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Adultery शर्मिली भाभी
...

रश्मी की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से तुषार के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो तुषार को और भी उत्तेजित कर रही थी ।


अब तुषार ने रश्मी के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे रश्मी की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को रश्मी की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। तुषार का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही रश्मी के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।


अपना लंड़ रश्मी की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह रश्मी के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " रश्मी जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "राज" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता ।


तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे राज के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे रश्मी का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "राज" आ रहा है न रश्मी तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया ।


रश्मी के गालों को चूमने और उसे "राज" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ रश्मी की जांघो और उसकी गांड़ो को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो रश्मी की छातियों को मसल रहा था । अब तुषार के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ रश्मी की चूत में लगा देता है।


लंड़ के चूत में लगते ही रश्मी सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर तुषार भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद रश्मी की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।


कुछ क्षणों तक इसी तरह रश्मी को दर्द से कराहते देख तुषार उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही रश्मी दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो तुषार सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर । उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख तुशार को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और रश्मी के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।


लंड़ को पूरी तरह से रश्मी की चूत मे उतार देने के बाद तुषार रश्मी के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह रश्मी के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ रश्मी की चूत में अंदर बाहर होने लगता है।


पराया धन, पराई स्त्री और मुफ़्त में मिली लाचार स्त्री तुषार जैसे अधिकांश पुरुषों की चाहत होती है , मर्द शुरु से ही स्त्री के शरीर को भोगने के लिये उसे पूरे दमखम के साथ और अधिकार से हासिल करना चाहता है। तुशार अपने मकसद में कामयाब हो चुका था और रश्मी के नंगे जिस्म पर बलात ही सही लेकिन अब वो लाचार स्त्री उसके अधिकार में थी।


रश्मी के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से तुषार की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और रश्मी को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।


वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ रश्मी के मुंह के एक आह निकल जाती थी । आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ रश्मी के मुंह के से निकलने वाली कराहों से तुषार और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर रश्मी को चोदने लगता है।


दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। रश्मी का हाथ अब तुषार के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।


तभी तुशार हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर रश्मी की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी । वो देखता है कि रश्मी हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।


रश्मी को इस तरह करते हुए देख तुषार उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो रश्मी के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो तुषार उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से रश्मी भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।
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कुछ देर तक इसी तरह से रश्मी भाभी को चोदने के बाद तुशार थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो रश्मी को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था । वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड रश्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ रश्मी के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है ।


उसके हाथ अब रश्मी के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।


उफ़, औरत की ये छातियां हमेंशा ही मर्दों के आकर्षण का केन्द्र रही है , इन्हें पाने और भोगने के लिये ये मर्द हमेंशा ही बड़ा से बड़ा कुकर्म करने के लिये तैयार रहते हैं। कभी तुशार भी रश्मी की छाती के क्लिवेज देखने के लिये तरसता था और उसे देखने के लिये उसके आगे पिछे घुमता रहता था आज उसी रशमी की गदराई छातियां उसके सामने एकदम नंगी खुली पड़ी थी और वो उसे जोर जोर से मसले जा रहा था।


अत्यधिक मसले जाने के कारण रश्मी की छातिय़ां लाल हो गई थी और उसमे तुषार की उंगलियों के लाल निशान साफ़ तौर पर दिख रहे थे। अब तुषार नें थोडा निचे झुकते हुए उसके बाएं बूब्स के निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और उसे जोर जोर से चूमने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसका दायां दूध मसलने लगा और निचे अपने लंड़ के धक्के उसने रश्मी की चूत में लगाने जारी रखे ।


इस तरह बूब्स को दबाने और चूसने और अपनी चूत में लगातार लंड़ के झटके पड़ने से रश्मी भी काम उत्तेजना में झूम जाती है और अपनी कमर को हौले हौले झटके देने लगती है एक दूसरे की बाहों में नग्न रश्मी और तुषार लगातार अपनी कमर को झटके दे कर चुदाई में इतने तल्लीन हो चुके थे कि कि वो दोनों ही अपनी सुध बुध खो चुके थे उन्हें खुद का भी खयाल नहीं था वे तो बस एक दूसरे में इतने तल्लीन हो चुके थे मानों संभोग करते हुए उन्हें समाधी लग गई हो।


कुछ देर तक इसी तरह अपनी सुध बुध खो देने वाली चुदाई के बाद तुषार तनिक उपर उठता है और उसका बूब्स चूसना छोड़ कर अब वो रश्मी के उपर उकडू बैठ जाता है उसका लन्*ड़ अभी भी रश्मी की चूत में था , अब वो उसके दोनों बूब्स को फ़िर अपने दोनों हाथों ले लेता है और उसे बुरि तरह्से मसलने लगता है और अपने लंड़ को और भी जोर जोर से उसकी चूत में पेलना शुरु कर देता है तो रश्मी का चेहरा आनंद से खिल उठता है तुषार की इस हरकत से उसे इतना आनंद मिलता है कि उसके मुंह से आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आउच्च्च्च्च्च्च्च ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ की अवाज निकलने लगती है और वो वासना के समुन्दर में गोते लगाने लगती है।


रश्मी को इतनी मजबूती से राज ने कभी नहीं चोदा था इसीलिये तुषार द्वारा उसकी ऐसी चुदाई करने से वो अपना सुध बुध को बैठी और अपने और तुषार के बीच के रिश्ते को भी भूल बैठी,पिछले कई महिनों से उसकी दमित वासना को तुषार ने न केवल भड़काया था बल्कि उसे उतनी ही खूबसरती से शांत भी कर रहा था। रश्मी आज काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी और वो अब तक की अपनी सारी हिचक और शरम को छोड़ उन्मुक्त भाव से तुषार का साथ दे रही थी और अपनी हवस शांत करने के लिये अपना नंगा शरीर उसे सौंप चुकी थी। अपना शरीर पूरी तरह से निढाल कर दिया था कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं था और अपने सम्पूर्ण शरीर को ढीला छोड़ के तुषार के हवाले कर दिया था और उसे अपने नंगे जिस्म के साथ मनमानी करने और उससे खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी थी।


रश्मी के इस उन्मुक्त समर्पण ने तुशार को और भी हब्शी बना दिया वो और भी कमातुर हो कर रश्मी को चोदने लगा , वो और जोरों से उसकी चूत में झटके मारने लगा रश्मी के पहाड़ के जैसे विशाल स्तनों को उसने और भी जोरों पकड़ लिया और उसे इस तरह से मसलने लगा मानों वो उसे उसकी छातीयों से उखाड़ कर निकालना चाहता था।


रश्मी अपना सर बड़ी ही तेजी से इधर उधर घुमा रही थी अपनी ऐसी चुदाई से अब वो हांफ़ने लगी थी और अब वो लंबी लंबी सांसे ले रही थी। तुषार उसकी इस अवस्था को देख उत्तेजना के सागर में डूबता चला जाता है और उसके दोनों विशाल स्तनों को छोड़कर अब अपने दोनों हाथ उसकी पीठ के नीचे ले जाता है और उसे आहिस्ता से उठा कर अपनी गोद में बिठा लेता है फुरी तरह से निढाल रश्मी के दोनों हाथ दाएं बाएं झूल जाते है और वो एक झटके में उसकी गोद में समा जाती है। तुषार का लंड़ रश्मी की चूत में था और नंगी रश्मी तुषार की गोद में उसके दोनों हाथ झूल रहे थे और गर्दन पिछे की तरफ़ झुकी हुई थी। चूंकी वो उसकी गोद में बैठी थी इसलिये उसके दोनों विशाल स्तन उसके मुंह के पास झूल रहे थे , तुषार ने मारे उत्तेजना के उसके विशाल स्तन को अपने मुंह से लगा लिया और उसमें भरे जवानी के रस को पीने लगा।


तुषार ने अब अपना एक हाथ उसकी पीठ से हटा कर उसकी चिकनी गांड़ पर रखा और उसे हल्के हल्के से उपर उठाने और छोड़्ने लेगा रश्मी अब उसकी गोद में उपर निचे होने लगी और तुषार की गोद में बैठे हुए ही उससे चुदने लगी। किसी मर्द की गोद में बैठ कर चुदने का रश्मी का ये पहला अनुभव था उसे ये अभास भी नही था कि मर्द की गोद में बैठ कर भी उसका लंड अपनी चूत में लिया जा सकता है, ये नया अनुभव उसके लिये काफ़ी रोमांचक था और वो इस रोमांच का भरपूर मजा ले रही थी उसने अपने दोनों लटके हुए हाथ अब तुषार के कंधो पर रख लिये और वो खुद भी अपने पैरों के पंजो के सहारे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होने लगी इससे तुषार को काफ़ी रोमांच होने लगा और उसका हाथ थोड़ी देर के लिये खाली हो गया ।


अब वो रश्मी को उपर नीचे करना छोड़ कर उसकी गांड़ को सहलाने लगा क्योंकि रश्मी खुद ही उसकी गोद में बैठ कर उसके लंड़ पर उपर नीचे हो रही थी और झटके मार रही थी। अपने हाथों से वो रश्मी की चिकनी गांड़ो को सहलाते हुए उसकी गांड़ का छेद तलाशने लगता है और अपना हाथ उसकी गांड़ के छेद पर रख देता है।


अपनी गांड़ के छेद पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी के शरीर में एक सनसनी दौड़ जाती है और वो तनिक जोर से उसके कंधो को पकड़ लेती है। इधर तुषार अब हौले हौले उसकी गांड़ के छेद को अपनी उंगली से रहड़ने लगता है। अपने शरीर के दोनों छेदों पर एक साथ घर्षण से रश्मी थरथरा जाती है।उसके जिस्म में ऐसी उत्तेजना होने लगती है जिसे सहन करना अब उसके बस में नहीं था ।

रश्मी की गांड़ मारने की तुषार की बहुत इच्छा थी लेकिन इससे पहले वो उसे अपने मोटे लंड़ के लिये तैयार करना चाहता था। कुछ देर तक उसकी गांड़ के छेद में अपनी उंगली रगड़्ने के बाद वो हौले से अपनी पहली उंगली को थोड़ा सा धक्का देते हुए उसकी गांड़ मे घुसा देता है और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगता है।


गांड़ में तुषार की उंगली और चूत में उसका लंड़ अपने दोनों छेदों की इस तरह से एक साथ चुदाई से रश्मी इससे एकदम बदहवास हो जाती है और वो तुषार को जोर से भींच लेती है और उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगती है। उसे ऐसा लगा कि अब वो झड़ जायेगी। तुशार तेजी से उसकी गांड़ में उंगली से अंदर बाहर करने लगता है।थोडी देर तक इसी तरह अपनी उंगली अन्दर बाहर करने के बाद वो अपनी उंगली को थोडा और अंदर धक्का देता है, और अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ में घुसा देता है।और गांड़ में ही उसे हिलाने लगता है। कुछ देर तक अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ मे रखने के बाद वो एक और धक्का देता है और अब उसकी पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे समा जाती है।


अब तुषार अपनी पूरी की पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे अंदर बाहर करने लगता है, रश्मी जैसे अपना आपा खो बैठती है और अपनी कमर को जोर जोर से हीलाने लगती है और वो तुशार को बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लेती है।आज तो तुशार जैसे जन्नत की सैर कर रहा था । रश्मी की चूत में उसका लन्ड़ उसकी छाती तुषार के मुंह में और रश्मी की गांड़ मे तुषार की उंगली उसकी तो जैसे पांचो उंगलियां घी में थी।


लग्भग दस मीनट तक रश्मी को इसी तरह से चोदने के बाद वो फ़िर से रश्मी को लिटा देता है और खुद उसके नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है। तुषार अपने जिस्म की हवस तो रश्मी के नंगे जिस्म से मिटा रहा था लेकिन उसके दिमाग में भी वासना की हवस भरी हुई थी और इसी लिये वो अब रश्मी के साथ कामुक बातें करना चाहता था। रश्मी की चूत में लंड़ डालने से उसके शरीर को आराम मिल रहा था और उसके लंड़ की प्यास बुझ रही थी लेकिन कामुक बातें करने से उसके दिमाग को सुकुन मिल रहा था । तुषार रश्मी से कहता है बहुत खूबसूरत नंगी हो तुम रश्मी, तेरा ऐसा नंगा जवान जिस्म पाकर तो मैं धन्य हो गया । वो प्रतुत्तर में कुछ नहीं कहती के हूं कह के रह जाती है लेकिन तुषार अपनी बात कहना जारी रखता है:-


तुषार : अब रोज ड़ालुंगा तेरे अंदर डार्लिग, बोलो दोगी न रोज डालने के लिये?

रश्मी : ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : क्या ऊउउउउं ? बोलो न कुछ अपने मुंह से

रश्मी : हां

तुषार : अरे ऐसे नही फुरा बोलो " हां मै रोज डालने दूंगी" बोलो न ऐसा प्लीज।

रश्मी : मुझे शरम आती है मैं नही बोल सकती।

तुशार : अब क्या शरमाना ? मेंरा पूरा लंड़ आधे घंटे से तेरी चूत में घुसा हुआ है , और फ़िर खाली मुझे ही तो कहना है और कौन सुनेगा तेरी बात को? अब बोल दो प्लीज। मेंरे कान तरस रहे है ये सुनने के लिये तेरे मुंह से।

रश्मी थोड़ी ना नुकुर और शरमाने के बाद) हां मै रोज डालने दूंगी।

तुषार : कभी मना तो नहीं करोगी?

रश्मी : कभी मना नहीं करुंगी , तुम्हारी जब मरजी हो ड़ाल लेना?

तुषार : जब मर्जी हो तभी? याने ?

रश्मी : जब मर्जी याने " जब मर्जी" जब तुम कहोगे तुमको ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : क्या ड़ालने दोगी?

रश्मी : जो तुम्हारी इच्छा हो।

तुषार : जैसे?

रश्मी : जो अभी ड़ाल के रखा हुआ है।

तुषार : क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : (उसकी पीठ पर चपत लगाती हुई तनिक जोर से कहती है) ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : फ़िर वो ही बात , बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : मुझे नहीं पता

त्षार : देखो,, मजाक मत करो बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : सच मुझे नहीं पता इसका नाम।

तुषार : अच्छा!!! लो मैं बताता हूं इसका नाम । इसे "लंड़" कहते है रश्मी जो अभी तेरे अंदर मैंने

डाल रखा हुआ है। अब बोलो।

रश्मी : नहीं नहीं मैं नही बोल सकती।

तुषार : (रश्मी की गांड़ में हल्की चपत लगाते हुए) बोओओओओल प्लीज।

रश्मी: (थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं तुमको रोज ल्ल्ल्ल्लंड़ ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : कहां ड़ालने दोगी लंड़ को?

रश्मी : (तनिक गुस्से से) तुम भी न, मैं और नहीं बोलूंगी

तुषार : (प्यार से) बोल न प्लीज, अब ये मत बोलना तुझे ये भी नहीं पता की मैंने कहां ड़ाल के रखा हुअ है? ले मैं उसका भी नाम बता देता हुं उसेको "चूत" कहते हैं रश्मी जहां मेंरा लंड़ घुसा हुआ है अभी।

रश्मी फ़िर थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं रोज तुमको ल्ल्ल्लंड़ च्च्च्च्च्चूत में ड़ालने दूंगी कभी मना नही करुंगी।

तुषार : और पिछे?

रश्मी : अब मैं और कुछ नहीं बोलुंगी जो बोलना था सो बोल दिया?


तुषार उस्स्को और परेशान नहीं करता और उसको चूमने लगता है। दरासल वो ये चाहता था कि तन के साथ रश्मी उसके साथ मन से भी खुल जाय तो उसे चोदने में और भी मजा आयेगा।


वो फ़िर से अपने धक्के तेज कर देता है और रश्मी की बुर में अपना लंड़ पेलने लगता है। कुछ देर तक अपना लंड़ रश्मी की बुर में पेलने के बाद अचानक रश्मी जोर से तुषार को पकड़ लेती है फ़िर एकदम से निढाल पड़ जाती है और अपने दोनों हाथों को सर के उपर ले जा कर ढीला छोड़ देती है और अपना सर एक तरफ़ लुड़का देती है। उसकी आंखो में आंसू की बुंदे टपक जाती है। कई महिनों के बाद दमित इच्छा पूरी होने से खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकल जाते हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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रश्मी की गांड़ मारने की तुषार की बहुत इच्छा थी लेकिन इससे पहले वो उसे अपने मोटे लंड़ के लिये तैयार करना चाहता था। कुछ देर तक उसकी गांड़ के छेद में अपनी उंगली रगड़्ने के बाद वो हौले से अपनी पहली उंगली को थोड़ा सा धक्का देते हुए उसकी गांड़ मे घुसा देता है और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगता है।


गांड़ में तुषार की उंगली और चूत में उसका लंड़ अपने दोनों छेदों की इस तरह से एक साथ चुदाई से रश्मी इससे एकदम बदहवास हो जाती है और वो तुषार को जोर से भींच लेती है और उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगती है। उसे ऐसा लगा कि अब वो झड़ जायेगी। तुशार तेजी से उसकी गांड़ में उंगली से अंदर बाहर करने लगता है।थोडी देर तक इसी तरह अपनी उंगली अन्दर बाहर करने के बाद वो अपनी उंगली को थोडा और अंदर धक्का देता है, और अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ में घुसा देता है।और गांड़ में ही उसे हिलाने लगता है। कुछ देर तक अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ मे रखने के बाद वो एक और धक्का देता है और अब उसकी पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे समा जाती है।


अब तुषार अपनी पूरी की पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे अंदर बाहर करने लगता है, रश्मी जैसे अपना आपा खो बैठती है और अपनी कमर को जोर जोर से हीलाने लगती है और वो तुशार को बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लेती है।आज तो तुशार जैसे जन्नत की सैर कर रहा था । रश्मी की चूत में उसका लन्ड़ उसकी छाती तुषार के मुंह में और रश्मी की गांड़ मे तुषार की उंगली उसकी तो जैसे पांचो उंगलियां घी में थी।


लग्भग दस मीनट तक रश्मी को इसी तरह से चोदने के बाद वो फ़िर से रश्मी को लिटा देता है और खुद उसके नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है। तुषार अपने जिस्म की हवस तो रश्मी के नंगे जिस्म से मिटा रहा था लेकिन उसके दिमाग में भी वासना की हवस भरी हुई थी और इसी लिये वो अब रश्मी के साथ कामुक बातें करना चाहता था। रश्मी की चूत में लंड़ डालने से उसके शरीर को आराम मिल रहा था और उसके लंड़ की प्यास बुझ रही थी लेकिन कामुक बातें करने से उसके दिमाग को सुकुन मिल रहा था । तुषार रश्मी से कहता है बहुत खूबसूरत नंगी हो तुम रश्मी, तेरा ऐसा नंगा जवान जिस्म पाकर तो मैं धन्य हो गया । वो प्रतुत्तर में कुछ नहीं कहती के हूं कह के रह जाती है लेकिन तुषार अपनी बात कहना जारी रखता है:-


तुषार : अब रोज ड़ालुंगा तेरे अंदर डार्लिग, बोलो दोगी न रोज डालने के लिये?

रश्मी : ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : क्या ऊउउउउं ? बोलो न कुछ अपने मुंह से

रश्मी : हां

तुषार : अरे ऐसे नही फुरा बोलो " हां मै रोज डालने दूंगी" बोलो न ऐसा प्लीज।

रश्मी : मुझे शरम आती है मैं नही बोल सकती।

तुशार : अब क्या शरमाना ? मेंरा पूरा लंड़ आधे घंटे से तेरी चूत में घुसा हुआ है , और फ़िर खाली मुझे ही तो कहना है और कौन सुनेगा तेरी बात को? अब बोल दो प्लीज। मेंरे कान तरस रहे है ये सुनने के लिये तेरे मुंह से।

रश्मी थोड़ी ना नुकुर और शरमाने के बाद) हां मै रोज डालने दूंगी।

तुषार : कभी मना तो नहीं करोगी?

रश्मी : कभी मना नहीं करुंगी , तुम्हारी जब मरजी हो ड़ाल लेना?

तुषार : जब मर्जी हो तभी? याने ?

रश्मी : जब मर्जी याने " जब मर्जी" जब तुम कहोगे तुमको ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : क्या ड़ालने दोगी?

रश्मी : जो तुम्हारी इच्छा हो।

तुषार : जैसे?

रश्मी : जो अभी ड़ाल के रखा हुआ है।

तुषार : क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : (उसकी पीठ पर चपत लगाती हुई तनिक जोर से कहती है) ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउउं

तुषार : फ़िर वो ही बात , बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : मुझे नहीं पता

त्षार : देखो,, मजाक मत करो बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?

रश्मी : सच मुझे नहीं पता इसका नाम।

तुषार : अच्छा!!! लो मैं बताता हूं इसका नाम । इसे "लंड़" कहते है रश्मी जो अभी तेरे अंदर मैंने

डाल रखा हुआ है। अब बोलो।

रश्मी : नहीं नहीं मैं नही बोल सकती।

तुषार : (रश्मी की गांड़ में हल्की चपत लगाते हुए) बोओओओओल प्लीज।

रश्मी: (थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं तुमको रोज ल्ल्ल्ल्लंड़ ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।

तुषार : कहां ड़ालने दोगी लंड़ को?

रश्मी : (तनिक गुस्से से) तुम भी न, मैं और नहीं बोलूंगी

तुषार : (प्यार से) बोल न प्लीज, अब ये मत बोलना तुझे ये भी नहीं पता की मैंने कहां ड़ाल के रखा हुअ है? ले मैं उसका भी नाम बता देता हुं उसेको "चूत" कहते हैं रश्मी जहां मेंरा लंड़ घुसा हुआ है अभी।

रश्मी फ़िर थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं रोज तुमको ल्ल्ल्लंड़ च्च्च्च्च्चूत में ड़ालने दूंगी कभी मना नही करुंगी।

तुषार : और पिछे?

रश्मी : अब मैं और कुछ नहीं बोलुंगी जो बोलना था सो बोल दिया?


तुषार उस्स्को और परेशान नहीं करता और उसको चूमने लगता है। दरासल वो ये चाहता था कि तन के साथ रश्मी उसके साथ मन से भी खुल जाय तो उसे चोदने में और भी मजा आयेगा।


वो फ़िर से अपने धक्के तेज कर देता है और रश्मी की बुर में अपना लंड़ पेलने लगता है। कुछ देर तक अपना लंड़ रश्मी की बुर में पेलने के बाद अचानक रश्मी जोर से तुषार को पकड़ लेती है फ़िर एकदम से निढाल पड़ जाती है और अपने दोनों हाथों को सर के उपर ले जा कर ढीला छोड़ देती है और अपना सर एक तरफ़ लुड़का देती है। उसकी आंखो में आंसू की बुंदे टपक जाती है। कई महिनों के बाद दमित इच्छा पूरी होने से खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकल जाते हैं।
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तुषार भी उसे देख कर समझ जातान है की अब ये झड़ चुकी है। कुछ ही क्षणों मे वो तुषार से कहने लगती है प्लीज अब बस करो छोड़ दो मुझे । तुषार भी काफ़ी थक चुका था वो रश्मी को जोर से भींच कर अपने धक्के तेज कर देता है और उसे तेजी से चोदने लगता है। कुछ ही क्षणों में उसका वीर्य भी बाहर आने लगता है, जैसे ही वो स्खलित होता है वो अपना लंड़ तुरंत रश्मी की चूत से बाहर निकालता है और रश्मी का हाथ पकड़ कर अपना लंड़ रश्मी के हाथ में रख देता है और उसे हिलाने लगता है। कुछ ही क्षणों में उसके लंड़ से वीर्य की एक पिचकारी निकलती है जिसे वो रश्मी के में उंड़ेल देता है और हांफ़ता हुआ पलंग में रश्मी के बगल में लेट जाता है और रश्मी के नंगे बदन से लिपट जाता है।


लग्भग १५ मीनट तक दोनों इसी तरह से पलंग पर पड़े रहते है दोनो ही इस लंबी चुदाई के बाद बूरी तरह से थक चुके थे। रश्मी की ऐसी धमाकेदार चुदाई पहली बार हुई थी इससे पहले उसके साथ राज ने जो भी किया था वो तो चुदाई के नाम पर उसके अंगो से खिलवाड़ भर था, और वो बेचारी इसे ही संभॊग समझती रही। किसी मर्द के कड़क लंड़ की ताकत का उसे पहली बार अहसास हुआ था और शायद आज की इस चुदाई के बाद उसे "मर्द"शब्द का अर्थ भी समझ में आ चुका था।


हांलाकि रश्मी को इस बात का थोड़ा दु:ख और क्रोध जरूर था कि जो कुछ भी तुशार ने उसके साथ किया उसमें उसकी मर्जी नहीं थी , लेकिन तुषार ने इस बुरी तरह से अपने लंड़ से उसकी चूत में प्रहार किये कि कई महिनों से वासना की आग में भीतर ही भीतर जलते रहने के कारण स्खलन का जो पानी उसकी चूत से बाहर आने के लिये उबाल मार रहा था वो तुषार के लंड़ के प्रहार से ही बाहर आया था और । एक स्त्री तभी स्खलित होती है जब वो संतुष्ठ होती है। स्खलन के इस पानी ने रश्मी के न केवल दुख को समाप्त किया बल्कि उसने रश्मी के हल्के से ही लेकिन क्रोध पर भी पानी फ़ेर दिया और वो परम संतुष्त के भाव से तुषार की तरफ़ देखने लगी।


पति चाहे लाख कामाये या अपनी पत्नी को उपर से नीचे तक गहनों से लाद कर रखे लेकिन यदि वो बिस्तर पर अपनी पत्नी को संतुष्त नहीं कर सकता तो ऐसी धन दौलत और गहनों को पा कर भी वो कभी संतुष्त नहीं रह सकती और मर्द की यही कमजोरी या लापरवाही एक दिन उसकी पत्नी को पतिता बनने के लिये मजबूर कर देती है।ऐसा पति और उसका दौलतखाना किसी पत्नी के लिये "सोने" की जेल से कम नहीं होता।


राज ने रश्मी को सब कुछ दिया लेकिन वो उसकी शारीरिक जरुरतों के प्रति जागरुक नहीं रहा और अपनी पत्नी के शरीर में लगी अगन को समझ नहीं पाया और उसके प्रति उपेक्षित रवैया अपनाते रहा। वो सोचता रहा कि रश्मी तो एक भारतीय स्त्री है जब पति के साथ रहेगी तभी वो ये सब काम करेगी। और वैसे भी रश्मी का शर्मिला स्वभाव और कम बोलने की उसकी आदत के कारण राज तो क्या कोई भी ये सोच भी नहीं सकता था कि उसके जैसी स्त्री भी अपनी सारी मर्यादायें ताक में रख कर किसी पुरुष से

संभोग करने जैसा काम कर सकती है। लेकिन दुनिया का इतिहास गवाह है कि रावण की लंका भी उसके अपने सगे भाई ने ही ढहाई थी और भी दुनिया में जितनी भी बड़ी सत्ताओं का पतन हुआ है उन सबमें आस्तिन के सापों का पूरा योगदान रहा है , दुनिया का इतिहास जयचंदो से भरा पड़ा है।


तुषार ने भी यदि अपने बड़े भाई के घर में सेंध मारी थी और उसके साथ विश्वासघात किया था तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी । इसमें सबसे बड़ा दोष तो स्वयं "राज" और उससे भी ज्यादा उसेके परिवार का था जिन्होंने एक जवान शरीर की जरुरतों को नजरांदाज किया और केवल शादी करवा कर अपने कर्तव्य की समाप्ति समझ ली।


घर की तीसरी मंजिल पर २३ साल की खूबसूरत जवान बहू का कमरा और ठीक उसके बगल में उसके २४ साल के जवान देवर का कमरा यानी आग और पेट्रोल साथ साथ। दुनिया के ९९.९% लोग अपने घर के लोगों को सच्चरित्र और शरीफ़ ही समझते हैं और वे तमाम बुराई अपने घर के बाहर ही देखते हैं।


राज की माँ यदि चाहती तो रश्मी को अपने साथ अपने कमरे में सुला सकती थी लेकिन ६० साल की उम्र में भी वो अपने पति के साथ ही रहना चाहती थी। लेकिन उसे इस बात का तनिक भी विचार नहीं आया कि यदि वो ६० साल की उम्र में भी अपने पति से अलग नहीं हो सकती और उसके बिना नहीं रहना चाहती तो फ़िर २३ साल की जवान लड़्की अपने पति के बिना कैसे रह पायेगी?उसके मन पर क्या बीत रही होगी? परिवार के बुजिर्गों की इसी घनघोर लापरवाही और मूर्खता के कारण ना जाने ऐसे कितने ही चारित्रिक अपराध हुए होंगे और आगे भी होते रहेंगे जिनके बारे में ना तो कोई जानता है और ना ही कभी कोई जान पायेगा।


मर्द तो स्वभाव से ही पहलगामी होते हैं, उन्हें पृक्रति ने ही ऐसा बनाया है चंचल और उतावला,किसी जवान लड़की की तरफ़ आकर्षित होना और उससे सहवास का प्रयास करना या उसके सपने देखना ही उसका स्वभाव होता है। अगर औरतों के शर्मिलें स्वभाव की तरह ही यदि मर्द भी शर्मिले होते तो शायद ये संसार का चक्र कभी का रुक गया होता। क्योंकि ना तो तब औरतें अपनी शर्म के कारण कुछ कह पाती और ना ही मर्द पहल करते तब तो हो चुकी होती संसार की रचना। लेकिन ऐसा है नहीं,पृक्रति ने पुरुष को बनाया ही उतावला अधीर और बेशर्म और ये बात एक पुरुष होने के नाते राज के पिता को समझनी चाहिये थी कि दो जवान जिस्मों को पास पास रखने के घातक परिणाम आ सकते हैं। लेकिन शायद खुद के बूढे हो जाने के कारण उनकी शारीरिक जरुरत समाप्त हो चुकी थी और वे यह भूल गये की दो जवान स्त्री पुरुष का एक दूसरे प्रति एक आकर्षण होता है और एक दूसरे की जरुरत भी और उनकी इसी भूल ने तुषार और रश्मी के ना(जायज) रिश्ते को जन्म दे दिया।


१५-२० मीनट के बाद रश्मी के शरीर में थोड़ी हरकत होती है शायद चुदाई की उसकी थकान अब कम होने लगी थी,वो थोड़ा खड़ी होने का प्रयास करती है लेकिन तुषार का दांयां पैर उसकी जांघो पर पड़ा हुआ था और उसका एक हाथ उसके स्तन पर । शायद उसे झपकि लग चुकी थी ।उसने पहले तुषार के हाथ को अपने स्तन से हटाया और फ़िर उठ कर बैठ गई,फ़िर उसने उसकी जांघों को अपने उपर से हटाया और पलंग से उठ खड़ी हुई।


रश्मी पूरी तरह से नंगी थी और बला की खूबसूरत लग रही थी । बाहर की तरफ़ निकली हुई उसकी गोल गोल भारों वाली उसकी गांड़ो और बड़े बड़े विशाल स्तन उसे बेहद कामुक बना रहे थे। वो वैसे ही नंगी चलती हुई बाथरुम की तरफ़ जाने लगी लेकिन कमरे भीतर रखे ड़्रेसिंग टेबल के सामने से गुजरते हुए उसमें अपनी छाया देख कर वो रुक जाती है।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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028...

वो उस्के थोड़ा और करीब जाती है और अपने नंगे जिस्म को निहारने लगती है। अपने नंगे जिस्म को देखते हुए कभी तो वो शर्मा जाती और कभी गौरव और अहंकार से उसका मन भर जाता कि मेंरे इसी जिस्म को पाने के लिये तुषार इतना ललायित रहता है। उसे इस बात के लिये खुद पर बेहद घमंड़ हो रहा था कि तुषार मेंरे इस जिस्म के लिये पागल है। लेकिन ये अहंकार तो दुनिया की हर स्त्री को होता है कि पुरुष उसके जिस्म का दिवाना है और उसके पिछे पागल है।


अपने जिस्म पर घमंड़ करना हर स्त्री का स्वभाव होता है,और उसे भोगना हर पुरुष का। वो इस बात से शायद अन्जान होती है कि पुरुष का अंतिम लक्ष्य तो उसके जिस्म में बसी उसकी चूत होती है फ़िर शरीर चाहे किसी रश्मी का हो या किसी सुनीता,अनिता या अंजली का हो।


कुछ देर तक इसी तरह अपने जिस्म को आईने में निहारने के बाद वो मंद मंद मुस्कुराते हुए एक निगाह पलंग पर पड़े नंगे सोये पड़े तुषार पर ड़ालती है और बाथरुम में चली जाती है।


बाथरुम में पहुंच कर रश्मी ने शावर चालू किया और अपने शरीर की सफ़ाई करने लगी । दोनों जिस्मों के गुत्थम गुत्था होने से पैदा होने वाला पसीना और तुशार के वीर्य ने उसके शरीर को चिपचिपा बना दिया था और चुदाई के दौरान हुई कसरत ने उसको काफ़ी थका दिया था। लेकिन पानी के बौछार के शरीर में लगने से उसे काफ़ी राहत महसूस हो रही थी और ताजगी का अह्सास उसके शरीर में नवीन उर्जा का संचार करने लगा।


लगभग १० मीनट तक नहाने के बाद रश्मी पूरी तरह ताजगी महसूस करने लगी और अब उसने शावर बंद किया अपने बदन को पोंछने के बाद वो बिना तौलिया लपेटे नंगी ही वापस कमरे में आ गई । अब उसे तुषार से शर्म जैसी कोई बात नहीं थी ।


इधर तुषार भी लगभग ३० मीनट की नींद पूरी करने के बाद जाग चुका था और काफ़ी तरोतजा मह्सूस कर रहा था । उसने अपनी आंखे खोली और पलंग पर ही पड़ा रहा।


पलंग पर लेटे हुए ही उसने एक नजर रश्मी पर ड़ाली लेकिन वो बिस्तर पर नहीं थी , उसे बिस्तर पर ना पा कर उस्की निगाहें रश्मी को खोजने लगी। नहाने के कारण रश्मी के बदन में एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी और उसका गोरा बदन नंगा होने के वजह से और भी मादक लग रहा था ।रश्मी नहा कर कमरे में नग्न खड़ी थी उसका एक पैर स्टूल पर था और दूसरा पैर जमीन था और वो अब अपने पैरों को पोछ रही थी । उसके बाल खुले हुए थे और उसकी कमर तक लटक रहे थे।


अपनी खूबसूरत हसीना के चिकने नंगे बदन को देख कर तुशार के लंड़ में फ़िर हरकत होने लगी । उसकी बड़ी बड़ी नग्न गांड़े ,मोटी जांघ और सुमेरु पर्वत की तरह विशाल लटकते हुए स्तन को देख तुषार का लंड फ़िर अपने अकार में आने लगा और फ़िर से रश्मी की चूत में जाने के लिये मचलने लगा। वो तुरंत हरकत में आता है और पलंग से खड़ा हो जाता है। उसका लंड़ अब फ़िर से बूरी तरह से कड़क हो चुका था और वो उसी अवस्था में रश्मी के पीछे जा कर खड़ा हो जाता है और उसके बदन को पीछे से कामुक नजरों से घूरने लगता है।


रश्मी इस बात से बेखबर थी की तुशार जाग चुका है और उसके एकदम पिछे आ कर खड़ा हो चुका है, वो अपनी ही धुन में थी और पूरी तन्मयता से अपने नंगे बदन को पोछे जा रही थी । वो ये सोच रही थी की अब कपड़े पहनने के बाद तो नीचे पहुंचेगी और घर के बाकी सदस्यों के साथ बाजार जा कर तुषार और सुधा की सगाई का समान खरिदेगी । उसे पता था कि इस काम काफ़ी वक्त लगने वाला है।लेकिन तुषार को इस बात की कोई भी जल्दी नहीं थी। और उसे तो कुछ और ही मंजूर था।


कुछ क्षणों तक रश्मी के नंगे बदन को घूरने के बाद तुषार ने रश्मी को पिछे से पकड़ लिया और अपना लंड़ रश्मी की नंगी गांड़ो की दरारों मे जोर से दबा दिया और उसने अपने दोनों हाथों को आगे कर के उसके दोनों विशाल स्तनों को पकड़ लिया।


अचानक इस तरह पकड़ने से रश्मी चौंक जाती है,वो पिछे मुड़ने कर देखने का प्रयास करती है लेकिन तुषार ने उसे इतनी जोर से पिछे से भींच कर रखा था कि वो पलट नहीं पाती वो केवल अपनी गर्दन थोड़ी उपर उठा कर पिछे खड़े तुषार की तरफ़ देखने का प्रयास करती है और कहती है " अरे ये क्या! छोड़ो मुझे, नीचे मम्मी,पापा इंतजार कर रहे होंगे बजार जाना है, अभी सगाई का सामान खरिदना और पूरी तैयारी करनी है और तुम हो कि फ़िर शुरु हो गये। अभी मन नहीं भरा क्या? छोड़ो मुझे प्लीज।


तुषार पर रश्मी की इन बातों का कोई असर नहीं होता वो और भी जोर से रश्मी को पकड़ लेता है और उसकी गांड पर अपने लंड़ का दबाव और भी बढ़ा देता है और उसके दोनों स्तनों को और भी ज्यादा जोरों से पकड़ लेता है और अपना लंड़ धीरे धीरे रश्मी गांड़ मे उपर निचे रगड़ने लगता है। रश्मी की नरम नरम विशाल गद्देदार गांड़ में अपना लंड़ रगड़ने से उसे एक अलग ही सुख का अहसास हो रहा था और उसकी उत्तेजना भी अपने चरम में पहुंच जाती है।


वो उसी तरह से उसकी गांड मे अपने लंड़ को रगड़ते हुए ही रश्मी के गालों को चूमता है और कहता है " अभी क्या जल्दी है जान? अभी तो १० ही बजा है, और तुम्हें तो मम्मी ने ११:३० तक नीचे आने को कहा है। अभी नीचे जाओगी तो भी वो अपने समय से ही निकलेंगे और बेकार में तुम्हें किचन का काम बता देंगे। इसलिये ११:३० तक उपर ही रहॊ फ़िर दोनों देवर भाभी साथ ही नीचे उतरेंगे। रश्मी प्रत्युत्तर में कुछ कहने के लिये मुंह खोलने का प्रयास करती है लेकिन तुषार अपने होंठ रश्मी के होठों से लगा देता है और उसकी मदमस्त जवानी का रस पीने लगता है।


तुषार अब अपना लंड़ रश्मी की गांड मे रगड़ रहा था , उसके दोनों हाथ रश्मी के स्तनों को मसल रहे थे और उसके होठों से जवानी का रस चूम रहा था । रश्मी चाह कर भी कुच बोल नहीं बोल पा रही थी और लगातार अपने बदन को मसले जाने के कारण वो भी धीरे धीरे गरम होने लगी और उसकी दमित वासना फ़िर उछाल मारने लगी।


अब तुशार अपने दांये हाथ को रश्मी के स्तन से हटाता है और धीरे धीरे उसके पेट को स्पर्श करते हुए वो अपना दांया हाथ रश्मी की उभरी हुई जवान चूत पर रख देता है।


अपनी जवान चूत पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी पर मदहोशी छाने लगती है और वो तुषार का लंड़ अपनी चूत में लेने के लिये मचलने लगती है।


तुषार के हाथ अब रश्मी की चूत की दरारों के उपर घूम रहे थे और इधर रस्मी का बदन फ़िर से उत्तेजना के मारे थरथराने लगता है। कुछ देर तक रश्मी की चूत को सहलाने के बाद त्षार अपनी एक उंगली रश्मी की चूत के अंदर ड़ाल देता है और उसे हौले हौले अंदर बाहर करने लगता है।रश्मी मारे उत्तेजना के गरम हो जाती और उसकी चूत से पानी निकलने लगता है। उसके पैरों की शक्ति अब जवाब देने लगती है और अब खड़े रह पाना उसके लिये काफ़ी कठिन था।


चूत से निकलने वाले पानी के अपने हाथों से लगते ही तुशर समझ जाता है कि भाभी अब फ़िर से गरम हो चुकी है।अब वो और भी तेजी से उसकी चूत से खेलने लगता है और अपनी उंगली उसकी चूत से और भी तेजी से रगड़ने लगता है।
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रश्मी अब बेकाबू हो जाती है और उसके मुंह से आह्ह्ह आह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़ सीऽऽऽऽऽ सीऽऽऽऽऽऽऽऽ की अवाजें निकलने लगती है। उसके लिये अब उस पोजीशन में खड़े रहना अब संभव नहीं था तुषार का लंड़ बुरी तरह से उसकी गांड़ से चिपका हुआ था और उसका एक हाथ रश्मी के दोनों स्तनों को भीच रहे थे और उसे मसल रहे थे और दूसरा हाथ उसकी चूत से खिल्वाड़ कर रहा था। रश्मी को बेहद आनंद आ रहा था लेकिन कुछ ही देर पहले वो तुषार के लंड के स्वाद चख चुकी थी इसलिये अपनी चूत में केवल

एक छोटी सी उंगली से उसे वो सुख और संतुष्टी नहीं प्राप्त हो रही थी जो उसे कुछ देर पहले तुशार के लंड़ से मिली थी।


वो बदहवास हो जाती है और अपना पूरा जोर लगा कर गोल घुम जाती है और तुषार से लिपट जाती है । तुशार भी उसे उसे अपनी बाहों में भीच लेता है और उसके चेहरे को बेतहशा चूमने लगता है। रश्मी के विशाल स्तन अब तुशार की छातियों से चिपके हुए थे और वो उसकी बाहों में । तुशार उसे चूमे जा रहा था और अपने हाथों से उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड़ो को मसलते जा रहा था।


कमरे का वतावरण अत्यंत ही कामुक हो चुका था कमरे में दो नंगे जवान स्त्री पुरुष एक दूसरे से गुत्थम गुत्था खड़े थे और उनके शरीरों की गर्मी भी बढती जा रही थी और कमरे मे उन दोनों के मुंह से निकलने वाली आंहे और कामुक अवाजें गूंज रही थी।थोडी थोडी देर में रश्मी की चूड़ियों की खनक और पैर की पायल की छन छन की अवाज से माहौल और भी उत्तेजनापूर्ण होते जा रहा था।


तुषार कुछ देर तक और रश्मी को अपनी बाहों में थामे खड़ा रहा और उसके बदन की गर्मी का सुख लेते रहा तथा उसके नंगे जिस्म को सहलाते रहा लेकिन जब उसकी शक्ती जवाब दे जाती है तो वो अपने पैरों को ढीला छोड़ देता है और घुटनों के बल नीचे बैठ जाता है और अपने दोनों हाथों से उसकी गांड़ो को पकड़ लेता है और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।रश्मी खड़ी थी और तुषार उसकी बुर चूस रहा था,रश्मी के हाथ तुषार के सर पर तेजी से घुम रहे थे,उसकी आंखे बंद थी और मुंह से सिसकियां निकल रही थी।रश्मी के आचरण से ऐसा लग रहा था कि उसे तुषार का अपने जिस्म से खिलवाड़ मंजूर था और वो चाहती थी कि तुशार उसके नंगे जिस्म से जी भर कर खेले।


कुछ देर तक खड़ी रह कर अपनी बुर चूसवाने के बाद रश्मी का हौसला पस्त हो जाता है उसके पैरों में शकि नहीं बची थी कि वो उसके शरीर का भार उठा सके। उसके पांव ढीले पड़ जाते है और वो नीचे बैठ जाती है । उसके नीचे बैठते ही तुषार उसे हौले से धक्का दे कर वहीं सुला देता है चूंकी जमीन पर कालीन बिछी थी जो कि अब बिस्तर का काम कर रही थी। तुषार और रश्मी दोनों में अब वो हिम्मत और धैर्य नहीं बचा था कि वो पलंग तक जाये लिहाजा रश्मी भी बिना किसी विरोध के कालीन पर पीठ के बल सो जाती है। ये कालीन "राज" ने अपनी खास पसंद पर कमरे में लगवाया था और वो उस बेहद पसंद था लेकिन इसे लगवाते हुए उसने कभी ये गुमान भी ना हुआ होगा कि इसी कालीन पर सो कर कभी मेंरी ही औरत पतिता बन कर मेंरे ही भाई का लंड़ अपनी चूत में ड़्लवायेगी।


नंगी रश्मी नीचे सॊई पड़ी थी और अपने दोनों पैरों को उपर नीचे कर रही थी और अपने दोनों स्तनों को अपने ही हाथों से मसल रही थी थोड़ी थोड़ी देर में वो अपने होठों को अपने ही दातों से काट लेती और मुंह से सिसकारियां निकाल रही थी।रश्मी का मौन निमंत्रण पा कर पहले से ही उत्तेजित तुषार और भी कामांध हो जाता है और वो उसकी दोनों जांघो को को फ़ैला कर उसके बीच में बैठ जाता है और अपने लंड़ में मुंह से थुक निकाल कर उसमें लगाता है और उससे अपने लंड़ को चिकना करता है और उसे रश्मी की चूत में लगा कर एक हल्का सा धक्का देता है तो वो आधा रश्मी की चूत मे घुस जाता है।

रश्मी भी अपनी बुर में होने वाली वासना की खुजली से बचैन थी और इस बात का इंतजार कर रही थी तुषार अब उसके जिस्म से खेलना छोड़ कर अपना लंड़ उसकी बुर में ड़ाले और उसकी बुर चोदना शुरु करे। तुशार का लंड़ अपनी चूत में पा कर वो बेहद आनंद का अनुभव करने लगी और अपनी चूत को उपर उछाल उछाल कर वो तुषार का पूरा लंड़ अपनी चूत मे लेने की कोशीश करने लगी।


तुषार उसकी मंशा समझ जाता है और एक जोर के झटके के साथ अपना पूरा का पूरा लंड़ रश्मी की चूत में ड़ाल देता है।


लंड़ के झटके के साथ अंदर जाने के साथ ही रश्मी के मूह से एक जोर की आह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है । उसकी आंखे बंद थी लेकिन मुंह खुला हुआ था और वो बार बार अपनी जीभ अपने होठों पर फ़ेर रही थी । कामवासना के अतिरेक के कारण उसका सर कभी दाएं तो कभी बायें घूम रहा था। पूर्णत: उन्मुक्त और नंगी रश्मी ने अपने जिस्म को पूरी तरह से ढ़ीला करके तुषार को समर्पित कर दिया था और तुषार के लंड़ के लिये अपनी चूत में प्रवेश को और भी असान बना दिया था। वो तुषार के लंड़ को को अपनी चूत की गहराईयों तक महसूस करना चाहती थी। नंगी रश्मी नागीन की तरह कमरे के कालीन में बलखा रही थी और उसके ऐसे बलखाने से वो और भी मादक लग रही थी और तुषार को और तेजी से अपनी चूत में प्रहार करने के लिये उकसा रही थी।


तुषार ने रश्मी के जिस्म पर ऐसा अधिकार जमा लिया था कि उसे पाने और भोगने के लिये उसे रश्मी की सहमति की भी जरुरत नहीं रह गई थी । आठ महीनों से अपनी कामवासना को लगातार दबाने और अपने मनोभावों को दबाने के कारण जो कुंठा उसके भीतर पैदा हो गई थी उसमें वो ये भी भूल चुकी थी वो एक जवान स्त्री है। शादी का मतलब उसके लिये केवल दो वक्त का खाना बनाना और अपने सास ससुर की सेवा करना भर रह गया था । पति से दूर संभोग विहीन स्त्री के लिये शादी एक बोझ बन गई थी और उसकी भावनाएं मुरझा गई थी और वो भी खुद को अपनी सास की तरह बूढी औरत समझने लगी थी और उसी तरह व्यवहार करने लगी थी। लेकिन तुषार ने जबरन ही सही लेकिन जब उसे मजबूर करके नंगी किया और उसकी बूर को चोदा तब उसे अपने जवान होने का अहसास हुआ और उसे ये भी अहसास हुआ कि उसके जवान शरीर की भी कुछ जरुरत ऐसी हैं जिसे केवल एक मर्द ही पूरा कर सकता है।


रश्मी की हालत ऐसी हो गई थी कि तुषार का लंड़ पाने के लिये एक ही चीज की जरुरत थी और वो थी एकांत । दुनिया की नजरों से दूर किसी बंद कमरे में वो किसी भी रुप में तुषार का लंड़ अपनी चूत में लेने के लिये तैयार थी।और इसके लिये न तो उसे किसी मखमली बिस्तर की जरुरत और ना ही पलंग की और इसीलिये तुषार ने जब उसे कमरे के कालीन में चोदने के लिये सुलाया तो वो बिना किसी विरोध के उसी जगह चुदने के लिये तैयार हो गई।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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तुषार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(24-08-2020, 03:49 PM)neerathemall Wrote:
[Image: ph-02-betceemay-09.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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की आँखें बंद थीं.. लेकिन वो मेरी नजरों की हिद्दत को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थीं।
उन्होंने एक लम्हें को आँख खोल कर मेरी आँखों में देखा और फिर से अपनी आँखों को भींचते हुए शर्मा कर बोली.
.......क्या है.. ऐसे मत देखो ना..आआ.. वरना मैं छोड़ दूँगी.. इसको.. इसको..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Please continue this awesome story
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Update ka intezaar rahega
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Update
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Update please.......
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ok sir please ask someone from
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Bhai km se km 100 update de is story bahut scope hai
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अब बस एक और अंतिम भाग , इसके बाद मूल लेखक ने कहानी आगे नहीं बढ़ाई






Can say 


[Image: images?q=tbn:ANd9GcRxU69Nba6QmGWKTfDwBxH...w&usqp=CAU]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Update ke liye request hai Bhai bahut din ho gaye
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Please story ko continue karo fantastic story hai Bhai
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रोटी का मतलब किसी भूखे इंसान से पूछो तो वो बतायेगा उसका मतलब या फ़िर उससे पूछो जो पाने के लिये जी तोड़ मेहनत करते हैं । किसी 5 स्टार होटल में अपने कुत्ते के साथ जाने वाला इंसान कभी भी रोटी का महत्व नहीं समझ सकता।

रश्मी भूखी तो कई महिनों से थी लेकिन जैसे ज्यादा उपवास करने से भूख का अहसास खतम हो जाता है और इंसान का शरीर उस भूख के साथ समझौता कर लेता है,वैसे ही रश्मी को भी कामवासना का अहसास खतम हो चुका था। वो खुद को बूढी समझने लगी थी लेकिन तुषार ने उसकी बुर चोद कर उसे जवान होने का अहसास करा दिया था।

रश्मी और तुषार की अन्तरात्माएं तो पहले ही मौन धारण कर चुकी थी, सो पाप का अहसास जैसी कोई बात दोनों के मन में दूर दूर तक नहीं थी। और तुषार तो वैसे भी ये मान कर चल रहा था कि अपनी भाभी को चोदना उसका धरम है, सो वो अपनी भाभी को चोदने का पुनित धार्मिक कार्य पूरे मनोयोग से कर रहा था।

रश्मी भी तुषार से एक बार चुदने के बाद काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी,अपने शरीर में उसे एक अजीब बेचैनी जो महसूस होते रहती थी जिसे वो समझ नहीं पाती थी,उसकी वो बेचैनी और वो आकुलता शांत हो गई थी। एक बार की चुदाई ने ही उसके मन और मस्तिष्क को प्रसन्न कर दिया और sex उसके लिये एक दवा का काम कर रहा था क्योंकि इसने महिनों से चले आ रहे रश्मी के अवसाद को खत्म कर दिया था। वो पुर्ननवीन हो गई थी और अपने जवान होने के अहसास ने उसे प्रसन्नचित्त कर दिया था।
जैसे महिंनो की तपिश के बाद जब सावन की पहली बौछार धरती पर गिरती है तो धरती झूम उठती है और पेड़,पौधे झूम झूम कर सावन का स्वागत करते है,रश्मी भी वैसे ही झूम रही थी और तुषार के लंड़ का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी।लेकिन सावन की केवल पहली बौछार ही धरती की प्यास नहीं बुझा पाती बल्की पहली बौछार के मिट्टी में लगते ही वतावरण में मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबु चारों तरफ़ फ़ैल जाती है और गर्मी की तपिश की बिदाई का संकेत दे देती है वैसे ही रश्मी भी अपनी पहली
चुदाई से खुश जरूर थी लेकिन संतुष्*ट नहीं थी बल्कि इस चुदाई ने उसकी चुदने की भूख को और बढा दिया था और उसे और भी मादक बना दिया था। तुषार उसकी इस मादकता को महसूस कर रहा था।

नग्न रश्मी की मादक अदाओं ने तुषार को उत्तेजना की चरम उंचाईयों तक पहुंचा दिया और उसका लंड़ और भी कड़क हो गया अब वो और तेजी से रश्मी की चूत में प्रहार करने लगा उसने रश्मी के दोनों विशाल स्तन अपने हाथों पकड़ लिये और उसे मसलने लगा रश्मी भी वासना के सागर में तैरने लगी और अपनी कमर को झटके मार मार कर उछालने लगी और उसके लंड़ को अपनी चूत की गहराईयों तक पहुंचाने मे तुषार का साथ देने लगी।

तुषार एक तरफ़ तो रश्मी की चूत में तजी से अपना लंड़ अंदर बाहर कर रहा था और दूसरी तरफ़ उसके स्तनों को मसले जा रहा था अब रस्मी ने अपने हाथ उसके दोनों हाथ पर रख लिये और उसे मसलने लगी वो अपनी छातियों को और भी जोर मसलने के लिये उसे उकसा रही थी। कुछ देर के बाद उसने अपने हाथ उसके हाथों से हटाए और वो अपने हाथों से उसकी पीठ ,बाहों और सिर को सहलाने लगी।

रश्मी के नरम हाथों के अपने बदन में घुमने से तुषार को बेहद आनंद आ रहा था और अब मारे उत्तेजना के उसने रश्मी के दोनों स्तनों को छोड़ दिया और उसके जिस्म पर लुड़क गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया, दोनों के नंगे जिस्म एक बार फ़िर गुत्थम गुत्था हो गये और तुषार अब रश्मी के होठों पर अपने होठ रख देता है और उसे चूसने लगता है।

कुछ देर तक उसके होठों को चूसने के बाद तुषार अपनी जीभ उसके होठों पर फ़िराने लगता है और फ़िर घिरे से उसके मुंह के अंदर अपनी जीभ ड़ाल देता है और उसकी जिभ से रगड़्ने लगता है। तुषार की जीभ के अपनी जिभ से टकराने से रश्मी को बेहद मजा आने लगता है और वो उसकी जीभ को चूसने लगती है। कुछ देर तक अपनी जीभ रश्मी के मुंह में अपनी जीभ रखने के बाद वो उसे बाहर निकालता है और रश्मी को उसकी जीभ अपने मुंह के अंदर ड़ालने के लिये कहता है। रश्मी अपनी जीभ उसके मुंह में ड़ालती है तो तुषार उसे चूसने लगता है। रश्मी की जीभ चूसने से उसे ऐसा आनंद मिलता है की वो सब कुछ भूल कर उसी काम में लग जाता है।

रश्मी के मुंह से निकलने वाले रस से तुषार साराबोर हो जाता है और वो उसे पीने लगता है। दोनों ने एक दूसरे को जोर से भींच कर रखा हुआ था और बारी बारी एक दूसरे के मुंह मे अपनी जीभ ड़ालते और एक दूसरे को उसे चूसने का आनंद दे रहे थे। लगभग १५-२० मीनट तक इस क्रिया को दोहराने से दोनों के शरीर में ऐसी गर्मी पैदा हो जाती है कि दोनों ही पसीने से लथपथ हो जाते है। गर्मी इतनी बढ़ जाती है कि तुषार को रश्मी को अपनी बाहों से छोड़ना पड़्ता है और फ़िर से उकड़ू बैठ कर उसे चोदने लगता है।

तुशार ने अपने हाथ अब कालीन पर रखे हुए थे और वो रस्मी की बूर में तजी से लंड़ पेल रहा था तभी रश्मी तुषार के हाथ को उठाकर अपने स्तन में रखने का प्रयास करती है तुशार समझ जाता है कि वो अपने स्तन को मसलवाना चाहती है लेकिन वो अपने हाथ उसके स्तन पर नहीं रखता और उसे कहता है "जान, जैसा तुम मेंरे हाथों से इसे मसलवाना चाहती हो तुम वैसे ही इसे मसलो तभी मुझे समझ आयेगा कि तुमको क्या और कैसे इसे मसलवाना पसंद है। रश्मी पहले तो मना करती है और कहती है "नहीं, मुझे शरम आती है" तुशार कहता है "जब मसलवाने में शरम नहीं आती तो फ़िर खुद मसलने में कैसी शरम, प्लीज करो जो मैं कहता हुं तुमको ऐसा करते देख कर मुझे मजा आता है और मैं और भी
उत्तेजित होता हुं। अब नखरे मत करो और करो जो मैं कहता हुं sex करते समय शर्म मत किया करो नही तो इसका पूरा मजा कभी भी नहीं ले पाओगी।" रश्मी उसकी बात मान लेती है और अपने हाथों से अपने स्तनों को मसलने लगती है।

अपने बड़े बड़े स्तनों को जब रश्मी अपने ही हाथों से मसलने लगती है तो उस्के दोनों विशाल स्तन कभी उपर कभी नीचे तो कभी दांए बांए हिलने लगते है। ऐसे अपने ही हाथॊ से अपने स्तनों को मसलते हुए रश्मी बला की कामुक लग रही थी और उसने तुषार की उत्तेजना को और भी चरम शिखर तक पहुंचा दिया। तुषार लगातार अपने लंड़ से रश्मी की बुर में अपना लंड़ अंदर बाहर कर रहा था। कुछ देर तक ऐसे ही उसे चोदने के बाद वो अपना लंड़ उसकी चूत से बाहर निकालता है तो रश्मी बेचैन हो जाती है और हवा में ही जोर जोर से अपनी कमर उछालने लगती है । वो दर असल कुछ और देर तक उसके लंड़ का मजा लेना चाहती थी वो अपने स्खलन पर पहुंचने ही वाली थी कि तुषार ने अपना लंड़ उसकी चूत से बाहर निकाल लिया।

असल में तुषार अब उसे घोड़ी बना कर चोदना चाहता था और इसी लिये उसने अपना लंड़ बाहर निकाला था। तुषार उसे पलटने के लिये कहता है , रश्मी अभी और चुदना चाहती थी इसलिये उसकी बात मानने के अलावा उसके पास कोई भी चारा नहीं बचा था और वो पलट जाती है, अब तुशार उसे अपनी कमर को उपर उठाने के लिये कहता है रश्मी अपनी कमर उठाकर घोड़ी बन जाती है ।

अब रश्मी के दोनों विशाल स्तन नीचे की तरफ़ लटक जाते है और उसकी दोनों विशाल बड़ी गांड़े तुषार की तरफ़ खुली पड़ी थी। उसकी नंगी गांड़ो को देखते ही तुशार पागल हो जाता है और उसे जोरों से चूमने लगता है फ़िर वो अपना लंड़ उसकी गांड़ो के पास ले जाता है और उसकी चूत को तलाशते हुए अपना लंड़ उसकी चूत में फ़िर से घुसा देता है और रश्मी को पीछे से चोदने लगता है।

रश्मी अब अपनी गांड़ॊ को हिला हिला कर उसका लंड़ अपनी चूत में ले रही थी और तुशार भी बड़ी तेजी से अपना लंड़ उसकी चूत में ड़ाल रहा था। गांड़ उठा कर चुदवाने के कारण तुषार को रश्मी की गांड़ साफ़ दिखाई दे रही थी। अब वो अपने मुंह में थोड़ा सा थूक भर कर उसकी गांड़ के छेद मे ड़ाल देता है और उसकी गांड़ के छेद को अपनी अंगूठे से दबा देता है और उसे धीरे धीरे मसलने लगता है।
अपनी चूत में तुषार का लंड़ और गांड़ में अंगूठा रगड़े जाने से वो और भी उत्तेजित हो जाती है और अपनी गांड़ो को और भी जोरों से हिलाने लगती है उससे उसकी बड़ी बड़ी गांड़ भी तेजी से हिलने लगती है जिससे उसकी कामुकता और भी बढ़ जाती है। अब तुषार उत्तेजना के मारे अपनी एक उंगली उसकी गांड़ मे ड़ाल देता है और उसे अंदर बाहर करने लगता है और अपने लंड़ से उसकी बूर चोदना भी जारी रखता है।

अपने दोनों छेदों में लगातार प्रहार से रश्मी उत्तेजना के मारे पागल हो जाती है और थरथराने लगती है। उसे ऐसा लगा कि यदि थोड़ी देर तक और उसके साथ ऐसा हुआ तो वो मारे उत्तेजना के बेहोश हो जायेगी । उसकी सांसे उखड़्ने लगती है और वो वो खुद पर पर काबू नहीं रख पाती और कुछ ही क्षणों में आह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आईमांऽऽऽऽऽऽ की अवाज निकालते हुए स्खलित हो जाती है।

स्खलित होते ही वो चैन की सांस लेती है और उसका शरीर ढीला पड़ जाता है वो निढाल हो कर वहीं करपेट पर ही सो जाती है लेकिन इधर तुशार का माल अभी नहीं गिरा था इसलिये वो रश्मी को फ़िर से खींच कर आने पास करता है उसको पीछे से थोड़ा उठा कर अपनी जांघो के पास रखता है और उसकी चूत में लंड़ ड़ाल उसे चोदने लगता है।

वो समझ जाता है कि अब ये झड़ चुकी है तो इस बार वो भी तेजी से अपना लंड़ अंदर बाहर करने लगता और कुछ ही देर में वो झड़ जाता है और जैसे उसका माल बाहर आता है तो वो अपना लंड़ उसकी चूत से बाहर निकालता है और अपना पूरा माल उसकी गांड़ में उंडेल देता है।और वो रश्मी के उपर ही लेट जाता है।

कुछ देर तक रश्मी के उपर सोये रहने के बाद तुषार उठता है और घड़ी की तरफ़ देखता है । ११ बज चुके थे और आधे घंटे में उन्हें नीचे पहुंच जाना था इसलिये वो नंगी सोई पड़ी रश्मी को हिलाता है जो अभी तक हांफ़ रही थी और लंबी सांसे रही थी। वो उसे धीरे से कहता है रश्मी ११ बज चुके है हमें आधे घंटे में नीचे पहुंचना है।

११ बजने का नाम सुनते ही रश्मी हड़्बड़ा कर खड़ी होती है और सीधे बाथरुम में पहुंच कर शावर चालू कर फ़िर से स्नान करने लगती है। उसे आज पूजा का सामान भी खरिदना था इसलिये वो इस हालत में बजार नहीं जा सकती थी। वो लग्भग दस मीनट तक नहाने के बाद बाहर आती है और जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगती है। तभी उसका ध्यान तुषार की तरफ़ जाता है लेकिन वो कमरे में नहीं था और उसके कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। दर असल वो रश्मी की पिछे वाली बाल्कनी से अपनी बाल्कनी में कूद कर अपने कमरे में जा चुका था।

लगभग १५ मीनट में साड़ी पहन कर और तैयार हो कर नीचे की तरफ़ जाने लगती है । तुशार के कमरे के पास निकलते हुए वो उसके कमरे के दरवाजे पर थपथपाते हुए नीचे उतर जाती है। जैसे ही नीचे पहुंचती है उसके आश्चर्य की सीमा नहीं रहती जब वो तुषार को नाशते की टेबल पर बैठ कर नाश्ता करते हुए देखती है।

तुशार उसकी तरफ़ देखता है और मुस्कुरा देता है और कहता है अब कैसी तबीयत है आपकी भाभी? यदि तबियत ठीक नहीम लग रही है तो थोड़ा और सो लिजिये और ऐसा बोल कर वो हल्के से अपनी एक आंख दबा देता है। रश्मी भी प्रतुत्तर में ज्यादा कुछ नहीं कहती केवल इतना ही कहती है कि अब तबियत पहले से कफ़ी बेहतर है।

तभी उसके ससुर बोलते हैं " अरे बेटा टाइम खराब मत करो जल्दी से तुम भी नाश्ता कर लो तो हम चलें बाजार , आज सारा दिन लगने वाला इसी काम में । फ़िर वो तुषार की मां से कहने लगते है अरे भई जब तक ये दोनों नाश्ता करते हैं तुम एक बार फ़िर से अपनी लिस्ट चेक कर लो कहीं कुछ छूट ना जाय , फ़िर आज के बाद हमें समय नहीं मिलने वाला बाजार वगैरह जाने के लिये। तुशार की मां उन्हें कहती है आप चिंता मत करो सारी लिस्ट तैयार और कहीं कुछ भी नहीं छूटा है लिखने से हम पिछले तीन दिन से इस लिस्ट को तैयार् कर रहे हैं। उसके पिताजी आश्वस्त हो जाते हैं और कहते है "तो ठीक है अब मैं गाड़ी बाहर निकालता हूं और तुम लोग भी बिना देरी किये जल्दी से गाड़ी में आ कर बैठो। ऐसा बोल कर वो अपने घर् के गैरेज से गाड़ी निकालने के लिये निकल जाते हैं।
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bas yahi tak hai
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Update please
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Update bhai
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(20-03-2023, 03:21 PM)Cowboy Wrote: Update bhai

bas itna hi likhta the gopher ne, iske aage koi update nahi hai
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