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Adultery मैंने नौकरानी की टट्टी खाई
#21
मित्र !
अगर आप रोजाना अपडेट नही दे सकते तो कितने दिन बाद दे सकते है, ये आपको कहानी शुरू करने से पहले ही स्पष्ट कर देना चाहिए था।
आप प्लेटफार्म पर प्रतिदिन विज़िट कर रहे है मगर अपडेट नही दे रहे है।
ये बहुत दुःखद है।
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#22
आजकल ये आम समस्या है
जिसमे लोग लेखक बन के उभरते है मगर वो ये बात समझ नही पाते है कि कहानी निरन्तर आगे बढ़ती रहनी चाहिए।
वर्तमान प्लेटफार्म ऐसे लेखकों से भरा पड़ा है जिन्होंने कहानी प्रारम्भ तो किया है मगर उसका समापन नही।
पाठक को पता ही नही है कि ये कहानी आगे बढ़ेगी भी या नही।
आप अगर बड़ी कहानी न लिख पाये तो छोटी कहानी ही लिखिये मगर उसका अंत पाठकों तक पहुँचाइये।
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#23
मित्र, आपका कमेंट सर आँखों पर ।
मौसम के बदलने से मै कुछ बिमार था इसलिए लिख नहीं पाया।आपकी बेसब्री की मैं कद्र करता हूँ और वादा करता हूँ अगला अपडेट आपको शीघ्र मिलेगा।
एक और विनम्र विनती है कि आपको मेरी कहानी पसंद आ रही है या नहीं इसके बारे में बेझिझक अपनी बिंदास राय देवे चाहे कोई और कमेंट करे या ना करे।इससे मुझे भी लिखने में सहूलियत होती हैं ।
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#24
(27-07-2021, 03:07 PM)Funkguy Wrote: आजकल ये आम समस्या है
जिसमे लोग लेखक बन के उभरते है मगर वो ये बात समझ नही पाते है कि कहानी निरन्तर आगे बढ़ती रहनी चाहिए।
वर्तमान प्लेटफार्म ऐसे लेखकों से भरा पड़ा है जिन्होंने कहानी प्रारम्भ तो किया है मगर उसका समापन नही।
पाठक को पता ही नही है कि ये कहानी आगे बढ़ेगी भी या नही।
आप अगर बड़ी कहानी न लिख पाये तो छोटी कहानी ही लिखिये मगर उसका अंत पाठकों तक पहुँचाइये।

मित्र, आपका कमेंट सर आँखों पर ।
मौसम के बदलने से मै कुछ बिमार था  इसलिए लिख नहीं पाया।आपकी बेसब्री की मैं कद्र करता हूँ और वादा करता हूँ अगला अपडेट आपको शीघ्र  मिलेगा।
एक और विनम्र विनती है कि आपको मेरी कहानी पसंद आ रही है या नहीं इसके बारे में बेझिझक अपनी बिंदास राय देवे चाहे कोई और कमेंट करे या ना करे।इससे मुझे भी लिखने में सहूलियत होती हैं ।
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#25
(27-07-2021, 03:42 PM)rohitpal Wrote: मित्र, आपका कमेंट सर आँखों पर ।
मौसम के बदलने से मै कुछ बिमार था  इसलिए लिख नहीं पाया।आपकी बेसब्री की मैं कद्र करता हूँ और वादा करता हूँ अगला अपडेट आपको शीघ्र  मिलेगा।
एक और विनम्र विनती है कि आपको मेरी कहानी पसंद आ रही है या नहीं इसके बारे में बेझिझक अपनी बिंदास राय देवे चाहे कोई और कमेंट करे या ना करे।इससे मुझे भी लिखने में सहूलियत होती हैं ।

बन्धु
लगातार अपडेट ने ही मुझे आपकी कहानी के तरफ आकर्षित किया था अन्यथा मैं ऐसी कहानियां पढ़ना पसन्द नही करता जो किसी नए लेखक द्वारा शुरू की गई हो और चल रही हो।
पैरेंट साइट पर लिखने वाले लेखकों की कहानियां ही पड़ता हूँ क्योंकि वो हफ्ते में 2-3 अपडेट  देते है और कहानी के प्रारंभ में भी आने अपडेट की गति बता देते है।
जब भी कोई पाठक कोई अच्छी कहानी पढ़ना शुरू करता है तब उसका दिमाग उस कहानी में घूमता रहता है और आगे की घटनाओं से अगर समय पर परिचित न होता रहे तो खराब मन से कहानी को पढ़ना छोड़ देता है।
आप कॉमेंट्स पर जाइये ही मत, सिर्फ व्यूज पर जाइये
बहुत लोग कमेंट नही करते है
ये ठीक उसी तरह है जैसे आजकल 4 लोग साथ मे बैठ कर बातचीत करने की जगह मोबाइल में घुसे रहना ज्यादा पसन्द करते है, संवादहीनता आजकल आम है।
आशा है कि स्वस्थ होकर पुनः कहानी को गति देंगे।
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#26
शीला के जाने के बाद भी मेरी खुमारी खत्म नहीं हुई, उसके बारे में ही सोंचता रहा,उसके तीखे नाक नक्श,बड़ी बड़ी आंखें,काले लंबे घने बाल,मोहक मुस्कान, उसकी जवानी,मस्त अदायें मुझे पागल किये दे रही थी।उसकी चूत का स्वाद अभी तक मुझे महसूस हो रहा था।
और मैं फिर से उसकी जवानी का स्वाद लेने को उतावला हो उठा,लेकिन मुझे याद आया कि कल से तो आॅफिस में ऑडिट चालू हो रहा है और उसके लिए बाहर से तीन चार मेम्बर आने वाले हैं...
मैं मुट्ठी भींच कर दूसरे हाथ की हथेली पर मार कर कसमसाया और बड़बड़ाया
...." इन भोसड़ी वालों को भी कल ही आना था,अब ये चार पांच दिन तक तो पीछा छोड़ने वाले नहीं।"
मैं तो जिधर देख रहा था उधर ही मुझे शीला की चूत दिखाईं दे रही थी।
कुछ देर इसी प्रकार कसमसाता रहा कि अचानक काल बेल बज उठी, मैनें आइ पीस में से झांक कर देखा तो पार्सल वाला था, मैंने नजदीक के एक रेस्तराँ में डिनर का ऑर्डर बुक किया हुआ था।मैंने दरवाजा खोल कर पार्सल ले लिया, फिर नहा धोकर डिनर किया और कल की प्लानिंग करने लगा।
फिर चार-पांच दिन बीत गये,
इन आॅडिट वालों ने मुझे सारा टाइम एंगेज करके रक्खा था व रोज शाम के साढे सात- आठ बजे ऑफिस से छूट पाता था।
......आज आॅडिट का आखिरी दिन था और मैं बड़ा उत्साहित।
शुक्रवार शाम को आॅडिट खत्म हुआ और शनिवार को बिफोर टाइम ऑफिस पहुँच गया ...
देखा तो शीला आॅफिस आ चुकी थी और मुझे देखते ही उसकी भी बांछे खिल गई ।
अब मैंने उसे फटाफट मैसेज दिया वो ऑडिट वाले मरदूद चले गए हैं अब आज शाम का प्रोग्राम पक्का है।शीला ने हामी में सिर हिलाया और हँसने लगी।
पहले की तरह ही सैट टाइमिंग यानि तीन बजे ही घर पहुँच गया,नहा धोकर फ्रैश हो गया,फिर वोदका और दो तीन छोटी छोटी कोल्ड ड्रिंक की बोतलें निकाली,अब मेरा क्रियेटिव माईंड तेजी से चल रहा था। एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल में से थोड़ी सी कोल्ड ड्रिंक एक कप में खाली कर दी फिर थोड़ी ही खाली हुई कोल्ड ड्रिंक की बोतल में एक पैग वोदका मिक्स कर दी।फिर पहले जैसी ही कैप लगा कर सील कर दी।
इसी प्रकार दो कोल्ड ड्रिंक की बोतल वोदका मिक्स करके तैयार कर ली।फिर ज्यों की त्यों फ्रिज में रख दी।
अब अपने लिए एक पैग बनाया,फिर धीरे-धीरे घूंट भरने लगा।
और फिर....वो घड़ी आ गयी....पौने छह बजे शीला पहुँच गयी।मैंने उसे दरवाजा बंद करते ही बांहों में जकड़ लिया और उसी प्रकार भींचे हुए कुछ पल खड़ा रहा,शीला ने भी समर्पित होकर आंखें बंद कर ली फिर मैं उसे सीधे बैडरूम में ले आया।
"आॅफिस से सीधे आ रही है रानी,ले पहले कुछ पानी वानी पी ले" फिर मैंने उसे एक पानी की बोतल पकड़ा दी,जो उसने एक ही सांस में खत्म करदी,फिर मैंने एक और बोतल दी, और काफी ना नुकुर करने के बाद उसने आधी बोतल और खाली कर दी,अब मैंने उसे एक वही वोदका वाली कोल्ड ड्रिंक की बोतल पकड़ा दी, वो मना करती जा रही थी और मै उसकी थकावट का वास्ता देते हुए पिलायें जा रहा था।
जैसे ही उसने एक घूँट भरा एकदम मुंह बिगाडा-
"बड़ा अजीब सा स्वाद है।"
"अरे नहीं रानी तू अभी अभी पसीने में थक कर आ रही है इसलिये मुंह का जायका खराब हो गया होगा..."मैंने बनावटी अंदाज़ में बोला।
और वह सोचती विचारती हुई धीरे-धीरे कोल्ड ड्रिंक खत्म कर गई।
फिर मैंने उसे एक और कोल्ड ड्रिंक की बोतल पकड़ा दी,लेकिन अब वो मना करती जा रही थी
"अजीब सा स्वाद है,आपने इस में कुछ मिला तो नहीं दिया ना"
"अरे नहीं पगली,मै भला क्यों मिलाउंगा,मैंने अभी तेरे सामने ही तो खोली है,अच्छा ले मैं भी इसमें से पी लेता हूँ" कह कर मैंने भी उसमें से एक सीप मार लिया,फिर मुंह बिगाड़ कर बनावटी अंदाज़ में बोला अरे हां ऐसा लग रहा है कि थोड़ी पुरानी सी हो गई है इसलिये इसका टेस्ट चेंज हो गया है,लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता।"
अब उसे थोड़ी तसल्ली हुई और फिर उसने जल्दी से गट-गट करके कोल्ड ड्रिंक खत्म कर दी।
अब मैंने देरी ना करते हुए शीला और मेरे सारे कपड़े उतार दिये।
आज तो शीला को बिल्कुल पोर्न फिल्मों की तरह चोदना था और अपनी सारी हसरतें पूरी करना थी।
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने पूरी तरह से नंगे खड़े थे,और फिर मैंने शीला को बैड पर ले जा कर झटके से अपने उपर इस प्रकार खींच लिया कि मै नीचे था और शीला मेरे उपर छा चुकी थी।उसकी काली घनी ज़ुल्फ़ों पे मेरे चेहरे को ढक लिया था, उसके होंठ मेरे होठों को टच करने लगे,मेरे बदन में भी चींटियाँ रेंगने लगी।मैंने उसे कस कर दबा लिया और उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले कर चूमने लगा ,वो भी उत्तेजित हो कर साथ दे रही थी।हम दोनों पागलों की तरह जोर जोर से एक दूसरे के होठों को चूम रहे थे, काट रहे थे।एक हफ्ते के बाद मिले थे लेकिन ऐसा लग रहा था मानो मुद्दतों के बाद मिले हो।मैंने अपने होठों से थोड़ा सा थूक बाहर किया व उंगली के इशारे से उससे भी वैसा ही करने को कहा, उसने मुस्कुराते हुए होठों से थूक बाहर किया और मैंने उसे बड़े प्यार से चूस लिया।अब मैंने उसकी कड़क चूचीयों को चूसना शुरू कर दिया,तभी वह मुस्कुरा कर बोल उठी,
"देखो सारा मत पी लेना,घर जा कर मुझे बाबू को भी पिलाना है।"
मैं चौंका "बाबू कौन"

"मेरा बेटा " वह बोली।
ओह मुझे याद आया कि शीला का एक साल का बेटा भी है।
अब कुछ क्षण हमारा चुम्बन वाला उपक्रम थम गया व बातें चलने लगी।
"लेकिन वो तो एक साल का हो गया,अभी तक तू उसे अपना दूध पिलाती हैं ?"
हाँ,अब हम रोज डिब्बे वाला पाउडर नहीं पिला सकते।
मुझे शीला की कड़वी सच्चाई व बड़ी मजबूरी का एहसास हुआ,
एक ही झटके में मेरे मन में कई विचार कौंध उठे....नहीं...नहीं...मेरे होते हुए मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।मुझे शीला के लिए कुछ करना ही होगा।
मेरे मुंह से बरबस ही निकल पड़ा....
".नहीं...नहीं..शीला .मेरे होते हुए मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।तेरी और तेरे परिवार की जिम्मेदारी में मैं भी तेरा हाथ बंटाउंगा,अब से तुझे अभावों में जीने नहीं दूंगा।सारी खुशियाँ दूँगा...मै शीला के प्रेम सम्मोहन में बोलता चला जा रहा था और शीला भी बड़े प्यार से मुझे निहारती ही जा रही थी...और अब वोदका असर दिखाने लगी थी,उसकी आँखें अब गुलाबी होती जा रही थी उनमें अब धीरे-धीरे नशा छा रहा था और वो मदमस्त मदमाती हुई बला की खूबसूरत लग रही थी।
एक दम मेरी तंद्रा भंग हुई जब शीला ने बड़े प्यार से अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और मुझे प्यार से भींच लिया।मैंने भी तुरंत उसकी ठोड़ी उपर करके उसके होठों को चूम लिया,और फिर हम दोनों फिर से चुम्बन के ब्रम्हांड में गोते लगाने लगे।कुछ पल के बाद मैंने उसे कहा....
"रानी !अब अपनी चूत महारानी के दर्शन तो करवा दे...अब 69 के पोज़ में पलट कर आ जा..और तू भी मेरे लंड महाराज की पूजा वूजा करले।
शीला समझ गयी और तुरंत 69 के पोज़ में इस प्रकार आ गयी कि उसके होठ मेरे लंड को टच करने लगे व उसकी चूत का मुंह मेरे मुंह पर था।मैं उसकी चूत पर जिभ रगड़ने लगा और वो मेरे लंड को मुंह में ले कर उपर नीचे करने लगी।

[Image: IMG-20210721-WA0031.jpg]
[Image: IMG-20210724-WA0010.jpg]
[Image: IMG-20210721-WA0030.jpg]
अब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया फिर जीभ उसकी चूत मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा
"उ...ई...माँsssssअ..ह..अ...ह
शीला को भी बड़ा मजा आने लगा।वो भी मेरे लंड को मुंह में जोर से भींच कर अंदर बाहर करने लगी...
अब मैं भी आनंद के गोते लगाने लगा ।अब मैंने उसकी गांड चाटने लगा फिर गांड में जीभ घुसाने लगा और अंदर बाहर करने लगा,तभी उसकी गांड पर चिपका हुआ कुछ पदार्थ सा मेरे मुंह में आ गया और मैं आंखें मूंद कर बड़े आनंद से उसे भी निगल गया और फिर से चूत मे जीभ अंदर-बाहर करने लगा।शीला गनगनाने लगी थी। "आ..ह...ऊ...ह...आ..ह....ह....ह"
अब मैंने एक उंगली उसकी चूत मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा और धीरे-धीरे उसकी गति बढाने लगा ।शीला कसमसा उठी।
कुछ समय बाद दूसरी उंगली भी घुसा दी।अब दो उंगली उसकी चूत में थी और मैं जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा..हा..य बड़ा म...जा... आ ...र...हा है मी..ठा ...मी....ठा ...दर्द ...हो... रहा है ....और... क....रो ,क..र...ते... र...हो।
और शीला झड़ने लगी।उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मैं भी मदमस्त हो कर उसे चाटने लगा।
और अब शीला पूरी तरह से झड़ चुकी थी और वह निढाल सी हो कर मेरे उपर ही ढीली सी पड़ गई।
शेष अगली किस्त में ... क्रमशः
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#27
UPDATE......
PART-6

चूंकि 69 पोज में ओरल सेक्स करते करते शीला तो झड़ चुकी थी और वह उसी पोज़ में मेरे उपर कुछ देर निढाल सी पड़ी रही,फिर उठ कर जाने लगी,
अब की बार मैं तैयार था,मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर पूछा "क्या हुआ रानी?"
"मुझे बाथरूम जाना है।"वह बोली।
मै मुस्कुराया " रानी अब बाथरूम में जाने की कोई जरूरत नहीं है,देख बाथरूम यहीं चलकर आ गया है,इतना कह कर मैंने उंगली से बैड की ओर इशारा किया जहाँ मैंने पहले से ही एक बड़ा सा मोमजामा बिछा के रखा था और शीला के मादक चूत रस का पान करने के लिए।
शीला तुरंत समझ गयी लेकिन बनावटी अंदाज़ में मुंह पर हाथ रख कर बोली "हाय हाय....यहीं...?
"हाँ मेरी रानी क्या फर्क पड़ता है,जिस प्रकार तूने पिछली बार बाथरूम में खड़े होकर ही मुझे तर कर दिया था ठीक उसी तरह आज बैठ कर ही सही।"
फिर मैं उस मोमजामें पर लेट गया और उसे हाथ से मेरे ऊपर खिंच लिया
"चल अब मुझे जल्दी से अपनी चूत का सोमपान करा दे" फिर मैंने उसे अपने मुंह पर बैठने का इशारा करते हुए कहा।
शीला की आंखों में वोदका का सुरूर छाया हुआ था और वो मेरी हर बात मान कर साथ दे रही थी।
हालांकि शीला इसके लिए तैयार नहीं थी लेकिन वह मेरे साथ पिछली बार पिसींग सेक्स का पहली बार लुत्फ़ उठा चुकी थी, और वह एक बार ही काफी था उसकी झिझक मिटाने के लिए।
और फिर ......वह हंसते हुए मेरी छाती पर आ बैठी,फिर मैंने उसकी पोजीशन इस प्रकार सैट करी कि उसकी चूत सीधे मेरे मुंह के उपर टिक गयी।लेकिन वो कंट्रोल नहीं कर पायी,उसे पहले से ही मैंने इतना सारा पानी और कोल्ड ड्रिंक पिला दिया था कि मेरे उपर आते आते एकदम से उसके मूत की धार छूट पड़ने को बेताब थी।
"हाय मैं छूट पड़ूंगी।"
"तो छूट पड़ ना रानी मैं तो कब से तेरा इन्तजार कर रहा हूँ।"
मेरे अपना वाक्य खत्म करने से पहले ही वो कंट्रोल नहीं कर पायी और उसके मूत की मोटी धार निकल पड़ी....और मैनें बिना वक्त गंवाये एक झटके से अपना मुंह खोल दिया।अब शीला की काली काली चिकनी चूत की फांकों में से मूत की धार सीधे मेरे मुंह में अटैक कर रही थी.....श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्ईsssssssकी मधुर सीटी की आवाज के साथ निकल कर सीधे मेरे मुंह में....

[Image: 20210730-105418.jpg]

आह क्या मादक सौंधी सौंधी महक,क्या सेक्सी सा खारा स्वाद !! मैंने सम्पूर्ण समर्पण के साथ अपनी आंखें बंद कर ली, अब गड़ गड़ गड़ आवाज़ आने लगी और वो ओवर फ्लो ना हो जाये इसलिए गटकने लगा ।कसम से जन्नत का मज़ा आ गया।फिर थोड़ा और गटकने के बाद मैंने उसे हाथ से इशारा कर रूकने को कहा,लेकिन यह क्या वह रूक ही नहीं पा रही थी और लगातार मुझे पूरा सराबोर किये जा रही थी,और अपना चूत का प्रेमरस पिलायें जा रही थी,....और मुझे लगातार मजा आ रहा था....मेरी ड्रिम सिक्वेंस पूरी हो रही थी, फिर कुछ क्षण पश्चात वो रूकी....और मेरी हालत देखकर उसकी हंसी छूट गई उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया व मुस्कुराने लगी।
तब मैंने किसी तीर मारने वाले अंदाज़ में कहा-
"देख रानी मुझे तुझसे कितना प्यार है कि मुझे तेरी हर चीज़ अच्छी लगती है, आखिर गुलाम हूँ मैं तेरा"
"ना....वह मुंह पर हाथ रखे हुए ही बोली....क्या आप भी, आप तो राजा हो....और वो हंसने लगी।
"चल मैं जरा मुंह धोकर आता हूँ, बाकि चुदाई बाद में, फिर मैं उठ कर खड़ा हो गया,चूंकि मैं अभी तक झड़ा नहीं था इसलिए मेरा लंड अभी भी किसी स्प्रिंग की तरह झूम रहा था।फिर मैं बाथरूम से मुंह धोकर जल्दी से बैड पर आ गया और शीला को बांहों में खींच कर बोला,"चल रानी अब बहुत हुआ अब मेरे लंड राजा को तेरी प्यारी कोमल चूत रानी से तो मिलवा दे, तूने मुझे अपने मूत से तो नहला दिया अब मेरे लंड राजा को भी अपने थूक से नहला कर कड़क कर दे।"
समझ गयी शीला!अब वो अपने मुंह में मेरा लंड लेकर उपर नीचे करने लगी।
मेरा लंड तो पहले से ही झूम रहा था और कुछ ही क्षणों में कड़क भम हो गया।
"चल रानी अब डाॅगी पोज़ में चुदाई करते हैं ,कुत्ते कुतिया की तरह।"मैने कहा फिर उसे उठा कर डाॅगी पोज़ में खड़ा कर दिया या यूं कहें कि उसे घोड़ी बना दिया।
फिर उसके पीछे जाकर उसकी चूत की काली फांकों को खोलकर चूत चाटने लगा,चूत तो 69 सेक्स में झड़ने के बाद वैसे भी गीली थी, हाँ यह जरूर है कि वह एक हफ्ते से चुदी नहीं थी इसलिए मैं उसे चोदने के लिए उतावला था।
अब मैंने कहा..."आ रहा हूँ मैं रानी,तेरी चूत रानी को अपने लंड राजा से मिलवाने".......मेरा लंड फुल टाइट था और फनफना रहा था।
अब मैंने शीला की चूत की फांकों को चौड़ा करके अपने आठ इंच लौड़े के सुपाड़े पे थूक लगाके चूत के छेद पे सटा दिया और किसी तोपची की तरह इशारा मिलते ही तोप दागने का इंतजार करने लगा।शीला भी दुबारा उत्तेजित हो चुकी थी,और मैंने उसकी चूचीयों को सहलाना शुरू कर दिया
और फिर शीला गनगनाने लगी।
आssssssह...आssssssह...आssssssह
"मैंने पूछा बोल रानी डाल दूं"....
शीला पर अभी भी वोदका का सुरूर बाकी था।वो मस्त हो चुकी थी।उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
....हाँ अब डाल भी दो.....बहुत दिन हो गए...बहुत इंतजार करा दिया....अब फाड़ डालो चूत को...
और फिर उसके इतना कहते ही मैंने उसकी गांड को कस कर पकड़ा और मस्ती में किचकिचाकर भपाक से जोरदार स्ट्रोक लगा दिया.....
"आssssssssssssssईsssssssssssssमाँsssssssssssssssम.....र......ग........ईsssssssssss."
मेरा लंड पूरा घुस चुका था.....और शीला का सिर उपर की ओर उठ गया...गर्दन तन गई....और मुंह फटा का फटा रह गया....वो दर्द से कराह उठी....."हाssssssssय....माँ sssssssssफाssssड़.....डा....लीsssssssssss.
और मैं कुछ पल उसी पोज़ में रूका रहा....!
फिर मैंने धीरे से आधा लंड बाहर निकाला और फिर एक जोर का स्ट्रोक मार दिया.....
अईईईईईईईयाssssssssदर्द...हो...र...हा...है...
"बस कुछ सेकण्ड और फिर सब ठीक हो जायेगा रानी।"
"थोड़ा वाइल्ड सेक्स का भी तो आनंद ले मेरी जान,और फिर तू ही कह रही थी ना कि फाड़ डालो ...फाड़ डालो...."
"ऊई....माँ ....मर गई...मैं ...तो"
वह गनगना उठी..."अब...ब..र्दा..श्त....नहीं ...हो रहा..."
फिर मैंने धीरे से आधा लंड बाहर निकाला और फिर धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा....फिर कुछ देर उसी प्रकार चोदने के बाद अब थोड़ी सी गति बढा दी...और हल्के हल्के थाप लगाने लगा....

[Image: 20210730-111952.jpg]

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[Image: 20210730-111857.jpg]

मेरी जांघें शीला की गांड से टकरा रही थी और आवाज़ पैदा हो रही थी.....थप्प...थप्प....थप्प...थप्प....
थप्प...थप्प....थप्प...थप्प
अब शीला को भी मजा आने लगा था और वह भी अपनी गांड से पीछे की ओर रिवर्स स्ट्रोक लगा रही थी....थप्प...थप्प....थप्प...थप्प..थप्प...थप्प....थप्प...थप्प
"अ..ह...अ..ह...अ..ह...अ..ह...अ..ह...अ..ह...आ...ह...आ...ह...चो..दो....
..मु..झे...
अब मैंने और गति बढा दी और तेज आवाज़े पूरे कमरे में गूँज रही थी फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट ......मैने और तेज तेज धक्के मार कर चोदना शुरू किया जैसे कि कोई गिनीज़ बुक वाला रिकार्ड बनाने की प्रतियोगिता हो रही हो..फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट.....और शीला की चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी......अब तक शीला की चूत ने मेरे लंड को कस के शिकंजे में जकड़ रखा था.और फिर इतने तेज तेज धक्के खा खा कर चूत ने सरेन्डर कर दिया और लंड की पकड़ ढीली कर दी......और चूत में से आवाज़े आने लगी .......फचड़ फचड़ फचड़ फचड़
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ और मेरे तेज तेज धक्के खा कर चूत का पूरा भोसड़ा बन चुका था।
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ ....
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च....आ....ह...आ....ह..आsss....ह...आssss....ह.. और... तेज.... और.....तेज... भो..स...ड़ा.. ब..ना डा...ल....अह...अह...अह...अह..अह...अह...अह...अह...शीला बड़बड़ाये जा रही थी।
मैंने उत्साहित होकर शीला के लंबे घने बाल पकड़ लिये और पूरी ताकत और तेजी से धक्के लगाने लगा....
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ ....
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च...
"आ...ह... आ...ह...झ..ड़..र..ही.. हूँ.. मैं..." शीला झड़ने ही वाली थी।
मैं तेज तेज धक्के लगाये जा रहा था ...और फिर शीला झड़ गई।
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ ....
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च...मैंने धक्के लगाना बंद नहीं किया ....."आssssआsssss.......आssssआsssss.......आssssआsssss..."और फिर मैं भी शीला की चूत में ही झड़ गया।
हफ्फ....हफ्फ....हफ्फ....हफ्फ......और मैं जोर जोर से हांफते हुए शीला के उपर ही ढेर हो गया।
और फिर शीला भी बैड पर गिर गयी और मैं उसके उपर छा गया।कुछ देर हम दोनों उसी पोज़ में पड़े रहे।
अब हम दोनों पूरी तरह से हल्का महसूस कर रहे थे, मैनें उठकर शीला को हाथ पकड़ कर उठाया...."आज तो मज़ा आ गया रानी...तेरी जवानी के समन्दर में खो गया हूँ मैं तो...."
"चल अब थोड़ा फ्रैश वैश हो लेते हैं",और ऐसा बोल कर उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गया,फिर हम दोनों मुंह हाथ धोकर फ्रैश हो गये और वापस बैडरूम में आगये।बेडरूम में आते ही मैंने शीला को बैड पर अपनी बांहों में खींच लिया,वह बोल उठी
"अब मुझे जाना चाहिए, बहुत देर हो जायेगी।"
"अरे रानी मैं कहाँ रोक रहा हूँ,"
फिर मैंने साइड टेबल से एक प्लैट उठा कर शीला को दे दी उसमें कुछ वेफर्स,बिस्किट व ड्राईफ्रूट रखे थे।
"कुछ नाश्ता करती जा....भूख लगी होगी..."
और फिर मैंने उसे बांहों में लेकर कमर के सहारे अधलेटी अवस्था में चिपक गया,और फिर हम बातें करते हुए नाश्ता करने लगे,तभी मेरी नजर शीला के गले पर जाकर अटक गई।
"यह क्या शीला बिल्कुल सादा मंगल सूत्र हैं और इसमें पैंडल वगैरह कुछ नहीं है।
"नहीं है,वो मेरे पति ने बेच दिया और उन पैसों को दारु में उड़ा दिया,वो तो मुझे जमाने के भूखे भेड़ियों की नज़रों से बचने के लिए और ये बताने के लिए पहनना पड़ता है कि मैं शादी शुदा हूँ।"...शीला उदासी भरे स्वर में कहती ही चली गयी।
"अब तुझे यह नहीं पहनना पड़ेगा,मै तूझे कल ही नया मंगल सूत्र ला कर दूंगा,....अर्रर्र...दूंगा क्या बल्कि पहनाउंगा...अपने हाथों से.....हमारे प्रेम की निशानी....हाँ...."
शीला अवाक होकर मंत्रमुग्ध सी सुनती जा रही थी।...
"नहीं साहब यह सही नहीं है"वो बोली
"अरे तो इसमें बुराई क्या है वो तो हमारे प्यार की निशानी दूंगा,"और सुन मैंने तो अपना मन बना लिया है,तुझे बिल्कुल अपनी बीवी की तरह रखूंगा...अलग से घर लेकर...,तूझे और तेरे बच्चे को अलग रखूंगा।"
"नहीं यह सही नहीं हैं,"वह फिर बोली।
"तो इसमें गलत क्या है,जैसे हम अभी छुप छुप कर मिल रहे हैं,वैसे ही अलग से उस मकान में मिलते रहेंगे,क्योंकि वहाँ मैं भी तुम्हारे पास समय समय पर रहने के लिए आता रहूँगा।"मैने समझाते हुए कहा।
"नहीं साहब लेकिन चाहे कुछ भी हो मैं अपने माँ बापू को बेसहारा नहीं छोड़ सकती,आखिर उनकी जिम्मेदारी भी तो मेरी ही है।"वह बोली।
"तो ठीक है पगली,उनकी जिम्मेदारी उठाने के लिए भी तो मैं तैयार हू।"
"लेकिन नहीं साहब पति से अलग थलग रह कर मैं मां बापू से भी अलग नहीं रह सकती,मुझे उनका भी ख्याल रखना है और जात बिरादरी की ओर भी देखना होगा।"वह लाचारी से बोली।
"ठीक है लेकिन मै तो तुझे मंगल सूत्र दे कर ही मानूंगा,अब उसमें तो कुछ गलत नहीं है,हमारे प्रेम के शुरुआत की निशानी"...बस अब तो ठीक है न...उसमें क्या वो तो गिफ्ट हैं,और फिर मैं तो तूझे बीवी की तरह ही मानने लगा हूँ।"
"और शीला ने प्यार से मेरे दोनों गाल चुटकियों से खिंच दिये.....मुस्कुरा दी....."आप भी ना...बहुत बड़े वाले हो...."
"अरे शुक्र कर रानी मैं तो तेरी मांग में सिंदूर भरने और सात फेरे लेने का प्लान कर रहा था पर अभी छोड़ दे रहा हूँ .....पर तुझे छोड़ूंगा नही....फिर भी जैसे तैसे दूसरे तरीके से तुझे बीवी बनाने की रस्म तो पूरी कर ही लूंगा।"
"कैसे"उसने आश्चर्य से पूछा...।"
जैसे विदेशों में कई देशों में होता है,अफ्रीका के कबीलों में भी होता है।
वहां सुहाग रात को बीवी बनाने की रस्म अदा की जाती हैं।...वहाँ पति अपनी प्रेमिका या होने वाली पत्नी को प्रपोज़ करता है और फिर वो जो भी कहती है लड़के को मालकिन की तरह मानना पड़ता हैं।"मैंने अपनी लच्छेदार बातों में उसे फंसाते हुए कहा..."पता है बीवी बनाने की रस्म में क्या-क्या करना होता है"...
"नहीं" वो बोली।
"सुहाग रात को लड़की लड़के के उपर बैठ जाती है "....मैंने किसी प्रोफेसर वाले अंदाज़ में एक्सप्लेन करना शुरू कर दिया और वो बड़े
चाव से सुने जा रही थी।
"फिर लड़के के उपर बैठ कर उससे अपने गुलाम की तरह व्यवहार करती है नौकरों की तरह व्यवहार करती है मारती पिटती भी है,
और बताऊं क्या क्या करती है....
"हाँ बताओ।"....वह उत्सुकता से बोली।...
फिर मैंने टीवी आॅन कर दिया और मिस्ट्रेस मेसेलिना की स्केट मूवी चालू कर दी जो कि पहले से ही पेन ड्राइव में सेट करके रखी थी,जिसमें मेसेलिना दुल्हन के सफेद लिबास में थी व उसके हाथ में एक चाबुक था।वो एक कुर्सी पर इस प्रकार बैठी थी कि उसकी एक टांग पर दूसरी टांग थोड़ी ऊँची करके रखी हुई थी व उसका होने वाला पति उसकी टांगों के ठीक नीचे उकडू हो कर गुलामों की तरह बैठा था,और वो हंटर से उसे डराये-चमकाये जा रही थी।
फिर मैं बोला "लडके को तो लड़की की हर बात मानना पड़ती है उसे खुश करना होता है....फिर वो उसके मुंह में मूत देती है और अपनी शीट का भी स्वाद भी चखाती हैं तब जाकर यह रस्म पूरी होती हैं।
"हाय हाय ये कैसे कर लेते हैं।"वो मुंह पर हाथ रख कर बोली।
"हाँ रानी ये सब किये बिना उनकी रस्म पूरी नहीं होती हैं।"मैंने उसके गाल खींचते हुए कहा।
अब मैंने उसे फिल्म की ओर ध्यान देने का इशारा किया...

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अब मेसेलिना चाबुक लहरा रही थी और लड़के को चमका रही थी।
फिर मेसेलिना ने अपनी दोनों टांगें चौड़ी की और लड़के के मुंह में मूतने लगी फिर बैठे हुए ही अपनी उपर वाली टांग उठा कर शीट करना शुरू किया और लड़के ने उसे बड़े मजे से अपने मुंह में ले लिया....
"हाय हाय ये क्या...."
"हाँ रानी ये तो रस्म है इसे तो लड़के को करना ही होगा नहीं तो वो लड़की उसकी बीवी कैसे बनेंगी।"
"और फिर ये कोई जहर है क्या"......मैंने जिस अंदाज़ से कहा कि शीला की तो जोर की हंसी छूट पड़ी...!
"बीवी बनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते है रानी..."यह कह कर मैने उसका मुंह चूम लिया।
और अब मूवी भी खत्म हो चुकी थी,मैनें टीवी बंद कर दिया।
"अब मुझे जाना चाहिए।,बहुत देर हो चुकी है।"
"ठीक है लेकिन इतने दिन बाद मिले है,अभी मन नहीं भरा है।तुम वादा करो कल जल्दी आ जाओगी।कल तो संडे है,छुट्टी है,और वैसे भी तुम्हारे लिए नया मंगल सूत्र लाऊंगा व तुम्हें पहनाउंगा।आखिर मैंने तो तुम्हें बीवी की तरह मान ही लिया है सिर्फ रस्म ही तो बाकी है,मैने मुस्कुराते हुए आँख मारते हुए कहा।
वो भी अपने मुंह पर हाथ रख कर हंसने लगी।
फिर उसने कपड़े पहने और कल तीन बजे आने का वादा करके जाने लगी,फिर हमेशा की तरह मैंने उसे कुछ रूपये पकड़ाये व होठों पे एक चुम्बन दिया और फिर अपनी गाड़ी में ऑटो स्टाप से कुछ दूरी पर छोड़ दिया।
शेष अगली किस्त में.....क्रमशः
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#28
मित्रों, अच्छी पोस्ट पर राय जरूर दे...
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#29
UPDATE *PART 7*

शीला के जाने के बाद मैनें गाड़ी ज्वेलर्स शाॅप की ओर मोड़ दी....
फिर वहां से एक बढिया सा गोल्ड पेन्डेन्ट वाला मंगल सूत्र खरीद लिया,फिर एक रेस्तराँ में डिनर करते हुए घर लौट आया व जल्दी ही सो गया।
.........आज रविवार का दिन था,और मैं बहुत ही उत्साहित था,बहुत ही प्रफुल्लित मन से सो कर उठा और फटाफट नित्यकर्मों से फारिग हो गया!फिर कोई ग्यारह बजे के आसपास मैंने लंच और ब्रेक फास्ट एकसाथ यानि ब्रंच कर लिया।और आने वाले पलों के ताने बाने बुनने लगा,फिर थोड़ा आराम से लेट कर एक हल्की सी झपकी ले ली।इससे एकदम फ्रैश महसूस करने लगा।
अब दोपहर के डेढ़ बज रहे थे और मैं किचन में गया और काफी सारी काॅफी बना कर एक बड़े से थर्मस में भर कर बैड रूम की साइड टेबल पर रख दिया साथ में एक मग्गा भी रख दिया।
शीला के साथ तो आज अपने सारे अरमान पूरे करूगा।
शीला की बड़ीबड़ी चूचीयाँ,काली काली चिकनी चूत उसकी मूत की मोटी सीटी बजाती हुई धार ये सब मेरी आँखों के सामने नाच रहे थे ।और ये सब सोचते सोचते मैंने एक लार्ज पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा।
अब तीन बज चुके थे और मै दो पैग खत्म कर चुका था कि डोअर बैल बज उठी मैंने आइ पीस में से झांक कर देखा तो शीला ही थी।
मैंने तपाक से दरवाजा खोल दिया और फिर शीला के अंदर आते ही मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और एक गहरी नज़र शीला पर डाली।
वह काली टाइट्स और पीस्ता कलर की कुर्ती में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।आज उसने बालों का बड़ा सा जूड़ा बनाया हुआ था,और उसके उपर शालीनता से दुपट्टा ओढ़ा हुआ था,बड़ी बड़ी आंखें,गठीला गदराया मांसल बदन,किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी था,उसके पास से किसी परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी,और बालों से भी शैम्पू की मादक महक आ रही थी,मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए उसके होठों पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और फिर शीला भी मुझे बांहों में लेकर साथ देने लगी।
चुम्बन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था।फिर मैंने शीला की जीभ अपने मुंह में ले ली,और शीला भी कसमसा रही थी।
आज तो इसकी जवानी का सारा स्वाद लेकर ही मानूंगा।
ऐसा सोचते हुए पूरी ताकत से भींच कर और जोर जोर से चूमने लगा।
फिर बोला"....रानी!"
वो मुस्कुराई..."हाँ राजा!"
"मैनें तेरी जवानी का हर तरह से रसपान किया है ....खूब जी भर के....तूने भी अपने जिस्म के एक एक इंच हिस्से का स्वाद चखाया है ,इक्का दुक्का छोड़ कर....चल आज सारी हसरतें पूरी करने दे।"मैंने एक हाथ से चूची दबाते हुए व दूसरे हाथ की उंगली से उसकी गांड सहलाते हुए कहा।"
"तो कर लो ना मना किसने किया है।"उसने हँसते हुए कहा।"
"लेकिन मैं कहूँ वैसा करना होगा रानी"
"हाँ वैसा ही करूँगी राजा।"
"अरे राजा नहीं मैं तो तेरा गुलाम हूँ रानी।"और इतना कहते ही मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और मेरा भी स्लीपिंग गाउन उतार दिया।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे खड़े थे।
फिर मैंने उसे झटके से उठाया और बैडरूम में ले आया और शीला को बैड पर खिंचकर उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके उसकी चूत की काली फांकों में अपनी जीभ घुसा दी और किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा,

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शीला कसमसाने लगी और थोड़ी देर इसी प्रकार चूत चाटने के बाद मैंने भी अपना लंड शीला के मुंह में दे दिया,और वो भी बड़े मजे में किसी लाॅलीपाॅप की तरह चूसते हुए लंड को उपर नीचे करने लगी।
अब मेरा लंड कुतुबमीनार की तरह तन कर खड़ा हो गया,शीला की चूत पहले से ही पूरी गीली हो चुकी थी,अब मैं सीधे लेट गया और शीला को अपने लंड पर उपर से बैठने को कहा,और शीला सामने से मेरे लंड के उपर बैठ गई।
"आजा मेरी रानी! मैं तूझे आज नये अंदाज़ में चुदाई सिखाता हूँ ,आज तू मुझे जी भर के चोद ले और अपना हिसाब बराबर कर ले।"
शीला मुस्कुराए जा रही थी।
फिर मैंने उसकी गांड थोड़ी सी उपर करके उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया और हल्का सा धक्का मार दिया,और लंड तीर की तरह सरसराते हुए चूत के अंदर घुसता चला गया...
"आsssssssssssहहहहह...उउउउउउउssssssssss" शीला ने आँखें मूंद ली।
हालांकि उसकी चूत पूरी गीली और चिकनी थी,इसलिए लंड आसानी से घुस गया और शीला को भी शुरूआती झटके को छोड़कर कोई तकलीफ नहीं हुई।
अब लंड पूरा घुस चुका था और मैंने शीला की कमर पकड़ ली और गांड उचका उचका के हल्के हल्के धक्के लगाना शुरू कर दिया।
शीला ने आँखें मूंद रखी थी और उसके लिए ये अलग ही प्रकार का अनुभव था,.....उसे मज़ा आने लगा।
फिर मैंने उसकी गांड पकड़ कर अपने लंड पे उपर नीचे करने लगा और इसतरह से शीला भी धक्के मारने लगी,....".आsssssह....आssssह...आsssssह....आssssह..."
शीला को भी मज़ा आने लगा,फिर मैंने भी गांड उचका उचका के तेजी से जोरदार स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए...
"आsssssह....आssssह...आsssssह....आssssह..."
"म....जा....आ..र..हा.. है... ना... रा...नी।"
"हं...हं....हाँ ..."
और मैंने अतिउत्साहित होकर
किचकिचाकर जो धक्का मारा कि शीला की चींख निकल पड़ी"आsssईईईईईईssssssss"
फिर मैंने लगातार जोर जोर से धक्के मारना जारी रखा.....मेरी जांघें शीला की गांड से जोरजोर से टकरा रही थी.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प...
अब शीला ने भी साथ देना शुरू कर दिया और उसी रिदम में वो भी तेज तेज धक्के लगा रही थी.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
शीला की दोनों बड़ी बड़ी चूचीयाँ गेंद की तरह उपर नीचे नाच रही थी मानो वो भी चुदाई का जश्न मना रही थी।
अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह..।"शीला मजे में बड़बड़ाये जा रही थी।
और मैंने शीला के जूड़े को खोल दिया और शीला की काली नागिन की तरह बल खाती हुई लंबी-लंबी जुल्फें खुलकर लहराने लगी और मैंने शीला की छाती को अपनी तरफ इस प्रकार खींच लिया कि उसकी जुल्फों ने मुझे अपने आगोश में ले लिया मेरे उपर छा गई।
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
"....अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह..।"
शीला मजे में बड़बड़ाये जा रही थी....और ...चोद..मुझे ...फाड़...दे..भोसड़ा बना...डाल...मेरे...राजा...
"मैं.. तो ..तेरा.. गुलाम ..हूँ ..रानी.. तू.. तो ..हुकुम.. कर ...मुझे...
अब शीला भी जोर जोर से धक्के लगाने लगी...
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
उसकी जुल्फें मेरे उपर छाई हुई थी,
मैंने कस के उसके होठों को चूम लिया, वह भी चुम्बन में साथ देने लगी...मैं उसकी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था....और उसकी चूचीयों को सहला रहा था ....
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.... चुदाई अब पूरे रिदम में आ गयी थी,और मैंने उसकी दूधभरी चूचीयों को चूसना शुरू कर दिया....और अब शीला ने मुझे रोका नहीं बल्कि मस्ती में झूम कर अपनी चूचीयों को पकड़ कर दूध पिलाने लगी....और मस्ती की गंगा बहे जा रही थी।
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
"....अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह...मैं ..झ..ड़.. र..ही.. हूँ... राजा...
और.....शीला झड़ने लगी....
मैंने उसे गांड पकड़ कर उपर किया और खिसक के चूत के नीचे आ गया और जीभ घुसा के चूत चाटने लगा...शीला झड़ रही थी और मैं उसके अमृत का पान कर रहा था।...
अब शीला झड़ चुकी थी और मैं भी वापस अपनी जगह पर आ कर लेट गया और शीला मेरे उपर निढाल हो गई.....उसकी काली लंबी-लंबी जुल्फों ने मुझे ढ़क लिया।
शीला के पास से अभी भी परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबू तो आ ही रही थी साथ ही उसकी जुल्फों से भी शैम्पू की मादक महक आ रही थी।
आज वो पूरी तरह से तैयार होकर आयी थी।
उसकी ये सेक्सी अदायें मुझे भड़काने का काम कर रही थी।
और मैं दिवानों की तरह आने वाले पलों के ताने बाने बुन रहा था।
कुछ देर शीला इसी तरह मेरे उपर औंधी पड़ी रही फिर सीधा होकर अपने अस्त व्यस्त से बाल सीधे करने लगी...
अब मैंने उससे दरवाजे की ओर इशारा करके पूछा उससे..
"...बाथरूम....?"
"नहीं !.बाद में ...."...वो मुस्कुराई।
अब मैं उठा और उसे पानी की एक बोतल पकड़ा दी और वह एक ही सांस में सारा पानी पी गयी।
शायद इतनी चुदाई से वो कुछ थकान महसूस कर रही थी।
फिर मैंने एक थर्मस में से गर्मागर्म काॅफी एक मग्गे में निकाली और शीला की ओर बढ़ा दी।...चूंकि काॅफी एकदम हाॅट और मस्त थी इसलिए शीला बड़े मजे में चुस्की ले के काॅफी पीने लगी...मैंने भी वोदका का एक लार्ज पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा .....फिर एक बार की काॅफी खत्म होते ही तुरंत मैंने बातें करते करते शीला का प्याला काॅफी से फिर भर दिया...और वो मना करती रह गयी ,...आज मैं उसे जी भर कर काॅफी पिला रहा था..इसमें भी कुछ कारण था।.....इधर मै भी अपना तीसरा पैग खत्म कर चुका था...
अब वोदका का सुरूर पूरी तरह से चढ़ चुका था और अब मुझे शीला बिल्कुल परी नज़र आ रही थी...और फिर मैंने एक और पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा....
मै बातें करते जा रहा था...
"आज की पहली चुदाई में तो मज़ा आ गया रानी।"
"ये तो ट्रेलर था,पिक्चर तो अभी बाकी हैं रानी।"
"तो पिक्चर भी पूरी करलो ना, रोका है क्या किसी ने।"वह मेरी नाक पकड़ कर उसे हिलाते हुए बड़े ही मादक अदाज़ से अदायें मारते हुए बोली।
"तो ये ले मैंने अपना वादा पूरा कर दिया"कह कर मैंने एक गोल्डन चमचमाता पैकेट निकाला और बोला "अच्छा अब अपनी आँखें बंद कर"...
....शीला ने अपनी काॅफी खत्म की और आँखें बंद कर ली।
फिर मैंने पैकेट में से वो ही चमचमाता गोल्ड मंगल सूत्र निकाला और शीला के गले में डाल दिया,और होठों पे एक चुम्बन छाप दिया।शीला ने अचकचा कर आँखें खोली,और फिर ....
मंगल सूत्र देखते ही उसकी आँखें फटी रह गयी, खुशी के मारे बांछे खिल गई....
मैंने मजाक में हँस कर कहा..." क्या देख रही है रानी..असली सोने का है,नकली नहीं हैं"
वह बहुत खुश थी कुछ पल वो मंगल सूत्र को निहारती रही फिर अचानक से मुझे बाँहों में ले लिया।
"इतना अच्छा,इतना सुन्दर मंगल सूत्र तो कभी मेरे पति ने भी नहीं दिया।"वह बोली।
"अब तो मुझे भी अपना पति ही समझ रानी, देख अब तो मैं भी तो तुझे अपनी बीवी की तरह ही मानता हूँ,लेकिन अब मैं तुझे अपनी बीवी बनाकर ही दम लूंगा,अब मैं तुझे बीवी बनाने की रस्म पूरी करूँगा चाहे देसी नहीं तो विदेशी तरीके से,".....और शीला के कप को फिर से गर्म काॅफी से भर दिया...शीला सम्मोहित सी होकर काॅफी पिये जा रही थी और
मुझे निहारती ही जा रही थी और मैं बोलता ही जा रहा था .....
".......और फिर रानी,हम दो जिस्म एक जान हो चुके हैं,अब कोई दूरी नहीं बची है।....."
"क्यों!हैं ना।"मैने शीला से पूछा।
"हाँ बाबा हाँ,"...उसने मेरी नाक पकड़ कर उसे हिलाते हुए बड़ी मादक अदायें मारते हुए कहा।
"शीला!देख आज तूने सारी हसरतें पूरी करने का वादा किया है।".
"तो मैने कब ना बोला है राजा....वो हंस पड़ी।
मैने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया ,
"चल रानी अब मेरे लंड राजा की अपने मुंह से थोड़ी पूजा तो कर दे ...मेरे लंड राजा तेरी चूत से तो मिल लिए हैं...अब तेरी गांड से भी मिलवा दूं।"
"अरे नहीं!क्या आप भी?"
"अरे रानी इसमें इसमें क्या हुआ,यह तो बहुत मजेदार सेक्स होता है,बहुत आम है,और पुराने जमाने से चला आ रहा है जब राजा महाराजा अपनी रानीयों के साथ करते थे,मै किसी इतिहासकार की तरह व्याख्या करने लगा.....और खजुराहो,अजंता,एलोरा सुना है?वहां की मूर्तियों में तो बहुत होता है।"
"अच्छा चल अब अपनी गांड के दर्शन करवा दे।" मै उसकी गांड के छेद को उंगली से सहलाते हुए बोला..
"लेकिन मैंने कभी किया नहीं है।"....वो बोली।
"तो क्या हुआ रानी, इसमे क्या टेंशन है,हर कोई पहली बार ही करता है फिर बार-बार करता है।"
"चल रानी आजा"...और फिर उसे अपनी ओर खींच लिया....अब मेरे लंड राजा की पूजा तो कर दे ..
और अपने लंड को शीला के मुंह में दे दिया।
अब शीला राजी हो चुकी थी और वो मेरे लंड को मुंह में ले कर उपर नीचे करने लगी।चूंकि अभी तक मेरा लंड एक बार भी नहीं झड़ा था इसलिए कुछ ही पल में फिर से कुतुबमीनार की तरह तन कर खड़ा हो गया,एकदम कड़क भम्म।
फिर मैंने शीला को डाॅगी पोज़ में आने को कहा,यह शीला के लिए कुछ नया नहीं था,इसलिए वो तुरंत इस पोज़ में खड़ी हो गई।अब मैंने शीला की चूत और गांड चाटना शुरू कर दिया।शीला की चूत तो पहले से ही गीली थी,और कुछ ही पल में फिर से शीला फिर से गरम हो गई,मैंने तुरंत ही पिछे से शीला की चूत में लंड घुसा दिया और लंड फक्क की आवाज के साथ पूरा घुस गया और शीला को कोई तकलीफ नहीं हुई,फिर मैं थोड़ी देर इसी प्रकार शीला को चोदता रहा और शीला पूरी तरह से गरम हो चुकी थी....अsssssssह...अsssssssह...अsssssssह...अsssssssह
अब मैंने एक उंगली पहले मुंह में ले कर थूक से गीली करी फिर धीरे से उसकी गांड में घुसा दी..... "आssईईsssईई.......
शीला की हल्की सी चीख निकल पड़ी...अब थोड़ी देर इसी प्रकार उंगली को अंदर बाहर करने के बाद निकाल ली और सूंघने लगा...आ..हा..उसमें से शीट की हल्की-हल्की सेक्सी मादक महक आ रही थी...और मैं आँखें बंद किए सूंघे जा रहा था।
अब मैंने लंड को चूत में से खिंचा और गांड के छेद पे सटा दिया और हल्के हल्के से रगड़ने लगा...शीला की कुंआरी गांड फड़कने लगी क्योंकि आज वो पहली बार किसी लंड का मज़ा लेने जा रही थी।थोड़ी देर इसी प्रकार हल्के हल्के रगड़ता रहा फिर लंड को शीला की गांड में धीरे से धकेल दिया ...
"आssssssssssईsssssssssओsssssssमाँsssssssss"
........शीला का मुंह उपर की ओर उठ गया गर्दन खड़ी हो गयी आँखें फटी की फटी रह गयी।

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"ऊsssssssssह.....ऊsssssssह....निकालो....निकालो....वापस निकालो......"
"अभी तो सुपाड़ा ही अंदर गया है रानी..."
"आsssssssह....फट गई.......बड़ा... दर्द... हो... रहा... है.....मर ...गईssssss."
"हाँ मेरी रानी मैं निकाल लूंगा थोड़ा सब्र तो कर,थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा।"
फिर कुछ पल रुक कर लंड को फिर से शीला की गांड में धकेल दिया....
"आsssssssह....बड़ा... दर्द... हो... रहा...है......निकाल ले....मुझे गांड नहीं मरवानी....."वह चीखे जा रही थी और मेरी जांघों को पकड़ कर पीछे की ओर इस प्रकार धकेल रही थी कि मेरा लंड बाहर आ जाए,और मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था।चार चार पैग मारने के बाद वोदका का सुरूर मेरे सिर चढ कर बोल रहा था।
"बस रानी थोड़ा सा और सब्र कर ले।थोड़ा वाइल्ड सेक्स का भी तो आनंद ले मेरी जान।"
शीला हांफ रही थी....फिर वैसी ही घोड़ी बनी खड़ी रहीं....
और फीर कुछ देर रुक कर उसी पोज़ में लंड को बिल्कुल धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा ताकि शीला को तकलीफ ना हो।और धीरे-धीरे शीला नार्मल होने लगी।
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह.
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह...आsssssssssह.....आsssssssह.....
"अब कैसा लग रहा है रानी।"
"अ..भी.. ठी..क...है...."
फिर मैं उसी तरह से लंड को अंदर बाहर करता रहा....
शीला मस्ती में गनगना रही थी
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह.
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह...आsssssssssह.....आsssssssह..
"अब मज़ा आ रहा है रानी?मैंने पूछा।
".हाँ ..अ..ब...अच्छा...लग....रहा... है... म...ज़ा... आ..र..हा... है...।"
फिर धीरे-धीरे मैंने पूरा लंड अंदर घुसा दिया और हौले हौले गांड मारने लगा,और शीला को अब मज़ा आने लगा था।और कुछ देर इसी प्रकार अंदर-बाहर करने के बाद और तेज धक्के मारने लगा....शीला की गांड से मेरी जांघें टकराने की आवाज़े आने लगी....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प
और शीला भी उत्तेजित हो कर वाइल्ड सेक्स के मजे लूट रही थी.
ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प...और फिर इस आवाज़ के साथ साथ शीला की गांड ढीली पड़ चुकी थी...अब आवाज़ बदल गई.....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़...और शीला की गांड गीली चिपचिपी और एकदम चिकनी हो गई थी....खुले काले लहराते बाल,गदराया बदन और फिर मुझे चढ़े हुए वोदका के सुरूर में वो किसी पोर्न फिल्म की हिरोइन की तरह लग रही थी,और मैं उसको हर एंगल से तरह-तरह से चूसना चाटना चाह रहा था।
फचड़....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़..फड़ड़ड़.....फड़ड़ड़फड़ड़ड़ और मैं अपने को रोक नहीं पाया....
तुरंत उस सेक्सी सुंदरी की गांड में से लंड निकाला और उसके छेद पे मुंह लगा दिया फिर उस में जीभ घुसा के चाटने लगा।बड़ा ही मदमस्त सेक्स भड़काने वाला सौंधा सौंधा सा स्वाद आ रहा था।शीला भी अब कंट्रोल नहीं कर पा रही थी...बोली....
"मुझे बाथरूम जाना है।"
अब मुझसे नहीं रहा गया तुरंत उसे पकड़ कर अपने उपर इस प्रकार बैठा लिया कि उसकी चूत सीधे मेरे मुंह पर थी।
"रानी अब तो तुझे पता ही है क्या करना है अपने गुलाम के साथ"....
और शीला ने मुस्कुराते हुए अपने मूत की मोटी धार मेरे मुंह में छोड़ दी....आहा मज़ा आने लगा था,और फिर अचानक से शीला रूक गई....शायद मेरी ट्रिक काम कर गयी थी।
"क्या हुआ रानी,रूक क्यों गयी।"
वो आपने काॅफी पिला दी तब से पेट में जाने क्या हो रहा है,ऐसा लग रहा है मानो फट पड़ेगा।
"कोई बात नहीं रानी,सब ठीक हो जायेगा।"
"और अब तो रानी अपना वादा निभाने का वक्त आ गया है "और फिर मैंने उसे उसी प्रकार बैठे हुए ही अपने उपर उल्टा घूमा दिया यानि अपने उपर इस प्रकार बैठा लिया कि उसकी गांड सीधे मेरे मुंह पर थी।
"मेरे लंड का तो ध्यान रख रानी,देख उसे ढीला ना छोड़ना।"
और फिर शीला मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर उपर नीचे करने लगी और मै नीचे से शीला की गांड चाट रहा था।
"रानी बोल तूने वादा किया था ना कि आज मैं जैसा कहूँगा वैसा ही करेगी।"
हँसते हुए शीला बोली...
"हाँ बाबा जैसा बोलोगे वैसा ही करूँगी बस,वादा किया है तो निभाउंगी।
"मै भी तो तेरा साथ निभाउंगा,मैंने भी तो तझे वचन दिया है,तूझे अपनी बीवी बनाकर ही दम लूंगा,मंगल सूत्र तो पहना दिया है बस अब बीवी बनाने की रस्म पूरी करना बाकी है....
चल रानी अब अपने गुलाम के साथ वैसी ही रस्म अदा कर जैसा वो मिस्ट्रेस मेसेलिना ने अपने होने वाले पति के साथ किया था।"
"लेकिन......।"
लेकिन वेकिन कुछ नहीं....जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।"
और मैंने शीला की गांड में धीरे से उंगली कर दी...
उसकी गांड मरवा मरवा के पूरी ढीली हो चुकी थी और मेरी उंगली उसकी गांड मे बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी।मेरी पिलाई हुई गर्मा गर्म काॅफी अपना असर दिखा रही थी शीला को अब पेट में बेचैनी हो रही थी और वो कंट्रोल नहीं कर पायी और फिर अचानक उसकी गांड का छेद खुल गया और ...अब मेरी मिस्ट्रेस शीला की गांड में से थोड़ी सी ब्राउन शीट बाहर आती हुई दिखाई दी। मेरा तो दिल जोरो से धडकनें लगा,मेरी ड्रीम सीक्वेंस पूरी होती नज़र आ रही थी।
वोदका का पूरा सुरूर छाया हुआ था खुले हुए बालों में बड़ी बड़ी आंखों वाली, बड़ी बड़ी चूचीयों वाली,गदराये हुए बदन की मालकिन शीला अपनी गांड से ब्राउन प्रेम लूटा रही थी और मैंने तुरंत आँखें बंद कर के शीला के प्रति समर्पित होकर बड़े ही प्रेम और आनंद से अपना मुंह खोल कर उसका ब्राउन प्रेम का समर्पण अपनी जीभ पे ले लिया और आनंद लेने लगा,उसका कसैला सा स्वाद वोदका के सुरूर में अमृत सा एहसास दे रहा था और मेरी मालकिन,मेरी पोर्न मूवी की हिरोइन जो कि कभी नौकरानी थी वो मेरी रानी बन चुकी थी और पोर्न फिल्मों की ही तरह मैंने भी उसके साथ पिसींग और स्केट सेक्स का मजा उठा लिया था।
मित्रों, इसी के साथ मेरी इस आपबीती का पहला भाग समाप्त होता है।हालांकि उसके बाद भी शीला और मैं अभी भी मौका पा कर मिल ही लेते है,और हम बे झिझक हर प्रकार का सेक्स करते है और हमारे सेक्स के किस्से तो बहुत है पर अभी के लिए तो इतना ही ....
शेष फिर कभी ....
विदा दोस्तों.....
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#30
continue please
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#31
(08-08-2021, 03:11 PM)ASSSNIFFER Wrote: continue please

प्रिय मित्र,अगला भाग शीघ्र ही प्रस्तुत करूँगा ?
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#32
प्रिय मित्रों कहानी का अगला भाग शीघ्र ही प्रस्तुत करने जा रहा हूं...
सिर्फ कुछ प्रतिक्षा किजिए...
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#33
(14-12-2022, 12:33 AM)rohitpal Wrote: प्रिय मित्रों कहानी का अगला भाग शीघ्र ही प्रस्तुत करने जा रहा हूं...
सिर्फ कुछ प्रतिक्षा किजिए... Namaskar
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#34
भाग-2

प्रिय मित्रों,
सबसे पहले तो मैं आप से क्षमा चाहता हूं कि किसी कारणवश काफी समय से इस कहानी का अपडेट नहीं दे पाया।
खैर,अब आगे बढ़ते है।जैसा कि आप पढ़ चुके है शीला के साथ संपूर्ण चुदाई का जो अनुभव हुआ था..जब उसकी टाईट चूत का भोसड़ा बना दिया था,उसकी काली गदराई कुंवारी गांड को फाड़ फाड़ के चौड़ा कर दिया,फिर उसका मूत भी पिया और मदहोशी वाला उसकी टट्टी का स्वाद भी लिया और उसे अपनी 'मिस्ट्रेस शीला 'बनाया......! मैं उसी अनुभव को बार-बार लेना चाह रहा था।
और मैं उसी मौके की तलाश में रहने लगा।
उसकी गदराई हुई चूत और गांड के छेद मुझे रात दिन दिखाई देने लगे थे।
खैर, मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा.....गांव से मेरे नजदीकी रिश्तेदार का मैसेज आया कि उन्होंने कोई धार्मिक कार्यक्रम रखा था इसलिए सपरिवार बुलाया था लेकिन मैंने ऑफिस में ऑडिट का बहाना देकर अपनी फैमिली के बाकी सदस्यों को वहां जाने के लिए मना लिया।
अगले दिन शनिवार था,तो मैने शनिवार की रात की तत्काल टिकट बुक करवा दी।
और फिर सुबह जल्दी ही ऑफिस पहुंच गया.....
मुझे इतनी सुबह ऑफिस में देखकर शीला चौंक गयी क्योंकि वह सफाई के लिए बाकि स्टाॅफ से पहले आ जाती है...।
मैं मुस्कराया.....'क्या हुआ मालकिन शीला....ऐसे क्यों देख रही हो...।'
शीला भी मुस्कराई....'आज आप जल्दी?'
"हां मेरी मिस्ट्रेस शीला....ऐक खुशखबर है....।"
"तुम्हारे लिए कल का न्यौता है....क्योंकि कल हमारा मौका है"...!
मैने एक आंख दबा कर कहा।
ओह...शीला का हाथ अपने मुंह पर चला गया व मुस्कराने लगी।
मैने बोलना जारी रखा...
'आज रात की ट्रेन से परिवार वाले सब जा रहे है और घर पे मेरे और तुम्हारे सिवा कोई नहीं होगा...।"
सिर्फ तुम और मैं...मेरी मालकीन...!
वह हंसने लगी..."क्या आप भी"....!
उसके मन में भी लड्डू फूटने लगे।
वह भी रोमांचित हो उठी।
मैं अपनी मालकिन के लिये बढ़िया सा गिफ्ट लाउंगा..!
लेकिन हां....तुम्हे अपनी रस्म याद है न....वह भी अदा करनी हैं...!
रस्म...?
वो क्या...?उसके चेहरे से ऐसा लगा जैसे कुछ सोंच मे पड़ गई हो..!
'अरे वही जो उस विडिओ वाली मालकिन ने अपने गुलाम के साथ किया था..और फिर तुम ने भी तो किया था...'
'ओह'...वह निचे मुंह करके हंसने लगी..!
"और अब तो तुम मेरी मालकिन हो।
अब तो तुम्हारे ही कहे अनुसार मुझे चलना है।"
"ओ..ह..क्या आप भी..."वह नीचे मुंह किए हुए मुस्कराए जा रही थी।
मै उसे बार-बार मालकिन कहकर उसे परफैक्ट मालकिन बनाने के लिए मानसिक रुप से तैयार कर रहा था।
"अब छोड़ो ये सब बातें, कल सुबह जल्दी आ जाना,तुम्हारा ये गुलाम गिफ्ट लेकर हाजिर रहेगा।"
"और हां पिछली बार तुमने रस्म अदायगी का सिर्फ ट्रेलर किया था...सिर्फ थोड़ी सी मात्रा में.....
पर अबकी बार ज्यादा मात्रा में करना हैं....इसलिए उसी तैयारी से आना"
मैने शरारत भरे अंदाज़ में एक आंख दबा कर बोला।
"ठीक है...?"
उसने सिर्फ मुस्कराते हुए हां में सिर हिला दिया।
और मै आने वाले पलों के लिये रोमांचित हो उठा।
इतने में ऑफिस के स्टाफ मेम्बर आने लग गए थे।
शीला मेरे ऑफीस की सफाई कर चुकी थी।
मै तपाक से अपने ऑफीस की चेयर पर बैठ गया व काम करने का नाटक करने लगा।लोगों के पूछने पर बता दिया कि आज मुझे जल्दी जाना है इसलिए कल का कुछ पेंडिंग काम निपटा के जाउंगा।उसके बाद मैं ऑफिस से जल्दी आ गया।रास्ते में एक ज्वेलर्स की शाॅप से कान की सुंदर सी लटकनें खरीदी व घर आ गया।
अब कल का इंतजार था....।
शेष अगली किस्त में...
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#35
मित्रों ,
यदि कहानी पसंद आ रही हो तो अपने कमेंट्स जरूर देवें..?
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#36
UPDATE
भाग 2 PART-2


घर पहुंच कर मैने कुछ जरूरी काम निपटाये।फैमिली को आज रात की ट्रेन से जाना था,सो उनकी जरूरत की कुछ शाॅपिंग करवाई।
रात को स्टेशन जा के उन्हें ड्रॉप किया, फिर घर आ के आराम से सो गया।
सुबह......
रात में जल्दी सोने के कारण निंद सुबह चार बजे अचानक ही खुल गई....
एवं शीला की चूत और गांड के छेद का खयाल आते ही लंड किसी राॅकेट की तरह तन गया।अब इंतजार था शीला का....
थोड़ी देर यूं ही करवट बदलता रहा...
अब सहन नहीं हो रहा था।लेकिन तुरंत ही खयाल आया कि सुबह भरपूर लुत्फ उठाना है तो अभी कंट्रोल कर ले एवं फुल रेडी हो के फिर इत्मीनान से इंतजार करो।
थोड़ी देर और करवटें बदलकर आखिरकार मै उठा किचन में चाय चढ़ाई फिर चाय पी कर फ्रैश होने बाथरूम में घुस गया।नहा धो कर चाय नाश्ता करके कोई साढ़े छह बजे तक फ्री हो गया एवं सोफे पर बैठ कर सीगरेट के हल्के कश लगाने लगा।
सात बजे....
डोअर बेल बज उठी....
मै भी सोफे से उछल पड़ा...सारे बदन में करंट सा दौड़ गया...
तपाक से दरवाजा खोला....
शीला खड़ी थी...
मैैने तुरंत बाहर आ के देखा...कोई है तो नहीं....हमारी सोसाइटी थोड़ी अलग हट के है और सुुबह का वक्त था इसलिए कोई खास आवाजाही नहीं थी...चारों और देख कर जब मै संतुष्ट हो गया कि कोई नहीं है तब शीला को अंदर बुला कर दरवाजा तपाक से बंद कर दिया...
और फिर शीला को कसकर बाहों में जकड़ लिया....
'ओह...'.शीला कसमसा उठी।
"शीला बहुत इंतजार कर लिया मैने।
तूझे याद नहीं आई? "
"आई थी..."
अब मैं शीला को कसकर चूमने लगा ...
वह भी मेरा साथ देने लगी।
दो तीन मिनट इसी प्रकार हम एक दूसरे को चूमते रहे...।
फिर अलग होकर मै शीला को उपर से नीचे तक निहारता रहा...
पीच कलर के सलवार सूट में वह निहायत ही खूबसूरत लग रही थी।
बिना मेक अप के बिल्कुल सादगी के साथ आई थी ताकि किसी का कोई ध्यान ना जाए। सिर पर बड़ा सा जूड़ा बांध रखा था।फिर उसे पकड़कर बैडरूम में ले गया।
फिर उसे बैड पर खींच लिया और चुंबनों की बौछार कर दी।
शीला भी कसमसा उठी...
उसके मुंह से भी कराहें निकल रही थी..
आ...ह...उह...!
फिर मैने झटके से उसके जूड़े का क्लिप हटा दिया....और उसकी काली नागिन सी काली जुल्फे लहरा उठी...और मेरे चेहरे पर छाने लगी...
मै भी मदहोश हो चला था।
अचानक मझे कुछ याद आया...मै उठा और किचन में से दो बीयर की बोतल और दो ग्लास एवं कुछ नाश्ता
ले कर आ गया।
'ये क्या है...?" वह कुतुहल से पूछ बैठी।
"अरे ये भी पानी की तरह ही ड्रिंक है...लेकिन इसको पीकर अलग ही मजा आता है....।
आज हम दोनों मिलकर अच्छे से एंजाॅय करेंगे।"
"लेकिन ये तो शराब है।"
"नहीं मेरी जान ये शराब नहीं हैं...पी के तो देखो बड़ा अच्छा लगेगा ।"
फिर मैने बियर के दो ग्लास बनाए व एक शीला की ओर बढ़ा दिया।
"लेकिन..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं...विश्वास तो रखो...ऐसा वैसा कुछ नहीं है....बस थोड़ा अच्छा लगेगा व मजा आएगा।
आखिर ना नुकुर करते हुए भी शीला ने एक सिप मार ही लिया....
थोड़ा मुंह बिगाड़ा...
मैं बोल पड़ा...
"एक सिप से कुछ नहीं होगा,पूरी पियो फिर अच्छा लगेगा...।
अब शीला धीरे धीरे सिप मारने लगी।
शााद पहले थोड़ा स्वाद ठीक नहीं लग रहा था लेकिन अब वो नाॅर्मल थी।
धीरे धीरे मैं उसे बातों में लगाने लगा...
"अच्छा एक बात बताओ इतनी सुबह यहां आई तो किसी ने कुछ पूछा तो नहीं...जबकि आज संडे है...."
"कह दिया आज ऑफिस में कोई प्रोग्राम है बाहर से गैस्ट भी आएंगे....
इसलिए सफाई के लिए बुलाया है..."
"क्या बात है तुम तो बहुत अच्छा मैनेज कर लेती हो।"....
"हां आपके लिए करना पड़ता है....।"वह मुस्कराते हुए ठंडी सांस ले के बोली।
"शीला,मैं भी तुम्हारा ख्याल रखता ही हूं और आगे भी कोई कसर बाकी नहीं रखूंगा ये मेरा वादा है"कहकर मैंने शीला को बाहों में भर लिया...।
इसी प्रकार बातें करते हुए हम बीयर का घूंट लेते रहे और शीला के ना नुकुर करते हुए भी मैंने उसे बीयर का दूसरा गिलास भी पिला दिया।
अब शीला हल्के हल्के झूम रही थी।
अब मैं उसे बाहों में लेकर उसके मदमस्त होठों का चूमने लगा....
वह भी मस्त हो कर साथ देने लगी।
और मैंने अपने साथ साथ उसके सारे कपड़े उतार दिये....
अब हम दोनों आदम अवस्था में बिल्कुल निर्वस्त्र पड़े हुए थे।
मैंने उसे कस कर बांहो में जकड़ लिया....।
"आह....इतने क्या बेसब्र हो रहे हो...।"
"हां मेरी मालकिन तुम्हें पास पा कर तो मैं सब कुछ भूल जाता हूं।"
"आज हम जन्नत की सैर करेंगे...पूरा दिन है हमारे पास।"मैने उसके हाथ में अपना लंड देते हुए कहा।
वह भी प्यार से मेरे लंड के सुपाड़े की चमड़ी उपर नीचे करने लगी...
और मेरा लंड राॅकेट की तरह तन गया...।
अब मैं अपनी उंगलियों में थोड़ा थूक लेकर उसकी चूत पे मलने लगा....
शीला गनगना उठी... "आ...ह....ऊ...ह..".।
और मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी....और अंदर बाहर करने लगा।
"उ..ई...मां.....ओ....ह...उफ्फ.."
शीला मस्त हो चुकी थी।
अब मैने उसकी दोनों टांगें फैला दी और चूत की फांकों में अपनी जीभ घुसा दी....और चाटने लगा।
"अ...आ....ह.....उ..उ...ह...हां..ब..हु..त...अ..च्छा....ल...ग.....र...हा...है।"औ..र... क...रो...जो...र....से...।"
अब शीला पूरी तरह गरम हो गई थी...।
अब मैं अपने घुटने के बल बैठ गया
और अपने लंड पे थोड़ा थूक लगाया...और शीला की चूत पर रगड़ने लगा....।
"उ....ह.....अ...ब...म..त...त...ड़...पा...ओ....डा....ल...दो..अं...द...र।"
शीला की चूत आग उगल रही थी....।
और फिर मैने लंड का टोपा शीला की चूत पे रख दिया और धीरे से धक्का दे दिया....और पूूरा का पूरा लंड शीला की गीली चूत के अंदर सरसराता हुआ चला गया।
"आ....ह...."
"ह...अँ.....ओ....ह.....उफ्...ह..म्म...आ...."शीला का मुंह फटा का फटा रह गया...।और मैने फिर से आधा लंड निकाल के दोबारा जोर का धक्का लगाया....।
"ओ...ह...."
शीला गनगना उठी...अँ...ह..हुम्म...
आ..ह...हँ...अ...।
अब मैने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया....
"ओ....ह.....उफ्...ह..म्म....उ..ई....मां...हां....ऊ...ह...ओ...ह..."
मैने पूछा...कैसा लग रहा है....।
अ..च्छा...ल...ग...र...हा...है...रा...जा....क...रो..मे..रे...रा...जा
मैंने धक्के लगाते हुए कहा...."अरे राजा नहीं मैं तो तुम्हारी चूत का गुलाम हूं मेरी महारानी..तुुम मेरी..मालकिन...हो...
बोलो".....मैंने उसकी ठोड़ी को पकड़ कर हिलाते हुए कहा।
शीला पर नशे का सुरूर छा गया था।
"हां...मे...री...चू..त...के.....गु..ला..म..अच्छे से करो...औ...र...जो...र
..से....फा..ड़...डा..लो....भो...स...ड़ा...ब...ना...डा...लो...ओ
..ह...।"
और मैं जोर जोर से झटके मारने लगा...फट्ट....फट्ट....फट्ट...फट्ट...
शीला चिख उठी....
"आ...ह....औ...र....जो...र....से..करो....जो...र....से....फा...ड़...दे.....आ....ज....तो...।"
अब शीला उन्मादी हो उठी थी....नशा सर चढ़ के बोल रहा था...और मैं धक्के पे धक्के लगाऐ जा रहा था।
"पू...रा...घु...सा...दे....फा...ड़...डा..ल...इ..स...क..मी..नी...चू...त...को।"
"जैसा हुकुम मेरी मालकीन"....उसे तू तडांग वाली भाषा बोलते देख
मैं भी जोश में आ गया...और पूरी ताकत से जोर का धक्का लगा दिया।
वह चिल्लाई....आ...ई....मा..
र....डा...ला....औ..र...जो...र...से...चो...द....औ...र....चो....द...आ...ई..मैं....झ...ड़ ...र...ही....हूं....ऊ...ह....ऊ....ह....ऊ...ह....
और शीला झड़ गयी....
मैं तुरंत झुका और शीला की चूत पे मुंह लगा के उसकी चूत का पानी पीने लगा...उसके चूत रस का रसपान करने लगा....लेकिन मैने अपने आपको पूरा कंट्रोल में र⁵खा और अपने को झड़ने नहीं दिया।
शीला लंबी लंबी सांसें ले रही थी।मैं शीला के उपर झुक गया....थोड़ी देर में शीला नार्मल होने लगी....
लेकिन नशा अभी भी सवार था....
फिर मैं शीला को बाहों में ले कर लेट गया और तेजी से आगे की प्लानिंग करने लगा।

शेष अगली किस्त में...
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#37
मित्रों,
अगला अपडेट जल्द ही दूंगा
प्लीज वोट, लाइक्स,रेटिंग व कमेंट्स करें।
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#38
प्रिय मित्रों,
जैसा कि कहानी के आरंभ में मैं ये बता चुका हूं कि ये कहानी डर्टी सैैक्स यानि स्केट एवं पिसींग सैक्स से प्रेरित है इसलिए आगे आने वाले अपडेट में स्केट सैक्स के काफी कंटेंट्स है इसलिए मेरा अनुरोध है कि जो मित्र स्केट कंटेंट पसंद करते है वे ही इसे पढ़े तो उन्हें काफी आनंद आएगा।
और हां मित्रों अपनी रेटिंग व कमेंट्स देना ना भूलें.....
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#39
भाग 2
PART-3
शीला के साथ चुदाई की खुमारी मुझ पर छाई हुई थी।इतनी जोरदार चुदाई के बाद हमदोनो एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले निर्वस्त्र पड़े हुए थे....और मैं शीला को बेतहाशा चूमें जा रहा था..
और शीला बोल उठी....."मुझे बाथरूम जाना है...."
"हां!चली जाना मालकिन इतनी भी क्या जल्दी है,थोड़ा रिलैक्स तो करलो..."
"नहीं मुझे जाना पड़ेगा,तुम्हारी खातिर मैं जल्दी आ गयी और सुबह से टायलेट का मुंह तक नहीं देखा..."...शीला झूमते हुए बोली।
मैं मन ही मन खुश था.....मन ही मन बुदबुदाया..."सही जा रही हो मेरी मिस्ट्रेस...."
अरे!हां मालकिन जरा ठहरो तो...
शीला के गदराये बदन की गरमी से मैं मदमस्त हो रहा था.....उसकी काली जुल्फें मेरे उपर छाई हुई थी.....और मेरी दोनों उंगलियाँ शीला की चूत और गांड के छेद को बारी बारी से कुरेदे जा रही थी।
अब मैं उठा.....अब आगे क्या करना हैं इसकी प्लानिंग मैं कर चुका था।उठ कर किचन में जा के एक बीयर की बोतल उठा लाया फिर दोनों के गिलास में बीयर से भर दिये......
चलो कुछ थकान दूर कर लेते है...कुछ रिलैक्स हो जाएगा।

[Image: Screenshot-20230630-120323-Chrome.jpg]

"अरे नहीं...अब बस भी करो"वह बोली।
"अरे यह तो हल्का फुल्का एंजाॅयमेंट है...मेरी मालकिन...अभी तुम पूरी रिलैक्स हो जाओगी।"
शीला को अब बीयर पी कर मजा आने लगा था....इसलिए इस बार ज्यादा ना नुकुर नहीं की और बीयर के सिप लेने लगी।...और जल्द ही हमने बीयर खत्म कर दी।
अब फिर से उसे नशा सा छाने लगा था....उसकी आंखें मदमस्त होने लगी।....
अचानक वह उठ बैठी....बोली..."जोर की बाथरूम लगी है....।"
मैं तो तैयार ही था...बोला...बाथरूम में ड्रेनैज की प्राब्लम है...थोड़ा सिवील वर्क करवाना है।और फिर तुम्हारा ये गुलाम किस लिये है महारानी...याद है ना पिछली वाली बात...वो विडिओ वाली महारानी कैसे अपने गुलाम के मुंह में मूत रही थी और फिर तुम ने भी तो ऐसा ही किया था....
"मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है"वह बोली..।
"तो आ जाओ गुलाम हाजिर है मेरी मालकिन"...।
वह टांगें चौड़ी किये बैठी थी...मैं तपाक से उसकी चूत के सामने मुंह खोल कर लेट गया....।
शीला को बहुत जल्दी थी...वह कुछ समझ नहीं पा रही थी....चेेहरे पर कुछ झुंझलाहट सी थी...तभी आनन फानन में वह उठी....
बोली....लो....
और उठ कर मेरे मुंह पर बैठ गई...और उसकी चूत मेरे मुंह से सटाते ही उसकी चूत की सुंदर काली चमकीली फांकों के बीच से मूत निकल पड़ा....
श्श्श्...ई.ई.श्श्श्ईश्श्श्श्श्श्श्श्ईश्श्श्श्....
और मै बड़े मजे में गट गट करके चूत का अमृतपान करने लगा।

[Image: Screenshot-20230630-064915-Chrome.jpg]

शीला अबकी बार बिल्कुल नहीं झेंप रही थी क्योंकि वह पहले भी कर चुकी थी और फिर उस पर नशा भी सवार था...
उसके मूत की धार मेरे मुंह मे सीधे गिर रहीं थी.....गड़ड़डड़ड़ड़ड़डड़
..........मै अपनी ड्रिम सिक्वैंस में डूबा हुआ था और वह किसी ब्ल्यू फिल्म की मिस्ट्रेस की तरह मूूत रही थी और मैं बड़े ही आनंद से उसे अपने मुंह में ले रहा था।
और कुछ पलों के बाद वह बंद हो गई।
मै उठ बैठा और नैपकिन से मुंह पोछा ,और शीला को बाहों में ले कर लेट गया।
अब मै शीला के गदराये बदन को चूम रहा था और वो नशे में झूमते हुए मस्ती में सिसकीयां भर रही थी....अब मैने शीला को घोड़ी बना दिया....और फिर उसकी चूत की फांकों को चौड़ा करके उसमें अपनी जीभ घुसेड़ दी।


[Image: Screenshot-20230701-085338-Chrome.jpg]

[Image: Screenshot-20230701-091903-Chrome.jpg]

शीला फिर से गरम होने लगी थी....
"आ...ह....ईईईई....उ...ह...।"
और मै उसकी काली चिकनी चूत का स्वाद ले रहा था....मन कह रहा था..
"आज तो इसके गदराये बदन का एक-एक इंच का स्वाद चखूंगा...."
मेरा भी आठ इंच का लंड अब विद्रोह करने लगा था।
फिर मैने उसकी गांड को चौड़ा करके उसके सुराख में अपनी जीभ घुसा दी...
"आ...ह.."...शीला मचल उठी।
और मैं उसकी गांड को जीभ से चोदने लगा...शीला गनगना उठी....उसकी गांड के छेद में कंपन होने लगा व खोल बंद होने लगा...।
"कैसा लग रहा है मेरी मालकिन "
आ...ह....अच्छा....मीठी सी सनसनाहट हो रही है....उ...ह...अं...ह..."
"चलो अब मेरा लंड भी तुम्हारी गांड से मिलन करने को बेताब हो रहा है...मेरी मालकिन....अब तैयार हो जाओ।"
"छोड़ो भी...वहां मुझे दर्द होता है"
"अरे मेरी मालकिन, दर्द होता है लेकिन फिर मजा भी तो आता है"
फिर मैने एक न सुनी और तेल की शीशी से थोड़ा तेल अपनी दो उंगलियों में लेकर धीरे से एक उंगली शीला की गांड में डाल दी....
"उ..ई..ई..".शीला मचल उठी।
"मालकिन अभी सब ठीक हो जायेगा।"
फिर मै थोड़ी देर तक एक उंगली अंदर बाहर करता रहा....फिर दूसरी उंगली भी घुसा दी.....
"उ...ई...ई...मां"....शीला कराह उठी।
जैसे ही मैं उसकी गांड में दोनों उंगली अंदर बाहर करने लगा....शीला की गांड का मुंह खुला और....फिर.....
......फिस्स्..स्स्स्..स्स्स्...करके थोड़ी हवा बाहर निकल गई....।
अरे वाह...मै मचल उठा और अपनी नाक शीला की गांड में घुसा कर मदहोश करने वाली गंध के मजे लेने लगा....उसकी दो काली पहाड़ीयों जैसी गांड के बीच मेरी नाक किसी हेलिकॉप्टर की तरह गोते लगा रही थी।मै मदमस्त हो उठा था और मेरा लंड किसी मिसाइल की तरह खड़ा था मानो लांचपैड पर लांच होने की तैयारी में खड़ा हो।

अब मैने देर ना करते हुए शीशी में से थोड़ा तेल लेकर लंड पे मल लिया और शीला की गांड के सुराख पे रख दिया...और....धीरे से धकेल दिया...
"आ...ई..ई.ई.ई..ई"...शीला चींख पड़ी।
पूरा सुपाड़ा एक ही बार में चला गया था।
"अरे मेरी मालकिन बस थोड़ा दर्द होगा...फिर मजा ही मजा है..."
और ये कह कर मैने सुपाड़ा थोड़ा सा निकाला....
शीला पहले भी मुझसे गांड मरवा चुकी है इसलिए तकलीफ नहीं होगी....यह सोंच कर फिर से हल्के से दबाव देकर लंड को अंदर धकेल दिया...
"आ...ई..ई.ई.ई..ई"..ऊ.sssssह"
अब सुपाड़े के अलावा एक डेढ़ ईंच लंड भी अंदर चला गया।
"आ..ह...नि.का.लो....ऊ...ह...मुं...झे ...त..क..ली..फ...हो...र..ही...है।"
शीला बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी,और अपने हाथ को पिछे करके मुझे पीछे की ओर धकेल रही थी.....
मै था कि निकाल नहीं रहा था....कि अभी नाॅर्मल हो जायेगी लेकिन वो नाॅर्मल नहीं हो रही थी.....".नि.का.लो....ऊ...ह...आ...ह..........ब..हु..त...त..क..ली..फ...हो...र..ही...है।"
"उ..फ्...फ...नि..का..लो...मु..झे...जो...र....से..."कह कर रूक गई...।
"आ...ह...नि..का..ल...ले..."वह नशे के सुरूर में तू तडांग पर उतर आई..."नि..का...ल... ले..."
"मालकिन थोड़ी सी सब्र करो...बड़ा मजा आयेगा आखिर मैं तुम्हारा गुलाम हूं....बहुत मजा दूंगा ....।"
नशे की पिनक में वो बोले जा रही थी....न...ही...मु..झे....न...हीं......मे...री...बा...त...मा...न...ले....अ...ब...नि...का...ल....ले...ह...रा...मी...मु...झे....जो...र....का.....प्रे...श...र...ल...ग....र...हा...है...ऊ...ह।"
मैने तुरंत लंड बाहर निकाल लिया...

[Image: Screenshot-20230701-180949-Chrome.jpg]

और लंड बाहर निकालते ही शीला की थोड़ी टट्टी बाहर आ गयी।और मैं रोमांचित हो उठा।
वह बैठ गयी....
"ऊ....ह...मुझे....टायलेट जाना पड़ेगा।"शीला झूमते हुए बोली।
मैं तो तैयार ही था....मेरा प्लान सक्सेस हो रहा था....मैने फिर वही बात कही...".ड्रैनेज की प्राब्लम है..."
"मै हूं ना मेरी मालकिन...."याद है न पिछली बार वाली बात...तुमने जो किया था"...."तुम अभी भी वैसा ही कर लो..."
शीला को मैने पिछली बार का टायलेट सेक्स याद दिलाया....
"न..ही...अ..भी..न..ही...।"शीला बोली।
"याद है न तुमने वो रस्म अदा करने का वादा किया था...और फिर...और वो विडिओ वाली मालकिन ने कैसे अपने गुलाम के मुंह को टायलेट बना लिया था...।"
"मै भी तुम्हारा गुलाम हूं मालकिन...मैं तुम्हारा टायलेट बनूंगा....
आओ अब देर किस बात की..."
मै तुरंत उसके बाजू में लेट गया....
आओ मेरी मालकिन,गुलाम हाजिर है...शीला कुछ समझ नहीं पा रही थी...उसे प्रेशर जोरों का था...चेहरे पे झुंझलाहट साफ दिखाई दे रही थी...
आनन फानन में वह उठी....नशे में उसकी आंखे और भी मदमस्त लग रही थी.....
अब हल्के से मुस्का के बोली.....ले मेरे गुलाम.....
और झटके से मेरे मुंह पर बैठ गयी....
और अपनी गांड का छेद मेरे मुंह पर रख दिया...
"हां मेरी मालकिन मैं तैयार हूं"

[Image: Screenshot-20230630-155032-Chrome.jpg]
[Image: Screenshot-20230630-151816-Chrome.jpg]
[Image: Screenshot-20230630-151808-Chrome.jpg]
[Image: Screenshot-20230630-121011-Chrome.jpg]
[Image: Screenshot-20230630-121200-Chrome.jpg]
home emojis
और उसके मेरे मुंह पर गांड का छेद रखते हुए......।"
मेरे शरीर में मानों करंट सा दौड़ रहा था...वह मेरे उपर 69 के पोज मे बैठने लगी थी....



मेरी ड्रिम सिक्वैंस शुरू हो गई....
मेरा लंड तो तना हुआ था...पर और अधिक उत्तेजना के लिये मैने अपना लंड शीला के हाथ में दे दिया...
शीला भी नशे की धुन में लंड को ठुमके मारने लगी....
और फिर....
उसके मेरे मुंह पर गांड का छेद रखते ही.....
देखते ही देखते गोल्डन शाॅवर की शुरुआत होती है....ब्राउन शीट....
मेरी ड्रीम सिक्वैंस.....
मैने मुंह बढ़ाकर इस प्रेम को अपने में समेट लिया....इसका मदमस्त करने वाला अलग ही कसैलापन मुझे आनंद लोक की सैर करा रहा था,क्योंकि शीला भी 69 पोज में अपने हाथों से मेरे लंड को जोरदार ठुमके मारे जा रही थी और मै मस्ती में गनगना रहा था....।
शीला अपना सारा लोड मेरे मुंह मे डाल रही थी,मैने थपथपाकर उसे रोकने की कोशिश की पर वह कहां रूकने वाली थी....आखिरकार मैने उसे हाथों से पकड़कर थोड़ा दूर किया....फिर कुछ देर इसी अवस्था में लेटा रहा....शीला भी मेरे उपर इसी अवस्था में 69पोज बना कर लेटी रही।और मै....
उसके ब्राउन प्रेम को अपने अंदर समेटने की कोशिश करता रहा.....शीला अभी भी मेरे लंड को ठुमके लगाए जा रही थी...और मै आनंद के सागर में गोते लगा रहा था।
कुछ देर इसी अवस्था मे रहने के बाद मैं उठा फिर शीला का हाथ पकड़कर बाथरूम में घुस गया।
अब मेरे दिमाग में कुछ और प्लानिंग शुरू हो चुकी थी.......।

शेष अगली किस्त में.....
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#40
मित्रों,
कहानी पसंद आये या नहीं कमेंट्स जरूर करें क्योकि आगे की कहानी आपके अनमोल कमेंट्स पर भी निर्भर करती है।
आपका आभारी....रोहित
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