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Incest बहन - कंचन के बदन की गरमी
#41
एक दिन की बात है. भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे. रात के दस बजे थे. इतने में भैया की आवाज़ आई " कंचन, और कितनी देर है जल्दी आओ ना". भाभी आधे में से उठते हुए बोली " रामू बाकी कल करेंगे तुम्हारे भैया आज कुकछ ज़्यादा ही उतावले हो रहे हैं." यह कह कर वो जल्दी से अपने कमरे में चली गयी. मुझे भाभी की बात कुकछ ठीक से समझ नही आई. काफ़ी देर तक सोचता रहा, फिर अचानक ही दिमाग़ की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात की उतावली हो रही थी. मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तक मेरे दिल में भाभी को ले कर बुरे विचार नही आए थे, लेकिन भाभी के मुँह से उतावले वाली बात सुन कर कुकछ अजीब सा लग रहा था. मुझे लगा कि भाभी के मुँह से अनायास ही यह निकल गया होगा. जैसे ही भाभी के कमरे की लाइट बंद हुई मेरे दिल की धड़कन और तेज़ हो गयी. मैने जल्दी से अपने कमरे की लाइट भी बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया. अंडर से फुसफुसाने की आवाज़ आ रही थी पर कुकछ कुकछ ही सॉफ सुनाई दे रहा था.

" क्यों जी आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?"

" मेरी जान कितने दिन से तुमने दी नही. इतना ज़ुल्म तो ना किया करो."

"चलिए भी,मैने कब रोका है, आप ही को फ़ुर्सत नही मिलती. रामू का कल एग्ज़ॅम है उसे पढ़ाना ज़रूरी था."

" अब श्रीमती जी की इज़ाज़त हो तो आपकी चूत का उद्घाटन करूँ."

" हाई राम! कैसी बातें बोलते हो.शरम नही आती"

" शर्म की क्या बात है. अब तो शादी को दो साल हो चुके हैं, फिर अपनी ही बीबी को चोदने में शरम कैसी"

" बड़े खराब हो. आह..एयेए..आह है राम….वी माआ……अयाया…… धीरे करो राजा अभी तो सारी रात बाकी है"

मैं दरवाज़े पर और ना खड़ा रह सका. पसीने से मेरे कपड़े भीग चुके थे. मेरा लंड अंडरवेर फाड़ कर बाहर आने को तैयार था. मैं जल्दी से अपने बिस्तेर पर लेट गया पर सारी रात भाभी के बारे में सोचता रहा. एक पल भी ना सो सका.ज़िंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड

खड़ा हुआ था. सुबह भैया ऑफीस चले गये. मैं भाभी से नज़रें नही मिला पा रहा था जबकि भाभी मेरी कल रात की करतूत से बेख़बर थी. भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी किचन में खड़ा हो गया. ज़िंदगी में पहली बार मैने भाभी के जिस्म को गौर से देखा. गोरा भरा हुआ गदराया सा बदन,लंबे घने काले बॉल जो भाभी के घुटने तक लटकते थे, बरी बरी आँखें, गोल गोल आम के आकार की चुचियाँ जिनका साइज़ 38 से कम ना होगा, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े, भारी नितंब . एक बार फिर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी . इस बार मैने हिम्मत कर के भाभी से पूछ ही लिया.

" भाभी, मेरा आज एग्ज़ॅम है और आप को तो कोई चिंता ही नही थी. बिना पढ़ाए ही आप कल रात सोने चल दी"

" कैसी बातें करता है रामू, तेरी चिंता नही करूँगी तो किसकी करूँगी?"

" झूट, मेरी चिंता थी तो गयी क्यों?"

" तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था."

" भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था" मैने बारे ही भोले स्वर में पूछा. भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गयी और तिरछी नज़र से देखते हुए बोली,

" धात बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है. मेरे ख्याल से तेरी अब शादी कर देनी चाहिए. बोल है कोई लड़की पसंद?"

" भाभी सच कहूँ मुझे तो आप ही बहुत अच्छी लगती हो.

" चल नालयक भाग यहाँ से और जा कर अपना एग्ज़ॅम दे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#42
मैं एग्ज़ॅम तो क्या देता, सारा दिन भाभी के ही बारे में सोचता रहा. पहली बार भाभी से ऐसी बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज़ नही हुई. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी. मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था. भाभी रोज़ रात को देर तक पढ़ाती थी . मुझे महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो तीन बार ही चोद्ते थे. मैं अक्सर सोचता, अगर भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाए तो दिन में चार दफे चोदु.

दीवाली के लिए भाभी को मायके जाना था. भैया ने उन्हें मायके ले जाने का कम मुझे सोन्पा क्योंकि भैया को च्छुतटी नही मिल सकी. बहुत भीड़ थी. मैं भाभी के पीछे रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़ा था. धक्का मुक्की के कारण आदमी आदमी से सटा जा रहा था. मेरा लंड बार बार भाभी के मोटे मोटे नितंबों से रगड़ रहा था.मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. हालाकी मुझे कोई धक्का भी नही दे रहा था, फिर भी मैं भाभी के पीछे चिपक के खड़ा था. मेरा लंड फंफना कर अंडरवेर से बाहर निकल कर भाभी के चूतरों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था. भाभी ने हल्के से अपने चूतरो को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और ज़ोर से उनके चूतरों से रगड़ने लगा. लगता है भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता था लेकिन उन्होनें दूर होने की कोशिश नही की. भीर के कारण सिर्फ़ भाभी को ही रिज़र्वेशन मिला. ट्रेन में हम दोनो एक ही सीट पर थे. रात को भाभी के कहने पर मैने अपनी टाँगें भाभी के तरफ और उन्होने अपनी टाँगें मेरी तरफ कर लीं और इस प्रकार हम दोनो आसानी से लेट गये. रात को मेरी आँख खुली तो ट्रेन के नाइट लॅंप की हल्की हल्की रोशनी में मैने देखा, भाभी गहरी नींद में सो रही थी और उसकी सारी जांघों तक सरक गयी थी . भाभी की गोरी गोरी नंगी टाँगें और मोटी मांसल जंघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा. सारी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी बड़ी चुचियाँ ब्लाउस में से बाहर गिरने को हो रही थी. मैं मन ही मन मनाने लगा की सारी थोड़ी और उपर उठ जाए ताकि भाभी की चूत के दर्शन कर सकूँ. मैने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से सारी को उपर सरकाना शुरू किया. सारी अब भाभी की चूत से सिर्फ़ 2 इंच ही नीचे थी पर कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नही समझ आ रहा था की 2इंच उपर जो कालीमा नज़र आ रही थी वो काले रंग की कछि थी या भाभी की झटें. मैने सारी को थोड़ा और उपर उठाने की जैसे ही कोशिस की, भाभी ने करवट बदली और सारी को नीचे खींच लिया. मैने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
मायके में भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की. दस दिन के बाद हम वापस लॉट आए. वापसी में मुझे भाभी के साथ लेटने का मोका नही लगा. भैया भाभी को देख कर बहुत खुश हुए और मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है. उस रात को मैं पहले की तरह भाभी के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया.भैया कुच्छ ज़्यादा ही जोश में थे . अंडर से आवाज़े सॉफ सुनाई दे रही थी.

" कंचन मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया. देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है. अब तो इनका मिलन करवा दो."

" हाई राम, आज तो यह कुच्छ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है. ओह हो! ठहरिए भी, सारी तो उतारने दीजिए."

"ब्रा क्यों नही उतारी मेरी जान, पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने में मज़ा आता है. तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता."

"झूट! ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही …….."

" दो तीन बार ही क्या?"

" ओह हो, मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं"

" बोलो ना मेरी जान, दो तीन बार क्या."

" अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो तीन बार ही तो चोद्ते हो. बस!!"

" कंचन, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता. थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो. मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है, मेरी जान."

" मुझे भी आपका बहुत……. अयाया…..मर गयी….ऊवू….आ…ऊफ़..वी मा, बहुत अच्छा लग रहा है….थोड़ा धीरे…हाँ ठीक है….थोडा ज़ोर से…आ..आह..आह ."

अंडर से भाभी के करहाने की आवाज़ के साथ साथ फूच..फूच..फूच जैसी आवाज़ भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका.बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड झाड़ गया. मैं जल्दी से वापस आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया. अब तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा. मैने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था लेकिन चुदाई की कला से भली भाँति परिचित था. मैने इंग्लीश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म्स देख रखी थी और हिन्दी तथा इंग्लीश के काई गंदे नॉवेल भी पढ़े थे. मैं अक्सर कल्पना करने लगा की भाभी बिल्कुल नंगी होकर कैसी लगती होगी. जितने लंबे और घने बाल उनके सिर पर थे ज़रूर उतने ही घने बाल उनकी चूत पर भी होंगे. भैया भाभी को कॉन कॉन सी मुद्राओं में चोद्ते होंगे. एकदम नंगी भाभी टाँगें फैलाई हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सूब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम वासना दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी.

मैं भी लंबा तगड़ा आदमी हूँ. कद करीब 6 फुट है. अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चॅंपियन हूँ. रोज़ दो घंटे कसरत और मालिश करता हूँ. लेकिन सुबसे खास चीज़ है मेरा लंड. ढीली अवस्था में भी 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा किसी हथोदे के माफिक लटकता रहता है. यदि मैं अंडरवेर ना पहनूं तो पॅंट के उपर से भी उसका आकर साफ दिखाई देता है. खड़ा हो कर तो उसकी लंबाई करीब 10 इंच और मोटाई 4इंच हो जाती है. एक डॉक्टर ने मुझे बताया था कि इतना लंबा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है. मैं अक्सर वरांडे में अपनी लूँगी को घुटनों तक उठा कर बैठ जाता था और न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करता था. जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती, मैं अपनी टाँगों को थोड़ा सा इस प्रकार से चौड़ा करता कि उस लड़की को लूँगी के अंडर से झँकता हुआ लंड नज़र आ जाए. मैने न्यूसपेपर में छ्होटा सा च्छेद कर रखा था. न्यूसपेपर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था. लड़कियो को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेख़बर हूँ. एक भी लड़की ऐसी ना थी जिसने मेरे लंड को देख कर मुँह फेर लिया हो. धीरे धीरे मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि उन्हें ही लंबे ,मोटे लंड का महत्व पता था.

एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था की भाभी ने आवाज़ लगाई,

" रामू, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं उन्हें अंडर ले आओ. बारिश आने वाली है."

" अच्छा भाभी!" मैं कापरे लेने बाहर चला गया. घने बादल छाए हुए थे, भाभी भी जल्दी से मेरी हेल्प करने आ गयी. डोरी पर से कपड़े उतारते समय मैने देखा कि भाभी की ब्रा और कछि भी तन्गि हुई थी. मैने भाभी की ब्रा को उतार कर साइज़ पढ़ लिया; साइज़ था 38सी. उसके बाद मैने भाभी की कछि को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो कछि करीब करीब पारदर्शी थी और इतनी छ्होटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो. भाभी की कच्ची का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छ्होटी सी कछि भाभी के विशाल नितंबों और चूत को कैसे ढकति होगी. शायद यह कछि भाभी भैया को रिझाने के लिए पहनती होगी. मैने उस छ्होटी सी कछि को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुच्छ खुश्बू पा सकूँ. भाभी ने मुझे करते हुए देख लिया और बोली

" क्या सूंघ रहे हो रामू ? तुम्हारे हाथ में क्या है?"

मेरी चोरी पकड़ी गयी थी. बहाना बनाते हुए बोला

" देखो ना भाभी ये छ्होटी सी कछि पता नहीं किसकी है? यहाँ कैसे आ गयी."

भाभी मेरे हाथ में अपनी कछि देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली

" लाओ इधेर दो."

"किसकी है भाभी ?" मैने अंजान बनते हुए पूछा.

" तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो" भाभी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली.

"बता दो ना . अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लोटा दूं.

" जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे?"

"अरे भाभी मैं तो इसको पहनने वाली की खुश्बू सूंघ रहा था. बरी मादक खुश्बू थी. बता दो ना किसकी है?’

भाभी का चेहरा ये सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अंडर भाग गयी.
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#44
उस रात जब वो मुझे पढ़ाने आई तो मैने देखा की उन्होनें एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. भाभी जब कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे सॉफ नज़र आ रहा था की भाभी ने नाइटी के नीचे वोही गुलाबी रंग की कछि पहन रखी थी. झुकने की वजह से कछि की रूप रेखा सॉफ नज़र आ रही थी.मेरा अंदाज़ा सही था. कछि इतनी छ्होटी थी कि भाभी के भारी नितंबों के बीच की दरार में घुसी जा रही थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. मुझसे ना रहा गया और मैं बोल ही पड़ा,

"भाभी अपने तो बताया नहीं लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छ्होटी सी कछि किसकी थी."

" तुझे कैसे पता चल गया?" भाभी ने शरमाते हुए पूछा.

" क्योंकि वो कछि आपने इस वक़्त नाइटी के नीचे पहन रखी है."

" हट बदमाश! तू ये सब देखता रहता है?"

" भाभी एक बात पूछु? इतनी छ्होटी सी कछि में आप फिट कैसे होती हैं?" मैने हिम्मत जुटा कर पूच्छ ही लिया.

" क्यों मैं क्या तुझे मोटी लगती हूँ?"

" नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुंदर हैं. लेकिन आपका बदन इतना सुडोल और गाथा हुआ है, आपके नितंब इतने भारी और फैले हुए हैं की इस छ्होटी सी कछि में समा ही नहीं सकते. आप इसे क्यों पहनती हैं? यह तो आपकी जायदाद को च्छूपा ही नहीं सकती और फिर यह तो पारदर्शी है , इसमे से तो आपका सब कुच्छ दिखता होगा."

" चुप नलायक, तू कुच्छ ज़्यादा ही समझदार हो गया है. जब तेरी शादी होगी ना तो सब अपने आप पता लग जाएगा. लगता है तेरी शादी जल्दी ही करनी होगी, शैतान होता जा रहा है."

" जिसकी इतनी सुंदर भाभी हो वो किसी दूसरी लड़की के बारे में क्यों सोचने लगा?"

" ओह हो! अब तुझे कैसे समझाऊ? देख रामू, जिन बातों के बारे में तुझे अपनी बीवी से पता लग सकता है और जो चीज़ तेरी बीवी तुझे दे सकती है वो भाभी तो नहीं दे सकती ना? इसी लिए कह रही हूँ शादी कर ले."

" भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती" मैने बहुत अंजान बनते हुए पूछा. अब तो मेरा लंड फंफनाने लगा था.

" मैं सब समझती हूँ चालाक कहीं का! तुझे सूब मालूम है फिर भी अंजान बनता है" भाभी लाजाते हुए बोली. " लगता है तुझे पढ़ना लिखना नहीं है, मैं सोने जा रही हूँ."

" लेकिन भैया ने तो आपको नहीं बुलाया" मैने शरारत भरे स्वर में पूछा. भाभी जबाब में सिर्फ़ मुस्कुराते हुए अपने कमरे की ओर चल दी. उनकी मस्तानी चाल, मटकते हुए भारी नितंब और दोनो चूतरो के बीच में पिस रही बेचारी कछि को देख कर मेरे लंड का बुरा हाल था.

अगले दिन भैया के ऑफीस जाने के बाद भाभी और मैं वरामदे में बैठे चाय पी रहे थे. इतने में सामने सड़क पर एक गाइ गुज़री. उसके पीछे पीछे एक भारी भरकम सांड़ हुंकार भरता हुआ आ रहा था. सांड़ का लंबा मोटा लंड नीचे झूल रहा था. सांड़ के लंड को देख कर भाभी के माथे पर पसीना छलक आया. वो उसके लंबे तगड़े लंड से नज़रें ना हटा सकी. इतने में सांड़ ने ज़ोर से हुंकार भरी और गाइ पर चढ़ कर उसकी योनि में पूरा का पूरा लंड उतार दिया. यह देख कर भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो सांड़ की रास लीला और ना देख सकी और शर्म के मारे अंडर भाग गयी. मैं भी पीछे पीछे अंडर गया. भाभी किचन में थी. मैने बहुत ही भोले स्वर में पूछा

" भाभी वो सांड़ क्या कर रहा था?"

" तुझे नहीं मालूम?" भाभी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

" तुम्हारी कसम भाभी मुझे कैसे मालूम होगा ? बताइए ना." हालाँकि की भाभी को अच्छी तरह पता था कि मैं जान कर अंजान बन रहा हूँ लेकिन अब उसे भी मेरे साथ ऐसी बातें करने में मज़ा आने लगा था. वो मुझे समझाते हुए बोली

" देख रामू, सांड़ वोही काम कर रहा था जो एक मर्द अपनी बीवी के साथ शादी के बाद करता है."

" आपका मतलब है कि मर्द भी अपनी बीवी पर ऐसे ही चढ़ता है?"

" हाई राम! कैसे कैसे सवाल पूछता है. हां और क्या ऐसे ही चढ़ता है."

" ओह! अब समझा, भैया आपको रात में क्यों बुलाते हैं."

" चुप नालयक, ऐसा तो सभी शादीशुदा लोग करते हैं."

" जिनकी शादी नहीं हुई वो नहीं कर सकते?"

" क्यों नहीं कर सकते? वो भी कर सकते हैं, लेकिन….." मैं तपाक से बीच में ही बोल पड़ा

" वाह भाभी तब तो मैं भी आप पर चढ़…….." भाभी एकदम मेरे मुँह पर हाथ रख कर बोली " चुप, जा यहाँ से और मुझे काम करने दे." और यह कह कर उन्होनें मुझे किचन से बाहर धकेल दिया.

इस घटना के दो दिन के बाद की बात आयी. मैं छत पर पढ़ने जा रहा था. भाभी के कमरे के सामने से गुज़रते समय मैने उनके कमरे में झाँका. भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई कोई नॉवेल पढ़ रही थी. उसकी नाइटी घुटनों तक उपर चढ़ि हुई थी. नाइटी इस प्रकार से उठी हुई थी कि भाभी की गोरी गोरी टाँगें, मोटी मांसल जंघें और जांघों के बीच में सफेद रंग की कछि सॉफ नज़र आ रही थी.मेरे कदम एकदम रुक गये और इस खूबसूरत नज़ारे को देखने के लिए मैं छुप कर खिरकी से झाँकेने लगा.यह कछि भी उतनी ही छ्होटी थी और बड़ी मुश्किल से भाभी की चूत को धक रही थी. भाभी की घनी काली झांटें दोनो तरफ से कछि के बाहर निकल रही थी. वो बेचारी छ्होटी सी कछि भाभी की फूली हुई चूत के उभार से बस किसी तरह चिपकी हुई थी. चूत की दोनो फांकों के बीच में दबी हुई कछि ऐसे लग रही थी जैसे हंसते वक़्त भाभी के गालों में डिंपल पड़ जातें हैं. अचानक भाभी की नज़र मुझ पर पढ़ गयी . उन्होनें झट से टाँगें नीचे करते हुए पूछा " क्या देख रहा है रामू"

क्रमशः.........
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#45
चोरी पकड़ी जाने के कारण मैं सकपका गया और " कुच्छ नहीं भाभी" कहता हुआ छत पर भाग गया. अब तो रात दिन भाभी की सफेद कछि में छिपी हुई चूत की याद सताने लगी.

मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सवेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सवेरे मैं अपनी लूँगी को घुटनों तक उठा कर न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया की सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए. जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी,मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र लूँगी के नीचे से झाँकती मेरे 8 इंच लंबे मोटे हाथोरे के माफिक लटकते हुए लंड पे पर गयी. वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्या से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया. एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है. न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोचे का कपड़ा ले कर अंडर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी. वो नीचे बैठ कर लूँगी के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी प्रकार से हो जाएँ. भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी, उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा

" क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?"

भाभी हड़बड़ा कर बोली " कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ." यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी. मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे विशाल लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था.

मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी. मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खुली छोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंडर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया. भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई. वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और कछि में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुंदर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब और मोटी जंघें किसी नमार्द का भी लंड खड़ा कर दें. भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी. ओर फिर वही छ्होटी सी कछि, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी कछि से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग कछि में था. बेचारी कछि भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी. उनकी जांघों के बीच में कछि से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था. मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी कछि उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी. अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर कछि उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े चूतर देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया.

मेरे मन में विचार आया कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेटे होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी. मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की योजना पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और कछि वहीं ज़मीन पर पड़ी थी. मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी कछि उठा लाया. मैने उनकी कछि को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झाड़ गया. मैने उस कछि को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे. लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की कछि और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी कछि गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे इलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली

" रामू उठ. तू अंडर कैसे आया?"

मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा " क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिरकी के रास्ते अंडर आ गया."

" तू कितनी देर से अंडर है?"

" यही कोई एक घंटे से."

अब तो भाभी को शक हो गया कि शायद मैने उन्हें नंगी देख लिया था. और फिर उनकी कछि भी तो गायब थी. भाभी ने शरमाते हुए पूछा " कहीं तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ तो नहीं उठाई?’

" अरे हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया." भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली

" वापस कर मेरे कपड़े."

मैं तकिये के नीचे से भाभी की कछि निकालते हुए बोला " भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा."

"क्यों अब तू औरतों की कछि पहनना चाहता है?"

" नहीं भाभी" मैं कछि को सूँघता हुआ बोला

" इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है."

" अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे."

" नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ."

" धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?" भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#46
भाभी मैं जानता हूँ कि आप क्या जानना चाहती हैं. मेरी ग़लती क्या है, जब मैं घर आया तो आप बिल्कुल नंगी शीशे के सामने खड़ी थी. लेकिन आपको सामने से नहीं देख सका. सच कहूँ भाभी आप बिल्कुल नंगी हो कर बहुत ही सुन्दर लग रही थी. पतली कमर, भारी नितंब और गदराई हुई जंघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रहंचारी की नियत भी खराब हो जाए."

भाभी शर्म से लाल हो उठी.

" हाई राम तुझे शर्म नहीं आती. कहीं तेरी भी नियत तो नहीं खराब हो गयी है?"

" आपको नंगी देख कर किसकी नियत खराब नहीं होगी?"

" हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी" इससे पहले मैं कुकछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गयी.

भैया को कल 6 महीने के लिए किसी ट्रैनिंग के लिए मुंबई जाना था. आज उनका आखरी दिन था. आज रात को तो भाभी की चुदाई निश्चित ही थी. रात को भाभी नींद आने का बहाना बना कर जल्दी ही अपने कमरे में चली गयी. उसके कमरे में जाते ही लाइट बंद हो गयी. मैं समझ गया कि चुदाई शुरू होने में अब देर नहीं. मैं एक बार फिर चुपके से भाभी के दरवाज़े पर कान लगा कर खड़ा हो गया. अंडर से मुझे भैया भाभी की बातें सॉफ सुनाई दे रही थी. भैया कह रहे थे,

"कंचन, 6 महीने का समय तो बहुत होता है. इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूँगा. ज़रा सोचो 6 महीने तक तुम्हें नहीं चोद सकूँगा."

" आप तो ऐसे बोल रहें हैं जैसे यहाँ रोज़ …."

" क्या मेरी जान बोलो ना. शरमाती क्यों हो? कल तो मैं जा रहा हूँ. आज रात तो खुल के बात करो. तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है."

" मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुकछ भी कर सकती हूँ. मैं तो ये कह रही थी, यहाँ आप कोन सा मुझे रोज़ चोद्ते हैं." भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुन मेरा लंड फंफनाने लगा.

" कंचन यहाँ तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता था. वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम नहीं होगा. फिर तो मैं तुम्हें रोज़ चोदुन्गा. बोलो मेरी जान रोज़ चुद्वओगि ना."

" मेरे राजा, सच बताउ मेरा दिल तो रोज़ ही चुदवाने को करता है पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहीं. कोई अपनी जवान बीवी को महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही चोद पाता है?"

" तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी?

" कैसी बातें करतें हैं? औरत ज़ात हूँ. चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है. मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज़ रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ."

" कंचन तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ. याद है अपना हनिमून, जब दस दिन तक लगातार दिन में तीन चार बार तुम्हें चोद्ता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थी."

" याद है मेरे राजा. लेकिन उस वक़्त तक सुहाग रात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नही हुआ था. आपने भी तो सुहाग रात को मुझे बरी बेरहमी से चोदा था."

" उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान"

" अनाड़ी की क्या बात थी? किसी लड़की की कुँवारी चूत को इतने मोटे, लंबे लंड से इतनी ज़ोर से चोदा जाता है क्या? कितना खून निकाल दिया था आपने मेरी चूत में से, पूरी चादर खराब हो गयी थी. अब जब मेरी चूत आपके लंड को झेलने के लायक हो गयी है तो आपने चोदना ही काम कर दिया है."

" अब चोदने भी दोगि या सारी रात बातों में ही गुज़ार दोगि." यह कह कर भैया भाभी के कपड़े उतारने लगे.

"कंचन, मैं तुम्हारी ये कछि साथ ले जाउन्गा."

" क्यों? आप इसका क्या करेंगे?"

" जब भी चोदने का दिल करेगा तो इसे अपने लंड से लगा लूँगा." कछि उतार कर शायद भैया ने लंड भाभी की चूत में पेल दिया, क्योंकि भाभी के मुँह से आवाज़ें आने लगीं

" अया….ऊवू…अघ..आह..आह..आह..आह"

" कंचन आज तो सारी रात लूँगा तुम्हारी"

" लीजिए ना आआहह….कों…. आ रोक रहा है? आपकी चीज़ है. जी भर के चोदिये….उई माआ…..."

“थोड़ी टाँगें और चौड़ी करो. हन अब ठीक है. आह पूरा लंड जड़ तक घुस गया है.”

“आआआ…ह, ऊवू.”

“ कंचन मज़ा आ रहा है मेरी जान?”

“ हूँ. आआआ..ह.”

“ कंचन.”

“जी.”

“ अब छे महीने तक इस खूबसूरत चूत की प्यास कैसे बुझओगि?”

“ आपके इस मोटे लंड के सपने ले कर ही रातें गुज़ारुँगी.”

“मेरी जान तुम्हें चुदवाने में सच मच बहुत मज़ा आता है?”

“ हां मेरे राजा बहुत मज़ा आता है क्योंकि आपका ये मोटा लंबा लंड मेरी चूत को तृप्त कर देता है.”

“कंचन मैं वादा करता हूँ, वापस आ कर तुम्हारी इस टाइट चूत को चोद चोद कर फाड़ डालूँगा.”

“फाड़ डालिए ना,एयेए…ह मैं भी तो यही चाहती हूँ .”

“ सच ! अगर फॅट गयी तो फिर क्या चुद्वओगि?”

“हटिए भी आप तो ! आपको सच मुच ये इतनी अच्छी लगती है?”

“ तुम्हारी कसम मेरी जान. इतनी फूली हुई चूत को चोद कर तो मैं धन्य हो गया हूँ. और फिर इसकी मालकिन चुदवाती भी तो कितने प्यार से है”

“ जब चोदने वाले का लंड इतना मोटा तगड़ा हो तो चुदवाने वाली तो प्यार से चुदेगि ही. मैं तो आपके लंड के लिए एयेए…ह.. ऊवू बहुत तरपुंगी. आख़िर मेरी प्यास तो ….आआ…. यही बुझाता है.”

भैया ने सारी रात जम कर भाभी की चुदाई की. सवेरे भाभी की आँखें सारी रात ना सोने के कारण लाल थी. भैया सुबह 6 महीने के लिए मुंबई चले गये. मैं बहुत खुश था. मुझे पूरा विषवास था की इन 6 महीनों में तो भाभी को अवश्य चोद पाउन्गा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#47
हालाँकि अब भाभी मुझसे खुल कर बातें करती थी लेकिन फिर भी मेरी भाभी के साथ कुच्छ कर पाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी. मैं मोके की तलाश में था. भैया को जा कर एक महीना बीत चुका था. जो औरत रोज़ चुदवाने को तरसती हो उसके लिए एक महीना बिना चुदाई गुज़ारना मुश्किल था. भाभी को वीडियो पर पिक्चर देखने का बहुत शोक था. एक दिन मैं इंग्लीश की बहुत गंदी सी पिक्चर ले आया और ऐसी जगह रख दी जहाँ भाभी को नज़र आ जाए. उस पिक्चर में, 7 फुट लंबा, तगड़ा काला आदमी एक 16 साल की गोरी लड़की को कयि मुद्राओं में चोद्ता है और उसकी गांद भी मारता है. जब तक मैं कॉलेज से वापस आया तब तक भाभी वो पिक्चर देख चुकी थी. मेरे आते ही बोली

" रामू ये तू कैसी गंदी गंदी फ़िल्मे देखता है?"

" अरे भाभी आपने वो पिक्चर देख ली? वो आपके देखने की नहीं थी."

" तू उल्टा बोल रहा है. वो मेरे ही देखने की थी. शादीशुदा लोगों को तो ऐसी पिक्चर देखनी चाहिए. हाई राम ! क्या क्या कर रहा था वो लंबा तगड़ा कालू उस छ्होटी सी लड़की के साथ. बाप रे !"

" क्यों भाभी भैया आपके साथ ये सब नहीं करते हैं?"

" तुझे क्या मतलब? और तुझे शादी से पहले ऐसी फ़िल्मे नहीं देखनी चाहिए."

" लेकिन भाभी अगर शादी से पहले नहीं देखूँगा तो अनाड़ी रह जाउन्गा. पता कैसे लगेगा की शादी के बाद क्या किया जाता है."

" तेरी बात तो सही है. बिल्कुल अनाड़ी होना भी ठीक नहीं वरना सुहागरात को लड़की को बहुत तकलीफ़ होती है. तेरे भैया तो बिल्कुल अनाड़ी थे."

" भाभी, भैया अनाड़ी थे क्योंकि उन्हें बताने वाला कोई नहीं था. मुझे तो आप समझा सकती हैं लेकिन आपके रहते हुए भी मैं अनाड़ी हूँ. तभी तो ऐसी फिल्म देखनी पड़ती है और उसके बाद भी बहुत सी बातें समझ नहीं आतीं. आपको मेरी फिकर क्यों होने लगी?"

" रामू, मैं जितनी तेरी फिकर करती हूँ उतनी शायद ही कोई करता हो. आगे से तुझे शिकायत का मोका नहीं दूँगी. तुझे कुच्छ भी पूछना हो, बे झिझक पूछ लिया कर. मैं बुरा नहीं मानूँगी. चल अब खाना खा ले."

" तुम कितनी अच्छी हो भाभी." मैने खुश हो कर कहा. अब तो भाभी ने खुली छ्छूट दे डी थी. मैं किसी तरह की भी बात भाभी से कर सकता था. लेकिन कुच्छ कर पाने की अब भी हिम्मत नहीं थी. मैं भाभी के दिल में अपने लिए चुदाई की भावना जाग्रत करना चाहता था. भैया को गये अब करीब दो महीने हो चले थे. भाभी के चेहरे पर लंड की प्यास सॉफ ज़ाहिर होती थी.

एक बार ऐतवार को मैं घर पर था. भाभी कपड़े धो रही थी. मुझे पता था की भाभी छत पर कपड़े सुखाने जाएगी. मैने सोचा क्यों ना आज फिर भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए जाएँ. पिछले दर्शन 3 महीने पहले हुए थे. मैं छत पर कुर्सी डाल कर उसी प्रकार लूँगी घुटनों तक उठा कर बैठ गया. जैसे ही भाभी के छत पर आने की आहट सुनाई दी, मैने अपनी टाँगें फैला दी और अख़बार चेहरे के सामने कर लिया. अख़बार के छेद में से मैने देखा की छत पर आते ही भाभी की नज़र मेरे मोटे, लंबे साँप के माफिक लटकते हुए लंड पे गयी. भाभी की साँस तो गले में ही अटक गयी. उनको तो जैसे साँप सूंघ गया. एक मिनिट तो वो अपनी जगह से हिल नहीं सकी, फिर जल्दी कपड़े सूखाने डाल कर नीचे चल दी.

" भाभी कहाँ जा रही हो, आओ थोड़ी देर बैठो." मैने कुर्सी से उठाते हुए कहा. भाभी बोली

" अच्छा आती हूँ. तुम बैठो मैं तो नीचे चटाई डाल कर बैठ जाउन्गि." अब तो मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड के दर्शन जी भर के करना चाहती है. मैं फिर कुर्सी पर उसी मुद्रा में बैठ गया. थोरी देर में भाभी छत पर आई और ऐसी जगह चटाई बिच्छाई जहाँ से लूँगी के अंडर से पूरा लंड सॉफ दिखाई दे. हाथ में एक नॉवेल था जिसे पढ़ने का बहाना करने लगी लेकिन नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी. 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड और उसके पीछे अमरूद के आकर के बॉल्स लटकते देख उनका तो पसीना ही छ्छूट गया. अनायास ही उनका हाथ अपनी चूत पर गया और वो उसे अपनी सलवार के उपर से रगड़ने लगी. जी भर के मैने भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए. जब मैं कुर्सी से उठा तो भाभी ने जल्दी से नॉवेल अपने चेहरे के आगे कर लिया, जैसे वो नॉवेल पढ़ने में बड़ी मग्न हो. मैने कई दिन से भाभी की गुलाबी कछि नहीं देखी थी. आज भी वो नहीं सूख रही थी. मैने भाभी से पूछा

" भाभी बहुत दिनों से अपने गुलाबी कछि नहीं पहनी?"

" तुझे क्या?"

" मुझे वो बहुत अछि लगती है. उसे पहना करिए ना."

" मैं कोन सा तेरे सामने पहनती हूँ?"

" बताइए ना भाभी कहाँ गयी, कभी सूख्ती हुई भी नहीं नज़र आती."

" तेरे भैया ले गये. कहते थे कि वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी." भाभी ने शरमाते हुए कहा.

" आपकी याद दिलाएगी या आपके टाँगों के बीच में जो चीज़ है उसकी?"

" हट मक्कार ! तूने भी तो मेरी एक कछि मार रखी है. उसे पहनता है क्या? पहनना नहीं, कहीं फॅट ना जाए." भाभी मुझे चिढ़ाती हुई बोली.

" फटेगी क्यों? मेरे नितंब आपके जीतने भारी और चौड़े तो नहीं हैं".

" अरे बुधहू, नितंब तो बड़े नहीं हैं, लेकिन सामने से तो फॅट सकती है. तुझे तो वो सामने से फिट भी नहीं होगी."

" फिट क्यों नहीं होगी भाभी?" मैने अंजान बनते हुए कहा.

" अरे बाबा, मर्दों की टाँगों के बीच में जो वो होता है ना, वो उस छ्होटी सी कछि में कैसे समा सकता है, और वो तगड़ा भी तो होता है कछि के महीन कपड़े को फाड़ सकता है."

" वो क्या भाभी?" मैने शरारत भरे अंदाज़ में पूछा. भाभी जान गयी कि मैं उनके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ.

" मेरे मुँह से कहलवाने में मज़ा आता है?"

" एक तरफ तो आप कहती हैं कि आप मुझे सूब कुच्छ बताएँगी,और फिर सॉफ सॉफ बात भी नहीं करती. आप मुझसे और मैं आपसे शरमाता रहूँगा तो मुझे कभी कुच्छ नहीं पता लगेगा और मैं भी भैया की तरह अनाड़ी रह जाउन्गा. बताइए ना !"

" तू और तेरे भैया दोनो एक से हैं.मेरे मुँह से सब कुच्छ सुन कर तुझे खुशी मिलेगी?"

" हाँ भाभी बहुत खुशी मिलेगी. और फिर मैं कोई पराया हूँ."

" ऐसा मत बोल रामू. तेरी खुशी के लिए मैं वही करूँगी जो तू कहेगा."

" तो फिर सॉफ सॉफ बताइए आपका क्या मतलब था."

" मेरे बुद्धू देवर जी, मेरा मतलब ये था कि मर्द का वो बहुत तगड़ा होता है, औरत की नाज़ुक कछि उसे कैसे झेल पाएगी ? और अगर वो खड़ा हो गया तब तो फॅट ही जाएगी ना."

" भाभी आपने वो वो लगा रखी है, मुझे तो कुच्छ नहीं समझ आ रहा."

" अच्छा अगर तू बता दे उसे क्या कहते हैं तो मैं भी बोल दूँगी." भाभी ने लाजते हुए कहा.

" भाभी मर्द के उसको लंड कहते हैं."

" हाया…..!, मेरा भी मतलब यही था.”

“क्या मतलब था आपका?”

“ कि तेरा लंड मेरी कछि को फाड़ देगा. अब तो तू खुश है ना.?"

" हाँ भाभी बहुत खुश हूँ. अब यह भी बता दीजिए कि आपकी टाँगों के बीच में जो है उसे क्या कहते हैं"

"उसे? मुझे तो नहीं पता. ऐसी चीज़ तो तुझे ही पता होती हैं. तू ही बता दे.”

“भाभी उसे चूत कहते हैं.”

“हाया! तुझे तो शरम भी नहीं आती. वही कहते होंगे.”

“ वही क्या भाभी?”

“ ओह हो बाबा, चूत और क्या.” भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लंड फंफनाने लगा. अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैने भाभी से कहा.

" भाभी इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है.”

“ अच्छा जी तो देवेर्जी भी इसके दीवाने हैं.”

“ हां मेरी प्यारी भाभी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ़ आपकी चूत का दीवाना हूँ.”

“तुझे तो बिल्कुल भी शरम नहीं है. मैं तेरी भाभी हूँ.” भाभी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली.

“अगर मैं आपको एक बात बताउ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?"

" नहीं रामू. देवर भाभी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. और अब तो तूने मेरे मुँह से सब कुच्छ कहलवा दिया है.लेकिन मेरी कछि तो वापस कर दे."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#48
सच कहूँ भाभी, रोज़ रात को उसे सूँघता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है. जब मैं अपना लंड आपकी कछि से रगड़ता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लंड आपकी चूत से रगड़ रहा हो "

" ओह ! अब समझी देवर्जी मेरी कछि के पीछे क्यों पागल हैं. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुन्दर सी बीवी की ज़रूरत है"

" लेकिन मैं तो अनाड़ी हूँ. आपने तो प्रॉमिस कर के भी कुच्छ नहीं बताया. उस दिन आप कह रही थी कि मर्द अनाड़ी हो तो लड़की को सुहाग रात में बहुत तकलीफ़ होती है. आपका क्या मतलब था? आपको भी तकलीफ़ हुई थी?"

" हां रामू, तेरे भैया अनाड़ी थे. सुहागरात को मेरी सारी उठा कर बिना मुझे गरम किए चोदना शुरू कर दिया. अपने 8 इंच लंबे और 3इंच मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा. बहुत खून निकला मेरी चूत से. अगले एक महीने तक दर्द होता रहा." मेरा लंड देखने के बाद से भाभी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी और बिल्कुल ही शरमाना छोड़ दिया था.

" लड़की को गरम कैसे करते हैं भाभी?"

" पहले प्यार से उससे बातें करते हैं. फिर धीरे धीरे उस के कपड़े उतारते हैं. उसके बदन को सहलाते हैं. उसकी होंठो को और चुचिओ को चूमते हैं. फिर प्यार से उसकी चुचिओ और चूत को मसल्ते हैं. फिर हल्के से एक उंगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं कि लड़की की चूत पूरी तरह गीली है. अगर चूत गीली है, इसका मतलब लड़की चुदवाने के लिए तैयार है.इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे धीरे लंड अंडर डाल देते हैं. पहली रात ज़ोर ज़ोर से धक्के नहीं मारते."

" भाभी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लंड चूस्ति है. कालू उस लड़की को कयि तरह से चोद्ता है. यहाँ तक की उसकी गांद भी मारता है"

" अरे बुद्धू ये सब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे धीरे किया जाता है."

" भाभी, भैया भी वो सब आपके साथ करते हैं?"

" नहीं रे ! तेरे भैया अनाड़ी थे और अब भी अनाड़ी हैं. उनको तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर पेलना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी किए बिना ही चोद्ते हैं. औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है."

" भाभी आपको नंगी हो कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है?"

" क्यों में औरत नहीं हूँ ? अगर मोटा तगड़ा लंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है."

" लेकिन भैया का लंड तो मोटा तगड़ा होगा. हां मेरे लंड की बराबरी नहीं कर सकता है"

" तुझे कैसे पता ? "

" मुझे तो नहीं पता लेकिन आप तो बता सकती हैं"

" में कैसे बता सकती हूँ? मैने तेरा लंड तो नहीं देखा है" भाभी ने बनते हुए कहा. में मन ही मन मुस्कुराया और बोला,

" तो क्या हुआ भाभी. कहो तो अभी आपको अपने लंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बड़ा है."

" हट बदमाश!"

" अगर आप नहीं दर्शन करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिए. सच भाभी मैने आज तक किसी की चूत नहीं देखी."

" चल नालयक! तेरी शादी जल्दी करवा दें? इतना उतावला क्यों हो रहा है?"

" उतावला क्यों ना हूँ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी सारी रात खूब जम कर चोदे और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हों. इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजबाब होगी. एक बार दिखा दोगि तो घिस तो नहीं जाओगी. अच्छा, इतना तो बता दो की आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?"

" नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं. उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे."

" भाभी तब तो जितने घने और सुन्दर बाल आपके सिर पर हैं उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करतीं?"

" तेरे भैया को मेरी झाँटे बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती."

" हाई भाभी आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ, और कितना तदपाओगि ?"

" सबर कर, सबर कर ! सबर का फल हमेशा मीठा होता है." यह कहा कर बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराती हुई नीचे चली गयी.
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#49
मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफ़ी बुरा हाल था. एक दिन मैने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा. मैने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की कछि में से आती थी. लगता था भाभी खीरे से ही लंड की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थी. मुझे मालूम था कि गंदी पिक्चर भी वो कयि बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गये. घर में मोटा ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तडप रही थी.

मैने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही गंदा नॉवेल लाया जिसमे देवर भाभी की चुदाई के किस्से थे. उस नॉवेल में भाभी अपने देवर को रिझाती है. वो जान कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है की उसके पेटिकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नॉवेल मैने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग जाए. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैने पाया कि वो नॉवेल अपनी जगह पर नहीं था. मैं जान गया की भाभी वो नॉवेल पढ़ चुकी है. अगले इतवार को मैने देखा की भाभी कपड़े बाथरूम में धोने के बजाय वरामदे के नलके पर धो रही थी. उसने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था. मुझे देख कर बोली,

" आ रामू बैठ. तेरे कोई कपड़े धोने हैं तो देदे." मैने कहा मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया. भाभी इधेर उधेर की गप्पें मारती रही . अचानक भाभी के पेटिकोट का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी की गोरी गोरी मांसल झंगों के बीच में से सफेद रंग की कछि झाँक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण कछि भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी. फूली हुई चूत का उभार मानो कछि को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो. कच्ची चूत के कटाव में धँसी हुई थी. कछि के दोनो तरफ से काली काली झांटें बाहर निकली हुई थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टाँगों के बीच के नज़रे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अंडर जाने लगी. मैने उदास हो कर पूछा “ भाभी कहाँ जा रही हो ?” “ एक मिनिट में आई.” थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद कछि थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी कछि धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा. मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे हो ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी. पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था. चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो.

मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली

" क्या बात है रामू, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?" मैं बोला

" भाभी साँप तो नहीं लेकिन साआंप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया."

" क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.

" भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ."

" हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झँकते हुए?’ यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.

" आपकी कसम भाभी इतनी लाजबाब चूत तो मैने किसी फिल्म में भी नहीं देखी. भैया कितनी किस्मत वाले हैं. लेकिन भाभी इस बिल को तो एक लंबे मोटे साँप की ज़रूरत है."

भाभी मुस्कुराते हुए बोली,

" कहाँ से लाउ उस लंबे मोटे साँप को.?"

" मेरे पास है ना एक लंबा मोटा साँप. एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा."

" हट नालयक." यह कहा कर भाभी कपड़े सुखाने छत पे चली गयी..

ज़ाहिर था कि ये करने का विचार भाभी के मन में नॉवेल पढ़ने के बाद ही आया था. अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भाभी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैं मोके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ आ गया.

तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी. भाभी भी मुझे अच्छी खुराक खिला रही थी. एक दिन भाभी नहा रही थी और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था. मैने सिर्फ़ अंडरवेर पहन रखा था. इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गयी. वो पेटिकोट और ब्लाउस में थी. मैने भाभी से कहा" भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगि?" भाभी बोली " हाँ हाँ क्यों नहीं चल लाइट जा" मैं चटाई पर पैट के बाल लेट गया. भाभी ने हाथ में तैल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था. पीठ पर मालिश करने के बाद चलने को हुई तो मैं बोला,

" कर ही रही हो तो पूरे बदन की मालिश कर दो ना. आपके हाथ की मालिश होने पर मैं ज़रूर बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन में जीत जाउन्गा."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#50
Y655am
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#51
ठीक है कर देती हूँ, चल उल्टा हो कर लेट जा." मैं पीठ के बाल लेट गया. भाभी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर टाँगों की शुरू कर दी. जैसे जैसे मेरी जांघों के पास पहुँची मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. मेरा लंड धीरे धीरे हरकत करने लगा. अब भाभी पैट पर और लंड के चारों तरफ जांघों पर मालिश करने लगी. मेरा लंड बुरी तरह से फंफनाने लगा. ढीले लंड से भी अंडरवेर का ख़ासा उभार होता था. अब तो ये उभार फूल कर दुगना हो गया. भाभी से ये छुपा नहीं था और उनका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था. खन्खिओ से उभार को देखते हुए बोली

" रामू, लगता है तेरा अंडरवेर फॅट जाएगा. क्यों क़ैद कर रखा है बेचारे पन्छि को. आज़ाद कर दे." और यह कह कर खिलखिला कर हंस पारी.

" आप ही आज़ाद कर दो ना भाभी इस पन्छि को. आपको दुआएँ देगा."

" ठीक है मैं इसे आज़ादी देती हूँ" ये कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर नीचे खैंच दिया. अंडरवेर से आज़ाद होते ही मेरा 10 इंच लंबा और 5 इंच मोटा लंड किसी काले कोब्रा की तरह फंफना कर खड़ा हो गया. भाभी के तो होश ही उड़ गये. चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गयी. उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैने पूछा,

" क्या हुआ भाभी? घबराई हुई सी लगती हो."

" बाप रे… ! ये लंड है या मूसल ! किसी घोड़े का लंड तो नहीं लगा लिया? और ये अमरूद? उस सांड़ के भी इतने बड़े नहीं थे."

" भाभी इसकी भी मालिश कर दो ना." भाभी ने ढेर सा तैल हाथ में लेकर खड़े हुए लंड पे लगाना शुरू कर दिया. बड़े ही प्यार से लंड की मालिश करने लगी.

" रामू तेरा लंड तो तेरे भैया से कहीं ज़्यादा बड़ा है. सच तेरी बीवी बहुत ही किस्मत वाली होगी.एक लंबा मोटा लंड औरत को तृप्त कर देता है. तेरा तो…."

" भाभी आप किस बीवी की बात कर रहीं हैं? इस लंड पे सबसे पहला अधिकार आपका है."

" सच ! देख रामू, मोटे तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है. इसको मोटा तगड़ा बनाए रखना. जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी."

" आप कितनी अच्छी हैं भाभी. वैसे भाभी इतने बारे लंड को लॅव्डा कहते हैं."

" अच्छा बाबा, लॅव्डा. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना. तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा. इतना मोटा और लंबा लॉडा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा. "

“यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए.”

“हट नालयक.” भाभी बड़े प्यार से बहुत देर तक लंड की मालिश करती रही. जब मुझसे ना रहा गया तो बोला

" भाभी आओ मैं भी आपकी मालिश कर दूं."

" मैं तो नहा चुकी हूँ."

" तो क्या हुआ भाभी मालिश कर दूँगा तो सारी थकावट दूर हो जाएगी. चलिए लेट जाइए." भाभी को मर्द का स्पर्श हुए तीन महीने हो चुके थे. वो थोड़े नखरे कर के मान गयी और पैट के बल चटाई पर लेट गयी.

" भाभी ब्लाउस तो उतार दो तैल लगाने की जगह कहाँ है. अब शरमाओ मत. याद है ना मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ." भाभी ने अपना ब्लाउस उतार दिया. अब वो काले रंग के ब्रा और पेटिकोट में थी. मैं भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तैल लगाने लगा. चुचियो के आस पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती. फिर मैने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी बड़ी चुचिओ को मसल्ने लगा. भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी. वो आँखें मूंद कर लेटी रही. खूब अच्छी तरह चुचिओ को मसल्ने के बाद मैने उनकी टाँगों पर तैल लगाना शुरू कर दिया. जैसे जैसे तैल लगाता जा रहा था, पेटिकोट को उपर की ओर खिसकाता जा रहा था. मेरा अंडरवेर मेरी टाँगों में फसा हुआ था, मैने उसे उतार फेंका. भाभी की गोरी गोरी मोटी जांघों के पीछे बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की. धीरे धीरे मैने पेटिकोट भाभी के नितंबों के उपर सरका दिया. अब मेरे सामने भाभी के विशाल चूतर थे. भाभी ने छ्होटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली कछि पहन रखी थी जो कुच्छ भी छुपा पाने में असमर्थ थी. उपर से भाभी के चूतरो की आधी दरार कछि के बाहर थी. फैले हुए मोटे चूतर करीब पूरे ही बाहर थे. चूतरो के बीच में कछि के दोनो तरफ से बाहर निकली हुई भाभी की लंबी काली झटें दिखाई दे रही थी. भाभी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कछि में क़ैद कर रखा था. मैने उन मोटे मोटे चूतरो की जी भर के मालिश की जिससे कछि छूटरो से सिमट कर बीच की दरार में फँस गयी. अब तो पूरे चूतर ही नंगे थे. मालिश करते करते मैं उनकी चूत के आस पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुट्ठी में भर लिया. भाभी की कछि बिल्कुल गीली हो गयी थी.

" इसस्स…. आआ…. क्या कर रहा है. छोड़ दे उसे, मैं मर जाउन्गि. तू पीठ पर ही मालिश कर नहीं तो मैं चली जाउन्गि."

03 Nov 2014 
[size=undefined]" ठीक है भाभी पीठ पर ही मालिश कर देता हूँ." मैं भाभी की टाँगों के बीच में थोड़ा आगे खिसक कर उनकी पीठ पर मालिश करने लगा. ऐसा करने से मेरा तना हुआ लॅव्डा भाभी की चूत से जा टकराया. अब मेरे तने हुए लंड और भाभी की चूत के बीच छ्होटी सी कछि थी. भाभी की चूत का रस जालीदार कछि से निकाल कर मेरे लंड के सुपारे को गीला कर रहा था. मैं भाभी की चुचिओ को दबाने लगा और अपने लंड से भाभी की चूत पर ज़ोर डालने लगा. लंड के दबाव के कारण कछि भाभी की चूत में घुसने लगी. बारे बारे नितंबों से सिमट कर अब वो बेचारी कछि उनके बीच की दरार में धँस गयी थी. भाभी के मुँह से उत्तेजना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी. मुझसे ना रहा गया और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया. मेरे लंड का सुपरा भाभी की जालीदार कछि को फाड़ता हुआ उनकी चूत में समा गया.

"आआआः…….ऊवू….उई माआ. ऊऊफ़.. यह क्या कर दिया रामू. तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. छोड़ मुझे, मैं तेरी भाभी हूँ. मुझे नहीं मालिश करवानी" लेकिन भाभी ने हटने की कोई कोशिश नहीं की. मैने थोड़ा सा दबाव डाल कर आधा इंच लंड और भाभी की चूत में सरका दिया.

" अया …ऊवू तेरे लवदे ने मेरी कछि तो फाड़ ही दी, अब मेरी चूत भी फाड़ डालेगा." मेरे मोटे लवदे ने भाभी की चूत के छेद को बुरी तरह फैला दिया था.

" भाभी आप तो कुँवारी नहीं हैं. आपको तो लंड की आदत है?"

" अया… मुझे आदमी के लंड की आदत है घोड़े के लंड की नहीं. चल निकाल उसे बाहर." लेकिन भाभी को दर्द के साथ मज़ा आ रहा था. उसने अपने चूतरो को हल्का सा उचकाया तो मेरा लंड आधा इंच और भाभी की चूत में सरक गया. अब मैने भाभी की कमर पकड़ के एक और धक्का लगाया. मेरा लंड कछि के छेद में से भाभी की चूत को दो भागों में चीरता होता हुआ 5 इंच अंडर घुस गया.

" आआआआआः… आ….आ. मर गयी ! छोड़ दे रामू फॅट जाएगी. ऊवू…धीरे राजा. अभी और कितना बाकी है? निकाल ले रामू, अपनी ही भाभी को चोद रहा है."

मैं भाभी की चुचिओ को मसल्ते हुए बोला" अभी तो आधा ही गया है भाभी, एक बार पूरा डालने दो फिर निकाल लूँगा."
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Cool nospam nospam
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#53
हे राम! तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में. मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छ्होटी है" मैने धीरे धीरे दबाव डाल कर तीन इंच और अंडर पेल दिया.

" भाभी, मेरी जान थोड़े से चूतर और उँचे करो ना." भाभी ने अपने भारी नितंब और उँचे कर दिए. अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी. इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी. अब मैने भाभी के चूतरो को पकड़ के बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया. पूरा 10 इंच का लवदा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया.

" आआआआआआआः………. मार डाला…….ऊवू .…अया…..अघ….उई…सी….आ… अया….. ओईइ….. माआ……कितना जालिम है रे..आह….ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को? पूरा 10 इंच का मूसल घुसेड दिया?" भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया. अब मैं धीरे धीरे लंड को थोड़ा सा अंडर बाहर करने लगा. भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चूतरो को पीछे की ओर उचका कर लंड को अंडर ले रही थी. अब मैने भी लंड को सुपारे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत इतनी गीली थी की उसमे से फ़च फ़च की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज़्ने लगी.

" तू तो उस सांड़ की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे अपनी भाभी को. ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है. अया…..आ..एयेए.ह…..ऊवू..ओह."

अब मैने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई कछि को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया ओर छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटिकोट को उतार दिया. भाभी अब बिल्कुल नंगी थी. चूटर उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लंबी झाटों से भरी चूत बहुत ही सुन्दर लगा रही थी. भारी भारी चूतरो के बीच गुलाबी गांद के छेद को देख कर तो मैने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गांद ज़रूर लूँगा. बिल्कुल नंगी करने के बाद मैने फिर अपना 10 इंच का लवदा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था. मैने चूत के रस में उंगली गीली करके भाभी की गांद में सरका दी.

" उई मा…… आ …क्या कर रहा है रामू?"

" कुच्छ नहीं भाभी आपका ये वाला छेद दुखी था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा. मैने सोचा इसकी भी सेवा कर दूं." ये कह कर मैने पूरी उंगली भाभी की गांद में घुसा दी.

"आआआः…ऊवू…अघ… धीरे राजा, एक छेद से तेरा दिल नहीं भरा जो दूसरे के पीछे पड़ा है." भाभी को गांद में उंगली डलवाने में मज़ा आ रहा था. मैने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. भाभी शायद दो तीन बार झाड़ चुकी थी क्योंकि उनकी चूत का रस बह कर मेरे अमरूदों को भी गीला कर रहा था. 15- 20 धक्कों के बाद मैं भी झाड़ गया और ढेर सारा वीर्य भाभी की चूत में उंड़ेल दिया. भाभी भी इस भयंकर चुदाई के बाद पसीने से तर हो गयी थी. वीर्य उनकी चूत में से बाहर निकल कर टाँगों पर बहने लगा. भाभी निढाल हो कर चटाई पर लेट गयी.

" रामू आज तीन महीने तड़पाने के बाद तूने मेरी चूत की आग को ठंडा किया है. एक दिन मैं ग़लती से तेरा ये मूसल देख बैठी थी बस उसी दिन से तेरे लंड के लिए तडप रही थी. काश मुझे पता होता कि खड़ा हो कर तो ये 10 इंच लंबा हो जाता है."

" तो भाभी आपने पहले क्यों नहीं कहा. आपको तो अच्छी तरह मालूम था की मैं आपकी चूत का दीवाना हूँ. औरत तो ऐसी बातें बहुत जल्दी भाँप जाती है."

" लेकिन मेरे राजा, औरत ये तो नहीं कह सकती कि आओ मुझे चोदो. पहल तो मर्द को ही करनी पड़ती है.और फिर मैं तेरी भाभी हूँ."

" ठीक है भाभी अब तो मैं आपको रोज़ चोदुन्गा."

" मैं कब मना कर रही हूँ? एक बार तो तूने चोद हिदिया है. अब क्या शरमाना?इतना मोटा लंबा लंड तो बहुत ही किस्मत से नसीब होता है. जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तेरे लंड का मैं ख्याल करूँगी. इसको मोटा ताज़ा बनाए रखने के लिए मैं तेरे लंड की रोज़ मालिश कर दूँगी. अच्छा अब मुझे जाने दे मेरे राजा, तूने तो मेरी चूत का बॅंड बजा दिया है." उसके बाद भाभी उठ कर नंगी ही अपने कमरे में चली गयी. जाते समय उनके चौड़े भारी नितंब मस्ती में बल खा रहे थे. उनके मटकते हुए चूतर देख दिल किया कि भाभी को वहीं लिटा कर उनकी गांद में अपना लवदा पेल दूं.

अगले दिन मेरा बॉडीबिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने ये प्रतियोगिता इस साल फिर से जीत ली. अब मैं दूसरी बार कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग चॅंपियन हो गया. मैं बहुत खुश था. घर आ कर मैने जब भाभी को यह खबर सुनाई तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहाl










































[size=undefined]" आज तो जश्न मनाने का दिन है. आज मैं तेरे लिए बहुत अच्छी अच्छी चीज़ें बनाउन्गि. बोल तुझे क्या इनाम चाहिए?"

" भाभी आप जानती हैं मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए"मैं भाभी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला.

" अरे वो तो तेरी ही है जब मर्ज़ी आए ले लेना. आज तू जो कहेगा वही करूँगी."

" सच भाभी ! आप कितनी अच्छी हो." यह कह कर मैने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ भाभी के रसीले होंठों पर रख दिए. मैं दोनो हाथों से भाभी के मोटे मोटे चूतर सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा. ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था. भाभी की साँसें तेज़ हो गयी. अब मैने धीरे से भाभी की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गयी.

" रामू, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है ? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही. पहले खाना तो खा ले फिर जो चाहे कर लेना. चल अब छोड़ मुझे." यह कह कर भाभी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की. मैने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर भाभी के छूटरो को उनकी सॅटिन की कछि के उपर से दबाते हुए कहा,

" ठीक है भाभी जान, छोड़ देता हूँ, मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी."

" बोल क्या शर्त है ?"

" शर्त यह है की आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे." मैं भाभी के होंठ चूमता हुआ बोला.

" क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था जो अपनी भाभी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?" भाभी मुस्कुराते हुए बोली. मैं भाभी की कछि में हाथ डाल कर उनके चूतरो को मसल्ते हुए बोला,

" नहीं भाभी आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं, और मैने अपनी प्यारी भाभी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा."

" झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे. कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे ! सांड़ की तरह ……. ……..भूल गया?"

" कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान, अब उतार भी दो ना." यह कहते हुए मैने भाभी का कुर्ता भी उपर करके उतार दिया. अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और छ्होटी सी कछि में थी.

"अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे." और भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया. इसके बाद उन्होने मेरी पॅंट भी नीचे खींच दी. मेरा लौदा अंडरवेर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था. भाभी मेरे लौदे को अंडरवेर के उपर से सहलाते हुए बोली,

" रामू, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?"

" भाभी नाराज़ नहीं हो रहे बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं."

" सच ! बहुत समझदार हैं." यह कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर भी नीचे खींच दिया. मेरा 10 इंच का लौदा फंफना कर खड़ा हो गया. भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी और वो बारे प्यार से लौदे को सहलाने लगी. मैने भी भाभी की ब्रा का हुक खोल कर भाभी की चुचिओ को आज़ाद कर दिया. फिर मैने दोनो निपल्स को बारी बारी से चूमा और भाभी की कछि को नीचे सरका दिया. गोरी गोरी जांघों के बीच में झांतों से भरी भाभी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी.

" अब तो मैने तेरी शर्त मान ली. अब मुझे खाना बनाने दे." ये कह कर वो किचन की ओर चल पड़ी. ऊफ़ ! क्या नज़ारा था ! गोरा बदन, घने चूतरो तक लटकते बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितूंब, सुडोल जंघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लंबी झांतों से भरी फूली हुई चूत. चलते वक़्त मटकते हुए चूतर और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थी. भाभी किचन में खाना बनाने लगी. मैं भी किचन में जा कर भाभी के चूतरो से चिपक कर खड़ा हो गया. मेरा 10 इंच का लौदा भाभी के चूतरो की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा. मैं भाभी की चूचिओ को पीछे से हाथ डाल कर मसल्ने लगा.

" छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे." भाभी झूठ मूठ का गुस्सा करते हुए बोली और साथ ही में अपने चूतरो को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया की मेरा लौदा उनके चूतरो की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छ्छूने लगा. भाभी की चूत इतनी गीली थी की मेरा लौदे के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया. इतने में भाभी कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गये. भाभी के भारी चूतरो के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी. मैने झट से अपने मोटे लौदे का सुपरा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. मेरा लौदा चूत को चीरता हुआ 3 
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[size=undefined]"आआ…….ह. क्या कर रहा है रामू? तुझे तो बिल्कुल भी सबर नहीं. निकाल ले ना." लेकिन भाभी ने उठने की कोई कोशिश नहीं की. मैने भाभी की कमर पकड़ के तोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया. इस बार तो करीब 8 इंच लौदा भाभी की चूत में समा गया.

"आ…आ..आ…आ..आ ..वी मया..आआ.. मर गयी, छोड़ ना मुझे. पहले खाना तो खा ले." भाभी सीधी हुई पर लौदा अब भी चूत में धंसा हुआ था. मैने पीछे से हाथ डाल कर भाभी की चूचिया पकड़ ली.

" भाभी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?" उसके बाद भाभी उसी मुद्रा में खाना बनाती रही और मैं भी भाभी की चूत में पीछे से लौदा फँसा कर भाभी की पीठ और चूतरो को सहलाता रहा.

" चल रामू खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को." भाभी अपने चूतर पीछे की ओर उचकते हुए बोली. मैने भाभी के चूतर पकड़ के दो तीन धक्के और लगाए और लौदे को बाहर निकाल लिया. मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के रस से सना हुआ था. भाभी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खैंच कर बैठ गया.

" आओ भाभी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो."

" हाई राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लंबी सी तलवार निकली हुई है." भाभी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोली.
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भाभी आपके पास म्यान है ना इस तलवार के लिए." यह कहते हुए मैने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया. भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौदा भी चूत के रस में सना हुआ था. जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरा खड़ा लंड भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया.

" एयाया…..आआहह..ऊऊहह …..अया .. कितना जंगली है रे तू. 10 इंच लंबा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या ?"

" सॉरी भाभी चलो अब खाना खा लेते हैं." हमने इसी मुद्रा में खाना खाया. खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठी तो मेरा लंड फ़च की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया. बर्तन समेटने के बाद भाभी आई और बोली,

" हां तो देवर्जी अब क्या इरादा है ?"

" अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है." मैने कहा.

" तो अभी तक क्या हो रहा था ?"

" अभी तक तो सिर्फ़ ट्रैलोर था. असली पिक्चर तो अब स्टार्ट होगी." ये कहते हुए मैने नंगी भाभी को अपनी बाहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया. मैं खड़ा हुआ था , मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थी. भाभी की चूत मेरे पैट से चिपकी हुई थी और मेरा पैट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था. मैने खड़े खड़े ही भाभी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड भाभी की चूत में प्रविष्ट हो गया. इसी प्रकार मैं भाभी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तेर पर पीठ के बल लिटा दिया. भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर टीका दिया. अब भाभी से ना रहा गया,

" रामू, तंग मत कर. अब और नहीं सहा जाता. जल्दी से पेल. जी भर के चोद मेरे राजा. फाड़ दे मेरी चूत को." मैने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड भाभी की चूत में पेल दिया.

" आआआअ………….आाऐययइ…….ह…अघ… मर गयी मेरी मा…. आह.. फॅट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स…इससस्स….ऊवू…. आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा. कितना मोटा है रे तेरा लंड. इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया. आ…आआआः." भाभी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थी. मैने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक भाभी की चूत में पेल दिया. मेरे अमरूद भाभी के चूतरो से टकराने लगे. मैं भाभी की सुंदर चूचिओ को मसल्ने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा. भाभी चूतर उच्छल उच्छल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थी. पाँच मिनिट की भयंकर चुदाई के बाद भाभी पसीने से तर हो गयी थी और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी. फ़च….. फ़च…. फ़च… की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. भाभी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गये. मैने भाभी के होंठ चूमते हुए कहा,

" भाभी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो नकाल लूँ."

" चुप बदमाश ! खबरदार जो निकाला. अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी."

" भाभी आपने कभी भैया का लंड चूसा है ?"

" नहीं रे, कहा ना तेरे भैया को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है. काम कला तो उन्होने सीखी ही नहीं."

" आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौदा चूसने का?"

" किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है की मर्द भी उसकी चूत चाते."

" भाभी मेरी तो आपकी चूत चूमने की बहुत तमन्ना है." मैने अपना लंड भाभी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया.
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#55
भाभी आप मेरे उपर आ जाओ और अपनी प्यारी चूत का स्वाद चखने दो." मैने भाभी को अपने उपर खैंच लिया. भाभी का सिर मेरी टाँगों की तरफ था. भाभी की टाँगें मेरे सिर के दोनो तरफ थी और उनकी चूत ठीक मेरे मुँह के उपर. मैने भाभी के चूतरो को पकड़ के उनकी चूत को अपने मुँह की ओर खींच लिया. मैने कुत्ते की तरह भाभी की झांतों से भरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. भाभी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. भाभी की चूत की सुगंध मुझे पागल बना रही थी. चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि मेरा मुँह भाभी की चूत के रस से सुन गया. इस मुद्रा में भाभी की आँखों के सामने मेरा विशाल लंड था. भाभी ने भी मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया. मेरा लंड तो भाभी के ही रस से सना हुआ था. भाभी को मेरे वीर्य के साथ अपनी चूत के रस के मिश्रण को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था. अब भाभी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. इतना मोटा लंड बड़ी मुश्किल से उनके मुँह में जा रहा था. जी भर के लंड चूसने के बाद भाभी उठी और मेरे मुँह की तरफ मुँह करके मेरे लंड के उपर बैठ गयी. चूत इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के पूरा 10 इंच का लौदा भाभी की चूत में जड़ तक घुस गया. भाभी ने मुझे चूमना शुरू कर दिया और ज़ोर ज़ोर से अपने चूतर उपर नीचे करके लौदा अपनी चूत में पेलने लगी. मैं भाभी की चूचिओ को चूसने लगा. पाँच मिनिट के बाद तक के मेरे उपर लेट गयी और बोली,

" रामू, तू आदमी है कि जानवर. इतनी देर से चोद रहा है लेकिन अभी तक झाड़ा नहीं.मैं अब तक तीन बार झाड़ चुकी हूँ."

" मेरी प्यारी भाभी मेरे लंड को आपकी चूत इतनी अच्छी लगती है कि जब तक इसकी प्यास नहीं बुझ जाती ये नहीं झरेगा. आपने मुझे जानवर कहा ही है तो अब मैं आपको जानवर की तरह ही चोदुन्गा."

" हे भगवान ! कल ही तो तूने सांड़ की तरह चोदा था. अब और कैसे चोदेगा ?"

" कल आपको गाय बना कर सांड़ की तरह चोदा था आज आपको कुतिया की तरह चोदुन्गा."

" चोद मेरे राजा जैसे चाहता है वैसे चोद. अपनी भाभी को कुतिया बना के चोद. लेकिन ज़रा मुझे बाथरूम जाने दे." इतनी देर चुदाई के बाद भाभी को पेशाब आ गया था. वो उठ कर बाथरूम में गयी लेकिन दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया. इतना चुदवाने के बाद भाभी की शर्म बिल्कुल ख़तम हो गयी थी. बाथरूम से प्सस्सस्सस्स……… की आवाज़ आने लगी. मैं समझ गया भाभी ने मूतना शुरू कर दिया है. भाभी के मूतने की आवाज़ सुन कर मैं भाभी को चोदने की लिए तडप उठा. भाभी वापस आई और मुस्कुराते हुए कुतिया बन कर बोली,

" आ मेरे राजा तेरी कुतिया चुदवाने के लिए हाज़िर है." भाभी ने अपने चूतर उपर उठा रखे थे और उनका सीना बिस्तर पर टीका हुआ था. उनके विशाल चूतरो के बीच से झँकति हुई चूत को देख कर मेरा लौदा फंफनाने लगा. मैं भाभी के पीछे बैठ कर भाभी की चूत को कुत्ते की तरह सूंघने और चाटने लगा.

" अया…. ऊऊओ .. क्या कर रहा है. तू तो सचमुच कुत्ता बन गया है."

" भाभी अगर आप कुतिया हैं तो मैं तो कुत्ता हुआ ना. कुतिया कोतो कुत्ता ही चोद सकता है." मैं पीछे से भाभी की चूत चाटने लगा. मेरे मुँह में नमकीन स्वाद आ रहा था, क्योंकि भाभी अभी मूत कर आई थी. इस मुद्रा में चूत चाटने से मेरी नाक भाभी की गांद में लग रही थी. अब मैने भाभी के दोनो चूतर फैला दिए. भाभी की गांद का गुलाबी छेद बहुत ही सुन्दर लग रहा था. मैने अपनी जीभ से उस गुलाबी छेद हो भी चाटना शुरू कर दिया और एक दो बार जीभ गांद के छेद में भी डाल दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#56
एयाया…ह …एयाया ऊऊऊः रामू बहुत अच्छा लग रहा है." काफ़ी देर तक मैने भाभी की चूत और गांद चॅटी. मैं भाभी को कुतिया की तरह चोदने के लिए तैयार था. अब मैने उठ कर अपने लौदे का सुपरा भाभी की चूत के मुँह पर रखा और उनकी कमर पकड़ के ज़ोरदार धक्का लगाया. चूत बहुत ही गीली थी और इतनी देर से हो रही चुदाई के कारण चौड़ी हो गयी थी. एक ही धक्के में पूरा 10 इंच लौदा भाभी की चूत में समा गया. अब मैने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. फ़च….फ़च….फ़च….फ़च .. का मधुर संगीत कमरे में गूंज़ने लगा.

" भाभी मज़ा आ रहा है मेरी जान ?"

" ऊहह…अयाया बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा. अयाया…. फाड़ डालो मेरी चूत को आज. मार डालो मुझे… औइ मा….. मैं मर जाउन्गी."

" भाभी मेरा इनाम कब दोगि?"

"…अया….. ऊवू…. जब मर्ज़ी लेले. ऊवू बोल …अया … क्या चाहिए?"

" भाभी मैं आपकी गांद में अपना लंड डालना चाहता हूँ."

" नहीं रे तेरा मूसल तो मेरी गांद फाड़ देगा. ना बाबा ना. कुच्छ और माँग ले."

" भाभी मेरी जान जब से आप इस घर में आई हो आपकी मोटी गांद देख कर ही मेरा लंड फंफना जाता है. एक बार तो इस लौदे को अपनी गांद का स्वाद लेने दो"

" तू तो बहुत ही ज़िद्दी है. ठीक है अगर तुझे मेरी गांद इतनी पसंद है तो लेले. लेकिन मेरे राजा बहुत धीरे से डालना, तेरा लंड बहुत ही मोटा है."

" हां भाभी बिल्कुल धीरे से डालूँगा." मैं जल्दी से वॅसलीन ले आया. भाभी के पीछे बैठ कर उनके चूतर दोनो हाथों से फैला दिए और उस गुलाबी छेद को कुत्ते की तरह चाटने लगा. जीभ को भी गांद के अंडर घुसेड दिया.मैने ढेर सारी वॅसलीन अपने लौदे पर लगाई और फिर ढेर सारी अपनी उंगली पर ले कर भाभी की गांद में लगाई. अब मैने अपने लंड का सुपरा भाभी की गांद के छेद पर रखा और धीरे से दबाव डाल कर सुपादे को भाभी की गांद में सरका दिया. भाभी की गांद का छेद मेरे मोटे लंड के घुसने से बुरी तरह फैल गया.

"आआआआआईयईईईईईईईईईईई…………….आआआहहा…वी माआआआ………. मर गयी . बस कर रामू आआआः…..निकाल ले बहुत दर्द हो रहा है" भाभी बहुत ज़ोर से चीखी. थोरी देर में जब भाभी का दर्द कम हुआ तो मैने तोरा और दबाव डाल कर करीब तीन इंच लंड भाभी की गांद में पेल दिया. भाभी को पसीने छ्छूट गये थे. मैने और थोड़ा इंतज़ार किया और भाभी की चुचियाँ और चूतरो को सहलाता रहा. फिर मैने भाभी की कमर पकड़ के एक हल्का सा धक्का लगाया और 5 इंच लंड भाभी की गांद में पेल दिया.

"आआआः …… ऊऊओ…….आआआः…..इसस्सस्स और कितना बाकी है रामू? फॅट जाएगी मेरी गांद."

" बस मेरी जान थोड़ा सा और" ये कहते हुए मैने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. अब तो करीब करीब 9 इंच लंड भाभी की गांद में समा गया.

"आआआआअ………..आआआआआआआ….ओईईईईईईईईईई…..छोड़ दे मुझे ज़ालिम

कहीनका.आआआआआआ……………. मुझे नहीं चुदवाना. प्लीज़ रामू मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ निकाल ले. मैं नही सहन कर सकती.वी माआ……. आआहह." मैं थोड़ी देर तक बिना हीले लंड गांद में डाले हुए पड़ा रहा. जब भाभी का दर्द कम हुआ तो मैने बहुत ही धीरे धीरे अपना लंड भाभी की गांद में अंडर बाहर करना शुरू किया. भाभी का दर्द अब काफ़ी कम हो गया था. मैने अब पूरा लंड बाहर निकाल कर जड़ तक पेलना शुरू किया.मैने देखा कि भाभी भी अब अपने चूतर पीछे उचका कर मेरा लंड अपनी गांद में ले रही थी.

" भाभी कैसा लग रहा है ?" मैने भाभी की चूचियाँ दबाते हुए पूछा.

" आअहह…… अब अच्छा लग रहा है मेरे राजा. थोड़ा और ज़ोर से चोद." अब तो मैं भाभी के चूतर पकड़ कर अपने 10 इंच के लौदे को भाभी की गांद में जड़ तक पेलने लगा. धीरे धीरे मेरे धक्के तेज़ होते गये.

" अया….. ऊवू एयेए……ह….ऊऊऊओ …आऐईयईईई, बहुत मज़ा आ रहा है. फाड़ दे अपने लौदे से मेरी गांद. अया….. पीछे से तो अब मैं तेरी बीवी हो गयी हूँ ….एयाया……एयाया…सुहाग रात को तेरे भैया ने मेरी कुँवारी चूत चोदि थी और आज तू मेरी कुँवारी गांद मार रहा है. वी मया…..आआ….चोद मेरे राजा चोद मुझे. जी भर के चोद."

मेरे धक्के और भी भयंकर होते जा रहे थे. भाभी की जिस गांद ने मेरी नींद उड़ा दी थी, आज उसी गांद में मेरा 10 इंच का लौदा जड़ तक घुसा हुआ था. भाभी को चोद्ते हुए अब करीब दो घंटे हो चले थे. मैं भी अब झरने वाला था. 15 – 20 धक्कों के बाद मैने ढेर सारा वीर्य भाभी की गांद में उंड़ेल दिया. मेरा वीर्य भाभी की गांद में से निकल कर चूत की ओर बहने लगा. मैने अपना लंड भाभी की गांद में से बाहर निकाल लिया. भाभी ने उठ कर बारे प्यार से लंड को अपने मुँह में ले कर चाटना और चूसना शुरू कर दिया. भाभी ने पूरे लंड और मेरे अमरूदों को चाट कर ऐसे सॉफ कर दिया मानों मेरे लंड ने कभी चुदाई ही ना की हो.
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#57
भाभी दर्द तो नहीं हो रहा?”

“10 इंच का मूसल मेरी गांद में डालने के बाद पूछ रहा है दर्द तो नहीं हो रहा. लगता है एक महीने तक ठीक से चल भी नहीं पाउन्गि”

“तो फिर आपको मज़ा नहीं आया?”

“कैसी बातें कर रहा है? इससे चुदवाने के बाद किस औरत को मज़ा नहीं आएगा? लेकिन तेरे दिल की तमन्ना पूरी हुई कि नहीं?” भाभी मेरे लॉड को प्यार से सहलाते हुए बोली.

“ हां मेरी प्यारी भाभी.आपके भारी नितंबों को मटकाते देख कर मेरे दिल पर छुरी चल जाती थी. मेरा लंड फंफना उठता था और आपके चूतरो के बीच में घुसने को बेकरार हो जाता था.आज तो मैं नहाल हो गया.”

“ सच ! मुझे नहीं पता था कि मेरे नितंब तुझे इतना तड़पाते हैं. मैं बहुत खुश हूँ कि तेरे दिल की तमन्ना पूरी हुई. अब तो तू एक बार मेरी गांद मार ही चुका है. जब भी तेरा दिल करेगा तुझे कभी मना नहीं करूँगी. तेरी ही चीज़ है.”

“ आप कितनी अच्छी हो भाभी.देखना अब आपके नितंबों में कितना निखर आएगा. राह चलते लोगों का लंड आपके चूतरो को देख कर खड़ा हो जाएगा.”

“ मुझे किसी का लंड नहीं खड़ा करना. तेरा खड़ा होता रहे उतना ही काफ़ी है. अभी तो मेरी गांद का छेद फटा सा जा रहा है.”

“ एक बात पूछूँ भाभी? भैया आपको कॉन कॉन सी मुद्राओं में चोदते हैं?”

“ अरे ! तेरे भैया तो अनारी हैं. उन्हें तो सिर्फ़ मेरी टाँगों के बीच बैठ कर ही चोदना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी भी नहीं करते. सारी उठाई और पेल दिया. 15-20 मिनिट में ही काम ख़तम!”

“आपको नंगी हो कर चुदवाने में मज़ा आता है?”

“हां मेरे राजा. किस औरत को नहीं आएगा? और फिर मरद को भी तो औरत को पूरी तरह नंगी करके चोदने में मज़ा आता है. तू बता तुझे किस मुद्रा में चोदना अच्छा लगता है?”

“भाभी आपके जैसी खूबसूरत औरत को तो किसी भी मुद्रा में चोदने में मज़ा आता है, लेकिन सबसे ज़्यादा मज़ा तो आपको गाय बना कर, आपके मोटे मोटे चूतर फैला कर सांड़ की तरह चोदने में आता है. इस मुद्रा में आपकी फूली हुई रस भरी चूत और गुलाबी गांद, दोनो के दर्शन हो जाते हैं और दोनो को ही आसानी से चोदा जा सकता है.”

“ अच्छा तो तू अब काफ़ी माहिर हो गया है.”

अब तो मैं और भाभी घर में हमेशा नंगे ही रहते थे और मैं दिन में तीन चार बार भाभी को चोद्ता था और गांद भी मारता था. एक दिन भैया वापस आ गये. वापस आने के बाद तीन चार दिन तो भैया ने भाभी को जम कर चोदा, लेकिन उसके बाद फिर वोही पुराना सिलसिला शुरू हो गया. भाभी की चूत की प्यास को मिटाने की ज़िम्मेदारी फिर मेरे 10 इंच के लौदे पर आ पड़ी. अब तो भाभी को गांद मरवाने का इतना शौक हो गया कि हफ्ते में दो तीन बार मुझे उनकी गांद भी मारनी पड़ती थी. तो
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#58
विराम















nospam thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#59
(10-12-2023, 03:46 PM)neerathemall Wrote: विराम















nospam thanks

धन्यवाद 



























धन्यवाद आप का जवाब नहीं है 



















सम्पादित लघुकथा की 
















धन्यवाद
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#60
ये तो हुई मेरी देवर रामू से चुदाई की कहानी जिसे आपने मेरे देवर की ज़ुबानी सुना लेकिन मेरा सफ़र यहा ख़तम नही हुआ मुझे अब भी अपने भाई का लंड अपनी आखो के सामने दिखता था दोस्तो आपको तो मालूम है मैने अपने भाई का लंड अपनी चूत मे एक बार लेने की ठान ली थी क्या मैं अपने भाई का लंड अपनी चूत मे ले पाई ये जानने के लिए पढ़ते रहिए 
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