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जोरू का गुलाम भाग १०३
और बस क़यामत नहीं हुयी
और जैसे तूफ़ान आ गया।
गुड्डी सिसक रही थी ,काँप रही थी ,तड़प रही थी ,
और सिसकती तड़पती बहिनिया को देख कर , उनके भैय्या भी ,
खूंटा एकदम जबरदंग , सुपाड़ा मोटा खूब फैला ,उनके छोटे बॉक्सर शार्ट से झाँकने लगा।
मैंने उनकी तर्जनी पकड़ के बस गुड्डी की खुली गुलाबी पंखुड़ियों से एक पल के लिए छुला भर दिया।
और बस क़यामत नहीं हुयी।
मैंने इनके हाथों को छोड़ दिया और गुड्डी के ऊपर से उठ कर सीधे अपने साजन के बगल में बैठ गयी।
गुड्डी मुस्कराते हुए अपने भैय्या की हरकतों को देख रही थी।
मीठा मीठा मुस्करा रही थी ,और वो डरते सहमते उनकी उँगलियाँ उन गुलाबी पंखुड़ियों के बाहरी हिस्सों को पहले तो बस जस्ट टच कररही थीं ,फिर उन्होंने हलके हलके सहलाना शुरू कर दिया।
और उनकी और गुड्डी की आँखे चार हुयी दोनों मुस्करा पड़े।
लेकिन मैं ,जबतक दोनों को तड़पाऊं नहीं तो गुड्डी की भाभी कैसी ,
मैंने झट से गुड्डी की पैंटी फिर से ढँक दी।
" उन्ह नहीं सिर्फ देखने की बात हुयी थी छूने की थोड़ी , ... " मैंने थोड़ा कड़ाई से कहा।
जैसे किसी बच्चे के हाथ से हवा मिठाई छीन ली गयी हो ,उन्होंने वैसा मुंह बनाया।
' अच्छा चलो पैंटी के ऊपर से छु लो ,"
और उनकी उँगलियाँ एक बार फिर से ,
मुझे शरारत सूझी और मैंने एक बार गुड्डी को उनकी जवान होती बहन को देखा और फिर उन्हें ,
" चाहो तो एक छोटी सी चुम्मी भी ले सकते हो पैंटी के ऊपर से लेकिन अगर गुड्डी हाँ कहे तो , "
बस बिना उनके पूछे ,बिना मेरे कहे उस एलवल वाली ,जिल्ला टॉप माल ने , एक जोर का फ़्लाइंग किस अपने भैया को देके ग्रीन सिग्नल दे दिया
बस उनके नदीदे होंठ ,पैंटी के ऊपर से ,
गुड्डी खूब सिसक रही थी , तड़प रही थी चूतड़ पटक रही थी ,और मेरे हाथ का हैंडी कैम ,मोबाइल , विडीयो ,स्टिल
मेरा सैयां गजब का चूत चटोरा , पतली सी पैंटी का कवर ,
गुड्डी झूम रही थी जैसे
सावन में घटा झूमे
कोई नागिन संपेरे की बीन पे झूमे ,
तभी नीचे से कुछ कलियों के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दी ,
फिर मेरी जेठानी से बतियाने की।
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गुड्डी की सहेलियां
तभी नीचे से कुछ कलियों के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दी ,
फिर मेरी जेठानी से बतियाने की।
गुड्डी उन्हें हटाते हुए खुद बैठ गयी ,
"स्साली ,कमीनीयां , आ ही गयीं सूंघते सूंघते। "
मैं समझ गयी , गुड्डी की सहेलियां ,लेकिन गनीमत थी नीचे जेठानी जी के पल्ले पड़ गयीं थी , बिना कुछ देर उलझाए वो थोड़े ही छोड़तीं उन्हें।
…………………………..
शलवार कुर्ता उतारने में लड़कियों को बहुत टाइम लगता है , लेकिन पहनने में कुछ भी नहीं।
झटपट ,हम दोनों ,ननद भौजाई ,शलवार सूट के अंदर।
हाँ गुड्डी की ब्रा जरूर मैंने जब्त कर ली।
देर से आने की कुछ फाइन तो लगनी थी न , और फिर ननद के नए आ रहे टेनिस बाल साइज के बूब्स , कैद में रहें ,सख्त नाइंसाफी है।
उन्होंने भी पेंट चढ़ा लिया , पर उनका खूंटा तो वैसे का वैसे ही खड़ा पेंट फाड़ता।
" सुन यार ,तेरे भैय्या ने तेरा देखा भी ,छुआ भी ,और चूसा भी। देख बिचारे का कित्ती जोर से खड़ा है ,अब कम से कम तू ऊपर से तो उसे एक चुम्मी ,... "
मैंने अपनी ननद को चढ़ाया , पर उसे अब चढ़ाने की जरूरत नहीं थी , खिलखिलाते हुए उन्हें चिढ़ाती निगाहों से देखती बोली ,
" मैं अपनी प्यारी भौजी की बात कभी नहीं टालती। "और जैसे कोई प्रपोज करे वो शरारती लड़की ,तुरंत घुटने के बल बैठकर ,
पहले तो उसने अपने गुलाबी होंठों से सीधे मेरे सैयां के बल्ज पे एक जबरदस्त चुम्मी ली।
खूंटा और तन गया।और गुड्डी की कुँवारी उंगलिया , दोनों हाथों से उस छिनार ने , पेंट के ऊपर से उसे प्यार से पकड़ लिया ,दबाया मसला और लगी चूसने।
नीचे से खिलखलाती कलियों की पदचाप सीढ़ियों पर आनी शुरू हो गयी थी पर , गुड्डी नदीदी ,
उनके पेंट फाड़ते बल्ज को चूमने चूसने में लगी हुयी थी।
जब आवाजें एकदम पास आ गयीं तो उस शोख ने अपने होंठ हटाए और बड़ी अदा से ,बोली ,
" क्यों भैय्या ,कैसा लगा। "
वो बिचारे शर्मा भी रहे थे और मस्त भी हो रहे थे , पर गुड्डी की सहेलियों की आवाज आयी और वो बगल के कमरे में चले गए।
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जोरू का गुलाम भाग १०४
सहेलियां
गुड्डी की दोनों सहेलियां दरवाजे पे धक्का मार के दाखिल ,
सहेलियां क्या था बिजलियाँ थी , घनघोर घटा के बीच की।
दिया को देख के तो मेरी सांस ऊपर की ऊपर ,नीचे की नीचे।
दिया को मैंने पहले भी देखा था ,कित्ती बार मिली थी ,गुड्डी की क्लोजिस्ट फ्रेंड ,
लेकिन
लेकिन वो अब वाकई बड़ी हो गयी थी ,( बल्कि बड़ा हो गया था )
एकदम परफेक्ट पंजाबी कुड़ी ,
लम्बाई ५. ७ छू रही थी ,एकदम गोरी चिट्ठी , उसके टॉप फाड़ते उभार तो आलमोस्ट मेरे उभारों के बराबर ,लेकिन सबसे जबरदस्त था उसका ऎटिट्यूड। एकदम मस्ती छलक रही थी।
दरवाजे से घुसते वो जोर से चीखी , भाभी।
और मैंने उसे जोर से हग कर लिया।
मेरा ' टिपिकल टीनेजर ननद स्पेशल हग',मेरे भरे भरे उभार ननदों के आ रहे टीन बूब्स को कस के मसल के रख देते थे। पर दिया ने खूब जोश से जवाब भी दिया ,अपने उभारों को मेरे सीने पे वापस दबा के। उसकी आँखों में मस्ती की चमक थी। मैं क्यों पीछे रहती ,अपनेहाथ से खुल के उसके जुबना दबाती बोली,
" अरे हार्न तो खूब दबाने लायक हो गएँ हैं। अभी बजवाना शुरू किया की नहीं ,... "
" अरे भाभी ,ननद किसकी हूँ , ... " खिलखिलाते हुए मेरी आँखों में झांकते उस शोख ने जवाब दिया।
तबतक मेरी निगाह गुड्डी की दूसरी सहेली पर पड़ी,
छन्दा ,डस्की लेकिन नमक बहुत ज्यादा। बहुत ही शार्प फीचर्स , थोड़ी लजीली , प्लम्प लेकिन सब सही जगहों पर , खूब गदरायी।
" हे छन्दा तेरा धंधा कैसा चला रहा है ," मैंने उसे छेड़ा।
और वो दिवाली की फुलझड़ी की तरह खीस्स से हंस दी।
और मेरा ननद स्पेशल, ननदों को चिढ़ाने के लिए जो मैं गाती थी ,मैं शुरू हो गयी।
"मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में ,
मैं तुमसे पूछूं हे छन्दा रानी ,हे दिया रानी ,
तोहरे जुबना क कारोबार कैसे चले ,
अरे तेरा रातों क रोजगार कैसे चले
अरे मंदिर में ,.... "
और बजाय शरमाने ,चिढ़ने के अबकी जवाब दिया ने दिया , खुल के अपने बड़े बड़े बूब्स को पुश करके ,
" अरे भौजी आपकी दुआ से अगर जोबन आये हैं तो उनके कद्रदान भी आएंगे और रोजगार भी चलेगा ही। "
" ये हुयी न बात मस्त छिनाल ननदों वाली , अब ऐसे सावन के मौसम में , मैं तो स्पेशल ऑफर दे रही हूँ तुम ननदों को ,
सैयां से सैयां बदल लो मोरी ननदी ,
मेरी बात काटती अबकी छन्दा जैसे उदास होते ,मुंह बना के बोली ,
" अरे भौजी , अगर सैयां होते तो ऐसे मस्त मौसम में उनके साथ कबड्डी न खेल रही होती बिस्तर पे, इधर उधर भटकती क्या। "
" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,
" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "
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दिया-छन्दा
" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,
" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "
अब छन्दा रानी की चमकी ,,चमक के बोली वो ,
" अच्छा भाभी , हमारे ऊपर हमारे ही भैय्या को चढ़ाना चाहती हैं। माना आपके मायके का चलन है ये ,दिन में भइया रात में सैयां वाला ,हमारे यहाँ नहीं ,... "
लेकिन उसकी बात दिया ने काट दी और मेरे बगल में आके खड़ी होके बोली ,
" तू भी छन्दा ,न यार हर लड़का तो किसी न किसी का भइया होगा ही। ऐसे बारिश के मौसम में ऐसा ऑफर , एकदम मंजूर है भाभी हमें हो जाय अदला बदली"
( गुड्डी ने मुझे बताया था की दिया तो अपने एकलौते सगे भाई से कब से फंसी है ,रोज रात बिना कबड्डी खेलती है और अगले दिन कॉलेज में सहेलियों को अनसेंसर्ड वर्ज़न, छन्दा का कोई सगा भाई था नहीं तो वो पिछले साल ही अपने एक फूफेरे भाई से और अबतक तो मौसेरे ,चचेरे , कोई कजिन नहीं बचे हैं )
गुड्डी हम लोगो की छेड़छाड़ से अब तक सूखी बची थी ,उसे क्यों मैं छोड़ती। उससे बोली ,
" अरे गुड्डी कुछ सीख अपनी सहेलियों से , देखो मेरा एक स्पेशल ऑफर है सिर्फ तुम जैसे छिनार ननदों के लिए , एडवांस में अदलाबदली। चलो अभी तुम मेरे वाले से मजा ले लो ,और फिर जिस तुम पटाओगी ,उसके साथ मैं। अब ऐसे मौसम में भाभी दिन रात मजे ले और बिचारि ननदें सावन में प्यासी रहें , तो बोलो है न मंजूर। "
गुड्डी शरमा गयी ,वो मेरी बात साफ़ साफ़ समझ रही थी , पर दिया उन सबों की लीडर , सब की ओर से बोली।
"एकदम भाभी मंजूर। लेकिन ये बताइये आप हम ननदों के लिए लायी क्या हैं। "
" तेरे भैय्या को लाइ हूँ न ,सावन के मौसम में इससे बढ़िया गिफ्ट क्या हो सकती है , " हँसते हुए मैंने चिढ़ाया। फिर गुड्डी को देखते हुए बोला ,
" आगे से पीछे से ,ऊपर से नीचे ,.. हर मुंह में ,...चाहे दबवाओ ,चाहे डलवाओ। चाहे चूसो चाहे चुसवाओ। "मैंने छेड़ा।
"नहीं नहीं भाभी " दिया और छन्दा एक साथ चीखीं।
और मैंने दराज से दो मोटी लम्बी हैंड कार्व्ड कैंडल्स निकालीं।
"चलो तुम्हारी बात मान ली , भैया भी तुम्हारे चार दिन की चांदनी ,.. कुछ दिन बाद तो मैं ले के फुर्र हो जाउंगी , फिर बिचारि तुम ननदें ,तब के लिए है न मस्त देखो। "
और मोटी कैंडल अपनी मुट्ठी में मैं उन दोनों को दिखाते, चिढ़ाते ऐसे मुठिया रही थी जैसे कोई मस्त मोटा लंड हो.
थी भी वो दोनों कैंडले ,साढ़े साथ इंच से थोड़ी ज्यादा ही लम्बी ,तीन इंच मोटी देखने में छूने में पकड़ने में एकदम मस्त मोटे लंड को मात करती। आगे का हिस्सा खूब मोटे फूले हुए कड़क सुपाड़े की तरह ,यहाँ तक की जैसे खड़े लंड में जैसे फूली फूली हलकी वेन्स दिखती हैं ,उस तरह की वेन्स भी , हाँ बेस पे एक बहुत बड़ा सा चौड़ा , इस तरह से डिजाइन किया था की चाहे टेबल पर रखना हो या पकड़ना हो।
" है न एकदम मस्त ,एकदम तेरे भैय्या की शेप और साइज का है , उसी पे मॉडल किया है देख एकदम सटासट जायेगा , हैं न
चिकना "
उन दोनों को ललचाती मैं बोलीं।
दिया की आँखे तो एकदम मोटी कैंडल पर चिपकी ,अविश्वास में ,लेकिन छन्दा के मुंह से निकल गया ,
"क्या सच में भाभी ,... "
" और क्या तभी तो मैं इतना मस्त मानसून ऑफर तुम ननदों को दे रही थी ,चाहे तो नाप के ,चाहे पकड़ के ,चाहे घोंट के ,चाहे चूस के ,... देख लेना। हाँ बदले में जब तुम यार पटाओगी तो मैं भी बिना चखे नहीं छोडूंगी। आखिर सलहज का तो ननदोई पर ननद से पहले हक़ होता है। "
अपनी ननदों को, गुड्डी की सहेलियों को , छेड़ते मैं बोली। फिर गुड्डी से कहा ,
" यार तुझे तो मालूम है तेरे भैय्या कंडोम कहाँ रखते हैं ,ज़रा निकाल न। "
गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,
अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "
जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी
" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।
पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।
दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।
और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहलेही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "
और उसी समय
फटा पोस्टर निकला हीरो।
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फटा पोस्टर निकला हीरो
गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,
"अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "
जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी
" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।
पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।
दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।
और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहले ही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "
और उसी समय
फटा पोस्टर निकला हीरो।
उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।
गुड्डी एक कैंडल पर कंडोम चढ़ा रही थी और उसे सीधे दिया की खुली जाँघों के बीच दिखा दिखा के ,दिया कौन पीछे रहने वाली थी ,वो भी ऐसे धक्के मारने की ऐक्टिंग कर रही थी जैसे कोई चुदक्कड़ माल,नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर ,
भैय्या ,छन्दा चीखी।
तीनो लड़कियां अपनी अपनी जगह फ़्रीज।
"अरे, भाभी से तो इतना हंस हंस के गले मिल रही थी और भैय्या से ,... " मैंने गुड्डी की सहेलियों को चिढ़ाते हुए सन्नाटा तोड़ा।
एकदम भाभी ,और दिया उनसे ,सिर्फ गले ही नहीं मिली बल्कि लिफाफे पे टिकट की तरह चिपक गयी।
और वो भी ,... वाज लुकिंग सो हॉट ,हैंडसम ,मैनली।
... हॉट मतलब रीयल हॉट ,जिसे देख के एकदम सती साध्वी बनने वाली लड़की भी पिघल जाए.
एकदम देह से चिपकी हुयी शर्ट ,जिससे बाइसेप्स ही नहीं उनकी ऐब्स भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।
ब्राड शोल्डर ,जिसे संस्कृत में वृषभ कंध कहते हैं न ,एकदम वही ,
चौड़ा चेस्ट ,परफेट V .
पतली कमर , केहरि कटि।
खूब लम्बे और गोरे तो वो हैं ही ,टाइट रिप्ड लेविस में उनकी परफेक्ट मस्क्युलर जिम टोंड थाइज भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।
और उनका वो मैनली इम्पोर्टेड परफयूम ,....
और जिस तरह से दिया ने उन्हें गले लगाया था , उसमें 'बहन ' जैसा कुछ भी नहीं था।
वो खुल के अपने गदराये टॉप फाड़ते कड़े कड़े किशोर उभार उनके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी , दिया की लम्बी लम्बी छरहरी टाँगे ,उनकी टांगों के चारो ओर. लता की तरह लिपटी।
लेकिन वो न ,
मैंने उन्हें जबरदस्त आँख मारी और इत्ता इशारा काफी था।
उनकी तगड़ी बाहों ने कस के दिया को भींच लिया ,उनके गाल हलके हलके उस पंजाबी कुड़ी के मक्खन जैसे गाल पे हलके हलके रगड़ रहे थे , साथ में उनका तन्नाता बल्ज सीधे दिया की जाँघों के बीच और दिया ने अपनी मखमली जाँघे और फैला दीं ,और फिर जैसे दिया को बाहों में पकड़ते हुए एक्सीडेंटली ,...उनकी उंगलिया दिया के किशोर उभारों को हलके से रगड़ गयीं।
दिया भी न ,उसने अपने होंठ इनके कानों पे लगा के पहले तो हलके से छूआ फिर कुछ कान में फुसफुसाया
बस खिलखिलाते हुए खुल के इनके एक हाथ ने दिया का एक उभार टॉप के ऊपर से पकड़ के कचकचा के दबा दिया।
दिया सिसक पड़ी। लेकिन बजाय बुरा मानने के वो गुड्डी को चिढ़ाने में जुट गयी ,
गुड्डी को जीभ निकाल के उसने चिढ़ाया और मुझसे मुस्कराते हुए बोली ,
" भाभी , मुझे कहीं कुछ जलने सुलगने की महक आ रही है। "
गुड्डी की ओर से जवाब मैंने ही दिया ,
" अरे नहीं ,जो सुलगने वाली चीज थी वो मैंने पहले ही इसकी साफ़ सूफ करवा दी है ,कोई खतरा नहीं है। "
" लगी रह तू ,... "
खिलखिलाते हुए गुड्डी ने दिया को और उससे भी ज्यादा अपने भैय्या को भी थम्स अप किया।
" सही है ,भाभी ,मैं भी अपनी चिकनी चुपड़ी रखती हूँ ,क्या पता कब मेरी गुलाबो की लाटरी निकल आये। "
दिया भी अब एकदम खुल के मूड में आ गयी थी।
और जैसे दिया की बात के जवाब में जैसे आलमोस्ट ड्राई हंपिंग की तरह अपना तन्नाता खूंटा उन्होंने दिया की खुली जांघ के बीच ताकत से थ्रस्ट किया। एक हाथ से उन्होंने दिया के किशोर जोबन पकड़ रखे थे और दूसरा दिया के मचलते नितम्ब पर कस के जकड़े था।
अब गुड्डी की दूसरी सहेली छन्दा का भी मन मचलने लगा ,वो दिया से बोली ,
" हट न तू ,क्या तू अकेले अकेले ही भइया से गले मिलेगी। "
" अरे तू पीछे से लग जा ना " मैंने छन्दा को उकसाया।
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स्पेशल चॉकलेट
अब गुड्डी की दूसरी सहेली छन्दा का भी मन मचलने लगा ,वो दिया से बोली ,
" हट न तू ,क्या तू अकेले अकेले ही भइया से गले मिलेगी। "
" अरे तू पीछे से लग जा ना " मैंने छन्दा को उकसाया।
" भाभी ,पीछे से इस बिचारी का क्या भला होगा। " गुड्डी बोली। वो भी अब एकदम मूड में थी।
" क्यों ,आगे वाला पकड़ तो सकती ही है ,पीछे से। " अपनी ननद को छेड़ते मैं ,खिलखिलाते बोली।
एक बार और दिया के उभार मसल के उन्होंने दिया को छोड़ दिया और छन्दा खुद उनकी बाहों में जा के समा गयी।और अब छन्दा तो दिया से भी ज्यादा खुल के ,...
"यार अपनी बहनों का सिर्फ रगडोगे मसलोगे , दबाओगे मिजोगे या कुछ खिलाओ पिलाओगे भी " मैंने उन्हें उकसाया।
" एकदम " वो बोले।
उन्हें बिना छोड़े छन्दा बोली ,क्या।
और वो स्पेशल चॉकलेट का पैकेट निकाल के ले आये। लायी भी मैं थी उसे अपनी ननदों के लिए ही मैं लायी थी।
चॉकलेट्स ,, लेडीज़ ड्रीम ,डार्क ऐज सिन ,सेंसुअस।
, उन्होंने एक चॉकलेट खोल के छन्दा की ओर बढ़ाया पर वो गुड्डी की सहेली कम नहीं थी।
अपने डार्क रेड लिपस्टिक लगे होंठ खोल के इनके हाथ से उसने खुद गड़प आकर लिया।
" तू है मेरी पक्की ननद , घोंटने में नंबर वन ,खासतौर से अपने भैय्या का ,है न ,मजा आ रहा है चूसने में ?"
मस्ती से चॉकलेट चूसते चुभलाते छन्दा मेरे ही अंदाज में बोली ,
" एकदम भाभी ,भैय्या का चूसने में तो मजा ही अलग है। फिर भाभियाँ तो रोज ही भैय्या की चॉकलेट का मजा लेती हैं ,कभी कभी ननदे भी शामिल हो जाएँ तो क्या बुरा है। "
" एकदम , कभी कभी क्यों रोज , अपनी इस सहेली से पूछना , "
गुड्डी की ओर इशारा करके मैं बोली ," अब इसे ले जा रही हूँ अपने साथ न ,तो बस रोज मिल बाँट के इसके भैया के चॉकलेट का ,... "
गुड्डी के गाल लाज से गुलाल हो गए।
पर उधर वो पंजाबी कुड़ी ,शोख पटाखा मैदान में आ गयी थी।
इन्होने अच्छे घर दावत दे दी थी। वो खेली खायी ,उसको चॉकलेट दिखा के मेरे सैंया ने अपने मुंह में ,पर दिया भी ,
उसने झपट के इन्हे दबोच लिया ,दोनों हाथों से इनके सर को पकड़ के अपने पलाश से दहकते किशोर होंठ सीधे , इनके होंठों पर और कुछ देर में ही दिया की जीभ इनके मुंह में , जब तक वो सम्हलें सम्हले ,डीप फ्रेंच किस , टंग फाइट चालू हो गयी थी। यही नहीं उस गुड्डी की सहेली इंटरवाली पंजाबी कुड़ी ने अपने बड़े बड़े नए आये कड़े जोबन की बरछी भी इनके सीने में गड़ानी शुरू कर दी।
इनका भी खूंटा तना और मम्मी की ट्रेनिंग मेरा उकसाना ,एक हाथ सीधे इन्होने दिया के उभार पे और दूसरा नितम्बों में ,खड़ा खूंटा दिया की खुली जांघों के बीच , हलके हलके रगड़ता।
आखिर दिया की जीभ उस चॉकलेट के साथ दिया के मुंह में वापस आयी , जिस के बहाने इत्ती मौज मस्ती चालू हो गयी थी।
यही तो मैं चाहती थी और गुड्डी की सहेलियां भी ,
झड़ी बाहर फिर शुरू हो गयी थी ,मैंने पूछा सबसे ,
" यार ये मौसम पकौड़ी खाने का हो रहा हैं न "
" एकदम भाभी , नेकी और पूछ पूछ " दिया छन्दा एक साथ बोली।
दोनों चॉकलेट चुभलाते बोली।
ये चॉकलेट तो ५-१० मिनट में असर दिखलाती। वोडका लिकर चॉकलेट ४० % से भी ज्यादा अल्कोहल , और सबसे बड़ी बात ये थी की
इसमें लाइनिंग अल्कोहल प्रूफ कैंडी की होती है तो जब वो चॉकलेट मुंह में मेल्ट करती है तो सीधे वोडका का शाट ,दो चॉकलेट से सीधे एक पेग का नशा और वो भी ४० % वाली वोदका का।
और चलने के पहले मैंने दिया को एक और चॉकलेट ,
एकदम भाभी हूँ उसकी इसलिए सीधे अपने होंठों से ,और इनकी तरह सीधी थोड़ी हूँ इसलिए अपने ननद के जोबन का रस सिर्फ टॉप के ऊपर से ही नहीं बल्कि टॉप के अंदर से ,
एकदम मस्त कड़ी कड़ी चूँचिया थी उस पंजाबी कुड़ी की।
" हे ये बटन अब बंद नहीं होने चाहिए "
मैंने उसके कान में वार्न किया , और खिलखलाते हुए उसने हामी भी भर दी।
ये क्यों पीछे रहते ये छन्दा के साथ ये भी लस लिए और अब की उन के भी हाथ अंदर का मजा ले रहे थे।
गुड्डी को भी मैं अपने साथ खींच के ले गयी।
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भांग की पकौड़ी
ये क्यों पीछे रहते ये छन्दा के साथ ये भी लस लिए और अब की उन के भी हाथ अंदर का मजा ले रहे थे।
गुड्डी को भी मैं अपने साथ खींच के ले गयी।
…………………………………………………………………………………………………
मुझे लगा वो थोड़ा सुलग रही है इसलिए उसको समझाते मैं बोली ,
" अरे यार ये माल तो हम दोनों का है , हम तो जब चाहे तब ,थोड़ी देर ये भी मजा ले ले ,आखिर तेरी पक्की सहेलियां है "
गुड्डी समझती मुस्कराती बोली ,
"एकदम सही कहा भाभी आपने , ओनर्स प्राइड नेबर्स एनवी , स्सालियाँ बहुत अपने भैय्या के किस्से मुझे रोज सुना सूना के जलाती थीं ,अब इन कमीनियों को पता चलेगा की मेरे भैय्या उसके भैय्या से १९ नहीं २४ हैं।“
मैं और गुड्डी साइड वाले रूम से निकले थे और वहां एक लार्ज साइज फ्रिज था।
"गुड्डी सुन यार फ्रिज खोल के वो सनसेट रम की एक बॉटल और दो कोक के कैन भी निकाल ले। "
फ्रिज के अंदर पूरी बार थी तरह तरह की रम ,वोडका , व्हिस्की ,...
लेकिन अब गुड्डी शॉक्स से ऊपर उठ चुकी थी और उसने सनसेट रम की बोतल ,दो कोक के कैन निकाल लिए और मेरे मेरे पीछे किचेन में।
"आज तेरी सहेलियों को टुन्न करते हैं ,बहुत तुझे चिढ़ाती थीं न आज पता चलेगा उन्हें , गुड्डी की ब्रा विहीन पीठ को सहलाती मैं बोली।
"एकदम भाभी " हंस के उसने मेरी स्कीम ज्वाइन कर ली।
" चल मैं बेसन फेंटती हूँ ,तब तक तू ज़रा वो पैक्ट अलमारी के ऊपर वाले खाने से निकालना ,सबसे ऊपर वाले खाने से " मैंने गुड्डी को काम पकड़ाया।
पैकेट निकाल के उसने मेरे हवाले कर दिया। वो पूछती उसके पहले ही हँसते हुए मैंने उसे बता दिया ,
"आज तेरी सहेलियों को भांग के पकौड़े खिलाने वाली हूँ मैं , यही है इसमें अब जरा थोड़ा अजवाइन ,अनारदाना निकाल के मुझे दे दे और बैंगन और प्याज फटाफट काट दे मेरी प्यारी ननद। "
गुड्डी ने पहले तो मुझे कस के पीछे से भींच के मेरे कुर्ते से उभरते ३४ सी उभारों को हल्के से मसल दिया और मेरे गालों को चूमते बोली ,
" भाभी आप बहुत प्यारी भी हो और बदमाश भी ," और काम में लग गयी।
भांग के पकौड़े की रेसिपी के हिसाब से तो २५० ग्राम बेसन में सिर्फ १० ग्राम भांग पड़ती है ,लेकिन वो ननदों के लिए थोड़ी है और खासतौर से इंटर में पढ़ने वाली सेक्सी टीनेजर ननदें हो ,इसलिए मैंने कंजूसी नहीं की ,पूरे २५ ग्राम भांग मिला दी।
मेरे मोबाइल और गुड्डी के मोबाइल पे एक साथ व्हाट्सऐप वाला मेसेज बजा।
गुड्डी के सारे व्हाट्सऐप ग्रुप मैंने ज्वाइन कर लिए थे और उसे भी अपने मिसेज खन्ना ,सुजाता वाले ग्रुप में ऐड कर लिया था।
बिना अपना मोबाइल खोले मैंने गुड्डी की ओर देखा तो वो मेसेज पढ़ रही थी।
और मुस्करा रही थी।
बेसन में भांग फेंटते मैंने गुड्डी की ओर देखा और मेरी बात समझ के गुड्डी मुस्कराती बोली ,
" छुटकी का है ,बड़े चींटे काट रहे हैं उसे। "
" बोल दे उसे रात में आज ट्रिपलिंग करेंगे। " मैंने थोड़ा नमक डालते बोला।
" एकदम भाभी। "
अब आप पूछेंगे छुटकी कौन , ...
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छुटकी
अब आप पूछेंगे छुटकी कौन , ...
इनकी सबसे छोटी कजिन। मैंने बताया था की जब मैंने गुड्डी का मोबाइल हैक किया था उसके सारे व्हाट्सऐप ग्रुप ,.. और ये वाला ग्रुप ,इसमेंकि सारी कजिन्स थी ,मौसेरी ,ममेरी ,चचेरी ,पूरी चौदह। और सब की सब एकदम ,छुटकी का नाम तो वैसे अनन्या था ,पर सबसे छोटी होने के कारण घर में सब उसे छुटकी कहते थे ,अभी हाईकॉलेज का इम्तहान दिया था। गुड्डी से दो साल छोटी। गोरी चिट्ठी , लम्बी ,जोबन बस , जैसे हाईकॉलेज की लड़कियों के होते हैं बस वैसे ही ,....
. ( ट्रिपलिंग मतलब ,... हम तीन , मैं गुड्डी और छुटकी रात में स्काइप पर एक साथ मस्ती करेंगी )
"यार छुटकी ,अभी थोड़ी छोटी है न "
कड़ाही चढ़ाते हुए , भेद जानने के लिए ,मैंने गुड्डी को उकसाया।
" अरे नहीं भाभी , कत्तई छोटी वोटी नहीं , आप तो हमारे ग्रुप में नयी नयी आयी हैं न , इसलिये आप को अंदाज नहीं है। हमारे ग्रुप की सबसे तीखी मिर्च है वो.. "
हँसते हुए गुड्डी बोली कटे प्याज और बैगन उसने मेरी ओर सरका दिया।
बैगन बेसन में फेंटते हुए मैंने सोचा ,अगर गुड्डी की बात सही है तो ,तीखी हरी मिर्च कुतरने का बहुत शौक है मुझे।
" हे जरा चार शीशे वाले ग्लास फ्रीजर में लगा दे न चार पांच मिनट के लिए " मैं गुड्डी से बोली।
आज रमोला मैं इसी से बनवाने वाली थी।
गुड्डी ने फ्रीजर में ग्लास रखते हुए छुटकी के बारे में अपनी बात जारी रखी ,
" भाभी छुटकी की शकल पे मत जाइयेगा ,चेहरे पे भले अभी ,... लेकिन,... "
मैंने छेड़ा , तो मतलब ,यार लग गए है उसके पीछे ,
" एकदम भाभी ,आधे दर्जन से ऊपर ,उसकी फेसबुक पेज पे देखिये आप ,लड़कों की लाइन लगी है। अरे आज कल लड़कियों के पिरीअड बाद में आते हैं ,यार पहले आ जाते है, एडवांस बुकिंग का जमाना है। रोज उसके कॉलेज के बाहर आधे दर्जन लड़के उसके इन्तजार में खड़े रहते हैं, ... हाँ गुलाबो उसकी बड़ी मुश्किल से बची है। " "
खिलखलाते हुए वो बोली , और मेरे पास आ के पकौड़ी बनाने में मेरा हाथ बटाने लगी।
" खास तौर से मेरी ननदों के , अरे मेरे ननदे हैं ऐसी नमकीन ,"
गुड्डी को छेड़ते हुए थोड़ा सा बेसन मैंने उसके चम्पई गालों पर लगा दिया।
" भाभी , " वो चिढ़ती हुयी बोली।
" अरी मेरी बन्नो , रूप निखर आएगा हल्दी और चन्दन से ,फिर आज मेरी बन्नो को हल्दी लगी है , और हल्दी लगने के बाद लड़कियां जो लगवाती हैं ,उसके लिए तो तेरे भैया कब से तड़प रहे हैं "
मैं भी उसे चिढ़ाती हुयी पकौड़ियाँ छानने में लग गयी और उसे काम पकड़ा दिया।
" अच्छा सुन , ज़रा फ्रिज से क्रश्ड आइस निकाल ले , और वो जा चार ग्लास फ्रीजर में रखे थे न उसमे से निकाल के , डाल दे। और जो तू ऊपर से कोक के दोनों कैन लायी थी वो खोल दे। "
गुड्डी के मालपुआ ऐसे मुलायम चम्पई गालों पर बेसन बहुत अच्छा लगा रहा था।
लेकिन मेरे मन में बहुत से किंकी ख्याल आ रहे थे ,गुड्डी को देख देख के। उसकी भैय्या उसकी सील खोलेंगे अभी वो बिचारी यही सोच रही थी , लेकिन उस बिचारी के साथ तो बहुत कुछ होना था। सील खोलना तो बस शुरुआत थी। मंजूबाई और उसकी बेटी गीता तो,... दोनों के खुजली मची हुयी थी , नम्बरी कमीनी ,बिना 'सब कुछ खिलाये पिलाये 'तो वो इसे छोड़ने वाली नहीं थी। शर्त मैंने बस एक छोटी सी रखी थी , सब कुछ मेरे सामने होगा।
" हे तुझे बेसन का हलवा अच्छा लगता है। " आँखे नचाते हुए मैंने पूछा।
ग्लास की ओर से मेरी ओर मुंह करती वो जानेमन बोली ,
" अरे भाभी ,क्या बात कर दी आपने , नाम सुन के मुंह में पानी आगया। खिलाने वाली हैं क्या आप। "
" एकदम ,अरे तेरी पसंद की चीज और मैं न पूरी करूँ तो भाभी कैसी तेरी , लेकिन यहाँ नहीं। "
मेरी आँखों के सामने मंजू बाई का चेहरा उसकी किंकी बातें घूम रही थीं।
" अरे बस दो तीन दिन में चलेगी न हमारे साथ , एक हमारे यहाँ काम करती है ,एकदम घर की ही तरह ,उससे कोई दुराव छिपाव एकदम नहीं है ,तेरा भैय्या का तो बहुत ख्याल करती है ,मंजू बाई। बहुत बढ़िया स्पेशल वाला बनाती है। बस एक बार चल चल तू हमारे साथ , फिर देखना। हाँ एक बार अगर तूने मंजू बाई से हाँ कर दिया तो बिना खिलाये वो छोड़ेगी नहीं। "
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रमोला
मेरी आँखों के सामने मंजू बाई का चेहरा उसकी किंकी बातें घूम रही थीं।
" अरे बस दो तीन दिन में चलेगी न हमारे साथ , एक हमारे यहाँ काम करती है ,एकदम घर की ही तरह ,उससे कोई दुराव छिपाव एकदम नहीं है ,तेरा भैय्या का तो बहुत ख्याल करती है ,मंजू बाई। बहुत बढ़िया स्पेशल वाला बनाती है। बस एक बार चल चल तू हमारे साथ , फिर देखना। हाँ एक बार अगर तूने मंजू बाई से हाँ कर दिया तो बिना खिलाये वो छोड़ेगी नहीं। "
मुस्कराते हुए मैं बोली और फिर गुड्डी को कहा ,
" सुन वो जो रम की बोतल है न ,खोल के हर ग्लास में एक तिहाई क्रश्ड आइस के ऊपर डाल ,हाँ बस ऐसे ही। और जो बचेगी न उस जग में डाल दे ,हाँ पहले क्रश्ड आइस जग में भी , ... "
गुड्डी क्विक लर्नर भी थी और बस थोड़ी सी जोर जबरदस्ती और वो मान भी जाती थी।
" हाँ पूरी बोतल खाली कर दे , आज तेरी सहेलियों को एकदम टुन्न करना है। " मैंने उसको अपना प्लान बताते हुए बोला।
"एकदम सही भाभी , आप मेरी सबसे अच्छी वाली मीठी मीठी भाभी हो , सेक्सी प्यारी। ये दोनों कमिनियाँ ,सुबह से मेरे पीछे पड़ी थी , भैय्या से मिलवाने को , ये स्साली दिया भी न, सुबह मेरे घर आयी , बस पहला हमला मेरे मोबाइल पे करती है। और वो नया नया भैय्या का दिया आई फोन लेटेस्ट ,बस दिया ने खोल लिया और भैय्या के ८-९ मेसेज थे एकदम सुबह सुबह ,मैंने डिलीट भी नहीं किये थे और उस ने खोल के देख लिए। और भइया भी न अब से जब से आये हैं एकदम बस। "
उसकी बात काटती मैंने पूछा ,
"तुझे ऐसे वाले भैय्या अच्छे लगते है या पुराने वाले ,सीधे साधे। "
"क्या भाभी आप भी न ये भी कोई पूछने की बात है ऐसे वाले ," खिलखिलाते हुए वो शोख बोली और अपनी बात आगे बढ़ाई।
" भइया भी न ,सुबह सुबह अपने उसका ,वीडियो फोटो सब , ...एकदम से ,... "
मैंने उसको टोका नहीं ,आखिर वो सब वीडियो उनके खूंटे का ,मुठियाने का मैंने ही तो भेजा था उनके फोन से , और गुड्डी के सारे जवाब भी मैंने पढ़े थे ,शुरू में थोड़े शरमाते झिझकते बाद में सब हाट हाट।
" तो क्या हुआ , आगे बोल न " मैंने गुड्डी को उकसाया , और काम पर भी लगाया ,
"सुन बताती जा और वो कोक उन रम वाले ग्लासेज में ,ऊपर से धीमे धीमे पोर कर दे। "
गुड्डी ने कोक पोर करते हुए बात जारी रखी ,
" बस दिया स्साली तो ,भइया के उसके फोटो देखते ही सुलग गयी। मैंने चिढ़ाया , बोल मेरे भैय्या का कैसा लगा. "
मुझसे नहीं रहा गया ,पूछ बैठी ,
" तूने उसके भैय्या का देखा है क्या , ... "
हँसते हुए बोली वो शोख ,
"भाभी आप भी न ,देखा है पूछ रही हैं। यहाँ लड़किया नाम बाद में पूछती हैं सेल्फी पहले खिंचवाती हैं। रोज बिना नागा। सच में नहीं अरे फोटो में। ये दिया भी न ,ठीक प्रेयर में , फिर टिफिन में ,किती बार क्लास में भी ,रोज ,... कभी हाथ में अपने पकड़ के ,कभी गाल पे रख के सेल्फी , एक दिन इंच टेप के साथ , सात इंच का पूरा। "
फिर गुड्डी अपनी बात बढाती बोली ,
" दिया को यकीन नहीं हुआ ,बोली फोटोशॉप होगा। फिर बोली बाजी लगा और मैंने बाजी लगा ली। मुझे अपने भैय्या पे पूरा यकीन था। "
"किस बात की बाजी " मुझसे रहा नहीं गया।
"अरे भौजी ,अगर मेरे भैय्या का बड़ा होगा तो वो मेरे भैय्या से मरवायेगी और अगर उसके भैय्या का बड़ा होगा तो मुझे उसके भैय्या से मरवाना होगा। "
बाकी कोला जग में रखे रमोला में मिलाते गुड्डी बोली।
"मरवाना "
मैंने घुड़का :उसको ,"कल क्या सिखाया था तुझे , मेरे सामने ,तेरे भैय्या के सामने कैसे बोलना है।"
" सॉरी भाभी " चट से मेरी ननद ने अपने कान पकडे और बोली ,
‘चुदवाना। ‘
बिना झिझके शर्माए।
थोड़ी देर में हम ननद भौजाई , कोक और रम मिला रमोला ,और भांग के पकौड़े लेकर ऊपर कमरे में ,जहाँ दिया और छन्दा के साथ ये ,
" काक ऊप्स कोक चलेगा ,... : मैंने बाहर से हंकार लगाई।
" एकदम भाभी ,दोनों चलेगा। " छन्दा की खिलखिलाती आवाज आयी।
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acchi surwad
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(10-11-2023, 09:21 AM)Chandan Wrote: acchi surwad
Thanks sooooooooo much
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10-11-2023, 04:32 PM
(This post was last modified: 10-11-2023, 06:28 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जोरू का गुलाम 105
मस्ती ही मस्ती
" काक ऊप्स कोक चलेगा ,... : मैंने बाहर से हंकार लगाई।
" एकदम भाभी ,दोनों चलेगा। " छन्दा की खिलखिलाती आवाज आयी।
" अरे कॉक तो हमारे पास है , हाँ कोक चलेगा नहीं दौड़ेगा। " दिया अंदर से बोली ,और हम दोनों मैं और गुड्डी अंदर दाखिल।
और अंदर का नजारा देख के तो मेरी तबियत एकदम मस्त होगयी। यही तो मैं चाहती थी अपने सैंया के बारे में ,और आज एकदम बिलकुल उसी तरह ,
नान स्टाप मस्ती , नो होल्स बार्ड एकदम झकास
वो मस्त पंजाबी कुड़ी ,जिसके उभार अपनी उम्र से दो साल बड़ी लड़कियों को भी चैलेंज करते हुए ,एकदम कड़क , इनकी गोद में
लेकिन असली बात तो इसके आगे थी
इनका हाथ उस पंजाबी कुड़ी के टॉप के अंदर गोलाइयों की नाप जोख तो कब की ख़तम कर चुका था अब तो खुल के रगड़ाई मसलाई हो रही थी मेरी ननद की जुबना की।
और वो पंजाबी कुड़ी ,दिया भी कौन कम ,स्साली एकदम मेरी पक्की ननद ,उसका हाथ इनके जींस के अदंर और साफ़ लग रहा था की उसने हथियार मुट्ठी में पकड़ रखा है।
मेरी उस पंजाबी ननद ने , नाप जोख तो कब की पूरी कर ली थी अब तो बस वो हलके हलके मुठिया रही थी ,अपनी कोमल मुट्ठी में मस्त खूंटे का मजा ले रही थी।
छन्दा ,गुड्डी की दूसरी सहेली थी तो थोड़ी छुईमुई टाइप लेकिन वो भी तो अपने कजिन्स के खूंटे घोंट चुकी थी , तो इनकी दूसरी जांघ पे वो और उनका दूसरा हाथ बाहर से ही सही खुल केछंदा रानी के जोबन का रस लूट रहा था।
यही तो जवानी की मजा है ,
गोद में दो दो टीनेजर , इंटर में पढ़ने वाली नए नए जुबना वाली बैठी हों ,और उनके जुबना का रस मेरे सैयां ,उन के भैय्या लूट रहे हों ,...
गुड्डी ने सामने टेबल पर पकौड़े , रमोला ऊप्स कोला रख दिया ,
इन्होने छन्दा के उभार पर से हाथ हटाना चाहा तो मेरी आँखों ने उन्हें जोर से घुड़क दिया ,और अपनी ननदों को उकसाया ,
"अरे सालियों ,तीन तीन बहने जिस भाई के पास बैठीं हो ,सामने ,और एक से एक जबरदंग जोबन वाली ,मस्त माल।उस भाई को अपना हाथ इस्तेमाल करना पड़े।
" एकदम नहीं भाभी आपने समझा क्या है हम बहनों को ,... " दिया बोली।
वो कुड़ी सच में हॉट थी। बिना अपना उनकी जींस के अंदर घुसा हाथ निकाले उस शोख ने दूसरे हाथ से एक पकौड़ी उठायी ,और नहीं नहीं उनके मुंह में नहीं अपने मुंह में गड़प कर ली ,पूरी की पूरी और कुछ देर तक कुचल कर , हाथ से उनका सर कस के पकड़ा और दिया के होंठ मेरे सैंया के होंठों से चिपक गए , दिया की जीभ अंदर
और पकौड़ी ईमानदारी से आधी आधी बाँट ली गयी।
और अगली बार छन्दा ने देखा देखी यही।
मैं क्यों छोड़ती अपनी ननद को, जब छन्दा और उनके बीच टंग फाइट चल रही थी मैंने ,दिया के साथ और एक खूब मोटी बैंगनी ,
अपने होंठों से दिया के मुंह में।
" बैंगन तो तुझे बहुत पसंद होगा , " मैंने उसे चिढ़ाया।
"एकदम भाभी , लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ती ज्यादा ,मेरा सगा भाई है न। उसकी हिम्मत जो अपनी बहन को इग्नोर करे "
खिलखिलाती उस शोख ने अपनी सारी कहानी एक लाइन में कह दी।
दिया ने तबतक कोका कोला का ग्लास उठाया और पहली घूँट में ही उसे अंदाज मिल गया , मेरी ओर मुस्करा के देखा ,आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया और तीनो टीनेजर्स ने एक साथ , अपने भैया के साथ टोस्ट किया ,
"टू अवर सेक्सिएस्ट ,हैंड्समेस्ट भैय्या "
दूसरा टोस्ट मैंने प्रपोज
" टू माई सेक्सिएस्ट छिनाल ननदों के नाम पर "
और सब ने टोस्ट किया , उन्होंने भी।
आधे से ज्यादा ग्लास खाली था। एक बार और फिर मेरी ननदों के टुन्न होने में कोई कसर बाकी नहीं थी।
खासतौर से छन्दा , वो अभी भी थोड़ा थोड़ा ,...
मैंने दिया को छन्दा की ओर देखते हुए इशारा किया , और मुस्कराते हुए उसने हामी भर दी।
" अबकी बॉटम्स अप ,पूरा ग्लास खाली। जिसकी ग्लास में एक बूँद भी बचा न ये ,बस उसे ये छूना पकड़ना घोंटना तो दूर ,देखने को भी नहीं मिलेगा ये जादू का डंडा ,भैय्या का। "
दिया का हाथ तो अभी तक उनकी जींस में था , उनके मुस्टंडे को पकडे ,उसे जींस के अंदर से उचकाते हुए उसने चैलेन्ज किया , खास तौर से छन्दा को उकसाया।
गुड्डी तो खेल समझ ही रही थी ,वो छन्दा की ओर से आ गयी ,
" अरे दिया ,तू समझती है क्या अपनी छन्दा को देख तुझसे पहले ग्लास खाली करेगी वो " और गुड्डी ने ग्लास उठाया ,बॉटम्स अप।
सच में छन्दा ने ग्लास खाली कर दिया ,ये तो गुड्डी को भी नहीं मालूम था क्या होने वाला था ,सिर्फ मुझे अंदाज था।
सुपीरीयर रम , ,स्ट्रांगेस्ट। और दो पेग से ज्यादा ,
" हे दिया ,इत्ती देर से तू पकड़ के बैठी है मुझे भी , ... "छन्दा बोल रही थी।
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10-11-2023, 04:34 PM
(This post was last modified: 10-11-2023, 06:31 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
छन्दा
सच में छन्दा ने ग्लास खाली कर दिया ,ये तो गुड्डी को भी नहीं मालूम था क्या होने वाला था ,सिर्फ मुझे अंदाज था।
सुपीरीयर रम , ,स्ट्रांगेस्ट। और दो पेग से ज्यादा ,
" हे दिया ,इत्ती देर से तू पकड़ के बैठी है मुझे भी , ... "छन्दा बोल रही थी।
" क्या पकड़ के बैठी है ये नाम तो बता ,ननद रानी। " मैंने उसे छेड़ा।
" अरे भाभी ,नाम लेने में इसकी फट रही है तो क्या भईया का पकड़ेगी क्या घोटेगी। " दिया ने उसे और उकसाया।
मैं समझ गयी थी दिया एकदम मेरे मन मुताबिक़ वाली ननद है मेरी।
" अरे छन्दा बोल दे न यार आपस में तो ,हमीं लोग तो है और फिर भाभी भी तो हमारी तरह से ही ,... " गुड्डी ने हाँके में ज्वाइन करते
छन्दा को हमारी ओर खेदा।
" छन्दा बोल दे तो अभी दे देती हूँ , तुझे और मैंने तो जींस के अंदर से पकड़ा था तू ऊपर से पकड़ लेना।
और छन्दा ने बोल दिया ,खूब जोर से चियर्स हुआ।
मैंने खुद उनकी जींस की बेल्ट खोल दी , ज़िप भी ढीली कर दी , ... और गुड्डी और दिया ने पकड़ के छन्दा का हाथ इनकी जींस के अंदर ,
अब छन्दा इनकी गोद में इनके दोनों हाथ उसके कुर्ते के अंदर ,और ,... वो बाहर तो नहीं निकाला ,लेकिन बटन ज़िप खुलने से छन्दा का हाथ आराम से उसे पकडे हुए था।
मैं दिया और गुड्डी अब बेड पर आ गए थे।
गुड्डी के मन में जो सवाल कुलबुला रहा था सुबह से ,जो बाजी लगी थी उसका रिज्लट जानने को ,
" बोल न किसका २० है ,... " दिया से वो पूछ रही थी।
सुबह इनके मुस्टंडे की जो फोटो मैंने गुड्डी को इनके फोन से भेज दे थी वो दिया के हाथ लग गयी थी बस दिया और गुड्डी के बीच बाजी लग गयी।
अगर दिया के भैय्या का बीस होगा तो गुड्डी दिया के भैय्या के साथ
और अगर गुड्डी के भैय्या का बीस होगा तो दिया गुड्डी के भैय्या के साथ
" स्साली ,कमीनी , तेरे भैय्या का एकदम बीस नहीं है। मैंने पकड़ के ,दबा के मसल के नाप के देख लिया। "
दिया गुड्डी एकदम तेल पानी लेके चढ़ गयी।
" मतलब " गुड्डी के चेहरे का रंग उतर गया।
क्या वो बाजी हार गयी ,उसको पूरा भरोसा था ,ऊपर से मैंने भी उसे ,
क्या उसे दिया के भाई से ,
दिया खिलखिलाने लगी ,
" अरे पढ़ने में भले तू मुझसे कित्ती ही तेज क्यों ,खूंटे के मामले में मैं ही ,... कत्तई२० नहीं है तेरे भईया का "
फिर कुछ रुक कर गुड्डी की आँखों में झांकती वो पंजाबी कुड़ी बोली ,
" २४ होगा बल्कि २६ , तेरे भैय्या का ,२० नहीं। कलाई इतना मोटा होगा कम से कम और लम्बा कितना। सबसे बढ़कर कड़क भी खूब है ,हार्ड भी एकदम स्टील. और सब से बढ़के लम्बी रेस का घोडा है तेरे भैय्या का। "
अब मेरी बारी थी दिया को हड़काने की ,जोर से घुड़का मैंने उसे ,
" छिनार , क्या मेरे भइया तेरे भइया लगा रखी है ,क्या गुड्डी के भैय्या तो तेरे भैया नहीं है, बल्कि भैय्या कम सैंया। "
" एकदम भाभी सॉरी , "कान पकड़ते दिया बोली।
मैंने मुस्कराते हुए टॉप फाड़ते हुए उसके अनार मसल दिए , और निपल्स पिंच करती बोली ,
" दिया यार तेरा तो फायदा हो गया न ये बाजी हार के "
" एकदम भाभी " खिलखिलाती हुयी वो फुलझड़ी बोली , फिर गुड्डी से कहा ,
" घबड़ा मत यार पहले तू अपनी सील खुलवा ले ,उसके बाद मैं नंबर लगवाउंगी।
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रस रंग - ननद की सहेलियों के संग
बस इनकी भी हालत ख़राब थी ,एक हाथ छन्दा के शलवार क्या पैंटी के अंदर , और दूसरा ब्रा के अंदर।
मेरे साथ गुड्डी और दिया भी लेकिन दोनों के हाथों में मोबाइल , स्नैप स्नैप।
" तेरे फेसबुक पे पोस्ट कर दूँ ,?" दिया ने आँख नचाते हुए छेड़ा।
" अरे मेरे प्यारे भइया हैं , तो क्या तू ही इनसे मजे लेगी। ला मेरा मोबाइल ,सेल्फी तो खींच लूँ मैं खुद ही पोस्ट कर दूंगी सेल्फी। "
छन्दा बोली
एक हाट किस ,न उन्होंने छन्दा की शलवार से हाथ बाहर निकाला , न छन्दा ने अपने भइया के खूंटे को छेड़ा ,दो चार सेल्फी और फिर दिया ने अपने झोला छाप पर्स से एक सेल्फी स्टिक भी निकाल के छन्दा को ,
और फिर तो फुल बाड़ी सेल्फी ,आधी दर्जन से ज्यादा हर ऐंगल में ,
फिर मेरे गुड्डी के दिया के सबके फोन बजने लगे ,
गुड्डी की सारी सहेलियां फेसबुक में भी थी मेरे और व्हाट्सऐप पे भी ,
वो सारी की सारी सेल्फी मेरे मोबाइल में ,फेसबुक पे ,व्हाट्सऐप पे।
" हे खाली अपने बहनों के साथ मस्ती ही करते रहोगे या कुछ खिलाओ पिलाओगे "
अब उनकी हड़काये जाने की बारी थी। उन्हें तो मैंने बोला ही ,गुड्डी की सहेलियों को भी उकसाया ,
" अरे यार जरा अपने भैय्या की जेब तो ढीली करवाओ तुम सब कैसी बहनें हो। "
" जेब तो ये ढीली करवा लेंगी ,लेकिन भैय्या इन दोनों की भी ढीली कर देंगे। "
गुड्डी झट से अपने भैय्या की ओर से बोली।
तबतक छन्दा उनकी गोद से उतरकर हमारे पास आ गयी थी ,और अपने फेसबुक पर सेल्फी पर कमेंट्स और लाइक्स देख रही थी। २ ८ कमेंट्स और १४७ लाइक्स आचुकी थीं। जवाब उसी ने गुड्डी को दिया ,
" अरे यार हमारी तो कब की ढीली हो गयी है , अब तेरा नंबर है ,जो ये मोटा मूसल घुसेगा न कोरी कच्ची बिल में ,... भाभी अब की ये बचने न पाए। "
" एकदम नहीं बचेगी ,इसीलिए तो साथ ले जा रही हूँ ,नहीं मानेगी तो हाथ पेअर बाँध के ,... " मैंने छन्दा को अश्योर किया।
" और भाभी एकदम सूखी ,नो वैसलीन ,नो बोरोलीन , नो के वाई जेली , ,... " दिया भी अब गुड्डी के पीछे पड़ गयी थी। "रानी जी ने बहुत दिन बचा के रखा है अपनी। "
गुड्डी मीठा मीठा मुस्करा रही थी ,अपनी सहेलियों की बातों में उसको भी रस आ रहा था।
"एकदम दिया , मैं भी आर्गेनिक हूँ , नथिंग आर्टिफिशियल ,... आर्गेनिक, नेचुरल। बहुत हुआ तो इनके भैय्या का थूक ,वो भी बस थोड़ा सा ,उनके सुपाड़े पर फटे तो ठीक से फटे "
वो कमरे में चले गए थे शायद वॉलेट लेने।
मेरी निगाह घडी पर पड़ी ,ढाई बज चुके थे।
तबतक जेठानी जी की आवाज आयी ,मुझे बुलाती।
एक बार ,दो बार ,तीन बार ,..
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10-11-2023, 06:43 PM
(This post was last modified: 10-11-2023, 06:44 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रस भंग - मेरी जेठानी
तबतक जेठानी जी की आवाज आयी ,मुझे बुलाती।
एक बार ,दो बार ,तीन बार ,..
………………………………………………………………………….
मुझे लगा की कहीं वो ऊपर ही न आ जाएँ सारा माहौल ,
"हे तुम सब जाओ ,ज़रा अपने भैय्या को कस के लूटना मैं ज़रा नीचे जा रही हूँ। "
"एकदम भाभी ,और भैय्या भी कौन सा हम सब को लूटते समय कोई कसर छोड़ेंगे ,लेकिन ज्यादा टाइम नहीं लगेगा ,बस पास में ही एक पिज्जा शाप है। डेढ़ दो घंटे में आप के सैंया आप के पास. "
दिया ने पूरा प्लान बता दिया।
और मैं पकौड़े की खाली प्लेटें ,खाली ग्लास ट्रे में ले के नीचे।
और नीचे जेठानी जी पूरी आग।
सुबह सुबह जो वो चंद्रमुखी लग रही थीं ,इस समय ज्वालामुखी।
चेहरा तनतनाया , भृकुटी तनी, उग्र भंगिमा गुस्से के मारे बोल नहीं फूट रहे थे।
पहले ज़माने में जो लोग शाप वाप देते थे ऐसे ही लगते होंगे।
मेरे हाथ में ट्रे ,पकौड़ियों की प्लेटें ,ग्लास।
बोली वो हीं,
' घडी देखा है ?'
अब ये कौन सा सवाल हुआ ,हम दोनों जहां बरामदे में खड़े थे ,वहीँ एक दीवाल पर घडी जी टिक टिक कर रही थीं।
मेरी पतली कलाई में ,मम्मी जो अमेरिका से लायी थीं ,टिफैनी की डायमंड स्टडेड गोल्ड वाच शुशोभित हो रही थी।
मैंने जवाब नहीं दिया। समय मैंने देख लिया था।
ढाई बज रहे थे।
और जिस दिन से शादी के बाद से मैं इस घर में आयी थी ,सूरज पूरब से पश्चिम हो जाए ,जेठानी जी खाना डेढ़ बजे के पहले। और खाना बनाना लगाना उन्हें बुलाना ,सब काम और किसका ,छोटी बहु का।
इस बार एक अच्छे मैनेजर की तरह वो काम मैंने इन्हे डेलीगेट कर दिया था।
पर आज। और मुझे भूख इस लिए नहीं लगी की, टाइम का अंदाज भी नहीं की... उन चुलबुलियों के साथ मैंने ढेर सारी पकौड़ी उदरस्थ कर ली थी।
उनकी निगाह उसी ट्रे पर पड़ी जो कुछ देर पहले पकोड़ियों और कोक से लदी फंदी ऊपर गयी थी और अब एकदम खाली ,नीचे।
और मैं हिचकिचाते हुए जैसे कोई लड़का फिर फेल हो गया हो ,उस तरह ,बहुत धीमे से बोली ,
:वो गुड्डी की सहेलियां , मुझसे मिलने आयी थीं ,बोलीं भाभी बहुत भूख लगी है आप के हाथ की पकौड़ी खाने का मन ,..."
और अब वो ज्वालामुखी फूट पड़ा।
" तुम भी न ,... तुम भी ,.... सींग कटा के बछेड़ियों में शामिल होने का शौक चर्राया है। अरे कु,छ दिन में तुम्हारी शादी के दो साल हो जायँगे ,घर गृहसथी की जिम्मेदारी, पुराना ज़माना होता तो नौ महीने में केहाँ केहां , और इन कल की घोड़ियों के साथ खी खी में मगन ,
किसी तरह मैंने अपने मन से कहा शांत गदाधारी भीम शांत , चार साल से ऊपर हो गए थे इन्हे इस घर में आये और केहाँ केहां कौन कहे ,ढंग की उलटी भी नहीं
जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,
तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....
दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...
उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।
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जोरू का गुलाम भाग १०६
ज्वालामुखी
जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,
तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....
दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...
उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।
लेकिन मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की सीढ़ियों से धड़धड़ ,वो ,गुड्डी और गुड्डी की सहेलियां , जैसे परियों का अखाडा चले ,जैसे बाग़ में अचानक बेमौसम बहार आ जाये और हर कली ,फूल बनने के लिए बेताब हो उठे
माली एक कलियाँ तीन,
एक ओर वो मस्त पंजाबी कुड़ी ,जिसका जोबन फटा पड़ रहा था ,दिया
और इनके दूसरे ओर ,वो नमक की खान ,नमकीन , छन्दा।
गुड्डी साथ में ,बस थोड़ा सा पीछे ,जैसे कह रही हो , कमिनियों माल तो मेरा है ,चल थोड़ी देर तू दोनों भी मौज मस्ती कर ले।
दिया और छन्दा के बीच में ये , एक हाथ छन्दा के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पे और दूसरा दिया की टॉप के अंदर।
और जिस तरह उनकी जींस की ज़िप आधी खुली थी ये साफ था इस कमीनियों ने खूंटे को बाहर निकाल के भी अच्छी तरह नाप जोख की है।
" हम लोग जरा भैय्या को लूटने जा रहे हैं। " जोबन लुटाती उनकी 'बहने ' गुड्डी की सहेलियां बोलीं।
" बस पास में ही एक नया पिज़्ज़ेरिया खुला है , ... " उन्होंने साफ किया। और फिर बिना इस बात का अहसास किये की मौसम अचानक बदल गया है ,
वो मुझसे पूछ बैठे ,चलेगी क्या ?
जेठानी जी तो , जैसे कोई एकदम गरम तवे पर पानी की दो चार बूंदे डाल दे और जोर से तवा छनक उठे।
लेकिन जिस तरह जेठानी जी ने उनकी ओर देखा ,
ज्वालामुखी बनी जेठानी जी की अब ज्वाला धधक उठी।
और वो समझ गए ,मामला सीरियस ही नहीं महा सीरियस है।
बिचारी गुड्डी , वो आग में घी की तरह ,... जल गयी।
उसके मुंह से निकल गया ,
" चलिए कोई बात नहीं ,आप लोगों के लिए पैक करवा के भिजवा दूंगीं। "
अब तो जेठानी जी ,
" नहीं नहीं न कोई जाएगा , और न कुछ पैक कर के आएगा। "
उन्होंने हमेशा की तरह बीच का रास्ता निकाला ,
" बस भाभी , हम लोग अभी गए अभी आये। पास में ही है एकदम। "
गनीमत था की छन्दा और दिया बाहर निकल गयी थी।
और झटपट ये गुड्डी का हाथ पकड़ के बाहर निकल गए।
जो काली घटा इत्ती देर से उमड़ घुमड़ रही थी वो जम के बरसी ,
और किस के ऊपर मेरे ऊपर
शादी के बाद के शुरू के दिनों में ये आम बात थी , लेकिन तब भी इतनी तेजी कभी नहीं देखी मैंने
और तब सहायक भूमिका में उनके गुड्डी ही रहती थी ,इसलिए सारे डायलॉग उन्हें नहीं बोलने पड़ते थे।
नेपथ्य में कभी कभी मेरी सासु जी भी ,
और आज वो अकेले , डाकिनी ,पिशाचिनी , सब की शक्तियां उनके अंदर
बात उन्होंने अपने मोहरे से शुरू की जो अब होस्टाइल हो चुकी थी।
" ये गुड्डी भी न ,अकेले कम थी क्या जो अपनी सहेलियों को भी बुला लायी , डोरे डालने के लिए " किसी तरह उनके मुंह से निकला।
कोई दूसरा समय होता मैं बोल उठती ,
"अरे दीदी वो चीज ऐसी है की जितना भी इस्तेमाल करो ख़तम नहीं होने वाली। मुझे मिल बाँट के खाने में कोई ऐतराज नहीं ,खास तौर से उनके मायकेवालियों से। "
पर अभी तो जितने आग उगलने वाले ड्रैगन मैंने मिडल अर्थ की कहानियों में पढ़े थे ,सबकी शक्ति उनके अंदर समाहित हो गयी।
इसलिए बस मैं चुप ही रही।
" और सब तेरी गलती है , तुझे कितनी बार समझाया ,आग और फूस का साथ ,... ये नयी नयी लड़कियां , ... और मर्द कोई दोस नहीं देगा। लेकिन तुझे समझ में आये तो न , दो चार अक्षर ज्यादा पढ़ लेने से ज्ञान नहीं आ जाता , बस सब को इसी बात का घमंड , अरे तुझसे बड़ी हूँ ,चार साल पहले तुझसे इस घर में आयी."
( यह बात उन की सही थी ,लेकिन उम्र में मुझसे सिर्फ दो साल ही बड़ी थी , और अगर ये बता दूँ की उनकी शादी किस उम्र में हुयी तो ये सारे मॉडरेटर लोग मिल के मुझे मेरे कोमल कोमल कान पकड़ के फोरम से बाहर निकाल देंगे। )
भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,...
नौ महीना बाद ,...
अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "
उनका बड़बड़ाना जारी था।
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वो दिन
"भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,... नौ महीना बाद ,... अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "
उनका बड़बड़ाना जारी था।
" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "
किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।
शादी के बाद नयी नयी दुल्हन के लिए किचेन अपने कमरे के बाद दूसरी सबसे बड़ी छिपने की जगह होती है।
लेकिन जेठानी जी वहां भी पीछा नहीं छोड़ती थीं, मेरे पीछे पीछे किचेन में आके, एकदम मेरे पीछे खड़े होके , ऐसे ऐसे ताने, व्यंग बाण, बाहर तो मेरी सास के सामने एकदम मीठी बनी रहती थीं, और कोई पड़ोसन आ जाए तो और ज्यादा,एकदम मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक, लेकिन अकेले में,...
और कोई एक चीज़ हो तो बताऊँ, मेरी पढाई, रूप जोबन, और सबसे बढ़कर मेरा घर परिवार, मेरा मायका,
एक दिन बगल की एक पड़ोसन आयी थीं, ( बैठने की जगह मेरी तय थी, जेठानी जी ने पहले दिन ही मुझे बता दिया था , सास मेरी पलंग पर और जेठानी वहीँ पायताने या सामने कुर्सी पर, और मेरे लिए एक झीलंगहिया मचिया), पड़ोसन की बहू की कहीं नौकरी लग गयी थी, दूर के एक एक गाँव के कॉलेज में, पड़ोसन उसी का गुणगान कर रही थीं, मेरी बहू बहुत पढ़ी लिखी है, बीएड भी कर लिया है, ... मेरी सास से नहीं रहा गया उन्होंने मुझे उकसाया, बोलीं पड़ोसन से,
" अरे मेरी बहू ने भी बहुत पढ़ाई की है,क्या कहते हैं वो मेडल वोडल भी मिले हैं उसको,... मैं तो भूल भी जाती हूँ, बता दे न बहू ,.. "
मैं समझ गयी सास ने प्वाइंट स्कोर करने के लिए मुझे आगे किया है और मैं क्यों उन्हें हारने देती,...
बस मैंने अपनी सारी डिग्रियां, डिप्लोमा सर्टिफिकेट तक गिना दिये और ये भी की दो उसमें से फॉरेन की युनिवरसिटी के है ( ये नहीं बताया की कोर्स ऑनलाइन वाले थे )
और मेरी सास भी कम नहीं थीं, उन्होंने पहले से एन्टिसिपेट कर लिया था की पड़ोसन का अगला सवाल क्या होगा इसलिए वो जवाब उन्होंने पहले ही दे दिया,
"मैं तो कहतीं हूँ इतनी पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी, तो ये खुद मना कर देती है , बोलती है नहीं माँ जी , बस आप के पास .... क्या करुँगी नौकरी कर के, फिर मेरे छोटे बेटे की नौकरी भी इतनी अच्छी है, बोलती है , वो तो है न नौकरी करने के लिए , मैं क्यों करूँ किसी की गुलामी, टाइम पर आना, टाइम पर जाना,
सास ने एक साथ कई प्वाइंट स्कोर कर लिए थे, मेरी पढाई, मेरा उन का ख्याल करना, सास के बेटे की अच्छी नौकरी,... और पड़ोसन का बेटा कहीं पास में पंसारी की दूकान पे काम करता था,...
लेकिन पड़ोसन भी इतनी जल्दी पारी की हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, एक मिनट के लिए उन्होंने मेरी ओर देखा,... और फिर बोलीं,
" रूप गुन पढाई सब में जबरदस्त बहू लायी हैं,... आप बेटे की नौकरी कहाँ पर है आपकी , प्राइवेट में तो छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है इसलिए मैंने लड़के को कहीं बाहर नहीं जाने दिया , चार पैसा कम मिले तो क्या, आँख के सामने तो है, और इस उमर में दुःख सुख आप बेटे पास में रहें,... "
लेकिन मेरी सास भी, बोलीं
" आप एकदम सही कहती हैं,... लेकिन क्या करें, चिरिया चिनगुन भी बड़े होने पर घोंसले से उड़ जाते हैं , फिर उसकी नौकरी बहुत दूर नहीं है , कार से तीन चार घंटे,... "
जब मैं पानी पढाई के बारे में बता रही थी तो मेरी सास का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था, ... लेकिन उस समय तो मैं भूल गयी थी, बाद में मुझे याद आया, एक पल के लिए कनखियों से मैंने देखा था की मेरी जेठानी का चेहरा एकदम झांवा हो गया था,...
और उस का इनाम मिला तुरंत ही, जेठानी कुछ भी उधार नहीं रखती थीं, ... रोज तो भले किचेन में चार ट्रिप करनी पड़े,... अगर एक बार में ही सब कुछ ले जाने की कोशिश करूँ तो तुरंत ज्ञान मिल जाता था,.... अरे कहीं एकाध प्याला भी टूट गया न , सेट खराब हो जाएगा, तेरी जेठ की मेहनत की कमाई का है, मायके से नहीं लायी हो,... पर आज जब मैं तीसरे ट्रिप में बाकी के समान उठा रही थी और सास उठ के अपने कमरे में जा रही थीं सास की ओर देख के वो बड़े दुलार से बोलीं, चल मैं तेरा हाथ बटा देती हूँ, वरना कहेगी की अपने मायके में तो एक ग्लास पानी हाथ से उठा के नहीं पिया , और यहाँ ससुराल में काम करवा करवाके ,
सिर्फ एक ग्लास उन्होंने उठाया, मेरे पीछे पीछे,... और क्या बादल गरजे बरसे,...
( हाँ मुझे हड़काते समय ये ध्यान वो रखती थीं की किचेन से बाहर आवाज न जाये और एकदम मुझसे सट के ,
मेरी जुबान खुलने का सवाल ही नहीं था, बस मुंह झुकाये बरतन साफ़ कर रही थी.
" इतना बढ़ चढ़ कर चबड चबड जुबान चलाने की क्या जरूरत थी, पूरे मोहल्ले में जा के गायेगी वो, अरे हम भी बियाह के इसी आंगन में आये थे, साल भर तो जो आस पड़ोस छोड़ दो, जो घर में किसी ने आवाज सुनी हो, लेकिन तुम भी न और ऊपर से अंगरेजी भूँक रही थी, ...क्या सोची होगी वो, ... ( गलती मेरी थी, डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफकेट गिनाते गिनाते एक लाइन अंग्रेजी की भी मेरे मुंह से निकल गयी थी ), बहू पढ़ी लिखी है लेकिन ये सास जेठानी नौकरी नहीं करने दे रही हैं,... अरे मैं क्या करूँ, मेरी सास की ही,... "
एक सांस में वो इतना बोल गयीं फिर जैसे ड्रैगन लोग आग फूंकने के बाद रिफिल करते हैं, बस थोड़ा सा पाज और फिर चालू, जहाँ छोड़ा था वहीँ से, ...
" मैंने इतना समझाया था सास को लेकिन वो भी न, मैंने बोला था, अरे हाईकॉलेज, इंटर बहुत है, कौन नौकरी करानी है। अरे औरत क काम क्या है, सादी बियाह हो गया, मरद के पास सोओ, पेट फुलाओ, नौवें महीना,... अरे बंस चलाओ , कुल परंपरा का ख्याल रखो, संस्कार भी कोई चीज है लेकिन नहीं,.... "
फिर हर बार की तरह वो अपना उदाहरण लेकर चालू हो गयीं,...
" अरे हम भी गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर पास है, ब्लाक मेंहदी कम्पटीशन में पार्टीसेप्शन सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन देखा है मुझे कभी उसके बारे में बोलते हुए,... ( बरामदे में एक बड़ा सा गोल्डन फ्रेम में वो पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट सुशोभित था , और पहले ही दिन मुझे दिखाया गया था और ये बात भी सही थी की वो मेंहदी अच्छी लगाती थी), मेरी सहेली जैनब भी, बीए किया बी एड किया और वहीँ अपने गाँव में ही इतनी बढ़िया नौकरी, कॉन्ट्रेट टीचर की, सरकारी नौकरी ,... लेकिन कभी बोलती हूँ मैं , लेकिन तुम भी नहीं, दो अक्षर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, मैं इस घर में पहले आयी हूँ , तुमसे बड़ी हूँ , रहूंगी , ... और इतना रगड़ रगड़ के कप मत धो, खरोंच पद जायेगी, कुछ भी गुनढंग मायके से सीख के नहीं आयी "
और वो दनदनाती हुयी किचेन से बाहर,
मेरा तो मन हुआ झन्नाक से कप वाश बेसिन में पटक कर तोड़ दूँ,... लेकिन,... और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बेडरुम के बाद मुझे किचेन में ही शान्ति मिलती थी पर वहां भी, ...
और इनके साथ भी, ... वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ...
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बीते हुए कल
और इनके साथ भी, ...
वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ... हाँ जब कोई नहीं होता था तो न मैं उन्हें ललचाने से चूकती थी, न वो चोरी छिपे, तांक झाँक से, बदमाशी में तो बदमाशों के सरदार, पहले दिन से ही मैं समझ गयी थी और लालची नंबर वन भी,...
दूज्यौ खरै समीप कौ लेत मानि मन मोदु।
होत दुहुन के दृगनु हीं बतरसु हँसी-विनोदु।
बस वही बिहारी के दोहे वाली बात, आँखों ही आँखों में इशारे होते बात चीत होती, मैं उन्हें चिढ़ाती ललचाती, वो मुझे मनाते, निहोरा करते,...
लेकिन जेठानी के पैरों की आहट और वो एकदम पूरी तरह,... चोर सिक्युरिटी का खेल,
और उनके या घर के किसी के सामने होने पर,... उनका मामला तो एकदम, न तुम हमें जानों न हम तुम्हे जाने वाला हो जाता
और ये मुझे बहुत खराब लगता, बहुत खराब, ये ही तो थे जिनसे मैं रूठ सकती थी, मन की कह सकती थी और ये भी,
एक दिन मैंने सुन लिया की जेठानी इनसे कह रही थीं, ... और कितने गंदे ढंग से,....
" रात भर तो चढ़े चिपके रहते हो, और दिन में भी, ... कुछ तो लाज शरम,... तेरी भैया की भी शादी हुयी थी,... मैं भी नयी नयी बियाह के इसी घर में आयी थी, तुम दिन में भी चक्कर काटते रहते हो जैसे कभी, ....पता नहीं पहले दिन से तुझे क्या घुट्टी पिला दी है,...
अरे मैं , जब सब लोग सो जाते थे , तब वो भी दबे पाँव तेरे भैया के पास,... और सुबह सबके उठने के पहले,... मैं कमरे से बाहर,...
और दिन में मजाल क्या, जो कहीं आस पास, लगता है नोखे की तुम्हारी सादी हुयी है,... अरे अपना नहीं घर की सोचो, घर परिवार की इज्जत, क्या कहेंगे लोग की फलाने का,... "
बाद में मेरे समझ में आया इनके ऊपर जो 'लोग क्या कहेंगे'वाला डर था, उसको चढाने में मेरी जेठानी का सबसे बड़ा हाथ था
और एक दिन तो उन्होंने क्या क्या नहीं कहा इन्हे,
मैं वहां नहीं थी, किचेन में प्याज काट रही थी,... लेकिन बाद में मुझे समझ में आया, जेठानी जी समझा अपने देवर को रही थीं लेकिन निशाने पर मैं ही थी, उन्हें इस बात का साफ अंदाज था की किचेन में मैं सुन रही थी सब कुछ,...
" मान लो उस को सरम लिहाज नहीं है, वो तो बाहर से आयी है, जो महतारी ने सिखाया होगा, मैं तो दो दिन में समझ गयी थी थी, कोई गुन ढंग संस्कार, ये सब पैसा पढाई से नहीं आता, संस्कार बचपन से सीखता है,... लेकिन तुम तो,... एकदम महरानी अपने आँचर में तोहके बाँध के,... दिन भर जब देखो तब ओहि के चक्कर,... अरे थोड़ा घर से बाहर जाओ, अपने दोस्तों से मिलो, काम धाम, ये क्या जब से ये आयी है घर घिस्सू, जोरू के आगे पीछे, देखती माता जी भी है , लेकिन वो बोलती है नहीं , बुरा उनको भी बहुत लगता है,... "
पहली बार प्याज काटते हुए मेरी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी,
गलती मेरी ही थी, हम दोनों सोच रहे थे कोई नहीं है. फर्स्ट नाइट से मुझे पता चल गया था ये लड़का मेरे चोली के फूलों के पीछे पागल है, पागल मतलब असली वाला पागल, दीवाना,... वो बरामदे के दूसरे कोने से मुझे देख रहे थे,... मैंने इधर उधर देखा की कोई नहीं है, बस मैंने ज़रा सा आँचल ढलका दिया,.... चोली कट ब्लाउज,... उभार क्लीवेज,... पल भर भी नहीं,... बेचारे की हालत खराब, फिर मैंने होंठों पर जीभ फिरा दी, और अपने खुले क्लीवेज की ओर हलके से देख लिया
और वहां तम्बू तन गया.
मैं जोर से मुस्करा रही थी, लेकिन तब तक जेठानी जी के पैरों की आवाज सुनाई पड़ी और मैं किचेन में और वो कोई किताब लेके बैठ गए,...
पर जेठानी की निगाह से कुछ बचता था क्या,...
और वो चालू हो गयीं और बात उन की कहीं से शुरू हो, मेरे मम्मी मेरे परिवार पर उन का नजला गिरता, शराबी कबाबी, सारी नैतिकता जीभ से शुरू होकर जीभ पर ख़तम हो जाती थी, और कई बार मेरी सास भी चपेट में आ जाती थीं,
" मैंने सास से दसों बार मना किया था, लेकिन कोई मेरा सुने तब न, अरे अपने से नीचे घर की लड़की लानी चाहिए, भले ही थोड़ी गरीब हो, दब के रहेगी, कितनी तो मेरी जान पहचान की लेकिन,... वो भी न वो शकल देख के मोहा गयीं। .. अब गुन लक्षण,
उन की रेडियो मिर्ची चालू थी और मेरी आँखों से गंगा जमुना, प्याज काटने के साथ साथ
तभी मेरी सास आ गयीं, और उन्होंने मुझे हड़का लिया, मेरी आँखों की नमी उनसे नहीं छुपा पायी मैं,
" क्या हुआ " उन्होंने पूछ लिया
" कुछ नहीं, वो प्याज काट रही थी न तो मेरी आँख में हर बार,... "
मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर सच उनको भी पता चल गया और मुझे भी की , उन्हें सब समझ में आ गया,
मुस्करा के वो बोलीं
" तो मत काट न, जो मेरी चाँद सी दुल्हन की आँख गीली करे, ... ले मैं काट देती हूँ, मुझे कुछ नहीं होगा तू ज़रा सा जा के आराम कर, सुबह से चूल्हे में घुसी रहती है. "
कुछ दिन बाद मेरी समझ में आया सासू जी की मजबूरी, .... उन्हें रहना तो जेठानी के ही साथ था, जेठ जी भी नम्बरी चुप्पे, जेठानी के सामने उनका भी मुंह नहीं खुलता था, ... पता नहीं क्या जॉब था उनका दो चार दिन घर में रहते, फिर हफ्ते दस दिन बाहर ,...
कोई दिन नांगा नहीं जाता था ,...
तब तो कित्ती ही बार ,और बजाय सम्हलाने के ,मनाने के , नमक छिड़कने वालों की कमी नहीं होती थी।
एक बार ऐसे ही जेठानी जी की किसी बात पर मेरी आँख गीली थी ,मेरे मायके वालों को , और मायके में था कौन मम्मी के सिवाय ,... शराबी कबाबी , ,..संस्कार ,...
और गुड्डी आ गयी , बजाय कुछ पूछने के और ,...
" क्यों भाभी , मायके के किसी यार की याद आ गयी थी?"
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डिश बेस्ट सर्व्ड कोल्ड
एक बार ऐसे ही जेठानी जी की किसी बात पर मेरी आँख गीली थी ,मेरे मायके वालों को , और मायके में था कौन मम्मी के सिवाय ,... शराबी कबाबी , ,..संस्कार ,...
और गुड्डी आ गयी , बजाय कुछ पूछने के और ,...
" क्यों भाभी , मायके के किसी यार की याद आ गयी थी?"
लेकिन मैं अब बदल गयी थी , मैंने तय कर लिया था भागो नहीं बदलो , इनको भी इनके मायकेवालों को भी।
खाना मैंने गरम करना शुरू कर दिया था लेकिन मैं अपने को बार बार समझा रही थी
रिवेंज इज अ डिश बेस्ट सर्व्ड कोल्ड।
और अपनी स्ट्रेटजी सोच रही थी।
रिट्रीट ,रिट्रीट ,... किसी तरह मैं उन्हें जवाब न दूँ उनका गुस्सा ठंडा होने दूँ , पता करूँ उनकी ताकत किस मौके का वो इस्तेमाल करना चाहती हैं।
मैं अपने दिमाग के घोड़े तेजी से दौड़ा रही थी,मैंने जो मम्मी से सीखा, क्लब की पॉलिटिक्स में मिसेज खन्ना से सीखा था,
कुछ भी गड़बड़ नहीं होना चहिये, कुछ भी नहीं, क्या था जेठानी के पास,
अब ये तो एकदम हमारे थे , जेठानी जी की ' खाने पीने ' आदतें सुधारने में मुझसे ज्यादा इनका हाथ था ,
गुड्डी भी , अब तो कोचिंग में चलने के लिए हमारे साथ चलने के लिए खुद बेताब थी, फिर उसकी कितनी फोटुएं मेरी मोबाइल में कैद थीं टॉपलेस, हर तरह के और अब तो इनसे ज्यादा वो गरमा रही थी अपनी टाँगे फैलाने को,
सास्सू जी अभी थी नहीं तो, ....
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,
मेरे यहाँ आने के पहले ही मम्मी ने दस बार समझाया था, चेताया था, ' देख कोमलिया यहाँ सिर्फ तू और ये हैं, तो सब कुछ,... अब वो तेरे मन की बात समझने लगा है और तू भी, ... लेकिन जब उसके मायके में रहेगी न तो असली टेस्टिंग होगी तेरी, पुरानी यादें, और सब से बढ़कर पहले की आदतें, उन की भौजाई, अगर वो वहां जाके भी नहीं बदले तो समझो, ... "
और ये ये बदले क्या, मुझसे भी दो हाथ आगे थे , मेरी जेठानी और ननद दोनों के मामले में, ... एक पल के लिए भी नहीं हिचके, पोर्क चिकेन पिज्जा , मटन कबाब सब कुछ उन्होंने खुद आर्डर किया अपनी भाभी के लिए, अपने हाथ से खिलाया, ... फुल टाइम मस्ती,
लेकिन,
मुझे शुन त्जू की आर्ट आफ वार याद आ रही थी, नो योर एनमी, और क्या मैं अपने जेठानी जी के बारे में कुछ जानती हूँ ,... मैंने दिमाग पर बहुत जोर डाला, ...असल में कुछ भी नहीं, और बिना उनके बारे में जाने, अच्छी तरह समझे, उनकी सारी कमजोरियां, अतीत,...
और मेरी सबसे बड़ी वीकनेस, ये ,... और इनसे जुड़ी गुड्डी इनकी बचपन की,...
और अचानक मेरी चमकी, जोर से चमकी,
अगर गुड्डी को हम लोगों के साथ जाने से जेठानी ने रोक दिया तो ये,... कैसे कर पाएंगी पता नहीं
लेकिन मेरा वो सबसे बड़ा वीक प्वायंट था, एक तो ये फ्रस्ट्रेट होंगे , दूसरी गुड्डी यहाँ अकेले तो जेठानी जी उसकी अच्छी तरह खबर लेंगी , और फिर न मुझ पर कोई विश्वास करेगा,
मैंने झटाक से एक स्वाट किया, मेरी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ ये , हर मौसम में मेरे साथ और अब गुड्डी भी, सेक्स मौज मस्ती तो ठीक थी , ननद भाभी की छेड़खानी, हो तो ठीक न हो तो भी , लेकिन मैंने मन ही मन तय कर लिया उसका मेडिकल इंट्रेंस का सपना और वो बिना कोचिंग ज्वाइन किये मुश्किल था , बिना हमारे साथ चले,
लेकिन वीकनेस ये थी की मुझे इस प्लान को भरभंड करने वाली जेठानी के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था , और मेरी सास , जेठानी के साथ ही रहती थीं , उन्हें वो लीवरेज कर सकती थीं
अपॉरचुनिटी अभी से अच्छी कुछ नहीं थी, उस का इंटर का रिजल्ट आनेवाला था , उसके घर वाले भी मान गए थे और सास मेरी यहाँ थी नहीं ,
थ्रेट , वही जेठानी जी ,
इसलिए मैंने तय किया अभी मैं शांत रहूंगी , पहले जेठानी जी को उनके पत्ते खोलने दूंगी और फिर नहले पे दहला जड़ूंगी।
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