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जवान औरतों और लड़कियों की प्यासी जवानी
#21
पार्ट 15

अपनी।बहन को चोदा

मेरी दो बहनें हैं. एक दिन मैं अपनी बहन के कॉलेज गया तो मुझे पता चला कि वो लड़कों से चुदती है. मैंने सोचा कि मैं भी अपनी बहन की चूत चुदाई करूंगा. ये मैंने कैसे किया?

दोस्तो, मैं आपका दोस्त साजिद मुरादाबाद उ.प्र. से हूँ. मैं 22 साल की उम्र का एक नौजवान लड़का हूँ. मैं बहुत ही क्यूट सा बंदा हूँ. जो लड़की मुझे एक बार देख ले, तो वो मुझसे चुदने को राजी हो जाएगी.

मैं अन्तर्वासना पर प्रकाशित हर सेक्स कहानी को पढ़ता हूँ और लंड हिला कर मज़ा भी लेता हूँ. इधर की सेक्स कहानी को पढ़ते हुए एक दिन मैंने सोचा कि क्यों ना मैं अपनी भी कहानी आप सबके साथ साझा करूं.

मेरे परिवार में अम्मी अब्बू और एक छोटा भाई व 2 बहनें हैं. एक बहन का नाम हिना है, दूसरी का नाम रूबी है. रूभी अभी 19 साल की है.

मैं घर में सबसे बड़ा हूँ. अब तक मैं बीएससी कर चुका हूँ. मैंने अपनी ही एक शॉप खोल ली थी.

मेरी छोटी बहन रूबी अभी बारहवीं में पढ़ती है. मेरी चिकनी चिकनी चुत वाली प्यारी प्यारी पाठिकाओं और लंबे लंड वाले दोस्तों … आज मैं आपको अपनी इस कहानी में ये बताने वाला हूँ कि मैंने किस तरह अपनी छोटी बहन रूबी की चुदाई की और रूबी से बड़ी वाली हिना को लंड का रस पिलाया.

वैसे तो मैं हर हफ्ते अपनी गर्लफ्रेंड फातिमा की भी चुदाई करता हूँ, लेकिन सच तो ये है कि बहन की चुदाई करने में अलग ही आनन्द आता है. मैं अपने घर में एक अलग रूम में सोता हूँ.

ये बात उस टाइम की है, जब मेरी रंडी बहन हिना ने कॉलेज में एडमिशन लिया था. उसका पहला ही साल था. वो रोज कॉलेज आती जाती थी.

एक दिन मैंने सोचा कि चलो आज हिना बहन के कॉलेज घूम कर आते हैं. हिना अपने कॉलेज में कैसा पढ़ रही है. यही सब सोच कर मैं उसको कॉलेज चला गया. जब मैं अन्दर गया तो देखा कि अन्दर लड़का लड़की तो आपस में बात करते ही हैं. कुछ कुछ लड़के लड़कियां तो बातचीत के बहाने मजे भी लेने में लगे थे.

ये सब देख कर मैंने सोचा कि मेरी बहन तो ऐसी नहीं है, वो ये सब काम में नहीं पड़ने वाली है.

जब मैं उसकी क्लास में गया … तो उधर हिना नहीं थी. मैंने एक लड़की से पूछा- हिना कहां है?
उसने मुझे बताया कि आज तो वो कॉलेज आई ही नहीं है.

ये सुनकर मैं एकदम से हैरान हो गया कि वो तो सुबह ही तो मेरे सामने घर से कॉलेज के लिए निकली थी. कहां चली गई. कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया.
अब मैं दिमाग़ लड़ाने लगा और मेरे मन में अलग अलग तरह के विचार आने लगे.

कुछ देर बाद कॉलेज की छुट्टी का समय हो गया. मैं बाहर आकर कॉलेज के गेट के पास एक तरफ छिप कर खड़ा हो गया और बाहर निकलने वाले स्टूडेंट्स को देखने लगा.

तभी मैंने देखा कि मेरी भोली भाली बहन और एक लड़की के साथ बाहर निकली और बाहर खड़ी एक कार में कुछ लड़कों के साथ उसी कार के अन्दर जाकर बैठ गई.

मैंने सोचा कि कुछ तो दाल में काला है. कुछ ही समय में मैंने हिना के बारे में पूरा पता निकाल लिया और घर आ गया. हिना घर आ चुकी थी … मगर मैंने उससे कुछ नहीं बोला.


जब वो दूसरे दिन फिर कॉलेज के लिए घर से निकली, तो मैं उसके पीछे जाने लगा.

थोड़ी दूर एक जगह उसकी सहेली मिल गई और वो दोनों लड़कियां आगे बढ़ गईं. उस लड़की ने मोबाइल से किसी से बात करना शुरू कर दी. कुछ ही पल बाद एक कार उन दोनों के पास आकर रुकी और वे दोनों उस कार में बैठने लगीं. मैंने देखा कि ये कल वाली ही कार थी और उसमें कई लड़के बैठे थे.

वे सब कार में बैठ कर कहीं जाने लगे. मैं बाइक से था, तो मैंने उस कार का पीछा करना शुरू कर दिया. काफी दूर तक जाने के बाद मैंने देखा कि कार एक घर के आगे रुक गई थी. वे सब कार से उतर कर उस घर में जाने लगे थे. वो सब अन्दर चले गए. पीछे से मैं भी उस घर के नजदीक गया और अन्दर देखने की जुगाड़ बनाने लगा.

उस घर के बगल में एक गैलरी थी. मैं उधर गया तो उधर एक खिड़की थी. मैंने खिड़की में देखा तो अन्दर का नजारा साफ़ दिखाई देने लगा. मैं वहां छुप गया और अन्दर देखने लगा.

मेरी जैसे ही अन्दर निगाह गई, मैं तो समझो पागल सा ही हो गया. उन सब लोगों ने बहुत जल्दी से अपने सारे कपड़े उतारे और सिर्फ चड्डी में होकर बैठ गए. तभी उनमें से एक लड़का बीयर की बोतलें लेकर आया और सबने एक एक बोतल ले ली. बियर पीने के बाद में वो सारे लड़के सिगरेट पीने लगे. एक लड़का मेरी बहन हिना से लिपटने लगा. दूसरा लड़का उस लड़की को अपने से लिपटाने लगा. बाकी के तीन सिगरेट का मजा लेते हुए उन दोनों लड़कियों की मस्ती देखने लगे.

तभी सबने कुछ गोलियां खाईं और सब एक साथ उन दोनों लड़कियों के नजदीक आ गए. उन सभी ने लड़कियों को किस करना शुरू कर दिया. ये देख कर मैं गरम होने लगा. मैं इस लाइव ब्लूफिल्म देख कर ये भी भूल गया कि इन दो लड़कियों में से एक मेरी बहन भी है.

वो लोग सेक्स में चालू हो गए. मैंने सोचा कि अब मुझे भी अपनी बहन को चोद लेने में ही फायदा है.

उसकी चुदाई की बात दिमाग में आते ही मैंने प्लान बनाया और अपना फोन निकाल कर अपनी बहन की चूत चुदाई की वीडियो रेकॉर्ड करनी चालू कर दी.

उन लोगों ने मेरी बहन को एकदम नंगी कर लिया और उसके ऊपर एक लड़का चढ़ गया. दूसरे ने अपना लंड मेरी बहन के मुँह में दे दिया और हिना लंड चूसने लगी.

पहले वाले लड़के ने मेरी बहन की टांगें फैला दीं और अपना लंड उसकी चुत में ठांस दिया. हिना की हल्की सी कराह निकल गई, मगर वो लड़का उसे चोदता ही रहा.

उसने बीस मिनट तक मेरी बहन की चुदाई का मजा लिया और अपने लंड का पानी उसके मुँह में ही निकाल दिया. साली मेरी रंडी बहन ने लंड के पानी को पूरा गटक लिया और वो लंड का पानी पीकर बहुत खुश दिखने लगी


जैसे ही मैंने उसे उसकी चुदाई की वीडियो दिखाई, तो जैसे उसको सांप सूंघ गया.
वो मुँह लटका कर बैठ गई और बोली- इसमें मेरी गलती नहीं है.

मैंने कहा- तो मैं भी कुछ नहीं बोल रहा हूँ … मुझे क्यों मना कर रही है … मैं भी किसी को ये फिल्म नहीं दिखाने वाला हूँ.
वो बोलने लगी- तुम बड़े भाई हो … मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- सुन तू ये समझ कर लंड चूस ले … जैसे वो लड़के तुझे चोदते हैं, वैसे ही में हूँ.

आख़िर कुछ देर बाद वो मान ही गई. वो हंस कर बोली- चलो आज एक लंड और ठीक …
उसने ये कहते हुए बहुत तेज़ी से मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.

मेरे मुँह से ‘अहह उसस्स अम्म्म्म … ऊहह..’ की मस्त आवाज़ निकलने लगी थीं. पहली बार में तो मैंने उसके मुँह में ही पानी निकाल दिया.

फिर दस मिनट बाद मैंने उसकी टांगें फैला दीं और एक उंगली चुत में डाल कर चुत चाटने लगा.
अब उसके मुँह से भी ‘आह उउह … सस्स्सीई भाईजान..’ की आवाजें आने लगी थीं.

हिना बोली- भाईजान … अब और मत सताओ … जल्दी से अपनी बहन की चुत में लंड पेल दो … वरना ये रंडी मर जाएगी भाई … जल्दी अन्दर करो.
उसने चुत को फैला दिया और मैंने बिना सोचे पूरा का पूरा लंड चुत में पेल दिया.

ओफ … यार क्या मस्ती आ रही थी … बस कुछ ना पूछो. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. मेरी बहन को भी मज़ा आ रहा था. मेरे मुँह में उसके मम्मे थे. मैं बीस मिनट में उसकी चुत में ही झड़ गया और मेरी बहन का पानी भी निकल गया. उसका पानी मैंने अपने मुँह में ले लिया.

मैंने उस रात में 4 बार अपनी सग़ी बहन को चोदा और उसकी मखमली गांड भी चाटी.

अब मैं उसकी रोज़ चुदाई करता हूँ. आज तक इतना मज़ा तो मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को चोदने में भी कभी नहीं आया.

मेरी बहनो, सोचो मत … भाईजान को पटाओ और उनका लंड ले लो. मेरे दोस्तो, अगर आपकी बहन भी मस्त है, तो समझो कि आपके पास अनमोल हीरा है. खूब लंड पेलो … घर का माल है चोदो.
फिर एक दिन मैने पूछा कौन है वो लोग जो तुझको चोदते है
हीना वो प्राधान के बेटे आयुष यादव और उसके दोस्त कौशल सिंह और शिवम् दुबे है ।
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#22
पड़ोस के दीपक भाईजान-1

नमस्ते दोस्तो, मेरी पिछली कहानी विलेज के मुखिया का बेटा और शहरी छोरी को पढ़ने के लिए और मेल के द्वारा रिप्लाई करने के लिए धन्यवाद।

आज फिर मैं एक नई कहानी लेकर के आयी हूँ। मैं धन्यवाद कहना चाहूंगी मनमोहन जी का जिन्होंने कहानी लिखने में मेरी बहुत मदद की।
आफरीन सलीम
दीपक , नीतू

आफरीन ने हाल ही में अपना 21वाँ जन्मदिन मनाया था। दिखने में लाखों में एक आफरीन की छह महीने पहले ही निगाह हुई थी। 5 फ़ीट 5 इंच लंबी, 34-28-36 एकदम कोक बोतल जैस फिगर, गोरा रंग, घने काले बाल कोई भी जान देने के लिए झट से तैयार हो जाता। उसको भी पता था कि वो कितनी सुंदर है, उसको भी मर्द लोगों का अटेंशन अच्छा लगता था।

सलीम, उसका पति भी उसको बहुत सूट करता था, 27 साल का एक हैंडसम लड़का था। उनकी सेक्स लाइफ भी बहुत अच्छी तरह से चल रही थी। आफरीन बहुत छोटे शहर में पली बढ़ी थी। 10वीं तक पढ़ी आफरीन ने कॉलेज के बेफिक्र जीवन का अनुभव ही नहीं लिया था। सलीम से भी शादी से पहले अकेले में नहीं मिली थी। अपना कौमार्य भी उसने सलीम के साथ सुहागरात में खोया था। उनके घर में सलीम और सासू अम्मी थी। सलीम की बहन की 1 साल पहले शादी हो गई थी। सलीम की अम्मी आफरीन को बेटी की तरह प्यार करती थी; दोनों की आपस में बहुत बनती थीं।

उनका शहर में दो मंजिला बंगला था, ऊपर का फ्लोर दो साल से खाली ही था। सलीम एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था, उसकी कंपनी ने उसे दो साल के लिए एक प्रोजेक्ट पे काम करने के लिए अमेरिका भेज दिया, वो आफरीन को साथ नहीं ले जा सकता क्योंकि अम्मी अकेली पड़ जाती। और दोनों को साथ ले जाने की उसे अनुमति नहीं मिली, तो वो अकेला ही चला गया।

आफरीन वैसे ही शर्मीली टाइप की थी, अड़ोस पड़ोस में ज्यादा जान पहचान नहीं थी; सलीम के जाने के बाद वो तो एकदम अकेली पड़ गयी थी।

अमेरिका जाने से पहले सलीम ने अपने ऊपर का फ्लोर एक अन्य धर्म की फैमिली को किराये पे दिया था। वह फैमिली सलीम के जाने के एक हफ्ते बाद रहने को आई थी। दीपक और उसकी पत्नी नीतू। दीपक मजबूत शरीर का साँवले रंग का 45 साल का आदमी था, उसकी हाइट 6 फ़ीट 1 इंच थी। नीतू भी 40 साल की थी, उसका रंग साँवला था, थोड़ी मोटी थी, वो भी आफरीन की तरह घर में ही रहती थी। उनको कोई बच्चा नहीं था। दीपक पास के ही एक फैक्टरी में सुपरवाइजर था। दिपक दिखने में इतना अच्छा नहीं था पर रंगीला किस्म का आदमी था। जब से वो वहाँ रहने आया था तब से आफरीन पर उसकी गंदी नजर थी।

कुछ ही दिनों में आफरीन ने नीतू से जान पहचान बनाई। अब तो वो रोज आफरीन के घर जाकर उसके साथ और उसकी सास के साथ बातें करती। शुरू शुरू में आफरीन उससे ज्यादा बातें नहीं करती थी। पर अकेलेपन की वजह से आफरीन को उसकी बातें अच्छी लगने लगी। कभी कभी आफरीन भी दोपहर को उसके घर पे बाते करने जाने लगी; दोनों मार्केट साथ साथ जाने लगी।

नीतू अब अपने पति के बारे में बहुत बातें करने लगी। उसने आफरीन को यह भी बताया कि दीपक उसके प्रति आकर्षित हो गया है और उसी मूड में वह नीतू को रातभर तंग करता है। कभी कभी तो उसे आफरीन नाम से बुलाते हुए रात भर जगाता है।

आफरीन उसकी बातों को मजाक में ले लेती थी। पर अब उसे अपने बदन पर दिपक की गंदी नजर महसूस होती थी। पहले पहले तो उसे घिन आती थी पर अब उसे अच्छा लगने लगा था, एक अलग ही सुरसुरी होती थी।

आज भी वो दोनों मार्केट गयी थी कि अचानक बारिश हो गयी और दोनों पूरी तरह से भीग गयी। रीतू ने वहाँ से अपने पति को फोन लगाया- डीपक, मैं और आफरीन मार्केट में है और बारिश शुरू हो गई है। हम दोनों भी पूरे भीग गए हैं। प्लीज हमें घर पे छोड़ दो! “ठीक है, मैं 10 मिनट में आया” वह बोला।

दीपक दस मिनट में रिक्शा लेकर वहा पहुँचा। बारिश में भीगा आफरीन का नशीला बदन देखकर मानो जैसे पागल ही हो रहा था। लो कट स्लीव लेस कमाीज़ पहनी आफरीन की सलवार उसके बदन से पूरी चिपकी हुई थी। उसकी पूरी जवानी साफ साफ नजर आ रही थी। ठंड की वजह से उसके निप्पल भी उसके सफेद ब्रा में से दिखाई दे रहे थे। दीपक के ऐसे देखने से आफरीन शर्मा गयी थी। ने तो मानो उसको आँखों से नंगी कर दिया था।

जैसे तैसे आफरीन घर तक पहुँची, फिर दौड़ कर अपने कमरे तक गयी। तभी उसकी सासू अम्मी ने उसको बताया कि कल शाम को उसे अपनी बेटी के घर जाना है, उसकी बेटी के प्रेग्नेंट होने की वजह से। पहले ही पति दूर गया था अब सासू अम्मी भी जा रही है.



सुन कर, अपने घर में उसको अकेले रहना पड़ेगा सोचकर वो थोड़ा घबरा गई।

दूसरे दिन शाम को उसकी सासू अम्मि ’15 दिन बाद आती हूँ.’ बोलकर अपनी बेटी के घर चली गयी।

उसके जाने के बाद आफरीन नीतू के घर यह पूछने गयी कि ‘वह उसके घर रहने के लिए आ सकती है क्या?’ उसके दरवाजा बजाने के बाद दिपक ने दरवाजा खोला और पूछा- अरे आफरीन, तुम कैसे आ गयी हमारे घर! वह आफरीन के आंखों में ऐसे देख रहा था कि जैसे कोई शेर अपने शिकार की तरफ देख रहा हो।

“कुछ नहीं, मुझे जरा नीतू से मिलना था, वह है क्या घर में?” आफरीन ने पूछा। “वो तो घर पर नहीं है, तुम्हें बताया नहीं उसने? वो अपनी मा के गांव गयी है दो दिन के लिए… उसकी मां की तबियत खराब है, उसको कुछ बताना है क्या?” दीपक बोला। “नहीं न… नहीं कुछ काम नहीं था, मेरी सासू अम्मी अपनी बेटी के यहाँ गयी है ना पंद्रह दिन के लिए, तो सोचा रीतू से बात करूँ!”

आफरीन अब नर्वस हो गयी थी। उसकी सास भी घर पर नहीं थी और उसकी पड़ोसन… उसकी खास दोस्त नीतू भी घर पर नहीं थी। अकेले घर पे रात गुजारने के ख्याल से उसे डर लगने लगा था। दीपक ने उसे अंदर बुलाया। आफरीन भी टेंशन में उसको ना नहीं बोली। वह एकदम जेंटलमैन कि तरह पेश आ रहा था।

आफरीन ने भी पिंक कलर की कमाीज़ और मैचिंग सलवार पहना हुआ था। “ दीपक भैया… नीतू घर पर नहीं है… अब आपके लिए खाना कौन बनाएगा?” उसने ऐसे ही पूछ लिया।

“मैं कुछ मंगवा लूंगा बाहर से, मुझे तो चाय भी बनानी नहीं आती, खाना कहा से बनाऊंगा।” सच में तो नीतू तुम्हारी सासू माँ को पूछने वाली थी मेरे खाने के बारे में… पर मैंने ही मना कर दिया, क्योंकि तुम दोनों को तकलीफ होगी!”

उसको आफरीन की सहानुभूति हासिल करनी थी जिसकी वजह से आफरीन उसको अपने घर पर खाने को बुलाये। आफरीन के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था, उसने दीपक को रात के खाने पर बुलाया। दीपक झट से राजी हो गया।

आफरीन अब किचन में खाने की तैयारी करने लगी थी। पंद्रह मिनट बाद घर की बेल बजी। उसने दरवाजा खोला तो सामने दीपक खड़ा था। किचन में काम करते वक्त उसने अपनी कमीज का रुप्पटा कमर में फंसा दिया था जिस वजह से उसकी चूचियाँ साफ साफ दिखाई दे रही थी। उसको बहुत पसीना भी आया हुआ था.

दीपक को देखते ही आफरीन बोली- अरे दीपक भैया… आप आ गए… मैंने अभी खाना बनाना शुरू किया है… अभी आधा घंटा और लगेगा खाना बनाने के लिए! उस पे मुस्कुराते हुए दीपक बोला- कोई बात नहीं, मैं भी घर बैठे बैठे बोर हो रहा था, तो सोचा यहाँ आकर के तुम्हारी मदद कर दूँ!

आफरीन के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था। उसने दीपक को घर के अंदर लिया और किचन में जाते हुए उसको बोली- उसकी कोई जरूरत नहीं, मैं बना लूंगी खाना… आप आराम से टीवी देख लो!

पर उसकी बातों को नजर अंदाज करते दीपक किचन में आ गया, वो खाना बनाने लगी। दीपक उसके साथ बातें करने लगा। कुछ देर के बाद आफरीन को दिपक के साथ बात करना अच्छा लगने लगा। थकान की वजह से उसके शरीर पर रेंगती दीपक की नजर को उसने इग्नोर कर दिया।

खाना परोसते वक्त झुकने पर उसके दिखते हुए उसके गोल स्तनों पे दीपक की नजर अटक गई और परोसने की बाद पीछे मुड़ी आफरीन के गोल गोल नितम्बों को वो आंखें फाड़ कर देख रहा था। दीपक बहुत मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल कर रहा था, उसके लंड ने अब उसके पेंट में तंबू बना दिया था।

पूरे टाइम आफरीन के सुंदरता की तारीफ कर रहा था। आफरीन भी अपनी तारीफ सुनकर खुश हो रही थी। “ आफरीन, तुम सुत सलवार में बहुत सुंदर दिखती हो, तुम्हारा पति बहुत लकी है जो उसको तुम्हारे जैसी पत्नी मिली है.



पता नहीं कैसे वो तुम्हें यहाँ छोड़ कर इतनी दूर चला गया। मैं होता तो तुम्हें कभी छोड़ कर नहीं जाता। तुम खाना भी बहुत अच्छा बनाती हो। सच में तुम एक परिपूर्ण स्त्री हो.”

इस पे जरा शर्माते हुए आफरीन बोली- ऐसा नहीं है दीपक भैया… मैं इतनी भी ग्रेट नहीं हूँ! उसकी तारीफ से आफरीन शर्मा कर लाल हो गयी थी। अपने पति के अलावा किसी ने भी उसकी इतनी तारीफ नहीं की थी।

“इतना स्वादिष्ट खाना खिलाने के लिए मैं तुम्हें एक गिफ्ट दे कर थैंक्स बोलना चाहता हूं। पांच मिनट में, मैं तुम्हें घर से लाकर देता हूं, रुको!” ऐसा बोलकर दीपक उठने लगा. तो आफरीन ने उसे रोकते हुए बोली- रहने दो… नहीं… इसकी कोई जरूरत नहीं है दीपक भैय्या! पर उसकी बात पूरी होने से पहले ही दीपक घर से बाहर निकल गया था।

आफरीन थोड़ा कंफ्यूज हो गयी थी और वो क्या गिफ्ट लाता है यह देखने के लिये आतुर भी हो रही थी।

पांच मिनट बाद दीपक वापस आ गया- यह लो तुम्हारे लिए गिफ्ट! बोल कर उसने एक कैरी बैग आफरीन को थमा दी। “क्या है यह?” आफरीन ने पूछा तो वो मुस्कुराते हुए बोला। “खोलो न सरप्राइज है तुम्हारे लिए!”

आफरीन ने बैग से वह गिफ्ट बाहर निकाला, एक सुंदर, महंगी लगभग पारदर्शी स्लीवलेस नाइटी थी। गिफ्ट देख कर सच मैं तो आफरीन को थोड़ा शॉक लगा, उसने अपनी पूरी लाइफ में ऐसे कपड़े नहीं पहने थे। “ दीपक भैया…म…मैं… नहीं ले सकती यह गिफ्ट!” “प्लीज अफरीन मना मत करना! एक बार दुकान में बाहर से देख कर ही मैंने उसे खरीद लिया था। पर नीतू थोड़ी मोटी होने के कारण उसको नहीं आ रही थी, अब तो दुकानदार ने भी इसको वापस लेने से मना कर दिया! दीपक आफरीन को रिक्वेस्ट करने लगा। फिर दीपक अपने ही जोक पर ज़ोरों से हँसने लगा।

आफरीन को रियेक्ट करना मुश्किल हो रहा था, वो भी जोक पे थोड़ी सी मुस्कुरा दी।

“प्लीज आफरीन … ले लो ना… मुझे पता है तुम पर बहुत सुंदर लगेगी। सच तो यह है कि तुम्हारी खूबसूरती की वजह से इस नाइटी की सुंदरता और बढ़ेगी!” दीपक के जरा और जोर देने के बाद आफरीन शर्माते हुए बोली- वैसे तो मैं किसी से कोई गिफ्ट नहीं लेती, पर आप इतना आग्रह कर रहे हो तो…

उसकी बात को बीच में ही तोड़ते हुए दीपक बोला- आफरीन, तुम्हें ऐतराज ना हो तो तुम इसे पहन सकती हो क्या? नीतू ने एक बार ट्राय किया था पर उसे बैठी ही नहीं। मुझे डर है कि उसकी वजह से यह बड़ी नहीं हो गयी हो, और अगर तुम्हें लूज़ हो गयी तो? “अभी नहीं… कल पहन कर आपको बताती हूँ… अभी नहीं!” आफरीन बोली.









पर दीपक को ना सुनने की आदत नहीं थी; उसके और जरा फ़ोर्स करने पर आफरीन राजी हो गयी और नाइटी पहनने के लिए बैडरूम में चली गई, उसने कमीज और सलावर उतारकर उस नाइटी को पहन लिया। नाइटी तो मानो उसके शरीर के नाप से ही बनाई थी; एकदम पतली गुलाबी रंग की नाइटी थी। स्लीव लेस नाइटी में से उसके स्तनों का आकार बिल्कुल साफ साफ दिख रहा था।

वो आईने में अपने आप को देख ही रही थी कि बाहर से दीपक ने दरवाजा खटखटाया और बोला- ठीक से बैठ रही है ना? “अ…ह…हां, बैठ रही है.” उसने हड़बड़ाते हुए बोला। “साइज बराबर है ना?” उसने पूछा। “हां… बराबर है.” आफरीन ने बोला। “मैं देखूँ क्या?” “नहीं… मैं नहीं आ सकती आपके सामने इन कपड़ों में!” वो डरती हुई बोली।

वो उसको ना बोल ही रही थी कि हॉल में रखा उसका मोबाइल बजा। रिंगटोन से उसे पता चला कि उसके पति सलीम का फ़ोन है। ‘ हे अल्लाह … दीपक ने फ़ोन उठाया तो…’ रात के 10 बजे कोई अनजान आदमी अपने घर में है… यह सोचकर ही उसके जिंदगी में भूचाल आ सकता था; वो वैसे ही भागते हुए हॉल में गयी और फ़ोन उठाया। वह अकेली है और उसके साथ सलीम नहीं है इसकी माफी मांगते हुए ही सलीम ने बातें शुरू कर दी। वो अकेली है यह सोचकर सलीम उसके साथ खुलकर बात कर रहा था। उसको चिढ़ा रहा था, उसको पर्सनल सवाल पूछ रहा था।

आफरीन थोड़ा डरते हुए ही पांच मिनट सलीम से बात की; फ़ोन काटने के बाद उसने नोटिस किया कि दीपक उसको भूखे शेर की तरह देख रहा है। “वाह… आफरीन तुम तो पूरी अप्सरा लग रही हो… उस लिंगरीज के विज्ञापन में मॉडल रहती है ना… बिल्कुल वैसे ही लग रही हो तुम!” उसको देखते हुए दीपक बोला।

आफरीन अब ऐसे आदमी के सामने खड़ी थी जो हमेशा से उसको कामुकता भारी नजरों से देखता था।

दीपक आगे बढ़ा और अपना हाथ आफरीन के नंगे कंधों पर रखा- तुम्हारी स्किन कितनी सॉफ्ट है… काश मेरी नीतू की स्किन भी इतनी सॉफ्ट होती तो मजा आ जाता।

[Image: IMG-20230525-111026.jpg]
Nighty dress me afreen deepak ke samne
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#23
पड़ोस के दिपक भाईजान 2


इस कहानी के पहले भाग पड़ोस के दीपक भाईजान-1 में आपने पढ़ा कि कैसे आफरीन की नई नई शादी के बाद उसका पति अमेरिका चला गया. आफरीन के घर में एक किरायेदार जोड़ा किराये पर रहने लगा और किरायेदार की कामुक नजर आफरीन के सेक्सी जिस्म पर थी.

आफरीन अब ऐसे आदमी के सामने खड़ी थी जो हमेशा से उसको कामुकता भारी नजरों से देखता था।

आफरीन अब दीपक से दूर जाने लगी। पर अचानक से दीपक ने उसको कस कर बांहों में जकड़ लिया; आफरीन अब उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करने लगी, उसके बड़े बड़े स्तन दिपक की चौड़ी छाती पर रगड़ खा रहे थे। “आज मैं तुमको अपनी बनाऊंगा आफरीन … ऐसा मौका मैं नहीं छोड़ सकता… प्लीज मेरा साथ देना… क्योंकि कुछ भी हुआ तो मैं आज तुमको अपना बना…” दीपक बड़बड़ाने लगा।

दीपक उसको खींच कर बैडरूम में लेकर आ गया और उसको बैड पर लिटा दिया, उसने आफरीन पे कूदते हुए अपने वजन से आफरीन को दबोच लिया। वो अब अपने खुरदरे होठों से आफरीन के चेहरे पे किस करने लगा। बीच में वह अपनी जीभ आफरीन के मुख में घुसाने की कोशिश करने लगता।

दीपक ने अभी गिफ्ट की हुई नाइटी की गांठ खोली और खींच कर नाइटी आफरीन की बदन से अलग कर दी। आफरीन अब उसके सामने सफेद ब्रा और पैंटी में बेड पर लेटी हुई थी। दीपक अब घुटनों पर बैठ कर उसकी सुंदरता का आँखों से रसपान करने लगा; सपनों में देखी हुई सुंदरी को आज भोगने को मिलेगा इस ख़याल से ही खुश हो रहा था।


वह झट से आफरीन के ऊपर जा बैठा और आफरीन के सुडौल स्तन ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। आफरीन को यह अहसास हो गया था कि यह सब होने ही वाला है तो वो इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थी… उसे जरूरत भी थी इसकी क्योंकि उसके सौाहर से अलग हुए कई महीने हो गये थे.

दीपक अभी भी उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था, चूस रहा था, मसल रहा था। बीच बीच में वह उसके होठों को चूम रहा था। उसका दूसरा हाथ आफरीन के पूरे बदन पर घूम रहा था, गले से लेकर पेट तक और चूत तक। जो कुछ हो रहा है, उस सुख से वंचित उसके शरीर ने अब बगावत करनी शुरू कर दी थी। आफरीन को भी यह अहसास होने लगा था.

दीपक भी आफरीन की चुत पे गीलापन महसूस कर रहा था, वह झट से खड़ा हो गया। उसने आफरीन की पैंटी पे वह गीला धब्बा देखा और उसको समझ में आ गया कि यह परी अब तैयार हो गई है।

दीपक ने अब आफरीन की पैंटी में उंगली घुसा दी और नीचे खींचने लगा। आफरीन ने भी अनजाने में अपनी कमर उठा कर उसको पैंटी उतारने में मदद की। दीपक धीरे से पैंटी उतार रहा था तब आफरीन दीपक को देख रही थी। पैंटी घुटनो तक आने के बाद दीपक ने एक झटके में उसको पैरों से उतार दी और बैडरूम के किसी कोने में फेंक दी।

आफरीन को अब आश्चर्य हो रहा था कि कितनी आसानी से उसने दीपक को अपनी पैंटी उतारने दी। वह एक आदर्श बेगम थी, एक पाक़ीज़ा बहू थी, दीपक तो उसे बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उस आदमी को अपनी मर्जी के बगैर वह सब कुछ करने दे रही थी जो सिर्फ उसने अपने सौाहर को करने दिया था।

पैंटी उतरने के बाद आफरीन ने अपने पैर जोर से भींच लिए ताकि उसकी चुत दीपक को ना दिखे। पर दीपक ने ताकत लगा के आफरीन के पैर खोल दिये, उसकी ताकत आफरीन से कही अधिक थी। अपने सामने के दृश्य से दीपक आश्यर्य चकित हो गया; गोरी गोरी टाइट चुत उसके सामने थी; उसकी चुत पर बहुत ही कम बाल थे, उन काले बालों में उसकी गुलाबी पंखुड़ियों का दीदार हो रहा था। सलीम को भी उसकी बालों वाली चुत अच्छी लगती थी।

दीपक अब बेड से नीचे उतरा, आफरीन के पैरों को पकड़ा और खींचते हुए उसको बेड के कोने तक ले आया। वह जमीन पर अपने घुटनों के बल आफरीन के टाँगों के बीच बैठा और अपना सिर उसकी चुत पे ले आया। आफरीन अपने दोनों हाथो से उसको अपने पैरों से दूर धकेलने लगी।

अपने दोनों हाथों से उसकी जांघें सहलाते हुए दीपक ने आफरीन की चुत के इर्द गिर्द अपने बड़े होठों से चूमने लगा, चाटने लगा। चुत के आस पास चाटते चाटते उसने आफरीन के नीचे के खड़े होठों की तरफ जाने लगा। अपनी नाक उसके छेद पे घिसते हुए एक लंबी सांस लेते हुए एक जवान चुत की खुशबू अपने फेफड़ों में भरी। उस खुशबू से उसको नशा होने लगा था। उसने अपनी खुरदरी जीभ बाहर निकाली और उसकी गुलाबी चुत में हल्के से घुसा दी।



जो कुछ भी हो रहा था वो उसके लिए बिल्कुल नया था। उसने पहले कभी यह अनुभव नहीं लिया था। दीपक ने अपनी जीभ से आफरीन की चुत को छेड़ते हुए अपनी जीभ को ऊपर नीचे घुमाना चालू कर दिया फिर उसकी चुत के दाने को अपने मुंह में पकड़ कर चूसने लगा।

आफरीन की चुत का नमकीन स्वीट टेस्ट बहुत मादक था। दीपक ने अपनी जीभ और अंदर घुसाकर आफरीन को जीभ से चोदना शुरु किया। आफरीन की सांसें अब तेज होने लगी, अब वह सब कुछ भूल गयी थी, धीरे धीरे वो जन्नत में पहुँचने लगी, उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसके हाथ अब दीपक को दूर धकेलने के बजाय उसके बालों को पकड़ कर जांघों के बीच दबाने लगे। दीपक की जीभ उसको वो सभी अनुभव दे रही थी जो उसने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं किया था।

आफरीन ने कभी भी ओरल सेक्स का अनुभव नहीं लिया था। शादी के बाद सलीम से जो भी सेक्स हुआ था उसमें उन्होंने कभी भी ओरल सेक्स का प्रयास नहीं किया था। आफरीन अब यह सोच रही थी कि सलीम के साथ उसने यह सब ट्राय क्यों नहीं किया, पर अभी… अपने से दोगुने उम्र का आदमी उसके टाँगों के बीच बैठ कर उसको स्वर्गिक सुख दे रहा था।

उसको अब ऐसे बैठना मुश्किल हो रहा था, उसने अपना हाथ दीपक के कंधों पर से हटा दिया और धीरे धीरे पीछे लेट गयी। उसके पेट में अब खलबली मच गई थी। एक तेज लहर उसके पेट से बाहर निकलने को मचल रही थी। उसे समझ में आ गया था कि वो अब झड़ने वाली है।

दीपक ने फिर से उसके दाने को दाँतों में पकड़कर हल्के से काटा, आफरीन ने हल्के से सिसकी भरी फिर कमर उठाकर अपने बदन को धनुष के आकार में लाते हुए दीपक के चेहरे को अपनी चुत के काम रस से भिगोने लगी। दीपक ने भी पूरा रस लपालप चाट लिया और आफरीन के शांत होने की राह देखने लगा। आफरीन को हर पल एक साल की तरह लग रहा था, अपनी जिंदगी के कामसुख के परम बिंदु को छू के वह वापस लौटी थी।

आंखे बंद करके उस सुख की अनुभूति करती आफरीन सोच रही थी… ‘यह आदमी बिल्कुल राक्षस की तरह लगता है, मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। फिर भी उसने आज मैंने कभी सोचा भी न हो इतना असीमित कामसुख दिया है।’

आफरीन के मुख से कामुकता भरी सिसकारियाँ सुनकर दीपक को यह भरोसा हो गया था कि यह सोनपरी अब उसके वश में आ गयी है। अब वो उसको अपनी जिंदगी का सबसे बढ़िया चोदन सुख देने को तैयार था। दीपक अब आफरीन की टांगों के बीच में से उठा और उसके पास बैठ गया; आफरीन भी उठ कर बैठ गई थी। आफरीन की आंखों में उसके प्रति प्यार देख कर वह अपनी उंगलियाँ उसके होठों पर घूमाने लगा। उसी वक्त उसने अपना दायाँ हाथ कमर से ले जाते हुए उसकी पीठ तक पहुँचाया। उसने बड़ी सफाई से आफरीन की ब्रा खोल दी और आगे से कंधों पर से अलग कर दी।

आफरीन के स्तन अब खुली सांस ले रहे थे, 34सी होते हुए भी गोरे सीने पर तन कर खड़े थे… उसकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।

दीपक अब उसके दोनों मम्मों को हाथों से पकड़कर मसलने लगा। आफरीन के मम्मे सच में बहुत बड़े थे। दीपक के बड़े बड़े हाथों में भी मुश्किल से समा रहे थे।

दीपक ने अब अपनी जीभ बाहर निकाली और आफरीन के बायें मम्मे पे चलाने लगा। उस ठंडे स्पर्श से आफरीन थरथरा उठी। दीपक उसके ऐरोला के आस पास चाटने लगा, फिर धीरे धीरे पूरा मम्मा चाट, चूस कर पूरा गीला कर दिया। वह जान बूझ कर ऐरोला और निप्पल को छू नहीं रहा था, उसको तरसा रहा था।

आफरीन को यह अब सहन करने के परे था, उसने अपने दोनों हाथों से दीपक के सिर को पकड़ा और अपने निप्पल की तरफ खींचा। दीपक को आफरीन का इशारा समझ में आ गया, उसने झट से उसके निप्पल पर हमला किया, उसके निप्पल को अपने दाँतों से पकड़ कर काटने लगा। वह बेहरमी से उसके निप्पल को चूसने, काटने लगा तो आफरीन और भी सिसकने और तड़पने लगी। दीपक उसके निप्पल को मुँह में पकड़ कर ज़ोरों से खींचता, वह उसके दोनों निप्पल्स को अपनी जीभ से गीला करता और उस पे फूंक मरता। उस ठंडे स्पर्श से उसके निप्पल्स और भी कड़े हो गए थे।

दीपक ने आफरीन के स्तनों पर इस तरह हमला किया था कि सिर्फ उसी उत्तेजना से वह फिर से अपनी कामोत्तेजना के शिखर पर पहुँची। बहुत दिन से सेक्स से दूर रही नवविवाहिता के लिए यह कुछ ज्यादा ही था, कामरस से आफरीन की चुत पूरी भर चुकी थी, जहां वह बैठी थी,वह चादर भी अब गीली हो गई थी।

दीपक ने आफरीन की निप्पल्स को अपने होठों से पकड़ कर चूस काट कर उसके निप्पल्स से दूर हुआ। वह अब बेड से नीचे उतरा और अपने कपड़े उतारने लगा। वह एक एक कपड़ा अपने बलशाली शरीर से उतारने लगा, आफरीन मोहित होकर उसको देख रही थी।

उसने अपना आखिरी कपड़ा अपनी अंडरवीयर उतारी तो उसका बड़ा सा अजगर उछल कर बाहर निकला और उसके पेट पे टकराया।

उसका बड़ा मूसल देख कर आफरीन को शॉक ही लगा, वो उसकी तुलना अपने सौाहर के लंड से करने लगी। सलीम का लंड भी लंबा मोटा था लेकिन दीपक का लंड मानो अजगर ही था। अपनी जिंदगी का दूसरा लंड देख रही थी।

आफरीन का यहाँ से वापस लौटना अब नामुमकिन था, उसके शरीर ने बगावत कर दी थी, वासना ने उसके मन पर कब्जा कर लिया था।

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Deepak ke sath maja le.rhi afreen
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#24
पड़ोस के दीपक भाईजान 3

 कहानी के पिछले भाग पड़ोस के दीपक भाईजान-2 में आपने पढ़ा कि कैसे एक सीधी सादी नवविवाहिता अपने किरायेदार के जाल में फंस गई और उसकी कामुकता ने उसके जिस्म को अपने वश में कर लिया.

दीपक ने अपना आखिरी कपड़ा अपनी अंडरवीयर उतारी तो उसका बड़ा सा अजगर उछल कर बाहर निकला और उसके पेट पे टकराया।

उसका बड़ा मूसल देख कर आफरीन को शॉक ही लगा, वो उसकी तुलना अपने सौाहर के लंड से करने लगी। सलीम का लंड भी लंबा मोटा था लेकिन दीपक का लंड मानो अजगर ही था। अपनी जिंदगी का दूसरा लंड देख रही थी।

आफरीन का यहाँ से वापस लौटना अब नामुमकिन था, उसके शरीर ने बगावत कर दी थी, वासना ने उसके मन पर कब्जा कर लिया था।

अब आगे:

दीपक अब बैड पे घुटनों के बल बैठ गया, अपने सामने डोलता हुआ उसका बड़ा मूसल आफरीन आंखें फाड़ कर देख रही थी। दीपक का लंड लंबा था… साधारण छह सात इंच लांबा। पर उसका लंड मेरे सौाहर के जैसा नही था इसमें टोपी जैसी पुरा तरफ से ठाका हुआ खड़ा था , लंड बिल्कुल किसी नीग्रो के लंड जैसा लग रहा था।

आफरीन ने नजर उठा के दीपक की तरफ देखा और धीरे से उसके लंड को अपने दायें हाथ से पकड़ लिया। वह लंड उसके हाथों में पूरी तरह समा भी नहीं रहा था। आफरीन ने हल्के से अपना हाथ उसके पूरे लंड पर घुमाया फिर लंड को अपने नाजुक हाथों से पकड़ कर मुठ मारने लगी। दीपक को तो मानो ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका लंड कोई नाजुक चुत के अंदर बाहर हो रहा हो।

बीच में ही वो दीपक के दोनों बॉल्स को पकड़ कर हल्के से मसाज करती और सोचती इसमें कितना रस भरा होगा।

आफरीन ने अब दोनों हाथों से लंड को पकड़ा और ज़ोर से मुठ मारने लगी; दीपक सिसकार उठा; एक कामुक लहर उसके लंड से दिमाग तक पहुंची। दोनों ने उसी वक्त एक दूसरे की तरफ देखा। दोनों की ही आंखों में हवस बह रही थी।

थोड़ी देर ऐसे ही मुठ मरवाने के बाद दीपक अपना हाथ आफरीन के सर के पीछे ले गया, उसके बालों को पकड़ते हुए उसका मुंह अपने लंड की तरफ धकेलने लगा।

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Deepak ka land afreen ke muh me


आफरीन के मुह मे लंड नाजुक होठों में और अधिक घुस गया। धीरे धीरे उसने अपना लंड तीन इंच तक अंदर घुसा दिया और उससे ही आफरीन की साँसें अटक गई। उसने झट से लंड बाहर निकाला और खाँसने लगी।

दीपक इस बात पे हंसने लगा तो आफरीन भी हंसने लगी। आफरीन हल्के से मुस्कुराई और अपना मुँह उसके लंड के तरफ ले गयी।

दीपक को यह समझते देर नहीं लगी कि आफरीन ओरल सेक्स में नई है और उसका पूरा लंड अभी अपने मुँह में नहीं ले सकती। आफरीन अब लंड का टोपा और जरा सा लंड अपने मुख में लेकर चूसने लगी। एक लाजवाब हुस्न की परी उस काल विद्रूप राक्षस का लंड चूस रही है, यह अहसास ही उसको झड़ने के करीब ले जा रहा था।

आफरीन भी आश्चर्य में थी, इसके पहले उसने किसी पर पुरुष को खुद को छूने भी नहीं दिया था पर अब… अब वह एक पराये मर्द का लंड ऐसे चूस रही थी, मानो आइसक्रीम चूस रही हो। आफरीन अब उसके लंड पर जीभ घुमाने लगी। लंड बाहर निकालकर दीपक की तरफ देखते हुए लंड पर किस करने लगी, फिर अपनी जीभ बाहर निकालकर उसके पूरे लंड को चाटती।

दीपक ने आफरीन को अपने बॉल्स चाटने को बोला। आफरीन अब एक नया अवर्णनीय अनुभव ले रही थी। वह अब ये पूरी तरह भूल गई थी कि वह एक शादीशुदा पकिज़ा औरत थी, उसके साथ उसके बैड पर उसका सौाहर नहीं एक पराये धर्म का आदमी था। जैसे ही उसे याद आया कि वो किसी विधर्मीय गैर मर्द के साथ है, तो यह पाप करता सोचकर ही वह उत्तेजित हो गई थी।

यह सब होते हुए उनके बीच में कोई संभाषण नहीं हो रहा था; आ रही थी तो सिर्फ सिसकारियों की, तेज सांसों की, चूसने की, किस करने की, चाटने की आवाजें! वासना में डूबे दो जिस्म एक दूजे को अपरमित सुख देने में व्यस्त थे।

दीपक ने अचानक अपना लंड उसके मुँह से निकाला तो आफरीन ने नाराजगी जताते हुए दीपक की तरफ देखा। तब दीपक पहली बार बोला- आफरीन जान, कुछ अलग ट्राय करते हैं! आफरीन ने सोचा कि आज रात को वह जो भी कर रही हैं वह सब उसके लिए नया है, तो अब यह आदमी और क्या नया करना चाहता 









दीपक ने आफरीन को पीठ के बल लिटाया और उसके स्तन चूसने शुरू कर दिए, दोनों स्तनों के बीच की जगह भी उसने चाट चाट के गीली कर दी। फिर अपने दोनों घुटने आफरीन के दोनों साइड पे रख कर उसके ऊपर बैठ गया। उसने अपना लंड आफरीन के स्तनों के बीच रखा और आफरीन को अपने बूब्स उसके लंड पर दबाने को बोला जो उसने बिना कोई सवाल पूछे किया।

दीपक अब धीरे धीरे अपना लंड आफरीन के बूब्स में अंदर बाहर करने लगा। उसका कड़क लंड आफरीन की मुलायम त्वचा से घिसने के अहसास से उसके मुँह से सिसकारी निकल गयी और आफरीन की ओर देखते हुए वह बोला- आफरीन … इसे बूब जॉब बोलते हैं… तुम्हारे बूब्स है ही इतने सुंदर… कि मैं अपने आप को रोक ही नहीं पाया, तुम को अच्छा लग रहा है ना?

उसके सवाल पर शर्मा कर हल्के से मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाया। आज रात वह ऐसी चीजें कर रही थी जो कि उसने अपने शादीशुदा जिंदगी में कभी नहीं की थी। अपने स्तनों के बीच एक कड़क मूसल उसको एक अलग ही अनुभूति दे रहा था, बीच बीच में दीपक उसके निप्पल्स को अपनी उंगलियों से पकड़ के मसलता और खींचता।

दीपक का लंड अब उसकी ठोड़ी पर टकरा रहा था। आफरीन ने अपना मुँह इस तरह से एडजस्ट किया और खोला कि उसके ठोड़ी पर टकरा रहा लंड डायरेक्ट उसके मुँह में आ जाये। जैसे ही दीपक का लंड आफरीन की मुँह में घुसा, आफरीन ने उसको अपने होठों में पकड़ा और उस पर अपनी जीभ घुमाई, दीपक के मुँह से सिसकारी बाहर निकली। उसके लंड से निकला प्रीकम आफरीन की जबान पर लगा, उसको भी उसका नमकीन स्वाद अच्छा लगा। उसको अब और लंड का पानी चाहिए था, उसको अब सब पानी चाहिए था।

दीपक के स्तन चोदन की वजह से आफरीन को सांसें ज़ोर से चल रही थी, वह अब फिर से झड़ने वाली थी, एक ही रात मैं तीसरी बार। पर दीपक्… वह तो थकने का नाम ही नहीं ले रहा था, वह एक लय में आफरीन के स्तनों को चोद रहा था।

कुछ देर लगातार चोदने के बाद वह भी झड़ने के करीब आ गया था, उसका लंड भी थरथराने लगा; देखते ही देखते उसके लंड से पहली पिचकारी निकली… सीधा आफरीन के गले के अंदर… उसके बाद की तीन चार पिचकारियां आफरीन के जीभ, होठों पे गिरी।

इस अचानक घटना से आफरीन का दम घुटने लगा, दीपक ने अपना लंड बाहर निकाला और बाकी की पिचकारियां आफरीन के मुँह पे, आंखों पर, बालों पर छोड़ दी। गले में उतरे हुए वीर्य का स्वाद आफरीन को बहुत अच्छा लगा। जैसे जैसे दीपक का जोर कम होता गया वैसे वैसे वीर्य उसकी ठोड़ी, गले पर पड़ने लगा,

मुँह में होठों पर पड़ा वीर्य आफरीन चाट गयी और अपनी साफ जीभ दीपक को दिखाई। दोनों ही एक दूसरे की तरफ देख कर हँसे।

फिर आफरीन ने ग़ले पे, आँखों पर पड़ा वीर्य उंगलियों से इकट्ठा किया और अपने मुँह में डाला। दीपक ने भी गर्दन पे पड़ा वीर्य अपने मूसल लंड पे इकट्ठा किया और लंड आफरीन की मुँह में डाल दिया। आफरीन भी लत लगने जैसा उसका लंड चाट, चूस कर साफ कर दिया।



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Afreen pani chatate huye


दीपक अब थक कर आफरीन के शरीर पर लेट गया, दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा, दोनों की आंखों में समाधान साफ झलक रहा था। आफरीन ने उसके गले में हाथ डालकर उसके होठों पर अपने होंठ रखे और चूमने लगी। दीपक भी उतने ही ज़ोरों से उसको प्रतिसाद दे रहा था।

सीधी साधी पाक़ीज़ा आफरीन के जिंदगी की यह भयावह रात अब उसके लिए स्वर्गीय सुख की अनुभूति दे रही थी।

उस थकने वाले अनुभव के बाद दोनों बातें कर रहे थे। कुछ घंटे पहले जो लड़की इस राक्षसी आदमी का चेहरा भी देखना नहीं चाहती थी, उसी आदमी के पास नंगी लेटकर इस तरह बातें कर रही थी कि जैसे जन्म जन्म की प्रेमिका हो। दीपक को भी यह सब अच्छा लग रहा था, जिस तरह आफरीन अपनी मर्जी से इस खेल में शामिल हो गई।

आफरीन का विरोध देख कर पहले तो उसे लग रहा था कि पटा नहीं वह अपने मंसूबों में कामयाब भी हो पायेगा या नहीं… और उसके परिणामों का डर भी लग रहा था। मगर अंत में वह एक शर्मीली परी को अपनी प्रेमिका बनाने में सफल हुआ था।

वे दोनों बातें कर रहे थे, बीच बीच में एक दूसरे को किस कर रहे थे। दीपक बीच में उसके निप्पल्स को चूसता, उनको काटता, उस पे आफरीन दर्द से कराह उठती फिर उसको देख कर मुस्कुरा देती। आफरीन के हाथ दीपक के पूरे बदन पर घूम रहे थे, खास कर उसके मूसल जैसे लंड पर और बड़े बॉल्स पर… वह अब उस लंड के प्यार में पड़ गयी थी, उसको अब समझ में आ गया था कि वो उससे अब दूर नहीं रह सकती।

आफरीन का ध्यान अब घड़ी की तरफ गया, घड़ी में रात के 12:15 बज रहे थे। वह सोचने लगी सलीम का फ़ोन लगभग 10 बजे आया था, और उनकी कामक्रीड़ा तभी से ही शुरु हुई थी। मतलब दो घंटे तक चल रही थी, उसको यह देखकर धक्का लगा, निगाह के बाद उसने जितना भी सेक्स किया था वह सब लगभग 10-15 मिनट चलता था, उसमें भी वो थक जाती थी। पर वह पिछले दो घंटे से फोरप्ले ही कर रही थी, अभी तक दीपक ने उसे चोदा भी नहीं था। वह कितने समय चलेगा… चार घंटा?


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Afreen deepak ke.sath
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#25
पड़ोस के दीपक भाईजान-4

कहानी का पिछला भाग: पड़ोस के दीपक भाईजान-3

दीपक ने केबल पर लगी हुई हिंदी ब्लू फिल्म चालू कर दी तो आफरीन शर्मा गयी। उसको शर्माते हुए देख कर दीपक हंसने लगा।

आफरीन ने पहले कभी हिंदी ब्लू फिल्म नहीं देखी थी। सलीम भी इतना रोमान्टिक नहीं था कि उनके साथ बैठ कर पोर्न फिल्म देखे। उसकी हमेशा से ही ऐसी फ़िल्म देखने की चाहत थी और दीपक उसकी यह इच्छा भी पूरी कर रहा था।

सोचते सोचते उसे यह अहसास हुआ कि दीपक अपना हाथ कंधों पर से लाते हुए उनके दोनों स्तनों को पकड़ कर दबा रहा है। उसने दीपक की तरफ देखा; उसकी ओर देखते ही आफरीन शर्मा गयी, उसके शर्माने से दीपक मचल उठा और आफरीन को अपने तरफ घुमाया। अब उसने आफरीन के स्तन मसलने शुरू कर दिए; वह वो गोल गोल मम्मे दबा रहा था, उनको अपने हाथों से तोल रहा था, उसके चॉकलेटी निप्पल्स को मसल रहा था। उसकी इन हरकतों का आफरीन पे असर होने लगा, उसकी सांसें तेज होने लगी।

दीपक अब नीचे झुककर दोनों निप्पल्स को बारी बारी चूसने लगा। आफरीन ने अपने शरीर को पीछे ले जाते हुए सोफे पर पीठ के बल लेट गयी, हैंड रेस्ट पर अपना सर रख कर। दीपक छोटे बच्चे की तरह उसके दोनों निप्पल्स को चूस रहा था; मगर इस बार बड़े ही प्यार से, पिछली बार की तरह वहशीपन से नहीं।

आफरीन भी अपने हाथों को उसके पूरे शरीर पर घूमा रही थी। उसके सीने के बाल, उसका वो मर्दाना शरीर, कसरती आकार, उसके मसल्स, उसकी कसी गांड सब पर हाथ घुमाकर उसको प्रोत्साहित कर रही थी। “आह… राजा… तुम को सच में पता है कि मुझे कहाँ कहाँ स्पर्श करना है। तुमसे मिलने के पहले मुझे सच में पता नहीं था कि सेक्स में इतना मजा मिलता है। मैं बहुत खुश हूं यह सब करके। सच में तुम मेरी जिंदगी का पहला सौाहर से भि जायदा प्यारे हो!”

दीपक ने अपना मुँह निप्पल्स से हटाते हुए आफरीन के होठों की तरफ ले जाते हुए उसको एक प्यार भरा किस किया; आफरीन ने भी वापस उसको किस किया। दीपक बोला- जान… जब से तुम्हें देखा है तब से मैं तुम्हें चोदना चाहता था, आज मेरी यह इच्छा पूरी होने जा रही है। तुम बेपनाह हुस्न की मल्लिका हो और तुम्हारे हुस्न की अच्छे से सेवा होनी ही चाहिए। अब मैं तुम्हारी चूत को कभी भी भूखा नहीं रखूंगा, तुम्हारे बदन की सारी भूख मैं शांत करूँगा, जब भी तुम्हें चाहिए और जब भी मुझे चाहिये! यह कहकर उसने फिर से आफरीन को एक लंबा किस किया.





उसके मुँह से अपनी तारीफ आफरीन को अच्छी लगने लगी थी; सच में आफरीन अब पूरी तरह दिपक से प्यार करने लगी थी। दिपक ने ऊपर के होंठ छोड़ कर अब नीचे के खड़े होठों को अपने मुँह में लिया। आफरीन के दाने को अपने होठों में पकड़कर जीभ से उसके साथ खेल रहा था। उसकी इसी हरकत से आफरीन का बांध छुटा, काम रस झरने की तरह बहते हुए दीपक के मुंह के अंदर जाने लगा। वह उत्तेजना में ज़ोरों से सिसकारती हुई सोफे पे गिर गई।

शांत होने के बाद उसने दीपक की तरफ देखा और बोली- दीपक भाई, मुझे यह उधार चुकाना है!

‘ आफरीन को क्या चाहिए’ यह समझ में आते ही दीपक सोफे के पास उठ कर खड़ा हुआ; उसका खड़ा लंड आफरीन के मुँह पर टकरा रहा था; आफरीन ने भी अपने दोनों हाथों से दीपक के लंड को जड़ से पकड़ा और पिछली बार जहाँ से ख़त्म किया था वही से अपनी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू कर दी। पिछली बार की तुलना में वह अब अधिक अच्छी तरह से लंड को चूस रही थी। उसके मुँह का नर्म, गर्म स्पर्श पाते ही उसका लंड और फूल गया। आफरीन भी उसका लंड ज्यादा से ज्यादा अंदर ले रही थी; आधे से ज्यादा लंड अपने मुह में ले कर कर चूस रही थी, उसके आकार की अब आदि हो रही थी।

थोड़ी देर की चुसाई के बाद दीपक ने आफरीन को रोका और आफरीन को अपने ऊपर इस तरह सोने को बोला कि आफरीन की चुत बराबर उसके मुंह के सामने हो और दीपक ला लंड आफरीन के मुख के सामने- जान इसे 69 पोजीशन कहते हैं, इसमें हम दोनों को मजा आएगा।

सामने शोकेस में दोनों की छवि देख कर उसको समझ में आ गया कि 69 क्यों कहते हैं। आफरीन अब दीपक का लंड जितना हो उतना मुँह में लेकर चूसने लगी; वह कुछ भी कर के अपने प्रियतम को खुश करना चाहती थी। दीपक भी उतनी ही मेहनत कर रहा था। दोनों में कम्पीटीशन होने लगा था कि कौन किसको पहले खुश करता है।

दीपक ने आफरीन की गोल गोल गोरी गोरी गांड हाथों में पकड़ कर फैला दी थी और चुत में जीभ डाल कर चोद रहा था। दीपक की अनुभवी जुबान आफरीन को अपने अंजाम तक पहुँचा रही थी पर दीपक झड़ने के करीब भी नहीं था। आफरीन को दीपक का स्टैमिना देख कर आश्चर्य लगा, सलीम तो अब तक झड़ कर सो भी चुका होता।

दीपक ने एक उंगली आफरीन की चुत में डाल कर अंदर बाहर करनी शुरू कर दी तो दूसरी उंगली से उसके गांड के छेद की मालिश करने लगा। फिर हल्के से वह उंगली उसकी गांड में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। उसका चूसना और उंगली से चुत और गांड को चोदना आफरीन के लिए बहुत था अपने मुकाम तक पहुँचाने के लिए। अपने मुख से दिपक का लंड निकालकर वह जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। उसकी चुत का रस ज़ोरों से बहते हुए दीपक के मुंह में जा रहा था।

आफरीन थक कर दीपक के शरीर पर गिर गयी, उसका मुंह दीपक की जांघों के बीच था। दीपक ने भी चूसना रोक दिया।

शांत होने के बाद आफरीन उठ कर साइड में बैठ गयी; दीपक भी उठ कर बैठ गया और आफरीन की और देख कर मुस्कुराने लगा- हा हा हा… तुम हार गई! उस पे आफरीन बोली- तुम्हारी जुबान का कोई मुकाबला ही नहीं… मेरा उसके सामने टिक पाना असंभव 

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Afreen aur deepak
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#26
पड़ोस दीपक भाई जान 5



दीपक का लंड अभी तक खड़ा था।

“तुम इसको और कितनी देर खड़ा रखने वाले हो, यह बच्चों का खेल बहुत हुआ अब हमको बड़ों का खेल खेलना चाहिए.” आफरीन ने बेशर्मी से बोला। “हा हा हा रानी… मुझे अच्छा लगा तुम्हारा खुल कर बोलना। तुम तेल लेकर बैडरूम में आओ, अब मैं तुम्हें स्वर्ग की सैर करवाता हूँ.”

दोनों ही सोफे से उठे, दीपक बेडरूम की तरफ जाने लगा, आफरीन ने वहीं पास में टेबल पे रखी तेल की शीशी ली, घड़ी की तरफ देखा तो 2:30 बजे थे, मतलब दूसरा राउंड भी दो घंटे तक चला था। अब उसे यकीन था कि तीसरा राउंड सुबह तक चलेगा। यह सोचकर ही वह हँसने लगी, वह खुद भी सोच रही थी कि उसने इतनी टाइम यह सहन कैसे किया है।

टेबल के पास खड़ी होकर वह सोच रही थी, उसी वक्त दीपक बैडरूम से बाहर देखने को आया के इतना टाइम क्यों लग रहा है। आफरीन के पास जाते ही दीपक ने आफरीन को अपनी तरफ घुमाया और जोर से गले लगाकर ऊपर उठाया। आफरीन ने भी अपने पैरों से उसकी कमर को पकड़ा और अपनी बांहों से उसके गले को पकड़ लिया। दीपक आफरीन को उसी अवस्था में होठों पे चूमते हुए बैडरूम में ले गया, उसे धीरे से बेड पर लिटाते हुए खुद भी बेड पर चढ़ गया।


कुछ समय उसको चूमने, स्तनों से खेलने के बाद उसने आफरीन को नीचे लिटाया, उसके दोनों पैर अपने हाथों से पकड़ कर फैलाते हुए उसके पैरों के बीच में आ गया। उसका लंड अब आफरीन की जांघों से टकरा रहा था- चलो आफरीन, अब हम दोनों जन्नत की सैर करके आते हैं.

दीपक ने एक हाथ की उंगलियों से आफरीन की चुत की पंखुड़ियों को अलग किया तो दूसरे हाथ से अपने लंड का टोपा उसकी चुत में फंसा दिया। तेल की शीशी हाथ में लेकर के उसने तेल की धार अपने लंड पर छोड़ी फिर हाथ से तेल अपने काले लंड पर फैला दिया।

थोड़ा तेल आफरीन की चुत पर छोड़ते हुए उसने चुत को भी चिकना बना दिया। तेल की शीशी साइड में रखते हुए उसने आफरीन के पैर और फैला दिए और नीचे झुकते हुए वह अफर्रवन के एक निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा। धीरे धीरे वह अपना लंड आफरीन की चुत में दबाने लगा; तेल की वजह से चिकनी हुई चुत में धीरे धीरे लंड अंदर घुसने लगा। लंड की वजह से आफरीन की चुत की दीवारें पहले कभी जितनी नहीं तनी थी उतनी तन गयी थी। आफरीन को अपनी चुत तनने का अहसास हो रहा था, सलीम का लंड 5.5 इंच का जरूर था पर इतना मोटा नहीं था। उस वजह से आधा लंड अंदर जाने के बाद दीपक को कोई कुंवारी चुत जैसा ही कसाव महसूस हो रहा था, उसको हर धक्के के लिए जोर लगाना पड़ रहा था।

हर धक्के पर आफरीन चिल्ला उठती, उसको होने वाले दर्द का अहसास दीपक को भी था, वह भी उतने ही दर्द में था। पर दर्द के बावजूद मिलने वाला जन्नत था।

आफरीन ने खुद ही अपने पैर और फैला दिए ताकि दीपक को और जगह मिल जाये। दीपक ने भी अब आफरीन के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।



उसका लंड अंदर लेने में आफरीन को बहुत दर्द हो रहा था। उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे थे, उसकी चुत तो मानो फट ही गयी थी। उसका लंड बिल्कुल मूसल की तरह लग रहा था, अभी भी आधे से थोड़ा ज्यादा अंदर घुसा था। इसके आगे की आफरीन की चुत बिल्कुल कोरी थी।

दीपक ने अपने दोनों हाथों से आफरीन की चुचियों को ज़ोरों से भींचा, नीचे झुकते हुए उसके होठों को अपने होठों में कैद किया और अपनी कमर का एक झटका जोर से आफरीन की कमर पर मारा। आफरीन की चीख दीपक के मुख में ही दब गई। दीपक का पूरा लंड आफरीन की चुत में समा गया था। आफरीन को जोर से पकड़ते हुए दीपक उसके शरीर पर ही पड़ा रहा। आफरीन का तो पूरा शरीर थरथराने लगा था, उसकी आँखों से आंसू की धारा बह रही थी। दीपक अब उसके पूरे चेहरे पर किस कर रहा था।

अपनी कमर को जरा भी ना हिलाते हुए उसने अपना सर नीचे किया और आफरीन के निप्पल चूसने लगा। एक निप्पल को बड़े ही प्यार से चूसते समय दूसरे स्तन को दबा रहा था।

आफरीन की चुत का रस अब कम हो रहा था। दीपक की कामुक हरकतों की वजह से उसका बदन फिर से तैयार हो रहा था, उसकी चुत में अब आग लग गयी थी, वह आग अब दीपक के लंड के पानी से ही बुझेगी।

दीपक की पीठ को पकड़े हुए उसके हाथ अब ढीले पड़ गए थे, वह अब उसके बालों को सहलाने लगे। दीपक को यह इशारा काफी था, उसने मुँह ऊपर कर के आफरीन से पूछा- बहुत दर्द हो रहा है क्या? “नहीं मेरे राजा… तुम जो जन्नत दे रहे हो, उसके सामने यह दर्द कुछ भी नहीं है… अब मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं… सिर्फ जन्नत ही दूंगी.



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Afreen ko chodte huye deepak
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#27
पड़ोसी दीपक भाई जान 6


“फिर शुरू करें खेल?” दीपक हँसते हुए बोला। “किसने रोका है, तुम ही कितनी देर से बिना कुछ किये पड़े हो.” आफरीन चिढ़ाते हुए बोली।

तब दीपक ने फिर से पोजीशन ली, आफरीन की चुत में धंसा लंड उसने बाहर खींचा। चुत की दीवार लंड के साथ ही बाहर खिंची चली आई, यह अहसास दोनों को हुआ। इस बार दीपक ने आफरीन की कमर को अपने हाथों से पकड़ा और बोला- चलो जानेमन, अब… दोनों स्वर्ग की सैर करके आते हैं।

आफरीन अपने दोनों हाथों से बेड को पकड़ कर झटके के लिए तैयार हुई। दीपक ने एक ही झटके में अपना लंड पूरी गहराई में उतार दिया। आफरीन उसके लिए तैयार थी, दांत होंठ भींच कर उसने वह दर्द सहन किया। दीपक ने अब राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड पकड़ ली, हर धक्के के साथ उसकी स्पीड बढ़ रही थी, आफरीन को तो बेड भी हिलता लग रहा था, उसका लंड हर धक्के के साथ आफरीन की बच्चेदानी को जा टकराता था।

आफरीन चीख रही थी, सिसकारियाँ ले रही थी, चिल्ला रही थी, पर यह दर्द के साथ मिलने वाले सुख का असर था; यह उसकी जिंदगी का सबसे बढ़िया सेक्स था- आआह… मेरे रा..जा… चोद… चोदो मुझे… जोर से… और जोर से… बहुत अच्छा लग रहा है… मुझे ऐसे ही चोदते रहो… जिंदगी भर… मेरे राजा… तुम मेरे जिंदगी के पहले सच्चे मर्द हो…

आफरीन की सिसकारियों की वजह से उत्तेजित होकर दीपक ने और जोर से चुदाई शुरू कर दी। शुरू से ही टॉप स्पीड में चल रही गाड़ी स्पीड कम करने का नाम ही नहीं ले रही थी। आफरीन के स्तन इतनी ज़ोरों से हिल रहे थी कि देखने पर एक कि जगह दो का आभास होता था। दीपक के चुदाई शुरू करने के बाद से आफरीन दो बार झड़ गयी थी।



अब दीपक ने भी अपनी स्पीड कम कर दी और रुक गया, अपना लंड उसकी चुत में गड़ाकर उसके ऊपर ही लेट गया। वह आफरीन के गर्दन पर, होठों पर, निप्पल्स को चूमता और काटता। पर आफरीन को उसकी परवाह नहीं थी, उसको तो बस वही सुख चाहिए था जो दीपक के लंड से उसे मिल रहा था।

बेडरूम में बेड के पास एक बड़ा सा आईना था, दीपक ने आफरीन को उठने को बोला और बेड पर डॉगी पोजीशन में होने को बोला, उसका सर आईने की तरफ रखा। फिर उसके पीछे जाकर उसने अपना लंड आफरीन के चुत के दरवाजे पे लगाया। दोनों ने आईने की तरफ देखा, सामने का नजारा बिल्कुल मनोहर था। आफरीन के गोले बड़े मम्मे नीचे लटक रहे थे, गांड ऊपर उभरी हुई थी। उस नाजुक परी के पीछे सांवला, बिल्कुल विद्रूप नहीं पर ठीक ठाक दिखने वाला, लंबा चौड़ा दीपक अपने घुटनों पर खड़ा था।

उस दृश्य से उत्तेजित हो उठे दीपक ने एक ही झटके में अपना लंड पूरा का पूरा आफरीन की चुत में पेल दिया। आफरीन उस धक्के से बैड के नीचे गिर जाती पर दीपक ने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ रखा था।

दीपक ने अब धक्के लगाने शुरू कर दिए, इस बार वह प्यार से धीरे धीरे धक्के लगा रहा था। फिर थोड़ी देर बाद उसने धक्के रोके, लंड को चुत से बाहर निकाला, और फिर से ज़ोर से पेल दिया। आफरीन इस बात से बिल्कुल अनजान थी। इस तेज धक्के की वजह से उसकी चुत ने फिर से पानी छोड़ दिया।

लेकिन दीपक ने धक्के देने जारी रखे, उसकी बहती चुत में… थोड़ी देर बाद दीपक ने धक्के रोक दिए, आफरीन को नीचे उतारकर अपनी तरफ घुमाया, फिर आफरीन को उठाया। आफरीन ने अपने पैरों से दीपक की कमर को भींच लिया और हाथों से गर्दन को।

दीपक ने उसी अवस्था में अपना लंड आफरीन की चुत में डाल दिया और खड़े खड़े ही चोदने लगा। दीपक ने लगभग 10 मिनट आफरीन को उसी पोजीशन में चोदा। आफरीन तो झड़ने की गिनती ही भूल गयी थी लेकिन दीपक है कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।





इसके बाद दीपक ने आफरीन को दीवार से सटा कर, कुर्सी पर, टेबल पर सोफे पर ऐसी बहुत जगह पर चोदा फिर उसे बैड पे लिटाकर उसके ऊपर सवार हो गया। दोनों ही इस दमदार चुदाई से थक गए थे, दीपक फिर भी जोर लगा कर चोद रहा था।

आफरीन भी अपने दोनों हाथ उसके पूरे शरीर पर घुमा रही थी, आफरीन ने अपने दोनों हाथ दीपक की गांड पर रखे और जोर से अपने भीतर धकेलने लगी। उसी समय आफरीन ने दिपक की छाती पर हमला कर दिया, वह दीपक के छोटे छोटे निप्पल्स को अपने होठों में पकड़ कर चूसने काटने लगी।

यह दीपक के लिए ज्यादा हो गया, जोर जोर से चिल्लाते हुए वह रात में दूसरी बार झड़ गया; लावा फटने की तरह उसका लंड अपना पानी आफरीन की बच्चेदानी में छोड़ने लगा। उसका गरम लावा चुत में पड़ते ही आफरीन का भी बांध छूट गया और वह भी झड़ने लगी, दोनों ने एक दूजे को जोर से भींच लिया था।

थोड़ी देर बाद उन पे वासना का असर कम हुआ। सांसें सामान्य होने के बाद दोनों फिर से किसिंग में खो गए।

दीपक आफरीन को बांहों में उठाते हुए बाथरूम में ले गया। आफरीन को कमोड पे बिठाते हुए अपना लंड आफरीन की मुँह में डाल दिया। आफरीन ने भी मूतते हुए दीपक का लंड चाट कर साफ कर दिया। फिर दोनों ने साथ में शावर लिया।

एक दूसरे को साफ करते वक्त दीपक फिर से गर्म हो गया और दोनों ने शावर में ही सेक्स का एक फ़टाफ़ट वाला दौर चलाया। बाथरूम से बाहर आने के बाद आफरीन ने घड़ी देखी तो 4 बजे थे। आफरीन ने मुस्कुराते हुए सोचा कि जैसे दीपक ने बोला था वैसे उसने आफरीन को सुबह तक चोदा। फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।

छह सात घंटे की लगातार चुदाई के बाद उनके लिए नींद बहुत जरूरी थी क्योंकि आगे के दो दिन जब तक नीतू वापस नहीं आती, तब तक उनको यही कारना था।



दूसरे दिन दोनों 9 बजे उठे। दीपक ऊपर अपने रूम में जाकर अपना मोबाइल लेकर आ गया। फिर आफिस में कॉल कर के 2 दिन की छुट्टी मांग ली। फिर वो दोनों दिन उसने आफरीन के घर की हर जगह पे तीन चार बार चोदा। आफरीन भी बड़े प्यार से उसे सब कुछ करने दे रही थी।

सलीम ने निगाह के बाद आफरीन को इतना नहीं चोदा होगा जितना दीपक ने उसको दो दिन में चोदा था। आफरीन की चुत तो सूज के ब्रेड की तरह फूल गयी थी पर फिर भी दोनों की मस्ती कम नहीं हुई थी। सायद सब लोग दूसरे की बिबिया चोदने के ज्यादा सौखीन होते है
समाप्त


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Bathroom me deepak chodte hua afreen ka tang faad kar
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#28
Update


पंडित जी की रखैल बन गयी बुसरा




मेरा नाम बुशरा कमाल है, 26 वर्ष की हूँ, मैं एक गरीब परिवार से हूँ. परिवार में सिर्फ मैं ही कमाती हूँ, मेरी पिछले वर्ष ही एक छोटे कस्बे में बैंक में नौकरी लगी है.
नौकरी ज्वाइन करने के बाद मैं वहाँ किराए का एक कमरा ढूँढने निकली.

बैंक के एक कर्मचारी ने मुझे एक दुकानदार का पता दिया और बोला- शायद वो आपको कमरा दिलवा दे.
मैं दुकानदार से मिली, तो उसने मुझे एक पण्डित जी का एड्रेस दिया और बोला- वो बड़ा ही खडूस है, पता नहीं कमरा देगा या नहीं, वो शायद शाकाहारी है, शायद इसलिए वो आपको कमरा न दे. लेकिन आप फिर भी बात करके देख लीजिये.

मैं उसके बताये हुए पते पर जाकर उनसे मिली. ‘पण्डित जी’ ने मुझसे दो चार सवाल पूछे और फिर मुझे कमरा दिखा दिया. किराये आदि की बात मैंने कर ली.
पण्डित जी बोले- आप जब चाहें, शिफ्ट कर लीजिये.
बातो बातों में मैंने उनसे कहा- मैं यहाँ कभी भी माँसाहारी भोजन नहीं बनाऊँगी.
इसके जवाब में वो बोले- जी, मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी, आप जैसा चाहे वैसा भोजन बनायें, मैं खुद भी तो बनाता हूँ अपने घर में.

पण्डित जी की उम्र चालीस वर्ष के आस पास होगी, वो विधुर थे, न ही उनके कोई संतान थी. अकेले ही सादा जीवन गुजार रहे थे. बैंक के कर्मचारी उन्हें जानते थे, सबने कहा कि बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं.
मैं निश्चिंत होकर अगले दिन ही उनके यहाँ किराए पर रहने पहुँच गयी.

पण्डित जी ने मुझे कमरे की चाभी सौंप दी, फिर बोले- आप को किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो आप बेझिझक मुझे फ़ोन कर दीजिएगा.

मैं अपना सामान कमरे में सेट करने लगी.

पण्डित जी ने चाय नाश्ता बना कर मेरे कमरे में अपने नौकर के हाथ भिजवा दिया. शाम को मैंने उन्हें चाय के लिए धन्यवाद दिया.
पण्डित जी ने कहा- अभी आपकी रसोई में तो कुछ सामान तो होगा नहीं. ये छोटी जगह है, यहाँ रात में बाहर कुछ ढंग का नहीं मिलेगा खाने में. जब तक कोई इंतज़ाम नहीं है, आप बेझिझक मेरी रसोई का इस्तेमाल कर सकती हैं.
मैंने उन्हें हेल्प के लिए फिर से धन्यवाद दिया.

फिर औपचारिक बातें हुई. मैंने उन्हें अपने परिवार की तंग हालत के बारे में बताया. पण्डित जी ने भी अपनी दुखद जिंदगी के कुछ पहलु मुझसे शेयर किये.
फिर मैंने पण्डित जी से कहा- आज दोनों लोगों का खाना मैं ही खाना बनाती हूँ, अगर आपको आपत्ति न हो तो?
पण्डित जी बोले- भाई वाह, नेकी और पूछ पूछ. मुझे क्यों आपत्ति होगी?

खाना खाकर पण्डित जी बहुत खुश हुए और बोले- बरसों बाद इतना स्वादिष्ट खाना मिला है. मुझसे तो बन ही नहीं पाता है ऐसा.
मैंने कहा- पण्डित जी, आपको जब भी स्वाद चेंज करने का मन हो तो बोलियेगा, मैं बना दिया करुँगी.

खाना खाकर मैं अपने कमरे में आकर सामान सेट करने लगी. फिर घर पर फ़ोन करके अपनी खैरियत बता दी.
कुछ दिन में मेरा कमरा ठीक से सेट हो गया. कुछ महीने तक सब कुछ सही चला.

एक बार मेरे घर में कुछ तकलीफ हो गयी, मुझे काफी रूपए भेजने पड़े. रात में मैं अम्मी से बात करते समय रो रही थी. अगले दिन मुझे घर का किराया देना था.
मैंने पण्डित जी को सुबह किराया दिया. पण्डित जी बोले- बुशरा, बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?
मैंने कहा- नहीं, पूछिए?
पण्डित जी बोले- मुझे पूछने का हक तो नहीं, लेकिन कल रात तुम कुछ परेशान थी, तुम्हारे रोने की आवाज़ आ रही थी?

मैंने पण्डित जी को घर की तंगी के विषय में बता दिया. उन्होंने उसी पल मुझे वो किराया और पिछला जमा किया अडवांस लौटा दिया और बोले- अगर तुम मुझे ये रूपए बाद में दे दो, तो भी कोई बात नहीं, अभी ये तुम रख लो, तुम्हें जरूरत है.
मैंने न-नुकुर की तो वो बोले- बुशरा तुम्हारा एहसान है मुझ पर, वो उस दिन जो खाना खिलाया था.

मैं भाव विह्वल हो कर बोली- पण्डित जी, मैं अब हर रोज आपके लिए खाना बना दिया करुँगी, मना मत करियेगा, कम से कम एहसान का बदला तो चुकाने दीजिये मुझे. मैं जल्द से जल्द आपके पैसे लौटा दूँगी.
पण्डित जी बोले- ठीक है बुशरा, अब परेशान मत हो, पैसों की मुझे कोई ऐसी जल्दी नहीं जब हों तब दे देना.

तब से पण्डित जी और मेरी रसोई एक हो गयी. पण्डित जी अक्सर राशन खुद ही ला देते थे, कभी मैं ला देती थी. इस तरह हम दोनों का खर्चा भी कम होता था. पण्डित जी अकसर चिकन लाकर पकवाते थे और चाव से खाते थे.

एक दिन की बात है. मैं बाथरूम में नहा रही थी, मुझे ऐसा लगा कि कोई रोशनदान से झाँक रहा है. मैंने ध्यान से देखा तो पण्डित जी थे. मुझसे नज़र मिलते ही पण्डित जी वहाँ से खिसक लिए. मुझे पण्डित जी पर गुस्सा नहीं आया बल्कि तरस आने लगा, क्योंकि वो लम्बे समय से विधुर थे, औरत का सानिध्य उन्हें मिलता नहीं. शायद यही आकर्षण उन्हें अन्दर झाँकने पर मजबूर कर रहा हो.
नहाने के बाद मैं रात का खाना बनाने रसोई में गयी तो पण्डित जी मुझसे नज़र चुरा रहे थे. मैंने खाने की दो थाली लगा दी, फिर पण्डित जी को खाने के लिए बुलाया. पण्डित जी अपराध बोध से मुझसे नज़र नहीं मिला रहे थे.
मैंने उन्हें तसल्ली दी- पण्डित जी, अगर आप सोच रहे हैं कि मैं आप पर नाराज़ हूँ, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. आप प्लीज़ खाना खाइए.
पण्डित जी धीरे धीरे बेमन से खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद उन्होंने मुझसे माफ़ी मांगी.

मैंने पण्डित जी को गले लगा लिया और बोली- मैंने कहा न आपसे! कि मैं कतई नाराज़ नहीं हूँ आपसे. मुझे पता है, आपकी पत्नी के देहांत के बाद आपने शारीरिक सुख नहीं पाया है. किसकी इच्छा नहीं होती उस सुख को पाने की. जैसे आप तड़प रहे हैं उस सुख के लिए, वैसे ही मैं भी कभी कभी तड़पती हूँ. ये तो हर इंसान की जिस्मानी जरूरत है. हम दोनों चाहें तो एक दूसरे की जरूरत पूरी कर सकते हैं. पण्डित जी! प्लीज़ न मत करियेगा.
पण्डित जी को काटो तो खून नहीं!
‘अब आप आराम करिए, मैं जरा किचन साफ़ कर देती हूँ.’

पण्डित जी बगैर कुछ बोले अपने बेडरूम की ओर चले गए. मैंने फटाफट किचन और बर्तन साफ़ किये और पण्डित जी के बेडरूम पहुँच गयी. पण्डित जी लाईट ऑफ़ करके लेटे हुए थे. मैंने अपना गाउन उतारा और पण्डित जी के बगल में लेट गयी. उस समय मैंने सिर्फ ब्रा और पैंटी पहन रखी थी. पण्डित जी ने सिर्फ अंडरवियर ही पहन रखी थी.

मैं जैसे ही पण्डित जी से चिपकी, वो चौंक के जग गए.
मैं बोली- पण्डित जी, मैं हूँ बुशरा, मुझसे रहा नहीं गया. आपकी तरह मैं भी प्यार की भूखी हूँ. प्लीज़ मुझे प्यार करिये.

मैं पण्डित जी के लिंग को अन्डरवियर के ऊपर से सहलाने लगी. उनका लिंग भी उत्तेजित होने लगा था. मैंने धीरे से उनका अंडरवियर नीचे करके लिंग को हाथ में पकड़ लिया. उनका लिंग और सख्त होने लगा.
पण्डित जी एकदम चुप थे.
मैंने उनके लिंग को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. अँधेरे में भी मुझे अंदाजा लग गया था कि पण्डित जी का लिंग बहुत विकराल साइज़ का है.

पण्डित जी धीरे धीरे सिसकारी ले रहे थे. मैंने पण्डित जी के हाथ को थोड़ी देर में अपने दायें स्तन पर महसूस किया. वो बहुत ही हल्के हल्के मेरे स्तन को दबा रहे थे. पांच मिनट में ही मैंने उनका लिंग चूस चूस कर पूरा उत्तेजित कर दिया था.

पण्डित जी उठकर बैठ गए और मेरी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश करने लगे, कई कोशिशें नाकाम गयी तो मैंने खुद ही अपनी ब्रा उतार के अपने उरोजों को बेपर्दा कर दिया.
अब पण्डित जी मेरे दोनों स्तनों को दबाते हुए मुखमैथुन का मजा ले रहे थे, जिसकी गवाही कमरे में गूँज रही उनकी सिसकारी दे रही थी.

जब मैंने उनके अंडकोष का चुम्बन लिया तो पण्डित जी ने मेरे स्तनों को जोर से भींच दिया, जो मुझे बहुत आनन्ददायी लगा. जितनी देर मैंने उनके अन्डकोशों को हाथ में लेकर चूसा और पुचकारा, उतनी देर वो मेरी चूचियों को जोर जोर भींचते रहे.

फिर मैं धीरे से बिस्तर से उठी, अपनी पैंटी उतारी और पण्डित जी की गोद में बैठ कर उनसे चिपक कर उन्हें चुम्बन देने लगी. पण्डित जी ने इस बार जोरदार साथ दिया और मेरे होठों का खूब रसपान किया. वो अपनी कमर हिला हिलाकर लिंग को मेरी योनि से रगड़ रहे थे.

मैंने धीरे से अपनी कमर उठाई और उनका लिंग पकड़कर अपनी योनि के मुंह पर सेट किया और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी. उनके लिंगमुंड का गर्मागर्म स्पर्श जब मेरी योनि पर हुआ तो मेरे शरीर में सुरसुरी दौड़ गयी. उनका लिंग मुंड मेरी योनि में प्रवेश कर गया.

पण्डित जी उत्तेजनावश मुझे कमर से पकड़ कर नीचे खींच रहे थे. मुझे मीठा मीठा उत्तेजक दर्द होने लगा. मैंने धीरे धीरे ऊपर नीचे करते हुए उनके लिंग का अपनी योनि में मर्दन किया. योनि से तरल स्राव होने लगा, जिससे लिंग आराम से अन्दर बाहर हो रहा था. मैं आनन्द सागर में तैरने लगी.

पण्डित जी ने कमर उठा कर नीचे से एक थाप मारा, तो थोड़ा सा लिंग मेरी योनि में और घुस गया. मुझे हल्की सी पीड़ा हुई.
पण्डित जी ने मेरे स्तन के अग्र भाग को मुंह में ले लिया और चूसने लगे. उत्तेजना ने मेरी पीड़ा को हर लिया, मेरे निप्पल एकदम तन गए. पण्डित जी ने बारी बारी से दोनों निप्पलों को जोर जोर से चूसते हुए नीचे से थाप मारते हुए अपना लिंग पूरा मेरी योनि में प्रवेश करा दिया.

उनका लिंग बहुत विकराल था लेकिन उन्होंने अनुभवी प्रेमी की तरह प्यार करते हुए उसे मेरी योनि में घुसा ही दिया. मेरी योनि ने छल्ले की तरह से उनके लिंग को जकड़ रखा था.
अब मैंने मोर्चा संभाल लिया, पण्डित जी चित लेट गए और मैं धीरे धीरे ऊपर नीचे करते हुए सम्भोग का मजा लेने लगी. उधर पण्डित जी मेरे स्तनों को भींच भींच कर दूध दुहने की नाकाम कोशिश में लगे पड़े थे और बीच बीच में वो अपनी कमर उठा उठाकर तेज तेज लिंग को मेरी योनि में मर्दन कर देते थे.

उनकी इस क्रिया की मेरे बदन में प्रतिक्रिया हुई, मैं इतनी ज्यादा उत्तेजित हो उठी कि मेरे शरीर में सुरसुरी उठने लगी, साँसें तेज हो गयीं, स्तनों और निप्पलों में सख्ती बढ़ गयी, योनि और गुदा दोनों के सुराख और कस गए और ऐसा महसूस हुआ जैसे योनि की दीवारों से पानी रिस रहा हो.

इसी बीच पण्डित जी ने फिर कमर उठा उठा कर जोरदार झटके मारना चालू कर दिए. मैं अपने हाथों से उनकी कमर को नीचे दबाकर उन्हें रोकने लगी मगर वो नहीं रुके. मैं जोर से चिल्ला उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और उनके ऊपर निढाल होकर चित लेट गयी. मेरा चरमोत्कर्ष हो गया था, बदन काँप रहा था, योनि बार बार मेरी तेज सांस के साथ साथ संकुचित हो रही थी और मुझे योनि के अन्दर पानी रिसता हुआ महसूस हो रहा था.

पण्डित जी ने झटके मारना रोक लिया और उन्होंने मुझे बांहों के घेरे में ले लिया और मुझे चूमने लगे.

हम दोनों लोग कुछ मिनट तक वैसे ही लेटे रहे. मैंने पास रखी बोतल से पानी पिया और पण्डित जी को भी पिलाया. फिर दुबारा मैं अपनी कमर को ऊपर नीचे चलाने लगी. पण्डित जी अब बैठ गए और मेरे निप्पलों को चुटकियों में पकड़ कर गोल गोल घुमाते हुए रगड़ने लगे. वो बीच बीच में स्तन को मुंह में लेकर निप्पल को खूब चूसते थे और कभी कभी दांत से स्तन पर हल्के से काट लेते थे.
मेरी उत्तेजना की सिसकारी उन्हें बता रही थी कि मुझे ऐसा किया जाना अच्छा लग रहा है. उन्होंने अपनी एक ऊँगली से मेरी गुदा के सूराख को सहलाया, मुझे गुदगुदी से हंसी आ गयी. पण्डित जी ने ऊँगली पर थूक लगा कर मेरी गुदा के छेद पर लगाया फिर धीरे धीरे सहलाते हुए ऊँगली के पोर को गुदा में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगे.

उनकी उंगली ठीक-ठाक मोटी थी, मगर उनकी ये हरकत भी मुझे उत्तेजक ही लगी.

उन्होंने दूसरे हाथ को मेरे चूतड़ के नीचे ले जाकर मुझे तेज तेज झटके मारने में सहारा दिया. अब मुझे एक साथ निप्पल, योनि और गुदा के जरिये उत्तेजित कर रहे थे. मैं फिर से पिछली बार की तरह तीव्र उत्तेजना महसूस करने लगी, फिर से मेरे शरीर में सुरसुरी उठने लगी, साँसें तेज हो गयीं, स्तनों और निप्पलों में सख्ती बढ़ गयी, योनि और गुदा दोनों के सुराख फिर से कस गए.

मैं पण्डित जी से रुकने को बोली तो वो बोले- बुशरा, अबकी मत रुको मेरा भी हो जाएगा.

उन्होंने धीरे धीरे करके पूरी उंगली मेरी गुदा में डाल दी. मैंने कमर उचका कर कोशिश की, उनकी उंगली को अपनी गुदा से बाहर निकालने की, मगर उन्होंने दुबारा डाल दी. मेरा बदन फिर से कांपने लगा और फिर से मेरी योनि से पानी छूटने लगा. मैं फिर से निढाल होने लगी, मगर पण्डित जी ने मेरे चूतड़ों को उठा उठा कर चोदना जारी रखा.

अचानक उन्होंने खूब जोर से मुझे नीचे को दबाकर अपना लिंग मेरी योनि में अन्दर तक ठूंस दिया और फिर रुक गए. उनका बदन भी कांपने लगा और वो भी जोर की सिसकारियां भरने लगे. मैं समझ गयी कि उनका भी स्खलन हो रहा है, मैंने उनको बाहों में लेकर अपनी छाती से कसकर चिपका लिया. उनका लिंग झटके ले-लेकर मेरी योनि में स्खलित हो रहा था. मुझे योनि के अन्दर गर्म गर्म तरल महसूस होने लगा.

पण्डित जी बिस्तर पर निढाल हो गए और मैं उनके ऊपर वैसे ही पांच मिनट पड़ी रही. इस बीच मैं पण्डित जी के सीने के बालों को सहलाते हुए उन्हें चूम रही थी और वो मेरे सर और पीठ को सहला रहे थे.
मन ही मन मुझे जैसे उनसे ‘प्यार हो गया हो’ जैसी भावना लगने लगी. मैंने बगल में पड़ी अपनी पैंटी उठाई, फिर धीरे से पण्डित जी के ऊपर से उठी और तुरंत पैंटी से योनि के सूराख को ढक लिया.

पण्डित जी का लिंग शिथिल हो गया था और उनके वीर्य से सना हुआ था. मैंने पण्डित जी के लिंग को चूसा और उस पर लगे वीर्य को चूस चूस कर साफ़ कर दिया.

मैं बाथरूम में जाकर अपनी योनि को धोकर वापस पण्डित जी के बगल में लेट गयी.

हम दोनों की नींद गायब हो चुकी थी. पण्डित जी ने उठकर कमरे की लाईट जला दी, उन्होंने मेरी ओर देखा और फिर मंत्रमुग्ध से मेरे बदन को निहारते रहे. मैं दौड़ कर उनके बदन से जा चिपकी. पण्डित जी ने भी मुझे बाहों में ले लिया.

हम लोगों ने उसके बाद चाय पी.

पण्डित जी ने आधे घंटे बाद ही दुबारा सम्भोग की इच्छा जाहिर की, जिसे मैंने सहर्ष स्वीकृति दे दी, क्योंकि मुझे भी इच्छा जागृत हो रही थी. हम दोनों इस बार फिर सम्भोग क्रीड़ा में रत हो गए. हम दोनों की जिन्दगी की वो सबसे खुशनुमा रात थी. हम लोगों ने सुबह तक कई बार सेक्स किया.

आज भी मैं पण्डित जी के साथ ही रहती हूँ. हर दिन हर रात खुश हूँ. और पंडित जी का एक दोस्त है रमेश उससे भी कभी कभी पंडित जी चुदवा देते है पर मै तो सिर्फ व सिर्फ पंडित जी की दीवानी हु , अपनी अगली कथा प्रेषित करुँगी जिसमे पण्डित जी ने मेरे गुदामैथुन किया था.
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#29
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Pandit ji ke land se chudti huyi busara
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#30
Update


लंड के बिना मै जी नही सकती





हॉट चुत पोर्न कहानी में पढ़ें कि कैसे जवान होने के बाद एक लड़की को लंड लेने का चाव चढ़ा. उसकी सहेली फातिमा ने उसे लंड दिखाया अपने बॉय फ्रेंड राहुल का, पर उसकी चूत में पहला लंड गया उसके भाई का!

यह कहानी मेरी सहेली शिरीन अंसारी की है. आप उसकी जुबानी उसकी जवानी की कहानी सुनिए.

इस कहानी को सुनें.



मैं शिरीन हूँ. अभी मैं 26 साल की हो चुकी हूँ.
पर यह हॉट चुत पोर्न कहानी उस समय की है जब मैं 20 साल की थी और पूरी तरह जवान हो गयी थी।
बड़ी खबसूरत सेक्सी और हॉट हो गयी थी मैं … लोग मुझे आते जाते खूब देखते थे।

मैं भी अपनी जवानी के गुमान में इधर उधर खिलखिलाती हुई घूमा करती थी।

लोग मुझसे प्यार से बाते करते थे और मैं भी सबसे खूब घुल मिल कर बातें करती थी।

कुनबे के लोग मुझे बड़ी ललचाई नज़रों से देखते थे और मैं समझ जाती थी कि इन भोसड़ी वालों के मन में क्या है.
वो बस मुझे अपना लंड पकड़ाने में चक्कर में रहते थे। मेरी चूत में लंड पेलने का मौक़ा ढूंढा करते थे. मेरी नंगी चूचियाँ देखने के फिराक में लगे रहते थे।

पर किसी माँ के लौड़े को मौक़ा नहीं मिला।
मैं थोड़ा संभली हुई भी थी और थोड़ा डरी हुई भी थी कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए … इसलिए किसी को भाव नहीं देती थी।

लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मुझे भी लड़के पसंद आने लगे. मैं भी लड़कों को हसरत भरी निगाहों से देखने लगी।

कुछ बड़े लोगों को भी मैं ललचाई नज़रों से देखने लगी; उनके लंड देखने की इच्छा पैदा होने लगी।
मैं उनके लंड के बारे में सोंचने लगी, लंड के साइज का अनुमान लगाने लगी।

लंड मुझे बहुत अच्छे लगने लगे क्योंकि तब तक मैंने पोर्न देखना शुरू कर दिया था।
पोर्न में कई तरह के लंड देख देख कर मैं बहुत गरमा जाती थी तो घर में भी लोगों के लंड देखने की कोशिश करती थी।

लेकिन 20 साल की उम्र होने के बावजूद मुझे अभी तक कोई लंड नहीं मिला था।
अब मैं लंड के लिए तड़पने लगी थी।

मेरा कभी कभी मन होता था कि मैं जबरदस्ती किसी का लंड पकड़ कर देख लूँ लेकिन हिम्मत नहीं हुई।

एक दिन मैंने यह बात अपनी सहेली रेहाना को बता दी।
वह बोली- हाय दईया, तूने अभी तक कोई लंड नहीं पकड़ा? क्या कर रही है तू? दिन भर अपनी झांटें उखाड़ा करती है क्या तू? मुझे देख … मैं तो हर दिन लंड पकड़ती हूँ। लंड मुंह में लेकर खूब चूसती हूँ, लंड का मुठ भी मारती हूँ और लंड का वीर्य भी पीती हूँ।

मैंने कहा- अरे यार, तू मुझे भी ये सब सिखा दे न बुर चोदी रेहाना … मेरी तमन्ना पूरी कर दे।
वह बोली- अच्छा तू अभी चल मेरे साथ मैं तुझे लंड पकड़ाने की कोशिश करती हूँ।

रेहाना मुझे अपनी अम्मी जान के पास ले गयी।
मैं आंटी को जानती थी।

रेहाना अपनी अम्मी से बोली- अम्मी जान, देखो अभी तक शिरीन ने कोई लंड नहीं पकड़ा.

आंटी बोली- ऐसा क्यों है बेटी शिरीन? तू तो रेहाना के बराबर की है. और रेहाना जब आजकल खूब लंड पकड़ रही है. तो तू क्यों नहीं पकड़ रही है लंड? तेरी अम्मी सो रहीं हैं क्या? उसे मालूम नहीं कि मेरी बेटी अब जवान हो गयी है और उसे भी लंड की जरूरत है? अभी से लंड नहीं पकड़ेगी, अभी से बेशरम नहीं होगी, अभी से अपनी बुर नहीं चुदवायेगी तो फिर जवानी का मज़ा कैसे ले पायेगी?

रेहाना की अम्मी आगे बोली- तेरी माँ को मैं जानती हूँ, रेहाना … वह तो खुद बहुत बड़ी लंड की दीवानी है. वह तो हर दिन पराये मर्दों के लंड लेती है, पराये मर्दों के लंड की बड़ी शौक़ीन है तेरी अम्मी जान बेटी शिरीन। रोज़ अपना किसी न किसी से भोसड़ा फड़वाती रहती है और तुमको अभी तक कोई लंड नहीं पकड़ाया।

आंटी की ये बातें सुनकर मेरी झांटें सुलगने लगी।
मैं मन के कहने लगी कि मेरी अम्मी जान बुर चोदी जब इतने लंड पकड़ती है तो मुझे क्यों नहीं पकड़ाती? अम्मी की बहन का भोसड़ा … अब मैं भी देख लूंगी उसे किसी दिन!

तब तक आंटी बोली- अच्छा रेहाना, जा तू आदिल के पास चली जा और उसका लौड़ा इस पकड़ा दे। मैं आदिल को फोन कर देती हूँ.

रेहाना मुझे लेकर बाहर आ गयी।

मैंने देखा कि वह बगल वाले घर में जा रही है.
मैं भी उसके पीछे पीछै चली गयी.

तब उसने बताया- आदिल मेरी खाला जान का बेटा है और मेरा मौसेरा भाई जान! मैं उसका लंड पकड़ती हूँ और उसकी माँ के सामने उसका लंड पकड़ती हूँ। मुझे आदिल का लंड बहुत पसंद है और मेरी अम्मी जान भी आदिल के लंड की दीवानी हैं।

वह सीधे मुझे आदिल के कमरे में ले गयी।
मैंने जब आदिल को देखा तो मन ही मन उसे दिल दे बैठी।
बड़ा हैंडसम था वह स्मार्ट और हट्टा कट्टा था वह
मेरे मन में आया कि इसका लौड़ा भी हट्टा कट्टा होगा।

ख़ैर रेहाना ने मुझे आदिल से मिलवाया और कहा- ये मेरी पक्की सहेली है शिरीन!

वह भी मुझे देख कर खुश हुआ बोला- हां, तेरी अम्मी ने मुझे सब बता दिया है। शिरीन तो बहुत खूबसूरत है, हसीन है।
तब रेहाना ने खुल कर कहा- जानते हो भाई जान … शिरीन ने अभी तक कोई लंड नहीं पकड़ा. अम्मी जान ने मुझसे कहा कि इसे आदिल का लंड पकड़ा दो तो मैं इसे तुम्हारे पास लेकर आ गयी हूँ।
ऐसा कह कर रेहाना आदिल के कपड़े खोलने लगी।

पहले उसने आदिल का कुर्ता उतारा।
उसकी घने घने बालों वाली नंगी चौड़ी छाती देख कर मैं गदगद हो गयी।
उसकी मजबूत बाहें देख कर तो मज़ा आ गया।

तब तक आदिल ने मेरे बदन पर हाथ फिराया तो मैं सिहर उठी।
पहली बार किसी मर्द ने बड़े प्यार से मेरे बदन पर अपना हाथ फिराया था वह भी मेरी कमर और चूचियों तक!

रेहाना आदिल के पाजामे का नाड़ा खोलने लगी और इधर मेरा दिल धक् धक् करने लगा।
मैं सोचने लगी कि क्या आज सच में मैं लंड का दीदार करूंगी? अपने हाथ से कोई लंड पकड़ूँगी?

मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मुझे इतनी आसानी से किसी का लंड पकड़ने का मौका मिल जायेगा.

तब रेहाना लंड पाजामे के अंदर ही अंदर सहलाने लगी।
मैं उसे बड़े गौर से देखने लगी।

वह मुझे देख कर मुस्करा रही थी और आदिल भी मुझे बड़ी क़ातिल निगाहों से मुझे देख रहा था।

उसने लंड बाहर नहीं निकाला बल्कि मेरा हाथ पकड़ कर पाजामे के अंदर घुसेड़ दिया और कहा- शिरीन, अब तू लंड पकड़ कर बाहर निकाल ले और मुझे दिखा मेरे भाई जान का लंड!

मेरा हाथ उसके लंड से टकरा गया तो मेरे बदन में आग लग गई।

लंड इतना मोटा था कि वह मेरी मुठ्ठी में नहीं आ रहा था।

रेहाना ने पहले अपने कपड़े ढीले किये और फिर मेरे भी! मेरी दोनों चूचियाँ खोल कर उसने बाहर निकाल दी जिन्हें देख कर लण्ड साला और कड़क हो गया.

मेरे दोनों बूब्स आदिल के सामने खुल गए।
मेरे निप्पल सख्त हो गए।
मुझे एहसास हुआ कि उसका लंड बहन चोद और मोटा हो गया है।

फिर मुझसे रुका न गया और मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया।

रेहाना ने तब तक उसका पजामा निकाल कर फेंक दिया।
आदिल मेरे आगे एकदम नंगा हो गया।
मैं पहली बार किसी मर्द को नंगा देख रही थी। मैं उत्तेजना से भर गयी। मेरी धड़कने तेज हो गयीं।

तब मैंने कहा- रेहाना, आदिल तो नंगा बड़ा प्यारा लग रहा है।
मैंने कहा- यार रेहाना लंड क्या इतने बड़े बड़े होते हैं?
वह बोली- और नहीं तो क्या? लंड जब बड़ा होता है, मोटा होता है तभी तो मज़ा आता है।

फिर उसने लंड पकड़ कर मुझे बताया- देखो शिरीन, ऐसे पकड़ा जाता है लंड!
मैं फिर वैसे ही पकड़ने लगी लंड।
वह मुझे सिखाती गयी और मैं लंड का मज़ा लेती गयी।

मैं पेलहड़ चूमती गयी, लंड का टोपा चाटती और चूसती गयी।
रेहाना ने मझे सब कुछ सिखाया और आखिर में मुठ मारना भी सिखाया।

मैं बड़े हाथ से पेल्हड़ थामे हुए लंड का मुठ मारने लगी।
वह भी मेरे साथ जुट गयी।
हम दोनों ने मिलकर लंड का मुठ मारा और जब लंड झड़ने लगा तो रेहाना ने लंड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया।

लंड ने उगल दिया सारा वीर्य मेरे मुंह में!
मुझे पहले तो बड़ा ख़राब लगा लेकिन फिर मैं मज़ा लेने लगी।

रेहाना ने भी मेरे मुंह में अपनी जबान डाल कर चाट लिया लंड का रस और बोली- जानती हो शिरीन, लंड पीने से खूबसूरती बढ़ती है, बूब्स दूने हो जाते हैं और हेल्थ भी ठीक रहती है। सबसे बड़ी बात यह है कि लंड पीने से मन हमेशा प्रसन्न रहता है। एक बात और बता दूँ तुझे शिरीन की इसका लंड मेरी अम्मी का मन पसंद लंड है।

इस तरह मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर लौट आयी.
लेकिन मेरे दिमाग में आदिल का लंड घूमता ही रहा. मुझे लंड पकड़ना बहुत अच्छा लगा तो मैं अब कॉलेज के लड़कों के लंड पकड़ने लगी।

मुझे बेतहाशा मज़ा आने लगा।
मैं इसी ख़ुशी में सब जगह घूमने लगी।

एक दिन इत्तिफाक से अम्मी और अब्बू दोनों बाहर चले गए, कहा- अब हम लोग शाम को ही आयेंगे।

मुझे पूरे दिन घर में अकेली ही रहना था।
मैंने कुछ कपड़े तो पहने नहीं बल्कि एक छोटा सा गाउन पहन लिया और सोचने लगी कि अगर ऐसे में कोई लंड मिल जाए तो मज़ा आ जाए!

तब मैंने अपना लैपटॉप खोला और पोर्न देखने लगी।
फिर एकदम से अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ने लगी. उसमें एक कहानी मिली रेहाना खान की लिखी हुई थी। उसमें ऑडियो भी था।

मैंने उसे ऑन किया और कहानी सुनने लगी.
कहानी सुनकर मैं दंग रह गई।
मैंने मन में कहा- बाप रे बाप … इतनी हॉट कहानी … वह भी एकदम खुल्लम खुल्ला!

सुनकर मेरी चूत गीली हो गई।

मैंने फिर एक और कहानी सुनी तो मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी और सोचने लगी- ये बुर चोदी रेहाना तो बहुत गन्दी गन्दी कहानियां लिखती है। कितनी मस्त मस्त गालियां देती है बुरचोदी! कितनी मस्त मस्त सामूहिक चुदाई हैं इन कहानियों में! लड़के पढ़ते होंगे साले तो एक कहानी में दो बार मुठ मारते होंगे?

मेरा मन हुआ कि मैं भी सबके लंड पकड़ने लगूं और सबसे चुदवाने लगूं।
ये भोसड़ी वाली रेहाना ने तो मुझे पागल बना दिया है.
इसकी माँ का भोसड़ा!

तभी से मुझे अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ने का चस्का लग गया।

इतने में किसी ने दरवाजा खटखटा दिया।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरे चचा जान का बेटा अरकान खड़ा था।

मैंने उसे तुरंत घसीट कर अंदर किया और उससे लिपट गयी।
मैं गरम तो थी ही!

मैंने कहा- हाय भाई जान, मैं तो तेरा ही इतंज़ार कर रही थी।

अरकान बहुत ही हैंडसम स्मार्ट और गोरा चिट्टा था, मुझसे दो साल बड़ा था।

मेरा हाथ उसके लंड पर अपने आप चला गया।

वह बोला- शिरीन, आज तुम बड़ी हॉट लग रही हो।
उसने मेरी चुम्मी ले ली।

मैंने कहा- हॉट तो तुम भी लग रहे हो भाई जान! बस मुझे अपना लंड दिखा दो प्लीज! मैं लंड के लिए तड़प रही हूँ। आज घर में मैं अकेली हूँ। कोई डर नहीं है। आज मैं बुर चोदी बिना लंड के रह नहीं सकती।

और मैंने उसके पाजामे का नाड़ा खोलना शुरू किया।
वह समझ तो गया कि शिरीन मेरा लंड खोल कर पकड़ेगी जरूर … तो वह कुछ नहीं बोला।

मैंने अपना हाथ पाजामे के अंदर घुसेड़ दिया।
मैं तो उत्तेजित थी ही … वह भी उत्तेजित हो गया और बोला- शिरीन, तुम बहुत खूबसूरत हो यार! क्या कर रही हो तुम? ऐसा मत करो नहीं तो कुछ हो जायेगा.

मैंने कहा- हो जाने दो बहन चोद जो होना हो? आज मैं सब कुछ करवा लूंगी भाई जान। आज मैं कतई रुक नहीं सकती। बस मुझे जल्दी से लंड पकड़ा दो मुझे अपना!

इतने में पजामा खुल कर नीचे गिरा तो लंड साला तन कर मेरे सामने खड़ा हो गया।
मैं लंड पकड़ कर मस्त हो गयी।
मेरे मुंह से निकला- हायल्ला … कितना मस्त लौड़ा है भाईजान तेरा? मज़ा आ गया। आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। तेरा लंड तो आदिल के लंड से बड़ा भी है और मोटा भी।

मैंने लंड कई बार चूमा और पेल्हड़ भी मस्ती से चूमे।
उसने मेरा गाउन खोला मुझे नंगी करके बेड पर लिटा दिया।

नंगा वह भी हो चुका था।
नंगी मैं भी थी।

वह मेरे नंगे जिस्म से खेलने लगा, मेरे जिस्म के हर अंग को चूमने लगा चाटने लगा।

मेरे पैर, मेरी जांघें, मेरी गांड सब चाटने लगा।
फिर मेरे ऊपर चढ़ा और मेरी मस्त मस्त चूचियाँ चाटने लगा, मेरे निपल्स चूसने लगा, बोला- तेरे बूब्स तो मेरी अम्मी जान के बूब्स के बराबर हो गए हैं।

वह फिर घूम कर मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लंड चाटने लगी।
मैं अपनी ज़िन्दगी में पहली बार किसी मरद से अपनी बुर चटवा रही थी।
मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

मैं अपनी बुर चटवाने में मस्त हो गयी और बोली- हाय मेरे भाई जान, और चाटो मेरी बुर, खूब चाटो मेरी बुर … जबान पूरी घुसेड़ दो अंदर … बड़ा अच्छा लग रहा है। तुम तो बहुत बढ़िया मरद हो भाई जान!

इधर मैं भी बड़े मजे से उसका लंड चाट रही थी क्योंकि मैंने लंड चाटना पोर्न से सीखा था।

भाई जान के मुंह से सच निकल पड़ा।
वह बोला- शिरीन, तुम बिलकुल वैसे ही मेरा लंड चाट रही हो जैसे तेरी अम्मी जान चाटती हैं मेरा लंड!

मैंने कहा- हायल्ला तो क्या तुम मेरी माँ चोदते हो, भाईजान?
वह बोला- हां, मैं तेरी माँ चोदता हूँ क्योंकि तेरी माँ मुझसे बड़े मजे से चुदवाती है। उसको मेरा लंड बहुत पसंद है।
मैंने कहा- लंड तो तेरा मुझे भी पसंद है भाईजान. तो फिर तुम मुझे भी चोदो। मेरी बुर चोदो, मेरी गांड चोदो।

अम्मी की बात सुनकर मैं और उत्तेजित हो गयी और मेरी हिम्मत भी बढ़ गयी।
मैंने कहा- मेरी अम्मी बुरचोदी तुमसे चुदवाती है तो मैं भी तुमसे चुदवाऊंगी। आज मैं तेरे लंड का पूरा मज़ा लूंगी।

तब मैंने सोच लिया कि आज मैं बिना चुदे मानूंगी नहीं।
मुझे शिरीन की कहानी की बातें भी याद आने लगीं और मेरी चूत ज्वालामुखी बन गयी।

मैंने अपनी बुर फैला दी और कहा- लो भाईजान तोड़ डालो मेरी बुर की सील! तेरा लंड पहला लंड होगा जो मेरी बुर में घुसेगा। आज तेरा लंड मेरी बुर का उद्घाटन करेगा। पेल दो अपना मस्ताना लंड भाई जान!

फिर क्या उसने भी अपना लंड गच्च से पेल दिया अंदर!
लंड जब पहली बार घुसा मेरी बुर में तो मुझे बहुत दर्द हुआ।

मैं चिल्ला पड़ी- उई माँ मर गयी मैं! फट गई मेरी बुर अम्मीजान … इस भोसड़ा वाले ने एक ही बार में पेल दिया पूरा लंड … तोड़ डाली मेरी बुर की सील। खोल डाला मेरी बुर का दरवाजा! अब क्या करूं मैं? मैं तो कहीं मुँह दिखाने के काबिल नहीं रही। मेरी इज़्ज़त लुट गई। हाय दईया … मैं बदनाम हो जाऊंगी।

मगर जब लंड 4/6 बार अंदर बाहर हुआ तो मुझे भी मज़ा आने लगा।
फिर मैं बोली- हाय मेरे राजा, खूब चोदो मेरी बुर … पूरा लंड पेल पेल के चोदो। आज मुझे मालूम हो रहा है कि चुदाई में कितना मज़ा आता है. भाईजान तेरा लंड बड़ा मज़ा दे रहा है।

वह धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाने लगा और मैं उसका पूरा साथ देने लगी।
मैंने चुदाई का पूरा पूरा मज़ा लिया।

शाम को जब अम्मी जान आईं तो मैंने उससे साफ़ साफ़ बता दिया- आज चुद गयी तेरी बिटिया की बुर अम्मीजान! सील टूट गयी तेरी बिटिया की बुर की!

अम्मी मुस्कराकर बोली- मुझे सब मालूम है… मुझे तो तेरी बुर की शील तुड़वानी ही थी. तो तूने खुद तुड़वा ली. तुम्हें पसंद आया न अरकान का लंड, बुरचोदी शिरीन?
मैंने हंस कर कहा- जो लंड तुम्हें पसंद है अम्मी जान वही लंड मुझे भी पसंद है.
उसके बाद मैने बहुत से लंड खाये है अपने पास के कबाड़ी वाली के साथ ,दूँध वाले अंकल शर्मा जी का भी , और अपने कॉलेज के रोहित ,आरिफ ,अर्जुन ,करण , अभिषेक ,रोहन ,सैफ ,रमजीत , और बहुत लंड खायी हु अब तो मैं लंड के बिना नही रह पाती
मैने अपने मामू के घर गयी थी वहा पर मैने मामू के नौकरो रामु और राकेश के साथ भी नंगी हो होकर उसके छोटे से रूम मे रोज चुदती थी ।
निगाह के बाद भी मैने सैकड़ो लंड खाये है पर हिन्दुओ के लंड मे कुछ जायदा हि पावर होता है मैं जितने भी अपने ,., लोगो से चुदी हु कोई भी 20 मिनट से उपर नही चोद पाया है पर हिन्दु लोग मुझको 1-2 घंटे तक चोदते रहते थे मैने बहुत से लंड खाये है क्यूंकि हिन्दुओ मेहनती होते है सायद इस लिए वो ज्यादा देर तक चुदाई कर पाते है उसका टोपी वाला लंड चूसने का मजा हि कुछ और होता है ।
मैने बिना लंड से चुदे मुझको नींद नही आती अब मैने एक बार सौाहर नही थे तो वॉचमन को बुलाकर जबरजस्ती चुद गयी थी।






[Image: IMG-20230602-083747.jpg]
बस आपके सीरिन को लंड चाहिए बस
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#31
Nice update
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#32
Update

Delivery boy se chudi randi banakr


सबसे पहले उनके बारे में बता दूं।
उनका नाम आलका खान है और वो जोधपुर में रहती हैं।
उनका साइज़ 34-30-36 है और उनकी उम्र 35 के आसपास है।

अब मैं कहानी पर आता हूं जो उनकी ही जबानी होगी.

मैं आज अपनी आपबीती लेकर आई हूं. यह देसी Xxx सेक्स कहानी आज से 8 महीने पुरानी है।

उस दिन मेरी शादी की सालगिरह थी।
परन्तु मेरे पति को काम की वजह से अचानक दिल्ली जाना पड़ा।

दुखी होकर मैं दिनभर अपने कमरे में लेटी रही थी.

मैं घर में अक्सर नाइटी पहनती हूं अकेले रहने के कारण में ब्रा पैन्टी भी नहीं पहनती हूं।

शाम को 5 बजे के करीब डोर बेल बजी.
मैंने उठकर दरवाजा खोला तो 22 साल का एक लड़का हाथ में पैकट लेकर खड़ा था।

मैंने कहा- क्या है?
वो बोला- क्या यह जुनैद खान का घर है?
मैंने कहा- हां … लेकिन वो घर पर नहीं हैं।
वो मुझे घूरते हुए बोला- मैम, सर ने ऑर्डर किया था। मैं डिलीवरी लेकर आया हूं।

मैंने पूछा- क्या है इस पैकेट में?
वो बोला- मैम आपका फैवरेट पाइनेप्पल केक और एक बोतल वाईन है। मैम कोई ऑकेज़न है क्या?

मैं दुखी होकर बोली- हां, आज हमारी शादी की सालगिरह है।
उसने कहा- अच्छा!
और फिर बोला- हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी मैम!

मैंने धीरे से कहा- क्या हैप्पी! आज मेरे पति को मेरे लिए टाइम नहीं है. इन सबका कोई मतलब नहीं मेरे लिए!

इतने में ही वो डिलीवरी बॉय बोला- मैम अगर आपको दिक्कत न हो तो मैं आपकी एनिवर्सरी आपके साथ मना सकता हूं।
थोड़ी देर सोचने के बाद मैंने उससे कहा- इसके बाद तुम्हें और कहां जाना है?
वो बोला- यह लास्ट डिलीवरी थी। अब मेरी ड्यूटी ऑफ हो गई।

मैंने कहा- ठीक है, चलो अंदर आ जाओ!
मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने समीर बताया.

और फिर अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।

मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा और अपने रूम में आ गई।

थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- तुम फ्रेश होकर आ जाओ.

मैंने उसको अपने रूम में छोड़ दिया और नहाने चली गई और वहां से तौलिया लपेट कर बाहर आ गई।
उसके सामने ही मैं अपने हाथ पैरों में लोशन लगाने लगी.
वो चोरी चोरी मुझे देख रहा था।

मैंने बैग में रखी लाल जालीदार ब्रा उठाई और पहन ली और जालीदार पैंटी पहनकर दूसरे रूम चली गई.
वो मेरी आधी नंगी गांड को एकटक देखता रहा।

थोड़ी देर बाद मैं एक वाइट गाउन पहनकर आ गई.

वो मुझे घूरकर देख रहा था।
तो मैंने कहा- समीर क्या हुआ?
वो बोला- मैडम, आप तो कमाल लग रही हो!
मैंने मुस्करा कर कहा- थैंक्स!

फिर हम दोनों डाइनिंग टेबल पर केक लेकर आ गए और समीर ने उसमें कैंडल जलाईं.
फिर मैंने केक काटा!
वो हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी मैम बोलने लगा।

मैंने केक लेकर उसको खिला दी।
फिर उसने केक लेकर मुझे खिलाई और बोला- मैम हैप्पी एनिवर्सरी!

मैंने कहा- ये बार बार मैम क्यों बोल रहे हो? अब तुम ड्यूटी पर नहीं हो। मेरा नाम अलका है।
उसने कहा- ओके अलका जी!
मैंने कहा- नहीं समीर, तुम मुझे अलका बोलो।

फिर मैंने दो पैग बनाए और हम दोनों पीने लगे।
हमने दो दो पैग लिए.

फिर मेरे पति का फोन आ गया।
मैंने उनसे फोन में झगड़ा कर लिया; मैंने कहा- तुम आज के दिन भी नहीं आए. मुझे कोई बात नहीं करनी!
और मैंने फोन काट दिया।

साथ ही मैं एक पैग बिना पानी के पी गई और रोने लगी।

समीर मेरे पास आ गया और बोला- क्या हुआ अलका?
उसका हाथ धीरे धीरे मेरी जांघों पर चलने लगा था।
उसने एक एक पैग बनाया और हम पी गए।

मैंने उससे कहा- आज हमारी शादी की सालगिरह है फिर भी मेरे पति मेरे साथ नहीं हैं.
वो बोला- क्या हुआ मैं हूं ना!

मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.
अब उसके हाथ मेरी जांघों से मेरी गान्ड तक आ गये थे।

मुझे उसका ऐसा करना अच्छा लगने लगा था.
मैंने एक एक पैग और बनाया और हम दोनों ने पी लिया।

अब मैं भी गर्म होने लगी थी, उसके हाथ मेरे शरीर पर चलने लगे थे।

मैंने उससे कहा- कि तुमने मुझे कोई गिफ्ट नहीं दिया?
वो बोला- मैं एक डिलीवरी बॉय हूं मैं आपको क्या दे सकता हूं?

मैंने मुस्करा कर कहा- तुम तो मुझे वो दे सकते हो जिसकी मुझे सबसे ज्यादा जरूरत है।
वो बोला- मेरे पास कुछ नहीं है. आखिर मैं क्या दे पाऊंगा आपको?
मैंने कहा- मुझे गिफ्ट तो चाहिए. तुम प्रोमिस करो!

उसने कहा- मेरी हैसियत से कुछ भी मांग लो, मैं देने को तैयार हूं।

मैंने एक एक पैग और बनाया और पीते हुए कहा- समीर, आज की शाम तुम मुझे खुश कर दो!
और मैंने उसके लन्ड पर हाथ रख दिया।

वो बोला- ये क्या कर रही हो आप? कहां आप और कहां मैं! अगर शर्मा जी को पता चल गया तो मेरी नौकरी चली जाएगी।

मैं उसके पास जाकर पैंट में हाथ डालकर बोली- समीर किसी को पता नहीं चलेगा. तुमने अभी मुझसे वादा किया है।

मैंने उसकी पैंट खोलकर लंड बाहर निकाल लिया.
उसका 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा मजबूत लंड देखकर मेरे मुंह और चूत में पानी आ गया।

मैंने उसका हाथ अपनी चूचियों पर रख दिया और बोली- समीर, आज की रात बस तुम मुझे खुश कर दो। आज की यह सालगिरह मैं बस तुम्हारे साथ मनाना चाहती हूं।
वो कुछ बोल पाता कि मैंने उसके लन्ड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

अब धीरे धीरे उसके हाथ मेरी चूचियों पर सख्त होने लगे।
मैं लोलीपॉप समझकर समीर का मोटा मजबूत लंड चूसने लगी और वो मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।

अब दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए और 69 की पोजीशन में आ गए।
अब समीर मेरी चूत पर भूखे कुत्ते की तरह टूट पड़ा और अंदर जीभ डालकर चोदने चाटने लगा.

और मैं भी जोश में आकर उसके लन्ड को गपागप गपागप चूसने लगी।

उसने मेरी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया. वो चूत में जीभ अंदर तक घुसा कर चाटने लगा और मैं उसके लन्ड को गपागप गपागप अंदर बाहर करके चूस रही थी।

अब समीर ने उठाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी गांड के नीचे तकिया लगाया.
उसने मेरी दोनों टांगों को फैला दिया और ऊपर आकर चूत में लन्ड लगाकर जोर से धक्का दिया.

उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा और मैं ‘ऊई ईईई ऊईई ई आहह हह’ करके चिल्लाने लगी.

मैं आज पूरे 45 दिन बाद चुदवा रही थी और समीर का लंड मेरे पति से ज्यादा मोटा और लम्बा था।
मेरी जान निकल रही थी.

तभी उसने जोर से धक्का लगाया और पूरा लंड अंदर चला गया.
मेरी चीख निकली- ऊईई ईईई ईईईई ऊईई ईईई ईईई … मर गई … बचाओ बचाओ!

मैं चिल्लाती रही लेकिन समीर के कानों पर मेरी आवाज़ नहीं जा रही थी और वो मुझे एक बाजारू औरत समझकर चोद रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे वो आज मेरी चूत फाड़कर ही दम लेगा।

उसने मेरी चूचियां को तेज़ तेज़ दबाना शुरू कर दिया और उसके हर झटके से मेरी जान निकल रही थी।

मैं ‘ऊई ऊइई ऊईई ईई आहह हहह आह हहह … छोड़ो मुझे छोड़ो …’ चिल्लाती रही लेकिन वो मुझे पागलों की तरह चोदता रहा।

समीर ने अपने लौड़े को निकाल लिया, मेरी जान में जान आई.
उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और लंड पर बैठा दिया.

उसका लंड जैसे ही चूत में घुसा, मैं ऊईई ईई ईईई सीईई ईई करके चिल्ला उठी.
उसने क़मर पकड़कर बिठा दिया और लंड अंदर चला गया।

वो नीचे से झटके लगाने लगा, मेरी चूचियां उसके हाथ में थी जिन्हें वो बेरहमी से जोर से दबा रहा था।

धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी उसके लन्ड पर उछल उछल कर गांड़ पटकने लगी.
अब दोनों तरफ से बराबर धक्के लगने शुरु हो गए और थप थप थप की आवाज रूम में भरने लगी।

मैं शादीशुदा औरत हूं और पहले भी चुदवाती रही लेकिन समीर के लंड ने मेरी हालत बिगाड़ दी।

अब हम दोनों एक-दूसरे को चोद रहे थे, कभी लंड तो कभी चूत!
एकदम से समीर ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और मैं ऐसे उछलने लगी जैसे फुटबॉल!

अब मेरी चूत का दर्द कम हो गया था और अब मुझे समीर के मोटे लंड का स्वाद आने लगा था।

समीर ने मुझे उठा लिया और खड़ी कर दिया. उसने मेरी एक टांग उठा दी और चूत में लन्ड घुसा कर गपागप गपागप चोदने लगा.
अब मैं आहहह आहहह करके उसके लन्ड का मज़ा ले रही थी।
आज कितने दिनों बाद मेरी ऐसी चुदाई हो रही थी।

मेरे पति तो बस मेरे ऊपर चढ़कर मुझे थोड़ी देर चोदते और थककर सो जाते और मैं अपनी चूत सहला सहला कर रोती रहती।
लेकिन समीर के फौलादी लंड ने आज मेरी चूत का भरता बना दिया था।

मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अब वो मुझे फच्च फच्च करके चोदने लगा.
समीर का लंड चूत के पानी से और तेज़ तेज़ अंदर तक जाने लगा। समीर का लंड अब तक पूरा टाइट था।

उसने गीला लंड निकाल लिया और मुझे बिस्तर पर घोड़ी बना दिया, खुद पीछे आकर कमर पकड़कर चोदने लगा.
वो ऐसे चोद रहा था जैसे कोई कुत्ता कुतिया चोद रहा हो।

मेरी दोनों चूचियों को मसलने लगा और थप थप थप करके अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा।

अब मैं भी जोश में आकर अपनी गांड चलाने लगी और आगे पीछे करने लगी.
समीर यह देखकर जोश में आ गया और उसने और तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया।

पूरा कमरा दोनों की सिसकारियों से गूंज उठा था लेकिन हमें किसी का डर नहीं था।

समीर मुझे एक बाजारू औरत की तरह चोद रहा था, उसे मेरी चीख और दर्द की बिल्कुल परवाह नहीं थी।

मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया लेकिन समीर का लंड तो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।

अब मेरी हिम्मत खत्म हो गई थी और मैं निढाल सी हो गई थी.
लेकिन वो मुझे कुतिया बनाकर चोद रहा था।

अब मेरी सिसकारियां भी बंद हो गई थी और मैं बस जैसे तैसे खुद को रोककर उसके लंड का सामना कर रही थी।

उसने लंड निकाल लिया और मुझे लिटा दिया.
वो मेरे ऊपर आ गया और चूत में लन्ड घुसा कर गपागप गपागप तेज़ी से चोदने लगा।
उसका लंड अब राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार से मेरी चूत में दौड़ रहा था।

मैं अब शांत होकर उसके झड़ने का इंतजार कर रही थी और वो तो एक खिलाड़ी की तरह लंड के घोड़े को मेरी चूत के मैदान में दौड़ा रहा था।

अब समीर की सांसें तेज होने लगी और उसने मेरी चूचियों को पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा।
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और दो चार झटकों के साथ समीर ने गरम लावा मेरी चूत में भर दिया और वो मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गया।

अब हम दोनों बहुत थक चुके थे और ऐसे ही दस मिनट तक लेटे रहे।
थोड़ी देर बाद दोनों बाथरूम गए वहां से समीर मुझे गोद में लेकर आया।

हमने एक एक पैग और पिया।
उसने केक उठाकर मेरी चूचियों में लगा दी और अपने लंड को केक में डाल दिया।

मैं समझ गई कि अब मुझे क्या करना है.
और मैं उसके लन्ड को चाटने लगी और केक खा गई.
उसने मेरी चूचियां चाट कर साफ़ कर दी।

अब वो मुझे लेकर वापस बेडरूम में आ गया।
हम दोनों मस्ती करने लगे।

उसने मुझे अपने लंड को चूसने का इशारा किया.
मैं गपागप गपागप चूसने लगी और वो चूत को सहलाने लगा।

जल्दी दोनों 69 में आकर एक-दूसरे के अंगों को चूसने लगे।

थोड़ी देर बाद समीर ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और उठाकर लंड पर बिठा दिया गप्प से अंदर चला गया.
ऊईई ईईई आहह करके मैं उछलने लगी; अब मुझे भी मजा आने लगा था।

मैंने उसकी गान्ड को तेजी से पटकना शुरू कर दिया और मैं समीर के फौलादी लंड को चोदने लगी वो मेरी चूचियों को चूसने लगा.

उसके बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा.
अब वो फिर से कुत्तों की तरह चोदने लगा और मैं बेबस कुतिया बनके उसके फौलादी लंड के धक्कों को झेलने लगी।
समीर के फौलादी लंड से चुदवाने में मज़ा आने लगा था।

जैसा मैंने सैक्सी मूवी में देखा था, आज समीर मुझे ठीक वैसा ही चोद रहा था। आज तक मेरी कभी ऐसी चुदाई नहीं हुई थी.

आज मैं अपने ही बिस्तर पर एक डिलीवरी बॉय से बाजारू औरत की तरह चुद रही थी।
और वो मुझे ऐसे चोद रहा था जैसे कोई आवारा कुत्ता किसी कुतिया को चोदता है।

उसने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। उसने अपने लौड़े को चूत में झटके से घुसा दिया और रफ्तार से चोदने लगा.
वो चूचियों को मसलने लगा काटने लगा और मैं चिल्लाने लगी- ऊईई ईई ऊईई ईईई!
लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वो तो मेरी चूत का भरता बना रहा था।

मेरी चूत फूल कर लाल हो गई थी और उसका लंड अंदर बच्चादानी में टक्कर मार रहा था।
असल बात यह थी की मेरे पति का लंड समीर के लंड से आधा था जिससे मेरी चूत पूरी नहीं खुली थी।
समीर ने मेरी चूत को खोलकर फुला दिया था।

मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और समीर का मोटा मजबूत लंड गीला हो गया और फच्च फच्च की आवाज से अंदर-बाहर करने लगा।
चूत का पानी मेरी जांघों से बहने लगा।

समीर लंड को अंदर तक डाल कर चोद रहा था।
मैं बस आहहह आहहह कर रही थी।

समीर ने लंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने लंड पर बिठा दिया गप्प करके चूत में लन्ड चला गया.
अब मैं आहह आह हहह करके लंड पर उछल उछल कर गांड पटकने लगी. अब दर्द नहीं बस मज़ा आ रहा था।

समीर का लंड लेकर आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं आज अपनी शादी की सालगिरह पर एक अजनबी लंड से चुदवा रही थी।

लेकिन मुझे इसकी खुशी भी थी क्योंकि ऐसी चुदाई के लिए मैं कब से तड़प रही थी.
मेरा पति तो मुझे बीच में छोड़ कर सो जाता था और समीर मेरा अब तक 5 बार पानी निकाल चुका था।

समीर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और कमरे से बाहर सोफे पर लिटा दिया और मेरी टांग उठा कर चोदने लगा और चूचियों को काटने लगा।
वो मेरे घर में मुझे ऐसे चोद रहा था जैसे मैं कोई रंडी हूं।

मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और समीर का गीला लंड फच्च फच्च करके और तेज़ तेज़ अंदर बाहर होने लगा।
अब उसके लन्ड के साथ पानी बाहर निकलने लगा था लेकिन समीर अब भी जमकर चोद रहा था।
उसका लंड अब और मोटा सा लग रहा था मेरी चूत फूल गई थी।

उसने नीचे तकिया लगाया और पैर फैला कर चोदने लगा अब दोनों पैर हवा में थे.
वो मुझे बड़ी बेरहमी से जोर जोर से चोद रहा था मुझे उसका ऐसे चोदना बहुत मजा दे रहा था।

मैं बस अपने पति की इस बात पर खुश थी कि उसने आज के दिन समीर से डिलीवरी भिजवाई।
समीर ने मुझे सामने टेबल पर लिटा दिया और खड़ा होकर चोदने लगा।

अब तक उसके लन्ड ने मुझे कई बार झड़ा दिया था और वो खुद फौलाद की तरह मेरी चूत की गहराई तक जाकर गर्मी निकाल रहा था।
अब मैं भी बेशर्म हो गई थी और एक अजनबी डिलीवरी बॉय से ऐसे चुदवा रही थी जैसे मैं सचमुच एक रंडी हूं।

वो मुझे उठाकर मेरे रुम में आ गया और पलंग पर लिटा दिया।
अब वो जैसे चाहे मुझे चोद रहा था। अब वो भूल गया था कि मैं राकेश शर्मा की बीबी अलका हूं।

उसने मेरे मुंह में अपना लन्ड घुसा दिया और चोदने लगा।
मैं भी उसके सामने मजबूर थी क्योंकि मैंने ही उससे बोला था कि मुझे चोदो।

उसने लंड निकाल कर मुझे लिटा दिया और ऊपर आ गया, मेरी चूचियों को चूसने लगा काटने लगा.
मैंने उसके लन्ड को अपनी चूत में लगा दिया, उसने धक्का लगाया और लंड अंदर चला गया।

वो फिर से तेज़ी से चोदने लगा और गपागप गपागप अंदर बाहर करने लगा।
उसने मेरी चूचियों की हालत पतली कर दी थी और नीचे मेरी चूत में खलबली मचा रखी थी।

अब मैं बिल्कुल निढाल होकर नीचे थी और वो अपनी मनमानी कर रहा था।
लेकिन मैं आज बहुत खुश थी क्योंकि ऐ मेरी शादी की सबसे यादगार सालगिरह थी।

मैं अपनी किसी सालगिरह पर इतनी जबरदस्त कभी नहीं चुदी थी।
खान जी का बस 10 मिनट चोदकर सो जाते थे और मैं चूत में उंगली डालकर अपना पानी निकालती थी।

समीर से मैंने पूछा- इतनी अच्छी चुदाई कहां से सीखा?
वो बोला- मेरी बड़ी बहन और अम्मी ने मुझे सिखाई है।

अब मेरी चूत ने फिर से एकबार पानी छोड़ दिया और मैं आह आहहह करके झड़ गई।

समीर ने बताया कि वो अपनी बहन को चोदता हैं अपने दोस्त राहुल के साथ, उसके पति ने उसे तलाक दे दिया था।
एक रात उसकी अम्मी ने देख लिया फिर अगले दिन उसने दोनों को बहुत डांट लगाई।

फिर एक रात बहन के बिस्तर पर अम्मी सो गई और अंधेरे में उसने अपनी अम्मी को चोद दिया.
अगले दिन उसकी बहन ने बताया कि वो रात में छत पर उसका इंतज़ार करती रही.
फिर समीर जान गया कि अम्मी को चोद दिया।

कुछ दिन के बाद वो रात में बहन और अम्मी को एक साथ चोदने लगा। और फिर राहुल को भी जोड़ लिया ।

समीर ने मुझे फिर से घोड़ी बना दिया और अपनी रफ़्तार से चोदने लगा अब उसकी आवाज और रफ्तार तेज होने लगी थी।
ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी चूत में कोई रेस कर रहा था।
अब मैं तो उसके सामने अपने हाथ खड़े कर चुकी थी।

समीर ने बताया कि गांव में उसकी अम्मी उसके लन्ड पर बादाम तेल से मालिश करती थी इसलिए उसका लंड मोटा मजबूत और लंबा हो गया है। उसकी बहन सुबह रोज लंड चूसती थी उसके बिस्तर पर आकर!

मैंने कहा- घर में किसी ने देखा नहीं?
तो उसने बताया कि उसके घर में उसकी अम्मी बहन और वो है; उसके अब्बा नहीं हैं।

अब उसने मुझे लिटा दिया और चोदने लगा. अब दोनों की सिसकारियां तेज़ हो गई थी और समीर चिल्लाने लगा।
उसके लन्ड ने गरम गरम लावा छोड़ दिया; मेरी चूत भर गई और वो लेट गया।

उसने बताया कि उसके अब्बा के बाद उसने और उसके दोस्त राहुल ने मेरी अम्मी और बहन को संभाला।
बहन के तलाक के बाद वो उसे चोदने लगा; फिर अम्मी को भी चोदने लगा।

आज मैं भी बहुत खुश थी कि समीर की अम्मी बहन ने उसे कितना देसी Xxx सेक्स सिखा दिया, उसने मेरी चूत बुलाकर लाल कर दी.

फिर हम दोनों नंगे ही सो गए थे।

अगली सुबह जब जागे तो दोनों साथ में नहाये और एक बार मैंने बाथरूम में बाथटब में उससे जमकर चुदवाया.

उसके बाद जब भी समीर फ्री होता तो आ जाता और मुझे रातभर चोदता। उसका एक दोस्त राहुल से भी मुझको चुदवाने लगा कुछ टाइम के बाद ..
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(17-06-2023, 10:48 AM)Khushboo_36 Wrote: My google chat id is Khushboo.naksh8.5



Ye kyaaa hota hai....
Tera koi email ID....YD nahi hai kyaaa....
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