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03-11-2023, 08:02 AM
(This post was last modified: 03-11-2023, 08:04 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रतजगे की कहानी
" क्यों कल रात फूफा जी ने सोने नहीं दिया था क्या, ? "
" नहीं मैंने तेरी बुआ सास को सोने नहीं दिया,... " हँसते हुए मेरी सास बोलीं,
" अरे तेरी सास ने कल तेरी बुआ सास का नाड़ा खोल दिया था , रतजगे में , " जेठानी ने मुस्कराते हुए बतया लेकिन मैंने अपनी सास का ही साथ दिया,
" ठीक तो किया , इस घर की सब ननदे, ... अपने भैया से शलवार पेटीकोट का नाड़ा खुलवाती रहती हैं तो कभी कभार भौजाई ने खोल दिया या भौजाई के भाई ने खोल दिया तो कौन सी बड़ी बात हो गयी। "
" देखा मैं कह रही थी न मेरी बहू मेरा ही साथ देगी, बहू तुम देख समझ के एकदम अच्छी वाली देवरानी लायी हो "
सास ने एक ही वाक्य में मेरी और जेठानी दोनों की तारीफ़ कर दी,
मैं मुस्करा रही थी पर सास ने रतजगे की कहानी आगे बतानी शुरू की कि जेठानी जी ने क्या कारनामा किया , और उन्ही से बोली,
" चल मैंने अपनी ननद का नाड़ा खोल के , पेटीकोट उठा के उन की बुलबुल को जरा देर हवा खिला दी, लेकिन तूने तो अपनी ननद की बिल में ऊँगली डाल के गचागच, गचागच ,... "
मेरी जेठानी पर जब हंसने का दौर पड़ता था तो रुकता नहीं था, और वही हुआ जो हंसी रुकी तो वो बोलीं,
" ठीक तो किया। अपने नन्दोई का काम आसान कर रही थी, और वैसलीन का खरचा भी बचेगा, सीधे सटाया घुसाया और सटाक से अंदर , गप्प से घोंट लेगी। फिर मैंने ऊँगली से पहले टो लिया था, झिल्ली कब की फट चुकी थी , तो फिर मैं क्यों छोड़ती। पता नहीं अपने किस भाई से फड़वा लिया है मेरी ननद ने "
" अरे दी , तो क्या गलत किया, इस शहर की सारी ननदें यही करती हैं , चलिए आप लोग फ्रेश हो जाइये मैं चाय बनाती हूँ। "
चाय बन रही थी और मैं अपनी ख़ास ननद के बारे में सोच रही थी, कल की रात के बारे में नहीं आने वाली दिनों के बार में, कल से उसकी चिड़िया उसकी उड़ने लगी थी और क्या चिड़िया उड़ी थी , सुहागरात तो छोड़िये हनीमून में भी नहीं होता होगा , पहले दिन ही छह बार , दो बार शाम को और चार बार रात को , ... हर तरह का आसान, लिटा के निहुरा के खड़ी कर के,... इसलिए अब फिर से उसके शरमाने लजाने के चांसेज तो कम ही हैं।
रतजगे की बात
चाय में चीनी छोड़ते हुए मैं सोच रही थी , और फिर उसकी तीन घंटे की एडिटेड वीडियो और सैकड़ॉ स्टिल्स, सब मैं कम्मो को दे जाउंगी , अगर नाड़ा खोलने में ज़रा भी देर की , किसी दिन कम्मो के बुलाने से न आयी तो सब की सब,... और फिर जो कम्मो पठान के लौंडों की बात हो रही थी , वो तो खुद ही मार मार के चूतड़ लाल कर देंगे,... लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया, कल रात की बात और थी , जेठानी और सासू जी घर पे नहीं थी। फिर कल से तो जेठ जी भी आएंगे , जेठ जेठानी का कमरा भी कम्मो के कमरे की ओर है, कुछ भी चीख पुकार होगी तो सुनाई देगी।
.
चाय में उबाल आ गया था मैं चाय छान ही रही थी की मेरी जेठानी और सासू जी आ गयीं और वहीँ रसोई में गपाष्टक शुरू हो गयी,
वही रतजगे की बात
उकसाया मैंने और बीच बीच में जेठानी जी भी बात आगे बढ़ा रही थीं , लेकिन किस्सा पूरा सासू जी ने ही सुनाया, बिना सेंसर किये अच्छे वाले शब्दों के साथ,
मैं गाँव की लड़की, कितने रतजगे देखे थे, कभी दुलहा बनती थी कभी दुलहन, ...
शुरुआत बुआ जी ने ही की थी अच्छा मौका था उनके पास अपनी भौजाई की रगड़ाई करने का, कुत्ता , गदहा, घोड़ा कोई नहीं बचा जिसे उन्होंने मेरे सासू पर नहीं चढ़ाया यहाँ तक की इनके सारे मामा लोगों का नाम ले लेकर, हर गारी में,
ननदें थी भी बहुत ज्यादा, जेठानी जी ने जोड़ा,
लेकिन मेरी सासू जी से पार पाना आसान है क्या, उन्होंने इशारे इशारे में बुआ जी की मोहल्ले की दो तीन बहुओं को पटा लिया, बस नाच शुरू हुआ और मेरी सास खड़ी हुयी तो उन्होंने खींच के बुआ जी को भी अपने साथ, ' अरे बन्नी की मम्मी तो सबसे बड़ी रंडी है उसके नाचे बिना,... " नाचते हुए उन्होंने अपने दोनों हाथों से बुआ जी के दोनों हाथों को कस के पकड़ रखा था. आँखों से उन्होंने हल्का सा इशारा किया तो दोनों बहुओं ने बस मिल के पीछे से बुआ जी की साड़ी साया दोनों कमर तक, बेचारी बुआ जी के दोनों हाथ तो जकड़े हुए थे , लेकिन मेरी सास इतने में कहाँ मानने वाली थीं , उन्होंने एक हाथ से अपनी ननद के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और वो सरसरा के नीचे गिर गया. एक बहु उसे उठाकर चम्पत। बुआ जी को गुदगुदी भी बहुत लगती थी, साड़ी कमर तक, और पूरे दस मिनट सास जी ने उन्हें चक्कर लगवाया, अरे पूरी दुनिया देख तो ले उस बुलबुल को जहाँ से ये बन्नी निकली है , अरे चलो फैला के दिखा देती हूँ , अंदर अभी तक गुलाबी है ,....
और उसके बाद तो एकदम फ्री फॉर ऑल, कोई ननद नहीं बची जिसकी स्कर्ट , शलवार, साया न खुला हो, एक भाभी खोलती और दूसरी लेकर गायब , जिससे बेचारी उघारे , जबतक अपने हाथ से खोल के भाभियों को न दिखाए , भाभियाँ मन भर ऊँगली न करें वापस नहीं मिलता, सुबह भोर होने तक चला, खूब मस्ती ,... इसलिए रात में वो दोनों लग ज़रा भी नहीं सोयीं , और सुबह तो यहाँ के लिए चलना ही था।
चाय पीते पीते हम तीनों बरामदे में आ गए थे,
जेठानी जी का फोन घनघनाया, और मैंने उचक कर देख लिया, जेठ जी का था.
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साउथ की ट्रिप
चाय पीते पीते हम तीनों बरामदे में आ गए थे,
जेठानी जी का फोन घनघनाया, और मैंने उचक कर देख लिया, जेठ जी का था.
जेठानी जी ने गुस्से से मुझे देखा और तब तक फोन की घंटी बंद हो गयी।
उनकी ठुड्डी पकड़ के मनाते हुए मैं बोली, " अरी दी, गुस्सा मत होइए अभी फिर आएगा। "
ये ट्रिक मैं जेठ जी की कई बार देख चुकी थी, पहली काल एक मिस्ड काल,... जिससे जेठानी जी कहीं कोने अतरे, जिससे दोनों कबूतर मन भर गुटरगूं कर सके, ठीक साढ़े चार मिनट बाद दूसरा फोन ,
वो मुस्कराने लगीं और एक जोर का मुक्का मेरी पीठ पर पड़ा, और मैं सासू जी की ओर देख के जोर से चिल्लाई, फिर मुस्करा के जेठानी जी को फिर से छेड़ा,
" दी, अरे यही तो बोलेंगे न कल आरहा हूँ, अगवाड़े पिछवाड़े अच्छी तरह वैसलीन लगा के रखना, अंदर तक। "
अबकी मुक्का सच में तेज था और साथ में जेठानी जी ने छेड़ा,
" अच्छा अपना भूल गयी , पूरी बड़ी वाली वैसलीन की शीशी तेरे तकिये के नीचे रखी थी और अगले दिन, आधे से ज्यादा खाली। अगली रात फिर नयी बड़ी शीशी वैसलीन की और पूरी एक लीटर वाली , कडुवा तेल की बोतल,... "
" क्या दी आप भी न एकदम कंजूस , जरा ज़रा सी चीजों का हिसाब रखती हैं , लेकिन ये बताइये यही फोन आएगा न अब हम से क्या शरमाना , हम दोनों तो एक ही नाव में हैं " मैंने भी मुस्कराते हुए उन्हें जवाब दिया।
और अब उन्होंने भी बिंदास आवाज में पहले तो जबरदस्त अंगड़ाई ली फिर बोलीं बड़े झक्कास अंदाज में , ' अब हम लोग वैसलीन वैसलीन नहीं लगाते , तू लगाती है ? "
मैंने भी डबल कॉन्फिडेंस में उन्ही की तरह जवाब दिया , " नहीं दी. आखिर आप की असली एकलौती देवरानी हूँ , जैसे चले जेठानी वैसे देवरानी, मैं अब प्योर आर्गेनिक हूँ , आप के देवर इतना लार टपकाते रहते हैं न बस वही,... "
तबतक ४ मिनट २८ सेकेण्ड हो चुके थे जेठानी जी उठना चाहती थीं लेकिन मैंने कस के पकड़ रखा था , ठीक ४. ३० मिनट बाद घंटी फिर बजी और मेरे और सासु जी के सामने ही उन्हें बात करनी पड़ी, बात ज्यादा लम्बी चली भी नहीं, कुछ हूँ हूँ हाँ, अभी देखती हूँ। माता जी का , ... नहीं नहीं,...
कुछ समझ में मेरे आया, कुछ नहीं। इतना तो मुझे पता था की कल वो आनेवाले हैं और उसके बाद हफ्ते दस दिन घर पर ही रहेंगे। उनका बिजनेस ऐसा था की टूर का काफी काम रहता था, महीने में पन्दरह बीस दिन तो आम बात थी, हाँ जेठानी जी नहीं जाती थीं उनके साथ।
मैं और सासू जी बात ख़तम होने के बाद मुख्या समाचार सुनने का इन्तजार कर रहे थे.
जेठानी जी थोड़ी देर चुप रहीं जैसे उनकी समझ में न आ रहा हो क्या बोले कैसे बोले आखिर जब सासू जी ने टोका तो वो बोलीं।
मामला सच में थोड़ा सा उलझा था, होली के दो दिन बाद ही अचानक उनकी एक दिन चेन्नई में और उसके दो दिन बाद मदुराई में मीटिंग थी, इस लिए उन्हें होली के अगले दिन ही जाना पड़ेगा और आठ दस दिन साउथ इंडिया में,... जो बात जेठानी ने नहीं कही वो मैं और सासू जी दोनों समझ गए.
जेठ जी चाहते थे की जेठानी जी भी उनके साथ जाएँ, मीटिंग के साथ घूमना और मस्ती हो जायेगी,
" तू भी चली जा न, साउथ घूम आएगी, आठ दस दिन की तो बात है,... " सासू जी ने जेठानी जी का धर्म संकट दूर किया पर अब भी जेठानी जी ये सोच रही थीं की इन्हे अकेले छोड़ कर कैसे और रास्ता मैंने निकाला, ...
" आप भी चली जाइये न, आप दोनों आप देखिये साउथ घूमने का इतना अच्छा मौका नहीं मिलेगा, फिर कल मैं भी चली जाउंगी, "
मन तो उनका बहुत कर रहा रहा था लेकिन , फिर दबी जुबान से कुछ चिढ़ाते हुए बोलीं,
" अरे तू जा उसके साथ, मैं कहाँ दाल भात के बीच मूसलचंद।"
कुछ बातों में हम देवरानी जेठानी एकदम एक तरह सोचते थे , एक साथ दोनों बोले,
" अरे आपके लिए भी मूसलचंद का इंतजाम हो जाएगा , घबड़ाइये मत "
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२१ दिन
कुछ बातों में हम देवरानी जेठानी एकदम एक तरह सोचते थे , एक साथ दोनों बोले,
" अरे आपके लिए भी मूसलचंद का इंतजाम हो जाएगा , घबड़ाइये मत "
इंटरनेट पर मेरा हाथ तेजी से चलता था, झट से मैने मेल एस्कॉर्ट्स इन साउथ इंडिया साइट खोल दी, एक से एक हंक,...
मैंने सासू जी को दिखाया पीछे से खिलखिलाती हुयी जेठानी भी झाँक रही थी,
" देखिये हर शेप साइज के हैं, मसाज से लेकर फुल सर्विस तक, आपके बेटों को पता भी नहीं चलेगा मैं अभी बुक कर देती हूँ ,... "
सासू ने मेरे गाल कस के पिंच कर लिए,... और अपनी समधन को दस असली वाली गालियां सुनाते बोलीं,
" बहू, तेरे बाप का तो पता नहीं, लेकिन तू एकदम अपनी माँ पर गयी है,... "
यानी वो जाने को तैयार हो गयी थीं.
मैंने जेठानी जी के फ़ोन से जेठ जी का पूरा टूर प्रोग्राम निकाला, फिर उसी के साथ जोड़ के कुछ और ऊपर नीचे का एक ट्रेवेल साइट खोल के कुछ चैट की और जेठानी जी से बोला,
"डन, साउथ के सारे टेम्पल, बीचेज और जेठजी की मीटिंग्स भी, १४ दिन पंद्रह रातें, लेकिन एक मिनट पांच दिन का केरल और जोड़ देती हूँ , बैक वाटर्स, मसाज , पंच क्रिया,... जेठ जी को बोल दीजियेगा की कुछ छुट्टी ले लेंगे कुल २१ दिन "
" वही वो भी बोल रहे थे, कित्ते सालों से इन्होने छुट्टी नहीं ली छुट्टी का कोई मामला नहीं है। पर ट्रेन , रुकने का तुमने इतना लंबा प्रोग्राम बना तो दिया,... "
जेठानी जी अभी भी उलझी हुयी थीं, ... मन तो उनका बहुत कर रहा था, मेरे साथ साथ वो भी बुकिंग देख रही थीं , बेस्ट होटल्स, गाइडेड टूर्स,...
सासू जी भी परेशान लग रही थी,
" पूरे २१ दिन , इतने ट्रेनों में रिजर्वसेशन,... फिर सब जगह का , कैसे,... " मन उनका भी कर रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था, ...
तब तक ये आगये,
नींद से कोई जैसे उठा हो, उसी तरह, रात भर क्या, सुबह नौ बजे तो सोये होंगे,... लेकिन मैं उन्हें देखकर सासू जी से बोली
" अरे आपने ये छह फिट का लड़का क्यों पैदा किया है , खाली मेरी ननदों से आँख मटक्का करने के लिए,... "
और उन्हें मैंने सब कुछ समझा दिया,...
इन सब कामों में तो वो सुपर कम्प्यूटर थे, उंगलिया चलती नहीं दौड़ती थीं, बस दस मिनट के अंदर सारी ट्रेन की, होटल, एजंट्स , लोकल टूर,... और सब का पेमेंट ,. भी
" हे चाय मिलेगी। सब बुकिंग कन्फर्म है , अभी दस मिनट में सारे टिकट बुकिंग डिटेल्स आ जाएंगे, मैं कमरे में जाके प्रिंट आउट निकाल दूंगा। "
जेठानी जी खुश नहीं महा खुश और वो खशी उन्होंने अपने देवर का कान पकड़ के जाहिर की,
" हरदम मेरी देवरानी से मांगते रहते हो, किचेन में तेरी कम्मो भाभी हैं, जाके चाय मांग ले और कुछ मांगना है तो वो भी माँगना है तो वो भी मांग लेना,... "
ये किचेन में गए, और सासू ने अपनी मन में चल रही उथल पुथल बता दी,
" बहू पैसा बहुत लगा होगा न, ... "
मैं बड़ी सीरियस होके बोली,
" हाँ," फिर खिलखिलाती बोली,
" आप काहें चिंता कर रही हैं , बनारस जा रहीं हूँ न वहां दालमंडी ( बनारस का रेड लाइट एरिया ) में अपनी उस छुटकी ननदिया की एडवांस बुकिंग करा दूंगी तीन चार रात की , जो लगा है उस का तीन चार गुना मिल जाएगा।"
"लेकिन घर का क्या होगा, "
मेरी सासू जी ने चिंता व्यक्त की,
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इक्कीस दिन की ट्रिप - दक्षिण भ्रमण
मैं उन्हें देखकर सासू जी से बोली
" अरे आपने ये छह फिट का लड़का क्यों पैदा किया है , खाली मेरी ननदों से आँख मटक्का करने के लिए,... "
और उन्हें मैंने सब कुछ समझा दिया,...
इन सब कामों में तो वो सुपर कम्प्यूटर थे, उंगलिया चलती नहीं दौड़ती थीं, बस दस मिनट के अंदर सारी ट्रेन की, होटल, एजंट्स , लोकल टूर,... और सब का पेमेंट ,. भी
" हे चाय मिलेगी। सब बुकिंग कन्फर्म है , अभी दस मिनट में सारे टिकट बुकिंग डिटेल्स आ जाएंगे, मैं कमरे में जाके प्रिंट आउट निकाल दूंगा। "
जेठानी जी खुश नहीं महा खुश और वो खशी उन्होंने अपने देवर का कान पकड़ के जाहिर की,
" हरदम मेरी देवरानी से मांगते रहते हो, किचेन में तेरी कम्मो भाभी हैं, जाके चाय मांग ले और कुछ मांगना है तो वो भी माँगना है तो वो भी मांग लेना,... "
ये किचेन में गए, और सासू ने अपनी मन में चल रही उथल पुथल बता दी,
" बहू पैसा बहुत लगा होगा न, ... "
मैं बड़ी सीरियस होके बोली,
" हाँ," फिर खिलखिलाती बोली,
" आप काहें चिंता कर रही हैं , बनारस जा रहीं हूँ न वहां दालमंडी ( बनारस का रेड लाइट एरिया ) में अपनी उस छुटकी ननदिया की एडवांस बुकिंग करा दूंगी तीन चार रात की , जो लगा है उस का तीन चार गुना मिल जाएगा।"
"लेकिन घर का क्या होगा, "
मेरी सासू जी ने चिंता व्यक्त की, पर अब जेठानी जी ऑलमोस्ट झुंझला रही थी, किसी तरह झुंझलाहट रोक के वो बोलीं ,
" कम्मो है न ".
मैं समझ रही थी लेकिन मेरी दिमाग की शैतान की चरखी कुछ और तेजी से चल रही थी, घर खाली रहेगा, सिर्फ कम्मो, अगर किसी तरह गुड्डी रानी यहाँ आ जातीं तो कम्मो का पूरा प्लान बिना रोक टोक के हो जाता है,
मेरे दिमाग की चरखी डबल स्पीड से घूम रही थी, कितना सुनहला मौका, कल रात गुड्डी रानी की जो जबरदस्त रगड़ाई हुयी थी , और आज जो कर्टसी रीत मैं भौरों के साथ उसके संवाद सुन रही थी। चार से तो ऑलमोस्ट उसने स्कर्ट पसारने के लिए हाँ कर दी थी, बेचारे लिबरा भी तो पिछले छह महीने से रहे हैं, और कम्मो ने जो होली के अगले ही दिन अपने गाँव के तीन जबरदस्त पठान के लौंडो को दावत दी है, गुड्डी रानी के कुंवारे बिन फटे कोरे पिछवाड़े की,...
मेरी सास और जेठानी २१ दिन के लिए गायब, २१ दिन तक ये घर खाली रहेगा, अगर किसी तरह वो अनारकली यहाँ आ जाए, फिर तो,.. और एक बार कम्मो के चक्कर में , फिर गुड्डी रानी के चाहने से भी कुछ नहीं होगा, दिन रात चक्की चलेगी,... लेकिन कैसे, कैसे ,...
और उधर सास मेरी परेशांन थी, घर कैसे खाली छोड़ के, वो भी इतने दिनों के लिए, पर साउथ घूमने का मौका भी,...
और मेरी जेठानी परेशान थी , साजन के साथ २१ दिन लगातार रात में भी, दिन में भी, केरल के बीच , मस्ती के साथ , अपनी किटी पार्टी वालियों पर रोब झड़ने का कित्ता अच्छा मौका लेकिन , घर को लेकर अगर कही सासू जी ने, वैसे भी जेठ जी के साथ वो कम ही निकल पाती थीं, हर बार यही बात अटक जाती थी, माँ अकेले कैसे रहेंगी, कहीं कोई परेशानी हो जाये, और अब जो रिजर्वेशन हो गया, छुट्टी की भी प्लानिंग तो ये नया भूत, घर का, कौन रहेगा,आखिर कम्मो है तो और वो कौन सी बच्ची है,... उनके मुंह से निकल ही गया,
" कम्मो है न " .
लेकिन मेरी सास अभी भी पूरी तरह कन्विंस नहीं थी ,
मैंने भी जेठानी जी की तरफदारी की और वही बात दोहराई,
" दी ठीक तो कह रही हैं, कम्मो है न ,... "
लेकिन मेरी दिमाग की बत्ती तभी जली, पूरे १००० वाट का बल्ब,... और मेरी उँगलियाँ मोबाइल पर दौड़ने लगी, एक साथ चार चार व्हाट्सऐप मैं कर रही थी , दो फोन आये , एक को होल्ड कराया, दूसरे से बात की
जेठानी जी और सासू जी दोनों ध्यान से मेरी ओर देख रही थीं, पूरे चार मिनट तक,... फिर मैंने मुस्कराकर अपनी सासू जी की ओर देख कर कहा,
" हो गया, एकदम पक्का इंतजाम,.. लेकिन एक बात का जुगाड़ तो मैं करवा दूंगी , लेकिन दूसरी बात के लिए आपकी जरूरत पड़ेगी। "
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पक्का इंतजाम
जेठानी जी और सासू जी दोनों ध्यान से मेरी ओर देख रही थीं, पूरे चार मिनट तक,... फिर मैंने मुस्कराकर अपनी सासू जी की ओर देख कर कहा,
" हो गया, एकदम पक्का इंतजाम,.. लेकिन एक बात का जुगाड़ तो मैं करवा दूंगी , लेकिन दूसरी बात के लिए आपकी जरूरत पड़ेगी। "
और मैंने सासू जी को पूरी प्लानिंग बता दी , जेठानी जी के चेहरे पर परेशानी अब कुछ कम हो गयी
घर भी तो इनका इतना बड़ा, ९-१० कमरे नीचे, एक बड़ा सा आँगन, चारो ओर बरामदे, एक साइड में कमरे , एक साइड में किचेन स्टोर और एक साइड में बाथरूम , और टॉयलेट, हाँ मेरा कमरा ऊपर था और उसमें बाथरूम अटैच्ड था, छत पर सिर्फ वही कमरा था। पीछे खेत था, किचेन गार्डेन और पिछवाड़े का दरवाजा उधर ही खुलता था, और उस साइड में पांच छह कमरे बने थे, काम करने वालों के लिए , आज कल वहां सिर्फ कम्मो ही थी , दो कमरे उसके पास थे.
बाहर का दरवाजा भी बड़े से बरामदे में खुलता था और उसके आगे लान, फिर सामने सड़कमैंने रास्ता निकाल लिया था,
" देखिये एक तो बाहर का दरवाजा बंद रहेगा, बाहर से ताला तो रहेगा, अंदर से भी सिटकिनी और ताला, ... और कम्मो का आना जाना पीछे वाली खिड़की दरवाजे से , वैसे भी वो उधर से ही आती जाती है, ... अंदर ये वाले कमरे जिसमें आप लोग रहती हैं, वो सब तो इंटरकनेक्टेड हैं ही, तो वो सब भी अंदर से बंद रहेंगे , और बाहर से भी सबंमें ताला,... नीचे वाली मंजिल पे सिर्फ किचेन और स्टोर, बाथरूम खुला रहेगा,... और लेकिन सबसे बड़ी बात,... "
मैं एक पल के लिए चुप हो गयी,...
सास और जेठानी दोनों ध्यान से मेरी बातें सुन रही थीं,..
मुस्करा के मैंने एक साइट खोल ली, और दिखाते हुए बोली,
" ये देखिये सिक्योर अलार्म और सीसी टीवी वालों से मेरी बात हो गयी है , ... शाम को चार बजे वो लोग आ रहे हैं , बरामदे में ही वो चार डोम कैमरे लगा देंगे सारे के सारे एच डी नाइट विजन, . और तीन बुलेट कैमरे सीधे कमरों के दरवाजों पर,... उसी तरह बाहर के दरवाजे, खिड़कियों पर और यहाँ तक की सड़क वाले गेट पर, वहां ताला लगा रहेगा, कोई आएगा तो सड़क से ही उसे बेल बजानी पड़ेगी और वहीँ से बात करने का सिस्टम रहेगा, कम्मो चेक कर लेगी और जब वो बटन दबाएगी तभी गेट खुलेगा,
उसके अलावा बाहर वाली खिड़कियों पर वो प्रेशर पैड लगा देंगे, खिड़कियां वैसे तो अंदर से बंद रहेंगी, बाहर से कैमरे भी रहेंगे, लेकिन अगर कोई बाहर से उन खिड़कियों को या बाहर वाले दरवाजों को खोलने की या छूने की भी कोशिश करेगा तो बहुत तेजी से अलार्म बजेगा, चारों और लाइट जलेगी और उस अलार्म कंपनी वाले के यहाँ भी एलर्ट हो जाएगा और साढ़े चार मिनट में उनके छह सिक्योरटी गार्ड यहाँ पहुँच जाएंगे,...
कुल १६ कैमरे लगेंगे, और एक बड़ा सा एन वी आर, एक एल इ डी टीवी पर सारे १६ कैमरे लाइव आते रहेंगे , और साथ में चार टीबी की एक हार्ड डिस्क जिसमें १८ दिन की पूरी रकिर्डिंग होगी , लेकिन उससे भी अच्छी बात ये सब आई पी ऐड्रेस से लिंक रहेगा इसलिए सारे कैमरे मोबाइल पर भी "
जेठानी जी थोड़ी परेशान हो रही थीं मोबाइल वाली बात सुन के लेकिन मैंने बात साफ़ कर दी,
" अरे आप लोगों के मोबाइल पर नहीं , सिर्फ मेरे मोबाइल पर अरे ससुराल में तो मेरी बहने भौजाइयां सब इनमे उलझी रहेंगी, मैं तो खाली ही रहूंगी। और कौन लगातार देखना है , कभी कभी देख लुंगी,... "
जेठानी जी ने चैन की सांस ली, उनकी जेठ जी के साथ कबड्डी में कोई विघ्न नहीं पड़ने वाला था, .... इतने दिनों बाद तो साजन का इतना लम्बा साथ मिलने वाला था.
सासू जी भी खुश , पक्का इंतजाम हो गया।
लेकिन मैंने असली बात आगे बढ़ाई और सासू जी से मिनती की,...
" लेकिन आप की थोड़ी सी हेल्प लगेगी,... "
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पक्का इंतज़ाम - ननदिया का ,
मुस्करा के मैंने एक साइट खोल ली, और दिखाते हुए बोली,
" ये देखिये सिक्योर अलार्म और सीसी टीवी वालों से मेरी बात हो गयी है , ... शाम को चार बजे वो लोग आ रहे हैं , बरामदे में ही वो चार डोम कैमरे लगा देंगे सारे के सारे एच डी नाइट विजन, . और तीन बुलेट कैमरे सीधे कमरों के दरवाजों पर,... उसी तरह बाहर के दरवाजे, खिड़कियों पर और यहाँ तक की सड़क वाले गेट पर, वहां ताला लगा रहेगा, कोई आएगा तो सड़क से ही उसे बेल बजानी पड़ेगी और वहीँ से बात करने का सिस्टम रहेगा, कम्मो चेक कर लेगी और जब वो बटन दबाएगी तभी गेट खुलेगा, उसके अलावा बाहर वाली खिड़कियों पर वो प्रेशर पैड लगा देंगे, खिड़कियां वैसे तो अंदर से बंद रहेंगी, बाहर से कैमरे भी रहेंगे, लेकिन अगर कोई बाहर से उन खिड़कियों को या बाहर वाले दरवाजों को खोलने की या छूने की भी कोशिश करेगा तो बहुत तेजी से अलार्म बजेगा, चारों और लाइट जलेगी और उस अलार्म कंपनी वाले के यहाँ भी एलर्ट हो जाएगा और साढ़े चार मिनट में उनके छह सिक्योरटी गार्ड यहाँ पहुँच जाएंगे,... कुल १६ कैमरे लगेंगे, और एक बड़ा सा एन वी आर, एक एल इ डी टीवी पर सारे १६ कैमरे लाइव आते रहेंगे , और साथ में चार टीबी की एक हार्ड डिस्क जिसमें १८ दिन की पूरी रकिर्डिंग होगी , लेकिन उससे भी अच्छी बात ये सब आई पी ऐड्रेस से लिंक रहेगा इसलिए सारे कैमरे मोबाइल पर भी "
जेठानी जी थोड़ी परेशान हो रही थीं मोबाइल वाली बात सुन के लेकिन मैंने बात साफ़ कर दी,
" अरे आप लोगों के मोबाइल पर नहीं , सिर्फ मेरे मोबाइल पर अरे ससुराल में तो मेरी बहने भौजाइयां सब इनमे उलझी रहेंगी, मैं तो खाली ही रहूंगी। और कौन लगातार देखना है , कभी कभी देख लुंगी,... "
जेठानी जी ने चैन की सांस ली, उनकी जेठ जी के साथ कबड्डी में कोई विघ्न नहीं पड़ने वाला था, .... इतने दिनों बाद तो साजन का इतना लम्बा साथ मिलने वाला था.
सासू जी भी खुश , पक्का इंतजाम हो गया।
लेकिन मैंने असली बात आगे बढ़ाई और सासू जी से मिनती की,...
" लेकिन आप की थोड़ी सी हेल्प लगेगी,... "
और एक मिनट के लिए चुप हो गयी, सासू जी ने दुलार से मेरा सर सहलाते हुए कहा,
" बोल न "
और जेठानी जी ने हड़काया लेकिन प्यार से,
" हे चल सस्पेंस न बना, बोल न "
मैंने भी पहले थोड़ी भूमिका बनाई फिर मुद्दे पर आयी,
" असल में सब काम तो कम्मो से हो जाएगा, लेकिन कुछ काम उसके बस का नहीं है जैसे जो रिकार्डिंग होगी, उसे दिन में दो तीन बार उलट पुलट के चेक कर के देख लेना होगा की सब कैमरों की रिकार्डिंग आ रही है की नहीं , वैसे मुश्किल से दस पंद्रह मिनट का काम है लेकिन सब इंस्ट्रक्शन अंग्रेजी में लिखे होंगे तो इसलिए कम्मो के लिए, फिर रोज सुबह आठ दस बजे, अलार्म बंद और शाम को आठ बजे के आसपास अलार्म ऑन करना पर उसके भी सब इंस्ट्रक्शन इंग्लिश में ही हैं, लेकिन सब से बड़ी बात ये है की अलार्म कंपनी हर दूसरे दिन अलार्म का पासवर्ड दिए गए मोबाइल पर भेजती है, १६ डिजिट का और उसमें शब्द, गिनती, कैपिटल स्माल सब होते हैं, इसलिए वो तो कम्मो के लिए मुश्किल होगा तो पहले मैंने सोचा की अनुज होता तो उसी को बोल देती, कुछ दिन यहाँ आके , लेकिन ,...
मेरी बात काटी सासू जी ने " वो तो बनारस में है , होली के बाद उसका पेपर है "
और आगे जो बात मैं चाहती थी पर खुद कहने से बच रही थी, मेरी जेठानी ने पूरी कर दी,
" अरे तो गुड्डी है न, उसका कॉलेज भी तो एकदम बगल में हैं , यहीं से कॉलेज चली जायेगी,... "
" " और कम्मो है न कोई अकेले तो उसको रहना नहीं है , कम्मो भी तो उसकी भौजी है, नाश्ता खाना उसके जिम्मे, सुबह तैयार होक यहीं से कॉलेज ,... "
सासू जी ने भी वही बात कही. लेकिन तबतक जेठानी जी ने इनके ननिहाल में फोन लगा दिया था, और फोन सासू जी के हाथों में,
कन्विंस करने की पावर सासू जी में गजब की, दो चार मिनट तो इधर उधर लेकिन पूरे ११ मिनट बात करने के बाद उन्होंने सूचना दे दी, काम हो गया लेकिन होली का क्या होगा वही , ... होली में तो वो अपने घर में ही,...
मैंने तुरंत सासू जी को हल बता दिया,... आप लोगो की ट्रेन होली की रात में दस बजे है, सवा नौ, साढ़े नौ निकलिएगा तो भी चलेगा, बस वो होली के दिन शाम को साढ़े सात, आठ तक आ जाये,...
और यही बात सास जी ने आगे बढ़ा दी , तय हो गया की गुड्डी रानी ठीक आठ बजे होली वाले दिन आ जाएँगी , उस के बाद घर उनके हवाले हाँ एक काम उन्होंने मुझे पकड़ा दिया , गुड्डी को कन्विंस करना,
एकदम, एकदम आखिर उसकी भाभी हूँ , ननद को पटाने का काम भाभी नहीं करेंगी तो कौन करेगा।
और मैंने चैन की साँस ली, अब मेरी ननद की कुटाई का पक्का इंतजाम हो गया था, २१ दिन वो यहीं रुकेगी, उस मेरे कमरे में जहाँ कल उसकी झिल्ली फटी थी, और कम्मो के भरोसे, जिसने पहले ही उसे साफ़ साफ़ बता दिया है, अगवाड़ा उसके भैया ने फाड़ा है लेकिन पिछवाड़ा बनारस वाले फाड़ेंगे,...
तब तक जेठ जी मिस्ड काल वाला फोन आ गया और जेठानी जी अपने कमरे में चली गयीं, सासू जी भी किचेन में कम्मो से बात करने , और मैंने गुड्डी को फोन लगाया। लेकिन उसके पहले जो रीत ने जासूसी वाला ऐप दिया था उससे अपनी ननदिया के व्हाट्सऐप में घुस के उसके भौंरो से हुए मेसेज खंगाले और दो की बात की रिकार्डिंग भी सुनी , परेशानी वही थी, मिलन कहाँ हो?
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03-11-2023, 08:12 AM
(This post was last modified: 03-11-2023, 08:17 AM by komaalrani. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
भौंरे
एकदम, एकदम आखिर उसकी भाभी हूँ , ननद को पटाने का काम भाभी नहीं करेंगी तो कौन करेगा।
तब तक जेठ जी मिस्ड काल वाला फोन आ गया और जेठानी जी अपने कमरे में चली गयीं, सासू जी भी किचेन में कम्मो से बात करने , और मैंने गुड्डी को फोन लगाया।
लेकिन उसके पहले जो रीत ने जासूसी वाला ऐप दिया था उससे अपनी ननदिया के व्हाट्सऐप में घुस के उसके भौंरो से हुए मेसेज खंगाले और दो की बात की रिकार्डिंग भी सुनी , परेशानी वही थी, मिलन कहाँ हो?
कुड़ी फ़ास्ट लर्नर है , मैं मुस्करायी और अपनी कम्मो भौजी की पक्की चेली। उसके १४ भौंरो में से जिन चार भौंरो को पहले चारा डालने को कम्मो ने बोला था, ये दो उसी में थे, एक तो उसी के गली के बाहर रहता था, और दोनों पिछले आठ महीने से लगातार उसकी गली से उसके कॉलेज तक साथ साथ जाते थे और छुट्टी होने पर साथ साथ जाते थे, कितने तो मेसेज, चिट्ठियां,...
और आज सुबह से दोनों के दर्जन बाहर मेसेज का गुड्डी रानी ने न सिर्फ जवाब दिया, बल्कि दो बार दोनों से गुटरगूं भी हुयी और बात मिलने तक भी पहुँच गयी, लेकिन मामला वहीँ जाकर अटक गया , एक अपनी फेमली के साथ रहता था दूसरा किराए के कमरे में जहाँ दो और लड़के उसके साथ रहते थे, और छोटा कस्बाई शहर तो कोई ऐसे कैफे, रेस्टोरेंट भी नहीं थे,... और वहां ' वो ' सब हो नहीं सकता था जो भौंरे चाहते थे,... आखिर आठ महीने से इन्तजार करने के बाद तो लड़का सीधे टाँगे फैलाना चाहेगा,
और मैं भी तो यही चाहती थी,... की न सिर्फ मेरी ननद की टाँगे फैले बल्कि उसके मोहल्ले के लौंडे उसे हचक हचक के चोदे।
अब उसका मैंने पक्का इंतजाम कर दिया था पूरे २१ दिन तक, दिन रात,...
अगला फोन मैंने गुड्डी रानी को लगाया और उसके फोन उठाते ही चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" ननद रानी ने कितने भौंरो को चारा डाला , ... कित्तों से गुटरगूं हुयी। "
वो पहले जोर से खिलखिलाती रही, फिर बोली आप और कम्मो भौजी का हुकुम था , लेकिन भाभी आप की बात एकदम सही थी, दो से बेचारे बहुत दिन से चक्कर काट रहे थे आज मैंने दो के व्हाट्सऐप का जवाब दे दिया , बस तीन मिस्ड काल डेढ़ मिनट के अंदर, ... पांचवी काल पर मैंने उठा लिया, क्या चमचा गिरी कर रहे थे स्साले, बस एक बार मिल लो प्लीज, प्लीज,...
" तो मिल जाती न , मिलने की बात कर रहे थे चुदवाने की तो नहीं,... " मैंने उसे छेड़ा।वो खुद खिलखिलाते बोली , " मन तो उन सबों का वही कर रहा था, दोनों हैं नंबरी, कम्मो भौजी ने सही सेलेक्ट किया है , लेकिन,... "
अब उसकी आवाज में उदासी थी ,...
" वही तो ,... बाहर सब लोग जानते पहचानते ,हैं फिर एक तो मोहल्ले का ही है , मेरी गली के बाहर वाला "
" आखिर मैं किस लिए हूँ , बोल करवा दूँ जगह का जुगाड़ लेकिन सीधे से टांग फैला देना अपने यार के आगे, ज्यादा ंनखड़ा नहीं,... " सस्पेंस मैंने जारी रखा.
" भाभी आप भी न , कल सुबह सुबह तो खुद अपने मायके चली जा रही है, मायके के यारों की पिचकारी का मजा लेने ,.. " कुछ उदासी कुछ चिढ़ाते वो बोली,
" तो तू भी चुदवा न अपने मायके के यारों से , ...चल यार तू भी क्या याद करेगी , मुझे लग गया था मेरी नंनदिया की क्या परेशनी है , और उसका मैंने हल भी निकाल लिया है ,... बस एकदम टोटल प्राइवेसी , किसी को कानोकान खबर नहीं होगी , किस यार से तू मिल रही है , चौबीसों घंटे , कोई नहीं ,... "
अब वो और गुस्सा हो गयी,
" भाभी आप भी न आप के कहने पर मैंने बात करना शुरू किया अब तो पांच मिनट का मिलना भी मुश्किल है और आप क्या क्या बोले जा रही हैं। "
और जब मैंने उसको पूरी बात बताई, होली के दिन शाम को वो हम लोगों के घर पर , और शाम को घर से सब लोग २१ दिन के लिए बाहर, ... वो अकेले बस कम्मो , और कम्मो तो खुद चाहती है,... ऊपर वाले मेरे कमरे में ही हम लोगो के बेड पर , कॉलेज उसका पास में ही है तो जो भौंरे कॉलेज से उसका पीछा करते है , वो बस उसके पीछे,...
बस हम लोग गले नहीं मिले और फोन पर हाई फाइव हो गयी लेकिन गुड्डी रानी ने शेडूलिंग की प्राबलम खड़ी कर दी, ...
" भाभी, होली के अगले दिन तो कम्मो भौजी के गाँव के रिश्ते वाले भैया, पहले से उन्होंने बोल रखा था तो ये दोनों,... "
" चल कोई नहीं , तूने तो अभी दो को ही न ,... तो मंगल , बृहस्पति , शनिवार को तेरे भौंरे , सायंकालीन सभा में, कॉलेज से तेरे पीछे पीछे, ... और बाकी दिन तू कम्मो भौजी के हवाले ,... "
" एकदम सही भाभी और उस ने फोन काट दिया और मैं समझ गयी भौंरों से बात करने के लिए चींटे काट रहे होंगे , ये खुश खबर सुनाने के लिए।
रीत के दिए ऐप का फायदा उठाकर मैं अपनी ननद के फोन में घुस गयी,... और मान गयी मैं अपनी छुटकी ननदिया को,... स्साली
एकदम शरारती, और जो मैंने और कम्मो ने उसे सिखाया था, सब का सब उसने अच्छी तरह से सीख लिया था , भौंरों को ललचाना, फंसाना, इशारे कर कर के लुभाना,
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" चल कोई नहीं , तूने तो अभी दो को ही न ,... तो मंगल , बृहस्पति , शनिवार को तेरे भौंरे , सायंकालीन सभा में, कॉलेज से तेरे पीछे पीछे, ... और बाकी दिन तू कम्मो भौजी के हवाले ,... "
" एकदम सही भाभी और उस ने फोन काट दिया और मैं समझ गयी भौंरों से बात करने के लिए चींटे काट रहे होंगे , ये खुश खबर सुनाने के लिए।
रीत के दिए ऐप का फायदा उठाकर मैं अपनी ननद के फोन में घुस गयी,... और मान गयी मैं अपनी छुटकी ननदिया को,... स्साली
एकदम शरारती, और जो मैंने और कम्मो ने उसे सिखाया था, सब का सब उसने अच्छी तरह से सीख लिया था , भौंरों को ललचाना, फंसाना, इशारे कर कर के लुभाना,
सबसे पहले मेरी ननद के फोन से उस की गली वाली यार के पास फोन की घंटी गयी, लेकिन पहली घंटी जाते ही मेरी ननद ने फोन काट दिया, और मुस्कराने लगी, बिजली का असर हुआ उस के यार नंबर वन पर, तुरंत ही उस का फोन आया, पांच , छह , आठ घंटी बजी , लेकिन गुड्डी रानी ने फोन नहीं उठाया। थक कर घंटी फिर रुक गयी,
मैं जो सोचती थी वही हुआ, उस भौंरे ने दुबारा फोन लगाया फिर वही घंटी बज बज कर , वो मुस्कारते हुए फोन को देख रही थी. पांच बार फोन बजा, जब छठवीं बार उसका फोन बजा और पांच छह घंटी बजी तो बड़ी बेरुखी से उसने फोन उठाया और बोली,
" हे क्या है, फोन क्यों कर रहे हो, ... "
" आप, तुम,आप का , मेरा मतलब आप का,... "
बेचारा भौंरा घबड़ा रहा था झिझक रहा था पर गुड्डी ने खिलखलाते हुए उसे छेड़ा,
" अरे तू भी न कैसा लड़का है , मेरी गली का है , पूरे सात महीने से पीछे पड़ा है , लाइन मार रहा है और अभी तक नाम नहीं मालूम कर पाया, आप तुम में उलझा हुआ है, मेरा नाम नहीं मालूम है क्या,... बोल न काहें को फोन किया,... "
" वो मिस्ड काल थी,... आपकी, तेरी " मुश्किल से वो बोल पा रहा था ,
" अरे यार गलती से दब गया होगा,.. चल काटती हूँ। " गुड्डी बोली लेकिन वो बेचारा तुरंत बोल उठा,...
" नहीं नहीं थोड़ी देर बात करो न , तुम्हारी आवाज अच्छी लगती है मीठी मीठी,... "
" मक्खन, मक्खन, अच्छा चल तेरे लिए एक खुशखबरी, तू मार मिलने के लिए बेचैन हो रहा था न तो चल अगले मंगल को तेरा मंगल हो जाएगा। तुझसे तो हुआ नहीं मैंने जगह का जुगाड़ कर लिया है. "
" कहाँ,... " बेचारा एकदम बेताब, उछल पड़ा, मारे ख़ुशी के।
" अरे तुझे आम खाने से मतलब या पेड़ गिनने से,... " गुड्डी उसे हड़काते बोली।
" नहीं सिर्फ कच्ची अमिया कुतरने से ,... " वो भंवरा बोला।
मान गयी मैं, लौंडा मस्त था. और मेरी ननद की कच्ची अमिया भी तो सारा शहर दीवाना था.
" पीटेगा तू, बहुत जोर से पिटेगा मेरे हाथ से, थोड़ी सी लिफ्ट क्या दे दी,... सुन, यार रोज से तू कॉलेज से मेरे पीछे पीछे आता है कॉलेज ख़तम होने पर बिना नागा, तो बस मंगल को भी कॉलेज बंद होने पर मेरे पीछे पीछे, बस पता चल जाएगा, लेकिन सुन ले तीन तगड़ी शर्ते हैं मेरी , अगर मंजूर हो ,... " गुड्डी मुस्कराते हुए बोली।
" यार तीन क्या तीन सौ शर्तें मंजूर हैं एक बार बोल तो सही." अब भौंरे से रहा नहीं जा रहा था।
" देख पहली शर्त, सिर्फ सात मिनट,... अच्छा चल ज्यादा मुंह मत लटका ओके चौदह मिनट, उससे ज्यादा एक मिनट नहीं, दूसरी बात , सोशल डिस्टेंसिंग पूरे दो गज की , एक इंच भी अगर नजदीक आने की कोशिश की न तो सोच ले , और हाँ तीसरी बात , सिर्फ बातचीत वो भी सीधी साधी, कोई रोमांस वोमान्स नहीं और अगर डबल मीनिंग शुरू किया न तो जबरदस्त पिटाई होगी , सोच लेना,... " गुड्डी अब पूरे रंग में थी, पर भौंरे ने ब्रेक लगा दिया,
" दो गज दूर रहोगी तो पिटोगी कैसे,... " बड़े भोलेपन से उसने पूछा।
" सैंडल खींच के मारूंगी, " खिलखिलाते हुए गुड्डी ने बोला और फोन काट दिया।
मैं समझ गयी अब वो दूसरे वाले को बृहस्पति वार की शाम की डेट देगी। मेरा काम होगया था। अब ये पक्का था गुड्डी रानी होली की शाम को आ जाएँगी , और पूरे २१ दिन ,... और साथ में सिर्फ कम्मो भौजी।
नीचे से जेठानी जी खाने के लिए आवाज दे रहीं थी, मैं नीचे पहुँच गयी और पहुँचते ही खुश खबर सुनाई, गुड्डी से बात हो गयी है , वो तैयार है। होली की शाम को सात बजते आ जायेगी अपना कॉलेज का बैग और कपडे लेकर।
मेरी सास और जेठानी दोनों खुश. जेठ जी ने भी कन्फर्म कर दिया था प्रोग्राम, कल वो दोपहर के पहले आ जाएंगे , हालांकि हम लोग सुबह ही निकल जाएंगे इनकी ससुराल को .
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२१ दिन की ट्रिप ----- पक्की
नीचे से जेठानी जी खाने के लिए आवाज दे रहीं थी, मैं नीचे पहुँच गयी और पहुँचते ही खुश खबर सुनाई, गुड्डी से बात हो गयी है , वो तैयार है। होली की शाम को सात बजते आ जायेगी अपना कॉलेज का बैग और कपडे लेकर।
मेरी सास और जेठानी दोनों खुश. जेठ जी ने भी कन्फर्म कर दिया था प्रोग्राम, कल वो दोपहर के पहले आ जाएंगे , हालांकि हम लोग सुबह ही निकल जाएंगे इनकी ससुराल को .
खाने के समय इन्हे छेड़ने में बहुत मजा आता था, सीधे नहीं तो मेरी ननद और सास के बहाने। वैसे भी उस समय मैं और जेठानी जी एक हो जाते थे, सासू जी न्यूट्रल। जिन चीजों को लेकर मैं जब उन्हें रात में चिढ़ाती थी, तो ये सीधे दूसरे गियर से चौथे गियर में पहुँच जाते और मेरा भुरकुस बना के छोड़ते थे, लेकिन खाने की टेबल पर बेचारे एकदम सीधे बने , सर झुकाये,... आज मैं सासू जी को चिढ़ा रही थी,... कमरे सब बुक हो गए थे , डिटेल भी आगये थे,... मैं सासू जी को बता रही थी, ' देखिये आपकी हर बुकिंग में डबल बेड वाले डीलक्स रूम को आप के बेटे ने बुक कराया है, आप के बेटे बहू से दूर,... जिससे आप के कमरे के शोर का उन लोगों को न पता चले,... केरल में तो मैंने रोज मालिश की बुकिंग कराई है , आखिर दिन भर की थकान,... पैर से शुरू कर के फुल बॉडी मसाज, आखिर घूमने जा रही हैं , पूरा मजा लीजियेग,.... "
जेठानी क्यों अपनी सास की खिंचाई का मौका छोड़तीं, वो भी अपने देवर के सामने, मुझे उन्होंने और चढ़ाया,... " हाँ, वो क्या कह रही थी तू , हाँ क्या तो नाम था , हाँ एस्कॉर्ट उसकी भी बाकी जगह भी बुक करा दे, इनके लिए ,... "
"एकदम दी, अभी कर देती हूँ आपने अच्छा याद दिलाया, आखिर २१ दिन के लिए घर से बाहर जा रही है, फिर इत्ते मंदिर घुमेगीं तो पुराना किया धरा तो सब साफ , इस लिए कुछ नया,... "
पर बात टालने में मेरी सास एकदम अपने बेटे पर गयी थीं , ये सब मजाक अच्छे तो तो उन्हें भी लग रहे थे, लेकिन,... और उनको बात टालने का मौका मिल गया. कम्मो आ गयी थी और वो मुझसे बोलीं,
" अरे इसको बताया की नहीं की २१ दिन तक घर की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर,... " और सासू जी ने पूरी बात बता दी की कैसे वो जेठ जी , जेठानी जी होली की रात में दस बजे की ट्रेन से जा रही हैं, साउथ के लिए और तीन हफ्ते तक कम्मो को कहीं जाना नहीं है , घर रखाना है. "
कम्मो परेशांन, लेकिन सासू जी ने तुरंत उसकी मन की बात समझ ली , और दुलार से मेरी पीठ सहलाते बोलीं , की अरे तू मेरी नयी बहू को नहीं जानती, इसकी माँ ने पूरे बनारस में घूम घूम के के कैसे गाभिन हुईं थी ये तो उनको भी नहीं मालूम लेकिन बिटिया जबरदस्त पैदा की हैं. उसका दिमाग, मैं तो सोच ही नहीं सकती पता नहीं क्या क्या कैमरा अलार्म,... मैं तो सोच रही थी की मैं न जाऊं , लेकिन अब , और फिर सब टिकट कमरा एडवांस में बुक कर दिया है,... "
कम्मो के अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , मैं ने उसे आँख मारी , मुस्करायी भी, पर वो घर की जिम्मेदारी को सोच सोच के , आखिर मुझे बोलना पड़ा,...
" अरे भौजी आप अकेले थोड़ो रहेंगी , आप की छुटकी ननदिया भी रहेगी न , बस जो काम करवाना होगा उस से करवाइयेगा। गुड्डी रानी होली की शाम को ही सात बजे , दिन भर अपने मोहल्ले के लौंडो से होली के खेलने के बाद आ जाएँगी, अब होली में ये तो यहाँ रहेंगे नहीं तो क्या करे वो , लेकिन मुझसे उसकी बात हो गयी है , शाम को सात बजे ही, होली वाले दिन आ जायेगी,.. और इन लोगों की ट्रेन तो दस बजे हैं न , तो सब के जाने के पहले, कॉलेज उसका तो बगल में ही है , छत पर से तो दिखता है, ... बस तैयार होके यहीं से कॉलेज और फिर सीधे यहीं,... ऊपर हम लोगों वाले कमरे में , बाकी सब आप के हवाले,... "
अब कम्मो भौजी मुस्करायीं और सासू जी से बोलीं,
" आप लोग जाइये, मैं घर छोड़के कहीं नहीं जाउंगी, आप लोगों के आने के बाद देखा जाएगा,... ये अच्छी बात है घर में कोई और रहेगा , तो कभी घंटे आधे घंटे बाजार हाट के लिए जाना भी पड़ा."
बरतन रखने में जब किचेन में गयी तो बाकी की बात मैंने कम्मो से कर ली।
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२१ दिन तक ननदिया पर चढ़ाई , रोज, बिना नागा ----- पक्की
बरतन रखने में जब किचेन में गयी तो बाकी की बात मैंने कम्मो से कर ली।
कम्मो का चेहरा चमक उठा, वो बहुत जोर से मुस्करायी। और ख़ुशी से मेरे गले लग गयी और बोली,
" यही मैं परेशान थी, गाँव के लौंडो को मैंने दावत तो दे दी थी लेकिन बोला था आज कल में पक्का करुँगी, होली के अगले दिन के लिए। एक तो ये डर था की वो स्साली आएगी की नहीं, और मान लो आ भी जाती थो घर में सब लोग होते, कैसे सब की नजर बचा के मेरी कोठारिया में , फिर घर में से कहीं कोई आवाज देके बुला लेता, लेकिन सबसे बड़ी डर की बात थी, वो स्साले पठान के लौंडे, बिना गाली दिए चिखवाये, गाँड़ मारते नहीं और उन सबों का है भी बित्ते भर का,... हम दोनों की ननदिया ऐसी जोर से रोयेगी चिल्लायेगी की मोहल्ले भर में सुनाई देगा,... और घर में से,... "
उसकी बात काटते मैं बोली, " अरे सही तो है यार कुँवारी कच्ची कली ननद रानी की गाँड़ फाटे और रोई रोहट चीख चिल्लाहट न हो,... अरे वो नौ नौ आंसू रोये टसुए बहाती रहे और फाड़ने वाला हचक हचक के उसकी गाँड़ मारता रहे, बेरहमी से , तभी तो मजा है ननद की गाँड़ मरवाई का, और एक बार जब गाँड़ परपराती रहे, गाँड़ में मिर्ची लगती रहे, आग लगी रहे, उसी समय दुबारा गाँड़ मरौवव्वल चालू हो जाए,.. "
" एकदम " कम्मो बोली, और अपनी परेशानी भी जाहिर कर दी, " लेकिन मैं यही सोच रही थी की अगर आएगी भी वो घर से कुछ बहाना बना के, दो घंटा या तीन घंटा हद से हद, ओतने में क्या काम बनेगा, आधा एक घंटा तो पटाने में सटाने में लगेगा, है की नहीं,... "
" एकदम " मैंने भी उसी तरह कम्मो से बोला, " लेकिन हम दोनों की ननद की किस्मत और हम दोनों के बनारस वाले भाइयों की किस्मत, ... अब तो होली तो अबकी इतवार को पड़ रही है न, तो इतवार की शाम को वो आ जायेगी, रात में सब लोग दस बजे की ट्रेन से चले जायँगे, उसके बाद तो, हाँ रात को उसको सो लेने देना, जिससे अगले दिन,... अगले दिन तो सोमवार है उसके कॉलेज की छुट्टी, तो फिर नाश्ते के बाद ही कुटाई चालू,... हाँ एक बात और उसके भौंरों की,... मंगल को उसका कॉलेज खुल जाएगा, यही से कॉलेज जायेगी वो और लौटते हुए, अरे वही गली वाला उसका भौंरा उसी से सेटिंग हो गयी है उसकी, तो शाम को वो, शाम उसके नाम,... "
कम्मो और चहकने लगी, " ये तो बहुत अच्छा हुआ, अरे उसके कॉलेज में , गली मोहल्ले में नाम गाम तभी तो होगा जब मोहल्ले के लौंडे कूटेंगे उसको। सोमवार को दिन भर , कम से कम आठ दस घंटा लगातार, पहिले पिछवाड़ा अच्छी तरह से, फिर पिछवाड़ा, अगवाड़ा दोनों, क्या कहते हैं नॉन स्टॉप,... हाँ रात को भले थोड़ा देर से सो जाए, अगले दिन कॉलेज भी तो रहेगा, उसका,... "
मैंने बात आगे बढ़ाई, " एकदम और जब वो दोनों टाँगे फैला के कॉलेज जायेगी, हर कदम पर चलते समय चिल्ख निकलेगी, दोनों गालों पर दांतो के निशान रहेंगे तो उसकी सारी सहेलियों को बल्कि सारे कॉलेज को, सब मास्टरनियों को पता चल जाएगा की इस होली में चिड़िया उड़ने लगी है , बल्कि कस के कूटी गयी है दोनों तरफ से, ...
" एकर जिम्मेदारी हमारे ऊपर छोड़ दो, अरे दूर से पता चल जाएगा देख के अच्छी तरह चोदी गयी है,... " हँसते हुए कम्मो मेरी बात काटते बोली , लेकिन तभी उसका फोन घनघनाने लगा और वो बात रोककर उससे बतियाने लगी,... हाँ हाँ पक्का , सोमवार , होली के अगले दिन , ठीक नौ बजे पहुँच जाना, नौ का सवा नौ न हो , सोच ले ,.... हाँ ,... हाँ ,... एकदम कोरा पिछवाड़ा है उसका,...कैसे घोंटेंगी तेरा,... अरे तो तू किस मर्ज की दवा है,... रोये चिल्लायेगी तो रोने देना , मैं रहूंगी ना , ... "
और कम्मो ने फोन बंद करते हुए मुझे समझाया, अरे वही पठान का लौंडा जावेद, जिसके बारे में मैं कह रही थी की चार बच्चे वाली भी पनाह मांगती हैं उससे,... पूरा बित्ते भर का यौ मोटा, एकदम मेरे देवर की तरह का,... और लौंडिया ने ज़रा सा नखड़ा किया न तो मार मार के चूतड़ लाल कर देता है,... "
लेकिन मेरे पास एक सवाल और था,... " लेकिन आप ने कहा था , तीन पठान के,... "
" अरे अभी तो मैं सोच रही थी चिड़िया कितनी देर के लिए , लेकिन अब तो हम लोगों की मुट्ठी में ही है , तो अभी उन दोनों को भी पक्का करती हूँ,... वो दोनों लौंडे नहीं है पूरे मरद हैं ३० -३२ के, कसरती, बड़ी ताकत है दोनों की देह में, पीस के रख देते हैं, स्सालों का तो लगता है किसी ने काट के गदहे का लगा दिया है , आज तक जो औरत उन दोनों के नीचे आयी , दुबारा उसकी आने की हिम्मत नहीं पड़ी, महीनो से भूखे हैं दोनों, बात तो हो गयी थी दोनों से आज मैंने बोला था की शाम तक या कल सुबह तक पक्का करुँगी, तो अभी उन दोनों को भी , वो दोनों सुबह देर से उठते हैं इसलिए उन दोनों को ग्यारह साढ़े ग्यारह बजे तक , तब तक वो लौंडा उस का पिछवाड़ा एक बार खोल देगा,... " कम्मो बोल ही रही थी की मेरे फोन पर तीन बार बनारस से फोन बजा, एक बार अनुज का और दो बार गुड्डो का,...
और मैं कम्मो के पास से ऊपर अपने कमरे में चली आयी।
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(10-11-2023, 09:22 AM)Chandan Wrote: superbbb update
Thanks so much for nice words
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रस बनारस का -
और मैं कम्मो के पास से ऊपर अपने कमरे में चली आयी।
गुड्डो का दो बार फोन मतलब अनुज के बारे में कुछ ख़ास बात और फिर दस पन्दरह मिनट से कम तो उसकी बात होगी नहीं, इसलिए अपने कमरे में पहुंचकर आराम से ही उससे अपने देवर का हालचाल पूछती थी,
और आज मैंने जैसे फोन लगाया जैसे उस उम्र की लड़कियों की हालत होती है बस बहुत देर तक गुड्डो खिलखलाती रही और फिर मैंने डपट कर उसे चुप कराया और हड़काया की क्या हुआ अनुज ने तेरी ले ली क्या जो इत्ती खुश लग रही है,.. तो तुरंत उसने आवाज और अंदाज दोनों बदला और उदास बन के बोलने लगी, ...
" कहाँ आप भी न जले पर आयोडीन युक्त नमक छिड़क रही हैं,... मन करता है मैं किताब होती, कम से वो अपने सामने खोल के तो रखता,... "
और फिर खुद गियर बदल के चहचाते बोली, ..." लेकिन दो तीन दिन और होली और उसके अगले दिन इम्तहान आपके देवर का, ... "
बात काट के उसकी मैंने चिढ़ाया,
"फिर लेगा मेरा देवर तेरी हचक हचक के यही न "
फिर उसका खिलखिलाना चालू हो गया किसी तरह रुक के बोली,
" और नहीं तो हम लोग आपके देवर की ले लेंगी, सरे बाजार उसकी इज्जत लूट लेंगी। " और दुबारा खिलखिलाना चालू और रुकी तो मेरे ऊपर अलफ़, " आप भी न सब भुलवाय देती हैं , आप देवर की जबरदस्त ईद हो गयी,... "
तभी मुझे याद आया इस बार होली और ईद साथ साथ ही पड़ने वाली थी, हाँ कल ही तो थी ईद,...
मैं बड़ी जोर से मुस्करायी और अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी और बीच में बात काटने की उसकी, मैंने हुए पूछा,...
" हे छोटी है या, कैसी है ,.. "
गुड्डो हँसते हुए बोली,
" छोटी है मुझसे , लेकिन छोटा नहीं है , मुझसे पूरे आठ महीने छोटी है लेकिन मुझसे बड़ा ही होगा, ३२ सी,... और हाँ मैं उसकी फोटुएं भेज रही हूँ , देख लीजिये अपने देवर के लेटेस्ट माल को, ... और बीच में टोकियेगा मत। "
मैंने टोका तो नहीं लेकिन व्हाट्सऐप पर फोटो देख ली , आधी दर्जन थीं पूरी , एकदम मस्त माल, कड़क,...
" माल तो एकदम मस्त है,... " मेरे मुंह से निकल गया ,
" एकदम लेकिन अब बीच में मत बोलियेगा , नाम उसका है अरिष्फा खान."
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मिस खान
मैंने टोका तो नहीं लेकिन व्हाट्सऐप पर फोटो देख ली , आधी दर्जन थीं पूरी , एकदम मस्त माल, कड़क,...
" माल तो एकदम मस्त है,... " मेरे मुंह से निकल गया ,
" एकदम लेकिन अब बीच में मत बोलियेगा , नाम उसका है अरिष्फा खान."
और मैं बिना बोले सुनती रही, गुड्डो सुनाती रही।
अरिष्फा खान,
कॉलेज में भी गुड्डो से एक क्लास नीचे थी, घर भी उन लोगों के घर से सटा, एक कॉमन बड़ी सी छत जिसपर औरतें बड़ियाँ सुखातीं, बहुये सास की और सास बहुओं की बुराई करती, छोटी छोटी लड़कियां छत पर एकट दुकट्ट खेलते कब बड़ी हो गयीं उन्हें तब तक पता नहीं चलता जब तक मोहल्ले के लौंडे देखकर सीटी बजाना नहीं शुरू करते और पड़ोस की आंटियां दुपट्टे ठीक करने के लिए टोकती नहीं।
लेकिन अरिष्फा का पूरा घर परदे का एकदम पाबंद, और घर में सिर्फ वो और उसकी माँ , अब्बा कतर में थे, दो तीन साल में एकाध बार,...परदे का ये हाल था की गुड्डो छेड़ती भी थी, तू तो टॉयलेट भी बुर्का पहन के जाती होगी।
पर्दा चाहे जितना लेकिन जबान उसकी भी कैंची ऐसी ,
गुड्डो को चिढ़ाती,
"यार तू सब खान लोगों की दीवानी होती हो न, सलमान खान, ये खान वो खान , तू कह तो तेरे लिए किसी खान का जुगाड़ करवा दूँ,... मेरे ढेर सारे कजिन्स हैं,. "
गुड्डो उस पे चढ़ बैठती यार मुझे कटा पिटा नहीं चाहिए , मुझे तो पूरा चाहिए, ज़रा भी कम नहीं। और तेरे भाई तो पता नहीं कब वो भाई से दूल्हा भाई हो जाएँ, नहीं हाँ तुझे कोई पूरा वाला चाहिए तो बता देना।
परदे का एक फायदा भी था , अरिष्फा सब को देख लेती थी और उसे कोई नहीं देख पाता था,
. वो नीली शर्ट वाला,
वो लड़कियों के कॉलेज की छुट्टी के समय प्रेस वाले के ठेले के सामने जो लड़के आ कर खड़े हो जाते हैं,
सब उसे मालूम थे, ... और जब से अनुज आया, अरिष्फा का छत पर निकलना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था, अनुज के कमरे की खिड़की छत पर ही खुलती थी. गुड्डो नोटिस तो करती ही थी लेकिन कुछ बोलती नहीं थी, लेकिन एक दिन अरिष्फा खुद उससे बोली, ...
हे वो भैया जो आये हैं तेरे यहाँ, कित्ते सीधे हैं, इटेंलीजेंट और कित्ते हैंडसम, हरदम खाली पढ़ने में ध्यान लगाए रहते हैं, ...
तो गुड्डो मौक़ा क्यों छोड़ती, बोली,
कमीनी, बुरका उतार दे तो चलवा दूँ तेरा चक्कर, और इंटेलिजेंट तो हैं ही, इंजिनयरिंग का एक्जाम दे रहे हैं और हो गया, हो गया क्या हो तो जाएगा ही , यही बी एच यू में आई आई टी में इंजिनयरिंग पढ़ेंगे, पर अरिष्फा इत्ती सीधी भी नहीं थी, पलट के बोली,
हे मैं उन्हें भैया बोल रही हूँ और तू,....
अब मुझसे रहा नहीं गया, हँसते हुए गुड्डो से बोली, " अरे यार तूने ये बताया नहीं उसे की अनुज के शहर का क्या रिवाज है। "
गुड्डो पलट के बोली, एकदम अरे आप ही की साइड की हूँ ये मौका छोड़ती।
गुड्डो ने अपनी सहेली से कहा
तू ऐसे भैया बोलेगी न तो जानती है वो जिस शहर का हैं वहां जित्ते लड़के हैं सब के सब पक्के बहनचोद, और उनकी बहनें सब की सब भाई चोद.
अरिष्फा ने हँसते हुए गुड्डो की पीठ पर कस के एक मुक्का मारा बोली ,
" तब तो मैं दस बार कहूँगी, भैया भैया भैया। भैया के अलावा कुछ नहीं कहूँगी।
" तो तेरी लिए बिना नहीं छोड़ेगा वो, एक बार इक्जाम ख़तम हो जाने दो उसका फिर मत चिल्लाना की भैया ने ले ली , फट गयी मेरी। "
गुड्डो ने गुदगुदी लगाते हुए उसे चिढ़ाया।
" हे तेरी क्यों सुलगती है , भाई बहन में चाहे जो कुछ हो, मेरे भैया उनकी मर्जी , तू कौन सी मेरी ननद लगेगी जो तेरी फट रही है। "
उसकी सहेली भी भले हरदम बुर्का डाटे रहती हो ओर जुबान उसकी भी बनारसी थी.
और तभी ईद आ गयी, और अरिष्फा का बहुत मन था , अनुज को सेंवई खिलाने का ,
लेकिन गुड्डो को चिढ़ाने का मौका मिल गया, वो अपनी सहेली से बोली,
भैया ने कहा अरे भैया बोलती है तो पर्दा क्यों , बिना बुर्के के आएगी और अपने हाथ से खिलाएगी , और जब तक खिलाएगी जैसे खिलाएगी, जैसे वो चाहेंगे। कोई ना नुकुर नहीं, वर्ना रहने दे, वैसे भी तीन चार दिन बाद उनका पेपर है.
बेचारी अरिष्फा, घर से बाहर निकलती कैसे, रास्ता निकल ही गया. वो निकली तो बुर्के में लेकिन अनुज के कमरे में घुसने के पहले उसने उतार दिया। हाँ गुड्डो ने एक रास्ता ये निकाला की अनुज के आँख में मोटी काली पट्टी बाँध दी जाये, उसकी सहेली के कमरे में घुसने के पहले।
उसने अरिष्फा को मना भी लिया की यार तू पर्दा इसलिए करती हैं न की कोई तुझे देख न पाए, बस तो तेरे उस भैया के आँखों में तगड़ी पट्टी बाँध दूँगी मैं कुछ भी नहीं दिखेगा उसे , और तू मन भर के देख लेना, खिला देना , जो कुछ करना चाहे कर लेना, भाई बहन के बीच तो मैं बोलूंगी भी नहीं।
और उस दिन बहुत कुछ हुआ , सेंवई खिलाने के साथ साथ ' सिवाय असली चीज " के. छूना पकड़ना , रगड़ना मसलना। और अगर आपके देवर एक बार कहते तो वो उसके लिए भी तैयार हो के आयी, अपनी कुँवारी कोरी बुलबुल को साज संवार के ,
अनुज ने बोल दिया की यार तेरी सहेली तो मुझे देख रही है मैं नहीं देख पा रहा हूँ ये नाइंसाफी है.
और गुड्डो ने फैसला सुना दिया चल यार तू छू के देख ले , ... फिर गाल , होंठ , दोनों उभार,... और अंत में अनुज की शार्ट के ऊपर से कस के गुड्डो ने अपनी सहेली के हाथों में अनुजा का तन्नाया खूंटा भी पकड़ा दिया , और पकड़ने के बाद रगड़ना मसलना , ...
मुझसे रहा नहीं गया मैंने गुड्डो से पूछ ही लिया, सिर्फ हाथ से ही पकड़वाया, या वो दोनों संगमरमरी गोलाइयाँ ३२ सी वाली,
गुड्डी बड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर बोली, मैं आपकी ट्रेन की हूँ , ये मौका छोड़ती। अरे आधी सेंवई उन्ही दोनों पर तो लपेट के, मैंने उसको समझाया, यार हाथ से तो तेरे इस भैया ने छुआ भी दबाया भी मसला भी रगड़ा भी तो होंठों ने क्या गुस्ताखी की है , दोनों तो चमड़े की हैं, ... फिर तेरे भैया हैं, ... और सेंवई ऐसे तो मजा नहीं आएगा थोड़ी क्रीम मिला देते हैं , तो फ्रेश क्रीम लगा के भी, आपके देवर ने भी खूब सपड़ सपड़,...
" फोटो भेज, मैं मान नहीं सकती तूने क्लिक न की हो पिक" मैंने गुड्डो को हड़काया और अगले ही पल मेरे व्हाट्सऐप में पिंग पिंग ,
ईद अनुज की अच्छी मन गयी और अनुज के सामने ही गुड्डो ने उससे प्रॉमिस करवा लिया, तूने ईद में सेवई खिलाई है तो तेरे भैया भी तुझे एक्जाम के बाद रबड़ी मलाई खिलाएंगे कटोरी भर भर के ,...
और अरिष्फा अनुज से ही बोली, ' भैया याद रखना, मैं नहीं पीछे हटने वाली, और तू नहीं खिलाओगे तो मैं खुद ,... "
लेकिन असली राज गुड्डो ने बाद में खोला जब मैंने उससे कहा की यार ये माल तो देखा लगता है तो हँसते हुए वो बोली
आप भी अरे ये बड़ी घाघ है , बिना परदे के एक अलग नाम से चमक बिजली और मिस चमको के नाम से ढेर सारे वीडियो उसके टिकटोक पर हैं , परदे के चक्कर में मोहल्ले में उसकी शकल तो किसी ने देखि नहीं तो मेरे सिवाय किसी को मालूम नहीं , और एक से के हॉट भोजपुरी भी टिकटोक पे हैं ,
" हे सुन जैसे वो मलाई खा ले न तो उसके दो चार अच्छे वाले फ्रेश वीडियो बना के उसके अपने नाम से डाल देना, फिर उसका सब पर्दा वरदा,... "
" आपने एकदम सही आइडिया दिया, आप बस देखते जाइये , होली के बाद मिस खान टिकटोक की मशहूर हीरोइन हो जाएंगी , और अपने देवर से बात करनी है ,"
गुड्डो बोली और जा के अपना फोन अनुज को पकड़ा दिया।
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अनुज
अनुज अपने कमरे में पढ़ रहा था और गुड्डो ने जा के फोन उसे दे दिया और गुड्डो को कुछ किचेन में काम था वो वहीँ चली गयी और मैं अनुज से बात करने लगी।
मन तो उसे चिढ़ाने का बहुत हो रहा था, लेकिन मैंने अपने ऊपर कंट्रोल रखा, सिर्फ उससे पढ़ाई लिखाई की बात की. वो बहुत कॉन्फिडेंट भी था खुश भी , बोला,
"भाभी आपने एकदम सही कहा था की मैं यहाँ रुक जाऊं, सब लोग बहुत ख्याल करते हैं, पढ़ने के अलावा और किसी बात की चिंता नहीं, और गुड्डो तो है ही उससे भी बढ़कर एकदम उसकी मम्मी, भाभी, एकदम आपकी तरह, इतना ख्याल करती हैं , कोचिंग भी बहुत अच्छी है। ऑनलाइन भी बहुत हेल्प हो जाती है."
" और तेरा स्क्रीनिंग का रिजल्ट कब तक आ जाएगा, ... " मैंने पता किया , तो वो बोला,
" भाभी रिजल्ट तो आठ दस दिन में आ जाएगा , अंदाज काफी कुछ उसी दिन शाम को चल जायेगा। "
मेरी समझ में नहीं आया लेकिन उस ने समझा दिया।
ओ एम् आर जिसमें लड़के आंसर भरते हैं वो डुप्लीकेट में कार्बन कॉपी की तरह भरी जाती है, एक शीट पर पेन्सिल से निशान लगाएंगे तो नीचे वाली शीट पर अपने आप मार्क आ जाता है , ऊपर वाली शीट कॉपी के साथ चेक होने के लिए जमा हो जाती है और नीचे वाली शीट को इंविजिलेटर साइन करके परीक्षार्थी को दे देता है. कोचिंग वाले एक्जाम हाल से बाहर निकलते ही लड़कों से ये शीट लेकर स्कैन कर लेते हैं।
जे ई ई की साइट पर इक्जाम ख़तम होने के आधे घंटे के अंदर ही पेपर आन लाइन पब्लिश हो जाता है, बस सिम्पल। कोचिंग वाले उस की आंसर शीट बना के उससे स्कैन्ड शीट को चेक कर अपनी साइट पर पर्सेंटेज लगा देते हैं। पिछले साल ५२. ४ क्वालियाफयिंग गया था और पांच सालों में मैक्स ५४. ७ कट आफ था , और वो कोशिश कर रहा है की उसके ६० % के ऊपर ही आये. तो बस स्क्रीनिंग में हो जाना चाहिए लेकिन असली लड़ाई तो मेंस ही है।
मैं चुपचाप सुन रही थी। बात उसकी सही थी.
अनुज ने बात अपनी जारी रखी। वो मुझे बता रहा था की बनारस में जिस कोचिंग में वो है , उसने एक स्कीम बनाई है, जिन लोगों की शीट वो स्कैन करेंगे उनमे से आल इण्डिया लेवल पर जो टॉप १५ % होंगे या बनारस में जो टॉप १0 होंगे या जिनके नंबर ५७ % से ऊपर होंगे उनके लिए वो अगले हफ्ते से , स्क्रीनिंग टेस्ट के पांच दिन बाद से एक १२ इन का बूट कैम्प लगाएंगे, ... स्क्रीनिंग के रिजल्ट के बाद तो मेन के लिए सिर्फ तीन हफ्ते बचेंगे न , इसलिए बिना
स्क्रीनिंग का रिजल्ट का इन्तजार किये , और उसमे ओवर ऑल इंडिया के बेस्ट फिजिक्स और मैथ के टीचर आएंगे
और अचानक, अनुज चुप हो गया.
मुझे उस की चुप्पी में उदासी झलक रहा था , और मेरा देवर उदास, मुझसे नहीं देखा जा सकता था ,
" तो कर लो न बूट कैम्प, क्या बात है, फ़ीस क्या बहुत ज्यादा है ? मैंने उससे पूछा।
" अरे नहीं भाभी, फ़ीस तो कुछ नहीं है. जो टफ स्टैण्डर्ड उन्होंने रखे हैं ज्यादातर तो वहीँ हैं जिनका सेलेक्शन होने का पूरा चांस है, हाँ इस इंटेंसिव कोचिंग के बाद इनमे से जो टॉप १०० में आये तो अखबार में फुल पेज के ऐड, होर्डिंग पर फोटो, अरे जो टॉप १०० में आते हैं उनके पीछे तो तमाम कोचिंग वाले पड़े रहते हैं , झूठ सच बोल दें की उनकी कोचिंग में थे,... उन्हें तो बेस्ट मार्केटिंग चांस मिल जाता है , फ़ीस का मामला नहीं है ,... "
अब उस का मूड कुछ ठीक हुआ , उसने मुझे समझाया।
लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आया.
" यार मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है , खुल के बोल न. अब तुझे ये कैम्प तो करना है , और होर्डिंग पर तेरी फोटो भी लगनी है , सोच ले ये तेरी भाभी का हुकुम है लेकिन परेशानी बता न, ... "
मैंने पूछ लिया।
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कोचिंग का प्रोग्राम -२१ दिन
" यार मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है , खुल के बोल न. अब तुझे ये कैम्प तो करना है , और होर्डिंग पर तेरी फोटो भी लगनी है , सोच ले ये तेरी भाभी का हुकुम है लेकिन परेशानी बता न, ... " मैंने पूछ लिया।
" अरे भाभी आप भी न , सुनिए , पांच दिन बाद तो शुरू होगा एक्जाम के फिर १२ दिन का कैम्प , एक दो दिन और जोड़ लीजिये , यानी १९ -२० दिन होली के बाद , गुड्डो की मम्मी भाभी क्या सोचेंगी, ... उनके यहाँ इस तरह चार पांच दिन के लिए रुका था इक्जाम के लिए ,... मेरी हिम्मत नहीं हो रही , उनसे बोलने की और वो इतनी अच्छी, इतनी अच्छी है , लेकिन उन्हें क्या लगेगा ,... "
वो बहुत परेशान लग रहा था.
लेकिन मैं जोर जोर से हंस रही थी , फिर किसी तरह हंसी रोक के बोली,
" मुझे मालूम है वो क्या करेंगी , तुझसे बोलेंगी , स्साले मुड़ निहुर , और किचेन वाला मोटा बेलन तेरे पिछवाड़े,... अच्छा चल मैं उनसे बात कर लुंगी। "
अनुज ने गहरी सांस ली जैसे बड़ा बोझ उतर गया हो उसके ऊपर से। पर एक बात मेरे मन में उमड़ घुमड़ रही थी तो मैंने पूछ ली,
" यार ये बता तेरी रैंक अच्छी आने का पूरा चांस है , तो तू बजाय दिल्ली बंबई के आई आई टी बी एच यू के चक्कर में क्यों पड़ा है , सब लोग तो बम्बई दिल्ली कानपुर कुछ भी मिल जाए और तू बनारस,... "
फिर कुछ रुक के उसे चिढ़ाते हुए मैंने छेड़ा,...
" कहीं गुड्डो के चक्कर में तो नहीं ? "
वो बड़ी जोर से शरमाया और धीमे से बोला,
" भाभी, ... भाभी,... आप जानती हैं तो पूछती क्यों हैं? "
लेकिन कुछ रुक के उसने अपना प्लान पूरा पता दिया। हम दोनों देवर भाभी के साथ एकदम दोस्त की तरह भी थे। "
" भाभी, सिर्फ इंजीयरिंग से तो होगा नहीं या मैनेजमेंट या एम् एस वो भी कहीं फॉरेन में , तो मैंने तय कर लिया है सेकेण्ड ईयर से ही शुरू कर कैट की तैयारी, थर्ड इयर में कैट की कोचिंग भी ज्वाइन कर लूंगा, ... और पूरी कोशिश करूँगा की टॉप तीन आई आई एम् में हो जाए, साथ में इंजीयरिंग की ग्रेड भी अच्छी रहे तो कैम्पस में आराम रहेगा। "
प्लानिंग उसकी परफेक्ट थी, पर था तो देवर ही , बिना उसे चिढ़ाए मैं फोन रखने वाली नहीं थी,...
" हे सुन अगर बनारस का रस चाहता है न तो अभी स्क्रीनिंग के एक्जाम तक जम के पढ़ाई कर, उसके बाद लेकिन वो पांच दिन एकदम पढ़ाई नहीं फुल रिलेक्स और फिर बूट कैम्प में रगड़ के पढ़ाई,... अब तुम २० दिन बाद ही घर का रुख करना मैं भाभी से भी बात कर लुंगी और हाँ कल मैं अपने मायके आ रही हूँ दस दिन के लिए , तो बीच में बनारस आउंगी ूतझसे मिलने ,... और ये फोन तो गुड्डो का है न उसे दे दे ,... "
गुड्डो और मम्मी अनुज के कमरे में पढ़ाई के समय नहीं आती , गुड्डो भी फोन दे कर दूसरे कमरे में चली गयी थी , अनुज ने उसे बुला के फोन दे दिया और गुड्डो फिर अपने कमरे में ,
मैंने उससे सिर्फ यही पूछा की मम्मी है उसकी तो वो बोली की शाम को आएँगी और वो बोल देगी उनको बात करने के लिए।
" होली में क्या कर रही हो तू " मैंने पूछा तो फिर तो जो उसने बताया मान गयी मैं उसे और उससे बढ़कर भाभी को,
होलिका दहन के दिन तो शाम को वो लोग जाएंगी, अनुज को भी ले जाएंगी, होलिका की पूजा में व्रत कर रही थी वो अनुज के लिए।
, लेकिन उसके बाद, घर बंद, चारो ओर दरवाजे खिड़की पर मोटे मोटे परदे, जिससे बाहर का हल्ला गुल्ला अंदर तक न आए, ...
वो लोग होली, रंग पंचमी के तीसरे दिन मनायेगीं , अनुज के इम्तहान के एक दिन बाद।
और सबसे बड़ी बात , होली और जिस दिन अनुज का इक्जाम है, वो दोनों लोग व्रत रखेंगी , इक्जाम के दिन तो निर्जला, और इक्जाम सेंटर से ही मा बेटी दोनों लोग अनुज को ले के सब मंदिर जायेगीं, फिर कशी चाट भण्डार में चाट और मिश्रांबू भांग वाली ठंडाई पी कर व्रत तोड़ेंगी।
गुड्डो हंस रही थी और साथ मेंमैं भी लेकिन सोच रही थी कैसी है ये लड़की। पहले से ही सात सोमवार और सात शुक्रवार का, ...
और फोन काटने के पहले गुड्डो ने बोला की उसकी मम्मी ने अनुज के फाइनल सेलेक्शन के लिए गंगा मैया की आर पार की चुनरी भी मान रखी है।
…
सीढ़ी से नीचे उतरते समय मैं सोच रही थी, अनुज के बारे में,
शार्प तो वो है ही, लेकिन कितनी लगन और कमिटमेंट है,... स्क्रीनिंग के बार में तो मैं पक्की श्योर थी, लेकिन अगर ये जो उसने बूट कैम्प की उसने बात की, अगर वो कर ले तो मेंस में भी उसका चांस २०-२५% बढ़ जाएगा, और ये मौक़ा यहाँ तो मिल नहीं सकता, बेस्ट टीचर और उससे बढ़कर सेलेक्टेड स्टूडेंट, टफ कम्पटीशन, परफेक्ट माहौल,... ये तो अच्छा हुआ मैंने पूछ लिया।
मैं मुस्करायी, लेकिन है पागल, आधा नहीं पूरा पागल। झिझक कितनी, की कैसे भाभी से बोलेगा इतने दिन और,... चल मैं बोल दूंगी, उन्हें तो अच्छा ही लगेगा,... और दिन भी कितने, स्क्रीनिंग के बाद पांच दिन, और वो मैंने साफ़ साफ़ बोल दिया है नो बुक्स , सिर्फ मस्ती और आराम, ...बूट कैम्प के पहले एकदम फ्रेश माइंड से, बूट कैम्प में तो पूरी रगड़ाई होनी ही है,... और कुल कितने दिन, पांच दिन वो बूट कैम्प बारह दिन का यानी , पांच और बारह , कुल सत्रह और दो तीन दिन और, मतलब बीस -इक्कीस दिन।
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२१ दिन
इक्कीस दिन ,
सोचते ही मेरे दिमाग में कुछ चमका, मैं जोर से खिलखिलाई और उतरते उतरते एक पल के लिए ठहर गयी।
यही तो, यही तो। अब मेरी ननदिया की अच्छी तरह लिखी जायेगी मोटी वाली कलम और सफ़ेद स्याही से।
मैंने जेठ जेठानी और सासु जी का २१ दिन का ट्रेवेल पॅकेज तो बना दिया था, २१ दिन के लिए घर भी खाली , गुड्डी रानी भी राजी और मेरी सास ने उसके घर से भी,
कम्मो का शैतान दिमाग भी चालू हो गया था , गुड्डो रानी ने भी अपने भौंरो को दावत देना शुरू कर दिया था,... लेकिन,
यह एक बहुत बड़ा लेकिन था क्या वो सच में २१ दिन रह पाएगी। दो चार दिन की बात और. और मुझे लग रहा था की संडे को मेरी सास जेठ जेठानी जाएंगे, उसी दिन मेरी ननद रानी आ जाएंगी,... अगले दिन मंडे से , लेकिन उसी दिन सोमवार को ही तो अनुज की स्क्रीनिंग ही और उसके दो तीन दिन बाद, अनुज लौट आएगा, बृहस्पति हद से हद शुक्रवार, और वो अगर आगया तो घर रखाने की जिम्मेदारी उसके ऊपर, ... और कुछ नहीं तो वो भी आ जाएगा साथ साथ साथ रहने, फिर सारा प्लान,
मैंने खुद रीत दी वाले ऐप से सुना था , एक को उसने मंगल को दावत दी तो दूसरे को बृहस्पति को, और अगर एक बार उसने अपने कॉलेज के यारों के सामने टाँगे फैलानी शुरू कर दी तो इतनी जल्दी पर्दा गिरने पर, ...
लेकिन अब एकदम पक्का २१ दिन होली के बाद अनुज बनारस में और मेरी ननदिया यहाँ, अकेले कम्मो भौजी की निगरानी में,... अब तो कोई रोक नहीं सकता उसकी दुरगत होने से,
मैं सीढ़ी पर खड़ी खड़ी यही सोच रही थी, ...
कल यहीं तो मैं और कम्मो उसे खूब चिढ़ा रही थीं जब उसके भैया ने उसकी नथ उतार दी थी, ' तेरे भैया के बाद अब हम दोनों के भैया लोगों का नंबर लगेगा, चार पांच से कम नहीं एक दिन में।
वो बेचारी एकदम घबड़ा रही थी, नहीं नहीं भाभी एक दिन में चार पांच बार नहीं , नहीं , पर कम्मो भौजी भी न, शीशे में उतारने में उनका कोई सानी नहीं, चाहे देवर हो चाहे ननदें। उन्होंने जोर से मेरी टीनेजर ननद के गाल पे चिकोटी काटी और मामला साफ़ किया , ... और बोलीं ,
" ननद रानी, चार पांच बार नहीं , चार पांच हम लोगों के भैया, अब तीन बार से कम तो कोई करेगा नहीं तो समझ लो पंद्रह बार,... "
मेरी मैथ्स अच्छी है जो मैंने ननद रानी की कच्ची अमिया दुलार से सहलाते जोड़ के बता भी दिया,
' यार पहली बात, तुझे तो कुछ करना नहीं , बस अपनी ये प्यारी प्यारी लम्बी गोरी टाँगे फैला देना, या कुतिया की तरह निहुर जाना, बस. उसके बाद तो करेंगे हमारे भैया लोग, तेरे शहर के यार ,... और फिर कितना टाइम पंद्रह, बीस मिनट। तो अगर बीस मिनट भी जोड़ा तो पन्दरह बार में कितना कुल ३०० मिनट या ६ घण्टे,... तो २४ घंटे के दिन में २५ % ही तो हुआ , बाकी टाइम में गली मोहल्ले वालों से नैन मटक्का करना नए नए जोबन मिसवाना। हाँ एक बात और तुम सब ननदें मुझे बहुत चिढ़ाती थी न, मेरी सेंचुरी २० दिन में लग गयी थी, तेरे भैया के साथ तो तेरी सेंचुरी देखना एक हफ्ते में लग जाएगी। "
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10-11-2023, 07:54 PM
(This post was last modified: 10-11-2023, 07:55 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सेंचुरी
पूरे २१ दिन , २१ दिन में तो उसकी, कुछ दिन पहले की तो बात है जब मैं शादी में आयी थी, जरा सी गारी सुनने पर ऐसी उचकती थी, गरम तवे पर जैसे कोई छींटा मार दे वैसे छनकती थी, ...
एक किया दो किया साढ़े तीन किया , हिन्दू * किया तुरक पठान किया, कोरी,चमार किया अरे सौ -सौ छैले हमरे मायके के , ...
कैसे बुरा मान के मुंह बिचकाती थी,
अब सही मौका है , तीन हफ्ते में सच मुच् सौ चढ़ जाएँ उसके ऊपर, सौ लौंडो की सेंचुरी बन जाए,... मेरा दिमाग तेजी से काम कर रहा था, कम्मो ने वैसे ही अपने गाँव जवार के , लेकिन अब जब २१ दिन का पक्का हो गया, ...
और जितना उसके शहर वाले, १४ भौंरे तो उसकी अपनी लिस्ट में ही थे, ... कम से कम ८ -१० तो उसमें से ही ,
फिर उनके भी कुछ यार दोस्त होंगे, फिर उसकी सहेलियां , उनके यार, भाई , उसकी पक्की सहेली लीला तो रोज बिना नागा अपने सगे भाई का लीलती है, तो उसका वो भाई ही,...
और वो दोनों पड़ोस वाली दोनों लड़कियां जो होली खेलने आयीं थी और मैंने और कम्मो ने पटक के , जबरदस्त ऊँगली, दोनों की अच्छी तरह पहले से फटी थी, उनके यार,..
असली मजा तो तब आएगा , जब उसकी सहेलियों के सामने, कॉलेज मोहल्ले की लड़कियों के सामने लौंडे चढ़ेंगे, उसके ऊपर,...
मैंने तय कर लिया था अभी कम्मो से मिल के,... कम्मो ने तो अपने गाँव जवार के मैं भी रीतू भाभी से बात कर के,... नहीं तो जो ग्वालिन भौजी हैं दूध दुहने आती हैं , अहिराने के भरौटी के, अरे वो लड़के गाँव जवार के नाते मेरे भाई ही तो लगेंगे,...
लेकिन तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,
नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं
मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.
लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, ...
" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,... " 208
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२१ दिन
इक्कीस दिन ,
सोचते ही मेरे दिमाग में कुछ चमका, मैं जोर से खिलखिलाई और उतरते उतरते एक पल के लिए ठहर गयी।
यही तो, यही तो। अब मेरी ननदिया की अच्छी तरह लिखी जायेगी मोटी वाली कलम और सफ़ेद स्याही से।
मैंने जेठ जेठानी और सासु जी का २१ दिन का ट्रेवेल पॅकेज तो बना दिया था, २१ दिन के लिए घर भी खाली , गुड्डी रानी भी राजी और मेरी सास ने उसके घर से भी,
कम्मो का शैतान दिमाग भी चालू हो गया था , गुड्डो रानी ने भी अपने भौंरो को दावत देना शुरू कर दिया था,... लेकिन,
यह एक बहुत बड़ा लेकिन था क्या वो सच में २१ दिन रह पाएगी। दो चार दिन की बात और. और मुझे लग रहा था की संडे को मेरी सास जेठ जेठानी जाएंगे, उसी दिन मेरी ननद रानी आ जाएंगी,... अगले दिन मंडे से , लेकिन उसी दिन सोमवार को ही तो अनुज की स्क्रीनिंग ही और उसके दो तीन दिन बाद, अनुज लौट आएगा, बृहस्पति हद से हद शुक्रवार, और वो अगर आगया तो घर रखाने की जिम्मेदारी उसके ऊपर, ... और कुछ नहीं तो वो भी आ जाएगा साथ साथ साथ रहने, फिर सारा प्लान,
मैंने खुद रीत दी वाले ऐप से सुना था , एक को उसने मंगल को दावत दी तो दूसरे को बृहस्पति को, और अगर एक बार उसने अपने कॉलेज के यारों के सामने टाँगे फैलानी शुरू कर दी तो इतनी जल्दी पर्दा गिरने पर, ...
लेकिन अब एकदम पक्का २१ दिन होली के बाद अनुज बनारस में और मेरी ननदिया यहाँ, अकेले कम्मो भौजी की निगरानी में,... अब तो कोई रोक नहीं सकता उसकी दुरगत होने से,
मैं सीढ़ी पर खड़ी खड़ी यही सोच रही थी, ...
कल यहीं तो मैं और कम्मो उसे खूब चिढ़ा रही थीं जब उसके भैया ने उसकी नथ उतार दी थी, ' तेरे भैया के बाद अब हम दोनों के भैया लोगों का नंबर लगेगा, चार पांच से कम नहीं एक दिन में।
वो बेचारी एकदम घबड़ा रही थी, नहीं नहीं भाभी एक दिन में चार पांच बार नहीं , नहीं , पर कम्मो भौजी भी न, शीशे में उतारने में उनका कोई सानी नहीं, चाहे देवर हो चाहे ननदें। उन्होंने जोर से मेरी टीनेजर ननद के गाल पे चिकोटी काटी और मामला साफ़ किया , ... और बोलीं ,
" ननद रानी, चार पांच बार नहीं , चार पांच हम लोगों के भैया, अब तीन बार से कम तो कोई करेगा नहीं तो समझ लो पंद्रह बार,... "
मेरी मैथ्स अच्छी है जो मैंने ननद रानी की कच्ची अमिया दुलार से सहलाते जोड़ के बता भी दिया,
' यार पहली बात, तुझे तो कुछ करना नहीं , बस अपनी ये प्यारी प्यारी लम्बी गोरी टाँगे फैला देना, या कुतिया की तरह निहुर जाना, बस. उसके बाद तो करेंगे हमारे भैया लोग, तेरे शहर के यार ,... और फिर कितना टाइम पंद्रह, बीस मिनट। तो अगर बीस मिनट भी जोड़ा तो पन्दरह बार में कितना कुल ३०० मिनट या ६ घण्टे,... तो २४ घंटे के दिन में २५ % ही तो हुआ , बाकी टाइम में गली मोहल्ले वालों से नैन मटक्का करना नए नए जोबन मिसवाना। हाँ एक बात और तुम सब ननदें मुझे बहुत चिढ़ाती थी न, मेरी सेंचुरी २० दिन में लग गयी थी, तेरे भैया के साथ तो तेरी सेंचुरी देखना एक हफ्ते में लग जाएगी। "
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समधन समधन
तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,
नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं
मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, ...
" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,... "
मामला ये था की मेरी सास ने अपनी समधन के बारे में पूछा था की मिठाई विठाई कुछ ले जा रहे हो की नहीं , और ये भी बोल बैठे, आपने इतनी गुझिया वुझिया बनायी तो है अपनी समधन के लिए. और ऊपर से कम्मो, उनकी भौजी, उन्हें भी अपने देवर की खिंचाई करने में मजा आता था, झट्ट से डेढ़ पाव शुद्ध देशी घी आग में छोड़ दिया , भोली बन के बोलीं,
" अरे हम लोगों का जमाना होता न, पहली बार बहू अपने मायके जा रही है, कम से कम पांच झाँपा, एक झाँपा खाजा, एक झाँपा लड्डू, ,..."
और उनकी बात काट के मेरी सास झुंझला के बोल उठीं,
" तो कौन सा जमाना बदल गया है, पांच झाँपा न सही पांच किलो तो कम से कम ले जाना चाहिए न,... "
मुझे देख कर मेरी सास थोड़ा सा मुस्करायीं , और अपनी तोप का मुंह मेरी जेठानी की ओर मोड़ दिया लेकिन उनके गुस्से में कोई कमी नहीं आयी,...
" बहू, तुझसे बोला था न की अपनी देवरानी ज़रा सोच समझ के ले आना, ठोंक बजा के देख लेना , सब जिम्मेदारी मैंने तुम्हारे ऊपर छोड़ दी थी , लेकिन ये कैसी , इतनी बुद्धू,,... "
जेठानी मुझे देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थीं , सच में अगर मेरी जेठानी न होतीं न , तो हम लोगों का जो चट मंगनी पट ब्याह हुआ एकदम नहीं हो पता, शादी में इनके देवर से मेरे नैना चार हुए थे, ये भी आयी थीं, बस देख भी उन्होंने लिया था मेरी जबरदस्त गारियाँ भी सुन ली थीं, उन्होंने खुद ही रीतू भाभी से बात की , दो दिन में इन्ही के यहाँ से फोन आया, और पहली लगन में शहनाई,... इनकी सास ने जो जो शर्तें रखीं सब मेरी सास ने मान ली, गाँव की शादी,
लेकिन मेरी सास अब मुझे देख रही थीं और मुस्कराते हुए बोलीं ,
" लेकिन तेरी गलती भी कम नहीं है,... ' और मुझे कुछ समझ में आता उन्होंने अर्था के बता दिया,
" तूने इस लड़के से बहुत जल्दी हाँ बोल दी, कम से कम तीन महीने रोज नाक रगड़वाती न , तब हाँ बोलती तब इसको ससुराल का मतलब समझ में आता। "
मैंने झट ५०० ग्राम मक्खन लगाया, और सासू जी से बोली,
" पर मुझे तो आप के पास आने की जल्दी थी न "
और जा के एकदम अपनी सास को पकड़ के चिपक के खड़ी हो गयी। मेरी सास ने भी मुझे बहुत दुलार से मुझे दुबका लिया लेकिन इनके ऊपर डांट की बारिश कम नहीं हुयी,
" इतनी, प्यारी, अच्छी, मीठी, सुन्दर मेरी बहू इतनी आसानी से मिल गयी न इसलिए,... अब मुंह क्या देख रहे हो जाओ पांच किलो और मेरी समधन के लिए अलग से ,... "
कम्मो मज़ाक के मामले में रिश्ता विश्ता नहीं देखती थी, और ख़ास तौर पर देवर खड़ा हो, मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाती इनसे बोली,
" मालूम है इनकी समधन को कौन सी मिठाई पसंद है ? " , फिर खुद ही जवाब भी दे दिया, अपना बित्ता पूरी तरह फैला के खोल के दिखाते हुए,
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