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छोटी बहन को अपने पति से चुदवा दिया-
#1
छोटी बहन को अपने पति से चुदवा दिया-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरा नाम साक्षी है. उस दिन मैं अपनी छोटी बहन श्वेता के बेटे का पहला जन्मदिन मनाने के लिए उसके ससुराल में गई हुई थी. मेरी बहन की यह पहली औलाद थी. घर का चिराग एक साल का हो जाने की खुशी में सब लोग फूले नहीं समा रहे थे. मेरी छोटी बहन श्वेता की सास ने खास तौर पर मुझे जन्मदिन के लिए न्यौता भेजा था.

उसकी सास ने जोर देकर कहा था कि मैं अपने पति मनोज को लेकर एक हफ्ता पहले ही पहुंच जाऊं और जन्मदिवस मनाने के लिए हो रही तैयारियों में हाथ बटाऊं. लिहाजा मुझे हफ्ते भर पहले ही छुटकी के घर जाना पड़ा.

मेरी छुटकी की शादी यूपी के बिजनौर में एक बड़े परिवार में हुई थी. घर में हर तरह का ऐश-आराम था. मैं अपने पति मनोज के साथ ठीक एक हफ्ता पहले ही श्वेता के ससुराल पहुंच गई. चूंकि बेटे का पहला जन्मदिन था तो श्वेता ने जाते ही मुझे गले से लगा लिया.

मगर जब वो मेरे गले लग कर अलग हुई तो उसकी साड़ी का पल्लू मेरे नेकलेस में अटक गया. उसके बड़े बड़े चूचे मेरी नजरों के सामने ही उभर आये. चूंकि अभी वो बच्चे को दूध पिला रही थी तो उसके चूचे और अधिक रसीले हो चले थे. एक बार तो मुझे भी उसके स्तनों के देख कर हैरानी हुई.

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही श्वेता है जिसको मैं अपने मायके में देखा करती थी. शादी और बच्चा होने के बाद उसकी जवानी ऐसे खिल गई थी जैसे गुलाब की कली फूल बन गई हो. चेहरे पर पहले से ज्यादा नूर आ गया था और शरीर भी भर गया था.

मैं उसके पल्लू को अपने नेकलेस से निकालने लगी. काफी देर में उसका उलझा हुआ पल्लू आजाद हो पाया. फिर हम दोनों अलग हुए और मैंने मनोज की तरफ देखा तो उसकी नजर श्वेता के स्तनों की दरार को ताड़ रही थी.

मुझे समझते देर नहीं लगी कि जो भाव मेरे मन में उठे थे वही भाव अपनी साली को देख कर मेरे पति के मन में भी उठ रहे हैं. मैंने उसकी पैंट की तरफ देखा तो उसका लंड फन उठाने लगा था. मगर अभी तक पूरे जोश में नहीं आया था. उसकी नजरों में हवस को मैं साफ साफ पढ़ पा रही थी.

मैंने मनोज की तंद्रा भंग करते हुए अपना हाथ हिलाया तो उनको होश आया. जब साक्षी ने मनोज को देखा तो उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और अपनी साड़ी के पल्लू से अपने स्तनों को ढक लिया.
साक्षी बोली- अरे जीजा जी, आप भी आये हैं!
मनोज ने कहा- हां जी, साली के बेटे का जन्मदिन है तो आते कैसे नहीं?

तभी उसकी सास भी बाहर निकल आई. हम दोनों ने उनको नमस्ते की और वो हमें बैठक वाले कमरे में लेकर चली गई. कुछ देर तक यहां वहां की बातें होती रहीं और उसकी सास ने बताया कि जन्मदिन की सारी तैयारियां हम दोनों के भरोसे ही हैं.

श्वेता की सास मुझे बहुत मानती थी. इसलिए जब मैं आई तो उनके चेहरे पर निश्चिंतता के भाव भी झलकने लगे थे. उसकी सास ने कहा कि हम लोग तो कल ही मेहमानों के लिए सारे उपहार खरीद लायेंगे. तुम यहां श्वेता और उसके बच्चे को देख लेना.

उसके बाद उन्होंने हमें आराम करने के लिए कह दिया. जल्दी ही शाम हो गई और सारे लोग साथ में मिल कर खाना खाने लगे. खाने के बाद हम दोनों को उसकी सास ने हमारा कमरा दिखा दिया. कुछ देर तक तो हम दोनों बातें करते रहे और देर रात को जब सब लोग सो गये तो पति की जांघों के बीच में लटक रहे उसके सांप ने मेरी चूत के बिल में घुसने के लिए फन उठाना शुरू कर दिया.

मनोज ने मेरी साड़ी और पेटीकोट को एकसाथ ऊपर कर दिया और सीधे ही मेरी चूत में जीभ देकर जोर से उसको चूसने लगे. आज उनका जोश कुछ अलग ही मालूम पड़ रहा था.

शादी के पांच सालों में इतना जोश मैंने एकाध बार ही उनके अंदर महसूस किया था. तेजी से अपनी जीभ को मेरी चूत में मेरे पति ने अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं तड़पते हुए इतनी गर्म हो गई कि मेरे हाथ बेड की चादर को कचोटने लगे. मगर पति की जीभ की रफ्तार थी कि कम नहीं हो रही थी.

पति का लंड लेने के लिए मेरे अंदर की कामाग्नि भड़क चुकी थी. मैंने उनसे अपनी चूत चुदाई के लिए विनती करनी शुरू कर दी. मगर वो जैसे मेरी बात सुन ही नहीं रहे थे. मेरी चूत में तूफान सा उठ चुका था जिसको शांत किये बिना अब मुझे चैन नहीं मिलने वाला था.

मैंने कहा- मार ही डालोगे क्या आज, अब डाल दो अपना लौड़ा… आह्ह।
मनोज ने कहा- ऐसी भी क्या जल्दी है जान, थोड़ा रस तो पीने दो तुम्हारी चूत का!
मैंने कहा- इतनी देर से रस ही पी रहे हो. मेरा फव्वारा छूटने ही वाला है. इतने भी बेरहम न बनो जी!
वो बोले- क्या मेरा लंड लेने के लिए मेरी बीवी की चूत मचल रही है?

उनकी बात पर मैंने कहा- मचल नहीं रही, बहुत बुरी तरह से तड़प रही है. अब बातें करने में समय बर्बाद न करो और अपने लंड को मेरी इस तपती हुई भट्टी में घुसा दो जान!
वो बोले- तो फिर तुम्हें भी मेरा एक काम करना होगा.

मैंने पूछा- अब मियां बीवी के बीच में शर्त कब से आ गयी?
वो बोले- ज्यादा सवाल न करो. वर्ना तुम्हारी चूत को प्यासी ही रहना पड़ जायेगा आज रात!
मैं बोली- अच्छा ठीक है मेरे सरताज, क्या शर्त है, बताओ भी अब?

मनोज ने कहा- मुझे श्वेता की चुदाई करनी है. आज जब से मैंने उसके ब्लाउज में उसके भरे हुए स्तनों को देखा है तब से ही अंदर एक आग लगी हुई है. बाथरूम में दो बार वीर्य गिरा चुका हूं. अब अगर तुमने अपनी बहन की चूत नहीं दिलवाई तो फिर मैं नाराज हो जाऊंगा. उसका खामियाजा तुम्हारी प्यासी चूत को भुगतना पड़ेगा.

मैं बोली- मगर वो मेरी बहन है. मैं उसको तुम्हारे साथ सेक्स के लिए कैसे तैयार करूंगी?
वो बोले- वो तुम्हारा काम है. तुम देखो. मुझे कुछ नहीं पता. मुझे बस अपनी साली की चूत चोदनी है.
मैंने कहा- ठीक है, मैं पूरी कोशिश करूंगी. मगर अब तो मेरी चूत की प्यास को बुझा दो मेरे राजा. इतनी देर से मेरी चूत में जो आग लगा रखी है तुमने उसको तो शांत कर दो.

वो बोले- पहले वादा करो कि मुझे श्वेता की चूत दिलावाओगी, किसी भी कीमत पर?
मैंने कहा- हां, वादा करती हूं.
वो बोले- तो फिर ठीक है मेरी रानी, अब मेरा मूसल लेने के लिए तैयार हो जाओ.

इतना कह कर मेरे पति मनोज ने मेरी टांगों को चौड़ी कर दिया. अगले ही पल पैंट और अंडरवियर उतार कर नीचे से नंगे हो गये और अपने मोटे लंड को मेरी चूत के मुंह पर रख दिया.

उनके सात इंची मूसल लंड का गर्म सुपारा जब मेरी चूत पर लगा तो मैंने खुद ही उनको अपनी तरफ खींच लिया. जोर से उनके होंठों को चूसने लगी और नीचे से उनका लंड मेरी तपती हुई चूत में उतरने लगा.

जब पूरा लंड चूत में उतर गया तो मुझे तृप्ति का अहसास मिलना शुरू हो गया. अब उन्होंने अपनी गांड का रिदम बनाते हुए मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया. पति के लंड से चुदते हुए मेरी वासना शांत होने लगी.
हमारा यह घमासान बीस मिनट तक चला और मनोज से पहले ही मेरी चूत ने ही पानी फेंक दिया.

पच-पच की आवाज के साथ दो मिनट बाद तक वो मेरी गीली चूत को चोदते रहे और फिर वो भी मेरी चूत में पिचकारी मारते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गये.

अगली सुबह जब उठी तो काफी फ्रेश महसूस कर रही थी. सुबह ही श्वेता की सास ने कह दिया कि हम लोग दस बजे निकल जायेंगे. मनोज को भी चलने के लिए कह देना.

मैं बोली- नहीं मौसी, मनोज की तबियत कुछ ठीक नहीं है. उनको आज थोड़ा आराम करने दो. आप मेरे जीजा जी को लेकर चली जायें.
उसकी सास ने कहा- अच्छा ठीक है. तो फिर तुम श्वेता और उसके बच्चे का ध्यान रखना. हम लोग कोशिश करेंगे की शाम होने से पहले लौट आयें.

दस बजे नाश्ते के बाद श्वेता की सास उपहार खरीदने के लिए निकल गई. घर में मैं, श्वेता और मेरे पति ही रह गये. अब मेरे लिए श्वेता को अपने जीजा यानि मेरे पति मनोज के साथ सेक्स करने के लिए मनाने की एक और चुनौती थी. मैं सोच ही रही थी कि श्वेता ने आवाज दे दी.

उसके कमरे में गयी तो वो काम में लगी हुई थी. मुन्ना दूसरे कमरे में सो रहा था. मैं भी उसके साथ काम में हाथ बंटाने लगी. एक घंटे तक दोनों साफ सफाई के काम में लगी रहीं. उसके बाद दोनों हांफने लगी और श्वेता बोली- बस अब थोडा़ आराम कर लें.

वो कुर्सी लेकर बैठ गई. उसके स्तनों से उसका पल्लू हटा हुआ था. मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- अभी इतना काम करना ठीक नहीं है तेरे लिये, ला मैं तेरे कंधे की मसाज कर देती हूं. थोड़ा आराम मिल जायेगा.

मैं अपनी छोटी के बहन के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके कंधों को सहलाने लगी. वो रिलेक्स होने लगी. थोड़ी ही देर में उसकी आंखें बंद होना शुरू हो गईं. मैंने अब अपने हाथों को थोडा़ नीचे तक ले जाना शुरू कर दिया.

उसके उभारों को छूकर आने लगे थे अब मेरे हाथ. वो कुछ नहीं बोल रही थी. धीरे-धीरे करके मैंने उसके चूचों को भी सहलाना शुरू कर दिया. फिर एकदम से अपने हाथ को उसके ब्लाउज में डाल कर उनको दबा दिया.
वो बोली- आह्ह … क्या कर रही है साक्षी!
मैंने कहा- छुटकी, तेरी चूचियों को मसाज दे रही हूं ताकि स्तनों में दूध की गांठ न बन जायें.

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वो बोली- अच्छा, तो फिर अच्छे से कर ना मसाज!
मैं समझ गई कि उसको मजा आने लगा है.
मैंने उसके स्तनों में हाथ डाल कर उनको दबाना शुरू कर दिया.
उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. अब मेरे हाथ मेरी बहन के चूचों को अच्छी तरह से दबा रहे थे. वो हर पल गर्म होती जा रही थी.

उसके दूध इतने बड़े थे कि मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे. इन्हीं दूधों को देख कर उसके जीजा अपनी साली की चूत चुदाई की जिद पर अड़ गये थे, ये बात अब मुझे अच्छी तरह समझ आ गयी थी. श्वेता की आंखें बंद हो रही थीं और उसके होंठ खुलने लगे थे. उसके गुलाबी गालों पर वासनामयी गर्माहट फैल रही थी और उसके होंठों से निकल रही तपती सांसें आस पास के माहौल को और कामुक बना रही थीं.

मैंने उसके गुलाबी ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दूधों को दबाना शुरू कर दिया था. अब मेरी चूत में भी सुरसुरी सी पैदा हो रही थी. मन कर रहा था कि उसके ब्लाउज को उतार दूं. मैं उसकी गर्दन को चूमने लगी और साथ ही मेरे हाथ उसकी चूचियों को मस्ती में दबाने लगे.

अब हम दोनों बहनें एक दूसरे के लिए वासना की प्रतिमूर्ति बन गई थीं. श्वेता के बड़े बड़े दूधों को दबाने में मुझे भी आनंद आने लगा था. अगर मेरी जगह कोई मर्द होता तो अब तक उसके लंड का बुरा हाल हो चुका होता.

उसकी सिसकारियां कुछ इस तरह उसकी उत्तेजना को बयां कर रही थी- आह्ह … दीदी, अह्ह … ये क्या कर रही हो! अम्म … आआहस्स्… तुमने तो मसाज के बहाने मुझे गर्म कर दिया दीदी.
मैं भी सिसकारते हुए बोली- तेरा मर्द भी तो ऐसे ही तेरे दूधों को दबा कर मजे लेता होगा न? मगर आज अपनी दीदी के हाथों से मजा ले ले छुटकी.

श्वेता बोली- मेरे दूधों में पति के हाथों से इतनी मस्ती तो मैंने कभी महसूस नहीं की जितनी इस वक्त मैं महसूस कर रही हूं.
मैंने पूछा- तो फिर तेरी चूत का हाल तो इससे भी बुरा हो गया होगा.
वो बोली- हां, मेरी चूत … आह्ह मेरी चूत … दीदी … मेरी चूत तो चिपचिपी हो चली है.

मैंने कहा- तो अपनी दीदी को दिखाएगी नहीं क्या अपनी चूत?
वो बोली- तुमने गर्म ही इतनी कर दी है कि वो खुद तुम्हारे सामने आ चाह रही है.
मैंने कहा- तो फिर दिखा, मैं भी तो देखूं मेरी बहन की चूत गर्म होने के बाद कैसी लगती है!

श्वेता सिसकारते हुए मुझसे अलग हो गई और मैंने उसके चूचों से हाथ हटा लिए. जब वो उठी तो नागिन के जैसी लहरा कर उठी. मुझे पता लग गया था कि इसकी चूत को अब चुदाईके लिए तैयार है ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मेरी छोटी के बहन के बड़े बड़े दूधों को दबा कर मैंने उसको इतना गर्म कर दिया था कि उसकी चूत में उठी वासना गर्मी उसके चेहरे और उसके शब्दों के जरिये बाहर आने लगी.
उत्तेजना के कारण उसकी चूत में कामरस ने ऐसी खुजली मचाई कि वो अपनी गीली चूत को मेरे सामने नंगी करने के लिए कुर्सी से उठ गई.

जैसे ही कुर्सी से उठी तो मैंने उसको पीछे से पकड़ कर उसकी चूचियों को एक बार फिर जोर से दबाना शुरू कर दिया. वो सिसकारने लगी और मैंने उसको दीवार के साथ लगा दिया.

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दीवार के साथ लगा कर मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन देने शुरू कर दिये. उसकी चूचियों को अपनी चूचियों से दबाने लगी. अपनी नाभि को उसके पेट पर रगड़ने लगी. मेरी चूत उसकी जांघों से जा सटी और मैंने उसको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.

श्वेता की हालत खराब होने लगी. वो अपनी चूत को मेरी तरफ धकेलने लगी. मैंने उसकी घाघरी के ऊपर से उसकी जांघों को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. उसके मोटे मोटे, गोल मटोल बड़े-बड़े दूधों को चूमने लगी मैं.

वो मुझसे लिपटने लगी. मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा लिया और उसके गालों को चूमने लगी. वो मदहोश होने लगी. मेरी बहन के गर्म जिस्म से लिपट कर अब मेरी चूत भी गीली होने लगी थी. मगर अभी मेरे दिमाग में एक ही भूत सवार था कि मैं किसी तरह उसको इतनी गर्म कर दूं कि वो अपनी चूत को चुदवाने के लिए तड़प उठे.

इसलिए मैंने श्वेता की घाघरी को उसके घुटनों तक उठाना शुरू कर दिया. उसकी नर्म गोरी जांघों तक अभी मैं नहीं पहुंचना चाह रही थी. मैं धीरे धीरे उसको वासना की हद तक ले जाने पर तुली हुई थी. मैंने उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि पर जीभ से वार किया तो वो सिहर गई.

वो मुझसे लिपटते हुए मेरे मुंह को अपने नाभि वाले हिस्से में दबाने लगी. उसकी टांगें उठ कर खुद ब खुद ऊपर की ओर आने लगीं. उसके हाथ मेरे गालों पर कामुक स्पर्श देते हुए मेरे चेहरे को उसकी चूत की तरफ ले जाने के लिए जैसे मिन्नत सी करने लगे.

मैंने उसकी घाघरी को उठा दिया और उसकी पैंटी को चूमना शुरू कर दिया. मेरी बहन की गीली चूत ने पैंटी को भी गीली करना शुरू कर दिया था. उसके चूत-रस की महक मेरी नाक में पहुंच रही थी. मैंने उसकी चूत को चाटा तो वो मेरे मुंह को अपनी पैंटी में दबाने लगी.

उसकी गुदा मेरी तरफ आते हुए उसकी चूत को मेरे होंठों पर रगड़ने लगी. उसकी गर्म की चूत गर्मी जैसे भांप फेंक रही थी. मैंने उसकी पैंटी को खींच कर उसकी चूत को नंगी कर दिया और उसकी चिपचिपी चूत पर अपने होंठों को रख दिया.

जैसे ही मेरे गर्म होंठों ने उसकी तपती हुई चूत को स्पर्श किया तो उसके मुंह से जोर से सिसकारी फूट पड़ी- आह्ह .. दीदी, मेरी चूत … आह्ह मेरी चूत को ऐसे मत चाटो … मैं मर जाऊंगी.
मैंने अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसकी चूत के अंदर डाल दिया तो उसने मेरे मुंह को अपनी चूत में घुसा दिया.

अब वो इतनी गर्म हो गई थी कि उसकी चूत से कामरस का झरना बहने लगा था. मैंने उसकी चूत के पानी को चाटने लगी. मेरी चूत का हाल भी कुछ ऐसा ही था. अब तो मेरा मन भी करने लगा था कि अपनी बहन के साथ अपनी भी चूत की चुदाई करवा लूं.

मैंने तेजी से श्वेता की चूत में जीभ को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. वो अपनी गर्दन को दीवार पर इधर उधर घुमाते हुए सिसकारियां भरने लगी. आह्ह दीदी … क्या कर रही हो … मेरी चूत को इतना क्यों तड़पा रही हो.

उसकी हालत पर अब मुझे तरस आने लगा था. मगर यही सही वक्त था उसकी चूत को अपने पति के लंड से चुदाई के लिए तैयार करने का. मैंने अपनी जीभ को छुटकी चूत से बाहर निकाल कर अब उंगलियों का प्रयोग करना शुरू कर दिया.

मेरी दो उंगलियां तेजी से उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगीं. उसकी चूत इतनी चिकनी हो चुकी थी कि मुझे उसकी चूत में उंगली करने में ही इतना मजा आने लगा था कि मन कर रहा था ऐसे ही इसकी गर्म चूत में उंगली करते हुए इसका पानी निकलवा दूं और जो गर्म झरना मेरी बहन की चूत से निकले उसकी एक-एक बूंद को पी जाऊं.

अगले दो मिनट तक मैंने श्वेता की चूत को ऐसे ही उंगलियों से चोदा और फिर उसकी चूत को अपने दोनों हाथों से खोल कर अपनी जीभ की नोक उसकी चूत के द्वार पर हल्का हल्का फिराना शुरू कर दिया. मेरी इस हरकत से वो इतनी बेसब्र हो गई कि अपनी चूत को बुरी तरह से मेरे मुंह पर पटकने लगी.

मैंने उसकी मोटी गांड को दबाते हुए इसी क्रिया को जारी रखा और वो अपनी गांड को दीवार से रगड़ते हुए कभी नीचे होने लगी और कभी ऊपर। ऐसा लग रहा था कि अब उसको हर हालत में अपना पानी छुड़वाना है.
इसी मौके का फायदा उठा कर मैंने उसकी चूत से जीभ को हटा लिया और मैं उससे अलग हो गई.

वो अभी अभी बदहवास सी दीवार से लगी हुई मेरी तरफ तृष्णा भरी नजरों से देख रही थी. उसकी आंखों में सेक्स का ऐसा नशा मैंने देखा कि अगर अब मैं उससे किसी भी गैर मर्द का लंड उसकी चूत में डलवाने के लिए कहती तो वो बिना सोचे ही अपनी चूत को चुदवाने के लिए तैयार हो जाती.

जब मैं उससे अलग हो गई तो उसका अधूरापन उससे ज्यादा देर बर्दाश्त न हुआ और वो मुझ पर खिसियाने लगी- ये क्या दीदी!
अब बीच में ही क्यों छोड़ दिया? मुझे आपसे ये उम्मीद कतई नहीं थी.

मैं बोली- अरे पगली, ये चूत की आग है. ये जीभ से नहीं बुझने वाली.
उसने कहा- तो फिर ये आग लगाई ही क्यों आपने?
मैंने कहा- बस वो तो ऐसे ही हो गया. मैं तो बस तेरे बदन को रिलेक्स करना चाह रही थी.

वो बोली- नहीं दीदी, अब बहाने न बनाओ. अब मुझसे रहा न जायेगा. या तो मेरी चूत को शांत करो या फिर मुझसे कभी बात न करना.
मैंने उसके पास जाकर उसकी चूत को हथेली से रगड़ते हुए उसकी गर्दन को फिर से चूमना शुरू कर दिया.

उसके कान के पास अपने होंठों को ले जाकर कहा- छुटकी, मेरी बहन इतनी गर्म हो गई क्या तेरी ये मुनिया?
वो बोली- हां दीदी, बहुत मजा आ रहा था. अब इसको अगर मैंने शांत न किया तो ये मुझे चैन से जीने नहीं देगी.

मैंने पूछा- मैं इससे ज्यादा मजा भी दिलवा सकती हूं तुझे. बस तुझे मेरे बताये अनुसार ही काम करना होगा.
वो बोली- ठीक है, मैं तैयार हूं. आप जो कहोगी मैं करने के लिए के लिए तैयार हूं. मगर अब मुझे इस तरह अधूरा न छोड़ो.

मैंने कहा- ठीक है, तू उसकी चिंता मत कर. तेरी चूत के लिए मैंने बहुत अच्छा इंतजाम सोचा है. बस तुझे जैसा बोला जाये तू वैसे ही करना.
वो बोली- ठीक है, मगर एक बात तो बता, मनोज जीजू तुम्हारे साथ रात में कैसे करते हैं?

“अगर मौका मिले तो तुम खुद ही करवा कर देख लेना.” मैंने उसके मन को भांपते हुए कहा.
वो बोली- धत्त, वो तो आपके पति हैं, मैं भला उनके साथ कैसे करवा सकती हूं. मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी.

मैंने कहा- देख ले छुटकी, साली भी आधी घरवाली होती है. तेरे जीजा रात में मेरी ऐसे बजाते हैं कि उसकी झनझनाहट कई दिनों तक मेरी चूत में गूंजती रहती है.
वो बोली- सच, इतनी मस्ती से चोदते हैं क्या वो तु्म्हें?

श्वेता का ध्यान अब उसके जीजा के लंड की तरफ ढाल दिया था मैंने.
उसकी बातों से प्रतीत होने लगा था कि जैसे वो अपने जीजा के लंड के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक हो रही है.
मैं बोली- कभी मौका मिले तो तू भी बहती गंगा में हाथ धो लेना. बड़े ही चोदू किस्म के इन्सान हैं तेरे जीजा.

वो बोली- तब की तब देखेंगे, मगर अभी का क्या?
मैंने कहा- अभी के लिए भी तेरी चूत को शांत करने का उपाय है मेरे पास. मगर वह यहां नहीं हो सकता. उसके लिए अंदर चलते हैं.

वो बोली- तो फिर देर किस बात की है, चलो न, मुझसे तो खड़ी भी नहीं हुआ जा रहा अब.
उसकी हां होने के बाद अब मेरा रास्ता साफ नजर आने लगा था मुझे.
मैंने कहा- चल छुटकी, तेरे कमरे में चलते हैं. यहां हॉल में तो किसी के आने का डर लगा रहेगा.
मेरे कहने के बाद हम दोनों उसके कमरे में चली गयीं.

अंदर जाकर मैंने उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी और उसको बेड पर बिठा दिया. फिर मैंने उसके ब्लाउज को खोलना शुरू कर दिया. अगले कुछ ही पलों में उसको मोटे, गोरे और बड़े स्तन जिनमें दूध भरा हुआ था, मेरे सामने उछल कर आ गये थे.
उनको देख कर मेरे अंदर भी वासना सी जाग उठी. मैंने अपनी बहन के स्तनों को जोर से दबाना शुरू कर दिया. वो आहें भरने लगी. उसके निप्पलों को चूसने लगी.

बहुत मजा आ रहा था मुझे. उसके बाद मैंने उसकी साड़ी को खोल दिया. उसके पैटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे नंगी कर दिया. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने उसकी पैंटी को रगड़ा और फिर उसकी टांगों में से उसकी पैंटी को खींच लिया. उसकी गर्म चूत नंगी हो गई.

उसने खुद ही अपनी टांगें मेरे सामने फैला दीं और मैंने उसकी फैली हुई टांगों के बीच में उसकी फूली हुई चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
वो बोली- आह्ह … साक्षी, बहुत अच्छा लग रहा है.
मैंने कहा- अभी तो इंतजार करो छुटकी. असली मजा तो अब आयेगा तुम्हें.

मैंने जोर से उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
वो बिल्कुल तड़प उठी.

फिर मैंने कहा- मैं दो मिनट में आ रही हूं. तुम्हारे लिये इससे भी ज्यादा मजे का इंतजाम किया है मैंने.
वो बोली- जल्दी कर साक्षी. मुझसे रहा नहीं जा रहा.
मैंने कहा- बस तुम पट्टी मत खोलना. मैं अभी आई.

इतना कह कर मैं फटाक से मनोज को कमरे में ले आई. मनोज ने धीरे से दरवाजे को ढाल दिया. तब तक मैंने अपनी कमीज उतारनी शुरू कर दी. जल्दी से मैं भी नंगी हो कर वापस से साक्षी के साथ बेड पर जा पहुंची.

अपनी बहन को मैंने बेड पर लेटा दिया उसके मुंह पर अपनी चूत को रख दिया. वो मेरे बिना कहे ही मेरी चूत को चूसने लगी. मैं भी गर्म होने लगी. इधर नीचे से मनोज ने अपनी साली श्वेता की नंगी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.

मगर श्वेता को शक हो गया. मेरे नर्म हाथों और मेरे पति के सख्त हाथों का अन्तर उसे पता लग गया था. उसने आंखों से पट्टी हटा कर साइड से झांका तो मैंने उसके मुंह में अपनी चूत अड़ा दी. उसे कुछ कहने या करने का मौका ही नहीं दिया. वैसे भी वो अब विरोध करने की हालत में नहीं थी.

मैंने अपनी चूत को उसके मुंह में धकेलना शुरू कर दिया. वो मेरी चूत में जीभ से चाटने लगी और मैं पीछे से हाथ ले जाकर उसके चूचों को दबाने लगी. अब तक मेरे पति नंगे हो चुके थे. उन्होंने श्वेता की टांगों को फैला दिया और उसकी चूत पर अपना लंड टिका दिया.

श्वेता समझ गई थी कि यह हम पति पत्नी की सोची समझी साजिश थी. इसलिए वो भी अब अपने जीजा के लंड से चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी.

मनोज ने मेरी बहन की चूत में लंड को पेल दिया. मेरे पति के धक्के मेरी बहन की चूत में लगने लगे.

अब मैंने उसके चूचों को छोड़ दिया और मेरे पति ने श्वेता के चूचों को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. मैं उठ कर उसके सिर के पीछे चली गई. मेरे पति का लंड मेरी छोटी बहन की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और उनकी जीभ अपनी साली के चूचों का दूध निचोड़ने में लगी हुई थी.

इधर मैं भी पीछे से उसके मुंह में चूत को धकेल रही थी.
अब सारी लाइन क्लियर थी. श्वेता अब अपने जीजा के लंड से चुदाई का मजा लेने लगी थी.
अगले दस-पंद्रह मिनट तक हम पति पत्नी ने मेरी बहन को मिल कर चोदा.

पूरे कमरे में कामुक सिसकारियां गूंज उठीं.
मनोज के श्वेता की चूत में धक्के मारते हुए कहा- आह्ह … आह्ह … स्स्स … याह … ओह्ह … उफ्फ … हाय री श्वेता, मुझे नहीं पता था कि मेरी साली की चूत इतनी गर्म और चुदासी है.

श्वेता के मुंह में मेरी चूत घुसी हुई थी और वो गूं.. गूं की आवाज करते हुए कुछ कहने की कोशिश कर रही थी मगर शब्द बाहर नहीं आ रहे थे. इधर मेरी चूत का भी इतना बुरा हाल हो गया था कि मैं अपनी पूरी ताकत लगा कर अपनी बहन के मुंह में अपनी चूत को धकेल रही थी और साथ ही अपने हाथों से वक्षों को दबा दबा कर मजा ले रही थी.

कुछ ही देर में श्वेता के मुंह में ही मेरी चूत का पानी निकल गया. इधर मनोज के लंड ने अपनी साली की चूत में वीर्य उड़ेल दिया था. जब तीनों अलग हुए तो तीनों के तीनों बुरी तरह से हांफ रहे थे. फिर हम तीनों ही साथ में लेटे रहे. शाम होते होते मेरे पति ने मेरी बहन की चूत को दो बार चोदा और एक बार मेरी चूत भी रगड़ी. उसके बाद घर वालों के आने का समय हो गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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