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Misc. Erotica भोली भाली शीला और पंडित जी
#41
bahut hi mast
keep it bro
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#42
UPDATE
??
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#43
Update 24



पंडित & शीला पार्ट--24

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गतांक से आगे ......................

***********

उसने सड़प -२ कर उनके लंड की हालत ऐसे कर दी मानो गन्ने की मशीन में डला हुआ कोई गन्ना हो वो ...उसके जूस को अन्दर से बाहर निकालने के लिए नूरी ने अपनी पूरी जान लगा दी ..


इसी बीच पंडित जी के हाथ उसकी गांड को सहला रहे थे ..जींस में कैद उसका पिछवाड़ा काफी मोहक और गुदाज लग रहा था ..पंडित अपने हाथों से उसके कूल्हों को मसल कर उनका लुत्फ़ उठा रहे थे .


और फिर उन्होंने उसकी जींस के बटन खोल दिए ..और पीछे से हाथ अन्दर डाल कर उसकी गरमा गरम गांड को अपने नंगे हाथों में समेट लिया ..और अपनी उँगलियों को अन्दर धंसा कर उसके गुदाजपन का जाएजा लेने लगे ..


ऐसी हालत में किसी भी लड़की या औरत की गांड की मालिश की जाए तो वो पूर्ण रूप से उत्तेजित हो जाती है ...ये पंडित को अच्छी तरह से मालुम था ...और इसी के परिणाम स्वरुप नूरी की लंड चूसने की स्पीड और भी तेज हो गयी ..और वो हुंकारते हुए पंडित की गोद में पड़ी हुई किसी पागल कुतिया की तरह उनका लंड चूस रही थी .


अँधेरा काफी गहरा हो चुका था ..इसलिए पार्क में खेल रहे बच्चे और उनके साथ आये हुए उनके पेरेंट्स भी अब घर जाने लगे थे ..कुछ ही लोग रह गए थे वहां अब ..वैसे भी आई पी एल के मैच का टाईम हो चुका था ..इसलिए पार्क अब लगभग पूरा सुनसान हो गया था ..

पंडित ने पहले सोच रखा था की सिर्फ ऊपर -२ का ही मजा ले पायेगा यहाँ तो ..पर नूरी ने उसके जज्बातों को इस कदर भड़का दिया था की वो अब वहां पर चुदाई के विकल्प पर भी विचार करने लगा था ..


उसकी नजरें फिर से दूर बैठे हुए जोड़े की तरफ गयी ..वो अब उठकर उनकी तरफ ही आ रहे थे ...पंडित ये देखकर एक दम से घबरा गया और नूरी के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपने लंड को निकाल कर उसे वापिस अपनी धोती में छुपा दिया और उसे भी सीधा होकर कपडे सही करके बैठने को कहा ..


वो जोड़ा उनसे थोड़ी दूर पहले ही रुक गया ..वहां पर एक घनी सी दो फुट ऊँची झाडी थी और उसके ठीक पीछे एक घांस का टीला था ..जिसपर घनी और मुलायम घांस की चादर बिछी हुई थी . वो दोनों वहां जाकर बैठ गए ..इस तरह से वो बाहर दिख रही दुनिया से तो छुप गए पर पंडित और नूरी के और करीब आकर उन्हें पूर्ण रूप से दर्शन देने लगे ..पर उनकी हालत देखकर पंडित को पता चल गया की उन्हें भी अब चुदाई का भूत चढ़ चूका है ..जो उनकी बर्दाश्त की सीमा से परे है ..


और उस टीले पर बैठने के साथ ही उन्होंने पंडित और नूरी की परवाह किये बिना अपनी जींस उतारनी शुरू कर दी ..


और दोनों नीचे से नंगे होकर एक दुसरे से बुरी तरह से लिपट गए ..


पंडित और नूरी अवाक से होकर अपने से सिर्फ दस गज के फांसले पर हो रही गुथम गुत्था को देख रहे थे ..लड़के ने अपना मुंह नीचे लेजाकर लड़की की चूत पर रख दिया और लड़की ने भी अपनी टांगो से उसकी गर्दन को बुरी तरह से जकड लिया ..और जोर से सिसकारी मार कर अपने प्रेमी को पुकारा ..

''अह्ह्ह्ह्ह .....बद्री.....मेरे राजा ....अह्ह्ह ........खा जा मुझे ...मेरे राजा ...खा जा मुझे ...''


वो लड़की अपनी मिठाई की दूकान खोलकर अपने प्रेमी बद्री को अपने मिष्ठान खिला रही थी .

बद्री के दोनों हाथ ऊपर जाकर उसकी टी शर्ट और ब्रा को ऊपर कर चुके थे और अन्दर बैठे हुए कबूतरों को मसल कर उनका मजा ले रहे थे .


उन्हें पास बैठे हुए पंडित और नूरी की जैसे कोई चिंता थी ही नहीं ..शायद उन्होंने भी दूर से उन्हें आपस में चूमा चाटी करते हुए देख लिया था इसलिए उन्हें भी अपनी ही केटागीरी का मान कर बेशर्मों की तरह उनके सामने ही शुरू हो गए थे .


उन्हें ऐसा करते हुए देखकर नूरी धीरे से फुसफुसाई : ''जब उन्हें कोई शर्म नहीं है तो हम क्यों करे ..''


और इतना कहकर वो फिर से पंडित की टांगो के बीच घुस गयी और खोद कर उनके लंड को फिर से बाहर निकाल लिया ..वो अब तक मुरझा चुका था ..पर मर्द के लंड को खडा करने में देर ही कितनी लगती है ..नूरी ने उनके मुरझाये हुए लंड को मुंह में लेकर जब चूसना शुरू किया तो वो फिर से अपनी रंगत में आने लगा और सिर्फ तीन मिनट में ही वो फिर से पुरी तरह खडा होकर पहले जैसा हष्ट पुष्ट हो गया ..


पंडित की नजरें अब उस लड़की पर थी ..जो जमीन पर पड़ी हुई अपने आशिक से चूत चुसवा रही थी ..

उसकी उम्र करीब बीस साल के आस पास थी ..और लड़का भी लगभग हम उम्र ही था ..


उसकी टी शर्ट ऊपर होने की वजह से वो लगभग पूरी नंगी थी पंडित की आँखों के सामने ..उसकी ब्रेस्ट और थाई दोनों ही गजब की थी ..एकदम सफ़ेद और चिकनी ..36 की ब्रेस्ट होगी उसकी ..उन्हें लड़का बुरी तरह से मसल रहा था ..पर उसके मसलने से उस ब्रेस्ट के करारेपन पर कोई असर नहीं हो रहा था ..वो चट्टान की तरह तन कर खड़ी थी ..


पीछे की तरफ से आ रही हलकी लाईट अब उन चारों पर पड़ रही थी जिसकी वजह से वो लोग एक दुसरे को और साफ़ तरीके से देख पा रहे थे ..


पंडित ने उन दोनों के चेहरों को गौर से देखा ..उन दोनों को उसने पहले कभी नहीं देखा था ..शायद कहीं दूर से आये थे दोनों ..इस बड़े से पार्क में चुदाई करने ..पर उन्हें इतनी इतने करीब नंगा सा देखकर उनकी उत्तेजना में चार चाँद लग गए थे .नूरी भी लगभग बूखी डायन की तरह उनके लंड के मांस को नोचने में लगी हुई थी ..


और पंडित के मुंह से भी अब अह्ह्ह उन्नह निकल रही थी ..


''अह्ह्ह्ह नूरी ....उम्म्म्म .....धीरे कर .....अह्ह्ह्ह ...उफ़्फ़्फ़्फ़… ''

पंडित जी उसके सर को अपने लंड पर दबा कर और कभी बाहर खींच कर उसे हिदायत दे रहे थे ..

उनकी सिस्कारियां सुनकर वो लड़की भी उस तरफ देख रही थी ..पंडित और उस लड़की की नजरें मिली तो उसने पंडित जी को एक स्माईल पास कर दी ..नूरी उनका लंड चूस रहीथी और वो लड़का उस लड़की की चूत ..इसलिए उन दोनों को एक दुसरे से आँखे लड़ाने का मौका मिल गया था ..


पंडित की नजरें उसकी ब्रेस्ट को घूर रही थी ..लड़की को इसका आभास हो गया ..उसने अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए अपनी टी शर्ट को सर से घुमा कर पूरा उतार दिया ..और पूरी नंगी हो गयी ..उसे ना तो किसी के आने का कोई डर था और ना ही पंडित के घूरने का ..सच में कितनी आगे निकल चुकी है ये दुनिया ..पंडित ने मन ही मन सोचा ..


और अब वो अपनी उँगलियों से अपने निप्पल पकड़ कर उन्हें मसल रही थी ..अपने आशिक से अपनी चूत चुसवा रही थी और पंडित की आँखों में देखकर उसे भी लाईन मार रही थी .


अब पंडित से भी रुकना मुश्किल हो रहा था ..उसने नूरी की जींस घुटनों तक उतार दी ..और नीचे झुक कर उसकी चूत से निकल रही खुशबू को सूंघा ..और अगले ही पल वहां पर मुंह लगाकर जोरों से चूसने लगा ..


नूरी चिल्ला पड़ी ..''ओह्ह्ह्ह पंडित जी .....येस्स्स्स .....चुसो इसे ...अह्ह्ह्ह ...चुसो मेरी चूत को पंडित जी ...अह्ह्ह्ह ...''


पंडित ने एकदम से बाहर निकल कर उसका मुंह बंद किया ..आवेश में आकर उसने जिस तरह से पंडित जी कहा था उन्हें डर लगने लगा था की वो लड़की या लड़का कहीं वो सुन ना ले ..और उन्हें कोई पहचान ना ले ..पर शायद उन्होंने सूना नहीं था या फिर अपनी मस्ती में होने की वजह से उनका ध्यान नहीं गया था नूरी की बात पर ..

पंडित जी को अब लगने लगा था की वो झड़ने वाले हैं ..इसलिए उन्होंने अब सीधा चूत पर हमला करने की सोची ..


दूसरी तरफ वो लड़का भी ऊपर आ गया था और उसने अपनी जींस उतार कर अपना लंड बाहर निकाल लिया था ..


पंडित ने भी अपनी धोती गिरा दी और अपने लंड को सबके सामने उजागर कर दिया ..


पंडित और नूरी की नजरें उस लड़के के लंड को और उन दोनों लड़का लड़की की नजरें पंडित के लंड की लम्बाई को नाप रही थी ..


और दोनों तरफ की पार्टियों को मालुम था की किसका लंड बड़ा है .


पंडित जी के आठ इंच लम्बे और मोटे लंड के सामने भला उस चूजे जैसे लंड की क्या बिसात थी ..उस लड़के ने लड़की को घोड़ी बनाया और उसके पीछे से अपना 5 इंच का लंड डाल कर धक्के मारने लगा ..


और सिस्कारियां मारने लगा ..


''अह्ह्ह्ह्ह ......प्रियंका .....माय डार्लिंग ......यु आर सो टाईट .....ओह्ह्ह फक्क बेबी ....''


ओहो तो इसका नाम प्रियंका है ...पंडित ने मन ही मन सोचा


प्रियंका की नजरें भी अब मदहोशी में आकर मस्त होने लगी थी ..


पंडित ने भी प्रियंका की नजरों में देखते हुए नूरी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत का दरवाजा अपनी उँगलियों से खोलकर उसमे अपना लंड पेल दिया ..और एक जोरदार झटका मारा ..


''अयीईई ...पंडित जी ....अह्ह्ह्ह ...धीरे ...आप तो जान ही निकाल देते हो ...''


और फिर शुरू हुआ एक उत्तेजना से भरा हुआ खेल ...धक्कों वाला ...मुम्मे हिलाने वाला ..सिस्कारियों से भरा हुआ ...

उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी ..पंडित जी को उसने आज तक इस नजरिये से नहीं देखा था ..की ऐसे धरम करम करने वाले बन्दे का ऐसी चीजों से क्या लेना देना होगा ..मंदिर में भी उनके स्वभाव को देखकर आज तक उसे ऐसा कभी नहीं लगा था ..पर आज जो भी उसने देखा वो देखकर उसकी विचारधारा के साथ साथ चूत से भी अविरल धारा बह कर उसके हर विचार को नकार रही थी ..

उन्हें चुदाई करते देखकर ना जाने कितनी बार उसने अपनी मोटी चूत को मसला होगा और कितनी बार वो झड़ी होगी उसे भी पता नहीं चला ..


पर अब उसके धार्मिक विचारों को मानने वाले दिमाग में शेतानी विचार आने लगे थे ...उसने सोच लिया था की चाहे जो भी हो जाए वो पंडित के लंड से चुद कर ही रहेगी ..


शीला : "बंद कर दिया है मैंने दरवाजा अब ..पहले खुला था ..''


वो निश्चिन्त हो गया ..और शीला से बोला : "ऐसी बात नहीं है शीला ..मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हु ..तुम्हारी वजह से ही तो मेरे भी नीरस जीवन में इतनी बहारें आई है ..''


पंडित का इशारा समझ कर शीला तुनक कर बोली : "हाँ ..हाँ ..पता है ..कौनसी बहारों के मजे लूट रहे हो आप ..मैं उसके लिए तो आपको मना नहीं कर रही पंडित जी ..आप तो मेरे लिए सब कुछ है. ..आप जो चाहे करें ..मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...बस मैं यही चाहती हु की मेरा भी ध्यान रखा कीजिये ..''


पंडित ने प्यार से उसके गालों पर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया ..और अपने ऊपर लिटा कर उसके चेहरे को अपनी हथेलियों से थाम लिया ..और बोले : "ठीक है ..शीला ..अब से ऐसा नहीं होगा ..मैं इस बात का ध्यान रखूंगा ...''


और इतना कहकर उन्होंने उसके होंठों को अपने होंठो से जोड़ कर एक दुसरे के मुंह में वाटर सप्लाई करनी शुरू कर दी ..

उसने साडी पहनी हुई थी ..


पंडित ने उसकी जाँघों पर हाथ रखकर उसकी साडी को ऊपर उठाना शुरू कर दिया ..और तब तक उठाता रहा जब तक उसकी नंगी गांड पर पंडित जी के हाथ नहीं फिसलने लगे ..


वो हमेशा की तरह आज भी पेंटी पहन कर नहीं आई थी ..


वैसे इस बात से याद आया ..अमेरिका में एक सर्वे हुआ था ..जिसमे ये पता चला था की जो महिलायें कभी कभार पेंटी पहने बिना ही अपने पति के साथ सोने चली आती है ..वो चुदने के लिए 99.9 परसेंट तेयार होती हैं ..यकीं नहीं होता तो कभी ट्राई करके देख लेना ..


खेर ..


पंडित जी को भी अपने ट्रांसफोर्मर को बाहर निकालने में ज्यादा टाईम नहीं लगा ..ट्रांसफोर्मर इसलिए की थोड़ी देर पहले वो मरे हुए चूहे की तरह पड़ा हुआ था ..पर शीला के गुदाज जिस्म को देखकर उसने ट्रांसफॉर्म होकर एक जानदार और शानदार खीरे का रूप धारण कर लिया ..जो उसकी चूत में जाकर कोहराम मचाने को तैयार था ..


पंडित जी का कुर्ता और शीला की साडी और ब्लाउस अभी तक अपनी जगह पर ही थे ..


पर शीला की चूत में आग इतनी भयंकर लगी हुई थी की उसकी अरजेंसी में चुदाई करना जरुरी था ..इसलिए उसने पंडित जी के लंड को अपनी चूत के ऊपर रखा और माखन से भीगी हुई चूत की चिकनाई का उपयोग करते हुए उसे पूरा निगल गयी ..


एक ही बार में ..


पूरा अन्दर ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ....उम्म्म्म ....तरस गयी थी मैं ...इसे अन्दर लेने के लिए ...अह्ह्ह्ह्ह ...मारो मेरी ...चूत ...आज ....जोरों से ...हिला डालो ...मुझे ...बुझा दो मेरी सारी प्यास ... अह्ह्ह्ह्ह ...''


पंडित तो अपनी जगह पर पडा रहा पर शीला ने अपने कुल्हे उठा कर पंडित के लंड के ऊपर मारने शुरू कर दिये ..


और लगभग दस मिनट की चूत मरवाई के बाद जैसे ही शीला को लगा की वो झड़ने वाली है ..उसने पंडित जी का लंड निकाल लिया ...और सीधा उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..


इतना गीला लंड और वो भी उसकी चूत के रस में नहाया हुआ ..ऐसा लगा उसने कोई स्क्वेश पी लिया है ..पंडित को उसकी हरकत पर प्यार आ रहा था ..पर वो अपने हाथों को सर के नीछे रखकर बस तमाशा देखता रहा ..


शीला बेड पर खड़ी हो गयी ..और आनन फानन में उसने अपनी साडी निकाल कर नीचे फेंक दी ..और पंडित के शरीर के दोनों तरफ पैर रखकर खड़ी हो गयी ..और फिर अपना ब्लाउस और ब्रा भी निकाल कर नीचे फेंक दिया ..

क्रमशः.......





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#44
super hot
keep it
i big fan urs story

Seema Sharma
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#45
Update 25



पंडित & शीला पार्ट--25

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गतांक से आगे ......................

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जहाँ पंडित लेटा था उसे शीला के संगमरमर जैसे बदन का हर कटाव दिखाई दे रहा था ..उसकी मोटी जांघे ..उनके बीच उसकी सफाचट चूत से निकलता गाड़े शहद का झरना ...और उसके ऊपर उसकी पतली कमर और सबसे ऊपर दो विशाल पर्वत ...इतना उत्तेजना से भरपूर दृश्य देखकर पंडित से रहा नहीं गया ...उसने अपने कुर्ते को लेटे हुए ही उतार दिया ..और नीचे से अपनी धोती और कच्छे को भी निकाल फेंका ..वो भी अब नंगा हो चुका था ...

उसने ऊपर हाथ शीला की जांघे पकड़ ली और उसे नीचे खींचा ..वो नीचे आई और झुक कर अपने मोटे मुम्मे पंडित जी के मुंह के आगे अंगूरों की तरह लहरा दिए ..पंडित उसके खरबूजों के ऊपर लगे अंगूरों को अपने दांतों से पकड़ने की कोशिश करने लगा ..


इसी बीच शीला ने अपनी गांड की लेंडिंग पंडित जी के एयरपोर्ट पर करनी शुरू कर दी ...और जैसे जी उनके खड़े हुए राडार ने उसकी उड़नतश्तरी को छुआ वो बिदक सी गयी ...और एकदम घूम कर पंडित जी के पैरों की तरफ हो गयी ..और सीधा उनके लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया ..और बैठ गयी .


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...''


पंडित और शीला के मुंह से एक साथ सिस्कारियां फुट पड़ी ..


शीला शायद सोच कर आई थी की आज वो अपनी चूत और गांड दोनों मरवाकर रहेगी ...ऐसे ही तो उसके अन्दर की आग भड़क नहीं रही थी

पंडित ने उसकी लहराती हुई कमर को पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करके उसकी गांड के पेंच ढीले करने लगे अपने स्क्रू ड्राईवर से ..


''अह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह शीला ...अह्ह्ह्ह म्मम्मम ....क्या ....टाईट छेद ....है तेरा ..अह्ह्ह्ह ... उफ्फ्फ्फ़ उम्म्म्म्म ....हा न…. .....अह्ह्ह ..जोर से ...कूद ...और जोर से ..''


और पंडित का कहना मानकर वो जोरों से कूदने लगी उनके लंड पर ...और जल्दी ही दोनों तरफ से झड़ने की ख़बरें आने लगी ..


'अह्ह्ह पंडित जी ....अह्ह्ह ...मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ....'


'ओह्ह्ह शीला ....अह्ह्ह्ह .....मैं भी आया ...अह्ह्ह्ह्ह ...ले ...अह्ह्ह ..'


और दोनों एक दुसरे के ऊपर गिरकर हांफने लगे ..


और जब साफ़ सफाई करके शीला पंडित जी की बाहों में आकर लेटी तो उसने धीरे से उनके कान में कहा : "आज की पूरी रात मैं आपके पास रहूंगी ..मम्मी पापा गाँव गए हैं शादी में ...कल दोपहर तक ही आयेंगे ..''


उसकी बात सुनकर पंडित के पुरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी ..

और उसके मुम्मों को अपने हाथों में दबाता हुआ वो सो गया ..

रात के नौ बजने वाले थे ..पंडित जी की नींद खुली ..उन्हें भूख भी लगी थी ..पर खाना बनाने का समय नहीं था उनके पास ..शीला अभी तक गहरी नींद में सो रही थी .


वो सोच ही रहे थे की क्या करे, तभी पिछले दरवाजे पर किसी की आहट हुई ..उन्होंने धीरे से पुछा : ''कौन है ..''


''मैं हु पंडित जी ..माधवी ..''


'इसको भी चुदवाने का शौंक चढ़ गया है लगता है' ..पंडित ने मन ही मन सोचा और दरवाजा खोल दिया ..


सामने माधवी खड़ी थी ..हाथ में एक बड़ा सा बर्तन लिए हुए ...


वो सीधा अन्दर आ गयी ..और बोली : "वो ..आज मैंने कुछ ख़ास बनाया था, सोचा आपके लिए ले आऊं ..''


इतना कहकर उसने वो बर्तन टेबल पर रख दिया ..


आज तो पंडित जी कुछ और भी मांगते तो वो इच्छा भी पूरी हो जाती इतनी भूख लगी थी उन्हें की मना करने की कोशिश भी नहीं की उन्होंने और बर्तन का ढक्कन खोल दिया ..


उसमे चावल और राजमा थे ..और साथ में हरी मिर्च और सलाद ..पूरी तरह से तैयार करके लायी थी वो पंडित जी का खाना ..


उन्होंने जल्दी से एक बड़ी सी प्लेट निकाली और नीचे चटाई पर बैठकर राजमा चावल डाल कर घपा घप खाने लगे ..


और माधवी वहीँ नीचे बैठकर उन्हें बड़े प्यार से खाता हुआ देखने लगी . जैसे वो उसका खुद का पति हो ..

पेट भर कर खाना खाने के बाद वो हाथ धोने के लिए बाथरूम में गए .


तभी बाहर से माधवी की हलकी सी चीख सुनाई दी ..


''पंडित जी .....ये… ...ये ...कौन है ..''


पंडित भागकर बाहर निकला ..माधवी आँखे फाड़े बेड पर नंगी पड़ी हुई शीला को देखे जा रही थी ..


उसपर माधवी का ध्यान अभी -२ गया था ..वो गहरी नींद में सो रही थी ..अपने पेट के बल ..इसलिए उसकी नंगी पीठ थी सिर्फ बाहर ..और चेहरा नहीं दिख रहा था ..और नीचे का हिस्सा चादर से ढका हुआ था .


पंडित जी ने धीरे से कहा : "ओह ..ये . ..ये तो शीला है ..तुम मिली थी न इनसे ..''


वो हेरानी से कभी पंडित को और कभी बेड पर लेटी हुई नंगी शीला को देख रही थी ..जैसे उसे विशवास ही नहीं हो रहा हो की पंडित जी का शीला के साथ भी सम्बन्ध हो सकता है ..पर पंडित जी ऐसे बीहेव कर रहे थे जैसे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है ..


पर पंडित जी की आँखे माधवी के बदन को चोदने में लगी हुई थी ..उसने सलवार सूट पहना हुआ था ..और हेरत की वजह से और शायद जलन के मारे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था ..


पंडित जी उसके पीछे गए और उसके गले में बाहें डालकर उसे अपने बदन से लगा लिया ..


पंडित : ''खाना तो तुमने खिला दिया अब कुछ मीठा हो जाए ...''


''छोड़िये मुझे पंडित जी ...आपके पास ये मिठाई है ना ..इसे ही खाइए ..'' माधवी ने अपनी बातों से विरोध जताया पर पंडित जी की बाजुओं से छूटने की कोई कोशिश नहीं की .

पंडित : "ओहो ...तो तुम इसे यहाँ पर देखकर नाराज हो रही हो ..देखो ...समझने की कोशिश करो ..जैसे तुम्हे मजा आता है मेरे साथ, इसे भी आता है ..और देखा जाए तो तुम्हारे पास तो गिरधर है जो तुम्हे चोदकर तुम्हे मजे दे देता है, पर इस विधवा के पास कोई नहीं है ..इसलिए इसको शारीरिक सुख देकर मैं बस समाज सेवा ही कर रहा हु ..और मेरी इसी समाज सेवा के बदले ही ये रितु को फ्री में टयूशन पढ़ाती है ...तुम्हे तो इसका एहसानमंद होना चाहिए ...''


पंडित ने अपनी चाशनी जैसी जबान से उसे कान में धीरे -२ समझाया ..


और वो समझ भी गयी, उसने सोचा, पंडित जी ठीक ही तो कह रहे हैं ..और वैसे भी, वो जो कुछ भी करे, जिसके साथ मर्जी सम्बन्ध रखे, उसे क्या ..जब तक उनका लम्बा लंड उसे मजा दे रहा है, उसे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ..


ये सोचते हुए उसने अपनी मोटी गांड को पीछे की तरफ दबा कर पंडित जी की धोती में छुपे हुए सांप को जगाने की कोशिश की, पर वो तो पहले से ही जाग रहा था ..और माधवी की गोल मटोल गांड का दबाव अपने ऊपर पाकर वो और जोर से फुफकारने लगा ..पंडित जी के दोनों हाथ माधवी के स्तनों पर आ गए और वो उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगे ..


माधवी के मुंह से हलकी - २ सिस्कारियां निकलने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....पंडित जी .....आप जो चाहे करो ...जिसे चाहे चोदो ...मुझे क्या ...बस मेरी चूत का ध्यान रखा करो ...रोज ....अह्ह्ह्ह्ह ...''


उसने पंडित का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत वाले हिस्से पर रख दिया ..पंडित ने उसकी पूरी चूत और आस पास के हिस्से का मांस अपनी हथेली में भर कर जोर से दबा दिया ..वो जोर से सिसकारी मारकर उचक गयी और अपनी गांड के बीच में पंडित जी के लंड को पकड़कर जोर से दबा दिया ..

पंडित जी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी ..

पंडित जी ने उसके सूट को नीचे से पकड़कर ऊपर उठा दिया ..और गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया ..माधवी ने क्रीम कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..


पंडित जी ने अपना चेहरा नीचे किया और अपने गीले होंठ उसके कंधे पर चिपका दिए ..और जोर - २ से सक करते हुए उसके बदन का नमक पीने लगे ..


''उम्म्म ...पंडित जी ....अह्ह्ह ......'' उसने अपना एक हाथ ऊपर किया और पंडित जी के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर और जोर से दबा दिया ...


पंडित जी ने जब अपने होंठ वहां से हटाये तो देखा की उसके कंधे पर एक गहरा लाल निशान बन चुका है ..वो अपने होंठों को उसके बदन से चिपकाए हुए ही उसकी पीठ पर आये और अपनी जीभ से वहां का पसीना साफ़ करते हुए उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गए ..और अपनी मुंह में फंसाकर उन्होंने उसकी ब्रा को खोल दिया ..


माधवी को ऐसा लग रहा था की उसकी पीठ पर कोई गरम और गीली चीज घूम रही है ..जिसकी तपिश से वो जल कर भस्म हो जायेगी ..


ब्रा के खुलते ही उसके मोटे मुम्मे छिटक कर बाहर निकल आये ..और पंडित ने एक ही झटके में उसे अपनी तरफ घुमा कर अपने होंठों में उसका दांया निप्पल दबोच लिया और उसका दूध पीने लगे ..


माधवी के होंठ कांपने लगे ..उसके बदन पर चीटियाँ सी रेंगने लगी ..आज पंडित जी कुछ ख़ास ही मूड में थे ..

पंडित जी ने कुछ देर तक उसका दांया स्तन चूसा जिसकी वजह से माधवी का निप्पल पूरी तरह से खडा होकर चमकने लगा फिर बांये की बारी आई और उसे चूसने लगे ..और फिर उसे भी खड़ा छोड़कर वो नीचे की तरफ खिसक गए ...माधवी ने भी अपने हाथों का जोर लगाकर उन्हें नीचे जाने में मदद की ..


पंडित जी का मुंह सीधा जाकर उसकी रसीली, नशीली, गीली सी चूत पर गया और उन्होंने कपडे समेत उसे मुंह में भर कर जोर से चूस लिया ...


उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..शायद चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आई थी वो भी ..


सिर्फ हल्का सा कॉटन का कपडा बीच में होने की वजह से माधवी की चूत का सारा रस उनके मुंह में चला गया ...उन्होंने सलवार का महीन कपड़ा चूस चूसकर वहां पर अटका हुआ सार रस पी लिया ...


फिर उन्होंने अपने दांतों का प्रयोग करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया ..इतना हुनर पता नहीं पंडित जी ने कहाँ से सीखा था ..

नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार सीधा नीचे गिर गयी ..और पंडित जी की आँखों के सामने अब उसका ताजमहल पूरा नंगा खडा था ..भीगा हुआ सा ..अपने ही रस में नहाया हुआ ..


पंडित ने अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उसकी चूत की दरार में फंसाई और एकदम से एक नयी धार निकल कर बाहर आ गयी और पंडित जी की हथेली पर आकर ठहर गयी ..पंडित जी ने वो रस अपने मुंह से लगा कर चाट लिया ..उसे चाटते ही उनके अन्दर का शैतान जैसे जाग गया ..उन्होंने उसे धक्का देकर अपने बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाकर उसकी चूत से खीर निकाल निकाल कर खाने लगे ..

माधवी का सर सीधा शीला की कमर के ऊपर जा लगा जैसे कोई तकिया हो ..पर गहरी नींद में होने की वजह से शीला को इस बात का कोई एहसास नहीं हुआ ..


''अयीईईइ .....अह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म .......चूसिये ना ....और जोर से ...अह्ह्ह ....यही है ...मीठा मेरे पास ...खा लो ...सारी मिठाई आपकी है ....उम्म्म्म ...''


पंडित ने अगले दो मिनट के अन्दर ही उसका असली दूध निकल कर बाहर आने लगा जिसे पंडित ने चपर -२ करके पूरा पी लिया ..


ओर्गास्म के वक़्त माधवी के हाथ ऊपर चले गए ..और एक हाथ से शीला के बाल और दुसरे से उसकी गांड के मांस को दबाते हुए जोर से चिल्लाती रही ...और अंत में नीचे आकर वो बेहाल सी होकर गहरी साँसे लेने लगी .


शीला के बदन की चादर उतर चुकी थी ..और उसकी नंगी गांड उभर कर चाँद की तरह चमकने लगी .


उसकी ठंडी -२ गांड को मसलने में माधवी को बड़ा मजा आ रहा था ..उसकी गांड के छेद से निकल कर पंडित का रस अभी भी बह रहा था, जिसपर ऊँगली लगते ही माधवी को भी पता चल गया की वो क्या है ..उसने अपनी ऊँगली को अपने मुंह में डालकर चूसा और वो रस चाट गयी ..उसे मजा आया ..वो उठी और दूसरी तरफ जाकर उसने शीला की टांगों को फेला दिया ..और अपना मुंह नीचे करके उसकी गांड के छेद पर लगा दिया ..और वहां से डायरेक्ट पंडित जी का जूस पीने लगी ..गहरी नींद में होने के बावजूद शीला के शरीर से हलकी हलकी तरंगे उठने लगी ..

इसी बीच पंडित जी पुरे नंगे हो गए ..और माधवी के पीछे आकर उसके दिल की आकृति वाली मोटी गांड को अपने कब्जे में ले लिया ..पीछे खड़े होने की वजह से उसकी गांड और चूत दोनों के छेद उन्हें साफ़ नजर आ रहे थे

उन्होंने अपना लंड उसकी चूत में लगाकर होले से धक्का मारा ..उसकी चूत से निकल रहा ताजा और मीठा गन्ने का रस इतनी चिकनाई वाला था की एक ही झटके में उनका पहलवान माधवी के अखाड़े में पूरा पहुँच गया ..और कुश्ती करने लगा उसकी क्लिट के साथ ..कभी उसके मुंह पर घूँसा मारता और कभी उसकी कमर पर ...

इसी दौरान शीला जो अभी तक शायद सपने में थी और उसे लग रहा था की पंडित जी उसकी गांड चूस रहे हैं ..उसे माधवी के दांत जोर से अपनी गांड के छेद पर चुभ से गए ..और उसकी नींद एक ही झटके में टूट गयी ..

और जैसे ही उसने पलट कर पीछे देखा वहां का नजारा देखकर वो दंग रह गयी ..उसे सारा माजरा समझते हुए देर नहीं लगी ..


पंडित जी जमीन पर खड़े हुए माधवी को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहे थे ..और माधवी उसकी गांड के छेद से रस निकाल कर पी रही थी ..वो दृश्य इतना उत्तेजक था की उसने भी इसका विरोध नहीं किया और उनके साथ ही उनके खेल में कूद पड़ी ..

अब उसने अपना पासा पलट लिया था और वो पीठ के बल लेट गयी ...इस तरह से उसकी चूत अब माधवी के चेहरे के बिलकुल ऊपर थी ..माधवी ने अपना मुंह अब उसके आगे वाले छेद पर लगा दिया ..और वहां से निकल रहे झरने से अपनी प्यास बुझाने लगी ..


शीला की चूत के अन्दर कैद उसकी क्लिट काफी बड़ी थी ..जिसे मसलकर पंडित ने कई बार मजे लिए थे ..माधवी ने उसकी क्लिट को अपने हाथों से पकड़ कर बाहर निकाल और उसे छोटे लंड की तरह चूसने लगी ..


शीला से रहा नहीं गया और उसने माधवी को अपने ऊपर खींच लिया ..और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर किसी जोंक की तरह उसका मुंह चूसने लगी ..


माधवी के आगे खिसक कर शीला के ऊपर लेटने की वजह से पंडित का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया था ..


माधवी की चूत अब सीधा शीला की चूत के ऊपर विराजमान थी ..दोनों एक दुसरे की चूत को रगड़ कर मजे ले रही थी ..


पंडित की आँखों के सामने वो नजारा था ..उन्होंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और दोनों के बीच में धकेल दिया ..अब दोनों की चूतों के बीच में उनका लम्बा लंड था ..जिसके एक तरफ शीला की चूत थी और दूसरी तरफ माधवी की ..दोनों चूतें अपनी रगड़ देकर पंडित जी के लंड की मसाज कर रही थी .. पंडित ने थोड़ा एंगल बदला और झुक कर अपना लंड नीचे लेती हुई शीला की चूत में डाल दिया ..दूर जोरों से धक्के मारने लगे ..


शीला ने माधवी के मुम्मे पकडे और उन्हें अपने नुकीले नाखूनों से दबाते हुए जोरों से दबाने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....क्या मजा आ रहा है आज ...आपकी कृपा ऐसी ही बरसती रही ....अह्ह्ह ..तो मुझे परम आनद की प्राप्ति जल्दी ही मिल जायेगी ...अह्ह्ह्ह ...और तेज चोदो मुझे ...अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...उम्म्म्म्म ..अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओ उम्म्म्म ....अह्ह्ह ..''



माधवी और शीला अपनी चुदाई के बाद मुर्छित सी होकर गहरी साँसे ले रही थी ...उन्हें तो दरवाजे की आहट भी नहीं सुनाई दी थी ..


गिरधर ने अन्दर आते ही चिल्ला कर माधवी से कहा : ''माधवी ....बेहया .....कमीनी ....हरामखोर ..ये क्या गुल खिल रही है तू ...''


माधवी एक दम से सकपका कर उठ बैठी ..वो अपने सामने गिरधर को देख कर एकदम से घबरा गयी ....उसने तो सोचा था की गिरधर को उसके और पंडित जी के संबंधो से कोई परेशानी नहीं है ...और खुद गिरधर ने ही उसे कुछ भी करने की छूट दे दी थी ...पर आज ये ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ..जैसे उसे पंडित के साथ ये सब करना अच्छा नहीं लगा ..


उसने हकलाते हुए जवाब दिया ...: "जी ...जी ...आ. ..आप ...पर ...पर ...आपने ही ...तो ...कहा था मुझे की ...''


गिरधर ने आगे बढकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया माधवी के चेहरे पर : "साली कुतिया ...मैंने मजाक में कहा था वो सब ...और तूने सच मान लिया ...मुझे शक तो पहले से था तुझपर ...पर आज यकीन हो गया है ...की तू धंधे वाली है ..रंडी है तू साली ...और तेरे साथ मैं अब एक दिन भी नहीं रह सकता ...मेरे घर में रहने की कोई जरुरत नहीं है तुझे आज के बाद ..''

इतना कहकर गिरधर पैर पटकते हुए बाहर जाने लगा ..


माधवी के पैरों की तो जमीन ही निकल गयी ..उसने तो सोचा था की गिरधर भी शायद यही चाहता है ..इसलिए वो पंडित के साथ चल रहे संबंधो को इतनी लापरवाही से निभा रही थी की अगर किसी को पता चल भी जाए तो कोई बात नहीं, उसके पति की रजामंदी तो है न उसके साथ ..पर आज गिरधर का ये रूप देखकर उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी ..कल तक जिस पति को वो गालियाँ दे रही थी की उसकी नजर अपनी खुद की बेटी पर है, आज उसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था उसे और पंडित को ..नंगी अवस्था में ..उसका तो अपने पति के अलावा कोई भी नहीं है ..वो कहाँ जायेगी ..क्या करेगी ...ये सोचते हुए उसकी आँखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी ...


उसने रोते हुए अपने पति के पैर पकड़ लिए : "सुनिए ...मुझे माफ़ कर दीजिये ...मुझे बहुत बड़ी गलती हो गयी ...मुझे माफ़ कर दो ...आज के बाद ऐसा नहीं होगा ...सुनिए ...सुनिए तो ..''


पर गिरधर अपनी हंसी पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करता हुआ बाहर निकला जा रहा था .


और दूसरी तरफ पंडित और नंगी शीला आराम से उन दोनों का ये तमाशा देख रहे थे ..


पंडित तो समझ गया था की गिरधर आखिर ये किसलिए कर रहा है ..पर शीला अनजान थी इन सबसे ..पर फिर भी वो तमाशा देखने में उसे मजा आ रहा था ..


माधवी बदहवास सी होकर नग्न अवस्था में अपने पति की टांगो से लिपटी हुई थी ..


गिरधर ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और उसके बाल पकड़ बड़ी बेदर्दी से उसे ऊपर खींचा , वो चिल्ला पड़ी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ्फ्फ्फ़ दर्द होता है ....छोड़ो मेरे बाल .....''


पर गिरधर के चेहरे पर शिकन का कोई भाव नहीं था ..उसने उसके बालों को पीछे खींचा और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबा दिया ..


''आय्य्यीईईइ .......यॆऎए .........क्या ....अह्ह्ह्ह्ह .....दर्द होता है ....''


गिरधर : "भेन की लोड़ी .....साली रांड ....चुदाई करवाते हुए दर्द नहीं होता ....बोल साली ...लंड घुसवाती है जब अपनी चूत में पंडित जी का ...यहाँ ....तब दर्द नहीं होता ...''


उसने माधवी की चूत अपने हाथ की तीन उंगलियाँ डालकर उसे ऊपर उठा दिया ...दर्द के मारे बेचारी की हवा निकल गयी ...उसने अपने आपको अपने पंजो के बल पर उठा लिया ...और अपने हाथ से गिरधर के हाथों को पकड़ लिया और बड़ी मुश्किल से उसके हाथ को खींचकर बाहर निकाला

उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ..उसने सोचा भी नहीं था की उसका पति इतना हिंसक भी हो सकता है ..पर गलती उसी की थी ..इसलिए शायद वो उसकी सजा दे रहा है उसे ..


माधवी की चूत से हाथ निकालने के बाद गिरधर ने देखा की उसपर पंडित जी का वीर्य लगा हुआ है ..जिसे माधवी ने अभी -२ अपनी चूत के अन्दर लिया था ..


ये देखकर गिरधर और भड़क गया ..


''साली ....बेशरम ....पंडित जी का माल अपनी चूत में डाल रखा है ...इनका बच्चा पैदा करना है क्या तुझे ...बोल हरामजादी ...''

इतना कहकर उसने वो सार वीर्य उसके मुंह में दाल कर अपनी उँगलियाँ साफ़ कर ली ...और उस बेचारी ने उसे मुंह में ही रख लिया ..कुछ न बोली वो ..

वो आगे बोला : ''मुझे तो लगता है की तेरी ये आदत शादी से पहले की है ..ना जाने कितनी बार चुदवा चुकी होगी तू ..मुझे तो लगता है की रितु भी मेरी बेटी नहीं है ...वो तेरे किसी यार की अय्याशी का नतीजा है ...है ना ...बोल कुतिया ...बोल ''

क्रमशः...........




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#46
Update 26



पंडित & शीला पार्ट--26

***********
गतांक से आगे ......................

***********

माधवी गिडगिडा उठी : "नहीं जी ....ऐसा मत कहिये ...वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है ...मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ ...''


गिरधर : "अच्छा तो ये क्या है ...मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है ...भेन चोद ...मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी ...और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है ...चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की ...चुद्दकड़ ...अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी ...पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..''


उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् ...ये क्या कर दिया मैंने ...''


माधवी : "नहीं ...आप ऐसा मत कहिये ...मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये ...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..''


और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी ..


गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था ...उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी ..


उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : "ठीक है ...पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा ...समझी कुतिया ...''


उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया ..


गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा ...: ''चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस ...''

उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया ...और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी ..


इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी ..


वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था ...और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे ...और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया ...


वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी ..



माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में ...उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ....वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी ...


पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था ...पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..

और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे ...मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..

वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली - २ पप्पियाँ करने लगी ...


गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..

''अय्यीईई ......उम्म्म्म ......गिरधर .....अह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....''


शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था ..


उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर ...और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी ..


वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .

जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस - पड़ोस में रख दिए हो ...


उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था ..


गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था ..

अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए ..


''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......माआ ..........अह्ह्ह्ह्ह्ह .........''


वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी ...शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .


गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी ..


वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी ...और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी ..


गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया ..


उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : "चलो ...चुसो एक दुसरे को ...''


दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को ...और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर - २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी ..


इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर - २ से हिलाने लगा ...और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा ..


पंडित ने ध्यान से देखा ...ये उसका वीर्य नहीं था ...बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था ..


पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी ...अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी ...


दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी ..


उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया ...और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया ..


माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी ..


दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .


गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : "चलो ...चुसो दोनों इसे मिलकर ...''

उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी ..


बीच - २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे ...और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .


पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर ..


वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .


गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा ...


दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया ...और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया ...वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी ...और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए ...और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया ...



एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .


''उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...क्या बात है .....कितना सख्त है तुम्हारा लंड ....उम्म्म… ''


गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी

पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा ..


और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा ..


शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी ...और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......''


गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया ...और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी ...


अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी ...और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी ..


गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..

और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया ...और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया ..


तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से ...जिल्लत से ..


पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे ..


उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है ...वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया ..


अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था ...अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .

दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा ...वो तो बस उस धुन पर अपने - २ लंड को नचाते रहे ...


और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया ...माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे ...
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में ...


माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया ..


आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी ...डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .

क्रमशः..........


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#47
wornderfull
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#48
UPDATE
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#49
More update
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#50
more updates...!!!
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#51
shuru me ye story bahot exciting lag rahi thi, par jaise he isme Threesome aaya aur Baap-Beti wala Angle aaya wahi par ye phir wahi mixture ban gayi, ye sab chalta rehta aur kisi ko iski khabar na hoti to zada maza aata, sath me jitne bhi female characters hai unko Zarurat se zada Horny dikha diya hai, next jo bhi character jodna usko thoda Shy dikhana to zada maza ayega, Pandit kahani ka main character rahe to he maza ayega zada logo ko jodkar kahani ghisi piti si ho jayegi, just my suggestion, its your story you can do whatever you want
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#52
Nice story
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