ा मिले. और मैं तेरा अपनी दीदी को चोदने का सपना भी पूरा करना चाहती हूँ. जी भर के चोद ले अपनी प्यारी दीदी को.” विकी ने मेरी चूचियाँ दोनो हाथों में पकड़ के फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैं भी चूतर उचका उचका के उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. विकी लॉडा पूरा निकाल के जड़ तक पेल रहा था. उसके बॉल्स मेरी गांद से टकरा रहे थे. मेरी चूत इतना ज़्यादा रस छ्चोड़ रही थी की विकी के हर धक्के के साथ मेरी चूत में से… फ़च… फ़च …. फ़च……… …फ़च…फ़च …..फ़च……. फ़च …..फ़च……फ़च और मेरे मुँह से आअहह…. अया…. आआआआऐययईईई …..आआआहह……ऊवू….वी …. एयेए ……..वी माआ…… आआआः…. .ओह्ह….. उम्म्म्म…… .का मधुर संगीत गूँज़ रहा था. विकी के मोटे लॉड ने मेरी चूत इतनी ज़्यादा चौड़ी कर दी थी की फटने को हो रही थी. जब जड़ तक लंड अंडर पेलता तो ऐसा लगता जैसे चूत फाड़ के छाती में घुस जाएगा. शायद विकी का लंड दुनिया के सबसे बड़े लौड़ों में से एक हो. इतना लंबा और मोटा लॉडा करोड़ो औरतों में किसी एक औरत को ही नसीब होता होगा. मैं सुचमुच बहुत भाग्यशाली हूँ. मैने टाँगें खूब चौड़ी कर रखी थी ताकि विकी को लंड पूरा अंडर पेलने में कोई रुकावट ना हो.

“ दीदी ये फ़च फ़च.. की आवाज़ कहाँ से आ रही है ?” विकी मेरी चूत में लंड अंडर बाहर करता हुआ बोला.

“ हट नलायक ! तुझे नहीं पता?”

“ मुझे कैसे पता होगा दीदी ? ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को चोद रहा हूँ.”

“ तुझे कैसे बताउ ? तू तो बहुत खराब है.”

“ बताओ ना दीदी प्लीज़…”

“ देख विकी मेरी चूत बहुत गीली है. तू अपने लॉड से मेरी रस से भरी चूत में धक्के लगा रहा है ना, इसीलिए ये फ़च फ़च की आवाज़ आ रही है.”

“ ओ ! तो आपकी चूत भी आवाज़ करती है.”

“ सभी औरतों की चूत ऐसे ही आवाज़ करती है, बेवकूफ़.”

“ हाई क्या मादक आवाज़ है ! दीदी आपको मज़ा तो आ रहा है ना?” विकी धक्के मारता हुआ बोला,

“ ह्म्‍म्म….. बहुत मज़ा आ रहा है.”

“ मैं थोड़ा अनाड़ी हूँ.”

“ इतना भी अनाड़ी नहीं है. कितनी अच्छी तरह से चोद रहा है. सच, आज तक चुदाई में इतना मज़ा नहीं आया.”

“ झूट ! उस दिन जीजाजी से तो खूब चूतर उचका उचका के चुदवा रही थी.” विकी ज़ोर का धक्का लगाता हुआ बोला.

“ ओईइ…माआ…..एयाया…तेरे जीजाजी तो अनाड़ी हैं. उनसे जितना मज़ा ले सकती हूँ उतना लेने की कोशिश करती हूँ.”

“ क्यों दीदी जीजाजी अनादि क्यों हैं?”

“ अनाड़ी इसलिए हैं क्योंकि उन्हें औरत को चोदने की कला नहीं आती है.”

“ चोदने की कला से आपका क्या मतलब?”

“ अरे औरत को चोदने से पहले उसे गरम करना ज़रूरी है. गरम करने के बाद चोदने के भी काई तरीके होते हैं. सिर्फ़ औरत की टाँगें उठा के उसकी चूत में लंड पेलने का काम तो कोई भी कर सकता है.”

“ दीदी पता कैसे लगेगा कि औरत गरम हो गयी है?” विकी चूचिओ को मसल्ते हुए धक्का लगाता हुआ बोला.

“ ऊऊओफ़, जब औरत गरम हो जाती है तो उसकी चूत गीली हो जाती है. तभी तो आदमी लंड अंडर डाल पाता है.”

“ ओह दीदी ! लेकिन आपको तो मैने गरम किया नहीं था, आप तो बिल्कुल गीली थी. इसका मतलब आप पहले से ही गरम थी और मेरे ऊपर बलात्कार का इल्ज़ाम लगा रही थी.”

“ तुझे कैसे मालूम मैं गीली थी?”

“ अभी आप जब मेरे ऊपर चढ़ के किताब छ्चीन रही थी तो फिर से मेरे मुँह पे गिर पड़ी थी. आपका गाउन ऊपर चढ़ गया था. आपकी नंगी चूत मेरे होंठों पे रगड़ गयी थी. 2 मिनिट तो मैं साँस ही नहीं ले पाया. झाँटें मेरे मुँह में घुस गयी और मेरे होंठ और नाक पूरी तरह चूत के रस से गीले हो गये. ऊफ़ ! क्या मादक खुश्बू है आपकी चूत की और चूत के रस का स्वाद तो मानो अमृत से भी बढ़ कर. पहले मुझे लगा कि आपकी चूत शायद पेशाब से गीली है लेकिन जब मुँह पे हाथ लगाया तो लिसलिसा लगा. उस वक़्त मुझे समझ नहीं आया कि आपकी छूट से क्या निकल रहा है. बोलो आप गरम थी ना.” मेरी चोरी पकड़ी गयी थी.

“ तू सुचमुच बहुत चालाक है. देख विकी मैं भी तो औरत हूँ. तेरे जैसे मर्द के जिस्म से जिस औरत का जिस्म रगड़ता रहे, वो औरत गीली नहीं होगी तो क्या होगी. और फिर तेरा खड़ा हुआ लॉडा भी तो मेरे बदन और मेरी चूत से रगड़ रहा था. इतने मोटे लॉड की रगड़ खा कर किसी भी औरत की चूत गीली हो जाएगी. लेकिन इसका मतलूब ये तो नहीं कि मैं तुझसे चुदवाना चाहती थी और ना ही इसका मतलूब ये था कि तू ज़बरदस्ती मेरी चूत में अपना मूसल पेल दे.” मैं चूतर ऊपर उचका के विकी का पूरा लंड अपनी चूत में लेती हुई बोली. क्या दमदार मर्द था विकी ! ज़िंदगी में पहली बार चोद रहा था किसी औरत को, फिर भी झरने का नाम नहीं ले रहा था. एक घंटे से ज़्यादा तो हो ही चुक्का था चोदते हुए. उसके पहले भी आधे घंटे तक उसका लंड मेरी चूत में फँसा हुआ था. मैं तो दो बार झाड़ चुकी थी. मेरी टाँगें इतनी देर से फैली होने के कारण दर्द करने लगी थी. विकी के लंबे, मोटे लॉड के दमदार धक्कों से मेरी चूत में मीठा मीठा दर्द हो रहा था. चुदवाने में इतना मज़ा कभी नहीं आया था.

“ दीदी आपको चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है. बचपन से इसके लिए तरस रहा था”

“ सच ! जी भर के चोद ले अपनी दीदी को. तुझमें तो बहुत स्टॅमिना है लेकिन मेरी टाँगों में बहुत दर्द हो रहा है.”

“ अच्छा, तो आप मेरे ऊपर आ जाओ, फिर टाँगों में दर्द नहीं होगा.” ये कह कर विकी ने लंड बाहर खींच लिया और पीठ के बल लेट गया. उसका एक फुट लंबा लंड एकदम तना हुआ था और लंड का सुपरा आसमान की ओर था. पूरा लंड चूत के रस में सना हुआ था और चूत का रस पी कर और भी मोटा लग रहा था. बाप रे ! क्या भयंकर लॉडा था. ऐसी फनफनई हालत में देख के तो अच्छी लंबी तगड़ी औरतों के भी होश उड़ जाएँ. विश्वास नहीं हो रहा था कि, इतना बड़ा लंड अभी अभी पूरा मेरी चूत में घुसा हुआ था. उसके फंफनाए लंड को देख कर मेरी चूत की आग और भी भड़क उठी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#74
ऐसे क्या देख रही हो ? आओ ना दीदी मेरे लंड पे बैठ जाओ. आपकी टाँगों को आराम मिलेगा.”“ बड़ा ख्याल है तुझे अपनी बेहन का ! लेकिन तेरे इस खंबे पे चढ़ने के लिए तो मुझे खड़ा होना पड़ेगा.” मैं विकी के दोनो ओर टाँगें कर के बिस्तेर पे खड़ी हो गयी. विकी की आँखें मेरी टाँगों के बीच में लगी हुई थी. उसके लंड का सुपरा भी मेरी चूत को ललचाई नज़रों से देख रहा था. मैने बहुत धीरे धीरे बैठना शुरू किया. जैसे जैसे मैं नीचे होने लगी वैसे वैसे मेरी टाँगें चौड़ी होने लगी. टाँगें चौड़ी होने के साथ साथ घनी झांतों के बीच से मेरी चूत नज़र आने लगी. अब मेरी चूत विकी के तने हुए लॉड से सिर्फ़ 6 इंच ऊपर थी. टाँगें खूब चौड़ी होने के कारण चूत की दोनो फाँकें भी फैल गयी और चूत के खुले हुए होंठ और च्छेद नज़र आने लगा. विकी के मोटे लंड ने मेरी चूत के छेद को खूब चौड़ा कर दिया था. विकी ऐसे कामुक नज़ारे को देख के बहाल हो रहा था. जुब मेरी चूत विकी के सुपारे से सिर्फ़ एक इंच ऊपर थी तो अचानक विकी बोला,

“ ठहरो दीदी, खड़ी हो जाओ.” मैं खड़ी हो गयी.

“ क्या हुआ ? दीदी को चोद के मन भर गया?”

“ नहीं दीदी ! आपको चोद के तो मेरा मन कभी नहीं भर सकता. ज़रा आगे आओ.” मैं आगे हो गयी.

“ और आगे” मैं और आगे हो गयी.

“ ओह हो ! और थोड़ा आगे.”

“ तू क्या चाहता है ?” मैं और आगे होते हुए बोली. अब मैं ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी.

“ अब ठीक है. बैठ जाओ.” मैं समझ गयी विकी मेरी चूत चाटना चाहता था. मेरा दिल उत्तेजना से धक धक करने लगा. मैने फिर बैठना शुरू कर दिया. जैसे जैसे नीचे की ओर होती गयी मेरी टाँगें फैलने लगी और मेरी फूली हुई चूत झांतों के बीच से झाँकने लगी. चूत के चारों तरफ के बाल बुरी तरह से चूत के रस में सने हुए थे. विकी की आँखें मेरी चूत पे टिकी हुई थी जिसका मुँह विकी के मोटे लॉड ने चौड़ा कर दिया था. मैं ऐसे बैठ गयी जैसे लड़कियाँ पेशाब करने बैठती हैं. मेरी चूत विकी के होंठों से सिर्फ़ आधा इंच ऊपेर थी. विकी मेरी चूत के अंडर झाँक सकता था क्योंकि उसके मोटे लंड ने मेरी चूत के छेद को फैला जो दिया था.

“ ले बैठ गयी. ऐसे क्यों बैठा दिया ?”

“ अया ! क्या मादक खुश्बू है. इतनी मादक खुश्बू तो आपकी पॅंटी में भी कभी नहीं आई.”

“ अरे बुद्धू, मैं कितनी गीली हूँ. है तो तेरे लंड का है कमाल जो इतना गीला कर दिया.”

“ दीदी, इस खूबसूरत चूत को चाटने के सपने बचपन से ले रहा हूँ.” ये कहते हुए विकी ने दोनो हाथों से मेरे चूतर पकड़ के अपना मुँह मेरी चूत से चिपका दिया. विकी मेरी चूत को पागलों की तरह चाटने लगा. बीच बीच में अपनी जीभ चूत में घुसा देता. विकी का मुँह मेरी चूत और घनी झांतों में धक गया था. मैं भी बहुत उत्तेजित हो गयी और मैने विकी का सिर पकड़ के ज़ोर से अपनी चूत में मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और मैं एक बार फिर झाड़ गयी. विकी का मुँह मेरी चूत के रस से सुन गया. बेचारा साँस भी नहीं ले पा रहा था लेकिन मेरी चूत में मुँह धंसा के चाटता ही रहा.

“ विकी छ्चोड़ मुझे ये क्या कर रहा है ? तूने मुझे ये कैसे बैठा रखा है?”

“ सच दीदी मज़ा आ गया. ऐसे चूत फैला के बैठी हुई आप बहुत ही सेक्सी लग रही हो.”

“ हट पागल ! ऐसे तो पेशाब करने बैठते हैं.”

“ हाई…..दीदी. पेशाब करते वक़्त आपकी चूत से प्सस्ससस्स….. की आवाज़ सुन के तो मेरा लंड कयि बार खड़ा हो चुका है. जब भी आप बाथरूम में पेशाब करने जाती हो तो मैं दरवाज़े पे कान लुगा के सुनता हूँ. जब से आपकी शादी हुई है तब से आपकी चूत पेशाब करते हुए और भी ज़्यादा आवाज़ करने लगी है. ऐसा क्यों दीदी?”

“ शादी के बाद से मेरी चूत का छेद चौड़ा हो गया है, शायद इसीलिए ज़्यादा आवाज़ करने लगी होगी.”

“ आपकी चूत से निकलती हुई प्सस्सस्सस्स……. की आवाज़ बहुत ही मादक होती है. अब तो आपकी चूत इतने ज़ोर से आवाज़ करती है कि दरवाज़े से कान लगाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती. पूरे घर को पता लग जाता है कि मेरी प्यारी दीदी पेशाब कर रही है.”

“ अब तू चुप कर बदमाश, नहीं तो मैं तेरे ऊपर ही पेशाब कर दूँगी.”

“ कर दो ना दीदी. आपकी चूत से निकलती हुई अमृत की धार देखने के लिए बहुत तरस रहा हूँ. करो ना दीदी प्लीज़…” विकी दोनो हाथों से मेरे चूतरो को दबा कर मेरी चूत को चूमता हुआ बोला. विकी इस्कदर मेरी चूत का दीवाना था मुझे पहली बार पता चला.

“ तू दीदी को चोदना चाहता है या नहीं ? अगर नहीं चोदना है तो मुझे जाने दे.”

“ हां दीदी ज़रूर चोदुन्गा लेकिन उससे पहले आपकी इस खूबसूरत घनी झांतों से भरी चूत से निकलती अमृत की धार देख लूँ और प्सस्सस्स्सस्स…..का मधुर संगीत तो सुन लूँ. उसके बाद आपकी चूत चोदने में बहुत मज़ा आएगा.”

“ तू तो पागल हो गया है. मैं जा रही हूँ.” मैं झूठा गुस्सा करते हुए बोली.

“ कहाँ जा रही हो ? उतोगी तो मैं आपकी चूत काट लूँगा.” ये कहते हुए उसने मेरे चूतरो को पकड़ के मेरी चूत की दोनो फांकों को अपने दाँतों के बीच दबा दिया.

“ ऊओईई….अया..ये क्या कर रहा है नालयक!”

“ करो जल्दी से नहीं तो ज़ोर से काट लूँगा.” विकी मेरी चूत पे दाँतों का दबाव बरता हुआ बोला. बाप रे, ये तो सुचमुच ही मेरी चूत को काट लेगा. इस तरह चूत खोल के विकी के ऊपर पेशाब करने की कल्पना से ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. अजीब तरह की उत्तेजना का अहसास हो रहा था.ये तो काम कला का एकदम नया नुस्ख़ा था. लेकिन विकी के ऊपर पेशाब कैसे कर देती, और वो भी उसके मुँह पे. हालाँकि पेशाब का प्रेशर ज़्यादा होता जा रहा था क्योंकि विकी करीब दो घंटे से चोद रहा था और मैं तीन बार झाड़ चुकी थी. विकी चूत की फांकों के बीच के कटाव में जीभ फेर रहा था और कभी कभी फूली हुई चूत को काट लेता.

“ विकी प्लीज़ मुझे छोड़ दे. अगर तू देखना ही चाहता है तो मैं तेरे सामने बाथरूम में पेशाब करने को तैयार हूँ.”

“ नहीं मेरी प्यारी दीदी, आपकी चूत से निकलती हुए धार देखने के लिए ये बिल्कुल सही मुद्रा है. अब कर भी डालो. उसके बाद तो आपकी चूत लेने में बहुत ही मज़ा आएगा.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#75
विकी मैं तेरे ऊपर कैसे पेशाब कर दूं ? तू तो बिल्कुल पागल हो गया है. प्लीज़ विकी तू मेरे साथ कुच्छ भी कर ले मैं कुच्छ नहीं कहूँगी लेकिन इस बात की ज़िद मत कर.” विकी तो मानो मेरी बात सुन ही नहीं रहा था. वो पागलों की तरह मेरी चूत में मुँह दे कर चाट रहा था. फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे चूतरो को मसल्ने लगा और एक उंगली से चूतरो के बीच की दरार को सहलाते हुए उंगली मेरी गांद के छेद पे रख दी. अब तो उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था. अचानक विकी ने मेरे चूतरो को बहुत ज़ोर से दबाया और उंगली को गांद के अंडर सरकाते मेरी चूत की फांकों को ज़ोर से काट लिया. मैं और ना सहन कर सकी और मेरी चूत में से पेशाब निकल ही पड़ा. क्योंकि विकी ने मेरी पूरी चूत अपने मुँह में दबा रखी थी, पेशाब की गरम गरम तेज़ धार जिसमे मेरी चूत का रस और विकी का वीर्य भी मिला हुआ था सीधे विकी के मुँह में घुस गयी. विकी हराबरा गया. मैने बरी मुश्किल से पेशाब को रोका. विकी का चेहरा पेशाब से गीला हो गया था. काफ़ी सारा पेशाब तो वो पी गया था.

“ हाई दीदी मज़ा आ गया. अब थोड़ा सा पीछे हो के मेरे ऊपर पेशाब करो ताकि मैं आपकी चूत से निकलती हुई धार देख सकूँ. मैं थोड़ा सा पीच्चे हो गयी और इस बार पूरे प्रेशर के साथ पेशाब करने लगी. प्सस्सस्स्स्स्स्सस्स……………..की आवाज़ से पूरा कमरा गूंज़्ने लगा. काफ़ी देर से पेशाब रोक रखा था इसलिए धार बहुत तेज़ निकली. पेशाब की धार विकी की छाती पे लग रही थी. विकी बारे ध्यान से मेरी चूत से निकलती हुई धार को देख रहा था. पूरा बिस्तेर गीला हो गया. विकी तो पूरा पेशाब में नहा ही गया था. जब पेशाब कर चुकी तो विकी ने फिर से मेरी चूत में मुँह दे दिया और मेरी गीली चूत और झांतों को चाट चाट के सॉफ करने लगा.

“ अब तो खुश है ना ? जा अब नहा ले.”

“ दीदी आज तो मैं सुचमुच बहुत खुश हूँ. आपकी चूत से निकलती धार को देखने का नज़ारा बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. अभी नहीं आपको पूरी तरह से चोद के ही नहाउंगा.” बाप रे विकी आदमी नहीं घोड़ा था. दो घंटे से चोद रहा था लेकिन झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

“ चोद ही तो रहा है दो घंटे से, अब और कैसे चोदेगा? तुझमे बहुत स्टॅमिना है विकी, मैं तो टीन बार झाड़ चुकी हूँ और टू एक बार भी नहीं.”

“ दीदी अभी कैसे झाड़ सकता हूँ ? आज के बाद आप फिर कभी चोदने नहीं दोगि, इसलिए आज तो आपके साथ सब कुच्छ करके ही झदूँगा.”

“ सब कुच्छ से क्या मतलब ? अभी और क्या करेगा ? पता नहीं क्या क्या काम करवा रहा है मुझसे.अच्छा चल अपने और मेरे बदन को पोछ तो ले. ये बिस्तेर भी गीला हो गया है. ”

“ ठीक है दीदी, पहले अपना गीला बदन पोछ लेते हैं.” ये कह कर हम दोनो उठ गये. विकी ने टवल से अपने और मेरा बदन पर से पेशाब के गीलेपन को पोछा. फिर उसने एक सूखा गद्दा ज़मीन पर डाल दिया, और बोला,

“ दीदी अब आप घोड़ी बन जाओ. आप मुझे घोड़ा बोलती हो ना. अब मैं आपको घोड़े की तरह चोदुन्गा.” विकी वाकाई काम कला में बहुत माहिर लग रहा था. विश्वास नहीं होता था कि सिर्फ़ किताब पढ़ कर और चुदाई की पिक्चर देख कर इतना सब सीख गया था. मैं घोड़ी बनते हुए बोली,

“ आजा मेरे घोड़े चोद अपनी घोड़ी को अपने एक फुट के लंड से.” मैने टाँगें खूब चौड़ी कर के चूतरो को इस प्रकार ऊपर कर दिया कि विकी को मेरे मोटे मोटे चूतरो के बीच से चूत का खुला हुआ मुँह सॉफ दिखाई देने लगा. विकी मेरे पीछे घोड़ा बन गया और फिर से अपना मुँह पीछे से मेरी चूत में दे दिया. वो पीछे की ओर उभरी हुई मेरी चूत को चाटने और दाँतों से काटने लगा. बहुत ही आनंद मिल रहा था. मेरी चूत ने बुरी तरह रस छ्चोड़ना शुरू कर दिया. विकी चूत के पूरे कटाव में जीभ फेरता और बीच बीच में जीभ चूत में घुसेड देता. उसके होंठ तो मेरी चूत से चिपके हुए थे थे लेकिन नाक मेरे चूतरो के बीच घुस गया था. मैने चूतेर और भी पीछे की ओर उचका दिए.

इस वक़्त मैने चूतेर इस तरह से उचका के फैला रखे थे की मेरे भारी चूतरो के बीच मेरी गांद का छेद भी विकी की आँखों के सामने था. विकी मेरे चूतरो को मसलता हुआ गहरी साँस लेकर बोला,

“ दीदी आपके चूतेर बहुत ही सेक्सी हैं. मालूम है सारा कॉलेज आपके इन कातिलाना चूतरो पे मरता था ? लड़के कहते थे की आपकी गांद लेने में तो ज़न्नत का मज़ा मिलेगा.”

“ तेरे इरादे मुझे ठीक नहीं लग रहे विकी. कहीं तू मेरी गांद मारने के तो चक्कर में नहीं है ?”

“ दीदी आपने कहा कि मैं आपको एक बार चोद सकता हूँ और जो चाहूं कर सकता हूँ.”

“ हाँ मेरे राजा जो चाहे कर लेकिन तेरा ये बिजली का खंबा मेरी गांद में कैसे जाएगा ? और फिर अभी तक तूने मेरी चूत तो अच्छी तरह से चोदि नहीं”

“ ये बात ठीक है दीदी पहले मैं आपकी चूत तो जी भर के चोद लूँ, बाद में गांद के बारे में सोचेंगे. लेकिन दीदी आपने कभी घोड़े को घोड़ी की चुदाई करते देखा है?”

“ नहीं मैने कभी नहीं देखा.”

“ तो मैं बताता हूँ. पहले एक घोड़ी घोड़े के लंड को चाट के खड़ा करती है. जब घोड़े का लंड तन जाता है तब जिस घोड़ी की चुदाई करनी होती है उसे लाया जाता है. उसके बाद ही घोड़ा उस घोड़ी की जम के चुदाई करता है. अब अगर मुझे भी आपको घोड़ी की तरह चोदना है तो आप मेरे लंड को चुदाई के लिए तैयार तो करो. लो मैं घोड़ा बन जाता हूँ.” ये कह कर विकी भी घोड़ा बन गया. मैं समझ गयी विकी मुझसे क्या चाहता था.

“ ठीक है घोड़े राजा ! पहले मैं आपके लंड को चुदाई के लिए तैयार करती हूँ.” विकी घोड़ा बना हुआ था और उसका एक फुट लंबा लॉडा नीचे ऐसे झूल रहा था जैसे वाकाई किसी घोड़े का लंड हो. मैं तो बरसों से इस लॉड को चूमने के लिए तरस रही थी. सच कहूँ तो गधे या घोड़े के लंबे मोटे लटकते हुए लंड को जब भी देखती, मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती. हमेशा सोचती की काश मैं ऐसे लंड को कभी चूस पाउ. विकी का लंड भी किसी घोड़े के लंड से कम नहीं था. मैं घोड़ी बने हुए ही विकी के पीछे गयी. विकी के बड़े बड़े बॉल्स लटक रहे थे. मैने उसकी टाँगों के बीच में मुँह डाल कर उसके बॉल्स को चाटना शुरू कर दिया. क्योंकि विकी घोड़ा बना हुआ था, उसके लंड को चूस पाना बहुत मुश्किल हो रहा था. विकी बोला.

“ दीदी अब आप चित लेट जाओ तभी आप इस घोड़े का लंड चूस पाओगि.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
चित लेट गयी और विकी घोड़ा बना हुआ मेरे मुँह के ऊपर आ गया. उसका एक फुट लंबा लंड अब मेरे मुँह के ऊपर झूल रहा था. बरसों पहले जब एक रात विकी सो रहा था तब मैने उसके लंड को चूमा था. उस दिन तो उसका लंड ढीला उसकी जांघों पर पड़ा हुआ था. लेकिन आज तो पूरा तना हुआ था और मेरी चूत का रस पी पी कर ख़ासा मोटा हो गया था. लंड का फूला हुआ सुपरा बहुत भयंकर लग रहा था. धीरे धीरे विकी ने अपने लंड के सुपरे को मेरे होंठों पे टीका दिया. बरसों की मेरी प्यास भाड़क उठी. मैने जीभ निकाल के उसके सुपरे को चाटना शुरू कर दिया. मेरी जीभ का स्पर्श मिलते ही विकी का लॉडा फंफनाने लगा. मैं थोड़ा सा उठ कर उसके पूरे लॉड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी. बाप रे ! कितना लंबा और मोटा था. सच ऐसा लॉडा तो बहुत किस्मत वाली औरत को ही नसीब होता है. बीच में उसके बड़े बड़े बॉल्स भी चाट लेती. मैं विकी के लंड को मुँह में लेने के लिए तरस रही थी लेकिन घबरा भी रही थी कि इतना मोटा लॉडा मेरे मुँह में जाएगा कैसे? मैने हिम्मत करके पूरा मुँह फाड़ के लंड के सुपरे को मुँह में डाल लिया. ऊओफ़ ! कितना अच्छा लग रहा था. बड़ी मुश्किल से करीब तीन इंच लंड मुँह में ले के चूसने लगी. विकी को जोश आ रहा था. उसने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरा मुँह तो पूरी तरह खुला हुआ था. विकी इतना उत्तेजित हो गया की वो मेरा सिर पकड़ के अपने लंड से मेरे मुँह कोचोदने लगा. उसका लंड मेरे गले तक चला गया था. और अंडर पेलता तो मेरा दम ही घुट जाता. थोड़ी देर इस प्रकार मेरे मुँह में लंड पेलने के बाद विकी घूम गया और अब उसका मुँह मेरी टाँगों की ओर था. उसने झुक के मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अब विकी मेरे ऊपर था, उसका लंड मेरे मुँह में और मेरी चूत उसके मुँह में थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था. विकी थोरी देर बाद उठता हुआ बोला,

“ दीदी अब इस घोड़े का लंड घोड़ी को चोदने के लिए तैयार है. चलो घोड़ी बन जाओ.” मैं उसके लंड को मुँह से निकाल के फिर से घोड़ी बन गयी. इस बार मैने अपनी छाती बिस्तेर पे टीका दी और टाँगें खूब चौड़ी करके चूतेर ऊपेर की ओर उचका दिए. मेरी चूत मुँह खोले विकी के लॉड के लिए तैयार थी. विकी भी घोड़ा बन गया और जल्दी से एक बार फिर मेरी चूत को चूम कर लॉड के सुपरे को चूत के मुँह पे टीका दिया. मैं विकी के विशाल लंड को लेने के लिए तैयार थी लेकिन वो भी मुझे तरसा रहा था. हल्के से लंड पे दबाव डाल के मेरी चूत के मुँह को फैला देता लेकिन अंडर घुसाने से पहले ही बाहर निकाल लेता. मुझसे नहीं सहा जा रहा था.

“ विकी तंग क्यों कर रहा है ? पेल दे ना प्लीज़ !”

“ क्यों दीदी ? मैं सोच रहा था कि आप ठीक ही कह रही थी. अपनी सग़ी बेहन को चोदना तो पाप होता है. हमे ऐसा नहीं करना चाहिए.” मेरी उत्तेजना जितनी बढ़ रही थी विकी उतना ही मुझे तरपा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#77
हट बेशरम ! अब तुझे पाप की याद आ रही है. प्यासी को कूए के पास ले जा के पानी नहीं देना चाहता. मैं तेरे लंड की प्यासी हूँ, अब और मत तडपा प्लीज़…. चोद ना !” मैं चूतरो को पीछे की ओर उचका कर उसका लंड चूत में लेने की कोशिश करती हुई बोली.“ जैसा आपका हुकुम.” ये कह कर विकी ने चूत के छेड़ पे लंड को टीका के ज़ोरदार धक्का लगा दिया. मैं बुरी तरह से गीली थी. उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ 5 इंच अंडर घुस गया.

“ आआआआऐययईईईई……धीरे मेरे राजा. आआहह…..” विकी ने लंड सुपरे तक बाहर खींच के पूरी ताक़त से फिर धक्का लगाया. इस बार के धक्के से उसका लंड 10 इंच मेरी चूत में दाखिल हो गया.

“ इयियैआइयिमयया…..आआआआअ इसस्स्स्सस्स…..” विकी ने फिर पूरा लंड बाहर खींचा. मैं अब उसके आख़िरी धक्के के लिए तैयार थी. उसने मेरे चूतेर पकड़ के फिर ज़बरदस्त धक्का लगा दिया. इस बार पूरा 12 इंच का लॉडा मेरी चूत में समा गया.

“ ऊऊओिईईई…माआआ….. फार देगा क्या?” विकी कभी दोनो हाथों से मेरी लटकती हुई चूचिओ को पकड़ के धक्के लगाता तो कभी कमर पकड़ के और कभी मेरे चूतरो को मसल्ते हुए पूरा लंड बाहर निकाल के अंडर पेलने लगता. फ़च… फ़च… ….फ़च….फ़च….फ़च …… एयाया एयेए…. .इसस्स्स्स्सस्स…..ऊऊऊहह…….आआहह फ़च…फ़च…….ऊऊओिईईई…..ऊऊहह…आआअहह… फ़च… फ़च. बस सिर्फ़ ये ही आवाज़ें कमरे में गूँज़ रही थी. विकी का मूसल तो मानो मेरी छाती तक घुसा जा रहा था. मर्द का लंड औरत की चूत में सबसे ज़्यादा अंडर दो ही मुद्राओं में घुसता है. एक तो जब औरत मर्द के ऊपर बैठ के चुड़वाती है और जब मर्द औरत को घोड़ी या कुतिया बना कर चोद्ता है. इसका कारण ये है कि मर्द का लंड तो सामने की ओर होता है लेकिन औरत की चूत उसकी टाँगों के बीच पीछे की ओर गांद के छेद से सिर्फ़ एक इंच दूर होती है. इस कारण से जब औरत चित लेट के चुदवाती है तो मर्द को औरत की टाँगें मोड़ के उसकी छाति से लगानी पड़ती हैं ताकि आसानी से लंड पेल सके. कुतिया बनाने से चूत जो की गांद के छेद के नज़दीक होती है खूब उभर जाती है जिससे चूत में लंड जड़ तक आसानी से पेला जा सकता है. विकी के धक्के भयंकर होते जा रहेथे और जब उसका लॉडा मेरी चूत में जड़ तक घुसता तो उसकी जांघें मेरे विशाल चूतरो से टकरा जाती. ऊओफ़ क्या तगड़ा लॉडा था. मैं भी चूतेर पीछे की ओर उचका उचका के विकी के धक्कों का जबाब दे रही थी. मेरा पूरा बदन वासना की आग में जल रहा था. एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था. विकी मेरी चूत को मुट्ठी में भरते हुए बोला,

“ दीदी चुदवाते वक़्त आप और आपकी चूत दोनो इतनी आवाज़ करते हैं कि पड़ोस में भी पता लग जाए कि किसी की चुदाई हो रही है.”

“ तो इसमे शरमाने की क्या बात है? पड़ोसी की बीवी अपने पति को नहीं देती क्या.?”

“ हां दीदी लेकिन आप तो अपने पति को नहीं अपने सगे भाई को दे रही हो.”

“ अच्छा ! अगर अपनी बेहन को चोदना इतना बुरा लग रहा है तो सांड़ की तरह क्यों चोद रहा है चार घंटे से?” मैने सिर उठा के घड़ी की ओर देखा. सुचमुच चार घंटे हो चुके थे. रात का एक बज रहा था. विकी ने अब मेरे चूतरो की दोनो फांकों को चौड़ा करना शुरू कर दिया. शायद वो मेरी गांद के छेद को निहार रहा था. फिर उसने एक उंगली चूत के रस में गीली की और ज़बरदस्त धक्के मारते हुए उंगली मेरी गांद में घुसेड दी. मैं और नहीं सह सकी और चौथी बार झाड़ गयी. मेरी चूत के रस से विकी के बॉल्स भी गीले हो गये थे. मेरा अंग अंग वासना की आग में जल रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#78
विकी मेरी चूत बहुत प्यासी है, इसे अपना वीर्य पिला के इसकी प्यास बुझा दे प्लीज़ . उंड़ेल दे सारा वीर्य मेरी चूत में. भर दे इसे अपने वीर्य से. तू चाहे तो इसे चोद चोद के फाड़ डाल. लेकिन अब और तंग मत कर. ” मैं पूरी ताक़त से चूतेर पीछे की ओर उचकाते हुए और विकी के मूसल को अपनी चूत में पेलते हुए बोली. अब तो मैं शर्म हया बिल्कुउल भूल चुकी थी. मैं वासना की आग में इतना जल रही थी कि ये भी भूल गयी कि मैं ना सिर्फ़ एक औरत हूँ बल्कि ये जो मर्द मुझे चोद रहा है मेरा सगा भाई है. अब तो मैं ना केवल एक रंडी की तरह चुदवा रही थी बल्कि रंडी की तरह बातें भी कर रही थी. सिर्फ़ एक ही भूख थी – विकी के एक फुट लंबे और आठ इंच मोटे लॉड की और सिर्फ़ एक ही प्यास थी – विकी के वीर्य की.

“ हाई दीदी मेरी जान ! पूरी ज़िंदगी आपने मुझे तंग किया है. आज आप भी थोड़ा सा तंग हो लो. आपकी चूत की प्यास ज़रूर बुझाउन्गा, पहले अपने लंड की प्यास तो बुझा लूँ.”

“ ऊओफ़, चार घंटे से चोद रहा है अभी तक तेरे लंड की प्यास नहीं बुझी?”

“ नहीं मेरी जान आज तो पूरी रात चोदुन्गा.” ये कह कर विकी ने मेरी चूत के रस में सना हुआ लंड बाहर खींच लिया और मेरे पीछे फिर से घोड़ा बन के मेरी बुरी तरह गीली रस टपकाती चूत में मुँह दे दिया. थोरी देर तक चूत को चाटता चूमता रहा और जीभ चूत के अंडर पेलता रहा. फिर उसने जीभ मेरे चूतरो के बीच की दरार में फेरना शुरू कर दिया. अब वो चूत की दरार से ले कर चूतरो के बीच की दरार तक जीभ फेरने लगा. जब उसकी जीभ मेरी गांद के छेद के ऊपर से गुज़रती तो मैं काँप जाती. फिर उसने मेरे दोनो चूतरो को फैला दिया और गांद के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगा. अचानक विकी ने मेरे चूतरो को ज़ोर से फैला के जीभ को गांद के छेद में पेल दिया. अब तो वो ज़ोर ज़ोर से गांद चाटने लगा और गांद के छेद में जीभ अंडर बाहर करने लगा. ऊओफ़ बहुत मज़ा आ रहा था. मैं भी गांद पीछे की ओर उचका उचका के पूरा मज़ा लेने लगी. मैं समझ गयी कि विकी अब मेरी गांद मारने के चक्कर में है. शायद वो मेरी गांद को अपने लॉड के लिए तैयार कर रहा था. ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि कोई मर्द मुझे कुतिया बना के चोदे और उसके बाद मेरी गांद मारने का ख्याल उसके मन में ना आए. आख़िर मेरे इन विशाल चौड़े चौड़े चूतरो ने मर्दों की नींद ऐसे ही तो हराम नहीं कर रखी थी. मेरे फैले हुए चूतेर मर्दों का क्या हाल करते थे मैं अच्छी तरह से जानती थी. गांद मरवाने के लिए तो मैं भी बेताब थी लेकिन विकी का लॉडा इतना मोटा और लंबा था की मेरी गांद निश्चित रूप से फाड़ देता. जब मर्द का लंड गांद में जाता है तो मज़ा तो बहुत आता है. मेरा देवर रामू मेरी गांद बहुत ही अच्छी तरह से मारता था. वो कहता था, ‘ भाभी आपकी ये चौड़ी गांद तो एक फुट लंबे लॉड को भी लील जाए.’ उसका खुद का लंड भी 10 इंच लंबा और ख़ासा मोटा था. लेकिन एक फुट लंबा लंड और वो भी पेड़ के तने के समान मोटा ! बाप रे ! जाने क्या हाल होगा मेरी गांद का?

विकी ने पास रखी वासेलीन की बॉटल से खूब सारा वॅसलीन अपनी उंगली पे लगा के उंगली को मेरी गांद में पेल दिया. उसने तीन चार बार ढेर सारा वॅसलीन मेरी गांद के अंडर अच्छी तरह से लगा दिया. वो भी समझता था कि उसका मूसल मेरी गांद के लिए बहुत मोटा था. फिर मेरे हाथ में वॅसलीन देता हुआ बोला,

“ लो दीदी अपने हाथो से आप इसे मेरे लंड पे लगा दो.” मैने ढेर सारा वॅसलीन हाथ में ले कर उसके तने हुए लॉड पे लगाना शुरू कर दिया. बाप रे ! कितना लंबा और मोटा था! मेरी चूत के रस में सना हुआ बहुत ही भयंकर लग रहा था. उसके विशाल लंड पे वॅसलीन मलते हुए मैं सोच रही थी कि ये मूसल मेरी गांद के छ्होटे से छेद में कैसे जाएगा ? कैसे झेल पाउन्गि इसको ?

“ विकी तू सुचमुच मेरी गांद लेना चाहता है ? देख तेरा लंड बहुत बड़ा है मैं इसे झेल नहीं पाउन्गि.” मैं उसके विशाल लंड पे वॅसलीन मलते हुए बोली.

“ दीदी, जिस गांद ने पूरे शहर की नींद हराम कर रखी है उसे ले कर तो मैं धन्य हो जाउन्गा. फिर आपकी गांद के लिए तो मैं बचपन से तरस रहा हूँ. मैने एक फिल्म में एक कालू को एक 15 साल की लड़की की गांद में अपना मूसल पेलते देखा है. उस कालू का तो शायद मेरे लंड से भी बड़ा लंड था. आप डरो मत मैं बहुत प्यार से पेलुँगा.”

मैं बॉटल का सारा वॅसलीन विकी के लंड पे मलते हुए बोली,

“ ठीक है आज तू अपने मन की कर ले. लेकिन बहुत धीरे से डालना.”

“ ठीक है दीदी, बहुत धीरे से डालूँगा. अब चलो फिर से कुतिया बन जाओ” विकी मेरे होंठों को चूमता हुआ बोला. मैं फिर से कुतिया बन गयी. मैने अपनी छाति बिस्तेर पे टीका के चूतेर खूब ऊपेर हवा में कर दिए. इस मुद्रा में मेरी चूत का मुँह खुल गया और गांद का छेद भी विकी को निमंत्रण देने लगा. विकी ने मेरे दोनो चूतरो को पकड़ के खूब फैला दिया और अपने तने हुए लंड के मोटे सुपरे को मेरी गांद के छेद पे टीका दिया. मेरी तो साँस ही गले में अटक गयी. मैं उसके मोटे सुपरे का गांद में घुसने का इंतज़ार करने लगी. तभी विकी ने मेरे चूतेर पकड़ के एक धक्का लगाया. मेरी गांद में तो खूब वॅसलीन लगा ही हुआ था विकी का मूसल भी मेरी चूत के रस और ढेर सारी वॅसलीन से सना हुआ था. उसका मोटा सुपरा मेरी गांद के छेद को चीरता हुआ गुपप से 2 इंच गांद में धँस गया.
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#79
ऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईई……………….आआआआआआआआआ आ…………..आआअहह… ऊऊिइ… म्‍म्मा..... आआ आ आ....... आआ…ऊओह…आहह मर गयी .” मेरी गांद का छेद बुरी तरह चौड़ा हो गया. मैं इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे मुहल्ले में आवाज़ पहुँच गयी होगी. इससे पहले में संभाल पाती, विकी ने फिर एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उसका लंड 5 इंच मेरी गांद के अंडर धँस गया.

“ आआआआआ…………ऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईई.......... . मम्माआआअ विकी बस कर आहह…छोड़ मुझे …आऐईयईई ..आ मैं और नहीं झेल सकती. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ….आआहह….निकाल ले ..अया.” मुझे पूरा विश्वास हो चला था था कि मैं उसके लंड को नहीं झेल पाउन्गि. दर्द के मारे बुरा हाल था. ऐसा लग रहा था जैसे गांद का छेद फॅट चुका था. आख़िर एक फुट लंबा लंड कैसे किसी औरत की गांद में जा सकता है ? मुझे पहले ही सोचना चाहिए था. लेकिन उस वक़्त तो विकी के मूसल से गांद मरवाने का भूत सवार था मेरे सिर पे. अभी मैं सोच ही रही थी के कैसे मनाउ विकी को अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकालने के लिए, कि उसने लंड सुपारे तक बाहर खीच के पूरी ताक़त से एक और ज़बरदस्त धक्का लगा दिया.

“आआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ई……आआआआआआअहह……………” मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई. मेरी आँखों के सामने अंधेरा छ्छा गया. दर्द के मारे बुरा हाल था. मेरी गांद तो शायद फॅट ही गयी थी. लंड 10 इंच मेरी गांद में जा चुक्का था. बेहोशी सी छ्छा रही थी. बेहोश होने से पहले आखरी चीज़ जो मुझे याद है वो ये की विकी ने फिर से पूरा 10 इंच अंडर धंसा हुआ लॉडा बाहर निकाल के एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा एक फुट का लंड मेरी गांद में उतार दिया, उसकी जांघें मेरे चूतरो से चिपक गयी और उसके बड़े बड़े बॉल्स जो उसकी टाँगों के बीच में किसी सांड के बॉल्स की तरह झूलते रहते थे मेरी गीली चूत से फ़च की आवाज़ के साथ टकरा गये. उसके बाद मैं अपना होश खो बैठी.

15 – 20 मिनिट के बाद होश आया. मैं पायट के बल नंगी ही बिस्तेर पे पड़ी हुई थी. दोनो टाँगें इस प्रकार फैली हुई थी जैसे विकी मुझे बेहोशी की हालत में भी चोद रहा हो. विकी मेरे सामने कुर्सी पे बैठा हुआ पानी के छींटे मेरे मुँह पे मार रहा था. काफ़ी घबराया हुआ लग रहा था. उसका लंड अब खड़ा तो नहीं था लेकिन सिकुदा हुआ भी नहीं था. उसकी टाँगों के बीच में किसी लंबे मोटे साँप के माफिक झूल रहा था. मुझे होश में आता देख घबरा के बोला,

“ दीदी ठीक तो हो ? ये क्या हो गया आपको?”

“ ये बात तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? अपने इस मूसल से पूछ.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तूने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी दीदी को? ”

“ मैं तो बहुत डर गया था. मेरी प्यारी दीदी को कुच्छ हो जाता तो?” विकी मेरे होंठों को चूमता हुआ बोला. लंड सहलाने के कारण फिर से खड़ा होने लगा था. मैं भी फिर से वासना की आग में जलने लगी. आख़िर मेरी चूत तो अभी तक प्यासी ही थी. विकी एक बार भी नहीं झारा था. सुबह के चार बज रहे थे. पूरी रात की भयंकर चुदाई के कारण मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था. मेरी चूत और मेरी गांद का तो और भी बुरा हाल था. लेकिन विकी के लॉड की प्यास के सामने कुच्छ नहीं सूझ रहा था. विकी का लंड पूरी तरह तन गया था. ऊऊफ़ क्या भयंकर लग रहा था. सारी रात मेरी चूत का पानी जो पिया था.

“ अरे, ये तो फिर से खड़ा हो गया. अब क्या इरादा है ? सारी रात चोदने के बाद भी मन नहीं भरा तेरा?”

“ दीदी आप को चोद के किसी का मन भर सकता है क्या? आपने एक बार चोदने की इज़ाज़त दी है और अभी मैं झारा कहाँ हूँ?”

“ हाई राम ! तू तो सांड़ है. पता नहीं कब झरेगा. मेरी प्यासी चूत तडप रही है, तू उसकी प्यास कब बुझाएगा?” मैं उसके मोटे सुपरे को पागलों की तरह चाटने लगी.

“ ठीक है दीदी मैं आपकी इच्छा पूरी कर देता हूँ. चलो फिर से कुतिया बन जाओ.

मैं फिर से कुतिया बन गयी और अपने चूतेर ऊपर की ओर उभार दिए. मेरी चूत से अब रस बाहर निकलने लगा था. विकी ने मेरे मुँह से अपना सुपरा बाहर निकाला और मेरे चूतरो के पीछे आ कर कुत्ता बन गया. उसने फिर से अपने मूसल का सुपरा मेरी चूत के छेद पे टीका के एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ एयाया..हह…….ऊऊऊीीईईईईई….आअहह” मेरी चूत बुरी तरह से गीली तो थी ही और सारी रात चुदाई के कारण चौड़ी भी हो गयी थी. विकी का लॉडा चूत की दोनो फांकों को आसानी से चीरता हुआ आधा अंडर धँस गया. विकी ने मेरे चूतरो को पकड़ के लंड बाहर खींचा और एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा लंड जर तक मेरी चूत में उतार दिया.

“ आआआआआआअ…………..वी….. माआआआ ……… आह…आह……आआहह….इससस्स आईईईईई.”

अब विकी पूरा लंड सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगा. फ़च…फ़च …. फ़च….. ……आआआः ……ऊऊओह..फ़च…फ़च ….फ़च …आऐईयईई….फ़च…फ़च. बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैं भी चूतेर उच्छल उच्छाल कर उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. हर धक्के के साथ विकी का एक फुट लंबा लंड मेरी प्यासी चूत में जड़ तक समा जाता. आज तक किसी मर्द ने मुझे इस तरह नहीं चोदा था. आख़िर विकी मुझे चोदने वाला तीसरा मरद था. विकी के दमदार धक्कों के कारण मैं फिर झार गयी. मैं विकी के रस के लिए पागल हो रही थी. जब तक उसका लंड मेरी चूत को अपने वीर्य से भर नहीं देता तब तक मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ सकती थी. आख़िर मैं बेशर्म होके बोल ही पड़ी,

“ विकी भर दे अपनी दीदी की प्यासी चूत को अपने वीर्य से. प्लीज़…विकी ..प्लीज़….अब बुझा दे मेरी प्यास नहीं तो मैं मर जाउन्गि.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#80
हां मेरी जान. आज मैं आपकी प्यास ज़रूर बुझाउन्गा.” ये कहते हुए विकी ने अपना एक फुट का लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और गांद के छेद पे टीका के एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया. गांद तो वॅसलीन का कारण चिकनी थी ही, विकी का लंड भी मेरी चूत के रस में सना हुआ था. इससे पहले की मुझे संभालने का मोका मिले आधा लंड मेरी गांद में समा गया.

“आआआआआआआआआआआ………………ऊऊऊऊऊऊओिईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्माआ” मैं ज़ोर से चीखी. लेकिन इतनी देर में विकी ने लंड सुपरे तक बाहर खींचा और मेरी कमर पकड़ के एक भयंकर धक्के के साथ पूरा जड़ तक गांद में उतार दिया.

“ ऊऊीइइमम्माआअ…आआअहह…..आआहह विकी धीरे….आआहह….” अब विकी लंड पूरा बाहर निकाल कर जड़ तक मेरी गांद में पेलने लगा. जैसे ही लंड पूरा गांद में घुसता विकी के बॉल्स फ़च की आवाज़ के साथ मेरी गीली चूत से टकरा जाते. धीरे धीरे दर्द थोड़ा कम हो रहा था. गांद के अंडर बाहर होता हुआ लंड अब अच्छा लग रहा था. करीब 10 मिनिट गांद मारने के बाद विकी ने फिर अपना लंड बाहर खींच लिया और इससे पहले कि मैं कुच्छ समझू उसने सामने आ के तने हुए लंड को मेरे मुँह में पेल दिया. मैं जितना चूस सकती थी उतना चूसने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इतने मोटे लंड को चूसना कोई आसान काम नहीं था. उसने धक्के मार मार के लंड मेरे गले तक घुसेड दिया था. मैं साँस भी बड़ी मुश्किल से ले पा रही थी. दस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद विकी ने फिर से लंड मेरी चूत में पेल दिया. ये सिलसिला एक घंटे तक चलता रहा. विकी पहले मेरी चूत लेता फिर गांद मारता और फिर मुँह में पेल देता. मेरे मुँह में कयि चीज़ों का स्वाद था. विकी के लंड का, उसके वीर्य का, अपनी चूत का और अपनी गांद का. ये स्वाद तो किसी शराब से भी ज़्यादा नशीला था. सुबह के 6 बज रहे थे. मैं कुतिया बनी पागलों की तरह चुदवा रही थी. अजीब सा नशा छ्छा रहा था. ऐसा लग रहा था कि मैं फिर से होश खो बैठूँगी. इतने में विकी जो की मेरी चूत में लंड पेल रहा था, बोला

“ दीदी ठीक तो हो ? ये क्या हो गया आपको?”

“ ये बात तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? अपने इस मूसल से पूछ.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तूने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी दीदी को? ”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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