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Misc. Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
update dogi ya nhi
मुझको छोड़ने की बजह तो बता जाते,
तुम मुझसे बेज़ार थे या हम जैसे हज़ार थे।
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(24-05-2019, 03:05 PM)fucker raj Wrote: update dogi ya nhi

अगला अपडेट अभी थोड़ी देर में.....
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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अपडेट - 15




राज: तुम लोग निकलो मैं 10 मिनट में आ रहा हूँ।


मंगल: अब इसे क्या हो गया।


श्याम: अरे यार पेशाब करने गया होगा। वैसे भी तू तो जानता ही है ये कितना शर्माता है।


(मंगल और श्याम एक दूसरे की तरफ देख कर राज के शर्म के विषय पर व्यंगात्मक तरीके एक दूसरे को ताली मारकर हंसने लगते है)




अब आगे....





मंगल और श्याम दोनो वहाँ से निकल जाते है। उन्हें नहीं पता था कि राज कहाँ जा रहा है।


राज नदी के आसपास चक्कर काट कर देखता है। और नक्शे के मुताबिक पूरी नदी का जायजा लेने लगता है। 


वापस लौटते वक्त राज काफी खुश नजर आ रहा था। बस राज के मन में एक ख्याल था। कि मैं जल्दी से किसी के साथ सेक्स करके अपने इस दर्द से छुटकारा पा लूं। लेकिन क्या सच में सेक्स करने के बाद मुझे दर्द नही होगा। पता नही क्यों मैं कालू की बातों में आकर वो दवा ले ली।


यदि ये दर्द मुझे उस नक्शे के खजाने की खोज के दौरान हो गया तो? यदि ये उस खतरे के दौरान जिसका जिक्र नक्शे में था? नहीं नहीं मुझे कुछ तो करना ही होगा।


राज इसी प्रकार के कई विचार मन में लाते हुए वहां से तेजी से चलते हुए वापस उसी जगह पहुंचता है जहां पर सुबह कालू , श्याम और मंगल से मुलाकात हुई थी।


वहां पर केवल श्याम ही खड़ा था। श्याम ने जैसे ही राज को देखा उसने तुरंत राज को गले लगाकर होले से कान में बोला।




श्याम: चल आज तुझे हम अपना सीक्रेट अड्डा दिखाते है।


राज: श्याम, मंगल कहाँ है?


श्याम राज को चुप रहने का इशारा करके अपने साथ आने को बोलता है।


करीब 10 मिनट खेतों के बीच चलते-चलते राज अचानक से खुली जगह मैं पहुंच जाता है।




ये खिली जगह खेत की बीच में से दो तीन क्यारियों की कटाई करके रहने लायक जगह बनाई हुई थी।


नीचे एक चटाई और चटाई के ऊपर गद्दे जैसी गूदडी बिछाई हुई थी।



(गूदडी: गांवों में पुरानी साड़ियों के बीच में पुराने खराब कपड़े डाल कर मोटे धागे से सिलाई करके गद्दे जैसी बनाई जाती है।)


राज: वाह... यार ये तो बहुत अच्छा है। चारों तरफ खेत ही खेत और बीच में ये बिस्तर।


मंगल: हाँ! और इस वक्त हम लोग जहां पर है यहाँ कितनी भी जोर से चिल्लाओ कोई नहीं सुन पायेगा। हाँ उस ऊपर वाले कि बात अलग है।


(मंगल ऊपर आसमान की तरफ इशारा करते हुए राज को बोलता है)


मंगल की ये बात सुनकर राज और श्याम दोनो हंसने लगते है।


तभी खेतों में सरसराहट की आवाज के साथ कालू आता है।कालू के आते ही सब कालू को देखने लगते है। श्याम कालू की तरफ कोई इशारा करता है जिसे देख कर कालू हल्की सी गर्दन हाँ मैं हिलाता है।



कालू: लड़की का इंतजाम हो गया।


राज: क्या? इतनी जल्दी? कैसे? म..म मेरा मतलब कौन है वो।


कालू: मेरी बड़ी बहन लता!


(कालू के अचानक से कहे गए ये शब्द राज पर हजारों वोल्ट की बिजलियाँ गिरा देते है।)


राज: क्या? नही नहीं तुम पागल हो गए हो क्या? और तुम्हारी बहन इस बात के लिए मान भी कैसे सकती है। कमऑन यार अगर ये मजाक है तो सच में बहुत ही घटिया मजाक है।


(राज की बात सुनकर कालू झुंझला जाता है और बोलने लगता है)


कालू: मजाक तुझे ये मजाक लगता है। राज मैं दोस्ती और दुश्मनी दोनो जिगर के बलबूते पर निभाता हूँ। इसलिए ये कोई मजाक नही हैै और क्या पूछ रहा था तू? हाँ! की मेरी बहन इन सब के लिए तैयार भी कैसे हो सकती है तो सुन जब मैंने पहली बार ये दवा ली थी तब मुझे भी इसी तरह से दर्द होता था। और उस वक़्त मेरी इसी बड़ी बहन ने ही मुझे संभाला था। इसी बहन ने मेरे लिए अपना कौमार्य भंग किया था। 


इसी लिए जब मैंने लता को ये बताया कि तुझे मैंने वो दवा दी थी और तूने शहर में होकर भी किसी लड़की के साथ चूssss मेरा मतलब सेक्स नहीं किया। और अब वो दर्द तेरा इतना ज्यादा बढ़ गया कि कभी कभी सहन करना भी मुश्किल हो जाता है। तो लता को वो शायद वो मेरे पुराने दर्द भरे दिन याद आ गये होंगे। शायद इसी लिए लता तैयार हो गयी।


मंगल और श्याम दोनो थोड़ा सा सोचते हुए।


मंगल: अरे यार लेकिन इस काम के लिए मेरी बहन भी ठीक थी। अगर वो राज के साथ कर लेती तो अगली बार के लिए उसके मन में हमारे प्रति उल्टे सीधे विचार नही आते।


कालू: नही! उसपर ड्रग्स का असर था जब वो हमारे साथ थी। मैंने उस से बात की तो उसने कहा मैं कोई रंडी नही हूँ और गांड पर लात मार कर निकाल दिया। इसलिए तू अपनी बहन की तो बात ही मत छेड़।


मंगल और श्याम कालू की बात सुनकर हसने लगते है। 


कालू: हँसलों बहन चौद कमीनो कभी तो मेरा भी दिन आएगा।


तभी राज बोल पड़ता है।


राज: छि छि छि छि कैसे लोग हो तुम? एक दूसरे की बहन को... छि... शर्म नहीं आती। इतने दिन से जब तुम ऐसी बात करते थे तो मैं सोचता था शायद मजाक में बोल रहे है या फिर गाली दे रहे होंगे मगर तुम तो छि....


मंगल राज को कुछ बोलने ही वाला था कि कालू ने उसके कंधे पर हाथ रख कर चुप करवा दिया।


कालू: तुझे करना है राज तो कर ये फालतू दिमाग मत खराब कर। और वैसे भी मैं जो भी कर रहा हूँ तेरे लिए ही तो कर रहा हूँ ना किसी और के लिए तो नहीं कर रहा। और चल देखते है तू कितना शरीफ है एक बार चूत मारकर तो देख। फिर मैं देखता हूँ तुझे खुद पर इतना कितना कंट्रोल है।


राज बहुत कुछ सोच रहा था। लेकिन फिर राज को अपना मकसद याद आता है।


नक्शा 





खज़ाना

???


राज कालू की किसी भी बात का जवाब नही दे पाता और जवाब देता भी तो फिलहाल तो राज कोई जवाब ही नहीं देना चाहता था क्यों कि इस वक़्त कोई कुछ भी करे राज का ही फायदा था। 


तभी गन्ने के खेतों की फसल हिलने लगती है। और एक तरफ से सरसराहट की आवाज आने लगती है। 


मंगल: लगता है कोई आ रहा है।


मंगल की बात सुनकर सब चौकन्ने हो जाते है। अभी मंगल ने इतना ही बोला था कि कालू की बहन लता गन्नों के पीछे से निकल कर सामने आती है। लता के सर पर पानी भरने की चरी रखी थी और कंधों पर कुछ पुराने कपड़े। उसकी आँखों में क़ातिल सी अदा थी और होंटों पर बहुत ही मासूम सी मुस्कान।


[Image: 5ceb962ca0bcd.jpg] 

कालू एक नज़र अपनी बहन को देख कर मंगल और श्याम की तरफ आंखों से इशारा करता है और दोनों को लेकर कालु वहाँ से बाहर निकल जाता है।


राज अब दुविधा में था। वो समझ नही पा रहा था कि क्या करे और क्या ना करे?


राज बस गर्दन झुकाये खड़ा था और उसके ठीक सामने बस मामूली सी दूरी पर कालू की बहन लता थी।


कालू की बहन लता। दिखने में गांव की सिम्पल सी लड़की है लेकिन है बहुत खूबसूरत है।


सुराहीदार गर्दन, रंग हल्का गेहुंआ, शरीर पर ज़रूरत के हिसाब से मांस चढ़ा हुआ। फिगर का अंदाज़ा इस हिसाब से लगा लीजिये जैसे साउथ इण्डियन फिल्मों की हेरोइन अनुष्का शेट्टी। अरे वही बाहुबली की पत्नी देवसेना।



करीब 5 मिनट तक की खोमोशी छाई रही। ना राज कुछ बोल रहा था ना लता। लता ने भले ही कालू के साथ सेक्स किया हो लेकिन कालू के बाद अगर किसी ने लता के मादक शरीर का भोग लगाया था तो सिर्फ लता का पति था। 


लता की शादी अभी कुछ ही महीनों पहले हुई थी। गांव की परंपरा के हिसाब से जब लड़की की नई नई शादी हुई होती है तो पहला सावन लड़की अपने पीहर ही मानती है।शायद इसी लिए लता भी अपने पीहर अपने घर आई हुई थी।


जब कालू घर जा कर लता के लिए पूछा तो कालू की माँ ने बताया कि लता नदी किनारे गयी है। बोल रही थी कुछ कपड़े धोने है और आते भगत उधर से पानी भी भर लाएगी।


कालू ने अपनी माँ से जब ये जान लिया कि लता नदी किनारे पानी के लिए घर से निकल गयी तो कालू सीधे रास्ते से ना जाकर के खेतों के बीच से दौड़ता हुआ बीच रास्ते में चला गया। 


[Image: 5ceb968593290.jpg] 

जहाँ उसे कुछ ही दूरी पर लता जाती हुई नजर आई।


कालू ने लता को आवाज दी और उसे रुकने को कहा। लता ने जब अपने भाई की आवाज सुनी तो वो रुक गयी। लेकिन जब कालू लता के पास पहुंच कर उसे राज की हालत बताई तो लता एक दम से गुस्सा हो गयी थी।


लता ने कालू से कहा कि " क्या तुमने मुझे कोई बाजारू रंडी समझ रखा है या तुमने कोई समाज सेविका रंडीखाना खोल लिया है? तुम क्या चाहते हो तुम्हारी बहन तुम्हारे दोस्तों के सामने टांगे खोले पड़ी रहे। तुम जानते हो ना मैंने तुम्हारे साथ किया था क्योंकि तुम्हे उस वक़्त उसकी जरूरत थी।


कालू: तो तुम्हे क्या लगता है तुम्हे ऐसा पूछ कर मुझे बड़ा गर्व महसूस हो रहा है। राज को भी मैंने वही दावा दी थी। जिसका दर्द व पिछले 2 साल से भोग रहा है। बहन उसके दर्द का कारण तेरा ये भाई ही है। इसी लिए मैं तुझसे पूछ रहा था।


फिर कालू 2 साल पुरानी सारी बाते लता को बताता है। कि कैसे उसकी राज की मुलाकात हुई? कैसे उसने राज को वो दावा दी? और फिर राज शहर चला गया। और जब लौट कर वो लोग नदी में नहा रहे थे तो राज का तड़पना सब कुछ कालू ने लता को बता दिया।


लता थोड़ा सा उदास सा मुह बना लेती है लेकिन फिर कालू की तरफ देख कर ठीक है लेकिन आखिरी बार इसके बाद तू कभी भी मुझे ये सब करने के लिए मत बोलना वरना तेरी कसम मैं नदी में कूद कर जान दे दूंगी। 


कालू: पक्का वादा आज के बाद तुझे कभी नही बोलूंगा इस काम के किये अपने लिए भी नही।


और इस तरह से लता राज के सामने आ जाती है।


5 मिनट की खामोशी के बाद लता राज से


लता: क्या तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?


राज: क्या???? वो वो जी नहीं। अभी तो नही हो रहा।


लता: अच्छा रुको! मेरे पास आओ।


राज बिना कोई हरकत किये बस वही खड़े खड़े लता को ताड़ता रहता है।


लता मुस्कुराते हुए।


लता: इधर आओ ना, शर्माओ मत।


राज लता के पास धीरे धीरे जाता है। लता राज के भोले से चेहरे को देख कर उसके चेहरे में ग़ुम सी हो जाती है। इस वक़्त राज लता को बहुत ही प्यार लग रहा था।


राज जैसे ही लता के पास आता है। लता एक दम से राज का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेती है और राज के होंटों पर अपने होंठ रख देती है।राज कुछ समझ पाता इससे पहले लता राज के होंटों को अपने होंटों मैं दबा कर चूसने लगती है।




करीब 2 मिनट तक लता राज के होंटों को चूसती रहती है। लेकिन राज एक दम नोसिखिया था। इस बात का अंदाज़ा लता को उसे चूमते ही हो गया था। क्यों कि राज अभी भी लता के चुम्बन का साथ नही दे रहा था बस खड़ा खड़ा सोच रहा था कि हो क्या रहा है।




लता एक पल को राज के होंठ छोड़ कर नशीली अदा से राज की आंखों में देखती है। तभी राज अचानक से उछल पड़ता है। और शर्म से राज के गाल लाल पड़ जाते है। 


आज पहली बार किसी लड़की ने राज के लन्ड को छुआ था। राज शर्म से अपने आप में सिमट जाता है।


लता: पहले किसी के साथ नहीं किये हो ना?


राज: क्या???? क्या नहीं किया ?


लता मुस्कुराते हुए उंगली और अंगूठे को गोल बना कर दूसरे हाथ की उंगली को अंदर बाहर करके चुदाई का यूनिवर्सल इशारा राज को बनाकर पूछती है।


[Image: 5ceb9803190a2.gif] 


लता: तुमने पहले किसी के साथ चुदाई नहीं कि है ना?


राज अब क्या बोलता। सामने से खुद एक लड़की उसे चूम कर उसके लन्ड को दबाती है और अब उसे चुदाई करने के अनुभव के बारे में पूछ रही है।


राज के श्रम से गाल लाल हो रहे थे एक दम जैसे किसी लड़की के गाल ब्लश करते है। राज ने बड़ी ही मासूमियत से ना में गर्दन हिला दी। 


लता सोच रही थी कि अब मैं क्या करूँ? लड़की तो मैं हूँ मुझे शर्माना चहिये लेकिन ये है कि ये लड़की से भी ज्यादा शर्मा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम कभी कुछ नही कर पाएंगे। मुझे लगता है मुझे कालू को बताना पड़ेगा कि इसे थोड़ा बहुत कुछ तो समझा कर भेजे। मैं की रंडी थोड़े ही हूँ जो चढ़ जाऊँ इस पर।


लता उदास मन से उठ कर कालू की तरफ जाने लगती है कि तभी राज के लन्ड में एक बार फिर से दर्द होने लगता है। राज वही पर आssssss करते हुए घुटने के बल बैठ जाता है अपने लन्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लेता है।


लता राज के चेहरे की तरफ देखती है तो उसे अंदाजा लगता है कि वाकई में राज एक भयंकर दर्द से गुजर रहा है।


लता राजssss , राजsss बोलते हुए राज के पास चली जाती है। राज लता को क्या जवाब देता राज तो खुद अपने दर्द को बर्दाश्त करने में लगा हुआ था। 


लता होले से राज के करीब पहुंच कर राज की ठुड्डी को उंगली से उपर करती है। जब राज की आंखें लता से मिलती है तो राज की आंखों में आंसू थे।


लता का दिल राज को इस तरह से तड़पता देख कर बुरी तरह से तड़प उठा। 


लता: आज आखिरी बार ये दर्द बर्दाश्त कर ले। आज के बाद तुम्हे ये दर्द कभी नही होगा।


ऐसा कह कर लता राज का पेंट खोलने लगती है। देखते ही देखते राज के कपड़े दूर पड़े थे। वही लता भी अपने कपड़े खोल देती है। लेकिन सिर्फ नीचे से ऊपर अभी भी एक शर्ट पहन रखी थी।


लता होले से राज को सीधा लिटा कर राज को चूमते हुए नीचे जाने लगती है।


दरअसल ये जो दर्द राज को होता था। ये उत्तेजना का दर्द था। जिसके कारण से राज के लन्ड की नसें बुरी तरह से खिंच जाती थी। और एक समय बाद ये नसें अकड़ ने के कारण से नीली पड़ने लगती थी। इसलिए राज का लन्ड एक दम नीला पड़ जाता था। 

[Image: 5ceb9ad358091.jpg] 


डॉक्टर प्रिया को इस बात का अंदाज़ा तो पहले से ही था। बस उन्हें ये समझ नही आ रहा था कि साधारणतया किसी का लन्ड कुछ पोर्न या न्यूड़ पिक्स देखने से इरेक्ट होता है जो कि थोड़ी देर बाद खुद ही शांत हो जाता है। लेकिन राज का लन्ड तो एक लंबे समय तक अपनी अकड़ बरक़रार रख पाए रहा है।


इसका क्या कारण हो सकता है? इसीलिए डॉक्टर प्रिया ने राज को डिस्चार्ज करने से पहले राज का ब्लड सेम्पल ले लिया था। खेर वो तो आगे देखेंगे चलो अभी वापस से कहानी पर आते है।


लता राज को चूमते हुए राज के लन्ड को गौर से देखने लगती है। राज के लन्ड में कोई असाधारण परिवर्तन नहीं हुआ था। उसकी लंबाई भी 5 इंच के करीब ही नज़र आ रही थी। हाँ मोटाई ज़रा ज्यादा थी। लगभग 3 से 3.5 इंच के करीब मोटा लन्ड था।


ऐसी मोटाई के कारण राज का लन्ड नज़र आने में 4 या 4. इंच की लग रहा था। कुछ राज की झाँटे थी। 


लता ने बहुत ही प्यार से राज के लन्ड को चूमा। 




राज को जब अपने लन्ड पर लता की गर्म सांसे और गर्म होंट महसूस हुई तो राज के लन्ड को सुकून मिला साथ ही राज के दर्द में भी राहत मिली। लता बेहद नाजुक तरीके से राज के लन्ड पर अपनी उंगलियां घूमा रही थी। राज आंखें बंद किये अपने इस पहले शारीरिक सुख के अनुभव का आनंद उठा रहा था।


तभी लता राज के लन्ड को सहलाते सहलाते राज के अंडों को अपनी गिरफत मैं लेकर घप्प से राज के सुपडे को अपने मुह मैं लिया। 


लता के ऐसा करते ही राज की कमर खुद बा खुद हवा में उठ गई।


थोड़ी देर तक राज के लन्ड को चूसते-चूसते ही लता को एहसास हुआ कि राज के लन्ड की लंबाई बढ़ रही है। जो लन्ड कुछ देर पहले तक मुश्किल से 5.5 इंच नज़र आ रहा था वो अब 7 से 7.5 इंच की औकात मैं खड़ा था|

[Image: 5ceb99615375b.gif] 


लता ने देखा कि अब जब राज का लन्ड अपनी औकात मैं आ गया है तो चलो इस कि नथ उतार ही लेते है। कब तक बिचारा दर्द से तड़पेगा। 


लता होले से खड़ी हो कर राज के ऊपर चढ़ जाती है और राज के होंटों को अपने होंटों मैं क़ैद करके नीचे अपना हाथ ले जा कर राज के लन्ड के सुपडे को ठीक अपनी चूत के मुह पर टिका देती है और हल्का सा दबाव बनाती है। राज का सूपड़ा मोटा था और लता की चूत अभी भी इतनी नही खुली हुई थी। राज का सुपडा लता की चूत के मुह को खोल कर फंस जाता है।


[Image: 5ceb9c59eb7f6.gif] 


ठीक उसी वक़्त आसमान में काले काले बादलों की घटा घिर आती है।बिजलियाँ चमक ने लगती है। घुमड़ घुमड़ कर बादल आवाज करने लगती है। गांवों में दरअसल ये सब चौमासे और सावन के आगमन का प्रथम चिन्ह था।

भले ही लता आज से पहले अपने भाई कालू और अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी थी लेकिन आज उसे राज के साथ एक अलग तरह के असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी।


लता को साफ महसूस हो रहा था कि राज के लन्ड का सूपड़ा ज़बरदस्ती उसकी चूत को खोले उसमे फसा हुआ है। लता को आनंद के साथ साथ एक मीठे से दर्द का एहसास हो रहा था। 





लता अपनी चूत राज के लन्ड पर टिकाये हुए ऊपर आसमान की तरफ गर्दन किये आंखें मूंद रखी थी। जिन आंखों में कुछ आंसू छलक आये थे।




वही राज भी इसी आनंद मैं डूबा हुआ था। राज को अपने लन्ड में और भी कड़कपन महसूस होता है। लता अभी आनन्द के सागर में गौते खा ही रही थी कि अचानक से लता की आहsss निकल जाती है।




लता: अभी मत मारो। रुको! ओहsss


लता ने राज से धक्का मारने के लिए मना किया लेकिन राज ने तो धक्का मारा ही नही था। राज तो ज्यों का त्यों लता के नीचे लेटा हुआ था। इस बात का एहसास लता को तब हुआ जब राज ने अगली बार धक्का नही मारा और ना ही अपना लन्ड बाहर की तरफ खींचा।


लता ने झुक कर राज के लन्ड को देखा तो लता की आंखें खुली की खुली रह गयी। राज का लन्ड जितना कड़क हो रहा था उतनी उसकी लम्बाई बढ़ रही थी। जिस लन्ड के सुपडे को लता ने छूट मैं लिया था वो 7.5 इंच का था लेकिन फिलहाल 2 इंच लन्ड चूत मैं घुसा हुआ था और 7.5 इंच लन्ड बाहर था।



राज: लेकिन मैंने तो कुछ किया ही नही।


लता अचानक से राज की बात सुनकर चोंक जाती है लेकिन अगले ही पल वो राज की तरफ मुस्कुरा के देखती है। 


लता सोचने लगती है कि 9.5 इंच का लन्ड है इस बच्चे का अगर ये बाद मैं और बड़ा हुआ तो ये किसी भी चूत का भोसड़ा एक बार मैं ही बना देगा। ऊपर से इसका लन्ड कितना मोटा है।







लता अभी ये सब सोच ही रही थी कि राज लता से बोल पड़ता है।


राज: प्लीज कुछ कीजिये ना मुझे सच्ची बहुत दर्द हो रहा है।


लता राज की तरफ देखने लगती है। लता को भी लगता है कि अब काफी देर हो गयी है अब आगे बढ़ना चाहिए। लता होले से अपना जोर राज के लन्ड पर लगाती है। लेकिन राज का लन्ड लता की चूत मैं बुरी तरह से फंसा हुआ था। लता की सारी कोशिश बेकार जा रही थी। क्योंकि राज का लन्ड अब रत्ती भर भी लता की चूत मैं नही जा पा रहा था।


लता काफी परेशान हो जाती है। आखिर में लता राज से कुछ बोलती है।


लता: हेय! सुनो! तुम नीचे से कमर उठा कर धक्का मारो। 


राज: लेकिन मैं...


लता: लेकिन वेकीन छोड़ और सीधा मुझे चौद समझा। और सुन लाख गिड़गिड़ाऊं चिल्लाऊं या फिर दर्द से तड़पूं लेकिन तू अपना लन्ड चूत से बाहर नही निकालेगा। अगर निकाला ना तो.... तो यहीं तेरा लन्ड काट कर तेरी गांड में डाल दूंगी।


राज लता के ऐसे तेवर और ऐसी बातें सुन कर डर गया था। सो उसने चुप चाप लता की बात मानने में ही भलाई समझी।


लता: चल शुरू हो जा।


लता ने इतना कह कर अपने होंटो को अंदर की तरफ गोल करके अपना मुह बन्द कर लिया। और राज के हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर रख दिया। इस वक़्त लता बेहद गर्म हो चुकी थी।


राज ने भी लता की कमर पकड़ ली और नीचे से अपने कूल्हों को एडजस्ट करके अपनी कमर को जोर से ऊपर की तरफ उछाल दिया। ठीक उसी वक़्त लता भी ऊपर से राज के लन्ड पर जोर से बैठ गयी। नतीजा ये निकला कि राज का 3 इंच लन्ड और लता की चूत मैं घुस गया।


राज का लन्ड चूत में घुसते ही राज जोर से चीख पड़ा। 


राज: आहssssss उंssss अहssssss


राज के सुपडे की चमड़ी उतर कर नीचे की तरफ पूरी तरह से खींच गयी थी। जिससे राज के लन्ड के सुपडे से हल्का हल्का खून निकल रहा था। वही लता की भी चीख उसी के मुह मैं दब कर रह गयी लेकिन लता की आंखों से आंसू निकल आये। जहां आसमान में सावन की झड़ी लगी थी वहीं लता ने सावन का स्वागत राज की नथ उतार कर किया था।


अब तो राज की नथ उतर चुकी थी। ऊपर आसमान से हल्की हल्की बारिश हो रही थी नीचे राज और लता चुदाई का खेल खेल रहे थे।


लता की चूत बुरी तरह से राज के लन्ड पर कस गयी थी। अब बारी लता की थी। लता इस बार हल्का सा ऊपर उठी जिससे राज का करीब एक इंच लन्ड बाहर निकल गया। राज को हल्का सा दर्द हुआ इस लिए राज कसमसा कर रह गया। लेकिन अगले ही पल लाता पूरे जोर से राज के लन्ड पर बैठ गयी।


लता के ऐसा करते ही लता की इस बार जोरदार चीख निकल गयी। बाहर खड़े कालू श्याम और मंगल को भी वो चीख हल्की ही सही लेकिन स्पष्ट सुनाई दे गई। जिसे सुनकर तीनो मुस्कुराने लग गए।


राज भी लता के नीचे तड़प रहा था। लता ने तो कैसे जैसे खुद को संभाल लिया लेकिन राज अभी भी दर्द से रो रहा था।


लता ने नीचे हाथ ले जाकर देखा तो राज का लन्ड अभी भी 2 इंच के करीब बाहर ही था। 


लता: हे राम अभी भी बाहर है।


राज आंखों से इशारा करके पूछता है क्या?


लता: तेरा लन्ड बेवकूफ


लता की इस बात पर राज ओर लता दोनो हसने लगते है।


लता: चल शेर अब हो जा शुरू?


राज: चुदाई के लिए।


लता मुस्कुराते हुए हाँ मैं सर हिला देती है।


राज भी मुस्कुराते हुए नीचे से हल्के हल्के धक्के मारने लगता है। करीब पांच मिनट में लता और राज दोनो एक दूसरे के आदि हो जाते है। अब दोनों एक दूसरे को बेइंतेहा चूमते हुए धक्कम धक्का पिलाई कर रहे थे।


[Image: 5ceb9d12c3d04.gif] 

कालू श्याम और मंगल छुपकर के राज और लता की रास लीला देख रहे थे। वहां पर कोई रफ़ चुदाई नही चल रही थी। बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे दो आशिक शादी से पहले शुहागरात मना रहे हों।


[Image: 5ceb9db300206.gif] 


लता: हेय ये बचा खुचा लन्ड क्या अपनी माँ बहन के लिए बचा रखा है।


राज एकदम से लता के मुह से ऐसी बात सुनकर सकते में आ जाता है। लता राज को कुछ न करते देख अपनी एक उंगली राज की गांड के छेद पर घुमाने लगती है। 


जैसे ही लता की उंगली राज की गांड के छेद को छूती है राज की कमर ऊपर उठती है लेकिन लन्ड अंदर नही जाता। थोड़ी ही देर में जब लता परेशान हो जाती है तो लता अपनी बीच की उंगली का दबाव राज की गांड के छेद पर बढ़ा देती है। करीब आधा इंच उंगली राज की गांड मैं घुसी थी कि राज जोर से धक्का मार देता है और बचा हुआ लन्ड पूरी तरह से लता की चूत में घप्प से घुस जाता है। इसी के सेह ता राज के होंटों को चूमने के लिए राज पर झुक जाती है।





अब थोड़ी देर लता यूँही ऊपर से राज के लन्ड पर धक्के मारती रहती है और नीचे से राज भी लता की चुदाई करता रहता है।


वुमन ऑन टॉप की खिलाड़ी तो लता कालू के साथ ही बन गयी थी। लेकिन लता को चाहिए था कि राज अब उसकी जबरदस्त चुदाई करे।


इस लिए लता राज के ऊपर से उठ कर नीचे लेट जाती है और राज को अपने ऊपर खींच लेती है। लता अपनी टांगे चौड़ी कर के राज को अपनी टांगों के बीच में ले आती है। और राज का लन्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुह पर रख देती है।




जब लता ऐसा करती है तो राज की नज़र लता की चूत पर जाती है। जो कि बुरी तरह से खून खच्चर हो रखी थी। 


लता: देख क्या रहा है चल घुसा दे जल्दी से।


राज एक जोर दर धक्का मारता है कि लता राज को अपने ऊपर खींच कर जोर से गले लगा लेती है और पीछे से कैंची की तरह अपनी टांगे राज की कमर पर कस लेती है।




लता: आह मेरे राजा! ऐसे ही दम दिखा अपना।


राज: हाँ मेरी रानी ऊम्म्मssss


राज जैसे ही आंखें बंद करता है उसे याद आता है की उसने अभी रानी बोला। और उसे अपनी बड़ी बहन रानी याद आते ही उसकी आँखों के सामने उसकी बहन रानी का चेहरा घूमने लगता है। 


[Image: 5ceb9e119591a.gif] 

राज को रानी का चेहरा याद आते ही राज आंखे बंद किये ही "ओह रानी, आह कितना मज़ा है इन सब" मे बोलते हुए लता की धुआंदार चुदाई शुरू कर देता है।


करीब 30-35 मिनट की चुदाई के बाद राज अपना सारा पानी लता की चूत मैं छोड़ देता है। जैसे ही राज पानी छोड़ता है वैसे ही लता झड़ने लगती है और साथ ही साथ चीख पड़ती है।


झड़ते हुए राज का लन्ड 1.5 इंच और बड़ा हो गया था जो कि सीधा लता की बच्चे दानी के मुह को खोल कर अंदर घुस गया। करीब 5 मिनट तक राज लता की चूत मैं झड़ता रहता है। जब राज अपने टट्टे पूरी तरह से लता की चूत मैं खाली कर देता है तो लता उसे साइड में हटा कर जोर जोर से हांफने लगती है। लेकिन राज बिल्कुल नही हांफ रहा था।


लता की चूत से जैसे ही लन्ड बाहर निकलता है लता की चूत काफी सारी राज की मलाई बाहर उगल देती है।



[Image: 5ceb9f0459f4d.gif] 




लता थोड़ा सुस्ता लेने के बाद राज से पूछती है।


लता: ये... ये रानी कौन है रे? अब ये तो बिल्कुल मत कहना कि तू मुझे रानी बुला रहा था।


राज: हम्मsss क्या????


लता: ये रानी कौन है? कोई गर्लफ्रैंड?


राज: नहीं तो 


लता: फिर कौन है?


राज : रानी मेरी बड़ी बहन का नाम है!


लता: ओहsssss तो तू मुझे रानी समझ कर चौद रहा था।


राज: क्या बक रही हो?


लता: रानी का नाम लेकर मेरी चूत फाड़ता रहा तब तुझे याद नही आया की तू क्या बक रहा है। खेर इसमें कुछ गलत भी नहीं। देख मैंने भी तो मेरे छोटे भाई कालू से चुदवा लिया। तू भी अपनी बहन को चौद कर अपनी आग शांत कर लिया कर ना। इसमें कोई बड़ी बात नही है।


राज: नही नहीं ऐसा नही हो सकता।


लता राज का लन्ड पकड़ कर 


लता: अभी तुझे झड़े 3 मिनट भी नही हुए और रानी की बात सुनकर फिर से खड़ा हो गया मेरे राजा।


राज लता को कुछ नही बोलता।


लता एक बार फिर से राज को अपने ऊपर खींच कर चुदाई करने लगती है। और इस बार लता रानी बनकर राज से चुदवाती है। 


राज उसे जब भी रानी नही बुलाता तो लाता उसे धक्के मारने से रोक लेती। थक हार कर राज पहली बार अपनी बहन के बारे में सोचते हुए लता की एकदम रोमांटिक तरीके से चुदाई कर रहा था। और आख़िरकर लता की चूत मैं झड़ जाता है। 




करीब 3-4 बार राज लता की चूत मारता है पहली बार छोड़ कर हर बार लता रानी बनकर राज से चुदती रहै। उसका एक कारण ये था कि जब भी राज लता को रानी बोलकर चौदता था तो राज एक अलग ही जोश मैं रहता था। वो जोश रानी को असीम सुख दे रहा था।


अब राज आंख बंद करके वही लेट जाता है। और लता चुपचाप अपने कपड़े और चरि लेकर वहां से निकल जाती है। वही श्याम मंगल और कालू भी काफी समय पहले वहां से निकल गए थे। अब राज अकेला नंगे बदन खेत में पड़ा घास फूस पर सो रहा था और ऊपर बारिश हो रही थी।



 करीब आधे घंटे बाद राज की आंख खुलती है। राज जल्दी से कपड़े पहन कर नानी के घर की तरफ निकल जाता है। राज के कपड़े पहले ही काफी गीले थे रास्ते में जाते जाते राज के कपड़े और गीले हो जाते है।

राज पूरी तरह से बारिश में भीग चुका था।





साथ ही साथ राज के चेहरे से थकावट साफ झलक रही थी। लता के साथ राज का ये पहला योन सुख का अनुभव था। 


पहली बार ही राज और लता ने पांच बार योन संबंध बनाए। जिस कारण से राज काफी थकावट महसूस कर रहा था। साथ ही राज ने सुबह से कुछ खाया भी तो नही था।


राज बड़ी ही मुश्किल से चलते हुए घर पहुंचता है। घर पहुंचते ही राज की नानी जो कि अपने मकान के दरवाजे पर खड़ी होकर राज की राह देख रही थी ने राज को देखा जो बुरी तरह से भीग गया था। नानी घबराते हुए थोड़ा गुस्से में राज को डाँटती है और बोलती है....


नानी: राज ये क्या पागलपन है? जल्दी से घर में आओ। बाहर इसी तरह से भीगोगे तो बीमार पड़ जाओगे। सुना नहीं मैंने क्या कहा? जल्दी इधर आओ!


राज: हैंsss हम्मssss जी नानी...


राज नानी को गुस्से में देख कर कर जल्दी जल्दी चलते हुए कमरे में घुस जाता है। जहां जाते ही राज की नानी राज को टॉवल दे कर अंदर एक सिगड़ी पर चाय चढ़ा देती है। और साथ ही राज की खरी खोटी सुनाने लगती है।


नानी: मुझे बिल्कुल पसंद नही है राज


राज: क्या??? मेरा मतलब क्या नानी ?? क्या पसंद नही है?


नानी: तेरा ये लापरवाही से रहना। सुबह से कुछ खाया पिया नही, पूरा दिन दोस्तों के साथ मस्ती और अब पानी में भीगता हुआ घर आ गया। वही कहीं ठहर नही सकता था?


राज : सॉरी नानी।


राज ने अब कपड़े बदल कर एक शॉर्ट और एक टी-शर्ट पहन ली थी। जब राज तैयार हो रहा था इसी बीच नानी ने राज को एक चाय पकड़ा दी और साथ में एक प्लेट में कुछ पकोड़े भी।


( गरमा गरम आलू और प्याज के पकोड़े वो भी गांवों की भीनी भीनी बरसात में वाकई मज़ा आ जाता है दोस्तों।)







राज चाय और पकोड़े देख कर खुश था। राज नानी को थैंक्स बोल कर चाय पकोड़े नानी के साथ बैठ कर खाने लगा। 


चाय और पकोड़े खत्म करते करते बारिश भी रुक गयी थी। नानी झूठे बर्तन बाहर ले गयी और राज अंदर अपने कमरे में जाकर सो गया।
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राज चाय और पकोड़े देख कर खुश था। राज नानी को थैंक्स बोल कर चाय पकोड़े नानी के साथ बैठ कर खाने लगा। 


चाय और पकोड़े खत्म करते करते बारिश भी रुक गयी थी। नानी झूठे बर्तन बाहर ले गयी और राज अंदर अपने कमरे में जाकर सो गया।



अब आगे....



करीब पंद्रह मिनट बाद नानी ने आकर राज को देखा तो राज घोड़े बेच कर सो रहा था। नानी मुस्कुराते हुए राज के पास आई और राज के सर पर हाथ फिरा कर वह से फिर बाहर आ गयी। वैसे नानी आयी तो राज को डांटने थी लेकिन राज के भोले चेहरे को देख कर नानी का सारा गुस्सा काफ़ूर हो गया।

करीब आधे घंटे बाद राज फिर से उसी खेत में लता के साथ चुदाई करने चला गया था। लता मज़े से सिसकियाँ ले रही थी। राज अपनी आंखें बंद किये अपना लन्ड लता की चूत पर रगड़ रहा था। 




तभी लता राज के नीचे और राज लता के ऊपर आ गया। राज जल्दी से अपना लन्ड लता की चूत पर सेट करके एक धक्का मारता है। धक्का मारते ही राज के लन्ड मैं भयंकर दर्द होने लगता है और लता की चीख निकल जाती है। 





लता की चीख निकलते ही राज मुस्कुराते हुए लता की तरफ देखता है तो राज का मुह खुला का खुला रह जाता है। वो वो लता नही थी। बल्कि राज की अपनी बड़ी बहन रानी थी।




रानी जो कि राज के लन्ड के प्रहार से, दर्द से तड़प रही थी। रानी की चूत से खून निकल रहा था। राज अपने नीचे रानी को देखते ही तुरंत वहां से उठ जाता है।

राज के उठते ही राज धड़ाम से बेड से नीचे गिर जाता है। राज जोर जोर से सांसे ले रहा था। राज बुरी तरह से डरा हुआ और घबराया हुआ था। थोड़ा शांत होकर राज अपने आसपास नज़र घूमाता है तो उसे एहसास होता है वो खेत में नही बल्कि नानी के पास है। नानी के अपने घर में है। तब जा कर राज को एहसास होता है कि उसने अभी जो कुछ भी किया और देखा सब सपना था। एक डरावना सपना। जो कभी भी सच नही होना चाहिए।

______________________________
 

राज वहां से उठकर मुह धोने के लिए जाने लगता है कि राज को अपने लन्ड मैं फिर से दर्द महसूस होता है। लेकिन ये दर्द और दिनों से अलग था। 

राज धीरे धीरे चलता हुआ बाथरूम में जाता है और वहां जाकर अपना लन्ड देखता है। राज अपना लन्ड देखता है तो देखते ही रह जाता है। राज का लन्ड अभी पूरी तरह से खड़ा नही था लेकिन फिर भी उसकी लम्बाई करीब करीब साढ़े आठ इंच की थी। राज का सूपड़ा बुरी तरह से सूजा हुआ था।

खैर ऐसा तो होना ही था। आज राज की नथ उतरी थी तो दर्द तो बनता ही था। राज अपने लन्ड को पानी से धो कर फिर से आराम करने के लिए अपने कमरे में जाने लगता है। 

जब राज अपने कमरे में जाने के लियर आगे बढ़ता है तो राज को किसी लड़की की जानी पेहचानी आवाज सुनाई पड़ती है। हाँ! ये आवाज किसी और कि नहीं बल्कि कालू की बड़ी बहन लता की आवाज है। लता को आवाज सुनते ही राज तुरंत बाहर की तरफ दौड़ता है।




राज चोंक जाता है। राज तुरंत बाहर आकर देखता है तो लता राज की नानी से बात कर रही थी। लता ने जब राज को दरवाजे पर देखा तो नानी से साइड में गर्दन करके लता राज को देखते हुए नानी से पूछती है।

लता: ये कौन है काकी?

नानी: कौन ??? ओह ये... ये मेरा नाती है राज! तुम तो आज ही इसे देख रही हो! बहुत शैतान है 

लता: अच्छा! ज़रा मैं भी तो देखो इस शैतान को। मैं मिलकर आती हूँ। 

नानी: हाहाहा हाँ जाओ मिल लो।

लता नानी से इतना बोलकर राज के पास चली जाती है और नानी वापस अपना काम करने में व्यस्त हो जाती है।

लता राज के पास जाकर राज से हाथ मिलाती है। राज जैसे ही लता से हाथ मिलाता है राज को अपने हाथ में कुछ महसूस होता है।

लता: ये ले लेना रात को दर्द नही होगा.|

इतना बोलकर लता राज को आंख मारते हुए राज के पास से चली जाती है और नानी को मिलकर वापस अपने घर को निकल जाती है।

रात को राज खाना खा कर पेनकिलर कहा लेता है। और सोने की कोशिश करता है लेकिन हर बार जब भी राज सोने की कोशिश करता है उसे बार बार रानी नज़र आती है। बार रानी का चेहरा राज को परेशान करने लगता है। इसलिए पूरी रात राज बैचैन होकर गुजर देता है। 

अगली सुबह राज बहुत जल्दी तैयार हो जाता है इस वक़्त राज की नानी सो रही थी। रात के करीब 3 बज रहे थे। राज नक्शा और कंपास दोनो को अपने कपड़ों में छिपा कर तैयार हो जाता है। नक्शे और कंपास के लिए राज एक प्लास्टिक का बैग ले लेता है ताकि बारिश हो तो भीगे नही।

राज की तैयारी खत्म होते होते 4 बज जाते है। 4 बजते ही नानी की पुरानी घड़ी बहुत ही हल्की आवाज में बज पड़ती है। और बाहर मुर्गे भी बोल पड़ते है।

नानी बिस्तर से उठती है तो राज के बिस्तर पर नज़र पड़ती है। राज बिस्तर में दुबका पड़ा था। नानी राज के सर पर हाथ फिरा कर बाहर अपने काम करने लग जाती है। 

करीब पांच बजे के करीब राज बाहर आता है। राज बाहर आते ही नानी के पैर छूता है। नानी राज को एक कप चाय देती है जिसे राज बहुत जल्दी जल्दी पीने लगता है। चाय पीने के बाद राज नानी को बोलता है नानी मैं दोस्तों के पास जा रहा हूँ।

नानी राज को कुछ बोलती उस से पहले तो राज वहां से भाग निकलता है। नानी राज की जल्दबाजी देख कर मुस्कुरा पड़ती है।


नानी मन ही मन सोचती ही " इसे लगा होगा की आज मैं इसे जाने नही दूंगी इसलिए बिना सुने ही भाग गया। बहुत शैतान हो गया है ये लड़का"


नानी वापस अपने काम में लग जाती है। राज भागते हुए सीधे नदी किनारे पहुंच जाता है। राज अब नदी किनारे होते हुए थोड़ा और दूर जाता है कि उसे वहां एक चट्टान के पीछे कुछ नज़र आता है जिसे देख कर राज मुस्कुरा पड़ता है। वो कुछ और नही एक नाव थी। 


देखते ही देखते सूरज की किरणें पानी पर चमकने लगती है। जिससे सोने की तरह नदी और नाव दोनो चमक ने लगते है। जैसा कि नक्शे में था एक सोने की नाव। ये नाव वास्तव में सोने की नहीं थी बल्कि सोने की तरह चमक रही थी।




राज आसपास नज़र घुमा कर देखता है कि कोई है तो नही। जब राज पूरी तरह से सुनिश्चित कर लेता है कि उसे कोई नही देख रहा है तो राज नाव में बैठ कर नक्शे के मुताबिक चलता रहता है। 

आज से पहले राज ने कभी नाव चलाई नही थी तो जाहिर है राज को नाव चलाने और उसी के साथ नक्शे को पढ़ने में बहुत दिक्कत हो रही थी। लेकिन फिर भी राज कैसे जैसे करके नक्शे के मुताबिक आगे बढ़ता रहा।

राज आगे बढ़ते ही जा रहा था कि अचानक से राज की नाव एक भंवर में फंस जाती है। राज बहुत संभलने की कोशिश करता है लेकिन नही संभल पाता। जब राज को बचने का कोई रास्ता नज़र नही आता तो राज जोर जोर से मदद के लिए चिल्लाता है

लेकिन इस वक़्त राज जहां पर था वहाँ से कोई भी राज की चीख पुकार नहीं सुन सकता था। कुछ ही वक़्त मैं राज और राज की नाव पानी में डूब जाती है। देखते ही देखते वो भंवर राज और उसकी नाव दोनो को नदी के बिल्कुल नीचे गर्भ स्थान पर ले जा कर डूबा देता है।

राज पानी में तैरना जानता था लेकिन तेज भंवर में फंसने के कारण और राज की घबराहट के कारण राज की सांस फूलने लगती है और देखते ही देखते राज पानी में डूब गया।

राज की सांसें फूलने लगी। धीरे-धीरे नदी का पानी राज के पेट में भरने लगा। राज की आंखें आहिस्ता- आहिस्ता बन्द होने लगी। और राज का शरीर नदी के नीचे की और तलहट मैं दूर गहरे अंधेरों की और बढ़ने लगा। राज अपने दिल की धड़कन धकssss धकssss धकssss धकssss बिल्कुल आहिस्ता से धीमी होते महसूस कर पा रहा था। 


राज को अब तक ये एहसास हो चला था कि राज अब मारने वाला है। राज अपनी हल्की खुली आँखों से नदी के ऊपरी हिस्से के पानी से होकर आ रही सूर्या की गिनी चुनी किरणों को, उनकी चमक को देख सकता था। 





राज पूरी तरह नाउम्मीद होकर अपनी मृत्यु को स्वीकार कर लिया। जहां राज एक पल को स्लो मोशन सा नीचे डूबता जा रहा था वही पानी में एक अजीब सी हलचल हो रही थी। जो भंवर बना था वो पानी के नीचे था। भंवर जैसा इस वक़्त नदी के ऊपर कुछ भी नहीं था। यहां तक कि राज की नाव भी नदी के उस स्थान पर जाकर रुक गयी थी जहां से राज और नाव दोनो भंवर में फंस कर डूबे थे।



धीरे-धीरे राज की आंखें बंद हो गयी। राज के मुह से बुल बुले निकलना भी बंद हो चुके थे जो कि अक्सर डूबते वक़्त फेंफड़ों से निकलती हवा के कारण बनते है। राज अब नदी के नीचे तलहट की और डूबता जा रहा था कि अचानक से भंवर उल्टा घूमने लगा और देखते ही देखते गायब हो गया। राज तेजी से नदी के तलहट की और डूब रहा था। लेकिन राज पानी में नदी के तल की तरफ ऐसे गिर रहा था जैसे कोई उल्कापात आसमान से ज़मीन की और गिर रहा हो। अचानक से राज एक सुखी ज़मीन पर आ गिरता है।






करीब 45 मिनट तक बेहोशी के बाद राज की आंख खुलती है। राज खांसता हुआ उठ खड़ा होता है। राज जब खांसता है तो काफी सारा पानी उसके मुंह से निकल कर गिरता है। राज जोर जोर से सांस लेता है। 


राज को लगता है ये सब एक सपना था। लेकिन राज जब अपने आस पास का माहौल देखता है तो राज को एहसास होता है की ये कोई सपना नहीं बल्कि हक़ीक़त है। राज के सामने एक खँडहर सा था। जिसपर कुछ सीढ़ियां बनी हुई थी जो कुछ दूरी पर जाकर खत्म हो जाती है। 


राज ऊपर आसमान में गर्दन करके देखता है तो राज का सर चकरा जाता है। नदी का सारा पानी ऊपर था। राज नदी के पानी से होकर नीचे आया था। ऐसा लग रहा था जैसे ग्रेविटी से नदी का सारा पानी ऊपर की और उड़ रहा हो। लेकिन उस पानी के स्थायी होने से इसे ग्रेविटी का नही बल्कि किसी चमत्कार या जादू का नाम दिया जाना उचित है। 





राज तुरंत अपनी कमर पर बंधे नक्शे को निकलता है और कंपास की और नज़र करता है तो कंपास उसे उसी खँडहर की और जाने का इशारा करता है जिस पर सीढ़ियां कुछ ही दूरी पर खत्म हो जाती है। राज उन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए ऊपर तक जाता है।लेकिन आगे रास्ता नही था। राज परेशान होकर सोचने लगता है कि आखिर ये जगह है क्या?


तभी राज उस खँडहर की आखिरी सीडी पर पैर रखता है कि सीढ़ियां टूटने लगती है। राज एक बार तो सोचता है कि नीचे कूद जाऊं लेकिन जहां सीढ़ियां खत्म हो रही थी उसके ठीक नीचे एक बहुत गहरी खाई थी।




बेशक राज वापस नीचे उतरने की सोच सकता था। लेकिन उसे इतना टाइम नही मिला क्योंकि सिड्यां तेजी से टूटती हुई नीचे गिर रही थी। ऐसे में राज उस खाई में कूद जाता है सीढ़ियों के नीचे भी मरता और खाई में भी फिर भी राज ने खाई का रास्ता चुना।


सभी सीढ़ियां टूट कर नीचे ज़मीन में समा जाती है और राज वही हवा में अटक जाता है। ना नीचे गिरता है और ना ही ऊपर जाता है। ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ हवा में कोई अद्रश्य सीडिया बनी हों। अचानक से राज के सामने ऊपर नदी से तैरते हुए एक लड़की आती है।





राज ऊपर की और देखता है लेकिन वो लड़की गायब हो जाती है राज को उसकी बस एक झलक मिलती है । लेकिन तभी अचानक से राज को एक हाथ अपने कंधे पर महसूस होता है। 


राज डर जाता है। ये वही लड़की थी जो राज को तैरते हुए दिखी थी। वो लड़की अपने हाथ में एक कटोरा लेकर आती है। और उसे अपने दोनों हाथों से राज की और बढ़ा देती है। राज वो कटोरा लेकर उस लड़की से पूछता है इसका क्या करूँ ?


लड़की: "इसमे उस चीज का दान दो जिस से तुम्हे आगे का रास्ता नज़र आ सके।" 


राज ने अपने ऊपर के कपड़े खोल कर उस कटोरे में डाले। राज के कपड़े कटोरे में डालते ही जल कर नष्ट हो गए। राज को अब एहसास हो गया था कि ये चीज ये कटोरा स्वीकार नहीं करेगा। राज कुछ सोच ही रह था कि राज की कमर पर बंधा कंपास उस कटोरे के किनारों से छू जाता है और कटोरा देखते ही देखते उसे निगल जाता है।


राज ये देख कर हैरान हो जाता है और फिर तुरंत उस नक्शे को याद करके उसे भी उस कटोरे में डाल देता है वो नक्शा भी कटोरा निगल जाता है। 


तब लड़की बोलती है "ये तो बहुत छोटा सा दान है। कुछ और है जो दे सकते हो। यदि नहीं है तो लौट जाओ"।


तब राज काफी सोच कर अपने बाएं हाथ की एक उँगली को अपने दांतों के बीच दबा कर काटता है और जो खून निकलता है उसे उस कटोरे में डाल देता है। देखते ही देखते कटोरा सारा खून पी जाता है।


तभी अचानक से अचानक से वो कटोरा चमकने लगता है। कटोरे की चमक से हो रहे प्रकाश में वहां सब कुछ गायब हो जाता है। वहां कुछ भी नहीं था सिवा उस सफेद रोशनी के और राज भी उस कटोरे में समा जाता है।


थोड़ी देर बाद जब राज को थोड़ा होश आता है तो राज एक अजीब से महल में खड़ा था....









जिसके सामने कोई रानी हो एसी एक औरत बैठी थी। 




उस औरत के रानी होने का अंदाज़ा राज को इस बात से लगा कि वो औरत एक तो सिंघासन पर बैठे हुए थी। दूसरी बात बात ये भी थी कि उस औरत के चेहरे पर बहुत तेज था और उसके कपड़े गहने और उसका चेहरा सब रोशनी की तरह चमक रहे थे।


वो औरत राज को हुकु सुनाने वाली आवाज में बोलती है। "तुम्हारा स्वागत है इस आईने की दुनिया में। या फिर तुम्हारी भाषा में कहूँ तो यु आर मोस्ट वेलकम इन दिस मिरर वर्ल्ड।"


राज झुक कर उस औरत का सम्मान करता है। राज समझ नही पा रहा था कि ये औरत उनकी भाषा कैसे जान सकती है।


औरत: यहां आने का क्या कारण है?


राज: जी मुझे मेरे नाना जी के कमरे में एक नक्शा और कंपास मिला था। मैं उसे फॉलो करते हुए यहां आ गया।


औरत: तुम्हारे खून में जो नीलांकर है, ये कैसे आया?






राज:????? जी? मैं कुछ समझा नहीं?



औरत: तुम्हारे खून मैं सदियों पुराने चंद्रमा, नील गगन और काल की छाया से बने नील पानी का समावेश है। 




जिस कारण से तुम्हे बिना किसी परेशानी के इस नदी के रक्षक ने आईने की दुनियां में पहुंचा दिया।


राज: जी मुझे नहीं पता ये कैसे?


औरत कोई बात नही मैं देख लेती हूं। वो औरत ने अपने सिंगासन मैं जड़े पत्थर में कुछ डाला जो बड़ा ही अजीब था। उस पत्थर ने उसे निगल लिया। थोड़ी देर बाद उस औरत ने कहा " तुमने नील पानी पिया है? लेकिन ये तुम्हारे पास कैसे आया वो औरत उसे उस पत्थर मैं दिखाती है।


राज: "ये तो वो पानी है जो नानाजी के झोपड़े में था। नीले रंग का पानी जिस पर लिखा था ड्रिंक मी" जी उस वक़्त मुझे पानी की सख्त जरूरत थी और आसपास सिर्फ यही था तो पी लिया।


औरत उस सिंघासन से खड़ी हो कर राज से बोलती है " इस पानी का सेवन तुम्हे काले आईने का उत्तराधिकारी बनाता है। ऐसा बोलकर वो औरत उसे अपने सिंघासन से पत्थर निकाल कर राज को दे देती है और राज के सर पर हाथ रखती है।


उस औरत के ऐसा करते ही ऊपर ठहरा हुआ पानी नीचे भी भरने लगता है। राज का ध्यान पानी के बढ़ने पर था कि वो औरत वहां से गायब हो गयी। गायब होने से पहले वो औरत राज से बोलती है कि तुम अपने अंगूठे के निशान इस सिंघासन को दो।


(थोड़ी रुक कर)


अपने खून से.....


राज बिना कुछ सोचे समझे उस सिंघासन पर अपना अंगूठे का निशान लगता है कि पूरी मिरर वर्ल्ड उस पत्थर मैं समा जाती है जो उस औरत ने सिंघासन से निकाल कर राज को दिया था। और राज फिर से एक भंवर में फंस कर नदी के ऊपर आ जाता है।


राज जैसे ही ऊपर आता है वो बिल्कुल अपनी नाव के पास होता है। राज तुरंत अपनी नाव में बैठ जाता है लेकिन राज धीरे धीरे चक्कर खा कर वही बेहोश हो जाता है। 


जब राज को होश आता है तो राज के सामने एक लड़की थी जो कि गर्दन के निचले हिस्से तक पानी में थी। वो लड़की राज की नाव को पकड़ कर राज से बोलती है। 





तुम्हारे नाना की किताब पढ़ना। उसमे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। और इतना बोलकर अपने गले में लटक रहे एक पत्थर को तोड़ कर राज के हाथ में दे देती है। राज उस पत्थर को और जो नदी के तलहट से पत्थर निकला था इसे लेकर वापस नदी किनारे आता है। जैसे ही राज नाव से उतरता है। वो नाव तुरंत पानी की तरह पिघल कर नदी के पानी में लुप्त हो जाती है। तभी एक बार फिर से वो औरत पानी से बाहर निकल कर आती है और राज की तरफ देख कर राज से बोलती है " वो एक लंबे समय से तुम्हारा इंतजार कर रहे है" इतना बोलकर वो लड़की वापस लौट जाती है।


राज को अभी तक यकीन नही हो रहा था कि इतनी मेहनत की वो सब इस पत्थर के लिए। और वो महारानी आखिर ये सब था क्या? तभी राज वहां से निकल कर जैसे ही अपने नाना की झोपड़ी की तरफ बढ़ता है सूरज की रोशनी उस पत्थर पर पड़ती है। जो अचानक से चमकने लगता है और चमकते हुए वो लड़की का दिया पत्थर उस दूसरे पत्थर से जुड़ जाता है। और उस पत्थर के जुड़ते ही वो पत्थर एक आईने में बदल जाता है।
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मैं इस कहानी में अभी कोई फोटो अपलोड नही कर रहा क्योंकि  mybb error  ने नाक में दम कर रखा है। अब मैं फोटोज इस कहानी के एकदम लेटेस्ट पोस्ट वे साथ पोस्ट करूँगा जो मैंने इससे पहले xossip पर भी नहीं लिखे थे।।
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Is kahani ko shuru se likhne ke piche mera tatpary keval naye readers se tawajjo lena hi nhi tha balki purAne readers mei is kahani ki yaadon ko fir se zinda karna bhi tha... Lekin pichle 2-3 update se naa to is kahani par kisi ki tawajjo mili naa hi puraane readers dhyaan idhar aaya..Is kahani ke post meine pehle kaafi bade kar diye taaki kahani ka jo pichla hissa puraane readers padh chuke wo jald se pura ho jaaye...

Ab dar ye hai ki agar me naye update bhi dene laga aur isi trh chalta raha to kahin mera sanym naa toot jaaye aur ye kahani adhuri reh jaaye isliye meine filhaal apni kahani  बर्बादी को निमंत्रण  ko puraa karne me laga hun...Jo rujhan aur dilchaspi mujhe xossip par mili thi readers ki taraf se wo mujhe yahan abhi tk nhi mili. Is kahani ko lekar bahut ummeed thi lekin ab wo toot ti nazar aa rhi hai.baat darasal naye update dene ya puraane update me photo edit karne ki nhi hai ... Visual things always be best option to imagine something... Mei aap logo ko bus us imagination se jodne ka pryaas kar raha tha jise lekar meine is kahani ko shuru kiya thaa. Dekhiye agar aap meri imagination se nhi jud sake to bhi meri haar hai aur agar kahani isi trh puri ho jaati hai tab bhi kyu ki mujhe mere kaam kaa paisa nhi chahiye lekin readers ki tawajjo mujhe mera kaam behtar karne me zarur madad karega...

Aap sabhi kaa bahut shukriya mujhe bardasht karne ke liye...
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Sorry for not replying bro ..
Last 2 weeks se mein hospital k kaam mein busy reh gay tha aur update padh nahi paya...
But apke story ka mujhe besabri se intezar rehta hai...
Please continue the story....
And sorry again for not responding....
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(04-06-2019, 10:54 AM)Rocksanna999 Wrote: Is kahani ko shuru se likhne ke piche mera tatpary keval naye readers se tawajjo lena hi nhi tha balki purAne readers mei is kahani ki yaadon ko fir se zinda karna bhi tha... Lekin pichle 2-3 update se naa to is kahani par kisi ki tawajjo mili naa hi puraane readers dhyaan idhar aaya..Is kahani ke post meine pehle kaafi bade kar diye taaki kahani ka jo pichla hissa puraane readers padh chuke wo jald se pura ho jaaye...

Ab dar ye hai ki agar me naye update bhi dene laga aur isi trh chalta raha to kahin mera sanym naa toot jaaye aur ye kahani adhuri reh jaaye isliye meine filhaal apni kahani  बर्बादी को निमंत्रण  ko puraa karne me laga hun...Jo rujhan aur dilchaspi mujhe xossip par mili thi readers ki taraf se wo mujhe yahan abhi tk nhi mili. Is kahani ko lekar bahut ummeed thi lekin ab wo toot ti nazar aa rhi hai.baat darasal naye update dene ya puraane update me photo edit karne ki nhi hai ... Visual things always be best option to imagine something... Mei aap logo ko bus us imagination se jodne ka pryaas kar raha tha jise lekar meine is kahani ko shuru kiya thaa. Dekhiye agar aap meri imagination se nhi jud sake to bhi meri haar hai aur agar kahani isi trh puri ho jaati hai tab bhi kyu ki mujhe mere kaam kaa paisa nhi chahiye lekin readers ki tawajjo mujhe mera kaam behtar karne me zarur madad karega...

Aap sabhi kaa bahut shukriya mujhe bardasht karne ke liye...
Nice story bro
Majedar kahani hai .plz update
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(04-06-2019, 10:54 AM)Rocksanna999 Wrote: yourock Is kahani ko shuru se likhne ke piche mera tatpary keval naye readers se tawajjo lena hi nhi tha balki purAne readers mei is kahani ki yaadon ko fir se zinda karna bhi tha... Lekin pichle 2-3 update se naa to is kahani par kisi ki tawajjo mili naa hi puraane readers dhyaan idhar aaya..Is kahani ke post meine pehle kaafi bade kar diye taaki kahani ka jo pichla hissa puraane readers padh chuke wo jald se pura ho jaaye...

Ab dar ye hai ki agar me naye update bhi dene laga aur isi trh chalta raha to kahin mera sanym naa toot jaaye aur ye kahani adhuri reh jaaye isliye meine filhaal apni kahani  बर्बादी को निमंत्रण  ko puraa karne me laga hun...Jo rujhan aur dilchaspi mujhe xossip par mili thi readers ki taraf se wo mujhe yahan abhi tk nhi mili. Is kahani ko lekar bahut ummeed thi lekin ab wo toot ti nazar aa rhi hai.baat darasal naye update dene ya puraane update me photo edit karne ki nhi hai ... Visual things always be best option to imagine something... Mei aap logo ko bus us imagination se jodne ka pryaas kar raha tha jise lekar meine is kahani ko shuru kiya thaa. Dekhiye agar aap meri imagination se nhi jud sake to bhi meri haar hai aur agar kahani isi trh puri ho jaati hai tab bhi kyu ki mujhe mere kaam kaa paisa nhi chahiye lekin readers ki tawajjo mujhe mera kaam behtar karne me zarur madad karega...

Aap sabhi kaa bahut shukriya mujhe bardasht karne ke liye...
yourock
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abhi na jao chhod ke ...
ke dil avi bhara nahi....


please keeep posting.........
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banana
aise bich me chhod kar na jaye...
bas aapke aur shubham ke liye hi register kiya hu.
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Bhai bahut achhi story hai.
Plz update
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(09-06-2019, 09:34 AM)sabbhu07e Wrote: abhi na jao chhod ke ...
ke dil avi bhara nahi....


please keeep posting.........

Don't worry dear... Kahani to mei puri karunga... Aapko zara intjaar karnaa pad raha hai uske liye maafi chahta hun... Ab bahut jald is kahani ke naye update aayenge jo meine abh tak kahin pr bhi post nhi kiye...
बर्बादी को निमंत्रण
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(09-06-2019, 01:29 PM)Amit Jaiswal Wrote: Bhai bahut achhi story hai.
Plz update

Thode dino mei...
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(04-06-2019, 03:18 PM)abhi_mishra_91 Wrote: Sorry for not replying bro ..
Last 2 weeks se mein hospital k kaam mein busy reh gay tha aur update padh nahi paya...
But apke story ka mujhe besabri se intezar rehta hai...
Please continue the story....
And sorry again for not responding....

It's ok bro get well soon... And take care...
Hopefully update jaldi aayega...
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अपडेट - 17




तभी अचानक से अचानक से वो कटोरा चमकने लगता है। कटोरे की चमक से हो रहे प्रकाश में वहां सब कुछ गायब हो जाता है। वहां कुछ भी नहीं था सिवा उस सफेद रोशनी के और राज भी उस कटोरे में समा जाता है।



थोड़ी देर बाद जब राज को थोड़ा होश आता है तो राज एक अजीब से महल में खड़ा था....








अब आगे......





जिसके सामने कोई रानी हो एसी एक औरत बैठी थी। 



उस औरत के रानी होने का अंदाज़ा राज को इस बात से लगा कि वो औरत एक तो सिंघासन पर बैठे हुए थी। दूसरी बात बात ये भी थी कि उस औरत के चेहरे पर बहुत तेज था और उसके कपड़े गहने और उसका चेहरा सब रोशनी की तरह चमक रहे थे।


वो औरत राज को हुकु सुनाने वाली आवाज में बोलती है। "तुम्हारा स्वागत है इस आईने की दुनिया में। या फिर तुम्हारी भाषा में कहूँ तो यु आर मोस्ट वेलकम इन दिस मिरर वर्ल्ड।"


राज झुक कर उस औरत का सम्मान करता है। राज समझ नही पा रहा था कि ये औरत उनकी भाषा कैसे जान सकती है।


औरत: यहां आने का क्या कारण है?


राज: जी मुझे मेरे नाना जी के कमरे में एक नक्शा और कंपास मिला था। मैं उसे फॉलो करते हुए यहां आ गया।


औरत: तुम्हारे खून में जो नीलांकर है, ये कैसे आया?



राज:????? जी? मैं कुछ समझा नहीं?


औरत: तुम्हारे खून मैं सदियों पुराने चंद्रमा, नील गगन और काल की छाया से बने नील पानी का समावेश है। 




जिस कारण से तुम्हे बिना किसी परेशानी के इस नदी के रक्षक ने आईने की दुनियां में पहुंचा दिया।


राज: जी मुझे नहीं पता ये कैसे?


औरत कोई बात नही मैं देख लेती हूं। वो औरत ने अपने सिंगासन मैं जड़े पत्थर में कुछ डाला जो बड़ा ही अजीब था। उस पत्थर ने उसे निगल लिया। थोड़ी देर बाद उस औरत ने कहा " तुमने नील पानी पिया है? लेकिन ये तुम्हारे पास कैसे आया वो औरत उसे उस पत्थर मैं दिखाती है।


राज: "ये तो वो पानी है जो नानाजी के झोपड़े में था। नीले रंग का पानी जिस पर लिखा था ड्रिंक मी" जी उस वक़्त मुझे पानी की सख्त जरूरत थी और आसपास सिर्फ यही था तो पी लिया।


औरत उस सिंघासन से खड़ी हो कर राज से बोलती है " इस पानी का सेवन तुम्हे काले आईने का उत्तराधिकारी बनाता है। ऐसा बोलकर वो औरत उसे अपने सिंघासन से पत्थर निकाल कर राज को दे देती है और राज के सर पर हाथ रखती है।


उस औरत के ऐसा करते ही ऊपर ठहरा हुआ पानी नीचे भी भरने लगता है। राज का ध्यान पानी के बढ़ने पर था कि वो औरत वहां से गायब हो गयी। गायब होने से पहले वो औरत राज से बोलती है कि तुम अपने अंगूठे के निशान इस सिंघासन को दो।


(थोड़ी रुक कर)


अपने खून से.....


राज बिना कुछ सोचे समझे उस सिंघासन पर अपना अंगूठे का निशान लगता है कि पूरी मिरर वर्ल्ड उस पत्थर मैं समा जाती है जो उस औरत ने सिंघासन से निकाल कर राज को दिया था। और राज फिर से एक भंवर में फंस कर नदी के ऊपर आ जाता है।


राज जैसे ही ऊपर आता है वो बिल्कुल अपनी नाव के पास होता है। राज तुरंत अपनी नाव में बैठ जाता है लेकिन राज धीरे धीरे चक्कर खा कर वही बेहोश हो जाता है। 


जब राज को होश आता है तो राज के सामने एक लड़की थी जो कि गर्दन के निचले हिस्से तक पानी में थी। वो लड़की राज की नाव को पकड़ कर राज से बोलती है। 


तुम्हारे नाना की किताब पढ़ना। उसमे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। और इतना बोलकर अपने गले में लटक रहे एक पत्थर को तोड़ कर राज के हाथ में दे देती है। राज उस पत्थर को और जो नदी के तलहट से पत्थर निकला था इसे लेकर वापस नदी किनारे आता है। जैसे ही राज नाव से उतरता है। वो नाव तुरंत पानी की तरह पिघल कर नदी के पानी में लुप्त हो जाती है। तभी एक बार फिर से वो औरत पानी से बाहर निकल कर आती है और राज की तरफ देख कर राज से बोलती है " वो एक लंबे समय से तुम्हारा इंतजार कर रहे है" इतना बोलकर वो लड़की वापस लौट जाती है।


राज को अभी तक यकीन नही हो रहा था कि इतनी मेहनत की वो सब इस पत्थर के लिए। और वो महारानी आखिर ये सब था क्या? तभी राज वहां से निकल कर जैसे ही अपने नाना की झोपड़ी की तरफ बढ़ता है सूरज की रोशनी उस पत्थर पर पड़ती है। जो अचानक से चमकने लगता है और चमकते हुए वो लड़की का दिया पत्थर उस दूसरे पत्थर से जुड़ जाता है। और उस पत्थर के जुड़ते ही वो पत्थर एक आईने में बदल जाता है।



राज तुरंत उस आईने को लेकर अपने नाना की झोपड़ी की और भागता है लेकिन उसके पास चाबी नहीं थी। लेकिन जैसे ही सूरज की रोशनी उस आईने पर पड़कर उस झोपड़े से टकराती है। राज अचानक से उस झोपड़े मैं घुस जाता है। ना दरवाजा खुला ना खिड़की। राज बुरी तरह से डरा हुआ था। राज एक पल ठहर कर उस आईने को देखता है। उसमें अभी भी मोती की तरह जेड जाने वाले 5 पत्थरों की जगह थी।


अपने नाना जी के झोपड़े मैं आकर राज अलग अलग तरह की किताबें ढूंढता है। 


देखते ही देखते उसे बहुत सी किताबे मिल जाती है। लेकिन उन किताबों मेंसे राज को 5 किताबे ऐसी मिली जो बिल्कुल अजीब थी और मजे की बात ये थी कि उन किताबों के पास अलग अलग रंग के पत्थर रखे थे।


राज उन पत्थरों को उस आईने में जहां मोती जड़ने की जगह बनाई हुई थी वहां लगाता है लेकिन वो जुड़ते नहीं फिर राज किताबे खोल कर देखता है तो किताब के पहले पन्ने पर कुछ चित्र बने हुए थे ।


जो ये बताते थे कि कौनसा पत्थर आईने में किस जगह जड़ा जाएगा। राज उस किताब के हिसाब से पत्थर लगाता है और तुरंत वो पत्थर जुड़ जाते है। राज ने पिछले पत्थर की तरह ऐसा सोचा था कि शायद ये भी जड़ जाएं। लेकिन वो जुड़े नही इस लिए उसे किताबों का सहारा लेना पड़ा।


अब राज ने वो किताबें पढ़नी शुरू की पहली किताब जो कि लगभग 10000 पन्नो की लग रही थी उस किताब का शीर्षक था " दी मिरर"


राज पिछले 7 घंटों से वो किताब पढ़ रहा था। दरअसल उस किताब के हर एक पन्ने पर केवल एक मंत्र लिखा था। और उसका एक चित्र था। 



राज ने उस किताब को बंद करके एक दम से उठ गया। राज के पसीने छूट गए। 


राज " इसका मतलब नानी ने जो आईने की कहानी सुनाई थी वो सच थी।"


राज टेंशन मैं था थोड़ा डरा हुआ भी था लेकिन राज अब पीछे नही हट सकता था। अचानक से वो महारानी जो नदी के तलहट मैं मिली थी। उस आईने में नज़र आती है। वो राज से बोलती है।


"इस आईने को अपनी सबसे प्रिय चीज दो और अपने सवालों का जवाब पाओ। राज अगर हो सके तो... उस औरत ने इतना ही कहा था कि आईने ने अपना रंग बदल लिया और वो औरत तुरंत गायब हो गयी।

राज मन ही मन विचार करता है" नानी ने कहा था कि ये आईना काली बुरी शक्तियों का मालिक है। जिसने उस महारानी के ऊपर भी बहुत बुरा असर डाला था। लेकिन कैसा असर? आखिर क्या शक्तियां है इस आईने की? नानी भी ना कभी भी पूरी बात नही बताती। अब इस आईने को मैं अपनी कोनसी पसंदीदा चीज़ दूँ? अगर मैं इसे अपनी पसंद की चीज देकर उसे करता रहा तो मेरी पसंद का क्या बाख जाएगा? कौन जाने ये आईना क्या कर सकता है?



इसी प्रकार का अंतर्द्वंद्व राज के मन में चल रहा था। एक मन तो कह रहा था कि एक बार इस्तेमाल करने से राज कोनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? बड़ी मुश्किल से ये आईना हाथ लगा है क्या पता ये ही अपनी किश्मत चमका दे। और दूसरा मन कहता है राज बेटा ज़हर तो आखिर ज़हर होता है फिर उसका थोड़ा क्या और ज्यादा क्या?



काफी दिमाग बाजी के बाद राज एक निर्णय पर पहुंचता है कि मैं इस आईने को अपनी पसंद की चीज दूंगा। एक बार इस्तेमाल करने के बाद में इस आईने के टुकड़े टुकड़े करके इसे दफना दूंगा। 


खूब सोचने समझने के बाद भी राज निर्णय नहीं कर पा रहा था कि आखिर ऐसी क्या चीज दूँ जो ये आईना स्वीकार कर ले। क्या पता छोटी मोटी चीज ये स्वीकार करेगा कि नहीं। 


तभी राज को उस लड़की की बात याद आती है जो नदी से लौटते वक्त राज को हिदायत देती है कि अपने नाना जी की किताब पढ़ो।


लेकिन राज के लिए अब ये मुसीबत थी कि कौनसी किताब पढ़े? यहां तो लगभग 50 से भी ऊपर किताबे है। ऊपर से पिछली बार गांव आया था तब भी नानाजी की काफी किताबें लेकर चल गया था?



राज के सोचते सोचते दिन ढलने को आ गया। शाम के 5 बज रहे थे। राज को वापस नानी जी के पास जाना ही उचित लगा। राज अपनी नानी के पास जाने के लिए बाहर निकलने की कोशिश करता है लेकिन बाहर से दरवाजा बंद था। तब राज को याद आता है कि वो अंदर आईने की मदद से आया था तो बाहर भी आईने की मदद से जाया जा सकता है।


राज तकरीबन एक घंटे से कोशिश कर रहा था कि वो आईना उसे बाहर निकाल दे लेकिन राज बाहर नहीं निकल पा रहा था। तभी राज की नज़र उस किताब पर पड़ी जिसे राज कुछ समय पहले तक पढ़ रहा था। उस किताब में जो चित्र थे राज उन्हें समझने की कोशिश करने लगा। 


चित्रों को समझते समझते राज को मालूम होता है कि ये आईना सूर्य और चंद्रमा की रोशनी में कार्य करता है। इसके अलावा यदि इस आईने का उपयोग करना है तो उसे अपने दिल के करीब किसी चीज का त्याग करके आईने को भेंट करनी होगी। उसके पश्चात आईने के धारक को आईना पकड़ कर उस आईने में देखते हुए अपने मन उस स्थान , वस्तु व्यक्ति के बारे में सोचना होता है ये आईना उस का प्रत्यक्षिकरण कर देता है। प्रत्यक्षिकरण के पश्चात आईने के धारक को आईने को कोई दरवाजा समझ कर उसमें प्रवेश करने से आईना धारक को उक्त स्थान पर पहुंचा देता है। किन्तु इस मैं याद रखने की एक बात है यदि आईने का धारक आईने को कोई वस्तु रात्रि 12 बजने से पहले देता है तो आईना केवल रात्रि 12 बजने तक ही कार्य करेगा। रात्रि 12 बजट ही आईने को कोई नई वस्तु दान देनी होगी। दूसरे दिन की शुरुआत के साथ आईने के धारक का प्रतिभूति स्वरूप दिया हुआ दान रात्रि बढ़ बजट ही बाईट हुए दिन का हो जाता है। ये समय काल के साथ जुड़ा है इसलिए इसे झुटलाया या बदला नही जा सकता।



राज काफी सोचने के बाद ठीक है तो मैं इसे अपनी पसंदीदा ड्रेस दे दूंगा लेकिन कैसे दूँ। राज आईने को हाथ में लेकर ऐसा सोचता है कि एक लाल शर्ट और जेड ब्लैक जीन्स आईने में आ जाती है। ऐसा होते ही राज समझ जाता है कि इस आईने को विचार करके हमे सिर्फ दान के बारे में बोलना है बाकी दान कैसे लेना है इसका उपाय आईना स्वयं ढूंड लेगा।


राज आईने को हाथ में पकड़ कर बोलता है " मैं राज अपनी पसन्दीदा ड्रेस लाल शर्ट और ब्लैक जीन्स आईने को दान देता हूँ।"


राज के ऐसा बोलते ही उस तिलिस्मी आईने में मिट्टी का सा एक भंवर पैदा होता है जो राज की ड्रेस को स्वीकार कर लेता है।


राज अपनी ड्रेस के दान को स्वीकार होते देख कर बहुत खुश होता है। अब राज यहां से बाहर भी निकल सकता था और अपने सवालों का जवाब भी पा सकता था।


राज: ए आईने मुझे इस झोपड़ी से बाहर निकलने का रास्ता बता। 


आईने को जैसे ही राज का हुक्म मिला आईने ने राज को तुरंत झोपड़े के बाहर का दृश्य दिखाया जिसे देखते ही राज अपना सर आईने में डाल देता है और मन ही मन सोचता है यही वो रास्ता है जिस से बाहर निकला जा सकता है। 



राज ने अभी आंखें खोली भी नहीं थी कि उसकी आँखों पर एक अजीब सी रोशनी पड़ती है। राज आंखें खोलता है देखता है वो अब झोपड़े में नही बल्कि झोपड़े के बाहर था। और जो लाल रंग की रोशनी राज की आंखों पर पड़ रही थी वो डूबते सूर्य की रोशनी थी।


राज बाहर निकलने के बाद आईने को अपने शर्ट में छिपा कर नानी के घर को तरफ बढ़ जाता है। नाना जी का झोपड़ा नानी के घर से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए राज पांच ही मिनट में अपने नानाजी के घर से नानी के घर पहुंच गया। राज जैसे ही घर पहुंचता है तो राज चोंक जाता है।


राज जैसे ही नानी के घर पहुंचता है तो राज देखता है कि सामने नानी और उसके पापा बैठे बातें कर रहें है। 


राज: पापा? आप? यहां? कैसे? मेरा मतलब कब आये?


नानी: लो आ गया तुम्हारा लाडला। 


गिरधारी: हैं बेटा वो क्या है ना कि अब जुलाई शुरू हो गया है। तुम्हे तो खैर मालूम नही होगा है ना? (ताना मारते हुए) तो सोचा तुम्हे याद दिला दूँ की तुम्हारा कॉलेज शुरू हो गया है। अब तुम कॉलेज के बच्चे नहीं रहे? 


राज: इतनी जल्दी?


गिरधारी: नही बीटा जल्दी तो कुछ भी नही है। सब समय पर हुआ है।


नानी: जो हुआ सो हुआ अब क्या इसकी जान लोगे तुम! बच्चा है गांव मन लग गया नहीं याद आया शहर इसे?


गिरधारी: जी कोई बात नहीं मैं तो सिर्फ इतना बोल रहा हूँ कि तैयार हो जा हम लोग अभी शहर निकल।रहें है।


राज: अभी? अभी तो रात हो जाएगी?


गिरधारी: राज बहस मत करो मुझसे! तुम्हे मालूम है ना कल सुबह मुझे ड्यूटी भी जाना है। जाओ तैयार हो जाओ। वैसे भी ड्राइव मैं करूँगा तुम नही! जाओ अब!


राज: जी पापा! 


राज इतना बोल कर अपना सामान तैयार करने लगता है।सारा सामान पैक करने के बाद राज बाहर अपनी नानी के पास आता है तो...



राज की नानी राज और गिरधारी के तिलक निकाल कर मीठा मुह करवा के उन्हें थोडे बहुत पैसे देकर विदा कर देती है।


गिरधारी गाड़ी चला रहा था और राज बड़े उदास मन से अपने घर की तरफ निकल रहा था। अभी घड़ी में कुछ 7 बज कर 15 मिनट हो रहे थे। करीब 11 बजे तक राज और गिरधारी शहर अपने घर पहुंच जाते है।
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अध्याय 1

प्रथम अध्याय मे अब तक आपने देखा की कैसे राज शहर से गांव मे अपनी नानी के घर जाता है। घर जाते वक़्त रास्ते मे असाधारण बरसात का सामना करते हुए राज और राज के पिता गिरधारी राज की नानी के घर पहुंचते है। नानि के घर पहुंच कर राज रात्रि समय मे अपनी नानी से कहानी सुनने की इच्छा जाहिर करता है। राज की इस इच्छा से नानी राज को एक रहस्यमयी कहानी सुनाती है "दि मैजिक मिरर"। उस कहानी को सुनने के बाद जब नानी राज को कहानी की नायिका नेत्रा के बारे मे बताती है तो रोज उत्सुकता से कहानी सुनता है। कहानी के अंत मैं जाते जाते नानी राज को नेत्रा के ऊपर हुए तिलिस्मी आईने का असर नहीं बताती। राज बहुत बार पूछता है लेकिन नानी राज को कहानी के अंत का विवरण नहीं देती। 


दुरे दिन की सुबह राज की मुलाकात गांव के एक लड़के से होती है। "छोटू" छोटू भागता हुआ नानि के घर आता है तो नानी छोटू की मदद करके छोटू से राज को गांव घुमाने की बात करती है। छोटू जब गांव मैं राज को लेकर जाता है तो राज की मुलाकात वहाँ कालू, मंगल, और श्याम से होती है।छोटू और सभी दोस्त राज को नदी मैं नहाने के लिए ले जाते है। जहां पर कालू की नज़र राज के लिंग पर पड़ती है। जिसका आकार बहुत छोटा था। कालू राज को उसके नाना के बारे मैं बताते हुए राज को उसके नाना की झोपड़ी मैं ले जाता है। जहां पर कालू राज को कुछ दवाएं देता। वही पर राज एक निले रंग का पानी था उसे पि जाता है। और राज को उसी झोपड़े के आंगन से एक बक्शे की प्राप्ति होती है।


उस बक्शे मैं कहीं भी चाबी का खांचा नहीं था। तभी अचानक जि एक ऐसी घटना होती है जिसके तहत राज को पता चलता है की वो बक्शा उसके खून और सूर्य के परक्ष से खुलता है। फिर राज की वापस शहर वापसी होती है। शहर वापसी के समय राज के सभी दोस्त दुखी थे। राज फिर वापस लौट कर आने के वादे के साथ शहर चला जाता है। शहर मैं राज के लिंग पर दावा का असर ज्यादा होने लगता है। जिसके फलस्वरूप राज के लिंग मैं दर्द होता है। राज की माँ सरिता और राज के पिता गिरधारी राज को पास ही के एक हॉस्पिटल मैं ले जाते है जहां पर डॉक्टर प्रिया राज का इलाज करती है। डॉक्टर प्रिया राज के लिंग के बारे मैं सरिता से बोलती है। और खुद राज का ब्लड़ सेम्पल ले लेती है।


फिर 2 साल बाद राज लौट कर वापस गांव आता है। जहां पर बख्शे से प्राप्त हुए नक्शे और कंपास की मदद से छिपे हुए खजाने की तलाश मैं राज लग जाता है। तभी नदी पर नहाते हुए राज के लिंग मैं एक बार फिर से दर्द होता है। कालू जब ये देखता है तो कालू अपनी बहन लता को राज के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार करता है।


लता राज की नथ बारिश के बड़े ही कामुक अवसर पर उतारती है। अगले दिन राज नक्शे के मुताबिक नदी मैं जाता है जहां एक भंवर मैं फंस कर राज नदी के गर्भ मैं स्थित मिरर दुनियां मैं पहुंच जाता है। वहां राज की मुलाकात एक लड़की और वहां की महारानी से होती है। महारानी से ही राज को आईने की प्राप्ति होति है। आईना लेकर राज नाना की झोपड़ी मैं एक अद्भुत तिलिस्म से पहुंचता है । वहां अपने नाना की किताब पढ़कर राज को मालूम होता है की नानी ने जो कहानी सुनाई थी वो सच थी।


फिर राज आईने को अपनी पसंदीदा ड्रेस भेंट चढ़ा कर एक और तिलिस्म से झोपड़े से बाहर निकलता है। राज झोपड़े से बाहर आकार जब नानी के घर पहुंचता है तो वहां पहले से मौजूद अपने पिता को देख कर चोंक जाता है। राज के पिता गिरधारी राज को देखते ही बरस पड़ते है। और राज को उसके कॉलेज शुरु होने की बात बताते है। फिर राज को उसका समान तैयार करने का वक़्त देकर राज को लेकर शहर पहुंच जाते है।।



पिछले अध्याय मैं आपने देखा की राज के पास आईने किस प्रकार से आया लेकिन अभी तब राज उस आईने की शक्तियों से अनभिज्ञ है। ना ही राज को उस आईने का इस्तेमाल करना आता है। अब आगे क्या होता है ये तो अगले अध्याय- 2 मैं पता लगेगा। प्रथम अध्याय मैं मेरे साथ बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आगे भी इसी प्रकार से साथ बने रहे 

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(11-06-2019, 07:50 PM)Rocksanna999 Wrote: अध्याय 1

प्रथम अध्याय मे अब तक आपने देखा की कैसे राज शहर से गांव मे अपनी नानी के घर जाता है। घर जाते वक़्त रास्ते मे असाधारण बरसात का सामना करते हुए राज और राज के पिता गिरधारी राज की नानी के घर पहुंचते है। नानि के घर पहुंच कर राज रात्रि समय मे अपनी नानी से कहानी सुनने की इच्छा जाहिर करता है। राज की इस इच्छा से नानी राज को एक रहस्यमयी कहानी सुनाती है "दि मैजिक मिरर"। उस कहानी को सुनने के बाद जब नानी राज को कहानी की नायिका नेत्रा के बारे मे बताती है तो रोज उत्सुकता से कहानी सुनता है। कहानी के अंत मैं जाते जाते नानी राज को नेत्रा के ऊपर हुए तिलिस्मी आईने का असर नहीं बताती। राज बहुत बार पूछता है लेकिन नानी राज को कहानी के अंत का विवरण नहीं देती। 


दुरे दिन की सुबह राज की मुलाकात गांव के एक लड़के से होती है। "छोटू" छोटू भागता हुआ नानि के घर आता है तो नानी छोटू की मदद करके छोटू से राज को गांव घुमाने की बात करती है। छोटू जब गांव मैं राज को लेकर जाता है तो राज की मुलाकात वहाँ कालू, मंगल, और श्याम से होती है।छोटू और सभी दोस्त राज को नदी मैं नहाने के लिए ले जाते है। जहां पर कालू की नज़र राज के लिंग पर पड़ती है। जिसका आकार बहुत छोटा था। कालू राज को उसके नाना के बारे मैं बताते हुए राज को उसके नाना की झोपड़ी मैं ले जाता है। जहां पर कालू राज को कुछ दवाएं देता। वही पर राज एक निले रंग का पानी था उसे पि जाता है। और राज को उसी झोपड़े के आंगन से एक बक्शे की प्राप्ति होती है।


उस बक्शे मैं कहीं भी चाबी का खांचा नहीं था। तभी अचानक जि एक ऐसी घटना होती है जिसके तहत राज को पता चलता है की वो बक्शा उसके खून और सूर्य के परक्ष से खुलता है। फिर राज की वापस शहर वापसी होती है। शहर वापसी के समय राज के सभी दोस्त दुखी थे। राज फिर वापस लौट कर आने के वादे के साथ शहर चला जाता है। शहर मैं राज के लिंग पर दावा का असर ज्यादा होने लगता है। जिसके फलस्वरूप राज के लिंग मैं दर्द होता है। राज की माँ सरिता और राज के पिता गिरधारी राज को पास ही के एक हॉस्पिटल मैं ले जाते है जहां पर डॉक्टर प्रिया राज का इलाज करती है। डॉक्टर प्रिया राज के लिंग के बारे मैं सरिता से बोलती है। और खुद राज का ब्लड़ सेम्पल ले लेती है।


फिर 2 साल बाद राज लौट कर वापस गांव आता है। जहां पर बख्शे से प्राप्त हुए नक्शे और कंपास की मदद से छिपे हुए खजाने की तलाश मैं राज लग जाता है। तभी नदी पर नहाते हुए राज के लिंग मैं एक बार फिर से दर्द होता है। कालू जब ये देखता है तो कालू अपनी बहन लता को राज के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार करता है।


लता राज की नथ बारिश के बड़े ही कामुक अवसर पर उतारती है। अगले दिन राज नक्शे के मुताबिक नदी मैं जाता है जहां एक भंवर मैं फंस कर राज नदी के गर्भ मैं स्थित मिरर दुनियां मैं पहुंच जाता है। वहां राज की मुलाकात एक लड़की और वहां की महारानी से होती है। महारानी से ही राज को आईने की प्राप्ति होति है। आईना लेकर राज नाना की झोपड़ी मैं एक अद्भुत तिलिस्म से पहुंचता है । वहां अपने नाना की किताब पढ़कर राज को मालूम होता है की नानी ने जो कहानी सुनाई थी वो सच थी।


फिर राज आईने को अपनी पसंदीदा ड्रेस भेंट चढ़ा कर एक और तिलिस्म से झोपड़े से बाहर निकलता है। राज झोपड़े से बाहर आकार जब नानी के घर पहुंचता है तो वहां पहले से मौजूद अपने पिता को देख कर चोंक जाता है। राज के पिता गिरधारी राज को देखते ही बरस पड़ते है। और राज को उसके कॉलेज शुरु होने की बात बताते है। फिर राज को उसका समान तैयार करने का वक़्त देकर राज को लेकर शहर पहुंच जाते है।।



पिछले अध्याय मैं आपने देखा की राज के पास आईने किस प्रकार से आया लेकिन अभी तब राज उस आईने की शक्तियों से अनभिज्ञ है। ना ही राज को उस आईने का इस्तेमाल करना आता है। अब आगे क्या होता है ये तो अगले अध्याय- 2 मैं पता लगेगा। प्रथम अध्याय मैं मेरे साथ बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आगे भी इसी प्रकार से साथ बने रहे 

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बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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Next update kab ayega? Waiting
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Yaha tak or us se aghe tak pehel wale xossip per pad li THI. Waha tak to Zaldi Zaldi post kar do. Bhaut lamba time lete Ho post karne me  ;)
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