Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 3.67 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
मै होली की बदला ईद पर लिया बॉयफ्रेंड से
#1
सलाम दोस्तों ...मेरा नाम है हुमा अंसारी मै उतर प्रदेश की एक 22 साल 
की लड़की हु । मै पहले बहुत सरीफ और पाक़ीज़ा थी पर बाद मे बेहया बन गयी


बायफ्रेंड.. सुमित दुबे एक हैंडसम और हट्टा कट्टा लड़का जो की मेरे कॉलेज मे पड़ता है करीब 25 साल का होगा ।
हम सब MA साथ मे कर रहे थे तभी वो मेरा बॉयफ्रेंड बना मेरी फ्रैंड फरीदा के बॉय फड अजित का दोस्त था तो फरीदा ने मिलाया और फिर धीरे धीरे बात होती गयी और हम एक दूसरे के प्रति प्यार मे पड़ गये
[+] 2 users Like Fatimakhan's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
[Image: IMG-20230426-191936.jpg]
[Image: IMG-20230426-192020.jpg]
[Image: IMG-20230426-192034.jpg]
[Image: IMG-20230426-192049.jpg]
मै हुमा अंसारी ऐसी हु
[Image: IMG-20230426-192814.jpg]
मेरा बायफ्रेंड सुमित डार्लिंग
[+] 1 user Likes Fatimakhan's post
Like Reply
#3
Pls update
कायर पति
Like Reply
#4
Update du ki nhi eski
Like Reply
#5
Likho esko
Like Reply
#6
Update
Like Reply
#7
Update
कायर पति
Like Reply
#8
Part 2


Aur aap sab ko pata hoga ki aaj kal ki ladke bs patane ke kuch hi dino ke anadar chod lete hai to same waise hi sumit se payr karne ke 1 mahine ke andar mai hotel me jakar raat bhar chud kar apni chut ko fawada diya tha usse pahale mai kisi se bhi nhi chudi thi seal todne wali raat ko sumit ke mote land se 9 inch lamba aur 3 mote land se chud chud kar khoob royi thi par jalim sumit ko daya nhi aaya tha us raat ko wo mujhko patak patak kar khoob choda tha uske baad to mai aksar usse chudne lagi 1 mahine tak mujhko bahut dard ho rha tha par usake baad ab mai uska mota land aaram se apni chut me me leti hu pr thora thora dard hota hai aise hi 8 mahine tak maine khoob chudi apne sumit se en 8 mahine me maine sumit ke har dosto ke room par chudi hu , apne ghar par nangi hokar chudi hu ,apne friend farida ke ghar par chudi hu ,apni khala ki beti afsaniya ki ghar me chudi hu , mai nangi ho hokar sumit ki land chat chat kar khoob chudti hu jaisa man chahe waisa ghodi banakr uski randi banakr uski rakhial banakr aur chudte chudte mujhko usse utna payr bhi ho ja rha tha ,
Afsaaniya naigah ke baad bhi apne boyfriend rahul se chudti rahti hai ek baar to wo aur mai apne apne boyfriend se chud rhi thi samne ki kaun kiska jyada damdar hai ,.' me mujhko sacha aur accha boyfriend diya hai mera sumit jeet gya tha eska mtlb ye nhi ki rahul kamjor tha uska ki body tha ...
Holi par kya hua tha mere sath
[+] 1 user Likes Fatimakhan's post
Like Reply
#9
Nice update
Like Reply
#10
Update soon
Like Reply
#11
Update
Like Reply
#12
Update
Like Reply
#13
Update
कायर पति
Like Reply
#14
Update
Like Reply
#15
Ye story suru kiye aapko 2 month se bhi jyada ho raha hai lekin abhi tak aapke 2 update aaye hai
Isase acha aap story ko close kar dijiye
Like Reply
#16
Abhi aap post kar dijiye ki story close
Ye acha rahega
Like Reply
#17
(01-07-2023, 12:00 PM)Fatimakhan Wrote: Part 2


Aur aap sab ko pata hoga ki aaj kal ki ladke bs patane ke kuch hi dino ke anadar chod lete hai to same waise hi sumit se payr  karne ke 1 mahine ke andar mai hotel me jakar raat bhar chud  kar apni chut ko fawada diya tha usse pahale mai kisi se bhi nhi chudi thi seal todne wali raat ko sumit ke mote land se 9 inch lamba aur 3 mote land se chud chud kar khoob royi  thi par jalim sumit ko daya nhi aaya tha us raat ko wo mujhko patak patak kar khoob choda tha uske baad to mai aksar usse chudne lagi 1 mahine tak mujhko bahut dard ho rha tha par usake baad ab mai uska mota land aaram se apni chut me me leti hu pr thora thora dard hota hai aise hi 8 mahine tak maine khoob chudi apne sumit se en 8 mahine me maine sumit ke har dosto ke room par chudi hu , apne ghar par nangi hokar chudi hu ,apne friend farida ke ghar par chudi hu ,apni khala ki beti afsaniya ki ghar me chudi hu , mai nangi ho hokar sumit ki land chat chat kar khoob chudti  hu jaisa man chahe waisa ghodi banakr  uski randi  banakr uski rakhial banakr aur chudte  chudte mujhko usse utna payr bhi ho ja rha tha ,
Afsaaniya  naigah ke baad bhi apne boyfriend rahul se chudti rahti hai ek baar to wo aur mai apne apne boyfriend se chud rhi thi samne ki kaun kiska jyada damdar hai ,.' me mujhko sacha aur accha boyfriend diya hai mera sumit jeet gya tha eska  mtlb ye nhi ki rahul kamjor tha uska ki body tha ...
Holi par kya hua tha mere sath

Kasi hai
Like Reply
#18
फिर मैंने धीमी आवाज में पूछा- जयपुर जाएंगी आप?
भाभी- अभी तक तो, आप कहां जाएंगे?

मैं- अब मैं आपके साथ जाऊंगा.
भाभी बहुत हल्की सी कातिलाना मुस्कुराहट के साथ मेरे हाथ को मसलने लगीं. 

दोस्तो, मैंने अब भाभी की तरफ ध्यान से देखा.
उनका वो सुतवां नाक, बड़ी आंखें, चौड़ा माथा, बड़ी बड़ी कमान सी भौंहें और पतली थोड़ी सुराहीदार गर्दन.
वो ऊंचे कद वाली, चौड़े और पुष्ट चूचों वाले एक अप्सरा सी थीं.
सोने से पीले रंग की कांति वाला एकदम सफेद बदन. 

मैं उनके लिए कुछ सोच ही नहीं पा रहा था इसलिए मैंने उनकी तरफ देखा भी नहीं था.
पर अब मैं अपने अन्दर गम महसूस कर रहा था. 

मैं अपना हाथ उनकी बाजू तक लेकर जाने लगा.
भाभी का कोई भी विरोध नहीं था.

भाभी जैसे चाहती थीं कि मैं उन्हें वो प्यार दूँ, जिसकी को वास्तविक हक़दार हैं.
मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए अपनी सीट को व्यवस्थित किया और फिर से उनके हाथ को स्पर्श करते हुए बाजू से ऊपर तक मसाज जैसा हाथ फेरने लगा,
जब मेरा गहरा स्पर्श हुआ तो मेरे अन्दर अजीब सी हलचल होने लगी.
मेरा लौड़ा उस अवस्था में बूंद बूंद करके टपकने लगा.

उनके अप्रतिम सौंदर्य के कारण अभी तक मैं जैसे सदमे में था. 
फिर जब मेरा हाथ उनके कंधे पर गया, वैसे ही मेरा लौड़ा ऐसे खड़ा हो गया मानो जिन्दगी में पहले कभी खड़ा हुआ ही नहीं हो.
उसके बाद मैंने अपना हाथ उनके मम्मों पर ले जाना चाहा.
भाभी की तरफ़ से कोई भी विरोध नहीं होना तय था मगर मेरा सावधानी रखना आवश्यक था.

मैंने अपने आस-पास देखा.
परिस्थितियां अनुकूल थीं और मैं उत्तेजित हो गया था.

मैंने फिर से खुद को तैयार किया और उनके कश्मीरी शॉल के अन्दर हाथ डाल दिया.
मैंने अपना एक हाथ उनके मम्मों पर रख दिया. उनके भरे हुए चूचे मेरे कब्जे में आए तो मजा आ गया. 

आह अह … 
बड़े कोमल से दूध … जो हाथ फिराने से महसूस हुए. भींचने पर सख्त और एकदम गोलाकार दूध थे. 
मुझे उनकी कॉटन सिल्क शिफॉन की ब्रा के ऊपर से उनके दूध भींचने में जो मजा आया, वो जिंदगी का एक ऐसा पल था कि क्या कहूँ.
वो अहसास परम सुख का अनुभव जैसी बात थी. 

अब मैं लगातार कभी उनके हाथों को, कभी उनके बूब्स को प्यार से स्पर्श कर रहा था. 
कभी उन्हें मसलता, कभी उन्हें हाथ से सहलाता, कभी उनके पेट पर हाथ फिराता.
मेरे से खुश भाभी की आंखें बंद थीं और शायद उनकी चूत भी टपकने लगी थी.

मैं भाभी के और नजदीक होकर भाभी के मम्मों को और नजदीकी के साथ दबाने लगा. 
अब भाभी की बंद आंखें देख कर मैं भाभी के गले पर पर अपना मुँह लेकर गया और गले पर चुम्मी ले ली.
वो सिहर उठीं.

फिर मैंने भाभी का दूसरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर रखा और भाभी के रसीले होंठों की तरफ बढ़ गया.
मैंने भाभी के होंठों में से निचले होंठ को अपने होंठों के बीच में रखा और ऐसे चूसने चाटने लगा कि जैसे ये ही सर्वश्रेष्ठ हैं … इससे ऊपर कुछ भी नहीं.

यही परम सुख है.
यही जीवन है.

अब भाभी की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी थी; उनका लगाया हुआ इत्र मुझे और पागल कर रहा था.
भाभी मेरे अंदाज़ से खुश थीं और हम लगातार एक दूसरे में घुलने से लगे थे.
मैंने भाभी के कमीज में हाथ डाला और उनकी सिल्क कॉटन की ब्रा में हाथ डाल दिया.

मैं उनके निप्पल को अपनी उंगली अंगूठे और कभी दोनों उंगलियों के बीच में रखकर मसलने लगा और लगातार भाभी के होंठों को चूसने चाटने लगा रहा.
भाभी भी मुझे काटने लगीं.
मुझे गुस्सा तो आया, पर अब मैं कुछ कर नहीं सकता था.

पर जब भाभी बहुत तेज़ तेज़ काटने लगीं तो मैंने भी प्रीतिक्रिया में भाभी के गले पर काट दिया.
भाभी का हाथ मेरे लौड़े पर … और मेरा उनकी चूत पर चलने लगा. 

मैंने अपनी जींस के बटन खोला, चैन भी खोली. अब मेरा लौड़ा भाभी के हाथ में था.
भाभी उसे बलपूर्वक आगे पीछे करके मजे लेने लगीं. 

मुझे उनकी निर्दयता पर गुस्सा भी आया, पर वासना के वशीभूत मैं होश में नहीं था.
शायद भाभी भी नहीं.

मैंने भी भाभी की चूत के ऊपर हाथ फेरा. पहले ऊपर से, फिर भाभी की सलवार का नाड़ा खोला और भाभी की चूत के ऊपर से हाथ रगड़ा. 
उनकी बंद चूत से पानी निकल रहा था.
परंतु उनके उस अवस्था में उंगली अन्दर नहीं जा पा रही थी. 

भाभी समझ गईं.
उन्होंने अपनी स्थिति को बदला और अब मैं उनकी चूत में लगातार उंगली करने लगा.

मैंने इतनी उंगली की कि मेरे हाथ की उंगलियां सुन्न हो गयी थीं. 
भाभी ने मेरे गले पर काटा.
वो बार बार काटने लगी थीं.

अब तक लगभग तीन या साढ़े तीन बज गए थे और हमने एक दूसरे को बहुत काटा.
कई कई बार स्खलन भी हमें रोकने को कह रहा था. 

अब कुछ आराम करने के लिए मैं शांत होना चाहता था. परंतु मुझसे पहले ही भाभी ने मुझे धक्के से अलग कर दिया.
मुझे अजीब लगा, परंतु भाभी का मुँह सामने था तो उन्होंने देख लिया था कि कोई उठा और परिचालक और चालक की तरफ बढ़ गया है. 
मैं समझ गया कि शायद शौचालय या लघुशंका का कारण होगा.
वो वापस आकर अपनी सीट में बैठ गए.

मैंने भाभी को प्यार भरे अंदाज़ में दोनों हाथ जोड़कर नमन किया और उन्होंने भी प्रतिउत्तर में मेरा अभिवादन किया.
वो अपने आपमें बहुत ही सुंदर पल थे.
मैंने उनका नाम पूछा. 

उन्होंने कहा कि जो आपको अच्छा लगे, वो बोलो.
मुझसे उन्होंने नाम नहीं पूछा.
मैं समझ गया.

भाभी भी अब थक गई थीं और मैं भी.
मैं- सुबह कुछ समय के लिए कहीं मिल सकते हैं?
भाभी- सुबह देखते हैं.

मैंने भाभी की आंख से आंख मिलाकर उनके गाल पर चुम्मी की.
उसके बाद भाभी नींद में जाने लगी थीं.
साढ़े चार हो गए थे.
मैंने अपना मन समझाया और अपने आपको रोका. 

हालांकि मैं कुछ कुछ करता भी रहा, भाभी निर्विरोध आराम की अवस्था में थीं. 
वो सो गईं, पर मुझे नींद भी नहीं आई.
अब सुबह लगभग पांच बज गए थे.
भाभी उठीं. 

उन्होंने मुझसे पूछा- सोये नहीं?
मैं- आप पास हों तो कोई कैसे सो सकता है?

भाभी- मेरे गले में दर्द हो रहा है.
मैं- ये प्यार का दर्द है।
क्योंकि मैंने उन्हें काटा हुआ था.

मैं- उतरकर होटल चलेंगे.
भाभी- जो आपके साथ हैं, उनका क्या?


मैं- मैं और आप चलेंगे, वो लोग चले जाएंगे.
भाभी- ठीक है.

सुबह लगभग सवा पांच बजे हम लोग जयपुर उतरे.
मैंने भाभी से कहा- आप मेरी प्रतीक्षा करें. मैं उन्हें बताकर आता हूं.

भाभी- क्या बताइएगा?
मैं- यही कि मेरे एक मित्र की आप जानकार हैं. मैं उनसे मिलकर आता हूं.

तब मैं गया, उन्हें बताया.
क्योंकि अपनी और दूसरों की सुरक्षा और निजता रखना सभी सभ्य जनों की प्राथमिकता होती है. 

मैंने अभी अपने दोस्तों के लिए इसे उस समय राज रखा और मैं भाभी को लेकर होटल के लिए निकल गया.
पास में ही होटल था, जाकर रूम लिया.

मुझे भाभी ने कहा- मेरा नाम अफाफ है.
मैंने तारीफ़ की … और उनकी तरफ बढ़ा. 

भाभी ने कहा- पहले फ्रेश हो जाइए.
कुछ ही देर में मैं फ्रेश हो गया.
फिर भाभी फ्रेश होने के लिए गईं. 

इसी अंतराल में मैंने कुछ खाने के लिए ऑर्डर किया क्योंकि बिना ख़ुराक के संभोग बेमजा हो जाता है.
मैंने और अफाफ ने आहार लिया. 

खाते समय कुछ बातें भी की.
अफाफ ने सफेद रंग का एक सूट पहना हुआ था जिसमें वो बहुत मोहक लग रही थीं.

खाना होने के बाद मैं अफाफ के पास सरक आया, एक एक करके मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए.
अफाफ मुझे बड़े प्यार से देख रही थीं. सेक्सी भाभी सेक्स के लिए आतुर दिख रही थी.

मैंने बहुत प्यार से उनके भी सारे कपड़े निकाल दिए.
मैं और अफाफ अब बिल्कुल नंगे थे और एक दूसरे के अंगों को हाथ से स्पर्श कर रहे थे. 

मेरी तक़दीर ने आज मुझे जो दिया था, मैं बस उसे अनुभव कर सकता था.
उनकी बेपनाह खूबसूरत जवानी को कलम से लिखा ही नहीं जा सकता था. 

अब मुझे अफाफ को वो देना था, जिसे पाकर अफाफ भी कहे कि आदमी तो बॉबी था.
मुझे उस समय लग रहा था कि बॉबी आज ये पूरे दुनिया के आदमियों की लड़ाई है और इसे हर हाल में जीतना ही है.

सेक्स करने से पहले जो भी सावधानी जरूरी थी, वो मैंने पहले से कर ली थी.
मतलब कंडोम आदि मेरे बैग में थे.

मैंने अफाफ के गले से शुरूआत की और उन्हें बेड के कोने में ले आया, उनकी दोनों टांगों को फैला कर उनकी चूत में लौड़ा रख दिया.
लंड के स्पर्श के कारण अफाफ की चूत स्वाभाविक रूप से गीली हो गयी थी.

मेरे लौड़े की नसों में खून का दौरा बढ़ जाने से वो सब फूल गई थीं.
लौड़े की स्थिति ऐसी थी कि आगे का कोमल भाग फूल कर सख्त हो गया था और सुपारे के बाद एक ऐसा छल्ला सा बन गया था जो किसी गगरी का गला सा बन गया था और एकदम कड़क हो गया था. 

मैं महसूस कर रहा था कि उस दिन मेरा लंड कुछ ज्यादा ही बड़ा और लंबा हो गया था.
जब मेरे लंड का सुपारा चूत के अन्दर गय, तो अफाफ की चूत की संवेदनशीलता को भूकंप का झटका सा लगा.

मेरा लंड अपनी पूरी लम्बाई के साथ चूत में धंस गया था और पूरा आठ इंच तक अफाफ की चूत में छेदन करने लगा था.
अफाफ की दर्द भरी आवाजों ने मेरे लंड को और ज्यादा खूंखार बना दिया था.

मैं बेरहमी से पेलता चला गया.
मैंने लगभग पंद्रह मिनट अफाफ की चूत में लगातार धक्के मारे और उससे मेरा पूरा शरीर पसीने में तर-बतर हो गया.
अफाफ के मुँह पर मेरा हाथ लगा था तो उनकी आवाज नहीं निकल सकी.
कुछ देर बाद लंड चूत में दोस्ती हो गई.

अब जब मेरी धक्के मारने की गति बढ़ती तो वो मेरे हाथ की उंगलियों को चबाने लगतीं.
मुझे क्रोध तो आता, पर अफाफ भाभी दिलकश ही इतनी थीं कि आज अंजाम लहूलुहान का खेल भी हो, तो मंजूर था. 

जब मैं सांस लेने के लिए रुका, तो पसीने की एक धार ने मेरी गांड के छेद पर आकर जैसे शाबाशी दे दी.
दोस्तो, अफाफ भाभी की जांघ के बीच में तिल था, वो जैसे कह रहा था कि ये असली चूत की मोहर है.

अफाफ का गोरा बदन और उस पर बड़े बड़े गोल सुनहरे रंग के निप्पल, जैसे कह रहे थे कि हम अव्वल नगीने हैं.
परंतु संयोगवश मैं भी बॉबी था.

मेरे रुकते ही अफाफ भाभी कुछ नहीं बोलीं. 
वो लौड़े को प्यार से पुचकारने लगीं और धीमे से बोलीं- अब मेरी बारी है.
मैं- जी जरूर.

अफाफ भाभी ने मुझे लिटा दिया और मुझे प्यार करने लगीं. 
भाभी हाथ फेरती हुई मुझे चाटतीं और फिर काटने लगतीं.
उनका काटना भी बड़ा मस्त था. कभी वो हल्के से काटतीं तो कभी बहुत तेज़, पर अभी उनके साथ मुझे हर तरह से मजा आ रहा था.

जब वो मुझे तेज़ी से काटतीं, तो मैं उन्हें अपने से दूर कर देता और मैं भी उतनी ही तेजी से काट लेता. 
मुझे लगने लगा था कि जब मैं यहां से फ्री होऊंगा तो पक्के में मेरी चमड़ी कई जगह से नीली हो जाएगी.
हालांकि उस वक्त भाभी के इस तरह काटने से मेरा लंड उत्तेजित ज्यादा हो रहा था. वो अफाफ भाभी को अकड़ कर सलामी देने लगा था.
अफाफ भाभी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाती हुई बोलीं- इसको क्या हो गया?
मैं- ये आपको झुककर सलाम कर रहा है.

अफाफ- इससे कहो कि बहुत हुआ सलाम … अब ये अपना काम करे.
ये सुनकर मैंने अफाफ भाभी की चूची पर हाथ रख दिया और उसे अपनी तरफ खींचा, तो अफाफ भाभी किसी कटी हुई डाल की तरह मेरी बांहों में आ गिरीं. 

मैंने भाभी को उठाया और बेड पर पटक दिया. अफाफ भाभी खिलखिला कर बेड से उठीं और पलट कर मुझे बेड पर खींच लिया.
मैं जैसे ही बेड पर गिरा, भाभी ने मुझे लिटा दिया और मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया.

वो मेरे लंड को चूसने चाटने लगीं और मुँह में भर कर गले तक लेकर मजा लेने लगीं.
अब मैं भी अफाफ भाभी को आराम आराम से सहलाते हुए उनके मुँह को चोदने लगा.
कभी लंड भाभी के मुँह से निकाल कर मैं उनके गुलाबी होंठों का रसपान करने लगता तो कभी उनकी चूची को चूसने लगता और फिर वापस उनके मुँह में लंड पेल कर मुख चोदन करने लगता.

इसी तरह के खेल में हम दोनों मस्त हुए पड़े थे.
फिर एक दौर ऐसा भी आया कि मेरे लौड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया.
मैंने इशारा किया तो अफाफ भाभी ने मुँह से लंड बाहर निकाल लिया. 

मैंने मतवाली आंखों से उन्हें निहारा तो उन्होंने कचकचा कर लंड खाने जैसा किया और एक बार फिर से लंड मुँह में ले लिया.
बस यहीं गजब हो गया.

लंड ने पिचकारी मार दी.
अफाफ भाभी ने जल्दी से लंड बाहर निकाला मगर तब तक काम हो गया था.

कुछ माल भाभी के मुँह में, कुछ मेरे पेट पर और मेरी नाभि पर आ गिरा.
मेरे वीर्य से मेरी नाभि भर गई. 

उस समय मेरा वीर्यपात इतना ज्यादा हुआ था कि मानो उससे पहले कभी हुआ ही नहीं हो.
मैं फिर से बाथरूम में जाकर नहाया. अफाफ भी मेरे साथ नहाने लगीं.

हम दोनों ने अलग अलग मुद्राओं में चुदाई का मजा लिया.
अफाफ भाभी ने पैरों में तेल लगाकर लंड की जो मालिश की, वो भी एक अतुलनीय अनुभव रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#19
(10-01-2024, 01:55 PM)neerathemall Wrote: फिर मैंने धीमी आवाज में पूछा- जयपुर जाएंगी आप?
भाभी- अभी तक तो, आप कहां जाएंगे?

मैं- अब मैं आपके साथ जाऊंगा.
भाभी बहुत हल्की सी कातिलाना मुस्कुराहट के साथ मेरे हाथ को मसलने लगीं. 

दोस्तो, मैंने अब भाभी की तरफ ध्यान से देखा.
उनका वो सुतवां नाक, बड़ी आंखें, चौड़ा माथा, बड़ी बड़ी कमान सी भौंहें और पतली थोड़ी सुराहीदार गर्दन.
वो ऊंचे कद वाली, चौड़े और पुष्ट चूचों वाले एक अप्सरा सी थीं.
सोने से पीले रंग की कांति वाला एकदम सफेद बदन. 

मैं उनके लिए कुछ सोच ही नहीं पा रहा था इसलिए मैंने उनकी तरफ देखा भी नहीं था.
पर अब मैं अपने अन्दर गम महसूस कर रहा था. 

मैं अपना हाथ उनकी बाजू तक लेकर जाने लगा.
भाभी का कोई भी विरोध नहीं था.

भाभी जैसे चाहती थीं कि मैं उन्हें वो प्यार दूँ, जिसकी को वास्तविक हक़दार हैं.
मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए अपनी सीट को व्यवस्थित किया और फिर से उनके हाथ को स्पर्श करते हुए बाजू से ऊपर तक मसाज जैसा हाथ फेरने लगा,
जब मेरा गहरा स्पर्श हुआ तो मेरे अन्दर अजीब सी हलचल होने लगी.
मेरा लौड़ा उस अवस्था में बूंद बूंद करके टपकने लगा.

उनके अप्रतिम सौंदर्य के कारण अभी तक मैं जैसे सदमे में था. 
फिर जब मेरा हाथ उनके कंधे पर गया, वैसे ही मेरा लौड़ा ऐसे खड़ा हो गया मानो जिन्दगी में पहले कभी खड़ा हुआ ही नहीं हो.
उसके बाद मैंने अपना हाथ उनके मम्मों पर ले जाना चाहा.
भाभी की तरफ़ से कोई भी विरोध नहीं होना तय था मगर मेरा सावधानी रखना आवश्यक था.

मैंने अपने आस-पास देखा.
परिस्थितियां अनुकूल थीं और मैं उत्तेजित हो गया था.

मैंने फिर से खुद को तैयार किया और उनके कश्मीरी शॉल के अन्दर हाथ डाल दिया.
मैंने अपना एक हाथ उनके मम्मों पर रख दिया. उनके भरे हुए चूचे मेरे कब्जे में आए तो मजा आ गया. 

आह अह … 
बड़े कोमल से दूध … जो हाथ फिराने से महसूस हुए. भींचने पर सख्त और एकदम गोलाकार दूध थे. 
मुझे उनकी कॉटन सिल्क शिफॉन की ब्रा के ऊपर से उनके दूध भींचने में जो मजा आया, वो जिंदगी का एक ऐसा पल था कि क्या कहूँ.
वो अहसास परम सुख का अनुभव जैसी बात थी. 

अब मैं लगातार कभी उनके हाथों को, कभी उनके बूब्स को प्यार से स्पर्श कर रहा था. 
कभी उन्हें मसलता, कभी उन्हें हाथ से सहलाता, कभी उनके पेट पर हाथ फिराता.
मेरे से खुश भाभी की आंखें बंद थीं और शायद उनकी चूत भी टपकने लगी थी.

मैं भाभी के और नजदीक होकर भाभी के मम्मों को और नजदीकी के साथ दबाने लगा. 
अब भाभी की बंद आंखें देख कर मैं भाभी के गले पर पर अपना मुँह लेकर गया और गले पर चुम्मी ले ली.
वो सिहर उठीं.

फिर मैंने भाभी का दूसरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर पर रखा और भाभी के रसीले होंठों की तरफ बढ़ गया.
मैंने भाभी के होंठों में से निचले होंठ को अपने होंठों के बीच में रखा और ऐसे चूसने चाटने लगा कि जैसे ये ही सर्वश्रेष्ठ हैं … इससे ऊपर कुछ भी नहीं.

यही परम सुख है.
यही जीवन है.

अब भाभी की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी थी; उनका लगाया हुआ इत्र मुझे और पागल कर रहा था.
भाभी मेरे अंदाज़ से खुश थीं और हम लगातार एक दूसरे में घुलने से लगे थे.
मैंने भाभी के कमीज में हाथ डाला और उनकी सिल्क कॉटन की ब्रा में हाथ डाल दिया.

मैं उनके निप्पल को अपनी उंगली अंगूठे और कभी दोनों उंगलियों के बीच में रखकर मसलने लगा और लगातार भाभी के होंठों को चूसने चाटने लगा रहा.
भाभी भी मुझे काटने लगीं.
मुझे गुस्सा तो आया, पर अब मैं कुछ कर नहीं सकता था.

पर जब भाभी बहुत तेज़ तेज़ काटने लगीं तो मैंने भी प्रीतिक्रिया में भाभी के गले पर काट दिया.
भाभी का हाथ मेरे लौड़े पर … और मेरा उनकी चूत पर चलने लगा. 

मैंने अपनी जींस के बटन खोला, चैन भी खोली. अब मेरा लौड़ा भाभी के हाथ में था.
भाभी उसे बलपूर्वक आगे पीछे करके मजे लेने लगीं. 

मुझे उनकी निर्दयता पर गुस्सा भी आया, पर वासना के वशीभूत मैं होश में नहीं था.
शायद भाभी भी नहीं.

मैंने भी भाभी की चूत के ऊपर हाथ फेरा. पहले ऊपर से, फिर भाभी की सलवार का नाड़ा खोला और भाभी की चूत के ऊपर से हाथ रगड़ा. 
उनकी बंद चूत से पानी निकल रहा था.
परंतु उनके उस अवस्था में उंगली अन्दर नहीं जा पा रही थी. 

भाभी समझ गईं.
उन्होंने अपनी स्थिति को बदला और अब मैं उनकी चूत में लगातार उंगली करने लगा.

मैंने इतनी उंगली की कि मेरे हाथ की उंगलियां सुन्न हो गयी थीं. 
भाभी ने मेरे गले पर काटा.
वो बार बार काटने लगी थीं.

अब तक लगभग तीन या साढ़े तीन बज गए थे और हमने एक दूसरे को बहुत काटा.
कई कई बार स्खलन भी हमें रोकने को कह रहा था. 

अब कुछ आराम करने के लिए मैं शांत होना चाहता था. परंतु मुझसे पहले ही भाभी ने मुझे धक्के से अलग कर दिया.
मुझे अजीब लगा, परंतु भाभी का मुँह सामने था तो उन्होंने देख लिया था कि कोई उठा और परिचालक और चालक की तरफ बढ़ गया है. 
मैं समझ गया कि शायद शौचालय या लघुशंका का कारण होगा.
वो वापस आकर अपनी सीट में बैठ गए.

मैंने भाभी को प्यार भरे अंदाज़ में दोनों हाथ जोड़कर नमन किया और उन्होंने भी प्रतिउत्तर में मेरा अभिवादन किया.
वो अपने आपमें बहुत ही सुंदर पल थे.
मैंने उनका नाम पूछा. 

उन्होंने कहा कि जो आपको अच्छा लगे, वो बोलो.
मुझसे उन्होंने नाम नहीं पूछा.
मैं समझ गया.

भाभी भी अब थक गई थीं और मैं भी.
मैं- सुबह कुछ समय के लिए कहीं मिल सकते हैं?
भाभी- सुबह देखते हैं.

मैंने भाभी की आंख से आंख मिलाकर उनके गाल पर चुम्मी की.
उसके बाद भाभी नींद में जाने लगी थीं.
साढ़े चार हो गए थे.
मैंने अपना मन समझाया और अपने आपको रोका. 

हालांकि मैं कुछ कुछ करता भी रहा, भाभी निर्विरोध आराम की अवस्था में थीं. 
वो सो गईं, पर मुझे नींद भी नहीं आई.
अब सुबह लगभग पांच बज गए थे.
भाभी उठीं. 

उन्होंने मुझसे पूछा- सोये नहीं?
मैं- आप पास हों तो कोई कैसे सो सकता है?

भाभी- मेरे गले में दर्द हो रहा है.
मैं- ये प्यार का दर्द है।
क्योंकि मैंने उन्हें काटा हुआ था.

मैं- उतरकर होटल चलेंगे.
भाभी- जो आपके साथ हैं, उनका क्या?


मैं- मैं और आप चलेंगे, वो लोग चले जाएंगे.
भाभी- ठीक है.

सुबह लगभग सवा पांच बजे हम लोग जयपुर उतरे.
मैंने भाभी से कहा- आप मेरी प्रतीक्षा करें. मैं उन्हें बताकर आता हूं.

भाभी- क्या बताइएगा?
मैं- यही कि मेरे एक मित्र की आप जानकार हैं. मैं उनसे मिलकर आता हूं.

तब मैं गया, उन्हें बताया.
क्योंकि अपनी और दूसरों की सुरक्षा और निजता रखना सभी सभ्य जनों की प्राथमिकता होती है. 

मैंने अभी अपने दोस्तों के लिए इसे उस समय राज रखा और मैं भाभी को लेकर होटल के लिए निकल गया.
पास में ही होटल था, जाकर रूम लिया.

मुझे भाभी ने कहा- मेरा नाम अफाफ है.
मैंने तारीफ़ की … और उनकी तरफ बढ़ा. 

भाभी ने कहा- पहले फ्रेश हो जाइए.
कुछ ही देर में मैं फ्रेश हो गया.
फिर भाभी फ्रेश होने के लिए गईं. 

इसी अंतराल में मैंने कुछ खाने के लिए ऑर्डर किया क्योंकि बिना ख़ुराक के संभोग बेमजा हो जाता है.
मैंने और अफाफ ने आहार लिया. 

खाते समय कुछ बातें भी की.
अफाफ ने सफेद रंग का एक सूट पहना हुआ था जिसमें वो बहुत मोहक लग रही थीं.

खाना होने के बाद मैं अफाफ के पास सरक आया, एक एक करके मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए.
अफाफ मुझे बड़े प्यार से देख रही थीं. सेक्सी भाभी सेक्स के लिए आतुर दिख रही थी.

मैंने बहुत प्यार से उनके भी सारे कपड़े निकाल दिए.
मैं और अफाफ अब बिल्कुल नंगे थे और एक दूसरे के अंगों को हाथ से स्पर्श कर रहे थे. 

मेरी तक़दीर ने आज मुझे जो दिया था, मैं बस उसे अनुभव कर सकता था.
उनकी बेपनाह खूबसूरत जवानी को कलम से लिखा ही नहीं जा सकता था. 

अब मुझे अफाफ को वो देना था, जिसे पाकर अफाफ भी कहे कि आदमी तो बॉबी था.
मुझे उस समय लग रहा था कि बॉबी आज ये पूरे दुनिया के आदमियों की लड़ाई है और इसे हर हाल में जीतना ही है.

सेक्स करने से पहले जो भी सावधानी जरूरी थी, वो मैंने पहले से कर ली थी.
मतलब कंडोम आदि मेरे बैग में थे.

मैंने अफाफ के गले से शुरूआत की और उन्हें बेड के कोने में ले आया, उनकी दोनों टांगों को फैला कर उनकी चूत में लौड़ा रख दिया.
लंड के स्पर्श के कारण अफाफ की चूत स्वाभाविक रूप से गीली हो गयी थी.

मेरे लौड़े की नसों में खून का दौरा बढ़ जाने से वो सब फूल गई थीं.
लौड़े की स्थिति ऐसी थी कि आगे का कोमल भाग फूल कर सख्त हो गया था और सुपारे के बाद एक ऐसा छल्ला सा बन गया था जो किसी गगरी का गला सा बन गया था और एकदम कड़क हो गया था. 

मैं महसूस कर रहा था कि उस दिन मेरा लंड कुछ ज्यादा ही बड़ा और लंबा हो गया था.
जब मेरे लंड का सुपारा चूत के अन्दर गय, तो अफाफ की चूत की संवेदनशीलता को भूकंप का झटका सा लगा.

मेरा लंड अपनी पूरी लम्बाई के साथ चूत में धंस गया था और पूरा आठ इंच तक अफाफ की चूत में छेदन करने लगा था.
अफाफ की दर्द भरी आवाजों ने मेरे लंड को और ज्यादा खूंखार बना दिया था.

मैं बेरहमी से पेलता चला गया.
मैंने लगभग पंद्रह मिनट अफाफ की चूत में लगातार धक्के मारे और उससे मेरा पूरा शरीर पसीने में तर-बतर हो गया.
अफाफ के मुँह पर मेरा हाथ लगा था तो उनकी आवाज नहीं निकल सकी.
कुछ देर बाद लंड चूत में दोस्ती हो गई.

अब जब मेरी धक्के मारने की गति बढ़ती तो वो मेरे हाथ की उंगलियों को चबाने लगतीं.
मुझे क्रोध तो आता, पर अफाफ भाभी दिलकश ही इतनी थीं कि आज अंजाम लहूलुहान का खेल भी हो, तो मंजूर था. 

जब मैं सांस लेने के लिए रुका, तो पसीने की एक धार ने मेरी गांड के छेद पर आकर जैसे शाबाशी दे दी.
दोस्तो, अफाफ भाभी की जांघ के बीच में तिल था, वो जैसे कह रहा था कि ये असली चूत की मोहर है.

अफाफ का गोरा बदन और उस पर बड़े बड़े गोल सुनहरे रंग के निप्पल, जैसे कह रहे थे कि हम अव्वल नगीने हैं.
परंतु संयोगवश मैं भी बॉबी था.

मेरे रुकते ही अफाफ भाभी कुछ नहीं बोलीं. 
वो लौड़े को प्यार से पुचकारने लगीं और धीमे से बोलीं- अब मेरी बारी है.
मैं- जी जरूर.

अफाफ भाभी ने मुझे लिटा दिया और मुझे प्यार करने लगीं. 
भाभी हाथ फेरती हुई मुझे चाटतीं और फिर काटने लगतीं.
उनका काटना भी बड़ा मस्त था. कभी वो हल्के से काटतीं तो कभी बहुत तेज़, पर अभी उनके साथ मुझे हर तरह से मजा आ रहा था.

जब वो मुझे तेज़ी से काटतीं, तो मैं उन्हें अपने से दूर कर देता और मैं भी उतनी ही तेजी से काट लेता. 
मुझे लगने लगा था कि जब मैं यहां से फ्री होऊंगा तो पक्के में मेरी चमड़ी कई जगह से नीली हो जाएगी.
हालांकि उस वक्त भाभी के इस तरह काटने से मेरा लंड उत्तेजित ज्यादा हो रहा था. वो अफाफ भाभी को अकड़ कर सलामी देने लगा था.
अफाफ भाभी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाती हुई बोलीं- इसको क्या हो गया?
मैं- ये आपको झुककर सलाम कर रहा है.

अफाफ- इससे कहो कि बहुत हुआ सलाम … अब ये अपना काम करे.
ये सुनकर मैंने अफाफ भाभी की चूची पर हाथ रख दिया और उसे अपनी तरफ खींचा, तो अफाफ भाभी किसी कटी हुई डाल की तरह मेरी बांहों में आ गिरीं. 

मैंने भाभी को उठाया और बेड पर पटक दिया. अफाफ भाभी खिलखिला कर बेड से उठीं और पलट कर मुझे बेड पर खींच लिया.
मैं जैसे ही बेड पर गिरा, भाभी ने मुझे लिटा दिया और मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया.

वो मेरे लंड को चूसने चाटने लगीं और मुँह में भर कर गले तक लेकर मजा लेने लगीं.
अब मैं भी अफाफ भाभी को आराम आराम से सहलाते हुए उनके मुँह को चोदने लगा.
कभी लंड भाभी के मुँह से निकाल कर मैं उनके गुलाबी होंठों का रसपान करने लगता तो कभी उनकी चूची को चूसने लगता और फिर वापस उनके मुँह में लंड पेल कर मुख चोदन करने लगता.

इसी तरह के खेल में हम दोनों मस्त हुए पड़े थे.
फिर एक दौर ऐसा भी आया कि मेरे लौड़े ने आत्मसमर्पण कर दिया.
मैंने इशारा किया तो अफाफ भाभी ने मुँह से लंड बाहर निकाल लिया. 

मैंने मतवाली आंखों से उन्हें निहारा तो उन्होंने कचकचा कर लंड खाने जैसा किया और एक बार फिर से लंड मुँह में ले लिया.
बस यहीं गजब हो गया.

लंड ने पिचकारी मार दी.
अफाफ भाभी ने जल्दी से लंड बाहर निकाला मगर तब तक काम हो गया था.

कुछ माल भाभी के मुँह में, कुछ मेरे पेट पर और मेरी नाभि पर आ गिरा.
मेरे वीर्य से मेरी नाभि भर गई. 

उस समय मेरा वीर्यपात इतना ज्यादा हुआ था कि मानो उससे पहले कभी हुआ ही नहीं हो.
मैं फिर से बाथरूम में जाकर नहाया. अफाफ भी मेरे साथ नहाने लगीं.

हम दोनों ने अलग अलग मुद्राओं में चुदाई का मजा लिया.
अफाफ भाभी ने पैरों में तेल लगाकर लंड की जो मालिश की, वो भी एक अतुलनीय अनुभव रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#20
पूर्व कथा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: