Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३७ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part ३)
(30-06-2023, 08:36 AM)kamini34 Wrote: Superb hot. Please continue

Ok Kamini Devi thanks for your inputs
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(30-06-2023, 08:36 AM)kamini34 Wrote: Superb hot. Please continue

thanks
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पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
अनीश जैसे हमारे बैडरूम में आया..उसने मुझे उठाया .. संध्या यह लो तुम्हारी दवाई..और उसने मेरे ओंठों पर अपने ओंठ रख कर चूमना चालू किया..
उसके मुँह से मुझे धर्मेश अंकल के वीर्य की खुशबु आ रही थी..मैंने दवाई ले ली..और सोने लगी..
अनीश - जानू .. आज थक गयी..नंद आ रही है.?
मैंने कहा - हाँ मेरे राजा , बहुत थक गयी..आपने मेरी शावर के निचे इतनी देर तक जोरदार गांड मारी.. 
अनीश ने कहा - ठीक हैं..कपडे तो उतार दो पगली . नंगी हो जाओ ..
मैंने मेरा गाउन निकाल कर साइड में रख दिया..अब में पूरी नंगी थी, अनीश ने भी अपनी शॉर्ट्स निकाल दी..और पूरा नंगे होकर बिस्तर पर मेरे सात लेट गया. उसने मुझे बाँहों मैं ले लिया..और मैं भी अपना सर उसके छाती पर रख दिया और उसकी छाती के बालों से खलेने लगे. अनीश मेरा चेहरा पकड़ पकड़ कर चुम रहा था और बोलै -  संध्या  तुम कितनी सुन्दर हो.
मैंने पूछा - उम् क्या बात है अनीश..आज बड़ा प्यार आ रहा है.
अनीश ने कहा - संध्या क्या तुम कल रात को मेरे सामने धर्मेश अंकल से चुदवा लोगी  ?
मैं सकपका गयी.. झूठा गुस्सा दिखाने  लगी.. यह क्या अनीश कुछ भी कहते हो.
अनीश ने कहा - देखो संध्या .. मैं जानता हूँ की तुम धर्मेश अंकल से चुदवाती हो..  क्या  तुम्हे लगता है मैं मर्द के वीर्य की गंध और स्वाद पहचान नहीं सकता. तुम मुझे कहती रही की वो दही का स्वाद हैं , नया फ्लेवर है.. पर मैं सब जनता था. सिर्फ मुझे यह जानना था की तुम धर्मेश अंकल या यासीन किससे चुदवा रही हो. इसलिए मैंने उन दोनों को बढ़ावा दिया. पार आज धर्मेश अंकल का वीर्य का स्वाद लेने के बाद मुझे पक्का यकीं हो  गया की तुम उनका लण्ड चूसती और उनसे चुदवाती हो. क्या मैंने कभी तुम्हे दूसरों से चुदवाने  से मना किया? मैंने हमेशा तुम्हरो ख़ुशी देखी. मुझे  पता है मेरा लण्ड छोटा है.. दस साल के बच्चे जैसे ..इसलिए तुम्हे बहुत सारे बड़े लण्ड से चुदवाने की  ख़ुशी दी.. .मुझे  मायूसी हुई की तुम ने मुझसे छुपाया. क्या तुम्हे अभी भी मेरे प्यार पर संदेह हैं? मुझ पर यकीन नहीं हैं?
मैं स्तब्ध रह गयी.. यहाँ पारा उल्टा  घूम गया था. मेरी आँखों से आंसू बहने लगे..मैंने मेरा मुँह अनीश की चौड़ी छाती में छुपा दिया.
मैंने कहा - अनीश मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ.. बस इस गर्भा - अवस्था के कारन मेरे मूड स्विंग्स  होते है..इसी का फायदा धर्मेश अंकल ने लिया  मैं अब आपसे कुछ नहीं छुपाउंगी.. और मैंने  अनीश को सारी बातें बता दी.
फिर मैने अनीश से कहा - अनीश मुझे माफ़ कर दो..मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ..प्लीज मुज़से नाराज मत होना.
अनीश ने कहा - नहीं मेरी रानी मैं तुमसे कभी नाराज नहीं रहूँगा..तुम तो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली हो.इसलिए तुम खुश रहा करो. और जी भर कर सेक्स  का मजा लो. धर्मेश अंकल मेरे मौसा है.. अगर उनको हम ख़ुशी दे सकते हैं तो क्यों नहीं ? हम यह नाटक जारी रखेंगे.. कल मैं  तुम्हे अपने हातों से दुल्हन जैसे सजाऊंगा..और धर्मेश अंकल से  चुदवा दूंगा..    ..उनको जो करना है, सोचना है करें..हम उनका सात देंगे ताकि वह खुश रहे. ठीक है संध्या ?
मैंने कहा - ठीक है अनीश, जैसे आप कहो वैसे करेंगे. ..मैं उनको नहीं बताउंगी की तुम्हे सब पहले से पता था. 
मैंने प्यार से अनीश के ओंठ अपने ओंठों से लगाए और उसको चूमने लगी.
मैंने कहा - अनीश तुम कितने अच्छे हो..सबका ख्याल रखते हो..मैं कितनी लकी हूँ..मुझे आप जैसे पति मिला.. मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ और अब आप से कुछ नहीं छुपाउंगी.
अनीश.. हाँ सपना..मुझ से  कुछ नहीं छुपाना..जो भी करेंगे अब हम सात में करेंगे.. और दोनों मिलकर सेक्स का मजा लेंगे..
अनीश ने मुझे अपने शरीर के ऊपर उठा लिया..मैंने भी अपनी टांगे उनकी कमर के बाजू फैला दी..अनीश ने धीरे से अपन मोटा लण्ड मेरी चुत में डाल दिया..और धीरे धीरे मुझे चोदने लगा .. बहुत देर धीरे धीरे चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए..मैं वैसे ही  उसकी बाँहों में उसको पकड़कर  नंगी सो गयी.. 

सुबह  जब  हम उठकर नाश्ता करने गये तो धर्मेश अंकल डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और यासीन उन्हें परोस रहा था. मेरा पैर अब ठीक था और मैं थोड़ा चल सकती थी. मैंने धर्मेश अंकल ने दिया हुआ लाल गाउन पहना था, जो गले से बहुत निचे अकार मे्रे आधे बूब्स दिखाता था और निचे मेरी खुली जांघें भी दिखती थी. हमने दोनों ने धर्मेश अंकल को कहा - गुड मॉनिंग अंकल !
वैसे धर्मेश अंकल ने कहा - ऐसे नहीं अनीश..कल मैंने समझाया था न ..वैसे.. 
वैसे अनीश ने उनको झुक कर पैर छू लिए .. धर्मेश अंकल ने अनीश के सर पर हात रखा..और उसका नाक और ओंठ अपने पैरों पर रगड़ दिए और मेरी तरफ देखकर  एक आँख मारकर मुस्कुरा दिये.  अनीश भांप गया पर मेरी तरफ देखकर वो भी मुस्करा दिया. अनीश धर्मेश अंकल की खुशियों के लिये सब जानकार अनजान बन रहा था. मुझे अपने पति के प्रति अब ओर ज्यादा भरोसा और प्यार बढ़ गया था. 
धर्मेश अंकल ने कहा - सुनो अनीश में  तेरी मौसी की मदत के लिये घर जा रहा हूँ.. लगता है उसको कुछ दिन और वहा रुकना पड़े.. घर की मरम्मत का काम बढ़ गया है.. मैं रात को वापस आऊंगा.. तुम सब तैयारी करके रखना ..
कुछ देर बाद अनीश और धर्मेश अंकल  दोनों घर से चले गये.. वैसे डॉ. खन्ना दरवाजे पर खड़े थे. आज वो सिर्फ एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर आये थे. 
डॉ. खन्ना - कैसी हो संध्या..अब पैर ठीक है ? .मैं यहाँ पास में जिम में आया था , सोचा तुम्हे देखता चलू.
मैने कहा - आइये डॉ. साहब. बहुत अच्छा किया.. आप आ गये.. आप रोज जिम जाते हो ? इसलिए आपकी बॉडी इस उम्र में इतनी फिट है.
डॉ. खन्ना हंस दिये.. हाँ  संध्या, मैं रोज जिम जाता हूँ.. और सिर्फ बॉडी नहीं, मेरा साब कुछ एकदम कड़क और फिट है.. 
और मुस्कुरा दिये. मैं शर्मा गयी. उनके कहने का मतलब मैं समझ गयी थी. तभी वहा यासीन पानी लेकर आया.
यासीन - यह लो डॉक्टर साहब. अब तो मैडम चल पा रही है..आपकी दवा का असर है.
डॉक्टर - चलो अच्छा है.. घर पर कोई नहीं हैं ? फिर तो तुम्हे यही पर चेक कर लू..
यासीन -हा डॉक्टर साहब..मैं कुछ मदत करू ? मैं रोज मैडम  के पैर को मसाज देता हूँ.
डॉ. खन्ना - हा यासीन तुमने तो बहुत अच्छी मसाज कर दी..पैर की पूरी सूजन कम हो गयी..संध्या अब तुम आराम से पीठ पर सो जाओ और रिलैक्स रहो..संध्या..तुम अपना गाउन भी ऊपर कर दो..कमर के  ऊपर.
मैंने अपना गाउन कमर के ऊपर कर दिया.. वैसे डॉ. खन्ना और यासीन को मेरी खुली चिकनी चुत दिख गयी.. मैंने पैंटी नहीं पहनी थी.
डॉ. खन्ना . - यासीन यहाँ आकर संध्या के पैर मोड़ कर उसकी छाती से लगा लो और अपने दोनों हातों से पकड़ लो.
यासीन ने मे्रे पैर पकड़ के मोड़ लिये..वैसे मेरी चुत एकदम खुलकर सामने आ गयी.
डॉ. खन्ना  - संध्या तुम हमेशा अपने बाल शेव करती हो? अच्छी बात है..इससे इन्फेक्शन नहीं होगा और तुम्हारी चुत साफ़ सुथरी रहेगी.
मैं शर्मा गयी.. डॉ, खन्ना अब बिना ग्लव्स के अपने नंगे हातों से मेरी चुत को छू कर टटोल रहे थे.
मैंने कहा - हाँ डॉक्टर खन्ना ,  मैं हमेशा शेव रखती हूँ.
डॉ. शर्मा - बहुत अच्छा.. इसलिए तुम्हारी चुत इतनी सुन्दर और चिकनी है.. पर यहाँ तुम्हारे चुत के ओंठों  के पास कुछ छोटे छोटे बाल अभी भी है..तुम्हे शायद दिखे नहीं होंगे..
मैंने कहा - हाँ मैं खुद शेव करती हूँ..दिखे नहीं होंगे..
डॉ. खाना ..मेरे चुत के हर कोने को छूकर देख रहे था. . कही कोई बाल है या नहीं .. अब डॉ.खन्ना ने मेरी चुत में उनकी ऊँगली डाल दी..चुत के दीवारों पर अंदर से ऊँगली घुमा रहे थे.. मेरी चुत से पाणी निकल रहा था..और अंदर से बहुत चिकनी और पणीदार हो गयी थी. मैंने देखा की डॉ. खन्ना की शॉर्ट्स  में तम्बू बन गया था.. उनकी शॉर्ट्स की लेग साइड से उनका मोटा लण्ड बहार निकलने की कोशिश कर रहा था. यासीन की लुंगी मैं भी बड़ा तम्बू था.
डॉ. खन्ना - तुम ऐसे करो संध्या.. यासीन से अपनी चुत शेव करवा लो..यह अच्छी से देख कर तुम्हारी चुत के पुरे बाल शेव करके निकाल देगा.
यासीन - हा मैडम..यही अच्छा होगा.. में आपको आज जब मसाज दूंगा तब आपकी चुत भी शेव कर दूंगा. एक बाल भी नहीं रखूँगा.. 
मैं शर्मा गयी.. मैंने देखा ..डॉ. खन्ना अब मे्रे बिलकुल पास खड़े थे..और मेरी चुत में अब दूसरीं ऊँगली डाल दी थी.. दूसरी बाजु से यासीन ने मे्रे दोनों पैर पकड़े थे..दोनों की कमर मे्रे मुँह के सामने थी और उनके लण्ड के तम्बू मुझे साफ़ दिख रहे थे और ललचा रहे थे.
डॉ. खन्ना - संध्या तुमने अपनी स्तन की चेक-उप कब किया था .. ? 
मैंने कहा - डॉ. साहब ६ महीने हो गये होंगे..
डॉ. खन्ना..ठीक हैं मैं वह चेक उप भी कर लेता हूँ..
डॉ. खन्ना की दो ऊँगली मेरी चुत में  थी , दूसरे हातों से उन्होंने मे्रे गाउन को और ऊपर उठा लिया..अब मे्रे बूब्स उनके सामने नंगे थे..बूब्स चेक उप करने के बहाने..वो  मे्रे स्तन  को रगड़ने लगे.. मेरे निप्पल्स को दबाकर मरोड़ने लगे.. 
मैं..उम् .. आह कर रही थी.. मेरा शरीर अब उत्तेजना की परम सिमा पर था..डॉ. खन्ना की शॉर्ट्स अब मेरे मुँह के सामने थी..उनकी राइट साइड की शॉर्ट्स की लेग से उनके लण्ड का बहुत मोटा और गोल गोल टेनिस बॉल जैसे काला सूपड़ा बहार आ गया और उसकी छेद से चिप-चिपि उनकी प्रेकम की बून्द की धार टपक रही थी..डॉ. खन्ना लगातार मेरी चुत को अपने दोनों उँगलियों से मसल रहे थे और मेरे बूब्स को रगड़ रहे थे. मैं खुद को रोक नहीं पायी.. मैं अपने होतों के बल थोड़ा ऊपर उठ गयी .. वैसे उनके लण्ड का सूपड़ा मेरे ओंठों से रगड़ गया.. मैंने उसको मुँह में लिया .. और आह..उफ़...कर के जोर से उनके उँगलियों पर झड़ने लगी..मैं  मेरी गांड उचका उचका कर उनकी उँगलियों को मेरे चुत से दबा कर चोदने लगी..और उनके लण्ड को जोर से चूसने लगी.. तभी डॉ.खन्ना भी उत्तेजना के कारण .. उम्..आह.. करके आंहे भरने लगे . उनका लण्ड जोर जोर से झटके मारकर मेरे मुँह में पिचकारी उड़ाने लगा.. मैंने उनका सारा माल निगलने की कोशिह  की..पर फिर भी कुछ वीर्य ओंठों से बहार आकर वहा लग गया..
झड़ने के बाद डॉ. खन्ना तुरंत संभल गये और मैं भी.
डॉ. खन्ना  - संध्या सब ठीक हैं..तुम एकदम परफेक्ट हो..मैं कल फिर आऊंगा..तुम्हारा पूरा चेक उप करूँगा 
और मुस्कुराने लगे.. मैं शर्मा गयी.. यासीन ऑंखें फाड़कर देख रहा था.. उसका लुंड लुंगी के अंदर उछाल उछाल कर नंगा नाच कर रहा था.. उसको दिलासा देने के लिये डॉ. खन्ना ने कहा - यासीन तुम मैडम को आज अच्छी से मसाज से दो और इनकी झाटें भी अच्छी से शेव  कर  दो..कल मुझे एक भी बाल दिखना नहीं चाहिए.
यासीन खुश हो गया - हाँ डॉक्टर साब . एकदम अच्छी से शेव करूँगा . एक भी बाल नहीं दिखेगा आप को..मैडम की चुत एकदम साफ़ सुन्दर और चिकनी दिखेंगी. 
डॉ. के जाने के बाद यासीन किचन में चला गया और तेल गरम कर के लाया ..
यासीन - मैडम पहले आपकी चुत अच्छी से शेव कर देता हूँ.. और भी तेल से मालिश कर के नहला दूंगा.. ठीक है..मुझे सिर्फ आप आपका शेविंग का सामान कहा रखा है बता दो..
मैंने उसको बताया शेविंग किट कहा हैं, वैसे वो ले कर आया ..और मेरे पैरों से लेकर जांघों तक अच्छी से शेव करने लगा..उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और मेरे पैर ऊपर सोफे के किनारे, घुटने से मोड़कर रखने कहा ..अब मेरी खुली चुत एकदम उसके सामने थी..उसने मेरी चुत पर शेविंग फोम लगाया और धीरे से शेव करने लगा.. उसने मेरी चुत के ओंठ उँगलियों से पकड़कर ..ऊपर निचे  और साइड में दबाये -- और हर एक बाल शेव किआ..उसके ऐसे छूने से मेरी चुत फिर से गिल्ली हो गयी..और लगातार पाणी की गंगा बहा रही थी. तभी यासीन ने मेरी चुत का दाना पकड़ लिया और उसके आजु बाजू शेव करने लगा..मेरे शरीर में करंट लग गया.. पर वो  बड़े प्यार से शेविंग कर रहा था.. फिर उसने गरम पाणी लेकर  स्पंज से मेरी चुत साफ़ धो डाली.. और एक मिरर लेकर आया और मुझे आईने में अपनी साफ़ चुत दिखाई..सच में बहुत अच्छा शेव किया था.. 
यासीन ने कहा - ठीक है मैडम , अब में आपकी मालिश कर देता हूँ.. मैडम यह गाउन नया है..महंगा है..इसको तेल के धब्बे लग जायेंगे..इसको निकल देते है..
मेरे बिना किसी उत्तर का इंतजार कर के..यासीन ने मेरा गाउन निकाल डाला ..अब में उसके सामने पूरी नंगी थी. 
मैंने कहा - अरे रुको यासीन ..गाउन पहना दो..मुझे शर्म आती है
यासीन - अरे मैडम इसमें शर्म कैसे ..मसाज तो पूरा नंगा लेने मैं ही मजा है. आपको शर्म न लगे इसलिए देखो में भी अपने कपडे उतार देता हूँ
यासीन ने उसकी टी शर्ट निकाली..उसका गोरा गठीला बदन ..काले बालों के जंगल से भरा था..बहुत सुन्दर था..और उस काले बालों के बिच उसकी लाल - गोरी बड़ी निप्पल्स.. कोई भी औरत सम्मोहित हो जाती . फिर उसने अपनी लुंगी निकाल कर बाजु फेक दी.. उसका गोरा १२ इंच का बड़ा लण्ड फुफकार रहा था..उसका लण्ड कटा हुआ था और आगे से उसके लण्ड का सूपड़ा नोकदार था ..डॉ. खन्ना जैसे गोल लॉलीपॉप का सूपड़ा नहीं था. मैंने सोचा ऐसे नोकदार लण्ड आसानी से चुत में चले जाते होंगे. जबकि डॉ खन्ना जैसे बड़े गोल सुपडे लण्ड चुत के प्रवेश द्वार तक काफी देर फंस जाते और फिर पूरी चुत अंदर तक खोल कर प्रवेश करते है..बहुत दर्द होता है पर मजा भी उतना ही आता है. आह  ! हे भगवन यह में क्या सोच रही हूँ.. डॉ. खन्ना  और यासीन से चुदवाने के बारे में .. क्या मैं सच में दोनों से चुदवा ना चाहती हूँ ? फिर क्यों ऐसे सोच रही थी.
यासीन  के गोरे लण्ड के आजु बाजु काले काले बालों से भरा झाटों का जंगल था..उसकी  गोरी गोरी जांघें और पैर सब काले बालों से ढकी  थी..वो झट से आकर मेरे पैरों के पास बैठ गया..और मेरे दोनों पैर अपनी गोदी में लिये , और मेरे पैरों पर तेल लगाने लगा..मेरे पैरों के तलवो पर उसका गरम मोटे लण्ड का अहसास  महसूस हो रहा था..कई बार वो मेरे पैरों से उसका फनफनाता कश्मीरी लण्ड रगड़ देता..वो बहुत ढीठ हो गया था..डॉक्टर खन्ना ने उसको प्रोत्साहन / बढ़ावा  दे दिया था. मैं  भी डॉक्टर खन्ना के सात घटी घटना से शर्म के कारण खुद को दोषी समझ रही थी और यासीन से कुछ कह नहीं पा रही थी. यासीन शायद मेरी यह अवस्था समझ गया था और उसका फायदा ले रहा था..वो अभी बहुत निडर और बेशरम बन कर नंगा बैठा था और..मेरे पैर से लेकर ऊपर चुत तक तेल लगाकर मालिश कर रहा था. यासीन  का लण्ड बहुत बड़ा और मोटा था..और लगातार फुफकार मार रहा था..
यासीन  - मैडम मेरे पास कश्मीरी गुलाब का पाणी है .. अगर उससे चुत की मसाज की तो चुत एकदम गुलाब के फूल जैसे दिन भर महकती है.. मैं लगा देता हूँ..साहब  बहुत खुश हो जायेंगे.
यासीन गुलाब पानी से मेरी चुत को रगड़ने लगा..सच मैं बहुत अच्छी खुशबु थी..मेरी चुत को बहुत ठंडक मिल रही थी..उसने मेरी चुत की अंदर की दिवार को भी गुलाब पाणी से धो दिया.. 
यासीन - आह ! मैडम कितनी अच्छी खुश्बू है..आपकी चुत भी कितनी सुन्दर है..गुलाब के फूल से ज्यादा सुन्दर 
यासीन अपनी नाक मेरी चुत के पास लेकर सूंघने लगा .. उसकी गरम सांसे मेरी चुत को महसूस हो रही थी. .उसने उसकी नाक मेरी चुत से लगा दी..आह...क्या मस्त खुशबु है..और उसकी बड़ी लम्बी जीभ मेरी चुत के ओंठों पर फिरने लगी..
अब उसके लाल ओंठ ..मेरी चुत के ओंठो पर थे और चुम्बन ले रहे थे.. मैंने उसका सर मेरी चुत पर दबा दिया..
पर तभी में संभल गयी.. हाय मैं  क्या कर रही..! 
मैंने कहा - क्या कर रहे हो यासीन..रुको...चलो जाओ ..
मैंने उसको दूर धकेल दिया..
वैसे यासीन फिर से मेरे पास आया..प्लीज मैडम ..सिर्फ एक बार..आपको चुदना चाहता हूँ..देखो ना मेरा लण्ड कैसे फनफना रहा है..आपको चोदने को पहले दिन से बेताब है..जिस दिन से आपको देखा.
मैंने कहा - चल बस..बकबक मत कर..मेरा गाउन दे..मैं शादीशुदा हूँ..तुझे शर्म नहीं आती..
यासीन - मैडम प्लीज..मैं आपको चाहता हूँ..बस एकबार मेरा लण्ड आपकी चुत मैं डालने दो..एक बार अंदर डाल कर फिर से वापस बहार निकाल लूंगा..और मुझे पता हैं..आपने अभी डॉक्टर साब का लण्ड कैसे चूसा.. और आप धर्मेश साब से भी कैसे चुदती..मैंने सब देखा है मैडम..प्लीज..
मैं अब भांप गयी..मैंने गुस्से से कहा - चल जा...बहस मत कर,,नहीं तो नौकरी से निकाल दूंगी..सबको बता दूंगी..
यासीन मेरे पास आकर बैठ गया.. उसके आँखों मैं अब आंसू थे.. - ठीक हैं मैडम ..में गरीब हूँ न..निकाल दो मुझे नौकरी से.. धर्मेश और डॉक्टर साब आमिर और पढ़े लिखे है.. मैं क्या अनपढ़ गंवार..आपके लायक नहीं हूँ..
मैंने कहा - अरे यासीन आप रो मात .. यह बात नहीं है..अब तेरी उम्र भी मुश्किल से १८ साल की होंगी.. गरीब - आमिर की बात नहीं है 
यासीन  - रहने दो मैडम..मुझे सब पता है..मुझे माफ़ कर दो..मैंने आप का दिल दुखाया..
यासीन फुट फूटकर रोने लगा.. मैंने यासीन  के आंखें पोछ लिये ..
मैंने कहा - अरे यासीन फिरोज ऐसे रोते नहीं..सच में .. मैंने कभी तुमको गरीब नहीं समजा..मुझे तो तुम बहुत अच्छे लगते हो..तुमने मेरा पैर भी ठीक कर दिया..
मैंने यासीन को गले लगा लिया..वह अभी भी रोये जा रहा था..उसका मुँह अब मेरे दोनों बूब्स के बिच था..हम दोनों अभी भी पुरे नंगे थे. और वह रो रहा था..मैं उसके सर पर हात फेर को उसको समजा रही थी..इसके कारण उसका सर हिल रहा था और उसका चेहरा मेरे दोनों बूब्स के बिच रगड़ रहा था..मैं उसको समजा रही थी..वो रोये जा रहा था.. मैं उसके रोने से पसीज गयी और उसके चेहरे को कही बार चुम लिया..उसको समझाते रही और जब मुझे खुद का ध्यान आया तो पाया की यासीन मेरा एक निप्पल मुँह मैं लेकर चूस रहा है और उसके हात की एक ऊँगली मेरी चुत को अंदर से मसाज कर रही थी.
मैंने सोचा..इतना ठीक है..उसको फिर समजा दूंगी..बच्चा है मान जायेगा..
वह सच में छोटे बच्चे जैसे मेरे मम्मे चूसने लगा..मेरे बदन में एक लहार से आ गयी.. मैं मस्ती में ..आह...उफ़ ..करने लगी..वैसे यासीन ने मेरे ओंठों पर उसके लाल ओंठ रख दिये और उसकी लम्बी मोटी जीभ मेरे मुँह में ड़ाल दी..
उम्.. आह..यासीन  फिरोज...अब तो मैं यासीन के रंग में रंग रही थी..जैसे यासीन ने उसके ओंठ पीछे किये..मैं उसकी नीली आँखों में डूब गयी..मैंने महसूस किया के मेरे दोनों हात उसके १२ इंच के गोरे नोकदार लण्ड को सहला रहे थे.. 
और मेरी चुत सारी शर्म और हया छोड़कर बड़ी बेशर्मी से निर्लज्जता के सात लगातार पाणी बहाकर उसके लण्ड को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करने को आमंत्रित कर रही थी. उफ़..क्या यह इतना मोटा  और बड़ा लण्ड मेरी गुफा ले पायेगी..मैं होश में आयी..
मैंने कहा - यासीन प्लीज..अब बस..ठीक है.. देखो में गर्भवती हूँ..मेरे सेहत के लिये इतने बड़े लण्ड से चुदना रिस्की है..इसलिए मैं सिर्फ अनीश के लण्ड  से चुदवाती हूँ..तुमने तो देखा की अनीश का बेबी लण्ड कितना छोटा है..बच्चों जैसे..
यासीन ने कहा - हाँ मैडम .. सच में साहब का लण्ड तो बहुत छोटा है..मैं १० साल का था तब भी मेरा लण्ड उनसे बड़ा था..मैडम..बस आज आप इसको चूस लो..जैसे डॉक्टर साब का लण्ड चूसा था ..
मैं मना नहीं कर पायी.. यासीन सोफे के सामने मेरे मुँह के पास खड़ा हो गया.. मैंने प्यार से दोनों हातों से उसका नोकदार लण्ड पकड़ लिया.. उसका लण्ड बहुत खूबसूरत था..आगे से एकदम लाल..और कटा हुआ था..जैसे छीला हो..मैंने धीरे से उसके लण्ड के टोपे पर जीभ फेरा दी..वैसे यासीन - आह..मैडम.. उफ़..
मैंने धीरे से उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया..और उसकी बड़ी बड़ी बालों वाली गोटिया दूसरे हात से पकड़ ली..  सेक्स का इतना तजुर्बा था मुझे..अब बड़े बड़े महारथी लण्ड को चूसकर मुरझाने में मुझे देर नहीं लगती थी. यासीन तो फिर भी बच्चा था. मैंने फिर धीरे से उसका लण्ड आधे से ज्यादा..गले तक ले लिया..वो सकपका गया.. आह मैडम ..लगता है आप मेरा पूरा लण्ड मुँह में ले लेगी..आजतक कोई मेरा पूरा लण्ड मुँह के अंदर नहीं ले पाया.
मैं सोचने लगी..पता नहीं कितने लोगों ने इसका लण्ड चूसा..पर मैं अपने काम में लग गयी..मैंने अंदर बहार कर के ..ज्यादा से ज्यादा उसका पूरा लण्ड मेरे मुँह में लेना चालु रखा और दूसरे हात से  उसके गोरे गोरे झाटों वाले टट्टे सहलाने लगी. 
फिर मैंने के लम्बी गहरी सास ली ..और यासीन का पूरा लण्ड गले तक लेने लगी.. और मैं कामयाब हो गयी.. मेरी नाक अब यासीन के झांटों में थी..काले बालों के जंगल मैं मुझे गुलाब की खुशबु आ रही थी..कमीने ने गुलाब पानी झाटों पर भी लगा रखा था..पूरी तैयारी के सात आया था.. 
जैसे मैंने उसका पूरा लण्ड निगल लिया..और उसकी गोटिया रगड़  दी..वैसे उसका शरीर झटके देना लगा..उसक गोरा लण्ड फुफकार कर मेरे गले में पिचकारी उड़ाने लगा..
यासीन - उम्....आह..मैडम..मेरा पानी निकल गया..ओह मैडम ! इतना अच्छा आजतक कोई मेरा लण्ड नहीं चूसा..
मैंने उसका सारा पाणी निगल लिया..बहुत देर तक झटके मार कर भी फिरोज का लण्ड कड़क था.. सख्त था.. मैंने धीरे से उसका लण्ड मुँह के बहार निकाला. 
यासीन बोला - देखो मैडम..मेरा लण्ड कितना कमीना है..अभी भी सख्त है..लगता है आपकी चुत की गुफा के अंदर नहाकर ही यह शांत होगा.
मैंने हंस दिया . सच मैं उसका लण्ड अभी भी फिर से फुफकार रहा था.. मेरा मन किया उसको अपनी चुत में प्रवेश दे दू.. पर बड़ी मुश्किल से मैंने खुद पर संयम रखा. मैंने कहा - अभी नहीं यासीन .फिर कभी.. अभी में थक गयी..अभी में नहाने जाउंगी.
यासीन ने कहा. मैडम मैं  नहला  देता हूँ..
मैंने मना किया - नहीं अब में थोड़ा चल सकती हूँ..दर्द  भी नहीं है..खुद नहा लुंगी..
यासीन का चेहरा मायूस हो गया..उसको लगा मैंने जानबूझ कर मना किया .. पर सच तो यह था की उसके सात में ज्यादा देर तक नंगी रहकर खुद पर का नियंत्रण खो बैठती और उसके कमीने लण्ड से  शायद चुदवा लेती..इसी डर की वजह से मैंने उसको मना किया.
नहाने के बाद मैंने मोबाइल पर मेसेजेस चेक किये. धर्मेश अंकल ने एक ग्रुप बनाया था..मेरा, अनीश और खुद का.. नाम था - अनीश - माय कुक ! उसमे उन्होंने मेसेज डाला था.
धर्मेश अंकल का मेसेज - संध्या मैंने अनीश को समझाया है आज रात को क्या करना है..तुम उसकी सब बात मान लो.. और तुम्हारा नीला रंग का गाउन उसे दे देना. आज जल्दी खाना खा लो. - आठ बजे.. .मैं घर से खाना खाकर आऊंगा.. नौ बजे रात को तुम दोनों जैसे बताया तैयार होना. मैं नौ बजे तुम्हारे कमरे में आऊंगा और आगे के निर्देश दूंगा.. 
अब मैं  ख़ुशी से उत्तेजित हो गयी.. मैंने यासीन से कहा..आज जल्दी खाना बना ले..आठ बजे...खाना खाएंगे ..और मैं घडी देखकर बेसब्री से अनीश के आने का इंतजार करने लगी.
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wah mast Update.
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(05-07-2023, 06:32 PM)Bhikhumumbai Wrote: wah mast Update.

welcome thanks yourock
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Kaha gayab ho gaye ho all are waiting
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(07-07-2023, 06:27 AM)Prash2019 Wrote: Kaha gayab ho gaye ho all are waiting

Sure..shall update soon
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Or update do.. Achchi story h
Meri Zindagi Ke Kuch Sachche or Kuch Masale ke sath Qisse..

Meri Zindagi Ki Dastan
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https://xossipy.com/thread-58545.html



This is the most slow step by step detail by and long seductive cuckold and interfaith based story on internet...have a look
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Nice story
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(03-10-2022, 05:10 PM)Bhikhumumbai Wrote: Story achchhi he. lekin hiroin pyar se sab se chudva rhi he. ,monotonas Hoti ja rhi he. Khuchh nkhra kuchh jabrdasti kuchh situation jis se majboor hoke jabardasti chudwana pade create kro to bahut maja aayega.
Sahi kaha nakhre karne par orat ki chudai or sandar hoti hai.. or savita bilkul eshe hi chudai karati hai ... Chudti bhi hai or sanskari v pativrata
Bhi banti hai
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Continue kare yaha story?
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(08-11-2024, 07:43 PM)luvnaked12 Wrote: Continue kare yaha story?

नेकी ओर पूछ पूछ।।।
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मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३७  - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part ३) 


शाम को अनीश जल्दी घर आये. हम दोनों ने जल्दी खाना खा लिया और अपने बैडरूम चले गए. अनीश ने कुछ सामान  लाया था. उसने मुझे तैयार होने को कहा.. और खुद भी तैयार होने चले गए.

सब तैयारी करके मैं घुंगट पहन के बिस्तर पर बैठ गयी. तभी दरवाजे की घंटी बजी .  अनीश बहार कमरे में धर्मेश अंकल का इंतजार कर रहे थे. यासीन को  छुट्टी दे दी थी. मैंने आवाज सुनी, अनीश की.. आइये अंकल .. प्लीज..में  बहुत उत्तेजित हो रही थी..यह सब सोचकर  की आज क्या होगा. मेरा पति जिसे मैं सच्चा प्यार करती हूँ वो आज क्या करेगा. उनको पसंद आएगा न या उनका दिल टूट जायेगा ? तभी हमारे बैडरूम के बहार आवाज आयी - अनीश तुम रुको बहार, जब बुलाऊ तब आना.तभी बैडरूम का का दरवाजा खुला ..मैंने घुंगट ओढ़ा था . मुझे धर्मेश अंकल की आवाज आयी.. आह ! मेरी सुन्दर दुल्हन...आज मेरे मन  की मुराद पूरी होगी. वह प्यार से मेरे पास बैठे और मेरा घुंगट उठा दिया . धर्मेश अंकल किसी दूल्हे जैसे सजे थे..उन्होंने शेरवानी पहनी थी. किसी राजा जैसे चमक रहे थे. सारे बैडरूम को अनीश ने चमेली , मोगरा के फूलों के हार से सजाया था. बहुत अच्छी खुशबु आ रही थी फूलों से .. पुरे बिस्तर पर सफ़ेद रंग की मखमली बेडशीट थी और उसपर लाल  रंग के गुलाब के फुल और पंखुड़ियों से सजाया था. में किसी दुल्हन की तरह सजी थी. लाल रंग की साडी और ओढ़नी पहनी थी. हरे रंग की चुडिया और बालों में गजरा लगाया था...हाथों पर मेहंदी थी. पेट से होने की वजह से में अधिक सुन्दर, गदरायी और मांसल लग रही थी.

धर्मेश अंकल ने मेरा चेहरा दोनों हाथों  में लिया और अपने ओंठ मेरे ओंठों से लगा दिया..बहुत प्यार से धीरे से वो मुझे चूमने लगे.. मेरे ओंठों को धीरे से काट दिया ..आह.....उम्..करके में सिसकियाँ लेने लगी. उन्होंने उनकी जीभ मेरे मुँह में डाल दी ..वैसे मैंने  उनके जीभ को चूसना शुरू किया..जैसे में उनके लुंड को चूसती हूँ वैसे..बहुत देर तक हम एक दूसरे को चूमते रहे जैसे की सच में हमारी सुहाग रात हो.. तभी वो मेरे से दूर होकर साइड मैं बैठ गए और आवाज दी..अनीश आ जा बेटे.. दरवाजा खुला और अनीश अंदर आया .. में उसको देखकर चौंक गयी. अनीश ने मेरा नीले रंग का सिंगल पीस ड्रेस पहना  था .जो उसको बहुत टाइट हो रहा था. ड्रेस से उसके निप्पल्स और चौड़ी छाती सुन्दर लग रही थी. ड्रेस सिर्फ जांघों तक लम्बा था.. उसकी सुडौल जांघें भी मस्त दिख रही थी . वो किसी ग्रीक सैनिक या  आयरिश सैनिक जैसे बहुत सुन्दर और हॉट लग रहा था .. मुझे अनीश पर बहुत प्यार आ रहा था .. मेरा शौहर नीले ड्रेस मैं कोई स्वर्ग का गन्धर्व या देवता लग रहा था. मेरे ऑंखें उनसे हिल नहीं रही थी. उनको देखकर ही मेरी चूत ललचा रही थी हवस से लार टपका रही थी .. मेरी पैंटी गीली हो रही थी.

अनीश चाचा के पास आकर खड़ा हो गया और - प्रणाम चाचा करके उनके पैरों पर गिर गया ..वह उनके पैरो को किस करने लगा .. जैसे अनीश धर्मेश चाचा के पैरों पर झुका ..पीछे से उसका ड्रेस जांघों से फिसलता ऊपर गांड तक आ गया . उह .. यह क्या ..उसने अंडरवियर नहीं पहनी थी. ड्रेस के अंदर वो पूरा नंगा था. धर्मेश चाचा ने ..खुश रहो ..ऐसा आशीर्वाद दिया और उनका एक हाथ  अनीश के सर पर और दूसरा हाथ अनीश के खुली गांड पर फेरने लगे. वैसे अनीश किसी कुत्ते जैसे अपनी गांड पीछे हिला हिला कर उनके हाथ पर रगड़ने लगा . 

धर्मेश  चाचा : अनीश बोलो बेटे आज की रात क्या है? 
अनीश : चाचा  आज की रात आपकी और मेरी बीवी संध्या की सुहाग रात है.
धर्मेश चाचा अभी भी अनीश की खुली गांड पर हाथ फेर रहे थे और अनीश वैसे ही उनके पैरों पर वफादार कुत्ते जैसे बैठा था और खुश हो रहा था.
धर्मेश चाचा: तुम यही चाहते हो ना , यही तेरी मर्जी है ना ?
अनीश: हाँ चाचा .. यही मेरी मर्जी है.
धर्मेश चाचा: अब यही सब तुम अपनी बीवी संध्या को बताओ.
धर्मेश चाचा अब सनीश की गांड को दबा रहे थे और एक ऊँगली से उसकी  गांड की छेद को सहला रहे थे, जैसे कोई चूत सहला रहे हो. 
अनीश: संध्या मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ..  पर मेरा लंड  बहुत छोटा है..१० साल के बच्चे जैसे... तुम इतनी खूबसूरत हो. मैं चाहता हूँ तुम्हे किसी अच्छे मर्दाने और जोशीले लंड का आनद उठाओ ..हमेशा के लिए .. इसलिए मैंने चाचा से मिन्नतें की को वो तुम्हे पत्नी बना कर सुहाग रात मनाये और जब भी उनका मन करे तुम्हारी चुदाई करे. आज की सुहाग रात पर मैं चाचा को पूरी मदत करूँगा और तुम भी सहयोग देना.
मैंने झूठे गुस्से से कहा : यह क्या अनीश . आप ऐसे कैसे कर सकते ..आप मेरे पति है.. मुझे लगा यह सब आप हम दोनों के लिए कर रहे.. मैं ऐसा पाप नहीं करुँगी.
धर्मेश अंकल : चुप रंडी ! नाटक मत कर ! अनीश यह सब तेरी गलती है ! तूने बहु को ठीक से समझाया नहीं.
फिर धर्मेश  अंकल ने गुस्से में अनीश की गांड पर अपने हाथों से एक जोरदार चमाटा लगाया .. 
वैसे अनीश ..आह अंकल  !..प्लीज दार्द होता है...में समझाता हूँ संध्या को !
पर धर्मेश अंकल  गुस्से में थे ..उन्होने अनीश की गांड पर एक के बाद एक ऐसे ५-६ चांटे जड़ दिये. अनीश आह आह करता रह गया .. मैंने देखा की अनीश की ददोड़ जैसे गोरी गांड पर धर्मेश अंकल के पंजो के लाल निशान उभर गए और अनीश की आँखों में पानी आ गया था. मुझे अनीश पर तरस और प्यार आ रहा था.
अनीश : संध्या प्लीज मान जाओ ना ! 
मैं चुप रही.. तभी धर्मेश अंकल ने फिर से गुस्से में अनीश की गांड पर चांटे लगाए और उसकी गांड की छेद में  जोर से ऊँगली अंदर डाल दी..अनीश छटपटाने लगा.
अनीश : आह...मर गया ...मुझे माफ़ करो अंकल .. प्लीज बहुत दर्द हो रहा ..!
मैंने कहा : अंकल प्लीज मेरे अनीश को छोड़ दो ..आप जैसे कहेंगे सब वैसे होगा..उसको प्लीज मारो मत .
धर्मेश अंकल: ओके ..! पर आज जैसे अनीश कहेगा वैसे सब होगा.. अनीश क्या करना है पता है ना ? तुझे सब समझाया था..भूल नहीं गया ना !
धर्मेश अंकल ने जोर से उनकी ऊँगली अनीश की गांड की छेद से बहार  निकाली..वैसे अनीश चीख उठा ..आह..उह माँ... !
अनीश उठा और ड्रावर में राखी एक छोटी डीबी लेकर आया और धर्मेश अंकल की हाथ में दिया ..
अनीश : धर्मेश अंकल यह सिंदूर संध्या की मांग में भरकर उसको अपना लो. 
मैं हैरान हो गयी. धर्मेश अंकल ने एक चुटकी  सिंदूर मेरी मांग में भर दिया .. मुझे   अपने आप हुरहुरी होने लगी.. मैं उठ गयी और अपने नए और दूसरे पति धर्मेश अंकल के पाँव छू लिए . फिर मैंने अपने पति अनीश से भी आशीर्वाद ले लिए. जैसे में अनीश के पाँव  छूने  निचे झुकी, मैंने देखा अनीश का लोअर ड्रेस बिलकुल ऊपर कमर तक आ गया है और वोः पूरा नंगा खड़ा था. पर उसका लंड  फुफकार रहा था, बहुत कड़क हो गया था..और उसके लंड  के टोपे की छेद से प्रेकम की बूंदे टपक रही थी. 
फिर अनीश टेबल पर रखा दूध का गिलास लेकर आया और धर्मेश अंकल को दिया और कहा : अंकल आप यह दूध पी लीजिये तब तक में संध्या को तैयार करता हूँ  इसके गहने और कपडे उतार कर इसको पूरा नंगा कर देता हूँ. 
अनीश एक एक कर के मेरे गहने उतारने लगा .. उसको सब में मजा आ रहा था ..उसका खड़ा लंड हर जगह मुझे टच करके चुभ रहा था. 
धर्मेश अंकल : अनीश ..इसको नंगा कर दे ..पूरा .. अपनी बीवी को पूरा नंगा करके मुझे पेश कर दो 
अनीश ने धीरे से मेरी साडी अलग की...फिर ब्लाउज़ ..धीरे धीरे ..अब में पूरी नंगी हो गयी थी . यह मेरे लिए कोई नया खेल नहीं था पर फिर भी मैं नयी दुल्हन जैसे शर्माने का नाटक कर रही थी. उत्तेजित हो कर मैंने मेरे सुन्दर ग्रीक गॉड पति - अनीश का लंड पकड़ लिया ..और वोः भी मुझे चूमने आगे बढ़ा.. तभी धर्मेश अंकल ने अनीश  की गांड पर फिर से जोर से चांटा मारा .. कमीने ..सुहागरात तेरी है या मेरी.. आज तू संध्या की हात भी नहीं लगाएगा ! अनीश की अंड़खों में फिर से पानी आ गया ..
अनीश : सॉरी धर्मेश अंकल ..
पर अंकल गुस्से में  उसकी गांड पर थप्पड़ लगा रहे थे ..
मैंने कहा: अंकल प्लीज ..ऐसे मत करो ..
धर्मेश अंकल : संध्या रानी तेरी सब बात मानूंगा आज..आज हमारी सुहाग रात है.. हमारे प्यार  का दिन..इस दिन को  कभी नहीं भूलूंगा ..कितने दिन से यह सपना देखा  थे. और हां एक और बात..आज से तुम मुझे अंकल नहीं कहोगी..आज से तू मेरी रानी और में तेरा राजा ..और यह अनीश हमारा गुलाम .
धर्मेश अंकल ने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया .और मेरे बाजु आ कर लेट गए..वोः मुझे हर जगह चूमने  लगे..ओंठों  पर, गालों पर .. सर पर.. बूब्स पर .  मैं भी उनको चूमने लगी..मुझे तो वो ऐसे ही पसंद थे ..इतने मस्त मर्द है..कोई भी औरत मना नहीं कर पायेगी. मैंने धीरे से उनके कानो को चूमते हुए कहा .. मेरे राजा साब ..धीरे से ...और प्यार से ..आपको पता है में पेट से हूँ !
उन्होंने ..मुझे अपनी छाती से लगा लिया ..मेरी रानी चिंता मत करो...मुझे पता है ...बहुत प्यार करूँगा आज...धीरे से ! अरे अनीश खड़े क्यों हो..यहाँ आओ और बैठ जाओ ..
उन्होंने अनीश को पैरों के पास बैठने का इशारा किया . वैसे अनीश बेड पर चढ़ा और दोनों पाँव मोड़ कर बैठ गया .. उसको ड्रेस पहनने की आदत नहीं थी..इसलिए पूरा ड्रेस  कमर तक आ गया ..वो वैसे ही नंगी गांड और लंड लेकर बेड पर  बैठ गया ..और उसका लंड एकदम नाग जैसे फुफकार रहा था ..कितना सुन्दर लंड है अनीश का .गोरा सा ..गुलाबी सूपड़ा..दस साल के बच्चे जैसे छोटा सा मखमली माखन जैसे पर एकदम मोटा .. 
धर्मेश मेरे पुर बदन को चाट रहे थे..मेरी निप्पल्स को चूस चूस कर लाल कर दिया था .. फिर वोह मेरी चूत के पास बढे और प्यार से जीभ  बहार निकाल कर चाटने लगे.. उन्होंने मुझे निचे खींच लिया जिससे उनका लुंड मेरे मुँह के पास आ गया .. मैंने भी प्यार से उनके लंड को पकड़ा..वोह भारी भरकम लोडा मस्त मचल रहा था ..फुफकार रहा था..मैंने उनके लंड के सुपडे पर जीभ फेर दी..वैसे वो तिलमिला गए..आह मेरी रंडी ..ले ले मेरा लावड़ा ..पूरा मुँह में ले ले 
अनीश सब देख रहा था और उसका हाथ  अपने लवडे पर था ..वो उसके लंड को हिला रहा था ..
हम ६९ पोजीशन में थे और मैं धर्मेश के लंड को पागलो की तरह चूस रही थी..और धर्मेश  मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटकर रसपान कर रहे थे.
धर्मेश : आह संध्या ! क्या मस्त माल है तू..मेरी रंडी हो ना 
मैं : हाँ मेरे राजा , में आपकी रंडी हूँ 
धर्मेश : तुझे रोज मेरे वीर्य का स्वाद  चाहिए ..तुझे इसका चस्का लग गया ..बता तेरे नामर्द पति को 
मैं: अनीश मुझे धर्मेश राजा के लुंड का चस्का लग गया .. मुझे रोज उनके वीर्य का स्वाद चाहिए ..
धर्मेश : बोल गांडू अनीश...तुझे कोई दिक्कत तो नहीं..
अनीश : नहीं धर्मेश अंकल...आप रोज संध्या को अपना लंड देना और उसको आपके वीर्य का स्वाद  चखा देना .
धर्मेश : मेरी रानी ..बता तेरे हिजड़े पति को..मेरे लंड से तुझे कैसे आनंद आता है..
धर्मेश अंकल की जीभ अब मेरी चूत के अंदर गोल गोल घूम रही थी...मेरी चूत से पानी का झरना बहा रहा था ..मैं कभी भी झड़  सकती थी 
मैं: धर्मेश आपका लंड  मुझे परमानंद देता है..जन्नत की सैर करता है..अनीश का लंड  बहुत छोटा है..मुझे मेरी चूत के अंदर फील भी नहीं होता ..
मुझे यह साब कहते बुरा लग रहा था पर अनीश के चहरे पर अजीब ख़ुशी थी..उसका लंड  फुफकार रहा था..वोह बड़ी गौर से मेरा और धर्मेश की काम क्रीड़ा देख रहा था. मुज़से अब रहा नहीं जा रहा था.
मैं: धर्मेश बस करो अब सहन नहीं होता..आपकी मुसल मेरी चूत में डाल दो और कुटाई कर दो..
धर्मेश को भी पता था की लोहा गरम है और बांध कभी भी फुट सकता है..
धर्मेश: अनीश इधर आओ...तेरी बीवी की चुदाई के लिए मदत कर...मेरा लुंड चूस कर के गिला कर दो..
अनीश को यही मौके की तलाश थी..वो किसी कुत्ते जैसे आगे आया और धर्मेश के लंड और गोटियों को अपनी जीभ से चाटने लगा ..धर्मेश भी अनीश का मुँह अपने  लंड  से चोदने लगे  और ऊपर आकर वो मेरी चूची चूसने लगे.  मेरे से   अब रहा नहीं जा रह था. हाय मेरे राजा..कितना तड़पाओगे ...मेरी प्यास बुझा दो ..
धर्मेश ने कहा : अनीश ..संध्या के पैर ऊपर करो और मेरा लंड  पकड़ कर उसकी चूत में डाल दो. 

मैं यह सब देख रही थी. अनीश  बहुत उत्तेजित होकर उठे और मेरे पैरों को सहारा देकर ऊपर उठाया ..और एक हाथ से पकड़ रखा..दूसरे हाथ से उसने धर्मेश का मोटा १० इंच ला लंड पकड़ा और मेरी गुफा की द्वार पर सटा दिया.. मेरा अपना पति मुझे दूसरे मर्द से चुदवाने के लिए बेक़रार था..मुझे दूसरे मर्द से चुदवाने उसने ख़ुशी ख़ुशी उस मर्द का लंड चूसकर अपने हातों से मेरी चूत पर रगड़ दिया था. धर्मेश का लुंड धीरे से चीरता हुआ मेरी योनि में प्रवेश कर गया ..
धर्मेश का लंड  गांड  उछाल उछाल कर मेरी चूत  से अंदर बहार हो रहा था .. और मेरा पति अनीश एकदम पास से मेरी चूत और धर्मेश की लंड का मिलाप ऑंखें फाड् फाड़कर देख कर उत्तेजित हो रहा था.
मैं: आह मेरे राजा ..तेरा लंड मुझे कितनी ख़ुशी देता
धर्मेश: मेरी रानी मेरा लंड  तेरी चूत से बहुत प्यार करता है. तुम कहो तो निकल दू ? अनीश का लंड लोगी ?
मैं: नहीं..मुझे बहुत मजा आ रहा है 
धर्मेश: क्यों तेरे पति की छोटी सी नुन्नी नहीं चाहिए? उससे मजा नहीं  आता ? बता रानी..
धर्मेश ने अपना पूरा लंड संध्या की चूत से बहार निकल दिया , वैसे संध्या तड़प उठी .
संध्या : नहीं मेरी जान..मेरी चूत को बस आपका लंड चाहिए..अनीश का छोटा सा लंड नहीं चाहिए .. प्लीज फिर से डाल दो 
धर्मेश : अनीश क्या करे ..बोलो..तेरी बीवी  तेरा लंड नहीं चाहती ..दे दू इसको मेरा लावड़ा  ?
अनीश: हाय अंकल..पेल दो इसकी चूत आपके बड़े हतोड़े से ...प्लीज इसको मत तड़पाओ ..
धर्मेश: ऐसे नहीं मानूंगा .. मिन्नत करो...कहो की तुम गांडू हो ..नामर्द ह..और मैं तेरी बीवी को रोज पेलुँगा..
अनीश: अंकल आप से मिन्नतें करता हूँ..मैं नामर्द हूँ..,मेरे छोटे लंड  से मेरी प्यारी पत्नी असंतुष्ट रहती है ..प्लीज उसको आपके जहरीले नाग से खुशियां दे दो ..
अनीश ने फिर से धर्मेश का लंड पकड़ा और संध्या की चूत पर टिका दिया ..धर्मेश फिर से संध्यो को चोदने लगे..धीरे धीरे..पूरा लोडा  बहार निकालता और फिर से अंदर दाल देता..संध्या की चूत बहुत गिल्ली हो गयी थी .. धर्मेश का बड़ा नाग ..फस फस ..की आवाज कर चूत से अंदर बहार सैर कर रहा था. अनीश यह साब खेल बहुत पास से देख रहा था..बहुत बार धर्मेश की गांड और गोटियां अनीश के चहरे पर लग जाती. 

धर्मेश: अनीश संध्या की चूत बहुत गिल्ली हो गयी..इसको चाट कर साफ़ कर दो..
अनीश को यही मौका चाहिए था वो बड़े प्यार से जीभ बहार निकल कर संध्या की चुदती चूत को चाटने लगा .. ऐसे करते वक्त वो धर्मेश का लंड भी चाट लेता .. वोह प्यार से संध्या की चूत का पानी चाट रहा था..तभी धर्मेश का मोटा लवड़ा पूरा बहार आया और अनीश के  मुँह में चला गया .. धर्मेश जोर जोर से अनीश का मुँह चोदने लगा
धर्मेश: ले गांडू..मेरा पूरा लौड़ा गले तक..
संध्या सब देख रही थी..उसको भी सब से उत्तेजना मिल रही थी..और अनीश तो प्यार से धर्मेश कालंड  चूस रहा था ..तभी धर्मेश ने फिर अपना लंड संध्या की चूत मैं डाला..
अनीश भड़वे मेरी गोटियां और गांड चाट ..
अनीश जल्दी से धर्मेश की गांड के पास आ गया  और धर्मेश की गांड का छेद चाटने लगा...और गोटियां भी अपनी जीभ से चाट लेता ..इस सब से संध्या कसमसाने लगी और..उसने दोनों हातों से धर्मेश का चेहरा पकड़ लिए और उसको चूमने लगी..उसके पैर धर्मेश की कमर को कस के जकड लिए..और.. उह माँ...मर गयी..  आह..आह ...करके उसका बांध टूट गया ..
संध्या की गरम चूत के पानी के  झरना को .धर्मेश के लंड ने जवाब दिया और ..उह...मेरी रांड..मेरी छिनाल....कई झटके दे कर धर्मेश के लंड ने संध्या की चूत के अंदर दूध की गंगा बहा दी. 
पर अनीश अभी भी संध्या की चूत और धर्मेश के लंड को अपनी जीभ से चाट रहा था . इस चूत और लंड की मंथन के खेल में  संध्या की चूत से अमृत की धारा और अनीश के लंड की दूध की गंगा का मिलाप हो रहा था और उस तीर्थ को बड़े प्यार से चाट चाट कर पीकर अनीश ग्रहण कर रहा था ..इससे ज्यादा शुद्ध और पवित्र प्रसाद क्या हो सकता .? यही सोचकर अनीश के लंड से भी ऐसे फवारा छूटता ..चला गया ..जो सीधे संध्या की फेस / बूब्स पर गिर गया ..और धर्मेश की पीठ और गांड पर..तीनो थक कर , संतुष्टि से एक दूसरे से चिपक कर सो गए... स्वर्ग का आनद  महसूस कर रहे थे..

दोस्तों आगे की कहानी जल्दी लाऊंगा.. पर मुझे आपके कमैंट्स जरूर भेजना .. मेरी सोच है की आप इन तीनो चरित्र - संध्या , धर्मेश और अनीश , इनका यह अनुभव , इसके बारे में क्या सोचते है ? कोन जीता , कोन हारा ? यह मुझे पक्का बताइये .  मेरे ख्याल से सभी जीते पर सबसे बड़ी असली जीत अनीश की हुई है..जो मंथन  किया हुआ तीर्थ प्रसाद को पीकर  ग्रहण किया और धन्य हो गया.. आपकी प्रतिक्रिया जरूर शेयर करे
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(30-09-2022, 09:06 PM)luvnaked12 Wrote: friends this is my first time to post story.. if you dont encourage me..i will stop writing.. please send likes and feedback

clps clpsAah luvnacked12 nice start Kya mast Siriat ha chudai ki uff nangi ho gayi nayika aur use pata hi Chala jab Lund ghisega chut me tab pata chalega sayad
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