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प्रीति ने जब नीतू को लंड चूसते देखा उस वक्त उसने नीतू की पूरी पीठ और गांड नंगी देखी। प्रीति मुझे देख कर तो वहाँ से चली गई लेकिन अपने कमरे में जा कर उसके मन में अजीब तूफान चलने लगा। प्रीति को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां किसी गैर मर्द के साथ ये सब कर रही है। प्रीति बेचैन हो रही थी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है था कि प्रीति को कैसे हैंडल करू।
प्रीति बिल्कुल गांव की सीधी लड़की थी और मेरी उससे ज्यादा बात थी भी नहीं। इधर नीतू ने मेरा लंड जमकर चूसा। उसके बाद मैंने नीतू को बोला कि प्रीति को बुलाये। नीतू बोली -
नीतू - अभी इस हाल में
मै - हाँ अभी
नीतू - सर प्लीज, मै अभी पूरी नंगी हूँ और आप भी
मै - अब घर में सब ऐसे ही रहेंगे
नीतू - आपके सामने ठीक है लेकिन मै प्रीति की मां हूँ
मै - और मै उसकी मां को चोदने वाला
फिर मैंने तेज आवाज में मंजू को बुलाया। मंजू भी तुरंत कमरे में आ गई।
मै - सुनो आज से घर में सब बिल्कुल नाम के कपड़े पहनेंगे या बिल्कुल नहीं। नहीं तो मेरी परमिशन लेनी होगी।
मंजू - नाम मात्र के, घर में शिल्पी है, प्रीति है और मनीष भी
मै - पहले तुम दोनों शुरू करो, बाकी सब भी धीरे धीरे शुरू कर देंगे
फिर मैंने मंजू को दो ट्रांसपेरेंट नाईटी निकालने को कहा। मंजू की वों नाईटी किसी तरह मंजू के कमर से नीचे लेकिन घुटने से काफी ऊपर रहा जाती थी। वों नाईटी ट्रांसपेरेंट थी मतलब अंदर सब कुछ दिखता था। मैंने उनमे से एक नाईटी लिया और नीतू को पहनने को बोला। नीतू की हाइट मंजू से ज्यादा थी इसलिए वों नाईटी नीतू के कमर पर ही अटक गया। किसी तरह वों सिर्फ चूतड़ों को ढक पा रहा था। इसमें चुत भी सामने से चलने पर दिख जाए तो नीतू ने हाथ जोड़कर पैंटी पहनने की परमिशन मांगी। मैंने पैंटी पहनने को बोल दिया।
नीतू ने जल्दी से पैंटी पहन ली। पैंटी उसकी चौड़ी चूतड़ो को कहा पूरा ढक पाती वों आधे से अधिक दिख ही रही थी, हाँ यह अवश्य था की चुत किसी तरह ढक गई अब नीतू की।
अब मै मंजू की ओर मुड़ा और कहा कि अब घर में तुम भी ऐसे ही नजर आनी चाहिए और शिल्पी और प्रीति भी। शिल्पी वैसे भी कॉलेज से आने के बाद निक्कर जैसा छोटा सा शॉर्ट्स और टॉप पहनती लेकिन प्रीति पूरे कपड़े पहनती।
इन सबके बीच मनीष क्या करेगा ये भी सोचना था खैर मनीष के लिए भी मेरे दिमाग में कुछ प्लान चल रहा था।
उसके बाद मै बेड से उतरा और नंगा ही फ्रेश होने के लिए बाथरूम की ओर बढ़ा। मेरे बाथरूम में जाते ही प्रीति बेडरूम में आयी और मंजू और नीतू की ओर गुस्से से देखने लगी।
मंजू ने तो सिंपल नाईटी पहनी हुई थी जिस वजह से भले ही उसने ब्रा और पैंटी ना पहनी हो बूब्स और चुत तो ढक ही रहें थे लेकिन नीतू की नाईटी छोटी सी और ट्रांसपेरेंट थी। उसके बड़े बड़े बूब्स जो पूरे नंगे थे और उसकी पैंटी बस किसी तरह उसकी चुत को छुपा पा रहें थे। प्रीति अपनी मां को इन कपड़ो में पहली बार देख रही थी, अब तक तो नीतू साड़ी पहनती और पूरा शरीर धका रहता। नीतू भी इस तरह खुद को बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी। कमरे में अजीब सा सन्नाटा था जिसे मंजू की आवाज ने तोड़ा।
मंजू - क्या हुआ प्रीति, कुछ काम था
प्रीति - बहुत कुछ
नीतू - क्या मेरे बच्चे
प्रीति - चुप रहो, आप उनके साथ क्या कर रही थी
नीतू - किसके साथ
प्रीति - राज सर के साथ और ये आपने कैसे कपड़े पहन रखे है
मंजू बात को काटते हुए बोली - क्या हुआ बेटा इसमें, घर में थोड़े हल्के कपड़े पहनने चाहिए।
प्रीति अभी भी गुस्से में - आज तक तो नहीं पहना, और ये थोड़े हल्के है क्या?
उन दोनों की बहस चल ही रही थी की मै नहा धो कर बाथरूम से बाहर निकला। मै टॉवल से अपने शरीर को पोछ रहा था लेकिन मेरा लंड नंगा ही था तो कहा जाए तो मै नंगी हालत में था। प्रीति बेडरूम में अंदर थी इससे बेपरवाह मै बेडरूम में घुसा।
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अब बेडरूम में मै पूरी तरह नंगा खड़ा था, साथ में नीतू ट्रांसपेरेंट नाईटी में लगभग नंगी, मंजू छोटी सी नाईटी में अधनंगी और बेचैन प्रीति।
प्रीति का सामना नीतू नहीं कर पा रही थी। मै यह समझ चुका था और मैंने नीतू को डॉटते हुए बोला -
मै नीतू से - तुम यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही हो, जाओ फ्रेश होकर आओ।
नीतू कुछ समझ नहीं पा रही थी उसे क्या करना है? वों चुपचाप खड़ी रही तो मैंने उसको फिर से बोला। नीतू जल्दी से भागते हुए बाथरूम में चली गई।
फिर मै मंजू से - तुम एक काम करो ऊपर कमरे से कपड़े ले आओ, अभी प्रीति के साथ कॉलेज जाना है।
मंजू तुरंत सुनते ही ऊपर फ्लैट की ओर गई। अब मै नंगे ही हाल में आ गया और प्रीति को आवाज दी। प्रीति डरते डरते मेरे पास आयी तो मैंने टॉवल उसके हाथ में दिया और बोला - चल जरा पीठ पोछ मेरा।
प्रीति ने चुपचाप टॉवल लिया और मेरा सर पोंछने लगी। सर पोंछने के बाद उसने मेरा पीठ पोछा और रुक गई।
मैंने प्रीति पर चिल्लाते हुए अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा - इसे क्या तेरा बाप पोछेगा।
वों कुछ समझ नहीं पा रही थी। मेरे द्वारा चिल्लाने से वों बहुत बुरी तरह डर गई। वों धीरे धीरे टॉवल मेरे लंड तक ले गई। अभी वों टॉवल को मेरे लंड के ऊपर रखकर उसको पकड़ती उससे पहले ही डर के मारे उसकी पेशाब निकल गई। प्रीति के पेशाब से उसका सलवार और पैंटी पूरा गीला हो गया। इधर पेशाब निकलते ही प्रीति रोने लगी तो नीतू भागते हुए बाथरूम से हॉल में आयी। नीतू नहाने जा रही होगी उसने नाईटी उतार रखा था और सिर्फ पैंटी उसके बदन पर थी।
प्रीति को ऐसे देखकर नीतू भी परेशान हो गई और थोड़ा मै भी डर गया । फिर भी खुद को मजबूत रखते हुए मैंने नीतू से बोला - क्या है ये?
नीतू - मै अभी साफ कर देती हूँ और फ्लोर साफ करने लगी।
प्रीति की सलवार अभी भी गीली थी। मैने उसे सलवार नीचे करने को बोला। प्रीति ने चुपचाप अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार खुलकर नीचे जमीन पर आ गिरा। समीज जो अभी भी घुटनो तक गिरा था मैंने उसको नीचे से उठाया और कमर पे बाँध दिया। कमर पर बाँधते ही मुझे उसकी पैंटी और उसके नीचे सब कुछ नंगा दिखा। उसकी पैंटी भी पूरी गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसकी समीज की गाँठ को कमर से खोल दिया। अब उसकी पैंटी फिर से ढक गई। मैंने फिर उससे कहा कि अपनी पैंटी उतार ले वों भी गीली हो चुकी है। वों शरमाई लेकिन मेरे दुबारे कहते ही उसने चुपचाप अपनी पैंटी नीचे कर दी। अब प्रीति की सलवार और पैंटी नीचे जमीन पर थी और प्रीति के शरीर पर सिर्फ समीज।
इतने देर में नीतू ने भी फ्लोर का पोछा मार दिया तो मैंने प्रीति के सलवार और पैंटी की ओर इशारा करते हुए नीतू से बोला - इसे ले जाओ और धो लेना। नीतू ने चुपचाप उन्हें उठाया और बाथरूम की ओर चली गई।
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(28-11-2022, 02:39 PM)raj4bestfun Wrote: अब बेडरूम में मै पूरी तरह नंगा खड़ा था, साथ में नीतू ट्रांसपेरेंट नाईटी में लगभग नंगी, मंजू छोटी सी नाईटी में अधनंगी और बेचैन प्रीति।
प्रीति का सामना नीतू नहीं कर पा रही थी। मै यह समझ चुका था और मैंने नीतू को डॉटते हुए बोला -
मै नीतू से - तुम यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही हो, जाओ फ्रेश होकर आओ।
नीतू कुछ समझ नहीं पा रही थी उसे क्या करना है? वों चुपचाप खड़ी रही तो मैंने उसको फिर से बोला। नीतू जल्दी से भागते हुए बाथरूम में चली गई।
फिर मै मंजू से - तुम एक काम करो ऊपर कमरे से कपड़े ले आओ, अभी प्रीति के साथ कॉलेज जाना है।
मंजू तुरंत सुनते ही ऊपर फ्लैट की ओर गई। अब मै नंगे ही हाल में आ गया और प्रीति को आवाज दी। प्रीति डरते डरते मेरे पास आयी तो मैंने टॉवल उसके हाथ में दिया और बोला - चल जरा पीठ पोछ मेरा।
प्रीति ने चुपचाप टॉवल लिया और मेरा सर पोंछने लगी। सर पोंछने के बाद उसने मेरा पीठ पोछा और रुक गई।
मैंने प्रीति पर चिल्लाते हुए अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा - इसे क्या तेरा बाप पोछेगा।
वों कुछ समझ नहीं पा रही थी। मेरे द्वारा चिल्लाने से वों बहुत बुरी तरह डर गई। वों धीरे धीरे टॉवल मेरे लंड तक ले गई। अभी वों टॉवल को मेरे लंड के ऊपर रखकर उसको पकड़ती उससे पहले ही डर के मारे उसकी पेशाब निकल गई। प्रीति के पेशाब से उसका सलवार और पैंटी पूरा गीला हो गया। इधर पेशाब निकलते ही प्रीति रोने लगी तो नीतू भागते हुए बाथरूम से हॉल में आयी। नीतू नहाने जा रही होगी उसने नाईटी उतार रखा था और सिर्फ पैंटी उसके बदन पर थी।
प्रीति को ऐसे देखकर नीतू भी परेशान हो गई और थोड़ा मै भी डर गया । फिर भी खुद को मजबूत रखते हुए मैंने नीतू से बोला - क्या है ये?
नीतू - मै अभी साफ कर देती हूँ और फ्लोर साफ करने लगी।
प्रीति की सलवार अभी भी गीली थी। मैने उसे सलवार नीचे करने को बोला। प्रीति ने चुपचाप अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार खुलकर नीचे जमीन पर आ गिरा। समीज जो अभी भी घुटनो तक गिरा था मैंने उसको नीचे से उठाया और कमर पे बाँध दिया। कमर पर बाँधते ही मुझे उसकी पैंटी और उसके नीचे सब कुछ नंगा दिखा। उसकी पैंटी भी पूरी गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसकी समीज की गाँठ को कमर से खोल दिया। अब उसकी पैंटी फिर से ढक गई। मैंने फिर उससे कहा कि अपनी पैंटी उतार ले वों भी गीली हो चुकी है। वों शरमाई लेकिन मेरे दुबारे कहते ही उसने चुपचाप अपनी पैंटी नीचे कर दी। अब प्रीति की सलवार और पैंटी नीचे जमीन पर थी और प्रीति के शरीर पर सिर्फ समीज।
इतने देर में नीतू ने भी फ्लोर का पोछा मार दिया तो मैंने प्रीति के सलवार और पैंटी की ओर इशारा करते हुए नीतू से बोला - इसे ले जाओ और धो लेना। नीतू ने चुपचाप उन्हें उठाया और बाथरूम की ओर चली गई। Kya baat hai .... badi jaldi hi sari chije apne bas me kar liye... ab jald hi priti ka udghatan hoga....
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Waiting for the next step to be taken by the master and how would the sex slaves (upcoming) are accepting the change
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नीतू प्रीति की गीले सलवार और पैंटी उठाकर बाथरूम में चली गई। हाल में प्रीति समीज पहन कर खुद को ढक रही थी तभी मंजू भी मेरे कपड़े लेकर नीचे आ गई। मैंने मंजू को इशारा किया तो मंजू ने कपड़े बेडरूम में रख दिए और ब्रेकफास्ट रेडी करने किचन में चली गई। फिर से हाल में मेरे साथ प्रीति थी। प्रीति के सामने मेरा लंड पूरे फॉर्म में खड़ा होकर प्रीति को सलामी दे रहा था।
प्रीति बहुत डरी हुई थी और मैं उसके करीब गया। प्रीति के सर को पीछे से पकड़ते हुए मैंने अपनी ओर खींचा और उसके होंठो को चूम लिया। फिर मैंने उसको कहा कि जाओ नहा कर आओ और अच्छे से तैयार हो जाओ, कॉलेज चलना है। तब तक नीतू नहा के आ गई। मैं किचन में मंजू के पास गया और पीछे से उसको कस के पकड़ लिया। मैंने उसके बूब्स मसले और बाहर आ गया। बाहर आया तो देखा नीतू ने नहाने के बाद सिर्फ पैंटी पहनी और किचन में चली गई। किचन से वों ब्रेकफास्ट ले कर आयी और डाइनिंग टेबल पर रखा। नीतू मेरे जांघ पर आकर बैठ गई और अपने हाथों से मुझे ब्रेकफास्ट करायी।
जब तक नीतू के हाथों से मैंने ब्रेकफास्ट किया तब तक प्रीति भी नहा ली। प्रीति नहा के चुपचाप सर झुकाए अपने कमरे में चली गई। मैंने उसे जाते देखा लेकिन कुछ कहा नहीं। इसके बाद मैं हाल में आ गया। उधर नीतू ने मंजू और प्रीति के साथ ब्रेकफास्ट किया।
मैं हाल में बैठकर नंगा ही टीवी देख रहा था। मंजू और नीतू ने नहाने के बाद छोटी सी ट्रांसपेरेंट नाईटी पहन रखी थी बस प्रीति ने पूरे कपड़े यानि समीज सलवार पहन रखा था।
ब्रेकफास्ट के बाद प्रीति अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने उसको आवाज दी। वों चुपचाप मेरे पास आई। मैंने उसे सोफे पर अपने बगल में बैठने का इशारा किया तो वों चुपचाप सोफे पर बैठ गई। वों बिल्कुल सिकुड़ कर सोफे पर बैठ गई।
प्रीति को ऐसे देख कर नीतू भी परेशान हो रही थी। नीतू मेरे पास आयी और सोफे के पास मेरे पैर के नीचे जमीन पर बैठ गई।
मेरे पैर पकड़ते हुए नीतू बोली - प्लीज प्रीति को छोड़ दो, जो कहोगे मैं करूंगी
मैं - क्या किया है उसके साथ?
नीतू - फिर उसे छोड़ दो ना
मैं - पकड़ा कहा है, आराम से रहें यहाँ और पढ़ाई करें।
फिर मै प्रीति की ओर मुड़ा और पूछा - क्यों प्रीति कुछ दिक्कत है तुम्हे
प्रीति कुछ नहीं बोली। फिर मैंने नीतू को गर्दन पकड़ते हुए उठाया। उसके चेहरे को अपने चेहरे के पास लाया और बोला - मुझे किसके साथ क्या करना है, तू मत बता। शान्ति से रह और मजे ले वरना सबको नंगा सड़क पर खड़ा कर दूँगा।
ये कह कर मैंने नीतू को अलग किया। नीतू के साथ मेरे ऐसे व्यवहार से प्रीति और भी खुद में सिमट गई।
नीतू वही जमीन पर बैठी रही, फिर मै प्रीति की ओर मुड़कर बोला - तुझे बोला था ना थोड़े मॉडर्न कपड़े पहना कर, समझ नहीं आता एक बार में।
कल से मुझे शिकायत नहीं मिलनी चाहिए समझी। फिर मैंने मंजू को बोला कि शिल्पी के कपड़े से कोई अच्छा ट्रेंडी कपड़ा प्रीति को दे और इसे ले जाकर तैयार करो।
इधर मैंने नीतू को अपने साथ बेडरूम में आने को बोला। बेडरूम में मैंने नीतू से बोला की तुम एक वन पीस निकाल के पहन लो मंजू के कवर्ड से। नीतू ने एक ऐसी ही ड्रेस निकाला। फिर उसने अपनी ट्रांसपेरेंट नाईटी उतारी और ब्रा पहनने लगी। मैंने उसके हाथ से ब्रा छीन ली और बोला बिना ब्रा के ऐसे ही पहन लो। नीतू ने थोड़ी ना नुकुर की और फिर वों ड्रेस पहन ली।
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Jabara attitude..... ab bas jaldi se admission ho jaye priti ka to phir priti bhi rakhail ban k rahegi.... bas manish ko shant karna rah gaya hai....
Nice update....
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नीतू को मंजू का वन पीस छोटा हो रहा था और वों उसके घुटने से काफी ऊपर ही रह गया। नीतू की मोटी और लम्बी टाँगे खुली हुई थी जो उसके ड्रेस को सेक्सी बना रही थी। नीतू की बंद कमरे में चुदाई अलग बात थी लेकिन ऐसे बाहर जाना उसके लिए बिल्कुल नया अनुभव होने वाला था।
उधर मंजू ने प्रीति को जीन्स और टॉप पहनाया। प्रीति ने भी जीन्स और टॉप पहली बार पहना होगा वों भी सिर झुकाए बाहर को आ गई। दोनों का मुँह बना ही हुआ था, इसे देखकर मुझे हंसी आ गई। इन सब के बीच मुझे यह ध्यान ही नहीं रहा कि मै तो सुबह से नंगा हूँ और मै नंगा तो बाहर जा नहीं सकता। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और गाड़ी निकाल ली।
नीतू मेरे साथ फ्रंट सीट पर और प्रीति पीछे बैठ गई। मै ड्राइविंग के दौरान नीतू के जांघो पर हाथ सहलाता रहा और प्रीति आँखे नीचे करके चुपचाप बैठी रही।
हमलोग थोड़ी ही देर में कॉलेज पहुँच गए। कॉलेज पहुंचते ही मैंने नीरज को फोन किया। नीरज की उम्र लगभग 55-56 साल होगी लेकिन वों पूरा ठरकी था और नए नए चुत का दीवाना था। नीरज ने एडमिशन के लिए शबाब और शराब की डील की थी और आज देखना था कि वों क्या बोलता है?
नीरज जो कि कॉलेज का प्रिंसिपल था, मैंने रिसेप्शन पर पहुंचते ही रिसेप्शनशिट से बोला कि नीरज जी से बोलों राज आया हुआ है।
उसने इंटरकॉम पर उससे पूछा और हम उसके केबिन में।
नीरज- आइए राज साहब, नमस्कार
मै - नमस्कार नीरज जी, कैसे है आप
नीरज - बस आपकी दया दुआ है।
फिर हम दोनों इधर उधर की बाते करने लगे और इधर दोनों मां बेटी चुपचाप बैठी थी। नीतू को वन पीस में काफी अजीब लग रहा था और बैठने से वन पीस ऊपर की ओर खींच गया था। वों किसी तरह अपने पैरों को समेट कर बैठी थी ताकि उसकी पैंटी ना दिखने लगे।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुए, फिर प्रीति का एडमिशन उन्होंने अपने कोटे से कराने का बोल दिया। फिर वों मेरी तरफ देख कर बोला - अब आपका काम हो गया, मेरी फीस उधार रही।
यह सुनकर मैंने स्माइल दी और अपना एक हाथ नीतू के जांघो के बीच ले जाकर उसके पैर के बीच जगह बनाते हुए बोला - आप कहें तो आपकी फीस अभी पेमेंट कर दूँ।
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(01-12-2022, 03:11 AM)raj4bestfun Wrote: नीतू को मंजू का वन पीस छोटा हो रहा था और वों उसके घुटने से काफी ऊपर ही रह गया। नीतू की मोटी और लम्बी टाँगे खुली हुई थी जो उसके ड्रेस को सेक्सी बना रही थी। नीतू की बंद कमरे में चुदाई अलग बात थी लेकिन ऐसे बाहर जाना उसके लिए बिल्कुल नया अनुभव होने वाला था।
उधर मंजू ने प्रीति को जीन्स और टॉप पहनाया। प्रीति ने भी जीन्स और टॉप पहली बार पहना होगा वों भी सिर झुकाए बाहर को आ गई। दोनों का मुँह बना ही हुआ था, इसे देखकर मुझे हंसी आ गई। इन सब के बीच मुझे यह ध्यान ही नहीं रहा कि मै तो सुबह से नंगा हूँ और मै नंगा तो बाहर जा नहीं सकता। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और गाड़ी निकाल ली।
नीतू मेरे साथ फ्रंट सीट पर और प्रीति पीछे बैठ गई। मै ड्राइविंग के दौरान नीतू के जांघो पर हाथ सहलाता रहा और प्रीति आँखे नीचे करके चुपचाप बैठी रही।
हमलोग थोड़ी ही देर में कॉलेज पहुँच गए। कॉलेज पहुंचते ही मैंने नीरज को फोन किया। नीरज की उम्र लगभग 55-56 साल होगी लेकिन वों पूरा ठरकी था और नए नए चुत का दीवाना था। नीरज ने एडमिशन के लिए शबाब और शराब की डील की थी और आज देखना था कि वों क्या बोलता है?
नीरज जो कि कॉलेज का प्रिंसिपल था, मैंने रिसेप्शन पर पहुंचते ही रिसेप्शनशिट से बोला कि नीरज जी से बोलों राज आया हुआ है।
उसने इंटरकॉम पर उससे पूछा और हम उसके केबिन में।
नीरज- आइए राज साहब, नमस्कार
मै - नमस्कार नीरज जी, कैसे है आप
नीरज - बस आपकी दया दुआ है।
फिर हम दोनों इधर उधर की बाते करने लगे और इधर दोनों मां बेटी चुपचाप बैठी थी। नीतू को वन पीस में काफी अजीब लग रहा था और बैठने से वन पीस ऊपर की ओर खींच गया था। वों किसी तरह अपने पैरों को समेट कर बैठी थी ताकि उसकी पैंटी ना दिखने लगे।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुए, फिर प्रीति का एडमिशन उन्होंने अपने कोटे से कराने का बोल दिया। फिर वों मेरी तरफ देख कर बोला - अब आपका काम हो गया, मेरी फीस उधार रही।
यह सुनकर मैंने स्माइल दी और अपना एक हाथ नीतू के जांघो के बीच ले जाकर उसके पैर के बीच जगह बनाते हुए बोला - आप कहें तो आपकी फीस अभी पेमेंट कर दूँ।
Nice update.....
Admission hote hi priti yaha fix ho jayegi aur uski maa to jab mauka mile tab aa kar k chudwati rahegi.....
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Nice waiting for next one... please give mega updaye....
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Waiting for the update.... plz give updates regularly....
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Dear writer raj4bestfun.... plz update the story....
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जब मैंने नीतू के जांघो के बीच हाथ रख कर जगह बनाया, उसकी पैंटी दिखने लगी। मेरे ऐसा करने से नीतू झेप गई और जल्दी से मेरा हाथ हटा दिया नीरज की हवसी निगाहों ने पैंटी और उसके अंदर छुपे हुए चुत को स्कैन कर लिया।
नीरज की आँखों को संतुष्टीे मिलती इससे पहले नीतू ने मेरा हाथ हटा दिया और अपने दोनों पैरों को चिपका लिया। मेरे हाथ हटाने के बाद नीतू बुरी तरह शर्मा गई और नीचे जमीन की ओर देखने लगी।
फिर मैंने नीरज को आज शाम डिनर पर आने के लिए बोला और कहा की साथ में बहुत कुछ मिलेगा। नीरज ने हसते हुए आना स्वीकार किया। एडमिशन हो चुका था इसलिए प्रीति और नीतू बहुत खुश थे।
हम तीनों कॉलेज से बाहर निकले तो सबकी नजर नीतू की गदराये बदन पर थी। नीतू की वन पीस पीछे से सिर्फ उसकी चूतड़ों तक को ही ढक पा रही थी। सभी स्टूडेंट्स का ध्यान नीतू को ताड़ने पर ही था और मै सबके फैनटसी को पूरा करना चाहता था। मै कॉलेज घुमाने के बहाने नीतू की बड़ी बड़ी चूचियों और चौड़ी गांड का दर्शन सबको कराया। कोई भी औरत यह महसूस कर लेती है कि उसे कौन कौन देख रहा हैं। नीतू सबकी इस अटेंशन से खुद को छुपाना चाह रही थी लेकिन वों मुझसे कुछ बोल नहीं पा रही थी।
फिर थोड़ी देर घूमने के बाद हम तीनों घर आ गए। मंजू ने गेट खोला।
नीतू ने मंजू को बताया कि एडमिशन हो गया है तो मंजू भी खुश हुई और प्रीति को गले लगाकर बधाई दी।
अब हम चारों घर में अंदर आ गए। अंदर मैं सोफे पर बैठा और नीतू को अपने जांघो पर बिठाया। नीतू कि वन पीस जो पहले ही काफी छोटी थी उसे मैंने बैठते वक्त ऊपर कर दिया। अब नीतू मेरी जांघो पर बैठी थी। सामने से उसकी ड्रेस उसकी पैंटी को ढक रही थी लेकिन पीछे से उसकी ड्रेस उसकी पीठ पर थी। मंजू और प्रीति भी सामने बैठी थी।
नीतू को अपने जांघो पर बिठाने के बाद मैं अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाला और कस कर चिकोटी काटते हुए बोला - अब तो खुश हो ना
नीतू दर्द से कराह उठी और बोली - हाँ, मै बहुत खुश हूँ।
मै - ये हुई ना बात।
ऐसा कहते कहते मैंने नीतू को अपनी जांघो से हल्का ऊपर उठाया और तेजी से उसकी पैंटी नीचे की ओर सरका दी।
ऐसा करते हुए मुझे मंजू और प्रीति ने भी देख लिया। प्रीति के सामने नीतू की पैंटी अभी तक नहीं उतरी थी लेकिन अभी उसकी पैंटी उसके घुटने के नीचे थी। मंजू और नीतू दोनों चौंक गए और असहज महसूस करने लगे। उन दोनों से कहीं ज्यादा असहज प्रीति हुई और वों उठकर अपने कमरे में जाने लगी।
मैंने ऊँची आवाज में प्रीति को रोका और बोला -
मै - प्रीति इधर आओ।
प्रीति चुपचाप हमारे सामने आयी। उस वक्त नीतू ने अपना चेहरा मेरी छाती की ओर कर छुपा रखा था।
फिर मैंने प्रीति से कहा - अब जल्दी से इसकी पैंटी उतार।
प्रीति हिचकीचाई और वही खड़ी रही तो मैंने चिल्लाते हुए कहा - निकाल।
प्रीति तुरंत नीतू की पैंटी को घुटने से नीचे किया और पांव से बाहर निकाल कर बेड पर रख दिया।
इसके बाद मै फिर बोला - शाबाश प्रीति।
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Brilliant....
Superb update....
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(30-11-2022, 08:34 AM)varunsingh1990 Wrote: Jabara attitude..... ab bas jaldi se admission ho jaye priti ka to phir priti bhi rakhail ban k rahegi.... bas manish ko shant karna rah gaya hai....
Nice update....
Thanks
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(06-12-2022, 04:19 PM)abcturbine Wrote: Brilliant....
Superb update....
Thank You
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8
प्रीति ने घुटने से नीतू की पैंटी उतार दी। अब नीतू पैंटी नहीं पहनी थी लेकिन उसका वन पीस उसके चुत को छुपाये हुए था।
नीतू ने शर्मा कर अपना सर मेरे छाती से चिपका लिया था। मैंने उसके सर को गर्दन से ऊपर किया और उसके होंठो को चूमने लगा। नीतू को चूमते चूमते मैंने उसे अपनी ओर खींचा जिससे उसके चूतड़ मंजू और प्रीति के सामने हो गए। नीतू के आगे पीछे होने से उसकी ड्रेस और ऊपर की ओर खींच गई। अब वों पीछे से नंगी थी और मै अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को मसले जा रहा था। थोड़ी देर तक चूमा चाटी के बाद मैंने नीतू को खुद से अलग किया।
फिर मै नीतू से कहा जाओ जा के फ्रेश हो के आओ। उधर मंजू लंच टेबल पर रखने लगी। हाल में सिर्फ प्रीति थी। उसको मैंने इशारे से अपने पास बुलाया। वों जब मेरे पास आयी तो मै सोफे से उठकर खड़ा हो गया। फिर अपने दोनों हाथों को उसके कमर के पीछे ले गया और अपनी ओर खींच कर बोला - चल जल्दी से मेरे कपड़े उतार दे।
प्रीति चुपचाप मेरी टीशर्ट को ऊपर की और मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी। उसके बाद वों मेरी जीन्स का बटन खोल के जीन्स को नीचे करने लगी। मैंने भी उसको पूरा सहयोग दिया और जीन्स को खुद से अलग कर दिया। अब मै अंडरवियर में था जिसके अंदर मेरा लंड तम्बू बना के खड़ा हो गया।
प्रीति रुक गई तो मैंने उसको अपने आँखों से इशारा किया कि इसे भी उतारे।
डरते हुए बेमन से उसने मेरे अंडरवियर को नीचे किया। जैसे ही मेरा लंड आजाद हुआ, मैंने अपने लंड को प्रीति के गालों पर फेरते हुए कहा - जा जल्दी से फ्रेश हो के लंच के लिए आ जा।
प्रीति अपने कमरे में गई और मै बाथरूम की ओर बढ़ा। मैंने देखा बाथरूम का दरवाजा बंद है और नीतू उसके अंदर है।
मै - भोसड़ी के, किससे छुपा रही है? दरवाजा खोल जल्दी से
नीतू ने जैसे अंदर नंगी थी वैसे ही दरवाजा खोल दिया।
मै - मादरचोद, गेट क्यों बंद की? गेट खोल के नहाया कर समझी।
इतना बोल के मै फ्रेश हुआ और आ गया। नीतू चुपचाप वही खड़ी रही जब तक मै फ्रेश ना हो जाऊ।
फिर हम सब लोग लंच के टेबल पर थे। मैंने मंजू को इशारा किया और मंजू ने मुझे अपने हाथों से लंच कराया।
अब शाम के चार बज चुके थे। तभी नीरज का मैसेज आया कि वों आज नाईट में डिनर के लिए आएगा।
मै नीतू की ओर देखा और बोला - नीतू तू जा के अभी बेडरूम में रेस्ट कर ले, रात में तुझे मेहनत करनी है।
नीतू बेडरूम में चली गई। मंजू को मैंने छत पर जा के मेरे फ्लैट को साफ करने के लिए बोल दिया।
मंजू छत पर चली गई। हाल में मै और प्रीति थे। अब मै लगभग हर वक्त घर में पूरा नंगा ही घूमता था। मै प्रीति को अपने पास बुलाने की सोच ही रहा था कि डोरबेल बज गया। तभी मेरी नजर घड़ी पर गई, ये तो मनीष और शिल्पी के आने का टाइम हो गया।
मैंने प्रीति को कहा कि जा दरवाजा खोल और मै जल्दी से बेडरूम में आ गया।
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