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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#81
Brilliant...
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#82
मंजू मेरे अंडकोष को अपने दोनों हाथों से अच्छे से मसल रही थी मानो वों गोलियों के साथ खेल रही थी। नीतू आश्चर्य भरी नज़रों से मंजू को देख रही थी। मैंने नीतू का हाथ खींच कर मेरे लंड को उसके हाथों में पकड़ाया। मेरे लंड को वों देख तो चुकी थी लेकिन अपने हाथों में लेने के लिए शायद वों अभी तैयार भी नहीं थी। उसने लंड से अपने हाथों से हटाना चाहा लेकिन मैंने उसका हाथ पकडे रखा।

नीतू अभी मेरा लंड अपने हाथों को पकड़ कर हल्का हल्का हिला ही रही थी कि प्रीति के अपने कमरे से बाहर निकलने क़ी आवाज आयी। नीतू ने झट से अपने हाथों से लंड को अलग किया और कमरे से बाहर निकलने के लिए उठी। मैंने नीतू का हाथ पकड़ कर रोका और मंजू को बाहर जाकर प्रीति को देखने का इशारा किया।

प्रीति सामान्य रूप से बाथरूम जाने के लिए उठी थी। मंजू पेटीकोट और ब्लाउज में ही बाहर निकली थी। प्रीति बाथरूम से बाहर आने के बाद हाल में चली आयी।

मंजू प्रीति से - क्या हुआ
प्रीति - नींद खुल गई, और कितनी देर सोऊ और आपने साड़ी नहीं पहन रखा
मंजू - घर में कोई बाहर का थोड़ी ना है। सोते वक्त साड़ी उतार दी, आराम रहता है
प्रीति - और मम्मी कहा है
मंजू - वों भी सो रही है।

अब मंजू और प्रीति बैठकर टीवी देखने लगे और मैं और नीतू कमरे में एक तरह से बंद हो गए।

नीतू को फिर से मैंने इशारा किया तो वों चुपचाप मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़कर हिलाने लगी। अभी वों अकेली थी मेरे साथ इस वजह से या कोई और वजह हो वों अब मेरे लंड को अच्छे से हिला कर ऊपर नीचे करने लगी। फिर उसने थोड़ा सा सरसो तेल मेरे लंड के ऊपर डाला और लंड पर तेल से मालिश करने लगी। लंड जो आलरेडी तन के खड़ा था वों अपने सुपारे को छोड़ कर बड़ा और काफी बड़ा होता जा रहा था और उतना ही मेरा रोमांच बढ़ रहा था। मैंने नीतू के पल्लू को नीचे गिराया और ब्लाउज के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा। नीतू मेरा हल्का हल्का साथ दे रही थी।

लगातार तेल क़ी मालिश से मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और यह नीतू के पूरे चेहरे पर फैल गया। फिर मैंने नीतू को पलटा और उसके गर्दन के पास कस के किस करना शुरू किया। नीतू की सिसकी निकल गई लेकिन किसी तरह उसने खुद पर कंट्रोल किया।

नीतू ने ब्लाउज भी ऐसा पहन रखा था जो उसके पूरे पीठ को ढक रहा था। मैंने दोनों हाथों से खींचा और ब्लाउज के पिछले हिस्से को फाड़ दिया। अब पीछे सिर्फ पीठ पर ब्रा की स्ट्रिप थी। अब मैंने उसके पूरे पीठ को चूमना स्टार्ट किया। पीठ चूमने के क्रम में मैंने अपने दांत से ही हुक खोल दिया और अब उसकी पूरी पीठ नंगी थी। पूरी पीठ को चूमते चूमते मैं नीचे कमर तक पहुँच गया और साड़ी को पेटीकोट सहित हल्का नीचे की ओर किया। वों साड़ी थोड़ी ढीली ही पहनती थी इसलिए वों आराम से नीचे हो गए और पीछे से उसकी गांड मेरे सामने दिखने लगी। मैंने उसके गांड में ऊँगली की तभी वों मेरी ओर मुड़ गई और मेरे सामने हाथ जोड़ते हुए धीमी आवाज में बोली - प्लीज मेरे साथ ये सब मत करो

मैं - क्या नहीं करू
नीतू - जो कर रहें थे
मैं - क्यों
नीतू - मेरी शादी हो रखी है, पति है मेरा
मैं - पति यहाँ थोड़ी ना है और ना उसे पता लगेगा
नीतू - पता लगा तो
मैं - पता ही नहीं लगेगा
नीतू - फिर भी गलत है ये
मैं - मैं तो करूंगा

अब नीतू कुछ नहीं बोल पायी लेकिन शायद अभी भी वों पूरे मन से तैयार नहीं थी सेक्स करने को।
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#83
(17-11-2022, 04:33 PM)abcturbine Wrote: Brilliant...

Thanks
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#84
(16-11-2022, 02:00 PM)chandamadam Wrote: great story .... pls continue

Sure, thanks
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#85
(16-11-2022, 03:58 PM)varunsingh1990 Wrote: Awesome update..... waiting for next update....

Thanks
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#86
मंजू और प्रीति हाल में टीवी देख रहें थे और नीतू मेरे साथ बेडरूम में थी। नीतू की गांड की दीवारों को मैं चूम चुका था लेकिन वों मुझे इससे आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी या कोई डर है उसके मन में जो वों नहीं कुछ करना चाहती थी। मैं उसको तैयार कर के ही सेक्स करना चाहता था और वों भी धीरे धीरे गर्म हो रही थी।

नीतू पीठ से पूरी तरह नंगी थी और मालिश के बाद मैं भी नंगा ही था। बेडरूम में पूरी तरह सन्नाटा हो रखा था। मैंने इस चुप्पी को तोड़ते हुए नीतू को अपनी ओर खींचा। नीतू को मैंने लेटें हुए अपनी ओर खींचने पर मेरी छाती पर वों सिर रख दी। मैंने अपना हाथ उसकी पीठ पर रखा जो पूरी तरह नंगी थी। उसकी पीठ को मैं सहला रहा था और मेरे छाती पर सर रख कर वों सुकून महसूस कर रही थी। फिर मैंने लेटें लेटें ही उसके माथे पर किस किया तो वों कसकर मुझसे चिपक गई।

मैं उससे उसके परिवार और इधर उधर की बातें करने लगा और वों अब अपनी परेशानियां मुझे बता रही थी। उसके सॉफ्ट सॉफ्ट पेट पर मेरा लंड टच हो रहा था। मैंने अपने लंड को उठाके उसके नाभि के छेद पर लगा दिया।

फिर मैंने नीतू की ब्लाउज जो पीछे से फटी हुई थी उसको मैंने आगे से निकाल दिया। अब नीतू के शरीर में ऊपरी हिस्से पर सिर्फ ब्रा था। उसके डबल साइज बूब्स ब्रा से आधे बाहर निकले थे मैंने उन्हें अपने जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसके बूब्स को चाट कर मैंने पूरा गिला कर दिया और फिर उसको ब्रा के ऊपर से ही जोर जोर से मसलने लगा।

नीतू भी अब गर्म हो रही थी और मैं अब तेजी से उसके पेट के हिस्से को चूमने लगा। पेट को चूमते चूमते मैंने उसकी साड़ी को नीचे की ओर खिसकाया और उसके चुत के ऊपर किस करने लगा। नीतू की आह निकलने लगी लेकिन हाल में प्रीति बैठी हुई थी इसलिए वों किसी तरह बर्दाश्त कर रही थी। मैंने मंजू को मैसेज किया कि वों प्रीति को किसी बहाने से छत पर ले जाए और जब तक मैं ना कहूँ वों ऊपर ही रहें।

मंजू ने तुरंत मेरा आदेश माना और प्रीति को छत पर ले गई। अब नीचे मैं और नीतू अकेले थे। मैंने उसकी चुत के ऊपर चूमना चालू रखा और अब नीतू की सिसकारिया मेरे जोर को और बढ़ा रही थी। मैंने साड़ी को और नीचे की और धकेला और साड़ी पेटीकोट के साथ उसके घुटने पर था। नीतू ने अपने पैर से साड़ी और पेटीकोट को निकाला। अब वों बिकनी में मेरे सामने लेटी थी यानि सिर्फ ब्रा और पैंटी में।

अब मैं उसके जांघो को चूम रहा था। जांघो को चूमते चूमते मैंने उसको पीछे की ओर मोड़ा और उसकी कमर के पास जा के चूमने लगा। कमर को चाटते चाटते मैंने उसकी पैंटी नीचे की। उसके नितम्ब जो थोड़ी चौड़ी थे साथ में बिल्कुल सफेद। उन नितम्बो को मैंने कस के मसला और उस पर दो -तीन थप्पड़ मारे जिससे वों लाल लाल दिखने लगे।

अब नीतू की शरीर पर सिर्फ उसकी ब्रा थी और ब्रा में कैद थी उसकी सबसे आकर्षक, मेरे मन को जीत चुके उसके बूब्स।
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#87
नीतू की पैंटी को नीचे उतारने के बाद मैंने उसकी चुत को जमकर चूसा। शायद नीतू की चुत को कभी ऐसे किसी ने चूसा भी ना हो उसकी चिकनी चुत को चूमने से वों लगातार आहे भरती जा रही थी। अब मैं उनकी चुत में अपनी ऊँगली फेर रहा था और उसकी चुत अभी भी अच्छी खासी टाइट थी।

चुत को चाटते चाटते नीतू की चुत ने पानी छोड़ दिया। जिसे उसने जल्दी से पास में रखे कपड़े से पोछ लिया। अब मेरी तैयारी थी उसके बूब्स पर चढाई करने की। मैंने पेट से बूब्स की ओर चाटना शुरू किया और चूमते चूमते ब्रा को ऊपर किया।

नीतू के बड़े बड़े बूब्स अब उसकी ब्रा के कैद से आजाद थे। मैंने पूरी जीभ को उसके बूब्स को चाटने में लगा दिया। बूब्स चाटने के बाद मैंने उसके निप्पल्स को ऊँगली से पकड़ कर खींचा जिससे उसकी चीख निकल गई। अब नीतू के बूब्स को मैंने कई मिनटों तक अपने दोनों हाथों से मसलता रहा। बूब्स भी मानो इसका खूब मजा ले रहें थे।

इसके बाद मैं अपने लंड को उसकी चुत के पास ले जाकर घिसने लगा। नीतू की आह निकल रही थी तभी मैंने अपने लंड को उसके चुत के अंदर घुसा दिया और पूरे तेज तेज धक्के लगाने लगा। धक्के लगाते लगाते मेरे लंड ने उसकी चुत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया। मैंने अभी मालिश भी करवाया था इसलिए मैं नीतू के बदन पर फिसल रहा था जिससे चुदाई में धक्के मारने की गति के साथ साथ चुदाई का मजा भी बढ़ गया।

इसके बाद हम दोनों पूरे नंगे ही निढाल हो कर बेड पर लेट गए। तभी मंजू का कॉल आया कि 4बज गए और मनीष और शिल्पी के घर आने का टाइम हो गया है।

मैंने दोनों को नीचे आने को कहा। प्रीति के साथ मंजू नीचे आकर किचन में चली गई। मैंने नीतू को छत पर आने को कहा और जल्दी से नंगा छत पर चला गया।

मैं छत पर अपने फ्लैट में हाल में बैठ गया।

नीचे मंजू और प्रीति किचन में थे तभी नीतू बाथरूम में गई और हल्का शॉवर ले कर साड़ी पहन कर ऊपर आ गई। नीतू ने ये तेजी से किया जिससे प्रीति की नजर नीतू को देख नहीं सकी।

ऊपर मैं नंगा नीतू का इंतजार कर रहा था लेकिन नीतू साड़ी पहन कर आयी थी। मैंने नीतू को जल्दी से अपनी ओर खींचा और उसके कपड़े को उसके शरीर से अलग करने लगा। मैंने मिनटों में उसको नंगा कर दिया और सोफे पर उसे अपने गोद में बिठा लिया।

मेरा लंड जो पूरा टाइट था वों भी तुरंत नीतू की चुत में घुस गया और नीतू मेरे लंड के धक्के से उछल उछल कर मजे ले रही थी। नीतू की दोनों टांगो के बीच में मेरा पैर था और मेरे लंड के झटको के साथ वों भी उछल रही थी। इस तरह हमारे चुदाई का दूसरा राउंड चला।

इसके बाद हम दोनों नंगे बाथरूम की ओर बढ़े। मैंने शॉवर स्टार्ट किया और दोनों गले मिल कर एक साथ शावर लेने लगे। शॉवर के बाद नीतू ने मेरे पूरे शरीर पर साबुन लगाया, उसने मेरे लंड पर साबुन लगाकर मेरे लंड को पकड़कर आगे पीछे करने लगी।  मेरे लंड ने फिर से वीर्य छोड़ा और हम दोनों ने एक दूसरे को रगड़ते हुए नहाया। फिर मैंने अंडरवियर के साइज जैसे छोटा सा बरमुडा निकाला और पहन लिया। मैंने टीशर्ट या बनियान कुछ नहीं पहना मतलब मैं टॉपलेस था।

फिर नीतू ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और वों नीचे आ गई।
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#88
नीतू नीचे चली गई लेकिन मैं ऊपर ही अपने फ्लैट में रहा और प्रीति के एडमिशन की बात सोचने लगा । मेरे जान पहचान में एक व्यक्ति नीरज थे जो एक प्राइवेट कॉलेज के प्रिंसिपल थे। मैंने नीतू को फोन किया और कहा कि थोड़ी देर में ऊपर आ जाना।

नीतू लगभग 7:30 बजे वही साड़ी पहने ऊपर आई। मैं बेड पर लेटा हुआ था।

नीतू - आपने बुलाया सर
मैं -लगता तो ऐसा ही है और इतनी दूर, अब क्यों शर्मा रही हो
नीतू - ऐसा नहीं है। वों प्रीति के एडमिशन का देख लेते।

मैं - हाँ, अभी बात करता हूँ, पहले तुमसे तो बात कर लू। ऐसा कह के मैंने नीतू को अपनी ओर बेड पर खींच लिया। नीतू बेड पर मेरी बाहों में बैठी थी।

फिर मैंने नीरज को फोन किया।

मैं - नीरज जी नमस्कार, कैसे है आप
नीरज - आपकी दुआ है सर, आप बताओ कैसे है
मैं - सब बढ़िया है, एक एडमिशन करवाना था
नीरज - हो जाएगा बस हमारा ध्यान रखिएगा
मैं - बिल्कुल, आप ही बता दो कैसे ध्यान रखना है
नीरज - आप तो जानते ही हो, बस शराब और शबाब चाहिए होता है हमें
मैंने हसते हुए नीतू का बूब्स ब्लाउज के ऊपर से दबा के बाहर की ओर खींचा और बोला - उसकी चिंता आप मत करो, बस एडमिशन हो जाना चाहिए।
नीरज - एडमिशन पक्का है
मैं - चलो ठीक है कल मिलते है कॉलेज में
नीरज - जी ठीक है।

फिर मैंने कॉल डिसकनेक्ट किया। नीतू मुझसे पूछी क्या बोल रहें थे। मैं बोला क्यों सुना नहीं, एडमिशन हो जाएगा। नीतू के चेहरे पर स्माइल आयी और फिर पूछी वों शबाब और शराब क्या बोल रहें थे, मैं हॅस दिया और कुछ बोला नहीं।

नीतू - आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

अब नीतू मेरे साथ खुल चुकी थी। मैंने नीतू को बोला कि कल एक अच्छी ड्रेस पहन के चलना कॉलेज और हाँ प्रीति को भी बोल देना।

फिर मैंने नीतू को कहा कि अब से तुम मुझे हमेशा नंगी बूब्स में दिखनी चाहिए और छोटी सी बरमुडा पहने मैं नीचे आ गया।

मेरे पीछे पीछे नीतू भी आयी जो काफी खुश नजर आ रही थी। मेरे आते ही सब अलर्ट हो गए। मैं सोफे पर बैठ गया जिसपर मंजू बैठी थी। मैंने बगल में नीतू को बैठने का इशारा किया। दोनों सिंगल सोफा पर प्रीति और मनीष बैठे थे। बेड पर शिल्पी बैठी थी।

सबने हसीं मजाक के साथ डिनर किया। फिर मैंने नीतू से कहा कि आज तुम मंजू के साथ सोना। शिल्पी से कहा कि कल प्रीति को कोई अच्छी मॉडर्न ड्रेस पहनाना और आज उसके साथ सो जा।

डिनर के बाद सबसे पहले मनीष अपने कमरे में गया। फिर प्रीति और शिल्पी भी अपने कमरे में गए। अब हाल में मैं, मंजू और नीतू थे।

हाल में मैं दोनों के बीच बैठा था। मैंने दोनों के कंधो पर हाथ रखा और अपनी ओर खींचते हुए बोला - रानियों आज से साथ सोयेंगे।
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#89
Dhamakedar..... chuto ki sankhya badh rahi hai..... do maaye aur do betiya rakhail ban k bistar garam karengi.... maja aayega....
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#90
Jald hi priti ka bhi udgatan hoga....
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#91
मंजू और नीतू दोनों ने हल्की स्माइल दी। मैंने एक हाथ में मंजू और दूसरे हाथ में नीतू का पल्लू पकड़ा और जोर से खींच दिया। दोनों पेटीकोट और ब्लाउज में हो गई।

दोनों के बूब्स इतने टाइट थे मानो ब्लाउज के अंदर से बाहर आने को बेताब हो। मेरे कहे अनुसार मंजू ने ब्रा नहीं पहन रखा था और उसके निप्पल्स ब्लाउज के ऊपर से ही दिख रहें थे। नीतू के बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज के अंदर किसी तरह खुद को समेट पा रहें थे तभी मैंने उसकी ब्लाउज के ऊपर के एक बटन खोल दिए। उसके बूब्स क्लीवेज सहित बाहर से ही दिखने लगे।

मैं उनदोनो के बूब्स से खेल रहा था तभी मैंने प्रीति को आवाज दी। पमंजू और नीतू मेरी ओर देखने लगे तो मैंने कहा कि उससे कल के लिए बात करनी है।

प्रीति चुपचाप मेरे सामने आयी - जी सर
मैं - प्रीति कल चलना है ना कॉलेज
प्रीति सर झुकाए हुए - जी
मैं - गुड, कल थोड़े मॉडर्न ड्रेस पहनना, शिल्पी से ले कर और नीतू तुम भी।

उनके घर में अब मेरी धौन्स थी। सब मेरे सामने झुक चुके थे। मंजू और नीतू प्रीति के सामने पेटीकोट और ब्लाउज में शर्मा रहें थे तो मैंने इशारे से नार्मल होने को कहा और शिल्पी को आवाज दी।

शिल्पी मेरे एक आवाज पर हाल में आ गई। मैंने शिल्पी से बोला -

मैं - कल प्रीति को अच्छे से तैयार करना
शिल्पी - कॉलेज के हिसाब से ना
मैं - हाँ मॉडर्न लुक में
शिल्पी - ठीक है

फिर मैंने शिल्पी से बोला कि अभी सो जाओ तुमलोग कल सुबह बात करूंगा।

दोनों अपने कमरे में चली गई, फिर मैंने मंजू और नीतू की ओर आँखे लाल करते हुए बोला - नार्मल बिहेव करो वरना तुमलोगो को सबके सामने घर में नंगा रखूंगा। बोलों तैयार हो?

दोनों ने कान पकड़ लिए, फिर मैंने कहा कि आज ये माफ कर रहा हूँ और ये आखिरी माफ़ी है। आज के बाद कोई गलती कि तो सज़ा मिलेगी।

दोनों सर झुका के मेरी बातों को सुन रही थी। मैंने बोला खड़ी हो जाओ। मंजू और नीतू खड़े हो गए।  मंजू तुम नीतू के और नीतू तुम मंजू की ब्लाउज खोलो।

दोनों शर्मायी तो मैं उठा और मंजू को एक जोर का थप्पड़ मारा। मंजू हिल गई। और दोनों ने एक दूसरे का ब्लाउज जल्दी से खोल दिया।

मैं - पेटीकोट खोलो
दोनों ने जल्दी से एक दूसरे का पेटीकोट खोल दिया। मंजू दूसरा थप्पड़ नहीं चाहती थी और नीतू पहला।

अब दोनों ब्रा पैंटी में मेरे सामने थे। अब मैंने उनदोनो को हाल में रखे बेड पर जाने का इशारा किया। दोनों बेड पर जा के बैठ गई।

बेड पर दोनों को मैंने कहा कि अपने शरीर को एक दूसरे से रगड़ो और एक दूसरे को नंगा करो। जिसने अच्छे से नहीं किया उसको सजा मिलेगी और कल पूरे दिन उसे नंगा रहना पड़ेगा।
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#92
Amazing....
Superb....
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#93
Next update
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#94
Nice update... dono ladkiyon ko habbituate kar ahe ho khulepan k liye... dana achcha dala hai.... keep it up
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#95
नीतू और मंजू दोनों एक दूसरे के सामने ब्रा पैंटी में बैठे थे। दोनों ने अपने दोनों हाथों से एक दूसरे को पकड़ रखा था और पीठ पर ऊँगली फेर रही थी।  मैंने दोनों का सर पकड़ा और उनके होंठ से होंठ लगा दिया। दोनों एक दूसरे के होंठो को चूसने लगी। नीतू उतने अच्छे से होंठो से किस नहीं कर पा रही थी लेकिन मंजू काफी अच्छे तरीके से किस कर रही थी। एक तरह से कहा जाए तो मंजू नीतू को ट्रेनिंग दे रही हो।

नीतू और मंजू ने किस करते हुए एक दूसरे की ब्रा की स्ट्रिप खोल दी और अगले ही पल दोनों के बूब्स ब्रा के कैद से आजाद हो गए। वें दोनों अपने बूब्स को आपस में रगड़ रही थी तभी मैंने अपना शॉर्ट्स खोला और उनके बूब्स के बीच अपने लंड को ले गया। अब उनदोनो के बूब्स के बीच मेरा लंड था और मैं दोनों के सर को पकड़कर आपस में चिपकाये जा रहा था। बूब्स के रगड़न से मेरा लंड और भी रोमांचित हो रहा था। इसी में आगे पीछे करने से मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया जो उनदोनो के बूब्स और पेट पर फैल गया।

मैंने नीतू को लेटा दिया और मंजू को अपने जीभ से पूरा वीर्य साफ करने को कहा जिससे मंजू ने अच्छे से किया। अब मैंने मंजू को लिटा दिया और उसके बूब्स और पेट पर फैले बूब्स को चाटने के लिए नीतू को बोला। नीतू थोड़ी शर्मा रही थी और वीर्य को चाटने से हिचक भी रही थी। मैंने उसके माथे को पीछे से पकड़ा और मंजू की शरीर की ओर दबाया। इससे बूब्स पर लगे वीर्य नीतू के होंठो से लग गए। मैं उसके सर को दबाए रखा जिससे उसने किसी तरह दबाब में मंजू के बूब्स और पेट पर फैले वीर्य को साफ किया।

अब मंजू और नीतू सिर्फ पैंटी में थी। नीतू ने चाटने में थोड़े नखरे दिखाए थे तो मैं उसको शिल्पी के कमरे की खिड़की के पास ले गया। शिल्पी और प्रीति चैन की नींद सो रहें थे। मैं नीतू को खिड़की से सटे दीवार की ओर टेढ़ा दिया और गुस्साते हुए बोला -

मैं - मादरचोद, नखरे दिखाई ना तो नंगा कर प्रीति के सामने चोदुँगा
नीतू - प्लीज ऐसे मत करना
मैं - फिर जो कहा वों क्यों नहीं की

नीतू चुप रही। वों बुरी तरह डर भी गई थी जिससे उसके बूब्स के ऊपर निप्पल्स पूरा खड़ा हो गया।

अब मै वापिस आ के सोफे पर बैठ गया। नीतू की ओर अभी भी गुस्सा दिखाते हुए बोला -

मैं - जल्दी से पैंटी उतार

मैंने सिर्फ नीतू से बोला था लेकिन मुझे गुस्से में देखकर नीतू और मंजू दोनों ने तुरंत अपनी अपनी पैंटी उतार दिए।

अब हाल में हम तीनो नंगे थे। मेरा लंड अपने फुल साइज में खड़ा होकर दोनों की चुत को मसलने के लिए तैयार था।
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#96
Awesome story....
Please post big updates....
Great great writing....
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#97
(23-11-2022, 03:19 PM)varunsingh1990 Wrote: Nice update... dono ladkiyon ko habbituate kar ahe ho khulepan k liye... dana achcha dala hai.... keep it up

Thanks
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#98
हाल में मैं, नीतू और मंजू पूरी तरह नंगे थे। मेरा लंड फुल टाइट था और बेचैन था कि जल्दी किसी के चुत में घुसे। वों दोनों बहनें भी आपस में खुल रही थी और कहा जाए तो मेरे सामने मेरे डर और प्रभाव से खुल चुकी थी। मैंने सोफे पर बैठे बैठे नीतू को इशारा किया और जबरदस्ती अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।

उसने कभी लंड को मुँह में लिया नहीं था, इसलिए मुझे उसके साथ जोर देना पड़ा। वों जबरदस्ती मेरे लंड का अगला हिस्सा अपने मुँह में ली। मैं तेज गति से लंड को आगे पीछे करने की कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में ही मेरा पूरा लंड उसके मुँह में घुस गया। मैंने पूरे जोर से उसके सर को पकड़ा और लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैं सोफे पर था और जमीन पर बैठकर नीतू मेरा लंड चूस रही थी और ऊपर मंजू ने मेरे होंठो से अपने होंठो को चूसना शुरू कर दिया। इस तरह थोड़ी देर में मेरे लंड ने नीतू के मुँह में वीर्य छोड़ दिया जो मैंने नीतू को पी जाने के लिए विवश किया।

अब मंजू अपने जीभ से मेरे दोनों अंडकोष को चूसने लगी और उनके साथ खेल रही थी। फिर मैंने नीतू के बूब्स को मसलना शुरू किया। फिर दोनों के साथ चुदाई का सिलसिला चला। दोनों की जमकर चुदाई हुई और हम तीनो निढाल होकर सुबह 4 बजे बेडरूम में सो गए। मैंने मंजू और नीतू की चुत का भोसड़ा बना दिया और मेरा भी हाल चुदाई करते करते बुरा हो गया।

सुबह घर में सभी लोग उठ गए लेकिन हम तीनो नंगे बेहोशी के हालत जैसे सोए रहें। तभी शिल्पी की कॉल आयी और मेरी नींद खुली। मैंने उसके कॉल का कोई जवाब नहीं दिया और मंजू और नीतू को जगाया।

मंजू और नीतू भी उठ गई। नीतू के उठते ही मैंने उसके बूब्स को मसलना शुरू किया। उसके बूब्स को चूसने का मजा अलग ही था, मैंने उसके बूब्स को फिर चूसा भी। मंजू एक नाईटी अपने शरीर पर डाली और बाहर को आयी। शिल्पी और मनीष को स्कूल और कॉलेज के लिए उसे ब्रेकफास्ट बनाना था।

इधर मै नीतू के बूब्स को चूसते चूसते उसको फिर से गर्म करने लगा। नीतू के पति ने उसकी चुदाई को की थी लेकिन कुछ और नहीं। बूब्स चूसने या चुत चाटने से नीतू कुछ ज्यादा ही रोमांचित हो जाती थी और आज भी ऐसा ही हुआ।

बूब्स चूसते चूसते वों गर्म होकर मेरे लंड पर बैठ गई। लंड पर बैठने के बाद मैंने भी अपना लंड उसके चुत के छेद में डाल दिया और उसको अपने लंड के झटको से उछालने लगा।

इस तरह हम दोनों का चुदाई का एक राउंड और चला। नीतू पूरी मूड में आ गई और फिर मेरा लंड ले कर चूसने लगी।

उधर शिल्पी और मनीष अपने अपने कॉलेज और स्कूल चले गए। मंजू शायद बाथरूम में गई होगी। प्रीति उठ गई और नीतू से मिलने बेडरूम की ओर आयी। मंजू सुबह बेडरूम से बाहर गई उसके बाद मुझे या नीतू को बेडरूम बंद करना याद ही नहीं रहा।

नीतू पूरी रफ्तार से मेरे लंड को चूस रही थी तभी मेरी नजर कमरे के दरवाजे पर पड़ी और मै चौंक गया। दरवाजे पर प्रीति खड़ी थी और मेरे लंड को चूसते वक्त नीतू की पीठ दरवाजे की ओर थी, इसलिए नीतू को प्रीति का कुछ पता नहीं था।

मेरी नजर प्रीति से मिल गई और मैंने प्रीति की आँखों में आँखे डालते हुए जोर से बोला - अच्छे से चूस और अपने पैरों से उसके चूतड़ों को मारा।

प्रीति डर गई या उसे कुछ समझ नहीं आया वों वहाँ से चली गई। अब प्रीति की प्रतिक्रिया क्या होगी मै सोचने लगा। आज तो हम सभी को प्रीति के एडमिशन के लिए कॉलेज जाना था, कहीं उत्साह में मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई? मेरे दिमाग में पता नहीं और क्या क्या चलने लगा।
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#99
(26-11-2022, 12:41 PM)raj4bestfun Wrote: हाल में मैं, नीतू और मंजू पूरी तरह नंगे थे। मेरा लंड फुल टाइट था और बेचैन था कि जल्दी किसी के चुत में घुसे। वों दोनों बहनें भी आपस में खुल रही थी और कहा जाए तो मेरे सामने मेरे डर और प्रभाव से खुल चुकी थी। मैंने सोफे पर बैठे बैठे नीतू को इशारा किया और जबरदस्ती अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।

उसने कभी लंड को मुँह में लिया नहीं था, इसलिए मुझे उसके साथ जोर देना पड़ा। वों जबरदस्ती मेरे लंड का अगला हिस्सा अपने मुँह में ली। मैं तेज गति से लंड को आगे पीछे करने की कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में ही मेरा पूरा लंड उसके मुँह में घुस गया। मैंने पूरे जोर से उसके सर को पकड़ा और लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैं सोफे पर था और जमीन पर बैठकर नीतू मेरा लंड चूस रही थी और ऊपर मंजू ने मेरे होंठो से अपने होंठो को चूसना शुरू कर दिया। इस तरह थोड़ी देर में मेरे लंड ने नीतू के मुँह में वीर्य छोड़ दिया जो मैंने नीतू को पी जाने के लिए विवश किया।

अब मंजू अपने जीभ से मेरे दोनों अंडकोष को चूसने लगी और उनके साथ खेल रही थी। फिर मैंने नीतू के बूब्स को मसलना शुरू किया। फिर दोनों के साथ चुदाई का सिलसिला चला। दोनों की जमकर चुदाई हुई और हम तीनो निढाल होकर सुबह 4 बजे बेडरूम में सो गए। मैंने मंजू और नीतू की चुत का भोसड़ा बना दिया और मेरा भी हाल चुदाई करते करते बुरा हो गया।

सुबह घर में सभी लोग उठ गए लेकिन हम तीनो नंगे बेहोशी के हालत जैसे सोए रहें। तभी शिल्पी की कॉल आयी और मेरी नींद खुली। मैंने उसके कॉल का कोई जवाब नहीं दिया और मंजू और नीतू को जगाया।

मंजू और नीतू भी उठ गई। नीतू के उठते ही मैंने उसके बूब्स को मसलना शुरू किया। उसके बूब्स को चूसने का मजा अलग ही था, मैंने उसके बूब्स को फिर चूसा भी। मंजू एक नाईटी अपने शरीर पर डाली और बाहर को आयी। शिल्पी और मनीष को स्कूल और कॉलेज के लिए उसे ब्रेकफास्ट बनाना था।

इधर मै नीतू के बूब्स को चूसते चूसते उसको फिर से गर्म करने लगा। नीतू के पति ने उसकी चुदाई को की थी लेकिन कुछ और नहीं। बूब्स चूसने या चुत चाटने से नीतू कुछ ज्यादा ही रोमांचित हो जाती थी और आज भी ऐसा ही हुआ।

बूब्स चूसते चूसते वों गर्म होकर मेरे लंड पर बैठ गई। लंड पर बैठने के बाद मैंने भी अपना लंड उसके चुत के छेद में डाल दिया और उसको अपने लंड के झटको से उछालने लगा।

इस तरह हम दोनों का चुदाई का एक राउंड और चला। नीतू पूरी मूड में आ गई और फिर मेरा लंड ले कर चूसने लगी।

उधर शिल्पी और मनीष अपने अपने कॉलेज और स्कूल चले गए। मंजू शायद बाथरूम में गई होगी। प्रीति उठ गई और नीतू से मिलने बेडरूम की ओर आयी। मंजू सुबह बेडरूम से बाहर गई उसके बाद मुझे या नीतू को बेडरूम बंद करना याद ही नहीं रहा।

नीतू पूरी रफ्तार से मेरे लंड को चूस रही थी तभी मेरी नजर कमरे के दरवाजे पर पड़ी और मै चौंक गया। दरवाजे पर प्रीति खड़ी थी और मेरे लंड को चूसते वक्त नीतू की पीठ दरवाजे की ओर थी, इसलिए नीतू को प्रीति का कुछ पता नहीं था।

मेरी नजर प्रीति से मिल गई और मैंने प्रीति की आँखों में आँखे डालते हुए जोर से बोला - अच्छे से चूस और अपने पैरों से उसके चूतड़ों को मारा।

प्रीति डर गई या उसे कुछ समझ नहीं आया वों वहाँ से चली गई। अब प्रीति की प्रतिक्रिया क्या होगी मै सोचने लगा। आज तो हम सभी को प्रीति के एडमिशन के लिए कॉलेज जाना था, कहीं उत्साह में मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई? मेरे दिमाग में पता नहीं और क्या क्या चलने लगा।

Jabardast update...... ab ek naya twist aa sakta hai.... dekhte hain k kya hota hai
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Dear writer ek request hai k plz regularly and bada update dijiye.... waiting for next update....
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