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कॉलेज बस में दीदी को
#1
कॉलेज बस में दीदी को
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी दीदी युविका मुझसे 3 साल बड़ी है यानि कि वो 25 साल की है। उसका साइज 34-28-36 है। मैं बता नहीं सकता कि दीदी देखने में कितनी सुन्दर है। आप लोग उसको देखोगे तो आपका मन भी उसको चोदने को हो जायेगा।

तो कहानी शुरू करते हैं।
यह घटना लगभग 2 साल पहले की है। जब हम दोनों कॉलेज में पढ़ते थे। दीदी मेरे कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की थी। सब लोग दीदी की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करते थे।

सौभाग्य से युविका दीदी खुले विचारों की लड़की थी। पर मैं और मेरे माता पिता रीती-रिवाजों और सभ्यता को मानने वाले व्यक्ति थे। कुछ कारणों से मेरे पिता ने दीदी को कॉलेज की पढ़ाई के लिए मौसी के यहाँ भेज दिया था, जिस कारण दीदी हमारी तरह नहीं बन सकी। पर कॉलेज और कॉलेज के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दीदी फिर से हमारे पास आ गयी थी।

कहने को तो मैं भी एक रिवाजों को मानने वाला लड़का था. परंतु मुझे कुछ ऐसे दोस्त मिले थे जिन्होंने मेरे अंदर के असभ्य और जंगली इंसान को जगा दिया था। मैं अपने दोस्तों के साथ अश्लील वीडियो देखता था और उनके साथ मुठ भी मारता था। घर में बहुत सी लड़कियों के बारे में सोच कर अपना लण्ड हिलाता था।

हालाँकि मैंने एक-दो बार एक रंडी को पैसे देकर चोदा था पर वो दीदी के मुकाबले में कुछ नहीं थी। समय से मुझे मेरी दीदी को चोदने का ख्याल आ गया था। इसमें मेरे दोस्तों का भी बहुत बड़ा योगदान है। उन में से किसी की भी कोई बहन नहीं थी तो उन्होंने मेरे दिल में इस तरह से दीदी के लिए हवस पैदा कर दी कि मैं न उनको दीदी के बारे में गलत बनने में रोक पाया न अपनी हवस को रोक पाया।

तो कॉलेज के समय मैं ऐसे ही किसी काम से मौसी के घर चला गया था। वहां मेरे काफी अच्छे दोस्त थे। तो मैंने वहाँ दोस्तों से अपनी दीदी के बारे में पूछा कि वो कैसी लड़की है और यहाँ उसे कोई परेशान तो नहीं करता।

पहले तो उन लोगों ने मुझे कुछ नहीं बताया पर मेरे बहुत पूछने के बाद उन्होंने बताया कि दीदी वहां बहुत लोकप्रिय हो गयी है और उसके वहां कई प्रेमी हैं। वो अपने हुस्न से किसी को भी पटा सकती है।

उन लोगों ने कहा कि कई लोग तो ये भी कहते हैं कि उसने अपने कॉलेज के एक प्रोफेसर को भी पटा रखा है और अपने टीचर से चुदाई करवाती है.

ये सुन कर मुझे समझ ही नहीं आयी कि मैं खुश हो जाऊँ या दुखी। पर मेरा मन अब दीदी के प्रति भाई वाला न हो कर एक हवसी लड़के में बदल गया था। युविका दीदी के बारे में ये सब जान कर मुझे दीदी को चोदने की इच्छा और प्रबल हो गयी।

जब मैं वापिस घर गया तो मैं दीदी को पटाने की कोशिश करने लगा और उसी की तरह बनने की कोशिश करने लगा। दीदी से मेल जोल बढ़ाने लगा।

कुछ महीनों बाद हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। दीदी तो थी ही खुले विचारों की इसलिए वो मुझ से ज्यादा जल्दी घुलमिल गयी। पर मुझे दीदी के साथ घुलने मिलने में थोड़ा समय लगा।

थोड़े समय बाद हम दोनों इतने घुलमिल गए कि दीदी कभी भी मुझे गले लगा लेती थी और और उसके बड़े बड़े स्तन मेरी छाती से लग जाते तो मैं भी दीदी के स्तनों का मजा लेने के लिए दीदी को ज़ोर से गले लगा लेता था।

कभी कभी दीदी मजाक में मेरी गोदी में भी बैठ जाती थी और मेरे लौड़े में तेज़ करंट दौड़ उठता था। उस समय के दौरान मैंने बहुत बार दीदी के नाम पर हस्तमैथुन किया।

एक बार की बात है, मैं सोफे के ऊपर बैठ कर और टाँगें फैला कर टीवी देख रहा था और अचानक से दीदी आकर मेरी टांगों के बीच मेरे लण्ड में सट कर बैठ गयी। उसने रिमोट लिया और गाने लगा दिए।
गाने सुनते हुए वो ऊपर नीचे हो कर नाचने लगी जिससे मेरे लण्ड में घर्षण पैदा होने लगा और मेरा लण्ड उत्तेजना से सख्त हो गया।

दीदी को यह बात पता चल गई और वो झट से खड़ी हो गयी। मैं डर के मारे वैसे ही बैठा रहा और मेरा लौड़ा लोअर में से टेन्ट की तरह खड़ा था। दीदी ने ये सब देख लिया और वो बिना कुछ कहे वहां से चली गयी।

मैंने सोचा कि आज तो मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। पर तभी मैंने ध्यान दिया कि युविका दीदी वहाँ से जाते समय थोड़ी सी मुस्कुरा कर गयी थी।
और मैंने ये भी ध्यान दिया कि दीदी से सब हरक़तें जैसे मेरे गले लगना और मेरे बहुत करीब आने अभी मम्मी पापा के सामने नहीं करती है बल्कि जब हम दोनों अकेले होते हैं तभी करती है।

तो मुझे पता चल गया कि दीदी मुझे उत्तेजित करने के लिए ऐसा करती है।
पर मुझे इस बात पर पक्का यक़ीन नहीं था। मैं सोच रहा था कि कैसे मैं इस बात को सिद्ध करूँ।

मैं उस समय बहुत उत्तेजित और पागल सा हो गया था। तो मैं बिना सोचे समझे उठा और अपने लण्ड को अपने अंडरवियर में समायोजित किया और दीदी के कमरे में चला गया। दीदी वहाँ बैठ कर अपना फ़ोन चला रही थी।

मैं जा के दीदी के आगे खड़ा हो गया और दीदी से कहा- दीदी! क्या तुम मेरे साथ सम्भोग करने के लिए ये सब मेरे साथ कर रही थी?
दीदी- क्या तुम भी मेरे साथ सम्भोग करने के लिए ये सब नहीं कर रहे थे?

मैंने हिम्मत कर के कहा- हाँ। पर मुझे पता नहीं था कि तुम भी यही चाहती हो। इसलिए मैं ऐसा कर रहा था। पर तुम्हें तो पता था ना … तो तुमने पहले ही ऐसा क्यूँ नहीं कह दिया?
दीदी- मैं चाहती थी कि तुम खुद मुझे इसके लिए पूछो। इसलिए मैंने ये सब तुम्हारे साथ किया।

ये सुन कर मैं खुश हो गया तो मैंने कहा- तो दीदी! अब तो मैंने इतनी हिम्मत करके आपको सब कुछ कह ही दिया है, तो क्या अब तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
दीदी- हाँ। पर अभी नहीं। कुछ देर में मम्मी पापा आ जायेंगे। थोड़ा सोच कर प्लान बनाते हैं।

मैं- हाँ दीदी, आप ठीक कह रही हैं। तब तक आप मुझे ये बताओ कि आप आज तक कितनी बार चुद चुकी हैं?
दीदी- पूरा याद नहीं पर लगभग 150-200 बार।
ये सुन कर मैं हैरान रह गया।

मैंने दीदी से मजे लेने के लिए ऐसे ही पूछ लिया- अच्छा दीदी! क्या तुमने कभी ग्रुप सेक्स किया है?”
दीदी- हाँ। किया तो बहुत बार पर एक बार जब कॉलेज की ट्रिप में मैं 7 लड़कों के साथ चुदी थी। उस दिन तो मर ही गयी थी।
यह सुन कर मुझे तो चक्कर ही आने लग गया।

मैं- दीदी। तब तो आपकी चूत का भोसड़ा ही बन गया होगा?
दीदी- हाँ! बन तो गया था पर यहाँ आये मुझे एक साल हो गया है। तब से मैं किसी से चुदी नहीं हूँ। अब तक तो मेरी चूत फिर से नई जैसी होने लगी है।

मैं- तो दीदी! आपने खुद को शांत करने के लिए फिंगरिंग क्यूँ नहीं की?
दीदी- उसमें मुझे मज़ा नहीं आता है। मैं सिर्फ लण्ड ही अपनी चूत में लेना जानती हूँ।

मैं- दीदी! आपको ये सब करते समय बदनामी का डर नहीं लगता? अब तो आप अपने भाई से भी चुदवाओगी। मेरे साथ तो आपका भाई का रिश्ता है। तो आपको इसमें अजीब नहीं लगता?

दीदी- देख निखिल! ये सब रिश्ते इंसानों ने बनाये हैं और चुदाई तो शरीर की एक जरूरत है जिसको कभी न कभी पूरा करना ही पड़ता है। तुम भी तो अपने शरीर की जरूरत को पूरा करने के लिए मेरे पास आये हो। मुझे तो इसमें कुछ गलत नहीं लगता। पर मम्मी पापा को ये सब अच्छा नहीं लगेगा इसलिए ये सब हम उनके सामने नहीं कर सकते।

दीदी की बातें सुनकर मैं बहुत प्रसन्न हो गया और मुझे भी दीदी की बातों का गहरा असर पड़ा।

तभी घर की घण्टी बजी और दीदी वहाँ से दरवाजा खोलने चली गयी।
दरवाजे पर मम्मी पापा थे।

मैं तो आज बहुत खुश था कि इतनी सालों का सपना आज पूरा होने वाला है। पूरी रात मुझे दीदी के बारे में सोच सोच कर नींद नहीं आयी। सारी रात 3-4 बार दीदी के नाम की मुठ मारी।

अगले दिन हम सब घर से चले जाते हैं। मैं और दीदी 5 बजे घर आ जाते हैं और मम्मी पापा 6 बजे। उस दिन जब हम दोनों घर आये तो हमने प्लान बनाया कि कैसे हम दोनों समय निकालें चुदाई के लिए।
मैंने तो कहा- दीदी रात को मैं आपके रूम में आ जाऊँगा और कर लेंगे।
पर दीदी ने कहा- पापा की नींद बहुत कच्ची है। जरा सी आवाज़ से पापा को पता लग सकता है।

तो आखिर में मैंने एक प्लान बनाया और दीदी को बताया।

प्लान यह था कि हमारी कॉलोनी के बाहर रोज़ एक कॉलेज बस पेड़ों के पीछे पार्क की जाती है। वह स्थान ऐसा है कि यहाँ वो बस खड़ी होती है तो कोई एक झलक में बता नही सकता कि यहाँ कोई बस खड़ी है। उस बस का बायां वाला दरवाजा बंद नहीं होता है।

मैंने बोला कि वैसे भी हम दोनों अपने अपने दोस्तों के घर कभी कभी रात को पढ़ाई के लिए जाते ही हैं। तो आज रात हम दोनों ऐसा बोल के जायेंगे कि हम अपने अपने दोस्तों के घर पढाई के लिए जा रहे हैं और थोड़ी देर कहीं घूम के आ जायेंगे और भरी रात में चुपके से आ के बस के अंदर सेक्स कर लेंगे।
तो दीदी को ये प्लान ठीक लगा।

रात को 9 बजे हम ऐसा बोल के चले गए। ऑटो पकड़ के सीधे एक रेस्टोरेंट में चले गए। वहां हमने खाना खाया और जानबूझ के थोड़ा ज्यादा समय यहाँ लगाया। रास्ते में एक दुकान से गर्भ निरोधक गोलियां भी दीदी के लिए ले ली और उसके बाद वापिस आ गए।
इस सारे चक्कर में 12 बज गए।

तो हम चुपके से उस बस में चले गए। पहले दीदी ने झट से वो दवाई खा ली।
दीदी ने कहा- आखिरकार आज कितने समय बाद मेरी चूत की प्यास बुझेगी।
तो मैंने भी कहा- हाँ, मेरा भी अपनी बहन और कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की और कई लोगों के द्वारा चुद चुकी रंडी को चोदने का मौका मिल ही गया।
ये सुन कर हम दोनों हंसने लगे।

मुझसे ज्यादा तो दीदी उत्तेजित हो गयी थी। दीदी झट से अपने घुटनों पर बैठ गयी और मेरी पैंट खोल दी और अंदर से मेरा लण्ड निकाल दिया। दीदी के हाथ का स्पर्श लगते ही मेरा छोटा सा लण्ड 7 इंच का लौड़ा बन गया।

दीदी उसको देख कर खुश हो गयी और मुस्कुराते हुए मेरा लौड़ा हिलाने लगी और थोड़ी हो देर में मुंह में भी डाल दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#3
दीदी मुंह की गर्मी और जीभ के मेरे लण्ड के टोपे पर किये जाने वाले खेलों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने दीदी को बालों से पकड़ कर उसको अपनी ओर धक्का देना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड पूरा का पूरा दीदी के मुंह में चला गया।

10 मिनट बाद मदहोशी में मैं झड़ गया और सारा वीर्य दीदी के मुंह में डाल दिया।
और मैंने देखा कि दीदी ने सारा वीर्य पी लिया।

मैं थक कर बैठ गया और दीदी से कहा- वाह दीदी! आपने तो एक बूंद भी गिरने नहीं दी।
दीदी- कैसे गिरने देती? इतने समय के बाद जो पी रही हूँ। और ऊपर से ये मेरे भाई का माल था। चल अब जैसे मैंने तुझे चूसा है तू भी मुझे चूस।
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#4
इतना कह कर दीदी ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए। दीदी ने काले रंग की जाली वाली ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। जिससे रोशनी में सब कुछ दिख जाता पर वहां अँधेरा था। एक दूसरे का मुंह भी ठीक से नहीं दिख रहा था।
तो मैंने दीदी से कहा- आपकी ब्रा-पैंटी मैं खुद खोलूंगा।
यह सुन कर दीदी हंसने लगी।

मेरे और दीदी के दिल की धड़कनें बहुत तेज़ हो गयी थी। मैंने दीदी की ब्रा जैसे ही खोली तो दो बड़े बड़े और मक्खन की तरह नर्म नर्म स्तन मेरे सामने आ गए। मैंने अभी उनको नहीं छुआ। मैं नीचे बैठ गया और दीदी की पैंटी उतार दी।

दीदी की चूत देख कर लण्ड से दिमाग तक एक लहर दौड़ गई। दीदी की चूत एकदम साफ़ थी, एक भी बाल नहीं था। दीदी आज की चुदाई के लिए चूत को बिल्कुल साफ़ कर के आयी थी।
मैं खुद को रोक रहीं पाया और दीदी की चूत को अपने मुंह से पूरा भर लिया।
इससे दीदी को दर्द हुआ और उसके मुंह से आह … निकल गयी।

मैं वैसे ही दीदी की चूत चूसता रहा अपनी जीभ दीदी के अंदर डालता रहा और दीदी की चूत के दाने को थोड़ी थोड़ी देर बाद दांतों से काटने लगा।
दीदी ने अपनी आंखें बंद कर ली थी और दोनों हाथ मेरे सर पर रख के ज़ोरों से मेरे बाल खींच रही थी और मुंह से आह … ह्म्म्म … उफ्फ … आय … हये … की आवाज़ें निकाल रही थी।

तभी मैंने सोचा कि दीदी के चूचे और चूत के मज़े साथ में ही लेता हूं।
तो मैं उठा और अपने कपड़े खोले और दीदी के कपड़े लिए और नीचे बिछा दिए और दीदी को लिटा दिया।

उसके बाद मैंने दीदी के चुच्चों को अपने हाथ में लिया। उसको हाथों में लेते ही मैं तो बस पागल ही हो गया। मैं भूल गया कि वो मेरी बहन है और मैं पूरे ज़ोरों से दीदी के चुच्चों को दबाने लगा और अपने मुंह में ले कर ज़ोर ज़ोर से काटने लगा।
दीदी को बहुत दर्द हो रहा था पर साथ में बहुत मज़ा भी आ रहा था।

मैंने अपनी दो उंगलियाँ दीदी की चूत में डाल दी और पूरे ज़ोर से अपना हाथ हिलाने लगा और अपने मुंह से दीदी के चुच्चों को चूसने और काटने लगा।
दीदी ने एक चीख बहुत ज़ोर से निकाली, जिससे मैं डर गया कि कहीं कोई सुन न ले।

पर मैं रुका नहीं और एक हाथ से दीदी के मुंह में उसकी पैंटी डाल दी और ऊपर उस हाथ से मुंह दबा कर बन्द कर दिया।
मैं उसी रफ़्तार से दीदी को मज़े देता रहा। दीदी मुझे उनके ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी पर मैं नहीं रुका।

20 मिनट बाद दीदी की चूत से भी पानी छूट गया, तो मैं रुक गया और साइड में आराम करने लगा।
तभी दीदी ने दर्द भरी आवाज़ में कहा- यार निखिल! सच में यार बहुत दर्द हुआ पर मजा भी उतना ही आया। तू तो सच में खिलाड़ी है।

यह सुनकर मेरा मन फिर से प्रबल हो गया तो मैंने दीदी से कहा- दीदी! आप हो ही ऐसी माल। देखो तो अपने शरीर को। कोई भी आपको अकेले में देखे ले तो वहीं चोद देगा।
इतना कह कर दीदी हंसने लगी और चूत में उंगली डालने लगी। तो मुझे पता चल गया कि दीदी अब मेरा लण्ड लेने के लिए तैयार हो गयी है।

मैं उठा और दीदी और पहले 2 मिनट तक किस किया और धीरे धीरे दीदी के चुच्चे मरोड़े और चूत में हल्की हल्की उंगली की।

दीदी अब पूरी गर्म हो चुकी थी तो मैंने लण्ड को पकड़ा और थोड़ी देर तक पहले लण्ड को दीदी की चूत के ऊपर रगड़ा। जिससे दीदी और मैं बहुत उत्तेजित हो गए और दीदी खुद ही अपनी चूत ऊपर ऊपर करने लगी।
तो मैंने पहले दीदी के मुंह में फिर से पैंटी डाल दी और एक हाथ मुंह पर रख दिया और एक ज़ोर का झटका मारा जिससे आधे से ज्यादा लण्ड दीदी की चूत में चला गया और दीदी को इससे बहुत दर्द हुआ।

Didi Ki Chut Chudai

दीदी अपनी टांगों को दर्द के मारे इकट्ठा करने लगी। थोड़ी देर तक मैंने अपना लण्ड ऐसे ही रखा और बाद में एक और झटके में पूरा लौड़ा अंदर चला गया। मैंने धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया और जब दीदी शांत हो गयी तो दीदी के मुंह से अपना हाथ हटा दिया और पैंटी भी मुंह से निकाल दी।

अब मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ाना शुरू कर दिया और हम दोनों मदहोश हो गए। थोड़ी देर में मैं फिर से पागल हो गया और मेरे सर पर हवस सवार हो गयी और मैंने पूरे ज़ोर ज़ोर से दीदी को चोदना शुरू कर दिया।

मेरी स्पीड देख कर दीदी को मज़ा आने लगा और वो ‘आह … ह्म्म्म … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ्फ … हय … और करो … जल्दी से करो … मार दो मुझे … आह … उम्ह …’ जैसी आवाजें निकलने लगी।

थोड़ी देर में मेरी स्पीड और बढ़ गयी जो दीदी के सहन से बाहर थी। इतनी स्पीड दीदी छटपटाने लग गयी और मुझसे दूर होने लगी पर मैं फिर से दीदी को पकड़ता और चोदता रहता। पूरी बस में फच फच की आवाज़ आने लगी।
दीदी को पता चल गया कि अब मैं रुकने वाला नहीं हूँ तो खुद ही अपने हाथों से आवाज रोकने के लिए अपना मुंह बंद कर लिया। पर दीदी ने मुझे रुकने के लिए नहीं बोला इसका मतलब दीदी भी मजे ले रही थी।

हमारी चुदाई की इतनी स्पीड थी कि पूरी बस हिलने लग गयी थी।

करीब 25 मिनट तक चुदाई के बाद मैं दीदी की चूत में झड़ गया और इतना तक गया था कि मैं दीदी के ऊपर ही लेट गया। हम दोनों पसीने से नहा गये थे।

मै दीदी के ऊपर ही लेट गया था तो दीदी को साँस लेने में तकलीफ होने लगी और तो और मेरा लण्ड भी अभी तक दीदी की चूत में ही था। तो मैंने सोचा दीदी कहीं मर ही न जाये। इसलिए मैंने दीदी को उठाया और खुद नीचे लेट गया और दीदी को अपने ऊपर लिटा दिया। नीचे लेट कर मैंने महसूस किया कि बस का फर्श बहुत चुभने वाला था और इतनी देर तक दीदी ऐसे फर्श में लेटी रही। पर मैंने उस टाइम कुछ नहीं कहा।

दीदी मेरे ऊपर ही लेटी थी तो थोड़ी देर में मैं दीदी के स्पर्श से फिर से उत्तेजित हो गया और दीदी को कहा कि खड़े हो कर मेरे लण्ड पर बैठ जाये।
दीदी इतनी थक चुकी थी पर दीदी भी चुदाई चाहती थी तो वो उठी और मेरे लण्ड को सीधा किया और उस पर धीरे धीरे बैठ गयी और ऊपर पीछे बैठने उठने लगी।
15 मिनट तक हमने ऐसे ही चुदाई की।

उस रात मैंने दीदी की कुल तीन बार चूत मारी और एक बार गांड चोदी। ये सब हमने सुबह 4 बजे तक किया।

उसके बाद बाहर चहल-पहल बढ़ने लगी तो हमने सोचा अब यहाँ से चले जाना ठीक रहेगा। तो मैंने कपड़े पहनने के लिए फ़ोन की लाइट जलाई तो मैंने देखा कि मैंने दीदी के क्या हाल कर दिए हैं।
दीदी ने स्तनों को मैंने लाल कर दिया है और उनमें कई खरोचें भी लगा दी हैं और दीदी की चूत से भी खून निकल गया था। पीछे पीठ और चूतड़ भी लाल हो गए थे। पर दीदी के स्तनों के कुछ ज्यादा ही हाल खराब थे।

मैंने दीदी से कहा- दीदी! मुझे माफ़ करना, मैंने आपको पूरा लहूलुहान कर दिया है। आपके स्तनों के तो बहुत बुरे हाल कर दिए हैं मैंने।
दीदी- हाँ, बुरे हाल तो कर दिए हैं। इतना दर्द मैंने आज तक नहीं सहा था। पर इतना मज़ा भी आज तक कभी नहीं आया।

मैं- पर दीदी मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि मैंने आपके साथ इतना बुरा किया।
दीदी- अरे, तू इतना डर क्यूँ रहा है। मैंने तो तुझे कुछ बोला ही नहीं। मुझे पता है कि जब लड़के पागल होते हैं तो वे ऐसा ही करते हैं। मैं पहले भी ये सब सह चुकी हूं।

यह सुन कर दिल को सुकून मिला कि दीदी मुझसे नाराज़ नहीं है। तो मैंने बैग से बोतल निकली और अपना लण्ड और दीदी की चूत और गाण्ड पानी से साफ़ की। उसके बाद कपड़े पहन कर और बाद वग़ैरा ठीक कर के सावधानी से वहां से निकल कर 5 बजे घर चले गए।

घर की एक चाबी हमारे पास थी तो हमने चुपके से दरवाज़ा खोला और अंदर आ गए।
अंदर गये तो पापा मम्मी जाग गये थे।

मैं तो डर गया था कि कहीं उन्हें कुछ पता न चल जाये। पर युविका दीदी ने सारी बात संभाल ली। वो एकदम शान्त थी और खुश लग रही थी। उस समय उसे देख कर लग ही नहीं रहा था कि अभी थोड़ी देर पहले उसकी इतनी चुदाई हुई थी।

दीदी का हँसता खेलता चेहरा देख कर पापा ने हमसे कोई पूछताछ नहीं की और हम दोनों अपने अपने कमरे में चले गए।

अंदर बिस्तर पर लेट कर मैंने सोचा कि आज मुझे वो सुख मिल गया है जो सब के नसीब में नहीं होता।

उसके बाद दीदी का मैसेज आया जिसमें लिखा था- ऐसे व्यवहार करना कि हमारे बीच कुछ हुआ ही नहीं हो। जिससे हम पर शक न हो। तभी हम आगे भी ये सब कर पाएंगे।

तो मैंने ऐसा ही किया। अगले कुछ दिनों तक हमने माहौल को करने के लिए कुछ नहीं किया पर रात तो वीडियो कॉल कर के मज़े लेते थे।

दोस्तो, तो कैसी लगी मेरी सगी दीदी की चुदाई कहानी? मुझे जरूर बताना मेल करके और कमेंट भी जरूर करें।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
कुछ दिनों तक हमने माहौल को शांत करने के लिए पहले की तरह रहना शुरू कर दिया। पर एक बार दीदी की चुदाई करने के बाद अब मैं फिर से दीदी को चोदना चाहता था। इसलिए मैं रात को दीदी को वीडियो कॉल करता था और हम दोनों नंगे हो कर एक दूसरे को देखते थे और हस्तमैथुन करते थे।

सुबह हम दिनों कॉलेज के लिए निकल जाते थे। दरअसल हम दोनों अलग अलग कॉलेज में पढ़ते थे, इसलिए हम इकट्ठे नहीं जा पाते थे।

अब बहुत दिन बीत गए थे, मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने दीदी को कहा- दीदी, अब मुझ से रहा नहीं जा रहा है। मेरा लण्ड आपकी चूत में जाने के लिए बहुत तरस रहा है।

दीदी ने कहा- मैं भी उतनी ही उतावली हुई जा रही हूँ। एक काम करते हैं कि कल फिर से पुराने वाले प्लान के हिसाब से फिर से कॉलेज बस में जाते हैं।
तो मैं मान गया और खुश हो गया।

घर में हम दोनों एक दूसरे को अब छूते भी नहीं थे ताकि कोई शक न हो जाये। तो हम प्लान के मुताबिक हम दोनों घर से चले गए और रात को बस में आ गए।
दीदी ने उस दिन लाल रंग का टॉप और पैंट पहन रखी थी जो इतनी टाइट थी कि दीदी की चूत के साथ एकदम सट कर लगी हुई थी।

मैं दीदी को चोदने के लिए मरा जा रहा था तो मैंने झट से दीदी को अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी गोदी पर उठा लिया और दीदी को ज़ोर से चुम्बन किया। दीदी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

मैंने चुम्बन करते हुए ही दीदी नीचे रखा और उनकी पैंट खोलने लगा। जैसे ही मैंने दीदी की पैंट खोली तो मैंने देखा कि दीदी ने अंदर कुछ नहीं पहना था।
दीदी से मैंने पूछा- आपने पैंटी क्यूं नहीं पहनी है?
तो दीदी ने कहा- मैंने अंदर पैंटी-ब्रा कुछ नहीं पहना है क्यूंकि मैं एक भी पल व्यर्थ नहीं जाने दे सकती।

यह सुन कर मैं बहुत खुश हो गया और दीदी के सारे कपड़े जल्दी से उतार दिए।

मैं दीदी को किस किये जा रहा था. एक हाथ से उनके चुच्चे मसल रहा था और एक हाथ से उनकी साफ़ चिकनी चूत से खेल रहा था।
थोड़ी ही देर में दोनों गर्म हो गए।

अब मैंने अपनी पैंट खोली और दीदी को नीचे झुक कर मेरा लण्ड चूसने को कहा। तो दीदी जल्दी से झुक गयी और मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ा और पहले अपनी जीभ को मेरे लण्ड के टोपे हिलाया और बाद में पूरा लण्ड मुंह में डाल दिया।

दीदी मेरे लण्ड को ऐसे ही चूसती जा रही थी। हम दोनों इसमें मादहोश हो गए थे। हमें इसके अलावा कुछ पता नहीं चल रहा था। मेरी और दीदी की आँखें बंद हो गयी थी।

तभी मुझे मेरी आँखों पर रोशनी महसूस हुई।
मैंने आँखें खोली तो देखा कि कोई बस के दरवाज़े के पास खड़े हो कर हम पर टॉर्च की रोशनी कर के हमें देख रहा है। पर दीदी को अभी भी कुछ पता नहीं चला था। तो मैंने दीदी के मुँह से अपना लण्ड निकाला और अपनी पैंट नीचे से उठते हुए दीदी को बोला कि दीदी कोई हमें बाहर से देख रहा है।

तो दीदी ने भी जब बाहर देखा तो वो डर गई। दीदी एकदम नंगी ही थी तो वो उठ कर जल्दी से पीछे चली गयी जहाँ उसके कपड़े पड़े थे। मैं भी अपनी पैंट पहनने लगा।
उतने में वो आदमी अंदर आ गया.
मैंने सोचा पता नहीं कौन है और अब हमारा पता नहीं क्या होगा।

उसने टॉर्च मेरी आँखों में मार रखी थी इसलिए वो मुझे दिखाई नहीं दे रहा था।

तभी वो मेरे पास आया और बोला- तुम दोनों तो ठाकुर साहब के बच्चे हो न?
उसकी आवाज़ सुन कर मुझे पता चल गया कि ये इसी बस के ड्राईवर दास अंकल हैं।
मैं डर गया था इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा और अपना सर नीचे कर लिया।

दास अंकल ने कहा- तुम दोनों ये क्या कर रहे थे। मुझे तो यकीन नहीं होता। एक तो तुम दोनों भाई-बहन हो और ऊपर से इस तरह तुम मेरी बस में आ के ये सब गन्दी हरकतें कर रहे हो।
मैंने डर के मारे उनसे कहा- दास अंकल! हमें माफ़ कर दो। आप प्लीज पापा को कुछ मत बताना। नहीं तो वो हम दोनों को मार देंगे।

तभी दास अंकल ने युविका दीदी पर टॉर्च मारी। दीदी अभी भी नंगी ही थी। अँधेरे की वजह से उसे कपड़े मिल नहीं रहे थे। टॉर्च की वज़ह से दीदी का पूरा नंगा शारीर दिख रहा था। थोड़ी देर के लिए अंकल भी दीदी को देखते रह गए। अंकल भी दीदी का सेक्सी फिगर देख कर मुग्ध हो गए थे।

इस बात का दीदी और मुझे पता चल गया। तो दीदी नंगी ही उठ कर वहां से आई और दास अंकल के पास आ कर खड़ी हो गयी।

Nangi Didi

दीदी ने अंकल का दायाँ हाथ पकड़ा और उनके हाथ को अपनी छाती के पास ले आयी और रोने का नाटक करते हुए बोली- अंकल प्लीज! हमें माफ़ कर दीजिए। इसमें हमारी भी क्या गलती है। हम दोनों जवान हैं और जवानी की प्यास बुझाने के लिए हमने ये सब किया।
ये सब करते हुए दीदी जानबूझ कर अंकल का हाथ अपने चुच्चों से स्पर्श करवा रही थी।

दास अंकल का मन भी अब डोलने लगा था।
तो दास अंकल बोले- ठीक है कि ज़वानी में ये सब होता है, पर तुम दोनों तो भाई बहन हो। अगर तुम्हारे पापा को पता चल गया तो और लोगों को पता लग गया तो? इससे कितनी बदनामी होगी तुम्हें पता भी है?

तो दीदी बोली- अंकल! अगर हम बाहर किसी और से ये सब करते तो वो इस बात को फैला भी सकते थे। जिससे हमारी बदनामी ज़्यादा होती। इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सम्बन्ध बना लिए ताकि बात हम दोनों के बीच में ही रहे।

अंकल भले ही समझदार थे पर युविका दीदी के ज्यादा चालाक कोई नहीं हो सकता था। दीदी ने ऐसी कई बातें करके उनको अपनी बातों में फंसा दिया।
तभी दीदी ने कहा- अंकल, प्लीज आप किसी को कुछ मत बताना। बदले में आप जो कहेंगे वो मैं करूँगी।

यह सुनकर अंकल थोड़े उत्तेजित हो गए जो उनके चेहरे में साफ़ दिख रही थी।

तो दीदी ने फिर बोला- हाँ दास अंकल, आप जो बोलो वो मैं करूँगी चाहे वो कुछ भी हो।
यह सुनकर पहले मुझे भी हैरानी हुई कि दीदी ये क्या बोल रही हैं। पर बाद में समझ आया कि दीदी इसमें भी अपना ही फ़ायदा ढूंढ रही है तो मैं चुपचाप सब सुनता रहा।

दास अंकल भी थोड़ी देर सोच में डूबे रहे और बाद में उन्होंने हिम्मत कर के बोला- देखो बेटी, तुम लोग ये सब जो कर रहे हो ये सब मैं तुम्हारे पापा को बता सकता हूँ। पर तुम तो अपने ही बच्चे हो इसलिए मैं उन्हें कुछ नहीं बताऊंगा। पर बदले में जैसा तुमने कहा मैं तुमसे कुछ चाहता हूँ।

दीदी को तो पता था कि अंकल क्या बोलेंगे पर फिर भी दीदी ने कहा- हाँ अंकल! बताइये आप क्या चाहते हैं। मैं सब कुछ दूंगी।

तो अंकल बोले- देखो बेटी! हर आदमी की ऐसी जरूरतें होती हैं। तुम लोगों की भी थी, इसलिए तुम ये सब कर रहे थे। तो ऐसी ही ज़रूरतें मेरी भी हैं। मैं लगभग पूरे साल घर नहीं जाता। जब कॉलेज की छुट्टियां पड़ती हैं तभी ही जा पाता हूँ और जब घर जाता हूँ, तो घर के काम में इतना व्यस्त होता हूँ कि मैं अपनी बीवी के साथ सम्भोग कम ही कर पाता हूँ। तो मेरी वो इच्छा पूरी नहीं होती है।

दीदी ने अनजान बन कर पूछा- तो आप क्या चाहते हैं अंकल?
दास अंकल ने कहा- तो मैं चाहता हूँ कि मेरी ये इच्छा तुम पूरी करो।

दीदी को मन में ये सुनकर बहुत ख़ुशी हुई पर दीदी ने अपना मायूस चहरा बना लिया और थोड़ी देर तक सोचते हुए कहा- ठीक है अंकल। अगर आप यही चाहते हैं तो मैं ये सब लूंगी। तुम क्या कहते तो निखिल?

तो मैं भी थोड़ा सा नाटक करते हुए बोला- दीदी इससे हमारी जान बच जायेगी। तो मेरे ख्याल से आप ये कर लो।
दीदी ने कहा- ठीक है तुम भी यही कहते हो तो मैं ये कर लेती हूं।

फिर दीदी ने दास अंकल से कहा- ठीक है अंकल मैं तैयार हूँ। आप मेरे साथ जो करना चाहते हो, कर सकते हो।

ये सुन कर दास अंकल ख़ुश हो गए और कहा- ठीक है पर मैं इस बस में नहीं कर सकता। तुम मेरे कमरे में चलो, वो ज़्यादा सुरक्षित रहेगा।
अंकल ने हमसे कहा- बेटी, तुम मेरे साथ चलो। हम इन पेड़ों के पीछे से कमरे तक जायेंगे और बेटा तुम इसके कपड़े और बाकी का सामान ले कर आ जाओ।

फिर अंकल दीदी को नंगी ही वहां से ले गये और मैं भी पीछे से सामान लिए आ गया। दीदी को नंगी चलते हुए देख कर मेरा मन दीदी को चोदने का कर रहा था पर मैंने कण्ट्रोल कर लिया।
अब हम ड्राईवर अंकल के कमरे में पहुँच गये थे।

उसका कमरा 10′ x 10′ का था। उसमें ज्यादा सामान नहीं था। एक बेड, 3 सन्दूक, एक गैस, खाना बनाने का सामान और कुछ और चीज़ें।

अब अंकल ने मुझे कहा- बेटा तुम कहीं जगह ढूंढ कर बैठ जाओ.
और दीदी को उन्होंने बिस्तर पर लिटा दिया।
मैं जाकर सामने से एक बोरी ले कर उसके ऊपर बैठ गया।

उन्होंने कुछ देर दीदी ने नंगे बदन को निहारा और बोला- तुम्हें देख के मुझे अपनी बेटी की याद आ गयी। वो तुम्हारे जितनी गोरी और खूबसूरत तो नहीं है पर उसके चुच्चे और चूतड़ बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं और वो है भी तुम्हारी ही उम्र की।

तो मैंने पूछा- अंकल, आपको कैसे पता कि आपकी बेटी के अंग इतने बड़े बड़े हैं?
अंकल- बेटा, मैंने एक बार उसको नहाते हुए देख लिया था। उस रात मेरे मन में अपनी ही बेटी को चोदने के सपने आने लगे थे।

कहानी जारी रहेगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
अब आगे
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#7
ड्राईवर अंकल ने कुछ देर दीदी ने नंगे बदन को निहारा और बोला- तुम्हें देख के मुझे अपनी बेटी की याद आ गयी। वो तुम्हारे जितनी गोरी और खूबसूरत तो नहीं है पर उसके चुच्चे और चूतड़ बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं और वो है भी तुम्हारी ही उम्र की।
तो मैंने पूछा- अंकल, आपको कैसे पता कि आपकी बेटी के अंग इतने बड़े बड़े हैं?
अंकल- बेटा, मैंने एक बार उसको नहाते हुए देख लिया था। उस रात मेरे मन में अपनी ही बेटी को चोदने के सपने आने लगे थे। पर वो मेरी बेटी है इसलिए मैंने वो ख़्याल मन से निकाल दिया था।

इतना कह कर अंकल ने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिए। अंकल की हाइट किसी सामान्य पुरुष जितनी थी पर गाँव का होने की वजह से उनका शरीर गठीला था। इतना गठीला शरीर मैं एक साल जिम में लगा कर बनाया था।
उन्होंने अपने कपड़े खोल दिए। उनकी छाती बहुत चौड़ी और रंग काला था। नीचे तो मैं देख कर ही डर गया। उनका लण्ड के दम किसी अफ्रीकन मर्द की तरह काला और 10 इंच बड़ा था।
तभी मैंने दीदी का मुँह देखा तो दीदी भी अंकल का लण्ड देख कर डर गई थी।
पर दीदी ने लंबी सांस ली और खुद को इसके लिए तैयार किया।

अब अंकल बिस्तर पर चढ़े और दीदी के ऊपर लेट गए और दीदी को किस करने लगे। जैसे ही अंकल दीदी के ऊपर लेटे तो दीदी का शरीर अंकल के शरीर ने पूरी तरह ढक लिया। दीदी अंकल के सामने किसी छोटी लड़की की तरह लग रही थी।
अंकल दीदी को किस किये जा रहे थे और दीदी भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
अब अंकल उठे और दीदी से कहा- बेटी, पहले तुम मेरा लण्ड चूसो, बाद में मैं तुम्हें मज़े दूंगा।
इतना कह कर अंकल दीदी के ऊपर से उठे और बिस्तर से उतर कर दीदी के मुंह के पास अपना बड़ा सा लोड़ा दे कर खड़े हो गए।

दीदी भी उठी और उन्होंने अंकल का लोड़ा अपने हाथों से पकड़ा और आगे पीछे करने लगी। ऐसा करते ही दास अंकल का लोड़ा पूरा तन गया और दीदी उसे आगे पीछे किये जा रही थी। 
अब दीदी ने अंकल के लौड़े को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी। अंकल मज़े से आहें भर रहे थे। दीदी के अपनी जीभ से अंकल के लौड़े के टोपे पर हरकतें करनी शुरू कर दी जिससे अंकल बहुत उत्तेजित हो गए और उन्होंने दीदी के सर को पकड़ कर अपना लण्ड दीदी के मुंह में पूरे ज़ोर से डाल दिया और दीदी के मुंह को चोदने लगे।
दास अंकल का लण्ड इतना बड़ा था कि वो दीदी के मुंह में पूरा जा ही नहीं रहा था पर दीदी जितना हो सके उतना अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।
करीब 15 मिनट तक अंकल ने दीदी के मुंह को चोदा और दीदी के मुंह में ही सारा वीर्य डाल दिया। अंकल ने तब तक अपना लण्ड दीदी के मुंह से नहीं निकाला जब तक दीदी ने सारा वीर्य पी नहीं लिया। तो दीदी को सारा वीर्य पीना पड़ा। पर दीदी चाहती भी यही थी। आखिरकार इससे दीदी की ख़ूबसूरती और बढ़नी थी। 
अब अंकल फिर दीदी के ऊपर लेट गए और उनको चूमने लगे। उन दोनों के बदन एक दूसरे से लगे हुए थे। अब अंकल ने दीदी के होंठों को छोड़ा और दीदी के चुच्चों पर आ गए और उनको चूसने लगे।
अंकल ने इतना बड़ा मुंह खोला कि दीदी का पूरा स्तन अंकल के मुँह में आ गया। अंकल किसी मंझे हुए खिलाड़ी की तरह लग रहे थे। वो दीदी के स्तनों को ऐसे चूस रहे थे कि दीदी की उत्तेजना बहुत बढ़ रही थी।

10 मिनट तक दीदी के स्तनों का पान करने के बाद अंकल रुक गए और दीदी की चूत की तरफ देखा।
दीदी की चूत गीली ही गयी थी और उत्तेजना से दीदी खुद ही अपनी चूत को रगड़ रही थी।

तो दास अंकल ने दीदी का हाथ उनकी चूत से हटाया और उस हाथ को अच्छे तरीके से चाटा। अब अंकल दीदी की चूत की तरफ़ चले गए। पहले अंकल ने दीदी की साफ़ और चिकनी चूत को सूंघा।
अंकल ने कहा- बेटी, तुम्हारी चूत जैसी चिकनी, खूबसूरत और सुगन्धित चूत मैंने आज तक नहीं देखी। ऐसी चूत को पाने के लिए कोई मर्द कुछ भी कर सकता है।
इतना कह कर अंकल ने एक बार फिर से दीदी की गीली चूत को सूंघा और बड़ा सा मुंह खोल कर दीदी की चूत को अपने मुंह में ले लिया और चूत के सारे पानी को पी लिया।

ऐसा करते ही दीदी बहुत उत्तेजित हो गयी और उसने दास अंकल का सर अपने हाथों से पकड़ लिया। अब अंकल ने अपनी जीभ दीदी की चूत में डाल दी और उसे आगे पीछे और अंदर बाहर करने लगे। अंकल के मुंह में आते ही पता नहीं कितनों का लण्ड लेने वाला भोसड़ा अब नई नवेली और छोटी सी चूत लग रही थी। 
अंकल दीदी की चूत को चाटते जा रहे थे और एक हाथ से दीदी की चूत के दाने को भी दबा रहे थे और एक हाथ से दीदी के स्तनों के निप्पल्स भी दबा रहे थे। ऐसा करने से दीदी बहुत उत्तेजित हो गयी थी और अंकल के बालों को ज़ोर ज़ोर से खींच रही थी। दीदी ज्यादा आवाज़ नहीं करना चाहती थी पर फिर भी उनके मुंह से आह … उहह … अईईई … हयेआ आआआ … जैसी आवाजें निकल रही थी।
दीदी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। अब दीदी अंकल का लोड़ा अपनी चूत में लेने को तैयार थी। अब अंकल का लण्ड भी फिर से सलामी दे रहा था। वो भी अब मेरी दीदी की गुफ़ा रूपी चूत में घूमने को तैयार था।
तो अंकल ने ज़्यादा देर नहीं की और अपने लौड़े को पकड़ कर दीदी की चूत में रगड़ने लगे ताकि दीदी और पागल हो गए।

[Image: uncle-didi-chudai-225x300.jpg]Uncle Aur Didi Ki Chudai
हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही।
दीदी- आह … अंकल! प्लीज! अब ज्यादा मत सताओ मुझे। अब मुझ से रहा नहीं जा रहा है। जल्दी से अब मुझे चोदना शुरू कर दो। अपने लण्ड को मुझमें डाल दो।

यह सुनकर अंकल ने भी देर नहीं की और अपना लण्ड दीदी की चूत के छेद पर सटाया और एक ज़ोरदार झटका मार दिया, जिससे आधा लण्ड दीदी की चूत में चला गया। पर उससे इतना दर्द हुआ कि दीदी की ज़ोर से चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
जितने में दीदी कुछ कर पाती उतने में अंकल ने एक और झटका मार दिया और 10 इंच का सारा लण्ड दीदी की चूत में चला गया।

दर्द के मारे दीदी बिस्तर पर ऊपर उठ गयी और ज़ोर से चिल्लाने लगी और रोते हुए बोली- हये … मैं तो मर गयी … पागल हो गए हो क्या … तुम तो मुझे मार ही डालोगे।
यह सब देख कर तो मैं भी डर गया था पर मुझे पता था दीदी ने इतने लौड़े अपनी चूत में लिए हैं, तो इसे भी संभाल ही लेंगी।

फिर अंकल ने दीदी को फिर लिटाया और दीदी का मुंह अपने हाथों से बंद किया और कुछ देर तक अपना लण्ड दीदी की चूत में ही रखा।
जब दीदी का दर्द कम हो गया तो अंकल ने दीदी के मुंह से अपना हाथ हटा दिया और कहा- बेटी, इसके लिए मुझे माफ़ करना। पर धीरे धीरे दर्द सहने से अच्छा है कि एक ही बार से सारा दर्द सह लो। इसलिए मैंने ऐसा किया।
दीदी- कोई बात नहीं अंकल, मैं समझती हूँ, आपने जो भी किया ठीक किया।

यह सुन कर अंकल खुश हो गए और मुझे बोले- बेटा, अब मैं तुम्हारी बहन को चोदने वाला हूँ। कुछ देर में हम दोनों इसमें मदहोश हो जायेंगे। तो तुम्हारी बहन की चीखें कंट्रील नहीं हो पाएंगी। तो तुम किसी तरह इसका मुंह बंद रखना।
तो मुझे एक उपाय सूझा और बोला- अंकल ठीक है, मैं दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाल दूंगा और दीदी के मुंह को चोदूंगा। क्यूंकि इतने दिनों बाद दीदी को चोदने का मौका मिला था पर आप आ गए। पर इससे हम सबका काम हो जायेगा।

अंकल ने कह दिया- ठीक है.
और दीदी ने भी हामी भर दी।
तो मैंने भी अपने कपड़े खोले और जा के बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी मेरा लण्ड पकड़ के चूसने लगी।

अंकल का लण्ड अभी भी दीदी की चूत में ही गड़ा हुआ था। अब अंकल ने धीरे धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया और धीरे धीरे तेज़ी बढ़ाने लगे। दीदी दर्द के मारे मेरे लण्ड को ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी और कभी कभी दांत भी मार देती, पर मैंने कुछ नहीं कहा क्यूंकि मुझे भी मजा आ रहा था।

अब अंकल की स्पीड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी। अंकल अपना पूरा लण्ड बाहर निकलते और पूरी ज़ोर से अंदर धक्का मारते। इस कारण से पूरे कमरे में बिस्तर के हिलने की चूं-चूं और उनकी चुदाई की पट-पट की आवाज़ ज़ोरों से घूम रही थी। अंकल एकदम पागल हो गए थे इस वजह से वो पुरे ज़ोर से दीदी को चोद रहे थे।
दर्द के मारे दीदी ने मेरे लण्ड से हाथ हटा दिए और अपनी चूत के पास ले जा कर उस पर उंगली घुमाने लगी। कभी अंकल के लण्ड के प्रभाव को कम करने के लिए उनको रोकने की कोशिश करती। 
पर अब अंकल कहाँ रुकने वाले थे। दास अंकल ने इतने समय से चुदाई नहीं की थी। जिसकी कसर वो आज दीदी पर उतार रहे थे।
इतनी भयंकर चुदाई से दीदी अपनी सुध-बुध खो बैठी और किसी नशे में धुत लड़की की तरह हो गयी और मेरे लण्ड को चूसना बन्द कर दिया। इसलिए मैं भी वहां से उठ गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा।
दास अंकल पूरा ज़ोर लगा रहे थे। वो दोनों एक दम जानवारों जैसी आवाजें निकाल रहे थे। 
दीदी इतनी आवाज़ नहीं कर रही थी तो मुझे उनका मुंह बंद करने की जरूरत नहीं पड़ी। अंकल ने अब दीदी की कमर पकड़ के थोड़ा ऊपर किया और ज़ोर ज़ोर से दीदी की चूत में लण्ड डाल कर वहाँ पटाकों की आवाजें करने लगे। दीदी की चूत एकदम लाल हो चुकी थी। दोनों के शरीर पसीने से एक दम नहा गये थे।
अंकल की चुदाई से दीदी और बिस्तर इस तरह हिल रहे थे कि लग रहा था कभी भी टूट जायेंगे। दीदी इस दौरान 1-2 बार झड़ चुकी थी पर अभी अंकल नहीं झड़े थे। वो अभी भी उसी रफ़्तार से दीदी को चोद रहे थे। दीदी तो एकदम नशे में धुत्त हो गयी थी और बस बिना रुके चुदवाये जा रही थी। मुझे तो इस बात का डर था कि कहीं कोई ये आवाजें सुन न ले। पर किसी को कुछ पता नहीं चला।
करीब 30 मिनट तक बिना रुके अंकल
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#8
करीब 30 मिनट तक बिना रुके अंकल ने दीदी की ये जबरदस्त चुदाई की और सारा वीर्य दीदी की चूत में डाल दिया और फिर अंकल बिस्तर से नीचे आ गए और कुछ देर तक वहीं लेटे रहे। हम तीनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे बैठे थे पर कोई किसी पर अब ध्यान नहीं दे रहा था।
कुछ देर बाद अंकल उठे और मुझसे कहा- अपनी दीदी को पानी पिला।
मैंने सामने से पानी लिया और दीदी को उठाया और पानी पिलाया।

उतने में अंकल ने एक तौलिया लेकर अपने शरीर से पसीना साफ़ किया और एक कपड़ा मुझे दिया ताकि मैं दीदी के शरीर को साफ़ कर सकूँ।
पर दीदी अब ठीक लग रही थी तो दीदी खुद उठी और अपना शरीर साफ़ करने लगी और मैं भी दीदी की मदद कर रहा था। 

दीदी को साफ़ करते करते मेरा लण्ड खड़ा हो गया और ये दीदी ने देख लिया तो दीदी ने कहा- इसे अभी शांत ही रख। अभी मेरी फिर से कुछ करने की हालत नहीं है। थोड़ी देर बाद देखते हैं।
यह सुन कर मैं खुश गया वर्ना मुझे तो लगा था कि मुझे आज ऐसे ही घर जाना पड़ेगा।

तभी दीदी फिर लेट गयी और बोली- ऐसी चुदाई मैंने बहुत टाइम बाद की। बहुत मज़ा आ गया।
तो अंकल हैरान हो कर बोले- बहुत टाइम बाद … मतलब? क्या तुम पहले भी किसी से ऐसे चुद चुकी हो?
तब हमने दास अंकल को सारी बात बता दी कि कैसे दीदी आज तक बहुत लोगों से चुद चुकी है। 

ये सब अंकल भी हैरान हो गए और बोले- तू तो एक नंबर की रंडी निकली। पर मुझे लगा ही था क्योंकि मेरी इतनी भयंकर चुदाई के बाद भी तू खड़ी हो गयी और तो और बातें भी कर रही है।
ये सुन कर सब हंसने लगे। 

तब दीदी ने कहा- पर सच में दास अंकल, अगर आप ने बस में हमें न पकड़ा होता तो इतनी अच्छी चुदाई का अनुभव मुझे नहीं मिलता और मुझे इस निखिल से ही काम चलाना पड़ता।
ये सुन कर वो दोनों हंसने लगे।
पहले मुझे भी बुरा लगा पर बाद में मैं भी हंसने लगा।

दास अंकल- अब तुम लोगों को उस बस में जाने की ज़रूरत नहीं है। अब आगे से तुम लोग सीधे मेरे अड्डे पर आ जाना और यहीं अपना काम किया करना और हो सके तो मुझे भी मौका दे दिया करना।
दीदी- अरे दास अंकल, कैसी बातें कर रहे हो। आपसे चुदने के लिए तो मैं कभी भी तैयार हूँ। आगे से हम यहीं आया करेंगे।

उसके बाद करीब एक घण्टे तक हमने ऐसे ही बातें की। अब सब फिर से चार्ज हो गए थे। मेरा दीदी की चूत चोदने का बड़ी देर से मन कर रहा था इसलिए मैंने दीदी को पहले चोदा। बाद में अंकल फिर दीदी को वैसे ही चोदा।
अब अंकल थक गए थे तो वो नीचे बिस्तर बिछा कर सो गए और हमसे कहा कि हम दोनों भाई बहन उसी बिस्तर पर सो जाएं। 

हालांकि दीदी भी बहुत थक गयी थी इसलिए दीदी सोना चाहती थी पर अब 5 बजने को सिर्फ 2 घण्टे बाकी थे और मेरा मन अभी भी भरा नहीं था। इसलिए मैंने दीदी को फिर से चोदा। इन 2 घंटों में मैंने दीदी को 3 बार चोदा। उनको मैंने सोने नहीं दिया। दीदी ने भी मना नहीं किया और मज़े लेती रही।
उसके बाद हम उठे और कपड़े पहन के अपना हुलिया थोड़ा ठीक किया। अब हम वहां से जाने के लिए तैयार थे, तो अंकल भी उठ गए।
अंकल- तुम लोगों ने मेरी रात सुहानी बना दी, इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया। अगली बार जल्दी ही आना।

हम वहां से चुपके से चले गए और घर पहुँच गये। पापा हमारे आते ही उठ गए, पर उतने में दीदी जल्दी से अपने कमरे में चली गयी। दीदी इतनी जल्दी इसलिए चली गयी क्यूंकि उनकी शक्ल इतनी भयानक चुदाई से खराब हो गयी थी इसलिए दीदी नहाने चली गयी।
उसके बाद मैं भी अपने कमरे में गया और तैयार हो के कॉलेज चले गए। 
इसके बाद जब भी हमे मौका मिलता तो हम दास अंकल के कमरे में चले जाते और वहां चुदाई के मज़े लेते। जब कभी मम्मी पापा घर पर नहीं होते तो हमारे भाग ही खुल जाते। तब तो पूरे घर में अपना ही राज़ होता था। तब तो कभी मैं दीदी को रसोई में चोदता तो कभी हॉल में, तो कभी बाथरूम में नहाते हुए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
गयी।

[Image: nangi-didi-300x237.jpg]Nangi Didi
दीदी ने अंकल का दायाँ हाथ पकड़ा
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#10
इससे बहुत दर्द हुआ।
[Image: didi-ki-chut-300x266.jpg]Didi Ki Chut Chudai
दीदी
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
मुझसे ज्यादा तो दीदी उत्तेजित हो गयी थी। दीदी झट से अपने घुटनों पर बैठ गयी और मेरी पैंट खोल दी और अंदर से मेरा लण्ड निकाल दिया। दीदी के हाथ का स्पर्श लगते ही मेरा छोटा सा लण्ड 7 इंच का लौड़ा बन गया।
दीदी उसको देख कर खुश हो गयी और मुस्कुराते हुए मेरा लौड़ा हिलाने लगी और थोड़ी हो देर में मुंह में भी डाल दिया।
[Image: didi-ki-chudai-300x258.jpg]Didi Ki Chudai
दीदी मुंह की गर्मी और जीभ के मेरे लण्ड के टोपे पर किये जाने वाले खेलों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने दीदी को बालों से पकड़ कर उसको अपनी ओर धक्का देना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड पूरा का पूरा दीदी के मुंह में चला गया।

10
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
Nice story
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#13
Yeh kahani bhai-behen ke pyaar ki misaal hai.
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