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Incest गलतफहमी में माँ ने मुझसे चुदाई करवा ली
#1
गलतफहमी में माँ ने मुझसे चुदाई करवा

मुझे यह कहानी बताते हुए बहुत शरम महसूस हो रही है. पर मैं करूं भी तो क्या, मुझे अपने दिल का बोझ हल्का करना है.

मेरी माँ एक बहुत ही साधारण महिला हैं. लेकिन वो बहुत ही आकर्षक दिखती हैं. उनकी उम्र 40 साल है. उनका गोरा रंग, तो किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेता है.

उनकी फिगर तो इतनी कंटीली है, हे भगवान क्या बताऊं; उनकी मादक देह अच्छे अच्छों का ध्यान भटका देती है. उनकी फिगर 36-30-32 की है. वो हमेशा साड़ी पहनती हैं. कई बार खाना बनाने के वक्त वो अपनी साड़ी पेट के नीचे दबा लेती हैं और उस वक्त उनकी नाभि साफ झलकती है. ऐसी कामुक नाभि देखकर तो किसी का लंड सलामी देने लगे.

जब वो सज-धज कर किसी शादी या फंक्शन आदि में जाती हैं, तो सभी की निगाहें उन पर गड़ जाती हैं.

बात उन दिनों की है, जब मैं 20 साल का था. आपको तो पता ही है कि इस उम्र में जवानी का खुमार चढ़ा हुआ होता है. पर मेरी माँ के बारे में मैंने कभी कोई गलत बात मन में भी आने नहीं दी थी. मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं तो अक्सर हम लोग एक ही कमरे में सोते थे.

एक दिन अचानक रात को मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं. मैंने हल्के से पलट कर देखा, तो मुझे दिखा कि मेरे पापा मेरी माँ की जांघों के पास बैठे हैं. मैं बिना आवाज किए वो सब देखता रहा.

मेरे पापा ने अपनी चड्डी उतार कर फेंक दी. बाद में उन्होंने अपना हाथ माँ की साड़ी में डाल दिया और माँ की पेंटी भी उतार कर फेंक दी. इसके बाद पापा जी माँ के ऊपर चढ़ गए. वो नजारा देखकर मेरा बुरा हाल हो गया. पापा ने जोर से धक्के मारना चालू कर दिया. मेरी माँ जोर जोर से सिस्कारियां लेने लगीं. लेकिन कुछ होता, इससे पहले मेरे पापा झड़ गए. उसके बाद वो करवट लेके सो गए.

मुझे तभी पता चल गया था कि मेरे बाप में दम नहीं है. थोड़ी देर बाद मैं हल्का होने के लिए बाथरूम जाने के लिए उठा. मगर उससे पहले मेरी माँ मुझे बाथरूम जाते दिखीं. मैं थोड़ी देर रुका और माँ के आने की राह देखने लगा. पर कुछ ज्यादा समय हो गया, माँ वापस नहीं आईं, तो मैं उनको देखने के लिए गया. अभी जैसे ही मैं बाथरूम में घुसता, मुझे माँ की सिसकारियां सुनाई दीं.

मैंने धीरे से अन्दर झांका, तो मैं दंग रह गया. मेरी माँ ने अपनी साड़ी ऊपर कर ली थी और वो फर्श पर लेटी हुई थीं. उनका हाथ अपनी साड़ी के नीचे अपनी योनि में घुसा हुआ था. उन्होंने अपनी दो उंगलियां योनि में डाल रखी थीं. वो जोर जोर से अपनी योनि को खोद रही थीं.

मैं दरवाजे के बाहर खड़ा होकर ये सब तमाशा देख रहा था. मैंने समय ना गंवाते हुए अपना लंड निकाला और मसलने लगा. माँ अपने मम्मे जोर जोर से मसल रही थीं. मेरी माँ ने उस रात करीब आधा घंटा उंगली की. झड़ने के बाद उन्होंने अपना पूरा रस अपनी उंगली की मदद से चाट लिया. मैं भी झड़ गया था. मैं माँ के पहले बिस्तर पर जा के सो गया.

जब मैं सुबह उठा तो अब मेरा माँ की तरफ देखने का नजरिया बदल गया था.

मेरी माँ अक्सर बाथरूम से निकलने के बाद साड़ी पहनती हैं. वो हमेशा अपनी चूचियों पर पेटीकोट बाँध कर बाहर आती हैं. मैं ये मौका हाथ से नहीं जाने देता और उस कमरे में जाकर बैठ जाता हूं.
जब वो साड़ी पहनती हैं तो उनका पेटीकोट नीचे गिर जाता है औरजाता है और उनके मम्मे उछल कर बाहर आ जाते हैं. कसम से वो बड़े बड़े मम्मे और उनके ऊपर वो काले चूचे देखकर ऐसा लगता है कि बस उनको पकड़ कर चूस लो.

मैं उन्हें उस दिन से इस अवस्था में कैमरा में शूट करने लगा. फिर जब भी मेरा मन करता, मैं उनके मम्मे देखकर मुठ मार लेता था. कई बार तो मैं उनकी जांघों पर सर रख के सोने का बहाना करके उनके मम्मों को दबा भी देता था. मेरा उनके रसीले गुलाबी होंठ देखकर चूसने का मन करता था.

लेकिन मुझे पता नहीं था कि एक दिन मुझे ये सब करने का मौका मिलेगा.

हुआ यूं कि मेरे पापा को तीन दिन के लिए बाहर गांव जाना था. अब तो मुझे पता था मेरी भूखी माँ तो पूरी तरह हवस की शिकार हो जाएगी.

मेरे पापा सुबह काम के लिए निकल गए. दोपहर को मैंने सोने का नाटक किया. जैसे ही मैं सोया, मेरी माँ बाथरूम के और चल पड़ी. फिर क्या, मैं भी उनके पीछे चला गया. लेकिन उस दिन तो उन्होंने कमाल ही कर दिया. उन्होंने उस दिन हाथ में बेलन लिया हुआ था और उन्होंने उस बेलन को अपनी चुत पे सैट कर रखा था. थोड़ी देर बाद वो बेलन का हैंडल उनकी चुत के अन्दर चला गया और और उसी के साथ माँ की सांसें तेज हो गईं. वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. मन तो कर रहा था कि उनकी चुत को अभी अन्दर जाकर चोद दूं.

फिर उन्होंने अपना ब्लाउज निकाल के फेंक दिया. वो अब पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं. मैंने झट से अपना मोबाईल निकाला और उनका वीडियो बनाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद माँ झड़ गईं. उन्होंने वो बेलन चुत से निकाल कर मुँह में ले लिया. अब जब तक पापा वापस नहीं आए, ऐसा हर रोज होने लगा.

तीन दिनों बाद पापा शाम को घर आए. उस रात हमने खाना बाहर से मंगाया था. खाना खाने के बाद मैं बाथरूम में मोबाईल लेकर चला गया और वीडियो देखने लगा. लेकिन फिर सोचा कि आज तो पापा माँ को चोदेंगे ही ... मतलब रात को माँ फिर से लाइव शो दिखाएंगी.

उस रात मेरे पापा मुझे बोले- हर्षल, तू आज नीचे अपनी माँ के साथ सो जा, मेरी पीठ में दर्द है, तो मैं बेड पे सोता हूं.

मैं हमेशा बेड पर सोता हूं. लेकिन उस दिन मैं माँ के साथ सोने को तैयार हो गया. क्योंकि माँ के साथ सोते समय मैं हमेशा उनके पेट पर हाथ फिराता हूं.

मैं और पापा लाइट बंद करके सो गए. पापा तो कुछ ही देर में गहरी नींद में चले गए. कुछ देर बाद माँ सब कुछ घर का काम करके मेरे पास आकर सो गईं.

कमरे में अंधेरा था, इसलिए ये समझ पाना मुश्किल था कि कौन कहां सोया हुआ है.

थोड़ी देर बाद मैंने अपने पैर पर कुछ हरकत महसूस की. मैंने देखा कि मेरी माँ ने अपना एक पैर मेरी टांगों पर डाल दिया था. उनका ये पैर पूरा नंगा था. उन्होंने अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी थी और अपना पेटीकोट भी ऊपर तक चढ़ा लिया था.

उन्होंने धीरे से आवाज निकाली और बोली- क्यों जी, आज नहीं चोदोगे क्या?

मेरी तो फटी पड़ी थी, पर मैं कुछ नहीं बोला. फिर माँ ने अपना एक हाथ मेरे चड्डी के ऊपर से फेरा. मेरा लंड तो वैसे भी सलामी दे रहा था.

फिर वो बोलीं- अजी आपका तो आज बड़ा फुदक रहा है, लगता है मेरी फ़ुद्दी की आज खैर नहीं. क्या खा के आये हो बाहर गांव से जो इतने जोश में हो. आज तो प्यास बुझा ही दो, मेरी इस चुलबुली की.

मैं और मेरे पापा हमेशा एक ही टाइप का पजामा पहनते थे तो माँ को वैसे भी समझ नहीं आने वाला था कि वहां पे मैं सोया हूं, पापा नहीं. मुझे कुछ सूझता, उससे पहले माँ ने मेरे पजामा में हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया.

मेरे तो शरीर में करन्ट दौड़ गया.

वो लंड हाथ में लेते ही चौंक गईं और बोलीं- तुम्हारा लंड इतना बड़ा कैसे? सच में आज तो मैं इससे रात भर चुदाऊंगी.

फिर मैंने झट से उनका हाथ अपने लंड पे से हटाया.

माँ बोलीं- क्या हुआ, आज नहीं चोदेंगे क्या?

लेकिन मैंने फिर सोचा वैसे भी इनको कहां कुछ दिख रहा है ... और मैंने मौके का फायदा उठाने का सोच लिया.

मैं झट से उठा और उनकी जांघों के पास जा के बैठ गया. मैंने धीरे से उनके पैरों पर हाथ फिराना शुरू किया और बाद में तेजी से मसलने लगा. मैंने अपनी माँ के जांघों पर चूमना शुरू किया. पहली बार मैंने किसी औरत के बदन को चूमा था.

मैं पागलों की तरह चूसने लगा. मैंने उनके हाथ उनके सर के पीछे रख दिए ताकि वो मुझे छू ना सकें.

फिर मैं धीरे से उनकी चुत की तरफ हुआ. मैंने उनकी चुत को सूँघा और सच में मैं तो जन्नत में पहुंच गया.

फिर क्या था ... मैंने अपनी माँ की पेंटी उतारी और सूंघने लगा. मैंने वो पेंटी माँ की नाक के नीचे रख दी.

उनके लिए ये सब नया था, वो बोलीं- क्यों जी, आज तो कुछ अलग ही रंग दिखा रहे हो.

मैं कुछ नहीं बोला और मैंने झट से अपनी एक उंगली उनकी चुत में डाल दी, जिसकी वजह से वो सिसक उठीं. माँ बोलीं- क्या कर रहे हो ... जरा धीरे करो ... मेरी आवाज से कहीं हर्षल जग ना जाए.

मैंने ध्यान नहीं दिया और दूसरी उंगली भी डाल दी. वो और जोर से सिसक उठीं. फिर मैंने धीरे धीरे उंगलियों को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मैं अपनी उंगली अन्दर डालता और बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले लेता.

उसके बाद मैंने अपनी जीभ का कमाल दिखाया. मैंने माँ का पेटीकोट उतार लिया अब वो सिर्फ ब्लॉउज में थीं. मैंने अपनी जीभ माँ की चुत पर टिकायी और चूत चाटने लगा.

माँ सिसिया कर बोलीं- आह क्या कर रहे हो ... उम्म्ह... अहह... हय... याह... आआआअ ... ये सब कहां से सीखा? उम्म्म ... आज तो आपका लंड और जीभ दोनों कमाल कर रहे हैं.

मैंने माँ की चूत चाटना चालू रखा. पागलों की तरह मैं माँ की चुत पर टूट पड़ा. मैंने अपनी दोनों उंगलियां चुत में डाल दीं और चुत की मलाई चाटने लगा. माँ तो पागल हुए जा रही थीं.

एक बात तो मेरे समझ में आ गयी थी कि मेरे बाप से 20 सालों में कुछ नहीं हुआ. उसका लंड तो छोटा था ही, मगर वो कभी माँ को संतुष्ट नहीं कर पाया.

माँ के कंठ से मादक आहें निकल रही थीं- उम्मम्म्म ... आह अअअअआ ... चाटो इसी तरह से ... निकाल दो मेरी चुत का पानी ... चूसो मेरी चुलबुली को ... आह कब से तड़प रही है ... याम्म्म आ..

फिर मैंने जोर से चाटना शुरू किया, तो जल्दी ही माँ झड़ गईं. मैंने उनकी चुत का सारा रस गटक लिया. उसका स्वाद तो आज भी मुँह में है. माँ तो जैसे अचम्भित हो गयी थीं.

वे बोलीं- पति देव, आज तो कमाल कर दिया ... अब तो तुझे रोज ऐसे ही चटाऊंगी. अब देर ना करो, मेरी चुत पेल दो. दिखा दो अपने लंड का जलवा मेरे राजा.

लेकिन मुझे उनके साथ बहुत कुछ करना था. मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोले और उसको निकाल दिया और उनके मदमस्त मम्मों को आजाद कर दिया. मैं उनके मम्मे तो देख नहीं पा रहा था, लेकिन मैं उन्हें महसूस कर था. मैंने जोर जोर से उन्हें मसलना चालू किया. फिर मैंने एक स्तन को अपने मुँह में भर लिया. उनका स्तन इतना बड़ा था कि मुँह में नहीं समा रहा था.

मेरी माँ मुझे भरपूर साथ दे रही थीं. मैंने उसके हाथ सर के पीछे रख दिए ताकि वो मुझे छू ना पाएं.

मैं उनके मम्मे मसल रहा था, चूस रहा था. मैंने उनकी चुची को काट लिया. वो चिहुंक उठीं- धीरे रेरेरे ... आह आआह म्मम्म्म ... चूसो उन्हें ... अपने हर्षल के बाद किसी ने नहीं चूसा उन्हें ... मसलो और दूध पियो मेरा आज ... म्म्म ... मेरे राजा आ अअअअ.

उन्हें क्या पता था कि उनका हर्षल ही चूस रहा है. मैंने उनका दूध इतने सालों बाद पिया था. फिर मन किया कि उनके होंठ चूस लूँ, लेकिन मैं अपने होंठ टिका देता, तो शायद वो समझ जातीं. इसलिए मैंने अपना लंड उनके मुँह पे रख दिया.

वो तो पहले समझ नहीं पाईं, बाद में मैंने अपने लंड को उनके मुँह पे घिसना चालू कर दिया.

"म्म्मम्मम ... ये क्या आज तो जनाब मुँह में चोदेंगे मुझे ... कहीं मुँह में ही ना झड़ जाना!"

मैंने अपना लंड मुँह में ठूंस दिया. उनके कंठ से आवाज निकलने लगी- ग्लोप ... ग्लोप ... ग्लोप उम म्म्मम्म ... वाह क्या टेस्ट है तुम्हारे लंड का ... मजा आ गया ... उऊओंम्म्म ... सृलपपप अअअह.

माँ तो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे छोटे बच्चे को पहले बार चोकोबार मिला हो. मेरी तो जान निकली जा रही थी कि कहीं मैं चुत में पहुंचने से पहले झड़ ना जाऊं.

मैंने अपना लंड निकाला और उनके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए. क्या मुलायम होंठ थे एकदम रेशम की तरह.

'उन्नह ... जीभ डालो मेरे मुँह में अपनी ... चाटो न मेरी जीभ को ...'

एक लंबे किस के बाद माँ बोलीं- राजा ... आअअअअ ... अब बर्दाश्त नहीं होता ... जल्दी से डाल दो अपने लंड को मेरे चूत में प्लीज़ ... चोदो इसे आज फाड़ डालो इस निगोड़ी फ़ुद्दी को.

मुझे समझ आ गया कि इस वक्त माँ के ऊपर वासना का भूत सवार है उनको मेरे होंठ चूसने से भी मेरे पापा न होने का अहसास नहीं हुआ.

फिर क्या मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी थी. मैंने झट से अपना लंड चुत के मुहाने पर रखा और एक धक्का लगा दिया. मेरा लंड बड़ा होने के कारण आधे से भी कम अन्दर जा पाया था. जैसे ही लंड अन्दर गया, माँ चिल्ला उठीं- क्या कर रहे होओओओ ... इतनी टाइट चुत को फाड़ोगे क्याआ ... धीरे डालो ना जरा ... आअअहह ... आज तो मार ही दिया.

मैं थोड़ा सा डर गया. अगर मेरा बाप उठ गया, तो मुसीबत हो जाएगी. मैंने तुरंत अपना हाथ माँ के मुँह पे दबा दिया और एक और झटका मारा. इस बार मेरा लंड आधे से भी ज्यादा अन्दर घुस गया.

माँ के मुँह पे हाथ होने के कारण उनकी आवाज नहीं निकली, मगर आंसू निकल आए, जो मेरे हाथ को छू कर नीचे गिरे. लेकिन मैं डटा रहा.

अब मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकाला और चुत पे फिर से सैट किया. फिर एक धक्के में पूरा लंड चुत में घुसेड़ दिया. मेरा लंड सनसनाता हुआ अन्दर चला गया. माँ ने तो हाथ को काट लिया और मेरा हाथ हट गया. मैंने धक्के मारना चालू रखे.

माँ रोते हुए लेकिन चुदासी आवाज में बोलीं- तुम तो हैवान हो ... आआह ... उम्म्म ... इस्स ... आह ... अब रुको मत ... अअअआ ... चोदो मेरी कली को ... म्म्म ... पीस डालो ऐसे ही ... यससस्स!

फिर मैंने दस मिनट तक ऊपर से चोदा और बाद में मैंने उनके मम्मों पे चाटें मारना शुरू की. मैंने उन्हें पलट दिया और डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया. क्योंकि मैं उनकी गांड पे चमाट मारते हुए उनकी चुदाई करना चाहता था. मैंने उनकी गांड पे जोर से चमाट मारना शुरू किया. इसी के साथ में लंड भी पेलता रहा.

"आआअहह ... और मारो मेरी गांड पे ... चोदो मुझे ... इसस्स ... म्म्मम्म्म मेरे राजा ... ऐसे ही ... चोदो अपनी रांड को ... म्म्म ... अअअआया ... मैं झड़ने वाली हूँ ... ऊऊऊह ... आआ ... ओह ... ओह!"

मैं भी झड़ने वाला था लेकिन मैंने अपने लंड को निकाल लिया और माँ की छाती के पास लेके गया. मैंने उनके मम्मों पर अपना वीर्य गिरा दिया. वो अपनी उंगली से मेरे वीर्य को चाटने लगीं.

मैंने भी उनकी चुत का पानी पी लिया.

माँ- मेरे राजा ऐसी चुदाई रोज किया करो मेरी ... म्म्मम्म्म ... तुम्हारा रस भी कितना टेस्टी है ... म्म्मम्म्म ... चाट लो मेरी चुत को ... आह ... आह ... 20 सालों के बाद आज मैं संतुष्ट हुई हूं.
फिर हम सो गए. सुबह जब मेरी आँख खुली तो मेरी गांड पर हाथ पड़ा. क्योंकि माँ गुस्से में मेरे सामने खड़ी थीं. उन्हें रात के बारे में सब कुछ समझ आ चुका था. लेकिन वो पापा के सामने कुछ बोल भी नहीं सकती थीं. बाद में मेरे पापा के ऑफिस जाने के बाद मैंने अपनी माँ को कैसे मनाया, ये मैं आपको बाद में बताऊंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
Superb story.nice update....next update ka intazaar rahega bro...keep going.....
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#4
जैसे ही सुबह हुई, मैं अपने बिस्तर में अंगड़ाई लेने लगा.
और जैसे ही मेरी आंख खुली तो मेरे सामने मेरी मां खड़ी थीं. उनके चेहरे के हावभाव से साफ़ लग रहा था कि वो मुझे जी भरके मारना चाहती हैं.

लेकिन मैंने अपनी नजरें चुरा लीं और मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चला गया.

लेकिन दोस्तो, ये जवानी भी क्या चीज़ है … जैसे ही शॉवर का पानी मेरे बदन पर गिरा, मेरा लंड सांप की फन उठा कर खड़ा हो गया. मुझे पिछली रात की वो मां की चुदाई याद आने लगी.
वो उनके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन, उनकी फूली हुई गांड और वो रसीली चूत.

मैंने जैसे-तैसे अपने आप पर काबू पाया और मैं बाथरूम से नहाकर निकल आया.

मेरे पिताजी ऑफिस के लिए निकल चुके थे. अब हम दोनों ही घर पर थे.

तभी मां ने मुझे नाश्ते के लिए बुलाया.
मैं चुपचाप जाकर खाने की मेज़ पर जाकर बैठ गया.

मां मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी हुई थीं … और मुझे घूरे जा रही थीं.

कुछ पल बाद मां ने मुझसे धीमी आवाज में पूछा- तुझे कल रात के बारे में याद है कि तुमने क्या किया था?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

फिर उन्होंने कहा- जो कुछ भी हुआ एक सपना समझ कर भूल जाना.
मैंने अपनी गर्दन हिला कर हां में जवाब दे दिया.

लेकिन क्या करूं मेरी नियत फिसल चुकी थी.
उन्होंने इस समय वही नाइटी पहनी हुई थी और उनका मदमस्त यौवन से छलकता बदन मुझे अपनी ओर चुम्बक की तरह खींच रहा था. मेरा जी कर रहा था कि मैं वहीं पर ही मां की नाइटी फाड़ दूँ और उन्हें पटक कर यहीं चोद दूँ.

मैं जैसे ही अपने मेज से उठा, मेरा खड़ा लंड मेरे पाजामे में साफ़ दिख रहा था.
और मेरी मां ने उसे देखा भी लेकिन उन्होंने नजर घुमा ली.

मैं अपने कमरे में चला गया.

थोड़ी देर बाद मैंने सोचा कि अगर मां को अच्छा नहीं लगा होता … तो वो अब तक पापा के हाथों मेरी पिटाई करवा चुकी होतीं.

ये सोचते ही मेरा मूड बनने लगा और मैंने एक बार फिर से मां की चुदाई की कोशिश करने की ठान ली.

उस समय मां रसोई में खाना बना रही थीं. उन्होंने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उस साड़ी में उनका पिछला फूला हुआ भाग साफ़ दिख रहा था.
खिंचाव के कारण साड़ी गांड के सिरे में फंसी हुई थी. बैकलेस ब्लाउज होने के कारण उनकी गोरी पीठ साफ झलक रही थी.

मां का मदमस्त हुस्न देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा. मैं पानी पीने के बहाने रसोई में गया. उन्होंने भी मुझे तिरछी नजर से देखा और अपने काम में जुट गईं.

पानी पीने के बाद मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया; उनकी पीठ से टपकते हुई पसीने की बूंद पर मेरी नजर गई.

मैंने हल्के से अपने होंठ पीठ की घाटी के मार्ग पर रख दिए.
मेरा स्पर्श पाते ही वो बोली- मैं तुम्हारी मां हूँ.
मैंने नासमझी की ऐक्टिंग की और उनसे कहा- मां, मेरे पाजामे में कुछ तो हो रहा है.

ये कहते हुए मैंने अपना नाड़ा खोल दिया.
मेरा लंड उनके सामने तोप की तरह खड़ा था.

वो बोलीं- मैं तुम्हारी मां हूँ.
मैं बोला- लेकिन मां यह चीज जो खड़ी है, उसका क्या करूं … आप ही बताओ!

उन्होंने कहा- बाथरूम में चलो.

वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं.
उधर वो बोली- अपने लंड पर ठंडा पानी डालो.

उनके मुँह से लंड सुनकर मेरा और भी टाइट हो गया. मैंने वैसा ही किया, पर कुछ असर नहीं हुआ.

तब तक मां मेरे खड़े लंड को घूरे जा रही थीं.
ये बात मैं जान चुका था कि मां को लंड मस्त लग रहा है.

तो मैं मां से बोला- मां आप ही कुछ करो न!
फिर मां ने मेरा लंड अपने कोमल हाथों में ले लिया और बोलीं- यह बात किसी को नहीं बताना.
तब मां अपने हाथों से मेरे लंड पर मुठ मारने लगीं.

सूखेपन के कारण उनके हाथ ठीक से नहीं चल रहे थे. मां ने मेरे लंड पर थूक लगाया और जोर जोर से मुठियाने लगी.
थूक के गीलेपन के कारण ‘सट सट सट ..’ की आवाज गूंजने लगीं.

मां बीच में अपने होंठ काट रही थीं और मैं यह भांप गया था.
मैंने मां को बोला- कुछ असर नहीं हो रहा है.

मां बोलीं- हे भगवान … क्या मुसीबत है … तू झड़ता क्यों नहीं!
मैं बोला- पता नहीं … आप कोई और रास्ता अपनाओ न!
वो बोलीं- ठीक है.

फिर उन्होंने अपने नाजुक होंठ मेरे लंड के सुपारे पर रखे और छुआ. इससे मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई.
मां मेरा लंड चूसने लगीं.

वो पहले तो ऊपर ऊपर चूस रही थीं … लेकिन जब उनको भी मजा आने लगा तो भर भर कर लंड चूसने लगीं.

मैंने उनका सर अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से उनके सर को आगे पीछे करने लगा.
लंड बड़ा होने के कारण उनके गले तक मेरा लंड जाने लगा. ‘पच पच पच ..’ की आवाज से मेरा रोमांच बढ़ गया.
मां भी मजे से लंड चूसने में लगी थीं.

मैं भी पूरा हरामी ठहरा था, मैंने उनके मुँह में वीर्य छोड़ दिया.

जैसे ही में झड़ा, उन्होंने लंड का रस थूक दिया और बोलीं- हरामी, अपनी मां के मुँह में ही झड़ गया … भाग इधर से अब कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाना.
मैं उनके सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मां माफ़ कर दो … दोबारा ऐसा नहीं करूंगा, मुझे तो पता भी नहीं कि मैं क्या कर रहा हूँ.

मेरा नाटक वो भांप नहीं पाईं और बड़बड़ाती हुई बाहर निकल गईं.

कुछ देर बाद उनकी आवाज आई- आ जा खाना खा ले.
मैं आ गया और हम दोनों ने खाना खाया.

फिर दोपहर की नींद के लिए सोने चले गए.

आज मां दूसरे कमरे सोई हुई थीं. लेकिन मेरी भी जिद थी कि मैं आज माँ की चूत चोद कर रहूँगा.

मैं मां के कमरे में गया और देखा कि मां अपने बेड पर सोयी हुई थीं; उनकी साड़ी उनकी जांघों तक उपर उठ चुकी थी. उसमें से उनकी काले रंग की निकर साफ़ दिख रही थी.

मां के गोरे पैर देख कर मेरा उन्हें चाटने का मन करने लगा.
लेकिन अगर मैं सीधे सीधे उन पर चढ़ जाता तो मां शायद नाराज हो जातीं.
इसलिए मैंने तरकीब लगायी.

मैं मां के पास जाकर खड़ा हो गया और उन्हें जगाने लगा.
नींद से उठकर मां ने पूछा- अब क्या हुआ?

मैं मां को अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- मुझे फिर से कुछ हो रहा है.
मां ने मुझे घूरा.

लेकिन मैं बोला- मां, इसमें मेरी क्या गलती है. मुझे पता भी नहीं कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है और अब आप ही कुछ करो.

मैंने अपना पजामा उतारा और मां के सामने नंगा खड़ा हो गया. मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

मेरे लंड की गरमाहट से शायद मां भी सिसक उठीं. उसने तुरंत मेरे लंड को सहलाना चालू कर दिया.
इस बार उनकी आंखें कुछ और ही जता रही थीं.

मां अपने मुँह से थूक निकाल कर लंड पर मलने लगीं और उसे हिलाने लगीं.
बीच में वो अपने होंठ भी काटने लगीं.

मैंने इस बार उनका सिर पकड़ कर सीधा मुँह में लंड घुसेड़ दिया.
वो भी जोर जोर से लंड चूसने लगीं. मैंने उनके बाल खोल दिए ताकि जोर से उसका सिर पकड़ सकूं.

मैं इसके आगे भी कुछ करना चाहता था. इसलिए मैंने अपना एक हाथ उनके स्तन पर रख दिया और जोर से दबोच लिया.

उसी के साथ वो चिहुंक उठीं और बोलीं- क्या कर रहा है … मेरे मम्मे क्यों दबा रहा है … अपनी मां के दूध छोड़ दे.

लेकिन मैं भी उनकी बात क्यों मानता, मैंने फिर से मां के मुँह में लंड दे दिया और जोर जोर से उनके दूध मसलने लगा.
मैंने उनका सिर दबोच रखा था.

थोड़ी देर के बाद वो भी मस्त होकर लंड चूसने में मगन हो गईं. मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए और ब्लाउज निकाल कर फेंक दिया.
वे कुछ नहीं बोलीं.

मैं उनके बड़े बड़े मम्मे मसलने लगा.

मां जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. उसकी सांसें मेरे लंड को गर्म अहसास देने लगीं.
मैं और उत्तेजित हो गया. मैं बोला- मां, क्या मैं फिर से आपके दूध पी सकता हूं?
वो बोलीं- पगले, अब थोड़ी ना दूध आएगा … लेकिन अगर तू चाहता है तो इन्हें चूस सकता है.

बस मुझे इसी मौके का इंतजार था; मैं झट से उनके स्तनों को सहलाने लगा और एक स्तन मुँह में भरने लगा.

मां सेक्सी आवाज में बोलीं- आह चूस ले … मेरे इन दोनों को चूस ले. तेरे बाप ने इनको छुआ तक नहीं. तू आज भरपूर चूस ले … आअहह हम्मह … मसल दे आज इनको!

मैं भी जोरों से माँ की चूचियां चूसने लगा और हाथ से निचोड़ने लगा.

मां और भी तेजी से सांसें छोड़ने लगीं- आहह … ह्म्म्म … ले और मुँह में ले … भर ले पूरे मुँह में … ओहह हहआ मेरे राजा.

मैं उनकी चूचियों निप्पल को भी मसलने लगा.
वो अंगड़ाई लेने लगी थीं शायद उनकी चूत में से रस आने लगा था.

मैं उनके पूरे शरीर का लुत्फ़ उठाना चाहता था.
मां के गले को मैं पागलों की तरह चूमने लगा; उनको पूरी तरह से अपनी बांहों में भर चुका था.

फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह चूमने लगा. वो भी मेरा भरपूर समर्थन कर रही थीं. वो भी मेरे लंड को हिलाए जा रही थीं.

फिर मैंने पल भर की देरी ना करते हुए अपनी उंगली उनकी नाभि के ऊपर से ले जाकर चूत की गुलाबी फांकों पर मलने लगा.

उसी समय वो सम्भल गईं और बोलीं- ये गलत है … तुम मेरे बेटे हो. हमें दुबारा ये गलती नहीं करनी चाहिए.
मैं बोला- मां, इसमें कोई गलत नहीं है, हम पहले भी ये कर चुके हैं.

मैंने उनकी जीभ को जकड़ लिया और चूसने लगा.
उनकी लार मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मैंने धीरे से अपनी उंगली माँ की चूत में घुसा दी.

कसम से मां की चुत इतनी गीली हो गयी थी कि उंगली तक फिसल गई.
मैंने उनकी साड़ी निकाल कर फेंक दी.

दिन के उजाले में मां को नंगी देख कर मेरी रूह भिन्ना गई. उनको अपनी बांहों में लेकर चूमने लगा, उनके मम्मों को चूसने लगा.
फिर चूत का रस चाटने के लिए उनकी चड्डी निकाल कर फेंक दी.

अपनी मां को पलंग पर लुढ़का कर सीधे उनकी चूत के पास आ गया.
मां की चूत की खुशबू से दिमाग की नसें फट गईं. मां की झांटें भी गीली हो चुकी थीं.

वे बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मां ये कुछ तो चिपचिपा सा लग रहा हैं, क्या मैं इसे टेस्ट करूं?
वे दबी हुई सांसों में बोलीं- जैसे स्तन को चूसा … वैसे ही इसे भी चाट ले, पूरा पानी पी जा!

बस फिर क्या था … मैं मां की चुत पर टूट पड़ा और चुत का पानी चूसने लगा.
साथ ही मैं अपनी दो उंगलियां चुत में अन्दर बाहर करने लगा और जीभ भी अन्दर डाल कर चूसने लगा.

सच कह रहा हूँ दोस्तो, इतना स्वादिष्ट रस था कि आज तक मैंने चूत रस जैसा शायद ही कुछ चखा हो.

उधर कामातुर हो चुकी मेरी मां मुझे जांघों के बीच में दबाने लगीं और बोलीं- ओह … मेरे बेटा कहां से सीख कर आया तू यह चुत चाटना … इस्शस … ऐसे ही और चूस … ओ मेरे राजा … तेरा बाप तो कभी चख नहीं पाया ये यौवन रस … अब तेरा नसीब खुल गया है … चाट ले.

मैं भी अपनी पूरी जीभ चुत में पूरी तरह घुसा चुका था.

बहुत समय चाटने के बाद मां ने मुझे बांहों में भर लिया और चूमने लगीं.
मां बोली- बेटा आज तूने सम्भोग के अंतिम चरण में पहुंचा दिया.

मगर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी. मैंने मां से कहा- मां, आप तो संतुष्ट हो गईं … मगर मेरा क्या? अब इस लंड कौन शांत करेगा?

अब तक मैं भी ढीठ बन चुका था.

वो बोलीं- और क्या करना चाहता है?
मैं बोला- आज आपकी राजी से आपकी चुत को चोदना चाहता हूं.

वो बोलीं- हरामखोर अपनी मां को चोदेगा … साले शर्म कर!
मैंने कहा- जब आप मुँह में लंड ले लेती हो … तो चुत में भी ले लो, क्या फर्क़ पड़ेगा. गर्म तो आप हो ही चुकी हो … बस अब और नखरे मत करो और जल्दी से टांगें फैला दो.
वो बोलीं- साले मादरचोद … अपनी मां की मजबूरी का फायदा उठा रहा है. ले चोद ले, लेकिन ये आखिरी बार होगा.

मां ने अपनी टांगें फैलाते हुए चुत खोल दी.
मैंने भी झट से अपना लंड मां की चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया.

वो चिल्ला पड़ीं- आह धीरे घुसेड़ हरामी … मेरी चुत फाड़ेगा क्या!

मैंने मां की चीख को अनसुना करते हुए उनको हचक कर चोदना शुरू कर दिया.
मेरे जोर जोर से धक्के देने के कारण उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं और वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं.

मैंने मां को किस करते हुए उनके होंठों को दबा लिया ताकि उनकी तेज स्वर की मादक आवाजें बाहर ना जा सकें.

धकापेल चुदाई चलने लगी. मेरी मां भी मेरे लंड का मजा लेने लगीं.

बीस मिनट की चुदाई के दौरान मां दो बार झड़ गई थीं.

कुछ देर बाद मैंने मां को घोड़ी बनने के लिए कहा.
मेरी मां किसी बाजारू रांड के जैसे चुदाई के इतने नशे में थीं कि झट से पलट कर कुतिया बन गईं.

मैंने पीछे से मां की चुत में लंड पेल दिया. चुदाई धकापेल चालू हो गई.

लंड चूतड़ों से टकराता तो थप … थप … की आवाज आने लगी. इससे कमरा गूंज उठा था.

मां मस्ती से पागल हुए जा रही थीं- आह चोद दे भड़वे आहह चोद … मादरचोद आहहां … उफ्फ …. कितना बड़ा लंड है तेरा … उम्म आह मजा आ गया … आह अपनी मां की चुत फाड़ दे.

मैं भी अब अपनी चरम सीमा पर आ गया था. मैंने मां से कहा- मां, मेरा पानी निकलने वाला है. आप अपना मुँह खोल दो जल्दी से.
मां ने मुँह खोल दिया और मैंने अपना लंड चुत से निकाला और मां के मुँह में दे दिया.

वो मेरा लंड चूसने लगीं.

थोड़ी ही देर बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया. इस बार मेरी रांड जैसी मां मेरे लौड़े का पूरा पानी पी गईं और निढाल हो कर पलंग पर गिर गईं.
मां की चूत पूरी तरह लाल हो चुकी थी और वो भी थक चुकी थीं.

मैंने जैसे ही मां की चुत में हाथ लगाया, वो दर्द के मारे चीख उठीं- क्या कर रहा है मां के लौड़े … साले चोद चोद कर चुत सुजा कर ला कर दी. अब तो मुझे मूतने में भी दिक्कत होगी. आह हरामी बहुत साल बाद किसी ने मुझे ऐसे चोदा है.

मां की इस बात पर मुझे शक हुआ और मैंने उनसे पूछा- इसका क्या मतलब हुआ मां … क्या आप पहले भी किसी और से चुद चुकी हैं.

मेरी बात सुनकर मां एकदम से डर गईं और उन्होंने मुझे कमरे से जाने के लिए कह दिया. मैं भी चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया.

मां की बात सुनकर आज मेरे मन में एक सवाल खड़ा हो गया था कि क्या मेरी मां वास्तव में मेरे बाप के अलावा किसी और से चुद चुकी हैं.
इसका उत्तर कभी न कभी मैं अपनी मां से निकलवा ही लूंगा.




जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
clps Next update fast  banana
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      ⸙α°•✮•°єM͜͡
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#6
[img]जैसे ही सुबह हुई, मैं अपने बिस्तर में अंगड़ाई लेने लगा. और जैसे ही मेरी आंख खुली तो मेरे सामने मेरी मां खड़ी थीं. उनके चेहरे के हावभाव से साफ़ लग रहा था कि वो मुझे जी भरके मारना चाहती हैं. लेकिन मैंने अपनी नजरें चुरा लीं और मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चला गया. लेकिन दोस्तो, ये जवानी भी क्या चीज़ है … जैसे ही शॉवर का पानी मेरे बदन पर गिरा, मेरा लंड सांप की फन उठा कर खड़ा हो गया. मुझे पिछली रात की वो मां की चुदाई याद आने लगी. वो उनके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन, उनकी फूली हुई गांड और वो रसीली चूत. मैंने जैसे-तैसे अपने आप पर काबू पाया और मैं बाथरूम से नहाकर निकल आया. मेरे पिताजी ऑफिस के लिए निकल चुके थे. अब हम दोनों ही घर पर थे. तभी मां ने मुझे नाश्ते के लिए बुलाया. मैं चुपचाप जाकर खाने की मेज़ पर जाकर बैठ गया. मां मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी हुई थीं … और मुझे घूरे जा रही थीं. कुछ पल बाद मां ने मुझसे धीमी आवाज में पूछा- तुझे कल रात के बारे में याद है कि तुमने क्या किया था? मैंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर उन्होंने कहा- जो कुछ भी हुआ एक सपना समझ कर भूल जाना. मैंने अपनी गर्दन हिला कर हां में जवाब दे दिया. लेकिन क्या करूं मेरी नियत फिसल चुकी थी. उन्होंने इस समय वही नाइटी पहनी हुई थी और उनका मदमस्त यौवन से छलकता बदन मुझे अपनी ओर चुम्बक की तरह खींच रहा था. मेरा जी कर रहा था कि मैं वहीं पर ही मां की नाइटी फाड़ दूँ और उन्हें पटक कर यहीं चोद दूँ. मैं जैसे ही अपने मेज से उठा, मेरा खड़ा लंड मेरे पाजामे में साफ़ दिख रहा था. और मेरी मां ने उसे देखा भी लेकिन उन्होंने नजर घुमा ली. मैं अपने कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद मैंने सोचा कि अगर मां को अच्छा नहीं लगा होता … तो वो अब तक पापा के हाथों मेरी पिटाई करवा चुकी होतीं. ये सोचते ही मेरा मूड बनने लगा और मैंने एक बार फिर से मां की चुदाई की कोशिश करने की ठान ली. उस समय मां रसोई में खाना बना रही थीं. उन्होंने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उस साड़ी में उनका पिछला फूला हुआ भाग साफ़ दिख रहा था. खिंचाव के कारण साड़ी गांड के सिरे में फंसी हुई थी. बैकलेस ब्लाउज होने के कारण उनकी गोरी पीठ साफ झलक रही थी. मां का मदमस्त हुस्न देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा. मैं पानी पीने के बहाने रसोई में गया. उन्होंने भी मुझे तिरछी नजर से देखा और अपने काम में जुट गईं. पानी पीने के बाद मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया; उनकी पीठ से टपकते हुई पसीने की बूंद पर मेरी नजर गई. मैंने हल्के से अपने होंठ पीठ की घाटी के मार्ग पर रख दिए. मेरा स्पर्श पाते ही वो बोली- मैं तुम्हारी मां हूँ. मैंने नासमझी की ऐक्टिंग की और उनसे कहा- मां, मेरे पाजामे में कुछ तो हो रहा है. ये कहते हुए मैंने अपना नाड़ा खोल दिया. मेरा लंड उनके सामने तोप की तरह खड़ा था. वो बोलीं- मैं तुम्हारी मां हूँ. मैं बोला- लेकिन मां यह चीज जो खड़ी है, उसका क्या करूं … आप ही बताओ! उन्होंने कहा- बाथरूम में चलो. वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं. उधर वो बोली- अपने लंड पर ठंडा पानी डालो. उनके मुँह से लंड सुनकर मेरा और भी टाइट हो गया. मैंने वैसा ही किया, पर कुछ असर नहीं हुआ. तब तक मां मेरे खड़े लंड को घूरे जा रही थीं. ये बात मैं जान चुका था कि मां को लंड मस्त लग रहा है. तो मैं मां से बोला- मां आप ही कुछ करो न! फिर मां ने मेरा लंड अपने कोमल हाथों में ले लिया और बोलीं- यह बात किसी को नहीं बताना. तब मां अपने हाथों से मेरे लंड पर मुठ मारने लगीं. सूखेपन के कारण उनके हाथ ठीक से नहीं चल रहे थे. मां ने मेरे लंड पर थूक लगाया और जोर जोर से मुठियाने लगी. थूक के गीलेपन के कारण ‘सट सट सट ..’ की आवाज गूंजने लगीं. मां बीच में अपने होंठ काट रही थीं और मैं यह भांप गया था. मैंने मां को बोला- कुछ असर नहीं हो रहा है. मां बोलीं- हे भगवान … क्या मुसीबत है … तू झड़ता क्यों नहीं! मैं बोला- पता नहीं … आप कोई और रास्ता अपनाओ न! वो बोलीं- ठीक है. फिर उन्होंने अपने नाजुक होंठ मेरे लंड के सुपारे पर रखे और छुआ. इससे मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मां मेरा लंड चूसने लगीं. वो पहले तो ऊपर ऊपर चूस रही थीं … लेकिन जब उनको भी मजा आने लगा तो भर भर कर लंड चूसने लगीं. मैंने उनका सर अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से उनके सर को आगे पीछे करने लगा. लंड बड़ा होने के कारण उनके गले तक मेरा लंड जाने लगा. ‘पच पच पच ..’ की आवाज से मेरा रोमांच बढ़ गया. मां भी मजे से लंड चूसने में लगी थीं. मैं भी पूरा हरामी ठहरा था, मैंने उनके मुँह में वीर्य छोड़ दिया. जैसे ही में झड़ा, उन्होंने लंड का रस थूक दिया और बोलीं- हरामी, अपनी मां के मुँह में ही झड़ गया … भाग इधर से अब कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाना. मैं उनके सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मां माफ़ कर दो … दोबारा ऐसा नहीं करूंगा, मुझे तो पता भी नहीं कि मैं क्या कर रहा हूँ. मेरा नाटक वो भांप नहीं पाईं और बड़बड़ाती हुई बाहर निकल गईं. कुछ देर बाद उनकी आवाज आई- आ जा खाना खा ले. मैं आ गया और हम दोनों ने खाना खाया. फिर दोपहर की नींद के लिए सोने चले गए. आज मां दूसरे कमरे सोई हुई थीं. लेकिन मेरी भी जिद थी कि मैं आज माँ की चूत चोद कर रहूँगा. मैं मां के कमरे में गया और देखा कि मां अपने बेड पर सोयी हुई थीं; उनकी साड़ी उनकी जांघों तक उपर उठ चुकी थी. उसमें से उनकी काले रंग की निकर साफ़ दिख रही थी. मां के गोरे पैर देख कर मेरा उन्हें चाटने का मन करने लगा. लेकिन अगर मैं सीधे सीधे उन पर चढ़ जाता तो मां शायद नाराज हो जातीं. इसलिए मैंने तरकीब लगायी. मैं मां के पास जाकर खड़ा हो गया और उन्हें जगाने लगा. नींद से उठकर मां ने पूछा- अब क्या हुआ? मैं मां को अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- मुझे फिर से कुछ हो रहा है. मां ने मुझे घूरा. लेकिन मैं बोला- मां, इसमें मेरी क्या गलती है. मुझे पता भी नहीं कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है और अब आप ही कुछ करो. मैंने अपना पजामा उतारा और मां के सामने नंगा खड़ा हो गया. मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मेरे लंड की गरमाहट से शायद मां भी सिसक उठीं. उसने तुरंत मेरे लंड को सहलाना चालू कर दिया. इस बार उनकी आंखें कुछ और ही जता रही थीं. मां अपने मुँह से थूक निकाल कर लंड पर मलने लगीं और उसे हिलाने लगीं. बीच में वो अपने होंठ भी काटने लगीं. मैंने इस बार उनका सिर पकड़ कर सीधा मुँह में लंड घुसेड़ दिया. वो भी जोर जोर से लंड चूसने लगीं. मैंने उनके बाल खोल दिए ताकि जोर से उसका सिर पकड़ सकूं. मैं इसके आगे भी कुछ करना चाहता था. इसलिए मैंने अपना एक हाथ उनके स्तन पर रख दिया और जोर से दबोच लिया. उसी के साथ वो चिहुंक उठीं और बोलीं- क्या कर रहा है … मेरे मम्मे क्यों दबा रहा है … अपनी मां के दूध छोड़ दे. लेकिन मैं भी उनकी बात क्यों मानता, मैंने फिर से मां के मुँह में लंड दे दिया और जोर जोर से उनके दूध मसलने लगा. मैंने उनका सिर दबोच रखा था. थोड़ी देर के बाद वो भी मस्त होकर लंड चूसने में मगन हो गईं. मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए और ब्लाउज निकाल कर फेंक दिया. वे कुछ नहीं बोलीं. मैं उनके बड़े बड़े मम्मे मसलने लगा. मां जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. उसकी सांसें मेरे लंड को गर्म अहसास देने लगीं. मैं और उत्तेजित हो गया. मैं बोला- मां, क्या मैं फिर से आपके दूध पी सकता हूं? वो बोलीं- पगले, अब थोड़ी ना दूध आएगा … लेकिन अगर तू चाहता है तो इन्हें चूस सकता है. बस मुझे इसी मौके का इंतजार था; मैं झट से उनके स्तनों को सहलाने लगा और एक स्तन मुँह में भरने लगा. मां सेक्सी आवाज में बोलीं- आह चूस ले … मेरे इन दोनों को चूस ले. तेरे बाप ने इनको छुआ तक नहीं. तू आज भरपूर चूस ले … आअहह हम्मह … मसल दे आज इनको! मैं भी जोरों से माँ की चूचियां चूसने लगा और हाथ से निचोड़ने लगा. मां और भी तेजी से सांसें छोड़ने लगीं- आहह … ह्म्म्म … ले और मुँह में ले … भर ले पूरे मुँह में … ओहह हहआ मेरे राजा. मैं उनकी चूचियों निप्पल को भी मसलने लगा. वो अंगड़ाई लेने लगी थीं शायद उनकी चूत में से रस आने लगा था. मैं उनके पूरे शरीर का लुत्फ़ उठाना चाहता था. मां के गले को मैं पागलों की तरह चूमने लगा; उनको पूरी तरह से अपनी बांहों में भर चुका था. फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह चूमने लगा. वो भी मेरा भरपूर समर्थन कर रही थीं. वो भी मेरे लंड को हिलाए जा रही थीं. फिर मैंने पल भर की देरी ना करते हुए अपनी उंगली उनकी नाभि के ऊपर से ले जाकर चूत की गुलाबी फांकों पर मलने लगा. उसी समय वो सम्भल गईं और बोलीं- ये गलत है … तुम मेरे बेटे हो. हमें दुबारा ये गलती नहीं करनी चाहिए. मैं बोला- मां, इसमें कोई गलत नहीं है, हम पहले भी ये कर चुके हैं. मैंने उनकी जीभ को जकड़ लिया और चूसने लगा. उनकी लार मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मैंने धीरे से अपनी उंगली माँ की चूत में घुसा दी. कसम से मां की चुत इतनी गीली हो गयी थी कि उंगली तक फिसल गई. मैंने उनकी साड़ी निकाल कर फेंक दी. दिन के उजाले में मां को नंगी देख कर मेरी रूह भिन्ना गई. उनको अपनी बांहों में लेकर चूमने लगा, उनके मम्मों को चूसने लगा. फिर चूत का रस चाटने के लिए उनकी चड्डी निकाल कर फेंक दी. अपनी मां को पलंग पर लुढ़का कर सीधे उनकी चूत के पास आ गया. मां की चूत की खुशबू से दिमाग की नसें फट गईं. मां की झांटें भी गीली हो चुकी थीं. वे बोलीं- क्या कर रहे हो? मैं बोला- मां ये कुछ तो चिपचिपा सा लग रहा हैं, क्या मैं इसे टेस्ट करूं? वे दबी हुई सांसों में बोलीं- जैसे स्तन को चूसा … वैसे ही इसे भी चाट ले, पूरा पानी पी जा! बस फिर क्या था … मैं मां की चुत पर टूट पड़ा और चुत का पानी चूसने लगा. साथ ही मैं अपनी दो उंगलियां चुत में अन्दर बाहर करने लगा और जीभ भी अन्दर डाल कर चूसने लगा. सच कह रहा हूँ दोस्तो, इतना स्वादिष्ट रस था कि आज तक मैंने चूत रस जैसा शायद ही कुछ चखा हो. उधर कामातुर हो चुकी मेरी मां मुझे जांघों के बीच में दबाने लगीं और बोलीं- ओह … मेरे बेटा कहां से सीख कर आया तू यह चुत चाटना … इस्शस … ऐसे ही और चूस … ओ मेरे राजा … तेरा बाप तो कभी चख नहीं पाया ये यौवन रस … अब तेरा नसीब खुल गया है … चाट ले. मैं भी अपनी पूरी जीभ चुत में पूरी तरह घुसा चुका था. बहुत समय चाटने के बाद मां ने मुझे बांहों में भर लिया और चूमने लगीं. मां बोली- बेटा आज तूने सम्भोग के अंतिम चरण में पहुंचा दिया. मगर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी. मैंने मां से कहा- मां, आप तो संतुष्ट हो गईं … मगर मेरा क्या? अब इस लंड कौन शांत करेगा? अब तक मैं भी ढीठ बन चुका था. वो बोलीं- और क्या करना चाहता है? मैं बोला- आज आपकी राजी से आपकी चुत को चोदना चाहता हूं. वो बोलीं- हरामखोर अपनी मां को चोदेगा … साले शर्म कर! मैंने कहा- जब आप मुँह में लंड ले लेती हो … तो चुत में भी ले लो, क्या फर्क़ पड़ेगा. गर्म तो आप हो ही चुकी हो … बस अब और नखरे मत करो और जल्दी से टांगें फैला दो. वो बोलीं- साले मादरचोद … अपनी मां की मजबूरी का फायदा उठा रहा है. ले चोद ले, लेकिन ये आखिरी बार होगा. मां ने अपनी टांगें फैलाते हुए चुत खोल दी. मैंने भी झट से अपना लंड मां की चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया. वो चिल्ला पड़ीं- आह धीरे घुसेड़ हरामी … मेरी चुत फाड़ेगा क्या! मैंने मां की चीख को अनसुना करते हुए उनको हचक कर चोदना शुरू कर दिया. मेरे जोर जोर से धक्के देने के कारण उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं और वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं. मैंने मां को किस करते हुए उनके होंठों को दबा लिया ताकि उनकी तेज स्वर की मादक आवाजें बाहर ना जा सकें. धकापेल चुदाई चलने लगी. मेरी मां भी मेरे लंड का मजा लेने लगीं. बीस मिनट की चुदाई के दौरान मां दो बार झड़ गई थीं. कुछ देर बाद मैंने मां को घोड़ी बनने के लिए कहा. मेरी मां किसी बाजारू रांड के जैसे चुदाई के इतने नशे में थीं कि झट से पलट कर कुतिया बन गईं. मैंने पीछे से मां की चुत में लंड पेल दिया. चुदाई धकापेल चालू हो गई. लंड चूतड़ों से टकराता तो थप … थप … की आवाज आने लगी. इससे कमरा गूंज उठा था. मां मस्ती से पागल हुए जा रही थीं- आह चोद दे भड़वे आहह चोद … मादरचोद आहहां … उफ्फ …. कितना बड़ा लंड है तेरा … उम्म आह मजा आ गया … आह अपनी मां की चुत फाड़ दे. मैं भी अब अपनी चरम सीमा पर आ गया था. मैंने मां से कहा- मां, मेरा पानी निकलने वाला है. आप अपना मुँह खोल दो जल्दी से. मां ने मुँह खोल दिया और मैंने अपना लंड चुत से निकाला और मां के मुँह में दे दिया. वो मेरा लंड चूसने लगीं. थोड़ी ही देर बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया. इस बार मेरी रांड जैसी मां मेरे लौड़े का पूरा पानी पी गईं और निढाल हो कर पलंग पर गिर गईं. मां की चूत पूरी तरह लाल हो चुकी थी और वो भी थक चुकी थीं. मैंने जैसे ही मां की चुत में हाथ लगाया, वो दर्द के मारे चीख उठीं- क्या कर रहा है मां के लौड़े … साले चोद चोद कर चुत सुजा कर ला कर दी. अब तो मुझे मूतने में भी दिक्कत होगी. आह हरामी बहुत साल बाद किसी ने मुझे ऐसे चोदा है. मां की इस बात पर मुझे शक हुआ और मैंने उनसे पूछा- इसका क्या मतलब हुआ मां … क्या आप पहले भी किसी और से चुद चुकी हैं. मेरी बात सुनकर मां एकदम से डर गईं और उन्होंने मुझे कमरे से जाने के लिए कह दिया. मैं भी चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया. मां की बात सुनकर आज मेरे मन में एक सवाल खड़ा हो गया था कि क्या मेरी मां वास्तव में मेरे बाप के अलावा किसी और से चुद चुकी है ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#7
ऐसे खतरनाक दृश्य
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#8
Superb story
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