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सॅटर्डे मॉर्निंग में वो आ गये, वीकेंड था इसलिए अजय और प्राची दोनो की छुट्टी थी..और इन दो दिनों तक ही रुकना था उन्हे भी.
अजय ने उन्हे अपनी शादी पर ही देखा था बस, पर उस वक़्त के देखे रिश्तेदार ज़्यादा याद नही रहते, अब उन्हे सही से देखा उसने.
दोनो की उम्र उसकी सास के आस पास ही थी, मौसाजी तो थोड़े जवान से लग रहे थे,शायद मुंबई में रहने की वजह से थोड़ा बहुत हीरो स्टाइल आ गया था उनमे..उनकी बेटी रिया भी साथ आई थी जो पूजा से भी छोटी थी...वैसे तो उसके ससुराल में काफ़ी कमरे थे पर प्राची ने ज़बरदस्ती करके उन्हे अपने घर पर रुकवा लिया..उसकी अपनी मौसी से बड़ी अच्छी बनती थी..
मौसी देखने में बिल्कुल विद्या बालन जैसी थी, भरी हुई सी, गोल मटोल नितंब और मुम्मे ...उनके कुल्हों की थिरकन देखकर अजय को बड़ा मज़ा आता था..शनिवार का पूरा दिन तो ऐसे ही निकल गया,अजय ने काफ़ी कोशिश की पर अपनी सास और उसके जीजा के बीच कुछ अलग देख ही नही पाया वो, बड़े ही नॉर्मल तरीके से दिख रहे थे वो दोनो
पर अजय भी जानता था की ऐसे रिश्ते सभी के सामने खुलकर नही दिखाए जाते ...वो भी अपनी जासूसी नज़रें उनपर लगाए हुए था.
रात का खाना खाने के बाद अजय और प्राची उन्हे लेकर अपने घर आ गये..दोनो घर एकदम साथ थे इसलिए रजनी भी साथ ही चली आई, ये कहते हुए की अभी तो उसने काफ़ी गप्पे मारनी है अपनी बहन के साथ..पूजा और उसके पापा नही आए, वो घर पर ही रुके रहे.
अजय का घर भी काफ़ी बड़ा था, 3 बेडरूम थे, मेहमानों के लिए उसने बड़ा वाला रूम खुलवा दिया, और सभी वहीं बैठकर गप्पे मारने लगे..मौसाजी तो टीवी देखते रहे..और अजय की सास और उसकी बहन इधर-उधर की बातें करते रहे..
अजय अपने कमरे में आ गया और कुछ ही देर मे प्राची भी..प्राची को तो आते ही नींद आ गयी,क्योंकि सुबह से सबके लिए खाना बनाने में जो लगी हुई थी वो अपनी माँ के साथ..
अब दूसरे कमरे से सिर्फ़ उसकी सास और मौसी की आवाज़ें आ रही थी..और बीच-2 मे उसके मौसा की भी आती रहती थी...रात के 11 बज चुके थे, पर उसकी सास थी की वहीं जम कर बैठी थी...और अजय जानता था की उसके पीछे उनका क्या मकसद है
और अगले आधे घंटे में मौसी की आवाज़ें आनी भी बंद हो गयी, यानी वो भी सो चुकी थी ...और सिर्फ़ अजय की सास और मौसा जी बातें करते सुनाई दे रहे थे और वो भी बड़ी धीरे-2 ...
कुछ ही देर में अजय को उसकी सास के कदमों की आहट सुनाई दी जो उसके कमरे की तरफ ही आ रही थी...वो समझ गया की वो चैक करने आ रही है की वहाँ सब सो रहे है या नही...उसने झट से आँखे बंद कर ली और अपने ख़र्राटों की नकली आवाज़ें निकालने लगा...
उसकी सास ने कमरे मे झाँका और दोनो को गहरी नींद में सोता हुआ देखकर चुपचाप वापिस चली गयी...और उसके जाते ही अजय भी दबे पाँव अपने बिस्तर से उठा और बाहर की तरफ चल दिया...आज उसको पक्का यकीन था की वो अपनी सास की रंगरेलियां देखकर रहेगा..रजनी ने उस कमरे का दरवाजा बंद नही किया था, वो पर्दे की आड़ में खड़ा होकर अंदर का नज़ारा देखने लगा...
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अंदर का नज़ारा उसकी आशा के अनुरूप ही था...उसकी पूजनीय सास अपने जीजाजी के साथ लिपट कर खड़ी थी और दोनो एक गहरी स्मूच में डूबे हुए थे...और मौसाजी के हाथ सासुमाँ की गांड को ऐसे मसल रहे थे जैसे उसमे कोई खजाना ढूँढ रहे हो...और वो उनकी बाहों में कसमसा रही थी.
रहनी : "ओहू....जीजाजी .....रूको तो....पहले वो निकालो , कहीं दीदी पिछली बार की तरह ना उठ जाए...''
इतना सुनकर मौसाजी ने उन्हे छोड़ दिया..अजय की समझ में भी नही आया की वो किस चीज़ की बात कर रहे हैं.
मौसाजी ने अपनी जेब से एक दवाई की शीशी निकाली और उसका ढक्कन खोलकर अपनी सो रही बीबी यानी मौसीजी की नाक के पास घुमा दिया...अजय समझ गया की वो शायद बेहोशी की दवाई है.
कुछ देर तक वो उसके चेहरे को गोर से देखते रहे और फिर जब इत्मीनान हो गया तो वो पलटा और अपनी साली को फिर से दबोच कर पहले से भी ज़्यादा ज़ोर से उसे चूमने लगा..
''ओह रज्जो ............. कितना तडपा हूँ मैं तेरे लिए......सुबह से मौका ही नही मिला तुझसे अकेले में मिलने का.....आआआहह आई मिस्ड यू सो मच ...''
रजनी : "ओह्ह्ह्ह जीजाजी ,..मैं भी कितना तडपि हूँ आपके लिए....''
और इतना कहते-2 वो अपने कपड़े उतारती चली गयी...आज ये पहला मौका था अजय के लिए जब वो अपनी सेक्सी सासू माँ को नंगा होते हुए देख रहा था..
और सच मे कमाल थी वो.
पूरी नंगी होने के बाद वो जब उसके दूधिया बदन को अजय ने देखा तो अपने लंड को सहलाने लग गया...गज़ब का शरीर था उसका...एक भी दाग नही...दूधिया...और इतने बड़े-2 मुम्मे , थोड़ा लटक ज़रूर गये थे पर उनको देखकर जो पानी अजय के मुँह में आ रहा था वो ये साबित करता था की उनमे रस बहुत ज़्यादा होगा...
और अपनी साली को नंगा देखते ही मौसाजी ने उन्हें दबोच लिया और उसके पपीते जैसे मुम्मों को मुँह में भरकर ज़ोर-2 से चूसने लगा...
''आआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममम धीरे जीजाजी ................ काटो मत.....उन्हे शक हो जाएगा....''
उसके मुम्मे चूसते -2 मौसाजी ने उपर देखा और कहा : "तो क्या किशनलाल अभी तक तेरी चुदाई करता है....''
रजनी ने आँखे नचाते हुए कहा : "तो आप क्या समझते हैं, आप ही मर्द हो इस दुनिया में , किसी और का मन नही करता क्या...''
मौसाजी : "अरे नही, वो तो मैने इसलिए पूछा क्योंकि तुमने उस दिन फोन पर कहा था ना की वो आजकल सेक्स में इंटरस्ट नही लेता...''
रजनी : "वो तो बस आपको जल्दी बुलाने का बहाना था ....वैसे इंटरस्ट तो कम कर ही दिया है उन्होने...पर मुझे अपना भी तो देखना होता है ना...मेरी आग बुझाने के लिए आप मुंबई से रोज-2 तो आओगे नही...इसलिए उनसे हर दूसरे-तीसरे दिन ज़बरदस्ती करनी ही पड़ती है...''
मौसाजी : "संभल जा रज्जो, अब तू सास बन चुकी है....तेरी उम्र नही रही अब पहले जितनी चुदवाने की...''
रजनी : "अब ये बात आप क्या जानो जीजाजी...इस उम्र में ही सबसे ज़्यादा चुदासी चड़ती है...और प्राची की जब से शादी हुई है, तब से मुझे तो अपनी शादी के बाद वाले दिन याद आ जाते हैं...जब आपके सांढू साहब मुझे कपड़े पहनने की भी इजाज़त नही देते थे...बस दिन रात लगे रहते थे बेशर्मों की तरह..''
मौसाजी ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "और तू चुदती भी तो रहती थी हर टाइम...वो आदत तेरी अब तक नही गयी...''
तब तक मौसाजी ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे...उनकी उम्र के हिसाब से उनका लंड ज़्यादा बुरा नही था...लेकिन अजय से छोटा ही था वो..
उसके लंड को देखते ही रजनी उसपर झपट पड़ी और लगी चूसने..
चपर -2 की आवाज़ों के साथ वो ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों की प्यासी औरत को पानी का पाइप मिल गया हो जिसके अंदर छुपी बूंदे वो वो अपनी सांसो से खींचकर निकालना चाहती हो..
मौसाजी भी बड़े आराम से उसके सिर पर हाथ रखकर अपना लंड चुसवा रहे थे...और उनकी नज़रें बीच-2 में अपनी बीबी की तरफ भी जा रही थी की कहीं वो उठ ना जाए...
कुछ देर तक चुसवाने के बाद रजनी उठी और बिस्तर पर लेट गयी...अपनी चूत चुसवाने के लिए...लेकिन मौसाजी को शायद कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी...
वो बोले : "अभी इसका टाइम नही है रज्जो....जल्दी से घोड़ी बन जा....''
अब उस वक़्त वो भला क्या बहस करती उनसे...पर उसके चेहरे पर आए मायूसी के भाव देखकर अजय समझ गया की उनका कितना मन था अपनी चूत चटवाने का..
अजय ने मन में सोचा...''फ़िक्र ना करो सासू माँ ..जल्द ही आपका दामाद करेगा आपकी सही से सेवा...''
फिर मौसा जी ने अपने लंड के उपर ढेर सारी थूक लगाई और टीका दिया सीधा अपनी साली की गांड पर..
सासू माँ चीख पड़ी : "नही जीजाजी .....पीछू से नही....पीछू से नही ....''
मौसजी : "अरी रुक ना...तुझे पता है ना मुझे कितना मज़ा आता है तेरी गांड मारकर...नाटक ना कर...''
रजनी : "नही जीजाजी...दर्द होगा....उन्होने तो कभी नही मारी पीछे से...आपने मारी थी, और वो भी पिछले साल....अब तक तो छेद फिर से बंद हो चुका होगा....दर्द होगा ना...पीछू से नही ...पीछू से नही ...''
मौसजी : "ये क्या पीछू से नही..पीछू से नही लगा रखा है....साली....ड्रामे ना कर...मुझे अपना काम करने दे...''
और इतना कहते-2 मौसाजी ने बड़ी ही बेरहमी से उनकी गांद में अपना लंड लगाकर जोरदार झटका मारा...और उनका आधे से ज़्यादा लंड अंदर घुस गया...
सासू माँ दर्द और मज़े से हुंकार उठी : "आआआआआआवउुुुुुुुुुुुुुुुुउउ ....... उफफफफफफफफफफ्फ़ ....... म्*म्म्ममममममममममम''
अपने लंड को बाहर निकालकर मौसाजी ने फिर से अंदर झटका मारा....अजय ने देखा की सासुमाँ ने तकिये को मुँह मे डालकर बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ दबाई...
पर उन्हे अपनी गांड मरवाता देखकर अजय की आँखे फैल सी गयी.....उसने तो सोचा भी नहीं था की उसकी सास अपनी गांड भी मरवा चुकी होगी...वैसे उनकी फेली हुई गांड को देखकर वो हमेशा से उनका दीवाना था..पर वो फेली हुई गांड ऐसे चौड़ी हुई होगी, ये उसे आज ही पता चला...
अजय ने भी एक-दो बार प्राची को गांड मरवाने के लिए बोला था, पर उसने सॉफ माना कर दिया था...ऐसे में अपनी सास को गांड मरवाता हुआ देखकर वो यही सोच रहा था की काश ये थोड़ी बहुत शिक्षा अपनी बेटी को भी दे दे की गांड मरवाने में कितना मज़ा आता है...मारने वाले को भी और मरवाने वाले को भी...
और अब तक मौसाजी के झटके काफ़ी तेज हो चुके थे....और लंड बड़े ही प्यार से अंदर बाहर जा रहा था..
रजनी को भी उसी मस्ती का एहसास हो चुका था...वो अपनी चूत पर उंगलियाँ फेरती हुई बड़े ही मज़े से अपनी गांड मरवा रही थी..
''उम्म्म्ममममममममममम ओह जीजाजी .............. सच मे.............बड़ा मज़ा आ रहा है ............... और ज़ोर से करो ना....... मारो मेरी गांड ......ज़ोर से मारो .....''
अपनी साली की ऐसी बातें सुनकर मौसाजी को और जोश आ गया....और उन्होने अगले 10-12 झटके ज़ोर-2 से मारकर अपना सारा रस उनकी गांड में निकाल दिया...और बाकी से उनकी चूतड़ों पर पेंटिंग कर दी
और अपने हाथ से अपनी फुददी रगड़ते हुए सासू माँ भी झड़ गयी....
पूरे कमरे में दोनो की गर्म साँसे और सेक्स से भरे पसीने की गंध फैल गयी....
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अजय का लंड पूरा खड़ा हुआ था....पर अभी के लिए बेचारा कुछ भी नही कर सकता था...
उन दोनो ने कपड़े पहनने शुरू कर दिए...अजय भी अपने कमरे में वापिस आ गया...और कुछ ही देर में उसकी सास धीरे से दरवाजा खोलकर वापिस अपने घर चली गयी...12 बज चुके थे पर अजय को 2 बजे तक नींद ही नही आई...वो तो बस आने वाले दिनों के बारे में ही सोचता रहा...
जिस सास को देखकर वो हमेशा से उनके बारे में सोचता था वही आज अपने जीजा से गांड मरवा कर गयी थी उसके घर पर...अब तो उसकी मस्ती का दरवाजा खुल चुका था...बस उसे अपनी अकल का इस्तेमाल करते हुए इस मौके का सही से फायदा उठाना था...क्योंकि वो उसकी सास थी यानी उसकी पत्नी की माँ ....जो अपने दामाद से ऐसे नाजायज़ रिश्ते बनाकर वो कभी नही चाहेगी की उसकी बेटी का घर बर्बाद हो...और उपर से उसकी पत्नी भी काफ़ी शक्की किस्म की थी...किसी भी दूसरी लड़की के बारे में सुनकर वो अजय का क्या हाल करेगी ये तो वही जानता था.....ऐसे में अजय को हर कदम फूँक -2 कर रखना था.
जिस सास को देखकर वो हमेशा से उनके बारे में सोचता था वही आज अपने जीजा से गांड मरवा कर गयी थी उसके घर पर...अब तो उसकी मस्ती का दरवाजा खुल चुका था...बस उसे अपनी अकल का इस्तेमाल करते हुए इस मौके का सही से फायदा उठाना था...क्योंकि वो उसकी सास थी यानी उसकी पत्नी की माँ ....जो अपने दामाद से ऐसे नाजायज़ रिश्ते बनाकर वो कभी नही चाहेगी की उसकी बेटी का घर बर्बाद हो...और उपर से उसकी पत्नी भी काफ़ी शक्की किस्म की थी...किसी भी दूसरी लड़की के बारे में सुनकर वो अजय का क्या हाल करेगी ये तो वही जानता था.....ऐसे में अजय को हर कदम फूँक -2 कर रखना था.
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आगे की कहानी कहां गई, मस्त कहानी है, आगे भी जारी रखो
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सुनील पंडित जी, आप कहानी को आगे बढाईये। मुझे नहीं लगता कि indianpirate जी को इसमें कुछ बुरा लगेगा। क्योंकि यह कहानी श्रीमान अशोक जी ने लिखी है। और हम सभी ने पढ़ा भी है और सराहा भी है। कहानी का इस तरह रुक जाना
कोई अच्छी बात नहीं होती है।
कृपया इसको पूर्णता देवें। या फिर एक नया थ्रेड स्टार्ट करें।
धन्यवाद
भावना
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