Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
You do not have permission to vote in this poll.
Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
4.35%
1 4.35%
Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
4.35%
1 4.35%
Kisi maard ko mana nahi kare
4.35%
1 4.35%
Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
34.78%
8 34.78%
bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
52.17%
12 52.17%
Total 23 vote(s) 100%
* You voted for this item. [Show Results]

Thread Rating:
  • 11 Vote(s) - 2.64 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३७ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part ३)
any chance of update
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
(05-10-2022, 11:16 AM)luvnaked12 Wrote: Thank you santosh Ji..Sirf haat chumoge? main aapk rmana nahi karungi...
aapki sandhya

Mai to 69 me ekdusre ke sath lesbo ka maja bhi leti re pagli....
Like Reply
(30-09-2022, 09:06 PM)luvnaked12 Wrote: friends this is my first time to post story.. if you dont encourage me..i will stop writing.. please send likes and feedback

Are naahi re pagal.... Bahut masst sexy chudakkad kahani hai.... TU bich me band mat kar.... Puri kaaahni bata.... mere sath bhi aise hi kuch hua tha.... Teri kahani padh kar mujhe meri pahli chudai ki yaaad taza ho Gaya ...
Like Reply
पार्ट ३२: अजीब क्रेविंग्स / लालसा  !

हम हनीमून से वापस घर आये. सब लोग बहुत खुश थे. मेरा देवर आकाश जो की इंजीनियरिंग की फर्स्ट साल में था, मुज़से बहुत मजाक करता. क्या भाभी.. भैय्या ने तो हनीमून पर ही चौका मार दिया. गए थे २ लोग ओर तीन वापस आ गए. में शर्मा जाती. में रोज २-३ बार अनीश का लण्ड चूसकर उसका वीर्य पीती थी. मुझे शायद प्रेगनेंसी की क्रेविंग्स हो गयी थी.. ओर वीर्य का स्वाद पसंद आने लगा था..बिना उसके लण्ड का  पाणी चखे संतुष्टि नहीं मिलती. अनीश को तो अच्छा ही हो गया था..वोः बहुत खुश था ओर मेरी मज़बूरी का फ़ायदा लेकर बड़े नखरे कर के अपना लण्ड मेरे मुँह में देता. 

इसी ख़ुशी में पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल ने उनके घर दावत राखी. धर्मेश अंकल के बारे में में पहले ही बता चुकी हूँ. धर्मेश अंकल बहुत आवारा ओर लफड़ेबाज़ किसम का आदमी है. धर्मेश दिखने में बहुत सुन्दर ओर खूबसूरत है. बॉलवुड स्टार धर्मेंद्र की तरह. उसी का वो फ़ायदा उठाता हैं. कॉलेज के दिन अपने कमरे में लड़किया बुलाता था. २-३ बार हॉस्टल में नंगी लड़कियों के साथ पकड़ा गया ओर निकाला गया. कोई भी सुन्दर औरत को आसानी से पटा लेता है. पम्मी  मौसी को भी वैसे ही पटा लिया था. रिश्ते ओर आस पड़ोस की काफी औरतों से सम्बन्ध  है. अपनी मीठी बातें,  प्यार, या ब्लैकमेल, या खूबसूरती से आसानी से हर औरत को फंसा लेता है. धर्मेश अंकल की पर्सनालिटी एकदम मस्त थी..एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५  की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे शरीर. सच में कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे.

चुकि अब मेरा तीसरा महीना हो गया, मैंने लूज़ गाउन पेहेन लिया ताकि बार बार बाथरूम जाने में आसानी रहे. . मुझे बार बार पेशाब होती थी. मेरे पास एक नीले रंग का बहुत सुन्दर लेग कट गाउन था. वही पहना था. वजन बढ़ने के कारन वोः मुझे काफी टाइट हो रहा था ओर मेरे बुब्स ओर गांड उसमे एकदम निखर के आ रहे थे. पम्मी मौसी ने बहुत प्यार से स्वागत किया. हम सवेरे ही चले गए थे ताकि शाम तक उनके सात टाइम स्पेंट करे ओर वापस आये. धर्मेश अंकल मुझे आंखें फाडफाडकर  देख रहे  थे. उनकी वासना भरी नजर से मेरा बदन सीहर गया. सुबह जल्दी निकलने के फ़िराक में मुझे अनीश के लण्ड को चूसकर उसका वीर्य पिने  का समय नहीं मिला. धर्मेश अंकल मुझे प्यासी नजर से देखते. मेरी वीर्य पिने की क्रेविंग / लालसा बढ़ गयी. बड़ा अस्वस्थ लग रहे था. धर्मेश अंकल - क्या हुआ संध्या  ? सब ठीक है ना? तबियत ठीक है?  उन्होंने मेरी अस्वस्थता भांप ली थी शायद.

मैंने कहा - कुछ नहीं अंकल .. मुझे टॉयलेट जाना है.. उन्होंने मुझे टॉयलेट दिखाया  .. पम्मी मौसी ने कहा - संध्या ऐसी अस्वस्थ में बार बार पेशाब लगती है.. तुम कोई भी टॉयलेट यूज़ करो..उन्होंने उनकी बैडरूम की टॉयलेट भी मुझे दिखा दी. धर्मेश अंकल अनीश को गेस्ट रूम ले कर गए ओर वो दोनों बातें करने लगे. कुछ देर बाद मुझे फिर से पेशाब लगी, मेँ कॉमन टॉयलेट गयी , वो बंद था. फिर मे पम्मी मौसी के बैडरूम के टॉयलेट की तरफ चली गयी. मुझे बड़ी जोर से पेशाब लगी थी. में टॉयलेट के अंदर गयी ओर पैंटी निचे कर के गाउन ऊपर कर दिया ओर टॉयलेट सीट पर मुतने बैठ गयी. तभी टॉयलेट का दरवाजा खुला, शायद मैंने लॉक नहीं किया था, ओर धर्मेश अंकल अंदर आ गए. उनके पजामा का नाडा खुला था, अंडर वियर निचे थी ओर उनका मोटा गोरा  बड़ा लण्ड उनके हात में था. 
धर्मेश अंकल: ओह सॉरी संध्या मुझे नहीं पता था तुम अंदर हो. मै पेशाब करने अंदर आया था.
मैंने कहा : कोई बात नहीं धर्मेश अंकल..मैंने भी शायद दरवाजा लॉक नहीं किया था.
धर्मेश अंकल: सच में सॉरी संध्या .. 
उनका लण्ड अभी भी उनके हात में था. वो उसको अंदर पजामा में नहीं डाले थे . उनका लण्ड उनके हात में फूलकर लम्बा मोटा हो रहा था. वोः मेरी आँखों में देख रहे थे. में भी उनकी नजरों से मोहित होकर उन्हें देख रही थी. उनको मेरी साफ़ ओर बिना बालों वाली फूली चूत साफ़ दिख रही थी. उनकी नजर अब निचे मेरी चूत पर थी. 
मैंने कहा : तिस्क हैदाहरमेश अंकल.. गलती हो जाती है. 
धर्मेश अंकल: हाँ ओर इस बाथरूम के दरवाजे का लॉक भी ठीक नहीं है.
धर्मेश अंकल का पजामा पूरा निचे गिर गया था ओर उन्होंने धीरे से उनकी अंडरवियर निचे खिसका दी.
मैंने कहा: इसमें आपकी कोई गलती नहीं है. 
धर्मेश अंकल: वाह ! .. बहुत सुन्दर
मैंने पूछा : क्या  धर्मेश अंकल ?
धर्मेश अंकल: तुम्हारी चूत बहुत सुन्दर हैं संध्या
मेँ शर्मा गयी. मैंने गाउन ओर ऊपर उठा लिया.  इसके कारन अब में निचे से धर्मेश अंकल के सामने एकदम नंगी थी. धर्मेश अंकल ने अपना पजामा पूरा निचे गिरा दिया. अंडरवियर भी निकाल दी. वोह अब सिर्फ एक टाइट टी शर्ट में थे. इस उम्र में भी उनका लण्ड बहुत सुन्दर था. शायद इतना सुन्दर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा. पूरा १० इंच का  , काला लण्ड, लाल टोपा ओर फुला हुआ. में उनके रूप से मोहित हो गयी.
मैंने शर्मा कर कहा : कुछ भी धर्मेश अंकल..आप बड़े शरारती हो.
धर्मेश अंकल: में  झूठ नहीं बोलता..तेरी कसम संध्या..इतनी सुन्दर बुर मैंने आज तक नहीं देखी.
मैंने भी शरारती अंदाज में पूछा: अच्छा ! ऐसी कितनी बुर देखी होंगी आपने आजतक.. 
धर्मेश अंकल: सच में..पिछले ३० सालों में कम से काम  ढाई हजार बुर तो देखी है..पर तेरी जैसे सुन्दर चूत कभी नहीं देखी..कितनी मास्ट चिकनी, साफ़, फूली हुई, टमाटर की तरह लाल - गुलाबी..वाह यह जन्नत है..
में शर्मा गयी.. मेरी चूत गीली हो गयी..ओर मे्रे पाणी से चमकने लगी.. मैंने कहा  = चलो झूठे.. 
धर्मेश अंकल: आह ! संध्या..तेरी चूत तो पाणी बहा रही..चमक रही है..
उन्होंने अपना हात आगे कर के मेरी  चूत पर रख दिया ओर प्यार से सहलाने लगे. मुझे भी अभी वीर्य के स्वाद की क्रेविंग्स हो रही थी. में सिर्फ उनकी वासना भरी आँखों में टक लगा कर देख रही थी. इसी बीच उन्होंने आगे बढ़कर अपने लण्ड का मोटा गोल सूपड़ा मेरे ओंठों पर लगा दिया. मुझे उनके लण्ड की खुसबू से क्रेविंग्स बढ़ गयी. मैंने उनका सूपड़ा मुँह मेँ लिया ओर लॉलीपॉप की तरह प्यार से जोर जोर से चूसने लगी. उनका मोटा लण्ड काले नाग जैसे फुफकार रहा था.

में बस उनको  देखकर अपने दोनों हातों से उनका लण्ड पकड़कर चूस रही थी. वो  मेरी चूत सहला रहे थे.  
धर्मेश अंकल: आह.. संध्या इतनी सुन्दर चूत मैंने मेरी लाइफ मेँ कभी नहीं देखि. मुझे इसकी ठुकाई करनी है.
मैंने कहा: प्लीज धर्मेश अंकल अभी नहीं..में प्रेग्नेंट हूँ... मुझे जाने दो 
धर्मेश अंकल...फिर मुझे बस थोड़ी देर तेरी चूत चाटने दो..
में  मान  गयी..मैंने मेरे पैर फैला दिए.. धर्मेश अंकल अपना लण्ड हिलाते हुए निचे बैठे ओर मेरी चूत चाटने लगे. उनकी जीभ इतनी मोटी, लम्बी ओर खुरदुरी थी..मुझे लग रहे था जैसे कोई लण्ड हो. उन्होंने मेरा दाणा चूस लिया ओर अपने दातों से धीरे से काटा. मैंने उनका सर अपनी चूत पर जोर से दबा दिया..ओर आह..उम्..करके  मेरा पाणी निकाल गया. वो बड़े प्यार से मेरी चूत का पाणी चाटने लगे..ओर फिर से मेरी चूत का दाणा चूसने लगे. में फिर से गरम हो गयी.
धर्मेश अंकल मेरी आँखों में आंखें डाल कर मनाने लगे : प्लीज संध्या..सिर्फ थोड़ा सा ऊपर ऊपर से चोदूूँगा  तेरी चूत. मना मत कर
मैंने कहा .. नहीं अंकल .कोई आ जायेगा..बड़ी बेज्जती होगी..प्लीज जाने दो..
वोह उठकर खड़े हो गये ओर बोले: . ठीक है..सिर्फ एकबार मे्रे लण्ड को किश कर दो..फिर चली जाना..
मैंने उनका लण्ड अपनी दोनों हातों में पकड़ लिया..ओर उनके लण्ड के टोपे पर जीभ फिर दी. वैसे ही उनके लण्ड की महक मे्रे नाक को महसूस हुई. उनके लण्ड को चाटकर उसका स्वाद  मुझे किसी अमृत की तरह लगा. में खुद को रोक नहीं पायी. धीरे धीरे मैंने उनके लण्ड का पूरा टोपा अपने  मुँह में ठूस लिया. उन्होंने झट से उनका लण्ड मे्रे मुँह से निकाला ओर कहा - ठीक है..थैंक यू संध्या..तू अब जा सकती हो.
मैंने हैरानी से देखने लगी. उनको मेरी कमजोरी पता चल गयी थी. मेरी वीर्य के स्वाद ओर महक की लालसा बढ़ रही थी. में अपनी जगह बैठे रही ओर भुकी नजरों से उनके लण्ड को देखती रही. मुज़से रहा नहीं गया..में उनके लण्ड पर झपट गयी ओर फिर से अपने मुँह  में ले लिया..
वैसे अंकल ने  फिर से उनका लण्ड मे्रे मुँह से बहार निकाल दिया ओर बड़े  प्यार से मे्रे गालों पर हात फेर के बोले..प्लीज संध्या सिर्फ एक बार..चोदने दो.  बस ऊपर - ऊपर ही छोडूंगा.. सिर्फ  एक - दो इंच लण्ड अंदर डालूंगा ओर तेरी चूत के पाणी में भिगोकर बहार निकाल लूंगा. मे्रे  पर  यकीन करो. मैंने शर्मा के चेहरा निचे कर दिया.

उन्होंमे मे्रे पैर ऊपर उठाये ओर अपने मोटे लण्ड का टोपा मेरी चूत की द्वार पर रख दिया. में मना नहीं कर पायी. मेरी चूत ऐसी ही गिल्ली थी. बड़े प्यार से धिरे से उन्होंमे ३ इंच लण्ड का लाल टोपा मेरी चूत में अंदर डाल दिया. उनके लण्ड का टॉप इतना गोल-मोटा था .. जैसे कोई बड़ी मुसल. मेरी चूत को अंदर से रगड़ रगड़ कर ठुकाई कर रहे थे. इसी बीच में जोर से आँहे लेने लगी..ओर उनके लण्ड पर झड़ने लगी..उम्..आह..धर्मेश अंकल..मर जाउंगी/.. आपकी मुसल ..
धर्मेश अंकल; आह संध्या ..तेरी चूत कितनी कसी हुई है..लगता है अनीश का लण्ड बहुत छोटा है.. मेरा लण्ड कैसे लगा रानी ? खुश हो ना?
मैंने कहा : उम् .. आपका  लण्ड बहुत बड़ा है धर्मेश अंकल.. बहुत अच्छा लग रहा है..पर अब इसे निकाल दो..में प्रेगनेंसी में रिस्क नहीं लेना चाहती 
धर्मेश अंकल : में समाज सकता हूँ संध्या.. जब तुम्हारा बच्चा हो जायेगा उसके बाद फुर्सत से तेरी रात भर चुदाई करूँगा.. पर अब तू मेरा लण्ड चूस के पाणी निकाल दे.
में वही चाहती थी. मुझे वीर्य के स्वाद का क्रेविंग्स / चस्का लगा था. धर्मेश अंकल ने धीरे से उनका लण्ड मेरी चूत से बहार निकला ओर मे्रे ओंठों पर रख दिया.

मैंने भी उस सुन्दर विशाल  लण्ड को पूरी इज्जत दी. दोनों हातों  से प्यार से पकड़ कर उनका गुलाबी सूपड़ा चूसने लगी. एक हात से मैंने उनकी बड़ी बड़ी सांड जैसे गोटिया पकड़ ली ओर सहलाने लगी. धर्मेश अंकल खुश हुए. वोः लम्बे लम्बे स्ट्रोक से मे्रे मुँह को चोदने लगे. मैंने मेरी गर्दन ऊपर की ओर उनका पूरा लण्ड मे्रे गले तक अंदर ले लिया. 
धर्मेश अंकल ; आह रानी..तू तो बड़ी एक्सपर्ट है लण्ड चूसने मेँ. अनीश बड़ा लकी है..
धर्मेश अंकल  मे्रे मुँह को जोर जोर से चोदने लगे..मैंने भी उनकी गोटियां सहलाई..ओर २-३ बार उनका पूरा १० इंच का लोडा गले के अंदर तक ले लिया..वो हाफने लगे ओर..ुम.. ाः.. आह.. करके मे्रे मुँह में झड़ने लगे. 
मैंने उनका लण्ड गले से बहार  निकाला ओर उनका पूरा पाणी अपने जीभ पर लिया ताकि उसका स्वाद ले सकू.  वाह ! .. क्या बात थी. उन्होंने १५-२० फवारे में इतना सारा वीर्य मे्रे मुँह में ठूस दिया. ओर क्या स्वाद था.. मीठा शहद.. इतना स्वादिष्ट वीर्य मैंने कभी नहीं चखा था. में उनके वीर्य के खुशबू ओर स्वाद  की दिवानी हो गयी. तभी बहार हमें कुछ आवाज आयी. 
धर्मेश अंकल: जल्दी जावो संध्या..शायद तुम्हे तेरी सास ढूंढ रही. 
में जल्दी से साफ़ सुथरी होकर बहार आ गयी.ओर सोफे पर बैठ गयी. वीर्य चखने की मेरी लालसा तृप्त हो गयी थी. कुछ देर बाद धर्मेश अंकल आये ओर सामने वाले सोफे पर बैठ गए. उनके चहरे पर ख़ुशी थी, मीठी मुस्कान थी ओर आँखों में शरारत थी. वोह बार बार मुझे उनकी नज़रों से घायल करते, उनकी नजर मुझे नंगा महसूस कराती. 

शाम को हम वापस घर आये. धर्मेश ने मुझे पागल कर दिया था, मेरी वीर्य चखने की लालसा फिर से बढ़ गयी थी. बैडरूम जाकर मैंने झट से अनीश की पैंट निचे कर दी , उसको नंगा कर के उसके लण्ड को  पागलों की तरह चूसने लगी. अनीश जोर जोर से हसने लगा..अरे में भूल गया तुम्हारी गर्भावस्था की लालसा..इतने देर तक बिना वीर्य चखे कैसे दिन गुजरा ? 
मैंने अनीश का पूरा लण्ड गले तक ले लिया ओर जोर जोर से चूसने लगी..मैंने आंखें बंद कर ली. मेरी आँखों के सामने धर्मेश अंकल का खूबसूरत लण्ड ओर उनके वीर्य  की महक ताजा हो गयी. बहुत जल्दी अनीश  झड़ गया..ओर मैंने उसका सारा वीर्य पी लिया. .अनीश हैरानी से मुझे देख रहा था.. संध्या तुम्हारी क्रेविंग्स / लालसा हर दिन बढ़ते जा रही है. मैंने कहा - हाँ .. क्या करू जान..तुमने ही आदत  लगा दी.. ओर हम दोनों हंसने लगे ओर फिर एक दूसरे की बाँहों में नंगे सो गए. 

सुबह जब आँख खुली तो मुझे वीर्य की महक आ रही थी ओर मुँह में स्वाद आने लगा था. मे्रे हातों में अनीश का लण्ड फनफना रहा था. वोह अभी भी सोया था. मेरी वीर्य के स्वाद की लालसा जाग गयी थी..ओर मैंने उठकर अनीश का लण्ड को फिर से मुँह में ले लिया ओर चूसने लगी. अनीश भी धक्के मार के मेरा मुँह चोदने लगा. कुछ देर बार वोह झड़ गया ओर में जीभ से चाट चाटकर उसके वीर्य का स्वाद लेने लगी. पर वो  स्वाद ओर खुशबू ना था. अब मेरी लालसा किसी ओर स्वाद ओर खुशबू की थी..धर्मेश अंकल के वीर्य की..उफ़. अब कैसे होगा?

अनीश  मुझे निहार रहा था.. क्या हुआ रानी? तुम्हारी लालसा आज तृप्त नहीं हुई? तुम अभी भी अस्वस्थ हो? 
मैंने कहा .. नहीं ऐसी नहीं है...ओर कुछ बहाना बना के बाथरूम चली गयी. में सोचने लगी.. मेरी लालसा बढ़ रही थी..पर वोह अब धर्मेश अंकल के लण्ड की खुशबू ओर उनके वीर्य के स्वाद के लिए थी. मै बैचैन हो उठी. क्या करे ? कैसे करे? मुझे कोई रास्ता दिख नहीं रहा था. 

में पूरी सुबह सोच रही थी की क्या किया जाये..तभी मे्रे सास ससुर ने हमें निचे बुलाया.  उन्होंने बताया की उन्हें आज ही ुरगेंटली अनीश की बुवा की देखभाल के लिए भोपाल जाना पड़ेगा. उन्हें दिल का दौरा आ गया ओर पता नहीं कितने दिन लग जाये. सो उन्होंने पम्मी मौसी से बात कर ली है. जब तक मे्रे सास ससुर वापस  नहीं आते तब तक पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल कुछ दिन हमारे घर रहेंगे ओर मेरी देखभाल करेंगे. मुझे आश्चर्य हुआ. भगवन ने मेरी सुन ली.. दिल से अंदर ही अंदर में बहुत खुश हो गयी. दोपहर को मे्रे सास ससुर  फ्लाइट से भोपाल चले गये. अनीश उन्हें एयरपोर्ट छोडने गये ओर वहां से ऑफिस चले गये. तभी मुझे दरवाजे की रिंग सुनाई दी..शायद पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल आ गये थे..में दौड़ी दौड़ी गयी..ख़ुशी से..उनके स्वागत के लिए.
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
पार्ट ३३: धर्मेश मौसाजी से चुद गयी !


मैंने दौड़ कर जाकर दरवाजा खोला. सामने धर्मेश अंकल उनकी कमसीन नजरों से मुझे देखकर मुस्कराने लगे. उनके सात पम्मी मौसी थी और उसके पीछे एक बहुत खूबसूरत लड़का था. वह कुछ सोलह सत्रा साल का था, लम्बा पतला और बहुत गोरा चिट्टा गबरू जवान. उसने टाइट टी शर्ट और हाफ पैंट पहनी  थी और उसकी झील सी नीली आंखें थी. उसके दोनों हातों में बैग्स थे. पम्मी मौसी ने बताया  की वो उनका नौकर यासीन  हैं जो गेस्ट रूम में रहेगा और घर के काम में मदत करेगा, उम्र की वजह से अब पम्मी आंटी से ज्यादा चला नहीं जाता और घर के काम भी नहीं होते. मैंने उनका मुस्करा कर स्वागत...पम्मी आंटी ने मुझे पास खींचकर गले से लगा लिया. धर्मेश अंकल कहा पीछे रहते, उन्होंने भी मुझे प्यार से गले लगाया.. और अपने दोनों हात मेरी गांड पर रखकर अपनी और खिंच लिया और मेरी चुत के ऊपर से अपना मोटा कड़क लण्ड रगड़ दिया. मेरे शरीर में  कंपकपी हो गयी और मैं सिहर गयी. उन्होंने हलके से मेरे कान के पीछे भी अपनी जीभ फेर ली. पर मुझे अच्छा लगा. मैंने देखा के यासीन पीछे से सब देख रहा था और उसके नीली आँखों में अजीब चमक और शरारत थी. मैंने यासीन से कहा..ऊपर टेरस पर सर्वेंट रूम है, खाली पड़ा है तुम वही पर रहना और पम्मी मौसी का सामान गेस्ट रूम मैं रखवा दिया.मैंने कहा - अंकल और  मौसी आप बैठिये, मैं आप के लिए चाय बनाती हूँ, वैसे यासीन ने कहा, मैडम मैं हेल्प कर देता हूँ, आप सिर्फ मुझे बताये की क्या क्या कहा रखा है. यासीन बड़ा चुस्त और फुर्तीला लड़का था. मैं  उसे किचन की सब चीजे दिखाने लगी. वो मेरे बिलकुल पास खड़ा था और एक एक चीज कहा रखी वो देख रहा था. जैसे मैं उसे बर्तन के ट्रे दिखाने निचे झुकी, मेरी गांड उसके लण्ड से टकरा गयी. मैंने हाफ पैंट के अंदर उसका एकदम लोहे जैसे सख्त औजार महसूस  किया. 
मैं वही झुकी रही..और बताने लगी - यासीन यह देखो यहाँ बर्तन है, और उस ड्रावर में  चकला - बेलन है. 
यासीन - हां मैडम समज गया .. चमच और प्लेट्स कहा पर है? 
वह पीछे से थोड़ा और मेरे पास आ गया और मुझे उसका लण्ड मेरी गांड की दरार पर महसूस हुआ. 
मैंने उसे दिखाया - यह देखो यहाँ पर सब प्लेट्स, चमच रखे हुए है. 
यासीन - मैडम चीनी और चाय पाउडर कहा रखा है ?
मैंने उसे दिखाया - यहाँ देखो चीनी और चाय पाउडर है
यासीन - : मैडम मसाले कहा रखे है?
वो अब मेरी गांड से चिपक गया था और अपना लण्ड मेरी गांड की दरार में रगड़ रहा था. मुझे भी मजा आ रहा था. मुझे पता चल गया था की वो जानबूझ कर इतना सब पूछ रहा ताकि मेरे गांड अपने लण्ड से रगड़ सके.
मैंने उसे दिखाया  - यह देखो मसाले यहाँ रखे है.. 
तभी धर्मेश अंकल किचन में  आये और बोले  - संध्या सब ठीक से समजा दिया ना..देखो यासीन अब सब काम तू संभाल ले, संध्या को कुछ भी तकलीफ न हो, उसको कोई काम न करना पड़े. हम दोनों हड़बड़ा गए, यासीन पीछे हट गया और मैं भी झट से खड़ी हो गयी.
यासीन: हा साब, आप बिलकुल फिक्र मत कीजिये, मैं मैडम का बहुत अच्छी से ख्याल रखूँगा
यासीन ने  झट से चाय बना ली और हम सब चाय के मजे लेने लगे. फिर पम्मी मौसी ने कहा - मैं थक गयी हूँ मैं जरा आराम कर लेती हूँ और वो अपने गेस्ट रूम में चली गयी. अब कमरे में सिर्फ मैं और धर्मेश अंकल थे और टीवी देख रहे थे .. वह मुझे कमसिन नजरों से देख कर मुस्करा रहे थे. मुझे फिर से उनके लण्ड की खुशबू और स्वाद की लालसा बढ़ने लगी. मैंने कुछ सोचा और मुस्कुरा कर धर्मेश अंकल को देखा और उठकर जाने लगी. 
धर्मेश अंकल - अरे संध्या कहा जा रही हो, बैठो..बातें  करते है.
मैंने कहा - अंकल अभी आयी, चेंज कर के .. और उनको मादक नजरों से देखकर अपने कमरे में चली गयी. मैंने मेरी पैंटी और ब्रा निकाल दी, पूरा नंगी हो गयी और मेरा एक लाल रंग का पुराना गाउन पहन लिया, जो लेग साइड से कटा था, गाउन मुझे बहुत टाइट फिट हो रहा था. प्रेगनेंसी के कारन मेरा बदन भरा था और वजन भी बढ़ रहा था. लग रहा था की थोड़ी सी हलचल से टाइट गाउन कभी भी फट जायेगा. मैं फिर से हॉल में  आ गयी और एक लम्बी सी अंगड़ाई लेकर सोफे पर बैठ गयी. धर्मेश अंकल मुझे घूर रहे थे. उनको ४४० वाल्ट का झटका लगा था. उनकी आँखों में चमक और वासना थी. नजरों से मुझे चोद रहे थे. उनकी पैंट के अंदर बड़ा उभार आ गया था और उनका लण्ड फुफकार रहा था. उनको टाइट गाउन से  मेरे खड़े चूचियां साफ़ दिखाई दे रही थी.. मैं भी शरारती अंदाज मैं उनको देखती और मुस्करा देती. मैं फिर से उठी और जाने लगी.
धर्मेश : अरे संध्या कहा जा रही हो
मैंने कहा : कुछ नहीं अंकल जरा वाशरूम जाकर आती हूँ .. हमारे वाशरूम के दरवाजे का का लॉक भी ख़राब हो गया, मैकेनिक को भी बुलाना पड़ेगा.. 
और मैं मुस्कुरा कर अपने कमरे मैं चली गयी. मैंने अब धर्मेश अंकल को मेरे कमरे मैं आने की दावत दे दी थी.
मैं अपने कमरे में आकर आईने के सामने खड़ी हो गयी.. मैंने देखा की धर्मेश अंकल दरवाजे पर खड़े थे.. वह अंदर आ गए और प्यार से मुझे पीछे से जकड लिया..
उनके दोनों हात मेरे पेट पर थे मैंने उनके दोनों हात प्यार से पकड़ ले और सिसकारी भरी. वह मेरे गले पर चूमने लगे...और फिर मुझे अपनी तरफ मोड़ कर मेरे गाल चूमने लगे..मैंने भी उनको कास के पकड़ लिया..मेरे जांघों के बीच मुझे उनका सख्त गरम लण्ड महसूस हुआ.

उन्होंने प्यार से मेरे ओंठों पर ओंठ रख दिए और रसपान करने लगे...मेरी जीभ चूसने लगे.. धर्मेश अंकल बहुत अच्छे प्रेमी थे.. पहली बार मुझे प्यार कर रहे थे..वह मुझे गले के निचे किस करने लगे और जैसे उन्होंने मेरे बूब्स चाटने गाउन को निचे किया..वैसे मेरा गाउन - चिर्र.. करके फटता चला गया.. उन्होंने उसे पूरा फाड् डाला और एक तरफ फेक दिया और मैं अब उनके सामने एकदम नंगी थी. मैंने शर्मा उनको कस के पकड़ लिया..और उनकी टी शर्ट निकाल दी..
धर्मेश अंकल - संध्या तुम गजब की सुन्दर हो.. क्या तुझे मैं पसंद हूँ?
मैंने हाँ मैं गर्दन हिला दी..वैसे उन्होंने कहा
धर्मेश अंकल - ऐसे नहीं संध्या..बोलकर इजहार करो..क्या तुम्हे मैं पसंद हूँ?
मैंने कहा - हा अंकल..आप बहुत अच्छे हो.. मुझे आप बहुत पसंद हो.
धर्मेश अंकल - क्या तुम्हे अंकल से चोदना पसंद है? 
मैंने कहा - हाँ मुझे अच्छा लगा..
धर्मेश अंकल - बताओ संध्या तुम्हे अंकल क्यों पसंद है?
मैंने कहा - आप बहुत अच्छे हो, बहुत प्यार करते हो..
धर्मेश अंकल - सिर्फ मैं पसंद हूँ ? मेरा लण्ड पसंद नहीं आया?
मैंने कहा - हाँ अंकल आपका लण्ड बहुत अच्छा है..इतना सुन्दर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा..
धर्मेश अंकल - ऐसी बात है तो अपने अंकल को तुम खुद अपने हातों से कपडे निकाल कर नंगा करो
मैं शर्मा गयी. नखरे करके कहा - मुझे शर्म आती है
धर्मेश अंकल - तू अपने अंकल को चाहती है ना..फिर इसमें क्या शर्म .. हम एक दूसरे को पहले भी नंगा देख चूका
मैंने प्यार से धर्मेश अंकल के कपडे निकलने चालू किये.. मैंने उनकी बनियान निकाल दी.  उनका गोरा बदन काले बालों से भरा था..बड़ा सेक्सी कसा  हुआ बदन था..मर्दाना बालों वाला बदन था और बहुत अच्छी सी मर्दानी खुशबू आ रही थी. धर्मेश ने मुझे सीने से लगा लिए.. मैं उनके बदन की खुशबू से मोहित हो गयी..उन्होंने मेरे मम्मे  प्यार से अपने हातों में लिए और मसलने लगे.
मैंने उनकी बेल्ट खोली और उनकी पैंट निचे की.. 
उन्होंने एक सेक्सी जॉकी ब्रीफ्स पहनी थी.. उसमे उनके लण्ड का खड़ा उभार साफ दिख रहा था..इतना बड़ा उभार मैंने कभी नहीं देखा था.उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा चेहरा अपने उभार पर रगड़ने लगे. उनके ब्रीफ्स से उनके लण्ड की खुशबू मुझे पागल कर रही ही.. वैसे उन्होंने अपनी ब्रीफ निचे कर के निकाल दी और मेरे चेहरा पर अपना लण्ड और गोटिया सहलाने लगे.

मैंने भी प्यार से उनका लण्ड पकड़ लिया और उनके लण्ड का गुलाबी टोपा अपने जीभ से चाटने लगी..वैसे वह - आह ! संध्या रानी..उम्..क्या मस्त चूसती है तू मेरा लण्ड.
मैंने उनके लण्ड का सूपड़ा चूसना चालू किया.. और चेहरा ऊपर कर के उनका पूरा लण्ड अपने गले तक अंदर डाल दिया. मेरी थूक से  उनका लण्ड एकदम चिकना  हो गया था.. और मेरे गले मैं आगे पीछे फिसल रहा था. उनका शानदार लण्ड एकदम गरम और सख्त हो गया था.. वह बड़े प्यार से मेरी आँखों मैं आंखें जमाये मेरा मुँह चोद रहे थे. फिर धर्मेश अंकल ने उनका पूरा लण्ड मेरे गले मैं ठूस दिया..मेरे आँखों से आंसू आने लगे...पर अच्छा लग रहा था.. धर्मेश अंकल बोले -  ले रंडी खा  ले मेरा पूरा लण्ड..खा ले पूरा.. फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरे गले से निकाला मुझे खड़ा किया और बिस्तर पर पीठ के बल सुला दिया .. मैं भी नंगी..पैर फैला कर, अपनी चुत खोलकर रंडी जैसे लेट गयी. वह मेरे सर के बाजु से आये ...और मेरे दोनों बूब्स मसलने लगे..फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरे बूब्स के दरार मैं फसा दिया और दोनों बूब्स एकसात जोड़ दिए और अपने लण्ड से मेरे बूब्स चोदने लगे. मेरे कोमल मुलायम बूब्स पर उनका सख्त गरम लोडा फिसल रहा था.. रगड़ रहा था..मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. तभी वो निचे झुक कए और मेरी चुत चाटने लगे.. ऐसे करने से उनकी गांड मेरे चेहरे के ऊपर आ गयी.. उनकी काले बलोंग वाली गोरी गांड बहुत खूबसूरत थी.. गांड की दरार मैं बालों के बीच उनका गुलाबी छेद बहुत  मस्त लग रहा था. तभी उन्होंने अपनी गांड और निचे झुका  ली और उनकी गांड का छेद मेरे नाक पर रगड़ने लगे. मुझे उनकी गांड की खुशबू बहुत मादक ली.. 
धर्मेश अंकल - रंडी चाट ले..मेरी गांड..अपनी चीभ से 
मैंने अपनी जीभ बहार निकाली और उनकी बालों वाली गांड चाटने लगी.. क्या मस्त स्वाद था उनकी गांड का  मैं कामुक हो गयी.. तभी उन्होंने मेरी चुत की दरार के अंदर  अपनी मोटी लम्बी जीभ घुसा दी..और अपने नाक से मेरी चुत का दाना रगड़ने लगे. मैं कांप रही थी..उधर उनकी गांड मेरे मुँह पर रगड़ गयी थी और मैं मेरी जीभ उनके छेद केअंदर  डाल डाल कर चाट रही थी. तभी धर्मेश अंकल ने मेरे चुत का दाना अपने ओंठों में ले लये और जोर जोर से चूसने लगे. मेरी चुत से पानी का झरना बाह रहा था.. मैंने उनका सर अपने दोनों हातों से अपनी चुत पर दबा दिया.. और गांड उछाल उछाल कर उनके मुँह मैं झड़ने लगी.. हाय ! मर गयी... उह....और उन्होंने भी उनकी गांड का छेद मेरे मुँह मैं दबा दिया..वह मेरा सारा पाणी पी गए..बोले - वाह रानी..क्या अमृत  जल है..तेरी चुत का पाणी तो अमृत से मीठा है. रोज इसे पिया करूँगा. 

अब उनका लण्ड फुफकार रहा था..उनका नाग अब मेरे भीगे बिल में जाने को बेताब था..वह उठे और मेरे पैर अपने कंधे  पर उठा दिए और उनके लण्ड का गुलाबी सूपड़ा मेरी चुत के द्वार पर रख दिया.
वैसे मैंने घबरा कर कहा .. धर्मेश अंकल सिर्फ ऊपर ऊपर..मेरे बच्चे को खतरा हो सकता..
धर्मेश अंकल - हाँ संध्या..मुझे तेरी तबियत की फ़िक्र है..सिर्फ ऊपर ऊपर चोदूूँगा .. उस कामदेव को मैं मना नहीं कर पायी..धर्मेश अंकल  ने धीरे से उनके १० इंच लण्ड का ३ इंच  का गोल मोटा टोपा मेरी चुत में  डाल दिया. वैसे मैं कराह उठी ..आह धर्मेश अंकल..दर्द होता है..आपका लण्ड बहुत मोटा है..
धर्मेश अंकल - मेरी जान अभी तो सिर्फ ३ इंच डाला है..पूरा १० इंच अंदर डालूंगा तो क्या करोगी.. और वह मेरे ऊपर अपने हातों के बल हल्का से लेट गए और मेरे ओंठों को चूमने लगे.उनकी मोटी लम्बी जीभ मेरे मुँह मैं अंदर तक चली गयी.. मुझे लग रहा था जैसे मैं दोनों साइड से चुद रही हूँ..उनका लण्ड मेरी चुत चोद रहा था और उनकी जीभ मेरा मुँह. मैं कामवासना मैं डूब गयी थी..कोई होश नहीं था.. मैंने उनका सर कस के पकड़ लिया और पागलों की तरह उनको चूमने लगी..इसी गरमाहट मैं मेरी चुत में जोरदार कम्पन हुई और पाणी की गंगा बहने लगी. मेरे चुत के पानी से धर्मेश का लण्ड और चिकना हो गया.
धर्मेश अंकल - आह ! रानी..तेरी चुत का पानी कितना गरम है ..तेरी कसी हुई गरम चुत मेरे लण्ड की मस्त मालिश कर रही है.. मैंने महसूस किया की उनका लण्ड अब मेरी चुत मैं आसानी से आधा चला गया था. धर्मेश अंकल फिर से अपनी कमर हिलाकर अपने लण्ड को धक्के देकर मेरी चुत की चुदाई करने लगे..
मैंने कहा - धर्मेश अंकल ..अब बस..और आपका माल मेरी चुत मैं मत डालना..इन्फेक्शन हो सकता..गर्भे अवस्था मैं इन्फेक्शन सेहत  के लिए अच्छा नहीं. 
धर्मेश अंकल मुस्करा दिए.. हा मुझे पता है रानी.. पर क्या करू..जब तू मुझे अंकल बुलाती है तो मेरा लण्ड तुझे चोदने को बेताब हो जाता है..
मैंने कहा.. उह मेरे प्यारे अंकल.. आप मेरे सबसे अच्छे अंकल हो..अब मेरी चुदाई कर दो..और अपना पाणी मेरे मुँह मैं डाल का मुझे पीला दो..
वैसे धर्मेश अंकल उत्तेजित हो गए ..वह प्यार से अपने लण्ड से मेरी चुत चोदने लगे..पर अभी भी वह सिर्फ आधा लण्ड अंदर डाल कर ही चोद रहे थे.
धर्मेश अंकल - आह मेरी रानी..ले अपने अंकल से चुदवा ले..अब तू अपने  अंकल से रोज चुदवा लेना. 
मैंने कहा - हां अंकल आप मुझे रोज चोदना और अपने लण्ड से पाणी पिलाना..
धर्मेश अंकल  ने उनका लण्ड मेरी चुत से बहार निकाला और मेरे मुँह मैं ठूस  दिया..  आह सांध्य..ले..पी ले मेरा पानी..और एक के बाद एक फवारा उनके लण्ड से मेरे मुँह में गिरता गया..उनके लण्ड ने इतना पाणी भरा की मेरा पूरा मुँह उनके वीर्य से भर गया..कुछ ओंठों पर आ गया.. मैं  जीभ से चाट कर उनके वीर्य का स्वाद बहुत देर तक लेती  रही.
वह वही नंगे मेरे बाजु सो गए और मुझे उठाकर अपने बाँहों में ले लिया.
धर्मेश अंकल - यह क्या संध्या तू अभी भी मेरा वीर्य मुँह में रखा है..निगल लो..क्या बात है.. तुझे पसंद नहीं आया मेरे वीर्य का स्वाद.
मैंने कहा.. नहीं अंकल ऐसी बात नहीं है.. मैं तो सुबह से इसके लिए तड़प रही थी. 
फिर मैंने उनको साब सच बता दिया की प्रेगनेंसी की वजह से कैसे मुझे उनके वीर्य के स्वाद और खुशबू की लालसा लग गयी. वो सुनकर बड़े खुश हो गए.
धर्मेश अंकल - ऐसी बात है ! तू जब भी मन करे बोल देना..मैं तुझे अपना वीर्य पीला दूंगा.
मैंने उनको चुम लिया.. अब अआप जाइये अंकल..नहीं तो  पम्मी मौसी को शक हो जायेगा.. 
वह मुस्करा कर बोले - अरे वो गहरी नींद सोती है..उसको कोई सुधबुध नहीं होती.. तू चिंता मत कर
फिर उन्होंने कपडे पहने .. 
मैंने कहा - धर्मेश अंकल अब मैं क्या पहनू .आपने मेरा गाउन फाड् दिया..
वह मुस्करा कर बोले - मैं तुझे कल २ नए गाउन ला दूंगा.आज तू ऐसे ही नंगी सोयेगी. 
उन्होंने फिर से मेरे सर को, फिर गालों को, चूचियों को चुत को बारी बारी से चूमा और चाटा और मुस्करा कर चले गए.

मैं पसीने से लथपथ थी. मेरे बदन से सिर्फ धर्मेश अंकल के शरीर की मर्दाना खुशबू आ रही थी.  कोई भी सिर्फ दूर से सूंघ कर बता देता की मैं किसी मर्द से चुदी हूँ और मेरे शरीर पर उस मर्द की खुशबू ने कब्ज़ा कर लिया है. अनीश का ऑफिस से आने का टाइम भी हो गया था.  मैं  बाथरूम गयी और नहाने लगी .. पर धर्मेश के बदन की मर्दाना खुशबू मेरे शरीर से नहीं जा रही थी. २-३ बार साबुन लगाकर नहाने के बाद मैं बहार आयी और थक कर  संतुष्टि से सो गयी. मैंने सिर्फ एक चादर  ओढ़ ली और धर्मेश अंकल का कहना मान कर पूरी  नंगी सो गयी. कुछ  देर बाद अनीश आया .. मेरी आंखें खुली तो देखा की वह पूरा नंगा था. उसने मेरी चादर बाजु कर दी थी .. और वह मेरे नंगे जिस्म  को चुम रहा था चाट रहा था. उसका ५ इंच का छोटा लण्ड एकदम सख्त होकर फुफकार रहा था.. मेरे चूचियां चूसने के बाद वह मेरे ओंठों पर ओंठ रखकर चूमने लगा.. मेरी जीभ चूसने लगा ..
अनीश - मम संध्या रानी आज तू बड़ी हॉट और सेक्सी लग रही है .. लगता हैं मेरा वीर्य पिने के लालसा मैं तड़प कर नंगी सोई है..
मैंने भी अपने दोनों हात अनीश के गले मैं डाल कर उसको चुम लिया..हाँ मेरे राजा..तुम्हारा इंतजार था.
अनीश - संध्या तुम्हारा किस बड़ा हॉट लग रहा आज..अलग महक आ रही है.. तुम्हारे शरीर से भी बहुत अच्छी अलग महक आ रही.
ओह ! यह क्या.. मैं भूल गयी..मैंने मुँह साफ़ नहीं किया था.. धर्मेश का वीर्य का स्वाद बहुत देर अपने मुँह मैं रखना चाहती थी. क्या अनीश समज गया की यह वीर्य की महक है? 
मैंने कहा - हाँ आज आपका वीर्य नहीं मिला तो मज़बूरी में दही क्रीम खा लिया ..
अनीश - यह बात है .. ? फिर अच्छे काम में देरी नहीं करते ..
और अनीश ने उसका लण्ड मेरे मुँह में  डाल दिया.. अनीश का छोटा ५ इंच का लण्ड.. मैं आसानी से चूस लेती थी..उसके लण्ड की महक और वीर्य की खुशबू बस यही उसके लण्ड की खासियत थी. छोटा लण्ड था पर सुन्दर था..और कड़क सख्त दमदार.. बाकी लम्बाई और मोटाई मैं बुरी तरह मार खा गया.. पर उस कमी के लिए उसने मुझे काफी बड़े-बड़े  लण्ड वाले मर्दों से चुदवाया था ..और बड़े खुले विचारों का था. बहुत जल्दी वह मेरे मुँह मैं झड़ गया..मैं बड़े प्यार से बहुत देर तक अपने मुँह मैं उसके वीर्य की महक और स्वाद लेती रही.  फिर भी मुझे कमी लग रही थी.. धर्मेश अंकल की महक और वीर्य का चस्का लग गया था..लालसा पैदा हो गयी थी. 
शाम को कुछ देर बाद यासीन हमें खाना खाने बुलाने आया.. मैंने एक टॉप और स्कर्ट पहन ली..अंदर कुछ नहीं था.. अनीश ने कहा- तुम जाओ , मैं फ्रेश होकर आता हूँ. मैं खाने के डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी.. कुछ देर बाद धर्मेश अंकल आये तो वह मेरे बाजु वाली खुर्ची पर बैठ गए..मैंने उन्हें मुस्कराते देखा और कहा - यहाँ अनीश बैठता है..
धर्मेश अंकल - धीरे से - कोई बात नहीं. कुछ दिन मैं उसकी जगह ले लूंगा ..और हंस दिए
मैं भी मुस्करा दी..
तभी पम्मी मौसी और अनीश भी आ गए..और हमारे सामने वाली चेयर्स पर बैठ गए..
धर्मेश अंकल - अरे अनीश .. शायद मैं तेरी जगह बैठ गया.. तुम यहाँ बैठ जाओ.
अनीश - अरे नहीं अंकल..कोई फरक नहीं पड़ता.. आप जहा चाहे बैठ लो.. घर की बात है.
धर्मेश अंकल - चलो ठीक है.. अनीश तू ठीक कहता है..घर की बात है.. ठीक है ना संध्या ..तुम्हे कोई परेशानी  तो नहीं..?
और धर्मेश अंकल ने उनका हात मेरे जांघों पर रख दिया.. वह धीरे से उनके हातों से मेरा स्कर्ट ऊपर करने लगे.मेरी खुली जांघों को सहलाने लगे 
मैंने कहा - कोई परेशानी नहीं अंकल .. घर की बात है..और आप तो बुजुर्ग है..हमारे अंकल है.. आप बस आदेश दीजिये. 
धर्मेश अंकल - अरे संध्या आदेश क्या देना.. बस हम तेरा ख्याल रखने आये है..बहुत प्यार से तुझे संभालेंगे ..
धर्मेश अंकल मुस्करा दिए और एक आंख मार दी..मैं उनके इशारे साब समज रही थी.. उन्होंने मेरा स्कर्ट ऊपर कर के अपना हात अब मेरी चिकनी चुत पर रख दिया था और बड़े प्यार से सहला रहे थे.
मुझे बहुत शर्म आ रही थी.. मेरी चुत से पाणी बह रहा था..वही पाणी से धर्मेश अंकल मेरी चुत की मालिश कर के सहला रहे थे. बाकि सब लोग खाना खा रहे थे..और यासीन सबको परोस रहा था.. धर्मेश एक हात से खाना खा रहे थे और दूसरे हात से मेरी  चुत को मसल रहे थे. मेरी चुत से लगातार पाणी बह रहा था. तभी धर्मेश ने उनकी एक ऊँगली मेरी चुत मैं डाल दी..
मैं - आह....उफ़..
पम्मी  मौसी - क्या हुआ संध्या साब ठीक है ना..
मैंने कहा - कुछ नहीं मौसी बस थोड़ा पेट मैं गड़बड़ है..
पम्मी मौसी -हां प्रेगनेंसी मैं यह सब होते रहता है..
तभी धर्मेश अंकल ने मेरी चुत के अंदर दो ऊँगली डाल दी..और मेरी चुत की दीवाल को कुरेद कर पाणी निकाल रहा था..फिर उन्होंने अपनी दोनों उँगलियों से मेरी चुत का पाणी बहार निकाला और मुँह मैं डालकर चाटने लगे..
धर्मेश - वाह ! यासीन .. क्या अचार बनाया है ! मुझे यही अचार पसंद है. 
और बेशरम जैसे ऊँगली पर लगा मेरी चुत का पानी जीभ बहार कर के लपलपा कर चाटने लगे. मुझे बड़ी शर्म आयी.
पम्मी मौसी - हाँ तो खा लो जितनी आपको खानी है .. वैसे मैंने सुना है की संध्या भी बहुत अच्छी चटनी बनती है. संध्या तेरे अंकल के लिए एक दिन बना देना ..इन्हे चटनी बहुत पसंद है.
धर्मेश अंकल ने फिर से अपनी उंगलिया मेरी चुत मैं डाल दी..और बोले - हाँ संध्या..चटनी जरूर बनाना .. और सिर्फ मेरे लिए..मैं तेरी पूरी चटनी अकेले खा लूंगा.. और मुझे फिर से आँख मार दी..
मैंने कहा..हाँ धर्मेश अंकल जरूर बनाउंगी..स्पेशल चटनी..सिर्फ आपके लिए..
यासीन हमें रोटी परोसने आया ... उसने कहा .. हां संध्या मैडम .साब को जैसे चटनी चाहिए सिर्फ आप ही बना सकती है..और वो मुस्करा दिया .
यासीन ने मुझे और धर्मेश को देख लिया था.. पर शायद उसको अपने मालिक के शौक का अंदाजा बहुत अच्छी से था. मैं शर्मा गयी..और धर्मेश अंकल फिर से उंगलिया बहार करके चाटने लगा. मैं बहुत गरम हो गयी थी.. छटपटा रही थी.. बस झड़ने के कगार पर लाकर धर्मेश ने मुझे प्यासा छोड दिया था.

रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी. अनीश और मैं हम दोनों सात में नंगे सोते है. अनीश घोड़े बेचकर सो गया था.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी..मुझे फिर से क्रेविंग्स आ रही थी .. धर्मेश के वीर्य के स्वाद की .. तभी मोबाइल पर व्हाटअप्प्स पर धर्मेश अंकल का मैसेज आया ..
धर्मेश अंकल : गुड नाईट जान..स्वीट ड्रीम्स 
मैंने लिखा - मुझे नींद नहीं आ रही
धर्मेश अंकल : क्यों ? बोलो क्या सेवा करे की आपको नींद आये ?
मैंने लिखा  - बस फिर से मेरी लालसा जगी है..
धर्मेश अंकल - तो देर किस बात की.. मेरा लण्ड तैयार है..तुम्हे अपना दूध पीला कर शांत कर दू..
मैंने लिखा - पर कैसे.. 
धर्मेश अंकल - किचन में आ जाना 
मैंने लिखा- नहीं रिस्की है
धर्मेश अंकल - अनीश सो गया क्या ?
मैंने लिखा  - हा वह घोड़े बेच कर सोता है..उसको कुछ होश नहीं रहता
धर्मेश अंकल - ठीक हैं फिर मैं तुम्हारे बैडरूम मैं आता हूँ. पम्मी भी गहरी नींद सोई है.
मैंने लिखा  - नहीं ! ऐसे  कुछ भी.नहीं करना .यह संभव नहीं है..यहाँ अनीश मेरे बाजु सोया है..आप कुछ भी बोलते..
मैं धर्मेश अंकल के मैसेज का वेट करने लगी.. कुछ देर बाद मैंने सोचा की शायद कुछ प्लान बना रहे..
मैंने लिखा - कुछ और प्लान बनाओ
तभी मेरे बैडरूम का दरवाजा  धीरे से खुला..धर्मेश अंदर झांक कर  देख रहा था.. मैं घबरा गयी..पर उसने अपने ओंठ पर ऊँगली रख कर मुझे चुप रहने को इशारा किया ..और इशारे से वैसे ही सोते रहो कहा. उसने देखा अनीश दूसरी तरफ मुँह करके सोया है..धर्मेश अंकल अंदर आ गए .. बेड की मेरे तरफ की बाजु मैं..वो भी पूरा नंगे थे. मैं हैरान हो गयी.. कितना जांबाज मर्द है.. इसको बिलकुल डर नहीं लगा..पति के होते एक महिला के बैडरूम में नंगा घुस गया..वाह रे शेर !
धर्मेश अंकल ने उसके लण्ड का सूपड़ा मेरी ओंठों पर रख दिया.. मैं प्यार से उसके लण्ड को चूसने लगी.. उसकी खुशबू से मैं खुश हो गयी.. आनंद आने लगा..लालसा मीट रही थी. धर्मेश अंकल ने मेरे चादर उठा कर साइड मैं रख दी.. मुझे नंगा देखकर बहुत खुश हो गए.
धर्मेश अंकल धीरे से मेरे कान में  बोले - वाह रे रंडी..तू सच मैं नंगा सोई..मेरे कहने पर..तुझे कल एकदम सेक्सी गाउन ला दूंगा.
मैं कुछ नहीं बोली..डर के मारे मैं धर्मेश अंकल का पूरा लण्ड चूसने लगी.. जल्दी झड़ जाये और मेरी बैडरूम से चला जाये..मैं डर और उत्तेजना के कारन बहुत रोमांचित हो रही थी. पर धर्मेश अंकल एकदम बे-फिक्र थे और प्यार से मुझे देख कर चोद रहे थे. उनकी आँखों की भाषा जबरदस्त थी . मादकता भरी नजरो से मेरे से आंखें मिला कर मेरा मुँह चोद रहे थे. 
उन्होंने एक हात से मेरा बूब्स मसलना चालू किया और दूसरा हात मेरी चुत को सहलाने लगा. अब मैं और उत्तेजित हो गयी..ओंठ दबाकर अपनी आहें , आवाज दबाने की कोशिश करने लगी. मैं प्यार से धर्मेश अंकल के लण्ड का गुलाबी सूपड़ा चूस रही थी. तभी अनीश मेरी बाजु पलटा और उसका एक हात मेरे छाती पर रख दिया और उसका पैर मेरी कमर पर रख दिया. अनीश  का लण्ड मेरी गांड पर रगड़ रहा था. नींद में अनीश ऐसे हमेशा करता था..मुझे आदत थी. पर मैं अब डर गयी थी.. अगर अनीश ने आंखें खोली तो वो उसके बीवी के मुँह मैं धर्मेश अंकल का लण्ड देख लेगा. पर धर्मेश बिलकुल कॉंफिडेंट थे. वह वैसे ही अपना लण्ड मेरे मुँह मैं अंदर बहार करते रहे. फिर धर्मेश अंकल ने इशारा करके मुझे अनीश की तरफ पलटने कहा..  वो क्या चाहता था मैं समज नहीं रही थी. मैंने अनीश का पैर मेरी कमर से निचे किया और अनीश की तरफ पलट गयी. ऐसे करने से अनीश ने अपना चेहरा निचे करके मेरे बूब्स में घुसा दिया. अनीश अक्सर सोते वक्त ऐसे करता है..बच्चों की तरह उसको मेरे बूब्स की महक पसंद है..और छोटे बच्चे जैसे दोनों पैर जोड़कर सिमटकर सो जाता है. मेरे बूब्स पर मुझे अनीश की गरम सांसे महसूस हो रही थी.तभी धर्मेश जो बेड के साइड पर खड़ा था, उसने मेरा एक पैर हलके से ऊपर उठाया और धिरे से अपने मोटे लण्ड का सूपड़ा मेरी चुत मैं डाल दिया. मुझे इसकी  बिल्कुत अपेक्षा नहीं था. सब इतनी जल्दी हुआ. मुझे डर लग रहा था कही अनीश जाग ना जाये.. रोमांचित  हो कर मैं सर से पाँव तक सिहर गयी..और मेरी चुत से पानी बहने लगा. इससे धर्मेश के लण्ड को आसानी हो गयी..मेरी चुत के ओंठों को चीरता हुआ उसका लण्ड आधा मेरी चुत के अंदर चला गया. मैं कांपने  लगी. मेरा शौहर , मेरा पति मेरे सीने से लगा, मेरे बूब्स मैं अपना चेहरा रगड़कर नंगा सोया था, और पीछे से उसका कमीना मौसा मेरी चुत चोदे जा रहा था. मैं थरथराने लगी, और अपने ओंठ दबा दिए और जोर जोर से मेरी चुत से पानी बहने लगा. बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आहे - आवाज दबाई.. धर्मेश अंकल बहुत खुश हुए..उनके लण्ड पर मेरी पानी की चिकनाहट से अब उनको और आसानी हो गयी. वह अब मुझे धीरे से लम्बे स्ट्रोक से चोद रहे थे..पूरा लण्ड मेरी चुत से बहार निकाल कर फिर से अंदर डाल देते. इसके कारन मेरे चुत का दाना और ओंठ दोनों रगड़ जाते .. आज मेरी खैर नहीं थी..मैं बड़ी लाचार थी. पर बहुत मजा और आनद भी आ रहा था. इतना रोमांचित सेक्स पहले कभी अनुभव नहीं किया था. बहुत देर तक धर्मेश अंकल मुझे चोदते रहे..इस दौरान मैं और  २ बार झड़ गयी. तभी धर्मेश अंकल ने मेरा ऊपर वाला पैर थोड़ा  आगे खिंच कर ..परे पति के कमर पर रख दिया. इससे मेरी  चुत मेरे दोनों जांघों में दब गयी, और धर्मेश अंकल  के लण्ड को दबाने लगी. धर्मेश अंकल फिर से मुझे धीरे धीरे चोदने लगे. बड़ा अजीब नजारा था. उनके लण्ड और कमर के धक्के  से मेरी बॉडी भी अनीश से चिपक जाती, मेरा ऊपर वाला पैर अनीश के कमर पर रगड़कर फिसल जाता, और मेरे बूब्स अनीश के मुँह पर रगड़ जाते. अब मैं फिर से अपने होश खो रही थी.. मैंने अपने ऊपर वाले हातों से अनीश का सर प्यार से मेरे  बूब्स पर दबा दिया .. और थरथरा कर फिर से धर्मेश अंकल के लण्ड पर तीसरी बार झड़ने लगी. मैं बहुत देर तक झड़ रही थी और फिर शांत होने लगी. तभी धर्मेश अंकल ने मेरी चुत से अपना  लण्ड बहार निकाला, उसने मेरा चेहरा पलट लिया, और ऊपर से अपने लण्ड को  मेरे मुँह में  डाल कर पिचकारी छोड़ने लगा. मेरे पति का चेहरा मेरे सीने से दबा था और धर्मेश अंकल मेरे मुँह  में उनकी पिचकारी उड़ा रहे थे. उनका लण्ड अनीश के चेहरे के बिलकुल ऊपर और करीब था सारा गाढ़ा रसीला वीर्य मेरे मुँह  मैं डाल कर वो चुपके से कमरे से बहार चला गया. मैं कही देर तक धर्मेश अंकल का वीर्य मुँह मैं रखकर उसका स्वादपान करती रही, उसकी खुशबू सूंघती रही और फिर संतुष्टि से सो गयी. 

सुबह जब आँख खुली तो देखा अनीश मेरे ओंठों को अपने जीभ से चाट रहा था. वह मेरे दोनों ओंठों को चूस चूसकर चूमने लगा. अनीश ने कहा - गुड मॉर्निंग रानी.. कैसी  हो.. लगता है तुमने फिर से रात को दही-क्रीम खा लिया.. तुम्हारा किस बहुत मस्त लग रहा.
अनीश फिर से अपनी जीभ मेरे मुँह मैं डाल कर चाटने लगा.. जितना भी धर्मेश अंकल का वीर्य मेरे मुँह मैं होंगे वह साब उसने चाट चाट कर गटक लिया. वो बहुत खुश था. अनीश बोला -  संध्या तुम रोज ये दही खाया करो. इसके स्वाद से मुझे तुम्हारा चुम्बन बहुत अच्छा लगता. 

मैं हैरान थी. चुप बैठी. नहाने चली गयी
[+] 2 users Like luvnaked12's post
Like Reply
पार्ट ३४ : मौसेरे ससुरजी धर्मेश की रंडी बन गयी !! 

सुबह मैं छत पर टहलने गयी..! इसी बहाने मेरा व्यायाम हो जाता.. मैं छत के चारो कोनो पर टहलने लगी. तभी मैं सर्वेंट रूम के सामने गयी.. तो देखा दरवाजा पूरा खुला था. एक चटाई पर यासीन सिर्फ एक छोटी सी अंडरवियर मैं सोया था. अंडरवियर मैं उसके लण्ड का  उभार साफ़ दिख रहा था. लम्बा साढ़े छे फुट का हत्ता कट्टा आदमी था यासीन. एकदम गोरा और बदन पर काले बाल .. बहुत सुन्दर लग रहा था..उसकी मोटी मोटी जांघें ,, उसके ताकत का साबुत दे रही थी... गर्मी के दिन थे..इसलिए खुले में सोया था..

मैंने छत के कई राउंड लगायें और उसको देखते रही .. तभी मेरा पैर थोड़ा लचक गया और मैं दर्द से कराह उठी .  आह.. ूई माँ..  गर्भा अवस्था मैं ऐसे पैर लचकना सेहत के लिए बहुत खतरनाक होता है. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. आह...मर गयी मेरी माँ..ोूफ...मेरी आवाज सुन कर यासीन की नींद टूट गयी. वो वैसे ही भागकर मेरे पास आया..

यासीन - क्या हुआ मेमसाब..आप ठीक है..वह मेरे पैर को देखने लगा..जिसको पकड़ कर मैं सहला रही थी..
मैं - मेरा पैर फिसल गया...पैर की नस लचक गयी..बहुत दर्द हो रहा है..
यासीन मेरे सामने अपने दोनों  पैरों पर बैठ गया. और मेरा पैर देखने लगा. ऐसे हगने वाली पोजीशन मैं बैठने से उसके लण्ड का उभर बिलकुल मेरे आँखों के सामने था. उसकी बड़ी बड़ी जांघों..और उनकी नसे.. कसीस बॉडीबिल्डर की तरह लग रही थी..  कश्मीरी लिबास में..ढीले कुर्ते और पाजामा में.. उसका कसा हुआ बदन छुप गया था..जो आज निखर के मेरे सामने आया था..उसकी नीली गहरी आंखें..उफ़... कितना सुन्दर मर्द है..कश्मीरी मर्द बहुत सुन्दर होते है.. वह मेरे पैर  को मालिश करके सहलाने लगा. पर मेरा दर्द कम नहीं हो रहा था. मैंने कहा - यासीन मुझे निचे लेकर चलो जल्दी..
मेरे से  चला नहीं जा रहा था. यासीन ने मुझे वैसे ही अपनी गोदी मैं उठाया और निचे सीढ़ियों से लेकर जाने लगा. मैंने उसके गले में  अपने दोनों हात डाल कर कस के पकड लिया.  ऐसे करने से मेरा चेहरा उसकी बालों वाली छाती से चिपक गया. आह क्या खुशबू थी उसके जिस्म की..मर्दानी महक,,मेरे ओंठ उसके छाती पर घिसने लगे. मेरे ओंठ अब उसके छातीके निप्पल्स से रगड़ रहे थे...पर मुझे दर्द भी हो रहा था. दर्द कम करने को मैं अपने दांत दबा देती..इससे यासीन के निप्पल मेरे दातों के बीच में  २-३ बार आ गए और वहा काटने के निशान भी आये. यासीन ने ..हर बार दर्द से आह किया पर कोई शिकायत नहीं की. जैसे यासीन ने मुझे सोफे पर लिटाया...मेरा एक हात उसके निकर के ऊपर से रगड़कर निचे आया..मेरे शरीर मैं जैसे करंट लग गया..यासीन को भी सनसनी हुई और वह कुछ सेकंड के लिए कांप गया.. मैंने देखा उसका लण्ड पूरा कड़क हो गया और निकर छोटी होने से उसमे से इलास्टिक से बहार आ रहा था.. उसने मेरे तरफ देखा. उसकी झील सी नीली आँखों में मैं खो गयी.. तभी मैंने मेरा हात उसके लण्ड के ऊपर से निकाल डाला..मेरे हैट पर उसके लण्ड का सख्त और मोटापा महसूस हुआ.. जवान लण्ड था.. अपने खूबी पर था.. मैंने शर्मा कर कहा...जाओ पहले कपडे पहन लो..मैंने जल्दी पम्मी मौसी और अनीश को आवाज दी..वो भाग कर आये..
अनीश ने जल्दी से फॅमिली डॉक्टर को बुलाया.डॉक्टर खन्ना एक ७० साल के वयस्क डॉक्टर है. वो आर्मी में  डॉक्टर थे. इसलिए एकदम फिट और  हट्टे कटे लम्बे..और अपनी उम्र से काफी जवान दिखते है. वो जल्दी आ गये और मेरा  चेक उप करने लगे. अब तक यासीन भी कपडे पहन कर निचे आ गया था. डॉक्टर खन्ना ने कहा -  संध्या को उसकी बैडरूम में लेकर चलो .. मुझे चेक उप करना पड़ेगा."  जैसे मैं सोफे से उठने लगी .. यासीन ने कहा रुको मैडम.. उसने मुझे मेरे पति अनीश और धर्मेश चाचा के सामने अपने गोदी मैं उठा लिया और मेरी बैडरूम में  लेकर जाने लगा.  मैं उसकी इस ढिटाई से हक्का बक्का होकर उसको देखने लगी. धर्मेश चाचा मुस्करा रहे थे..और अनीश की आँखों मैं अजीब चमक थी. मुझे यासीन के बदन की खुशबू अच्छी लग रही थी..

डॉक्टर खन्ना ने सिर्फ अनीश को अंदर आने की परमिशन दी..
डॉ. खन्ना.. संध्या .. गाउन ऊपर कर दो.. और घुटने भी ऊपर कर लो..
मैंने गाउन ऊपर कर दिया..मैं अंदर पूरी नंगी थी..पैंटी नहीं पहनी थी.. घुटने मोड़ने  से अब मेरी चुत डॉ. खन्ना को साफ़ दिख रही थी. 
डॉ. खन्ना.. संध्या रिलैक्स रहो. तुम्हे पता हैं अंदर कैसे चेक उप करते है.. घर से आते वक्त जल्दी में  मैं ग्लोव्स लाना भूल गया..पर यह इमरजेंसी है..तुम शांत रहो..ठीक है..?
मैंने कहा.. ठीक है डॉक्टर साब , पर दर्द के कारण मैं घुटने मोड़ नहीं पा रही..
डॉ. खन्ना.. अनीश आप संध्या के घुटने पकड़ कर सहारा दो..
अनीश ने मेरे घुटने पकड़ कर ऊपर उठाये और दोनों हातों से पकड़ के रखे..अपनी बीवी की चुत खुलकर डॉक्टर के सामने पेश कर दी. उसकी आँखों मैं अजीब चमक थी. वह बार बार अपनी जीभ अपने ओंठों पर फेर रहा था. उसकी पैंट में उसका लण्ड तम्बू बना रहा था.
डॉ.खन्ना .. ने पहले..मेरी चुत को पास से देखा..सहलाया और एक ऊँगली अंदर डाली.. 
वैसे मैंने..आह डॉक्टर... दर्द हो रहा..
डॉ.खन्ना..कोई बात नहीं संध्या..मुझे ठीक  से देखने दो..बहुत जरुरी   हैं 
डॉ.खन्ना का हात का पंजा बहुत बड़ा था और उनकी उँगलियाँ भी बड़ी बड़ी और मोटी थी. जैसे हर ऊँगली कोई बड़ा लण्ड. डॉ. खन्ना की एक ऊँगली मेरे चुत मैं आगे पीछे होकर टटोल रही थी.. और अब मुझे अच्छा लग रहा था..मेरी चुत में  सनसनी हो रही थी..
मैंने..आह...उह..किया
डॉ. खन्ना.. क्या हुआ संध्या इधर दर्द हो रहा क्या ? उन्होंने मेरे चुत के अंदर उनकी ऊँगली दबायी..वैसे मैंने..आह !  डॉक्टर !
मैंने कहा.. नहीं दर्द नहीं हो रहा..
डॉ. खन्ना  - फिर चिल्लाई क्यों?
मै शर्मा गयी.. वह गुदगुदी हुई इसलिए .और आपकी ऊँगली बहुत बड़ी है..  डॉ. खन्ना मुस्करा दिए और खुश हो गये .. मैंने देखा अनीश की आँखों मैं अजीब ख़ुशी थी..उसकी पैंट के अंदर उसका लण्ड फनफना रहा था. अपने बीवी को ऐसे नंगा कर के और डॉक्टर की हरकतों से उसको मजा आ रहा था. डॉ. खन्ना  ने पुराणी स्टाइल की लूस ढीली पैंट पहनी थी.. पर उसके कारण उनकी पैंट में ज्यादा बड़ा तम्बू हो गया था.. 
अनीश ने कहा.. हाँ डॉक्टर सांब..सच में आपकी उँगलियाँ बहुत मोटी और बड़ी हैं..मेरे से डबल साइज लग रहा है..
मैंने सोचा..डॉ. खन्ना का तम्बू भी डबल साइज है..
तभी डॉ. खन्ना ने उनकी ऊँगली निकाली और कहा अनीश ऐसी ही पकडे रहो ..देखो सब ठीक है..अच्छी बात है की ब्लीडिंग नहीं हो रहा है.. मुझे एकबार फिर से ठीक से देखकर कन्फर्म करना पड़ेगा ..वह अनीश को समजा  रहे थे.
अनीश.. है डॉक्टर ..मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता ..आप ठीक से चेक करके कन्फर्म करे
डॉ. खन्ना ने फिर से धीरे से .. लिक्विड लुब्रीकेंट लगा कर उनकी बड़ी ऊँगली मेरी चुत मैं डाल दी..और आगे पीछे करने लगे.. फिर उन्होंने दूसरी ऊँगली भी डाल दी..मेरी चुत में अब आग लग गयी.. वह गिल्ली होने लगी.. शर्म के मारे में आहे भी नहीं भर पा  रही थी. डॉक्टर की दोनों उंगलिया कोई बड़े १० इंच लण्ड  जैसे मोटी लग रही थी..मुझे पता था इस चेक उप की कोई जरुरत नहीं थी. पर डॉक्टर भी अपनी तमन्ना और हवस पूरी कर रहा था..चेक उप के बहाने..वह भी बिना ग्लोव्स के.डॉक्टर उसकी दोनों उँगलियाँ..मेरी चुत में  अंदर तक डाल रहा था..और उंगलिया गोल गोल घुमाकर मेरी चुत की हर दिवार को रगड़ रहा था. मेरी चुत के पानी से उसकी उंगलिया गिल्ली हो गयी..और अब उसको और भी आसानी हो गयी. मेरे से  अभी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था.. मेरा बांध फूटने में था.. वहा डॉक्टर की उँगलियाँ मेरी चुत मैं जादू कर रही थी.. और मेरी चुत से लगातार पानी बह रहा था..तभी डॉक्टर की उँगलियों ने मेरी चुत के दाने को जोर से रगड़ डाला.. उनकी एक उंगली मेरे दाणे को पकड़ कर गोल गोल रगड़ने लगी. तभी उन्होंने अपने दोनों ऊँगली में मेरे दाणे को पकड़ कर चिमटी ले ली..जिस के कारन मैं सकपका गयी .. और तड़प रही थी..मेरा हात अपने आप..डॉक्टर के पैंट के पास गया और उनका लण्ड मेरी मुट्ठी मैं जोर से पकड़ लिया. और .उह.. आह..करके बेशरम होकर झड़ने लगी. डॉक्टर ने आराम से दोनों उँगलियाँ निकाल ली..वह भी हड़बड़ा गये थे.. मेरे मुट्ठी मैं उनका लण्ड फनफना रहा था..वह आसानी से धर्मेश अंकल जितना मोटा और १० इंच लम्बा लण्ड होगा.. मुझे जब थोड़ा होश आया..मैं शर्मा गयी और अपना हात वापस पीछे ले लिए.. डॉक्टर  खन्ना  भी जल्दी संभल गये  और बोले - अनीश ..सब ठीक है..मैं कुछ गोलिया लिख कर देता हूँ..तुम बहार आ जाओ .. और वह जल्दी से बहार चला गया. 
मैं आह..आह..कर के झड़ रही थी.. अब मेरे साथ  सिर्फ अनीश था.. मेरे कमीने पति को भी रहा नहीं गया..वह निचे झुक कर  मेरे चुत पर अपने ओंठ रखकर मेरा पाणी पिने लगा.. चाट चाट कर उसने मेरी चुत का सारा पाणी पी लिया..वह चाट रहा था और मैं लगातार उसके मुँह में पाणी छोड़ रही थी. मेरी चुत पूरी चाट चाट कर साफ़ करके कुछ देर मैं अनीश बहार डॉक्टर से मिलने चला गया. डॉक्टर ने कुछ दवाई दी और कहा.. संध्या के पैर की मालिश करनी होगी दिन में तीन बार. तभी धर्मेश अंकल ने कहा..कोई दिक्कत नहीं..यासीन बहुत अच्छी मालिश करता है..डॉक्टर को घर के बहार छोड़ कर अनीश भागा हुआ हमारे बेडरूम में आया..मैं बिस्तर पर लेटी थी..वो अपने कपडे निकाल कर पूरा नंगा हो गया..उसका लण्ड अभी भी फड़फड़ा रहा था.. उसने आते ही उसका लण्ड सीधे  मेरे मुँह में  डाल दिया..आह ! संध्या रानी.. चूस ले मेरा लण्ड..
मैं भी प्यार से मेरे पति का लण्ड चूसने लगी.  तभी मेरी नजर दरवाजे पर गयी.. दरवाजा आधा खुला था..वहा से धर्मेश अंकल खड़े होकर सब देख रहे थे..उनकी पाजामे में भी तम्बू बन गया था..वो अपने दोनों हातों से अपने लण्ड को सहला रहे थे. मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे..और उनकी आँखों से मुझे चोद रहे थे. अनीश की पीठ दरवाजे की तरफ थी .. इसलिए उसे दिख नहीं रहा था.
अनीश - आह रानी...क्या मस्त लण्ड चूसती है तू.. डॉ. खन्ना ने क्या मस्त उनकी उँगलियों से तेरी चुत की चुदाई की..बहुत मजा आ रहा था देखने में..
मैं कुछ बोल नहीं सकती थी.. अनीश का लण्ड  मेरे मुँह में था. धर्मेश अंकल सब सुन रहे थे..और कमीनी नजरों से मुझे देखकर मुस्करा रहे थे. 
अनीश - वाह रानी आज मजा आ गया.. मन कर रहा था की आज डॉक्टर से भी तुझे चुदवा लू.. आह....उफ़...बताओ डॉक्टर का लण्ड पकड़ कर मजा आया ?
मैं: उम्..हां,,, अनीश का लण्ड अभी भी मेरे मुँह मैं था..
अनीश: बोलो कैसे था डॉ. का लुंड..मेरे से बड़ा था..
अनीश ने मुझे जवाब देने के लिए..अपना लण्ड मेरे मुँह से बहार निकाल दिया..बोलो रानी बता..कैसे था डॉ. का लण्ड..
मै: बहुत मोटा और बड़ा था..तुमसे डबल साइज..था..
अनीश.. आह रानी..बोलो क्या मेरे सामने डॉ. के मोटे  लुंड से चुदवायेगी  ?
मै - हम्म हाँ..
मेरी ऑंखें धर्मेश अंकल को देख रही थी..वह भी बड़े मस्ती मैं थे...और अपना लण्ड सहला रहे थे..और कमीनी स्माइल दे रहे थे..
अनीश जल्दी ही मेरे मुँह में उसके लैंडसे वीर्य की पिचकारी उड़ाने लगा. मैंने भी प्यार से सब निगल लिया.. अनीश ने मुझे किस किया  - ी लव यू संध्या डार्लिंग.. और कपडे पेहेन कर ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा. धर्मेश अंकल तब तक चले गये थे.
मुझे अभी भी चलने में दर्द हो रहा था. अनीश ने यासीन को बुलाया और कहा .. देखो यासीन में ऑफिस जा रहा हूँ.. तुम पहले संध्या की मालिश कर देना.. फिर इसको बाथरूम ले जाना..नहाने को.. मैडम को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए..समजे?
यासीन - हाँ साब समज गया..आप चिंता मत करो..मैडम को कोई तकलीफ नहीं होगी.

कुछ देर बाद यासीन..एक कटोरे में गरम तेल लेकर आया...मैडम आप सोये रहिये.. मैं  यहाँ बिस्तर पर ही आपकी मालिश  कर दूंगा .. 
में फिर भी उठ गयी..और बिस्तर एक एक साइड पर पैर निचे जमीं पर रख कर बैठ गयी. वैसे यासीन मेरे पैरों के पास निचे जमीं पर बैठ गया.उसने मेरा लचका हुआ दाया पैर अपनी गोदी में ले लिया..और धीरे धीरे तेल लगाने लगा.. उसके हात बहुत मुलायम पर सख्त मर्दाने  थे . उसने मेरी नस पकड़ ली..और मैं आह..करके दर्द से कराह उठी. यासीन - मैडम मैंने नस पकड़ ली..अब आप चिंता मत करो में..इसको ठीक से मालिश करूँगा..
फिर वो उस नस को पाँव से लेकर घुटने टाक मालिश करने लगा.. मुझे अच्छा लगने लगा.. मेरा गाउन बिच मैं आता..वो उसको ऊपर घुटने पर रख देता .. 
यासीन - मैडम यह नस ऊपर कमर तक जाती है..इसको ऊपर कमर तक मालिश करनी पड़ेगी...आप गाउन थोड़ा ऊपर उठा लो.
मैंने गाउन थोड़ा ऊपर जांघों तक ले लिया... वैसे यासीन ने फिर से पाँव से लेकर..जांघों तक उस नस को पकड़ कर सहलाने लगा.. मुझे अच्छा लग रहा था. पर दूसरा पैर लटका रहने के कारण थोड़ी परेशानी हो रही थी.. यासीन मेरी परेशानी भांप गया.. उसने मेरा बाया पैर हलके से उठाया और उसके कंधे पर दाये बाजु रख दिया. और मेरे दाये पैर को पकड़ कर वह पाँव से लेकर कमर तक मालिश करने लगा.. इसके कारण मेरा गाउन पूरा कमर तक चला गया..पर मुझे अच्छा लग रहा था...मैंने ऑंखें बंद कर ली...यासीन..के होतों में जादू था...वह पूरा एक ही बार में पाँव से लेकर कमर तक मेरे पैर की नस की गरम तेल से मालिश कर रहा था. मैंने ऑंखें खोली...देखा यासीन लगातार मेरे पैरों के बीच घूर रहा था..उसके आँखों मैं चमक थी.. तभी मेरे को अहसास हुआ के मेरे दोनों पैरों के बिच उसका चेहरा है..और मेरा गाउन कमर के ऊपर चला गया है..जिसके कारण यासीन को मेरी नंगी जाँघे और गुलाबी चुत  साफ़ दिखाई दे रही है.. उसका चेहरा मेरे चुत से सिर्फ २ फ़ीट के फासले पर था.  चूँकि मेरा एक पैर उसके हात में ऊपर की तरफ था..और दूसरा उसके कंधो पर, मेरी चुत के ओंठ भी खुल गये थे..और उसको चुत की  दरार साफ़ दिखाई दे रही थी.. यह देखकर मेरी चुत के ओंठ फड़फड़ाने लगे.. वो..यासीन के ओंठों से मिलने को तड़पने लगे.. यासीन एक हात से मेरी नस की मालिश कर रहा था..और उसका दूसरा हात मेरे जांघ पर था.. मेरी चुत के बिलकुल करीब..तभी यासीन ने ऊपर देखा..मेरी ऑंखें उसकी नीली आँखों मैं डूबने लगी.. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी.. कैसे सम्मोहन था.. तभी मुझे यासीन का हात मेरी चुत पर महसुस हुआ और मेरे शरीर मैं कम्पन होने लगी.. मेरा सम्मोहन टुटा और मैंने जल्दी से गाउन निचे कर दिया और कहा - बस यासीन..आज के लिए इतना काफी है..मुझे अब बाथरूम जाना है..
यासीन एकदम भांप गया  जैसे कोई मीठा सपना टूट गया .. उसका मुँह उदास हो गया ..उसने बड़े कष्ट से उसका हात मेरी चुत के ऊपर से उठाया.. जब वो मेरे पैरों से उठा तब मैंने देखा की उसके पाजामे तम्बू बन गया था..और प्रिकम के कारण गिला निशान भी था.  उसने मुझे उठाकर शावर के निचे खड़ा कर दिया. कुछ कपडे और टॉवल लेकर दिए. मैंने खड़े खड़े ही शावर के निचे नाहा लिया. फिर टॉवल से अपना बदन पोंछ लिया .. पर बाथरूम मैं निचे पानी था..इसलिए मैं अपने कपडे वहां नहीं पेहेन सकती थी. मैंने मेरा टॉवल..मेरे छाती से बांध लिया ..मेरे मम्मे ढक गये..और बड़ा टॉवल था..इसलिए जांघों तक मेरा बदन ढक गया .. मैंने फिर से यासीन को आवाज दी..
वो बाथरूम मैं आया..मुझे देखता रहा..मेरे गीले बदन पर पानी की बुँदे..मै बहुत सुन्दर लग रही थी..उसने मुझे फिर से गोदी में उठाया और बिस्तर पर  लिटा दिया . ऐसे करते वक्त मेरे पैर फ़ैल गये .और उसको मेरी चुत के बार बार दर्शन होते रहे.. . उसके जाने के बाद मैंने अपने कपडे बिस्तर पर  पहन लिए... नीले रंग का गाउन था...मुझ पर बहुत जचता था .. पैंटी और ब्रा नहीं पहना ..
ब्रेकफास्ट और दोपहर का कहना खाने के बाद..धर्मेश अंकल मेरे बैडरूम में  आ गये..उनके हात मैं गरम तेल का कटोरा था.
मैं: अरे धर्मेश अंकल आप..पम्मी  आंटी सो गयी क्या ?
धर्मेश अंकल: हाँ मेरी जान वो सो गयी...दोपहर की मालिश मैं करूँगा...और तुझे अपनी मलाई भी खिलाऊंगा..और हंसने लगे 
मै : अंकल पहले दरवाजा बंद कर लो 
धर्मेश अंकल: हाँ नहीं तो सुबह जैसे दुर्घटना हो जाएगी ..और हम दोनों हसने लगे..
मैंने कहा - अच्छी बात नहीं है अंकल ऐसे मिया - बीवी को छुपकर देखना
धर्मेश अंकल - अच्छा हुआ सपना जान..आज मैंने देख और सुन लिया..अब आगे..हम दोनों को छुपकर कुछ नहीं करना पड़ेगा ..
मैं: क्या मतलब  अंकल ? कैसे अंकल ?
धर्मेश अंकल - बताता हूँ..पहले मालिश करने दो..मैं तो तुम्हे पूरा नंगा करके मालिश दूंगा..
धर्मेश अंकल के आँखों मैं वासना भरी चमक थी..कोई भी औरत उनकी आँखों मैं खो जाती..
उन्होंने मेरा गाउन निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया...और वह खुद भी पूरा नंगे हो गये..उनका १० इंच का गोरा मोटा लण्ड..फड़फड़ा रहा था..उसके टोपे से प्रिकम की चिपचिपी बून्द बहार निकल रही थी.
उन्होंने मुझे उठा कर अपनी गोदी मैं बिठा लिया और प्यार से मेरे ओंठों पर अपने ओंठ रख दिए और किस करने लगे. उनका दूसरा हात मेरे चुत को सहला रहा था धर्मेश अंकल: संध्या रानी तुम बहुत सुन्दर हो..इसलिए अनीश तुमसे इतना प्यार करता है..और डॉक्टर भी फिसल जाता है...
मैं हॅसने लगी..क्या अंकल आप भी..
अब धर्मेश अंकल एक हात से मेरे गोल आम दबा रहे  थे और दूसरे हात से मेरी चुत के अंदर ऊँगली डाल कर आगे पीछे कर रहे थे.उनके ओंठ अब मेरे गुलाबी निप्पल्स का रसपान कर रहे थे. मैंने भी प्यार से उनका मोटा कड़क लण्ड पकड़ लिया. धर्मेश अंकल का लण्ड बहुत सुन्दर था..इतना सुन्दर लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा था..१० इन्चा का मोटा, गोरा.. लाल लाल सूपड़ा , मस्त केले के आकार जैसे टेढ़ा घुमा हुआ ..एकदम मरदाना लण्ड था..जब भी चोदते हर औरत को खुश  कर देते ..मैं भी मस्ती मैं आ गयी.. उनके रंग में बेशरम होकर रंगने लगी. रिश्ते में वह मेरे मौसेरे ससुर थे.. पर मुझे उनकी रंडी बना दिए थे. 
वह अब अपनी उँगलियों से मेरे चुत के दाणे को प्यार से सहलाने लगे..और बोले
धर्मेश अंकल - : संध्या लगता हैं सुबह डॉक्टर ने बहुत मजे लिए तेरे से ..और अनीश को भी पसंद आया..
मैं सिसक रही थी..मेरे चुत का दाणा फटने वाला था.मैंने ..उम् .. आह सिसक कर कहा.. कुछ नहीं बोल पा रही थी.
धर्मेश अंकल ने अब मुझे हल्का सा उठाया और अपने लण्ड पर धीरे से  पर बिठा दिया...उनका मोटा १० इंच का लण्ड धीरे से मेरी गीली चुत को चीरता अंदर तक चला गया..
आह ! धर्मेश अंकल...और मैं पागलो की तरह उनको किस करने लगी..उनके ओंठ चूमने लगी..और मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर डाल दी
धर्मेश अंकल ने अपने  दोनों हातों से मेरी गांड दोनों बाजु से पकड़ी थी ..और मुझे ऊपर निचे उछाल कर अपने लण्ड की सवारी करा रहे थे... वह मेरी आँखों में देख रहे थे..
धर्मेश अंकल; अनीश को तुम्हे दूसरों से चुदवाना  अच्छा लगता है न..कितने लोगों से चुदवाया  उसने तुम्हे..
अब यह बात मेरे और मेरे पति के बिच की थी..मैं बता नहीं सकती थी...वैसे उन्होंने मुझे उठाया जोर जोर से अपने लण्ड को आगे पीछे कर के मेरी चुत चोदने लगे. मैं उनकी गहरी आँखों में खो रही थी.. 
मैं..आहा..धर्मेश अंकल..हां...! अनीश को पसंद है..
धर्मेश अंकल - यह तो अच्छी बात है..अनीश ककोल्ड निकला .. अब देखो मैं कैसे उसको दबाकर उसके सामने तुझे चोदता हूँ...वह खुद मेरे पास आकर तुम्हे चोदने के लिए भिक मांगेगा ..मैंने ऐसे कही ककोल्ड पतियों के सामने उनकी बीवियों की चुदाई की हैं. ..अनीश तो बच्चा है..
आह धर्मेश अंकल....मैं...सकपका गयी..और उनके लण्ड पर झड़ने लगी...
मेरे चुत के पानी से उनका लण्ड  पूरा गिला हो गया..और उनकी गोटिया भी भीग गयी...उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया...और उनका लण्ड और गोटिया मेरे चहरे के पास लेकर आये...संध्या मेरा लुंड चाट कर साफ़ कर दो..और गोटिया भी.. मैं भी प्यार से उनका लुंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी..और उनके टट्टे भी..क्या खुशबू है..क्या गजब का स्वाद है..
उन्होंने मुझे फिर से किस किया और बोले..मेरी प्यारी संध्या ..तुम तो मेरी सब से प्यारी रंडी हो.. हो ना..बालो ?
मैं: हाँ धर्मेश अंकल मैं सिर्फ आपकी रंडी हूँ.. वह वही मेरे बाजू में लेट गये..और मुझे अपनी बाँहों मैं जकड लिया
मैं भी वैसे नंगी उनकी बाँहों मैं सो गयी..हम दोनों एक दूसरे के बाँहों मैं नंगे सो कर खुश थे. जब आँख खुली तो देखा की ५ बज गये थे..मैंने धर्मेश अंकल को देखा..वो सो रहे थे.. पर उनका लण्ड अभी फिर से फनफना रहा था..मैंने उनको उठाया - धर्मेश अंकल उठो...अभी ५.३० बजे अनीश आ जायेंगे ..
धर्मेश अंकल ने मुझे प्यार से उनकी तरफ खिंच लिया...ऐसे नहीं रानी...कुछ गिफ्ट दो..चला जाऊंगा
मैं: सब कुछ तो दे  दिया आपको धर्मेश अंकल..अब जाइये प्लीज.. 
धर्मेश अंकल..गिफ्ट बिना नहीं जाऊंगा..
मैं डर रही थी..अनीश के आने का टाइम हो रहा था...मैंने कहा - क्या चाहिए गिफ्ट..?
धर्मेश अंकल - बस मेरे खड़े लण्ड को पप्पी  दे दो.. और हवसभरी नज़रों से मुझे देखने लगे..
मैंने अपने दोनों हातों से उनका मोटा लम्बा लण्ड पकड़ा...और उनके लाल सुपडे पर पप्पी लेने लगी..वैसे  उन्होंने उनकी गांड ऊपर उछाल दी..और उनका लण्ड मेरे मुँह मैं ठूस दिया...दूसरे हातों से उन्होंने मेरा सर पकड़ कर रखा..
धर्मेश  अंकल ..आह..संध्या क्या मस्त लण्ड चूसती है..मेरी रंडी..चूस ले..तुझे मेरा पाणी पसंद है ना.. तुम्हे मेरे वीर्य के स्वाद की लालसा है ना..पूरी कर लो...
मुझे उनकी खुशबू और महक बहका गयी.मैं पागलो की तरह उनका लण्ड चूसने लगी.. मैंने देखा ५.२० बज रहे थे.. मुझे जल्दी कुछ करना पड़ेगा..मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया और चूसने लगी...मैंने उनके बड़े  बड़े गोल गोल टट्टे हातों से पकड़ लिए और सहलाने लगी... धर्मेश अंकल..आह..उम्..करने लगे..वह गरम हो गये थे...उन्होंने खुद को उल्टा पलट लिया और मेरी जांघों मैं अपना मुँह घुसा दिया..उनकी जीभ मेरी चुत के द्वार को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर गयी..और चाटने लगी..
मेरी चुत भी जवाब दे रही थी..गीली होने लगी थी...धर्मेश अंकल का लण्ड फनफनाकर मरे गले तक मेरा मुँह चोद रहा था..और उनकी जीभ मेरी चुत मैं घुस घुसकर मेरी चुत चोद रही थी. मैंने अपने दोनों हातों से उनकी गांड पकड़ ली., अपनी ऊँगली  पर थूका..और उनके गांड में एक ऊँगली डाल दी...
वैसे वह तड़प उठे..आह संध्या......मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया..और उनकी गांड मैं ऊँगली घुसा  दी..
वैसे वह..आह..उम्..कर के मेरे मुँह मैं अपना वीर्य पिलाने लगे.. वाह! क्या  खुशबू...इसकी दीवानी हो गयी थी मैं..इसके लिए उनकी रंडी बन गयी थी में..
मेरी चुत ने भी..धक्के मार मार कर..उनके मुँह में पाणी बहा दिया..वो बड़े प्यार से मेरा पाणी पिने लगे...बहुत देर तक हम एक दूसरे का पाणी पीते रहे..उन्होंने मेरी चुत सारी चाट कर साफ़ कर दी थी. मैंने भी उनका पूरा  वीर्य  का रसपान किया था..एक - एक भी बूँद चाट ली थी..

मैंने उनको जल्दी जाने को कहा..तभी घर के बहार अनीश की गाड़ी की आवाज आयी..धर्मेश अंकल जाते जाते बोले - सुनो संध्या .. मुझे अनीश को अपने काबू में करना है..अपना ककोल्ड बनाना है..मैं जैसे बोलू..वैसे तुम करना..

मैंने उनको कहा ..ठीक है..आप जो अच्छा समजे करे..
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
Please rate and comment
Like Reply
Give Likes and comments
Like Reply
पार्ट ३५ : मौसाजी ने बनाया मेरे पति को कुक !

धर्मेश अंकल जैसे हमारे कमरे से बहार गए वैसे अनीश अंदर आ गया.. मेरे पास बैठ गया . मैं पसीने से लथपथ थी.. मेरे शरीर पर धर्मेश अंकल के  पसीने की सुगंध आ रही थी. अनीश ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरे ओंठों पर ओंठ रख दिए.. और जीभ अंदर डाल कर चूमने लगा. अजीब लग रहा था..मेरे मुँह में कुछ देर पहले धर्मेश अंकल का बड़ा लण्ड था और उनका वीर्य... 
अनीश - कैसी  हो मेरी जान..अब ठीक लग रहा.. ?  
मैंने कहा - हाँ ठीक हूँ... थोड़ी थकान  हैं.. नहाना चाहती हूँ ..पर पहले पैर की मालिश कर लू..
अनीश ने कहा - ठीक है रानी . मैं यासीन को बुलाता हूँ..फिर खुद तुम्हे पूरा नंगा कर के नहला दूंगा 
तभी धर्मेश अंकल कमरे में आये .उनके हात में एक बड़ा सा पैकेट था... अरे अनीश बेटे कैसे हो..? संध्या तुमने शायद यह ऑनलाइन मंगाया है.. अभी डेलिवेरी वाला देकर गया. 
धर्मेश अंकल चले गए..जाते जाते उन्होंने मुझे आँख मारी और मोबाइल फ़ोन दिखा कर इशारा किया.. मैंने देखा मेरे फ़ोन पर उनका मैसेज था.. संध्या डार्लिंग..तुम्हारा गाउन फाड़ा था..या मैंने २ गाउन ख़रीदे है..अभी पहन लो..
अनीश - संध्या क्या ख़रीदा..?
मैं - अनीश कुछ नहीं कुछ गाउन है...अभी पहन कर दिखाती हूँ...
मैंने पैकेट खोला... उसमे दो गाउन थे..मॉडर्न किस्म के..एक लाल और दूसरी  नीली पर वह बहुत शार्ट गाउन थे..मुश्किल से जांघों तक और घुटने के ऊपर आते थे. 
अनीश - अरे वाह !  बेगम यह तो बहुत सेक्सी है..तुम ऐसे सेक्सी गाउन कभी नहीं पहनी..
मैंने कहा - हाँ तुम्हे दिखाने को  ख़रीदे..अब तुम ही मुझे पहना दो..
अनीश बहुत खुश हुआ..उसने मेरा गाउन निकाल कर मुझे नंगा कर दिया.. मेरी नंगी चूत देखकर अनीश को रहा नहीं गया..उसने वहा हात रख  दिया..पर मेरी चूत में धर्मेश का वीर्य था..मैं नहायी नहीं थी..मैंने अनीश का हात हटा दिया..अभी नहीं..जब मैं कहूँगी तब..
अनीश ने मुझे लाल गाउन पहनने में मदत की..गाउन लो-नेक था..मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे..मिश्किल से मेरी निप्पल को कवर कर रहा था ..और निचे सिर्फ जांघों तक था..मैं तो जैसे कोई होटल के कैबरेट डांसर लग रही थी..अनीश बहुत खुश हो गया.. 
अनीश बोलै - वाओ  ! डार्लिंग  मुझे तो तुझे इसी ड्रेस में चोदना है.. और उसने मेरे घुटने मोड़ कर ऊपर उठा दिए..ऐसे करने से मेरा  गाउन  जांघों पर से कमर तक चला गया और..मेरे नंगी चूत अनीश को दिख गयी...
अनीश - वाह रानी कितनी सुन्दर लग रही..जैसे कोई रंडी..
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.. यासीन था .. हात में तेल का कटोरा लेकर .. साब मालिश कर दू अभी ?
अनीश ने कहा - हाँ जल्दी कर दे..और अनीश मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था ..वह यासीन को देख रहा था ..यासीन के आंखें मुझ पर टिकी  थी..अपने  नज़रों से वह मेरे लाल गाउन में आधे नंगे बदन को चोद रहा था..मैं फिर से बिस्तर के साइड पर बैठ गयी..और पैर निचे रख दिए..यासीन सुबह जैसे ही मेरे पैरों के पास बैठ गया..और अनीश खुद के कपडे चेंज करने लगा..तभी मुझे फ़ोन पर मैसेज का अलर्ट आया..मैंने पढ़ा.. धर्मेश अंकल का मैसेज था..संध्या , आज यासीन को मैंने कुछ समझाया है..अनीश  के सामने वो जो करे तुम करने देना..मैं भांप गयी..पता नहीं यासीन क्या करेगा..एक तो ऐसे ही मेरी चूत धर्मेश अंकल के वीर्य से गीली थी..और उसपर यह छोटा सा कमर तक गाउन पहना था..मैंने अपनी आंखें  बंद कर ली..
यासीन ने मेरा लचका हुआ पैर उसकी जांघों पर रख दी...उसने आज कुरता पाजामा नहीं पहना  था. आज वो टी शर्ट और लुंगी मैं था..निचे बैठने की वजह से उसकी लुंगी थोड़ी आगे से खुल गयी..और मेरा पैर उसकी नंगी जांघों पर था..मेरे पैर के तलवों को उसकी मांसल भरी बालों वाली जांघें से गुदगुदी हो रही थी. उसने मेरे पैर पर तेल लगाना चालू किया...सुबह की तरह..निचे से पूरा ऊपर कमर तक..उसने मेरा दूसरा लटका हुआ पैर अपने कंधे पर रख दिया..
अनीश - कैसे लग रहा है संध्या..? आंखें क्यों बंद की
मैं: अच्छा लग रहा है अनीश..यासीन मुझे बहुत अच्छी मालिश देता है..मुझे आपके सामने शर्म आ रही है..इसलिए आंखें  बंद कर ली..
अनीश - अरे पगली..मुज़से क्या शर्माना .. और यासीन भी घर का आदमी है..आंखें खोलो और मेरी तरफ देखो
मैंने आंखें खोली..अनीश मेरे सामने सोफे पर बैठा था..और देख रहा था..वह सिर्फ एक छोटी सी शार्ट पहना था...कितना सुन्दर और हैंडसम था अनीश..कोई मॉडल जैसे .. मुझे बहुत फक्र महसूस हुआ..मैं उनके आँखों मैं खो गयी..और प्यार से नजरे मिलाने लगी. तभी मुझे महसूस हुआ की मेरा पैर यासीन की नंगी जांघों पर रगड़ रहा है..मैंने निचे देखा..मेरा गाउन पूरा कमर तक आ गया था..और मैं यासीन के आँखों के सामने बिलकुल नंगी बैठी थी..मैंने झट से गाउन संभाला..निचे किया . यासीन मुस्करा रहा था..अनीश की आँखों मैं अजीब शरारत थी..
अनीश.. यासीन अच्छी से मालिश करो..पूरा निचे से लेकर ऊपर तक..और ज्यादा तेल लगाओ..
यासीन - हां साब.. बहुत तेल लगाऊंगा..और फिर से कमिनी स्माइल दी 
यासीन अब बिंदास हो गया..दोनों हातों से कमर के ऊपर तक मॉलिश करने लगा..मेरी गाउन फिर से पूरी कमर के ऊपर हो गयी..और मैं उसके सामने अब पूरी नंगी थी..यासीन के हात अब हलके हलके मेरी जांघों के बीच जा रहे थे..हर बार उसका हात ऊपर आता और मेरी चुत के पास आकर रुकता..तभी मेरे पैर को कुछ सख्त और गरम चीज महसूस हुआ..मैंने निचे देखा..यासीन की लुंगी और खुल गयी थी..और उसका गोरा गुलाबी मोटा लण्ड सख्त हो गया था..और मेरा पाँव..उसके लण्ड पर रगड़ रहा था..मैं गुस्सा हो गयी .. पर मुझे धर्मेश अंकल ने चुप रहने को कहा था..
मैंने देखा अनीश मुझे बड़ी ध्यान से देख रहा था और मुस्करा रहा था..उसकी शॉर्ट्स में उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह ऊपर से अपने  हात से खुद का लण्ड सहला रहा था..तभी दरवाजे पर दस्तक हुई..मैंने देखा धर्मेश अंकल थे..बोले - डॉक्टर ने बताई थी वो संध्या बेटी तेरी दवाई लेकर आया हूँ..
अनीश ने कहा - आह..आइये अंकल..बैठ जाइये ..बातें करते है..और अपने बाजु में बैठने का इशारा किया..धर्मेश अंकल भी अनीश के बाजु सोफे पर बैठ गए..सोफा  छोटा था..इसलिए वह एक दूसरे के बहुत पास बैठे थे..मैंने देखा धर्मेश अंकल ने भी आज सिर्फ टी शर्ट और लुंगी पहनी थी..और वो बहुत सेक्सी और जवान लग रहे थे. वो भी मुझे देखने लगे.. यासीन..मुझे निचे  से कमर तक मालिश करता और अब मेरी चूत पर भी बिच में हात लगा देता..मेरी चुत को उसके हातों के स्पर्श से सनसनी हो रही थी..तभी अपना हात मेरी जांघों पर फेरता एकदममे री चुत के करीब ले कर आया  और हल्का से उसकी बिच की ऊँगली से मेरे चुत के ओंठों को छू लिया.. 
वैसे मैंने - आह !! उम् ...कर के कराह उठी..
धर्मेश अंकल - अरे क्या हुआ संध्या बेटी.. यासीन ठीक से मालिश करो..ऊपर तक..संध्या को दर्द हो रहा..
मैंने कहा..अरे धर्मेश अंकल ठीक है..बस नस थोड़ी दर्द कर रही थी..
तभी मैंने देखा .. अनीश की नजरे मेरी तरफ से हट गयी थी..वह बाजु बैठे धर्मेश अंकल को देख रहा था..और अपना लण्ड अपने शॉर्ट्स के ऊपर से सहला रहा था..
मैंने देखा - अनीश धर्मेश अंकल की लुंगी को देख रहा है..और अपने ओंठों पर से जीभ फेर रहा था.. उफ़ यह क्या..धर्मेश अंकल की लुंगी खुल गयी थी..और उनका लुंड ट्टण कर सख्त खड़ा हो कर फनफना रहा था..अनीश ने शायद कभी इतना सुन्दर लण्ड देखा नहीं था.. वह भी धर्मेश अंकल के खूबसूरत औजार से प्रभावित हो गया था..
तभी धर्मेश अंकल ने अनीश को देखा..ओह !  सॉरी  अनीश ! खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पाया ! 
और वह उठ कर चले गए.. अनीश का मुँह खुला का खुला था..वह ऐसे सम्मोहित हो गया..कुछ बोल नहीं पाया ..मैं भी अपने होश में आ गयी.
मैंने कहा - यासीन अब बस करो..अनीश मुझे नहाने ले चलो न प्लीज..
यासीन जाने के लिए उठ गया..और कहा..- साब ! में मैडम को बाथरूम लेकर जाता हूँ.. 
और बिना मेरे या अनीश के उत्तर का इंतजार किये.. मुझे गोदी में उठा लिया और बाथरूम लेकर जाने लगा.. उसके हातों ने मेरे चूचियां जकड ली थी..और दूसरे  हातों ने मेरी गांड पकड़ ली थी..अनीश भी हमारे  पीछे पीछे आने लगा..
शावर के निचे यासीन ने मुझे धीरे से उतार दिया . और एक हात मेरे चुत  पर रगड़ दिया..में कुछ  बोल नहीं पा रही थी..
अनीश ने यासीन से कहा - यासीन तुम बहार रुको.. मैं संध्या को नहला दूंगा..नहाने के बाद तुम वापस संध्या को बेडरूम  में ले जाना..
यासीन जी साब..बोल कर ख़ुशी ख़ुशी चला गया..तब तक अनीश नंगा हो गया था..उसका ५ इंच का लण्ड छोटा था पर मोटा था और फुफकार रहा था..
मैंने अनीश से  से कहा - यह क्या अनीश..यासीन को क्यों रोका..तुम भी मुझे बेडरूम उठाकर ले जा सकते हो ..
अनीश ने मेरा गाउन निकाल दिया और मुझे पूरा  नंगा कर दिया और बोला - हाँ मेरी जान..पर मुझे मेरी नंगी बीवी  दूसरे आदमी की गोदी में अच्छी लगती है.. तुमने देखा नहीं यासीन बेचारा कितना उत्तेजित  हो गया था. उसको भी तुम्हारे सुंदरता से आंख  सेकने दो.
मैंने झूठा  गुस्सा  दिखाया.. आप बड़े कमीने हो..और अनीश का सख्त लण्ड अपने हात में पकड़ लिया..अनीश हँसा और मुझे चूमने लगा..उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और दूसरे होतों से मेरे चूत में उंगली डाल दी..मैं जानती थी की अनीश बहुत गरम हो गया..
अनीश ने शावर चालू किया और मुझे साबुन लगाने लगा... उसने मुझे शावर के निचे थोड़ा झुका   दिया.और निचे बैठ कर मेरी गांड और चुत दोनों चाटने लगा. उसने कुछ लीकविड सोप उसकी ऊँगली पर लिया और मेरी गांड में डाल कर ऊँगली घुमाने लगा..उसकी उंगलिया मेरी गांड में फिसल रही थी.. मुझे अच्छा लग रहा था.. बहुत दिन से किसी ने मेरी गांड नहीं मारी थी. अनीश ने उसके  लण्ड पर भी बहुत सारा तरल सोप लगाया ...और मेरी गांड में अपने लण्ड का टोपा लगा दिया..उसने  पीछे से मेरे मम्मे  पकड़ लिए और मेरे निप्पल्स गोल गोल दबाकर मेरे ओंठ घूमने लगा.. मेरी चूत गिल्ली हो रही थी.. अनीश ने एक जोरदार धक्का दिया और उसका लण्ड मेरी गांड की दरार में चीरता हुआ मेरे छेद में चला गया.. वैसे में कराह उठी..आह अनीश..धीरे ..उम्...आह..
मेरी चुत लगातार पानी बहा रही थी  अनीश  बहुत प्यार से धीरे धीरे धक्के मरकर मेरी गांड चोद रहा था.. उसकी जांघें मेरी गांड पर - फट फट की आवाज कर के टकरा रही थी. मुझे बहुत कामुकता और उत्तेजना हो रही थी यह सोचकर  की बाथरूम  के बहार यासीन सब सुन रहा था. अनीश मुझे लगातार चोदता जा रहा था..उसने मेरा एक पैर पकड़कर  अपने हातों से ऊपर उठा लिया और मेरी गांड अब और ज्यादा खुल गयी..वो उसका लण्ड पूरा अंदर बहार करके मेरी गांड की चुदाई करने  लगा..और दूसरे  हातों से उसने मेरा सर पकड़ लिया और उसकी तरफ खिंच के मेरे ओंठ चूमने लगा.. मुझे ज्यादा देर नहीं लगी झड़ने में..मुझे यासीन और धर्मेश अंकल ने मेरे पति अनीश के सामने नंगा देखा था. इसलिए मैं. पहले से बहुत उत्तेजित हो गयी थी और आह..उफ़ करके झड़ने लगी..जिसके कारन मेरी गांड  सिकुड़ गयी..और अनीश के लण्ड को जोर से भींच लिया..इसके कारण अनीश भी..आह..मेरी रानी..संध्या..मेरी रंडी..करके मेरी गांड में झड़ने लगा ..अनीश बहुत देर तक मुझे चूमता रहा ..फिर उसने निचे झुक कर मेरी गांड चाट ली..और उसके वीर्य और मेरी गांड का मिश्रण चाट कर साफ़ कर दिया..
अनीश ने यासीन को आवाज दी - यासीन २ टॉवल लेकर आओ  
मैं हक्का - बका  रह गयी..मेरा  गाउन पानी  में भीग  गया था , मैं पूरी नंगी थी और मुझे ढकने  के कुछ नहीं था.. इससे पहले में कुछ कहती और रोकती, यासीन दो टॉवल लेकर बाथरूम के अंदर  आ गया.. मुझे और अनीश दोनों को पूरा नंगा देखकर खुश हो गया. उसने अनीश को के टॉवल दिया और दूसरा टॉवल  मुझे. अनीश ने कहा - यासीन तुम टॉवल से संध्या का बदन पोंछ कर सूखा दो .. मैं चकित रह गयी .. और मुझे शर्म भी आ रही थी..यासीन ने  ख़ुशी ख़ुशी से टॉवल मेरे हातों से लिया और मेरी पीठ पोछने लगा. मैंने अनीश को देखा .. वह मेरे तरफ देखकर मुस्करा रहा था और गौर से यासीन को देख रहा था.. अनीश अपना बदन पोंछ  रहा था..उसका लण्ड अब सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था .. २ इंच का बेबी लण्ड था उसका ..वह धीरे धीरे अपना बेबी लण्ड और अण्डे टॉवल से पोंछने लगा. और मुझे और यासीन को हवस भरी  नजरों से देखने लगा..
यासीन बड़ा  कमीना निकला.. वह एक हात से मुझे टॉवल से पोंछ रहा था और दूसरी हात से  मेरे पोंछे हुए बदन पर फेरकर देख रहा था की सब सुख गया या कोई पानी के बुँदे ना रहे .. उसने अब मेरे बूब्स और निप्पल्स को भी छू लिया ..उसके मर्दाने हातों के छूने से मेरे बदन में करेंट दौड़ गया..मैं थरथरा गयी..अनीश मेरी मज़बूरी का मजा ले रहा था ..उसने कहा - यासीन मैडम के कमर के निचे और पाँव भी एकदम अच्छी से सुका दो.. 
यासीन अब मेरे पैरो के पास निचे झुककर अपने पैरों पर बैठ गया.. और मेरी चुत को टॉवल से पोछने लगा..उसने दूसरे हातों से मेरी चुत को सहला लिया..और कहा ..हाँ साब एकदम सुख गया ..मैंने निचे देखा ..यासीन की लुंगी फिर से आगे से खुल गयी थी..और उसका गोरा कटा हुआ १० इंच का काले बालों वाला लण्ड फुफकार रहा था..आसमान की तरफ..
अनीश ने कहा .. अरे यासीन ठीक से देखो ..अंदर पानी से गिला ना हो .. वैसे यासीन ने मेरी चुत में उसकी मोटी ऊँगली डाल दी..आह..मैं सिहर उठी..
यासीन..साब अंदर से बहुत गीली है..
अनीश -हाँ संध्या की चुत बहुत गरम है हमेशा गीली होती है..
यासीन - साब मैडम इतनी गरम है , पर आपका लण्ड तो बहुत छोटा सा है..एकदम १० साल के बच्चे जैसे 
अनीश - हाँ मेरा लण्ड बहुत छोटा है .. तेरा दिखा यासीन..
यासीन ने अपनी लुंगी बाजु कर दी..वह अब अनीश के सामने एकदम नंगा था..उसका लण्ड बहुत गोरा था और उसके लण्ड का सूपड़ा एकदम लाल लाल स्ट्रॉबेरी  जैसे था .. यासीन के बहुत लम्बे और घने बालों वाली काली झाटें थी और उसके बड़े बड़े बालों से भरे दो अण्डे निचे लटक रहे थे. अनीश उसका लण्ड देखने हमारे करीब आ गया 
अनीश - अरे वाह यासीन .. ! तुम्हारी झाटें तो एकदम मस्त है..
अनीश का हात यासीन के झाटों के काले बालों में चला गया और सहलाने लगा.
मैंने अनीश को देखा..वो अभी भी टॉवल से अपने लण्ड और गोटिया रगड़ रहा था..उसका २ इंच का बेबी लण्ड अभी फिर से उठकर सख्त ५ इंच का कड़क लोहा बन गया था.. 
यासीन - साब ! हाँ बहुत बाल हैं मेरे बदन पर..पर साब आपने तो कोई बाल नहीं रखे..सब शेव किये..आप का लण्ड  एकदम १० साल के बच्चे जैसे चिकना , बिना बालों वाला लगता है..और यासीन भी अनीश के चिकने  लण्ड और गोटियों को हात लगाकर देखने लगा.
इससे पहले वह कुछ कहे ..मैंने कहा..बस अब ठीक हैं यासीन...मुझे बेडरूम में लेकर चले .. यासीन ने मुझे वैसे ही नंगा गोदी में उठाया और बेडरूम  में लेकर बिस्तर पर लिटा दिया..बिस्तर की दूसरी साइड पर तकिया लेने वह मेरे ऊपर झुक गया..वैसे उसका लण्ड मेरे चहरे के पास आ गया .. उसके लण्ड का कटा हुआ लाल टोपा मेरे ओंठों के पास था.. मैं खुद को रोक नहीं पायी और जल्दी से मैंने उसके टोपे पर जीभ पैर दी..
वैसे यासीम..उम्म्म कर के झूम उठा. अनीश भी पीछे पीछे बेडरूम में आया..क्या हुआ यासीन 
यासीन..कुछ नहीं साब..
मैं फिर से संभल  गयी.. ठीक है यासीन तुम अब जाओ, में गाउन पहन लुंगी..
यासीन थोड़ा मायूस सा हो गया और चला गया..
अनीश प्यार से मेरे पास आ गया और मुझे नीले कलर का गाउन पहना दिया..जो धर्मेश अंकल लाये थे..
रात को खाना खाते वक्त ..अकेले धर्मेश अंकल थे..उन्होंने बताया .. की पम्मी आंटी उनके घर चली गयी..कुछ पानी के पाइप का लीकेज था..इमरजेंसी थी .वह कल वापस आएगी.
फिर उन्होंने मुझे मैसेज किया.. संध्या .. मेरी रंडी..आज तेरे पति को कुक बनाने का सही समय है.. यासीन ने मुझे सब बताया कैसे अनीश ने तुम्हे उसके सामने नंगा किया और उसे तुम्हारी चुत से खेलने दिया. यासीन के लण्ड से वह कैसे आकर्षित हो गया .. लोहा अभी गरम है.. तुम थोड़ी देर में मुझे वीडियो काल करो..और अनीश को मेरे पास भेज दो.. की मौसाजी  से डॉक्टर ने दी हुई दवाई ले आओ.. और वीडियो काल पर तुम सब देखना..मैं कैसे तेरे पति को ककोल्ड बनाता हूँ.
मैं हैरान  हो गयी.. पर मुझे बहुत उत्तेजना  भी हो रही थी . मुझे अपने पति अनीश से बहुत प्यार था..उन्होंने मुझे हर खुशियां दी थी ..उनके छोटे बेबी लण्ड होने के बावजूद उन्होंने मुझे बहुत मर्दों से और बड़े बड़े लण्ड से चुदवाया था.. मैं सिर्फ उनकी ख़ुशी चाहती थी..उनको भी कुछ खुशियां  गिफ्ट में देना चाहती थी..इसलिए यह सब्र मुझे ठीक लग रहा था.
तभी मुझे धर्मेश अंकल का वीडियो कॉल आया... मैंने कॉल ले लिए..मैंने देखा की .. सामने बिस्तर पर धर्मेश अंकल  पूरा नंगा बैठे है.. पैर फैला कर और अपना लण्ड सहला रहे है..उनको ऐसे देखकर में एकदम उत्तेजित हो गयी..और मेरी चुत गिल्ली होने लगी. उन्होंने कहा.. संध्या अब अनीश को मेरे कमरे में भेज दो. मैंने देखा अनीश सिर्फ एक शॉर्ट्स में था..क्यूंकि हम दोनों रात को नंगा सोते है.
मैंने कहा ..अनीश मेरी कुछ दवाई धर्मेश अंकल लेकर आये थे..उनकी रूम में जाकर ले आओं ना..प्लीज..
अनीश ने कहा - ठीक है.. लेकर आ ता हूँ जान और वो वैसे ही छोटीसी शॉर्ट्स में कमरे से बहार चले गए.. 
मैंने फिर से वीडियो कॉल देखना चालू किया.. मैंने देखा की धर्मेश अंकल ने अपनी आंखें बंद कर ली.और वह अब अपने लण्ड  को पकड़ के आगे पीछे हिला रहे थे..यभी मैंने देखे की दरवाजे पर अनीश खड़ा होकर रुक गया.. वह धर्मेश अंकल को पूरा नंगा  देख कर सर से पाँव तक हिल गया.उसकी नजर धर्मेश अंकल के नंगे बदन पर थी. धर्मेश अंकल एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५  की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे.  कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे. और सबसे खुनसुरत उनका काला मोटा  १० इंच का लण्ड था..लाल टोप एकदम फुला हुआ..और मोटे केले  जैसे टेढ़ा..एकदम जबरदस्त खुसबूसृत लण्ड था.. अनीश उनको निहार रहा था और अब उसका एक हात उसकी शॉर्ट्स में चला गया था और वो अपने लण्ड को सहला रहा था. मुझे बहुत सरप्राइज हुआ . अनीश अब धर्मेश अंकल के खूबूसरत नंगे जिस्म से पूरा सम्मोहित हो गया था. धर्मेश अंकल का काला  लण्ड एकदम सख्त लोहे जैसे फुफकार रहा था ..वह उसे अपने दोनों हातों से पकड़ कर आगे पीछे करके मसल रहे..थे.. धर्मेश अंकल आहे भर रहे थे -    उम्..आह...मेरी संध्या.. मेरी रंडी  बन जा...
मुझे जोर से झटका लगा ..यह अनीश के मौसाजी उसके सामने पूरा नंगा है, अपने बड़े लण्ड को हातों से पकड़कर मूठ मार रहे और उसकी बीवी का नाम ले रहे है .. मैंने सोचा अनीश को कही गुस्सा ना आ जाये.. पर अनीश के कदम धीरे धीरे उनके बिस्तर के तरफ बढ़ रहे थे...और अब उसकी शॉर्ट्स भी उसके घुटने तक खिसका दी..और अपने लण्ड को खुला कर के धर्मेश अंकल के लण्ड को देखकर हिला रहा था. मेरी चूत यह देखकर गिल्ली हो गयी..मेरा एक हात अपने आप मेरी गिल्ली चुत के ऊपर चला गया..
मैंने देखा अनीश अब बिल्कुम धर्मेश अंकल के बिस्तर के पास खड़ा है..उसकी नजर धर्मेश अंकल के मोटे लम्बे लण्ड पर थी.... उसकी शॉर्ट्स अब फर्श पर गिर गयी थी और वह एक हाथ से धीरे से उसका लण्ड हिला रहा था. धर्मेश अंकल अब पूरा बिस्तर पर लेट गए थे..वो अपना मोटा लण्ड आराम से हिला रहे थे..और सिसकियाँ ले रहे थे..उम्... संध्या...तेरी चुत आज देखि..कितनी खूबसूरत  है...तुझे दिन रात चोदूूँगा  ..काश तू मेरी बहु नहीं होती..तुझे रंडी बनाता और रात - दिन चोदता.  अनीश भी यह सुनकर एकदम गरम हो गया था.. उसके हात भी उसके लण्ड पर आगे पीछे घूम रहे थे.. तभी सही वक्त समाज कर धर्मेश  अंकल ने ऑंखें खोली..
धर्मेश अंकल - (घबराते हुए - नाटक करते) - ओह !  अनीश तुम. . आई  ऍम वैरी सॉरी   !  सॉरी बेटा ! वह तुम्हारी पम्मी मौसी नहीं है ना..सो सेक्स मिस करता हूँ..आज रोक नहीं पाया खुद को..
अनीश - ओह सॉरी अंकल.. मैं भी बहक गया..सॉरी तो मैंने कहना चाहिए ..आप मौसी को मिस कर रहे है..
पर दोनों ने भी लण्ड  सहलाना चालू रखा.. 
धर्मेश अंकल - अरे नहीं बेटा , तुम्हारी मौसी कोई काम की नहीं रही..मेनोपोज़ के बाद वह ठंडी हो गयी..इसलिए मुझे यह करना पड़ता ..और आज बहु की मालिश देखि तो और ज्यादा उत्तेजित हो गया 
अनीश - ओह अंकल..यह तो बहुत नाइंसाफी है आपके मस्त लण्ड पर..आपको इसको भूखा नहीं रखना चाहिए 
धर्मेश अंकल - हां अब आदत हो गयी बेटे .. पर क्या तुझे मेरा लण्ड सच में मस्त लगता है ? कैसे इसकी भूक शांत करू  ..तू ही बता दे 
मैं  सब वीडियो  काल पर देख रही थी और सुन रही थी. मुझे हंसी आ गयी.. धर्मेश अंकल बहुत अनुभवी और कमीने थे..उन्होंने मेरे भोले पति की नब्ज पकड़ ली थी.
अनीश  - हाँ  अंकल..! आपका लण्ड सच में  मस्त है..इतना खूबसूरत लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा..यह तो एक सात दस - बीस कुंवारी चुत की सील फाड्  देगा 
धर्मेश अंकल..ओह !  इसलिए तू भी नंगा हो गया.. तुझे मेरा लण्ड अच्छा लगा , तुझे इसको टच करना है..
अनीश ने कहा - उम् ...हाँ अंकल सच में अच्छा है..एकदम mota और लाल टोपा..है 
धर्मेश अंकल ने अनीश को बढ़ावा दिया.. चलो एक काम करते है..तू मेरा लण्ड पकड़ ले..मैं  तेरा लण्ड पकड़ लेता हूँ..
उन्होंने अनीश का लण्ड पकड़ लिया..अनीश को भी हिम्मत आ गयी..वह बिस्तर पर धर्मेश अंकल के पास बैठ गया और उनका गरम लण्ड पकड़ लिया. और प्यार से हिलाने लगा .उसकी नजर धर्मेश अंकल के लण्ड से हट नहीं रही थी..धर्मेश अंकल-- आह...उम्..करके आहे भरने लगे ..
धर्मेश अंकल - कैसे फील हो रहा अनीश मेरा लण्ड पकड़ कर..
अनीश - बहुत अच्छा लण्ड हैं आपका अंकल .. मस्त सख्त ..और गरम..बहुत अच्छा लग रहा है..
धर्मेश अंकल...आह !  अनीश मरे लण्ड को थोड़ा सा चूस ले..मुझे अच्छा फील होगा..
अनीश - अरे नहीं  अंकल..
पर उसने अब अपने दोनों हातों में धर्मेश  अंकल का लण्ड पकड़ लिया..
धर्मेश अंकल थोड़ा सक्ति से बोले  -  चलो अनीश मेरा लण्ड चूस लो..मुझे मालूम है तेरा मन इसको चूसना चाहता है..
अनीश कुछ नहीं बोला. अब धर्मेश अंकल गुस्से में बोले  - मादरचोद मेरा लण्ड मुँह में ले ले..नहीं तो अभी तेरी बीवी  को बुलाता हूँ..और दिखाता हूँ की तू कैसे खुद होकर मेरे कमरे में नंगा हो गया और मेरा लण्ड हिला रहा हैं.
अनीश अब डर गया.. उसकी आँखों मैं डर था..वह धीरे से निचे झुका और धर्मेश अंकल का लण्ड मुँह में ले लिया..और चूसने लगा 
धर्मेश अंकल - आह .! . वाह बेटा ..ऐसे ही जोर जोर से चूस ले..मैं तुझे मेरी मलाई खिलाऊंगा आज..
अनीश अब जोर जोर  से धर्मेश अंकल का लण्ड चाटने लगा .. और चूसने लगा ..मुझे सब दिख रहा था ..मुझे हंसी आ गयी.. धर्मेश अंकल ने मेरी धमकी देकर अनीश को उनका लण्ड चूसने को बाध्य  किया.और मुझे आश्चर्य  हुआ की मेरा पति भी डरने का नाटक करके उनका लण्ड चूस रहा था.. अनीश ने मेरे सात सेक्स की बहुत रंग-रलिया  मनाई है..वो मेरे से प्यार करता है और उसे पता हैं मैं उसका सात देती हूँ. पर उसको शायद सच में धर्मेश अंकल का लण्ड चूसना था ..इसलिए इस बेकार धमकी से डरने का नाटक किया.
धर्मेश अंकल - अनीश के लण्ड को सहला रहे थे..आह अनीश ! .. काश कोई चुत मिल जाये तो चोद चोद कर फाड् दू.. आपने  भूके लण्ड की भूक मिटा दू.. आज दोपहर को मालिश के वक्त संध्या की चुत दिख गयी .. बहुत सुन्दर है..तू रोज चोदता है उसे ?
अनीश के मुँह में धर्मेश अंकल का लण्ड था -- उम्म्म हाँ ..
धर्मेश अंकल - उह...वाह..पर तेरा लण्ड तो बहुत छोटा है..बेचारी की  चुत भुकी रह जाती होगी..
अनीश कुछ नहीं बोला - उम्....आह 
तभी धर्मेश अंकल ने गुस्से मैं अनीश के गाल पर एक थप्पड़ मार दी..और उसको अपने लण्ड से अलग किया - भोसड़ीके बता .. नहीं तो तुझे मेरा लण्ड चूसने नहीं दूंगा..
अनीश की आंख से थप्पड़ खाकर पानी आ गया..- पर वो अभी भी दोनों हातों से धर्मेश अंकल के लण्ड को पकड़े था उसने कहा -  हाँ अंकल मेरा लण्ड बहुत छोटा है, शायद आपकी बहु की चुत प्यासी राह जाती होगी. 
धर्मेश अंकल - हाँ अब ठीक है..अब बता इतनी सुन्दर बहु है मेरी..उसकी चुत के लिए कैसा  लण्ड चाहिए 
अनीश - अंकल उसकी गोरी चुत के लिए एकदम बड़ा और मोटा और सख्त कड़क लण्ड चाहिए..
धर्मेश अंकल - अच्छा अब सच बता..मेरा लण्ड कैसे लगा..झूठ बोला तो और मरूंगा
अनीश - अंकल आप का लण्ड बहुत खूबसूरत है..इतना सख्त लण्ड मैं नहीं देखा 
धर्मेश अंकल - हम्म.. क्या बहु को मेरा लण्ड पसंद आएगा.. ? क्या मेरा लण्ड उसको चोदने लायक है?
अनीश अब फटी आँखों से धर्मेश अंकल को देख रहा था  - हाँ अंकल आप का प्यासा - भूखा लण्ड एकदम योग्य है आपकी बहु के भुकी चुत के लिए.. पता नहीं वो मानेगी या नहीं..
अनीश शायद रिश्तों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था..अभी तक उसने मुझे सब अनजान आदमियों  से चुदवाया  था.. इसलिए वो धर्मेश अंकल को टालने की कोशिस कर रहा था.
पर धर्मेश अंकल कहा मानने वाले थे.. उन्होंने अनीश को उसकी गांड पर एक जोरदार थप्पड़  मार दीया.. 
धर्मेश अंकल - मादरचोद उसको मनाना  तेरा काम है.. समजा.. चल जा अब
पर अनीश वहा से जा नहीं रहा था..उसके दोनों हात में अभी भी धर्मेश अंकल का मोटा लण्ड फनफना रहा था..
धर्मेश अंकल - क्या हुआ..जा लवडे के बाल..क्यों रुका है..छोड़ मेरे लण्ड को..
पर अनीश  वहा से हिल नहीं रहा था...वह भुकी नजरों से धर्मेश अंकल के लण्ड को देख रहा था..
धर्मेश अंकल - तुझे मेरा  लण्ड चूसना है ? बोल गांडू..नहीं तो अभी तेरी बीवी को बुलाता हूँ 
अनीश - हाँ  अंकल 
धर्मेश अंकल - फिर ऐसे नहीं...मेरे पाँव पकड़ कर आशीर्वाद ले और आदर से मेरा लण्ड को चूसने की अनुमति मांग..
अनीश ने अपना सर धर्मेश अंकल के पाँव  पर रख दिया और बोला - मेरे पिता सामान मौसाजी..मुझे आपका आशीर्वाद दो.. और आपके लण्ड को चूसने की अनुमति दो.
धर्मेश अंकल - ऐसे नहीं मिलेंगे आशीर्वाद..पहले मेरे पैर चाट कर आशीर्वाद लो..
अनीश धर्मेश अंकल के पैरों पर अपने ओंठों से किस करने लगा और उनके पैर चाटने लगा..उसकी जीभ बहार निकल कर वह धर्मेश अंकल के पाँव के तलवे मजे से चाटने लगा..उसका लण्ड अब सख्त हो कर फनफना रहा था ..उसको इस अपमान  की वजह से कामुकता बढ़ रही थी.. मैं समज  गयी थी की मेरा पति अब जल्दी ही धर्मेश अंकल का कुक बन जायेगा..धर्मेश अंकल भी उनके तलवो को अनीश के मुँह पर फेर रहे थे..बिच में ही उन्होंने उनका एक पैर अनीश के लण्ड पर जोरदार दबा दिया..और उसके अण्डे मसल दिए..अनीश रो पड़ा - आह मौसाजी..दर्द होता है..तभी धर्मेश अंकल ने उसको फिर से जोरदार तमाचा गाल पर मार दिया..उसके गालपर लाल निशान बन गयी..
अनीश के आँखों में अब आंसू थे..धर्मेश अंकल ने अनीश के बाल पकडे और खिंच कर अपने पास लेकर आये..उन्होंने कहा - मुँह खोल साले छक्के - और अनीश के मुँह में थूक दिए..
मुझे अनीश को ऐसे देखकर बुरा लग रहा था.. मेरे पति की बेइज्जती हो रही थी.. पर अनीश सारा थूक निगल गया और मुँह खोलकर बैठा..ताकि और धर्मेश अंकल की थूक ले सके.
धर्मेश अंकल ने कहा - मैं तेरे पिता सामान हूँ..मुज़से आदर से बात करनी..मेरा सब कहा मानना और कोई बात के लिए मना  नहीं करना..अब जावो और मेरे अण्डे चाटों..
अनीश - जी अंकल..  
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
पार्ट ३५ : मौसाजी ने बनाया मेरे पति को कुक !

धर्मेश अंकल अभी भी बिस्तर पर सोये थे..अनीश  ने उनके दोनों पैर घुटने से मोड़कर ऊपर उठा दिए..अब उनके अण्डे एकदम उसके चेहरे के सामने थे..अनीश प्यार से उनकी गोटियों को चूमने लगा..चाटने लगा..धर्मेश अंकल ने उसके बाल पकड़ लिए..और उसका चेहरा अपने गोटियों पर रगड़ दिया.. उम् ..आह..करके दोनों आहे भर रहे थे. मैं एकदम गरम हो गयी थी..मेरे दोनों प्रेमियों को ऐसे एकसात  नंगा देखकर मुझे आनंद मिल रहा था..
तभी धर्मेश अंकल ने फिर से अनीश का सर दोनों हातों में पकड़ लिया और अपना लण्ड उसके मुँह में घुसा दिया..उनका लण्ड पूरा अनीश के गले तक घुस गया.. अनीश को साँस लेने मैं दिक्कत हो रही थी..पर धर्मेश अंकल ने उसका सर अपने लण्ड पर दबा कर रखा..अनीश के आँखों से पानी निकल रहा था..उसको उलटी जैसे हो रहा था..तभी धर्मेश अंकल ने उसका सर ढीला कर दिया..वैसे अनीश ने धर्मेश अंकल का लण्ड मुँह से बहार निकाला और गहरी साँस ली..उसे घुटन और दम लग गया था..परअभी भी अनीश ने धर्मेश अंकल का लण्ड दोनों हातों से पकड़ रखा था..जैसे कोई बच्चा अपना सबसे  प्यारा खिलौना पकडे रहता है. वह फिर से अपनी जीभ से धर्मेश अंकल की बड़ी बड़ी बालों वाली गोटियां चाटने लगा..
धर्मेश अंकल - गुड बॉय.... तुझे मेरा लण्ड चाटकर  मेरी मलाई खानी  है?
अनीश - हाँ अंकल.
धर्मेश अंकल - फिर प्यार से विनंती कर..और बोलो की संध्या के लिए मेरा लण्ड सबसे उपयुक्त है और मेरी मिन्नत कर के मैं उसको चोदू..
अनीश - अंकल आपका लण्ड सब से अच्छा लण्ड है .. आप प्लीज मेरी बीवी संध्या को आपके लण्ड से चोद दो.
धर्मेश अंकल - ऐसे नहीं..और अच्छी से विनती करो..
अनीश - अंकल आप का लण्ड सबसे सुन्दर और सख्त है.. आप प्लीज आप के लोहे  जैसे कड़क भूके लण्ड से मेरी बीवी संध्या की भुकी गुलाबी चुत को  चोदकर  मुज़पर मेहेरबानी करे..
धर्मेश अंकल खुश हो गए.. हाँ यह ठीक है...यह ले मेरा लण्ड..और धर्मेश अंकल ने फिर से उनका पूरा लण्ड अनीश के गले तक ठूस  दिया..उनके पास एक दूसरा मोबाइल था..उन्होंने उस मोबाइल से अनीश के उनका लण्ड चूसने के कुछ फोटो खींच लिए..और वीडियो भी बना लिया..फिर उन्होंने अनीश का सर अपने दोनों हातों से पकड़ा  और लम्बे स्ट्रोक लगाकर गले तक अनीश का मुँह चोदने लगे..
उम्..आह..ले मादरचोद..अपने अंकल की मलाई खा..उम्..आह..! कर वो अनीश के मुँह में अपनी पिचकारी उड़ाने लगे. अनीश भी प्यार से उनकी मलाई निगलने लगा.. कुछ मलाई अनीश के ओंठों से बहार आ गयी ..इतनी  ज्यादा मलाई धर्मेश अंकल के लण्ड से हमेशा निकलती थी. अंकल अब झड़ कर शांत हो गए थे.. पर अनीश अभी भी उनका लण्ड चूस रहा था..हर एक वीर्य के  बून्द का स्वाद  ले रहा था.
धर्मेश अंकल ने उसके बाल फिर से पकड़ लिए.. ओर उनका  लण्ड बहार निकाला ..और आखिर की कुछ बुँदे अनीश के ओंठों पर लगा दी.. और कहा.. अभी ठीक से सुनो.. कल तक संध्या का पैर ठीक हो जायेगा.. तू कल रात उसको दुल्हन जैसे सजायेगा .. और मेरे से चुदने के लिए मना  लेगा ..कल रात ओके मेरा ओर संध्या का हनीमून होगा..वो भी तेरे सामने ..  तुझे यह करना होगा .. नहीं तो सब बिरादरी और रिश्तेदारों को तेरी यह फोटो और वीडियो भेज दूंगा.. चल जा भाग अभी..बहु राह देख रही होगी.. और हाँ यह टेबल पर रखी दवाई लेकर जा..
अनीश ने चुपचाप निचे पड़ी हुई अपनी शॉर्ट्स पहनी और दवाई ले कर दरवाजे की तरफ कमरे से बहार जाने लगा. मैंने जल्दी वडियो कॉल बंद कर दी और सोने का नाटक करने लगी. 
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
please send comments and likes and encourage
[+] 2 users Like luvnaked12's post
Like Reply
(28-06-2023, 11:59 PM)luvnaked12 Wrote: please send comments and likes and encourage

Wonderful ji
[+] 2 users Like Prash2019's post
Like Reply
(29-06-2023, 12:21 AM)Prash2019 Wrote: Wonderful ji

Thanks
Like Reply
Superb hot. Please continue
[+] 2 users Like kamini34's post
Like Reply
Anish Ki gand Bhi marvao Mosaji se Aur vo malish vale Naukar se.
[+] 1 user Likes Bhikhumumbai's post
Like Reply
(30-06-2023, 06:16 PM)Bhikhumumbai Wrote: Anish Ki gand Bhi marvao Mosaji se Aur vo malish vale Naukar se.

Thank you Bhikubhai. for your suggestions.. yes..woh saab karna..with elements of surprise..keep encouraging
[+] 2 users Like luvnaked12's post
Like Reply
(30-06-2023, 08:36 AM)kamini34 Wrote: Superb hot. Please continue

Ok Kamini Devi thanks for your inputs
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
(30-06-2023, 08:36 AM)kamini34 Wrote: Superb hot. Please continue

thanks
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
अनीश जैसे हमारे बैडरूम में आया..उसने मुझे उठाया .. संध्या यह लो तुम्हारी दवाई..और उसने मेरे ओंठों पर अपने ओंठ रख कर चूमना चालू किया..
उसके मुँह से मुझे धर्मेश अंकल के वीर्य की खुशबु आ रही थी..मैंने दवाई ले ली..और सोने लगी..
अनीश - जानू .. आज थक गयी..नंद आ रही है.?
मैंने कहा - हाँ मेरे राजा , बहुत थक गयी..आपने मेरी शावर के निचे इतनी देर तक जोरदार गांड मारी.. 
अनीश ने कहा - ठीक हैं..कपडे तो उतार दो पगली . नंगी हो जाओ ..
मैंने मेरा गाउन निकाल कर साइड में रख दिया..अब में पूरी नंगी थी, अनीश ने भी अपनी शॉर्ट्स निकाल दी..और पूरा नंगे होकर बिस्तर पर मेरे सात लेट गया. उसने मुझे बाँहों मैं ले लिया..और मैं भी अपना सर उसके छाती पर रख दिया और उसकी छाती के बालों से खलेने लगे. अनीश मेरा चेहरा पकड़ पकड़ कर चुम रहा था और बोलै -  संध्या  तुम कितनी सुन्दर हो.
मैंने पूछा - उम् क्या बात है अनीश..आज बड़ा प्यार आ रहा है.
अनीश ने कहा - संध्या क्या तुम कल रात को मेरे सामने धर्मेश अंकल से चुदवा लोगी  ?
मैं सकपका गयी.. झूठा गुस्सा दिखाने  लगी.. यह क्या अनीश कुछ भी कहते हो.
अनीश ने कहा - देखो संध्या .. मैं जानता हूँ की तुम धर्मेश अंकल से चुदवाती हो..  क्या  तुम्हे लगता है मैं मर्द के वीर्य की गंध और स्वाद पहचान नहीं सकता. तुम मुझे कहती रही की वो दही का स्वाद हैं , नया फ्लेवर है.. पर मैं सब जनता था. सिर्फ मुझे यह जानना था की तुम धर्मेश अंकल या यासीन किससे चुदवा रही हो. इसलिए मैंने उन दोनों को बढ़ावा दिया. पार आज धर्मेश अंकल का वीर्य का स्वाद लेने के बाद मुझे पक्का यकीं हो  गया की तुम उनका लण्ड चूसती और उनसे चुदवाती हो. क्या मैंने कभी तुम्हे दूसरों से चुदवाने  से मना किया? मैंने हमेशा तुम्हरो ख़ुशी देखी. मुझे  पता है मेरा लण्ड छोटा है.. दस साल के बच्चे जैसे ..इसलिए तुम्हे बहुत सारे बड़े लण्ड से चुदवाने की  ख़ुशी दी.. .मुझे  मायूसी हुई की तुम ने मुझसे छुपाया. क्या तुम्हे अभी भी मेरे प्यार पर संदेह हैं? मुझ पर यकीन नहीं हैं?
मैं स्तब्ध रह गयी.. यहाँ पारा उल्टा  घूम गया था. मेरी आँखों से आंसू बहने लगे..मैंने मेरा मुँह अनीश की चौड़ी छाती में छुपा दिया.
मैंने कहा - अनीश मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ.. बस इस गर्भा - अवस्था के कारन मेरे मूड स्विंग्स  होते है..इसी का फायदा धर्मेश अंकल ने लिया  मैं अब आपसे कुछ नहीं छुपाउंगी.. और मैंने  अनीश को सारी बातें बता दी.
फिर मैने अनीश से कहा - अनीश मुझे माफ़ कर दो..मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ..प्लीज मुज़से नाराज मत होना.
अनीश ने कहा - नहीं मेरी रानी मैं तुमसे कभी नाराज नहीं रहूँगा..तुम तो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली हो.इसलिए तुम खुश रहा करो. और जी भर कर सेक्स  का मजा लो. धर्मेश अंकल मेरे मौसा है.. अगर उनको हम ख़ुशी दे सकते हैं तो क्यों नहीं ? हम यह नाटक जारी रखेंगे.. कल मैं  तुम्हे अपने हातों से दुल्हन जैसे सजाऊंगा..और धर्मेश अंकल से  चुदवा दूंगा..    ..उनको जो करना है, सोचना है करें..हम उनका सात देंगे ताकि वह खुश रहे. ठीक है संध्या ?
मैंने कहा - ठीक है अनीश, जैसे आप कहो वैसे करेंगे. ..मैं उनको नहीं बताउंगी की तुम्हे सब पहले से पता था. 
मैंने प्यार से अनीश के ओंठ अपने ओंठों से लगाए और उसको चूमने लगी.
मैंने कहा - अनीश तुम कितने अच्छे हो..सबका ख्याल रखते हो..मैं कितनी लकी हूँ..मुझे आप जैसे पति मिला.. मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ और अब आप से कुछ नहीं छुपाउंगी.
अनीश.. हाँ सपना..मुझ से  कुछ नहीं छुपाना..जो भी करेंगे अब हम सात में करेंगे.. और दोनों मिलकर सेक्स का मजा लेंगे..
अनीश ने मुझे अपने शरीर के ऊपर उठा लिया..मैंने भी अपनी टांगे उनकी कमर के बाजू फैला दी..अनीश ने धीरे से अपन मोटा लण्ड मेरी चुत में डाल दिया..और धीरे धीरे मुझे चोदने लगा .. बहुत देर धीरे धीरे चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए..मैं वैसे ही  उसकी बाँहों में उसको पकड़कर  नंगी सो गयी.. 

सुबह  जब  हम उठकर नाश्ता करने गये तो धर्मेश अंकल डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और यासीन उन्हें परोस रहा था. मेरा पैर अब ठीक था और मैं थोड़ा चल सकती थी. मैंने धर्मेश अंकल ने दिया हुआ लाल गाउन पहना था, जो गले से बहुत निचे अकार मे्रे आधे बूब्स दिखाता था और निचे मेरी खुली जांघें भी दिखती थी. हमने दोनों ने धर्मेश अंकल को कहा - गुड मॉनिंग अंकल !
वैसे धर्मेश अंकल ने कहा - ऐसे नहीं अनीश..कल मैंने समझाया था न ..वैसे.. 
वैसे अनीश ने उनको झुक कर पैर छू लिए .. धर्मेश अंकल ने अनीश के सर पर हात रखा..और उसका नाक और ओंठ अपने पैरों पर रगड़ दिए और मेरी तरफ देखकर  एक आँख मारकर मुस्कुरा दिये.  अनीश भांप गया पर मेरी तरफ देखकर वो भी मुस्करा दिया. अनीश धर्मेश अंकल की खुशियों के लिये सब जानकार अनजान बन रहा था. मुझे अपने पति के प्रति अब ओर ज्यादा भरोसा और प्यार बढ़ गया था. 
धर्मेश अंकल ने कहा - सुनो अनीश में  तेरी मौसी की मदत के लिये घर जा रहा हूँ.. लगता है उसको कुछ दिन और वहा रुकना पड़े.. घर की मरम्मत का काम बढ़ गया है.. मैं रात को वापस आऊंगा.. तुम सब तैयारी करके रखना ..
कुछ देर बाद अनीश और धर्मेश अंकल  दोनों घर से चले गये.. वैसे डॉ. खन्ना दरवाजे पर खड़े थे. आज वो सिर्फ एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर आये थे. 
डॉ. खन्ना - कैसी हो संध्या..अब पैर ठीक है ? .मैं यहाँ पास में जिम में आया था , सोचा तुम्हे देखता चलू.
मैने कहा - आइये डॉ. साहब. बहुत अच्छा किया.. आप आ गये.. आप रोज जिम जाते हो ? इसलिए आपकी बॉडी इस उम्र में इतनी फिट है.
डॉ. खन्ना हंस दिये.. हाँ  संध्या, मैं रोज जिम जाता हूँ.. और सिर्फ बॉडी नहीं, मेरा साब कुछ एकदम कड़क और फिट है.. 
और मुस्कुरा दिये. मैं शर्मा गयी. उनके कहने का मतलब मैं समझ गयी थी. तभी वहा यासीन पानी लेकर आया.
यासीन - यह लो डॉक्टर साहब. अब तो मैडम चल पा रही है..आपकी दवा का असर है.
डॉक्टर - चलो अच्छा है.. घर पर कोई नहीं हैं ? फिर तो तुम्हे यही पर चेक कर लू..
यासीन -हा डॉक्टर साहब..मैं कुछ मदत करू ? मैं रोज मैडम  के पैर को मसाज देता हूँ.
डॉ. खन्ना - हा यासीन तुमने तो बहुत अच्छी मसाज कर दी..पैर की पूरी सूजन कम हो गयी..संध्या अब तुम आराम से पीठ पर सो जाओ और रिलैक्स रहो..संध्या..तुम अपना गाउन भी ऊपर कर दो..कमर के  ऊपर.
मैंने अपना गाउन कमर के ऊपर कर दिया.. वैसे डॉ. खन्ना और यासीन को मेरी खुली चिकनी चुत दिख गयी.. मैंने पैंटी नहीं पहनी थी.
डॉ. खन्ना . - यासीन यहाँ आकर संध्या के पैर मोड़ कर उसकी छाती से लगा लो और अपने दोनों हातों से पकड़ लो.
यासीन ने मे्रे पैर पकड़ के मोड़ लिये..वैसे मेरी चुत एकदम खुलकर सामने आ गयी.
डॉ. खन्ना  - संध्या तुम हमेशा अपने बाल शेव करती हो? अच्छी बात है..इससे इन्फेक्शन नहीं होगा और तुम्हारी चुत साफ़ सुथरी रहेगी.
मैं शर्मा गयी.. डॉ, खन्ना अब बिना ग्लव्स के अपने नंगे हातों से मेरी चुत को छू कर टटोल रहे थे.
मैंने कहा - हाँ डॉक्टर खन्ना ,  मैं हमेशा शेव रखती हूँ.
डॉ. शर्मा - बहुत अच्छा.. इसलिए तुम्हारी चुत इतनी सुन्दर और चिकनी है.. पर यहाँ तुम्हारे चुत के ओंठों  के पास कुछ छोटे छोटे बाल अभी भी है..तुम्हे शायद दिखे नहीं होंगे..
मैंने कहा - हाँ मैं खुद शेव करती हूँ..दिखे नहीं होंगे..
डॉ. खाना ..मेरे चुत के हर कोने को छूकर देख रहे था. . कही कोई बाल है या नहीं .. अब डॉ.खन्ना ने मेरी चुत में उनकी ऊँगली डाल दी..चुत के दीवारों पर अंदर से ऊँगली घुमा रहे थे.. मेरी चुत से पाणी निकल रहा था..और अंदर से बहुत चिकनी और पणीदार हो गयी थी. मैंने देखा की डॉ. खन्ना की शॉर्ट्स  में तम्बू बन गया था.. उनकी शॉर्ट्स की लेग साइड से उनका मोटा लण्ड बहार निकलने की कोशिश कर रहा था. यासीन की लुंगी मैं भी बड़ा तम्बू था.
डॉ. खन्ना - तुम ऐसे करो संध्या.. यासीन से अपनी चुत शेव करवा लो..यह अच्छी से देख कर तुम्हारी चुत के पुरे बाल शेव करके निकाल देगा.
यासीन - हा मैडम..यही अच्छा होगा.. में आपको आज जब मसाज दूंगा तब आपकी चुत भी शेव कर दूंगा. एक बाल भी नहीं रखूँगा.. 
मैं शर्मा गयी.. मैंने देखा ..डॉ. खन्ना अब मे्रे बिलकुल पास खड़े थे..और मेरी चुत में अब दूसरीं ऊँगली डाल दी थी.. दूसरी बाजु से यासीन ने मे्रे दोनों पैर पकड़े थे..दोनों की कमर मे्रे मुँह के सामने थी और उनके लण्ड के तम्बू मुझे साफ़ दिख रहे थे और ललचा रहे थे.
डॉ. खन्ना - संध्या तुमने अपनी स्तन की चेक-उप कब किया था .. ? 
मैंने कहा - डॉ. साहब ६ महीने हो गये होंगे..
डॉ. खन्ना..ठीक हैं मैं वह चेक उप भी कर लेता हूँ..
डॉ. खन्ना की दो ऊँगली मेरी चुत में  थी , दूसरे हातों से उन्होंने मे्रे गाउन को और ऊपर उठा लिया..अब मे्रे बूब्स उनके सामने नंगे थे..बूब्स चेक उप करने के बहाने..वो  मे्रे स्तन  को रगड़ने लगे.. मेरे निप्पल्स को दबाकर मरोड़ने लगे.. 
मैं..उम् .. आह कर रही थी.. मेरा शरीर अब उत्तेजना की परम सिमा पर था..डॉ. खन्ना की शॉर्ट्स अब मेरे मुँह के सामने थी..उनकी राइट साइड की शॉर्ट्स की लेग से उनके लण्ड का बहुत मोटा और गोल गोल टेनिस बॉल जैसे काला सूपड़ा बहार आ गया और उसकी छेद से चिप-चिपि उनकी प्रेकम की बून्द की धार टपक रही थी..डॉ. खन्ना लगातार मेरी चुत को अपने दोनों उँगलियों से मसल रहे थे और मेरे बूब्स को रगड़ रहे थे. मैं खुद को रोक नहीं पायी.. मैं अपने होतों के बल थोड़ा ऊपर उठ गयी .. वैसे उनके लण्ड का सूपड़ा मेरे ओंठों से रगड़ गया.. मैंने उसको मुँह में लिया .. और आह..उफ़...कर के जोर से उनके उँगलियों पर झड़ने लगी..मैं  मेरी गांड उचका उचका कर उनकी उँगलियों को मेरे चुत से दबा कर चोदने लगी..और उनके लण्ड को जोर से चूसने लगी.. तभी डॉ.खन्ना भी उत्तेजना के कारण .. उम्..आह.. करके आंहे भरने लगे . उनका लण्ड जोर जोर से झटके मारकर मेरे मुँह में पिचकारी उड़ाने लगा.. मैंने उनका सारा माल निगलने की कोशिह  की..पर फिर भी कुछ वीर्य ओंठों से बहार आकर वहा लग गया..
झड़ने के बाद डॉ. खन्ना तुरंत संभल गये और मैं भी.
डॉ. खन्ना  - संध्या सब ठीक हैं..तुम एकदम परफेक्ट हो..मैं कल फिर आऊंगा..तुम्हारा पूरा चेक उप करूँगा 
और मुस्कुराने लगे.. मैं शर्मा गयी.. यासीन ऑंखें फाड़कर देख रहा था.. उसका लुंड लुंगी के अंदर उछाल उछाल कर नंगा नाच कर रहा था.. उसको दिलासा देने के लिये डॉ. खन्ना ने कहा - यासीन तुम मैडम को आज अच्छी से मसाज से दो और इनकी झाटें भी अच्छी से शेव  कर  दो..कल मुझे एक भी बाल दिखना नहीं चाहिए.
यासीन खुश हो गया - हाँ डॉक्टर साब . एकदम अच्छी से शेव करूँगा . एक भी बाल नहीं दिखेगा आप को..मैडम की चुत एकदम साफ़ सुन्दर और चिकनी दिखेंगी. 
डॉ. के जाने के बाद यासीन किचन में चला गया और तेल गरम कर के लाया ..
यासीन - मैडम पहले आपकी चुत अच्छी से शेव कर देता हूँ.. और भी तेल से मालिश कर के नहला दूंगा.. ठीक है..मुझे सिर्फ आप आपका शेविंग का सामान कहा रखा है बता दो..
मैंने उसको बताया शेविंग किट कहा हैं, वैसे वो ले कर आया ..और मेरे पैरों से लेकर जांघों तक अच्छी से शेव करने लगा..उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और मेरे पैर ऊपर सोफे के किनारे, घुटने से मोड़कर रखने कहा ..अब मेरी खुली चुत एकदम उसके सामने थी..उसने मेरी चुत पर शेविंग फोम लगाया और धीरे से शेव करने लगा.. उसने मेरी चुत के ओंठ उँगलियों से पकड़कर ..ऊपर निचे  और साइड में दबाये -- और हर एक बाल शेव किआ..उसके ऐसे छूने से मेरी चुत फिर से गिल्ली हो गयी..और लगातार पाणी की गंगा बहा रही थी. तभी यासीन ने मेरी चुत का दाना पकड़ लिया और उसके आजु बाजू शेव करने लगा..मेरे शरीर में करंट लग गया.. पर वो  बड़े प्यार से शेविंग कर रहा था.. फिर उसने गरम पाणी लेकर  स्पंज से मेरी चुत साफ़ धो डाली.. और एक मिरर लेकर आया और मुझे आईने में अपनी साफ़ चुत दिखाई..सच में बहुत अच्छा शेव किया था.. 
यासीन ने कहा - ठीक है मैडम , अब में आपकी मालिश कर देता हूँ.. मैडम यह गाउन नया है..महंगा है..इसको तेल के धब्बे लग जायेंगे..इसको निकल देते है..
मेरे बिना किसी उत्तर का इंतजार कर के..यासीन ने मेरा गाउन निकाल डाला ..अब में उसके सामने पूरी नंगी थी. 
मैंने कहा - अरे रुको यासीन ..गाउन पहना दो..मुझे शर्म आती है
यासीन - अरे मैडम इसमें शर्म कैसे ..मसाज तो पूरा नंगा लेने मैं ही मजा है. आपको शर्म न लगे इसलिए देखो में भी अपने कपडे उतार देता हूँ
यासीन ने उसकी टी शर्ट निकाली..उसका गोरा गठीला बदन ..काले बालों के जंगल से भरा था..बहुत सुन्दर था..और उस काले बालों के बिच उसकी लाल - गोरी बड़ी निप्पल्स.. कोई भी औरत सम्मोहित हो जाती . फिर उसने अपनी लुंगी निकाल कर बाजु फेक दी.. उसका गोरा १२ इंच का बड़ा लण्ड फुफकार रहा था..उसका लण्ड कटा हुआ था और आगे से उसके लण्ड का सूपड़ा नोकदार था ..डॉ. खन्ना जैसे गोल लॉलीपॉप का सूपड़ा नहीं था. मैंने सोचा ऐसे नोकदार लण्ड आसानी से चुत में चले जाते होंगे. जबकि डॉ खन्ना जैसे बड़े गोल सुपडे लण्ड चुत के प्रवेश द्वार तक काफी देर फंस जाते और फिर पूरी चुत अंदर तक खोल कर प्रवेश करते है..बहुत दर्द होता है पर मजा भी उतना ही आता है. आह  ! हे भगवन यह में क्या सोच रही हूँ.. डॉ. खन्ना  और यासीन से चुदवाने के बारे में .. क्या मैं सच में दोनों से चुदवा ना चाहती हूँ ? फिर क्यों ऐसे सोच रही थी.
यासीन  के गोरे लण्ड के आजु बाजु काले काले बालों से भरा झाटों का जंगल था..उसकी  गोरी गोरी जांघें और पैर सब काले बालों से ढकी  थी..वो झट से आकर मेरे पैरों के पास बैठ गया..और मेरे दोनों पैर अपनी गोदी में लिये , और मेरे पैरों पर तेल लगाने लगा..मेरे पैरों के तलवो पर उसका गरम मोटे लण्ड का अहसास  महसूस हो रहा था..कई बार वो मेरे पैरों से उसका फनफनाता कश्मीरी लण्ड रगड़ देता..वो बहुत ढीठ हो गया था..डॉक्टर खन्ना ने उसको प्रोत्साहन / बढ़ावा  दे दिया था. मैं  भी डॉक्टर खन्ना के सात घटी घटना से शर्म के कारण खुद को दोषी समझ रही थी और यासीन से कुछ कह नहीं पा रही थी. यासीन शायद मेरी यह अवस्था समझ गया था और उसका फायदा ले रहा था..वो अभी बहुत निडर और बेशरम बन कर नंगा बैठा था और..मेरे पैर से लेकर ऊपर चुत तक तेल लगाकर मालिश कर रहा था. यासीन  का लण्ड बहुत बड़ा और मोटा था..और लगातार फुफकार मार रहा था..
यासीन  - मैडम मेरे पास कश्मीरी गुलाब का पाणी है .. अगर उससे चुत की मसाज की तो चुत एकदम गुलाब के फूल जैसे दिन भर महकती है.. मैं लगा देता हूँ..साहब  बहुत खुश हो जायेंगे.
यासीन गुलाब पानी से मेरी चुत को रगड़ने लगा..सच मैं बहुत अच्छी खुशबु थी..मेरी चुत को बहुत ठंडक मिल रही थी..उसने मेरी चुत की अंदर की दिवार को भी गुलाब पाणी से धो दिया.. 
यासीन - आह ! मैडम कितनी अच्छी खुश्बू है..आपकी चुत भी कितनी सुन्दर है..गुलाब के फूल से ज्यादा सुन्दर 
यासीन अपनी नाक मेरी चुत के पास लेकर सूंघने लगा .. उसकी गरम सांसे मेरी चुत को महसूस हो रही थी. .उसने उसकी नाक मेरी चुत से लगा दी..आह...क्या मस्त खुशबु है..और उसकी बड़ी लम्बी जीभ मेरी चुत के ओंठों पर फिरने लगी..
अब उसके लाल ओंठ ..मेरी चुत के ओंठो पर थे और चुम्बन ले रहे थे.. मैंने उसका सर मेरी चुत पर दबा दिया..
पर तभी में संभल गयी.. हाय मैं  क्या कर रही..! 
मैंने कहा - क्या कर रहे हो यासीन..रुको...चलो जाओ ..
मैंने उसको दूर धकेल दिया..
वैसे यासीन फिर से मेरे पास आया..प्लीज मैडम ..सिर्फ एक बार..आपको चुदना चाहता हूँ..देखो ना मेरा लण्ड कैसे फनफना रहा है..आपको चोदने को पहले दिन से बेताब है..जिस दिन से आपको देखा.
मैंने कहा - चल बस..बकबक मत कर..मेरा गाउन दे..मैं शादीशुदा हूँ..तुझे शर्म नहीं आती..
यासीन - मैडम प्लीज..मैं आपको चाहता हूँ..बस एकबार मेरा लण्ड आपकी चुत मैं डालने दो..एक बार अंदर डाल कर फिर से वापस बहार निकाल लूंगा..और मुझे पता हैं..आपने अभी डॉक्टर साब का लण्ड कैसे चूसा.. और आप धर्मेश साब से भी कैसे चुदती..मैंने सब देखा है मैडम..प्लीज..
मैं अब भांप गयी..मैंने गुस्से से कहा - चल जा...बहस मत कर,,नहीं तो नौकरी से निकाल दूंगी..सबको बता दूंगी..
यासीन मेरे पास आकर बैठ गया.. उसके आँखों मैं अब आंसू थे.. - ठीक हैं मैडम ..में गरीब हूँ न..निकाल दो मुझे नौकरी से.. धर्मेश और डॉक्टर साब आमिर और पढ़े लिखे है.. मैं क्या अनपढ़ गंवार..आपके लायक नहीं हूँ..
मैंने कहा - अरे यासीन आप रो मात .. यह बात नहीं है..अब तेरी उम्र भी मुश्किल से १८ साल की होंगी.. गरीब - आमिर की बात नहीं है 
यासीन  - रहने दो मैडम..मुझे सब पता है..मुझे माफ़ कर दो..मैंने आप का दिल दुखाया..
यासीन फुट फूटकर रोने लगा.. मैंने यासीन  के आंखें पोछ लिये ..
मैंने कहा - अरे यासीन फिरोज ऐसे रोते नहीं..सच में .. मैंने कभी तुमको गरीब नहीं समजा..मुझे तो तुम बहुत अच्छे लगते हो..तुमने मेरा पैर भी ठीक कर दिया..
मैंने यासीन को गले लगा लिया..वह अभी भी रोये जा रहा था..उसका मुँह अब मेरे दोनों बूब्स के बिच था..हम दोनों अभी भी पुरे नंगे थे. और वह रो रहा था..मैं उसके सर पर हात फेर को उसको समजा रही थी..इसके कारण उसका सर हिल रहा था और उसका चेहरा मेरे दोनों बूब्स के बिच रगड़ रहा था..मैं उसको समजा रही थी..वो रोये जा रहा था.. मैं उसके रोने से पसीज गयी और उसके चेहरे को कही बार चुम लिया..उसको समझाते रही और जब मुझे खुद का ध्यान आया तो पाया की यासीन मेरा एक निप्पल मुँह मैं लेकर चूस रहा है और उसके हात की एक ऊँगली मेरी चुत को अंदर से मसाज कर रही थी.
मैंने सोचा..इतना ठीक है..उसको फिर समजा दूंगी..बच्चा है मान जायेगा..
वह सच में छोटे बच्चे जैसे मेरे मम्मे चूसने लगा..मेरे बदन में एक लहार से आ गयी.. मैं मस्ती में ..आह...उफ़ ..करने लगी..वैसे यासीन ने मेरे ओंठों पर उसके लाल ओंठ रख दिये और उसकी लम्बी मोटी जीभ मेरे मुँह में ड़ाल दी..
उम्.. आह..यासीन  फिरोज...अब तो मैं यासीन के रंग में रंग रही थी..जैसे यासीन ने उसके ओंठ पीछे किये..मैं उसकी नीली आँखों में डूब गयी..मैंने महसूस किया के मेरे दोनों हात उसके १२ इंच के गोरे नोकदार लण्ड को सहला रहे थे.. 
और मेरी चुत सारी शर्म और हया छोड़कर बड़ी बेशर्मी से निर्लज्जता के सात लगातार पाणी बहाकर उसके लण्ड को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करने को आमंत्रित कर रही थी. उफ़..क्या यह इतना मोटा  और बड़ा लण्ड मेरी गुफा ले पायेगी..मैं होश में आयी..
मैंने कहा - यासीन प्लीज..अब बस..ठीक है.. देखो में गर्भवती हूँ..मेरे सेहत के लिये इतने बड़े लण्ड से चुदना रिस्की है..इसलिए मैं सिर्फ अनीश के लण्ड  से चुदवाती हूँ..तुमने तो देखा की अनीश का बेबी लण्ड कितना छोटा है..बच्चों जैसे..
यासीन ने कहा - हाँ मैडम .. सच में साहब का लण्ड तो बहुत छोटा है..मैं १० साल का था तब भी मेरा लण्ड उनसे बड़ा था..मैडम..बस आज आप इसको चूस लो..जैसे डॉक्टर साब का लण्ड चूसा था ..
मैं मना नहीं कर पायी.. यासीन सोफे के सामने मेरे मुँह के पास खड़ा हो गया.. मैंने प्यार से दोनों हातों से उसका नोकदार लण्ड पकड़ लिया.. उसका लण्ड बहुत खूबसूरत था..आगे से एकदम लाल..और कटा हुआ था..जैसे छीला हो..मैंने धीरे से उसके लण्ड के टोपे पर जीभ फेरा दी..वैसे यासीन - आह..मैडम.. उफ़..
मैंने धीरे से उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया..और उसकी बड़ी बड़ी बालों वाली गोटिया दूसरे हात से पकड़ ली..  सेक्स का इतना तजुर्बा था मुझे..अब बड़े बड़े महारथी लण्ड को चूसकर मुरझाने में मुझे देर नहीं लगती थी. यासीन तो फिर भी बच्चा था. मैंने फिर धीरे से उसका लण्ड आधे से ज्यादा..गले तक ले लिया..वो सकपका गया.. आह मैडम ..लगता है आप मेरा पूरा लण्ड मुँह में ले लेगी..आजतक कोई मेरा पूरा लण्ड मुँह के अंदर नहीं ले पाया.
मैं सोचने लगी..पता नहीं कितने लोगों ने इसका लण्ड चूसा..पर मैं अपने काम में लग गयी..मैंने अंदर बहार कर के ..ज्यादा से ज्यादा उसका पूरा लण्ड मेरे मुँह में लेना चालु रखा और दूसरे हात से  उसके गोरे गोरे झाटों वाले टट्टे सहलाने लगी. 
फिर मैंने के लम्बी गहरी सास ली ..और यासीन का पूरा लण्ड गले तक लेने लगी.. और मैं कामयाब हो गयी.. मेरी नाक अब यासीन के झांटों में थी..काले बालों के जंगल मैं मुझे गुलाब की खुशबु आ रही थी..कमीने ने गुलाब पानी झाटों पर भी लगा रखा था..पूरी तैयारी के सात आया था.. 
जैसे मैंने उसका पूरा लण्ड निगल लिया..और उसकी गोटिया रगड़  दी..वैसे उसका शरीर झटके देना लगा..उसक गोरा लण्ड फुफकार कर मेरे गले में पिचकारी उड़ाने लगा..
यासीन - उम्....आह..मैडम..मेरा पानी निकल गया..ओह मैडम ! इतना अच्छा आजतक कोई मेरा लण्ड नहीं चूसा..
मैंने उसका सारा पाणी निगल लिया..बहुत देर तक झटके मार कर भी फिरोज का लण्ड कड़क था.. सख्त था.. मैंने धीरे से उसका लण्ड मुँह के बहार निकाला. 
यासीन बोला - देखो मैडम..मेरा लण्ड कितना कमीना है..अभी भी सख्त है..लगता है आपकी चुत की गुफा के अंदर नहाकर ही यह शांत होगा.
मैंने हंस दिया . सच मैं उसका लण्ड अभी भी फिर से फुफकार रहा था.. मेरा मन किया उसको अपनी चुत में प्रवेश दे दू.. पर बड़ी मुश्किल से मैंने खुद पर संयम रखा. मैंने कहा - अभी नहीं यासीन .फिर कभी.. अभी में थक गयी..अभी में नहाने जाउंगी.
यासीन ने कहा. मैडम मैं  नहला  देता हूँ..
मैंने मना किया - नहीं अब में थोड़ा चल सकती हूँ..दर्द  भी नहीं है..खुद नहा लुंगी..
यासीन का चेहरा मायूस हो गया..उसको लगा मैंने जानबूझ कर मना किया .. पर सच तो यह था की उसके सात में ज्यादा देर तक नंगी रहकर खुद पर का नियंत्रण खो बैठती और उसके कमीने लण्ड से  शायद चुदवा लेती..इसी डर की वजह से मैंने उसको मना किया.
नहाने के बाद मैंने मोबाइल पर मेसेजेस चेक किये. धर्मेश अंकल ने एक ग्रुप बनाया था..मेरा, अनीश और खुद का.. नाम था - अनीश - माय कुक ! उसमे उन्होंने मेसेज डाला था.
धर्मेश अंकल का मेसेज - संध्या मैंने अनीश को समझाया है आज रात को क्या करना है..तुम उसकी सब बात मान लो.. और तुम्हारा नीला रंग का गाउन उसे दे देना. आज जल्दी खाना खा लो. - आठ बजे.. .मैं घर से खाना खाकर आऊंगा.. नौ बजे रात को तुम दोनों जैसे बताया तैयार होना. मैं नौ बजे तुम्हारे कमरे में आऊंगा और आगे के निर्देश दूंगा.. 
अब मैं  ख़ुशी से उत्तेजित हो गयी.. मैंने यासीन से कहा..आज जल्दी खाना बना ले..आठ बजे...खाना खाएंगे ..और मैं घडी देखकर बेसब्री से अनीश के आने का इंतजार करने लगी.
[+] 1 user Likes luvnaked12's post
Like Reply
wah mast Update.
[+] 1 user Likes Bhikhumumbai's post
Like Reply




Users browsing this thread: