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रसीला चमचम
" मालूम है इनकी समधन को कौन सी मिठाई पसंद है ? " , फिर खुद ही जवाब भी दे दिया, अपना बित्ता पूरी तरह फैला के खोल के दिखाते हुए,
" रसीली समधन के लिए रसीला चमचम, ये बित्ते की साइज़ वाला, लंबा और खूब मोटा, रस से डूबा, जिससे रस ले लेकर समधियाने का रस चूसें और समधियाने को याद करें,... "
सासू माँ ने कम्मो को तारीफ़ की नजर से देखा और जो बात वो कहना चाह रही थीं पर नहीं पा रही थी वो कम्मो ने कह दिया। और ये अक्सर होता था जो असली वाली गाली ननदों को जेठानी जी दिलवाना चाहती थीं और खुद कुछ सकुचाती थीं बस कम्मो को इशारा भी करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, एक बार कम्मो ने बोल दिया तो मेरी सास भी चालू होंगीं अपनी समधन की तारीफ़ में, ...
" ससुराल जा रहे तो, ये मत सोचना की ससुराल में सिर्फ साली सलहज हैं, सास का भी ख्याल रखना पड़ता है, "
मुस्कराते हुए मेरी सास बोलीं, और मैंने अपनी मुस्कराहट बड़ी मुश्किल से दबायी।
मेरी सास और इनकी सास के विचार बहुत मिलते हैं. जब एक बार मैंने इनकी सास से बोला था की और सब कुछ तो ठीक है लेकिन ये लजाते बहुत हैं,... तो हंस के अपना इरादा उन्होंने साफ़ कर दिया, " आने दे उसे, जितना उसकी रगड़ाई उसकी सब, गाँव भर की साली सलहज मिल के करेंगी, उतना तो मैं अकेले करुँगी, ... सारी लाज सरम दो दिन में उसके पिछवाड़े,'
और मेरी जेठानी ने भी पाला बदल दिया और अपने देवर को चिढ़ाती बोलीं,
" एकदम सही तो कह रहीं है, जो दो मीठी मीठी सालियों के चक्कर में ललचा रहे हो नहीं, वो निकली कहाँ से हैं,... और ये मीठी मीठी बरफी जो रोज बिना नागा गपकते हो,... वो,... " मेरे गाल पे कस के चिकोटी काटते वो बोलीं।
लेकिन मज़ाक का लेवल बढ़ाने के लिए कम्मो थी न, उनसे बोली,
" और लम्बे मोटे चमचम के साथ रसगुल्ले भी,... मैं लगा दूंगी ठीक से, एक लम्बे मोटे चमचम के दोनों ओर दो गोल गोल रसगुल्ले, समधन जी के लिए,... "
और मेरी सास खिलखिला पड़ीं और एक जोर का हाथ कम्मो के पीठ पर और बात बदलते हुए उससे बोलीं,
" तू न एकदम पक्की,... देख होली के दिन हम लोग निकल जाएंगे पूरे २१ दिन के लिए और २१ दिन तक घर और वो तेरी ननद भी यहाँ रहेगी, दोनों की जिम्मेदारी पूरी तेरे ऊपर है.
मैंने और कम्मो ने आँखों में हाई फाइव किया, कम्मो ने अपनी जिम्मेदारी अपनी ननद के प्रति तो कल से ही शुरू कर दी, उस कुँवारी कच्ची कोरी ननद की अपने देवर से फड़वा के , रात भर उस के भाई चढ़े रहे , अब हमारे भाइयों और उसके यारों का नंबर लगना था,...
सासू जी ने मुझे भी काम पकड़ा दिया , मैं उनकी सेक्रेटरी थी,... लम्बी लिस्ट बनाने का,... वो बोलती गयीं मैं लिखती गयी, उनके समधियाने के सामान लाना था , ... एक हाथ की शॉपिंग की लिस्ट मैंने उन्हें पकड़ा दी.
ये बाजार के लिए चल दिए , जेठानी की दो मिस्ड काल आ चुकी थीं , जेठ जी को चैन नहीं पड़ रहा था, तो वो भी अपने कमरे में और कम्मो भी पीछे अपनी कोठरिया में,...
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मीठी मीठी सासू माँ
ये बाजार के लिए चल दिए , जेठानी की दो मिस्ड काल आ चुकी थीं , जेठ जी को चैन नहीं पड़ रहा था, तो वो भी अपने कमरे में और कम्मो भी पीछे अपनी कोठरिया में,...
और मैं सास जी के पीछे पीछे उनके कमरे में,...
उनके बेटे के वार्डरोब की जिम्मेदारी तो इस घर में आने के अगले दिन से ही मेरे ऊपर आगयी थी वरना वो दो रंग मोज़े और उलटा पजामा पहन के पूरे घर में टहलते , पर साथ साथ दस पन्दरह दिन में सासू माँ की भी जिम्मेदारी,... उनकी अलमारी, बॉक्स सब की चाभी,... कहीं जाना हो तो क्या पहनेंगीं वो, ...
और उनके कमरे में घुसते ही मैंने उन्हें बाँहों में भर लिया, और उन्होंने भी मुझे अँकवार में भर लिया, बोली मैं कुछ नहीं, बोलीं वो भी कुछ नहीं,...
मुझे याद है की जब वो मुझे देखने आयी थीं, बस खींच के मुझे गोद में बिठा लिया और माँ से बोलीं बस ये मेरी बेटी है मुझे ले जाना है अपने साथ. लड़के वाले शर्त रखते हैं लेकिन मेरी माँ ने,... और ये बिना कुछ सुने सिर्फ मुझे देखती रहीं, और माँ से बोली, समधन जी आपकी सब बातें सर माथे, लेकिन मेरी सिर्फ एक शर्त है ,
सब लोग चुप हो गए,.. दान दहेज़ क्या बोलेंगी, पर मुझे दुलराते वो बोलीं,
" जैसे लगन शुरू होगी, पहली लगन को मैं अपनी बेटी को ले जाउंगी, बस. बाकी आप की सब बातें मंजूर।"
सब लोग कहते थे ससुराल में ऐसे रहना, वैसे रहना, पुराने ज़माने का चलन है और मेरी सास ने जिस दिन आयी, उसके अगले दिन ही घूँघट को मना कर दिया, ... सब के सामने जेठानी जी से बोलीं,
" इत्ती सुन्दर चाँद सी देवरानी ले आयी हो ताले में बंद करने के लिए, अरे घूँघट करेगी तो ये हमारे घर में पूनो का चाँद निकला है दिखेगा कैसे, "
और उसी दिन, मेरी सब सास थीं बुआ सास , कुछ मोहल्ले की औरतें,... मैंने हल्का सा घूंघट ओढ़ रखा था , ज़रा सा माथा ढका था बस , चेहरा पूरी तरह खुला लेकिन सबके सामने जोर की डांट पड़ गयी मुझे,...
" एक बार में नहीं समझती हो, सीढ़ी चढ़ के ऊपर जाती हो , नीचे आती हो, कहीं घूंघट के चक्कर में भहरा पड़ी तो , कितना खरचा आएगा अस्पताल का , कौन भरेगा , तेरी माँ को हफ्ते भर के लिए गिरवी रखूंगी तब पैसा निकलेगा, ... जैसी तेरी ननदें रहती हों उसी तरह रहना है समझ लो. "
मैं समझ रही थी ये बात मुझसे ज्यादा मेरी उन सास लोगों के लिए है फिर तो अगले दिन से,...
" मेरा जाने का मन नहीं कर रहा है ,... " मैंने बोल दिया।
" तू न एकदम पागल है, तू न जाएगी तो बड़ी मुश्किल से जो मैं जा रही हूँ २१ दिन के लिए वो भी गड़बड़ हो जाएगा। " हँसते हुए वो बोलीं।
" चलिए आपका सामान पैक कर देती हूँ , मैं बोली और उन के ट्रिप की एक बड़ी अटैची दो बैग बैठ के पैक करने लगी।
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कम्मो संग पिलानिंग
जब पैकिंग करने के बाद मैं उठी तो सास जी की नाक जोर जोर से बज रही थी. जेठानी जी अपने कमरे में सो रही थीं.
मैं बाहर निकली तो बस मेरे मन में मेरी ननदिया बसी थी, वही कच्ची कली. फट तो उसकी गयी थी, और कम्मो के भरोसे तो, ...
अब उसकी जबरदस्त रगड़ाई होना भी तय थी, लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी, इन २१ दिनों को फायदा उठा के कैसे उसे मशहूर कर दूँ उस के शहर में , सारे लौंडों को पता चल जाए, ... जितने ठरकी हैं न सिर्फ उसके गली मोहल्ले के बल्कि, जिल्ला टॉप माल तो है ही वो, खुल के चलती है ये भी पता चल जाए सबको, और फिर दुबारा अपनी टाँगे न सिकोड़ पाए.
सासू जी और जेठानी जी कस के नींद के चंगुल में थीं, कम से कम डेढ़ दो घंटे। ये बाजार गए थे, मेरी सासू जी की पौने दो फिट लम्बी लिस्ट और मिठाई की शॉपिंग के लिए , घर में मैं अकेली जग रही और मेरे दिमाग में उथलपुथल चल रही थी, ...
किचेन में कुछ खटर पटर की आवाज आयी तो मैं वहीँ चल पड़ी, कम्मो थी, उसे देख के मेरे चेहरे पे हजार वाट की मुस्कान चमक गयी.
" चाय चलेगी ? " हँसते हुए कम्मो ने पूछा।
मैंने उसे कस के अँकवार में भींच लिया और बोली , दौड़ेगी, लेकिन तब तक मैं एकदम डबल खुशखबरी सुनाती हूँ.
कम्मो ने चाय चढ़ा दी और मैंने उसे खुशखबरी सुना दी, वही अभी जो अनुज से पक्की कर के आ रही थी.
अनुज एक्जाम के बाद भी २० -२१ दिन बनारस रुकेगा, ... उसकी कोई १२ दिन की कोचिंग और है , एक्जाम के पांच दिन बाद शुरू होगी।
कम्मो मुझसे भी ज्यादा समझदार थी , उसका चेहरा खशी से चमक गया , वो बोल पड़ी, इसका मतलब ?
" मतलब यही की अपनी अनारकली ऑफ़ आजमग़ढ २१ दिन तक यहीं अकेले बस अपनी कम्मो भौजी के हवाले,... अनुज तो आएगा नहीं तो ये जो डर था की कहीं उसका भाई आ गया तो वो भी यही आ जाये या घर रखाने का काम उसके जिम्मे पड़ जाय, ... तो इसलिए बस अपनी ननदिया और उनकी कम्मो भौजी पूरे तीन हफ्ते , ... "
मैंने खिलखिलाते हुए पोल खोल दी।
" अब देखना तीन हफ्ते में उसे तीन लोक न दिखा दिया तो, मेरे पास एक थी कई साल से लेकिन उसका आज तक इस्तेमाल नहीं कर पायी थी, अब सही मौका मिला है ,... "
चाय की पत्ती डालते हुए कम्मो ने एक राज की बात बताई , और अजब तक चाय खौल रही थी कम्मो ने उसका राज भी खोल दिया।
कम्मो मैंने बताया था न की मेरी तरह पक्की बनारस वाली, तो बनारस में ही किसी अघोड़ी ने , एकदम माने हुए लेकिन कम्मो पर खुश थे और उन्होंने बहुत सी चीजें दी भी थीं और कम्मो को सिखायीं भी थीं।
उसी में से एक कामिनी कामचूर्ण भस्म थी, लेकिन उसकी शर्तें बहुत बेढब थी,
पहली तो जिस कन्या पर उसका इस्तेमाल किया जाये वो किशोरी हो, और इस्तेमाल पहली बार पूनो की रात में और पूरे असर के लिए होली वाली पूनो को, उसे नंग्न कर के उसकी योनि में चार चुटकी एकदम अंदर तक, वो भी कम्मो को ही डालना था. लेकिन अगली शर्त उससे भी कठिन थी, अगले दिन से उस किशोरी की योनि और गुदा दोनों के अंदर वीर्य भरा होना चाहिए , सिर्फ एक दिन नहीं पांच दिन, और पांचो दिन उसे अलग अलग पुरुषों से सम्भोग करना होगा, और रोज सुबह भी सोने के पहले वही भस्म चुटकी भर अगवाड़े पिछवाड़े अंदर।
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२१ दिन ननदिया के.
और,...रोज बिना नागा
तब तक चाय बन गयी थी , मैंने जोड़ घटाना भी कर लिया , कम्मो के पास पूरा मौका था , होली की शाम तो हम दोनों की ननदिया आ ही जायेगी। दस बजे जेठ जेठानी सासू जी की ट्रेन है तो वो लोग पौने नौ बजे ही घर से निकल जाएंगे , फिर तो वो और कम्मो, ऊपर के कमरे में ननद रानी रहेंगी, और उससे सटी बड़ी सी खुली छत है , जिस पर कितनी बार मैंने कम्मो के देवर के साथ कबड्डी खेली है, बस उसी छत पर ननद को निसूती कर के, चांदनी से ढकी ननद के अगवाड़े पिछवाड़े भसम डालना तो कम्मो भौजी के बाएं हाथ का खेल हैं , और अगले दिन ही कम्मो के गाँव के पठान के तीन लौंडे , अगले दिन गुड्डी रानी ने अपने भौंरे को दावत दे दी है, तो पांच दिन क्या अब तो एक्कीसों दिन अगवाड़ा पिछवाड़ा रबड़ी मलाई से बजबजाती रहेगी।
तो असर तो उस भस्म का पूरा होगा लेकिन होगा क्या ?
और चाय की चुस्की लेते हुए मैंने कम्मो से पूछ लिया, लेकिन वो देर तक खिलखिलाती रही. फिर हंसी रुकी तो बोली,
" वही होगा जो हम तुम और हमारे तुम्हारे सारे देवर और भाई चाहते हैं."
मेरी समझ में अभी भी कुछ नहीं आया और मैंने पूछा भी नहीं। मैं जानती थी वो खुद ही बताएगी और यही हुआ, वो खुद बोली,
" अरे तुम यही चाहते हैं की अब वो टांगें न सिकोड़े, तो बस पांच दिन भसम अगर लग गयी न रानी जी को , तो बस, टाँगे सिकोड़ने को कौन कहे, खुद टाँगे फैलाने को बेताब रहेंगी, खुद ही निहुर जाएंगी, कातिक क कुतिया की तरह हरदम चौबीसो घंटा गरमाई रहेंगी। किसी को मना नहीं करेंगी बल्कि खुद लौंडे फ़साने लगेंगी। सुबह से ही बिलिया में अगले हफ्ते से इतनी जोर जोर से मोटे मोटे चींटे काटेंगे की खुद ही मुझे कहेंगी की उसे नए नए यार चाहिए। "
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी पर कम्मो चुप नहीं हुयी और बाकी फायदे भी गिनाने लगी,
दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये की चाहे जिससे करवाए, मरवाये लेकिन कोई रोग दोष नहीं होगा न गाभिन होगी। लेकिन असली चीज ये है की दिन रात चलने से कोई भी उसकी बिल को भोंसड़ा बनते देर नहीं लगेगी, लेकिन सोलह साल की कुँवारी मात इतनी कसी चूत और गाँड़ रहेगी, कानी उँगरी भी कोई पेलना चाहे न तो बिना सुध देसी कड़ुआ तेल लगाए नहीं घुसेगा,
मैं बोले बिना नहीं रह सकी,
" तो इतनी कसी होने का मतलब हर बार ननद रानी खूब चिल्लायेगीं, रोयेंगी, चूतड़ पटकेंगी,... "
"एकदम, और भौजाई के लिए ननद क रोई रोहट चिल्लाहट से बढ़ के कौन म्यूजिक होता है,... " कम्मो हँसते हुए बोली, लेकिन तब तक कम्मो का फ़ोन बज गया और मैंने झांक के देखा, फोटो भी था काल करने वाले का कोई मस्त चिकना लौंडा था,...
कम्मो समझ गयी और हलके से मुस्कराते हुए ,अपना फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और मुझे जोर से आँख मारी।
" हे सुन भूलना मत, होली के अगले दिन, सोमवार के दिन, सुबह आठ बजे, ... "
" अरे मैं भूल सकता हूँ , क्या मस्त माल है, एकदम कच्ची कली, फोटो मैंने अपने मोबाइल में सेव कर ली है. अभी से सांडे का तेल लगा के मुठिया रहा हूँ, लेकिन झेल पायेगी वो? " उस लड़के की आवाज आयी.
" तुझे ठोंकने से मतलब, अरे यार मैं रहूंगी न सम्हालने के लिए, ... ऐसी चिड़िया आज तक नहीं मिली होगी, अच्छा चल सोमवार की सुबह। "
और यह कह के कम्मो ने फोन काट दिया, और मेरी ओर देख के जोर से मुस्करायी और अपने फोन में उस की पिक खोल दी,
सच्च में एकदम मस्त माल, पूरा पठान का लौंडा, खूब चिकना, एकदम गोरा मूछों की जगह बस हलकी सी रेख, लेकिन सबसे जबरदस्त बात थी उसकी आँखों की चमक और मीठी मुस्कान, सच में एक बार उस मुस्कान को देख के ही कोई लौंडिया खुद नाड़ा खोल देती।
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जावेद,
सच्च में एकदम मस्त माल, पूरा पठान का लौंडा, खूब चिकना, एकदम गोरा मूछों की जगह बस हलकी सी रेख, लेकिन सबसे जबरदस्त बात थी उसकी आँखों की चमक और मीठी मुस्कान, सच में एक बार उस मुस्कान को देख के ही कोई लौंडिया खुद नाड़ा खोल देती।
जावेद, मुस्कराते हुए कम्मो ने नाम बताया, लम्बाई ६ फीट १ इंच, उन्ही के गाँव का, अभी बी ए सेकेण्ड इयर में इसी साल गया है, गाँव के रिश्ते से भाई लगेगा, ...
और आगे की बात कम्मो ने जो उसकी अगली पिक दिखाई उसी से पूरी हो गयी, एकदम, टॉपलेस, सिर्फ एक हिप हगिंग देह से चिपकी जींस में
स्साला, क्या मस्त सिक्स पैक्स थे, खूब चौड़ी छाती और उतनी ही पतली कमर, एक एक मसल्स साफ़ साफ़ दिख रही थी, मैं समझ गयी थी एकदम पावरहाउस होगा। और वो बॉडी देखकर तो कोई भी लड़की पिघल जायेगी, मेरी ननद के भौरों से तो मीलों आगे, कम्मो ने एकदम सही चुना था,
" हे असली चीज दिखाओ न , ... " मैंने कम्मो से बोला,
" मेरे देवर से अच्छा तो नहीं होगा ,... अच्छा चल यार तेरा मेरा दोनों का भाई भी लगेगा ननदोई भी , ... दिखाती हूँ "
कम्मो मुस्करा के बोली,...
सच में रीतू भाभी ने मुझसे सुहागरात की अगली सुबह ही पूछा था, अपने नन्दोई के ' उसकी ' लम्बाई मोटाई ; और मेरे गाँव में वैसे भी जब कोई लड़की अपनी ससुराल से पहली बार आती तो भौजाइयां सब से पहले सुहागरात की हाल चाल के साथ ननदोई की ' लम्बाई, मोटाई ' सब कुछ पूछ लेती थीं, ... मैंने उलटा भाभी से बोला , आप सलहज हैं जब आप के नन्दोई आएंगे तो खोल के नाप लीजियेगा , हंस के वो बोलीं, तो क्या तुझसे पूछूँगी, तुझे तो छूने भी नहीं देंगी लेकिन कल नहीं बताया तो , छिनार रात भर गपागप मेरे नन्दोई का घोंटती हैं, नाप के बता भी नहीं सकती।
दो तीन दिन बाद मैंने जब उन्हें बताया की पूरे एक बित्ते का है, साढ़े आठ इंच के आस पास, तो उन्हें बिस्वास नहीं हुआ ,
अब तय ये हुआ था की कल जैसे हम लोग पहुंचगे , इनकी सलहज पहला काम यही करेंगी , इनकी सबसे छोटी साली से खुलवाकर, नपवाएंगी,...
सच में कम्मो भौजी के देवर से बीस नहीं तो अट्ठारह भी नहीं होगा , हाँ थोड़ा बहुत , लेकिन मोटाई में टक्कर का , पर जब कम्मो ने क्लोज अप दिखाया
तो मेरा कलेजा मुंह को आ गया.
उस स्साले का सुपाड़ा, मेरी मुट्ठी से कम नहीं होगा, खूब मोटा और एकदम कड़ा, ...
" कैसे , ... उसके पिछवाड़े,... इतना मोटा,... " थूक गटकते हुए मैं बोली।
" तभी तो मैंने इसे चुना, अपनी ननद के पिछवाड़े का फीता कटवाने के लिए ,
देवर से एक मामले में ये और बीस नहीं बल्कि पच्चीस छब्बीस है,.... रगड़ के जबरदस्ती पटक के चोदने में, लौंडिया बेहोश हो जाय , खून खच्चर हो जाये ये बिना पूरा ठेले छोड़ेगा नहीं, देवर का औजार तो फौलादी है लेकिन दिल एकदम मक्खन, ... "
ये मुझसे ज्यादा और कौन जानता था, मेरे चेहरे पर दर्द का एक कतरा ये बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, पर मैं कुछ और सोच रही थी और मैंने कम्मो से पूछ लिया,
" मान लो कोल्हू का पर देसी कड़ुआ तेल लगा के तूने उसे दबोच के उसकी कसी गाँड़ में ये मोटा सुपाड़ा घुसवा भी लिया तो असली चीज तो गाँड़ का छल्ला, ..
कम्मो जोर जोर से हंसने लगी, फिर जब हंसी रुकी तो बोली,
अरे तभी तो असली मजा आएगा, वो चीखेगी, चिल्लायेगी , लेकिन ये बांस तो निकलने वाला नहीं है और ताकत बहुत जबरदस्त है इसमें,... वो तड़पा तड़पा के रुला रुला के ठेलेगा, ... जब टसुए बहाना बंद कर देगी तो दुबारा , और कस के , ...
सच में उसकी मसल्स देख के ही मैं समझ गयी थी जबरदस्त ताकत होगी इस लड़के में , लेकिन मुझे एक डर लग रहा था और उसका जवाब भी था कम्मो के पास ,
यही सोच रही हों न की कहीं हम दोनों के इस भाई का औजार देख कर ननद रानी भड़क न जाये, तो उसका इलाज है कम्मो के पास,... कम्मो बोली और जो प्लानिंग उसने बताई तो मैं मान गयी.
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पठान का लौंडा
और
ननदिया का पिछवाड़ा
मैंने कम्मो से पूछ लिया,
" मान लो कोल्हू का पर देसी कड़ुआ तेल लगा के तूने उसे दबोच के उसकी कसी गाँड़ में ये मोटा सुपाड़ा घुसवा भी लिया तो असली चीज तो गाँड़ का छल्ला, .."
कम्मो जोर जोर से हंसने लगी, फिर जब हंसी रुकी तो बोली,
"अरे तभी तो असली मजा आएगा, वो चीखेगी, चिल्लायेगी , लेकिन ये बांस तो निकलने वाला नहीं है और ताकत बहुत जबरदस्त है इसमें,... वो तड़पा तड़पा के रुला रुला के ठेलेगा, ... जब टसुए बहाना बंद कर देगी तो दुबारा , और कस के , ..."
सच में उसकी मसल्स देख के ही मैं समझ गयी थी जबरदस्त ताकत होगी इस लड़के में , और जब तक बेरहमी न हो, मारने वाला बेदर्द न हो , तो कच्ची गाँड़ मारी भी नहीं जा सकती , फाड़नी तो अलग बात है,
लेकिन मुझे एक डर लग रहा था और उसका जवाब भी था कम्मो के पास ,
यही सोच रही हों न की कहीं हम दोनों के इस भाई का औजार देख कर ननद रानी भड़क न जाये, तो उसका इलाज है कम्मो के पास,... कम्मो बोली और जो प्लानिंग उसने बताई तो मैं मान गयी.
जावेद को आठ बजे उसने इस लिए बुलाया था की ननद रानी से ब्रेकफास्ट पर अपना भाई कह के मिलवाती ( बनारस के रिश्ते से तो हम दोनों का भाई ही था ),
और गुड्डी की जो आदत थी, मैं खुद कई बार देखती थी, मेरे गाँव से कभी कई आया तो बस उसे स्साला, स्साला कह के चिढ़ाती, कहती तू मेरे भाई का साला तो स्साले मेरा भी साला हुआ न तो स्साले को साला बोलने में क्या। और उस लड़के की सूरत ऐसी की कोई भी लड़की फिसल पड़ती,
फिर कम्मो ने बताया की जावेद का रिकार्ड था बाइस मिनट के अंदर , ज्यादा से ज्यादा वो लड़की को पटा लेता, और यहाँ तो कम्मो भी थी आग में घी डालने के लिए, तो मामला वहीँ ब्रेकफास्ट टेबल पर ही,
और वो लड़का नम्बरी चूत चटोरा भी था,
तो फिर तो गुड्डी रानी मिनट भर में पिघल जातीं ,
उसके बाद खुद गोद में उठा के ऊपर कमरे में बिस्तर पर पेट के बल, ,,, कम्मो का मानना था कल रात कम्मो के देवर ने रात भर अपने बित्ते भर के मोटे मूसल से छह बार कूटा था, तो अब चूत में इतनी मुश्किल नहीं होगी, थोड़ी देर चोदने के बाद, सिर्फ सुपाड़े से, दोनों हाथ के अंगूठे से वो पिछवाड़े का छेद चियार देगा और कम्मो कडुआ तेल को बोतल से कम से कम आधा पाव तेल गाँड़ में ,.. फिर आगे से कम्मो कस के उसे दबोच लेगी, दोनों हाथों से उसके कंधे दबा देगी , पैरों से उसकी पीठ भींच देगी और पूरी ताकत से वो चूत से निकाल के गांड में,
बस किसी तरह थोड़ा सुपाड़ा भी घुस जाए उसके बाद वो खुद उसकी कटीली कमर पकड़ के वो जबरदस्त धक्का मारेगा उसकी कोरी गाँड़ में, ...
मैं सुन रही थी , मुझे लग रहा था मैं आँखों के सामने देख रहीं हूँ , सुन के ही इतना मज़ा आ रहा था , मुस्कराते हुए मैं बोली ,
" फिर, तुम उस को दबोच के ही रखोगी,... "
" एकदम नहीं , अरे आधा तीहा सुपाड़ा भी घुस जाए न बस,... फिर तो मैं छोड़ दूंगी और मैं भी मजे लुंगी , उसके बाद तो वो रोयेगी चिल्लायेगी कलपेगी , चूतड़ पटकेगी लेकिन कसम है जो एक सूत भी उसका सुपाड़ा सरक के बाहर जाए , जितना छटपटायेगी उतना ही सूत सूत कर के अंदर घुसेगा। "
अब मैं और कम्मो दोनों मुस्करा रहे थे , मैं बोल पड़ी और असली मजा तब आएगा जब गाँड़ का छल्ला पार होगा,...
"एकदम " कम्मो बोली और फिर जोड़ा,
" मैंने सोचा जब उसकी नथ मेरे देवर ने उतारी है तो पिछवाड़े का फीता भी ऐसा ही मरद काटे,... लेकिन बिना बेरहमी के गाँड़ नहीं मारी जा सकती और जावेद इस मामले में एकदम पक्का है , रुला रुला के गाँड़ मारने में तो उसकी महारत है। और एक बार अगर ऐसा मोटा मूसल उस की गाँड़ ने घोंट लिया तो ,... "
" एकदम " मैंने जोड़ा , " मैं भी यही सोच रही थी जैसे ननद रानी के अगवाड़े का रास्ता खुला न उसी तरह बल्कि उस से भी कस के पिछवाड़े का रास्ता खुल जाये तो डर ख़तम हो जाएगा। "
" एकदम , हरदम के लिए मन से हदस निकल जायेगी, गाँड़ मरवाने का डर ख़तम हो जाएगा बल्कि गाँड़ मरवाने में मजा मिलने लगेगा, तो खुद ही निहुर के, इसलिए दूसरा राउंड भी वो पिछवाड़े का ही लगाएगा, लेकिन अबकी पीठ के बल लिटा के पोज बदल बदल के , ... जिससे ननद रानी को दिखे भी की कैसे उसकी कसी गाँड़ गपागप लंड घोंट रही है, ... "
लेकिन तब तक मेरी दिमाग में दूसरी बात कौंधी,
" तू तो कह रही थी तेरे गाँव के तीन पठान के,... " मैंने पूछा
" सही ही कहा था। हंस के वो बोली।
बाकी दोनों जल्लाद हैं, ये जावेद तो लौंडा है, बातचीत में लौंडिया पटाने में माहिर, लेकिन वो दोनों अच्छे खासे मरद हैं ३० -३२ के होंगे बल्कि दो चार साल ज्यादे, बहुत तगड़े, साल दो साल पहले तक जब तक पहलवानी करते थे बीस तीस गाँव में उन दोनों से कोई जीत नहीं सकता, लेकिन औजार इतना जालिम है उन दोनों का की चार चार बच्चों की माँ पूरी भोंसडे वाली भी पनाह मांगती है, बस गाँव की चमाइन खेत में मजूरी करनेवाली किसी को दो चार कट्टा गेंहू देकर, ... बिना गाली दिए दो चार हाथ, ऐसे रगड़ रगड़ के चोदते हैं की ढेला पिस कर मट्टी का चूरा हो जाता है , रहम दया से मतलब नहीं, एकदम खब्बीस, शादी तो दोनों की हुयी है एक ही गाँव में लेकिन बीबी अक्सर मायके में रहती है और ये भी अब कतर में , तो अभी छुट्टी आये थे, आज कल अपनी ससुराल आये थे, अरे याहं से बीस पच्चीस मील भी नहीं होगा, सराय मीर वहीँ, अरे अच्छी बाजार है , सीधे वहां से बस चलती है , तो सोमवार को दस ग्यारह तक वो दोनों भी आ जाएंगे।
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तीन तीन पठान और
एक ननदिया
" तू तो कह रही थी तेरे गाँव के तीन पठान के,... " मैंने पूछा
" सही ही कहा था। हंस के वो बोली।
बाकी दोनों जल्लाद हैं, ये जावेद तो लौंडा है, बातचीत में लौंडिया पटाने में माहिर, लेकिन वो दोनों अच्छे खासे मरद हैं ३० -३२ के होंगे बल्कि दो चार साल ज्यादे, बहुत तगड़े, साल दो साल पहले तक जब तक पहलवानी करते थे बीस तीस गाँव में उन दोनों से कोई जीत नहीं सकता, लेकिन औजार इतना जालिम है उन दोनों का की चार चार बच्चों की माँ पूरी भोंसडे वाली भी पनाह मांगती है,
बस गाँव की चमाइन खेत में मजूरी करनेवाली किसी को दो चार कट्टा गेंहू देकर, ... बिना गाली दिए दो चार हाथ, ऐसे रगड़ रगड़ के चोदते हैं की ढेला पिस कर मट्टी का चूरा हो जाता है , रहम दया से मतलब नहीं, एकदम खब्बीस, शादी तो दोनों की हुयी है एक ही गाँव में लेकिन बीबी अक्सर मायके में रहती है और ये भी अब कतर में , तो अभी छुट्टी आये थे, आज कल अपनी ससुराल आये थे,
अरे बीस पच्चीस मील भी नहीं होगा, सराय मीर वहीँ, अरे अच्छी बाजार है , सीधे वहां से बस चलती है , तो सोमवार को दस ग्यारह तक वो दोनों भी आ जाएंगे।
मैं मान गयी कम्मो की प्लानिंग, जावेद को देख के तो कोई भी लड़की टाँगे फैला देती, और उसका वो मोटा सुपाड़ा , अगर दो बार हचक हचक के उसने गुड्डी रानी की गाँड़ फाड़ दी , फिर तो वो ,
कम्मो समझ गयी मैं क्या सोच रही हूँ , बोली ,
एकदम एकबार कस कस के उसकी गाँड़ की ले ली गयी न फिर सब उसका डर हदस, और वो दोनों जल्लाद तो जबरदस्ती गाली दे दे के, ... तो उन दोनों से भी पहले उस की गाँड़ ही मरवाउंगी, चार बार गांड मरौव्वल के बाद लंच का इंटरवल ,
फिर गुड्डी रानी की सैंडविच बनेगी, तीन तीन जबरदस्त मर्द , तो कोई भी छेद क्यों खाली रहे, मुंह , चूत गाँड़ तीनो की एक साथ जबरदस्त कुटाई उसी कमरे में ,
मैंने झट से जोड़ा,
" यानी ननद रानी का पिछवाड़ा सात बार और अगवाड़ा तीन बार ,... "
" कम से कम, असल में साढ़े साथ बजे उन दोनों की आखिरी बस है , और आठ बजे तक जावेद को भी लौटना है,... " कम्मो बोली।
" और अगले दिन उसका कॉलेज भी तो है ,... " मैं बोली,...
" एकदम रात भर आराम करने दूंगी उसे , अच्छी तरह सेंक भी दूंगी गरम पानी से , फिर मेरे पास एक मलहम भी है , पिछवाडे लगा दूंगी, तो थोड़ा दर्द तो कम हो जाएगा , एकदम दुबका के रात भर दुलार कर के सुला दूंगी अपने साथ वहीँ तेरे कमरे में। " कम्मो ने समझाया लेकिन जोड़ा , " पर थोड़ा बहुत तो,.. "
तो क्या हुआ, हँसते हुए मैं बोली, अरे कुछ चिलख रहेगी, थोड़ा लंगड़ा के चलेगी, रुक रुक के सहारा लेगी तो सहेलियां भी समझ जाएंगी की उनकी अबतक कोरी सहेली के पिछवाड़े जबरदस्त मूसल चला है। "
तब तक इनका एक मेसेज आया , शॉपिंग आधी हो चुकी यही और अब वो मिठाई की दूकान पर थे।
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22-11-2023, 09:37 AM
(This post was last modified: 24-11-2023, 10:41 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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Next post soon, i will keep on posting but few comments will be helpful
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शॉपिंग का सवाल और,... लेडीज टेलर
तब तक इनका एक मेसेज आया , शॉपिंग आधी हो चुकी यही और अब वो मिठाई की दूकान पर थे।
वो जानना चाहते थे की मेरी छोटी बहनों की पसंद की मिठाई क्या है,
" डरते क्यों हो, खुद काहें नहीं फोन करके पूछ लेते, मंझली का चलो बोर्ड है दसवीं का, उसे मत डिस्टर्ब करना , लेकिन छुटकी तो घर पे होगी"
मैंने उन्हें ही काम थमा दिया, पर कम्मो का साथ, दिमाग कभी सही पटरी पर नहीं काम करता, मैंने उन्हें छेड़ा,
" अरे एक आइडिया, अपनी ममेरी बहिनिया से पूछ न, वो भी तो छुटकी की उमर की है बल्कि दो चार महीने छोटी ही है, ... रात भर चढ़े रहे, स्साली पर अब पूछने के नाम पर शरमा रहे हो,... "
स्पीकर फोन ऑन था, कम्मो भौजी अपने देवर की रगड़ाई का मौका क्यों चुकतीं, उन्होंने टुकड़ा जोड़ा,...
" अरे देवर जी, स्साली नहीं सलहज, ....कल उसके भैया चढ़े रहे रात भर, अब कल के बाद से हमारे भैया, तेरे साले चढ़ेंगे उस के ऊपर,जिस पर तोहार साले चढ़ें हचक हचक के लें , वो तो सलहज ही हुयी न आपकी,... गुड्डी रानी,.... तो उस रिश्ते से तो आप की सलहज हुयी न, "
ये डबल अटैक, वो भी मेरी और कम्मो की जुगल बंदी वो नहीं झेल सकते थे इसलिए उन्होंने वही किया जो ऐसे मौके पर सारे मरद करते हैं, फोन काट दिया।
लेकिन मैं नहीं चाहती थी की इन्हे छेड़ने के चक्कर में मेरी प्यारी प्यारी बहनों का घाटा हो जाए, इसलिए मैंने इन्हे दुबारा फोन लगाया,
और उन्होंने वही बहाना बनाया जो सारे मरद बनाते हैं,
" अरे यहाँ कनेक्शन खराब है इसलिए लाइन कट गयी थी,... " उनकी आवाज आयी, लेकिन मैं सीधे मुद्दे पर आयी
" तेरी सालियों को मिठाई में कोई ख़ास पसंद नापसंद नहीं है , कुछ भी चलेगा, हाँ चॉकलेट, और लॉलीपॉप छुटकी को बहुत पसंद है,
और क्रीम रोल मंझली को , पर एकदम फ्रेश लेना जो चार पांच दिन चल जाए, मंझली का तो कल आखिरी पेपर है हाईकॉलेज का, वो बनारस गयी है, परसों तिझहरिया को ही आएगी। "
" पक्का, मैं अभी बेकरी वाले से बात कर लेता हूँ, वो ताजे ताजे बना देगा , शाम को सब शॉपिंग के बाद, घर पर भी फ्रिज में रख देंगे,... " चहक के वो बोले ,
लेकिन मैं फोन काटती उस के पहले बड़ी सीरियस आवाज में वो बोले , और मेरी फट गयी, हलके से नहीं बड़ी जोर से, ...
" मेरी लिस्ट में बचे हुए कामों में कोई टेलर का नाम लिखा है, लेकिन मैंने ऐसे कोड में लिख दिया है की मैं भी भूल गया हूँ, पर वो अभी अभी पेंडिंग दिखा रहा है , बी टी, टी से टेलर तो मैं समझ गया पर ,... "
किसी तरह मैंने हंसी रोकी, हम सब लड़कियां औरतें उसे बूब्स टेलर्स कहती थीं, बी टी, भले ही नाम हो बाबीज टेलर, चोली, ब्लाउज, टॉप, सूट, एकदम परफेक्ट फिट, रेडीमेड कपडे खरीदने के बाद भी सब लड़कियां वहीँ लाइन लगाती थीं, ... था भी वो एकदम एक्सपर्ट, ... २० फिट दूर से लड़की का नंबर ही नहीं कप साइज भी बता देगा, ३२ सी, एक मिलीमीटर भी झोल नहीं,
लेकिन नाप के कपडे देने पर उसका काम नहीं चलता था, हर बार बिना नाप लिए वो नहीं बनाता था , उसी के यहाँ मेरे सारे ब्लाउज इनकी हरकतों से शादी के पन्दरह दिन के अंदर टाइट हो गए थे, मेरी सास ने उसके बारे में बताया था, गुड्डी के साथ ही मैं उसके यहाँ गयी थी , पहली बार,...
और पहली बार में ही पक्की दोस्ती हो गयी थी, जो ब्लाउज मैं ढीले करवाने गयी थी वो उसने और टाइट कर दिए और क्लीवेज भी, कुछ नए कपडे थे, शादी में जो साड़ियां मिली थीं, सब के उसने चोली कट, एकदम बैकलेस बना दिया।
वही, बॉबी टेलर, बी टी, ... लेकिन मामला रीतू भाभी का था,
मैं अगर डरती थी किसी से पूरे गाँव में तो उन्ही से. और प्यार भी सबसे ज्यादा उन्ही से , सबसे पहले मैंने उन्ही को इन्हे दिखा के कहा था, जब मेरी सहेली के यहाँ शादी में ये बारात में आये थे, मुझे ये चाहिए,... मैंने भी न कहाँ की की बात कहाँ, मुझसे उन्होंने पूछा था की तेरी जान पहचान का कोई लेडीज टेलर है, एकदम मैंने झट से रीतू भाभी को बता दिया, बी टी, बाबीज टेलर लेक्किन यही असल में बूब्स टेलर ,
बस उन्होंने काम बता दिया की मैं उनके नन्दोई को लेके जाऊं उस के यहाँ और और उस से रीतू भाभी की बात करा दूँ, मुझे जाना ही उसके यहाँ था कुछ मुझे अपने भी ब्लाउज ठीक कराने थे , कुछ नए बनवाने थे, अब इनकी ससुराल से ही सीधे इनकी पोस्टिंग पर जाना था, होली -रंग पंचमी के बाद,... मैंने उसकी बात रीतू भाभी से करा दी , क्या बात हुयी ये मुझे भी नहीं मालूम लेकिन क्या औरतों की नाप लेती होगी वो, उससे भी ज्यादा उनकी नाप जोख हुयी थी , उन्होंने एक दो बार कुछ ना नुकुर किया तो मैंने रीतू भाभी का नाम लेकर उन्हें चुप करा दिया, उनके आगे वो भी मुंह नहीं खोल पाते थे.
तो उसकी डेट कल की ही थी, लेकिन कल कल दिन भर रात भर तो कम्मो का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम चला, अपने देवर को ननद पर चढ़ाकर ननदोई बनाना , . और मैं भी एकदम भूल गयी थी, जो काम रीतू भाभी ने उसे दिया था उसके अलावा मेरे चार ब्लाउज फिट कराने थे, पांच नए ब्लाउज थे , दो सूट भी मैंने सिलने को दिए थे, घर में तो नहीं पर इनकी पोस्टिंग पर और अपने मायके में,
रीतू भाभी ने साफ़ साफ़ वार्निंग दी थी, तेरा पिछवाड़ा अभी तक कोरा है न, तो बस अगर मेरा ये काम नहीं हुआ तो बस मेरी पूरी मुट्ठी और सिर्फ मेरी नहीं गांव भर के सब भौजाइयों की,....
" तुम न खाली अपनी उस ममेर बहन की ब्रा साइज के अलावा कुछ भी नहीं याद रखते, ... " मैंने उन्हें हड़काया,...
" बीटी मतलब बाबीज टेलर्स, कल की ही डेट थी और कल तो तुम अपनी बहिनिया के चक्कर में, एड्ड्रेस्स मालूम है या बताऊँ,... "
" नहीं, नहीं बस जा रहा हूँ, मालूम है पिछली बार तो तू ही ले गयी थी , चौक से दायीं वाली सड़क पे, ... " ये कह के उन्होंने फोन काट दिया।
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पैकिंग
और मुझे दूसरा काम याद आ गया,
पैकिंग , वो मैंने बीते हुए कल के लिए छोड़ी थी पर कल का दिन तो मेरी ननदिया ने,... और अब कल सुबह ही तो निकलना था , मुश्किल से १६ -१७ घंटे बचे थे और पैकिंग मैं उनके सामने करती नहीं थी, कितना टोकते थे, काम एक नहीं करते थे बढ़ाते अलग से थे,...
सास और जेठानी अभी भी सो रही थीं ,
थोड़ी देर में मैं और कम्मो , हम दोनों अपने ऊपर वाले कमरे में , कम्मो भौजी मेरी पैकिंग में हेल्प करा रहीं थीं।
पैकिंग में बहुत सी मुसीबतें थीं ,
एक तो मैं रोज कल के लिए टालती जाती थी,
कमरे में जब इनकी कांफ्रेंस चलती रहती थी तो कोई खटर पटर नहीं हो सकती थी, और जब ये काम से फ्री हों और मैं कमरे में पहुँच के पैकिंग की कोशिश भी करूँ, तो दूसरा ' काम' शुरू हो जाता था, सटासट, गपागप वाला,
तो मैं समझ गयी थी की पैकिंग तभी हो पाएगी जब ये कमरे में न हों, कल ये दोपहर तक नहीं थे , पर मेरी ननद रानी आ गयी थीं और उनके साथ क्या क्या हुआ, ये तो बता ही चुकी हूँ।
हाँ पैकिंग के बारे में कुछ नीतिगत निर्णय मैं पहले ही ले चुकी थी, और इसमें इनसे पूछने की कोई जरूरत नहीं थी. पहला फैसला ये था की जो इनकी पोस्टिंग पर जाने वाला सामान था, मेरे इनके कपड़ें और बाकी सब घर के काम वाले, वो सब अलग से पैक होंगे और इनकी ससुराल में नहीं खुलेंगे। उसके लिए दो बड़े सूटकेस और एक बैग मैंने पहले से नामित कर के रखा था. इनका लैपटॉप, गेमिंग वाली और बाकी सब अल्लमगल्लम एक सेफ बॉक्स में, और वो भी मेरे मायके में नहीं खुलना था, मेरा बस चलता तो इनका मोबाइल भी उसी में डाल देती लेकिन वो ऐसे ही इनके ससुराल पहुँचते ही इनकी साली सलहज जब्त करने वाली थी.
और अब बचा मामला, कुछ सामान था जो ये अपनी सास, सलहज , सालियों के लिए ले जा रहे थे और जिसमें आज की शॉपिंग लिस्ट का भी सामान जुटना था , उसके लिए एक अटैची मैंने सोचा था अलग से , पहुँचते ही ये उसे खोल देंगे,... और दस दिन होली में, रंग पंचमी और उस के बाद इनकी ससुराल में पहनने के लिए वो सब कहाँ पैक करें, क्या पैक करें,
कम्मो बिन बोले बात समझने में एक्सपर्ट थी, उसने पूछा मैंने बता दिया , मायके में इस्तेमाल वाले कपड़ें कौन कौन ले जाएँ , किसमें पैक करें, ...
कम्मो बड़ी जोर से मुस्करायी और हँसते हुए उसने कोने में पड़ी एक बहुत छोटी अटैची की ओर इशारा किया।
मैं भी खिलखिलाने लगी और उस के हाथ पर हाथ मार् के बोली, चल यार मान लिया मैं तो अपने शादी के पहले के कपडे पहन लुंगी, कुछ शलवार सूट होंगे , एकाध कुर्ती लेगिंग , जो मंझली के हड़पने से बचा होगा,
नहीं तो होली में हर साल मैं कॉलेज का यूनिफार्म पहन लेती थी.
मेरी ट्रिक थी वो, वरना अगले साल भी कॉलेज में यूनिफार्म तो बदलती नहीं थी, घर वाले वही परमानेंट रिमार्क, ' अरे ठीक तो है, अभी चलाओ बाद में देखेंगे।"
मार्च में होली पड़ती थी और अप्रेल में नया सेशन शुरू होता था, बस मैं जान बूझ के कॉलेज यूनिफार्म , और बहाना बना देती, अरे मैं तो बदलने ही वाली की भाभी ने रंग डाल दिया, और गाँव की होली ,..
ननद भाभी की होली, सिर्फ होली के दिन थोड़े होती थी , बस फागुन लगने के बाद जब मौक़ा मिल जाए भौजी को,... फिर सिर्फ रंग थोड़ी, कपडा फाड़ , कीचड़ में घिसटने से लेकर,... कुछ भी बचता नहीं था , जब मैं नहीं बचती थी तो यूनिफार्म कैसे बचती ,
और फिर वो यूनिफार्म कॉलेज जाने लायक थोड़ी बचती , तो अप्रेल में नयी यूनिफार्म, व्हाइट टॉप, नेवी ब्ल्यू स्कर्ट।
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होली- रीतू भाभी
लेकिन जिस साल रीतू भाभी शादी के बाद उतरीं , उस साल वाली होली, मैं भूल नहीं सकती थी, उस के पहले भी होली में भाभियाँ मुझे पकड़तीं, दो चार मिल के , लेकिन मैं कॉलेज की कब्बडी टीम की कैप्टेन थी, चार पांच लड़कियां मुझसे उम्र में बड़ी तगड़ी पकड़ लेती तो भी मैं फिसल के बच निकल लेती, ....
और जब भाभियाँ किसी तरह पटक भी देतीं होली में, तो मैं अपनी टाँगे ऐसी कस के एक दूसरी टांग पर चढाती, पेट के बल लेट जाती और बोलती, भाभी कपडे मत फाड़िये ,... प्रेजिडेंट गाइड थी , नॉट बांधने में एक्सपर्ट, ...
तो एक तो पेट के बल, फिर डबल ट्रिपल गांठे ,बड़ी मुश्किल से कोई भाभी हाथ 'अंदर तक' घुसा पातीं,
लेकिन जिस साल रीतू भाभी आयीं मुझसे बड़ी उम्र वाली कई लड़कियों ने , औरतों ने पहले ही आगाह कर दिया था और होली में उस बार मैंने पहली बार शलवार पहनी, कस के वही डबल ट्रिपल नॉट और उस के अंदर गाँव में जैसे चड्ढी पहनी जाती है नाड़े वाली , वो भी कस के गाँठ बांध के,...
और होली में गाँव की बड़ी औरतें बजाय हम लोगों का साथ देने के नयी आयी बहुओं का साथ देती थीं और उनमे मेरी मंम्मी सबसे आगे थीं,
और उस बार भी सब से पहले उन्होंने ललकारा, नयी बहू को , रीतू भाभी को,
आज पहली होली में देखाय दो ननदों को अपनी ताकत, जब तक ननद निसूती न कर दो तब तक क्या भौजाई की होली,
बाकी लड़कियां पहले दबोच ली गयीं लेकिन मैं किसी तरह बची रही, कन्नी काट के, फिसल के पर रीतू भाभी भी सब को छोड़ के मेरे ही पीछे पड़ी थीं.
और जब हम दोनों आमने सामने हुए तो जो बात होली में मैं बोलती थी, वो उन्होंने खुद बोली,
" घबड़ा मत कपडे नहीं फाड़ूंगी, और फाड़ना भी होगा तो तेरी शलवार के अंदर वाला, वो मैं नहीं फाड़ूंगी अपने देवरों से फड़वाउंगी, आज तो तेरी चुनमुनिया को होली में हवा खिलाऊंगी। "
मैं भी श्योर थी, अपनी कब्बडी की चालों से, मैंने भी हंस के उनका चैलेन्ज कबूल कर लिया
पर मुझे पहली बार पता चला रीतू भाभी, रीतू भाभी थीं. वो मुझे बातों में उलझाए रहीं और पीछे से दो भाभियों ने,
और वो दोनों भाभियाँ भी पक्की उस्ताद थीं, चार चार बच्चो की माँ, ननदें भी उनसे पनाह मांगती थीं. रीतू भाभी ने जासूसी पक्की कर ली थीं, मुझे जबरदस्त गुदगुदी लगती है , और किस जगह छूने पर ही मैं बेकाबू हो जाती हूँ. बस दोनों भाभियों ने, जब तक रीतू भाभी ने मुझे बातों में उलझा रखा था, दोनों ने एक साथ मेरी कांख में गुदगुदी लगाई , मैं बेहाल और दोनों ने न सिर्फ मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए बल्कि पीछे कर के मेरी दोनों कलाइयों को क्रास कर के दोनों ने मिल के इतनी कस के जकड़ लिया की मैं हिल भी नहीं सकती थी.
उधर रीतू भाभी मेरे दोनों पैरों के पास बैठ के. अपनी उँगलियों से शलवार के ऊपर से मेरी जाँघों को हलके हलके सहला रही थीं, और जब तक मैं उनकी चाल समझूं, अपने दोनों घुटने मेरी टांगों के बीच में फंसा लिया, और मेरी सारी भौजाइयों को, मम्मी और गाँव की अपनी सब सासो को दिखाते मुझसे बोलीं,
" ननद रानी कउनो ख़ास चीज छुपा के रखले हउ का, इतना कस के बाँध के "
और उनका हाथ मेरे नाड़े पर, इत्ती मुश्किल से डबल ट्रिब्ल गाँठ पलक झपकते ही उन्होंने खोल दी,
" कहौ ननदो, तू सोचत हो, नाड़ा खोलने में खाली तेरे भैया उस्ताद हैं, "
भौजी ने मुझे कस के चिढ़ाया, और न सिर्फ नाड़ा खोला बल्कि शलवार से नाड़ा निकाल के एक सेकेण्ड में बाहर कर दिया। और वो नाड़ा पीछे खड़ी मेरी दोनों भौजाइयों के हाथ में, और उन दोनों भौजाइयों ने उस नाड़े से मेरी कलाई कस के बाँध दी, अब उन दोनों के हाथ भी खाली, और आगे रीतू भौजी, अब खड़ी मेरी शलवार पकडे, सब को दिखाते,
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शलवार-नाड़ा
" कहौ ननदो, तू सोचत हो, नाड़ा खोलने में खाली तेरे भैया उस्ताद हैं, " भौजी ने मुझे कस के चिढ़ाया, और न सिर्फ नाड़ा खोला बल्कि शलवार से नाड़ा निकाल के एक सेकेण्ड में बाहर कर दिया। और वो नाड़ा पीछे खड़ी मेरी दोनों भौजाइयों के हाथ में, और उन दोनों भौजाइयों ने उस नाड़े से मेरी कलाई कस के बाँध दी, अब उन दोनों के हाथ भी खाली, और आगे रीतू भौजी, अब खड़ी मेरी शलवार पकडे, सब को दिखाते,
" देखिये शलवार न मैंने फाड़ी न मैं उतारूंगी। मेरी ये ननद इत्ती अच्छी हैं खुद ही अपनी भौजाइयों के सामने, भौजाइयों के देवरों के सामने के शलवार उतारने के लिए तैयार हैं, ननद रानी खोलोगी न शलवार मेरे सब देवरों के सामने,... "
नाड़ा न सिर्फ खुल गया था बल्कि शलवार से निकल के मेरी कलाइयों में कस के बंधा था, शलवार टिकता कैसे, जैसे ही भौजी ने छोड़ा सरसर करते मेरे पैरों में
भौजाइयों ने खूब जोर जोर से हो हो किया,
पर अभी भी, मेरी दोनों जाँघों के बीच अभी भी, एक जांघिये नुमा चड्ढी एलास्टिक वाली नहीं नाड़े वाली, जिसके नाड़े को भी मैंने कस कस के बांधा था, ...
मुझे लग रहा था रीतू भाभी अब इस पर नंबर लगाएंगी, लेकिन वो मेरे पीछे और मैं उसी तरह सिर्फ चड्ढी में खड़ी,
और जैसे इशारा पा कर के दोनों भौजाइयों ने एक साथ ही मेरी कुर्ती खींची , पर वो मेरे बंधे हाथों में अटक गयी.
रीतू भाभी इसीलिए थीं न उन्होंने नाड़े से बंधी कलाई खोली , कुर्ती बाहर निकाली और एक बार फिर कलाई मेरी ही शलवार के नाड़े में बंधी।
मैं लाख मचल रही थी पर दोनों भौजाइयों ने कस के कमर से पकड़ रखा और रीतू भाभी ने इतनी झटपट मेरी कलाई बाँधी , जो दर्जन भर गांठे मुझे आती थीं वो सब , और आधी दर्जन जो मुझे नहीं आती थीं , वो भी।
मान गयी मैं भी आज आ गया ऊंट पहाड़ के नीचे, मैं सिर्फ ब्रा और जांघिया नुमा नाड़े में,
मेरी दोनों कलाइयां मेरी ही शलवार के नाड़े से बंधी, लेकिन रीतू भाभी की हालत भी कुछ अच्छी नहीं थीं, मेरे घर में घुसते ही सब ननदों ने मिल के नयकी भौजी का चीर हरण कर लिया था, ब्लाउज पेटीकोट दोनों रंग से सराबोर देह से चिपका, ब्लाउज के भी ऊपर की दो तीन बटने टूटीं, सिर्फ एक बटन के सहारे दोनों भारी भारी उरोज किसी तरह टिके, ब्लाउज, ब्रा में बस फंसे,...
मैंने एक बार फिर से वही शरारत करने की कोशिश की, दोनों टांगों को कस के भींचने की, चिपकाने की, पर अबकी मेरे पीछे मेरी नयकी भौजी थीं और उन्हें उनकी सारी जेठानियों ने मेरी ( और बाकी ननदों की भी ) सब चालों से बता समझा दिया था,
एक जोर का चांटा मेरी चड्ढी में छिपे चूतड़ के ऊपर पड़ा और एक कस के चिकोटी भी, जब तक मैं सम्ह्लू, पीछे मुझसे चिपकी खड़ी, मेरी रीतू भाभी ने अपनी तगड़ी लम्बी टाँगे मेरी दोनों टांगों के बीच में डाल कर फैला दी, ... इत्ती ताकत थी उनके अंदर, बाकी भौजाइयों तो दो चार इंच भी नहीं खोल पाती थीं पर उन्होंने ऐसे जोर लगाया, जैसे कोई पंजा लड़ा रहा हो , मेरी दोनों टांगों के बीच डेढ़ दो फीट का फासला हो गया था और मैं चाह कर भी पैर जरा भी सिकोड़ नहीं सकती थी।
अब उनकी बदमाशियां शुरू हुयी, मेरी चड्ढी के ऊपर हाथ से सहलाते हुए उन्होंने सारी भौजाइयों से पूछा,
" खोल दूँ खजाना, दिखा दूँ प्यार की गली ,... "
एकदम, सब उनकी जेठानियाँ चिल्लाईं।
फिर उन्होंने जैसे मेरे कान में कुछ कहा , फिर अपना कान मेरे मुंह के और सबके सामने अनाउंस कर दिया,
" मेरी ननद नहीं खोलेगी , उसकी एक शर्त है , पहले सब लोग हाँ बोलो। "
" हाँ हाँ मंजूर, " चारों और से आवाज आयी.
और एक झटके में चड्ढी का नाड़ा खुल गया चड्ढी सरक के शलवार के ऊपर मेरे पैरों पर, सर सर,...
लेकिन चुनमुनिया नहीं दिखी , भौजी ने अपनी हथेली से ढँक लिया , एकदम अच्छी तरह से और सबसे बोली,
मेरी प्यारी ननद बहुत नाराज है, और मैं भी उसकी बात में हामी भरती हूँ , आप सब लोग उस की बात मानो तो झलक दिखलायेगी वो. "
" बोल दिया न मंजूर है अब बोलो भी , कई भाभियाँ चिल्लाई " लेकिन रीतू भौजी ने सबसे हामी भरवाई और तब बोलीं,
" मेरी ननद कह रही है मेरी भौजाई लोग अपने मरद के साथ , देवर के साथ मजा लेती हैं और ये बेचारी कोरी पड़ी है, तो अगली होली तक जितने मरद हैं, देवर हैं , भौजाइयों के भाई हैं सब मेरी इस ननद पर चढ़ जाने चाहिए, इस भूखी बुलबुल को चारा चाहिए, "
" अरे इत्ती सी बात , अभी आज ही अपने देवरों को चढाती हूँ इसके ऊपर, नाउन की बड़की बहू बोलीं,... और भौजी ने हथेली हटा दी , फिर तो बीसो बाल्टी रंग सीधे मेरी चूत पे , सब भाभियों ने ऊँगली भी की , अगवाड़े भी पिछवाड़े , और ब्रा दो भाभियों ने मिल के उतारा नहीं फाड़ दिया,
और उस होली के बाद से मेरी और रीतू भाभी की पक्की दोस्ती, पक्की जोड़ी हो गयी,
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छुटी न सिसुता की झलक झलक्यौ जोबनु अंग
मुझे चुप देख के कम्मो ने टोंका, क्या सोच रही हो मेरे देवर के कपड़ों के बारे में , अरे दो चार बनियान नेकर ( टी शर्ट को वो बनयान और लोवर को नेकर कहती थी ) दो तीन पुराने सफ़ेद कुर्ते पाजामे रख दो,... आखिर होली में तो कपडे फटेंगे, ससुराल की होली है।
मैंने हामी भरी और कम्मो से वो छोटा सुटकेस उठाने को बोली , लेकिन तब तक कम्मो हंसते बोली ,
" अरे बनारस की वो भी गाँव की होली हैं, क्या पता , सलहज सब साडी पेटीकोट, उनकी सास सलहज की साडी पेटीकोट, ब्लाउज , ब्लाउज तुम्हारा तो होगा नहीं हाँ क्या पता उनकी सास का हो जाए, होली में तो ये सब न हो तो , गाँव की होली का,... "
और तब तक मेरी चमकी, रीतू भाभी ने लेडीज टेलर से जो बात की थी, और उस लेडीज टेलर ने जो इनकी जबरदस्त नाप जोख की थी, और रीतू भाभी ने दिलाया था , उस टेलर के यहाँ से सारे कपडे लाने के लिए,... मैं बड़ी जोर मुस्करायी ,
छोटी अटैची में ही हम दोनों के कपडे आ गए, और बल्कि जो लेडीज टेलर के यहाँ से लाने वाले थे उसके लिए भी जगह बच गयी।
और अब बाकी की पैकिंग शुरू हुयी , कम्मो के साथ काम जल्दी हो रहा था।
लेकिन मैं हूँ , कम्मो हो और अच्छी वाली बातें न हों और किसके बारे में , एक ही तो थी हम दोनों की प्यारी दुलारी ननदिया जो होली की शाम से इसी कमरे में अड्डा ज़माने वाली थी।
मुझे कुछ याद आया और मैं हलके हलके मुस्कराने लगी, और कम्मो भौजी पूछ बैठीं,
" अरे कौन उनका माल, और हम दोनों की ननदिया, जिस दिन मैं आयी थी उसके दो तीन बाद, अरे जिस रात यहीं छत पे जम के मैंने सब नंदों को गारी गायी थी, तौर से उस मस्त माल को, उसी रात, " मैंने कम्मो को बताया और जोड़ा, " बस उसी रात, तोहरे देवर को भी कविता का बहुत शौक है तो बस मैंने एक दोहा सुनाया,
छुटी न सिसुता की झलक झलक्यौ जोबनु अंग।
दीपति देह दुहूनु मिलि दिपति ताफता रंग.
( अभी बचपन की झलक छूटी ही नहीं, और शरीर में जवानी झलकने लगी। यों दोनों (अवस्थाओं) के मिलने से (नायिका के) अंगों की छटा धूपछाँह के समान (दुरंगी) चमकती है),
लेकिन भौजी तोहरे देवर भी कम उस्ताद नहीं है, मुस्कराते हुए उन्होंने अगला दोहा सुना दिया, ....
लाल अलौकिक लरिकई लखि लखि सखी सिहाति।
आज कान्हि मैं देखियत उर उकसौंहीं भाँति
( ऐ लाल! इसका विचित्र लड़कपन देख-देखकर सखियाँ ललचती हैं। आज-कल में ही (इसकी) छाती (कुछ) उभरी-सी दीख पड़ने लगी है।)
बस मुझे चिढ़ाने का मौका मिल गया, हँसते हुए मैं बोली, इसका मतलब तुम भी उसकी उभरती हुयी छातियां निहारते हो, हैं न साली मस्त माल, अरे बारात में गयी तो तेरे सारे सालों का मन ललचा रहा था, कबड्डी खेलने का।
बुरा नहीं माना उन्होंने पर मुस्करा के बोले ,जैसे मुझसे पुष्टि कर रहा हों,
" अभी छोटी नहीं है ? "
मुंह चढ़ा के मैं बोली, ... " अरे पूरे पौने पांच साल से नीचे से खून उगल रही है, हर महीने, बिना किसी महीने नागा किये। " फिर खिलखिला के मैंने जोड़ा,
" हाँ छोटी तो नहीं है, पर छोटा है, लेकिन एक बार गोदी में बैठा के थोड़ा तू मीजना मसलना रगड़ना उसका शुरू कर दोगे तो वो भी दोनों बढ़ जाएंगे। " लेकिन ननद तो थी नहीं तो उन्होंने उसकी भाभी का ही दबाना मसलना शुरू कर दिया,
मैं और कम्मो दोनों खिलखिलाते रहे और मेरे मन में अपनी उस प्यारी दुलारी ननद की सुरतिया घूमती रही, एकदम वय संधि पर खड़ी,
गुलाबी चम्पई चेहरा देखो तो लगता है जैसे अभी दूध के दांत नहीं टूटे हों, खिलखिलाती है तो लगता है खील फूट रही है, पर नज़र थोड़ी जैसे नीचे आती है उभरते उभारों पर ( अपनी क्लास वालियों से २१ ही थे ) तो बस लगता है एकदम लेने लायक हो गयी है.
कम्मो तो आँखों में झलकती छलकती मन की भाषा पढ़ लेती थी, बोली,... " अरे ऐसी उमर में ही तो लौंडे ललचाना शुरू कर देते हैं, भौंरों की भीड़ लगने लगती है. "
बात कम्मो की एकदम सही थी, और कम्मो फिर अपने रंग में आ गयी, ...
" और जानत हो, एहि चूँचिया उठान वाली जउन उमरिया हो, ओहि में कउनो लौंडिया क जबरदस्त चुदाई होय जाए न , थोड़ा जबरदस्ती, थोड़ा मनाय पटाय के , बस देखा कुछै दिन में खुदे लौंड़ा खोजे लागी। जउने दिन लंड न खायी, नींद न आयी,...छिनार तो छोड़ा रण्डियन क कान कटाय देई , और चूँची तो हमरे तोहरे ई ननदिया क देखा कुछै दिन में ३० बी से ३२ सी हो जायेगी। "
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प्यारी दुलारी ननद
मैं और कम्मो दोनों खिलखिलाते रहे और मेरे मन में अपनी उस प्यारी दुलारी ननद की सुरतिया घूमती रही, एकदम वय संधि पर खड़ी,
गुलाबी चम्पई चेहरा देखो तो लगता है जैसे अभी दूध के दांत नहीं टूटे हों, खिलखिलाती है तो लगता है खील फूट रही है, पर नज़र थोड़ी जैसे नीचे आती है उभरते उभारों पर ( अपनी क्लास वालियों से २१ ही थे ) तो बस लगता है एकदम लेने लायक हो गयी है.
कम्मो तो आँखों में झलकती छलकती मन की भाषा पढ़ लेती थी, बोली,...
" अरे ऐसी उमर में ही तो लौंडे ललचाना शुरू कर देते हैं, भौंरों की भीड़ लगने लगती है. "
बात कम्मो की एकदम सही थी, और कम्मो फिर अपने रंग में आ गयी, ...
" और जानत हो, एहि चूँचिया उठान वाली जउन उमरिया हो, ओहि में कउनो लौंडिया क जबरदस्त चुदाई होय जाए न , थोड़ा जबरदस्ती, थोड़ा मनाय पटाय के , बस देखा कुछै दिन में खुदे लौंड़ा खोजे लागी। जउने दिन लंड न खायी, नींद न आयी,...छिनार तो छोड़ा रण्डियन क कान कटाय देई , और चूँची तो हमरे तोहरे ई ननदिया क देखा कुछै दिन में ३० बी से ३२ सी हो जायेगी। "
और इसी बात ने मुझे एक बल्कि दो बातें याद दिला दी, जो मेरे मन में बड़ी देर से कुलबुला रही थीं, एक तो ननद रानी की सेंचुरी बनवाने की, १०० बार नहीं १०० मर्द चढ़वाने वाली २१ दिन में, और दूसरी बात उसे मशहूर बनाने की , जिल्ला टॉप माल तो वो थी ही, पूरे शहर में और उस से ज्यादा अपनी गली में मोहल्ले में , अपने कॉलेज में मशहूर हो जाए की , चलती है।
और ये दोनों बाते मैंने कम्मो भौजी को बता दी.
कम्मो भौजी जोर से हंसी और फिर उन्होंने मुझे कस के अँकवार में भींच लिया और जोर से हड़काया,
" इतनी प्यारी दुलारी, जिल्ला टॉप माल, हम दोनों की ननद और खाली १०० मर्द, २१ दिन में,... कम से कम सवा सौ, शुभ संख्या है. पक्का। लेकिन दूसरकी बात ज्यादा जरूरी है, ननद रानी को मशहूर करने वाली, ओकरे कॉलेज में बल्कि कुल कॉलेजों में, गली मोहल्ले में हर जगह ये बात फ़ैल जाए एक बार न की रानी जी, टाँगे फ़ैलाने लगी हैं, बुलबुल चारा घोंटने लगी है, फिर तो लौंडन क उ भीड़ लागि न की सिक्युरिटी बोलावे क पड़ी। और वो बात सबसे ज्यादा फैलाएंगी लड़कियां और औरतें जेकरे सामने ई जांघ फैलाएंगी, चूतड़ उछाल उछाल के चुदवायेगी यारों से और वो लड़कियां ओहि के कॉलेज की हों और,... "
बात कम्मो भौजी की एकदम सही थी. लेकिन कौन ?
पर मुझे पूछना नहीं पड़ा, इस सवाल का जवाब भी, कम्मो भौजी के पास था,
" अरे वही दोनों आधा आधा, बगल के कालोनी में ही रहती हैं, और एकदम हम लोग जब कहें जहाँ कहें, ... " कम्मो ने बात सुलझा दी।
" फिफ्टी -फिफ्टी " मैं मुस्कराते हुए बोली, सही है।
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" फिफ्टी -फिफ्टी "
" फिफ्टी -फिफ्टी " मैं मुस्कराते हुए बोली, सही है।
ज्योति और नीतू, बताया तो था दोनों के बारे में, फागुन के शुरू में, चलिए एक बार फिर से मिला देती हूँ।
मेरी दो बड़ी शोख शरारती ननदें, बगल की सटी हुयी कालोनी में, गुड्डी के कॉलेज में ही पढ़ती है, गवर्मेट गर्ल्स इंटर कालेज, ... ग्यारहवीं में,... देखने में कैसी लगती हैं ? जैसी ग्यारहवीं की लड़कियां लगती हैं, मस्त , तैयार एकदम, लेकिन ये दोनों कुछ ज्यादा ही, जोबन में अपनी क्लास वालियों से २० नहीं २२, और उभारने में ललचाने में भी,...
नीतू पंजाबी थी, खूब गोरी चिट्ठी ,
और ज्योति यहीं की, नीतू इतनी गोरी तो नहीं लेकिन अच्छी गोरी और चेहरे पर नमक जबरदस्त, बड़ी बड़ी आँखे गालों पर डिम्पल।
कालोनी में दोनों के सटे घर थे, बचपन की पक्की दोस्ती, दांत काटी, खांएगी तो एक प्लेट में और सब कुछ मिल बाँट के, आधा आधा.
जिस दिन से मैं शादी के बाद आयी दोनों चिढ़ाती थीं,
"भौजी कुछ दिन की बात है, होली में हम सब ननदें मिल के आपको इस आंगन में नंगे नचाएंगी, आखिर हमारे भैया के सामने रोज रोज खोलती हैं तो एक दिन ननदों के सामने भी खोल दीजियेगा,... "
और जब उन दोनों को पता चला की मैं होली में यहाँ नहीं रहूंगी तो अल्लफ, जैसे फागुन शुरू हुया उसी दिन,....
दोनों ने धावा बोला पर उन्हें नहीं पता था की मेरे साथ कम्मो भौजी भी हैं, बस आधे घंटे के अंदर ही नंगा नाच तो हुआ ही, परफेक्ट स्ट्रिपटीज, लेकिन ज्योति और नीतू ने किया , एक दूसरे की ब्रा और पैंटी खोल के, ... और उसके बाद बाद दोनों की 69 भी ,
एक दूसरे की चूत चूसने का साथ में कम्मो ने ज्योति, नीतू दोनों को हड़का लिया छिनारों , पांच मिनट के अंदर अगर दोनों न झड़ी तो दोनों की गाँड़ यहीं आंगन में मारूंगी मैं और अपनी मुट्ठी से, कोहनी तक पेलूँगी।
मैंने भी एक शर्त लगा दी, जो पहले झडा उसे कम्मो की चूसने पड़ेगी।
कम्मो कौन चूत चूसा के छोड़ देती, जबरदस्त गाँड़ चटवायी उसने और मैं क्यों पीछे रहती, उसके बाद होली में खूब मस्ती, दोनों ने दो दो ऊँगली एक साथ घोंटी, मालूम तो मुझे पहले ही था की इस शहर की सब लड़कियां, झांटे बाद में आती हैं, लंड पहले ढूँढ़ती हैं. अपने भाई से ही झिल्ली फड़वा लेती हैं. तो
फट तो दोनों की कब की गयी थी, इसलिए जब वो होली खेल के गयीं तो दोनों की बुर में मैंने सात सात इंच का निरोध में गुलाल भर के बनाया डिलडो एकदम जड़ तक ठोंक दिया।
ज्योति तो अगले दिन फिर आयी, अपनी कॉलेज की वही गवरन्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज वाली चार सहेलियों के साथ,
और अबकी तो और जबरदस्त,... दोनों से खूब जबरदस्त दोस्ती होगयी, और कम्मो की तो एकदम पक्की वाली ,
तभी पता चला वो आधी आधी वाली बात , और कम्मो ने अपनी प्लानिंग बतायी।
….
बचपन से तो ज्योति नीतू हर चीज आधी आधी , तो बस टीनेज में जब लौंडों ने चक्कर काटने शुरू किये तो वो भी आधी आधी,
पटती ज्योति, लेकिन लौंडे के सामने पहले नाड़ा खोलती नीतू,
और वो भी दोनों साथ साथ, किस भी साथ और बात जब नीचे तक पहुंचती तो गन्ना नीतू चूसती तो दोनों रसगुल्ले ज्योति के हिस्से में, ...
और जब मोटा मूसल नीतू के ओखल में घुसता तो उस लौंडे को अपनी चूत की चाशनी ज्योति चटाती। और कई बार तो एक ही पलंग पर दोनों अपने अपने यारों के साथ, बदल बदल कर, ...
कम्मो से उस दिन होली के बाद तो एकदम पक्की वाली दोस्ती हो गयी, दो चार बार तो कम्मो की कुठरिया में ही दोनों अपने यारों के साथ और तीन चार घंटे कब्बडी चलती, कम्मो यहाँ अंदर हम लोगों के पास, ऊपर से कम्मो जड़ी बूटी, हर तरह के देसी तेल सब की एक्सपर्ट तो उन दोनों को ' टाइट अगेन' का देसी संस्करण भी दिया रोज सोने के पहले और नहाने के बाद गुलाबो में लगाने के लिए और उरोज कल्प भी उन दोनों के जबरदंग जोबन को और जबरदंग करने के लिए, कितना भी मसलवायें, मिजवायें यारों से वैसे ही टनाटन,...
मैं उन दोनों के बारे में कुछ स्पेसिफिक बात पूछती तो कम्मो ने पहले ही बता दिया, एक दर्जन यार है पूरे, दोनों के,...
" दोनों के मिला के या,... " मैंने जब पूछा तो कम्मो ने ऐसे देखा उसने मुझे ऐसे घूर के देखा की मैंने कौन सी बेवकूफी की बात कर दी, क्या मुझे शहर की लड़कियों के बारे में कुछ मालूम नहीं, ... फिर बोली,
" अलग , अलग और उन की गिनती नहीं जिनको उन दोनों ने चूस के फेंक दिया। "
फिर कम्मो ने अपनी प्लानिंग बतानी शुरू कर दी
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कम्मो की प्लानिंग
और
फिफ्टी फिफ्टी
मैं उन दोनों के बारे में कुछ स्पेसिफिक बात पूछती तो कम्मो ने पहले ही बता दिया, एक दर्जन यार है पूरे, दोनों के,...
" दोनों के मिला के या,... "
मैंने जब पूछा तो कम्मो ने ऐसे देखा उसने मुझे ऐसे घूर के देखा की मैंने कौन सी बेवकूफी की बात कर दी, क्या मुझे अपनी ससुराल के शहर की लड़कियों के बारे में कुछ मालूम नहीं, ... फिर बोली,
" अलग , अलग और उन की गिनती नहीं जिनको उन दोनों ने चूस के फेंक दिया। "
फिर कम्मो ने अपनी प्लानिंग बतानी शुरू कर दी.
मेरी ननद रानी होली की रात यानी रविवार की रात को आ जाएंगी और उसी दिन घर खाली, सब लोग २१ दिन के टूर पे और घर और ननद कम्मो के हवाले। तो उसी रात पूनो के चाँद के नीचे, खुली छत पर, वो जो औघड़ ने भस्म दी थी , ननद रानी के अगवाड़े पिछवाड़े दोनों जुबना पर ,
और अगले दिन सोमवार को , ननद रानी की पहले गांड फाड़ी जायेगी , वो पठान का लौंडा , और फिर दो मर्द और ,
शाम तक तीन चार बार ननद रानी की ट्रिपलिंग हो जायेगी , छह सात बार गाँड़ कूटी जाएगी,...
उसके अगले दिन यानी मंगलवार को गुड्डी रानी का कॉलेज खुल जाएगा तो वो कॉलेज उसी हालत में,
और शाम को जो उसने भौंरे को दावत दे दी थी, वो अपना हिस्सा , और रात के लिए फिर कम्मो ने कुछ धाकड़ मर्दों का, पांच दिन का तो दिन रात का, और कम्मो ने समझाया,
" देखो, वो जो भसम है जो रोज उसके अगवाड़े पिछवाड़े लगनी है पांच दिन तक, तो शुक्रवार तक उसका असर होना शुरू हो जाएगा, और शनिवार से उसकी जरुरत भी नहीं रहेगी , ... उसका असर हो जाएगा तो उसी दिन उन दोनों आधी आधी वालों को. शनिवार की कॉलेज की छुट्टी भी रहेगी, बस उसी दिन , और उस दिन मैं किसी लौंडे को नहीं बुलाऊंगी, तड़पने दूंगी साली को, हाँ दो बूँद एक तेल है , वो उसकी क्लिट और निप्स पे , एकदम लंड के लिए पागल रहेगी , और मैं उसे थोड़ा बहुत चूस चूस के, "
मैं समझ गयी कम्मो की ट्रिक जब वो एकदम पागल रहेगी तभी उन दोनों की, ज्योति नीतू की एंट्री होगी।
" एकदम" कम्मो भाभी समझ गयीं की मैं समझ गयी, गुड्डी अपने को चादर से छिपाने की कोशिश करेगी पर उन दोनों के आगे,
और कन्याओं के मामले में भी दोनों फिफ्टी फिफ्टी करती थी और जबरदस्त कन्या प्रेमी थी, और मेरी ननद की उमर की कच्चे टिकोरे वाली को देखकर कोई भी लड़की लेस्बो हो जायेगी, ... फिर गाल, फिर दोनों जोबन दोनों मिल के , और चूत चटाई,
मैं और कम्मो दोनों गवाह थीं, ज्योति , नीतू दोनों जबरदस्त चूत चटोरी हैं , लेकिन हर बार गुड्डी रानी के झड़ने के पहले रुक जाएंगी और जब वो चिल्ला चिल्ला के गुहार लगाएगी यार झाड़ दो तो दोनों लाइफ टाइम ऑफर देंगी,
" यार लंड मांग न , जो मजा लंड के साथ झड़ने में है वो कहीं नहीं ,... "
" स्साला लंड का तो अकाल पड़ा है, लंड कहाँ से मिलेगा " गुड्डी झुंझुला के बोलेगी।
कम्मो के विस्तृत वर्णन को रोकते मैं बोली , : एकदम उस समय लंड कहाँ मिलेगा "
कम्मो जोर से खिलखिलायी, " अरे है न वो दोनों, फिफ्टी फिफ्टी, पहले से ही उनके ग्रुप का जो सबसे नम्बरी चोदू है, उसे बुला के रखेंगी, मेरी कुउन्होंनेठरिया में बैठा रहेगा, और जैसे वो दोनों घंटी मारेंगी दौड़ के ऊपर,... "
मान गयी मैं कम्मो की प्लानिंग को, अपने कॉलेज की नम्बरी चुदक्क्ड़ो के सामने गुड्डी रानी की हचक हचक के ली जायेगी, फिर तो पूरे कॉलेज में मशहूर होने से कौन रोक पायेगा। कम्मो ने आगे बढ़ाई बात,
और वो दोनों ज्ज्योति नीतू पहले गुड्डी को अपने गैंग में ज्वाइन कराएंगी, उस लवंडे से दोस्ती कराएंगी, और गुड्डी को दोनों वो क्लास ग्यारह वाली लड़कियों के सामने उन दोनों के यार का लंड खूब चूस चूस के, ( मैं समझ रही थी, ज्योति नीतू बिना फोटो खींचे तो रहेंगी नहीं, लड़के का तो खाली अंग विशेष आएगा लेकिन गुड्डी रानी का पूरा चेहरा लंड चूसते ) और फिर तीनो मिल के खाएंगे, ज्योति, नीतू और दोनों का यार, एक जोबन लौंडा चूसेगा तो दूसरा ज्योति और नीतू ऐसी चूत चटोरी तो मैंने आज तक देखी नहीं , तो चूत उसके हवाले, और जो वो हचक हचक के लौंडा चोदेगा तो ज्योति उसको कभी चूत कभी गाँड़ चटवायेगी और नीतू , ननद रानी के पिछवाड़े का हाल लेगी। अरे वो पठान सब तीनों इतनी बार उसकी ट्रिपलिंग किये रहेंगे, तो उसे क्या फरक पडेगा, मजे ही लेगी। "
मान गयी मैं कम्मो को लेकिन कम्मो का मन इतने से ही भरने वाला नहीं था। उन्होंने बात आगे बढ़ाई
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कम्मो, फिफ्टी फिफ्टी और मेरी ननद
कम्मो जोर से खिलखिलायी,
" अरे है न वो दोनों, फिफ्टी फिफ्टी, पहले से ही उनके ग्रुप का जो सबसे नम्बरी चोदू है, उसे बुला के रखेंगी, मेरी कुठरिया में बैठा रहेगा, और जैसे वो दोनों घंटी मारेंगी दौड़ के ऊपर,... "
मान गयी मैं कम्मो की प्लानिंग को,
अपने कॉलेज की नम्बरी चुदक्क्ड़ो के सामने गुड्डी रानी की हचक हचक के ली जायेगी, फिर तो पूरे कॉलेज में मशहूर होने से कौन रोक पायेगा।
कम्मो ने आगे बढ़ाई बात,
और वो दोनों ज्ज्योति नीतू पहले गुड्डी को अपने गैंग में ज्वाइन कराएंगी, उस लवंडे से दोस्ती कराएंगी, और गुड्डी को दोनों वो क्लास ग्यारह वाली लड़कियों के सामने उन दोनों के यार का लंड खूब चूस चूस के,
( मैं समझ रही थी, ज्योति नीतू बिना फोटो खींचे तो रहेंगी नहीं, लड़के का तो खाली अंग विशेष आएगा लेकिन गुड्डी रानी का पूरा चेहरा लंड चूसते ) और फिर तीनो मिल के खाएंगे, ज्योति, नीतू और दोनों का यार, एक जोबन लौंडा चूसेगा तो दूसरा ज्योति और नीतू ऐसी चूत चटोरी तो मैंने आज तक देखी नहीं , तो चूत उसके हवाले,
और जो वो हचक हचक के लौंडा चोदेगा तो ज्योति उसको कभी चूत कभी गाँड़ चटवायेगी
और नीतू , ननद रानी के पिछवाड़े का हाल लेगी। अरे वो पठान सब तीनों इतनी बार उसकी ट्रिपलिंग किये रहेंगे, तो उसे क्या फरक पडेगा, मजे ही लेगी। "
मान गयी मैं कम्मो को लेकिन कम्मो का मन इतने से ही भरने वाला नहीं था।
उन्होंने बात आगे बढ़ाई
और जब एक बार ननद रानी की धड़क खुल जायेगी ज्योति नीतू के साथ , एक दो राउंड के बाद जब वो लड़का चला जाएगा ड्रिंक इंटरवल के बाद ,
नीतू ज्योति के गैंग के तीन चार लड़के एक साथ की अबकी वो दोनों भी चुदवाएंगी, इस नाम से ,...
और फिर उन दोनों के साथ हम दोनों की ननद भी , तीन ननदें एक साथ चोदी जाएंगी साथ साथ।
और वो तो सबको मालूम है की लौंडे सेकेण्ड राउंड में बहुत टाइम लेते हैं , तो सेकेण्ड राउंड में गुड्डी रानी का गैंग बैंग,...
पहले तो उसे, उन्हें एक साथ तीनो का चूस चूस के मुठिया के खड़ा करना पड़ेगा, फिर एक के खड़े लंड पर खुद गुड्डी रानी बैठेंगी, अपनी चूत फैला के, पीछे से दूसरा उसकी गाँड़ मारेगा, और तीसरा उसे लंड चुसायेगा।
और चुदाई के साथ खूब दोनों ज्योति नीतू वो लौंडे उसे गरियायेंगे, फिर कुछ देर बाद तीनो बदल बदल के
मान गयी मैं कम्मो को, और बीच में टाइम निकाल के कम्मो ने नीतू से बात भी कर ली.
तय ये हुआ की अगले दिन संडे को पिकनिक का बहाना बना के, उन लोगों का जो गैंग है जिसकी ज्योति नीतू हेड हैं , कम से कम पांच छह लड़कियां उसी कॉलेज की, अपने आपने यारों के साथ, और उस गैंग में तो गुड्डी के क्लास की भी कई हैं, तो एक दो उसके क्लास की , एक दो हाईकॉलेज वाली और एक दो ज्योति नीतू के क्लास की, जो जो अपने क्लास की सबसे छटी छिनार होंगी और जिनको सब ऑल इण्डिया रेडियो या लाउडस्पीकर कहते हों, एक की चार लगा के, खूब मिर्च मसाला जोड़ के, ...
बात तो समझ में आ रही थी पिकनिक में क्या होगा, लेकिन होगी कहाँ।
" अरे और कहाँ, इतना बड़ा घर खाली पड़ा है , यही तेरे कमरे में और सबके सामने ननद रानी रौंदी जाएंगी, अपने क्लास की लड़कियों के सामने, बाकी क्लास वालियाँ भी, हाँ और ज्योति नीतू के गैंग का रूल है, मिलेंगी तो अपने यार के साथ लेकिन गैंग के सामने अपने वाली का चुम्मा भी नहीं सकतीं , सब अदल बदल के , और जो सबसे ज्यादा लौंडो से चुदेगी वो उस मीट की प्रिंसेस होगी, और पूरा कॉलेज उसे प्रिंसेस ही कहेगा, अगली मीट तक,
कम्मो ने अपनी बात पूरी की.
अपने कॉलेज की लड़कियों के सामने , क्लास की लड़कियों के साथ एक बार टाँगे फ़ैलाने के बाद वो कभी भी टाँगे सिकोड़ नहीं पाएगी, मान गयी मैं कम्मो को।
मैं समझ गयी, ये सब होगा संडे को यानी मंडे को जब कॉलेज खुलेगा , मेरी ननद पूरे कॉलेज में मशहूर हो चुकेगी, और फिर आँख देखी , आठ दस लड़कियों के सामने उनके यारों से गपागप चुदवायेगी, तो फिर किसके आगे कहानी बनाएगी, नहीं नहीं मुझे लड़के नहीं अच्छे लगते, मुझे ये सब बातें नहीं पसंद है।
कम्मो भाभी को देख के कोई भी यही बोलेगा, " भाभी हैं चाभी,"सच में देवर का मसला हो या ननदों का मामला, झट्ट से मामला सुलझाने में भौजी का कोई जवाब नहीं था, और अब मैं मान गयी थी २१ दिन में भौजी हमारी उस ननदिया को न सिर्फ जब्बर छिनार बना देंगी, सवा सौ लौंडे/मरद उसके ऊपर चढ़ा देंगी, बल्कि पूरे शहर में , बल्कि हर गली गली में उसे 'मशहूर' कर देंगीं।
" जबरदस्त भौजी, तो पहले पांच दिन हचक के गाँड़ मराई, सैंडविच, निहुरा निहुरा के हचक के चुदाई, दिन रात सड़का टपकता रहेगा, उसके भौंरे भी चढ़ना शुरू कर देंगे, हम लोगों के भाई लोग, और भसम और औघड़ का असर पूरा ओकरे बाद वीकेंड में उसके कॉलेज वालियों के सामने, उनके साथ सामूहिक सम्भोग, हफ्ते भर में ही उसकी गाड़ी चालू हो जायेगी, उस छिनार की "
मैंने भौजी की तारीफ़ की,लेकिन तभी फोन घनघनाया,
कम्मो ने आँख के इशारे से पूछा कौन है तो मैं खिलखिलाते बोली,
" वही छिनार, मोटे मोटे चींटे काट रहे हैं हैं साली को "
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