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Adultery मैंने नौकरानी की टट्टी खाई
#41
भाग2
PART-4

बाथरूम में जा के शीला को उपर से नीचे तक निहारा...मदमस्त आंखें, कसा हुआ चिकना बदन,सुराहीदार गरदन,काली चमकती हुई चिकनी त्वचा,पुुष्ट जांघें व उन्नत सुडौल उरोजो के उपर उसके लंबे बालों की लटें काली नागिन की तरह लहरा रहीं थी..वह किसी अजंता की मूरत की तरह लग रही थी...मेरी मिस्ट्रेस शीला...।
आज मै उसे अपनी मालकिन बना कर अपनी फैंटासी पूरी कर रहा था बिल्कुल स्केट फैमडम पोर्न मूवी की तरह.....
उसकी टट्टी का स्वाद अभी भी मेरे मुंह में था....अब मैं अपने को नहीं रोक सका.....।
"चलो मालकिन एक राउंड और हो जाए...."इतना कहकर मै बाथरूम के फर्श पर सीधा लेट गया।शीला भी अपनेआप को बहुत कंट्रोल किए हुए थी....और मै उसे आमंत्रण दे रहा था... फिर उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी.और फिर उसने अपने पांव फैला कर मेरे मुंह के दोनों और किए...और अपने पैरो पर इस प्रकार बैठ गई कि उसकी गांड का छेद सीधा मेरे मुंह पर था....और अब वह कंट्रोल नहीं कर सकी व उसकी टट्टी निकल पड़ी....सीधी मेरे मुंह में......

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short poems for september

......और मै
....अपनी अधखुली आंखों से इस अद्भुत स्कैट फैंटासी को हकीकत में देख रहा था...। मैने थपथपाकर उसे रुकने के लिए कहा और उसी पोजीशन में कुछ देर आंखें मूंदे पोर्न फिल्म वाली फैंटासी को याद करते हुए लेटा रहा....अब वह कंट्रोल नहीं कर पाई और अपना सारा लोड मेरे मुंह में डाल दिया.....और उसी पोजीशन में घुटनों के बल बैठ गई....
और मैं भी उसी पोजीशन में कुछ देर और लेटा रहा....अब वास्तव में मैं अपनी मिस्ट्रेस के साथ ड्रिम सिक्वैंस का आनंद उठा रहा था.....मेेरा लंड पूूरी तरह तन चुका था....मैं बहुत उत्तेजित था....कछ पलों के बाद..मैंने उसे इशारों से उठने के लिए कहा....और हम उठ खड़े हुए.....।
उठते ही सबसे पहले मैने टायलेट पेपर से अपनेआप को अच्छे से साफ किया....और फिर शीला को निहारते हुए कहा....
"आओ मालकिन तुम्हारी गांड को साफ करता हूं"
"हां,मैं पानी से क्लीन कर लूंगी ।
"नहीं मालकीन मै तो सेवक हूं इसे अच्छे से साफ करूंगा।यह तो मेरी ड्यूटी है....।"
अब शीला मुस्कुराने लगी ।
अब मैने शीला के पीछे गया और उसकी गांड को चौड़ा करके निहारने लगा....उस पर टट्टी लगी हुई थी.....मैं भी नशे में मदमस्त हो रहा था.....शीला की गांड भी बहुत ही सेक्सी लग रही थी....
मैने धीरे से शीला की गांड में एक इंच उंगली घुसा दी...।
"उ..ई..."..शीला अपनी गांड सिकोड़ने लगी...।मैं धीरे धीरे गांड में उंगली गोल गोल गोल घुमाने लगा ...।
"आ..ह..ऊ..ह..."शीला कराह रही थी।
फिर मैंने उंगली बाहर निकाली और उसे सूंघने लगा ...।
क्या मस्त खुशबू थी...मैने अपनी आंखें बंद करली।
अब मैं बेताब हो उठा और शीला की गांड में जीभ घुसा घुसा के चाटने लगा.....शीला भी मस्ती से कराह उठी....
"ऊ..ह....आ..ह"...।
वह भी नशे की हालत में थी इसलिए सहजता से मजे ले रही थी।
मैं जोरों से उसकी गांड चाट रहा था...आज तो इसके गदराये शरीर का एक-एक इंच चाट डालूंगा ।
धीरे धीरे वह भी उत्तेजित हो उठी...और मैं भी उसकी गांड में जीभ घुसा घुसा के चाट रहा था....

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अब मुझ पर जैसे शीला की गांड का सम्मोहन सा छा गया...मै वाइल्ड होता जा रहा था......आज तो इसका वो हाल करूंगा कि बस...पूरी चौड़ी कर डालूंगा...।
और फिर मैंने हाथ बढ़ा कर तेल की शीशी उठाई और अपने लंड पर थोड़ा तेल लगा लिया और थोड़ा तेल शीला की गांड पे भी लगा दिया...
फिर सुपाड़ा शीला की गांड के सुराख पर रख दिया....
शीला भी गांड चटवाते हुए मस्त हो गई थी इसलिए उसने कोई विरोध नहीं किया...
और अब मेरा लंड फनफना रहा था....
मै बेसब्र हो उठा और शीला की गांड में धीरे से लंड को धकेल दिया....।
"ऊ..ई..ई...ई...ई...ई"....शीला की चीख निकल आई.....।
"आ..ह..मालकिन बस थोड़ा सब्र रखो...अभी तो सुपाड़ा ही गया है...
...कुछ नहीं होगा।
"आ..ह.."शीला अपनी गांड सिकोड़ने लगी ...।मैं कुछ पल ठहरा....शीला को कुछ राहत मिली।
फिर मैने धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बाहर करना शुरू किया....।अब शीला धीरे धीरे नाॅर्मल हो रही थी कि....मैने हल्के से लंड का दबाव बढ़ा दिया....और लंड थोड़ा और अंदर चला गया...
"ऊ...ई...मां...ऊ...ह"।
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"बस अब थोड़ा और मालकिन...."
और मै लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा ...।
चूंकि शीला पहले भी गांड मरवा चुकी थी इसलिए धीरे धीरे बर्दाश्त करती जा रही थी...।
"आ..ह...ऊ...ह...धी..रे...क..रो...।"
हां मेेरी मालकिन...जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करुंगा ...।कुछ देर इसी प्रकार चोदता रहा...अब तक शीला की गांड थोड़ी ढीली होने लगी थी...।
अब शीशी से दो बूंद तेल शीला की गांड पे टपका दिया...अब शीला की गांड एकदम चिकनी हो गई....फिर मैने लंड का जोरदार प्रेशर लगा दिया...
"आ..ई..ई..ईईईई...मां....म..र... गई...ऊ...ह....नि..का..लो....।"
अब लंड आधे से ज्यादा अंदर चला गया था...।
हां...मालकिन....अब कुछ ही देर में तुमको जन्नत की सैर कराउंगा ....।
और फिर मैं पहले धीमे धीमे..फिर तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा ....
शीला गनगना रही थी.....
"आ.आ...ह........ऊ...ऊऊऊ....ईईई...उ..फ्फ...अं.ह.....हि..श्श...हँ...अं..अं.."

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sare jahan se achha song written by

मैं भी आनंद के सागर में गोते लगा रहा था...।शीला की टाईट गांड ने मेरे लंड को जकड़ के रखा हुआ था।
थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद मैं वाइल्ड होने लगा.....और जोर का धक्का देकर पूरा लंड अंदर घुसा दिया.....।
आ...आ...आ..आ...ई....ई..ईईईई...हँ...अ...अं..अं...ईईईईईई.....ऊ...ईईई...मां....मा..र...डा..ला....।
शीला का मुंह खुला का खुला रह गया...आंखें फट गयी....।मेरा आठ इंच का लंड पूरा शीला की गांड में घुस गया था....।
बस मालकिन अब मैं तुम्हें जन्नत की सैर कराता हूं....
और फिर मैने थोड़ा सा लंड निकाल के वापिस अंदर डाल दिया...और फिर से धीरे धीरे चोदने लगा ...
शीला कसमसा रही थी....
ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह..।
अब मेरी जांघें शीला की गांड से टकरा रही थी....और फिर मैने तेजी से चोदना शुरू किया और मेरी जांघें शीला की गांड पे जोरों से टकराने लगी .....
शीला कराह रही थी.....
आ...आ...आ..आ...ई....ई..ईईईई...हँ...अ...अं..अं...ईईईईईई.....ऊ...ईईई...मां....मा..र...डा..ला....उ..फ्..फ....ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह..हुम्म।
और मेरी जांघों के उसकी गांड के टकराने की आवाजें बाथरूम में गूंज रही थी.....
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...।
"ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह.."
"ओ...ह...फ...ट...ग...ई...धी...रे...मा...रो...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह...।
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...
.....पूूरे बाथरूम में गूंज रही थी..।
मै और वाइल्ड होने लगा ....
"आज तो इसका भोंसड़ा बना डालूंगा ...मैं...हँ...अ..अ..." मैं बुदबुदाया....और....शीला के बाल पकड़े...और....पूरा लंड निकाल के जोर से घुसा दिया
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...
"आ....ईईईई....ईईईई....मां....म...र...गई....मे...री...गांड....फ
.टे...जा...र...ही...है....ह...रा...मी...धी...रे...डा...ल..."
शीला की गांड ढीली हो गई थी....
मुझ पर वहशियत सी सवार थी.....मैं उसकी कहां सुनने वाला था....।
वह चिल्ला रही थी और मैं पूरी ताकत से ठोंके मार रहा था।
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट...।
उसी धक्के के रिदम में शीला की आवाज निकल रही थी..
"अ..ई...अ...ई...अ...ई...अ...ई...अ...ई....अ....ई...अ...ई"
"अ....ईईईई....ईईईई....मां....मे...री...गांड..उ..फ्..फ....।"
और फिर उसके बाल खिंच के एक जोर का ठोंका मारा.....
"आ..आ...आ...आ...ऊ...च् च...।"
और फिर शीला की ढीली हो चुकी गांड में से एकाएक...
......फिस्स्स्स्स्....फचड़ड़ड़ड़....आवाज निकली....और....फचड़ड़..करके टट्टी बाहर आ गई....।
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leave me o love which reachest but to dust theme

मै ठोंके पे ठोंके मार रहा था...
फट्ट..फट्ट..फट्ट..फट्ट..फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....मेरे लंड के साथ साथ शीला की गांड के छेद से टट्टी भी अंदर बाहर हो रही थी....फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....
मेरा लंड शीला की टट्टी में पूरा सना हुआ था।
"ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह
..आ...ह...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ...ह.."
"ओ...ह...फा....ड...डा...ल...औ...र......मा...र...ऊऊऊ...हँ..हँ..अं..अं..अं...ई...ह..आ....ह...म...जा...आ...र...हा...है"...
"कै..सा...ल...ग ..र..हा.. है..मा..ल..कि..न।"
"हां...म...जा...आ...र...हा..है...औ...र....जो...र...से..."
....फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..फचड़....फचड़....
और मुझे लगा मै झड़ रहा हूं...
मैने शीला के बाल कसकर पकड़ लिए...और परी ताकत से धक्के मारते हुए बोला....
"ले..मे..री...मा..ल..कि..न...सं...भा...ल...मै...झ...ड़...र...हा...हूं.....
फचड़....फचड़....फचड़....फचड़..
और.....मैं झड़ रहा था.....
"ओ..ओ..ओ...ह....हँ..अ...आ...आ...ऊ...च......मा..ल..कि..न...सं..भा...ल...मु..झे..."
और मैं शीला के उपर ही ढेर हो गया...।
शेष अगली किस्त में...
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#42
भाग2
PART-5

शीघ्र आ रहा है....
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#43
मित्रों,
यह कहानी पढ़ कर अपने कमेंट्स अवश्य करें क्योंकि आपकी अमूल्य राय से एवं आपकी पसंद जानकर आगे की कहानी लिखने में मुझे सुविधा होती है....आपका....रोहित
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#44
भाग-2
PART-5

शीला उसी प्रकार घोड़ी बनी खड़ी रही और मैं उसके उपर छा गया था,इतनी जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों पसीने से लथपथ हो के बुरी तरह हांफ रहे थे...।मैं शीला को सहलाते हुए हर एंगल से चूम रहा था....
कुछ पल उसी पोज में रहने के बाद मैंने देखा पसीनें की बूंदें शीला के टाईट चमकदार काले बूब्स पर से होती हुई निप्पल के रास्ते नीचे टपक रही थी...।मैं तुरंत शीला के नीचे झुका और उसकी चूचीयों पर अपना मुंह लगा दिया और चूसने लगा।उसकी चूचीयों से दूध की बूंदे निकल पड़ी और मैं पसीने की बूंदों व दूध का मिलाजुला खारा सा स्वाद लेते हुए मस्त हो उठा...।
कुछ पलों के बाद हम अलग हुए और फिर शीला को लिये हुए मैं बाथरूम के फर्श पर ही ढेर हो गया,और हम बाथरूम की दीवार से टिक कर बैठ गए....।
हम दोनों का नशा अभी उतरा नहीं था।कुछ मिनट इसी प्रकार बैठने के बाद मैं उठा और शीला को हाथ बढ़ाकर उठाया....
"उई...." शीला थोड़ा उठी फिर धम्म से बैठ गई....।वह दर्द के मारे उठ नहीं पा रही थी...।
'क्या हुआ मालकिन...."
"उफ्फ...".वह मुस्कराई...और झुमते हुए बोली......"तुमने मेरी गांड का भुर्ता जो बना डाला है...
.....बड़ा दर्द हो रहा है....।"
"थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा मालकिन....।"मैने भी हंसते हुए कहा।
कुछ पल ठहर के मैने शीला को बांहों में बांहें डाल कर उठाया....फिर टायलेट पेपर्स से उसके सारे बदन को अच्छे से साफ किया...और शीला भी टट्टी से सने हुए मेेरे लंड को साफ कर रही थी...।
शीला की टट्टी का सौंधा सा स्वाद मैं अभी तक महसूस कर रहा था......मैने वाशबेसिन में अपना मुँह धोया व ब्रश किया फिर बोला....
"चलो मालकिन अब नहा धो कर थकान दूर कर लेते हैं...।"
"मुझे तुमने इतना थका दिया है कि ये थकान चार पांच दिन तक नहीं उतरने वाली..."शीला ईठला कर बोली।
"और तुम्हारे साथ जो मजे आ रहे है इसकी खुमारी भी दस दिनों तक उतरने वाली नहीं...मेरी मालकिन....।"मैने शरारती अंदाज़ में कहा....।
और फिर शीला को बांहों में भर कर शाॅवर के नीचे ले आया और शाॅवर चालू कर दिया....।

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और फिर मेरे हाथ शीला के जिस्म पर फिसलने लगे।शीला भी साथ देते हुए उसके हाथ मेरे जिस्म पर फेर रही थी...।मै शीला के पीछे से उसकी बाहों में हाथ डालकर उसकी चूचीयों को मसलने लगा .....शीला आंंखें मूंदें सिसकीयां भर रही थी.....

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"स्स्स्..स्सीईईईई....ऊ...ह..ऊई...हँफ्फ..."
और मैने एक हाथ से शीला की चूत को रगड़ना शुरू कर दिया...मैं अपनी उंगलीयां उसकी गांड से चूत तक ले जाते हुए रगड़ता जा रहा था और एक हाथ से शीला की चूचीयां मसल रहा था...।
अब दो उंगलीयां उसकी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करते हुए रगड़ने लगा।
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शीला कसमसा रही थी... "ऊ...ह..ऊई...हँफ्फ...ओ...ह"
अब शीला मेरी तरफ घूम गई और मेरे लंड को हाथ में लेकर ठुमके लगाते हुए मसलने लगी .....

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.....मैने शीला को कसकर भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।शीला भी बराबर साथ दिये जा रही थी.....
हम दोनों सारी दुनिया भूल कर आनंद में गोते लगा रहे थे।और फिर मैने रैक पर से साबुन उठाया और शीला के हाथ में थमा दिया.....।
शीला अपने साथ साथ मेरे शरीर पर भी साबुन मलने लगी .....।
और फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए शाॅवर के निचे खड़े होकर एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर तौलिए से एक दूसरे के बदन पोंछे..... फिर निर्वस्त्र ही शीला को अपनी बांहों में उठा कर बाथरूम से बाहर आ गया...।
और फिर शीला को लिए हुए ही बिस्तर पर धंस गया...।
शेष अगली किस्त में.....


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#45
मित्रों,
पेश है कहानी का भाग -2,PART-6
पसंद आए तो लाईक जरूर किजिए
आपके बहुमूल्य कमेंट्स जरूर दिजीये।
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#46
भाग-2
PART-6

लगभग ग्यारह बज चुके थे....
शीला के साथ संपूर्ण स्नान के बाद हम दोनों थोड़ा फ्रैश महसूस कर रहे थे और नशा भी हल्का हो चुका था।फिर मैने हाथ बढ़ा कर मोबाइल उठाया....
चलो मालकिन तुम्हे भूख भी लगी होगी .....कुछ खाने का बंदोबस्त करता हूं....।
और फिर मैने फोन करके पास ही के रेस्टोरेंट से लंच ऑर्डर कर दिया...।
अब मैं उठा और कबड् में से निकाल के अपना जांघिया पहना और फिर कबड् में से एक बाॅडी स्प्रे व दो पैकेट निकाले....और शीला की तरफ बढ़ा....लो मालकिन ये तुम्हारे लिये....। और फिर बाॅडी स्प्रे शीला को थमा दिया....।शीला ने मुस्कराते हुए लिया और अपने बदन पर स्प्रे करने लगी ....।
शानदार खुशबू से शीला का बदन महक उठा...।
मैने कहा "मालकिन अब अपनी आंखें बंद करो...।"
"लो....।"और शीला ने अपनी आंखें बंद कर ली....।उसे मेरा बार-बार मालकिन कहकर पुकारना अच्छा लग रहा था।
मैने पैकेट खोल कर कुछ निकाला..और शीला के हाथों में देते हुए कहा
...
"अब आंखें खोलो....।"
शीला ने जैसे ही आंखें खोली मुस्कराते हुए आश्चर्य से उसके मुंह से निकला...
"उई मां... यह क्या...।"
वे दो खुबसूरत बिकनी के सैट थे...एक काला और दूसरा रंगबिरंगा डिजाइन वाला....।
"ये तुम्हारे लिए है.....और आज के दिन यही तुम्हारा ड्रैस कोड है मालकिन और मै भी आज तुम्हारे साथ इसी ड्रैस यानि जांघिये में ही रहूंगा....।"
"लेकिन मैं तो ये कभी पहनती नहीं।"
"लेकिन अब तो तुम मेरी मिस्ट्रेस हो और मेरे सामने तो कुछ भी पहन सकती हो...।और फिर तुम पर ये खूब सूट करेगा।"...मै उसे कन्वेंस करते हुए बोला।"
"अब चलो भी अपने गुलाम की इतनी सी बात तो रख लो...इसे पहन कर तो दिखाओ...।"
"अच्छा बाबा पहन रही हूं...."
शीला ने बिकनी पहन ली और मस्कुराते हुए किसी माॅडल की तरह पोज़ देते हुए खड़ी हो गई.....।

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वाह वाह मैं ताली बजाते हुए बोला अब लग रही हो किसी फिल्म की हिरोइन....।"
"....लेकिन एक थोड़ी सी कसर बाकी रह गई है....अच्छा दुबारा आंखें बंद करो...।"
शीला ने अपनी आंखें बंद कर ली....।
और मैने दूसरा पैकेट खोल कर उसके हाथों मे थमा दिया....और आंखे खोलने को कहा.....।
शीला ने जैसे ही आंखें खोली,उसके मुंह से खुशी के मारे हल्की सी चींख निकल पड़ी..."अ..ईईईईई..."
......पैकेट में सोने की खूबसूरत झुमकियां थी...।
"बहुत सुंदर है...।"
"लेकिन तुमसे ज्यादा नहीं...।"
"ओह..क्या तुम भी....।"शीला ने प्यार से मेरे सीने पर हल्का सा मुक्का मारा...और फिर मुस्कराते हुए मेरे दोनों कंधों पर अपने हाथ रख कर मेरे सीने पर बड़े प्यार से अपना सिर रख कर बोली."...मेरा बाबू.....।"
मैं भी रोमांचित हो उठा....।
उसके बालों में अपनी उंगलीयां फेरते हुए बोला.."..नहीं...तुम मुझे जानू कहा करो..."
"अच्छा बाबा....जानू...जानू...जानू...
.......प्यार से मेरे सीने पर तीन बार हल्के हल्के मुक्कियां मारते हुए बोली....।
और मै उसे चूमने लगा ....।

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कुछ पल इसी तरह बीत गए फिर मैं उठा और बोला.."चलो अभी खाना आने में थोड़ा वक्त है...नहाने के बाद हल्का सा एंजाॅयमेंट हो जाए ...थोड़ा रंग जम जाये...।"

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और फिर फ्रीज में से बीयर की एक बोतल निकाली और दो ग्लास में डाल कर एक शीला को पकड़ा दिया और उसे बांहों में लेकर बैठ गया...।
"अरे नहीं ये तो बहुत हो जायेगा ।"वह बोली...।
लेेकिन मैं आज शीला के साथ संपूर्ण एंजाॅयमेंट करना चाहता था,उसकी जवानी के रस की एक-एक बूंद का लुत्फ उठाना चाहता था।
"ज्यादा नहीं लेंगे....सिर्फ इतना ही..."
मैं बोला......और फिर.....
"चियर्स..." मैने शीला के ग्लास से अपना ग्लास टकराया और फिर हम दोनों बीयर के सिप लेने लगे ।कुछ घूंट भरने के बाद शीला बोली...."तुम भी ना बहुत जिद्द करते हो"
"अरे नहीं मैं तो मनुहार करता हूं मेरी मालकिन से...एंजाॅय करने की"....मैं मुस्कुरा कर बोला....।
.....लाइफ इज लव..."
शीला मुस्कुरा उठी....।
फिर कुछ और घूंट और लेने के बाद जब आधा ग्लास खत्म हो चुका था शीला पहले से ही हल्के सुरूर में तो थी ही और अब फिर से धीरे धीरे उस पर मस्ती छाने लगी थी ..उसकी आंखें शरबती हो उठी थी....।
फिर मैने अपनी चुप्पी तोड़ी...
"और फिर ऐसे मौके रोज कहां मिलते हैं...क्यों...है न...।"
हां.....उसने एक और लंबा घूंट भरा और ठंडी सांस लेकर बोली....रोज इस तरह तो नहीं मिल पाती हूं न अपने ..जानू से...और उसने अपना सिर मेरी छाती पर टिका दिया...।

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मै भी एक हाथ से उसके बाल सहलाते हुए घूंट भरता रहा...।
"मैं भी तुम्हें मिस करता हूं...।"
"लेकिन मिलने का मौका ढूंढ ही लेता हूं".....।
"और कभी ना मिल पाता हूं...तो भी तुम्हारा ख्याल हमेशा रहता है.....।"
" तुम्हें किसी बात की कमी नहीं होने दूंगा मेरी मालकिन".....। मैने थोड़ा मूड हल्का करने के लिए अपने हाथों में शीला का हाथ लेकर चूमते हुए कहा...।
मेरी इस अदा पर शीला भी हंस पड़ी...."और मैं भी तुम्हारा बहुत-बहुत ख्याल रखूंगी मेरे गुलाम"...मेरी ठोड़ी को पकड़ के हिलाते हुए शरारती अंदाज़ में बोली....।"
अब हम बीयर का ग्लास खत्म कर चुके थे.....और मैंने थोड़ी बीयर और अपने ग्लास में डाल ली थी....
वह फिर से मस्ती में झूम रही थी।
फिर वह उठी और बैड के सिरहाने वाले हिस्से से हाथ टिका कर खड़ी हो गई....
मै उसे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था....।
काली बिकिनी पहने हुए शीला...मदमस्त शरबती आंखें, कसा हुआ चिकना बदन,सुराहीदार गरदन,काली चमकती हुई चिकनी त्वचा,पुुष्ट जांघें व उन्नत सुडौल बूब्स के उपर उसके लंबे काले बालों की लटें काली नागिन की तरह लहरा रहीं थी...कानों में झुमकियां......वह किसी अजंता की मूरत की तरह लग रही थी...मेरी मिस्ट्रेस शीला...।

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इस स्टाईल पर मैं स्तब्ध सा सम्मोहित हो कर अपनी ड्रिम मिस्ट्रेस को बिना पलक झपकाए एकटक देखता ही जा रहा था......।
कि उसके बोलने पर मेरा सम्मोहन टूटा......
"मुझे बाथरूम लगी है....।"
वह अर्थपूर्ण अंदाज़ में बोली।
"ओ..ह...तो ये बात है..."मै बोला....
"हां तो सिम्पल सी बात है मिस्ट्रेस,तुम्हारा गुलाम हाजिर है...जीता जागता टायलेट....आओ मै नीचे लेट जाता हूं...."
"शीला भी शरारतपूर्ण नजरों से मुस्कुरा रही थी।
उसे भी अब इस खेल में मजा आने लगा था....।
लेकिन मुझे कुछ याद आया.....मैं बोला..."रूको मालकिन...अभी लंच पार्सल वाले का टाईम हो गया है....इसलिये हमको अलर्ट रहना होगा....रूको मैं इंतजाम करता हूं..."।
इतना कहकर मैंने शीला का हाथ पकड़ा ...मेरे एक हाथ में बीयर का ग्लास था... फिर शीला को बाथरूम में ले गया और एक मग नीचे रख दिया और शीला को पकड़कर नीचे पैरों के बल बिठा दिया....।
शीला समझ गई.....और अपनी बिकिनी को चूत पर से थोड़ा साईड खिसका के मूतना शुरू कर दिया.....
....श्श्श्श्श्श्श्शीईईईईईईईईईई......

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मूत की धार सीधे मग में गिर रही थी......ग ..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़....
और फिर तुरंत ही...मैंने मग हटा दिया और .....अपना बीयर वाला ग्लास शीला की चूत के नीचे लगा दिया...।

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"ऊ..ई...ये क्या..".चौंकी शीला...।
और मैं शरारत से हंसने लगा....।
लेकिन शीला अब तक मेरी दिवानी हो चुकी थी.... *और जब कोई औरत किसी मर्द की दिवानी हो जाती है तो वही करती है जो मर्द चाहता है* *.....उसे मर्द की सारी बातें अच्छी लगती हैं*
शीला ने भी मुस्कुराते हुए मूतना जारी रखा......ग ..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़..और जब चौथाई ग्लास खाली रह गया तब मैने ग्लास हटा कर फिर से मग लगा दिया....और ग्लास मुंह से लगा कर सिप लेने लगा ...और मैं तो मदमस्त हो उठा.....क्या काॅकटेल था...बीयर के साथ शीला के मूत का खारा सा स्वाद.....आ..हा...और कुछ ही पलों में मैने सारा ग्लास खत्म कर दिया।
....कुछ क्षण के बाद शीला उठ खड़ी हुई..और मैं शीला का हाथ थामें बाथरूम से बाहर आ गया....।
.....एकाएक डोअर बेल बज उठी...।
मै तुरंत कबड् की ओर लपका और उसमें से निकाल के स्लीपिंग सूट पहना और बैडरूम से निकल कर ड्राइंग रूम में आ गया फिर कि होल में से देखा....लंच पार्सल वाला ही था....
फिर मैंने आंखें मलते हुए नींद से उठने का नाटक करते हुए दरवाजा खोला....और पार्सल लेकर दरवाजा तुरंत बंद कर दिया.....
फिर अंदर आ के डाइनिंग टेबल पर पार्सल रख कर शीला को आवाज दी..."चलो मालकिन लंच तैयार है.."
शीला बैडरूम से निकल कर आ गई।
मै बोला..."तुम बैठो मैं अभी आया"
और शीला एक कुर्सी खिंच कर बैठ गई। "
मेरे दिमाग में कुछ खुराफात तेजी से चल रही थी.....।मैं शीला के मूत के सेेक्सी स्वाद का दिवाना हो चुका था....मुझे चस्का लग चुका था....।
मै तुरंत बैडरूम में आया और फिर बाथरूम में जा के शीला के मूत वाला मग उठाया.... फिर किचन में जा के फ्रिज खोल के उसमें से खाली आईस ट्रे निकाली....और मग को आईस ट्रे में उडेल दिया.....और फ्रिजर में रख दिया....।
मन ही मन सोंच रहा था...."आज तो शाम को व्हिस्की के साथ आईस की बजाय शीला के मूत का स्वाद लूंगा काॅकटेल बना कर....।"
और फिर तेज कदमों से चल कर शीला के पास एक कुर्सी खिंच कर बैठ गया...।
फिर हमने साथ में लंच किया और वापिस बैडरूम में आ गए.....।
शेष अगली किस्त में....।
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#47
भाग-2
PART-7

अंदर पहुंच कर मैंने शीला को बैड पर खींच लिया....और बांहों में बांहें डाल कर चूमने लगा...शीला भी साथ देने लगी...।अब मैने टीवी का रिमोट उठा कर एक ट्रिपल एक्स मूवी चालू कर दी....थ्री सम सेक्स ....दो औरतें एक मर्द....।
फिल्म का हीरो दोनों औरतो को बारी बारी से चोद रहा था...कभी मिशनरी पोज़ में तो कभी घोड़ी बना कर....जब एक औरत चुद रही होती तो दूसरी ओरल सेक्स करके साथ दे रही होती...।
"धत् ये क्या धंधा बना कर रखा है...इनको कोई मिला नहीं जो एक ही मर्द के साथ करने लगी.."
"अरे मेरी मालकिन ये तो अपनी अपनी पसंद है....और फिर देखो तीनों को कितना मजा आ रहा है....।"
"ये भी अलग ही मजा है....और ये भी दोनों औरतों को बराबरी से प्यार कर रहा है...ये तो फाॅरेन में आम बात है...वहां अपनी फ्रैंड्स के साथ ऐसे ही मजा लेते हैं....।"
शीला भी टकटकी लगाए वह मूवी देख रही थी...।उसे भी मजा आने लगा था....।
फिर कोई दस पंद्रह मिनट के बाद वह मूवी खत्म हो गई...और मैने शीला को भींच लिया..."वो लोग कुछ भी करें हमें क्या......"
"आओ हम तो हमारा खेल जारी रखते हैं....।"
फिर मैं शीला को सहलाने लगा और बेतहाशा चूमने लगा।...
शीला फिर से गरम हो चुकी थी....।
फिर .....
हमने इसी प्रकार सेक्स का आनंद लूट ना शुरू कर दिया.....
मैंने पहले शीला की चूत को जमकर चोदा....और फिर उसकी गांड की जोरदार ठुकाई कर करके ढीली करदी....और फिर उसी की गांड में झड़ गया ....।
अब हम थक कर चूर हो गए थे....
...और दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बांहों में बाहें डाल कर सो गए...।
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प्यारे दोस्तों,
कहानी का दूसरा भाग यहीं खत्म होता है.....
तीसरा भाग जल्द ही पेश करूंगा.....तब तक के लिए विदा......।
दोस्तों,
आगे जो कहानी आने वाली है उसमें वाइल्ड सेक्स के साथ साथ फेस सिटींग ,एनल लिकिंग ,फैमडम स्कैट व पिसींग ,डर्टी सेक्स यानि जो कुछ भी पोर्न मूवी में देखने को मिलता है वह सबकुछ होगा...इसलिए जो मित्र स्केट एंड फैमडम कंटेंट्स पसंद करते है उन्हे काफी आनंद आएगा।

.....और तीसरे भाग में.....
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मोना की एन्ट्री होती है...
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पेश है भाग तीन के कुछ अंश...
*"ट्रेलर*:" ....
वह एक गोलाकार टेबल थी...जिसके इर्द गीर्द मै,शीला व मोना बैठे थे....
हमारे सामने वोदका के ग्लास रखे हुए थे जो कि खाली हो चुके थे.....
आज मेरी वह फैंटासी को हकीकत में बदलने जा रहा था कि एक साथ दो-दो औरतों के साथ ड्रिंक करके फेमडम एवं डर्टी सेक्स का लुत्फ उठाऊंगा।

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शीला रंगीन बिकिनी व मोना काली बिकिनी में बहुत ही सेक्सी लग रही थी.....दोनों के काले लंंबे खुुले हुए बाल कमर तक लहरा रहे थे....।
तभी मैं बोला..."आओ मेरी मालकिनों... आपका गुलाम हाजिर है"
....और मै चल कर फर्श के बीचोंबीच लेट गया...मेरे जिस्म पर सिर्फ जांघिया था.....।
और वे दोनों भी उठ खड़ी हुई....और शीला मेरे पैरो के पास व मोना चल कर मेरे सिर के पास आ गई।फिर मोना ने मुझे देखते हुए सिर से पैर तक का चक्कर लगाया.....फिर से मेरे सिर के पास आ गई....।
टाॅक..टाॅक...टाॅक...टाॅक...मोना के उंची हिल के सैंडिलों की आवाज पूरे हाॅल में गून्ज रही थी....।
तभी मोना ने अपनी दोनों टांगें फैलाई और अपनी गांड के दोनों नितम्बों को चौड़ा करके पैंंटी को साईड करके गांड का छेद मेरे मुंह पर रख कर बैठ गई.....।और मैने अपनी जीभ मोना की गांड के छेद में डाल दी और कुरेद कुरेद कर चाटने करने लगा...।
अब शीला मेरी जांघों पर बैठ गई और जांघिये में से मेरे लंड को बाहर निकाल कर सहलाते हुए हल्के हल्के ठोंके लगाने लगी....


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मुझे जन्नत का मजा आ रहा था.....
इधर मोना ने अपने नितम्बों का वजन मेरे मुंह पर रख दिया....और अपनी गांड जोर जोर से आगे पिछे करने लगी...।
मैं कसमसाने लगा.....मेेरा मुंह मोना की गांड के नीचे होने से मेरी घुटी घुटी सी आवाज निकल रही थी....
"अभी से कराह रहे हो मेरी जान"...मोना बोली...."अभी तो शीला की बारी आनी बाकी है......।"
.....क्रमश:
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#48
मित्रों,
कहानी पसंद आ रही हो तो लाईक,रेटिंग व कमेंट्स जरूर करे....
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#49
So hot bhai keep it up
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