27-12-2022, 05:39 PM
स्वागतम एक नई कहानी में । कहानी इस बार भी लंबी नही होगी शॉर्ट हो बनेगी क्यू की यह लंबी स्टोरी लिखने का प्रेरणा नही मिलते हे ।
बड़ा मुस्किल होता हे एक अकेली औरत को घर चलाना बच्चे को अकेले पाल पोछ कर बड़ा करना । खेर ये तो आम बात है कोई मेहनत कर कर दो वक्त की रोटी कमाता है तो किसी को पैदाशी नवाबों वाली जमीन पर ही स्वर्ग मिल जाता हे ।
मेरी मां एक छोटी सी कपरे चिलाई की दुकान चलाती थी वोही था हमारा जरिया । कभी खर्चा निकलता था तो कभी नही। मेरी मां ने मुझे अकेले पाल पोछ कर बड़ा किया हे लिखाया पढ़ाया । मेरे पिता सालों पहले ही मां को छोड़ के दूसरी औरत से शादी कर के कही दूर अपना घर बचा लिया ।
में जवान हो रहा था 18 का हो गया था । मम्मी भी कम उम्र में ही मुझे जन्म दी थी लेकिन लेकिन जिंदगी ठोकोड़ ने उन्हें अपनी दुगनी उम्र की जिंदगी जीने का सलीका बताया । एक दिन में अपने दोस्तो से प्रेरित हो कर जिम ज्वाइन करता हूं मां को बिना बताए ही । में भी शाम को दुकान में काम करता था बोड़ी उठता था गुदाम से कुछ पैसे कमा लेता था ।
एक दिन मम्मी को पता चल जाति हे मुझे बोहोत गाली देती हे । हर महीने जिम में 5 हजार रुपए फीस देना था पहले 3 महीने के फीस तो मैने किसी तरह दे दिया था लेकिन बाकी 9 महीने का फीस नही दे पा रहा था तो रोज जिम के मैनेजर मुझसे पैसा मांगता था और वोही मेंइन ट्रेनर भी था । में किसी ना किसी बहाने से ताल देता था । कोई बार मुझे आखरी वार्निंग दिया था उसने । और कोई बार कहा सुनी भी हुई उससे मेरा ।
एक दिन मेरे एक दोस्त ने कहा की केदार भाई (जिम के मैनेजर और ट्रेनर का नाम) तेरे घर आयेंगे और तेरी मां से पैसा लेगा ।
तो मैंने कहा " आने दे देख लूंगा "
" ओबे साले जिशु ( मेरा नाम ) क्यू बड़े लोगो से पंगा लेता हे । दे दे ना पैसे "
" कहा से दूंगा इतना पैसा । थोड़ा थोड़ा कर दे तो रहा हूं । "
" जब तू पैसा दे ही नही सकता इतने महंगे जिम में क्यू गया "
" अरे मुझे लगा था की बड़े अच्छे जिम में जाऊंगा अच्छे बॉडी बना देगा और प्रोतियोगिता में भी हिस्सा दिलवाएगा । "
मेरा दोस्त भी मेरे से बहस कर के चला गया । में मां की दुकान पर गया एक बुड्ढा मां की दुकान पर बैठा था वो अपनी बेटी की कपरे चिलाने आया था । मां भी कपरे की मशीन गर गर चलती हुई उस बूढ़े से बात कर रही थी ।
में भी थोड़ा बोहोत काम देखता था मां की दुकान पर । और में अपने काम में लगा था लेकिन मैने पाया की बुड्ढा मां की चेहरे पर कम मां की ब्लाउज के तरफ आंखे टिका के बात कर रहा था । में बड़बड़ाया साला ठरकी बूढ़ा ।
ये आम बात थी क्यू की हम मजबूर थे दुखियारी थे । आस पास के दुकान वाले मां से नाजाने कितने डबल मीनिंग बातों से छेड़ता था पर मां कोई जवाब नहीं देती थी । मां का पति नही था इसलिए और तगीदा लेते थे लोग । मां जवान थी 40 की भी नही हुई थी अब तक । खूबसूरत थी पर थोरी सावली थी ।
एक वो जिम मैनेजर हमारे खोली में आया और मां से पैसे मांगने लगे ।
मां पहले उससे साय पानी पूछने लगे " आप पहले बैठिए तो सही । में आपके लिए पानी लाती हूं "
लेकिन कादर भाई तो बत्तीमीजी करने लगे " क्या भाई किसका भाई । मुझे मेरा पैसा दो अभी के अभी । "
मां बोली " कादर भाई अभी में इतने पैसे कहा से दूंगी । आप देख सकते हे हम गरीब लोग है",
" तो ये बात पहले सोचना चाहिए अपने बेटे को जिम भेजने से पहले । 9 महीने का 45000 होता हे जल्दी से पैसा दो "
" क्या 45000 " मां हैरान हो गई और मुझे थप्पड़ मार के बोली ", गधे तुझे पता नहीं हे क्या हम लोग इतने पैसे नहीं दे सकते "
में सर झुकाए खड़ा रहा । कादर भाई बोले ", ये काकी ये सब नाटक नही चलेगा हा मुझे मेरा पैसा दे दो "
" काकी बोला हे तो बेटा अपनी काकी समझ के हमारी दुख को समझो । अभी इतने पैसे कहा से दूंगी । में हर महीने 2,3 हजार कर के साल भर में चुका दूंगी । और एहसास कर के थोड़ा कम कर दो ना बेटा "
कादर भाई गुस्से में मां की तरफ बढ़ा । मुझे लगा वो मां से कुछ बत्तमीजी करेगा तो में मां के सामने आ गया । लेकिन कादर भाई मुझे थप्पड़ मार कर दूर कर दिया । वो इतना हट्टा कट्टा बलवान था की में एक थप्पड़ से गिरते गिरते बचा ।
मां दर गई और कादर भाई मां को ऊपर से नीचे देख कर मां की सारी के ऊपर से ही चूत पर हाथ रख के बोला " सुना हे तेरा पति नही हे। यहां आग तो लगती होगी । वैसे माला हो पूरी की पूरी। काल शाम तक अगर पैसा नही मिला ना तो में तेरी चूत से असूल करूंगा "
कादर भाई चला गया । मां इतना दर गई थी घबरा गई थी की मुझे इतना पिता इतना पिता की पीठ लाल कर दी मेरी।
बड़ा मुस्किल होता हे एक अकेली औरत को घर चलाना बच्चे को अकेले पाल पोछ कर बड़ा करना । खेर ये तो आम बात है कोई मेहनत कर कर दो वक्त की रोटी कमाता है तो किसी को पैदाशी नवाबों वाली जमीन पर ही स्वर्ग मिल जाता हे ।
मेरी मां एक छोटी सी कपरे चिलाई की दुकान चलाती थी वोही था हमारा जरिया । कभी खर्चा निकलता था तो कभी नही। मेरी मां ने मुझे अकेले पाल पोछ कर बड़ा किया हे लिखाया पढ़ाया । मेरे पिता सालों पहले ही मां को छोड़ के दूसरी औरत से शादी कर के कही दूर अपना घर बचा लिया ।
में जवान हो रहा था 18 का हो गया था । मम्मी भी कम उम्र में ही मुझे जन्म दी थी लेकिन लेकिन जिंदगी ठोकोड़ ने उन्हें अपनी दुगनी उम्र की जिंदगी जीने का सलीका बताया । एक दिन में अपने दोस्तो से प्रेरित हो कर जिम ज्वाइन करता हूं मां को बिना बताए ही । में भी शाम को दुकान में काम करता था बोड़ी उठता था गुदाम से कुछ पैसे कमा लेता था ।
एक दिन मम्मी को पता चल जाति हे मुझे बोहोत गाली देती हे । हर महीने जिम में 5 हजार रुपए फीस देना था पहले 3 महीने के फीस तो मैने किसी तरह दे दिया था लेकिन बाकी 9 महीने का फीस नही दे पा रहा था तो रोज जिम के मैनेजर मुझसे पैसा मांगता था और वोही मेंइन ट्रेनर भी था । में किसी ना किसी बहाने से ताल देता था । कोई बार मुझे आखरी वार्निंग दिया था उसने । और कोई बार कहा सुनी भी हुई उससे मेरा ।
एक दिन मेरे एक दोस्त ने कहा की केदार भाई (जिम के मैनेजर और ट्रेनर का नाम) तेरे घर आयेंगे और तेरी मां से पैसा लेगा ।
तो मैंने कहा " आने दे देख लूंगा "
" ओबे साले जिशु ( मेरा नाम ) क्यू बड़े लोगो से पंगा लेता हे । दे दे ना पैसे "
" कहा से दूंगा इतना पैसा । थोड़ा थोड़ा कर दे तो रहा हूं । "
" जब तू पैसा दे ही नही सकता इतने महंगे जिम में क्यू गया "
" अरे मुझे लगा था की बड़े अच्छे जिम में जाऊंगा अच्छे बॉडी बना देगा और प्रोतियोगिता में भी हिस्सा दिलवाएगा । "
मेरा दोस्त भी मेरे से बहस कर के चला गया । में मां की दुकान पर गया एक बुड्ढा मां की दुकान पर बैठा था वो अपनी बेटी की कपरे चिलाने आया था । मां भी कपरे की मशीन गर गर चलती हुई उस बूढ़े से बात कर रही थी ।
में भी थोड़ा बोहोत काम देखता था मां की दुकान पर । और में अपने काम में लगा था लेकिन मैने पाया की बुड्ढा मां की चेहरे पर कम मां की ब्लाउज के तरफ आंखे टिका के बात कर रहा था । में बड़बड़ाया साला ठरकी बूढ़ा ।
ये आम बात थी क्यू की हम मजबूर थे दुखियारी थे । आस पास के दुकान वाले मां से नाजाने कितने डबल मीनिंग बातों से छेड़ता था पर मां कोई जवाब नहीं देती थी । मां का पति नही था इसलिए और तगीदा लेते थे लोग । मां जवान थी 40 की भी नही हुई थी अब तक । खूबसूरत थी पर थोरी सावली थी ।
एक वो जिम मैनेजर हमारे खोली में आया और मां से पैसे मांगने लगे ।
मां पहले उससे साय पानी पूछने लगे " आप पहले बैठिए तो सही । में आपके लिए पानी लाती हूं "
लेकिन कादर भाई तो बत्तीमीजी करने लगे " क्या भाई किसका भाई । मुझे मेरा पैसा दो अभी के अभी । "
मां बोली " कादर भाई अभी में इतने पैसे कहा से दूंगी । आप देख सकते हे हम गरीब लोग है",
" तो ये बात पहले सोचना चाहिए अपने बेटे को जिम भेजने से पहले । 9 महीने का 45000 होता हे जल्दी से पैसा दो "
" क्या 45000 " मां हैरान हो गई और मुझे थप्पड़ मार के बोली ", गधे तुझे पता नहीं हे क्या हम लोग इतने पैसे नहीं दे सकते "
में सर झुकाए खड़ा रहा । कादर भाई बोले ", ये काकी ये सब नाटक नही चलेगा हा मुझे मेरा पैसा दे दो "
" काकी बोला हे तो बेटा अपनी काकी समझ के हमारी दुख को समझो । अभी इतने पैसे कहा से दूंगी । में हर महीने 2,3 हजार कर के साल भर में चुका दूंगी । और एहसास कर के थोड़ा कम कर दो ना बेटा "
कादर भाई गुस्से में मां की तरफ बढ़ा । मुझे लगा वो मां से कुछ बत्तमीजी करेगा तो में मां के सामने आ गया । लेकिन कादर भाई मुझे थप्पड़ मार कर दूर कर दिया । वो इतना हट्टा कट्टा बलवान था की में एक थप्पड़ से गिरते गिरते बचा ।
मां दर गई और कादर भाई मां को ऊपर से नीचे देख कर मां की सारी के ऊपर से ही चूत पर हाथ रख के बोला " सुना हे तेरा पति नही हे। यहां आग तो लगती होगी । वैसे माला हो पूरी की पूरी। काल शाम तक अगर पैसा नही मिला ना तो में तेरी चूत से असूल करूंगा "
कादर भाई चला गया । मां इतना दर गई थी घबरा गई थी की मुझे इतना पिता इतना पिता की पीठ लाल कर दी मेरी।