Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३७ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part ३)
#81
thank you all readers, next update soon
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#82
Thank you all for feedback.
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#83
wwwwwwwoooooooowwwwwwwwwwwwwww
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#84
(27-10-2022, 12:49 AM)raj500265 Wrote: wwwwwwwoooooooowwwwwwwwwwwwwww

Thank you u liked it
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#85
Amazing......
Superb....
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#86
thanks readers..please give update
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#87
Thanks all readers..plese rate, comment and like the story
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#88
पार्ट २४: मेरी शादी !

कॉलेज के फाइनल ईयर की इंजीनियरिंग में  मुझे कैंपस इंटरव्यू से बंगलूर में एक अच्छी IT कंपनी में नौकरी  मिल गयी थी.. मैं आगे पढ़ना चाहती थी, उसके लिये नौकरी के साथ आगे की पढाई के लिये एग्जाम की तैयारी भी कर रही थी. बंगलूर मैं विवेक अंकल भी रहते थे. उन्होंने मुझे और मेरी सहेलियों के लिये ऑफिस के पास रहने के लिये फ्लैट ढूंढ कर दिया.  

पहले दिन बंगलूर एयरपोर्ट पर विवेक मुझे लेने आये. उनके बाल अब उम्र के हिसाब से थोड़े सफ़ेद हो गए थे, पर उनके बॉडी और भी अच्छी हो गयी थी  किसी पके हुए आम की तरह सब जगह से मासलदार हो गयी थी. उनको देख कर मैंने  उनको कस के पकड़ लिया ओर एक बड़ा सा आलिंगन दे दिया. उन्होंने भी धीरे से मेरे कान के पास ओंठ लगा दिए..  आई मिस्ड यू संध्या. 

मैं एक दिन पहले उनके घर चली गयी. मेरी सहेलियां दूसरे दिन आने वाली थी. भाभी भी मुझे देखकर बहुत खुश हुई. नाश्ता चाय करके विवेक अंकल ने कहा - संध्या को फ़्लैट दिखाता हूँ ओर वहा से फिर ऑफिस चला जाऊंगा. 
मेरा फ़्लैट ओर ऑफिस विवेक अंकल के घर से दूर था. मैं उनकी कार में ड्राइवर की साइड वाली सीट पर  बैठ गयी ओर वो ड्राइव करने लगे. मैंने कहा - विवेक अंकल फ़्लैट में  क्या क्या दिखाने ले जा रहे. विवेक अंकल हंस दिये. तुझे पसंद वो सब दिखा दूंगा. तेरी पसंद का चॉक्लेट भी खिला दूंगा. संध्या तू अब ओर भी मस्त जवान हो गयी है. तेरा आंग अंग मस्त भर गया हैं ओर गदराया शरीर है.
मैंने कहा: आप भी मस्त दिख रहे अब विवेक अंकल. मस्त हर जगह गदराये ओर पके फल जैसे.  
हम दोनों हंस दिये.
फ़्लैट में विवेक अंकल सीधे मुझे बेडरूम में  ले कर गये. उन्होंने प्यार से मुझे पास खिंच लिया ओर मुझे जोर जोर से चूमने लगे. इतने दिन बाद मिल रहे थे..मैंने भी उनको कस के पकड़ लिये. कुछ मिनट में  हम नंगा हो गये ओर मैं उनकी गोदी में नंगी बैठी थी. उन्होंने उनका मोटा लण्ड धीरे से मेरी चुत के अंदर डाल दिया  था ओर मेरे ओठों को चूस रहे थे, ओर कभी मेरे मम्मों को. मैं बहुत खुश थी. मैं फिर से आज ४ साल बाद अपने सेक्सगुरू से चुदवा रही थी. विवेक प्यार से मेरी गांड पकड़ कर ऊपर निचे कर के मेरी चुत अपने लण्ड से पेल रहे थे. 
विवेक: संध्या ४ साल में मेरी याद आयी.
मैं: हाँ  विवेक  बहुत बार याद  आती थी. जब भी किसी से सेक्स करती आपके सिखाये नुस्खे याद करती. 
विवेक: अच्छा क्या क्या याद करती, सिर्फ मुज़को याद करती?
मैं: विवेक सब याद आता, आपका लण्ड, आपका शरीर, आपकी चुदाई, आपका चुम्मा ..सब कुछ.!
विवेक: ४ साल में मुझमे  कुछ फरक लगा तुझे .?
मैं: हां विवेक, आपका लण्ड अब ओर ज्यादा मोटा ओर बड़ा लग रहा हैं . आप के टट्टे भी बड़े दिख रहे हैं ओर भारी होकर निचे लटक रहे है .. आप पके फल की तरह अब ओर भी मीठे हो गये हो.
विवेक: अच्छा..मैं पका फल हूँ ! .अभी तुझे पके फल का मीठा रस पिलाता हूँ.
विवेक ने मुझे बिस्तर पर सुला दिया ओर मेरे ऊपर आकर जोर जोर से मुझे चोदने लगे. मैंने उनको कस कर पकड़ लिया..मेरी चुत गरम हो गयी थी..गीली हो गयी थी  मेरे तन-बदन में आग लग गयी थी ओर हम दोनों पसीने मैं भीग गये थे. मैंने..आह..ओह.. चिल्लाकर विवेक के लण्ड को निचोड़ कर अपनी चुत के अंदर जकड लिया ओर उसको अपने पाणी से भिगो दिया, कांपते हुए कई बार मैं उसके लण्ड पर झड़ गयी. विवेक भी ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया ओर कई झटके मार के मेरे चुत में  अपना पाणी डाल दिया. बहुत देर तक विवेक मेरे ऊपर नंगा पड़ा रहा. उसका लण्ड अभी भी मेरी चुत में तना हुआ था. वह बिस्तर पर लेटे-लेटे मुझे पकड़कर  घूम गया ओर उसने मुझे उसके ऊपर ले लिया  ताकि उसका  वजन मुझपर से हट जाये. उसका लण्ड अभी भी मेरी चुत में सटा हुआ था ओर मेरी चुत से उसका पाणी  निचे बहकर उसकी गोटियों पर  गीर रहा था. उसने मेरा चेहरा प्यार से दोनों हातों से पकड़ लिया - संध्या  तुझे छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा. क्या में  आज रुक जाऊ?
मैंने प्यार से विवेक के दोनों गालों पर बहुत बार चुम लिया ओर कहा : विवेक,आपको मेरी परमिशन लेने की की जरुरत कब से पड़ गयी. 
विवेक:काश !  मैं तेरी उम्र का होता ओर मेरी शादी नहीं होती. मैं तुज़से से ही शादी करता.
मैं:  हाँ विवेक, मैं भी सिर्फ आप से शादी करती.
विवेक अब फिर से मुझे अपनी गांड निचे से उठा उठाकर चोदने लगे. मैं अपने ओंठ उनके ओठों में  देकर..उनके प्यार में डूब गयी.

मैं मेरे ३ सहेलियों के सात फ़्लैट मैं रहती थी. जब भी अकेले में मौका मिलता विवेक मुझे चोदने के लिये फ़्लैट पर आ जाते. एक - दो बार भाभी अपने मायके गयी, तो मै उनके घर रहने चली गयी. इसी बीच स्वप्निल का MBA  भी पूरा हो गया ओर उसे भी बंगलोरे में नौकरी मिल गयी. मैं बहुत खुश थी. वह अपने दोस्तों के साथ  शेयरिंग फ़्लैट में  रहता था. पर उसकी साथ अकेले में  सेक्स का मजा नहीं आया. मैं बंटी को मिस करती थी. 

दोस्तों में गांव के किसान जमींदार के परिवार से थी. इसलिए मुझे शादी के रिश्ते आने लगे. घर से भी शादी  का दबाव बढ़ने लगा.आगे की पढाई शादी के बाद करनी ये प्रस्ताव भी मंजूर हो गया. एक दिन मेरे ऑफिस मैं अनीश मुझसे मिलने आये. ६ फ़ीट लम्बे, सुन्दर, कसा हुआ शरीर, आकर्षक व्यक्तिमत्व. उन्होंने MBA  किया था ओर बंगलोरे में मल्टीनेशनल कंपनी मैं अच्छी अहदे पर नौकरी कर रहे थे. वो मेरे पिताजी के दोस्त का बेटा था ओर उनकी बंगलोरे मैं जॉइंट फॅमिली थी, खुद का बड़ा मकान था, अपने छोटे भाई ओर माँ बाप के साथ  वो  वही रहते  थे. अनीश को मैं पहली नजर में  पसंद आ गयी ओर मेरे पापा  ने मेरी शादी फिक्स कर दी ओर तुरंत २ महीने बाद का मुहूर्त भी निकाल दिया. 

दोस्तों यह २० साल पहले का जमाना था. मे परिवार के रस्मों ओर कसमों में  बंधी लड़की थी. मैंने तुरंत बंटी को फ़ोन किया. वो ओर बुवा पापा के पास मुंबई जाकर मिलने गये. बंटी ने पापा से मुज़से शादी करने की लिये बहुत मिन्नतें की, पर पापा ने साफ मना कर दिया. उन्होंने अपने दोस्त को वचन दे दिया था. फिर पापा बंटी से बोले - देखो बंटी, संध्या पढ़ी लिखी शहर की लड़की हैं, उसका अपना करियर हैं,  तू उसे गांव मे कहा रखेगा, वो कैसे रहेगी ? 

शादी को अब एक हफ्ता रह गया था. मैं मुंबई आ गयी थी. मैंने गर्भे निरोधक गोलियां खानी बंद कर दी थी. योगा करके ओर अपनी चुत पर क्रीम लगाकर मैं उसको भी कसी हुई करने की कोशिश कर रही थी. आजकल तो ऑपरेशन कर के फटी हुई चुत की झिल्ली जोड़ देते है. तब ऐसे कोई इंतजाम नहीं होता था. में  टेंशन मैं थी. अपनी फटी चुत को कैसे छुपा पाऊँगी अनीश से?

शादी के दो दिन पहले स्वप्निल घर आया. उसने चुप के मेरे हात मैं एक चिठ्ठी दे दी. उसकी जाते मैंने वह चिठ्ठी पढ़ी. वो चिट्टी बंटी की थी.
बंटी ने लिखा था : संध्या मैं यही पास मेँ ब्लू स्टार होटल में  रूम १०१ में हूँ. प्लीज मुज़से जल्दी मिलने आ जाना. 

मैं सोचने लगी..क्या मैं अपने प्यार से मिलने जाऊ ? क्या मैं उसकी साथ भाग के शादी कर लू  ? बंटी को मेरे चुदाई के सारे किस्से पता थे. उसकी साथ मेरा कनेक्शन है. मैं उसकी साथ बहुत सुखी रहूंगी.

क्या करू मैं ? मेरे मन मे असंख्य सवालों  का बवाल उठ रहा था. 
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#89
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#90
पार्ट २५:  गांड का उद्घाटन !

मैंने घर में बहाना बनाया की ब्यूटी पारलर वाली के पास मेक उप  फाइनल करने के  लिये  जाना हैं. ओर मैं होटल ब्लू स्टार चली गयी. मैंने कमरे की घंटी बजायी, बंटी ने दरवाजा खोला. उसके चहरे का तेज गायब हो गया था. उसकी मुस्कान खो गयी थी. वह बहुत उदास लग रहा था. उसकी आँखों में हमेशा की तरह  चमक की जगह  आज दर्द ही  दर्द था. मैं बहुत दुखी हो गयी. उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और जोर जोर से रोने लगा. 
मैं भी उसके बाँहों में  समेट कर उसके साथ रोने लगी.
बंटी: मुझे लगा तू नहीं आयेगी. तू नहीं आती तो शायद मैं मर जाता.
मैं: ऐसे मत बोलो बंटी. मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. कैसे नहीं आती.. 
बंटी: चलो संध्या मेरे साथ ..हम लोग भाग कर शादी करते है..
मैं:नहीं बंटी..मैं ऐसा नहीं कर सकती. मेरे पापा का नाम ख़राब नहीं कर सकती. क्या तुम चाहते  हो की तुम्हारे मामा का नाम कलंकित हो जाये.
बंटी: फिर मैं  क्या करू संध्या. तेरे बिना मैं कैसे जी सकता हूँ. 
मैं: अब कुछ नहीं कर सकते, बंटी बहुत देर हो गयी.
बंटी: ऐसे मत कहो संध्या..मैंने सिर्फ तुम्हारे ख्वाब देखे है. मेरे प्यार को ऐसे मत तोड़ो. मेरे दिल की आह लग जायेगी तुझे.
मैं: बंटी प्लीज ऐसे मत कहो..तुम मुझे ऐसे कोस नहीं सकते..प्यार करते हो तो बद-दुवा मत दो.
बंटी: कैसे बदुआ दूंगा तुझे संध्या..मैं तुझे अपने जान से ज्यादा प्यार करता हूँ.. करके बंटी मुझे चूमने लगा.
मैं: क्या करती मैं बंटी. मैं तेरे साथ गांव में  भी रह लेती. खेतों में  जाती. तेरे साथ गाय-भैंसों का दूध भी निकालती..  मैं तेरे साथ बहुत खुश रहती. पर अब बहुत देर हो गयी सब को.
बंटी: मैं मर जाऊंगा ..! जी नहीं पाउँगा संध्या.. !
उसने मेरे होंठ चूस लये और उसकी जीभ मेरे मुँह में  डाल दी. मुझे बंटी को शांत करना था..वह तिल तिल मर रह था. अपने प्यार से मैं उसको शांत कर दूंगी..समजा दूंगी. मैं भी उसको पागलों की तरह प्यार करने लगी. यह मेरे मन की ग्लानि थी या बंटी के प्रति प्यार, मैं उसके प्यार में  डूबती चली गयी. मुझे कुछ नहीं समज में आ रहा था. सब जगह बंटी ही बंटी नजर आ रहा था. मन में तूफान उठ रहा..था..मैं बंटी से हमेशा के लिए बिछड़ जाउंगी. बंटी ने कुछ सेकंड में ही हम दोनों को नंगा कर दिया था. उसके सर पर भूत सँवार था. उसने मुझे बिस्तर पर सुला दिया, मेरे पैर ऊपर कर दिए और एक झटके में उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में ड़ाल दिया. में जोर से चिल्ला उठी..आह बंटी...मर जाउंगी. .. धीरे..!
पर बंटी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था.
बंटी: हाँ  संध्या..हम दोनों तो ऐसे ही मर जायेंगे.. !
बंटी मुझे..जोर जोर से किसी मशीन की तरह चोद रहा था. एक मुर्दे की तरह !. मेरी चूत कई बार गीली हो कर झड़ गयी..पर उसके चहरे पर कोई भाव नहीं था. उसका गुस्सा बढ़ रहा था. मैं उसको अपने सीने से लिपटना चाहती थी, प्यार करना चाहती थी..पर वो  वैसे ही खड़ा खड़ा मुझे चोदे जा रह था. 
उसने मेरे पैर पुरे ऊपर छाती से लगा दिए और मेरी गांड एकदम ऊपर कर दी... उसने अपना लण्ड धीरे मेरी चूत से निकाला..और मेरी गांड पर रख दिया..
में: नहीं बंटी..प्लीज..ऐसे मत करो..मैंने कभी नहीं किया !...
मैं कुछ और कहती, उसके पहले ही बंटी ने मुझे जोरदार धक्का दिया और उसका लण्ड मेरी गांड में आधा चला गया. मेरे चूत के पाणी से उसका लण्ड पहले ही चिकना हो गया था.
मैं: आह  ! मर गयी..प्लीज निकल दो..उफ़..बंटी रहम करो.
मैंने जोर जोर से रोने लगी. मैं तड़प कर छटपटा रही थी. पर बंटी ने मुझे कास के पकड़ रखा था. मेरी गांड में  भीषण दर्द हो रह था. 
बंटी: संध्या तेरी गांड का उद्घाटन मैं अपनी सुहागरात को प्यार से करनेवाला था. पर अब कोई रास्ता नहीं हैं. तेरे पर पहला हक मेरा था ना
बंटी ने कस के मेरी गांड पकड़ ली और धीरे धीरे अपन लण्ड मेरी गांड में  पेलने लगा. मैं तड़प कर रो रही थी.  इतना दर्द मुझे कभी नहीं हुवा था. पर बंटी मेरी गांड पकड़ पकड़ कर जंगली की तरह चोदे जा रहा था.
बंटी: ले रंडी..कर ले उस अनीश से शादी..फिर कभी इसके बाद तुझे नहीं मिलूंगा.
मैं बस रोये जा रही थी, पर बंटी ने कोई रहम नहीं किया..उसने अब उसका पूरा मोटा काला 8 इंच का नाग मेरे गांड मैं ड़ाल दिया था. उसका केले जैसे आकiर का लण्ड..मेरी गांड को हर जगह छू रहा था. मेरा दर्द अब कम हो गया था..और मैं..गीली हो रही थी. बंटी धके पर धक्के मार रहा था. 
मैं..आह बंटी..प्लीज..धीरे..मैं फिर से कसमसा गयी..
मैंने बंटी को अपने दोनों हातों जोर से मेरे तरफ खिंच लिया और उसके ओंठो को चूसने लगी...और गरम हो कर थरथरा कर जोर से  झड़ने लगी.. मेरी चूत से  पाणी की गंगा बहने लगी थी. मेरे ऐसे करने से बंटी ने भी कई झटके मेरी गांड में लगाये और मेरी गांड में उसका गरम पाणी ड़ाल दिया. वह बहुत देर तक मेरे ओंठों को चूसता रहा, अपनी जीभ मेरे मुँह में  डालता रहा. मैं भी उसकी जीभ पागल जैसे चाट लेती..उसको बहुत प्यार करती, जैसे की मेरे जीवन का आखरी दिन है. बंटी का लण्ड अभी भी मेरी गांड में  फंसा था..खड़ा था..बिलकुल सिकुड़ा नहीं था.
बंटी ने वैसे हे मेरे जीभ को ओर ओंठों को चूसते हुए.. अपना लण्ड मेरी गांड से धीरे से निकाला ओर एक झटके में मेरी चूत में  ड़ाल दिया. वह अब मुझे प्यार करके मेरी चूत चोद रहा था.
बंटी: संध्या..अभी भी समय है.. प्लीज सोच लो..चलो मेरे सात
मैं: बंटी अब बहुत देर हो गयी. तुझे मालूम है मैं भी तेरे से प्यार करती हूँ. कभी कहा नहीं  तुज़से पर फिर भी तू जानता था. मैं ही पागल समज नहीं पायी. मैंने तेरा जीवन नरक बना दिया.. मुझे माफ़ कर दे बंटी.
बंटी: नहीं संध्या..ऐसे मत कहो..तू मेरा प्यार है..खूबसूरत..बस ऐसे ही खुश रहो..मैं तुम्हे ऐसे ही खुश देखना चाहता हूँ.
मैं: उम्.. आह... बंटी...जोर से चोदो..मार डालो मुझे आज..
बंटी: नहीं संध्या..यह हमारा प्यार है..बस हमारे बिच के हसीन पल हम याद रखेंगे  हमेशा.
मैं: तेरे बिना मैं कैसे खुश रहूंगी बंटी.. पापा ने मेरे जीवन भी बर्बाद कर दिया.
बंटी: ऐसे मत कहो संध्या.. हमारा प्यार अमर रहेगा..!
मैं: बंटी मुझे वचन दो..तुम खुश रहोगे..मेरे लिये दुखी नहीं रहोगे. तू खुश तो मैं भी खुश रहूंगी. तुझे दुःख देकर मैं कभी सुखी नहीं रह पाऊँगी.
बंटी: हाँ संध्या..मैं खुश रहूँगा ओर तुझे भी खुश रखूँगा. 
आह....उह....आहे  भरके बंटी मेरी चूत चोद रहा था... मेरी चूत भी अब गीली हो गयी थी.. बंटी का बड़ा मोटा केला मेरी चूत को हर जगह से घिसता था, आनंद देता था. मैंने जोर से बंटी को कसमसा के पकड़ लिया...ओर उसके लण्ड पर झड़ने  लगी.  बंटी ने भी उसका सारा वीर्य मेरी चूत के अंदर तक ड़ाल दिया..
मेरी चूत के गहराइयों तक उसका गरम पाणी चला गया था.
कुछ देर के बाद बंटी मेरे ऊपर से उठा ओर मेरे बाजु लेट गया. मैं उठकर बाथरूम चली गया. मैंने देखा बिस्तर पर बंटी का पाणी ओर मेरी गांड से निकले खून के धब्बे थे. मेरी गांड बहुत दर्द कर रही थी. मुझे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था. पर फिर भी एक सुखद अनुभूति हो रही थी .. प्यार का पूरापन लग रहा  था, बंटी के प्यार से में खुद को संपूर्ण महसूस कर रही थी. 

काफी समय हो गया था. मैं वाशरूम में जाकर साफ़ हो गयी .. खुद को सजाया - संवारा ओर बहार आ गयी. बंटी ओर मैं कुछ नहीं बोल पा रहे  थी. वह अभी भी तकिये में  मुँह ढक कर सो रहा था..रो रहा था. 
मैंने कहा : अच्छा बंटी में चलती  हूँ..
बंटी ने कोई जवाब नहीं दिया.
मैं  रूम का दरवाजा खोलकर घर की तरफ जाने लगी.

ठीक दो दिन बाद मेरी शादी बड़ी धूम धाम से हो गयी. तीसरे  दिन हम फ्लाइट से बंगलूर अनीश के घर आ गये. आज मेरी सुहागरात थी. अनीश के घरवालों ने हमारा कमरा बहुत अच्छी से फूलों से सजाया था. खाना खाने के बद रात को ९ बजे अनीश की माँ मुझे अनीश के कमरे में  ले गयी. कहा - बहु..अनीश की दादी बहुत बीमार है. मरने से पहले पोता देखना चाहती है. तू सब संभाल लेना. ओर हंसकर चली गयी.

मैं सुहाग के सेज पर बैठकर अनीश का इंतजार करने लगी. मन में  डर था. बंटी ने २ दिन पहले मेरे दोनों छेद चोद चोदकर भुर्ता बना दिया था. मुझे आज बहुत संभाल कर खेल खेलना था. 

तभी दरवाजा खुला..अनीश अंदर आ गये. कुरता -पाजामा में वह बहुत आकर्षक लग रहे थे. कसी राजकुमार की तरह. गोरे - चिट्टे.. लम्बे.. मासलदार शरीर.. हाय ! कौन मना करता इनसे शादी करने को. मैं उठकर खड़ी हो गयी तो उन्होंने प्यार से मुझे अपने बाँहों में  भर लिया. पता नहीं पर क्यों मुझे अजीब सकून मिला. मैंने भी अपने आप को उनको पूरा सौंप दिया. शादी के पवित्र बंधन को निभाना था.
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#91
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#92
Thank ypu..please vote and rate and give your comments
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#93
Tempting Story..... happy happy happy happy happy happy happy happy
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#94
Great.....
Amazing....
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#95
(30-10-2022, 10:47 PM)prasad_rao16 Wrote: Tempting Story..... happy happy happy happy happy happy happy happy

Thank you prasad..
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#96
पार्ट २६: मेरी सुहागरात (पार्ट २)

अनीश ने मेरा चेहरा अपने दोनों हातों से पकड़ लिया ओर ऊपर कर के मेरी ओंठो पर उनके ओंठ रख दिये. वह बहुत प्यार से धीरी से मीर ओंठ चूस रहे थे. 
अनीश: संध्या तू कितनी सुन्दर हो. मुझे विश्वास ही नहीं होता की तुम मेरी बीवी हो. अच्छा तुम्हे मैं पसंद हूँ ना. हमारी शादी इतनी जल्दी हो गयी हम लोग आपस मैं कुछ बात भी नहीं कर पाये.
मैं: हां अनीश आप मुझे पसंद हो. हाँ  यह बात भी सच हैं  की हम एक दूसरे को जान नहीं पाये. सब जल्दी हो गया. आप इतने हैंडसम हो . आपकी तो बहुत गर्लफ्रेंड होगी. 
अनीश: नहीं संध्या..कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.  टाइम ही नहीं मिला पढाई के चक्कर में. चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ.आगे जो होगा वो भी अच्छा होगा.
अनीश फिर से मेरे ओंठ चूसने लगा और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी. उसने मेरी चोली खोल दी ओर ब्रा भी निकाल डाला. वह प्यार से मेरे आम निहारने लगा. उसने धीरे से मेरे आम चाटने लगा ओर प्यार से पप्पी लेने लगा. वह मेरी चूचियों को सहलाने लगा. 
मैंने: आह...ओह.. (कर दिया)
अनीश: क्या हुआ संध्या..दर्द होता है क्या ?  (मैं समज गयी.. बंदा सच में  कुंवारा है..) 
मैं: नहीं दर्द नहीं होता.. अच्छा लगता हैं अनीश. !
अनीश मेरे मम्मों के साथ  खेलने लगा. मैंने भी अपना एक हात उसके कुर्ते के अंदर डालकर uske  पेट पर रखा दिया. एकदम ६ पैक एब्स थे.. स्मूथ बिना बालों के..जिम बिल्ट बॉडी थी.  
मैं: अनीश आपने के तो एकदम जिम बॉडी बना रखी है.
अनीश: हाँ रोज २ घंटे जिम जाता हूँ. रुको तुम्हे मेरी बॉडी दिखता हूँ..(बोल कर उन्होंने कुर्ता ओर बनियान निकाल दिया. फिर मुझे उनके बाइसेप्स दिखाने लगे. बहुत अच्छी बॉडी बनायीं थी. मेरी चूत उनको ऐसे देखकर गीली हो गयी) बोलो कैसी लगी मेरी बॉडी? (मोर जैसे मोरनी को रिझाने अपना पिसारा फैलता है, वैसे अनीश मुझे अपनी बॉडी दिखा कर उत्तेजित कर रहे थे ओर वो कामयाब भी हो रहे थे. उनकी सुन्दर मसलदर शरीर देखकर मेरी चूत ने पाणी छोड़ना चालू लिया था )
मैं: बहुत अच्छी..हैं.
अनीश: पर तेरी बॉडी से कम सुन्दर..तुम्हारे स्तन बहुत सुंदर है संध्या.
ओर वह फिर से मेरे स्तन बच्चों की तरह धिरे से चूसने लगा...सहलाने लगा..सिर्फ एक मादक प्यार...कोई आक्रमकता नहीं, कोई हवस नहीं.. वासना नहीं.
वह मेरे मम्मों को चूसते हुए निचे की तरफ गया ओर मेरी नाभि चूमने ओर चाटने लगे. एक हात से उसने मेरा पेटीकोट खोलना चाहा पर उसे समज नहीं रहा था. मैंने खुद मेरी पेटीकोट का नाडा खोल दिया. वैसे उसने मेरी साड़ी ओर पेटीकोट निकाल दिया. अब में  सिर्फ एक लाल रंग के पैंटी मैं थी.  मैंने सुहाग राt के दिन साब लाल रंग का पहना था..साडी , चोली. पेटीकोट, पैंटी..सब लाल...अनीश मेरे जांघों से खेलने लगा. मैंने भी उसकी पायजामा का नाडा खोल दिया..वैसे उसने उसका पयजामा उतार दिया. उसने एक प्रिंटेड  नील रंग की ब्रीफ पहनी थी..उसमे उसके लण्ड का आगे का उभार...ओर मोटी तगड़ी जांघें ओर गांड साफ़ दिखाई दे रही थी. कोई ग्रीक गॉड जैसे. एकदम बिग बॉस विनर सिद्धार्थ शुक्ल जैसे. अनीश मेरी जांघ ओर पैंटी के आजु बाजु चूमने लगा..मेरी गांड दबाने लगा...आह संध्या ! तुम्हारी गांड कितनी बड़ी ओर खूबसूरत है. अनीश ने मेरी पैंटी निकलने के लिए हात बढ़ाया. मैंने उसे रोक दिया.
मैं: ना.. प्लीज मुझे शर्म आती है..
अनीश: जान अब तू मेरी पत्नी है..शर्मा के कैसे चलेगा..ठीक हैं मैं ही नंगा हो जाता हूँ..
(अनीश ने अपनी ब्रीफ उतार दी. उसकी गोटिया बहुत बड़े आकर की थी..गेंद की तरह. उसका लण्ड कुछ ५ इंच का था  पर मोटा था. उसका लण्ड फनफना कर उठ गया ओर झूम कर नाच रहा था. मैंने मेरी जिंदगी में  इतना छोटा लण्ड कभी नहीं देखा था. मैं थोड़ी मायूस हो गयी..पर क्या कर सकती थी. जो भाग में हैं, उससे काम चलाना पड़ेगा. अनीश  ने मेरे दोनों हाथ अपने लण्ड पर रख दिए ओर मेरे मुँह के पास लेकर आया. मैं समज गयी..क्या करना है. मैंने प्यार से उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया. अनीश जोर  जोर से  सांसे लेने लगा. मैने उसका ५ इंच का गोरा गुलाबी लण्ड आसानी से मुँह मैं ले लिया.. वैसे वो बेकाबू हो गया. उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला...ओह रुको संध्या...मेरा नीकल जायेगा. उसका लण्ड उछल उछल कर उत्पात मचा रहा था. 

अब उसने मेरी पैंटी निकालने के लिए फिर से हात  बढ़ाया.. तब मैंने फिर से रोक दिया..
मैं: अनीश मुझे बहुत शर्म आ रही..प्लीज लाइट बंद कर दो..
अनीश: ठीक हैं संध्या...(उसने लाइट बंद कर दी..कमरे में सिर्फ जीरो बल्ब की रोशनी  थी)
जैसे अनीश ने मेरी पैंटी पूरी निकाल दी..मैंने उसको खींचकर अपने ऊपर ले लिया ओर अपनी टांगे उसके कमर पर कास दी..
अनीश का लण्ड मेरी चुत को ऊपर से घिस रहा था..
मैं:  आह ! अनीश धीरे..उफ़.. दर्द हो रहा...पर तुम रुको मत..
अनीश पहली बार सेक्स कर रहा था..वो कुंवारा था..मुझे अब अपना खेल खेलना था...
मैंने उसके लण्ड का सूपड़ा अपनी चुत के द्वार पर कस के जकड लिया .
मैं.. आह अनीश ठीक हैं..अब थोड़ा ओर धक्का दो..अंदर चला जायेगा..
अनीश धक्के दे रहा था. मैंने अपनी चुत को कस लिया था..पर मेरी चुत गीली थी..ज्यादा देर तक रोक नहीं पायी..ओर अनीश का लण्ड सिर्र...सिर.. करता मेरी चुत में पूरा घुस गया.
मैं: उह माँ..मर गयी...यह.. प्लीज निकाल दो...मैं मर जाउंगी..
अनीश: वैसे ही थम गया..उसने मुझे प्यार से चूमा..ओर मेरे आम चूसने लगा..
मैंने छटपटाने का नाटक किया..ओर फिर धीरे धीरे शांत  होने लगी. वैसे अनीश ने अब मेरी चुत में धक्के मारना शुरू किया. अनीश पूरा पसीना पसीना हो रहा था. यह सेक्स का उसका पहला अनुभव था. मैं कुछ समज पाती.. तभी..
अनीश: आह संध्या तेरी कुंवारी चुत कितनी कसी हुई है..मेरा पाणी नीकल जायेगा ..
अनीश का शरीर कांपने लगा.. उसने  कमर को कई झटके दिये.. ओर थोड़ी देर में उसका लण्ड अपने आप मेरी चुत से बहार नीकल गया. उसके लण्ड के साथ उसका पाणी भी मेरी चुत से पूरा बहार नीकल गया.
वह मेरे ऊपर मेरे स्तनों पर सर रखकर लेट गया . मैं भी उसके बालों को प्यार से सहलाने लगी. कुछ देर बाद अनीश सो गया थाओर खर्राटे ले रहा था. 
मैं  वहां पड़ी पड़ी सोच रही थी.. कहा यह इतना भोला ओर सच्चा, कुंवारा  मर्द ,ओर कहा मैं घाट घाट का पाणी पीकर सेक्स में माहिर औरत. क्या अनीश का लण्ड मुझे मेरी चुत के अंदर महसूस भी हुआ ? ८-१० इंच के लण्ड आसानी से लेने वाली मेरी चुत को कुछ भी महसूस नहीं हुआ. ना अनीश का लण्ड, ना उसका पाणी. अनीश का पाणी..मेरी चुत में ऊपरी भाग में गिरकर आधे रस्ते से पूरा उसके लण्ड के साथ बाहर नीकल  गया था. ओर मेरा उन्माद..मेरा पाणी..मेरी चुत..वैसे ही प्यासी रह गयी थी. अनीश का यह पहला अनुभव था. हो सकता की वक्त के साथ वो भी माहिर हो जाये. पर क्या उसका लण्ड का आकार मेरी चुत के लिये काफी था? क्या मुझे बंटी का शाप लग गया.. मैं कभी सुखी नहीं रहूंगी ? मैंने उसका दिल तोडा था. उसका दिल सच्चा था, उसका प्यार सच्चा था.

मैं मायूस दिल से सोते हुए अनीश को बाजू लेट गयी. बिस्तर पर जहा अनीश का वीर्य गिरा था , उस पर थोड़ा लाल सिंदूर डाल दिया...ओर गीले टॉवल से पोछ डाला. साफ करने  के लिये.. इससे वीर्य के साथ बेडशीट पर थोड़ा लाल रंग भी फैल गया. मैंने अपनी चुत पर एंटीसेप्टिक लगा दी..जैसे की वो फट गयी हो..ओर जख्मी हो.. ओर अनीश के पास  नंगी लेट गयी. थकी होने की वजह से जल्दी सो गयी. 

सुबह आँख खुली..मैं अनीश के बाँहों में नंगी थी..वह मुझे प्यार से देख रहा था. मैं भी मुस्कुरा दी..
अनीश: संध्या तुम बहुत खूबसूरत हो..तुम खुश हो ना..? तुम्हे ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ.
मैं: हां अनीश मैं बहुत खुश हु..  दर्द तो हुआ..पर अब ठीक है..मैंने रात को एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी थी. चलो अब जल्दी उठो. माँ रसोई मैं मेरा इंतजार कर रही होगी. मुझे नहाकर जल्दी जाना है. 
हम दोनों उठ गये..मैं बाथरूम नहाने जाने लगी. अनीश की नजर बिस्तर पर लगे दाग पर गयी. उसके चहरे पर मुस्कराहट आ गयी. मैं सुहागरात की इम्तहान  में  अव्वल नंबर से पास हो गयी थी. 

मैं नाहा-धोकर अच्छी सी साड़ी पहन कर निचे गयी. निचे अनीश की माँ, बाबूजी ओर उसका छोटा भाई आकाश चाय पी रहे थे. 
आकाश: वाह भाभी आप एकदम फ्रेश लग रही हो. भैया को कहा छोड़ कर अकेले आ गयी. 
मैं शर्मा कर: वो आ रहे नहा कर. माँ बताओ क्या करना है..
मैं मेरी सास के पास जा कर हेल्प करने लगी.
आकाश: भैया रोज सबसे पहले उठकर जिम जाते थे. आपने क्या जादू कर दिया..पहेली बार लेट हो गये.
मैं: उम् देवर जी आपको बड़ी फ़िक्र हो रही है अपने भैया की..खुद लेकर आ जावो. (हम सब हंसी मजाक कर रहे थे)
आकाश: हाँ फिकर तो हो रही हैं..सही सलामत है ना मेरे भैया..(ओर उसने मुझे आँख मार दी)
मैं हंसकर :देखो माँ..पहले दिन से मुझे छेड़ रहा..मेरा प्यारा देवर.. 
अनीश फर्स्ट ईयर इंजीनियरिंग में पढ़ रहा था. दिखने में सांवला...साधारन था.. ऊंचाई में  भी कम था..५-६ ,  पर वह भी अपने भाई के साथ जिम जाता था. अनीश जैसे खूबसूरत मर्द का भाई इतना साधारन दिखता था. दोनों को देखकर कोई बोल नहीं सकता था की दोनों भाई हैं. आकाश बहुत मजाकिया स्वाभाव का था ओर पहले दिन से मुझसे घुलमिल गया.

थोड़ी देर में अनीश भी निचे आ गये. वह बड़े खुश लग रहे थे. नाश्ते के वक्त माँ ने बताया: अनीश ओर संध्या.. कल  रात को तुम दोनों को पम्मी मौसी के घर खाने पर बुलाया है. 
अनीश ने कहा - ठीक हैं माँ .. चले जायेंगे.
मैं: माँ , कल पम्मी मौसी  के घर जाते वक्त मैं क्या पहनू?
माँ: चलो तुम्हारे कमरे में , तुम्हे समझाती हूँ (इसमें  समझाने वाली क्या बात थी.. ? मैं माँ के सात कमरे में  चली गई. माँ ने दरवाजा बंद किया )
माँ गंभीर होकर बताने लगी: संध्या तुम्हे जो पसंद हैं वही पहन लो. पर मैं तुम्हे पहले से सचेत करना चाहती हूँ. पम्मी मेरी छोटी बहन बहुत अच्छी ओर सीधी है. पर उसका पती धर्मेश बहुत आवारा ओर लफड़ेबाज़ किसम का आदमी है. तुम बस संभल कर रहना.
मैं: हां माँ ..सब समज गयी..पर आप ऐसे क्यों कह रहे.. आप ने कुछ देखा क्या?
माँ: धर्मेश दिखने में बहुत सुन्दर ओर खूबसूरत है. बॉलवुड स्टार धर्मेंद्र की तरह. उसी का वो फ़ायदा उठाता हैं. कॉलेज के दिन अपने कमरे में लड़किया बुलाता था. २-३ बार हॉस्टल में नंगी लड़कियों के साथ पकड़ा गया ओर निकाला गया. कोई भी सुन्दर औरत को आसानी से पटा लेता है. पम्मी को भी वैसे ही पटा लिया था. रिश्ते ओर आस पड़ोस की काफी औरतों से सम्बन्ध  है. अपनी मीठी बातें,  प्यार, या ब्लैकमेल, या खूबसूरती से आसानी से हर औरत को फंसा लेता है. 
मैं: ठीक हैं माँ मैं ध्यान रखूंगी. अच्छा हुआ आप ने मुझे आगाह कर दिया.

पर मेरी चुत अपने आप गीली हो गयी थी. धर्मेश चाचा के किस्से सुनकर वह उनको मिलने के लिये बेताब थी. गरम होकर पानी बहा रही थी. 
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#97
waoooo what a sexy story, please do not stop , make it a longest story.
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#98
(31-10-2022, 11:29 PM)blackdesk Wrote: waoooo what a sexy story, please do not stop , make it a longest story.

sure..thank you..keep encouraging
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#99
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पार्ट २७ : हनीमून की प्लान !


सुहागरात की दूसरी रात भी वैसे ही रही.  अनीश ने मुझे बहुत चूसा और चूमा पर चुदाई के वक्त उनका लण्ड कहा ओर किधर झड़ जाता, मुझे कुछ  महसूस ओर पता नहीं चलता. मैंने उस रात अनीश से कहा , अनीश हम कही बहार चलते है..हनीमून पर. ४-५ दिन एक साथ रहेंगे तो एक दूसरे को अच्छी से जान पायेंगे . अनीश ने कहा ठीक हैं मेरी जान.  मैं कल ऑफिस से ५ दिन की छुट्टी ले लेता हूँ, हम गोवा जायेंगे. मुझे इन ५ दिनों में अनुमान लगाना था की  अनीश को सेक्स में  कैसे माहिर किया जा सकता है. दूसरे दिन अनीश ने मुझे ऑफिस से फ़ोन किया की अगले हफ्ते मतलब ३ दिनों के बाद उसे ऑफिस से छुट्टी मंजूर हो गयी है. उसने होटल ओर आने-जाने की फ्लाइट्स की टिकट बुक कर दी थी. उसने मुझे शाम को तयार रहने को कहा.. पम्मी मासी के यहाँ आज खाने पर बुलाया था. मैंने एक अच्छी सी हरे और नीले रंग की डिज़ाइनर साड़ी पहन ली थी और उसपर अच्छा स्लीवलेस और बैकलेस लौ-कट वाला  ब्लाउज था. ब्लाउज़ में  मेरे ममै एकदम टाइट फिट हो कर ऊपर से बहार आ रहे थे और मम्मों की दरार साफ दिख रही थी. साड़ी भी मैंने नाभि से बहुत निचे पहनी थी..और मेरी नाभि मेरे पतले और सीधे पैट पर साफ़ दिख रही थी.  

जब अनीश घर आये तो वह मुझे देखते रहे. बोले: जानेमन तू तो आज गजब की लग रही हो..एकदम कटरीना कैफ..तुम्हे यही नंगा करने के चोदने का  मन कर रहा. 

मैंने कहा..चलिए अब .. देर हो रही..पम्मी मासी राह देख रही होगी, घर आकर कर देना नंगा. एक घंटे में हम पम्मी मासी के घर पहुँच गये. पम्मी  मौसी ने दरवाजा खोला. मैंने झुककर उनके पाव छू लिये..उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया. पम्मी मासी  इस उम्र में भी बहुत खूबसूरत लग रही थी. पम्मी मासी बोली - बहुत मान कर रहा था तुम्हारे शादी में आने का, पर मेरी सास को ऐनवक्त पर अटैक आया और हमें उन्हें अस्पताल एडमिट करना पड़ा. चलो अच्छा हुआ तुम आ गये. अनीश बहु  तो बहुत सुन्दर है.. खूब जचती हैं तुम्हारी जोड़ी.  तभी पीछे से आवाज आयी.. बहु की सुंदरता की तारीफ तो हमने भी  बहोत सुनी, हमें भी देखने दो बहु को . मैंने पलट कर देखा..एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५  की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे.  पम्मी मासी ने कहा - संध्या यह तेरे ससुर  जी धर्मेश है. सच में कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे. उन्होंने कुर्ता - पजामा पहना था. मैं और अनीश उनसे मिलने उनकी तरफ बढे. 
धर्मेश चाचा: वाह  ! सच में इतनी सुन्दर बहु तो तुम्हारे घर में कोई नहीं है. बड़ी अच्छी चॉइस हैं अनीश की.
मैं और अनीश धर्मेश चाचा के पाव छूने निचे झुके..वैसे उन्होंने मेरे पीठ पर हात रख दिया ओर धीरे से घुमा दिया. बैकलेस ब्लाउज़ की वजह से मेरी पीठ पूरी नंगी थी. उनका हात एकदम नरम और गरम महसूस हो रहा था..जैसे मुझे ४४० वाल्ट का बिजली का शॉक लग गया. मैं सिहर गयी. 
धर्मेश: बहुत सरे आशीर्वाद संध्या ओर अनीश ! फलो , फूलो, जल्दी से अच्छी न्यूज़ दो...ओर हसने लगे. 
मैं उनके छूने से हड़बड़ा गे ओर  में उनके पांव छू कर उठने लगी..तभी मेरे निचे झुके हात ऊपर होते हुए उनके कुर्ते को ऊपर कर  के उठा दिया. करीब  १-२ सेकंड के लिए  मेरी नजर सामने उनके उनका पजामा के उभार पर पड़ी. उनका ढीला पजामा फूल गया था ओर वहा उभर  कर एक बहुत बड़ा तम्बू हो गया था. उनके लण्ड का आकर ओर मोटापा साफ़ दिखाई दिया. मैंने जल्दी से हात पीछे लेते ही कुर्ता गीर के निचे हो गया ओर उनके पजामा के उभार को छिपा दिया. धर्मेश मुझे मुस्करा कर कमीने नज़रों से देख रहे थे. मेरी गलती से ही सही पर उनको पता चल गया था की मैंने क्या देखा. 

मैंने उनको जानबूजकर अनदेखा कर दिया ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ख़ाना खाते वक्त ओर बाद में  भी वो पूरी देर तक मुझे ताड़ रहे थे. पर मैंने बिलकुल भाव नहीं दिया. पम्मी मासी ने जाते वक्त हमें तोहफे दिए. उनका एक ही बेटा था जो बाहर विदेश में पढ़ रहा था. घर निकलते वक्त हमें  काफी लेट हो गया था. रास्ते पर ट्रैफिक भी कम हो गया था. हम मेन रोड से जा रहे थे, तभी अनीश ने सर्विस रोड पर गाड़ी ले ली ओर एक सुनसान जगह, जहा कोई आसपास  दुकान नहीं था वहा रोक दी.
मैं: क्या हुआ अनीश यहाँ क्यों गाड़ी रोक दी.
अनीश: क्या करू संध्या, तुम्हे देखकर लण्ड फनफना रहा. प्लीज पास आ जाओ  थोड़ा रोमांस करते हैं.
मैं: नहीं बाबा यहाँ नहीं..आपको क्या हो गया ? ...अभी भी गाड़िया आ - जा रही..लोग देखेंगे.
अनीश ने मुझे उसकी तरफ खींच लिया ओर चूमने लगा. कहा : देखने दो. उन्हें भी पता चले की मैं अपनी बीवी से कितना प्यार करता हूँ.
अनीश का यह रूप ओर अंदाज मेरे लिये नया था. पर मुझे अच्छा लगा.. अनीश ने दोनों सामने के सीट पीछे कर दी.. ओर मुझे उसपर खिंच लिया..ओर मेरे ओंठ चूसने लगा..उसने मेरे ब्लाउज के सामने के बटन खोल दिए ओर मेरे चूचिया दबाने लगा. हमारे साइड से बहुत सारी गाड़िया जा रही थी. बड़ा रोमांच महसूस हो रहा था. मैंने भी अनीश के शर्ट की ऊपर की कुछ बटन खोल दी ओर उसको चूमने लगी.. अनीश  ने अब मेरे पेटीकोट मैं हात दाल दिया ओर मेरी निकर निचे खिंच ली ओर पूरी निकाल दी.
मैंने कहा: अनीश.  ये क्या किया..मेरी पैंटी क्यों निकाल ली.
अनीश..बस मजा लो रानी..उसने उसकी पैंट का बेल्ट खोल दिया..ओर उसकी अंडरवियर के सात  पैंट भी घुटने के निचे खिंच दी. अब वो एकदम नंगा बैठा. उसका लण्ड फनफना रहा था.
अनीश : चुसो न मेरी जान..तू मेरा लण्ड बहुत अच्छी से चूसती हो.
मैं वही झुककर उसका लण्ड मुह में  ले लिया  ओर  उसके लण्ड का गुलाबी सूपड़ा चूसने लगी..मुझे मीठे स्ट्रॉबेरी जैसे लगा. 
हरीश बहुत गरम हो गया था.. उसने मेरा पेटीकोट ओर साड़ी दोनों ऊपर उठाकर मेरे कमर के ऊपर कर दिए..अब मैं भी पेटीकोट के अंदर एकदम नंगी थी. वह मेरी चुत से खेलने लगा, सहलाने लगा. मेरी चुत एकदम गीली हो गयी थी. 
मैं: आह अनीश..लोग देखेंगे...इतने बेशरम कैसे हो गये आज..
अनीश: तू है ही इतनी कमसीन ओर सुन्दर संध्या. तुझे देखकर कोई भी मर्द बेशरम हो जायेगा. धर्मेश चाचा भी आज तुझे भुकी नजर से देख रहे थे.
मैं: चलो कुछ भी..वह हमारे पिताजी की उम्र के हैं.
अनीश: उम्र का क्या लेना देना..पूरा समय वह तुम्हे ताड रहे थे.
मैं: तू तुमने सब देख लिया. तुम्हे तो गुस्सा होना चाहिए था, पर उल्टा तुम खुद गरम हो कर मेरे से यहाँ खुली जगह पर शरारत कर रहे हो.
अनीश. मुझे अच्छा लगा..तुम पर गर्व हुआ..मेरी बीवी  की खूबसूरती पर इतने मर्द फ़िदा होते हैं. वैसे धर्मेश चाचा कूद को बड़ा तीसमारखां समझते. पर तूने आज उनको बिलकुल भाव नहीं दिया. सारी हेकड़ी निकाल दी.. बहुत अच्छा लगा..
अनीश: इधर आओ रानी..मेरी गोदी में बैठ जा.. 
मैं उठ गयी..उनके सीट के दोनों बाजु पैर रख कर उनके जंघा पर बैठ गयी. उन्होंने पीछे से अपने दोनों हातों से मेरी गांड उठा दी ओर अपने लण्ड पर मेरी चुत सेट कर धीरे धीरे बैठे को कहा. मैं भी उनके लण्ड पर बैठ गयी. उनका मोटा लण्ड अब मेरी चुत के अंदर था. ऊपर से मेरी पेटीकोट ओर साड़ी ने हमें ढक कर रखा था. तभी मेन रोड से एक बड़ा ट्रक साइड से गया..ओर हमें देखकर जानबूझ कर २-३ बार हॉर्न बजा दिया. 
मैं: अनीश यहाँ रोड पर सुरक्षित नहीं हैं. सिक्युरिटी भी आ सकती है. 
अनीश आह बस थोड़ी देर संध्या...वह अपने एक हात से मेरे चुत को सहलाने लगा. उसका दूसरा हाथ मेरे सर पर था..ओर हम पागलों की तरह एक दूसरे को चुम रहे थे. मैंने अपनी जीभ पूरी अनीश के मुँह में डाल दी. निचे अनीश को मेरी चुत का दाणा..मिल गया..वो उसको सहलाने लगा ओर मरोड़ने लगा. निचे से अपनी कमर को धक्का देकर अनीश मुझे  जोर जोर से चोद रहा था. मैं छटपटा रही थी.  हम दोनों  गाड़ी के AC  में भी  पसीना हो रहे थे. अनीश जोर जोर से मेरे ओंठ ओर मेरी जीभ चूस रहा था. उसने तभी..जोर से मेरी चुत का दाना रगड़ दिया...मैं ..आह..ओह्ह...करके उसके लण्ड पर झड़ने लगी. तभी अनीश भी..आह..उफ़...करके मेरी चुत में  उसके पाणी का फंवारा उड़ाने लगा. मैंने कस कर उसको पकड़ लिया..उसने भी मुझे जकड लिया..करीब ५ मिनट वैसे बैठ कर हम शांत होने लगे. 
अनीश: वह संध्या..मस्त मजा आ गया. आय लव यू बेबी ! क्या तुम्हे अच्छा लगा..
मैंने कहा: हाँ बहुत मजा आया अनीश. आय लव यू टू 
अनीश ने मुझे पेपर नैपकिन निकल कर दिये . मैंने उससे मेरी चुत से बाहर निकल रहा उसके लण्ड का पाणी साफ किया, फिर उसका लण्ड ओर गोटिया भी साफ़ की. उसकी गोदी से निचे उतरकर मैं अपनी सीट वापस आ गयी. मैंने अपने कपडे ठीक ठाक कर लिये. पर्स से मेक-उप निकाल कर  खुद को संवार लिया.  अनीश ने भी अपनी पैंट ओर अंडरवियर ऊपर कर के फिर से पहन ली.
गाड़ी स्टार्ट करके हम फिर से घर की तरफ जाने लगे.
जाते जाते मैं सोच रही थी. आज पहली बार मैं अनीश के सात झड़ी थी. कुछ उम्मीद लगा सकती हूँ उससे..ज्यादा नहीं. पर अब मुझे उसकी पसंद धीरे धीरे समज में आ रही थी. आगे चलकर ओर क्या क्या खोज कर पता चलेगा ,, क्या पता. पर आज तो मैं सच में  खुश थी.
अनीश ने कहा: संध्या गोवा जाकर भी ऐसे ही मजे करेंगे.  बीच पर. तुम मस्त सेक्सी स्विम सूट खरीद लो. 
मैं: हांजी..सब कर लुंगी..ओर क्या हुकुम मेरे आका. ?
अनीश: अच्छा बोलो.. कही तुम्हारे पीरियड तो नहीं आ जायेंगे.
मैं: वैसे अभी आने चाहिए थे. पर मुझे २-३ दिन पहले पता लग जाता है.. हल्का दर्द चालू होता है. अगर ऐसे कुछ लगा तो मैं दवा खा कर पीरियड्स आगे धकेल दूंगी. ताकि हमारी हनीमून अच्छी से हो जाये.

अनीश खुश हो गया. हम घर पहुँच गये. 
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