01-02-2023, 06:21 PM
अन्तर्वासना- तृप्ति-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery अन्तर्वासना तृप्ति-
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01-02-2023, 06:21 PM
अन्तर्वासना- तृप्ति-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 06:24 PM
रिक्की और उसकी मां मोहिनी गुड़गांव के एक पॉश एरिया में रहते हैं.
मोहिनी 40 साल की अपने नाम जैसी ही बेहद खूबसूरत, पढ़ी लिखी औरत है. वो कॉर्पोरेट सेक्टर में वाईस प्रेसीडेंट के पद पर कार्यरत है. उसकी फिगर अभी भी एकदम मस्त 34-30-36 की रही होगी. दफ्तर में उसको देख कर सब मर्दों की लार टपकती है. कंपनी के चेयरमैन तक उसके दीवाने हैं. पर मोहिनी ने आज तक किसी पास आने का मौका नहीं दिया, न उसने किसी की तरफ कोई कभी खिंचाव महसूस किया. वो अपनी काबलियत के बल बूते पर आगे बढ़ती गयी और आज उच्च पद पर आसीन है. रिक्की के बचपन में ही उसके पिता की मौत हो गयी थी तो मोहिनी ने ही उसे पाल-पोस कर बड़ा किया. रिक्की अपनी मां के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित था. जैसे जैसे वो बड़ा हो रहा था, वो अपनी मां की सुंदरता से उसकी बढ़ती पद प्रतिष्ठा से बहुत प्रभावित था. अपने कॉलेज में उसे कोई भी लड़की पसंद नहीं आती, वो सब में अपनी मां जैसी सुंदरता और व्यक्तित्व तलाशता … और जब उसे वो सब न मिलता, तो वो अपनी मां की तरफ झुक जाता. जैसे जैसे रिक्की बड़ा हो रहा था, उसको भी सेक्स के बारे में भी जानने की इच्छा होने लगी थी पर अभी भी लड़की उसकी दोस्त नहीं बन सकी थी. जबकि उसका ध्यान अब सेक्स तरफ बढ़ रहा था. वो सेक्स साहित्य पढ़ने लगा मैगज़ीन्स में न्यूड मॉडल्स की फोटो देखता, तो उसे अपने अन्दर उत्तेज़ना सी महसूस होती. अब उसके लंड में भी उठान और कड़ापन आने लगा था. धीरे धीरे वो अपने लंड को हाथ से मसलने लगा था. उसके अन्दर सच में किसी औरत या लड़की को नंगी देखने की इच्छा तीव्र होने लगी, पर वो किसको देखे. तभी उसे अपनी मॉम का ख्याल आया. इस ख्याल को बल देने में सेक्स कहानी ने सहायता की. मां बेटे के बीच की सेक्स सम्बंध वाली कहानियों ने उसके मन को इसके लिए स्वीकृति दे दी. अब वो इस फ़िराक में रहने लगा कि कैसे मोहिनी को नंगी देख पाए. एक दिन सुबह मोहिनी जब ऑफिस जाने से पहले नहाने गयी तो उसने बेडरूम का दरवाजा अन्दर से लॉक नहीं किया और बाथरूम का दरवाज़ा हल्का सा भिड़ा कर नहाने चली गयी. रिक्की कुछ ढूंढता हुआ उसके बेडरूम में आया तो उसने देखा उसकी मॉम नहाने गयी है. उसे उसी वक्त कुछ सनसनी सी हुई और हल्के से खुले हुए दरवाज़े में से वो झांकने लगा. अन्दर का नज़ारा देखते ही रिक्की हैरान रह गया. उसकी मॉम ने अपनी नाइटी उतार दी थी और वो ब्रा पैंटी में थी. मोहिनी ने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोले तो उसके बूब्स उछल कर बाहर आ गए. ये देख कर रिक्की की हालत खराब हो गयी. अब मोहिनी ने अपनी पैंटी उतारनी शुरू की. जब उसने झुक कर पैंटी को अपनी टांगों से बाहर निकाली तो उसके झूलते बूब्स को देख कर रिक्की पागल ही हो गया था. मोहिनी ने शॉवर खोल दिया और अपने जिस्म को अपने मुलायम हाथों से मल मल कर नहाने लगी. फिर उसने अपनी चुत को अच्छे से धोया और टांगों पर साबुन लगाने लगी. ये सब देख रिक्की की हालत खराब हो रही थी, उसकी उत्तेजना चरम पर थी उसके लंड में इतना ज्यादा तनाव आ चुका था, जैसे वो उसका बरमूडा फाड़ कर बाहर आ जाएगा. वो जल्दी से अपने कमरे की तरफ भागा और बाथरूम में जाकर अपने लंड को आगे पीछे मसलने लगा. इसमें उसे आनन्द आ रहा था. थोड़ी देर बाद उसका वीर्य छूट गया तो उसे जैसे आराम सा मिला और आनन्द की अनुभूति हुई. वो थोड़ी देर के लिए निढाल सा हो गया. फिर वो नहा कर बाहर आया और कॉलेज के लिए तैयार हो गया. उसकी मॉम भी ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुकी थी. उसने अपनी मॉम को ऊपर से नीचे तक देखा. ट्रॉउज़र और शर्ट में उसे अपनी मॉम कयामत लग रही थी. उसने पहले अपनी मॉम को इस नज़र से कभी नहीं देखा था, पर आज उसकी नज़र और नज़रिया दोनों बदल चुके थे. मोहिनी उसे बाय बोल ऑफिस के लिए निकल गयी. आज उसकी एक जरूरी मीटिंग थी तो उसे जल्दी निकलना था. नहीं तो वो रिक्की को कॉलेज छोड़ते हुए ऑफिस जाती है. रिक्की घर में अकेला रह गया था, तो वो भी कुछ सोच कर कॉलेज नहीं गया. अब उसके दिमाग में सिर्फ अपनी मॉम का नंगा जिस्म घूम रहा था, उसे बार बार वही सब याद आ रहा था. वो सोचने लगा कि वो रोज़ कैसे अपनी मॉम को नंगी देख सकता है. वह बाथरूम में गया और कोई ऐसी जगह ढूंढने लगा, जहां से वो अपनी मॉम को रोज़ नहाते हुए देख सके. आखिर उसके दिमाग में आईडिया आया. बाथरूम की खिड़की जो हमेशा बंद रहती थी. उसने वो थोड़ी सी खोल दी और खिड़की के सामने बड़ा सा आइना था जिसमें से उसे नहाते हुए अपनी मॉम दिख सकती थी. फिर ऐसा ही कुछ इंतज़ाम उसने अपनी मॉम के बेडरूम में भी किया. इसके बाद वो अपने रूम में जाकर लेट गया और फिर से वही सब कुछ सोचने लगा. सोचते सोचते उसका लंड खड़ा हो गया और उसने फिर से वही सब किया और लंड झाड़ कर थक कर सो गया. अब रिक्की को कल सुबह का इंतज़ार था. अगली सुबह जब मोहिनी नहाने गयी तो रिक्की झट से उस खिड़की पर पहुंच गया और मोहिनी को नहाते हुए देखने लगा; साथ में अपने लंड देव को हिलाने लगा. ये उसका अब रोज़ का सिलसिला बन गया था. कभी वो अपनी मॉम को नहाते हुए, कभी कपड़े चेंज करते हुए देखने लगा. इसी तरह टाइम बीत रहा था. इससे आगे रिक्की कभी नहीं बढ़ा. एक रात उसने मोहिनी के कमरे में से उसकी सिसकारियों की आवाज़ सुनी तो वो जल्दी से बेडरूम की खिड़की पर पहुंच गया. जब उसने अन्दर झांक कर देखा तो उसकी आंखें फटी रह गईं. मोहिनी अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी थी और अपनी उंगली से अपनी चूत को मसल रही थी. वो मुँह से कामुक आवाजें निकाल रही थी. यूँ तो मोहिनी ने कभी भी किसी मर्द को अपने पास फटकने तक नहीं दिया था, पर ये भी सच है कि शरीर की भी अपनी जरूरतें होती हैं. जब भी मोहिनी अपनी जरूरत से हार जाती थी, तो वो खुद को ऐसे ही शांत कर लेती थी. शायद उसको रिक्की का ख्याल था कि अगर वो किसी के साथ सम्बन्ध बनाती भी है और अगर रिक्की को पता लगेगा, तो वो क्या सोचेगा. रिक्की ने जब अन्दर का ये नज़ारा देखा तो उसे लगा कि उसकी मॉम कितनी मजबूर है. वो अपने शरीर की प्यास नहीं बुझा पाती है. वह सोचने लगा कि अगर उसकी मॉम किसी से चुदवा ले और वो उसकी लाइव चुदाई देखे, तो कितना मज़ा आएगा. अब रिक्की यही सोचता रहता कि काश उसकी मॉम किसी से चुदवा ले. उधर मोहिनी को ये ख्याल तक भी नहीं था कि उसका अपना बेटा उसे नंगी देखता है, उसे चुदवाती हुए देखना चाहता है. रिक्की ने 12 वीं पास कर ली तो मोहिनी ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया. अब मोहिनी घर में अकेली थी. दिन तो ऑफिस में निकल जाता, पर शाम को घर आने पर घर उसे काटने को लगता. उसे अब अकेलापन बहुत सता रहा था और छुट्टी वाला दिन तो जैसे उसे काटने को दौड़ता था. जब तक रिक्की उसके साथ था तो उसका शाम का टाइम उसके साथ कट जाता था. छुट्टी वाले दिन दोनों कहीं घूमने जाते, कभी मूवी, कभी शॉपिंग. फिर रात को डिनर करके ही आते. पर अब मोहिनी किस के साथ जाए. रिक्की की परवरिश और अपनी नौकरी की व्यस्तता के चलते मोहिनी ने ख़ास दोस्त भी नहीं बनाए थे. अब उसे किसी दोस्त की कमी महसूस हो रही थी. उधर अब उसे रात को बिस्तर पर आते ही उसका शरीर जैसे जलने लगता; उस पर वासना हावी होने लगी थी. उसे अब लगने लगा था कि कोई हो जो उसकी प्यास बुझा दे. उसकी वासना अब उंगली से शांत नहीं होती थी. उसे लगता था कि कोई आ जाए और उसके मम्मों को इतना चूसे कि उन्हें निचोड़ दे. उसकी चूत का तो और भी बुरा हाल था. पर मोहिनी क्या कर सकती थी. मोहिनी को इस समय अकेलापन बहुत खल रहा था. अपना इस अकेलापन दूऱ करने के लिए ड्रिंक लेनी शुरू कर दी. यूँ तो मोहिनी कंपनी की पार्टीज में ड्रिंक के एक दो पैग ले लिया करती थी पर उसने घर पर कभी नहीं ली थी. अब उसने घर पर ही वोडका के दो ड्रिंक लेने शुरू कर दिए थे. जब वो बिस्तर पर आती तो उसे अपने जिस्म की आग बुरी तरह जलाती. उसने इंटरनेट पर सेक्स कहानी पढ़नी शुरू कर दीं. उसमें उसने कई ऐसी कहानियां पढ़ीं, जिसमें अकेली रहती औरतें अक्सर कॉल ब्वॉय को बुलाकर अपने जिस्म की प्यास बुझाती हैं. कई कहानियां उसने ऐसी भी पढ़ीं, जिनमें औरतों ने अपने से छोटे उम्र के मर्दों से सम्बन्ध बनाए और अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी की. ग्रुप सेक्स और थ्री-सम की भी कई कहानियां पढ़ीं. ऐसे ही एक बार मोहिनी के दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न वो भी किसी कॉल ब्वॉय से अपनी जरूरत पूरी कर ले. पर फिर सोचा ‘नहीं, क्या पता ये कैसे होंगे … या उन्हें कोई बीमारी न हो, या उसे ब्लैक मेल करना चालू कर दिया तो फिर क्या होगा.’ यह ख्याल उसने झटक दिया. उसने ये भी सोचा कि क्यों न किसी से दोस्ती की जाए, पहले वो दोस्ती करे अगर विश्वास लायक हुआ तो उसके साथ सो भी जाएगी. मोहिनी की उम्र ही क्या थी, अभी 40 साल की उम्र ही तो थी. उसमें भी वो बला की खूबसूरत थी, उसका फिगर एकदम तना हुआ मस्त था. उसको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. दोस्ती का ख्याल आते ही मोहिनी ने अपने आप को एक बार शीशे में निहारा तो उसे खुद से ही प्यार हो गया. उसने सबसे पहले जिम ज्वाइन किया. फिर उसने पहले अपने ऑफिस के मर्दों के बारे में सोचा. पर उसे कोई पसंद नहीं आया. और अगर वो ऑफिस में किसी से दोस्ती करती, तो वो बदनाम भी हो सकती थी. उसके पद प्रतिष्ठा को धक्का लग सकता था. वो ऑफिस में अपना दबदबा वैसा ही बनाए रखना चाहती थी, सो ये ख्याल भी उसने एक पल में झटक दिया. एक सुबह मोहिनी ऑफिस जा रही थी और वो पार्किंग से अपनी गाड़ी निकाल रही थी. आज उसे ऑफिस जाने की कुछ जल्दी थी, तो कुछ हड़बड़ी में कार रिवर्स करते वक्त उसकी कार पिछली कार से टकरा गयी. उसने नीचे उतर कर देखा, तो पिछली कार का काफी नुकसान हो गया था, उसका बम्पर टूटकर लटक गया था. उसे बहुत अफसोस हुआ. कार चालक भी नीचे उतर आया, वो एक खूबसूरत नौजवान था, अच्छी पर्सनालिटी का मालिक था. उसने आंखों पर रेबैन का चश्मा पहना हुआ था और वेल ड्रेसअप था. मोहिनी उसको देख कर प्रभावित हुई. फिर उसके पास जाकर सॉरी बोला और बोली- मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही थी, तो हड़बड़ी में ये हो गया. मैं आपका नुकसान भर दूँगी. उस नौजवान ने कहा- कोई बात नहीं हो जाता है. मैं कार ठीक करवा लूंगा. मोहिनी ने काफी जोर दिया और कहा- नहीं आप अपनी कार को वर्कशॉप में भिजवा कर एस्टीमेट बता दें, मैं पैसे ट्रांसफर कर दूँगी. उसी के साथ मोहिनी ने अपना कार्ड उसे दे दिया. कार चालक ने भी अपना परिचय दिया कि उसका नाम अर्णव है और वो भी कॉर्पोरेट सेक्टर में मार्केटिंग में काम करता है. मोहिनी ने कहा- क्या मैं आपको कहीं छोड़ सकती हूँ. उसने कहा- थैंक्स जी, मैं टैक्सी लेकर चला जाऊंगा. मोहिनी ने कहा- आप कार पार्क कर दीजिए, मैं एजेंसी में फ़ोन कर दूँगी, वो कार ले जाएंगे. आप चाबी सिक्योरिटी के पास छोड़ दें. उसने कुछ नहीं कहा. फिर मोहिनी ने कहा- मैं कनाट प्लेस तक जा रही हूँ. आप कहां जा रहे हैं? ये सुनकर उसने कहा- मुझे भी वहीं जाना है. मोहिनी ने कहा- तो चलिए मैं आपको छोड़ देती हूँ. अर्णव जल्दी से गाड़ी पार्क करके मोहिनी के साथ बगल वाली सीट पर बैठ गया. अर्णव कनखियों से मोहिनी को देख रहा था. मोहिनी की आज ख़ास मीटिंग थी तो कुछ भी ख़ास लग भी रही थी. उसके शरीर से उसके परफ्यूम की खुशबू अर्णव को मदहोश सा कर रही थी. मोहिनी भी अर्णव से ख़ासा इम्प्रेस थी और चोर निगाहों से उसे देख रही थी. अब मोहिनी ने ही उससे बात शुरू की. मोहिनी ने बताया- मैं उसी बिल्डिंग में 10 वें फ्लोर पर रहती हूँ. अर्णव बोला- मैं भी आपसे एक फ्लोर ऊपर रहता हूँ. उन दोनों में बातचीत शुरू हुई. कुछ काम-काज को लेकर भी बात हुई. इतने में वो दोनों कनाट प्लेस पहुंच गए थे. अर्णव ने कार से उतरते हुए थैंक्स बोला. मोहिनी ने उससे कहा कि आप शाम को फ्री होकर मुझे फोन कर लें, तो साथ में ही घर चलेंगे. ऑफिस पहुंचते ही मोहिनी मीटिंग में व्यस्त हो गयी और लंच तक फ्री हो पायी. फिर उसे अर्णव का ख्याल आया तो वो मुस्करा दी. उसने एजेंसी में फ़ोन करके उसकी गाड़ी को पिकअप करने के लिए बोल दिया. फिर मोहिनी ने इधर उधर के काम निपटाए और पांच बजे फ्री होकर अर्णव के कॉल का इंतज़ार करने लगी. उधर आज अर्णव भी उत्साहित था, उसे भी मोहिनी के साथ जाने का इंतज़ार था. वो उसकी सुंदरता और उसकी मदहोश कर देने वाली फिगर के बारे में ही सोच रहा था. यूँ तो अर्णव की बहुत सी लड़कियों के साथ दोस्ती थी और कई उसके साथ हमबिस्तर भी हो चुकी थीं, पर उसे मोहिनी उन सबसे अलग और ख़ास लगी. वो उसका साथ पाने के लिए बेचैन हो चुका था. अर्णव ने टाइम देखा तो 6 बज चुके थे. उसने मोहिनी का कार्ड निकाला और उस पर लिखा उसका नंबर मिला दिया. मोहिनी को भी आज अर्णव के फ़ोन का इंतज़ार था. एक अंजान नम्बर देखते ही उसके मन में हिलोरें सी आ गईं. उसने फ़ोन उठाया, हैलो बोल कर परिचय लिया और उससे पूछा- मैं फ्री हूँ, अगर तुम फ्री हो तो साथ में निकलते हैं. अर्णव ने उससे कहा- ठीक है, नीचे लिफ्ट के पास मिलते हैं. मोहिनी ने अपना लैपटॉप बंद किया और पियून को बोला कि बैग नीचे कार में रखवा दे. जब मोहिनी नीचे पहुंची तो अर्णव उसका इंतज़ार कर रहा था. मोहिनी को देख कर उसने हैलो बोला, तो बदले में मोहिनी ने स्माइल पास करके हैलो बोला. फिर दोनों कार की तरफ चल दिए. मोहिनी कार ड्राइव कर रही थी. अर्णव ने कहा- अगर आप को जल्दी न हो, तो एक कप कॉफ़ी पी लेते हैं, यहां एक बहुत खूबसूरत कैफे है. मोहिनी को भी बहुत दिनों बाद किसी का साथ पसंद आया था तो उसने हां कह दिया और कार कैफे की तरफ मोड़ दी. कैफे के अन्दर का माहौल काफी अच्छा था, बड़ा ही शांत था. हल्का हल्का म्यूजिक माहौल को और रोमानी बना रहा था. मोहिनी को ये सब पसंद आया और उसके मुँह से बरबस ही निकल गया- बड़ी ही बढ़िया जगह है, आपकी पसंद मुझे भी पसंद आई. अर्णव ने कहा- शुक्रिया आपको पसंद आया. मुझे लगा आप शायद ऐसी जगह जाना पसंद न करें क्योंकि आप बहुत ऊंची पोस्ट पर है और आपका उठना बैठना बड़े लोगों के साथ होगा. शायद आप फाइव या सेवन स्टार में जाना पसंद करती होंगी. मोहिनी ने मुस्करा कर कहा- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. हालांकि मैं कहीं भी नहीं जाती, सिर्फ कंपनी की होने वाली बोर पार्टीज के सिवाए, वहां जाना भी मेरी मजबूरी होती है. मुझे तो इसके बारे में पता ही नहीं था. मैं कभी आयी नहीं यहां … और आती भी किसके साथ, मेरा तो कोई दोस्त ही नहीं है. अर्णव ने मुस्करा कर कहा- तो आप आज से मुझे ही अपना दोस्त समझ लीजिए. मोहिनी ने मुस्कराते हुए अपना हाथ आगे कर दिया. दोनों ने हाथ मिलाया. दोस्तो, आपको इस सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा. अगले भाग में इन दोनों के बीच कि चुदाई आपको मस्त कर देगी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 06:28 PM
फिर अर्णव ने दो कॉफ़ी का आर्डर दे दिया और मोहिनी से बातें करने लगा.
अर्णव ने बताया कि मैं 38 साल का हूँ. मेरी बीवी मुझे छोड़ कर विदेश में बस गयी है. मेरे भाई बहन पहले से ही नहीं थे, अब माता पिता भी नहीं रहे, सो मैं इस दुनिया में बिल्कुल अकेला हूँ. मोहिनी ने भी कहा- मैं भी एकदम अकेली हूँ. मेरा एक बेटा है, जो विदेश में पढ़ रहा है. अर्णव ने कहा- वाओ … आप देखने में लगती नहीं हैं कि आप इतने बड़े बच्चे की मां हैं. आप तीस से ज्यादा की नहीं लगती हैं. इस पर मोहिनी मुस्करायी, पर अन्दर ही अन्दर वो अपनी इस तारीफ पर बहुत खुश थी. अर्णव खेला खाया इंसान था, उसे पता था कि ऐसी औरतों को कैसे खुश किया जाता है. इसी लिए वो अपना इम्प्रैशन जमाने के लिए उसे इस कैफे में लाया था. उसका पहला कदम कामयाब रहा था. मोहिनी उससे काफी इम्प्रेस थी और उसने उसकी दोस्ती भी स्वीकार कर ली थी. मोहिनी ने बताया कि मैंने आपकी गाड़ी एजेंसी भिजवा दी है, दो दिन में ठीक हो कर वापिस आ जाएगी. अर्णव ने कहा- अरे आपको ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी. मैं खुद ठीक करवा लेता. कैफे से फ्री होकर दोनों अपनी सोसाइटी में पहुंच चुके थे. कार पार्क करके वो एक लिफ्ट से ऊपर जा रहे थे. अपना फ्लोर आने पर मोहिनी ने अर्णव को अपने घर आकर कॉफ़ी के बोला. तो अर्णव थैंक्स बोलते हुए कहा- फिर किसी दिन मैं जरूर आपके साथ में कॉफ़ी पीने आऊंगा. उस दिन मोहिनी ने दो ड्रिंक लिए और डिनर करके वो बेड पर सोने के लिए आ गयी. थोड़ी देर वो आज दिन के बारे में और अर्णव के साथ हुई बातचीत, उसके साथ कैफे में जाने के बारे में ही सोचती रही. फिर वो इंटरनेट पर सेक्स स्टोरीज पढ़ने लगी. और जब गर्म हो गयी, उसने अपने कपड़े उतार दिए और अपनी चूत में उंगली करने लगी. उंगली करते हुए वो अर्णव के बारे में ही सोच रही थी. उसकी बॉडी याद करके मोहिनी का दिल कर रहा था कि काश इस वक़्त अर्णव उसके साथ होता और उसकी प्यास बुझा देता तो कितना अच्छा होता. जब वो कुछ शांत हुई तो उसे थोड़ी ग्लानि भी हुई. अपने पति की मौत के बाद आज उसने पहली बार किसी पर पुरुष को अपने ख्यालों में आने दिया था. उसे खुद पर हैरानी थी कि कितने ही पुरुष उसके साथ एक कप कॉफ़ी पीने के लिए तैयार रहते थे, पर उसने किसी को भी अपने पास नहीं फटकने दिया था. आज कैसे वो अर्णव के साथ कॉफ़ी हाउस चली गयी. ये सब सोचते सोचते उसे नींद आ गयी. सुबह 6 बजे उठ कर वो जिम के लिए चली गयी. जिम से निकलते हुए अर्णव उसे दिखाई पड़ गया. उसने उसे हैलो बोला और पूछा- आप यहां कैसे? वो बोला कि मैं तो यहां रोज़ ही आता हूँ. मोहिनी ने स्पोर्ट्स ब्रा और जॉगिंग पेंट पहन रखी थी, वो इन कपड़ों में बेहद सेक्सी लग रही थी. अर्णव की निगाह उसके शरीर पर ही टिकी हुई थी. उसकी नजरें मोहिनी के 34 इंच के बूब्स से हट नहीं रही थीं. मोहिनी को भी अन्दर ही अन्दर मज़ा रहा था. फिर दोनों साथ ही वापिस आए, ऑफिस भी साथ में गए. अब ये सिलसिला चल पड़ा था. कभी मोहिनी अर्णव की गाड़ी में ऑफिस जाती, तो कभी अर्णव मोहिनी कार में साथ जाता. दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगी थीं. एक संडे को जिम से वापिस आते हुए मोहिनी ने लिफ्ट निकलते हुए अर्णव का हाथ पकड़ कर खींच लिया और उसे अपने फ्लैट में कॉफ़ी पिलाने के लिए ले आयी. अन्दर आते ही मोहिनी ने जिम वाली टॉवल को एक तरफ फेंका और अर्णव को बैठने के लिए बोल कर कॉफ़ी बनाने चली गयी. वापस आयी तो अर्णव वहां पड़ी सेक्सी मैगज़ीन देख रहा था. मोहिनी कभी कभी कहीं से ये मैगज़ीन ले आती थी. इसमें काफी सेक्स रिलेटेड आर्टिकल्स आते थे. मोहिनी ये देख कर थोड़ा झेम्प गयी, फिर कप पकड़ाती हुई बोली- लो कॉफ़ी पी लो. अर्णव कॉफ़ी पीते हुए मोहिनी की तारीफ करने लगा कि आप खुद को कितना मेन्टेन रखती हैं. इसीलिए आपकी उम्र तीस से ज्यादा नहीं लगती. मोहिनी उसकी बातों पर मुस्कराती रही, कॉफ़ी पीते हुए अर्णव उसके शरीर को ही देखता रहा. उसे मोहिनी की चूचियों की घाटी बहुत उत्तेजित कर रही थी. स्पोर्ट्स बनियान में थोड़े थोड़े से झांकते मोहिनी के दूध उसकी उत्तेज़ना को और बढ़ा रहे थे. मोहिनी अर्णव की हालत समझ रही थी और मन ही मन मुस्करा भी रही थी. पर अर्णव कोई पहल नहीं कर रहा था. यदि वो करता, तो शायद मोहिनी उसकी बांहों में बिछ जाती. फिलहाल अर्णव कॉफ़ी पी कर उसे बाय बोल कर अपने घर चला गया. मोहिनी भी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी और कपड़े उतार कर शॉवर के नीचे खड़ी हो गयी. जब मोहिनी ने अपना नंगा जिस्म सामने आईने में देखा, तो उसे खुद से ही प्यार हो गया. वो सोचने लगी कि क्या वो सचमुच इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि अर्णव, जो उससे उम्र में काफी छोटा भी है और हैंडसम भी है, उसे पाने के लिए पागल हो जाएगा. सारा दिन मोहिनी ने रिलैक्स किया. दोपहर के बाद बारिश का मौसम हो गया था. मोहिनी कॉफ़ी का कप ले बाल्कनी में आ गयी. तभी अर्णव का फ़ोन आ गया. उसने मोहिनी से बाहर चलने की पेशकश करते हुए कहा- चलो कहीं अच्छी सी जगह चलते हैं, अगर तुम्हें बुरा न लगे तो ड्रिंक भी ले लेंगे और साथ में डिनर करके वापिस आ जाएंगे. मोहिनी ने सोचा कि आज ये आप से तुम पर आ गया. फिर वो मुस्कुराती हुई बोली- नहीं, मैं बाहर नहीं जाना चाहती हूँ. हफ्ते भर की थकान से रिलैक्स होना चाहती हूँ. अगर तुम चाहो, तो मेरे घर आ जाओ, हम दोनों ड्रिंक यहीं ले लेंगे और डिनर आर्डर कर देंगे. अर्णव को उसका प्रपोजल पसंद आया. वो बोला- ठीक है, मैं अभी बाहर जा रहा हूँ. एक घंटा में वापस आ जाऊंगा और वहीं से स्नैक्स पैक करवा लाऊंगा. मोहिनी के होंठों पर स्माइल आ गयी. फिर वो उठ चेंज करने के लिए बेडरूम में आ गयी. बाहर मौसम रोमानी था और मोहिनी का दिल भी अब रोमांटिक हो गया था. उसने अपने आपको शीशे में निहारा, तो उस पर वासना हावी होने लगी. उसने सोचा कि क्यों न आज की शाम को एक यादगार शाम में तब्दील कर दिया जाए. उसने वार्डरॉब से ब्लैक कलर शिफॉन की साड़ी निकाली, साथ में रेड कलर का ब्लाउज और रेड कलर की ही ब्रा पैंटी निकाल बाथरूम में घुस गयी. उसने अपनी चूत की सफाई की और शॉवर लेकर नंगी ही बाहर आ गई. अपने आपको नंगी देखती हुई उसने चेंज कर लिया और तैयार हो गयी. वो ब्लैक और रेड कलर के कॉम्बिनेशन में पूरी काम देवी लग रही थी. अपने बालों को उसने पीछे ढीला सा बांध लिया था और माथे पर लाल रंग की छोटी सी बिंदी लगा ली थी. आज वो निहायत खूबसूरत लग रही थी. जैसे इंद्र देव की सभा से कोई मेनका या उर्वशी नीचे उतर आयी हो. वो शीशे में खुद को देख कर थोड़ा मुस्करायी और फिर ड्राइंग रूम में जाकर उसने ड्रिंक के लिए गिलास बोतल सजा दिए. फ्रिज में आइस वग़ैरह चैक करके अर्णव के आने का इंतज़ार करने लगी. जैसे डोर बेल बजी तो मोहिनी ने दरवाज़ा खोला. अर्णव की निगाहें तो मानो मोहिनी पर जम ही गयी थीं. लाल रंग के ब्लाउज में कसे हुए उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे, जैसे हुक तोड़ कर बाहर आने को आतुर हों. पीछे ब्लाउज की डीप बैक मोहिनी को और सेक्सी बना रही थी. साड़ी में से झांकता उसका सपाट पेट और नाभि से नीचे बंधी साड़ी में मोहिनी आज सच में काम देवी लग रही थी. अर्णव का तो देखते ही बुरा हाल था. वो आकर अन्दर बैठ गया. नमकीन के पैकेट उसने मोहिनी को थमा दिए थे. मोहिनी किचन से प्लेट में नमकीन डाल कर ले आयी. अर्णव ने वोडका के दो ड्रिंक बनाए, दोनों ने चियर्स किया और सिप करने लगे. पर अर्णव की नजरें मोहिनी के ऊपर से हट ही नहीं रही थीं. ये देख कर मोहिनी अन्दर ही अन्दर बहुत खुश थी. मोहिनी ने उठ कर म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया. हल्का संगीत, शराब का नशा और मोहिनी की खूबसूरती ने इस शाम को और रंगीन बना दिया था. दो ड्रिंक लेने के बाद मोहिनी ने बस बोला तो अर्णव ने कहा- नहीं मेरी खातिर एक और लो न! मोहिनी ने मुस्कराते हुए गिलास पकड़ लिया. वह जानती थी कि अर्णव पर उसकी खूबसूरती का जादू पूरा चल चुका है, पर वो शाम को और मदहोश बनाना चाहती थी. मोहिनी ने हल्के नशे में कहा- बाहर बारिश हो रही है, चलो बाल्कनी में चलते हैं. दोनों अपना अपना ड्रिंक ले कर बाल्कनी में आ गए. दोनों रिलेशनशिप के मुद्दे पर बातें कर रहे थे. अर्णव मदहोश हो रहा था. वो जम कर मोहिनी की तारीफ कर रहा था. ड्रिंक का असर तो मोहिनी पर भी था. बात करते करते अर्णव मोहिनी से बोला- तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत है. मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुम्हें चूम लूं. मोहिनी इसके जवाब में हल्की सी मुस्करा दी. अर्णव पर शराब का सुरूर हो चुका था मोहिनी पर भी शराब का असर हो रहा था. मोहिनी बाल्कनी की ग्रिल के ऊपर झुक कर खड़ी थी, तभी अर्णव ने पीछे से उसे अपनी बांहों में भर लिया. इस अचानक हुए हमले से मोहिनी सकपका गयी पर अर्णव ने अपने होंठ उसकी गर्दन के पीछे रख दिए. वो उसकी गर्दन को चूमता हुआ उसके कान की लौ को चूमने लगा. एक तो शराब का असर था, दूसरे अर्णव की गर्म सांसें मोहिनी को मदहोश कर रही थीं. उसकी आंखें बंद हो गयी थीं. वो चाह कर भी विरोध करने की हालात में नहीं थी. अर्णव उसे लगातार चूम रहा था, मोहिनी की पीठ पर लगातार चुम्बनों की बरसात कर रहा था. उसके हाथ मोहिनी के पेट को सहलाने लगे. मोहिनी की भी सांसें उखड़ने लगीं. अर्णव ने मोहिनी को अपनी तरफ घुमा कर उसके होंठ चूमने चाहे तो मोहिनी को थोड़ा होश आया कि वो ये सब बाल्कनी में हो रहा है. अगर किसी की नज़र उन पर पड़ गयी तो गड़बड़ हो जाएगी. वो अर्णव से छूट कर अपने बेडरूम में आ गयी और शीशे के सामने खड़ी हो अपनी सांसों को संयंत कर ही रही थी कि तभी अर्णव ने पीछे से आकर फिर से उसे अपनों बांहों में भर लिया और लगातार उसकी गर्दन और कान को चूमने लगा. मोहिनी की आंखें भी बंद थीं और वो उसके चुम्बनों का पूरा मज़ा ले रही थी. बरसों बाद वो किसी मर्द की बांहों में थी. तभी अर्णव ने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसकी गर्दन से चूमता हुआ उसने अपने होंठ मोहिनी के होंठों से मिला दिए. मोहिनी भी साथ देने लगी. दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमे जा रहे थे. मोहिनी ने अपनी जीभ अर्णव के मुँह में डाल दी और वो मोहिनी की जीभ चूसने लगा. अर्णव के हाथ मोहिनी की पीठ को सहला रहे थे, उसके हाथ मोहिनी के वक्ष स्थल पर आ गए. पहले वो वहां हाथ से सहलाता रहा, फिर उसने हल्के से एक दूध को दबा दिया. मोहिनी की आह निकल गई और वो अर्णव से चिपट गयी. अर्णव ने उसके कान में बोला- मोहिनी, मैं तुम्हें आज पाना चाहता हूँ. मोहिनी ने भी बोला- हां अर्णव, मैं भी आग में जल रही हूँ. सालों से अधूरी हूँ आज मुझे अपने में समा लो. अर्णव ने मोहिनी की साड़ी खोलनी शुरू कर दी. थोड़ी देर में साड़ी फर्श पर थी. तभी अर्णव ने मोहिनी को घुमाया और उसके कधों को चूमना शुरू कर दिया. फिर उसकी पीठ पर चूमते हुए उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए. अर्णव ने ब्लाउज मोहिनी की बांहों से निकाल कर नीचे फर्श पर ही फैंक दिया और दूसरे हाथ से उसने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया. नाड़ा खुलते ही पेटीकोट मोहिनी के पैरों में आ गिरा था. अब मोहिनी लाल रंग की पैंटी और ब्रा में थी. अर्णव सुंदरता के इस शानदार मुज्जसमे को निहार रहा था. मोहिनी पहली बार किसी गैर मर्द के सामने नंगी थी. फिर वो अर्णव से चिपट गयी और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी. वो धीरे धीरे दोनों बेड की तरफ बढ़ रहे थे. अर्णव ने मोहिनी को अपनी बांहों में जैसे बांध रखा था और उसे बेहताशा चूम रहा था. अर्णव को धक्का देकर मोहिनी ने बेड पर गिरा दिया और कमान अपने हाथ में ले ली. मोहिनी ने उसकी शर्ट उतार दी और उसके पेट को छूते हुए उसकी छाती पर चूमने लगी. उसने धीरे से अर्णव के एक निप्पल पर किस कर दिया. फिर उसे थोड़ा सा जीभ से छेड़ा, तो अर्णव के मुँह से अस्स की आवाज़ निकल गई. फिर मोहिनी चूमती हुई अर्णव के होंठों को चूमने लगी. कभी वो अर्णव की जीभ अपने मुँह में ले कर चूसती, तो कभी अपनी जीभ उसके मुँह में दे देती. कुछ देर ऐसे ही वो एक दूसरे को चूमते रहे; एक दूसरे के शरीर को सहलाते रहे. फिर मोहिनी अर्णव के नीचे की तरफ आयी और उसकी जींस के बटन खोल कर जींस को उसकी टांगों से आज़ाद कर दिया. मोहिनी ने जब फ्रेंची में से फूले हुए लंड को देखा तो उसकी आंखों में वासना के डोरे तैरने लगे. उसने अर्णव के लंड पर हाथ फिराया तो अर्णव के मुँह से आह अस्स की आवाजें निकलने लगीं. अर्णव ने मोहिनी को खींच कर अपनी बांहों में ले लिया और पलटी मार कर उसके ऊपर चढ़ गया. अर्णव मोहिनी के कधों और गर्दन को चूमते हुए उसने उसके कान की लौ को अपने होंठों में दबा चूसने लगा. मोहिनी काम वासना से तड़फ रही थी. वो बोली- आंह अर्णव मत तड़फाओ, मैं बहुत दिन से इस आग में जल रही हूँ. अर्णव फिर से उसके होंठ चूसने लगा. फिर ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों पर चूमने लगा. अर्णव ने अपना हाथ पीछे ले जाकर मोहिनी की ब्रा का हुक खोल दिया. मोहिनी के मम्मे ब्रा से आज़ाद हो गए. फिर अर्णव ने ब्रा को भी बांहों से बाहर करते हुए मोहिनी के शरीर से आज़ाद कर दिया. मोहिनी में मम्मे एकदम टाइट थे, चालीस की उम्र पार करने के बाद भी ढीले नहीं पड़े थे. शायद कई सालों से किसी मर्द ने उन्हें मसला नहीं था, चूसा नहीं था. वैसे भी मोहिनी अपनी फिगर का बहुत ख्याल रखती थी. अर्णव उसके मम्मों की सुंदरता को एकटक देखता ही रह गया. बिल्कुल गोरे रंग के बूब्स, उन पर हल्के भूरे रंग के चूचुक, जो बिल्कुल सख्त हो चुके थे. अर्णव ने झुक कर मोहिनी के एक चूचुक पर जीभ फिराई और होंठों से चुम्बन ले लिया. मोहिनी की मादक आह निकल गई. फिर अर्णव एक हाथ से हल्के से मोहिनी के दूध को मसलने लगा; अपनी दो उंगलियों में एक चूचुक को मींजने लगा. अब तक मोहिनी की चूत में पानी आ गया था. अर्णव ने अपने एक हाथ में एक दूध को ले लिया और दूसरे मम्मे के निप्पल पर हल्के से जीभ फिराने लगा. मोहिनी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं, उसकी आंखें बंद थीं. फिर अर्णव ने एक निप्पल को मुँह में भर लिया और धीरे धीरे चूसने लगा. मोहिनी ने अपने हाथ को अर्णव के सर पर रख दिया और उसे अपने निप्पल का मजा देने लगी. आज मोहिनी को सच में अपने मम्मों से खेलते हुए अर्णव जैसे मर्द से काफी मजा मिल रहा था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 06:30 PM
अर्णव ने दूसरे दूध के साथ भी ऐसा किया, फिर वो उंगलियों से चूचुकों की घुंडियों को उमेठने लगा.
उंगली और अंगूठे से मसलने लगा, कभी चूस लेता. मोहिनी का उत्तेज़ना में बुरा हाल था, वासना उसके सर चढ़ कर बोल रही थी. वह बोलने लगी- आह अर्णव पी लो इन्हें. प्लीज चूस लो … आह तेज तेज चूसो. अर्णव भी जोश में था. वो भी उन्हें ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. एक को छोड़ता तो दूसरे को मुँह में ले लेता. कभी कभी वो मोहिनी का पूरे का पूरा बूब मुँह में लेने की कोशिश करता. अर्णव ने बहुत सी लड़कियों की चुदाई की थी पर उसे मोहिनी जैसी कोई नहीं मिली थी. उस जैसा शरीर, उस जैसी फिगर, ख़ास कर उसके जैसे मम्मे तो उसने पहली बार चूसे थे. करीब पन्द्रह मिनट तक अर्णव ने उसके बूब्स चूसे. दोनों को चूस चूस कर लाल कर दिए. फिर वो मोहिनी को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मोहिनी के सपाट पेट को चूमने लगा. फिर उसकी नाभि में जीभ डाल कर जीभ की नोक को घुमाने लगा. चूमता हुआ जैसे ही अर्णव नीचे आया तो उसने मोहिनी की चूत के ऊपर पेड़ू पर कई चुम्बन लिए. फिर अर्णव ने पैंटी की इलास्टिक में अपनी उंगलियां फंसाईं और जरा सा खिसका कर मोहिनी की चूत के पास चूम लिया. फिर उसने पैंटी के ऊपर से ही मोहिनी की उभरी हुई चूत को चूम लिया. उत्तेज़ना से मोहिनी की पैंटी गीली हो चुकी थी. अब अर्णव देर नहीं करना चाहता था; वो जल्दी से मोहिनी को उसके शरीर पर बचे इस आखिरी कपड़े से भी आज़ाद कर देना चाहता था. तभी उसके दिमाग में ख्याल आया कि अभी मोहिनी को थोड़ा और तरसाया जाए. वो और नीचे आ गया. मोहिनी की जांघों के बीच चूमने लगा. चूमते हुए वो और नीचे आ गया. फिर उसने मोहिनी के पैर अंगूठे को मुँह में डाल लिया और चूसने लगा. उधर मोहिनी की हालत खराब थी, वो चाहती थी कि अर्णव अब जल्दी से उसे चोद डाले. पर अर्णव भी काम कला में निपुण था. तभी मोहिनी पेट के बल हो गयी तो अर्णव उसकी पिंडलियों पर चुम्बन लेने लगा. फिर उसने मोहिनी के चूतड़ों पर कई चुम्बन लिए. उसने वहां दांत से हल्का काटा तो मोहिनी चिहुंक कर सीधी हो गयी. मोहिनी की चूत अर्णव के होंठों के सामने थी. वो उसे चूमने लगा. मोहिनी अपनी टांगें कभी सीधी करती, कभी मोड़ कर चूत को अर्णव के लिए खोल देती. अर्णव ने चूमते हुए मोहिनी की पैंटी उतार दी. अब मोहिनी बिल्कुल नंगी थी. उसकी चूत एक अद्भुत खज़ाना थी जिसे उसने अपने पति के बाद किसी को नहीं दिखाया था. अर्णव ने पहले कई चुम्बन बंद चूत पर लिए, फिर वो चूत के इर्द गिर्द चूमने लगा. उसने चूत की एक साइड की पंखुड़ी को अपने होंठों से खोली और चूत की एक फांक को होंठों में दबा कर चूसने लगा. इसी तरह से उसने दूसरी पंखुड़ी के साथ भी ऐसा किया. मोहिनी की सीत्कार बढ़ने लगीं. फिर अर्णव ने अपनी जीभ चूत के अन्दर घुसा दी. पहले जीभ उसने नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की ओर फिराई. मोहिनी ने जोर से सीत्कार ली. फिर अर्णव जितनी जीभ अन्दर घुसा सकता था, घुसा दी और चूत को चूसने लगा. मोहिनी की हालत खराब हो रही थी, वो ज़ोर से उसका सर अपनी चूत पर दबाने लगी. साथ ही नीचे से अपने चूतड़ भी ऊपर नीचे हिलाने लगी. वो स्खलन की तरफ बढ़ रही थी. पर अर्णव भी पूरा खिलाड़ी था. उसने झटके से अपना मुँह हटा लिया. तो मोहिनी गिड़गिड़ाई- प्लीज प्लीज. पर अर्णव ने उसकी न सुनी और ऊपर आकर अपना अंडरवियर टांगों से अलग कर दिया. उसका तना हुआ लंड मोहिनी के सामने था. उसने मोहिनी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और मोहिनी के बूब्स चूसने लगा. मोहिनी भी उसके लंड को मसल रही थी. तभी अर्णव मोहिनी की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसने अपना लंड चूत पर सैट कर दिया. अभी मोहिनी कुछ समझ पाती कि अर्णव ने एक ही झटके से मोहिनी की चूत में पूरा लंड उतार दिया. मोहिनी को थोड़ा दर्द हुआ क्योंकि वो बहुत सालों से चुदी नहीं थी, सिर्फ उंगली ही करती थी. अर्णव ने धीरे से मोहिनी के गाल पर चुम्बन लिया, फिर कान को चूमता हुआ बोला- तुम्हारी चूत इस उम्र में भी बहुत टाइट है. मोहिनी बोली- मैं एक लम्बे अरसे बाद चुद रही हूँ. अब तुम मेरी आग बुझा दो, मुझे चोद दो. अर्णव पहले पहल धीरे धीरे चोदने लगा. पांच सात मिनट वो उसे धीरे से चोदता रहा. फिर उसने फ्री सेक्स का मजा लेते हुए चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. अब अर्णव के हर धक्के पर मोहिनी के मुँह से आह अर्णव निकल जाता. अर्णव ने अपनी स्पीड एकदम से बढ़ा दी. मोहिनी ने भी टांगें मोड़ कर और खोल कर अर्णव की कमर के इर्द-गिर्द लपेट दीं और चिल्लाने लगी- हां अर्णव … प्लीज और तेज पेलो … चोद डालो मुझे … आह फाड़ दो मेरी चूत. अर्णव भी पूरे ज़ोर से मोहिनी की चूत चोदने में लगा था. कुछ ही पलों में मोहिनी का शरीर अकड़ने लगा और उसकी पकड़ अर्णव की पीठ पर और मजबूत होती जा रही थी. वो कराहती हुई बोली- अर्णव, मैं आ रही हूँ. अर्णव बोला- हां जान … मेरा भी होने वाला है, जल्दी बोलो कहां डिस्चार्ज करूं? मोहिनी ने कहा- मेरे अन्दर ही आ जाओ, मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूँ. अगर तुमने बाहर किया तो मेरी चूत फिर से प्यासी रह जाएगी. अर्णव ने भी तेज़ हुंकार भरते हुए अपना माल मोहिनी की चूत में ही डाल दिया. दोनों ने एक दूसरे को कस लिया और ऐसे लिपट गए कि जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते हों. थोड़ी देर बाद अर्णव मोहिनी से ऊपर उतर कर उसकी बगल में लेट गया. मोहिनी उसकी छाती पर अपनी उंगलियां फेरती हुई बोली- शुक्रिया अर्णव, मुझे सेक्स की बहुत जरूरत महसूस हो रही थी. मैंने जवानी के कितने कीमती साल ऐसे ही निकाल दिए. किसी मर्द को अपने पास तक नहीं आने दिया. पर अब मैं बहुत तड़फ रही थी … और जब से तुम्हें मिली हूँ, ये तड़फ और बढ़ गयी थी. अर्णव ने मुस्करा कर मोहिनी के होंठों पर हल्की सी किस की, फिर बोला- सच बोलूं मोहिनी, जब से मैंने तुम्हें देखा है, मेरा मन भी मेरे काबू में नहीं था. मेरी बहुत सी लड़कियों के साथ दोस्ती रही, पर मुझे आज तक तुम सी कोई नहीं मिली. तुम दोस्त भी गज़ब हो और सेक्स में तो तुम्हारा किसी से कोई सानी ही नहीं है. मोहिनी हंस कर उठी और वाशरूम में चली गयी. जब वो बाहर आयी तो उसने एक जांघों तक की पारदर्शी नाइटी पहन ली थी. अर्णव भी बाथरूम में घुस गया. वापिस आया, तो वो कपड़े पहनने लगा. वो जींस पहनते हुए मोहिनी से कहा- अब मुझे जाना चाहिए, रात बहुत हो गयी है. अभी वो टी-शर्ट पहनता कि मोहिनी उसके करीब आयी और बोली- आज रात यहीं रुक जाओ न! मोहिनी ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. अर्णव ने उसे अपने साथ चिपका लिया. एक लम्बे स्मूच के बाद मोहिनी बोली- क्या हमारे पहले मिलन को सेलिब्रेट नहीं करोगे? तो अर्णव हॉल से बोतल और गिलास ले आया और मोहिनी स्नैक्स. दोनों ने चियर्स किया और अपनी अपनी ड्रिंक सिप करने लगे. दोनों का पेट तो स्नैक्स से भर गया था, खाने की जरूरत थी ही नहीं. पर दोनों के जिस्म अभी भी एक दूसरे के लिए भूखे थे. दोनों अपना अपना ड्रिंक लेकर बाहर बाल्कनी में आ गए. मोहिनी ने वही पारदर्शी गाउन पहन रखा था. अर्णव जींस में था. बारिश जारी थी, मौसम बहुत रोमानी बना हुआ था. रात बहुत गहरा चुकी थी, अंधेरा छाया हुआ था. बाहर से किसी को कुछ नहीं दिखाई दे रहा था. शराब के सुरूर के साथ साथ अर्णव पे मोहिनी के मादक शरीर का भी नशा था. ड्रिंक पर मोहिनी जैसी औरत का साथ हो मौसम खुशगवार हो तो भला कौन मर्द अपने कण्ट्रोल में रह सकता है. अर्णव ने आगे बढ़ कर मोहिनी को अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा. उसके हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके मखमली चूतड़ों पर फिसल रहे थे. मोहिनी भी उसके स्पर्श से मदहोश हुई जा रही थी, वो अर्णव की जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. अर्णव वहां पड़ी चेयर पर बैठ गया और मोहिनी उसकी जांघ पर. फिर मोहिनी ने अपने गिलास से वोडका की घूँट भरी और अर्णव में मुँह में उड़ेल दी. वो दोनों एक दूसरे के मुँह से वोडका पीने लगे. अर्णव ने ऊपर कुछ नहीं पहना था तो मोहिनी उसकी छाती पर हाथ फिराने लगी, उंगलियों से उसके निप्पल छेड़ने लगी. हॉट लेडी के इस खेल से अर्णव बहुत उत्तेजित होने लगा. फिर मोहिनी उसके निप्पल अपनी जीभ से छेड़ने लगी तो अर्णव पागल होने लगा. मोहिनी ने जितनी सेक्स कहानिया पढ़ी थीं, आज वो सब असली में आजमाना चाहती थी. अर्णव ने उसके गाउन में उसके बूब्स बाहर निकाल लिए और उन्हें मसलने लगा. मोहिनी भी उफ आह की सीत्कार भरने लगी. तभी मोहिनी नीचे ज़मीन पर बैठ गयी और अर्णव की जींस का बटन खोलने लगी. अर्णव ने जींस उतार कर फर्श पर ही डाल दी. मोहिनी उसके फ्रेंची में उभरे हुए लंड को मसलने लगी. फिर उसने फ्रेंची के ऊपर से ही उसके लंड को मुँह में भर लिया. मोहिनी अर्णव की फ्रेंची उतारने लगी तो अर्णव ने अपनी कमर उठा कर अपना अंडरवियर उतारने में उसकी मदद की. जैसे ही मोहिनी ने फ्रेंची उतारी, तो अर्णव का खड़ा हो चुका लंड उछल कर बाहर आ गया और मोहिनी की गाल से टकरा गया. मोहिनी ने लंड को हाथ में पकड़ा और बड़ी नशीली आंखों से देखने लगी. फिर उसने झुक कर लंड के सुपारे पर चुम्बन लिया. अर्णव की आह निकल गई. मोहिनी लंड को हाथ में पकड़ कर पूरे लंड पर किस करने लगी. अर्णव ने अपनी पूरी टांगें खोल दीं. मोहिनी सभी जगह पर चूम रही थी. फिर उसने नीचे गोलियों पर जब अपने होंठ और जीभ फिराई तो अर्णव की तो फ्री सेक्स के आनन्द में किलकारी ही निकल गयी. तभी मोहिनी ने लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. आज वो पूरी तरह अपनी काम कला दिखा रही थी. जितना ज्ञान उसने पिछले कई दिनों में इंटरनेट की कहानियों से लिया था, उसे पूरा आज़माना चाहती थी. ऐसा लग रहा था, जैसे वो आज अर्णव को अपना सेक्स गुलाम बनाने पर तुली थी. वो पूरा लंड मुँह में लेती, फिर बाहर निकालती. कभी ऊपर सुपारे पर अपनी जीभ फिराती. अर्णव तो आंखें बंद किए सातवें आसमान में उड़ रहा था. फिर उसने मोहिनी के मुँह से अपना लंड बाहर निकाल लिया. मोहिनी को वहीं पास पड़ी टेबल पर बिठाया और खुद ज़मीन पर बैठ कर उसकी टांगों के बीच आ गया. अर्णव ने मोहिनी की टांगें खोल दीं. मोहिनी ने गाउन के नीचे पैंटी तो पहनी नहीं थी. अर्णव ने अपने होंठ मोहिनी की चूत से लगा दिए और उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ी को होंठों में भर के चूसने लगा. फिर अर्णव मोहिनी की चूत के दाने को जीभ से छेड़ने लगा तो मोहिनी उत्तेजना में पागल हो गयी और अर्णव का सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी. वो बड़बड़ाने लगी- आंह अर्णव … अब नहीं रहा जाता, अपना मूसल मेरी चूत में पेल डालो. अर्णव ने मुँह हटाया और पूछा- यहीं बाल्कनी में? तो उसने बोला- हां अर्णव, मैं यहीं खुली हवा में चुदना चाहती हूँ. ये मेरी फंतासी है … प्लीज आज इसे पूरा कर दो. अर्णव ने अपना मुँह चूत से हटाया और मोहिनी को खड़े होने के लिए बोला. मोहिनी बाल्कनी की ग्रिल को पकड़ कर खड़ी हो गयी और आगे की तरफ झुक गयी. अर्णव पीछे से आया और मोहिनी की चूत में अपना लंड डाल दिया. मोहिनी की एक मादक आह के साथ अर्णव उसे चोदने लगा, साथ साथ वो मोहिनी की पीठ को चूमता जा रहा था. फिर अर्णव ने हाथ आगे बढ़ा कर मोहिनी के झूलते मम्मों को पकड़ लिया और चोदने लगा. मोहिनी ने भी अपने चूतड़ आगे पीछे करने शुरू कर दिए. मोहिनी बड़बड़ा रही थी- हां चोदो मुझे. मजा आ रहा है मेरी जान. इस पोजीशन में दोनों जल्दी थक गए. दोनों बेडरूम में अन्दर आ गए. आते ही मोहिनी ने अपना गाउन उतार फेंका और पूरी नंगी हो गयी. अर्णव ने उसे बेड पर घोड़ी बनने के लिए बोला. वो झट से घोड़ी बन गयी और अर्णव पीछे से आकर चोदने लगा. अर्णव की चुदाई की स्पीड बढ़ती जा रही थी. मोहिनी बोली- आंह अर्णव … सारा माल मेरी चूत में ही डालना. कुछ देर बाद दोनों साथ में ही झड़ गए. मोहिनी आगे की तरफ गिर गयी और अर्णव उसके ऊपर. थोड़ी देर बाद सीधे हुए तो एक दूसरे से चिपक कर सो गए. सुबह काफी देर से दोनों की आंख मोहिनी के फ़ोन बजने से खुली. मोहिनी ने देखा तो उसकी मेड का कॉल था. तो मोहिनी ने उसे आज छुट्टी करने के लिए बोल दिया. फिर वो अर्णव के ऊपर आ कर लेट गयी और उसके होंठों पर हल्की सी किस की. अर्णव ने पूछा- सुबह सुबह से क्या इरादा है मैडम? तो मोहिनी हंसती हुई बोली- अभी तो एक चाय पीने का इरादा है. मोहिनी उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश हुई. फिर चाय बनाने किचन में चली गयी. अर्णव भी फ्रेश होकर किचन में आ गया और पीछे से मोहिनी को अपनी बांहों में भर लिया. वो उसकी गर्दन पर हल्के हल्के चुम्बन लेने लगा. मोहिनी बोली- अरे बाबा चाय तो पी लो पहले. फिर दोनों अपना अपना कप लेकर वापिस बेडरूम में आ गए. चाय पीते हुए मोहिनी ने अर्णव से कहा- तुम मेरे एकमात्र दोस्त हो और मेरे पति के सिवाए सिर्फ दूसरे मर्द हो, जिसने मेरे शरीर को भोगा है. चाय खत्म हुई, तो अर्णव ने मोहिनी को अपनी बांहों में भर लिया और उसे चूमने लगा. मोहिनी मदहोश होने लगी. अर्णव फिर से मोहिनी के दूध पीने लगा. मोहिनी भी गर्म हो गयी. अर्णव ने अपना लंड मोहिनी की चूत में उतार दिया. मोहिनी बोली- बड़े बदमाश हो तुम … इतनी जल्दी पेल दिया. यह कह कर वो उसके होंठों से होंठ मिला कर चुदने लगी. फिर मोहिनी ने अपनी बांहें अर्णव के गले में डाल दीं और बोलने लगी- बस धीरे धीरे यूं ही कुछ देर चोदते रहो, बहुत मज़ा आ रहा है इस धीरे धीरे वाली चुदाई में! अर्णव स्लो मोशन में चूत में लंड आगे पीछे करने लगा. फिर मोहिनी बोली- अर्णव, मुझे बहुत सालों बाद ये सुख मिला है. मैं इसे भरपूर तरीके से जीना चाहती हूँ. क्या हम एक हफ्ते की छुट्टी ले कर गोवा चलें. मैं ऑफिस से बहुत थक गयी हूँ और ज़िन्दगी के मज़े लेना चाहती हूँ. अर्णव ने बोला- ठीक है. अर्णव ने अपना सारा माल फिर से हॉट लेडी मोहिनी की चूत में डाल दिया. दोनों थोड़ी देर सुस्ताए, फिर साथ में ही शॉवर लिया. फिर दोनों ने अपने अपने ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ली. गोवा की फ्लाइट बुक करवा ली. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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