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Adultery *अंजामे मोहब्बत*
#1
*अंजामे मोहब्बत*
 **इस कहानी के सभी पात्र और घटनाए काल्पनिक है, मेरी हर कहानी की तरह इसका भी किसी भी व्यक्ति शहर या घटना से कोई संबंध नहीं है किसी व्यक्ति स्थान या समुदाय का नाम का होना संयोग मात्रहै**

*सोफिया आलम नकवी*



में सोफिया आलम नकवी कुछ सालों के लंबे अंतराल के बाद एक नई कहानी के साथ आप की बारगाह में हाजिर हु,देख कर अच्छा लगा के आज कल नए राइटर काफी उम्दा रचनाएं लिख रहे है पिंक बेबी कोमला रानी जैसे बड़े राइटर्स आज भी अपनी बेहद खूबसूरत रचनाओं से पाठकों के दिलो दिमाग पर जादू किये हुए है,


दस्ताने मोहब्बत यह कहानी है नैनीताल की सीमा नाम की मासूम लड़की और उस की पवित्र मोहब्बत के आगाज और अंजाम की,


*सीमा शर्मा* 25 साल की सुंदर सुशील पढ़ी लिखी शादीसुदा महिला थी,सीमा एक गंभीर स्वभाव की अपने पति से दिलो जान से मोहब्बत करने वाली औरत थी उसका पति अजय उसकी जिन्दगी उसका प्यार उसका खुदा उसका सब कुछ था उसके एक इशारे पर वो जान कुर्वान कर सकती थी,5 साल पहले जब सीमा 20 साल की थी तब सीमा ने अजय से लव मैरिज की थी,सीमा नैनीताल में अपने परिवार के साथ रहती थी और अजय का परिवार भी नैनीताल में ही रहता था,दोनों ने नैनीताल के एक ही कॉलेज से ग्रेजुएसन की थी बही दोनों को प्यार हो गया था एक ही कास्ट के होने की बजह से घरवालो ने 20 साल की होते ही हँसी खुसी दोनों की शादी कर दी थी, शादी के 1 साल बाद ही अजय को दिल्ली में अच्छी जॉब मिल गई थी और दोनों 4 साल से खुसी खुसी दिल्ली में रह रहे थे,
आज संडे था सुबह के 10 बज गए थे लेकिन सीमा आज सुबह से ही काफी व्यस्त थी 5 बजे उठी थी नहा धोकर मंदिर जा के पूजा करने के बाद 8 बजे से रसोई में घुसी जल्दी जल्दी खाना बना रही थी,सीमा संडे को सामान्य दिनों से अधिक ब्यस्त रहती थी क्योंकि संडे को उसका प्यारा पति अजय दिन भर घर पर ही होता है और दोपहर से ही बोतल खोल कर बैठ जाता था और कभी पकोड़े कभी पनीर भुर्जी कभी डोसा जाने क्या क्या बनवाता रहता है, अभी उसका सुहाग उसका पति परमेस्वर अजय बाथरूम में नहा रहा था,
पंडित जी ओ पंडित जी कितना नहाओगे पनीर चीले ठंडे हो जाएंगे जल्दी आओ मैने चाय गैस पर रख दी,सीमा की सुरीली आवाज घर में गूँज उठी,
वहाँ बाथरूम में सावर चल रहा था और अजय कमोड पर बैठ मोबाइल देखता हुआ अपने 5" के लंड को बेदर्दी से मरोड़े जा रहा था,
सीमा की आवाज सुनकर अजय हड़बड़ा जाता है और उसके हाथ से मोबाइल फिसल कर बाथरूम के फर्स पर गिर जाता है,गुस्से से अजय का दिमाक भन्ना जाता है वो मन ही मन कहता है साली रंडी कुतिया छिनार रंडी का मूत साली कुतिया सारे चीले तेरी गांड़ में घुसाऊ कमीनी ने डरा दिया पूरा मोबाइल भीग गया,
लेकिन जल्दी हीअजय अपने आप को सँभाल के कहता है,अजय,
जानू बस 2 मिनिट में आता हूं चीलों का नाम सुनकर मुह में पानी आ गया लव यू जानू,
अजय से आई लव यू सुनकर सीमा मयूरी की तरह खिल उठती है और मस्ती में गुन गुनती चाय बनाने लगती है,
उधर बाथरूम में अजय फिर मोबाइल देख कर लंड मरोड़ने लगता है,मोबाइल पर एक 3 सम वीडियो चल रहा था जिसमें एक काला लड़का एक गोरे लड़के की गांड मार रहा था और एक गोरी औरत जो गांड़ मराने वाले गोरे लड़के की वाइफ थी उस काले लड़के की गांड़ चाट रही थी,वीडियो में गोरा लड़का अंग्रेजी में अपनी पत्नी से कह रहा था आ आ रंडी जोर से चाटो मेरे आशिक की गांड़ ओ ओ डार्लिंग मेरे यार की गांड़ में जीभ डाल कर गांड़ का माल खा लो,ओ ओ मेरे जान ओ पूरा लंड डाल दो मेरी गांड़ में ओ ओ मुझे अपनी रंडी बना लो ओ ओ,,
ऐसा हॉट वीडियो देख कर अजय के मुह से आहे निकलने लगी आ आ ओ ओ maaaaaa और अजय के लंड से वीर्य की बौछार होने लगी अजय आँखे बंद किये अलौकिक आनंद में खो जाता है और निढाल होकर दीवार से सर लगा  कर लंड हिलाता जाता है,बाथरूम की दीवार पर लंड के लाल सुपढे से निकलते गाढ़े और गर्म वीर्य के लच्छे गिरते चले जाते है,
अजय बाथरूम से बाहर आकर,,सीमा मेरी जान में आ गया लाओ जल्दी से चीले लाओ मुझे भूख लगी है,
सीमा,,ला रहीं हु बाबा बैठो तो जरा,, पहले तो इतना देर तक बाथरूम में घुसे रहे अब जल्दी जल्दी करते हो,,
फिर सीमा नास्ता लेकर डायनिंग टेबल पर बैठ जाती है और अजय को सर्व करती है,
अजय और सीमा नास्ता करने लगते है,
तभी अजय सीमा से कहता है,,यार सीमा में आज लंच नहीं करूंगा मुझे एक दोस्त से मिलने उस के घर जाना होगा में वही लंच कर लूंगा,
यह सुनकर सीमा मुह फुला के अजय से कहती है,,यह क्या बात हुई अजय? में सुबह से शाही पनीर आलू के परांठे और मटर पुलाओ बना रही हूं और आप कहते है लंच दोस्त के साथ करेंगे ऐसा था तो आप को पहले बताना था ना यार अब यह सब कोन खायेगा? मेरी पूरी मेहनत बेकार गई,,पूरा संडे बिगाड़ दिया मेरा,,
अजय,,अरे मेरी जान नाराज क्यों होती हो शाही पनीर आलू परांठे और मटर पुलाओ में ही खाऊँगा लेकिन आज रात डिनर में ओके मेरी जान अब खुश हो जा और जल्दी से अपने अधरों का रस पिला दो आज सुबह से तुमने मुझे किस भी नही दी,,
सीमा,,हटो जी जब देखो किश किश ही करते रहते हो सुबह सुबह यह सब नहीं किया जाता जनाब रात को मिलिये फिर जितना चाहे किश लेना,,कह कर सीमा किचिन की तरफ जाने लगती है,,
तभी अजय सीमा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खीचता है और सीमा अजय के सीने से टकराती है,अजय एक हाथ सीमा की कमर में डालता है और दूसरे हाथ से सीमा के बाल पकड़ कर उसका चेहरा अपने चेहरे के पास करता है,,सीमा ओर अजय दोनों एक दूसरे की आँखों मे देखते है,,सीमा की सासें भारी होने लगती है आँखे मुंदने लगती है,,सीमा के सुर्ख गुलाब की तरह लगते अधर थर थराने लगते है उन पर ज़मी ओस की बुंदे काँपने लगती है सीमा की बाहें अजय को जकड़ लेती है और अजय अपने गरम ओठ सीमा के मादक लबों पर रख देता है दोनों पति पत्नी दुनियां भूल कर प्रेम सागर में डूबने लगते है,10 मिनिट की लंबी किश के बाद अजय सीमा को छोड़ देता है और सीमा भी होश में आती है फिर जल्दी से शरमा के किचिन में भाग जाती है,,अजय अपनी वाइफ सीमा की कमजोरी जानता है,सेक्स ही सीमा की सब से बड़ी कमजोरी है,दुनियां वालों के लिए सीमा जितना सीधी गंभीर और सरीफ है अजय के साथ होने पर वह उतनी ही हॉट और कामुक हो जारी है,अजय आखिर सीमा की मोहब्बत है उस की जिंदगी है,साथ ही अजय से उसने सभी सामाजिक और धार्मिक रस्मो रिवाजों के साथ सात जन्मों तक अटल रहने वाले शादी के बंधन को स्वीकार था उसने शादी के पवित्र बचनों को दिल से स्वीकार किया था अजय उस के लिए परमेस्वर का दर्जा रखता था वह उस का पति परमेस्वर था जो उसने तन मन से स्वीकार था,हर सामान्य पत्नी की तरह सीमा भी अजय के साथ बेफिकर हो कर जीवन का आनंद उठती थी,सुबह उठ कर घर के कामों से लेकर रात को पति के साथ बिस्तर में सोने तक सम्पूर्ण तन मन समर्पण के साथ अपना योगदान देती थी,
सीमा एक माध्य्मवर्गीय परिवार की लड़की थी जो 20 साल तक घर के काम और पढ़ाई में लगी रही फिर सीमा को 20 साल की बाली उमर से ही अजय से मोहब्बत हो गई और शादी भी हो गई,अजय एक सामान्य लड़का था लेकिन दोस्तों की सोहवत कहे या खुद के अंतर मन की चाह अजय छोटी उम्र से ही गे हो गया था,उसे बडे बडे काले मर्दाना लंड को चूसना और गांड़ में लेना पसंद था,अजय एक सरीफ घर का पड़ा लिखा सरीफ लड़का था बहुत सारे भारतिय पुरषों की तरह वो भी अपनी विकृत भावनाओं को परिवार और मित्रों से छुपाके रखता था,
अजय बचपन से ही दिमाक का बहुत तेज़ था वो जानता था के वो अपनी विकृत काम पिपासा को अपने सर्किल के लोगों के साथ शेयर नही कर सकता है,इस लिए वो लो-क्लास लोगों को अपना निशाना बनाता था,कभी पैसे देकर कभी शराब पिला कर वो गरीब मजदूर ऑटो वाले लोगों को फंसा के उनका लंड चूसता था और गांड़ मराता था,अजय पिछले 15 साल से यह सब कर रहा था लेकिन 4 साल से सीमा के साथ शादी होने के वाद उसे काफी परेशानी होने लगी थी दिन भर वो जॉब पर रहता फिर शाम से घर मे सीमा के साथ,उसे गांड़ मराने का समय नहीं मिल पाता था,और उसे मजबूरी में सीमा के साथ सेक्स भी करना पड़ता था,वो गे था अब एक गांडू क्या जाने सीमा जैसी स्वपन सुन्दरी के रस भरे योनाग्गों की मधुरता का स्वाद उन की कामुक सुगंध का नशा दो पवित्र प्रेमियों के काम रस से भीगे शरीरो के मिलन की अलौकिक अनुभूति का परालौकिक आनंद,एक तरफ सीमा तन मन से कामक्रीड़ा का आनंद लेती है अपने पवित्र शरीर को अपने पति परमेस्वर को दिल खोल कर अर्पित करती है और खुद भी पति पत्नी के पवित्र मिलन के अलौकिक आनंद की अनुभूति को भोगती है,दूसरी तरफ अजय गे है उसमें भी वॉटम सो अजय ठहरा लंड प्रेमी उसे तो बदबूदार गंदे काले लंड पसंद है,लड़कियों में उसे कोई इनट्रेस्ट नही है चूत तो उसके लिए बस एक मूतने का छेद मात्र है,इस बजह से अजय को सीमा के साथ सेक्स करना बहुत बुरा लगता है लेकिन सराफत की मजबूरी है और सामाजिक बंधन के डर के कारण उसे अच्छा पति होने का दिखावा करना होता है ना चाहते हुए भी सीमा के साथ संभोग करना होता है,रात को अजय के साथ बाहों में तो सीमा होती है लेकिन दिल दिमाक में बस गंदे लोगों के बदबूदार लंड दिखते रहते है,जब कि दूसरी तरफ सीमा सम्पूर्ण समर्पण के साथ खुल कर अपने पति अपने प्रेमी के साथ कामक्रीड़ा का आनंद लेती है,
आगे देखते है गांडू अजय और मुहबत के रंग में रंगी सीमा जैसी सरीफ औरत की जिंदगी क्या रंग दिखायेगी,
अब अजय तैयार होकर बाहर जाने लगता है,
सीमा दरवाजा बंद कर लो में दोस्त के घर जा रहा हू शाम तक आऊँगा,यह कह कर अजय घर से निकल जाता है,सीमा खाना बना चुकी थी अब वो साम तक फ्री थी वो आके घर का दरवाजा बंद करती है और अपने बेडरूम में जाके टीवी पर अपना फेवरेट सीरियल नागिन देखने लगती है,
दूसरी तरफ आज सुबह से ही अजय का मन बहुत बेचैन था 6 महीने हो गए थे 6 महीनों से उसने गांड़ नहीं मराई थी उस की गांड़ में बहुत जोर से खुजली हो रही थी उसकी गांड़ गरम गरम 9"का लंड माँग रही थी,
दोस्त के घर जाना तो एक बहाना था जब कि अजय घर से निकल कर बस स्टैंड की तरफ चला जा रहा है वो जनता था के बस स्टैंड के पास एक पुराना पार्क है जहाँ लो-क्लास के लोग चरस गांजा फूंकते है और नशे के जुनून में एक दूसरे की गांड़ मारते है,अजय यहाँ 3-4 बार आ चुका है और एक बार एक लड़के को 200 रुपये देकर उस के लंड का माल पी चुका है लेकिन उसे अभी तक ऐसा कोई बंदा नहीं मिला जिसके पास सेफ जगह हो और जो अपने 9" के लंड से उसकी गांड़ फाड् दे,
तभी तो कहते है दुनियां के खेल निराले, साली 95% लोगो को चूत की तलाश है वहीं अजय जैसे 5% लोग अपनी गांड़ के लिये लंड खोज रहे है,और जनाब कुदरत का तमाशा देखो इन 5% गांडू लोगों को सीमा जैसी दिलकश हसीन मदमस्त प्यार करने वाली पत्नी मिल जाती हैं, वहीं 95% लोगों को ना सीमा जैसी मखमली गुलाब की पंखुड़ी जैसी चूत मिलती है ना अजय जैसे गांडू की बदबूदार गांड़,
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#2
अजय पार्क में पहुँच गया और एक पेड़ के नीचे जाके बैठ गया,बैठते ही अजय की नजर किसी अकेले तगढे मर्द को खोजने लगी उस की गांड़ में मीठी मीठी खुजली होने लगी,दिन का समय था पार्क में ज्यादा लोग नही थे,
पार्क में एक तरफ 3-4 नशेबाज बूढ़े बैठे बीड़ी पी रहे थे थोड़ा दूर 4-5 कवाड़ी जैसे लड़के शराब पी रहे थे इनमें से कोई भी अजय को अपने काम का आदमी नही लगा वो वहीं बैठा इंतजार करने लगा, अजय किसी शिकारी की तरह पार्क के दरबाजे पर नजर लगाए बैठा था,लेकिन 2 घण्टो के इंतजार के बाद भी अजय को कोई आदमी नहीं जंचा अब वो मायूस सा होने लगा उसे लगने लगा कि आज भी वो सूखी गांड़ लेकर ही घर जाएगा वो सोचता है, आह साला अपनी तो किस्मत ही गांडू है साली अपने भाग्य में बस चूत ही लिखी है काश एक तगड़ा काला मूसल जैसा लंड मिल जाये तो मजा आ जाये जिंदगी गार्डन गार्डन हो जाये,
दूसरी तरफ सीमा अपने पतिदेव के लिये शाही पनीर मटर पुलाओ बना रही है और संडे नाईट को होने वाली पलंग तोड़ चुदाई के सपने देख रही थी(अजय का लंड 5"इंच का था और सामान्य आदमी की तरह वो 5-6 मिनिट तक सीमा को चोदता था लेकिन सीमा जैसी सरीफ लड़की जिसने अजय के सिवाय किसी का लंड नहीं देखा था उसके लिये अजय की चुदाई ही काफी थी और संडे को जब अजय शराब पीकर थोड़ा जोश में चोदता था तो उसे अद्भुत राजो स्खलन होता था)सिमा अपनी काम रस से गीली योनि की थिरकन को महसूस करती गुनगुनाती हुई अपने सुहाग अजय के साथ रात को होने बाली चुदाई के अजय के 5" के मस्त लिंग के सपन देख रही थी,वहीं दूसरी तरफ उस का सुहाग अजय का दिल तो बस काले 9"इंच के लंड पाने को बेचैन हो रहा था उस की गांड़ लंड माँग रही थी,अपने ख्यालों में खोये अजय को एक आवाज सुनाई देती है, अरे भाई जरा माचिस देना, अजय सर उठा के देखता है तो सामने एक 50-55 साल गरीब मजदुर जैसा आदमी खड़ा था उसे देख कर अजय का मुह बन जाता है वो बहुत रूढ़ तरह से कहता है,अवे भिखारी भाग यहाँ से साले में बीड़ी मीडि नहीं पीता,
वह आदमी अजय के बात करने के तरीके से डर जाता है और वहाँ से आगे चला जाता है,और अजय दुवारा पार्क में शिकार खोजने लगता है,
30 मिनिट ओर गुजर जाते जाते है अब अजय भी नाउम्मीद होकर घर जाने के लिये उठता है और पार्क से बाहर जाने लगता है,अजय पार्क के दरवाजे के पास पहुँचता है तभी उस के पैर पर पानी गिरता है वो चोंक कर देखता है के पानी कहा से आया तो वो देखता है बही माचिस मांगने बाला गरीब गंदा आदमी दरवाजे से पास पिशाब कर रहा था और उस का पिशाब दीवाल से टकरा के आस पास उड़ रहा था बही पिशाब उड़कर अजय के पैरों पर गिरता है,
यह देख कर अजय का सिर घूम जाता है वो गुस्से से पागल हो जाता है,अजय ,साले मादरचोद तेरी माँ को चोदू कुत्ते मेरे ऊपर पिशाब कर दी,अजय उसे गाली देते हुये मूतते हुये बूढ़े की गांड़ पर जोर से लात मरता है,अजय की लात खा कर वो  पिशाब करता गरीब आदमी दीवाल से टकराके गिर जाता है,दीवार से टकराने के कारण उस आदमी के सर से खून आने लगता है वो बेचारा जमीन पर गिरा कराह रहा था सिर से खून निकल रहा था और उस का लंड अभी भी पेंट से बाहर था लेकिन उस की पिशाब रुक चुकी थी,वो दर्द से बेहाल था,अजय नफरत से उस की तरफ देखता है और उस पर थूक देता है और कहता है साले मादरचोद देखा मुझ पर पिशाब गिरने का नतीजा हरामी आज के बाद दुबारा नजर आया तो जान से मार दूँगा गंदी नाली के कीड़े,
वो गरीब आदमी डर के मारे रोता हुआ खड़ा होता है और हाथ जोड़कर कहता है,मालिक मुझे माफ़ कर दो में आप को आता हुआ नही देख पाया इसलिए गलती से आप के ऊपर पिशाब के छीटे गिर गए ओर वो सर झुका के जिप बंद करने। लगता है,अजय उसे नफरत से देखता है तभी उस को झटका सा लगता है उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है अजय की नजर उस गरीब बूढ़े के लंड पर टिकी रह जाती है,वहीं वो बुढ़ा डर के मारे जिप लगाके जल्दी से वहाँ से जाने लगता है,उस गरीब को जाता देख अजय को झटका सा लगता है दिल की धड़कन बढ़ने लगती है उसकी गुलाबी गांड़ में चीटियां रेंगने लगतीं है,वो जल्दी से बूढ़े के पीछे जाता है वो बूढ़ा अजय को पीछे आता देख डर जाता है उसे लगता है अजय उस को मारने आ रहा है वो और जल्दी जल्दी भागने लगता है, उसे भागता देख अजय  समझ जाता है के बूढ़ा डर रहा है वो उसे आवाज देता है,अजय,अरे बाबा भागो मत रुक जाओ में तुमको मारने नही आया में तो तुमसे माफी मांगने आया हूं,अजय की बात सुनकर वो बूढ़ा सहम कर रुक जाता है,अजय उस के पास जाता है और कहता है,बाबा मुझे माफ़ करो मुझसे गलती हो गई आप मुझसे बड़े हो मुझे आप से इस तरह नहीं बोलना चाहिए था,ओहो आप को तो बहुत चोट लगी है बाबा मुझे दिखाओ जरा कहता हुआ अजय अपने रुमाल से उसके सर से बहता खून पोछने लगता है और छुपी नजरों से उस के लंड के उभार को देखता जाता है,अजय का दिल बहूत जोर जोर से धड़क रहा होता है वो अंदर से बहुत उत्तेजित हो जाता है वो बार बार अपने सूखे होटो पर जीव फेरता जाता है,अजय को रुमाल से खून पोछता देख वो गरीब बेचारा घबरा के कहता है ,अरे साहब मेरे गंदे खून के लिये आप क्यों अपना कीमती रुमाल खराब करते हो आप घर जाओ में ठीक हु,साहब इस दुनियां में गरीवों का खून तो बेबजह बहता ही रहता है आप क्यों मुझ गरीब के लिये परेशान होते हो,
बात तो बूढ़े बाबा की 100% सच थी लेकिन गरीब बाबा को क्या पता था के यहाँ मामला मानवता या दयालुता का नहीं था यहाँ बात गरीब के खून की नहीं थी ओर ना ही अजय साउथ के हीरो की तरह गरीवों का मसीहा बन गया था यहाँ तो मामला गरीब बाबा के 11" के काले मूसल जैसे लंड का था अजय पिछले 15 सालों से रोज ऐसे ही मूसल का सपना देख रहा था आज अजय की 15 साल की तपस्या का फल गरीब बाबा का घोड़े जैसा काला मस्त लंड अजय के सामने था,एक नजर देख कर ही अजय बाबा के लंड का गुलाम बन गया था,
बाबा की बात सुन कर अजय जल्दी से कहता है, अजय,बाबा ऐसे ना कहो आप मेरे साथ डॉक्टर के यहाँ चलो पहले आप के सिर की ड्रेसिंग करवाते है,बाबा, रहने दो साहब दो बूंद खून से हम गरीवों को कोई फर्क नहीं पड़ता आप मेरी चिंता छोड़ो घर जाओ में भी अपने घर जाता हूं थोड़ा लेट लूंगा तो ठीक हो जाऊँगा,अजय,अरे नहीं बाबा में आप को ऐसे छोड़ कर नहीं जाऊँगा आप अपने घर का रास्ता बताओ में आप को घर छोड़ के आता हूं,अजय से जिद करने पर वो गरीब बूढ़ा अजय के साथ अपने घर की तरफ जाने लगता है,उस आदमी का घर बस स्टैंड के पीछे की गंदी स्लम बस्ती के पीछे था  जहाँ रास्ते के आस पास मानव मल मूत्र के ढेर पड़े थे गंदी नालियों के आस पास 2-3 कचरे के बड़े ढेर थे जहाँ पर मुर्दा जानवरों की लाशों के टुकड़े पड़े थे जिन से आती सड़ी बदबू के मारे अजय को उल्टी जैसा फील होने लगा उसका जी मचलने लगा वो जल्दी जल्दी उसके साथ चलने लगा,वो आदमी अजय को लेकर अपने गंदे से झोपड़े में पहुँच गया वहाँ भी अजीब सी बदबू बसी थी 10×15 की छोटी सी झोपड़ी थी एक कोने में घासलेट वाला स्टोव रखा था 2- तीन बेहद गंदे बर्तन पड़े थे,दूसरे कोने में एक फटा सा बदबूदार पर्दा लगा था जिस के पीछे बेहद गंदा देसी संडास बना था जिस में बाबा का सुबह का मल अभी तक पड़ा सड़ रहा था उस के आस पास बहुत सारी गंदी मक्खियां भिनभिना रही थी उन की भिनभिनाने की आवाजें वहाँ के माहौल का घीनोनापन ओर बढ़ा रही थी इन सब का समागम झोपड़ी  में बेहद घिनोनी बदबू फैला रहा था यही संडास उस गरीब बूढ़े आदमी के लैट्रिन बाथरूम दोनों का काम करता था,बाकी वहाँ एक कोने में एक फटा पुराना बिस्तर बिछा था जो शायद 20-30 साल से नहीं धुला होगा,बाहर फैली सड़े माँस की बदबू बिना धुले बिस्तर की बदबू साथ मे संडास से आती सड़े मल मूत्र की बदबू का मिश्रण बेहद घिनोना बेहद बीभत्स महसूस हो रहा था इस माहौल में कोई सामान्य मनुष्य एक पल भी खड़ा नहीं रह सकता था,लेकिन वासना का मारा उस गरीब के 11" इंच के लंड की चाह में डूबे अजय को यह बदबू बेहद उत्तेजित कर रही थी काम वासना रूपी पिशाच अजय के दिमाक पर कब्जा जमा चुका था अब अजय पहले जैसा सरीफ इंसान नहीं रहा अब वो काम वासना के पिशाच का गुलाम हो गया था,वो जोर जोर से सासे लेकर उस बेहद कामुक दुर्गन्ध को अपने तन मन मे उतारने लगा वो छुपी नजरों से संडास में डले बदबूदार मल और उस पर मंडराती गलीच मक्खियों  की तरफ देख रहा था,उसके दिलो दिमाक पर वोझिलता सी छाने लगी वो किसी घटिया नशेड़ी की तरह बोझिल पलकें लिये उस गरीब बूढ़े जिसका नाम लाला राम था उस के सामने उस की गंदी झोपड़ी में खड़ा था,अजय को इस तरह संडास के तरफ    देखता देख लाला राम की आँखे सुकुड़ गई वो गौर से अजय के चहरे के भाव पड़ने लगा,
*लाला राम* की उम्र 55 साल थी उसने पूरी जिंदगी गरीबी में गुजारी थी,लाला राम इस दुनियां में अकेला था वो पास की गरीवों की बस्ती में पानीपुरी का ठेला लगता था गंदी बस्ती के सुरु में ही गली किनारे अपना छोटा सा गंदा सा ठेला लगा के पानी पूरी बेच कर 100-150 रोज कमाता था,100 का बीड़ी गांजा फूंकता था 50 का  खा पी लेता था पिछले 40 साल से वो ऐसी जिंदगी ही जीता आ रहा है,रोज कमाता  रोज खाता मज़े से सो जाता,
ना दुनियां को उसकी चिन्ता थी ना लाल राम को दुनियां की फिक्र वो गांजे के धुएं में सारी फिक्र भुलाये मज़े से जी रहा था,वो अजय के चहरे के भाव से समझ गया के अजय कामुक हो रहा है,लाल राम में 10-20 वार रंडियों को चोदा था लेकिन उसने कभी किसी लड़के के साथ गांड़ मरौअल नहीं किया था उसे लड़कों का कोई सौक नहीं था,इस लिये उसे अजय में कोई इंट्रेस्ट नहीं था लेकिन वो भी हर गरीब की तरह अजय से अपने फूटे सर के बदले कुछ पैसे चाहता था इसलिये वो अजय को चुपचाप देखता रहा,
फिर अजय लाला राम से कहता है,बाबा आप लेट जाओ में आप का जख्म साफ कर देता हूं,लाला राम मन ही मन मुस्कुराता हुआ  अजय को देखते हुये अपने गंदे बिस्तर पर लेट जाता है,अजय अपने रुमाल से उसका जख्म साफ करने लगता है,अजय के हाथ लालाराम के सिर पर थे लेकिन उसकी नजरें लालाराम के लंड के उभार को ताड रहीं थी,अजय लालाराम के जख्म को साफ करके उस पर बैंडेज लगा देता है और कहता है,बाबा आप कुछ देर सो जाओ में आप के पास बैठता हु,यह सुनकर लालाराम अजय से कहता है,साहब मैने सुबह से कुछ खाया नहीं तो भूखे पेट नींद नही आएगी आप मुझ गरीब को मेरे हाल पर छोड़ दो आप जाओ में खाना बनाके खाके फिर सो जाऊँगा,उस की बात सुनकर अजय बड़े प्यार से कहता है,अरे बाबा आप इस हाल में कैसे खाना बना सकते है आप लेटो में बाजार से आप के लिए खाना ले आता हु,अजय की बात सुन लालाराम अपना दिमाग चलता है वो कुछ सोचता है, फिर वो रोनी आवाज में अजय से कहता है साहब लेकिन में जब तक गांजा नहीं फूंकता तब तक खाना नही खाता और आज मेरे पास गांजा खरीदने के पैसे भी नहीं है इसलिये में अभी खाना नहीं खाऊँगा, लालाराम की बात सुन अजय बहुत प्यार से कहता है अरे बाबा आप पैसों की चिंता मत करो में देता हूं आप को पैसे आप जब तक गांजा लेकर आओ में आप के लिऐ खाना लाता हु यह कह कर अजय अपनी जेब से एक हजार रुपये निकल कर लालाराम को देता है,एक हजार रुपये देखकर लालाराम का दिल जोर जोर से धड़कने लगता है वो समझ जाता है अजय एक सरीफ और चूतिया आदमी है वो मन ही मन मुस्कुराता हुआ अजय से कहता है ,साहब आप परेशान न हो खाने का होटल यही पास में ही है और गांजा भी वहीं मिल जाता है आप घर जाओ में खाना और गांजा लेकर आता हूं और खा के सोता हु,लेकिन अजय का तो रूपांतरण हो चुका था अजय अब पहले प्यार में पड़ी नावयोबना की तरह लालाराम का दीवाना हो गया था उसके दिलो दिमाग में लालाराम का काला मूसल खलबली मचाये हुये था वो लालाराम से दूर नहीं जाना चाहता था और ऊपर से झोपड़ी में बसी बेहद घिनोनि दुर्गन्ध उसके अंदर वासना की सुनामी ला रही थी,लालाराम की बात सुन अजय प्यार से लालाराम की आँखों मे देख कर कहता है,बाबा आप खाना लेकर आओ में आप को अपने सामने खाना खिलाकर ही अपने घर जाऊँगा यही मेरी गलती का प्रयाश्चित होगा,अजय की बात सुनकर लालाराम समझ जाता है के यह मादरचोद आज अपनी गांड़ मरवा बिना मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा अब उसका नशा भी टूट रहा था उसे गांजे की तलब भी लगी थी सो वो ज्यादा नहीं सोचता और अजय को बही बैठा छोड़ गांजा लेने चला जाता है,लालाराम के जाने के बाद अजय उस बीभत्स घिनोने वताबरण में बेहद कामुक दुर्गन्ध को सूंघ कर अपने लंड को मसलता किसी कोमलांगनी की तरह बेसब्री से अपने प्रीतम लालाराम का इन्तज़ार कर रहा है,
तभी जेब मे पड़ा उसका मोबाइल बजता है अजय फोन उठता है,फोन में से सीमा की जलतरंग की तरह मधुर आवाज गूँजती है,अरे कहा हो आप, 5 बज गये आप अभी तक घर नहीं आये यहाँ में कब से भूखी बैठी लंच के लिये आप का इंतजार कर रहीं हु,सीमा की आवाज सुनते ही अजय का मुंह बन जाता है लेकिन ऊपर से वो बड़े प्यार से कहता है,सो सो सॉरी मय लव आज मेरे दोस्त ने मुझे अपने घर जबदर्स्ती खाना खिला दिया हम लोग बातों में इतना खो गये के में तुमको फोन करना भूल गया
सो सॉरी जानू मुझे माफ़ कर दो तुम जल्दी से खाना खा लो ,अजय की बात सुन सीमा को बुरा तो लगता है लेकिन सीमा एक पढ़ी लिखी गम्भीर और समझदार औरत है वो जानती है संडे को मर्द लोग अक्सर दोस्तों के साथ खा पीकर मज़े करते है यह सब तो सभी घरों में होता ही रहता है, वो मन मे सोचती है ठीक है अजय बाबू आज लंच की कसर डिनर के बाद बिस्तर पर बसूल करुँगी,वो मंद मंद मुस्कुरा कर कहती है,आप की बजह से में सुबह से भूखी बैठी हु ठीक है फिर आज रात भी अपने दोस्त के साथ ही बिताना में दरवाजा ना खोलूँगी,अजय उसकी बात में छुपे प्यार और कसक को समझ जाता है और कहता है,ओहो हु हु आज संडे है जानू आज की रात तो में तुमसे दूर रह ही नहीं सकता आज की रात तो पलंग तोड़ने वाली रात होती है,आज तो जानू मैने कुछ स्पेसल प्लान बनाया है आज तो में कुछ नया ट्राई करने वाला हूं, अजय की बात सुन सीमा शर्म से लाल हो जाती है उस के कठोर उरोजों की कठोरता ओर बड़ जाती है उसके दूधिया उरोजों के भूरे निपल खड़े हो जाते है,   उसकी योनि द्वार से गर्म गाढ़े काम रस की एक बूंद निकल जाती है,वो अपने प्रियतम के कामुक ओर प्रेमरस से सरोवार शब्दो को सुनकर अपने निचले ओठ को दांत से दवाकर  मुदित मन से कहती है,अच्छा ठीक है ज्यादा मस्का मत मारो ओर जल्दी घर आ जाओ में इंतजार कर रहीं हु,यहाँ सीमा का
फोन कटता है और वहाँ झोपड़ी का दरवाजा खुलता है सामने हाथ मे थैलिया लिये लालाराम खड़ा था, अजय लालाराम को आया देख किसी सुद्रण गृहणी की तरह उठ कर उसके हाथ से खाना ले लेता है, और साथ मे आईं प्लेटों में खाना निकलने लगता है,अजय को खाना निकलता देख लालाराम जेब से गांजे से भरी बीड़ी निकाल कर सुलगा लेता है और जोरदार कश खीचता हुआ नाक से नशीला धुआं छोड़ता है,
[+] 1 user Likes SOFIYA AALAM NAKVI's post
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#3
वाह मस्त कहानी है दोस्त
padkar sach mein lauda khada ho gaya, aise, fir ...


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मम्मी को ऐसे लम्बा मोटा अपना लौड़ा चुसवा कर जो मजा आता है, वो अकथनीय है //
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#4
Good starting
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#5
Please update. Classic erotica. Good beginning.
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