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Adultery Dream aunty ko thoka
#1
Hello guys... I'm new here...main yaha kuch stories post krna chahta hun specially mummy mausi aunties k upar...agr apko achi lge to comment jrke btaye...thank you।
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#2
Ye story ek single story hogi...start to end...so isme ek hi update hoga
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#3
Mera nam Krish h...ye story us time ki h jb main 16 saal ka tha...ab bdi batein krke ye nhi kehna chahuga ki 7 inch ka lund tha wgera wgera...bs itna khunga ki story ek real incident h to aap soche bhi real...us time 10th class me rha honga main tb ki baat h ye
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#4
मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं, उनका नाम उर्वशी था, सचमुच की उर्वशी थी। खूब भारी बाल, रंग सांवला, गालों पर लाली, गोल सुगढ़ पैर और पतली कमर!
मैं उन पर मरता था और हर वक्त उनसे बातें करने की फिराक में रहता था। वे भी खुल कर बातें करती थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। उनकी एक लड़की तीन साल की थी और बेटा अभी नौ महीने का हुआ था।
मैं रोज कुछ न कुछ नई तरकीब करता उन्हें पटाने की लेकिन तभी उन्होंने मकान बदल लिया। दरअसल उनके पति का आफिस यहां से काफी दूर था। यह उनका अपना मकान था, पर उन्होंने दूसरा मकान किराए पर लेकर वहीं रहने का फैसला किया और मेरे अरमानों पर पानी फिर गया।
इस बात को चार-पांच दिन हो गए थे।

पड़ोस में मेरी ज्यादा लोगों से नहीं बनती थी, लड़कियों से तो खास कर कम ही बात करता था इसलिए आंटी के जाने से कुढ़ता रहता और उनके नाम पर दिन में कई कई बार मुठ मारकर खुद को शांत करता।

एक दिन तो पड़ोस की एक और आंटी ने मुझे लगभग रंगे हाथ पकड़ ही लिया था।
हुआ यूं कि दोपहर के समय घर में कोई नहीं था, मैं पिछले कमरे की खिड़की के सामने खड़ा बरमूडा नीचे किए जोर जोर से हिला रहा था। मन में उर्वशी आंटी की नंगी जांघें और गोल मम्मे थे।
मैं ख्यालों में ही आंटी की चिकनी चूत में अपना मोटा औजार डाल कर घस्से पर धस्से लगाए जा रहा था।
मेरे मुंह से आवाजें निकल रही थीं “आह आंटी… और लो… आज फाड़ कर ही छोडूंगा… आहहहहह… आह आंटी… आहहहहह” और तभी मेरा जोर से छूटने लगा। मेरी आंखें आनन्द में बंद हो गई थीं।
अभी एक पिचकारी लगी ही थी कि किसी ने दरवाजे से आवाज लगाई। वे पड़ोस की आंटी थी और मम्मी को आवाज लगाते हुए अंदर आ रही थीं। मेरे पास बाथरूम में घुसने तक का टाइम नहीं था,
इसलिए परदे के पीछे सरक गया। डर के मारे मैंने बरमूडा ऊपर कर लिया जो मेरे लिसलिसे वीर्य से पूरा खराब हो गया। पर यह देखने का टाइम किसे था।

आंटी कभी इस कमरे में तो कभी उस कमरे में मम्मी को खोजती रहीं और घर में किसी के न होने से परेशान होती रही। एक बार वे मेरे परदे के सामने से निकली तो मैंने सांस रोक ली। किसी तरह राम राम करते वे गई तो मुझे सांस आई, उनके जाते ही सबसे पहले मैंने बरमूडा चेंज किया।

मैं अभी सदमे में ही था और बरमूडा धोने की फिराक में था कि तभी फिर दरवाजे से आवाज आई; यह आवाज तो मैं लाखों में पहचान सकता था, उर्वशी आंटी थीं। उन्होंने गोद में अपने बेटे को उठाया हुआ था और दरवाजा खोल कर अंदर आ रही थीं।
अब मेरे कपड़े ठीक थे, इसलिए बिना डर के खुशी खुशी बाहर निकल आया और उन्हें बैठाया। उन्होंने अपनेपन से पूछा- कैसे हो तुम? पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैंने कुछ उदास होकर कहा- आप क्यों चली गईं आंटी। वहां मकान क्या ज्यादा अच्छा है?
उन्होंने सो रहे बेटे को सोफे पर बैठाया और फर्श पर मेरे पास बैठते हुए बोलीं- तू क्यों उदास हो रहा है। वहां भी आ सकता है मेरे पास!

फिर उन्हें मम्मा का ध्यान आया तो मैंने बताया कि वे बाजार गई हैं शबनम आंटी के साथ; शाम तक आ जाएंगी।
आंटी ने बताया कि वहां का घर ज्यादा बड़ा नहीं है और अभी जान पहचान भी नहीं हुई है इसलिए यहां मिलने चली आईं। बेटी कॉलेज गई हुई है। उसके आने से पहले, वापस जाना है।
वे पंखे के नीचे फर्श पर पालथी मार कर बैठ गईं और पल्लू से हवा करने लगीं।
गर्मी थी भी काफी!

पर मेरी नजर तो गलत जगह ही पड़नी थीं। उनके मम्मे लो कट सफेद सूट में से काफी दिख रहे थे। वे बातें करती जातीं और मैं कनखियों से नजारा करता जाता।
तभी वे बोलीं- मुझे वाशरूम जाना है, जरा मिंकू का ख्याल रखना।
वे उठकर बाथरूम की तरफ चली ही थीं कि तभी मुझे बरमूडा ध्यान आया, मेरी तो फट गई, वह तो लिथड़ा पड़ा है; मेरा निकलता भी बहुत ज्यादा है; हे भगवान, वे क्या सोचेंगी।

उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया; मैं उल्लुओं की तरह बैठा देखता रहा। उन्हें बाहर निकलने में काफी समय लगा; या फिर मेरी फटी पड़ी थी कि मुझे उनका थोड़ा समय भी ज्यादा लगा।
पर आखिर वे बाहर आईं, वे आकर फिर मेरे सामने बैठ गईं। पर इस बार कुछ नहीं बोलीं, बस मुझे देखती रहीं।

मैं नजरें चुरा रहा था।
“ऐसे काम क्यों करते हो कि नजरें चुरानी पड़ें?”
मैंने शेर बनने की कोशिश की- मैंने क्या किया आंटी, और मैं क्यों नजरें चुराऊंगा?
मैं ढीट की तरह उनकी तरफ देख रहा था।
वे हंस पड़ीं- ठीक कहते हो। इस उम्र में तो सब यही करते रहते हैं। पर अगर तुम्हारी मम्मा बाथरूम में यह देख लेती तो? कम से कम धो तो देते।

अब मैं सचमुच शरमाया पर ढीट बना रहा।
वे बोलीं- अच्छा कालेज जाते हो, कोई गर्लर्फेंड नहीं बनी क्या?
मैंने मायूस होकर कहा- बात तो हाती है, पर आगे कुछ नहीं बोला जाता।
“और अब तो आप…” मैंने जीभ काट ली। मैं बोलने वाला था कि अब तो आप भी यहां से चली गईं हैं।
“मैं क्या…?”
“वो बस कुछ नहीं…” मैंने घबरा कर बेसिरपैर की बकवास की। पर इन बातों से मेरी तबियत फिर तर होने लगी थी। मैंने टांगें मोड़कर फन उठा रहे नाग को छिपाने की कोशिश की।
“बता ना? मैं क्या… नहीं बताएगा तो मैं अभी चली जाऊंगी।” उन्होंने धमकी दी।

मुझे झटका लगा, एकदम बोल पड़ा- मुझे आपके पास रहना अच्छा लगता है। आप यहीं आ जाओ वापस!
वे मुस्कुरा रही थीं, चुन्नी समेट कर सोफे पर रखी थी, उनके गुदगुदे सांवले दूध मेरी नजरों में घूम रहे थे।

मेरे होंठ सूख गए और मुझे होठों पर जरा सी जीभ फेरनी पड़ीं। मैंने गौर किया कि उनके सांवले गाल कुछ और गुलाबी हो गए थे। उन्होंने यूं ही थूक गटका और दरवाजे की तरफ देखा। अब जाकर मुझे समझ आया कि मेरे पास कितना अच्छा मौका है,
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#5
पूरे घर में कोई नहीं। और न ही किसी को पता कि उर्वशी आंटी यहां है।
शायद वे भी ये बात जानती हैं।

मैंने बहाने से कहा- बाहर का दरवाजा बंद कर दूं आंटी, कभी कुत्ता ना घुस आए।
उन्होंने बस सिर हिलाया।
मैं झट से बाहर धूप में निकल आया और तपते आंगन पर नंगे पैर ही दौड़ गया दरवाजा बंद करने। वापस आते आते तो मेरे औजार ने सारी बंदिशें मानने से साफ इन्कार कर दिया और बरमूडा
में से खूंटी की तरह बाहर निकल आया।

अंदर आया तो आंटी ने सोते मिंकू को गोद में ले लिया था और मेरे सामने ही फर्श पर एक करवट लेट कर शर्ट ऊपर कर उसके मुंह में दूध लगा दिया। मेरे सामने उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया था। मेरी तो कनपटियां गर्म हो गईं। उनके काले निप्पल मुझे उत्तेजित कर रहे थे और मैं लगातार उन्हें घूर रहा था; उनका मुलायम सपाट पेट और गोल गहरी नाभि मेरे सामने थी।
मैं कुछ नहीं बोल पा रहा था क्योंकि जानता था कि आवाज कांपती हुई निकलेगी। मेरा बरमूडा मेरा सारा राज खोल रहा था।

आंटी ने आंखें बंद करते हुए कहा- नए मकान में मन बिल्कुल नहीं लगता। तेरी मम्मा होती तो मिल लेती उनसे।
“पर मैं तो हूं आंटी!” उन्होंने आंखें खोल लीं और कनखियों से मेरे बरमूडा की ओर देखा।
“तू आज कुछ अलग लग रहा है। हुआ क्या है तुझे? बाथरूम में जो किया उससे मन नहीं भरा क्या?”

मैं चाहता था कि बस किसी भी तरह आंटी आज मान जाएं और मुझे जन्नत का मजा मिल जाए। मुझे लगा कि जरा सा आगे बढूं तो शायद वे मान जाएं। और अगर ना मानी तो? मम्मा को शिकायत लगा दी तो? मेरे मन ने कहा।
पर खुद पर बस कहां था; यह तो ऐसा कुंआ था जिसमें गिरना मेरी मजबूरी थी।
मैंने बेशर्मों की तरह लौड़े पर हाथ चलाया, पहले एक बार, फिर बरमूडा के ऊपर से ही कस कर पकड़ लिया। आंटी ने नजरें घुमा लीं। उन्होंने मिंकू को अलग किया और उसे पास ही सुला दिया। फिर बिना किसी जल्दी के सूट नीचे किया। मैं तब तक देखता रहा जब तक कि उनकी चूची वापस ब्रा में कैद नहीं हो गई।

मुझे लगा कि वे मुझे ललचा रही हैं।
मैंने चांस लिया कहा- आंटी आप थक गई होंगी। मैं कुछ हैल्प करूं?
उन्होंने फिर एक बार दरवाजे की तरफ देखा और पूछा- कैसे करोगे, बताओ?
मैंने जल्दी से कहा- आप कहें तो पांव दबा दूं या…
मैं रुक गया; मैं कहना चाहता था कि या फिर पूरी बॉडी भी दबा सकता हूं, अगर इजाजत हो तो।

उन्होंने कुछ नहीं कहा लेकिन सीधी होकर लेट गईं; उनका शर्ट पेट पर से अब भी ऊपर था; मैं उनके पैरों के पास आया और हल्के हाथों से पैर दबाने लगा; उन्होंने आंखें बंद कर लीं पर मेरा मकसद तो दूसरा था, मैं धीरे धीरे ऊपर बढ़ने लगा। घुटनों से जरा ऊपर उनकी मुलायम मगर सुडौल जांघों पर हाथ पड़ा तो मेरा लौड़ा पत्थर जैसे सख्त हो गया।
मन किया कि सलवार की सलवटों में से ही चूत सहला दूं। मैं कुछ और ऊपर हुआ तो उन्होंने एकदम मेरा हाथ पकड़ लिया।
लेकिन न तो मेरा हाथ हटाया और न कुछ बोलीं। बस हाथ पकड़े पकड़े लेटीं रहीं।

मैंने दूसरे हाथ से दूसरी जांघ सहला दी, उन्होंने कुछ नहीं कहा। मैंने चूत तक सहला दिया। उन्होंने तड़प कर मेरा हाथ झटका और दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गईं।

मेरा तो दिमाग खराब हो चुका था, मैं दोनों पैर उनके दोनों तरफ कर बैठ गया और उनकी पिंडलियां, उनके कूल्हे और कमर दबाने लगा। मेरी भारी गोलियां उनके पैरों पर लग रही थी, जिनके मुलायम स्पर्श से मैं पागल हुआ जा रहा था। मेरा मोटा औजार औकात पर आ गया था। मैंने ऊपर हाथ चलाते हुए जरा सा घस्सा लगाया तो मेरे औजार की चमड़ी पीछे हो गई, मीठी सी गुदगुदी हुई।
उन्होंने फिर एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया था।

अब मैंने ढीठ होकर धीरे धीरे घस्से लगाने शुरू कर दिए। वे उठ कर बैठने लगी तो भी मैंने उन्हें दबाए रखा। उन्होंने मुझे धक्का दिया। उससे मैं हटा तो नहीं पर मेरा औजार मेरे बरमूडा के साइड से उछल कर बाहर आ गया, वे एकटक उसे देखती रही; न मेरी तरफ देखा, न कुछ कहा।

मैंने बुरी तरह कांपती आवाज में कहा- आंटी प्लीज सीधी हो जाओ; मुझसे नहीं रहा जाता।
पर उन्होंने बात नहीं मानी।

मैंने बरमूडा की इलास्टिक नीचे कर अपना मोटा नाग पूरा बाहर कर दिया और उन्हें देखते हुए एक हाथ से मसलने लगा। मैंने उनका एक हाथ पकड़ कर अपने नाग पर रखा और अपने ही हाथ से उनसे मुठ मरवाने लगा।
अब वे उठ कर बैठ गईं और इस तरह हाथ चलाती रहीं कि जैसे उनका खुद का मन न हो, मजबूरी में चला रही थीं; पर मैं तो सांड हुआ जा रहा था; मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने आंटी का हाथ और कस लिया आहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहह… की हल्की आवाज में सिसकारते हुए वीर्य छोड़ दिया।

मैं काफी देर तक मुंह ऊपर आंखें बंद किए झड़ता रहा। जब होश आया तो आंटी के सारे हाथ पर वीर्य लिपटा हुआ था और वे दूसरे हाथ से अपने सूट पर पड़ी बूंदें हटा रही थीं।
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#6
मेरे ढीले पड़ते ही वे उठीं तो मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और पागलों की तरह उनकी गर्दन चूमने लगा। मैंने उनकी चूचियां भी दबा लीं और अपना ढीला पड़ गया, औजार उनके बड़े बड़े कूल्हों पर रगड़ने लगा।
अचानक उन्हें पता नहीं क्या हुआ वे सिसियाकर घूमी और मेरे सामने आ गईं, उनके होंठ खुले हुए थे, मैं इस तरह लपका जैसे रेगिस्तान के प्यासे को रसीला फल मिला हो।

मैंने उनके पूरे होठ मुंह में भर लिए और सूट के नीचे से ब्रा ऊपर कर उनकी बाईं चूची पकड़ कर मसल डालीं। उन्होंने अपनी दोनों बाहें ऊपर कर मेरे गले में डाल दी थीं और मुझसे लटक सी गई थीं। तब तक मेरा लौड़ा फिर मस्त होने लगा था। हालांकि कुछ ही देर में दो बार झड़ चुका था और कुछ झुरझुरी सी लग रही थी लेकिन लौड़ा फिर बुरी तरह सख्त हो गया।

अब मैंने देर नही की और उनके विरोध के बावजूद उन्हें वहीं जमीन पर पटक कर उन पर चढ़ गया। जल्दी से शर्ट ऊपर किया और सलवार का नाड़ा खोला। सारे कपड़े हटाने का ना मुझे होश था और न उन्होंने कोशिश की।
मैंने नाड़ा खींच कर सलवार के साथ पैंटी भी नीचे खींच दी। वाह… क्या नजारा था। ट्रिम किए हुए बालों में उनकी गुदगुदी चूत और जांघों के बीच पानी टपकने से हुई चिकनाई।
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#7
मैं उनकी जांघें बिना खोले उन पर लेट गया और चूत के नीचे लंड पेल दिया।
वे सिसिया गईं, उन्होंने जांघें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने दोनों तरफ से अपनी जांघों से दबाया हुआ था। मेरा लौड़ा उनकी चूत के मुंह से होकर जांघों में घुसा था और मैं उसे अंदर-बाहर किए जा रहा था।
कसम से ऐसा मजा पहले कभी नहीं आया था।

मैं उन पर लेट कर सूट ऊपर कर मम्मे चूसता और उन्हें हर जगह से रगड़ता दबाता, घस्से मारता रहा कि तभी उन्हें मौका मिल गया; उन्होंने अपनी जांघें चौड़ी कीं। तभी मेरे घोड़े को गरम-नरम गुफा में रास्ता मिला और वह बेलगाम दौड़ पड़ा।
मैं तो जैसे स्वर्ग में था। मैं अब पूरी तरह उनकी जांघों के बीच आ गया और उनकी बाजुओं के नीचे से हाथ लेजाकर उनके कंधे पकड़ लिए और वहशियों की तरह पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर बुरी तरह घस्से लगाने लगा।

मेरे मुंह से हूं.. हूं…हूं की हुंकार निकल रही थीं और वे मेरे बालों को जोर से खींचते हुए टांगें पूरी चौड़ी किए हुए सिसकारियां मार रही थीं। मेरा पतला पेट उनके गुदगुदे मगर सपाट पेट पर चोट कर रहा था और मेरा रीछ जैसे बालों से भरा शरीर उनके कोमल, रोमरहित शरीर को खरोंच रहा था।
मैं चाहता था कि उनसे पहले न झड़ जाऊँ और इसलिए खुद को कंट्रोल करने की कोशिश भी कर रहा था पर एक्साइट इतना ज्यादा था कि ज्यादा देर चल ना सका और तभी उनका भी सारा बदन थर थर कांपने लगा। इससे मेरा जोश और बढ़ गया, मेरे आखिरी घस्से किसी हथिनी को भी घायल करने के लिए काफी थे। मैं इस तरह भिड़ रहा था कि कंधे ना पकड़े होते तो वे ऊपर सरक जातीं।
आखिर हुंकारते हुए मैंने सारा ध्यान लौड़े की टिप पर लगा दिया और आनन्द में गोते लगाते हुए झड़ने लगा। उस वक्त मुझे आंटी का कोई ख्याल ना रहा।
जब होश आया तो आंटी भी अस्त-व्यस्त थीं, उनकी लटें बिखर गई थीं और होठों के ऊपर पसीने की बूंदें थीं।
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#8
वे उठीं और बिना कुछ बोले वाशरूम में जा घुसीं। वापस आकर उन्होंने मेरे गले में बाहें डालकर मेरे होंठ चूमे और अगले दिन दोपहर को उनके नए घर में आने को बोला।
उनकी बेटी ‘प्ले वे’ से आने वाली थी, इसलिए उन्हें जल्दी भागना पड़ा।
लेकिन मैं आज अपनी किस्मत पर इतरा रहा था; ऐसा मौका तो किस्मत वालों को ही मिलता है न!
दोस्तो, मेरी यह कहानी भी सच्ची है, बस नाम बदल दिए हैं। अच्छी लगी हो तो comment krke btaye...main aur stories post krunga...wrna shyad ye meri pheli air aakhri story ho...thank you
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#9
Story continues kro bhai
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#10
(18-01-2023, 08:29 AM)Chodu_moda Wrote: वे उठीं और बिना कुछ बोले वाशरूम में जा घुसीं। वापस आकर उन्होंने मेरे गले में बाहें डालकर मेरे होंठ चूमे और अगले दिन दोपहर को उनके नए घर में आने को बोला।
उनकी बेटी ‘प्ले वे’ से आने वाली थी, इसलिए उन्हें जल्दी भागना पड़ा।
लेकिन मैं आज अपनी किस्मत पर इतरा रहा था; ऐसा मौका तो किस्मत वालों को ही मिलता है न!
दोस्तो, मेरी यह कहानी भी सच्ची है, बस नाम बदल दिए हैं। अच्छी लगी हो तो comment krke btaye...main aur stories post krunga...wrna shyad ye meri pheli air aakhri story ho...thank you

Nice story bro.. aisi maal aunty ko chone mai bada maza ata hai waise isse ho sake to continue Karo
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#11
Agr aap sbko story psnd aayi ho to comments me btaye...
Aap sb chahenge to main zroor update launga Namaskar
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#12
Aur jin logo ne ise nhi pda...i request you please ek bar pde   thanks
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#13
Bahot acche se likha hai. Lund tantana gaya ye padh kar. Sanwli aunty to meri kamzori hai. Sssh likho aage kya hua tha
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#14
(15-02-2023, 12:10 PM)Chodu_moda Wrote: Agr aap sbko story psnd aayi ho to comments me btaye...
Aap sb chahenge to main zroor update launga Namaskar

mast update tha bro keep it up
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#15
Next update


Urvashi aunty se itni dilkash chudai k baad to mere andr jese sirhan si daud gyi...jga jga se khushi bhar aa rhi thi...aaj meri halat kuch aesi hi thi jese kyi dino se pyasa rehne k baad amrit mil gya ho...main baar baar us lamhe ko yaad kr rha tha ...kbhi to urvashi aunty k andr lund dalne k lamhe ki yad krta ...kbhi jhatko se hone wale ghisav ko ya fr kbhi jhadne k anubhav ko...sach mano to zindagi ka sbse sukhad anubhav tha ye...wese bhi jo mza ek 16 saal k bache ki vriginity khone me aata h wo ek 21 ya 22 saal k ldke ko bhi nhi aata...kyuki isi 16 ki umar me hi nya nya josh chdta h upr se agr aapki vriginity ek aurat ne todi ho to fr kya kehne

Aaj meri khushi ka thikana nhi tha...mera rom rom uchal rha tha...ek to mene chudai ki thi wo bhi ek aurat k sath aur wo bhi meri psndida aurat k sath...

Urvashi aunty ko gye hue aur unke bare me sochke mujhe ek ghnta hi hua tha ki itne me hi mummy bazar se Laut aayi...andr aate hi saman unse leke unhe jese hi pani dia...

unhone mere chehre ki khushi ko bhaap lia aur pucha
Mummy ...kya baat h bda chehek rha h...kya            
                  hua h...tu dosto k sath to nhi khel       
                  rha tha...tujhe pdne ko kha tha    
                  mene...

 mummy ki baat sunke main has pda..aur pet me ek ajeeb si gudgudi mehsoos hui pr main unhe to nhi bta skta ki aaj mene hmari pdosan aunty ko nanga krke apne neeche le lia aur unke paseene chuda diye...ye sb mn me dbake mene mummy ko jawab dia

Main....nhi mummy wo aaj urvashi aunty      
             aayi thi...
             
Mummy ne pani peete peete hairani se dekha aur kha...arre aaj achank kese aayi wo

Main...pta nhi pr aapse milne aayi thi...pr 
            aap to chli gyi thi to mujhse milke chli     
            gyi
            
Mummy ne meri taang kheechte hue kha...acha tbhi to itna muskura rha h...teri girlfriend jo aayi thi...hahaha
Asal me urvashi aunty ko psnd krne ki wja se main unse kaafi ghula mila rehta tha...islye mummy mzak mzak me unhe mere samne meri girlfriend keh deti thi aur main bhi is baat k khub mze liya krta tha

Fr mummy ne kha...chl main baat kr lungi 
                                   usse ..tu tution jaa time   
                                   ho rha h
                                   
Unki bat manke bag leke main chl to dia...pr aaj mera mn kha lgne wala tha...main tution gya jese tese time kaata...aur yaha tk ki apni gf ko bhi ignore kr dia...jb mujhe itna khila hua fool mil gya tha aaj to us kaate ko kyu dekhta...
Main ghr phaucha bag rkhte hi mummy ne turant mujhe bulaya...unke aawaz me kuch gussa sa lga islye meri fat gyi...andr jate jate mera seena garam hone lga aur darr lgne lga khi urvashi aunty ne mummy se keh to nhi dia...kyuki ek tra se phel to mene hi ki thi...har bdta kadam mujhe aur dara rha tha...pr jese hi mummy k samne phaucha meri dhadkan jesi ruk si gyi...
mummy ne kha....aaj urvashi aunty aayi...
                                tune kya kia...
Main...darte hue .. kya hua mene to kuch nhi      
                                 kia... kya hua         
Mummy...dekh sach sach btade kya hua      
                 tha...mujhe pta chl gya h... 
                  
Ye sb sunke meri jo fati main kya hu khun aapse...pr meri himmat ne jawab de dia ..mene bolne ki himmat jutai aur jese hi bolne wala tha 
tbhi mummy ne kha...arre kya hua aur hasne lgi..
main ruk sa gya aur mummy ne kha ki arre pgl ye to achi baat h chl sudhar to rha h...acha h..chl jaa.
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#16
Pr mere dil me to baat janne ki lalsa thi to mene pucha...kya hua btao to kya kha aunty ne.
 
  Mummy ne kha ki... arre wo bdi tarif kr rhi 
                                      thi ki tune bdi seva ki unki...hath pair dbaye unke ..bda khayal rkha...keh rhi thi thakan mita di tune unki bda pyara bacha h.

Is line ko sunte hi mere mun pr hasi aur mn me laddoo footne lge ki kesi seva ki aur kesi thakan mitai mujhe hi pta h...jga jga se thakan mitai paseene nikal diye unke aur main muskurata hua apne kamo me lg gya                                                  
mujhe bs ab kl ka intezar tha kuki aunty ne mujhe bulaya tha...aur mujse sabar nhi ho rha tha...beete waqt k sath meri tadap bdti jaa rhi thi...lund me hulchul bd rhi thi...jese tese mene raat kati is beech kyi bar soch sochke mera naag salami de rha tha...pr ye sochke ki soja urvashi aunty ko zaroorat pdegi...use mna lia aur sula dia aur khud bhi so gya...aur ab bs kl ka intezar tha


Agle din subha uthke hi mere mn me shaitan jag chuka tha...mene mn me aisi kyi yadein bna li ki aaj main kitni gandi tra se urvashi aunty ki choot ko khulunga...unko khada krke...unhe god me uthake ya ek tang uthake unki billi ko apne nag se milwaunga
Main subha subha jese tese college khatam krke wapis ghr aaya to aunty k ghr jane ki tyari krni thi...pr main mummy ko btake nhi ja skta tha wrna wo pdai ki wja se mujhe jane nhi deti...islye mene bag uthaya aur mummy ko tution ka bhana bna kr urvashi aunty k ghr k lye nikl gya...ab jese hi main us mohalle me phaucha mujhe dhyan aata h ki mujhe mohalla to pta h pr ghr nhi pta...isi kashmakash me mene ek aurat se pucha

Main...aunty yaha koi urvashi aunty rehti 
            hain kya
Aunty...nhi yaha koi nhi rehta
Main....please aunty btao na mujhe ghr nhi 
             mil rha
Aunty....ae chora ja yaha se...koi nhi rehta idhar

Wo aunty thodi khusat thi islye unhone mujhe bhga dia..fr main udas hoke tution ki aur nikla aur wha bhi daant khane k baad ghr aa gya
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#17
Superb....
Excellent start....
Waiting for long update....
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#18
ghr aaya to dekha ki mummy kisi se baatein kr rhi hain...
Mummy....hnn sahi keh rhi ho tum...pr nyi jga 
                  aesa to hota rehta h ab tumhe hi       
                  smjna pdega bhaisab to krenge 
                  aesa
Main udas tha to dhyan nhi dia kyuki meri aunty k badan ki lene ki tammanna mitti me mil gyi thi ..pr jese hi mere aane ka mummy ko pta chla wo mujhe bulane lgi

Mummy....krish idhar aa beta dekh kiska 
                  phone h
Mujhe lga kisi rishtedar ka hi phone hoga...mere mn me tammanna sirf urvashi aunty se baat krne ki thi...pr mene dil pr pathar rkh k pucha.. kon h mummy

Mummy...le baat to kr...urvashi aunty 
                  hain...
Jese hi mene mummy k mun se suna main to mano satve asman pr tha , meri Khushi ka thikana nhi tha..
Mummy boli...tu baat kr main khana bna lu
Mummy pr bhi ek achanak pyar aaya kuki hume akele baat krne ka mauka unhone anjane me de dia, meri udasi aur khushi bhri aawaz k sath kha...
Hello...aunty nmste...
Mere nmste kehte hi aunty hasne lgi...shyd soch rhi hogi ki kl hi to mere upar chda hua tha aaj itna sushil kese ho gya
Urvashi aunty....hihi..nmste beta...acha sun 
                             tu aaya nhi ghr tujhe bula    
                             rhi thi..
Main...aunty aa to rha tha pr mujhe aapki    
            gali pata thi aapka ghr nhi       
Urvashi aunty....oh ho..arre main to tujhe   
                             btana hi bhul gyi...kya h teri    
                             mummy to aayi thi pr tujhe     
                             btana bhul gyi ...chl thik h     
                             gali k akhir me jo peele rang  
                             ka makan h wahi mera ghr 
                             hai...
 Main... thik h aunty...kl aa jaunga dophar  
              me
 Urvashi aunty...arre nhi nhi kl mujhe    
                             satsang me jana h dophar    
                             nhi...subha aaja        
Main... thik h aunty subha aa jaunga

Mene bhi josh josh me subha aane ko to keh dia pr main bhul gya ki mera to college h fr mene sochq dekha jayega aunty k lye kuch to krna pdega...hehe

Agle din college k lye tyar hoke bag uthakr main uniform phen bina kuch soch kr aunty k ghr k lye nikl gya...thodi der me wha phaucha gate bjaya to aunty peele suit me hath me belan leke gate kholne aayi mujhe dekhke muskurai aur boli....aja aja andr aa...baith main aayi
Wo kitchen me busy thi aur jldi me lg rhi thi..main andr gya to unke husband tie lga rhe the...unke husband k bare me khu to ek tourist company me job krte hain...dekhne me kuch khaas nhi kaale se sir pr baal km aur tond bdi hui h...islye kehna mushkil nhi ki kyu urvashi aunty sex k lye man gyi

Jb main andr baitha to unki beti college k lye tyar ho rhi thi...pati tie lga rhe the aur mintoo so rha tha...mujpr aunty ne khas dhyan na dete hue pucha ki...tu kuch khayega...
mene kha ...nhi aunty
Aunty...khale taqat bda kaam aayegi...
Unke is ishare ko main smj gya to bola thik h 

Unke husband ne mujse pucha ki ...krish tu college nhi gya...yaha kyu aa gya

Itne me aunty plate me paratha layi aur unki baat kat te hue boli.....ise mene kaam se bulaya h...didi (meri mummy) ka kuch saman dene k lye...mere sath chla jayega scooty pr...aap tyar ho jayie late ho jayega

Fr unke husband nikl gye aur aunty ne mujse pucha ki... tu chlega mere sath mithi (unki beti) ko college chodne...
Mene college uniform ka dhyan krkr bola...nhi aunty main uniform me hun kisi ne dekh lia to dikkat ho jaogi...aap jao ..
Unhone katil aur Havas bhri muskan se boli thik h..chl aati hun...aur tv chlake chli gyi
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#19
Kuch aadhe ghnte baad gate khulne ki aawaz aayi main bina mn se jo tv dekh rha tha...usse aank hatai ...aunty andr aayi to panke me baithke paseena sukaya aur chunni hatayi...isse suit me unke bobe (boobs) ki golai aur size dekhke lund me khoon dodne lga ..unhone mujhe tirchi nazro se dekha, muskan di aur kha...aur bta kesa h tu...kese aana hua...hehe..
Main bhi unke andaz ko smjta hua bola ...bs socha aapse milta chlu...
Aunty .. chl mil lia na ab jaa
Main...abhi kese...abhi to kuch khilaya pilaya
            bhi nhi aapne
Aunty...bta kya khayega...
Main....piyunga main to
Aunty...kya piyega
Main....wo...unke bobe ki taraf ishara krte     
             hue bola...wo piyunga
Aunty...chal hatt.. kutte..sharam nhi aati 
             Tujhe...kitni bdi hun main tujse...ye sb 
              Bat kr rha h...kl to....aur itna kehte hi 
              Wo chup ho gyi
Main...kyu aunty mera bhi mn krta h...kl aap 
            Mintoo ko pila rhi thi to mujhe bhi pila 
            Do...mujhe bhi bhookh lgi h
Mere is jawab pr aunty muskai aur shaitani unke andr bdne lgi...
Aunty....chl ruk phle miltoo ko pila dun fr 
               Bachega to tujhe pila dungi
               
 Aur unhone bina deri kiye mintoo ko uthaya aur uske mun me de dia...kuch seconds baad main bhi unki taraf bdke unke doodh touch krne lga to unhone mere hath pr mar dia...aur is beech mene unke nipple dekhe to main hairan ho gya kyuki kl to chut me dalne k chkkr me to main unhe notice nhi kr paya pr jb dekha to unke nipple itne bde the ki mintoo ko bhi kafi mun kholna pd rha tha...aur areola itna zyada tha ki mintoo aadhe chehre ko gher le
Thodi der bad mintoo ko alg kia aur mujhe unhone apne paas kheecha aur boli...ab bta kya peene ko bol rha tha...unhone mere dono hath pkd liye aur mujhe apne samne khade krke meri taraf dekha aur apne honth khol liye

Main unka ishara smj gya...aur turant unke hoto pr lapka jese salo ka pyasa tha...ye doosri baar zaroor tha...pr isme Nasha phle se zyada tha...kiss krte time unke aur mere hoth se niklne wali garmi aur geelapan mujhe pgl kr rha tha...mere rom rom me jhurjhuri si aa gyi thi...unhe lga ki main km experienced hun islye unhone khud se phl krke..."hmm" awaz nikali aur mujhe kholne ko kehke andr jeebh daal di...sach khu...itni chikni aur lislisi jeebh ko peekr to jese main sb bhool gya...isi beech main unki peeth pr charo taraf hath ferta aur unki bra ko mehsoos kia...unki bra ka strap bda tight tha jisse saaf Zahir tha ki unke bhari doodh bra pr kitna zulm krte hain...aazad hone ko tyar..aur aunty bhi kbhi meri peeth pr hath ferti to kbhi mere dono hatho se mera chehra pkdti...

Kafi der chumban aur ek doosre ko garam krne k bad main unki gardan pr lapka...asal me khu to thodi bhri bhri badan ki malkin hone ki wja se unki gardan bhi kaafi maansal thi...main use chatne aur choosne me lg gya ..halka halka paseena unke gardan se hoke unke doodh ki khayi me jaa rha tha jo mujhe uttejit kr rha tha aur khaskr ki unka lamba mangalsutra jo unke chuchiyon me gayab sa ho gya...gardan ko pyar krte waqt main unhe hi dekha jaa rha tha...fr achanak meri nazar unke chehre pr pdi to main to aape se bhar ho gya...aunty ki aankhe bnd thi aur wo dheere dheere ...ummm aaaah...issssh hnnnn ki aawazein nikal rhi thi...unke is sexy ada ko main nazarandaz nhi kr ska...aur bina der kiye unke hoto ko dobara pkd lia...unhone is bar mera sath itni zordar tareeke se dia ki jese mano wo tadap rhi thi ki main dobara kb chumunga unhe...is bar chumne k sath unhone achanak mera hath pkda jisse mera thoda dhyan bhatka pr unhone mere honto ko pkd k rkha aur daant bhi lgaye aur mera hath uthakr apne right chuche pr rkh dia...sach khu to jo mza pichli baar mujhe mehsoos hua...aaj ka mza usse 10 guna zyada tha...
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#20
Mene unki chuchi ko ek ball ki tra pkd lia...sach khu to ek tra se ball hi thi...kyuki unki chuchi itni bdi thi ki meri unglia pure chuchi ko pkdne k lye fadfada rhi thi..
main aage peeche upar neeche krke unki chuchi ko daboch ne ki koshish kr rha tha aur mere bdti koshisho k sath unki aawaz bhi tez ho rhi thi...
chuche ko dbate hue mene doosre hath se bhi doosre chuche ko pkda aur dono ko ek sath dum lgake dbaya jisse unki cheekh si nikl gyi aur is meethe dard me unhone badla nikalne k lye mere hoto ko kaat lia...jisse meri bhi cheekh nikli aur hasi bhi...mene unke chucho ko dbate dbate paya ki ek jga nukeelapan bdta jaa rha h jisse main smj gya ki ye aunty k nipple hain...
Mene apni do unglio ko chimte ki tra bnate hue unke nipple ko pkdna chaha thodi koshish k baad hath me jese hi aaye mene unhe kheecha...aur aunty ka reaction mujhe unki aawaz k sath mila...unhone kia....aaahaaannn uuuii maaa....aur muskura k halke se mere gaal khich diye...main nipple ko puri tra se nhi pkd paya kyuki beech me suit aur bra hone ki wja se wo mere hath se fisal jata... pr main baar baar koshish krta tha...pr ab mujhe lalach bd chuka tha...aur mene aunty ko halka sa peeche dhakela aur wo jhatke se apne dono hath peeche ki taraf sahara lgakr ..aadhi letne ki position me aaa gyi...aur mene turant unke suit me hath dalke...unke chucho ka rasta khoja aur bra ne jese hi mere hatho ko chua...mene andr hath dalne ki thaan li...

Aunty...arre kya kr rha h ye...pgl sharam nhi 
             aati...gandi gandi baatein kr rha h 
             mere sath
Main....please aunty mujhe aapke wo       
             dekhne hain dekhne do mujhe
Aunty...kya wo...kya dekhega
Main....wahi ..
aur mene unke nipple ko chuke unhe jata dia main kiski baat kr rha tha
Aunty...acha mere ber chuega kya...haha
             Pr usme kya milega terko...
             
Aunty mujhe aazma rhi thi...mere sabr ka imtehan le rhi thi...mere mun se unhe wo gande shabd sunne the jisse unhe main puri tra bigda hua lgu

Main...hnn aunty angoor dekhne hain aapke

Is beech main unke nipple ko zoro se ched rha tha aur iska asar unke chehre pr dekha jaa skta tha...unki saans foole jaa rhi thi aur wo paap ki muskan hat hi nhi thi...
Pr jese mene unke suit ko upar uthana chaha tbhi ek aawaz ne meri sari mehnat pr pani fer dia...
Asal me aunty k darwaze pr kisi ne bell bjayi jisse hum dono chaukanne ho gye aur mintoo bhi jag gya...mujhe apne samne mera sara bna bnaya khel mitti me milta dikh gya...aur aunty uthi aur suit thik kra aur chehre se paseene pochte hue boli..

Aunty....tu baith main dekhu kon h...

Aur unke badte kadmo ne mujhe nirash kr dia..
Pr uske baad jo hua usse dekhke to mere hosh hi ud gye..
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