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Adultery शर्मिली भाभी
S
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(03-01-2022, 01:56 AM)Rohan0064 Wrote: Waiting for the next update

Sick Sick Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(11-01-2022, 09:54 PM)neerathemall Wrote: Sick Sick Namaskar

Dodgy yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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wwwwwwwwwwwwwwwwwwwuuuuuuuuuuuuuuuuuuwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
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(11-06-2020, 01:48 PM)Akaash Wrote: Gopher bhai ki rachna, par incomplete rah gayi thi... Bahut hi shaandaar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(24-02-2021, 05:02 PM)neerathemall Wrote: चोरी तो उसने की थी अपने ईमान की और ड़ाका ड़ाला था अपनी ही माँ समान सगी भाभी की जवानी
पर और खून किया था अपनी ही अन्तरात्मा का। लेकिन ये किसी को दिखाई नहीं दे रहा था। खुद तुषार को भी नहीं।

वैसे भी आज के जमानें में चोरी उसी को कहते हैं जो पकड़ी जाय। सो तुषार साहूकारों की तरह खड़ा हो गया। वो समझ चुका था कि बात कुछ और ही है और वो नाहक ही ड़र रहा था।

कुछ क्षण पहले फ़ांसी लगा कर मरने की बात सोचने वाला तुषार न केवल फ़िर से निर्लज्ज बन गया बल्कि पहले से ज्यादा बेखौफ़ भी । उसे पूरा यकीन हो गया कि ये गदराई हसीना कभी अपना मुंह नही खोलेगी। ऎसा विचार मन में आते ही उसने पूरे दो दिनों के बाद फ़िर से अपनी भाभी के गदाराए बदन को नीचे से उपर तक देखा और उसकी नज़र फ़िर से उसकी झिनी साड़ी के अंदर दिखने वाले उसके क्लिवेज पर पड़ने लगी। उसके लंड़ ने पेण्ट के अंदर से झटका मार रश्मी की रसीली जवानी को सलामी दे ड़ाली।

जिस तरह से दिया बुझने से पहले आखिरी बार जोर से जलता है उसी तरह तुषार की अन्तरात्मा भी उसे लगातार दो दिन तक अपराध बोध कराने के बाद आज सदा सदा के लिये चुप हो गई। तुषार काफ़ी आज़ाद मह्सूस कर रहा था।

पाप करने के लिये लोग नये नये बहाने बनाते हैं और उसे सही साबित करने के लिये अपने हिसाब से तर्क देते हैं। इंसान का मन एक वकील की तरह काम करता है। जिस तरह एक वकील अदालत में अपने तर्कों से अपने क्लाइंट के गलत काम को भी सही साबित कर देता है और उसे सजा से बचा लेता है। उसी प्रकार तुषार के अंदर बैठा उसका मन रुपी वकील भी उसे समझा रहा था कि उसने जो किया उसमें कुछ भी गलत नहीं है। आखिर रश्मी जवान है और पति उससे काफ़ी दूर है और अगले काफ़ी महिनों तक उसके यहां वापस आने की कोई गुंजाईश भी नही है, ऎसे में अपनी शरीर की जरुरतों के आगे यदि वो झुक गई और किसी और से उसका रिश्ता बन गया तो?

जिस प्रकार इंदौर की एक जैन साध्वी इंदुप्रभा अपने शरीर के ताप को न सह पाई और अपने ही दूध वाले राधेश्याम गुर्जर के साथ भाग गई थी तो कैसे पूरे देश में जैन समाज की नाक कटी थी। कहीं रश्मी ने ऎसा कोई कदम उठाया तो पूरे समाज मे तुम्हारे परिवार की नाक ही ही कट जायगी ।

सो अपने मन के तर्कों को मानते हुए तुषार ने अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिये अपनी सगी भाभी को चोदने का फ़ैसला किया था। उसके मन ने उसे ऎसा तर्क दिया था कि उसकी आत्मग्लानी अब गायब हो चुकी थी और रश्मी भाभी को चोदना अब उसे पाप नहीं बल्की अपना धर्म लग रहा था। उसे लगने लगा था कि परिवार की इज्जत बचाने के लिये उसे अपनी भाभी को चोदने का धर्म निभाना ही पड़ेगा।

तुषार ने अपनी मां से कहा नहीं मां ऎसी कोई बात नही है दरासल मुझे बहुत भूख भी लगी और मैं बहुत थक भी गया हूं ,इसीलिये आपको ऎसा लगा। फ़िर उसने मां के हाथ पकड़ कर पूछा अब बता भी दो न मां । मां ने हंसते हुए रश्मी की तरफ़ देखा और पूछा क्यों बहू बता दूं इसे या नहीं? रश्मी ने जवाब में कुछ नहीं कहा केवल मुस्कुरा दिया। मां ने रश्मी की तरफ़ बनावटी गुस्से से देखते हुए कहा " अरि रहने दे, तू तो बोलने से रही, तेरा तो कोई खून भी कर दे तो भी तू उसे कुछ नहीं कहेगी बस खड़ी खड़ी देखती रहेगी"।

अब मां ने तुषार की तरफ़ देख कर कहा " सुन बेटा बड़ी अच्छी खबर है, तेरी सुधा के साथ बात पक्की हो गई है। और परसों राज भी आ रहा है अपने बास के साथ बस उसके दो दिन के बाद तेरी सुधा के साथ सगाई कर देंगे।"
तुषार : सगाई ! इतनी जल्दी, और फ़िर राज भैया तो सिर्फ़ एक दिन के लिये ही आ रहे हैं न?
उसके पापा ने बीच में टोकते हुए कहा " एक दिन के लिये नहीं बेटा पूरे चार दिनों के लिये आ रहे है वो दोनों।
तुषार (तनिक चौंकते हुए ) : दोनों! कौन दोनों पापा ?
पापा : अरे बेटा राज और उसका बास दोनों । वो मेंरा बहुत अच्छा दोस्त भी है और फ़िर वो मेरें बेटे का बास भी तो है। मुझे अपने बेटे की तरक्की भी तो करवानी है न। तुम सब ध्यान से सुन लो राज के बास की खातिरदारी में कोई कसर बाकी नहीं रहनी चाहिये समझे।
सब ने एक दूसरे की तरफ़ देखा और सहमती में अपना सर हिला दिया। तभी पापा खड़े हुए और कहने लगे चलो भई अब आज की सभा समाप्त करो मुझे तो बहुत नींद आ रही है, ऎसा कहते हुए वो अपने कमरे की तरफ़ चले गये। उनको जाते देख तुषार की मां भी उनके पिछे चली गई और "दिया" भी सबको गुड़ नाईट कहते हुए अपने कमरे में चली गई।

दो दिनों की लुका छिपी के बाद तुषार और रश्मी भी अब आज के महौल के बाद सामान्य हो चुके थे और दो दिनों के बाद दोनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कारा दिये।उसकी मुस्कुराहट में उसे सहमती और बेबसी दोनो नजर आ रही थी।

लेकिन शिकारी को उससे क्या ? वो तो अपने शिकार को बेबस देख कर और खुश होता है। तुषार का लण्ड़ फ़िर से खड़ा होने लगा था।

एक चतुर शेर जिस तरह से झुंड़ से अपने शिकार को पहले अलग करता है और फ़िर उसे थका कर उस पर झपट्टा मार कर उसका काम तमाम कर देता है उसी तरह तुषार ने रश्मी को अलग थलग तो कर दिया था और अब उस पर झपटने की तैयारी कर रहा था।

वो दोनों भी अब उपर अपने अपने कमरों की तरफ़ जाने लगे। रश्मी थोड़ा आगे थी और तुषार उसके पिछे। रश्मी जैसे ही सीढियों पर पांव रखती उसकी बड़ी बड़ी विशाल मांसल गांड़ बडे उत्तेजक तरिके से हिलता उसे देख कर उसके पिछे आ रहे तुषार बुरी तरह से उत्तेजित हो गया और उसका लंड़ पेंट फाड़ कर बाहर आने के लिये बेताब होने लगा।

इसी तरह अपनी भाभी की हिलती गांड़ को देखते हुए वो उपर तक पहुंच गया। जैसे ही रश्मी उसके दरवाजे के सामने से गुजरी उसने पिछे से अवाज लगाई, भाभी।

रश्मी रुक गई उसने पिछे मुड़ कर तुषार की तरफ़ देखा। तब तक वो रश्मी के पास पहुंच गया।
रश्मी के पास पहुंच कर उसने उससे बोला मैं आपको थैंक्स कहना तो भूल ही गया था। वो मुस्काराई लेकिन प्रत्यक्षत: बोली किस बात का थैंक्स?
तुषार : जी वो सगाई की बात पक्की कराने के लिये।
रश्मी: अच्छा! लेकिन इसमें थैक्स जैसी क्या बात है जब उमर होती है तो शादी तो करनी ही पड़ती है न, वरना बच्चे बिगड़ जाते हैं। ऎसा बोल कर वो नजर निची कर व्यंग से मुस्कुराने लगी।
तुषार : हां ठीक कहा आपने सब काम ठीक समय पर होना चाहिये वरना कुछ लोग बिगड़ जाते है और कुछ कुंठित हो जाते है। अब हंसने की बारी तुषार की थी। उसने रश्मी का हाथ पकड़ा और कहा आओ न भाभी अंदर बैठ कर कुछ बाते करते हैं।
रश्मी : अभी ! अरे नहीं कल बात करेंगे मुझे नींद आ रही है।
लेकिन उसकी बात को अन्सुना करते हुए उसे लगभग खिंचते हुए अपने कमरे में ले आया और बोला मुझे सुधा के बारे में बताओ।
रश्मी : क्या बताऊं मै उसके बारे में ? वो तो एक सीधी सादी घरेलु लड़्की है और क्या ?
तुषार : वो तो होगी ही आखिर आपकी बहन जो है। लेकिन मुझे और बताईये उसके बारे में जैसे उसकी पसंद नापसंद उसके शौक बगैरह । इस बात करते हुए तुषार ने रश्मी को अपने पलंग पर बैठा दिया और खुद उससे लग्भग सट कर बैठ गया। इस दौरान उसने रश्मी का हाथ थामे रखा और सदा की भांती रश्मी लाचार की तरह बैठी रही उसमें अपना छुड़ाने का साहस नहीं था।

वो उसे सुधा के बारे में बताने लगी। लेकिन तुषार का ध्यान उसकी बातों में नहीं बल्की उसके जिस्म पर था। वो तो किसी तरह रश्मी को अपने पास बैठाये रखना चाहता था। इसी तरह बाते करते हुए लग्भग २०-२५ मीनट हो गये तो अचानक वो झटके से खड़ी हो गई और उसने कहा अब चलना चाहिये काफ़ी देर हो गई है सुबह जल्दी उठना है। तुषार भी खड़ा हो गया और बोला ठीक है भाभी लेकिन एक बात मैं बार बार आपसे कहना चाहता हूं ।
रश्मी : वो क्या?
तुषार : यही की आप बहुत अच्छी हो और ऎसा कहते हुए उसने रश्मी के गाल पर एक हल्का सा चुंबन लगा दिया।
इस अप्रत्याशित बात से रश्मी थोड़ी हड़बड़ा जाती है और केवल इतना ही कह पाती है " अरे" , और फ़िर वो अपने रुम की तरफ़ तेज कदमों से चलते हुए जाने लगती है। तुषार मुस्कुरा देता है और हौले से कहता है गुड़ नाईट भाभी।
वो भी प्रत्युत्तर में गुड़ नाईट कहती है और अपने रुम में चली जाती है।

तुषार उसको अपने रुम के अंदर तक जाते देखता है । दरसल वो उसकी गांड़ो को घूर रहा था। रश्मी की गांड़ तुषार की सबसे बड़ी कमजोरी थी।

जैसे ही वो अपन्रे रुम में चली जाती है, वो तुरंत तेजी से चलते हुए छ्त पर चला जाता है और फ़िर कूलर के छेद से अंदर देखने लगता हैं। अंदर रश्मी हमेशा की तरह नंगी हो कर अपने कपड़े बदलती है जिसे देख तुषार बदहवास हो जाता है। रश्मी के कपड़े बदलने के बाद छत पर बैठने का कोई मतलब नही था सो तुषार अपने कमरे में जाता है और अपनी भाभी के नंगे जिस्म को याद करते हुए मुठ्ठ मार कर सो जाता है।

रात को सोने में देर हो जाने के कारण रश्मी सुबह जल्दी नहीं उठ पाती , जब सो कर उठने पर उसकी नजर घड़ी पर पड़्ती है तो वो हड़्बड़ा जाती है। सुबह के आठ बज चुके थे । वो एक झटके में पलंग से नीचे कूदती है जल्दी से अपना मुंह धोती है कपड़े बदल कर और थोड़ा बाल बना कर तुरंत नीचे की तरफ़ भागती है।

नीचे का नजारा उसकी आशा के अनुरुप ही था। मां रसोई में बड़्बडाते हुए काम कर रही थी और उसके ससुर और ननद नाश्ते के लिये हलाकान हो रहे थे। दरसल रश्मी की सास की काम करने की आदत छूट चुकी थी किचन में वो यदा कदा ही आती थी,और आती भी तो केवल रश्मी को ये बताने के लिये कि उसे आज क्या पकाना है। सो उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन सा सामान कहां रखा हुआ है और यही वजह थी को रश्मी पर झुंझला रही थी।

रश्मी को देखते ही वो फ़ट पड़ी और तनिक तेज आवाज में बोली : आ गई इतनी जल्दी अरी थोड़ा और सो लेती अभी बखत ही कितना हुआ है? सीधा खा पी कर उतरती । रश्मी जानती थी मां के गुस्से की वजह दरअसल उसे किचन में सामान नहीं मिलने क्कि वजह से वो झुंझला रही थी और बाहर उसके ससुर जी उनका मजाक उड़ा रहे थे।

रश्मी ने किचन में जाते ही मोर्चा संभाल लिया । उसने मां से कहा दर असल कल रात को बातें करते हुए काफ़ी देर हो गई थी इसी वजह से आज उठनें में काफ़ी देर हो गई मम्मीजी । मैं तो सीधे नीचे ही आ गई पहले आप लोगों को नाश्ता वगैरे बना कर दे दूं फ़िर जा कर नहा लूंगी। उसकी बात सुन मम्मी चीखते हुए कहती है क्या कहा तुमने तुम बाद में नहा कर आओगी यानी तुम अभी बिना नहाये नीचे आ गई हो? और वो भी किचन में !

उसने रश्मी को डांटते हुए कहा : चल निकल यहां से , निकल किचन के बाहर और जा कर नहा कर आ, तुझे पता है न तेरे पापा को यदि पता चल जायेगा तो वो आसमान सर पर उठा लेंगे। उन्होंने जानबूझ कर ये बातें जोर से कही ताकी उसके ससुर भी ये बातें सुन ले। ताकी थोडी डांट उनसे भी रश्मी को पड़ जाय लेकिन उसका दांव उल्टा पड़ गया, उन्होंने वहीं से बैठे हुए कहा : वाह देखो बेचारी रश्मी को उसे हमारी कितनी चिंता है बिना नहाये ही ही आ गई। तुम रहने दो बेटा रश्मी तुम आराम से जा कर नहाकर नीचे उतरो कोई जल्दी नहीं है। आज तो तुम्हारी मम्मी के हाथ का नाश्ता ही करेंगे।

उनकी ये बातें सुन कर पहले से जली भुनी बैठी उसकी मां और चिढ़ गई और जोर जोर से चिल्लाने लगी , और चढाओ सर पे सबको यदि मैंने किया होता तो चिल्ला चिल्ला कर सर पर आसमान उठा लिया होता और धर्म के ठेकेदार बन कर दुनिया भर ताने मार दिये होते और इसे कहते हो कोई बात नहीं। उसके पापाजी ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगे हॊ हॊ हो

और कहने लगे अरे क्या हो गया एक दिन यदि तुम बना कर खिला दोगी तो? यदि नहीं बनाना तो साफ़ साफ़ बोल दो हम बाहर जा कर कुछ खा लेंगे छोटि सी बात का बतंगड मत बनाओ।

अपने पति के तेवर देख कर वो तुरंत चुप हो जाती है और नाश्ता बनाने में लग जाती है और धीरे से रश्मी से कहती है अब जा न यहां से और जल्दी से तैयार हो कर आ, क्या दोपहर का खाना भी बनवायेगी क्या? रश्मी ने मुस्कुराते हुए अपनी सास को जल्दी जल्दी सब सामान कहां पडे़ है बताया और किचन से बाहर निकल गई।

वो तेजी से अपने रुम की तरफ़ जा रही थी और नाश्ते की टेबल पर बैठा तुषार उसकी बड़ी बड़ी गांड़ को हुलते देख कर आंहे भर रहा था।

अभी रश्मी को उपर गये मुश्किल से पांच मिनट ही हुए थे कि उसकी मां फ़िर बड़्बड़ाने लगी और बाहर आ कर चिल्लाकर पूछने लगी कि बेसन का डब्बा कहां रखा है रश्मी? लेकिन वो शायद अपने कमरे में जा चुकी थी इसलिये शायद वो सुन नहीं पाई

सो उसकी मां को कई जवाब नही मिला। उसने दो तीन बाहर जोर से चिल्लाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो उसने झुंझलाते हुए तुषार को कहा जा तो बेटा उपर जा कर तेरी भाभी से पूछ कर बता बेसन का डिब्बा कहां रखा है उसने ? "दिया" तो थी एक नंबर की आलसी सीढी चढना तो जैसे उसके लिये सजा से कम नहीं था सो ये काम तो तुषार को ही करना था।

अब तुषार उपर जाता है और भाभी के कमरे बाहर से उन्हें पुकारता है, भाभी। लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता वो फ़िर उसी तरह फ़िर से दो तीन बार चिल्लाता है लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता तो उसे काफ़ी आश्चर्य होता है और वो दरवाजे को धक्का दे कर अंदर जाता है।

लेकिन वहां रश्मी तो थी ही नहीं वो फ़िर कहता है ,भाभी ! लेकिन वो वहां होती तो जवाब देती न। अब वो भाभी के कमरे के पिछले दरवाजे के परदे को हटा कर बाल्कनी में जाता है लेकिन भाभी वहां भी नहीं थी। वो सोच ही रहा था कि आखिर ये गई कहां?

तभी रश्मी कमरे में आती है और जल्दी से कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर देती है। वो बाहर निकलना चाहता ही था कि उसे रश्मी की चूड़ीयों की आवाज सुनाई देने लगती है खन खन खन खन , अनुभवी तुषार तुरंत समझ जाता है कि उसकी भाभी अब अपने कपड़े उतार रही है और अब बाथरुम में जा कर नहायेगी। छत में कूलर के छेद से वो कई बार अपनी भाभी को कपड़े बदलते हुए देख चुका था और इस दौरान होने वाली उसकी चूड़ियों की अवाज को अच्छी तरह से पहचानता था। तुषार के रोम रोम में रश्मी समा चुकी थी।

रश्मी का नंगा बदन उसकी आंखों के आगे घूमने लगा और नंगी रश्मी की कल्पना कर के ही उसका लंड़ बुरी तरह से खड़ा हो गया। वो चाहता तो तुरंत बाहर कर भाभी को रोक सकता था और कमरे से बाहर जा सकता था लेकिन एक ही कमरें दोनों के होने और उसके सामने ही रश्मी के कपड़े बदले जाने से तुषार की अपनी भाभी के रसीले बदन को चोदने की तमन्ना के कारण वो ऐसा नहीं कर सका ।

और आज तो हद ही हो गई देवर,भाभी दोनों एक ही कमरे में और भाभी एक्दम नंगी । तुषार के लिये तो जैसे तमाम परिस्थिति उसके हाथ में थी जिस मौके को बनाने के लिये वो योजना बना रहा था वो तो उसे इतनी जल्दी मिल गया इसकी तो उसने कल्पना भी नहीं की थी। इसीलिये उसने रुम में पड़े रहने में ही अपना फ़ायदा नजर आया।

तुषार भूल गया कि वो उपर क्यों आया था अब वो भाभी के पूरी तरह से नंगी हो कर बाथरुम में जाने का इंतजार करने लगा। दर असल रश्मी उपर आ कर सीधे छत में चली जाती है कपड़े उठाने के लिये कल की व्यस्तता की वजह से वो कपड़े उटाना भूल गई थी वो जल्दी से कपड़े उठाकर अपने कमरे में आती है और उसके कपड़े उठाने के दौरान ही तुषार उसे पूछने के लिये उसके कमरे में आता है और उसे नहीं पा कर वो उसे देखने बाल्कनी में चला जाता है।

ये सब इतनी तेजी से हुआ कि न तो रश्मी को तुषार के आने का पता चला और न ही तुषार को रश्मी के रुम से बाहर निकलने का मौका मिला।

तभी तुषार को बाथरुम के नल के चालू होने की आवाज आई वो समझ गया कि मेंरी गुलबदन रश्मी बाथरुम में चली गई है। उसने हौले से परदा हटाया और वो रुम में आ गया । अंदर दृष्य तुषार को काफ़ी उत्तेजित करने वाला था ।

कमरे में एक तरफ़ रश्मी की उतारी हुई साडी बिखरी पडी थी तो दूसरे टेबल पर रश्मी की अंड़रवियर , ब्रा , लहंगा और साड़ी पड़े थे। इसका मतलब साफ़ था कि रश्मी नहाने के बाद कपड़े बाथरुम में पहनने के बदले अपने कमरे में ही पहनती थी , याने के बाद वो नंगी ही कमरे में आती थी।

उसे किसी बात का ड़र भी नही था क्यों कि उसका अपना कमरा था और किसी के भी वहां आने का कोई खतरा नहीं था।

तुषार समझ गया कि रश्मी नहाने के बाद नंगी बाहर आयेगी, और उसने सोच लिया कि उसे अब क्या करना है?

रश्मी के स्वभाव और अब तक उसने जो कुछ किया था उसके साथ उस आचरण को देखते वो ज्यादा भयभीत नहीं था लेकिन फ़िर भी दिल में एक धुक्धुकी मची हुई थी जो कि स्वाभाविक था। लेकिन उसने सोच लिया था कि यदि इसे चोदना है तो कभी न कभी तो इसके सामने खुलना ही पड़ेगा और हिम्मत तो झुटाने ही पड़ेगी ही तो आज ही क्यों नहीं? इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा? वो चाहता तो भी ऎसा मौका नहीं बना सकता था।

अब तुषार को फ़िर से बाथरुम के अंदर चूड़ियों की अवाज सुनाई देने लगी वो समझ गया कि रश्मी अब पूरी तरह से नंगी हो रही है। थोड़ी ही देर मे उसे पानी के खड़्खड़ाने की अवाज आने लगी याने उसने नहाना चालू कर दिया था। तभी रश्मी ने अंदर शावर चालू कर दिया और फ़ौवारे का मजा लेने लगी ।

अब तुषार हौले से अपने सर कॊ थोड़ा सा तिरछा करते हुए अंदर झांकने की कोशीश की ।

बाथरुम में पानी भरने के कारण उसके टाईल्स एक प्रकार से मिरर का काम कर रहे थे और रश्मी की नंगी छाया उसमें साफ़ दिखाई दे रही थी। अब तक तुषार काफ़ी सहज हो चुका था और उसका सारा भय समाप्त हो चुका था और वो पूरी तरह से वासना की गिरफ़्त में आ चुका था। उसने देखा रश्मी अपने शरीर पर साबुन लगा चुकी है उसका पूरा शरीर उअके झाग से भरा हुआ है, अब वो अपने चेहरे साबुन लगा रही थी और उसकी आंखे बंद थी और वो इस पूरी तरह से बेखबर थी कि तुषार उसे घूर रहा है वो शायद इस बात कि कल्पना ही नहीं कर सकती थी कि कभी ऎसा भी हो सकता है।

जैसे ही तुषार ने देखा कि वो अपने चेहरे में साबुन लगा रही है और उसकी आंखें बंद है वो तुरंत बाथरुम के दरवाजे के सामने आ गया और अपने सामने ही भाभी के नंगे बदन को घूरने लगा। पूरी तरह से साबुन लगा चुकने के बाद वो अब अपनी पीठ और कुल्हों पर साबुन लगाने लगी। तुषार का कलेजा बाहर आने लगा उसे खुद पर नियंत्रण करना संभव नहीं लग रहा था

लेकिन उसने थोड़ा और इंतजार करना ठीक समझा। अब उसने अपने पूरे शरीर पर हाथ घुमाया और हाथों को साबुन वाला कर के उसे अपनी चूत में लगा दिया और अपनी चूत में साबुन लगाने लगी।

वो धीरे धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और अंदर तक साबुन लगा कर उसे साफ़ कर रही थी। अब तक उसकी आंखें बंद ही थी क्योंकि साबुन उसके चेहरे पर लगा हुआ था और तुषार उसी तरह बेखौफ़ रश्मी के नंगे बदन को घुरते रहा । उसने देखा अब रश्मी कुछ ज्यादा ही जोर से अपनी चूत को मसल रही थी शायद उसे ऐसा करने में मजा आ रहा था।

अब उसने अपनी उंगली को हल्का सा साबुन वाला कर के उसे अपनी चूत के अंदर डाल दिया और उसे अंदर तक साफ़ करने लगी और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी।

स्त्री की योनी की बनावट ही ऎसी होती है कि उसे अपनी योनी की सफ़ाई पर खास ध्यान देना होता है अन्यथा उसके संक्रमित होने का खतरा बना रहता है और उसे यूरिन इन्फ़ेक्शन का खतरा हो सकता है।लेकिन तुषार को ऐसा लगा कि रश्मी चूत की सफ़ाई के अलावा भी कुछ और कर रही है। बेचारी बिना पति के आखिर करे भी क्या? लेकिन उसका नितांत गोपनीय रहस्य भी अब तुषार के सामने उजागर हो गया।

अंदर तक उंगली ड़ालने के कारण कई बार उसके मुंह से एक हल्की सी आह निकल जाती जिसे उसके एक्दम सामने खड़े तुषार को साफ़ सुनाई दे रही थी। कभी कभी उसके मुंह से सी सी की अवाज भी निकल जाती थी। तुषार इन बातों क मतलब अच्छी तरह्से समझता था। कुछ देर तक इसी तरह से अपनी चूत की सफ़ाई करने के बाद अब वो शावर चालू करने के लिये उसकी चकरी ढूंढने लगती है । आंखे बंद किये हुए वो दिवाल के पास हाथ को इधर उधर धूमाने लगती है और कुछ ही क्षणों में वो शावर की चकरी को पकड़ कर उसे घुमाने लगती है और शावर चालू हो जाता है और उसका पानी उसके चेहरे में पड़्ने लगता है और वो अपना मुंह से साबुन साफ़ कर लेती है।

मुंह से साबुन निकलते ही रश्मी फ़िर से अपनी आंख खोल देती है और जैसे वो अपनी आंख खोलती है तुषार तत्काल वहां से हट कर थोड़ा आगे चला जाता है और बाथरुम की दिवार से सट कर बांए तरफ़ चिपक कर खड़ा हो जाता है। अब यदी रश्मी बाहर आती तो उसे तुरंत तुषार दिखाई नही देता लेकिन कपड़े के पास आते ही उनका सामना होना तय था। अब तुषार उसके बाहर आने का इंतजार करने लगा।

लग्भग दो तीन मीनट के इंतजार के बाद बाथरुम के अंदर सारी अवाजें बंद हो गई और बाल्टियों और मग्गे को किनारे रखने की अवाज आई। अब तुषार एकदम सतर्क हो गया क्योंकि उसके जीवन का वो स्वर्णिम क्षण आने वाला था जिसके उसे काफ़ी लंबे समय से इंतजार था और अगले कुछ पलों के बाद होने वाली घटनाएं उन दोनों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाली थी।

तुषार को पता था कि या तो वो वो सब कुछ हासिल कर लेगा जो वो पाना चाहता है या फ़िर हमेशा के लज्जित या तिरकृत जीवन जीने के लिये मजबूर हो सकता था। लेकिन तुषार ने तय कर लिया था कि वो खतरा मोल लेगा चाहे नतीजा कुछ भी हो।

औरते आम तौर पर रोज सर नहीं धोती केवल हफ़्ते में एकध बार ही धोती हैं क्योंकि बाल लंबे होने के कारण उन्हें बनाने में उन्हें काफ़ी वक्त लगता है, सो जब वे अपना सर नहीं धोती तो नहाते समय अक्सर अपने सर टावेल से बांध लेती हैं ताकि बाल गीले न हो और उन्हें बनाने में उनका वक्त जाया न हो।

रश्मी के सर पर टावेल बंधा हुआ था और बाकी तमाम बदन नंगा था। वो बेखौफ़ थी क्योंकि किसी के कमरे में होने का उसे अनुमान ही नही था। और हो भी क्यों?

नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर निकलती है और सीधे अपने कपड़ों के पास जा कर खड़ी हो जाती है।
जैसे ही वो अपने कपड़ों के पास पहुंचती है उसे अपनी आंख की कोर से बाथरुम की दिवार के पास किसी के खड़े होने का अहसास होता है। वो तुरंत उधर देखती है।[Image: betcee-may-12.jpg]

बहां नजर पड़्ते ही उसकी आंखे फ़ट जाती है और वो फ़टी फ़टी निगाहों से टक्टकी लगाकर तुषार की तरफ़ देखने लगती है। उसके पूरे बदन में एक ठंड़ी सी सिहरन पैदा होती है। और उसके पांव थरथराने लगते है। उसका चेहरा भय से पीला पड़ जाता है और मुंह खुला का खुला रह जाता है। उसे अपनी आंखों के सामने अंधकार दिखाई देने लगता है, और उसे ऐसा लगता है कि वो अभी गश खा कर गिर जायेगी। जो कुछ वो अपने सामने देख रही थी उस पर उसे सहज विश्वास नहीं हो रहा था। ठंड़े पानी से नहा कर निकलने के बावजूद उसे पसीना आने लगता है और उसे ऐसा लगता है कि उसके दिल की धडकन अचानक बढ़ गई है ।

बहुत ही हॉट स्टोरी। अपडेट की चाह में . . . . .
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Waiting your hot update.
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Story achi chal Rahi thi. Aage kyu nahi likhe ?
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(17-08-2022, 11:39 PM)OozinHoney Wrote: बहुत ही हॉट स्टोरी। अपडेट की चाह में . . . . .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(17-08-2022, 11:39 PM)OozinHoney Wrote: बहुत ही हॉट स्टोरी। अपडेट की चाह में . . . . .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(02-12-2022, 04:52 AM)Ratnadeep Wrote: Story achi chal Rahi thi. Aage kyu nahi likhe ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Sick दीपक
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(24-02-2021, 05:16 PM)neerathemall Wrote:
[Image: ?u=http%3A%2F%2Fbetceemay.nudemodelporta...f=1&nofb=1]

(24-02-2021, 05:18 PM)neerathemall Wrote:
[Image: betcee-may-01.jpg]

(24-02-2021, 05:18 PM)neerathemall Wrote: [Image: betcee-may-03.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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अब आगे----------------------:-:-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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बावजूद उसे पसीना आने लगता है और उसे ऐसा लगता है कि उसके दिल की धडकन अचानक बढ़ गई है ।


उस एक क्षण में ही रश्मी के चेहरे में क्रोध,भय और आश्चर्य के तमाम भाव आ गए और वो जड़वत खड़ी रह जाती है। वो एक पत्थर की मूर्ति की भांती स्थिर हो जाती है उसे ऐसा लगा मानो किसी ने उसके शरीर की सारी ताकत निचोड़ दी हो और उसका शरीर मानों निष्प्राण हो गया हो। क्रोध,भय और आश्चर्य की वजह से वो इतनी बदहवास हो जाती है कि वो ये भी कुछ क्षण के लिये भूल जाती है कि वो अपने देवर के सामने पूर्णत: नग्न खड़ी है।


कुछ क्षणों के बाद जब उसे अपनी स्थिति का भान होता कि वो तो पूरी नंगी खड़ी है और उसका देवर उसे घूर रहा है तो वो अन्यन्त लज्जा का अनुभव करती है और तुरंत हरकत में आती है और कपड़ो की तरफ़ तेजी से भागती है। इधर तुषार भी उसके नंगे शरीर को देखते हुए इतना मुग्ध हो जाता है कि उसे भी कुछ होश नहीं रहता और वो एक्टक रश्मी के नंगे बदन को घूरते रहता है। लेकिन जैसे ही रश्मी अपने कपड़ों की तरफ़ भागती है तो तुषार भी जैसे किसी सम्मोहन से जागा हो वैसे होश में आता है और रश्मी की तरफ़ दौड़ता है।

वो तेजी से भाभी और उसके कपड़ों के बीच में आ कर खड़ा हो जाता है । उसने ठान लिया था कि या तो तुझे आज मैं सदा सदा के लिये अपनी बना लुंगा और जीवन भर तेरे रसीले बदन से तेरी जवानी का रस चूसूंगा और तुझे अपनी मर्जी के मुताबिक चोदूंगा या जीवन भर के लिये बदनामी के गर्त में चला जाउंगा।


रश्मी का मन चित्कार उठता है , वो अपार लज्जा का अनुभव कर रही थी । लेकिन उसे ये भी अहसास हो रहा था कि ये आज आसानी से उसे कपड़े नहीं पहनने देगा।


रश्मी को इस तरह देख वो काफ़ी रोमांचित था और उसने ठान लिया था कि बस अब आज तुझे कपड़े तब तक नहीं पहनने दूंगा जब तक तेरी चूत में मेंरा लण्ड़ घुस नहीं जाता या तेरा थप्पड़ मेंरे गालों में नहीं पड़ जाता।


उसने बातचित शुरु करने गरज से कहना शुरु किया " भाभी दर असल मुझे मम्मी ने उपर भेजा था, उसे किचन में बेसन नहीं मिल रहा था उसने नीचे से काफ़ी अवाज लगाई लेकिन आपने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने मुझे उपर भेजा पूछने के लिये। आपको मैने काफ़ी अवाज लगाई लेकिन रुम के अन्दर से कोई अवाज नही आई तो मैं अन्दर चला आया लेकिन रुम आपको मैने यहां भी नही पाया तो मैने सोचा कि शायद आप बाल्कनी में होंगी तो मै वहां गया लेकिन आप तो वहां भी नही थी न सो जैसे ही मैं बाहर निकलने वाला था कि तुम रुम के अन्दर आ गई और आते ही अपने कमरे का दरवाजा बंद कर कपड़े उतारने लगी।


मैने सोचा कि जब आप बाथरुम में चली जायेंगी तो मै चुपचाप बाहर चला जाउंगा लेकिन आप तो दरवाजा खुला कर नहाने लगी सो मै थोड़ी देर और रुक गया और जैसे ही मुझे मौका मिला मै बल्कनी से बाहर निकल कर दरवाजा खोलने ही वाला था कि पहले "दिया" आ गई और दरवाजा खटखटाने लगी और फ़िर मम्मी आ गई। अब तुम ही बताओ रश्मी यदि उनके सामने मैं कमरे के बाहर निकलता तो वे क्या सोचती तुम्हारे और मेंरे बारे में।


उसने रश्मी ड़राने के उद्देश्य से ही जानबूझ कर मां और "दिया" वाली झूठी कहानी सुना दी। दरअसल वो अप्रत्यक्ष रुप से ये समझाने की कोशीश कर रहा था कि इस बात का पता यदि घर में किसी को भी चल जाय तो तुषार के साथ उसकी भी इज्जत चली जायेगी। और शायद रश्मी पर इस बात का असर भी पड़ा था।


रश्मी ने उसकी बातों को लग्भग अन्सुना सा करते हुए अपने सर पर बंधा टावेल खोल लिया और झट से अपने बदन पर लपेट लिया । पहाड़ की चोटीयों की तरह तने हुए उसके विशाल स्तन और उसकी बड़ी बड़ी गांड़ो को छुपाने में वो नन्हा टावेल समर्थ नहीं था बल्कि उसकी मादकता को और भी बढा रहा था लेकिन फ़िर भी नंगी होने से तो ये अच्छा ही था।


अब रश्मी ने पिछले कई महीनों से चले आ रहे तुषार के इस खेल के खिलाफ़ बोलने का साहस जुटाया और तनिक धीमी अवाज में उससे कहा " ये क्या तरिका है आपका? पिछले कई महिनों से मैं आपको नजर अंदाज करती आ रही हूं शायद इसी लिये आपको मेंरे बारे में काफ़ी गलत फ़हमी हैं। मैं आपके बड़े भाई की ब्याहता बीवी हूं कोई इस घर की रखैल नहीं कि जिसके साथ जिसे जो मर्जी आये वो करता रहे। अगर तुम्हारे अंदर जरा सी तहजीब होती, शर्म होती तो तुम मेंरे कमरे में आते ही बाहर आ सकते थे, क्या इतना इंतजार करना जरुरी था? जाहिर है तुम्हारी नीयत में खोट है। अगर मैं ये सब बातें तुम्हारे भाई को बता दूं तो क्या इज्जत रहेगी तुम्हारी उनके सामने और इस घर में?


जवान लड़्कियों को नंगा देखने का बहुत शौख है न तुम्हें, क्या इस घर में मैं ही अकेली जवान लड़की हूं ? तुम्हारी बहन भी तो खासी जवान है कभी उसके बाथरुम में भी जाकर देखा करो उसकी जवानी को। उसने आगे कहा " अब चुपचाप जिस तरह दबे पांव यहां आये थे उसी तरह दबे पांव निकल जाओ और दोबारा ऐसी गलती मत करना वर्ना तुम काफ़ी तकलिफ़ में पड जाओगे।


तुषार इस प्रकार की तमाम बातों के लिये पहले से तैयार था, अरे रश्मी की जवानी से खेलने के लिये तो वो अपने घर में भी बदनाम होने के लिये तैयार बैठा था। सो उसे रश्मी के इस तरह बड़्बड़ाने से कोई फ़र्क पड़ता नहीं दिखा। बल्कि तुषार ने एक बात साफ़ नोटिस किया की वो नारजगी जरुर दिखा रही है और भाषा भी भले ही तल्ख हो लेकिन उसकी आवाज काफ़ी धीमी है।


मतलब साफ़ था उसे भी अपनी बदनामी का ड़र था।उसने इस बात का पूरा का प्रयास किया था कि उसकी अवाज इस रुम से बाहर ना जाने पाये।


अब तुशार ने बोलना चालू किया वो बिल्कुल भी भयभीत नहीं था बल्कि वो तनिक जोर से ही बोलने लगा । दर असल वो ये देखना चाहता था कि उसकी तेज अवाज जब बाहर तक जाती है तो उसका रश्मी पर क्या असर होता है? क्या वो वाकई आज बगावत के मूड़ में है या खाली गीदड़ भभकी दे रही है।


उसने बोलना चालू किया " रश्मी ये सच है कि तुम इस घर की ब्याहता हो लेकिन जिसकी तुम पत्नि हो उसे तुम्हारी कितनी चिंता है कभी उसने तुम्हें अपने पास बुलाया कभी वो तुमसे मिलनेके लिये आया? अरे नौकरी सभी करते हैं लेकिन कोई अपनी इतनी सुंदर बीबी को भी भूल सकता है क्या? रश्मी उसे तुम्हारी जरा भी परवाह नहीं है उसे तुमसे ज्यादा अपनी नौकरी और तरक्की की पड़ी है और वो इसके लिये किसी भी हद तक जा सकता है। वो तुमसे जीवन भर ऐसे ही व्यहार करता रहेगा जीवनभर । उसने जानबूझ कर तुषार के खिलाफ़ उसके कान भरना चालू रखा।


उसने आगे बोलना जारी रखा " और जहां तक तमीज, तहजीब और शर्म की बात है न तो रश्मी मैं तुमसे ये बात साफ़ कह देना चाहता हूं कि प्यार और जंग मे सब जायज है। रश्मी मैं तो अपना दिल कब से तुमसे हार चुका हूं , मैं तो बस मौके का इंतजार कर रहा था और देखो आज मुझे मौका मिल गया। और दूसरी जवान लड़्कियो की बात जो तुमने की न तो मैं केवल इतना चाहता हूं कि मुझे केवल तुम में रुचि है और किसी में नहीं मेंरा दिल तुम पर आया है किसी और पर नहीं। मैं केवल तुमसे प्यार करता हूं किसी और से नहीं । जब से तुम इस घर में आई हो तभी से मैं तुम्हें अपनी बाहों मे लेकर तुम्हारे होठों का रस पीना चाहता हूं। तुषार जानबूझ ऐसी बात कर रहा था ताकि उसकी प्रतिक्रिया जान सके।


उसने आगे बोलना जारी रखा " केवल तुम्हारे प्यार की खातिर ही मैंने सुधा से रिश्ते की बात स्वीकार कर ली है वरना मुझे उसमें कोई रुचि नहीं हैं। रश्मी जिन रिश्ते में प्यार नहीं ऐसे बनावटी रिश्ते का क्या लाभ? शायद ये बात तुमसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। वो जान बूझ कर उसके मन में "राज" के प्रति नफ़रत के बीज बो रहा था।


तुषार ने कहना जारी रखा " रश्मी आई लव यू , मैं सच कह रहा हूं।

रश्मी : ये प्यार नहीं केवल एक वासना है जिसे तुम जैसे लोग प्यार का नाम दे देते है।

तुषार : रश्मी प्यार और वासना में बहुत ही झिना पर्दा होता है और हर प्यार का अंत तो इसी वासना में ही होता है। और फ़िर दस असल जिसे तुमवासना कह रही हो वो तो प्यार की अंतिम अभिव्यक्ति है जहां शब्द मौन हो जाते है , जहां पहुंच कर प्यार को शब्दों मे बयान नहीं किया जा सकता और उसकी परिभाषा समाप्त हो जाती है वहां दो प्यार करने वाले एक दूसरे में समा जाते हैं और दो जिस्म एक जान बन जाते है और उनका अपना अलग से कोई वजूद नहीं रह जाता और वो एक दूसरे को अपना सब कुछ सौंप कर एक बन जाते है रश्मी, ये सिर्फ़ सोच का फ़र्क है अब मेंरा अकेले कोई वजूद मुझे नहीं दिखता तुम्हारे बिना मेंरा कोई अस्तित्व नही है रश्मी।

रश्मी : ये सब फ़ालतू की बकवास मत करो और चुपचाप इस कमरे से बाहर निकल जाओ इसी में हम दोनों की भलाई है।


रश्मी की बातों का कोई उत्तर देने के बजाय अब तुषार उसकी बांह पकड़ कर बाथरुम की दिवार के पास खींच कर ले जाता है और उसे उसके साहारे खड़ा कर देता है वो उसके दोनों हाथ पकड़ कर उपर उठा देता है और उसे दिवार से लगा देता है । अब रश्मी एकदम असहाय हो जाती है और तनिक गुस्से से कहतीहै " छोड़ मुझे " , और जवाब में तुषार उसका टावेल उसके सीने के पास से पकड़ लेता है और जोर से खींच कर उसे अलग कर लेता है और दूर पलंग के उपर फ़ेंक देता है। अब रश्मी तुषार के सामने एकदम नंगी खड़ी थी और उसके दोनों हाथ दिवार से लगे थे। तुषार उसका नंगा जिस्म निहारने लगता है। और रश्मी उसकी पकड़ से अजाद होने के लिये छटपटाने लगती है । जब भी वो उसकी पकड़ से निकलने के लिये प्रयास करती और छटपटाती तो उसके बड़े बड़े विशाल स्तन बुरी तरह से हिलने लगते जिसे देख तुषार और भी उत्तेजित हो उठा।


रश्मी का चेहरा नीचे की तरफ़ झुका हुआ था वो पूरी तरह से शर्मसार थी और बेबसी के मारे उसकी आंखॊं से आंसू निकल आये थे लेकिन तुषार उसकी बेबसी और उसके मौन संघर्ष को अपनी विजय मान रहा था और बेहद खुश हो रहा था और अत्यन्त कामुक भी इतने लंबे इंतजार के बाद आज उसकी गदराई हसीना उसके सामने बिल्कुल नंगी और बेबस जो खड़ी थी।


अब वो रश्मी के बेहद करीब चले जाता है और उसके नंगे बदन से लगभग चिपक जाता है , रश्मी को अपनी लजा बचाने का एक ही उपाय सूझता है कि वो बैठ जाय और वो अपने पैरों को ढीला छोड़ देती है जिसके तुषार के लिये उसे खड़ा रखना संभव नहीं रह पाता अब रश्मी जमीन पर बैठ जाती है तो तुषार भी उसके सामने उकड़ू बैठ जाता है।


वो उसके हाथों को छोड़ देता है रश्मी दोनों हथों के अजाद होते ही अपने हाथों को अपने सीने से लगा देती है और अपने स्तनों को छुपाने का असफ़ल प्रयास करती है वो अपने दोनों पैरों को सिकोड़ लेती है और अपना सर घुटनों में दबा कर अपना मुंह छुपाने का प्रयास करती है। रश्मी को इस मुद्रा में देख कर तुषार को करीब करीब ये अंदाज तो हो ही जाता है कि अब इसका समर्पण लग्भग हो चुका है।


अब वो रश्मी के दांए तरफ़ बैठ जाता है और उसके दांए पैर को पकड़ कर सीधा कर देता है और उसके घुटनों पर अपना घुटना रख देता है और धीरे धीरे उसकी चिकनी जांघ को सहलाने लगता है। रश्मी उसी तरह अपना चेहरा घुटनों छुपाए हुए तुषार से कहती है " आप जो भी कर रहे हैं वो बहुत गलत है भाभी तो मां के समान होती है, प्लीज मुझे छोड़ दिजिये मैं आपके हाथ जोड़ती हूं। अपनी मां समान भाभी को ऐसे बेईज्जत मत किजिये।


तुषार पूरी तरह वासना की तरंग में झूम रहा था और इस तरह से रश्मी को अनुनय करते देख उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती है। अब वो रश्मी के बगल में बैठ जाता है और उसको बांए कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लेता है और अपनी गोद में उसका सर रख लेता है और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर फ़िर से उसके सर के उपर कर लेता है। और उसके विशाल स्तन फ़िर से तुषार के सामने झूलने लगते है


इतनी खूबसूरत नंगी लड़्की को अपनी गोद में पाकर तुषार तो जैसे पागल हो जाता है और वो पागलों की तरह से उसके चेहरे को चूमने लगता है और अपने एक हाथ को उसके स्तन पर रख उसे मसलना चालू कर देता है। वो रश्मी के कानों के पास अपना मुंह ले जा कर धीरे से बोलता है " तू ठीक बोलती है कि भाभी मां के समान होती है लेकिन तब जब वो ४५ या फ़िर ५० साल की हो लेकिन जानम तुम तो मेंरे से भी एक साल छोटी हो मैं २४ साल का हूं और तू तो २३ साल की ही है तो फ़िर तू मेंरी मां कैसे हो सकती है? जानेमन तू मेंरे लिये "मां" समान नही बल्कि "माल" के समान है। और वो अपने गोद में निढाल पड़ी रश्मी के स्तनों में हाथ घुमाने लगता है फ़िर वो अपना हाथ उसके पेट में घुमाते हुए उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत में रख देता है।


अपनी नरम चूत पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी चिहुंक उठती है और तुषार हौले हौले उसे सहलाने लगता है, और बड़े ही बेशर्म तरिके से और कामुक अंदाज में उससे कहता है आज इसके अंदर अपना ड़ालूंगा और इसको खूब प्यार करुंगा। आज से ये मेंरी है। बोल जानम देगी न मुझे इसके अंदर अपना लंबा वाला ड़ालने के लिये।


तुषार कहना जारी रहता है " ऐसा मैंने सुना है कि शर्म किसी भी औरत का आभूषण होता है लेकिन रश्मी मै इसमें आगे और एक बान जोड़्ना चाहता हूं कि नग्नता किसी भी खूबसूरत औरत का सबसे बढिया बस्त्र होता है। और आज तूने अपना सबसे अच्छा बस्त्र पहना है मेंरे सामने। रश्मी तू सदा इसी वस्त्र में आना मेंरे सामने मैं तुझे इसी बस्त्र में देखना चाहता हूं।


अब तुषार अपनी बातों में भी हल्कापन ले आता है उससे हल्के स्तर की सेक्सी बातें करने लगता है। वो कहने लगता है तू नंगी बहुत अच्छी लगती है रश्मी, तू सदा मेंरे सामने नंगी ही रहना। तेरे इस खूबसूरत नंगे बदन को देख कर मुझे बड़ा सकून मिल रहा है।


तुषार की बातों से उसे बड़ी लज्जा आ रही थी उसने उसकी बातों को सुन कर बेचैनी से अपना पहलू बदलने का प्रयास किया और तिरछी नजर से तुषार की तरफ़ देखा। उसकी नजर उससे मिल गई उसने देखा तुषार बड़े कामुक अंदाज में उसके शरीर का मुआयना कर रहा है। तुषार से नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दिया और फ़िर से उसे चूमते हुए उससे पूछने लगा " ड़ालने दोगी न?" दर असल अब वो पूरी तरह से रश्मी का मजा ले रहा था और केवल शारीरिक रुप से ही नहीं बल्की मान्सिक रुप से और अपनी बातों से भी वो उसको ये जता देना चाहता था कि तू पूरी तरह से मेंरे जाल मे फ़ंस चुकी है और मुझे तेरी खुशी और रजामंदि की कोई परवाह नहीं है। और ना ही मुझे किसी को पता चल जाने की कोई चिंता है। क्योंकि पता चल जाने पर भी नुकसान तो सबसे ज्यादा तेरा ही होना है।


कुछ देर तक इसी तरह से अपने पैरों पर पड़ी रश्मी के नंगे बदन का मन भर के मुआयना करने और हल्की कामुक बातें करने के बाद अब तुषार अत्यंत गरम हो चुका था और उसके सब्र का बांध टूट

चुका था उसके लिये खुद को रोक पाना संभव नहीं था। लंड़ उसका इतना कड़क हो चुका था कि अब वो दुखने लगा था जिसे बर्दाश्त करना अब तुषार के बस में नहीं था। और फ़िर अपनी योजना के मुताबिक

वो राज के आने के पहले रश्मी की चूत में अपना लंड़ डाल कर उसकी सेक्स की भूख को जगा देना चाहता था,ताकि राज के वापस जाने के बाद वो उसे अराम से जी-भर के चोद सके और उसके नंगे जिस्म से अपनी मर्जी के मुताबिक खिलवाड़ कर सके।वो उसके अंदर महिनों से दबी पड़ी कामवासना को जगा देना चाहता था। उसे पता था कि उसका बाकि काम उसका निकम्मा भाई उसके लिये आसान बना देगा।


अब उसने फ़िर से उसके नंगे जिस्म पर हाथ घुमाना चालू कर दिया और वो उसके विशाल स्तनों को मसलने लगा। कुछ देर तक उसके दोनों स्तनो को मसलने के बाद तुषार बेकाबू होने लगा और उसने एक हाथ से उसके स्तन को मसलना जारी रखा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा। रश्मी लाख चाहे कि उसे तुषार के साथ संबंध नही बनाना है लेकिन एक मर्द के इस तरह उसके नंगे बदन पर बार बार हाथ लगाने और उसके उत्तेजक अंगो को सहलाते रहने के कारण उसका शरीर धीरे धीरे गरम होने लगा। और उसे अपने अंग में अजिब सी सिहरन मह्सूस होने लगी। ना चाहते हुए भी उसे पुरुष के स्पर्श का आनंद तो मिल ही रहा था। और उसे ड़र था कि कहीं वो बहक ना जाय इसलिये वो छटपटा रही थी कि किसी तरह से वो उसके चंगुल से अजाद हो जाय तो खुद पर काबू कर ले लेकिन तुषार की मजबूत पकड़ से निकलना उसके लिये संभव नहीं था।


ईश्वर ने स्त्री को रुप,यौवन आदि दे कर उसे बड़ा वरदान दिया है जिसके बल पर वो पुरुषों पर बहुत इतराती है लेकिन एक अन्याय भी कर दिया है उसके साथ कि उसे शक्ति नहीं प्रदान की अपने यौवन की रक्षा के लिये और पुरुषों की किस्मत में ना स्त्रीयों की तरह ना रुप ना यौवन लेकिन उसे शक्ति और अधीरता प्रदान कर दी। और वही पुरुष जब अधीर हो कर किसी स्त्री के यौवन को हासिल करने के लिये जब अपनी शक्ति का प्रयोग करता तो स्त्री के लिये अपने यौवन को बचा पाना संभव नहीं होता।शायद ये स्त्री को उसके रुप पर घमंड़ करने की सजा है। रश्मी की हालत भी ऐसी ही थी उसके यौवन में और उसके गदराए बदन में वो ताकत तो थी कि वो तुषार जैसे मर्दों को आकर्षित कर अपने पास बुला ले लेकिन उसे दूर करने की शक्ति उसमें नहीं थी। नतिजा सामने था जिस तरह चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं उसी तरह रश्मी नंगे जिस्म पर तुषार लिपट चुका था।


अब धीरे धीरे तुषार ने उसकी चूत की दरार में अपनी उंगली ड़ाल दि और वो उसकी चूत के अंदर हिलाने लगा। रश्मी बुरी तरफ़ तडफ़ उठी । तुषार ने उसकी चूत में उंगली रगड़ने की गती जरा तेज कर दी । अब तो रश्मी के लिये खुद पर काबू रखना काफ़ी मुश्किल हो रहा था।


तुषार रश्मी की चूत में उंगली अब कुछ ज्यादा ही तेजी से रगड़ने लगा, रश्मी भी अब अपने आपे से बाहर होते जा रही थी। तभी तुशार ने रश्मी की चूत के दरारों पर उंगली रगड़्ना बंद कर दिया और धीरे से वो उसकी चूत का वो हसीन छेद तलाशने लगा जिसे पाना और उसका भोग करना हर कामुक मर्द की हसरत होती है। आखिर तुषार ने रश्मी की चूत के छेद पर उंगली रख दी और फ़िर हौले से उसे धक्का लगाते हुए उसने अपनी उंगली एक पोर उसमें ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा।


रश्मी के लिये ये एक विचित्र अनुभव था हालांकि शादि के बाद राज के साथ उसके कुछेक बार शारीरिक संबंध बने जरुर थे लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया उसके था। उसने कभी रश्मी को उत्तेजित करने की जरुरत नहीं समझी थी या शायद उसे ये पता ही नहीं था कि सेक्स केवल खुद के मजा लेने का नाम नहीं है बल्कि अपने साथी को भी चरम सुख तक पहुंचाने का नाम है। वही सेक्स सच्चा सेक्स होता है जिसमें दोनों परमसुख की प्राप्ति कर सके। अगर एक भी पक्ष नासमझ हो खासकर पुरुष तो फ़िर वो सेक्स ना हो कर केवल एक नीरस शारीरिक क्रिया मात्र रह जाती है। राज इस मामले में फ़िसड्डी साबित हुआ था ।








इस तरह उंगली के अंदर बाहर होने से ना चाहते हुए भी रश्मी की चूत गीली होने लगी और उसमें से एक चिकना पदार्थ बाहर आने लगा जिससे तुषार और भी असानी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। तभी अचानक रश्मी की कमर ने एक हल्का सा झटका लगाया। ये रश्मी ने नहीं लगाया था लेकिन काम की अधिकता से अपने आप ही हो गया था जो अत्यंत स्वाभाविक था।तुषार ने भी इसे साफ़ महसूस किया और समझ गया कि अब मेंरी रानी वासना के समुंदर मे गोते लगाने के लिये तैयार हो चुकी है। उसने उसी तरह बैठे हुए पूछा " मजा आ रहा है जान, पूरी उंगली ड़ाल दूं क्या तेरी चूत में? अब तुषार ने रश्मी से सभ्य भाषा में बात करना छोड़ ही दिया था और वो उससे अश्लील भाषा का ही प्रयोग करने लगा था। ऐसा करने से उसे रश्मी की नंगी जवानी पर पूर्ण विजय और अधिकार का अहसास जो होता था।


अब तुषार ने उसकी चूत में अपनी उंगली और गहराई तक घुसा दी और उसे और भी तेजी से अंदर बाहर करने लगा । अब तो रश्मी का अपने शरीर से नियंत्रण खतम होने लगा और उसकी कमर उसकी इच्छा के विरुद्द झटके देने लगी। वो बड़ी लज्जित थी और शर्म के मारे उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वो शुरु से तुषार से हर क्षेत्र में लगातार हार ही रही थी और आज भी उसके सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई और अपनी इसी झेंप को मिटाने के लिये वो आंखे बंद किये हुए अपना सर दांए बांए घुमा रही थी और बड़बड़ाते जा रही थी " नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे , बस अब नहीं आह मैं मर जाउंगी मेंरा सर चकरा रहा है मुझे छोड़ दो। रश्मी बोले जारही थी लेकिन तुषार के उपर इसका कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि वो तो और भी उत्तेजित हो रहा था।


तुषार अब और तेज गति से उसकी चूत में उंगली ड़ाल रहा था और रश्मी अब उत्तेजना के मारे अब अपनी कमर को जोर जोर से उपर तक उछालने लगी और बोलने लगी " पागल हो जाउंगी मैं मुझे छोड़ दो" लेकिन तुषार ने उसकी चूत को जो से भीच लिया और धीरे से बोला मैं तुम्हें अभी छोड़ दुंगा लेकिन तुम वादा करो कि तुम अपनी चूत में मुझे अपना लंड़ ड़ालने दोगी और वो भी आज ही , तुम बोलो तो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं लेकिन आज रात मैं तुझे जी भर के चोदुंगा। बोल है मंजूर ? रश्मी ने बला टालने की गरज से कह दिया ठीक है अभी छोड़ दो। लेकिन तुशार भी कम नहीं था उसने तुरंत कहा यदि धोखा दिया तो? परिणाम पता है न? उसने कहा अगर धोखा दिया याद रखना तेरी बहन के सगाई के साथ का प्रोग्राम केंसल ।


तुषार के मुंह से ऐसी बातें सुन कर रश्मी ने चौंक कर उसकी तरफ़ देखा लेकिन तुषार हंस रहा था उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी। रश्मी के इस तरह चौंकने से वो ये समझ गया कि उसका तीर निशाने पर लगा है।


रश्मी ने प्रत्युत्तर में कहा तुम्हें जो करना है वो करो मुझे क्या? और सुधा के लिये कोई लड़्को की कोई कमी नहीं है , वो नही मरे जा रही है तुमसे शादी करने के लिये तुम्हारी माँ ही पीछे पड़ी थी इस रिश्ते के लिये। और क्या इस तरह से ब्लेकमेल कर के शादी करोगे? अरे तुम क्या केंसल करवाओगे इस सगाई को तुम देखना मैं खुद ही केंसल करवाउंगी इस रिश्ते को और तुझे बेनकाब करवाउंगी सबके सामने। अच्छा हुआ तेरी सच्चाई सामने आ गई। तुझ जैसे से शादी करने से तो अच्छा है कि वो जीवन भर कुंवारी ही रह जाय।


अपनी मां और अपना अपमान तुषार सहन नहीं कर पाया और वो क्रोध में पागल हो उठा उसने अपने एक हाथ से रश्मी के बाल जोर से पकड़ लिये और दूसरे हाथ से उसकी चूत को बुरी तरह से रगड़ दिया , रश्मी के मुंह से आह निकल गई साथ ही साथ उसे ये भी अहसास हो गया कि वो कुछ ज्यादा ही बोल गई है ।


अब तुशार ने बोलना चालू किया " साली मादरचोद कभी घर में खाने के ठिकाने नहीं थे यहां खा खा कर गांड़ मोटा गई है तेरी, शादी के लिये तन ढकने के लिये दो कपड़े देते की हैसियत भी तो है नहीं तुम्हारे परिवार की और बोलती है कि उसके लिये लड़्कों की कमी नहीं है , कौन करेगा तुम जैसे भुख्खड़ भिखारियों से रिश्ता? जा, कर के देख तब पता चलेगा कैसे तय होते है रिश्ते? और मेंरी जिस मां के बारे में तू कह रही है कि वो पिछे पड़ी है इस रिश्ते के लिये तो सुन साली मादरचोद मेंरी उसी मां की बदौलत ही तू इस घर में है । ये उसी के विचार है कि तू गरीब परिवार की होने बाद भी हमरे घर की बहू है समझी।


तुषार अभी भी तनिक क्रोधित ही था उसने धक्का दे कर उसे अपने से दूर कर दिया । और रश्मी अब उससे एक हाथ की दूरी पर जमीन पर नंगी बैठी थी उसकी तफ़ पीठ किये हुए और वो उसे घूर रहा था। रश्मी ने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया और सुबकने लगी।


ठुकराया जाना किसी भी स्त्री के लिये सबसे बड़ा अपमान होता है, तुषार ने जब रश्मी को धक्का दे कर दूर हटा दिया तो उसके मन में एक अघात सा लगा । एक जवान खुबसुरत औरत पूर्णत: नग्न किसी मर्द के सामने हो और वो उसे ठुकरा दे ये तो किसी भी स्त्री के लिये बड़ी शर्मनाक बात होती है और खतरे की घंटी भी। स्त्री के जिस नग्न रुप को देखने और पाने के लिये पुरुष तरह तरह की कवायदें करता है उसी स्त्री को यदि कोई पुरुष नंगी करके ठुकरा दे ये तो उसके लिये बलात्कार से भी बड़ा अपमान होता है।


तुषार की बातों का असर रश्मी पर हुआ जरुर लेकिन थोड़ी देर के बाद और दोनों की आपस में नोंक झोंक औत तू तू मैं मैं के बाद। अब जमीन पर अपने पांव मोड़ कर बैठी नंगी रश्मी सोचने लगी कि यदि इसने सचमुच सुधा के साथ सगाई से मना कर दिया तो? मेंरा परिवार नाहक ही बदनाम हो जायेगा । और फ़िर पता नहीं तुषार क्या कारण बतायेगा सगाई न करने के लिये? अब उसे कुछ घबराहट होने लगी , उसकी स्थिती सांप छछूंदर वाली हो गई थी न उगलते बन रहा था और ना ही निगलते।


रश्मी की स्थिती बड़ी ही दुविधा वाली हो गई थी , इधर कुंआ तो उधर खाई । तुषार की शर्त ही ऐसी थी यदि सुधा के साथ सगाई करवानी है तो उसे अपनी बुर चुदवानी होगा तुषार के लंड़ से और यदि तुषार कि बात ना मानी तो तुषार चोदेगा उसके परिवार की इज्जत को पूरे समाज के सामने। आपनी स्थिती पर खुद रश्मी को ही तरस आ रहा था लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था उसे इस विकट परिस्थिती से बाहर आने के लिये। वो तुषार को इतना ज्यादा बोल चुकी थी कि अब उससे वापस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि अपनी बात वापस लेने या उसके सामने विनम्र होने का मतलब था उसके सामने समर्पण करना, सो उसने उसका हिम्मत से सामना करने का निश्चय किया।
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रश्मी लगभग पिछले २० मीनट से तुशार के सामने नंगी पड़ी थी सो अब शर्म जैसी बात काफ़ी खतम हो चुकी थी । जिस शरीर को छुपाने में स्त्री अपना सर्वस्व लगा देती है उसे यदि तुषार ने देख लिया है तो थोडी देर और सही देख जितना देख सकता है फ़िर तो इसे कभी मेंरी परछाई भी देखने को नसीब नहीं होने वाली ऐसा सोच कर रश्मी पलटी और तुषार को बोली " सुन अब ना तो मैं यहां रहने वाली हूं और ना ही मुझे इस बात से कोई मतलब कि तुम क्या फ़ैसला लेते हो मेंरी नजर में तुम्हारी जो इज्जत थी वो खतम हो चुकी है और मैं ये बात अपने दिल से कह रही हूं कि यदि तुम्हारे साथ सुधा की सगाई ना हो तो सुधा से ज्यादा कोई भाग्यवान नहीं होगा, लेकिन तुम यदि ये सोच रहे हो कि अपनी गंदी मानसिकता और हरकतों से अपने और खासतौर मेंरे परिवार को जिस मुसीबत में ड़ालने की सोच रहे हो तो मैं तुम्हारे मंसूबे कभी भी पूरे नहीं होने दूंगी। उसने बोलना जारी रखा " यदि तुमने सगाई तोड़ने की कोशीश भी की तो मैं तुम्हारी सच्चाई तुम्हारे घर वालों को बता दूंगी और यदि जरुरत पड़ी तो तुम्हारे खिलाफ़ F.I.R. भी लिखवाउंगी। उसने तुषार को धमकाते हुए कहा तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम सुधा से बिना शर्त सगाई कर लो वर्ना इसका अंजाम बहुत बुरा होगा । और फ़िर मेंरी बातों से तुम्हारे परिवार की जो बेईज्जती होगी और मम्मी,पापा,दिया और राज को तकलिफ़ होगी उसका जिम्मेंदार केवल तू होगा तुषार। अब रश्मी ने भी उसके साथ सभ्यता से बात करना छोड़ दिया और वो उससे तू तड़ाक की भाषा बोलने लगी।


वो क्रोध में भभकते हुए कहे जा रही थी " कोई अहसान नही करते मुझे इस घर में खाना दे कर , मेंरा परिवार कितना ही गरीब क्यों न हो तुम्हारे परिवार के सामने लेकिन कभी दो वक्त की रोटी के लिये तरसना नहीं पड़ा हमें । किसी पराये पुरुष के सामने नग्न खड़े रहने से भी ज्यादा शर्म आती है मुझे तुम्हारी बातों से , अरे इंसान कुत्ता भी पालता है तो उसे रोटी देता है खाने के लिये , लेकिन तू तो जानवरों से भी गया गुजरा है कि अपने ही घर में ब्याह कर लाई अपनी भाभी की रोटियां गिनता है। अपने पूरे समाज को ले कर आये थे बारात में ले कर और शादी कर के लाये हो मुझे इस घर में , मैं कोई भाग कर नहीं आई हूं तेरे इस घर में और ना ही तेरे अहसानों तले दबी हुई हूं। छी धिक्कार है तुझे और तेरे घटिया संसकारो पर।


तुषार धैर्य पूर्वक रश्मी की बातों को सुनता रहा और उसकी नंगी जवानी को देखता रहा । रश्मी के नंगे जिस्म का जादू फ़िर से उसके सर पर चढ़ कर बोलने लगा था और उसका गुस्सा भी उतर चुका था। वैसे भी तुषार ने जब उसके रुम में बने रहने का फ़ैसला लिया था तभी उसने ठान लिया कि या तो आज इसके नंगे जिस्म को जी भर के चोदुंगा या हमेंशा के लिये बदनाम हो जाउंगा, वो दोनों ही बातों के लिये पूरी तरह से मानसिक रुप से तैयार था।


अब तुषार ने बोलना चालू किया " रश्मी मैं मानता हूं कि मैं गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गया और मुझे ऐसा नही कहना चाहिये था मैं खाने वाली बात के लिये तुमसे माफ़ी चाहता हूं लेकिन एक बात मैं तुमको साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूं कि सुधा में मेंरी कोई दिलचस्पी नहीं है और ना ही मैं उससे प्यार करता हूं मेरे दिल में केवल तुम ही बसी हो और तुम्हारे लिये ही मैंने उससे सगाई की बात स्वीकार की है। तुम्हें जो करना है वो कर लो लेकिन ये बात तुम भी कान खोल कर सुन लो कि यदि रश्मी नहीं तो सुधा भी नहीं और ये सगाई भी नहीं। यदि तुम मेंरे साथ रिश्ते से खुश नहीं तो इतना तुम भी समझ लो कि सुधा के साथ रिश्ते से मैं भी खुश नहीं रह सकता।


अब तुषार को लगने लगा कि इस तरह बातों मे वक्त जाया करने से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि ये "सोन चिरैया" हाथ से निकल सकती है सो उसने अब अंतिम धमाका करने का फ़ैसला कर लिया । अब उसने फ़िर से बोलना चालू किया "रश्मी तुझ से जो बन सकता है वो तू कर मेंरे खिलाफ़ और तुझसे प्यार करने की जो सजा तू मुझे देना चाहती है वो तू दे मुझे लेकिन तू इतना याद रखना कि तू जो भी कदम मेंरे खिलाफ़ उठायेगी वो एक ऐसे इंसान के खिलाफ़ उठायेगी जो तुमसे बेइंतिहा प्यार करता है।


उसने कहना जारी रखा " मेरी हरकते मेंरे परिवार की बेइज्जती का करण बने या ना बने लेकिन तेरी हरकतें मेंरी मौत का कारण जरुर बनेंगे। बस रश्मी अब मैंने तय कर लिया है कि यदि मेंरे जीवन मे तू नही तो फ़िर मुझे कुछ भी नहीं चाहुये ये जीवन भी नहीं । मेंरा मरना तय है चाहे तू किसी को बता या ना बता। आज कुछ तो होगा या तो मैं अपने प्यार को हासिल करुंगा या फ़िर आज का दिन मेंरे जीवन का आखीरि दिन है। अब उसने रश्मी को तनिक धमकाते हुए कहा "लेकिन यदि तुमने मेंरे बारे में किसी को भी बताया तो समझ लेना मैं तो मरुंगा ही लेकिन तेरे चरित्र पर ऐसा दाग लगा कर जाउंगा कि तेरे दोनों बहनों की शादी इस जीवन में तो कम से कम नहीं हो पायेगी , और तेरा भी इस घर में रहना मुश्किल हो जायेगा और तू जीते जी समाज में किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह पायेगी। और जब तेरी वजह से ही तेरी दोनों बहनों की शादी नहीं हो पायेगी तो क्या तेरा परिवार तुझे रखेगा अपने साथ? राज को तो तुझ से कोई लगाव है ही नहीं सो उसे तो यदि ये बातें पता चल जायेगी तो वो तत्काल ही तुझे इस घर के बाहर का रास्ता दिखा देगा। न तू घर की रहेगी ना घाट की फ़िर तो तेरे पास भी मर कर मेंरे आने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।


उसने बोलना जारी रखा " अगर तू जीना भी चाहेगी तो वो जिंदगी तेरे लिये मौत से भी बदतर होगी , ना तो तुझे अपने घर का सहारा मिलेगा ना ही तुझे अपने ससुराल का । तू एक कटी पतंग की भांती दिशाहीन लहराते रहेगी। और तुझे इतना तो पता है न कि कटि पतंग को लूटने अनेंक लोग उसके पिछे दौड़्ते है और आखिरकार कोई ना कोई उसे पकड़ ही लेता है। उसने बोलना जारी रखा "रश्मी अकेली जवान औरत के लिये समाज में सुरक्षित रह पाना बहुत कठिन है तुझे समाज में कदम कदम पर कई तुषार से भी खतरनाक लोग मिलेंगे। अब तू सोच तुझे क्या फ़ैसला लेना है ? मैने तो फ़ैसला ले लिया है और मुझे अंजाम की कोई परवाह नहीं , मैने तय कर लिया है अगर तू नहीं मिली तो ये मेंरे जीवन का अंतिम दिन है।अब मेंरी जिंदगी और दोनों परिवारों की खुशियां तेरे हाथ में है।


तुषार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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तुषार के मुंह से इस तरह की बात सुन कर रश्मी एकदम से सकते में आ जाती है। शर्म और भीरुता का आपस में चोली दामन का साथ होता है। जो भीरु याने ड़रपोक होते हैं वो अक्सर शर्म को अपना सहारा बनाते हैं खुद को ड़रपोक कहलाने से बचने के लिये, रश्मी भी वास्तव में ड़रपोक ही थी। तुषार की बातों ने उसके मन और मस्तिष्क में गहरा असर ड़ाला और वो मन ही मन बुरी तरह से ड़र गई। उसे अब अपनी बदनामी का ही ड़र सताने लगा और वो सोचने लगी यदि इसने ऐसा कुछ कर दिया तो दोनों ही परिवारों के सभी सदस्यों की चौतरफ़ा बदनामी होगी, और मेंरी दोनो बहनों की तो क्या? इसकी अपनी बहन की दिया की शादि में समस्या खड़ी हो जायेगी। तुषार की बातों ने उसे बुरी तरह से झकझोर दिया था और वो अपनी वर्तमान नग्न अवस्था को भूल कर तुषार की बातों का ही मंथन करने में उलझ गई।


इधर तुषार रश्मी की तरफ़ बारीकि से देख रहा था और अपने शब्दों की उस पर प्रतिक्रिया की थाह लेने की कोशिश कर रहा था । उसने देखा कि रश्मी पूरी तरह से विचार मग्न है और बुरी तरह से चिंतित भी है। वो समझ गया कि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है। रश्मी को इस तरह शांत बैठे देख वो मुस्कुरा दिया , इसी तरह जब दो, तीन मीनट तक वो इसी तरह प्रतिक्रिया विहीन बैठी रही तो वो समझ गया कि अब इसके तरकश में तीर नहीं बचे है और एक प्रकार से इसने हथियार ड़ाल दिये है।
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वो कुछ देर फ़िर रुका रहा ये देखने के लिये कि शायद कुछ सामान्य होने के बाद ये फ़िर कुछ प्रतिक्रिया दे लेकिन अब रश्मी कुछ बोल नहीं पा रही थी केवल फ़र्श पर नंगी बैठी हुई अपनी किस्मत और दुविधा दोनों पर आंसू बहा रही थी। ये बात एकदम सही थी कि यदि तुषार ने जो बोला था वो कर दे तो वाकई एक बड़ा धमाका हो सकता था और दोनों ही परिवारों की प्रतिष्ठा समाज में धूमिल हो जाती। लेकिन तुषार बड़ा ही कमीना और मक्कार था उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, वो तो केवल रश्मी को ड़राने के लिये ऐसा बोल रहा था। और इसी ड़र की आड़ ले कर वो अपनी भाभी की बुर हासिल करना चाहता था। लेकिन बेचारी रश्मी तो नादान थी वो कोई ईश्वर की तरह अन्तर्यामी तो थी नहीं कि वो तुषार के मन की बात समझ सकती लिहाजा एक इंसान के रुप में उसका ड़रना और भयभीत होना लाजिमी था।


रश्मी उठ कर अपने कपड़ों तक जाना चाहती थी और कपड़े पहन किसी तरह रुम से बाहर निकल जाना चाहती थी, लेकिन अपनी नग्नता के अहसास ने उसे जमीन पर चिपका कर रखा था। उसे यूं तुषार के सामने नंगी चल कर जाने में बेहद लज्जा का अनुभव हो रहा था। वो इसी उहापोह मे पड़ी थी कि उसे उठ कर जाना चाहिये या नहीं इसी बीच तुषार उसके पास आ कर बैठ गया और उसकी नंगी पीठ पर हौले हौले हाथ घुमाने लगा। रश्मी का कलेजा जोर जोर से धक धक करने लगा, उसे लगने लगा कि यदि तत्काल कुछ नहीं किया तो इसके हाथों से अब बचना मुश्किल होगा। घबराहट के मारे उसकी रुलाई छूट पड़ी और वो फ़फ़कने लगी उसकी आंखों से आंसू की मोटी मोटी धारा निकलने लगी। वो कुछ कहने के लिये मुंह खोलना चाहती ही थी कि उसे तुषार की आत्महत्या की धमकी याद आ गई। उसके मस्तिष्क में एक के बाद एक अनेंक विचार आने लगे लेकिन वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। यही रश्मी की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि मुश्किल घड़ी में वो कभी ना तो सही सोच पाती थी और ना ही सही निर्णय ले पाती थी।


तुषार समझ चुका था अब ये ज्यादा विरोध करने की स्थिती में नहीं है, विरोध के नाम पर ये रोने के अलावा और कुछ नहीं करने वाली। तुषार की धमकी से वो इतना ड़र गई थी की उसके हाथ पैर ने हरकत करना ही बंद कर दिया था। उसने तुषार की बातों को सच मानते हुए उसकी मौत के बाद की स्थिती की ऐसी कल्पना अपने मन में करी कि उसके विरोध करने रही सही ताकत भी खतम हो गई, और रश्मी केवल अपनी झूठी कल्पना के भंवर जाल में फ़ंस कर रह गई।


अब तुषार उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा । वो उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। तुषार भी रश्मी के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।


तुषार अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, रश्मी अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन तुषार उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। रश्मी के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि रश्मी मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।


लगभग ३-४ मीनट तक अपनी भाभी के होठों चूसने के बाद वो धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है और अपना दांया पांव उपर उठा लेता है और उसका तकिया बना कर रश्मी का सर उसमें रख देता है। अब रश्मी का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, तुषार हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता है। रश्मी के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , तुषार उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता है। स्तनों को मसलते हुए वो अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता है। चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। तुषार समझ जाता है कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और रश्मी के साथ भी यही हो रहा था। अब तुषार बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया । अब रश्मी का बांया स्तन और उसकी निप्पल तुषार के मुंह मे था और वो उसे जोर जोर से चूस रहा था और दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। तुषार ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर रश्मी की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। रश्मी ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।


अब तुषार ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे उसने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा । रश्मी को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में तुषार अपना मुंह रश्मी के कान के पास ले जाता है और धीरे से उसके कान में कहता है " तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रश्मी तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया रस्मी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू रश्मी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।


आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।


जैसे है तुषार रश्मी की चूत पर अपना मुंह लगाता है तभी दरवाजे पर किसी के खटखटाने की अवाज आती है। दोनो बुरी तरह से चौंक जाते है खासतौर पर रश्मी । रश्मी का चेहरा भय से पीला पड़ जाता है। औ वो ड़र के कभी दरवाजे की तरफ़ तो कभी अपने नंगे जिस्म की तरफ़ देखती है। वो घबराह के मारे उठ कर बैठ जाती है , इधर तुषार की पकड़ भी उसके बदन से खतम हो जाती है । दरअसल वो भी बुरी तरह से ड़र गया था। तभी दरवाजे से उसकी मां की अवाज सुनाई देती है वो जोर जोर से दरवाजे खटखटाते हुए रश्मी को अवाज लगा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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बाहर से रश्मी की सास उसे अवाज लगा रही थी " रश्मी, ओ रश्मी कितनी देर हो गई तुम्हें उपर आये अभी तक नहाया नहीं तुमने ? क्या कर रही हॊ?


अन्दर दोनों की फ़टी पड़ी थी और रस्मी तो मारे ड़र के थरथराने लगी थी उसके मुंह से कुछ बोल ही नहीं फ़ूट रहा था। इधर तुषार को काफ़ी समय बाद ये याद आया कि वो दरअसल उपर आया क्यों था।

रश्मी मारे ड़र के तुषार की तरफ़ देखती है, वो मानो नजरों से ही उसे कह रही हो कि बचाव इस मुसीबत से वर्ना दोनों की खास तौर से मेरी तो इज्जत गई। तुषार उसे चुप रहने का इशारा करता है और कुछ क्षण सोचता है फ़िर तत्काल ही अपने सामने खड़ी नंगी रश्मी को अपने दोनों हाथों से उठाता है और बाथरुम की तरफ़ उसे ले जाता है। उसने रश्मी को ऐसे उठाया था कि उसकी पूरी गांड़ तुषार के बांए हाथ में और उसका दाहिना स्तन तुषार के दांये पंजो मे था।


वो उसे उसी तरह उठा कर बाथरुम में ले जाता है और वहीं खड़ी कर देता है और खुद बाल्टी को नल के नीचे रख कर उसे थोड़ा खोल देता है । अब पानी की अवाज कमरे के बाहर जाने लगती है जिससे उसकी सास को ऐसा लगता है कि वो अभी तक नहा रही है। वो बाहर से फ़िर चिल्ला कर कहती है " अभी तक नहाया नही क्या रश्मी तुमने?


रश्मी अभी तक घबराई हुई थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था , तभी तुषार उसके कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहता है " बोलो नहा रही हूं , तबियत ठीक नहीं लग रही थी इस्लिये उपर आ कर थोड़ा लेट गई थी"

रश्मी ने घबराहट में तुषार की बात को दोहरा दिया।


अब उसकी मम्मी फ़िर उसे कहती है " कोई बात नहीं बेटा रात को नींद ठीक से नही होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। तुम चाहो तो और अराम कर कर के नीचे उतरना। अब नाश्ता बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा आज सबके लिये होटल से नाश्ता ले कर आये हैं। नीचे आ कर खा लेना। और सुनो मैं तुम्हे ये बताने के लिये उपर आयी हूं कि आज दोपहर लग्भग ११:३० बजे हम सभी एक साथ बाजार जायेंगे और तुषार की सगाई के लिये जो भी खरीदी करनी है कर लेंगे। फ़िर कल राज और उसका बास भी आ जायेंगे तो समय नही मिलेगा । और उसके एक दिन बाद सगाई है न।


अब रश्मी जरा संभल जाती है और अंदर से जवाब देती है " जी,मम्मी जी मैं नहा कर नीचे आती हूं और सबका खाना बना देती हूं , मुझे थोडी हरारत जैसा है लेकिन ठीक हो जायेगा।


मम्मी : अरे नहीं बेटा खाना वाना बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा कह रहे थे कि आज दोपहर का खाना भी किसी होटल में ही खा लेंगे, समझी । तुम चाहो तो ११:३० तक अराम से तैयार हो कर नीचे आ जाना ।

रश्मी: जी, मम्मी जी । (तुषार उसके कान में कहता है उसको बोलो की तुम थोड़ा अराम कर के नीचे आओगी) लेकिन वो नहीं बोलती । तुषार तनिक गुस्से में जरा जोर से फ़ुसफ़ुसा कर रश्मी से बोलता है

" बोलती या मैं बोलूं" और वो मुंह खोल कर बोलने का नाटक करता है। रस्मी तुरंत उसका मुंह दबा कर जोर से उसकी कही बात दोहरा देती है। उसकी सास कहती ठीक है बेटा तुम ११:३० तक आराम कर के

नीचे आ जाना , अच्छा मैं जा रही हूं नीचे तुम्हारे पापा नाश्ते के लिये अवाज लगा रहे हैं तुम अराम कर के समय से नीचे पहुंच जाना। ऐसा बोल कर वो वहां से चली जाती है। तुषार और रश्मी दोनों ने उसके

पैरों कमरे से दूर होती अवाज को सुनी और जब उसकी सीढीयों से उतरने की अवाज उसे आने लगी तो तुषार समझ जाता है कि उसकी मां गई और उसका चेहरा खिल उठता है।


अब वो बाथरुम में ही नंगी खड़ी रश्मी को ताबड़्तोड़ चूमना शुरु कर देता है। रश्मी ने जिस तरह से उसकी मां से झूठ बोलने में तुषार का साथ दिया था और उसकी कही बातों को दोहराया था उससे तुषार को समझ आ गया कि इसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है और इसके लिये वो चुद जायेगी लेकिन अपने चुदने का राज किसी को नहीं बतायेगी।


अब तुषार रस्मी को पीछे की तरफ़ घुमा देता है और उसकी गांड़ तुषार की तरफ़ हो जाती है , तुषार उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था । पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह

की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज उसके सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी तुषार उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। रश्मी पूरी

तरह से उसके कब्जे में थी। तुषार नीचे बैठ जाता है और उसकी गांड़ो को चूमने लगता है , रश्मी की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से तुषार उत्तेजना की नई उचांईयो में पहुंच जाता है। रश्मी की गांड़ो को उसने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास उसे आज पहली बार हो रहा था।


वो रश्मी की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब तुषार ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता है और उसको नीचे चूमना शुरु करता है पहले नंगी खड़ी रश्मी की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में उसकी गर्दन वो अब पूरी तरह से नंगी खड़ी रश्मी के पिछे खड़ा हो जाता है और उसे पिछे से दबोच लेता है अब उसक लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और वो अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता है।


अपना मुंह उसके गालों से लगा कर वो उसके गालों को चूमने लगता है। अब वो उसको कहता है " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " रश्मी कोई उत्तर नहीं देती है तो तुषार कहता है " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, रश्मी मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए वो अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आता है और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ से वो उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ उसने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।


रश्मी को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन तुशार आखिर उसका पति तो था नहीं और वो जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये रश्मी की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो तुषार मुझे जाने दो।


सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और रश्मी की सिस्कियां और आंसू भी तुषार की वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और वो पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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अब वो रश्मी को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता है , बाहर आ कर वो रश्मी को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता है। नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर आती है और तुशार फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके बदन को मसलना चालू कर देता है। कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद वो उसे अलग करता है, उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी । तुशार उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों को चूम लेता है। अब तुशार के लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और वो अपने कपड़े उतारने लगता है। पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को वो उतार के फ़ेंक देता ।


तुषार के इस तरह कपड़े उतारने से रश्मी की धड़्कन तेज हो जाती है और वो समझ जाती है कि अब आगे क्या होने वाला है।अब वो आंखे बंद किये आने वाले तूफ़ान का इंतजार करने लगती है।


तुषार ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब वो भी रस्मी के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता है। तुषार का लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। रश्मी में इतना साहस नहीं था कि वो उसके नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे तुषार ने रश्मी को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। रश्मी ने पहली बार उसके बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। रश्मी ने साफ़ मह्सूस किया कि तुशार इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ है कि उसका पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।


कुछ देर तक रश्मी को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद वो उससे अलग होता है और उसे खीच कर पलंग के पास लाता है और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता है, रश्मी के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े तुषार ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। तुषार का लंड़ अब रश्मी के मुठ्ठी में था और वो उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा। रश्मी के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया कि तुषार का लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद राज ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उसने कभी भी रश्मी को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उसे तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी।


रश्मी के नरम नरम हाथ जब तुषार के लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो उसे एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था। उसे कभी गुमान भी न था कि रश्मी के हाथों में ऐसा जादू छिपा है। तुषार का लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये रश्मी अब उसके लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी। तुषार अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारण उस अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।


उसने रश्मी के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और वो रश्मी के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अब तुशार का लंड़ रश्मी के एकदम मुंह के सामने था । उसने अपना लंड़ रश्मी के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। वो रश्मी के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब उसने अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। रश्मी बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुए तुषार की अपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।


तुषार अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो वो अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हो। रश्मी ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से तुषार का लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।


तुषार ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अब तुषार उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये उसे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। उसने थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अब उसने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि तुषार का मोटा लंड़ उसके मुंह में था।


तुषार ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकी तुषार के धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बाद उसने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।


रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज तुषार ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी तुषार के लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने तुषार के लंड़ के लिये अपने मुंह में और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन तुषार ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।


रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर तुषार आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी वो प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह रश्मी सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।






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[size=undefined]नंगी रश्मी ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और तुषार पलंग के नीचे खड़ा था रश्मी के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थे तुषार बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड़ो को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे रश्मी की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से उसके लंड़ को चूसने लगी और अब वातावरण में दोनॊं जवान जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी । अचानक रश्मी को होश आया कि तुषार ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और तुषार के सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी । उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।


तुषार ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया रश्मी अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे । किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। तुषार भी रश्मी को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता है और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाता है , वो उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता है और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अब तुषार रश्मी चूत को चूसना शुरु कर देता है उसके मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है । रश्मी के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।


तुषार अपने दोनों हाथों को उसकी गांड़ो के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से उसके मुंह मे आ जाती है ,तुषार अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर रश्मी चूत में उंड़ेल देता है इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |


अब वो उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता है । रश्मी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब तुषार के लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो वो और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।


इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रश्मी थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी ने तुषार को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा वो और भी अधिक जोश से रश्मी की बुर को चूसने लगता है ।


चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रश्मी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके बुर के मादक पानी ने तुषार की उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया । उसके लिये अब अपना लंड़ रश्मी की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था, तुषार को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से रश्मी भाभी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।


तुषार, रश्मी की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , उसका मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था वो उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन वो भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता है और ना चाहते हुए भी अपना मुंह रश्मी की रसीली चूत से अलग करता है । तुषार पलंग पर चढ़ जाता है और लाल सुर्ख आंखों से अपने सामने पड़ी नंगी पड़ी अपनी रश्मी भाभी के जिस्म कामुक निगाहों से देखने लगता है ,उसके देखने का अंदाज ऐसा था मानो वो उसे अपनी नजरों से ही उसे चोद देना चाहता हो। उसके संपूर्ण शरीर पर भरपूर निगाह ड़ालने के बाद उसकी निगाहें अब रश्मी की उभरी हुई चूत पर जा टिकती है , बिना बालों वाली उसकी चिकनी सलोनी चूत जिसे अभी कुछ ही क्षणों पहले तुषार चूस चूस कर उससे रश्मी की जवानी का रस पी रहा था , वो चूसे जाने के कारण फूल कर बाहर की तरफ उभर रही थी और उसकी दरार साफ़ दिखाई दे रही थी।


रश्मी की चूत अभी भी गीली थी और उसके मन की कामवासना चिकने पानी के रुप में उसकी चूत से बाहर आ रही थी , तुषार ने जैसे ही उसे चूसना बंद किया रश्मी को अपनी चूत में एक अजीब सा खालीपन महसूस होने लगा । उसे महसूस होने लगा कि उसकी चूत में कुछ होना चाहिये जो इस वक्त नहीं है , चूत के इस खालीपन को भरने के लिये उसकी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी और उसकी वजह से रश्मी की चूत अपने आप झटके मारने लगी।


रस्मी ने आंखे खोल कर तुशार की तरफ़ देखा तो उसे अपनी चूत को घूरते हुए पाया , तुषार को इस तरह अपनी चूत को घूरते और अपनी चूत के लगातार झटके मारने के कारण वो शर्मा जाती है , उसका चेहरा मारे शर्म के लाल सुर्ख हो जाता है और वो फ़िर से अपनी आंखों को बंद कर अपना चेहरा घुमा लेती है।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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