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मैं और शिल्पी चुदाई के दो राउंड को पूरा कर के सोए ही थे कि नीरज के इस अचानक कॉल से नींद खुल गई।
मैंने नीरज का फोन उठाया और बोला - बोलिए नीरज जी
नीरज - राज साहब, आपका बहुत बहुत धन्यवाद
मैं - अरे किसलिए
नीरज - नीतू के साथ यह मौका देने के लिए
मै - मजा आया ना
नीरज - जी सर, बहुत। अब एक रिक्वेस्ट है आपसे
मैं - अरे हुक्म बोलिए, बताइए
नीरज - वों मुझे अभी घर जाना है, स्वाति के कई कॉल आ गए हैं
मैं - अभी
नीरज - हाँ, प्लीज
मैं - ठीक है
मैंने बाजू में नंगी सो रही शिल्पी से खुद को अलग किया। मेरा एक लोअर और टी शर्ट शिल्पी के कमरे में था उसे पहन लिया और छत पे गया। छत पर नीरज जिन कपड़ो में आया था वों पहन कर तैयार था और बगल में सोफे पर नीतू ब्रा और पैंटी में बैठी थी।
मैंने नीतू से कहा तू भी चल। नीतू इस हालत में कैसे जाती, वों सीधी सहमी मेरे सामने खड़ी हो गई। मुझे भी लगा इतनी रात में इसे सिर्फ ब्रा पैंटी में बाहर ले जाना ज्यादा रिस्की होगा। तभी मेरी नजर मंजु की एक छोटी सी नाईटी पर पड़ी जो हॉल में थी। मैंने उसे उठाया और नीतू की ओर फेकते हुए कहा - जल्दी से पहन ले इसे।
नीतू एक अच्छी बच्ची की तरह मेरी बात मानी और नाईटी पहन लिया। शार्ट नाईटी मंजु की थी और नीतू की हाइट मंजु से ज्यादा है इसलिए वों नाईटी किसी तरह उसकी कमर तक ही आ पा रही थी।
अब हम तीनों नीचे आ गए और गाड़ी में बैठ गए। मैं ड्राइव कर रहा था और नीरज मेरे साथ बैठा था। नीतू पीछे बैठी थी। नीरज को अभी घर पहुंचने की जल्दी थी इसलिए अभी उसका पूरा ठरकीपन गायब था। मैंने उससे मजे लेते हुए पूछा।
मैं - और नीरज जी मजा आया
नीरज तुरंत बोल पड़ा - अभी मजा छोड़ो, अब सज़ा मिलेगी
मैं समझ गया ये फट्टू इंसान अपनी बीबी से बहुत ज्यादा डरता है। मैंने कहा टेंशन ना लो, कुछ नहीं होगा।
अभी हम उसके घर के पास पहुंचे ही थे कि स्वाति छत की बालकनी में खड़ी दिखायी दी। स्वाति को दूर से देखते ही नीरज और डर गया और बोला - नीतू तुम नीचे बैठ जाओ, यदि स्वाति ने तुम्हे देख लिया तो आज प्रलय आ जाएगा।
मैने भी नीतू से नीचे छुप जाने को कहा और नीतू भी नीचे छुप गई। तब तक गाड़ी नीरज के घर के गेट तक पहुँच चुकी थी।
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Superb...
Outstanding....
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Waiting for the writer to come again and restart of the awesome story
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Fantastic story someone could carry it forward and finish with proper ending
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नीरज स्वाति के छत के ऊपर देख कर बुरी तरह डर गया। मैंने नीरज से पूछा कि बीबी से क्या बता के आए थे मेरे यहां तो बोला कि बस यह कहा था फ्रेंड के घर डिनर पार्टी है।
यह सुन मैंने कहा कि नीरज रिलैक्स हो जाओ। मैं तुम्हारे साथ अंदर चलता हूँ।
मैंने नीतू से कहा कि वो कार में ही नीचे छिपी रहें। इतनी देर में गाड़ी नीरज के घर के सामने तक पहुँच गई। नीरज का घर काफी बेहतरीन था।
मैं और नीरज अंदर आ गए। नीरज स्वाति के सामने नजरे नहीं उठा पा रहा था वहीं स्वाति गुस्से से नीरज को घूरे जा रही थी। शायद मेरी वजह से वहाँ गृहयुद्ध नहीं हो रहा था जो मेरे जाते ही शुरू होने वाला था। मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए स्वाति से बोला- भाभी जी, माफ कीजिएगा। नीरज जी आज मेरी वजह से इतना लेट हो गए।
स्वाति- आपकी वजह से क्यों?
मैं- जी सभी दोस्त दूर से थे, सबसे नजदीक के रहने वाले यही थे और सबसे पहले यही वापिस आ रहे थे तो मैंने इन्हें रोक लिया था। मैंने कहा था कि आपका घर सबसे नजदीक है इसलिए आप सबसे लेट जाओगे।माफ कीजिएगा मेरी वजह से आप परेशान हो गए।
स्वाति (जबरदस्ती अपने चेहरे पर हल्की की मुस्कान लाते हुए)- ठीक है भाई साहब
फिर एक दो मिनट माहौल को हल्का करने के बाद मैं नीरज के घर से बाहर निकला। स्वाति थोड़ी दबंग औरत लगी जिसका नीरज पर पूरा नियंत्रण था।
जल्दी से मैं बाहर आया और कार का गेट खोला।
कार के अंदर नीतू डरी सहमी बैठी थी। मैंने कार स्टार्ट की और तेज़ी से चलाकर कार को दो मिनट में नीरज के घर से थोड़ी दूर लाया। फिर मैंने नीतू को आगे आकर बैठने को कहा।
नीतू ब्रा पैंटी और उसके ऊपर ट्रांसपेरेंट मिड्डी जैसी नाइटी में बहुत ही ज्यादा शर्मा रही थी। उसके बड़े बड़े बूब्स जो बरा में समाते नहीं थे, मैंने उन्हें और ऊपर की और खींचा और दबाने लगा। एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा नीतू के बूब्स पर।
फिर मैंने नीतू से बोला की मंजु को फ़ोन कर के बोले की हम दोनों आ रहे है वो छत पर मेरे कमरे में जाए और हम दोनों का इंतजार करे।
नीतू ने मंजु को फ़ोन किया और जो मैंने कहा था वो बोल दिया। अब मैंने नीतू से कहा कि अपनी ब्रा पैंटी उतार दे और पूरी तरह नंगी हो जाए। नीतू के ये सुनते ही प्राण सुख गए। जब उसने ब्रा पैंटी नहीं उतारी तो मैंने उसकी ओर गस्से से देखा। मुझे ग़ुस्से में देखते ही उसने बिजली से तत्परता से अपने कपड़े उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई।
मैं भी उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरता तो कभी बूब्स दबाता तो कभी उसकी चूत के पास उँगलियाँ सहलाता। ऐसे धीरे धीरे हम दोनों घर के गेट के पास पहुँच गए।
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कार को अंदर पार्क करने के लिए गेट खोलना होता। मैंने नीतू को इशारा किया कि जा के गेट खोले। नीतू पूरी नग्न अवस्था में थीं। ऐसे हालात में वो गेट खोलने जाना उसके लिए किसी सजा से कम नहीं था। वो कभी मेरी ओर देखती, कभी अपने बूब्स और चुत की ओर मानो वह यह कहना चाह रही हो कि ऐसे कैसे जाऊँ।
मैंने उसकी एक ना सुनी और उसको गेट खोलने का इशारा किया। वो जल्दी से कार का गेट खोली, दौड़ते हुए घर के गेट तक गई, गेट खोला और गेट की ओट में छिप गई।मैं मन ही मन मुस्कुराया।
इसके बाद गाड़ी पार्क की और नीतू के पास आया। नीतू मेरे सामने आँख बंद कर खड़ी हो गई तो मैंने उसको प्यार से अपने पास लाया और उसके माथे पर किस कर दिया। उसे बहुत अच्छा महसूस हुआ।
फिर मैं नीतू के साथ हाथों में हाथ डाल के छत पर पहुँच गया। ऊपर मंजू बेडरूम में बैठी टीवी देख रही थी।
नीतू पूरी नंगी थी और छत पर आते ही उसे यह याद आया कि छत पर तो मंजू भी हैं। मंजू और नीतू एक दूसरे के सामने कभी कम कपड़ों में भी आमने सामने नहीं हुए थे और यहां तो नीतू पूरी नंगी हो थी। नीतू अभी तक जितना नहीं शरमायीं वो उससे अधिक कमरे में जाने से शर्मा रही थी और वो वहीं पर नीचे बैठ गई। नीचे बैठते ही वो मेरे पैरो से लिपट गई, मानों वो मुझसे कहना चाह रहीं हो कि प्लीज ऐसे मुझे मंजू के सामने मत ले जाओ। मैंने नीतू को उठाया और दीवाल की ओर अड़ते हूए गले से लगाया। नीतू की सांसे तेज गति से चल रही थी, वो मेरे गले से लिपटी रही और मुझे बहुत ही कस के जकड़ लिया।
मैं नीरज को घर छोड़ने के लिए लोअर और टीशर्ट पहना था। मैंने अपना टीशर्ट उतार दियाऔर नीतू की पीठ को कस के मसलने लगा।
नीतू भी गर्म हो रही थी और मेरा लंड लोअर के अंदर ही फुल पॉवर में खड़ा हो गया और नीतू की चूत की छेद में जाने की कोशिश करने लगा। नीतू को भी अपने चूत पर मेरे लंड का अहसास हुआ और उसने मेरे लोअर को नीचे खींच कर मेरे लंड को आजाद कर दिया।
खुली हवा में आते ही मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा और मैंने नीतू के कंधे को नीचे बैठने के लिए दबाया।मैं अपना लंड नीतू की गालों पर सहला आ रहा था तभी नीतू ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
नीतू मेरे लंड को चूस रही थी तभी मैंने लोअर से तेजी से अपना मोबाइल निकाला और मंजु को मेसेज किया।
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मेरी गुलाम मंजू मेरा मैसेज पढ़ते ही बाहर आ गई। मंजु ने सिर्फ पैंटी पहना हुआ था वो भई पतली डोर वाली।
मैंने कमरें से आती मंजु को ईशारा किया कि चुपचाप नीतू के पीछे आ जा। मेरे कहे अनुसार मंजू नीतू की पीछे खड़ी हो गई।
मैं दीवाल से अड़कर खड़ा था और नीतू पूरे मजे लेकर मेरा लंड चूस रही थी। मैंने अपने हाथों से उसके सर को पकड़ रखा था और पूरी तेजी से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। नीतू के पीछे मंजू खड़ी थी, मैंने मंजू को इशारा किया कि वो नीतू को पीठ पर किस करना शुरू करे।
मंजू ने नीतू के गरदन के पिछले हिस्से पर हाथ फेरा और अपने जीभ से चाटना शुरू किया। मेरा लंड चूस रही नीतू की अचानक से सिसकी निकल पड़ी लेकिन मैं उसके सर को पकड़े रखा ताकि वो पीछे नहीं देख सके।
मंजु नीतू के पूरी पीठ को चाटते हुई नीतू को और गर्म कर रही थी और नीतू वो पूरी गर्मी मेरे लंड चूसने में निकाल रही थी। तभी मैंने नीतू को उठाया और पास में उसको रेलिंग के पास ले गया।
रेलिंग के पास एक गद्दे वाली कुर्सी पड़ी थी और खुले आसमान के नीचे हल्की रोशनी में बस वही कुर्सी चमक रही थी। मैंने नीतू को उस कुर्सी पे रखा और उसके चूत में अपना लंड डाल दिया।
थोड़ी देर में मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैंने नीतू को उठाया। अब नीतू को भी होश आया कि वहाँ पर मंजु खड़ीं है। मंजु को देख नीतू शर्मायी तो मैंने नीतू की गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- शर्मा मत, तुम दोनों मेरा ही माल हों।
नीतू उठी और शर्माते हुए बाथरूम की ओर गई और मैं उसी कुर्सी पर बैठ गया। फिर मंजु ने मेरा लंड जीभ से अच्छे से साफ किया।
इसके बाद मैं कमरे में आ गया। मंजु और नीतू भी मेरे साथ कमरे में आ गए। आज मेरे डबल बेड का पूरा इस्तेमाल हो रहा था। मैं बीच में लेट गया और मेरे दोनों बाहों में एक तरफ मंजु और दूसरी तरफ़ नीतू थी।
कभी नीतू मेरा लंड सहला रही होती तो कभी मंजू। फिर इधर उधर की बाते करते हम सो गए।
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हम तीनों सुबह के लगभग चार बजे सोए होंगे।अब सिर्फ नीचे का मेन डोर लॉक रहता था, बाकी ऊपर नीचे ऐसे रहने लगे थे मानों एक ही परिवार हो।
मनीष और शिल्पी नीचे अपने कमरे में सोए थे और प्रीति मंजु के कमरे में। सुबह के सात बजे होंगे, ऊपर हम तीनों गहरी नींद में सोए थे वहीं नीचें तीनों के सुबह उठने का टाइम हो चुका था।
प्रीति की जब नींद खुली तो उसने बिस्तर पर मंजू को नहीं देखा। थोड़ी
देर उठने के बाद वो फ्रेश हो गई लेकिन उसे मंजू नजर नहीं आयी तो उसने मंजू को कॉल किया। मंजू एक दम मुझसे चिपक के सोयी थी और सोए हुए हाल में भी मेरा एक हाथ से मंजु को पकड़ रखा था और उसका एक बूब्स मेरी मुट्ठी में था।
प्रीति की कॉल से मंजू की नींद खुली। मंजू ने फोन पर प्रीति देखते ही आँखे खोला और उसे होश आया कि रात में वो प्रीति के साथ नीचे सोयी थी।
उसने प्रीति का कॉल उठाया।
प्रीति मंजू से- आप कहा हों?
मंजू- मैं थोड़ी देर पहले ऊपर आयी हूँ। वो राज जी का कॉल आया था उन्हें सुबह सर्दी जैसा लग रहा था। तू तैयार हो, मैं आ रहीं हूँ।
मंजू ने अपने बूब्स को मेरे क़ब्ज़े से आजाद किया और बेड से नीचे उतरी। यह क्या मेरे कॉल पर रात में तो वो ब्रा पैंटी में ही छत पर आयी थी। वो दोनों ब्रा सिर्फ कहने के लिए शरीर को ढकते थे लेकिन ढकनें से अधिक दिखाने का काम ही करते थे।
मंजु की नाइटीजो छत पर रखी थी, वों कल रात नीतू ने पहनीं थीं और अभी वह पहनने लायक़ हालत में नहीं थी। मंजू को समझ नहीं आ रहा था, इस हालत में वो नीचे कैसे जाए तभी उसकी नजर टॉवल पर पड़ी और उसने टॉवल से खुद को लपेटा और वो नीचे आ गई।
नीचे जा कर उसने जल्दी से सूट पहना, नाश्ता बनाया और तीनों को कॉलेज, कॉलेज के लिए रवाना किया। फिर नीचे उसने मेन डोर लॉक किया और वो अपने कमरे में जा कर सो गई।
दिन के लगभग दस बजे होंगे तभी मेरी नींद खुली। मैंने बिस्तर पर नीतू को देखा। मेरी आँखें खुलते ही उसकी भी नींद खुली। सुबह सुबह ऐसे भी लंड खड़ा ही रहता है और नीतू और मैं तो पूरे नंगे ही बेड पर थे।
नीतू एक दम दासी की तरह मेरे लिए समर्पित थीं।
मैं नीतू से- उठ गयी नीतू
नीतू- जी सर
मैं- तो अब क्या करेगी
नीतू- जो आप कहे
मैं- चल फिर पैर दबा।
नीतू तुरंत उठी और मेरे पैर दबाने लगी। तभी मैंने ऑफिस में मैसेज किया कि आज नहीं आऊँगा।
फिर थोड़ी देर में मैं उठ कर फ्रेश हुआ। तब तक नीतू ने पूरे घर की सफाई कर दी। मैं नहाने जा रहा तो नीतू मुझसे पूछ के नीचे गई।
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Nice come back... And nitu ka storyline acchaa pick up kiye hai...
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(14-01-2024, 10:45 PM)Thanks kumargitesh Wrote: Nice come back... And nitu ka storyline acchaa pick up kiye hai...
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मैं नहा के बाहर निकला और निकर एवं टीशर्ट पहना।
मैं नीचे गया तो देखा मंजू घर का सारा काम कर चुकी है और नीतू नहाने गई हैं। मंजू मुझे देखते ही खड़ी हो गई। मैं सोफे पर जाकर बैठा और उसको अपने पास बुलाया।
मंजु मेरे सामनेआयी तो मैंने उसे नीचे झुकने का इशारा किया।
जैसे ही मंजु नीचे झुकी, मैंने उसके गर्दन पर हाथ रखा और चेहरा अपनी ओर टेढ़ा करते हुए ग़ुस्से से पूछा।
मैं- यह क्या पहन रखा है तुमने?
मंजू ने सूट पहना हुआ था जबकि मैंने बोला हुआ था कि घर में सब कम से कम कपड़े पहनेंगे।
मंजू- प्लीज़ मुझे माफ कर दो, अगली बार ऐसा नहीं होगा।
मैं- अगली बार, आज ही ऐसा क्यों हुआ?
मंजू कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे कस कर एक थप्पड़ मारा और बोला कि अगली बार ऐसा कुछ हुआ ना तो नंगा कर के सड़क पर घूमाऊँगा।
मंजू डर गई और वो जल्दी से सूट उतार दी और पूरी नंगी हो गई। फिर वो मेरे बगल में आ के बैठ गई और मुझे मनाने लगी। मंजु मेरे बाए बैठी थी और मेरे गाल को किस कर रही थी वहीं अपनी उँगुलियों को मेरे पीठ पर रगड़ रही थीं।
मंजू ऐसे मुझे मना ही रहीं थी नीतू नहा कर बाथरूम से निकली।नीतू को शायद अंदाजा नहीं था कि मैं नीचे आके बैठा हूँ। वो टॉवेल लपेटे कमरे में जा रही थी तभी मेरी नजर उस पर पड़ी।नीतू का गोरा गोरा बदन नहाने के बाद और भी चमक रहा था।
मैंने नीतू को आवाज दी।
नीतू चौंकी और वैसे ही मेरे सामने आकर खड़ी हो गई।
मैं नीतू से- अभी क्या पहनेगी।
नीतू कभी मेरी ओर देखती और कभी मंजू की ओर जो पूरी नंगी मेरे पास बैठी थी। फिर वो कुछ सेकंड्स के लिए चुप रही और उसके बाद बोली।
नीतू- जो आप कहे।
मैं- शाबाश, जाओ एक काम करो कोई मस्त सेक्सी साड़ी पहन लो। जितना सेक्सी पहन सकती हो उतना।
मंजू मेरी और हैरान भरी नजरों से देख रही थी और शायद मन हो मन सोच रही थी कि मुझे नंगा कर के छोड़ रखा है और उसको मस्त साड़ी पहनने को बोल रहा है।
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था। फिर मैंने मंजु की ओर देखा और बोला जा मेन गेट खोल, अभी हम तीनों दिल्ली निकलेंगे।
मंजु पूरी नंगी थी और उसने किसी तरह हिम्मत जुटा कर मुझसे पूछा- मैं क्या पहन लूँ?
मैं- तुझे कुछ नहीं पहनना है। तू ऐसे ही नंगी जाएगी।
मंजु के होश उड़ गए।
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Jabardast wapsi ki hai....
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Aasha hai k ab regular rahegi story... maine socha tha k shayad ye story band ho gayee.... waiting for further updates
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मंजू को यह लगने लगा था कि मेरी बात ना मानने की सजा में मैं कही उसे नंगा घर से बाहर ना घुमा दूं। मंजू के मन के इस डर को मैं समझ चुका था।
वो लगातार मेरे गले से लिपट कर मुझे चूम रही थी और अपने हाथों से मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से ही लंड को पकड़े हुए मसल रही थी, मानों किसी तरह वो अपनी बाट मुझसे मनवा ले।
मै अपना हाथ मंजु के चूतर के पास ली गया, उसकी बायीं जंघा पर जोर से चिकौटी काटा। फिर उसको सोफा से उठाया और सीधा सामने खड़ी होने को कहा। मंजु बिना कोई देरी किए चुपचाप मेरे सामने खड़ी हो गई। मैं सोफे पर बैठा था और वो सोफे के सामने खड़ी थी।
मेरे आखों के सामने उसका चिकना चूत था, मैंने चूत के पास अपनी दो उँगलियों को ले गया और वहाँ पर हाथे फेरने लगा। मंजु की सिसकी निकल रही थी। मैं कुछ और आगे की सोचता तब तक नीतू तैयार होकर कमरे से बाहर आ गई।
नीत्यु की मेरे कहे के अनुसार साड़ी पहना था जिसमें वो कातिल लग रही थी।
नीतू ने मैरून कलर की साड़ी पहनी थी और बैकलेस ब्लाउज था। उसके बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब थे।
मैंने नीतू को पास बुलाया और मंजु के कान के पास थीड़े से बोला- बात मानेगी तो ऐसे घूमेगी नहीं तो नंगी घूमेगी
मंजु समझ चुकी थी कि अब सब लाज शर्म छोड़ के उसे रहना होगा वरना परिणाम कुछ भी हो सकता है। अब मैंने बग़ल में खड़ी नीतू को अपने पास खींचा।
नीतू की साड़ी नाभि से थोड़ी नीचे बांधी थी जबकि औरतों की साड़ी को और नीचे बांधा जा सकता है। मैंने नीतू की साड़ी नाभि से थोड़ी और नीचे की ओर खींच दी, मानो बस चूत के बस ऊपर और मैंने उसको वहाँ पे किस किया। बग़ल में खड़ी मंजु को अब इसे जलन हो रही थीं।
फिर मैंने नीतू को अपने गोद में बिठाया और उसके बूब्स मसलने लगा। ये क्या नीतू ने ब्रा पहना था।
मैं नीतू की ओर ग़ुस्से से देखा और बोला- ये क्या तुझे भी नंगी जाना है, क्या?
यह बोलने के साथ मैंने नीतू के ब्लाउज की डोरीं खींच दी। नीतू का ब्लाउज हवा में बस कंधे से लिपटा था सुर ब्रा सामने थी। मैंने उसे बोला चल ब्रा उतार।
फिर मैंने मंजु और नीतू दोनों को सामने खड़ा किया और बोला।
राज- मेरी बात ध्यान से सूनो, आज आखिरी बार बोल रहा हूँ। आज के बाद किसी ने यह गलती की तो उसे बहुत भयानक सजा मिलेगी।
घर में तुम दोनों कम से कम कपड़े में रहोगी। ऊपर कुछ भी पहन रखा हो तो ब्रा और पैंटी कोई नहीं पहनेगा।
तुमलोगों का कम कपड़ा पहनना अजीब ना लगे इसलिए प्रीति और शिल्पी को भी समझा कर कम कपड़े पहनाओ।
बाहर घूमने जाते वक़्त कोई ब्रापैंटी नहीं होनी चाहिए।
दोनों चुपचाप सुनते रहे। फिर मैंने पूछा कोई दिक्कत तुम दोनों को?
मंजु और नीतू ने स्वीकारते हुए सर हिलाया फिर बहुत ही धीमी आवाज़ में बोला, मनीष भी तो है घर में।
फिर मैंने बोला- ठीक है आज मनीष के सामने तुम नंगी होगी मंजु।
मंजू तुरंत मेरे पैर में गिर गई और बोलने लगी- प्लीज मेरे बेटे के सामने मुझे जलील नहीं कीजिए बाक़ी आप जो कहोगे मैं मानूँगी।
मैंने मंजु को उठाया और बोला- चलों दोनों जा के छत से मेरे कपड़े, जूते और गाड़ी की चाभी ले ले आ जाओं।
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Waiting for update bhai...bahut din ho gaye..hope update will be soon.
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मंजु और नीतू दोनों छत पर गए और मेरे कपड़े और जूते ले आए।
इधर मैं सोच रहा था कि इनके साथ क्या किया जाए फिर मैंने नेट से एक टेलर का नंबर निकाला और उसको घर आने के लिए बोला।
मंजू और नीतू दोनों मेरे सामने बैठे थे और मंजू काफी टेंशन में थी तो मैंने सोचा चलों उसको रिलैक्स करता हूँ।
मैंने बोला हम आज कही नहीं जा रहे है, आज हम सभी घर में ही रहेंगे। ऐसा बोलते ही मंजू बहुत ही तेज़ी से मेरे होंठों को किस करने लगी और मुझे थैंक यू बोली।
मंजू और मैं एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे और बगल में नीतू चुपचाप खड़ी थी, मानों उसे समझ नहीं आ रहा हो, उसे क्या करना है।
जब एक औरत मर्द को खुश करना चाहती थी तो उसका व्यवहार ही कुछ अलग होता है और मंजु अभी मुझे किसी भी तरह खुश करना चाहती थी। मंजु के जबरदस्त किस से मेरा जोश फिर से जाग गया और मैंने मंजु को अपने गोद में बिठाया।
मैं सोफे पर बैठा था और मंजु के बूब्स मेरे सामने थे। इसी पोजीशन में मैंने मंजू के चुत में अपना लण्ड घुसा दिया और उसकी जम के पहले राउंड की चुदाई की। मंजु की आहें पूरे माहौल को मादक बना रही थी।
अभी मेरा और मंजु का कार्यक्रम चल ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बजी।
मैंने नीतू को इशारा किया कि बाहर जा के देखे।
टेलर- मैडम किसी साहेब ने कॉल किया था और यहां आने को बोला था।
नीतू- अच्छा रुको, मैं पूछ कर बताती हूँ।
नीतू फिर अंदर आयी और मुझसे पूछी कि कोई टेलर आया है। आपने बुलाया है क्या?
मैं- हाँ, मैंने बुलाया है। उसको अंदर ले आओं।
तब तक मैंने अपने शॉर्ट्स को ऊपर किया और अभी जबरदस्त चुदाई के बाद मंजु उसी हालत में पूरी नंगी सोफे पर मेरे बग़ल में बैठी थी।
मंजू ने भी मन ही मन यह स्वीकार कर लिया था कि शायद उसे नंगी ही रहना होगा उस टेलर के सामने।
बाहर जाकर नीतू- हाँ भैया, चलिए अंदर। आपको साहब ने ही बुलाया है।
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(26-11-2022, 12:41 PM)raj4bestfun Wrote: हाल में मैं, नीतू और मंजू पूरी तरह नंगे थे। मेरा लंड फुल टाइट था और बेचैन था कि जल्दी किसी के चुत में घुसे। वों दोनों बहनें भी आपस में खुल रही थी और कहा जाए तो मेरे सामने मेरे डर और प्रभाव से खुल चुकी थी। मैंने सोफे पर बैठे बैठे नीतू को इशारा किया और जबरदस्ती अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।
उसने कभी लंड को मुँह में लिया नहीं था, इसलिए मुझे उसके साथ जोर देना पड़ा। वों जबरदस्ती मेरे लंड का अगला हिस्सा अपने मुँह में ली। मैं तेज गति से लंड को आगे पीछे करने की कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में ही मेरा पूरा लंड उसके मुँह में घुस गया। मैंने पूरे जोर से उसके सर को पकड़ा और लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैं सोफे पर था और जमीन पर बैठकर नीतू मेरा लंड चूस रही थी और ऊपर मंजू ने मेरे होंठो से अपने होंठो को चूसना शुरू कर दिया। इस तरह थोड़ी देर में मेरे लंड ने नीतू के मुँह में वीर्य छोड़ दिया जो मैंने नीतू को पी जाने के लिए विवश किया।
अब मंजू अपने जीभ से मेरे दोनों अंडकोष को चूसने लगी और उनके साथ खेल रही थी। फिर मैंने नीतू के बूब्स को मसलना शुरू किया। फिर दोनों के साथ चुदाई का सिलसिला चला। दोनों की जमकर चुदाई हुई और हम तीनो निढाल होकर सुबह 4 बजे बेडरूम में सो गए। मैंने मंजू और नीतू की चुत का भोसड़ा बना दिया और मेरा भी हाल चुदाई करते करते बुरा हो गया।
सुबह घर में सभी लोग उठ गए लेकिन हम तीनो नंगे बेहोशी के हालत जैसे सोए रहें। तभी शिल्पी की कॉल आयी और मेरी नींद खुली। मैंने उसके कॉल का कोई जवाब नहीं दिया और मंजू और नीतू को जगाया।
मंजू और नीतू भी उठ गई। नीतू के उठते ही मैंने उसके बूब्स को मसलना शुरू किया। उसके बूब्स को चूसने का मजा अलग ही था, मैंने उसके बूब्स को फिर चूसा भी। मंजू एक नाईटी अपने शरीर पर डाली और बाहर को आयी। शिल्पी और मनीष को कॉलेज और कॉलेज के लिए उसे ब्रेकफास्ट बनाना था।
इधर मै नीतू के बूब्स को चूसते चूसते उसको फिर से गर्म करने लगा। नीतू के पति ने उसकी चुदाई को की थी लेकिन कुछ और नहीं। बूब्स चूसने या चुत चाटने से नीतू कुछ ज्यादा ही रोमांचित हो जाती थी और आज भी ऐसा ही हुआ।
बूब्स चूसते चूसते वों गर्म होकर मेरे लंड पर बैठ गई। लंड पर बैठने के बाद मैंने भी अपना लंड उसके चुत के छेद में डाल दिया और उसको अपने लंड के झटको से उछालने लगा।
इस तरह हम दोनों का चुदाई का एक राउंड और चला। नीतू पूरी मूड में आ गई और फिर मेरा लंड ले कर चूसने लगी।
उधर शिल्पी और मनीष अपने अपने कॉलेज और कॉलेज चले गए। मंजू शायद बाथरूम में गई होगी। प्रीति उठ गई और नीतू से मिलने बेडरूम की ओर आयी। मंजू सुबह बेडरूम से बाहर गई उसके बाद मुझे या नीतू को बेडरूम बंद करना याद ही नहीं रहा।
नीतू पूरी रफ्तार से मेरे लंड को चूस रही थी तभी मेरी नजर कमरे के दरवाजे पर पड़ी और मै चौंक गया। दरवाजे पर प्रीति खड़ी थी और मेरे लंड को चूसते वक्त नीतू की पीठ दरवाजे की ओर थी, इसलिए नीतू को प्रीति का कुछ पता नहीं था।
मेरी नजर प्रीति से मिल गई और मैंने प्रीति की आँखों में आँखे डालते हुए जोर से बोला - अच्छे से चूस और अपने पैरों से उसके चूतड़ों को मारा।
प्रीति डर गई या उसे कुछ समझ नहीं आया वों वहाँ से चली गई। अब प्रीति की प्रतिक्रिया क्या होगी मै सोचने लगा। आज तो हम सभी को प्रीति के एडमिशन के लिए कॉलेज जाना था, कहीं उत्साह में मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई? मेरे दिमाग में पता नहीं और क्या क्या चलने लगा।
बेटी के सामने माँ को नंगी करके रंडी बनाने का मज़ा ही कुछ और है!
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