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SAAHAB, AAPKI PATNI KEE CHOOT SABSE PYARI HAI
#1
मेरी नाम विनोद है । मैं अभी ४० साल का हूँ । बढिया नौकरी है । २ बेटियों और एक बेटे का बाप हूँ । दोनों बेटियाँ जवानी के दहलीज़ को पार कर अपने कपड़े उतरवाकर कुऑंरी चूत में लंड घुसने का इंतज़ार कर रही है। मेरा लौडा भी दोनों बेटियों के अनदेखी मस्त चूत में घुसने के लिए तैयार हैं लेकिन कोई मौक़ा नहीं मिल रहा है।
 
लेकिन अभी जो कहानी आप पढ़ेंगे वो मेरी बेटीयों की चुदाई की नहीं मेरी नवेली दुल्हन जिसमें १८ साल पूरा ही किया था, उसकी मस्त चुदाई की कहानी है ।
 
ये २१ साल पहले की बात है । मैंने कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म की और अपने गॉंव आया । १५ दिनों के बाद ही मेरे मामा और बाबू जी मुझे दूसरे गॉंव ले गये । मुझे पहले नहीं बताया गया कि हम वहाँ क्यों जा रहे है। हम उस गॉंव के मुखिया के घर गये । वहाँ मैंने देखा कि औरतें और लड़कियों मुझे घूर रही हैं । तब तक अपनी बहनों, मॉं , मामी को छोड़ किसी और औरत का बदन भी नहीं छुआ था । चुदाई के  बारे में सुना था । किसी किसी कॉलेज की मस्त खुबसूरत लड़कियों को देखकर लौडा खड़ा भी होता था । झूठ नहीं कहूँगा कभी कभी मॉं और मामी की चुचियों को देखकर लौडा भी हिलाया था लेकिन तब तक किसी को चोदना क्या चुची भी नहीं देखा था ।
 
हम वहॉं कुछ देर बैठे और अचानक एक साड़ी पहनी हुई लड़की दूसरी तीन औरतों के साथ अंदर आई। मुझे शरबत का ग्लास देते समय एक नज़र मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुरा कर दूसरी तरफ़ घूम गई । मैंने उसे तुरंत पसंद कर लिया । वो लड़की कमरे से बाहर गई और कुछ ही देर बाद एक शादीशुदा औरत मेरा हाथ पकड़ एक दूसरे रुम में ले गई। मुझे रुम के अंदर घकेलते हुए बोली ,
 
“ दामाद जी , आपकी घरवाली कमरे में है , आपको १५ मिनट देती हूँ जो करना है किजीए. अगर दम है तो मंजू को चोद भी सकते हो ! “
 
खिलखिलाती हुई वो औरत रुम को बंद करते हुए भाग गई । दो कदम आगे गया तो देखा कि जिसने मुझे शरबत दिया था वहीं नज़रें झुकाये खड़ी थी । अब तक मैं समझ गया था कि मुझे यहाँ क्यों लाया गया है । और इस तरह मुझे इस लड़की के साथ एक कमरे में बंदकर दिया है उसका मतलब साफ़ था । हमारी शादी तय हो गई है । यूँ तो लड़कियों के मामले में बहुत शर्मिला था पर मुझे मज़ाक़ करने की आदत थी ।
 
मैं ———-  मुझे तुम बिलकुल पसंद नहीं हो ।मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता ।
 
मेरी बात सुनते ही वह मेरे बहुत नज़दीक आ गई । मेरी ऑंखें में देखते हुए बोली ,
 
“ विनोद जी , अब मैं आपको पंसद हूँ या नहीं कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है । मैंने सबसे कह दिया है कि तुम मुझे बहुत पसंद हो । तुम मुझसे शादी करो या ना करो मैं ही तुम्हारी घरवाली हूँ और मैं ही तुम्हारे बच्चों की मॉं भी बनुंगी । “
 
मुझे तो ये लड़की पहले ही नज़र में पसंद आ गई थी । इसकी बोल्ड बिंदास बातों ने मुझे इस लड़की मंजु का दीवाना बना दिया । लेकिन मैं इसकी , घर के बाहर की किसी भी लड़की के बदन का स्पर्श करना चाहता था ।मालूम नहीं मुझमें कहॉं से हिम्मत आ गई । शायद उसकी बातों ने ही हिम्मत दी हो ।
 
 मैंने कहा,
 
“ अभी मुझे एक चुम्मा दो तब शादी करूँगा । “
 
“धत्त”
 
बोल कर अपने दोनों हाथों से चेहरा को ढक लिया । मैंने जाकर दरवाज़ा को अंदर से बंद किया । फिर बोला ,
 
“ मेरी प्यारी घरवाली, अब इस कमरे का दरवाज़ा तभी खुलेगा जब तुम चुम्मा दोगी । “
 
मेरी बात सुन उसने चेहरे से हाथ हटाया । मेरे एक गाल को ज़ोर से पिंच करते हुए बोली ,
 
“ सहेलियों ठीक ही कहती थी कि शहर के लड़के से विवाह मत करो , बहुत हरामी होते हैं , बहुत ग़लत आदमी के साथ फंस गई हूँ जो करना है जल्दी करो , मुझे बाहर जाने दो । “
 
उसकी बात ख़त्म हुई लेकिन उसकी बातों ने मेरा जोश बहुत ही बढ़ा दिया । मैंने उसे बाँहों में बांधा और ताबड़तोड़ गालों का चुम्मा लिया , होंठों को चूसा । दोनों हाथों से उसकी कड़क चुत्तरों को मसला और फिर उसे पीछे घुमाया और बाँहों के नीचे से दोनों हाथों को घुसाकर दोनों चुचियों को खुब मसला ।
 
उसने ५-६ मिनट मुझे मस्ती लेने दिया । तब वह बोली .
 
“ अब तुमने अगर तुरंत दरवाज़ा नहीं खोला तो चिल्ला दूँगी । अगर मुझे नंगा देखना चाहते हो तो अपने मॉं बाप से बोलो कि हमारी शादी जल्दी करे । तुम मुझे बहुत पसंद हो । “
 
वो खुद घुमी और मुझे चुमते  हुए होंठों को चूसते हुए लड़की ने कपड़ों के उपर से लौडा को मसला ।मंजु अलग हुई और दरवाज़ा खोल कर बाहर चली गई ।
 
घर के बाहर की किसी लड़की, ज़िंदगी की पहली लड़की को प्यार किया , सहलाया , चुम्मा लिया । मैं बहुत खुश था । मेरे होनेवाले ससुराल के लोग भी बहुत खुश थे ।
 
 वास्तव में यह शादी दो महिना पहले ही तय हो गई थी । लेकिन अपनी सहेलियों के कहने पर मंजु ने ज़िद्द कर दी कि शादी के पहले वो अपने होने बाले दुल्हा से मिलेगी तभी शादी के लिए हॉं कहेगी । कई लोगों ने , बाप ने , मामा , भाइयों ने भी कहा कि उन्होंने लड़के  को देखा है, उससे बात की है । एक बड़े भाई ने कहा था ,
 
“ मंजु, विनोद हमारे जैसा देहाती , गंवार नही है बहुत ही सुंदर हैं. जवान है और बहुत मज़बूत भी दिखता है, तुम्हें बहुत खुश रखेगा । “
 
लेकिन मंजु ज़िद्द पर अड़ी रही । आख़िर मंजु ने अपने होने बाले दुल्हा को देख लिया । देखा ही नहीं उसे पहली ही झलक में पसंद भी कर लिया । पहली ही मुलाक़ात में विनोद ने जो हरकतें की वह उसे और भी पंसद आई   ।
 
बिनोद की हरकतें उसे इतनी पसंद आई कि रात जब उसके रुम में कई और लड़कियाँ सो रही थी तब भी वह जवानी में पहली बार पुरी नंगी हुई । झॉंटों भरी चूत को मसला ही नहीं अपनी अंगुलियों को भी चूत में घुसाते हुए बार बार फुसफुसाती रही ,
 
“ विनोद जल्दी अपना लंबा मोटा लंड मेरी चूत में पेलो, चोद चोद कर मेरी चूत को फाड़ डालो । “
 
मंजु ने चूत और चूची रगड़ना तभी बं किया जब वह पूरी तरह से ठंडी हो गई , झड़ गई । कपड़े पहन कर सुबह लेट तक सोई । विनोद भी अपनी ज़िंदगी की पहली लड़की को प्यार कर बहुत खुश थी लेकिन उसने मंजु जैसा हत्त्थु नहीं मारा ।
 
दोनों परिवार को शादी की जल्दी थी । लेकिन विनोद ने जब मंजु को प्यार किया उसके ५० वें दिन दोनो की शादी बहुत धूमधाम से हुई । ७ वें दिन दुल्हन ससुराल आई ।
 
दुल्हन के रीति- रिवाज के अनुसार सुहाग रात विवाह के चौथे रात ही होती है लेकिन विवाह के तीसरे ही सुबह मंजु का मासिक पीरियड शुरू हो गया । उसके चौथे ही दिन बाल धोकर नहाया और शाम को ससुराल पहुँच गयी । अगले ही दिन विनोद को एक बड़ी कम्पनी से साक्षात्कार की चिट्ठी आई । सभी ने कहा कि घर में बहु के कदम पड़ते ही एक बढिया खबर आई।
 
दूसरी रात भी नहीं ससुराल में तीसरी रात विनोद ने अपनी पत्नी के साथ सुहाग रात मनाई। विनोद ने बहुत खुशामद की लेकिन मंजु ने साईट नहीं जलाने दिया । लेकिन ज़िंदगी की पहली चुदाई से दोनों बहुत खुश थे । चूत में पहला लौडा घुसा तो मंजु छटपटाने लगी । विनोद की भी पहली चुदाई थी , शुरु में उसे भी बहुत तकलीफ़ हुई । लेकिन विनोद ने बढिया चोदा । मंजु के ठंडा होने के बाद ही बाद ही झंडा ।
 
पहली चुदाई से दोनों बहुत खुश थे । एक दूसरे के उपर टॉग चढ़ाकर दोनों ने प्यार भरी बातें की । पुरा समय मंजु लौडा सहलाती रही । लंड कड़ा हुआ और फिर जमकर चुदाई। चुम्मा के अलावा कोई दूसरा ओरल नहीं । विनोद ने चुचीयों को एक बार भी नहीं चूसा । सुबह में घर की औरतें और जवान लड़कियों ने बिस्तर की हालत देखी । चादर पर कई गहरे धब्बे थे । विनोद की दोनों बड़ी बहनें बहुत खुश थी कि उनके खुबसूरत भाई को कुवॉंरी लडकी चोदने के लिए मिली ।
 
अगली दो रात भी २-२ बार खुब जमकर चुदाई । मंजु ने नंगा होने में कोई आना-क़ानी नहीं की लेकिन अपने घरवाले को अपना खुबसूरत. मख्खन से भी चिकना बदन एक बार भी देखने नहीं दिया ।
 
अगली शाम विनोद के इटंरंभ्यु के लिए जाना था । मंजु को पति से ३ रात अलग रहना बढिया नहीं लग रहा था लेकिन उसने कुछ कहा नहीं । लेकिन उस परिवार में पति के अलावा कोई और था जो चाहता था कि उसकी बहु हमेशा ख़ुश रहे । दिन के खाना के समय विजेन्द्र बाबू . विनोद के पिता जी ने विनोद से कहा कि वह बहु को भी साथ ले जाए । उनकी बात काटने की हिम्मत किसी में नहीं थी ।
 
प्रोग्राम यह तय हुआ कि अगले दिन बहु को देवगढ़ में बाबा विश्वनाथ का दर्शन करवाने के बाद इंटरव्यू के लिए रॉंची जायेगा । तीन दिन से मंजु ससुराल में थी लेकिन उस समय पहली बार ससुर को गौर से देखा और देखते ही उसके दिल ने कहा .
 
“ मंजु , विनोद बढिया है लेकिन अगर तु विनोद के बदले उसके बाप से शादी करती तो तु और भी ज़्यादा खुश रहती । “
 
मंजु माथा पर आँचल डाले हुए ससुर को ही देखती रही । विनोद के पिताजी मंजु के बाबूजी से ७-८ साल बड़े जरुर होंगे लेकिन पुरे जवान दिखते थे । लेकिन मंजु को अपने ही दिल की बात समझ नहीं आई । तब तक मंजु सिर्फ़ यही जानती थी कि शारीरिक संबंध सिर्फ़ पति के साथ ही होता है। पति पत्नी के अलावा परिवार में होने बाले अश्लील संबंधों के बारे में मंजु को कोई जानकारी नहीं थी ।
 
दोनों सुबह देवगढ़ पहुँचे । बढिया धर्मशाला में एक कमरा लिया । बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया । आस पास के जगहों को भी देखा । तीन घंटा धर्मशाला में आराम किया । विनोद चुदाई करना चाहता था लेकिन मंजु ने कहा कि धर्मशाला में चुदाई क्या चुम्मा भी नहीं लेने देगी ।नहीं ही लेने दिया । रात की ट्रेन से सुबह राँची पहुँचे ।
 
शहर के एक होटल में कमरा लिया । नहा धोकर दोनों ने कमरे में ही नाश्ता किया । मंजु को सब समझा-बुझा कर विनोद ९ बजे के बाद अपने साक्षात्कार के लिए निकल गया । विनोद ने कहा कि ३ बजे के पहले आ जायेगा और उसके बाद सिनेमा देखने जायेगा । मंजु ने सोचा की कहानी किताबें पढ़कर , सोकर ५-६ घंटा समय गुज़ार लेगी ।
 
तीन रात लगातार चुदाई के बाद पिछली २ रात कोई चुदाई नहीं हुई थी । मंजु बेड पर लेटकर “मनोहर कहानियों “ पढ़ रही थी । शादी के पहले ही उसके एक भाई जो उस से २ साल भी बड़ा नहीं था उसी ने अपनी बहन को इस मैगज़ीन को पढ़ने की आदत लगाई थी । इस मासिक मैगज़ीन में सिर्फ़ सेक्स की ही मज़ेदार कहानियाँ रहती थी । गंदे शब्दों का प्रयोग नहीं होता था लेकिन कहानियाँ मज़ेदार होती थी ।
 
विनोद को गये आधा घंटा भी नहीं हुआ घी कि दरवाज़े पर आहट हुई । बिना किसी डर भय के दरवाज़ा खोला । देखा कि सामने एक बहुत ही साधारण कपड़े पहने हुए एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा है। देखने में भी साधारण ही था ।
 
मंजु——- क्या हुआ काका , क्या चाहिए?
 
सामने खड़ा आदमी ५० साल का था । होटल का नाई था । साथ में जिन्हें चाहिए उनकी मालिश भी करता था । रोज़ हर कमरे में जाकर बाल काटने, मालिश करने का काम ढूँढता था । रोज़ कुछ ना कुछ काम मिल ही जाता था । कई बार कमरे में रहने बाले अपना बाल कटबाते थे , दाढ़ी बनबाते थे । साथ ही अपने नंगे बदन की पूरी मालिश करवाने के बाद साथ आई औरत की झॉंट साफ़ क़रने  के साथ साथ औरत के नंगे बदन की पूरी मालिश भी करवाते थे ।
 
उस दिन होटल में आये आधा घंटा ही हुआ था । १०-१२ कमरों का चक्कर काट कर आया था लेकिन तब तक उसे कोई काम नहीं मिला था ।
 
इस काका का नाम प्यारेलाल था । हँसता खेलता भरा पूरा परिवार था । अपनी सैलुन था  लेकिन ५ साल पहले हुए दंगों में सब कुछ चौपट हो गया । सिर्फ वह और उसकी एक ज़बान बहु बचे । वह अपनी बहु से बार बार दूसरी शादी करने के लिए बोलता रहा लेकिन वह विधवा बहु ससुर को छोड़कर कहीं नहीं गई । अब ५ सालों से बहु और ससुर एक पति पत्नी जैसा ही रह रहे थे । बहु चाहती थी कि ससुर उससे विवाह कर बच्चे पैदा करें लेकिन यह संभव नहीं था । सरकार से मुआवज़ा मिला लेकिन नया दुकान चालू करने के लिए बहुत चाहिए था ।
 
बहु के ही सलाह पर प्यारे ने होटल में काम ढूँढने लगा। कई होटलों में चक्कर काटने के बाद “ संगम “ होटल में काम मिल गया । सुबह ८ से लेकर दिन के २ बजे तक इस होटल में काम करता था और घर जाकर शाम ५ बजे तक बहु की सेवा करता था । शाम को एक मशहूर सैलुन में ३ घंटा काम करता था । शुरु औसतन रोज़ की ३००/- से ज़्यादा कमाई हो जाती थी जो ससुर बहु के लिए काफ़ी था
 
लेकिन इस संगम होटल में काम शुरु करने के १५ दिन बाद ही एक कमरे में ४५ साल के आदमी ने अपनी ४० साल की पत्नी के सामने कहा कि प्यारे दोनों के नंगे बदन की तेल से मालिश करें । जब से , क़रीब ६ महिना पहले से, ससुर बहु साथ रहने लगे थे तो बहु ने साफ़ कह दिया था कि ससुर बहु को नहीं चोदना चाहता है तो ना चोदे लेकिन उसे हर रोज़ कम से कम एक बार बहु के पूरे बदन की तेल मालिश करनी पड़ेगी । बेचारा प्यारे क्या करता ! बहु की मालिश शुरु की ।
 
मालिश दस मिनट भी नहीं हुई थी , ससुर का लम्बा मोटा लंड बहु के चूत की गहराई नापने के लिए अंदर घुसता गया । ससुर की चुदाई से जवान बहु इतनी खुश हुई की अगली सुबह ही ससुर से अपना झॉंट भी साफ़ करवाया। फिर क्या, रोज़ २-३ बार की चुदाई और हर दिन दोनों एक दूसरे के नंगे बदन की मालिश करने लगे । बहु को ससुर का लंड अपने पति के लंड से ज़्यादा पसंद आया ।
 
सेठ से अपनी और पत्नी के बदन की तेल मालिश की बात सुन प्यारे ने कहा कि वो ये सब काम नहीं करता है। प्यारे घर आ गया । रोज़ की तरह उसने सारी बात बहु को बताई और सुनते ही उसने ससुर को खुब गाली दी और बुरा भला कहा । बहु ने कहा था कि होटल के आदमी ने अपनी और उसकी घर बाली के नंगे बदन की मालिश के लिए कहा और उसने मना कर दिया ।
 
बहु ने धमकी दी कि बदन की मालिश ही नहीं अगर कोई उसे लंड की भी मालिश करने बोले, या लंड चूसने और बीबी या किसी और का झॉंट भी साफ़ करने बोले तो प्यारे मना नहीं करेगा , सब काम करेगा । और उसके बाद से प्यारे ने कभी किसी को किसी काम के लिए मना नहीं किया ।
 
बहु के बोलने पर प्यारे दुबारा होटल गया । सेठ से माफ़ी माँगी । सेठ ने पहले अपनी मालिश करवाई। बीबी के सामने नंगा हुआ। सेठ ने कह नहीं लेकिन औरत के सामने प्यारे ने लंड की मालिश की और लंड झड़ गया । लंड की मालिश देख औरत बहुत गर्म हो गई और पूरी नंगी हो कर बेड पर लेट गईँ । प्यारे ने पहले उसके पिछबारे की खुब मालिश की , जैसा बहु के साथ करता था चुत्तरों को खुब मसला, अंगुलियों को तेल में डूबा डूबा कर ५-७ मिनट गॉंड के अंदर बाहर किया लेकिन दोनों में से किसी ने मना नहीं किया ।
 
औरत को सीधा किया तो देखा कि बूर पर झॉंटो का जंगल है । बिना औरत या मर्द से पुछे प्यारे ने दाढ़ी बनाने बाले रेजर से झॉंट को साफ़ कर बूर को चिकना किया चूचियो को मसलते हुए बूर में बहुत तेज़ी से अंगुलियों को अंदर बाहर करता रहा । औरत झड़ गई, पुरी तरह से पस्त हो गई । बहु ने जो रेट कहा था वही प्यारे ने मॉगा । मालिश का २००/- . लंड मालिश का अलग से ५० । प्यारे ने कहा कि सिर्फ़ कोई झॉंट साफ़ करायेगी तो १००/- और अगर पुरे  वंदन की मालिश करवायेगी तो मुफ़्त में झॉंट साफ़ कर देगा । रेट से सिर्फ़ ४५०/- ही बनता था लेकिन औरत ने ६००/- देते हुए कहा कि उसे अगले दिन भी मालिश करवानी है।
 
घर जाकर बहु के हाथ में ६००/- रख सारी बात बताई । बहु इतनी खुश हुई कि जोश में चुदवाया, पहली बार गॉंड में लंड लिया , पहली बार ही किसी लंड को चुसा और प्यारे ने भी जोश में आकर पहली बार किसी बूर पर , बहु के बूर पर मुँह लगाया । बूर का स्वाद इतना बढ़िया लगा कि चाटता ही रहा । रात में भी दोनों ने सिर्फ़ लँड और बूर को ही चूसा , चाटा । अगले दिन प्यारे ने सिर्फ़ उसी रुम में पूरा समय गुज़ारा । घरवाला के सामने औरत ने दो बार चुदवाया , लंड चूसा और प्यारे ने बूर चूस चाट कर औरत को पागल कर दिया । प्यारे के जाते ही दोनों ने होटल छोड़ दिया ।
 
४ साल से ज़्यादा समय गुजर गया । हर महिना प्यारे को कम से कम ४ ऐसे मर्द ऐसे मिल जाते थे जो अपने सामने अपनी औरत की नंगी मालिश करवाते थे , झॉंट भी साफ़ करवाते थे लेकिन उस पहली औरत के बाद किसी ने चुदाई के लिए नहीं कहा । क़रीब क़रीब सभी औरतें मालिश के समय , ख़ासकर जब प्यारे बूर में अंगुली करता था तो चुदाई के लिए तड़पती थी , कसमसाती भी थी लेकिन प्यारे से चोदने के लिए नहीं बोल पाई । ना ही प्यारे में हिम्मत थी कि खुद ही औरत के बूर में लंड पेल दे । बहु ने भी नहीं समझाया कि औरत की कौन सी हरकत से मालूम होता है कि औरत चुदाई के लिए बेक़रार है । ४ साल से ज़्यादा समय से प्यारे को सिर्फ़ अपनी बहु की ही चूत मिल रही थी ।
 
और उस समय प्यारे ने पहली बार होटल के किसी कमरे में किसी भी लड़की या औरत को अकेले देखा ।
 
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE
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#2
अब आगे की कहानी मंजु की जवानी ।
 
“ मैं मनोहर कहानियाँ में एक बहु और ससुर के बीच नाजायज रिश्ते की कहानी पढ़ रही थी । दरवाज़ा पर आहट सुन मैं ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि ५०-५२ साल का एक साधारण सा दिखने बाला आदमी एक गंदा सा बैग लेकर खड़ा है। मेरे पुछने पर उसने बताया कि वो बाल दाढ़ी काटने के साथ साथ मालिश भी करता है । उसने कहा कि वह हर रोज़ हर कमरे में जाकर काम ढूँढता है। मैं ने बार बार कहा कि मेरे पास उसके लायक काम नहीं है। वह खुशामद करता रहा और मैं ने उससे कहा कि अगले दिन मेरे पति रहेंगे तो कल आ जाये । फिर भी वो खड़ा रहा ।बाद में मेरे पूछने पर अपना नाम “प्यारेलाल “ बताया । मैं मुस्कुराई क्यों कि जो कहानी में पढ़ रही थी उसमें भी ससुर का नाम प्यारेलाल ही था ।
 
प्यारे———— मालकिन आप बहुत दयालु दिखती हैं । इस ग़रीब पर तरस खाईये । एक घंटा से ज़्यादा हो गया एक रुपये की भी कमाई नहीं हुई है।
 
पता नहीं क्यों मुझे उस पर तरस आ गया । मैं अंदर गई और अपने बैग से ५०/- रुपया निकाल उसे देने लगी लेकिन उसने नहीं लिया ।
 
प्यारे———— मालकिन, मैं भिखारी नहीं हूँ । काम का ही पैसा लेता हूँ । पुरे बदन की मालिश का २००/- लेता हूँ । आप सिर्फ़ अपना हाथ पॉंव दबाने दीजिए । ख़ुशी ख़ुशी आप जो देंगी मैं रख लुंगा । भगवान आपको , आपके सपरिवार के सदा सुखी सम्पन्न रखें , आप दूधोॉ नहाये , पुतो फले ।
 
प्यारे की बहु मंजु से क़रीब १० साल बड़ी थी । लेकिन मंजु को इतने सामने से देख कर , कमरे में अकेली देख कर भी उसके दिल या लंड में भी मंजु को चोदने का ख़्याल नहीं आया था ।
 
मैं मना करती रही लेकिन वो ज़िद्द करता ही रहा ।
 
प्यारे——— मालकिन आप डर रही हैं कि आपको अकेले देख मैं कुछ ग़लत करुंगा । आप होटल के लोगों से पूछ लें । मैं ५ साल से इस होटल में यही काम कर रहा हूँ । आपको विश्वास नहीं होगा । इस होटल में मैं ने २०० से ज़्यादा औरतों के बदन पर तेल मालिश की है , पुरा नंगा हो कर ही तेल मालिश होती है लेकिन भगवान जानता है कि मैं ने किसी को चोदा नहीं ।
 
“ नंगा कर पुरे बदन की मालिश की , किसी को चोदा नहीं “ सुनकर मेरा पुरा शरीर सिहर गया ।
 
प्यारे ————— मालकिन, मैं आपको नंगा होने भी नहीं बोल रहा हूँ । सिर्फ आपके हाथ पॉंव ही दबाऊँगा । मुझ गरीब पर दया कीजिए ।
 
और सच मुझे इस ग़रीब पर दया आ गई । मैं ने सोचा कि ५-७ मिनट इससे हाथ पॉंव दबबा कर १००/- देकर रुम के बाहर कर दूँगी । मुखिया की लाड़ली बेटी थी । मैं ने उसे डपट कर कहा कि अगर उसने थोड़ा भी इधर किया तो ज़िंदगी भर के लिए जेल में डबवा दूँगी ।
 
उस समय तक प्यारे के दिमाग़ में इस खुबसूरत कमसीन माल को चोदने का ख़्याल नहीं आया था ।
 
प्यारे को अंदर आने बोल मैं ने दरवाज़ा को हल्के से ढकेला कि बरामदे पर आते जाते लोगों को हम नज़र ना आयें । प्यारे ने मुझे पेट के बल लेटने को कहा ।
 
प्यारे ———- मालकिन , कपड़े में तेल लग जायेगा तो जल्दी साफ़ नहीं होगा । मैं सिर्फ़ आपके घुटनों तक ही हाथ ले जाऊँगा । आप साड़ी उतार देंगी तो ख़राब नहीं होगा ।
 
उसकी बात मुझे बढिया लगी । मेरे पति जैसा बिना मुझसे पुछे अगर ये आदमी भी मेरा साड़ी खोल देता तो क्या मैं किसी से कुछ बोल पाती ? सब मुझे ही गाली देते कि जब मैं कमरे में अकेली थी फिर किसी को अंदर क्यों आने दिया ।
 
मंजु ———— नहीं , साड़ी खोलने की जरुरत नहीं । जल्दी अपना काम करो ।
 
ना वो कुछ बोला ना ही कुछ पुछा । वो खड़ा था । मैं देखती रही । पहले उसने अपना क़मीज़ उतारा फिर पैंट भी बाहर निकाल दिया ।
 
मंजु ———- जब सिर्फ़ मेरा हाथ पॉंव ही दबाओगे तो सब खोलने की क्या जरुरत थी ।
 
प्यारे———- मालकिन , हाथ पॉंव में भी तेल लगाउँगा तो कपड़ों में भी तेल लग सकता है । आप अमीर है , एक साड़ी ख़राब होगा तो आपके घरवाले दस ख़रीद देंगे । हम एक क़मीज़ और पैंट को पुरा हप्ता पहनते हैं ।
 
मैं अब बुरी तरह से फँस चूकी थी । मेरे कमरे में एक बुजुर्ग आदमी , मेरे पिताजी से कम से कम १० साल बड़ा आदमी सिर्फ़ एक कपड़ों का बना हुआ अंडरवियर पहन कर खड़ा था । लेकिन मेरे लिए ये कोई नयी बात नहीं थी । बचपन से ही घर के मर्दों को सिर्फ़ एक कच्छा पहन कसरत करते देखा है।
 
मैं ने अंडरवियर को ध्यान से देखा । लंड का कोई हलचल नहीं दिखा । प्यारे काफ़ी लंबा था , क़रीब ६ फ़ीट लंबा । मैं सिर्फ़ ५ फ़ीट ४ इंच लम्बी थी । माथा के आधे से ज़्यादा बाल सफ़ेद हो गये थे लेकिन गर्दन के नीचे सब कुछ किसी जवान आदमी जैसा ही था । गठीला बदन , बाहों और जॉंघो की मॉंस पेशियों बहुत ही कसी हुई दीख रही थी । मुझे विश्वास था कि मेरे घर के लोगों जैसा यह भी ज़रूर कसरत करता होगा ।
 
 
मैं उल्टा लेती थी । माथा को तकिया पर ऐसा रखा था कि मुझे उसकी हर एक हरकत दिखाई देती रहे । वो मेरे पॉंव के पास , बिलकुल मेरे सामने खड़ा हुआ।
 
उसने एक एक हाथ से एक एक पॉंव की अंगुलियों को एक साथ दबाना शुरु किया और मेरे पुरे बदन में सुस्ती छाने लगी । क़रीब दस मिनट उसने पॉंव की मालिश की और मेरे ऑंख बंद होने लगे । पुरी ताक़त से ऑंख खुला रखने की कोशिश करने लगी । उसके दोनों हाथ , एक पॉंव पर एक हाथ , मेरे पॉंव पर आगे बढने लगे । सिर्फ आगे नहीं बढ़े . पैरों की मॉंस पेशियों को बहुत ही प्यार से मसलते सहलाते हुए उपर बढ़ रहे थे ।
 
जैसे जैसे उसके हाथ मेरे पॉंव पर उपर बढ़ रहे थे मेरे उपर नशा भी बढ़ता जा रहा था । प्यारे का हाथ मेरे शरीर पर १५ मिनट से ही था लेकिन मुझे अलग अलग मर्द के प्यार करने के तरीक़ों में फ़र्क़ साफ़ मालूम परने लगा था । विनोद ने तीन रात लगातार चोदा था । रात रात भर उसका हाथ नेरे अंग अंग को मसलता दबाता था लेकिन कभी वैसा आनंद नहीं आया जो प्यारे का हाथ कपड़ों के उपर से ही दे रहा था । इसने कहा था कि तेल मालिश करेगा लेकिन तब तक इसने तेल की शीशी भी नहीं निकाली थी ।
 
प्यारे ने खुद कहा था कि वो सिर्फ़ घुटनों तक ही सहलायेगा । लेकिन २०-२२ मिनट के बाद उसका दोनों हाथ मेरी जाँघों पर था । कपड़ों के उपर से ही मसल कर , दबा कर , कहीं कहीं अंगुलियों से ज़्यादा दबाव देकर दबाता था । मैं दिवाल घड़ी की ओर भी देख रही थी । उसने मेरे पॉंव को दस बजने में बीस मिनट बाक़ी था तब छुआ था और दस बज कर बीस मिनट पर उसके दोनों हाथ मेरी चुत्तरो से खेल रहे थे ।
 
मेरी ऐसी हालत हो गई थी कि वो अगर मुझे नंगा कर चूत में लंड पेल देता को मैं उसे मना नहीं करती । सच तो यह था कि वो जल्दी से मुझे नंगा कर जमकर चोदना शुरु कर दे । ४५ मिनट से हम दोनों चुप थे । इतनी देर से वो फ़र्श पर खड़ा होकर ही मुझे पागल कर रहा था । अचानक उसने दोनों हाथों को नीचे किया और एक ही झटके में मेरी साड़ी और साया को एक साथ घुटनों के उपर , आधी जाँघ तक ले गया । अब मेरी आधी जाँघ नंगी थी । मेरे दोनों नंगे जाँघों को दबा कर बंदर की तरह तेज़ी से उछला और अपने घुटनों से मेरे घुटनों को दबाता गया । घुटनों को इतना दबाया की मेरे दोनों पैर पंलग के किनारे पर आ गये । मेरे पैरों में तनाव आ गया लेकिन मैं चुप रही ।
 
ये उस समय की बात है जब औरतों में पीछे बटन बाली ब्लाउज़ और सामने हुक बाली ब्रा पहनने का चलन था । उस समय मैं भी वैसा ही पहनती थी । बिना कुछ बोले उसने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिए । उसकी मंशा ब्रा खोलने की थी लेकिन खोलता कैसे । हुक तो आगे था । उसने दोनों हाथों से पकड़ ब्रा के पट्टी को चार बार जितना हो सकता था उपर तक खींचा लेकिन पट्टी टूटी नहीं । लेकिन उसके इस हरकत ने मुझे बहुत गर्म कर दिया ।
 
अचानक मुझे लगा कि कोई गर्म रॉड मेरी चुत्तरों को दवा रहा है । दोनों हाथों से नंगी पीठ को सहलाते हुए एक घंटा के बाद बोला ,
 
प्यारे————- मालकिन, २०० से ज़्यादा औरतों की नंगी जवानी को सहलाया है लेकिन आपके जैसा मक्खन जैसा चिकना बदन किसी का नहीं , किसी का हो ही नहीं सकता ।
 
बोलते हुए उसके दोनों हाथ ब्रा के पट्टी के नीचे से होते हुए आगे बढ़े और मेरी ३२ इंच की चुचियों को मसलने सहलाने लगे । सहलाने में भी फ़र्क़ साफ़ था। विनोद सिर्फ़ दबाता था लेकिन प्यारे धीरे धीरे मसलते हुए सहला रहा था ।
 
मंजु ————- और तुम्हारे जैसा बेटी चोद पूरी दुनिया में और कोई नहीं होगा । एक मासूम लड़की को अकेली देख झूठ बोलकर फुसला लिया और अब उसे बर्बाद कर रहे हो। चुची की दोनों घुंडियों को मसलते हुए धीरे से बोला ।
 
प्यारे————- मालकिन, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा ।
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#3
प्यारे————- मालकिन, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा ।
 
मैं खुद चुदाई की आग में जल रही थी ।
 
मंजु———-हरामी, बेटीचोद , बर्दाश्त करने बोल कौन रहा है ? लंड में दम नहीं है क्या ?
 
मेरी बात सुनते ही वह मेरे बग़ल में आया । अपना अंडरवियर उतारा और मैंने झट लंड को पकड़ लिया ।
 
मंजु ————- नहीं प्यारे , मेरी चूत को ऐसे मुसल जैसे लंड की आदत नहीं है । यह चूत को फाड़ देगा ।
 
विनोद के लंड से ज़्यादा मोटा था और कम से कम २ इंच ज़्यादा लंबा । मैं दोनों हाथों से लौडा को सहलाती रही । प्यारे ने ब्लाउज़ और ब्रा को बॉडी से बाहर निकाला । फटा फट साड़ी साया को बदन से अलग किया । मेरे पैरों को थोड़ा समेटा । मेरे घुटनों को उपर उठा कर चुदाई के पोज में किया । अंगुलियों से झॉटों के बीच चुत के फॉंक को फैलाया । लंड को सही जगह पर रखा और खुद अपने ही एक हाथ से लंड को पकड़ पूरी ताक़त से अंदर की ओर दबाया । विनोद तीन बार चोद चुका था लेकिन प्यारे का सुपारा चूत को खोल नहीं पाया ।
 
प्यारे—-      मालकिन, आपका घरवाला नामर्द है क्या ?
 
मंजु दर्द से चीख उठी । उसे लगा कि उसके शरीर में एक तेज तलवार घुश रहा है। हाथ को लंड पर से हटाकर मेरे मुँह को बंद किया और एक के बाद एक पूरी ताक़त से धक्का मारता रहा।
 
दर्द से मेरी हालत ख़राब थी लेकिन मेरी समझ में आ गया कि मेरे पति का लंड मेरी चूत को ठंडा नहीं कर सकेगा । प्यारे के जैसा लंड ही उसे मर्द का पूरा सुख दे सकता है। विनोद का लंड मेरी चूत में घुसने बाला पहला लंड था लेकिन मुझे सुहाग रात की मस्ती का सच्चा आनंद विनोद ने पहली बार चोदा उसके छठे दिन रॉंची के होटल में ये मेरे बाप से दस साल बड़ा आदमी प्यारे दे रहा था ।
 
१०-१२ धक्का मारने के बाद ही पूरा ८ इंच लम्बा लंड मेरी प्यारी सी चूत में घुस पाया । लंड को अंदर दबाये रख प्यारे ने मुझे बहुत चुमा , अंग अंग को सहलाया । मेरा दर्द कम होने लगा और ८-१० मिनट बाद मैंने चुत्तरों को उपर की ओर उचकाया । प्यारे समझ गया । मेरे गालों और होंठों को सहलाते हुए आराम से धीरे-धीरे लेकिन पूरी ताक़त से पेलने लगा ।
 
मैं ने भी उसके गालों और खिचड़ी बालों को सहलाते हुए पहली बार प्यार से पूछा ।
 
“ प्यारे, तुम मुझे कमरे में अकेली देख सिर्फ़ चोदने ही आये थे ना ! “
 
प्यारे————- नहीं मालकिन, भगवान जानता है कि मुझे मालूम भी नहीं था कि आप कमरे में अकेली हो । मैं ने जो भी कहा एक एक शब्द सच है। आपको चोदने का ख़्याल तब आया जब कसी हुई जाँघों पर मेरा हाथ पड़ा । मालकिन, इस होटल में पॉंव साल से काम कर रहा हूँ लेकिन आप सिर्फ़ दूसरी ही औरत हो जिसे चोद नहीं रहा , प्यार कर रहा हूँ ।
 
चोदते हुए प्यारे ने अपनी पूरी राम कहानी सुनाई । यह भी कि दंगा के बाद वो अपनी बहु के साथ पति पत्नी जैसा रह रहा है। यह भी कहा कि उसकी बहु अपने ससुर के बच्चे को ही जन्म देना चाहती है लेकिन समाज के डर के कारण दोनों शादी नहीं कर सकते ।
 
मुझे उसका एक एक शब्द सच लगा।
 
मंजु ————-   मैं ने भी तुमसे चुदवाने के लिए अंदर नहीं बुलाया था । मैंने सोचा था कि १०-१५ मिनट हाथ पॉंव की मालिश करना कर तुम्हें १००/- देकर भेज दूँगी । लेकिन उसी १०-१५ मिनट में तुम्हारे हाथ ने मेरे बदन पर ऐसा जादू कर दिया कि उस समय भी मुझसे पुछे बिना चूत में लंड पेल देते तो मैं मना नहीं करती । तुम्हें नहीं मालूम! कहने को मेरे पति ने मेरी पहली चुदाई की वह भी सिर्फ़ ५ रात पहले । उसने अब तक सिर्फ़ तीन बार ही मेरी चूत में अपना लंड पेला । पिछले २ दिन उसने मुझे नहीं चोदा , मैं ने चोदने नहीं दिया । भले ही कहने को उसने मुझे तीन बार पेला है लेकिन मेरी असल चुदाई अभी हो रही है , मेरा बाप मेरी चूत फाड़ रहा है । और जानते हो , तुम्हें विश्वास नहीं होगा । मेरे पति ने तीन बार चूत में लंड पेला है लेकिन तुम , मेरा बाप ही मुझे अपनी बेटी को सबसे पहले नंगा देख रहा है। विनोद ने मुझे नंगा किया लेकिन हमेशा अंधेरे में ही । बाबु जी बहुत मस्त कर रहे हो अपनी बेटी को ।
 
प्यारे ने भी मुझे बेटी कहना शुरू कर दिया ।
 
प्यारे—————बेटी , जब तुम्हारी उम्र का था तभी शादी हो गई। तुम अपने बाबू जी के लम्बे, मोटे लंड से इतनी खुश हो लेकिन मेरी घरवाली पहली चुदाई से लेकर अगले ३७ साल तक यही शिकायत करती रही कि मेरा लंड बहुत मोटा है उसे बहुत तकलीफ़ होती है। शादी के कुछ महीने बाद ही मुझे मालूम हो गया कि मेरी घरवाली प्रभा खाश खाश लोगों के साथ अपनी क़ीमत लेकर सोती है लेकिन मैंने उसे कभी नहीं टोका । उसे मेरी चुदाई पसंद नहीं थी फिर भी कभी उसने बूर में लौडा पेलने से कभी मना नहीं किया । अगले ३३-३४ साल तक मैं सिर्फ़ प्रभा को ही प्यार करता रहा । किसी दूसरी औरत को हाथ भी नहीं लगाया । ५ साल पहले के दंगा ने एक बहु को छोड़कर मेरा सबकुछ छीन लिया । मेरी दूसरी औरत मेरी बहु शीला है । उसके ही कहने पर इसी होटल में एक औरत को उसके घरवाला के सामने दो दिन लगातार चोदा । और आज मुझे भगवान ने मुझे मेरी सबसे बड़ी दौलत मेरी अपनी बेटी की जवानी दे दी ।
 
और उसके बाद बाप- बेटी ने हंसते खिलखिलाते हुए जमकर चुदाई की । जैसे ही प्यारे के लंड ने मेरी चूत में पानी गिराना शुरु किया मैं भी पूर्ण संतुष्ट होकर झड़ने लगी । उसने अपनी मज़बूत बाँहों में मुझे समेटा और मैं अपनी मुलायम बाँहों में उसे बॉंधने की कोशिश करने लगी । अचानक उसने अपनी बाँहों में लेकर पूरी ताक़त से मुझे दबाया । मुझे लगा कि मेरी सारी हड्डी पसली टूट गई । लेकिन डेढ़ दो मिनट बाद ही उसने अपनी पकड़ ढीली कि ।
 
और दोस्तों उसके इस हरकत ने मुझे मु्फ्त में ख़रीद लिया । मैं कुछ बोलती उससे पहले वही बोला ।
 
प्यारे————- मंजु बेटी अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता । मेरी बहु शीला बहुत जवान है तो बिस्तर पर भी बहुत गर्म है । लेकिन इस से पहलें किसी के साथ ऐसा आनंद नहीं आया जो मंजु तुमने अभी दिया । मुझे अपने घर में नौकर रख लो ।
 
मैं उसकी बात सुन बहुत खुश हुई । चुदाई में इतना आनंद है कभी सोचा भी नहीं था । मैं खुद उस के साथ बार बार चुदवाना चाहती थी और मुझे एक ख़याल आया ।
 
मंजु ———— जैसे ५ साल पहले इसी होटल में पति के सामने पत्नी को चोदा था वैसे ही कल मेरे पति के सामने मुझे नंगा कर पहले मेरे पूरे बदन की तेल मालिश करो । इस झॉंट को साफ़ करो और उसके बाद जमकर चोदो । अगर तुमने कल भी आज जैसा मुझे खुश करोगे तो हर तीन चार महीने के बाद हम तुम और तुम्हारी बहु शीला ७-८ दिन रात लगातार चुदाई करेंगे । मेरे पति को कैसे तैयार करेंगे तुम जानो लेकिन अगर कल भी आज जैसा खुश नहीं किया तो सोच लेना कि तुम्हारी मंजु बेटी मर गई ।
 
बिना कुछ बोले प्यारे ने अपने कपड़े पहने और रुम से जाने लगा ।
 
मंजु —————- कल ९ बजे से पहले इस रुम में आओगे और पूरा समय मेरे साथ ही रहोगे । नीचे जाकर मैनेजर से बोलो कि मेरे लिए भात , माछ और दही भेज दे । एक बाप ने बेटी को चोद चोद कर जान ले ली ।
 
मैं नंगी लेटी रही और प्यारे दरवाज़ा को बंद करते हुए चला गया । मैं ने समय देखा । प्यारे ने चूत पर लौडा ११ बजे सटाया था और जब वह बाहर गया तो १२. ४० हो गया था । हरामी ने एक घंटा से ज़्यादा चोदा था । क़रीब २० मिनट बाद दरवाज़ा पर नॉक हुआ । तब तक मैं पूरे कपड़े पहन बिस्तर को ठीक कर दिया था ।
 
मैं ने दरवाज़ा खोला । मेरे ही उम्र का लड़का खाने का प्लेट लेकर खड़ा था । उसने प्लेट टेबल पर रख मेरी ओर देखा ।
 
वेटर ———— मालकिन, आप से ज़्यादा सुंदर और कोई हो नहीं सकती । प्यारे ने आपकी मालिश की ?
 
मंजु ———— कौन प्यारे कैसी मालिश ! क्या नाम है तुम्हारा । फ़ालतू बात कर रहे हो । अकेली लड़की देख मस्ती सुझ रही है , मैनेजर को बोल दूँ ।
 
लड़के ने अपना नाम कपिल बताया और कान पकड़े हुए बार बार माफ़ी माँगता रहा । मैं उससे बात करते हुए खाती भी रही। कपिल ने कहा कि वो अनाथ है और होटल में ही रहता है। यह भी बताया कि इस होटल में ज़्यादा तर लोग अपने साथ रंडियों को लेकर आते हैं । कपिल के अनुसार मेरे जैसी घरेलू औरतों कों कमरे में अकेली नहीं रहना चाहिए । मैं क्या वोलती । अकेली रहने में क्या मज़ा है मैं देख चुकी थी । ख़ाली प्लेट लेकर जाते समय उस ने फिर कहा कि मैं बहुत ही सुंदर हूँ ।
 
मैंने दरवाज़ा को अंदर से बंद नहीं किया, बिस्तर पर लेट गई और कब सो गई मालूम नहीं ।
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#4
wahoooo what a story. very sexy . very detailed. please write more please.
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#5
(09-09-2022, 01:48 AM)blackdesk Wrote: wahoooo what a story. very sexy . very detailed. please write more please.

THANKS DEAR.  NEXT PART SOON.
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#6
mast story.. waiting for update
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#7
Hinglish me likho bro
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#8
Ekdom lajawab kahaani, bahut h garam, behad h kamuk aur zaida mazadar writings!
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#9
(09-09-2022, 10:43 AM)Prince Babul Wrote: Hinglish me likho bro

Meri bahut see kahani a hinglish mey chhapi hai. Ab iss kahani ko hinglish mey likhna muskil hai . Agli kahani hinglish mey dunga.
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#10
शादी के १५ वें दिन राँची के एक होटल में बाबूजी से भी १०-१२ साल बड़े उम् के एक आदमी प्यारे ने दिन दहाड़े मुझे चोद कर अपना गुलाम बना लिया । तब तक मैं ने पति से तीन बार ही चुदवाया था । मैं ने विनोद से तीनों बार बिल्कुल अंधेरे में चुदवाया था और प्यारे ने दिन दहाड़े मुझे चोद चोद कर पागल कर दिया था । तीनों बार की चुदाई में सब मिलाकर जो समय लगा होगा प्यारे ने एक चुदाई में उस से ज़्यादा समय लिया । मैं ने उस से अगले दिन आकर विनोद के सामने मालिश के साथ चुदाई के लिए बुलाया लेकिन वो बिना कुछ बोले रूम से चला गया । 

मैं बहुत खुश थी । बिस्तर ठीक किया । नहा धोकर दूसरा कपड़ा पहना । तभी दरवाज़ा पर दस्तक हुई । 

मैं ने दरवाज़ा खोला । मेरे ही उम्र का लड़का खाने का प्लेट लेकर खड़ा था । उसने प्लेट टेबल पर रख मेरी ओर देखा । मैं ने लड़के को ध्यान से देखा । मुझसे तीन - चार इंच लंबा था । देखने में खूबसूरत था ही , मुझे उसका गठीला बदन बहुत पसंद आया । प्यारे ने सिर्फ़ मेर चूत में ही खलबली नहीं मचाई, मर्द को देखने का नज़रिया ही बदल दिया । मैं इस लड़के को देख सोचने लगी कि इसका लौडा कैसा होगा ? 

वेटर ———— मालकिन, आप से ज़्यादा सुंदर और कोई हो नहीं सकती । प्यारे ने आपकी मालिश की ? 

प्यारे का नाम सुन दिल तो धक किया ही चूत भी गीली हो गई । मुखिया की बेटी थी । डरना सीखा ही नहीं था । तभी तो एक अनजान आदमी को कमरे में आने दिया था । मैं ने लड़के को आँख दिखाया । 

मंजु ———— कौन प्यारे कैसी मालिश ! क्या नाम है तुम्हारा । फ़ालतू बात कर रहे हो । अकेली लड़की देख मस्ती सुझ रही है , मैनेजर को बोल दूँ !  

लड़के ने अपना नाम कपिल बताया और कान पकड़े हुए बार बार माफ़ी माँगता रहा । मैं उससे बात करते हुए खाती भी रही। कपिल ने कहा कि वो अनाथ है और होटल में ही रहता है। यह भी बताया कि इस होटल में ज़्यादा तर लोग अपने साथ रंडियों को लेकर आते हैं । कपिल के अनुसार मेरे जैसी घरेलू औरतों कों कमरे में अकेली नहीं रहना चाहिए । मैं क्या वोलती । अकेली रहने में क्या मज़ा है मैं देख चुकी थी । ख़ाली प्लेट लेकर जाते समय उस ने फिर कहा कि मैं बहुत ही सुंदर हूँ । 

मैंने दरवाज़ा को अंदर से बंद नहीं किया, बिस्तर पर लेट गई और कब सो गई मालूम नहीं । 

मंजु सो गई अब विनोद की ज़ुबानी सुनिये आगे की कहानी । 

मंजु रुम में अकेली थी लेकिन  मुझे उसकी चिंता नहीं थी । मुझे साक्षात्कार के लिए जब बुलाया गया उससे पहले ७ लोगों का साक्षात्कार हो गया था । सभी १० मिनट के पहले बाहर आ गये थे । मेरा साक्षात्कार ३० मिनट से ज़्यादा चला । जब मैंने उन्हें बताया कि मेरी शादी १५ दिन पहले ही हुई है तो एक ने कुरेद कुरेद कर मंजु के बारे में पूछा । मैं ने उनसे कह दिया कि अभी १८ साल की है, उसका फ़िंगर ३२, २२ और ३४ इंच है , देखने में बहुत सुंदर और आकर्षक है । 

 मंजु के बारे में सबकुछ जानने के बाद उन्होंने कहा कि १५ दिन के अंदर साक्षात्कार का रिज़ल्ट आ जायेगा । मुझे लगा कि ये बढिया नौकरी मुझे मिल जायेगी । दोपहर का एक से ज़्यादा हो गया था तो होटल आते हुए मैंने खाना खा लिया । वापस आया तो होटल बालों ने बताया कि मंजु ने खाना खा लिया है। 

कमरे के पास आया तो देखा कि कमरे का दरवाज़ा पुरा बंद नहीं है । दरवाज़ा को थोड़ा ही खोला तो दिल धक् सा हो गया । मंजु पुरे कपड़े पहन सो रही थी लेकिन जो चीज़ सबसे पहली दिखाई दी वो था मंजु की चिकनी जाँघें और चूत ।  झॉंट तो थे फिर भी चूत की फॉंक दिख रही थी । मैंने दरवाज़ा को वैसा ही खुला रहने दिया जैसे पहले था । 

रुम के बाहर आया । थोड़ा ही देर बाद एक वेटर दिखाई दिया । मैंने उसे जल्दी २ कप चाय लाने कहा । मैं रुम के अंदर आया लेकिन दरवाज़ा को वैसा ही थोड़ा खुला रहने दिया । मालूम नहीं क्यों मैं चाहता था कि दूसरे भी मंजु की मस्त नंगी जवानी को देखे। जब तक मैं मुँह हाथ धोकर पायजामा कुर्ता पहना वही वेटर चाय का ट्रे लेकर अंदर घुसा । उसकी नज़र भी सबसे पहले वहीं गई जहां मेरी नज़र गई थी । वो एक मिनट वहीं खड़ा हो देखता रहा । उसने धीरे से दरवाज़ा को पुरा बंद ही नहीं किया टेबल पर ट्रे रख अंदर से कुंडी भी लगा दी । वो मंजु के पॉंव के पास बैठा और साफ़ शब्दों में कहा. 

“ साहब, आपकी पत्नी की चूत सबसे प्यारी है। “ 

विनोद——— लगता है कि तुमने बहुत औरतों को नंगा देखा है। 

ये लड़का कपिल १८-१९ साल का था । चेहरे में मासूमियत थी लेकिन मज़बूत क़द काठी का लग रहा था । 

कपिल ———- हॉ साहब , रोज़ ही ५-६ नंगी औरतों को देखता हूँ । आज ये दूसरा चूत है जो मैं देख रहा हूँ । 

विनोद— कौन सी औरतें , कहॉं कैसे देखते हो।तुम उन्हें चोदते भी हो ? 

मैं बोल रहा था और उसके दोनों हाथ मंजु के टॉंगों पर उपर की ओर फिसल रहे थे। यह देख मुझे ग़ुस्सा आना चाहिए था लेकिन कोई मेरी ऑंखें के सामने मेरी खुबसूरत पत्नी की नंगी जवानी को देख ही नहीं रहा था छू भी रहा था , मुझे बहुत ही बढ़िया लग रहा था , आनंद आ रहा था । 

कपिल—————- नहीं साहब अभी तक मेरा लौडा कुंवारा है , किसी बूर में नहीं घुसा है। इस होटल में रोज़ कई रंडियॉं आती हैं । वे अक्सर नंगी ही रहती है। बहुत से लोग जो रंडियों को लेकर आते हैं मुझसे उन रंडियों की चूची मसलवाते हैं , बहुतों ने मेरा लौडा भी चुसा है लेकिन जब चोदने की बात करता हूँ सभी कम से कम ५००/- माँगती है और मुझे यहाँ सिर्फ़ महिना में ३००/- ही मिलता है।आज सुबह से ये दूसरी माल है जिसकी चूत देख रहा हूँ । ज़्यादातर रंडियॉं शाम के बाद आती है। वैसे मैं किसी रंडी को चोद कर चुदाई की शुरुआत नहीं करना चाहता हूँ । मेरी इच्छा है कि मेरा लौडा सबसे पहले ऐसी ही , आपकी पत्नी जैसी घरेलू औरत की चूत में ही घूसे । साहब भगवान आपको बहुत तरक़्क़ी देंगे , बहुत धन दौलत देंगे । आज मुझे अपनी खुबसूरत पत्नी को चोद कर चुदाई की शुरुआत करने दीजिए । 

इस वेटर ने खुलकर मेरी पत्नी को चोदने की बात की । मंजु को तीन बार चोदकर जो आनंद आया था उससे ज़्यादा मज़ा मुझे कपिल की बातें सुनकर उसकी हरकत देख कर आ रहा था । 

विनोद ———— मंजु अगर तुमसे चुदवाने को तैयार हो जाये तो मेरे सामने ही चोद लो । कोई क़ीमत नहीं लुंगा। 

में ने अपने से ४ साल छोटे लड़के को अपनी पत्नी को चोदने की छूट दे दी । अब देखना था कि लड़का मंजु को कैसे पटाता  है !  

मंजु की टॉंगे मेरी तरफ़ थी । कपिल जो कर रहा था मुझे सब दीख रहा था । जाँघों को सहलाते सहलाते कपिल का हाथ चूत पर चला गया था । एक हाथ से जाँघ को और दूसरे हाथ से चूत को सहलाते हुए मसल रहा था । कुछ ही देर बाद मंजु की मस्ती भरी सिसकारी, उफ्, आह् सुनाई परने लगी । कुछ ही देर बाद मंजु की आँख खुली और वो झट वो दोनों पैरों को समेट सीधा बैठ गई । 

मंजु —————- ये क्या कर रहे हो मुझे बिलकुल बढिया नहीं लगा । और विनोद, तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा कि कोई तुम्हारे सामने तुम्हारी पत्नी की चूत को मसल रहा है । तुमने इसे मारा क्यों नहीं ? 

लेकिन मंजु ने कपिल के हाथों को अपनी बूर के उपर से नहीं हटाया । 

मैं क्या बोलता ! मुस्कुराता रहा । कपिल में बहुत हिम्मत थी । तीन सालों से रंडियों के नंगे बदन से खेल रहा था । अपने सामने रंडियों की चुदाई देखता था । 

कपिल———— मालकिन, आपको बढिया लगेगा कैसे ! आपने इतने कपड़े पहने है कि मैं जो करना चाहता हूँ नहीं कर सकता । आप सारे कपड़े उतार कर मुझे ५ मिनट मौक़ा दीजिए फिर आप खुद ही मुझे बार बार करने बोलेंगी । 

कपिल और विनोद ने ३-४ मिनट मंजु की मस्ती भरी सिसकारी सुनी थी । मंजु को खुद बहुत मज़ा आ रहा था। । वो अपने पति को सामने बैठा देख चौंक गई थी । अगर विनोद नहीं होता तो वे खुद अब तक कपिल को चोदने के लिए बोल चुकी होती । मंजु ने यह भी ध्यान दिया कि प्यारे ने एक घंटा से ज़्यादा बदन सहलाने के बाद चुदाई की बात की जब कि ये लड़का आते ही चूत को सहलाने लगा था । मंजु ने सोचा कि कुछ घंटा पहले ही अपने बाप से १० साल बड़े आदमी से चुदवा कर चुदाई का  असल मज़ा लिया था तो अब क्यों न अपने ही उम्र के लड़के के साथ पूरी मस्ती ली जाय वो भी पति के सामने । 

मंजु ———- जब मेरा घरवाला खुद अपनी पत्नी को दूसरे के सामने नंगा देखना  चाहता है तो ५ नहीं तुम्हें १० मिनट का समय देती हूँ मुझे पूरा गर्म करने के लिए । इतना गर्म करो कि मैं खुद तेरा लंड पकड़ चूत में ले लु। लेकिन याद रख अगर मैं गर्म नहीं हुई तो अपने सामने साहब से तेरी गॉंड मरबाउंगी । 

कपिल ने फिर कपड़ों के अंदर हाथ घुसाकर चूत से खेलना शुरु कर दिया था । 

कपिल——- ——— और अगर मैं ने आपको खुश कर दिया तो ! 

मंजु —————— तो रात भर मैं तुम्हारी घर बाली रहुंगी, साहब को रात भर के लिए किसी अपनी दूसरी रंडी के पास भेज देना । 

मंजु की बात सुन कपिल बहुत खुश हो गया । चूत को मसलते हुए मेरी ओर देखा । 

कपिल ————— साहब,  आप जल्दी नीचे जाकर मैनेजर से बोलिए कि आपको कपिल से बदन की मालिश क़रबानी है नहीं तो वो खुद मुझे बुलाने आ जायेगा । आप जाइए तब तक मैं आपकी पत्नी को अपनी रानी बनाता हूँ । जल्दी जाइए । 

उस समय कपिल को मंजु को चोदना था इसलिए अपने को कंट्रोल कर रहा था नहीं तो अपनी पत्नी को दूसरे के सामने नंगा करने के कारण विनोद की जान ले लेता । विनोद देखता रहा और कपिल ने साड़ी साया बाहर निकाल दिया । चूत को   मुँह में लेकर चूसा । मंजु ने खुद ब्लाउज़ बाहर निकाल दिया । मंजु बिलकुल नंगी थी । 

कपिल ———- जाइए साहब जल्दी नहीं तो मैनेजर यहॉं आ जायेगा और आपकी पत्नी को नंगी देख मेरे साथ वो भी चोद लेगा । 

मंजु एक साथ २ आदमियों के साथ मस्ती लेती तो मुझे और बढिया लगता लेकिन मैं बाहर आ गया । 

विनोद के बाहर जाते ही , 

कपिल ———— रानी , आपके घरवालों ने कैसे घटिया आदमी से आपकी शादी कर दी है , मैं किसी क़ीमत पर , मर जाता लेकिन अपने घर की किसी भी औरत को दूसरे के सामने नंगा नहीं होने देता । 

मंजु उसके बात से इतनी खुश हुई कि उसे खींच गले लगाया । गालों, होंठों को चुमते  हुए कपिल को नंगा करती रही । लंड को हाथ में लिया । 

मंजु ———— राजा , लंड पूरा तैयार है । बाक़ी काम बाद में करना अभी अपनी रानी के भूखी चूत की प्यास बुझा दे। 

कपिल ने अपना पोज़ीशन लिया । मंजु ने लौडा को पकड़ चूत पर दबाया और कपिल भी पूरी ताक़त से धक्का लगाता रहा । 

मैं मैनेजर को बोल कर वापस कमरे में आया तो देखा कि कपिल का लौडा खुब तेज़ी मंजु के चूत के अंदर बाहर हो रहा है। चूचियॉं भी उतनी ही तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी । मैं ने एक चूची पर हाथ रखा ही था कि कपिल ने झटके से मेरे हाथ को हटा दिया । ज़ोर से बोला , 

कपिल————- साहब, आप को अगर अपने घर की औरतों को दूसरों से चुदवाते देखना बढिया लगता है तो बैठ कर देखिए । याद रखिए, मैं जब भी इस कमरे में रहुंगा तो आपकी पत्नी सिर्फ़ मेरी रानी रहेगी । कोई भी दूसरा , आप भी मेरी रानी को हाथ नहीं लगायेंगे । 

कपिल की बात सुन मंजु बहुत ही ज़्यादा खुश हुई । कपिल को अपनी दोनों बाँहों और दोनों जॉंघॉो के बीच इतना कस कर जकड़ लिया कि कपिल धक्का नहीं मार सका । 

कपिल—————— मेरी रानी सिर्फ़ देखने में सुंदर नहीं बहुत ताक़त भी है । 

मंजु को याद आया कि उसने कई बार प्यारे को भी ऐसा बांधने की कोशिश की थी लेकिन नहीं कर पाई थी । उसी पोज़ीशन में दोनों ने एक दूसरे को बहुत चुमा फिर पकड़ ढीली की । दोनों एक दूसरे से चिपक कर चुदाई कर रहे थे । यूँ तो कपिल की यह पहली चुदाई थी लेकिन उसने पचासों बार चुदाई देखी थी । मंजु लगातार मस्ती भरी सिसकारी मार रही थी और उसकी सिसकारी मुझे बहुत ही गरम कर रही थी । 

आख़िर दोनों झंडे और जैसा प्यारे के चूत में पानी गिराने पर हुआ था फिर वैसा ही हुआ । मंजु पूर्ण रुप से संतुष्ट हो गई थी । दोनों ने एक दूसरे को बहुत चूमा तब दोनों नीचे आकर खड़े हो गये । मैंने उस समय जो मंजु के चेहरे पर ख़ुशी और संतुष्टि देखी वैसा पहले कभी नहीं देखा था । 

कपिल का लंड चूत के रस और अपनी ही पानी लथपथ था । मंजु ने लंड को पकड़ कर कहा - 

मंजु —————- विनोद, तुम भी बहुत बढिया चुदाई करते हो , मुझे खुश करते हो लेकिन मुझे ये लौडा भी बहुत पसंद आया । तुम मुझे जो कहोगे जैसा कहोगे, जिस किसी के साथ भी सोने बोलोगे , अपने बाबू जी से चुदवाने बोलोगे तो चुदवा लुंगी लेकिन ये लौडा, कपिल मुझे रोज़ चाहिए । कुछ सोचो । 

मंजु अपने पति से तरीक़ा पूछ रही ही कि अपने ही उम्र के लड़के से , जिसने उसे पहली ही बार चोदा था उससे बार बार चुदवा सके । कपिल की यह पहली ही चुदाई थी लेकिन मैं देखकर भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि लड़के ने ४० मिनट से ज़्यादा चोदा । उनकी लंबी चुदाई देख मैं भी नंगा हो गया था । 

मैंने मंजु को अपने लंड पर बिठाया । चूची मसलने लगा। 

विनोद———-मंजु, अगर तुम्हारा ये नया पति अपने सामने तुम्हें चोदने दे , तुम्हारी गॉंड मारने दे तो तुम दोनों की ज़िंदगी भर की चुदाई करते रहने का रास्ता मेरे पास है। 

मंजु ने मेरी गोदी में बैठे हुए ही कपिल का हाथ खिंच अपनी चूची पर दबाया । 

मंजु ——— लगता है कि तुम सिर्फ़ मुझे एक रंडी समझ कर ही चोद रहे थे तुम्हें मुझसे कोई प्यार नहीं । 

कपिल की आॉंखो में आॉंसू आ गये । उसने मंजु के गालों और होंठों को चुमा । 

कपिल————- रानी , ऐसा मत बोलो । तुम मुझे दुनिया की हर चीज से ज़्यादा प्यारी हो लेकिन मैं बर्दाश्त नहीं कर पाउंगा कि मेरे आॉंखॉो के सामने तुम्हें कोई हाथ लगाए । 

मंजु मेरी गोदी में थी । मंजु ने कपिल को अपनी गोदी में बिठाया । लंड को सहलाने लगी । 

मंजु ———- तुम पागल हो । ये विनोद कोई दूसरा आदमी नहीं मेरा घरवाला है । समाज के सामने हमारी शादी हुई है। तुम चाहो या ना चाहो विनोद जब भी मुझे चोदना चाहेगा , गॉंड मारेगा तो मरबाना ही पड़ेगा । उल्टा तुम्हें ही विनोद को प्रणाम करना चाहिए, इसका लौडा चुसना चाहिए कि इसने तुम्हें अपनी पत्नी को प्यार करने दिया , चोदने दिया । तुम ही सोचो जब तुम दोनों एक साथ मुझे प्यार करोगे, चोदोगे तो तुम्हारी रानी को कितना मज़ा आयेगा ! 

रुम में कुछ देर चुप्पी रही । थोड़ी देर बाद कपिल खड़ा हुआ। मंजु के गालों को पकड़ होंठों को चूसा । फिर उसने झुक कर मेरा दोनों पैर पकड़ लिया । 

कपिल ———— साहब , आप लोग सुबह होटल में घुसे तभी मुझे आपकी पत्नी, अपनी रानी को देखते ही मुझे प्यार हो गया । लेकिन आपने अपनी पत्नी को अपने ही सामने दूसरे से चुदवाने दिया वो मुझे बहुत ख़राब लगा । इसीलिए में ने आपको अपनी रानी को छुने और चोदने से मना किया । लेकिन मैं किसी भी पति को चाहे बह कितना भी घटिया आदमी हो अपनी पत्नी को चोदने से नहीं रोक सकता । मंजु जितनी मेरी है उससे ज़्यादा आपकी है। वादा कीजिए कि हम दोनों के अलावा अपनी मंजु को कोई और हाथ नहीं लगायेगा । 

मंजु खड़ी हो गई । कपिल को भी खड़ा किया । उसके एक हाथ को चूत पर दबाया । 

मंजु ———- राजा , ये मंजु बस तुम्हारी ही माल है तु जैसा चाहेगा तेरी माल वैसे ही रहेगी। बहुत देर हो गया है , अगर मैनेजर आ गया तो वो भी तेरी माल को चोद लेगा । जल्दी बाहर जा । हमारे लिए गरमा गरम चाय भेज और रात दस बजे आ जाना । तेरी रंडी चूत फैला कर तेरे लौडा का इंतज़ार करती मिलेगी । पूरी रात सिर्फ़ हम दो राजा रानी । अपने साहब के लिए रात भर के लिए बढिया रंडी खोजकर रखना । 

कपिल खुश होकर चला गया । कुछ ही देर बाद एक दूसरा वेटर चाय लेकर आया । लेकिन दरवाज़ा पर आहट सुनते मंजु बाथरूम में चली गई । मैं नंगा ही बैठा था । 

“ साहब, आपका लौडा बहुत बढ़िया है , मैं बाहर आपका इंतज़ार कर रहा हूँ । “ 

वो चाय रख बाहर गया । एक तौलिया लपेट मैं बाहर गया और २-३ मिनट बाद ही अंदर आकर दरवाज़ा को अंदर से बोल्ट किया था । उस समय साढ़े चार ही बजा था । 

बाहर वेटर ने कहा कि होटल में एक बहुत ही बढ़िया माल है जिसे आप जैसे खुबसूरत और मज़बूत आदमी ही पसंद है । वह आपसे मिलना चाहती है , रात १० बजे आ जाइयेगा । उसने मुझे कमरा नंबर बताया । मेरा जबाब सुने बिना वह चला गया । 

मंजु नंगी ही बाथरूम से बाहर आई । मैं ने गोदी में बिठाया । हम दोनों चाय पीने लगे । 

विनोद—— मंजु क्या तुम सच अब  किसी और से नहीं चुदवाओगी? 

मंजु —- में पागल हूँ क्या ? मुझे नहीं मालूम था कि तुम मुझे इतना प्यार करते हो । तीन बार चोदकर ही तुम समझ गये थे कि मेरी चूत कितनी भूखी  है , नये नये लंड की प्यासी है। तुम जब जिस के पास भेजोगे उसे खुश कर दूँगी । तुमने अब तक तीन बार ही चूत में लौडा पेला , मैं हर बार खुश हुई । कपिल का लंड देख कर ही समझ गई कि मैं उसकी पहली माल हूँ । हर बार तुमने २०-२२ मिनट ही चोदा लेकिन इस लड़के ने पहली बार में ही ४० मिनट से ज़्यादा चोदा , मस्त कर दिया लेकिन बीच बीच मुझे नया मर्द और मेरी चूत को नया नया लौडा चाहिए । 

चाय पीते हुए दूसरे हाथ से चूत में अंगुली करता रहा । 

विनोद—— रानी , तुम्हें जब भी कोई मर्द पंसद आ जाय तो मुझे बोलना जितना जल्दी होगा उसे तुम्हारे पास लेकर आऊँगा । मेरे पीछे भी जिससे चाहो मस्ती लो लेकिन अगर मेरे सामने किसी से मस्ती मारोगी तो मुझे बढिया लगेगा । 

मंजु —— अगर मेरा ससुर अपनी बहु को चोदना चाहे या फिर मेरे बाबू जी अपनी बेटी की गॉंड मारना चाहे तो …….

विनोद——- अपने सामने तुम्हें उन से चुदवाऊँगा । 

मंजु ——- अभी पहले मेरी गॉंड में लौडा पेलो । मैं नहीं चाहती कि कोई बहुत मोटा लंड मेरी गॉंड की हालत ख़राब कर दे । 

मेरी १८ साल की पत्नी खुद गॉंड मारने बोल रही थी , फिर मैं क्यों पीछे रहता । 

मंजु बेड पर कुतिया के पोज में हो गई । मैं चुत्तरो को सहलाने लगा । मस्त कड़क चुत्तर को सहलाना बहुत बढिया लग रहा था । मंजु ने ऐसा पोज बनाया था कि चूत की घुंडी से लेकर गॉंड का छेद तक साफ़ दिख रहा था । कई बार अंगुली से चूत से गॉंड तक खूब रगड़ा । पहली बार चूत में मुँह लगाया । चाटा, बढिया लगा । चुत्तरों को दोनों हाथों से फैलाये हुए चूत से लेकर गॉंड तक खुब चाटा । मंजु ज़ोर ज़ोर से सिसकारी मारने लगी । बीच बाली अंगुली से चूत का रस निकाल कर गॉंड के छेदा के अंदर पेलने लगा । 



आगे और भी है ,,,, अगले भाग में 
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE
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#11
hot supper hot story. really different story line. wish 2nd waiter and manager and other stuffs of the hotel should get chance to fuck her. aur bahut sare low class admi se unki samuhik chudhai hone se bahuti achhe lagega. please. thank you for your story.
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#12
बार बार गॉंड में अंगुली घुसाने से गॉंड का छेदा खुल गया । फिर २ और बाद में तीन अंगुली एक साथ गॉंड में घुसने लगा । क़रीब २०-२२ मिनट लगातार चूत और गॉंड तक के जगह को चाटता, चूसता रहा । मुझे लगा कि लौडा अब आसानी से गॉंड में घुस जायेगा । सीधा खड़ा हुआ और एक हाथ से पकड़ लंड के टीप को गॉंड के छेद में गवाया लेकिन लौडा अंदर नहीं गया । 

एक हाथ से मंजु के एक कंधे और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ पूरी ताक़त से धक्का मारा । 

“ बाप रे मर गई “ 

मंजु की हल्की चीख मुझे बढिया लगी । पहले नहीं सोचा था लेकिन जब कपिल को अपने सामने मंजु के जॉंघों को सहलाते देखा तो अपनी चुदाई में जो मज़ा आया था उससे ज़्यादा मस्ती आने लगा । तभी मुझे लगा कि कोई भी अगर मंजु को मेरे सामने चोदेगा तो अपनी चुदाई से ज़्यादा मज़ा आयेगा । लेकिन मुझे उम्मीद थी कि मंजु बहुत हल्ला करेगी , कपिल को मारेगी , पीटेंगी । मुझे गाली देंगी । लेकिन ऐसा नहीं हुआ । उसने आसानी से कपिल के चैलेंज को मान लिया । कपिल ने पॉंच मिनट कहा था लेकिन मंजु ने उसे दस मिनट का समय दिया उसे गर्म करने के लिए । और कपिल के जाने के बाद उसने जो कहा उससे विश्वास हो गया कि मंजु बहुत ही ज़्यादा चुदासी औरत है। इसे कमाई के लिए नहीं सिर्फ़ अपनी मस्ती के लिए अलग अलग लोगों, नये लंड से मस्ती थाहिए । 

अचानक मुझे कुछ ही महिना पहले की घटना याद आई जब एक मंजु के ही उम्र की लड़की ने मुझसे कहा था कि वह मेरे साथ समय गुज़ारना चाहती है । उस समय तो मैं ने उसके टाल दिया था लेकिन अभी उसकी याद बहुत सताने लगी । उसी लड़की को याद करते हुए सटा-सट धक्का पर धक्का मारता रहा । मंजु का पूरा शरीर अकड गया । मुझे उसकी रोने की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी लेकिन मैं पूरी ताक़त से पैलता रहा । पूरे समय यही सोचता रहा कि कब और कैसे उस लड़की से मिलूँगा, उसे चोदुंगा । 

मैं पालता रहा और मंजु की आवाज़ सुनाई दी । 

“ वाह विनोद , अब बहुत बढिया लग रहा है। सच कहती हूँ, चुदाई से कम मज़ा नहीं है । अब तुमने गॉंड का दरबाजा खोल दिया है , जिसका भी लंड बढिया होगा उससे गॉंड भी मरबाउंगी । विनोद, मुझे तुम्हारे बाबू जी बहुत पसंद है । मैं उनकी मुफ़्त की रंडी बनना चाहती हूँ । क्या करु । “ 

मैं दना दन पेलता रहा । अब चूत की तरह गॉंड में भी लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था । मैंने दोनों बग़ल से दोनों हाथ नीचे किया और दोनों चूचियों को मसलने लगा । 

विनोद————- रानी , सिर्फ़ तुम्हें खुश करने के लिए नहीं कह रहा, सच मुझे बहुत ही बढ़िया लगा जब कपिल ने तुम्हारी नंगे बदन को सहलाना शुरु किया । तुम्हें चोदकर मुझे बहुत बढिया लगता है। लेकिन अब तुम मुझे घटिया आदमी कहो या नामर्द , तुम्हें दूसरे से चुदवाते देख भी मुझे वैसा ही मज़ा मिला । मुझे लगता है कि अपनी मॉं और बहनों को भी दूसरे से चुदवाते देखूँगा तो बहुत मज़ा आयेगा । तुम उन दोनों को भी दूसरे के साथ मस्ती मारने के लिए तैयार करो । 

मुझे ऐसा लगा कि बहुत देर से गॉंड में लौडा अंदर बाहर हो रहा है। झटके से लौडा बाहर खींचा और चूत में पेलने लगा । 

“ उफ़ राजा , मस्त कर दिया तुमने अपनी मंजु को ।” 

मंजु की मस्ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी । पूरी ताक़त से चोदता रहा । 

विनोद ———— रानी, कपिल ने तुझे चोदा देखकर  मुझे बहुत ही बढ़िया लगा लेकिन तुम्हारी एक बात बिल्कुल पसंद नहीं आई । 

मंजु———- कौन सी बात ? 

चूचियों को मसलते, दनादन पेलता रहा । 

विनोद———— जानती हो , मर्दों को औरत क्यों पसंद आती है ? चेहरा, मोहरा , सुंदर बदन बढिया लगता ही है लेकिन जो चीज़ मर्दों को औरत की ओर  ज़्यादा खिंचतीं है वह है उनका नख़रा । कोई भी औरत कितनी भी गर्म हो वो जल्दी चुदाई के लिए नहीं मानती । हज़ारों नखडा करती है , वो यह देखना चाहती है कि कोई उसे कितना पसंद करता है । सिर्फ रंडी ही चुदाई के लिए तुरंत तैयार हो जाती है। हमारे कॉलेज में बहुत ही साधारण रंग रुप की एक लड़की थी लेकिन कॉलेज के सभी लड़के , टीचर भी उसकी दोस्ती के लिए मरते थे । अपने रंग रुप से नहीं अपनी अदाओं और नख़रा से सारे मर्दों को पागल कर रखा था । कपिल ने एक बार कहा और तुम तुरंत मान गई । एक बार भी मना नहीं किया । ऐसा सिर्फ़ रंडी ही करती है और रानी तुम रंडी नहीं हो । 

मैं पेलता रहा । रुम में अंधेरा छाने लगा । विनोद की बात सुन मंजु ने उस दिन की दोनों चुदाई , पहले प्यारे के साथ फिर कपिल के साथ को याद किया । प्यारे ने भी एक बार ही कहा और वो चुदाई के लिए तैयार हो गई। कपिल के साथ भी उसने कोई आना कानी नहीं की । अचानक मंजु को अपनी बड़ी भाभी की बात याद गई । भाभी ने कहा था , 

“ मंजु, तेरे भैया पहली रात से ही मुझे चोदने के लिए पागल थे । लेकिन मैं उन्हें ललचाती रही । मैं खुद भी चुदाई चाहती थी फिर भी तेरे भाई को बहुत तडपाया । सुहाग रात को उसके बहुत खुशामद करने पर कमरे में अंधेरा कर नंगी हुई , बदन को सहलाने दिया लेकिन चोदने नहीं दिया । शादी के १५ वीं रात को मैंने तेरे भैया का लंड चूत में लिया । तेरा भैया बहुत मस्त चोदता है । मज़ाक़ नहीं कर रही । कभी भी तुझे पति के अलावा दूसरे लंड की ज़रूरत हो तो तेरे भैया अपनी छोटी बहन को चोदने के लिए तैयार हैं । और अब खुद देख तेरे भैया मुझे कितना प्यार करते हैं , अब हर रात चुदवाती हूँ लेकिन मेरी खुबसूरती , तेरे सामने कुछ  नहीं हूँ, खुबसूरती ने नहीं १५ दिन के मेरे नख़रों  ने उन्हें मेरा गुलाम बना दिया है। “ 

और मंजु ने सच में विनोद की चुदाई से लेकर कपिल के साथ , कुछ भी नख़रा नहीं किया । पति के सामने दूसरे से चुदवाना मंजु को भी बढ़िया लगा । मंजु को लगा कि कपिल से चुदवाने के पहले विनोद को खुब गाली देती , झगड़ा करती , रोती और विनोद और कपिल के बहुत खुशामद करने के बाद ही चुदाई के लिए तैयार होती । 

मंजु —————- तुम बिलकुल ठीक कर रहे हो , अब तक मैं ने रंडी जैसा ही एक बार बोलने पर ही चुदवा लिया । कपिल से अब नख़रा नहीं कर सकती हूँ लेकिन अब दूसरे को बहुत ललचाने, तरसाने के बाद ही अपना खुबसूरत बदन छुने दूँगी । सच राजा तुम मेरा कितना ध्यान रखते हो । आज तुम्हें क्या हो गया ।कपिल ने भी इतनी देर नहीं  चोदा था । रुम में अंधेरा हो गया । सिनेमा नहीं दिखाओगे क्या ? निकालो जल्दी । 

विनोद और मंजु दोनों ने देखा कि एक घंटा से ज़्यादा गॉंड और चूत में लौडा रहा फिर भी विनोद नहीं झंडा । 

जल्दी जल्दी तैयार होकर दोनों बाहर निकले । नज़दीक के सिनेमा हॉल में गये । अंदर घुसे और मेन सिनेमा शुरु हुआ। हॉल में भीड़ नहीं थी । टिकट पर सीट नम्बर नहीं था । दोनों बॉलकनी के सबसे आख़िरी लाइन में बैठे । एक दूसरे का हाथ पकड़ दोनों सिनेमा देखने में ब्यस्त थे । अचानक मंजु के जाँघों पर एक हाथ फिसलने लगा । 

मंजु की ज़ुबानी———

बिनोद का हाथ अपनी हाथो में लेकर सिनेमा देख रही थी कि मेरी दाहिने जाँघ पर एक हाथ फिसलने लगा । मैंने गर्दन घुमा कर देखा । पहले मेरे बग़ल की सीट ही नहीं ५-६ सीट ख़ाली थी । लेकिन अब मेरे बग़ल में एक आदमी बैठा था और उसके बग़ल की चार सीटें ख़ाली थी । मतलब साफ़ था । जो भी था,  मेरे साथ मस्ती मारने ही बग़ल में बैठा था । 

मैंने उसे रोका टोका नहीं । १५-२० मिनट वह वैसे ही जाँघों को सहलाता रहा । अचानक एक हाथ मेरी चूचियों को मसलने लगे,  चूचियों को मसलते हए उसे लगा होगा कि ब्लाउज़ का बटन आगे नहीं पीठ पर है । जो हाथ चूची को मसल रहा था वो हाथ वहीं अपना काम करता रहा लेकिन जो दूसरा हाथ जॉंघ पर था वह हटा । उसके तरफ़ जो मेरा पैर था उसे अपने तरफ़ खिंचा और अपने एक घुटने के उपर रख लिया । 

फिर मेरा हाथ जो उसकी तरफ़ था उसे खींच अपने तरफ़ किया और मैं अपना हाथ वहॉं से नहीं हटा सका। प्यारे और कपिल के लंड के बाद एक और लंड मेरी मुट्ठी में था । लम्बा मोटा तो था ही बहुत ही टाईट था । अपने को रोक नहीं पाई बिना यह सोचे कि बग़ल में पति बैठा है , लंड को मुठियाने लगी । लंड को मेरे हाथ में देकर उसने अपना हाथ मेरे पीठ पर रखा और एक ही हाथ से उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये । 

ब्लाउज़ के बटन खुले और सामने बाले हाथ ने ब्रा के कप को उपर उठाकर नंगी चूचियों को दबाने लगा । अचानक हॉल में लाईट हुई । इन्चरभल हुआ लेकिन मेरे बग़ल बाले ने ना चूची से ही हाथ हटाया ना ही पीठ से । मैंने ऑंख नीचे किया तो देखा कि मेरे ही साड़ी के पल्लू से उसने लंड को ढक लिया था । उसका लौडा मुझे बढिया लग रहा था कि मैं ने लौडा को छोड़ा नहीं । 

बिनोद ने हमारी तरफ़ देखा । उसने क्या देखा क्या नहीं मुझे नहीं मालूम । यह बोलकर कि वो बाथरूम जा रहा है विनोद नीचे चला गया । मैंने लौडा को पूरी ताकत से दबाये हुआ पुछा कि वो मुझे क्यों तंग कर रहा है । 

वो आदमी ———- क्यों कि रानी मैं ने अब तक तुम्हारी जैसी बढिया माल नहीं देखी । पति या दोस्त जो भी है उसे छोड़ो । थोड़े ही दूर पर मेरा होटल है चलो , मेरे साथ पूरी रात रहो । सुबह इतना दूँगा कि वह देखकर पति पूछेगा ही नहीं कि रात भर तुम कहॉं थी । अपना चुत्तर उपर उठाओ । 

शाम को विनोद ने जो ज्ञान दिया था सब भूल गई। सीट का हैंड रेस्ट पकड़ कर चुत्तर उपर उठाया और उस आदमी ने साड़ी साया उपर खींच कर कमर के उपर उठाया । मैं लंड छोड़ साड़ी से अपने सामने की टॉंगों को ढकने का कोशिश करने लगी और उसका हाथ चूत के उपर फिसलने लगा । चूत में अंगुली पेलते हुए बोला कि रानी तुम बहुत ही मस्त माल हो । पूरी रात का २००००/- दूँगा  । 

मंजु ———- मैं रंडी नहीं है । बहुत मस्ती हो गया अब तुम कहीं और जाकर दूसरा माल ढूडो। मुझे आराम से सिनेमा देखने दो । 

मैंने नहीं देखा लेकिन उसने शायद मेरे पति को वापस आते देख लिया था । 

“ जैसी हो वैसे ही बैठी रहो । अगर कपड़ा नीचे किया तो इस बार पूरा नंगा कर दूँगा । “ 

बोलकर वो एक तरफ़ गया और दूसरी तरफ़ से विनोद आ गया । मेरे बग़ल में बैठा और पुछा कि सिनेमा कैसा है । 

मंजु ——- राजा , इस से बढिया सिनेमा तो मैं रुम में ही दिखा देती । तुम किसी नये आदमी को रुम में लाते और तुम्हें मुफ़्त का रंगीन सिनेमा देखने को मिल जाता । चलो होटल . और कोई नहीं तो अपना कपिल है ही । 

विनोद——— उसके लिए पूरी रात बाक़ी है । अभी सिनेमा देखो । 

हॉल का लाईट फिर बंद हुआ और मैंने झटके से ब्रा का हुक खोल चूची को आज़ाद कर दिया । विनोद की तरफ़ हाथ बढ़ाया और पैंट के बटन खोलती हुए बोली कि जल्दी से लौडा मेरे हाथ में दे । 

और दो मिनट भी नहीं हुआ विनोद ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा लेकिन लौडा ढीला था । फिर भी मैं उसे पकड़ सहलाती रही । सिनेमा दुबारा शुरु हुए क़रीब १० मिनट हो गया लेकिन मेरे बग़ल बाली सीट ख़ाली रही । मैं विनोद का लंड पकड़े हुए सिनेमा देखने में तल्लीन हो गई । बढिया गाना चल रहा था । मेरा ध्यान तब टूटा जब किसी ने मेरी एक चूची को चूसना शुरू किया । समझ गई कि मेरा पड़ोसी वापस आ गया है। मैंने दूसरा हाथ उसकी ओर बढ़ाया । दिल ख़ुश हो गया । अगर प्यारे से बड़ा नहीं तो उसके लंड जैसा ही लम्बा और मोटा लौडा मेरे हाथ में था । १५ मिनट से सहला रही थी  फिर भी विनोद का लौडा टाईट नहीं हुआ था । 

मैं ने एक फुसफुसाहट सुनी 

“ खुबसूरत परी , मेरी तरफ़ झूक जाओ “ 

मैंने सोच लिया विनोद देखता है तो देखे । मैंने उसकी तरफ़ का पॉंव उठाया और उसके जॉंघो पर रख दिया और जितना हो सकता था उसकी तरफ़ झुक गई । मैं यह देखकर मुस्कुराई कि उसने मेरे और अपनी जॉंघो  को एक चादर से ढक दिया था और मेरी साड़ी और पेटीकोट को बिलकुल उपर उठा दिया था । चादर के नीचे मैं बिलकुल नंगी थी । क़रीब सवाघंटा ( ७५ मिनट ) वह लगातार मेरी एक चूची चुसता रहा और दूसरे हाथ से नंगी जॉंघों और बूर को सहलाता रहा । पूरे समय विनोद का लंड मेरे हाथ में रहा लेकिन एक बार भी वैसा टाईट नहीं हुआ जैसा टाईट लौडा मेरे दूसरे हाथ में था । 

“ अब विनोद की तरफ़ घुम जाओ , पूरा पीठ मेरी तरफ़ करो । “  

मैंने पड़ोसी की धीमी आवाज़ सुनी और मैं विनोद के तरफ़ घुम गई । उसने पीछे ब्लाउज़ के पल्ले को खिंचा और पीछे से दोनों हाथ घुसाकर ब्रा कप को चूचियों के उपर रखा । मैंने ब्रा का हुक बंद किया और उस आदमी ने ब्लाउज़ के बटन बंद किए । 

“ ५ मिनट में सिनेमा ख़त्म होगा. साड़ी ठीक कर लो । मैं संगम होटल के कमरा नंबर १५ में हूँ, तुम्हारे कमरे से तीसरा कमरा । तुम्हारे बैग में कुछ टैबलेट हैं , सिर्फ़ एक टैबलेट पानी के साथ विनोद को दे देना । वह सुबह तक आराम से सोयेगा और हम दोनों पूरी रात प्यार करेंगे । ज़रूर आना । तुम बहुत अच्छी , सबसे अच्छी हो मंजु । “ 

मैंने उसकी एक एक बात सुनी । वो हमारे बारे में सबकुछ जानता था । साड़ी साया को नीचे करते हुए मैं उसकी और घुमी । उसने मेरे गालों को दोनों हाथ से दबाया और होंठों को चूमा । उसके बाद अपना चादर समेट कर एक ओर चला गया । मैं उसे जाते हुए देखती ही रही । हॉल में लाईट हुआ । विनोद ने झटपट लौडा अंदर किया और पैंट को ठीक किया । 

होटल के रास्ते मैं हमने खाना खाया और १० बजने  के पहले हम अपने रुम में १७ नबंर में आ गये । मैंने ध्यान दिया , १५  नम्बर रुम का दरवाज़ा बाहर से लॉक नहीं था । कमरा में आने के बाद भी मैं बग़ल के सीट में बैठे हुए आदमी. उसकी हरकतों और उसकी हिम्मत को भूल नहीं  पाई । २ घंटे से ज़्यादा मैं ने उसके कड़क मस्त लौडा को सहलाया लेकिन वो झड़ा नहीं । बेशर्म जैसा मैं उससे चूची और चूत मसलवाती रही । क़रीब पूरे समय उसने मुझे नंगा ही रखा लेकिन सिनेमा ख़त्म होने के पहले ही उसने मुझे शरीफ़ औरत बना दिया । उसने मुझे अपने रुम में आने कहा लेकिन विनोद और कपिल के रहते कैसे जा सकती थी । विनोद मुझे रात में चोदे ना चोदे लेकिन कपिल ज़रूर पूरी रात मेरी मारेगा ही । 

अचानक मुझे उसकी बात याद आई । मैंने अपना हैंड बैग खोला और तुरंत बंद कर दिया । बैग लेकर ही बाथरूम में गई। दरवाज़ा अंदर से बंद किया और बैग खोला । उसमें एक टैबलेट का स्ट्रीप था । एक कार्ड भी था । कुछ और भी था । कार्ड को उलट पलट कर पढ़ा लेकिन पढ़ कर भी विश्वास नहीं हुआ । किसी बड़ी कम्पनी का नाम लिखा था । 

कम्पनी के नाम के उपर 

“ राजीव गुप्ता, 
जी एम , मार्केटिंग “ 

लिखा था । मुझे नहीं मालूम था कि ये जी एम , मार्केटिंग क्या होता है । जो भी हो , मुझे इस राजीव से बहुत ज़्यादा प्यार हो गया , विनोद, कपिल और प्यारे से भी ज़्यादा प्यार हो गया । 

लेकिन ये राजीव है कौन ? 

सुबह साक्षात्कार के समय जिस आदमी ने विनोद से कुरेद कुरेद कर उसकी नई नवेली दुल्हन के बारे में पूछ रहा था यही राजीव था । विनोद ने अपनी नई नवेली दुल्हन की इतनी तारीफ़ की कि राजीव ने फ़ैसला कर लिया कि विनोद की नई नवेली दुल्हन को एक बार ज़रूर देखेगा । विनोद ऑफिस से बाहर निकला और राजीव ने एक पिऊन से ये पता करने कहा कि विनोद कहॉं रुका है । उस पिऊन ने बातों बातों में विनोद से ही सब मालूम किया । उसने राजीव को तुरंत सब बताया और यह भी कहा कि विनोद अपनी पत्नी के साथ होटल में है । 

राजीव ५ बजे के बाद होटल आया और क़िस्मत से उसे १५  नम्बर का रुम मिल गया । राजीव तैयार होकर नीचे आया और कुछ ही देर बाद विनोद और मंजु सिनेमा के लिए निकले । मंजु पर नज़र पड़ते ही उसे लगा कि विनोद ने जो कहा वह कुछ भी नहीं , मंजु कहीं ज़्यादा ही खुबसूरत और मस्त माल है । विनोद और मंजु के पीछे राजीव ने भी रिक्शा लिया । फिर क्या हुआ वो आप पढ़ चुके हैं । इन्टरभल में राजीव वापस होटल आया । एक चादर के साथ और ज़रूरी चीज लिया और वापस मंजु के बग़ल में बैठा । राजीव ने जितना सोचा था मंजु ने बैठे बैठे ही उसे कहीं ज़्यादा मस्ती दी । राजीव को विश्वास था कि मंजु उसके रुम में ज़रूर आयेगी ।

हमारे  रुम में घुसने के ५ मिनट बाद ही एक वेटर अफ़ज़ल आया और विनोद को बाहर बुलाकर कुछ कहा ।  ये वही वेटर था जिसने कपिल के जाने के बाद विनोद को बाहर बुला कर कुछ कहा था । मंजु ने पुछा नहीं कि वेटर ने क्या कहा । उसे राजीव के पास जाने की बेचैनी थी । एक ही दिन में तीसरे नये लंड को चूत में लेने की जल्दी थी । 

क़रीब १० मिनट बाद ही कपिल कमरे में आया और रुम को अंदर से बंद करने लगा । 

विनोद———- कपिल , मैंने कहा था ना कि अगर तुम मुझे अपनी रानी को चोदने दोगे तो आज पूरी रात सिर्फ़ तुम ही अपनी रानी को अकेले प्यार करोगे । तुम्हारे जाने के बाद मंजु ने बहुत प्यार से चुदवाया, बहुत ही मस्त किया । अब रात भर तुम अकेले ही अपनी रंडी को सँभालो । मैं अपनी रंडी के पास जा रहु

विनोद और कपिल बात कर रहे थे और मंजु ने दो ग्लास में पानी भरा । एक में राजीव ने जो टैबलेट दिया था वो डाला । जब उसने देखा कि टैबलेट घुल गया है तो वो ग्लास कपिल को दिया और दूसरा ग्लास से खुद पानी पिया । कपिल भी पुरा पानी पी गया । मंजु ने धक्का देकर विनोद को रुम से बाहर निकालते हुऐ कहा कि रात में आकर उन्हें डिस्टर्ब ना करे । 

मंजु———— सुबह ७ बजे के बाद ही आना । 

विनोद के बाहर जाते ही रुम को अंदर से बोल्ट किया और कपिल को नंगा करने लगी । कपिल नंगा हुआ । मंजु की बेचैनी देख बह बहुत गर्म हो गया । साड़ी साया को कमर के उपर उठाया । ब्लाउज़ के उपर से चूची को मसलते हुए चूत में लौडा पेलने लगा और पहले जैसा ही खुब रगड़ रगड़ कर चोदा । मंजु की हरकतों ने ज़्यादा बेचैन कर दिया था । ४० नहीं २५ मिनट की चुदाई होते होते झड़ गया । 

लेकिन मंजु ने चुदाई की बहुत तारीफ़ की । 

मंजु ————— कपिल, विनोद से मेरी शादी हुई है लेकिन मेरा असल घरवाला तु ही है। विनोद को चोदना आता ही नहीं लेकिन राजा तु ने मस्त कर दिया । अभी थोड़ा देर आराम कर लें फिर और भी मज़ा दूँगी । 

मंजु बात करते हुए कपिल को सहलाती रही और कपिल सो गया । दस मिनट बाद उसे बहुत हिला डुला कर  देखा । सॉंस चल रही थी दिल दौड़ रहा था वाक़ी कोई और हरकत नहीं । 

निश्चित कर कि कपिल सो गया है बाथरूम जाकर चूत को बढिया से साफ़ किया । नया सेट कपड़े निकाल कर पहने । थोड़ा मेकअप किया । ११.३० हो रहा था । बाहर निकल चारों ओर देखा कहीं कोई नहीं था । एक बार फिर कपिल को हिलाया लेकिन वो बेहोश था । 

मैं बाहर निकली और बाहर से लॉक लगाया । और किसी ने मुझे गोदी में उठा लिया । 

मैंने देखा राजीव था बिलकुल नंगा ।

मंजु ——— हमेशा ऐसे ही नंगा रहते हो ! और अगर विनोद मर जायेगा तो मैं कहॉं जाऊँगी ? 

राजीव मुझे गोदी में उठाये अपने रुम में ले गया । मुझे बेड पर बिठाया और रुम को अंदर से बंद किया । मेरी गोदी में अपना माथा रखा । 

राजीव—————- एक तो उस एक गोली से कोई नहीं मरता । लेकिन अगर तुम्हें विनोद को कभी मारना ही तो ८-१० गोली एक साथ खिला देना । २-३ घंटा मे ही मर जायेगा । अगर एक ही गोली खिलाया है तो कम से कम ७ घंटा गहरी नींद में सोयेगा । इतना ही नहीं सुबह तुम उसे जो बोलोगी सब मान लेगा । अगर कहोगी कि उसने तुम्हें लगातार २-३ घंटा चोदा , गॉंड मारी सब मान लेगा । रानी तुम से बढिया लड़की अब तक मैं ने नहीं देखी । 

मंजु बहुत प्यार से राजीव के बालों में अपनी अंगुलियों को चला रही थी । 

मंजु ———— तुम्हें इतने बड़े शहर में अपनी बेटी ही मिली बरबाद करने के लिए , तुम मेरे बाबूजी से भी २-३ साल बड़े होंगे । अभी मेरी शादी को एक महिना भी …..

राजीव———- एक महिना नहीं , सिर्फ़ १५ रात पहले ही शादी हुई है । 

मंजु———— राजीव, मैं तुम्हें अभी पहली बार ही ठीक से देख रही हूँ । तुम्हें  नहीं पहचानती फिर तुम हमारा नाम, कब शादी हुई सब जानते हो कैसे ? 

राजीव——— खुबसूरत परी , हम दोनों का जन्म जन्म का रिश्ता है । जल्दी तुम्हें सब मालूम हो जायेगा । अब समय मत बरबाद करो मुझे प्यार करने दो मुझे प्यार करो । आज सिनेमा हॉल में तुमने जो मस्ती दी वो मेरी पत्नी ने हमारी शादी के २० सालों में भी नहीं दी । 

मंजु ————- सिनेमा में मैंने कुछ नहीं किया जो किया सब तुमने किया । मुझे तुमसे कोई प्यार-वार नहीं हो गया , तुम्हारी हिम्मत ही मुझे यहाँ इस रुम में ले आई । जैसा तुमने मेरे साथ किया वैसा अगर तुम अपनी बेटी या बहन या किसी के भी साथ करते तो वो भी तुम्हारे रुम में आ जाती । हर औरत हिम्मत दिखाने बाले मर्दों को सबसे ज़्यादा पसंद करती है । 

मंजु ने जब कहा कि वो उससे प्यार नहीं करती तो राजीव को दुख हुआ । 

राजीव—।  ठीक है मुझे प्यार नहीं करती तो मत करो लेकिन बंद कमरे में औरत जो मर्दों के साथ करती है वो तो करो । अगर नहीं कुछ करना है तो विनोद के पास वापस जाओ । मुझे जो करना था वो मैंने हॉल में कर दिया । अब तुम्हारी मर्ज़ी । 

पति के अलावा २ और लंड से चुदवाया था लेकिन थी तो मासूम । 

मंजु ———— तुम्हारी हिम्मत और हरकतों ने मुझे इतना प्रभावित किया कि पति को ज़हर खिलाकर तुम्हारे पास आई । मुझे मर्द और औरत के बीच एक ही बात मालूम है जो विनोद करता है । मुझे नहीं मालूम कि औरत बंद कमरे में मर्द के साथ और क्या करती है । 

राजीव समझ गया कि इसकी शादी हो गई है लेकिन लंड और बूर के सिवा इसे और कुछ नहीं मालूम । मंजु के माथा को दोनों हाथों से पकड़ कर झुकाया और तीन चार बार होंठों को खुब बढिया से चूसा , चूमा । 

मंजु ने धीरे से कहा - 

“ विनोद ने कभी ऐसा नहीं किया बहुत बढिया किया तुमने , फिर से चुम्मा लो । “ 
 
राजीव ने सही समझा  कि चुदाई के सिबा इस लड़की को सेक्स का और कोई अनुभव नहीं है । 

राजीव——- इस कमरे में सिर्फ़ हम दो हैं । मैं ने भी तुम्हारे नंगे बदन को सहलाया और तुमने भी । हम दोनों पति पत्नी जैसे ही है । शरम मत करो । बिनोद ने अब तक तुम्हारे साथ क्या क्या किया है?  

मंजु कुछ देर राजीव को देखते हुए विनोद, प्यारे और कपिल से साथ हुई चुदाई को याद किया । थोड़ी बदन मालिश के अलावा तीनों ने सिर्फ़ चूत में लंड ही पेला । 

मंजु ने आँचल से चेहरा ढक लिया और धीरे से बोली , 

मंजु————- तुम बहुत ही बेशर्म आदमी हो , तुम्हें सब मालूम है फिर भी पूछ रहे हो । मुझे भी अपने जैसा ही बेशर्म बना रहे हो । जैसा सब मर्द करते हैं विनोद भी वही करता है । चूत में लंड पेलता है , थोड़ा चूची मसलता है और चुम्मा लेता है लेकिन तुम्हारे जैसा नहीं । तुमने चुम्मा लिया तो बहुत ही बढ़िया लगा । 

राजीव———- और कुछ नहीं करता , तुम कुछ नहीं करती ! 

मंजु ने सर हिलाकर कहा “नहीं “ ! 

मंजु——— मैंने कभी नहीं सुना कि औरत भी कुछ करती है । 

राजीव चुप रहा और धीरे धीरे मंजु के कपड़े खोलने लगा । मंजु चुप चाप लेटी रही । सारे कपड़े उतार कर खुद उसके बग़ल में लेट गया । 

राजीव——- अब बहुत ही धीरे-धीरे मुझे नंगा करो । नंगा करते करते जहां भी चाहो, जैसा चाहो मेरे बदन को सहलाओ, सहलाती रहो  । 

उसकी बात सुन मैं बहुत ज़ोर से हंसी । उसके लौडा को खुब ज़ोर से दवाती रही । 

मंजु ———— बेटीचोद , आधा घंटा से अपना मुसल  जैसा लौडा दिखाकर डरा रहे हो और अब बोलते हो की नंगा कर दो । चाकू निकालो , चमड़ी छील कर और नंगा कर देती हूँ । 

मालूम नहीं मुझे क्या हुआ । शायद उसके खुबसूरत लौडा ने मुझे आकर्षित किया या मैं खुद चाहती थी , लौडा को नीचे से पकड़ उसके उपरी हिस्से को अपने दोनों होंठों के बीच क़रीब एक मिनट ही रखा और फिर अपने ही हाथों से अपना चेहरा ढक लिया । 

मंजु की खिलखिलाहट सुन राजीव का दिल बाग बाग हो गया । दिल ख़ुश हो गया । मंजु ने जो चमड़ी छिलने की बात की वह मज़ाक़ भी बढिया लगा और अभी एक मिनट लौडा चुस कर मुँह ढकने की अदा ने राजीव को मंजु का दिवाना बना दिया । राजीव ने सही समझा कि मंजु ने पहली बार ही लौडा को मुँह में लिया । वो बिस्तर पर सीधा लेटा और मंजु को अपने उपर लिया । दोनों हाथों और जाँघों से मंजु को क़रीब २ मिनट तक खुब कस कर बाँध कर रखा । 

“ आह, मर गई “ 

अपनी पकड़ ढीली की । 

मंजु ——— सिर्फ़ देखने में ही नहीं सच बहुत ताक़तवर हो । सारीं हड्डी पसली टूट गई । 

राजीव——— जब मैं कॉलेज में था तभी मुझे अपने ही क्लास की एक लड़की से दोस्ती हो गई । हम बड़े होते गये और हमारी दोस्ती प्यार में बदल गया । एक दूसरे को चुमने भी लगे । हम साथ ही कॉलेज से पास हुए । मैं ने मैनेजमेंट का कोर्स शुरू किया लेकिन रोज़ उसके घर जाता रहा । मैं ने उसके मॉं बाप से कह दिया कि मैं संपा से ही शादी करुगॉं । हमें मौक़ा मिला ।उस दिन घर में और कोई नही था ।  हम दोनों नंगे हुए और पहली बार में ही संपा ने मेरा लौडा आधा घंटा से ज़्यादा चूसा , मैं ने भी उसकी झॉंटों भरी चूत को बहुत देर तक चूसा चाटा और उसके बाद हमने पहले ही दिन उसके घर में ही दो बार चुदाई कि । फिर अगले ६ महिना तक उसके घर में सब रहते थे फिर भी महिना में २-३ बार हम खुब मस्ती मारते थे । हमारा बूर और लौडा चुसने का समय बढ़ता गया । ६ महिना होते होते वो एक घंटा से ज़्यादा लौडा चुसती थी और मुझे भी बहुत बहुत देर तक बूर चूसने में मज़ा आने लगा । 

मुझे उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ । तीनों आदमी ने , जिसने मुझे चोदा , ना किसी ने चूत ही चाटी  ना ही किसी ने लौडा चूसने ही कहा । मैं राजीव के उपर से उतर बग़ल में लेट गई । 

मंजु ——— एक नम्बर के झूठे हो । एक घंटा क्या कोई एक मिनट भी बूर को चूस नहीं सकता । कितना गंदा गंध होता है , और लौडा भी कोई चूसती है क्या ? पता नहीं मैंने क्यों इस लौडा में मुँह लगाया । 

राजीव ने उसकी बात सुनी । बिना कुछ बोले मंजु के जॉंघों के बीच बैठा । झॉंट को अंगुली से फैला कर दॉंत से चूत की घुंडी को पकड़ कर उपर खिंचा । मंजु सिसकारी नहीं रोक पाई । 

“ आह “ 

राजीव बहुत खेला खाया आदमी था । कमसिन, मंजु जैसी जवान लड़की से लेकर ५० साल की औरतों के साथ खेलता था । और चुदाई से ज़्यादा उसे बूर चूसना, लौडा चूसाना ज़्यादा पसंद था । एक घंटा बूर चूसना उसके लिए एक खेल था । अपने काम में माहिर था । अंगुलियों से, जीभ से, ओंठों से मंजु के चुत से खेलने लगा । दस मिनट होते होते मंजु साँप के जैसा आवाज़ निकालने लगी । उसकी पूरा बदन मस्ती की हिलकोरे  लेने लगा । राजीव ने जब चूत की पत्तियों को चुभलाते हुए दो अंगुली एक साथ चूत में घुसाकर बहुत तेज़ी से चोदने लगा तो मंजु अपना होसो हवास खो बैठी । ज़ोर से चिल्ला कर बोली , 

“ सारी मस्ती तुम ही लोगे क्या ? अगर तुम्हारी घर बाली को लौडा चूसना बढिया लगता है तो मुझे भी लगेगा । अपना लौडा चूसने दो । “ 

बिना चूत से मुँह हटाये राजीव उल्टा हुआ , मंजु के मुँह पर ८ इंच से ज़्यादा लंबा और प्यारे के लंड से भी मोटा लौडा झलने लगा । मंजु ने देर नहीं की । एक हाथ से पकड़ लौडा के उपरी २-३ इंच लम्बाई को चूसने लगी और ५-७ मिनट के अंदर ही पूरा लौडा को मुँह में भरा । जब उसका दम घुटने लगा तो आँधी लंबाई को बाहर निकाला । कुछ देर लौडा को ऐसे ही अंदर बाहर करती रही फिर ओठों से लौडा को पकड़ उपरी ३-४ इंच लम्बाई को प्यार से चूसने लगी । मंजु ने १०-१२ मिनट ही चूसा होगा कि राजीव को लगा कि लौडा पर मंजु के ओंठों की पकड़ दूसरी किसी भी औरत से ज़्यादा है । उसे लगा कि वह झड़ जायेगा । 

मंजु के मुँह से लौडा अलग किया , उसके बॉडी पर सीधा हुआ । एक हाथ से लौडा को बूर के छेद पर दबाया और दूसरे हाथ से मंजु के एक कंधा को पकड़ पूरी ताक़त से पेला । 

“ उई मॉं मर गई .. मज़ा आ गया । “ 

राजीव ने धक्का लगाते हुऐ मंजु के चेहरे और ऑंखों में देखा । चेहरे पर मुस्कुराहट और ऑंखों में मस्ती के लाल डोरे तैर रहे थे । साफ़ दिख रहा था कि मंजु बहुत ही ज़्यादा खुश है । राजीव पूरी ताक़त से लेकिन आराम से पेलता रहा । 

राजीव——- खुबसूरत परी, बहुत ही प्यारी हो रानी । 

मंजु भी चुत्तर उचका कर हर धक्कों का जबाब दे रही थी । 

मंजु—— और तुम दुनिया के सबसे बड़े हरामी बेटी चोद हो । आज अपनी बेटी के उम्र की लड़की को चोद कर मस्त कर रहे हो तो कल जरुर ही अपनी सगी बेटी को भी चोदोगे। तुम दोनों ने शादी की कि नहीं या उसे बर्बाद करके छोड़ दिया ।उफ़ राजीव, मस्त कर दिया तुमने । ये मेरी सॉंतवीं चुदाई है लेकिन लगता है कि पहली बार ही लौडा चूत में घुसा है । बहुत मज़ा आ रहा है यार । 

अपनी बेटी के उम्र की लड़की सेअपनी चुदाई की तारीफ़ सुन राजीव बहुत खुश हुआ। और क़रीब २० मिनट दोनों ने एक दूसरे को रगड़ते , मसलते दबाते हुए जमकर चुदाई की । फिर चुदाई की स्पीड कम कर कहानी सुनाने लगा । 

राजीव——— रानी , सिर्फ़ तुम्हारे सामने ही नहीं कह रहा हूँ , जितनी मस्ती से तुम चुदवा रही हो , जो मज़ा अभी मुझे मिल रहा है वैसा मज़ा पहले किसी के साथ नहीं आया था , संपा के साथ भी नहीं । हमारी पहली चुदाई के क़रीब एक साल बाद बड़े घुमघाम से हम दोनों की शादी हुई और अगला दस  साल बहुत ही बढ़िया गुजरा । ६ साल के अंदर संपा ने मुझे दो बच्चे दिए , पहले बेटा और ३ साल बाद एक बेटी । मेरी बेटी मायुरी अभी तुम्हारी ही उम्र की , १८ साल की ही है । सब बहुत बढिया चल रहा था लेकिन एक रात सब कुछ बरबाद हो गया । 

आगे और भी है,,,, अगले भाग में 



 
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#13
supper sexy, cinema incident was very kinky.
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#14
(11-09-2022, 12:26 AM)blackdesk Wrote: supper sexy, cinema incident was very kinky.

Thanks . Keep commenting & if you like please rate the story .
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#15
very good.. keep posting...
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#16
(11-09-2022, 03:41 PM)longindian_axe Wrote: very good.. keep posting...

THANKS DEAR, 

NEXT UPDATE FOLLOWS..
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#17
अपने पति के साथ तीन बार ही चुदवाया था कि मंजु को एक ५२-५३ साल के प्यारे से चुदवाने के मौक़ा मिला । मंजु ने बिना किसी नख़रा के उससे खूब प्यार से चुदवाया । प्यारे के चुदाई से इतनी खुश हुई कि उसे अगले दिन भी बुलाया । वास्तव में, विनोद ने तीनों बार बढ़िया चोदा था । मंजु खुश भी हुई लेकिन जब प्यारे ने चोदा तो मंजु को लगा कि उसका पति बेकार है। प्यारे ने चोद कर मंजु की चुदाई की भुख नहीं मिटाई मंजु को एक नम्बर का वेशरम और चूदासी औरत बना दिया ।प्यारे के चुदाई के बाद मंजु  अब हर एक मर्द को चुदाई का खिलौना समझने लगी । प्यारे ने खुश किया तो कपिल से नहीं चुदवातीं लेकिन उसे अपना घरवाला ही मान लिया । सिनेमा हॉल में भी राजीव ने जो भी कहा मंजु ने सब कुछ किया । अपने दूसरा घरवाला कपिल  को नींद की गोली खिला कर सुला दिया और एक नये आदमी से चुदवाने उसके कमरे में चली गई । मंजु को राजीव का लौडा और चुदाई सब प्यारे से बढ़िया लगने लगा। प्यारे से शुरू कर एक ही दिन में तीन मर्दों  से चुदवाया ही उसके पति ने अपने सामने एक वेटर कपिल को मंजु को चोदने कहा । इस बात पर भी मंजु पति से नाराज़ नहीं हुई । पति के बाद किसी दूसरे आदमी ने क्या चोदा मंजु किसी के साथ भी कहीं भी चुदवाने को तैयार थी । 

एक बड़ी कंपनी के जी एम को मंजु बहुत पसंद आई ही मंजु ने भी उसे सबसे ज़्यादा पसंद किया । 

अपनी बेटी के उम्र की लड़की से अपनी चुदाई की तारीफ़ सुन राजीव बहुत खुश हुआ। और क़रीब २० मिनट दोनों ने एक दूसरे को रगड़ते , मसलते दबाते हुए जमकर चुदाई की । फिर चुदाई की स्पीड कम कर कहानी सुनाने लगा । 

राजीव——— रानी , सिर्फ़ तुम्हारे सामने ही नहीं कह रहा हूँ , जितनी मस्ती से तुम चुदवा रही हो , जो मज़ा अभी मुझे मिल रहा है वैसा मज़ा पहले किसी के साथ नहीं आया था , संपा के साथ भी नहीं । हमारी पहली चुदाई के क़रीब एक साल बाद बड़े घुमघाम से हम दोनों की शादी हुई और अगला दस  साल बहुत ही बढ़िया गुजरा । ६ साल के अंदर संपा ने मुझे दो बच्चे दिए , पहले बेटा और ३ साल बाद एक बेटी । मेरी बेटी मायुरी अभी तुम्हारी ही उम्र की , १८ साल की ही है । सब बहुत बढिया चल रहा था लेकिन एक रात सब कुछ बरबाद हो गया । 

मंजु ———क्या हुआ ? संपा किसी के साथ भाग गई क्या ? 

शायद पुरानी बातें याद कर राजीव दुखी हो गया । मंजु की मस्त जवानी को राजीव का खुबसूरत, मज़बूत बॉडी और लौडा का धक्का बहुत मस्त कर रहा था लेकिन राजीव के चेहरे और ऑंखें का दर्द उसे परेशान कर रहा था । अपनी तरफ़ से मंजु , दोनों हाथो से , जाँघों से जहां भी हो सकता था खूब रगड़ रही थी लेकिन राजीव उदास ही रहा । १०-१२ मिनट फिर चुप्पी रही । मंजु ने ग़ुस्सा से ४-५ मुक्का पीठ पर ज़ोरों से मारा । 

मंजु ——- अगर उसी कुतिया के ख़्वाब में खोये रहोगे तो मुझे बाहर जाने दो जो भी कुत्ता बाहर मिलेगा चुदवा लुंगी । मंजु की ज़ोरदार आवाज़ सुन राजीव के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। 

“ ना संपा मरी ना ही किसी के साथ भागी, आज भी वो मेरे ही घर में नौकर से चुदवा रही है । 

राजीव और मंजु दोनों का ध्यान चुदाई से हटकर कहीं और, राजीव की पुरानी कहानी पर चला गया था । लौडा मंजु की चूम में मस्ती से अंदर बाहर हो रहा था । 

राजीव———- रंडी किसी के साथ भाग जाती तो बढिया ही होता । एक रात नींद खुली तो देखा कि बग़ल में संपा नहीं है । बाथरूम में देखा वहाँ भी नहीं थी । दूसरी तरफ़ गया और मुझे औरत की मस्ती की सिसकारी सुनाई दी । मैं थोड़ा और आगे बढ़ा तो लगा कि एक दूसरे रुम से आवाज़ आ रही थी । रुम का दरवाज़ा बंद था लेकिन साईड की एक खिड़की खुली थी । झॉंट कर देखा । जो देखा वो देखकर भी विश्वास नहीं हुआ । 

मंजु —— क्या देखा? 

राजीव——— में ने देखा कि मेरी घरवाली बिलकुल नंगी है और वो १८-१९,साल के नौकर नंदू को उपर से चोद रही है । जब नंदू ११-१२ साल का था तब से हमारे ही घर में रह रहा था । मैंने सुना । चोदते हुए संपा नौकर से कह रहा थी कि चोरी छिपे उसके साथ अब नहीं चुदवा सकती। वो अब नंदू के साथ एक घरवाली जैसा रहना चाहती है । मंजु, जितने प्यार से सहलाते हुए दुलारते हुए नौकर को चोद रही थी वैसा प्यार मुझे कभी नहीं किया । बाद में मुझे पता चला कि जिस दिन मैंने दोनों को साथ देखा उससे क़रीब एक साल पहले से ही दोनों चुदाई कर रहे थे । 

मंजु ——- तुमने दोनों को मारा पीटा , घर से निकाल दिया ? 

दोनों बातें कर रहे थे लेकिन राजीव का लंड और मंजु की चूत आपस में खुब प्यार कर रहे थे । दोनों के दोनों हाथ एक दूसरे के नंगे बदन को लगातार सहला कर प्यार का इज़हार कर रहे थे । 

राजीव——- परी , मेरा तो मन कर रहा था कि दोनों को जान से मार दूँ लेकिन मैं संपा को दुनिया की हर चीज से ज़्यादा प्यार करता था । संपा की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी थी । मैं अपने रुम में आकर रोता रहा और वो दूसरे रुम में अपने से आधे उम्र के नौकर से रात भर मस्ती मारती रही । अगले दिन सुबह वो मेरे पास आई लेकिन मैं ने उससे बात नहीं की । अगली रात से मैं बच्चों के साथ सोने लगा । तीन दिन मैंने उसकी ओर देखा भी नहीं । 

मंजु ——— तुम्हारे जैसा आदमी जिसे प्यार करे वो दूसरे आदमी की ओर देख भी कैसे देखती है? 

राजीव———- चौथी सुबह रोज़ की तरह हम और संपा आमने सामने बैठ नाश्ता कर रहे थे । नंदू चाय लेकर आया और संपा ने मेरे सामने उसका हाथ पकड़ लिया और उससे सट कर खड़ी होकर बोली , 

“ राजीव, मैं जानती हूँ कि तुम हम दोनों से बेहद  नाराज़ हो लेकिन अब जीते जी ना नंदू से अलग होकर जी सकती हूँ और ना अपने बच्चों से अलग रह सकती हूँ । सबसे बढिया तो यह होगा कि तुम इस बात को मान लो कि तुम्हारी तरह ये नंदू भी मेरा घरवाला है । तुम दोनों एक साथ मुझे प्यार करो । “ 

मंजु———— छी रंडी ने कितनी घटिया बात की । तुमने ज़रूर उस कुतिया की बात नहीं मानी होगी ! 

राजीव——— मैंने उस नौकर के सामने संपा के मॉंग में लगा सिंदूर पोंछ डाला , उसके गले से मंगलसूत्र खींच कर तोड़ डाला । मैंने कहा कि आज से अभी से जिस राजीव गुप्ता से उसने शादी की थी वो मर गया और उसे कहा कि रात से वो नंदू की घरवाली बनकर नंदू के कमरे में ही सोये । उसके बाद से मैंने अब तक उससे बात नहीं की । लेकिन उन दोनों पर कोई फर्क नहीं हुआ । सिंदूर भी लगाने लगी और नया मंगलसूत्र भी पहन लिया । हमारे मॉं बाप,  बच्चों सब को मालूम है । लेकिन आज भी दोनों हमारे ही घर में एक दूसरे कमरे में सोते हैं । 

राजीव की दुखद प्रेम कहानी सुन मंजु को बहुत दुख हुआ लेकिन राजीव के ज़ोरदार धक्कों ने सब दुख दूर कर दिया । 

मंजु ——— राजा , उस रंडी को भूल जाओ और इस रंडी की जवानी में अपने को डूबा दो । तुमने चोद चोद कर मेरी चूत की हालत ख़राब कर दी है , चूत को आराम करने दो और मुझे अपना मस्त लौडा चूसने दो । 

राजीव को लग रहा था कि इससे पहले उसने कभी इतनी लंबी चुदाई नहीं की । उसकी चुदाइ २०-३० मिनट की ही होती थी । राजीव ने समय देखा । मंजु उसके कमरे में ११.३० में आई थी और उस समय रात के २ ये ज़्यादा हो गया था । मंजु ने कहा तब उसे भी लगा कि वह बहुत थक गया है । 

राजीव ——- जब तुमने सिनेमा हॉल में मेरे लौडा को २ घंटा से ज़्यादा टाईट रखा तंभी मुझे समझ जाना चाहिए था कि मेरा पाला किसी साधारण लड़की से नहीं एक शेरनी से हुआ है । मेरी प्यारी परी . इससे पहले मैं किसी के भी अंदर २५ -३० मिनट से जाना नहीं रह पाया लेकिन अभी लग रहा है कि  तुमने मुझे डेढ घंटे से ज़्यादा समय से अपनी मस्त गर्म रसीली बूर ने क़ैद कर रखा है । 

बोलकर राजीव ने लौडा बाहर खींचा । ज़ोर से फचाक की आबाद हुई । 

मंजु ——- राजीव, लोग जन्नत, स्वर्ग की बातें करते हैं लेकिन वहाँ भी इतना आनंद नहीं मिलता होगा जितना तुमने मुझे अभी दिया । मुझे लौडा चूसने दो । मेरे पास आओ । 

राजीव उसके उपर से उतरा । लौडा बूर के रस से लथपथ था । बहुत ही ज़्यादा चमक रहा था । मंजु ने लेटे हुए ही मुँह पुरा खोल दिया । राजीव उकड़ूँ बैठे हुए मंजु के माथा के पास आया । राजीव ने सोचा की लड़की लौडा को किसी कपड़े से साफ़ करेगी लेकिन नहीं । उतना अपना माथा उठाया और लौडा के पास ले आई । लौडा को जड़ से पकड़ा । दूसरे हाथ से दोनों अंडो / ऑंड को पकड़ कर धीरे धीरे लौडा को चारों तरफ़ से जीभ से चाटने लगी । 

चुदाई के पहले राजीव की सभी औरतें लौडा चूसती थी । बहुत कम ही बूर से निकले लौडा पर मुँह लगाती थी लेकिन मंजु से पहले सभी लौडा को कपड़े से साफ़ कर ही थोड़ी देर के लिए मुँह में रखती थी । मंजु ने पहले तीन आदमियों से चुदवाया था लेकिन उस रात ही पहली बार लौडा चुसा था । पहले चूत में घुसने के पहले और अब अपनी ही चूत से निकले लौडा को चाट कर साफ़ कर रही थी । 

राजीव को समझते देर नहीं लगी कि ये कमसीन, जवान, खुबसूरत औरत बहुत ही सेक्सी और चुदासी औरत है । कोई भी मर्द हो इस औरत को अकेला नहीं संभांल नहीं सकता । मंजु को चोदकर देख ही लिया कि अब तक जितनी भी माल को चोदा ये मंजु सबसे बढिया है इसने सबसे ज़्यादा मस्ती ही नहीं दी सबसे ज़्यादा देर चूत में लौडा को सँभाला भी । 

राजीव ने फ़ैसला किया कि इस मंजु को कुछ समय  अपने घर में रखेगा । 

“ आह परी क्या कर रही हो! “ 

लौडा को हर तरफ़ से चाट कर साफ़ किया और अब सिर्फ़ सुपारा को ओठों के अंदर ले चूस रही थी । राजीव झुक कर दोनों चूचियों से खेलने लगा । औरतों को चुदाई के मामले में कुछ सिखाना नहीं पड़ता । ऐक डेढ़ इंच को ही चूसती रही और साथ ही दूसरे हाथ से राजीव के बाहरी और अंदरूनी जाँघों को भी सहलाती रही । 

राजीव को लग रहा था कि लौडा फट जायेगा और वही हुआ । मंजु के मुँह में दस मिनट भी नहीं हुआ और लौडा ने पानी छोड़ना शुरू किया । राजीव ने सोचा कि दूसरी औरतों, उसकी घरबाली कि तरह मंजु लौडा को बाहर ठेल देगी , नहीं उसने लौडा के उपर ओठों को और टाईट किया और दोनों हाथों से लौडा को अपनी मुँह में दवाये रखा । राजीव अचंभित होकर देखता रहा । 

जब मंजु को लगा कि लौडा ने पानी छोड़ना बंद कर दिया तब उसने ओठों को खोला । लौडा ढीला होकर बाहर आ गया । राजीव बस देखता रहा , मंजु के जीभ पर , मुँह में लौडा का रस भरा था और मंजु ने धीरे धीरे सारा रस को अपने अंदर ले लिया । राजीव का चेहरा ऐसा था जैसे कि वो किसी अंजूवे को देख रहा हो । उसके लिये मंजु का सारा रस चूसना अचंभा ही था । 

राजीव के माथा को अपनी चूचियों पर दबाया  । 

मंजु ———- तुम विश्वास नहीं करोगे अपनी ज़िंदगी की इस सातवीं चुदाई के दौड़ान ही पहली बार लौडा को चूसा । सच मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । अभी जब तुम्हारा गर्म गर्म रस जीभ पर गिरा तो मुझे और भी बढिया लगा । मैंने पूरा रस पी लिया है । मुझे बढिया लगा , स्वाद बहुत ही बढ़िया लगा लेकिन ये कहीं मुझे नुक़सान ना पहुँचाये , राजीव , मैं कहीं बीमार न हो जाऊँ । 

राजीव ने झुक कर उसके गालों और ओंठो को बहुत चुमा । 

राजीव—— मेरी प्यारी परी , तुमसे पहले मैं ने ३०-३२ माल को चोदा है। क़रीब क़रीब सभी चुदाई के पहले लौडा चुसती है । ३-४ ने चुदाई के बाद भी लौडा चुसा लेकिन लौडा को बिना कपड़े से रगड़ रगड़ कर साफ़ किये बिना किसी ने नहीं चुसा । लेकिन इससे पहले ना कभी देखा ना ही किसी ने कहा कि कोई लड़की या औरत लौडा का रस पूरा पी जाती है । परी , तुम सब से खाश हो । अगर ५-६ घंटा में तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं हुई तो शायद बाद में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए । 

कुछ देर चुप्पी । 

राजीव——— परी, क्या तुम मेरे साथ , मेरी उस घटिया पत्नी और बच्चों के साथ कुछ दिन , एक महिना मेरे घर में रहोगी । 

मंजु ने उसकी ऑंखें  में घूर कर देखा । 

मंजु ——— हॉं , जब बोलो जितने दिन बोलो , साथ रहुंगी । अगर तुम बोलो तो विनोद को छोड़कर तुमसे शादी करने को भी तैयार हूँ । शाम को विनोद ने पहली बार गॉंड में लौढा घुसाया था , मुझे बिलकुल मज़ा नहीं आया था । अब तुम करो, हम दोनों को बहुत मज़ा आयेगा । 

राजीव इस लड़की को देखता ही रहा ।चूत में बहुत दे तक लौडा था और साफ़ लग रहा था  कि इसने बहुत ही कम चुदवाया था । मंजूँ का अंग अंग टाईट था बहुत टाईट । राजीव के जैसा चूद्दकर थक गया था लेकिन अब ये लड़की गॉंड भी मरवाना चाहती थी । ३०-३२ माल से राजीव चोद रहा था लेकिन ना उसने कभी किसी की गॉंड मारी ना किसी ने गॉंड मारने के लिए कहा ही । लेकिन ये लड़की खुद कह रही थी कि राजीव उसकी मॉड में लौडा पेले । 

राजीव—-   एक तो मैंने अब तक किसी की गॉंड में लौडा पेला ही नहीं और वैसे भी गॉंड मरवाने बढिया  नहीं होता है । गंदी बात है । 

मंजु झट उसक उपर आ गई । गालों, ओठों को चूमा । 

मंजु —— शादी के पहले न मैंने किसी से चुदवाया , आज के पहले ना लौडा को कभी चूसा ना ही रस पिसा । लेकिन भगवान क़सम सब मुझे बहुत ही बढ़िया लगा । कल विनोद ने पहली बार गॉंड का दरवाज़ा खोला । उस समय मुझे वही बढ़िया लगा था । लेकिन आज तुम्हारा लौडा सहला कर , चुदवा कर , चूस कर मुझे विश्वास हो गया है कि भगवान ने मुझे बिलकुल मेरे लायक़ आदमी और लौडा भेज  दिया है । मेरी चूत , मुँह और गॉंड में जाने लायक़ बस एक यही एक लौडा सबसे बढिया है । मेरी गॉंड मारो यार , रात का तीन बज रहा है थोड़ी देर सोना भी ज़रूरी है। 

राजीव बार बार मना करता रहा लेकिन मंजु गॉंड मनवाने की ज़िद्द पर अड़ी रही । आख़िर राजीव को मानना ही पड़ा । पिछली शाम जैसा मंजु ने बेड के बिलकुल किनारे अपने को कुतिया के पोज में किया । राजीव उसके पीछे खड़ा हुआ और एक बार फिर राजीव को मानना पड़ा कि मंजु बहुत ही ज़्यादा मस्त माल है । चुत्तरों  को सहलाते धूरा हुए चूत की घु्ंडी से लेकर गॉंड के छेद तक जीभ को उपर नीचे चलाता रहा । राजीव को नहीं मालूम था कि गॉंड मारने से पहले , गॉंड में लौडा पेलने के पहले मॉंड को गीला करना चाहिए । ना ही मंजु ने ही उससे कुछ कहा । वास्तव में गॉंड में मोटा और लंबा लौडा घुसने से जो दर्द होता उसे मंजु महसूस करना चाहती थी । 

१०-१२ मिनट ही चूसने चाटने के बाद लौडा टाईट हो गया । राजीव ने लौडा के टीप को गॉंड के छेद से सटाया । चुत्तरों को टाईटली पकड़ पूरी ताक़त से धक्का मारा लेकिन गॉंड का छेद खुला ही नहीं । यह देख राजीव को बहुत ग़ुस्सा आया और वो लगातार धक्का मारता रहा । ७-८ धक्का के बात छेद खुला और लौडा धीरे धीरे अंदर जाने लगा । पहली ही बार गॉंड में लौडा पेल रहा था , राजीव ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया कि मंजु का पूरा बॉडी अकड़ गया है । दर्द से उसकी जान निकल रही है , ऑंखें से लगातार ऑंसू बह रहे हैं । 

राजीव—————- परी , किसी भी कुँवारी लड़की के चूत से ज़्यादा टाईट और गर्म है तुम्हारी ये गॉंड । तुम्हारी चूत ने चुदाई की सबसे ज़्यादा ख़ुशी दी है और तुम्हारी इस कच्ची गॉंड में लौडा पेलकर बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है । खुश रह रानी सदा ख़ुश रह । 

राजीव लगातार पेलता रहा और गॉंड बहुत ही धीरे  धीरे खुलने लगा । मंजु का दर्द भी कम होने लगा था । १५ मिनट हुआ और पिछली शाम जैसा ही लौडा गॉंड के अंदर बाहर वैसे ही होने लगा जैसे चूत में हुआ था । मंजु ने एक शब्द भी  नहीं का । जब लौडा फ्रीली गॉंड में अंदर बाहर होने लगा तो राजीव का ज़ोश बढ़ने लगा और २०-२२ मिनट होते होते गॉंड की गरमी और टाईटनेस से राजीव बर्दाश्त नहीं कर सका और गॉंड के अंदर ही झड़ने लगा औ मंजु को भी शॉंति मिली । 

राजीव ने लौडा बाहर खींचा, बेड पर लेट कर मंजु को अपने उपर खिंच कर लिटाया । तब उसकी नज़र मंजु के गालों पर के कई ऑंसुओ के घार पर गई जो सुख गई थी लेकिन दाग छोड़ गई थी । राजीव ने उसे अपनी बाँहों में बॉंध बेतहाशा चुमा । 

राजीव——-परी,  तुम्हें इतना दर्द हुआ तो मुझे रोका क्यों नहीं । 

मंजु ——— दर्द नहीं राजा जान निकल गई थी । जैसे तुम्हारे लौडे ने मुझे चूत की मस्ती का एक नया मज़ा , सबसे ज़्यादा मज़ा दिया वैसे ही मैं अपनी गाॉंड में भी सबसे बढिया लौडा से ही मस्ती चाहती थी । थैंक्यू राजा , तुमने अपनी परी को सब कुछ दे दिया । ३.३० हो गया है । हम ४ घंटा से मस्ती मार रहे हैं । अब हमें थोड़ी देर सोना चाहिए लेकिन उससे पहले मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ , बोलुं ? “ 

राजीव——— परी , मुझे नहीं मालूम था कि मुझे तुम्हारी जैसी प्यारी लड़की कभी मिल सकती है । संपा के बाद मैं ने ३०-३२ माल को चोदा । उनमें से किसी को भी अपने पास २ घंटा -भी नहीं रखा । एक-दो बार चोद कर बाहर निकाल देता था ! तुम्हारे साथ भी यही सोचा था कि एक -दो बार चोदकर कुछ रुपये देकर बाहर निकाल दूँगा । लेकिन रानी , तुम सबसे अलग हो । संपा की वेवफाई देखने के बाद उससे कभी बात करने का भी मन नहीं किया लेकिन अब मैं तुमसे अलग कैसे रह पाउगॉं । बोलो , क्या बोलना है। 

मंजु——- तुमने कहा कि तुम्हारे बच्चे भी अपनी मॉं के रंडीपना के बारे में जानते है । शायद तुम्हें बुरा लगे लेकिन मैं विश्वास के साथ कहती हूँ कि संपा ने अपनी नंगी जवानी दिखाकर ही बेटे को अपने वश में किया होगा । हो सकता है कि मौक़ा पाकर बेटे से भी चुदवाती भी हो। तुम्हारी बेटी भी जवान हो गई है । अगर नंदू ने लड़की को अब तक नहीं चोदा है तो मॉं खुद ही पूरी कोशिश कर रही होगी कि उसकी बेटी भी मॉं के यार से चुदवाए । क्यों कि एक बार अगर  बेटी भी मॉं के यार से चुदवाने लगी और मॉं की जवानी बेटे को खाने के लिए मिलने लगी तो वे चारों मिलकर तुम्हारा ख़ून कर देंगे । नंदू की शादी तुम्हारी बेटी से करवाने के बाद तीनों मॉं , बेटी और नंदू आराम से रहेंगे । 

मंजु की बात सुन राजीव बेड से नीचे आकर खड़ा हो गया और मंजु को रुम से बाहर जाने कहा । मंजु भी चुपचाप अपने कपड़े उठाकर रुम से निकल गई और अपने रुम का दरवाज़ा खोला । अंदर घुसी , डोर को बोल्ट कर पेशाब किया और कपिल से लिपट कर ऑंख बंद कर ली । राजीव ने बहुत ज़्यादा थका दिया था । वो जल्दी सो गई । 

क्या मंजु की बातों ने राजीव को ग़ुस्सा दिलाया ? 

हॉं बहुत  ही ज़्यादा ग़ुस्सा दिलाया था । लेकिन वो ग़ुस्सा मंजु पर नहीं अपने आप पर था । राजीव ने अपनी बीबी को छोड़ दिया था फिर भी वो अपने प्रेमी नौकर के साथ राजीव के ही साथ रहती थी । संपा के मॉं बाप ही अपनी बेटी और नौकर दामाद का खर्चा उठाते थे । राजीव के दोनों बच्चे कोलकाता में पढ़ते थे और होस्टल में रहते थे । कई महीने पहले से राजीव देख  रहा था कि दोनों बच्चे जब होस्टल से आते थे तो ज़्यादा समय पिता जी के साथ नहीं मॉं और उसके प्रेमी नौकर के साथ ही गुज़ारते थे । राजीव को लगा कि मंजु ने जो कहा वह सच ही कहा । नंदू के साथ साथ संपा अपने बेटे से चुदवाती है और नंदू अपनी मालकिन प्रेमिका के साथ मालकिन की बेटी को भी चोदता है । 

राजीव इसी उधेड़बुन में रात भर सो नहीं पाया । 

इधर दूसरे कमरे में कपिल से चिपकते ही मंजु सो गई । लेकिन जब उसकी नींद खुली तो देखा कि कंधें को पकड़ कपिल उसे दनादन पेल रहा है। मंजु ने अपने दोनों बाँहों और जाँघों से कपिल को बॉंघा लेकिन पकड़ ढीला ही रखा । राजीव की बात उसे याद थी । 

मंजु ——— हरामी , बहनचोद तेरे सामने नंगा होकर , तुझसे चुदवा कर मैंने बहुत बड़ी गलती की । क्या खाकर आया है मादरचोद , तेरे तीन बार के लगातार चुदाई के बाद मुश्किल से सोईं थी लेकिन राजा तुने फिर पेल दिया । तेरी रानी तेरी चुदाई से , तेरे प्यार से बहुत खुश है । कितना बज गया ? 

“ पौने छह ( ५.४५) . “ 

बोल कर कपिल धक्का मारता रहा और क़रीब १५ मिनट और पेलने  के बाद वो झड़ गया । सारा पानी चूत में ही गिराया । 

२-३ मिनट की चुम्मा चाटी  के बाद मंजु ने कपिल को जाने कहा । 

मंजु ——— राजा , तेरी रानी में अब कोई दम नहीं है । तु बाहर जा और मेरे लिए अदरक बाला एक गरम चाय भेज दे और तु अब इस कमरे में तीन बजे के पहले मत आना । रात जाने के पहले कल जैसा उस नामर्द के सामने फिर एक बार अपने राजा से प्यार करूँगी। 

कपिल ने कपड़े पहने और मंजु नंगी ही उसे डोर तक छोड़ने आई। कपिल को जाते देखते रही लेकिन मंजु को नंगा देखने बाला कोई नहीं था । 

मंजु बाथरूम गई और फ़्रेश होते हुए पिछले दिन से सुबह कपिल के साथ तक की चुदाई के बारे में सोचा । उसे लगा कि चुदाई का ही नहीं , तन बदन और दिलों दिमाग़ को भी सिर्फ़ राजीव के साथ ही संतुष्टि मिली । मंजु ने खुद से कई बार पूछा की राजीव के साथ मस्ती भरी चुदाई के बाद भी कपिल के साथ क्यों बढिया लगा । मुँह हाथ धोकर बाहर आई तो देखा कि बीच रुम में चाय का एक गर्म गिलास लेकर एक दूसरा वेटर अफ़ज़ल खड़ा है । 

मंजु एक ही दिन में पहले प्यारे. कपिल और राजीव के सामने सिर्फ़ नंगी ही नहीं हुई तीनों से जमकर चुदवाया भी । एक और वेटर के सामने नंगा रहने में उसे कोई शर्म नहीं आई । कपिल के जाने के बाद बाथरूम नंगी ही गई थी और नंगी ही बाहर आई । 

यही  अफ़ज़ल रात में विनोद को ले जाने आया था । उसके हाथ से चाय का ग्लास ले एक घुंट पिया । 

मंजु——- तुमने चाय बनाया ?  !

१८-१९ साल के लड़के ने  हॉं कहा। 

अफ़ज़ल—— वैसे हमारा किचन ७ के बाद शुरु होता है लेकिन कपिल ने खुशामद किया इसलिए खुद स्पेशल बना कर लाया हूँ । रात में मैं उपर आया था लेकिन आपका कमरा बाहर से लॉक था । 

मंजु——     किसी को , साहब को भी मत बोलना। तुम मेरे पति को किसी रंडी के पास ले गये । कुछ ही देर बाद एक बहुत खुबसूरत, जवान आदमी मेरे पास आया और मैंने पूरी रात उसके साथ ही गुज़ारी । रुम का ताला खोल रही थी कि कपिल दिख गया तो उसे चाय के लिए कहा । मेरे पास कुछ देर रहना चाहते हो तो दरवाज़ा की कुंडी को लगा दो । कोई मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नंगा देखेगा तो कुछ और ही समझेगा । 

अफ़ज़ल ने दरबाजा का कुंडी लगाया और मंजु के बिलकुल पास आ गया । मंजु बेड पर बैठ गई और पीछे की तरफ़ झूक कर चाय पीते हुए अफ़ज़ल की ऑंखें में देखने लगी । मंजु ने दोनों जाँघों को पूरा फैला दिया जिस से कि लड़के को चूत बढिया से दिखाई दे । 

मंजु —— अब बाहर जाकर सबको बोलोगे कि तुमने १७ नम्बर बाली औरत को नंगा ही नहीं देखा , उसे चोदा । वो भी रंडी  है , रात में दूसरे के रुम में थी । 

अफ़ज़ल और आगे आया और मंजु के दोनों कंधों पर अपना हाथ रखा । 

अफ़ज़ल———- मालकिन, आप कितनी भी बढिया औरत है लेकिन अगर आप अगर इस होटल में रुकी हैं तो भले ही आप किसी से मत चुदवाओ सब आपको रंडी ही समझेंगे । कल सुबह जब से आप आई है बहुत से लोग मैनेजर से , हमसे आप का रेट पुछ चुके हैं । 

मैंने चाय पी लिया तो उसने कप मेरे हाथ से ले लिया और टेबल  पर रखा । 

अफ़ज़ल——- यहॉ की रंडियों का रेट ३०० /- रुपया घंटा है । मुझसे जिस ने भी पुछा मैं ने कह दिया कि आप रंडी नहीं है । अपने पति के साथ आई हैं और गलती से यहॉं रूकी हैं । 

उसकी बातों से मैं बहुत खुश हो गई । दस मिनट से ज़्यादा समय से वह मुझे नंगा देख ही रहा था । मैं ने उसे ध्यान से देखा । कपिल से एक -दो इंच लम्बा था और उससे बढिया पर्सनालिटी थी । लेकिन चेहरे में कोई आकर्षण नहीं था । कपिल खुबसूरत था । 

मंजु———— तुमने मेरे बारे में बढ़िया बात कही तो मैंने भी तुम्हें कितनी देर से अपना खुबसूरत बदन  दिखा रही हूँ । पसंद है । 

अफ़ज़ल और सामने आया । मैं बेड पर पॉंव लटका कर बैठी थी और वो मेरे सामने खड़ा था मेरा चेहरा उसके पेट से बस २-३ इंच की दूरी पर था । मैं इस लड़के से भी चुदवाने के तैयार थी लेकिन शुरूवात इक्के तरफ़ से चाहती थी । उसने देर नहीं की । 

अफ़ज़ल ———- मालकिन, अभी सबा छह ही हुआ है । सात बजे के बाद ही यहॉ हलचल शुरू होती है । मालकिन, इस से पहले आप जैसी हसीन औरत नहीं देखी । आप कोई इस धरती की जन्नत की हूर हैं आगे आप से कब मुलाक़ात होगी उसकी कोई उम्मीद नहीं । आप अनमोल हैं । मुझे एक बार प्यार करने दीजिए, आपका भगवान और हमारा अल्लाह आपको दुनिया की सारी ख़ुशियाँ देगा । प्यान करने दीजिए मालकिन । 

कपिल के बाद एक और वेटर मंजु की प्यारी चूत के अंदर घुसना  चाहता था ,,,,,, अगले भाग में।।। 
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#18
(12-09-2022, 06:46 AM)saya Wrote: लाजबाब कहानी है शानदार

धन्यवाद मित्र । आगे भी है । प्लीज़ कमेंट करो और रेटिंग भी दो ।
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#19
update pls
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#20
जैसा में चाहती थी ये दूसरा  वेटर अफ़ज़ल भी कपिल की तरह मुझे चोदना चाहता था । वो अपने पैंट के बटन खोल रहा था । मैंने लंड पर हाथ रखा । 

मंजु ———-एक बार मुझे चोदोगे , अपना लौडा मेरी बुर में पेलोगे और बाहर जाकर सब के बोल दोगे की १७ नम्बर बाली मंजु है मुफ़्त में भी चुदवाती है। 

अफ़ज़ल ने मेरे दोनों हाथ को उपर उठा कर चुमा । 

अफ़ज़ल —- ना कभी किसी को पता चलेगा कि मैं ने आपको नंगा देखा है ना ही कभी कोई जान पायेगा कि मेरे लौडा ने आपकी चूत को छुआ है । आपके सामने अल्लाह से अपने लिए बद्दुआएँ माॉंगता हूं कि अगर मैं ने आपको बदनाम करने की नीयत से आपका नाम भी लिया तो शहर के सारे कुत्ते और सुअर बीच चौराहे पर मेरी मॉं बहन को चोदेंगे, दोनों की गॉंड मारेंगे । 

मुझे सुनकर भी विश्वास नहीं हुआ कि कोई आदमी किसी को चोदने के लिए अपने को , अपनी मॉं बहन को इतनी बड़ी बद्दुआएँ देगा । 

मैंने अफ़ज़ल को कपड़े खोलने में मदद की और जैसे ही उसका अंडरवियर नीचे गिरा उसका लौडा मेरे ओठों से टकराया । लौडा देखकर ही दिल ख़ुश हो गया । कपिल और विनोद के लौडा से एक डेढ़ इंच बड़ा लेकिन राजीव के लंड से छोटा और थोड़ा पतला । मैंने लंड को हाथों में दवाया । 

मंजु ——-बहुत देर से यहॉं हो कोई ढूँढने आयेगा तो मैं बदनाम हो जाऊँगी । जल्दी से अपना काम करें और जाओ । मुझे तुम्हारा ये लौडा बहुत पसंद आ गया बस इसलिए ही चुदवा रही हूँ , जल्दी चोदो । 

अफ़ज़ल ने कपिल या प्यारे जैसा सहलाया भी नहीं । मुझे नीचे दबाया  और एक मिनट के अंदर ही २४ घंटा के अंदर चौथा नया लंड मेरी चूत में घुसने लगा । कपिल से बढिया लंड था , ताक़त भी उससे ज़्यादा था लेकिन कपिल जैसा प्यार नहीं था । बस पूरी ताक़त से पेल रहा था । मज़ा तो ज़रूर मिल रहा था लेकिन वैसा नहीं जैसा मज़ा प्यारे या कपिल की चुदाई के समय आया था । लेकिन अफ़ज़ल में ताक़त शायद राजीव से ज़्यादा था । मैं अपने को रोक नहीं पाई । मस्ती की सिसकारियों की आवाज़ कमरे में गुंजने लगी । 

अफ़ज़ल —— आपसे पहले अपने एक मामा की बेटी को  ४-५ बार चोदा है । बहुत ही कमसीन और जवान छोकरी है लेकिन उसके साथ वैसी मस्ती नहीं आई जैसी मस्ती आप दे रही हैं । 

हमारी चुदाई चल रही थी । दरवाज़ा पर नॉक हुआ । हम चुदाई करते ही रहे । अफ़ज़ल के मस्त मोटा और कड़क लंड को भी मेरी चूत ने बहुत पंसद कर लिया था । 

“ मंजु खोलो , मैं विनोद हूँ । “ 

मंजु —— अफ़ज़ल, साहब है , दरवाज़ा खोल  और जल्दी से वापस आ कर अपना काम कर । डर मत , साहब के सामने भी ऐसा ही चोदना । 

२-३ धक्का मार कर अफ़ज़ल ने नंगा ही डोर  खोला। विनोद ही था । विनोद से कुछ बोले बिना एक मिनट के अंदर ही फिर से मुझे चोदने लगा । विनोद ने डोर बोल्ट किया , कुछ देर बग़ल में खड़ा होकर चुदाई देखी और बाथरूम चला गया । मैंने बॉंहों और जॉघों से उसे टाईटली बॉंध कर उससे कुछ कहा और वह मुझे दुबारा चोदने की लालच में मान गया । 

मैं भी बहुत खुश थी । २४ घंटे के अंदर एक से एक बढिया चोदने बाला और साथ ही प्यार करने बाला ४ नया लंड मिला । अगर विनोद कहता कि वह मुझे घर वापस नहीं ले जायेगा तो मैंने सोच लिया था कि इसी होटल की परमानेन्ट रंडी बनकर रहू्गी । पिछली सुबह से चौथा आदमी चोद रहा था लेकिन सब मुफ़्त में । कुछ देर बाद विनोद बाहर आया बिलकुल नंगा और सामने आकर मेरी चुस्तियों  को मसल कर चुमा । अफ़ज़ल खुब दमदार धक्का मारता रहा । बिना कुछ बोले उसमें चुचियो पर से विनोद का हाथ हटाया और खुद दबाने लगा। 

अफ़ज़ल——- साहब, आपकी ये पत्नी इतनी गर्म और मस्त है कि आप ही क्या दुनिया का कोई भी आदमी इसे अकेला नहीं सँभाल सकता । आधा घंटा के ज़्यादा समय से पूरी ताक़त से पेल रहा हूँ लेकिन इस चूत पर कोई असर नहीं । बहुत ही टाईट है अभी भी । आपको अगर इस मस्त माल का पूरा मज़ा ज़िंदगी भर लेना है तो बाहर बालों से हमारे जैसे लंबा मोटे और कड़क लौडा से हर दो-तीन दिन पर दूसरों से भी चुदवाते  रहिए नहीं तो आप अकेले चोदते रहेंगे तो आप एक महिना के अंदर ही मर जायेंगीं । इस बेगम की चूत और जवानी की आग आप को मार डालेगी । बेगम , अब मैं आपके चूत की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर सकता, मैं गया । 

अफ़ज़ल ने मुझे खुब जोंडों से अपनी बॉंहों  में बॉंधॉं  और चूत को रस से भर दिया । उसने चार पॉंव मिनट मुझे बॉंघ कर रखा और चूत से लौडा निकाल कर खड़ा हो गया । 

अफ़ज़ल——- साहब , मैंने अब तक कम से कम १०० से ज़्यादा नंगी जवान औरतों को देखा है , ६-७ मस्त माल को चोद रहा हूँ लेकिन आपकी पत्नी जैसी कोई नहीं । 

मैं भी पूरी संतुष्ट हो गई थी । विनोद के सामने ही मैंने अफ़ज़ल के लौडा को थोड़ी देर चूसा और फिर सहलाने लगी । 

मंजु ——- अफ़ज़ल प्यारे तुमने भी वैसा मज़ा दिया जैसा मज़ा तुम्हारे ये साहब देते हैं । लेकिन मुझे ये लौडा और चाहिए । तुम्हारा दोस्त कपिल कल से ही चोदने क लिए बहुत खुशामद कर रहा है । हम लोग रात ८ बजे निकल जायेंगें  लेकिन मुझे उस से पहला तुम्हारा, कपिल और अपने पति से एक दूसरे के सामने मस्त चुदाई चाहिए । कपिल को समझा कर ले आना ।

“ जरुर ऑंउगां मालकिन “ 

अफ़ज़ल कपड़ा पहनने लगा तो उसे मैं ने हम दोनों के लिए बढिया नाश्ता और चाय भेजने कहा । अफ़ज़ल दरवाज़ा तक गया । घुम कर मेरे पास आ कर नीचे बैठा । तीन बार मेरी चूत को चुमा और बोला , 

“ साहब , आपकी पत्नी की चूत सबसे प्यारी है । “ 
अफ़ज़ल बाहर चला गया और नाराज़ होने के बदले विनोद ने गोदी में बिठा कर मुझे बहुत प्यार किया । 

“ रानी , पूरी रात मैं एक जवान रंडी के साथ था। तीन बार चोदकर जो मज़ा आया उससे ज़्यादा मज़ा तुम्हें सुबह सुबह इस लड़के से चुदवाते देखने में आया । सच रानी बहुत मस्त लगती हो चुदवाने के समय । “ 

न जाने क्यों अपने पति की घटिया बात सुनकर रोना आ गया और रोते हुए मैं ने फ़ैसला लिया कि अब जिस किसी के साथ भी विनोद मुझे चुदाई करते देखेगा मैं उस आदमी का लौडा विनोद से चुसवाउगीं , चाहे वो कोई नौकर या मेरा ससुर ही क्यों ना हो । जल्दी जल्दी मैं ने मुँह हाथ धोया और दूसरा पेटीकोट और ब्लाउज़ पहन लिया । मैं बेड पर दिवाल से पीठ टीकाकर बैठी थी और सामने चेयर पर विनोद बैठा था । मुझे उसकी ढीला लौडा देखना बिलकुल बढिया नहीं लग रहा था । मैंने उसे कपड़े पहनने कहा । विनोद बाथरूम से लुंगी बांधकर आया ही कि , 

तभी डोर पर नॉक हुआ और विनोद  दरवाज़ा खोलता  कि उससे पहले एक आदमी रुम में घुसा । राजीव को अपने रुम में देखते ही मैं चौंक गई लेकिन मेरे दिमाग़ ने तुरंत काम किया । मैं बेड से उतर झुकी और उसके पॉंव को छू कर प्रणाम किया । 

मंजु ——- राजीव काका आप यहाँ कैसे ? काका ये मेरे पति है विनोद, विनोद प्रणाम करो । 

विनोद ने भी प्रणाम किया । राजीव मेरे एक गाल को सहलाते हुए कहा , 

“ मंजु , तुम्हें इतना ख़ुश देख कर मैं बहुत खुश हूँ । बेटा विनोद, अपनी बेटी से २ मिनट ज़रूरी बात करनी है अकेले में । “ 

मैंने इशारा किया , विनोद बाहर गया और डोर को भी बंद करता गया । विनोद कमरे से बाहर गया और मैंने अपना ग़ुस्सा दिखाया । 

मंजु ——- हरामी , बेटीचोद पूरी रात मुझे बर्बाद किया और चूस कर कमरे से निकाल दिया । अब क्या लेने आये हो ? 

लेकिन राजीव मुझे ज़बरदस्ती गोदी में लेकर बेड पर बैठा । 

राजीव ——— खुबसूरत परी , में तुम पर नहीं अपने पर ग़ुस्सा था । तुमने जो कहा उसी पर सोचता रहा और मुझे लगता है कि तुमने जो कहा वही सच है। मॉं,  बेटे और नौकर दोनों से चुदवाती है और वो हरामी मॉं बेटी दोनों को चोद रहा है । मुझे फ़ैक्ट्री जाना था लेकिन आज रात कलकत्ता जाउगॉं और दोनों भाई-बहन से सीधा पुछुंगा । अगर बेटी भी नौकर से चुदवाने लगी है तो चारों को घर से निकाल दूँगा । लेकिन रानी , हमेशा याद रखना ये राजीव तुम्हें जान से ज़्यादा प्यार करता है । हम जल्दी मिलेंगे । 

मुझे गोदी से उतार कर खुब चुमा और मेरे ब्लाउज़ के अंदर कुछ डालकर बाहर जाने लगा । 

मंजु —- राजा , सबसे पहले एक रिकॉर्डर ख़रीद लो । बेटा -बेटी जो भी बोले उन्हें बताए बिना रिकॉर्ड कर लेना । बाद में काम आयेगा । 

कुछ देर मुझे घूरता रहा और फिर सामने आकर चूची मसलते हुए चूमा और बाहर चला गया । 

राजीव के जाते ही ब्लाउज़ में जो रखा था उसे निकाल कर देखा , दिल ख़ुश हो गया । मैंने उस सामान को  बिस्तर के नीचे रख दिया । 

तुरंत ही विनोद के साथ अफ़ज़ल नाश्ता का ट्रे लेकर अंदर आया । प्लेट को टेबल पर रखा और मुझे अपनी बाँहों में बांध खुब चुमा , चूची दबाया और यह बोलकर चला गया कि उसकी ड्यूटी ख़त्म हो गई है । कपिल को साथ लेकर तीन बजे आयेगा । 

“ बाप रे , देखने से लगता नहीं लेकिन बहुत ताक़त है इस अफ़ज़ल में । कपिल से ज़्यादा बढिया से चोदा । “ 

मैंने कहा और हम नाश्ता करने लगे । मैं प्यारे को नहीं भूली थी । हम चाय पी रहे थे कि दरवाज़ा पर प्यारे आ गया । उसे देखते ही पिछले दिन उसके साथ गुज़ारे तीन घंटा याद आ गया । चूत गीली होने लगी , निपल्स कड़े हो गये । लेकिन मैं चुप रही । 

प्यारे——- साहब, मैं प्यारेलाल हूँ । ५ साल से इस होटल में काम कर रहा हूँ । लोगों के बाल काटता हूँ , दाढ़ी बनाता है, रोज़ दो तीन आदमियों और औरत के पूरे बदन की मालिश करता हूँ । बहुत से लोग अपने सामने अपनी पत्नी की झॉंट भी साफ़ करवाते हैं । कल भी आया था लेकिन मालकिन ने मुझसे बात ही नहीं किया । साहब, आप दोनों मालिश करवा लीजिए । विश्वास  दिलाता हूँ कि आप दोनों सिर्फ़ मेरी मालिश के लिए ही इस होटल में बार बार आयेंगे । 

मंजु ———  नहीं, हमें मालिश नहीं करबानी , हमें बाज़ार जाना है। 

प्यारे-        मालकिन, ग़ुस्सा मत कीजिए । आपको मालिश नहीं करबानी है, झॉंट साफ़ नहीं करबानी है तो कोई ज़बरदस्ती नहीं है । मालिक , आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन मेरा लौडा देखकर बहुत सी औरतें अपने मर्द से ज़िद्द करती हैं कि उन्हें मुझसे चुदवाने दे । कई औरतें तो मुझे ही बिलकुल पंसद नहीं आती लेकिन कुछ मर्द अपने सामने अपनी घरवाली को मुझसे चुदवाते हैं और खुश होकर मुझे बहुत रुपया पैसा भी देते हैं । 

विनोद ने यह सुना कि दूसरे मर्द अपने सामने अपनी पत्नी को प्यारे से चुदवाते है, सुनकर ही विनोद का दिल ख़ुश हो गया । उसे और क्या चाहिए था । उसने प्यारे से उसके फ़ीस की बात की । 

प्यारे——- मुझे विश्वास है कि मेरा लौडा कितना भी बढिया क्यों न हो आपकी सुंदर घरवाली चुदवाने की बात तो दूर अपना बदन भी छुने नहीं देगी । वैसे एक मालिश का , औरत हो या मर्द बस २००/- लेता हूँ । आौरत या मर्द , झॉंट साफ़ करने का ५०-५० रुपया । लेकिन आपकी खुबसूरत औरत की मालिश भी मुफ़्त में कर दूँगा और झॉंट साफ़ करने का भी कुछ नहीं लुंगा । साहब एक बार मालिश करवा लीजिए. मेरा काम पसंद ना आये तो कुछ मत दीजिए । 

पिछले दिन ये आदमी क़रीब तीन घंटा मेरे साथ रहा लेकिन मैंने इसे एक रुपया भी नहीं दिया था । 

मैंने पिछले दिन इससे कहा था कि मेरे पति को मेरी मालिश के भी तैयार करे । लेकिन इस आदमी ने ऐसी बात कही कि विनोद मुझे प्यारे से बिना चुदवाये इसे बाहर जाने नहीं देगा । जब उसने कहा कि उसका लौडा देख बहुत से आदमी अपनी ऑंखों  के सामने अपनी औरत को प्यारे से चुदवाते हैं तो विनोद ने निश्चय कर लिया कि कपिल और अफ़ज़ल के बाद एक नये,  वो भी बुढ्ढे आदमी से अपनी घरवाली को चुदवायेगा । 

विनोद में प्यारे को दरवाज़ा अंदर से बंद करने के लिए कहा । 

प्यारे ने दरवाज़ा अंदर से बोल्ट किया और रुम में जो आलमारी था उसे खोला और एक गहरा रंग का चादर निकाला । बिना कुछ बोले मंजु के पीठ के नीचे और दूसरा हाथ उसकी चुत्तर के नीचे हाथ डाल उसे बाँहों पर उठाया और टेबल के उपर बिठाया ।

प्यारे ——- मालकिन, आप फूलों की टोकडी से भी हल्की है । मेरे जैसे मर्द के लौडा का एक भी धक्का आपकी मुलायम चूत नहीं सह पायेगी । मालिक , ऐसा चादर हर कमरे में है सिर्फ़ मेरी मालिश के लिए ही रखी हुई है  । 

प्यारे ने बेड पर जो चादर था उसे हटाया नहीं उसके उपर जो चादर अलमारी से निकाला था उसे बिछा दिया । उसने विनोद से कहा कि वह पेशाब कर के आ जाये और बिस्तर पर नंगा लेट जाये । विनोद बाथरूम गया और प्यारे ने पेटीकोट के अंदर हाथ डाल कर चूत को खुब मसला । 

मंजु—— अपने साहब से खुशामद करो  कि मालिश करने के पहले मुझे भी नंगा कर दे और तुम भी पूरे नंगे हो जाओ ।कल से तेरे लंड के लिए तरस रही हूँ ,  जब तक दो बार मुझे नहीं चोदोगे, मस्त नहीं  करोगे ,  रुम से बाहर नहीं जाने दू्गी । 

बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई और प्यारे अलग हट गया । विनोद नंगा ही बाथरूम से निकला । 

प्यारे———बहुत बढिया शरीर है आपका साहब । मालकिन जैसी खुबसूरत , बढिया माल के लिए आपके जैसा ही खुबसूरत आदमी चाहिए । आप बहुत क़िस्मत बाले हैं कि इस होटल के मालिक अभी विदेश गये हैं । अगर उन्होंने इस मस्त माल , आपकी प्यारी घरवाली को देख लिया होता तो किसी भी किमत पर ख़रीद लेते । कुछ महिना दिन रात खुद चोदते और बाद में उंची किमत पर धंधा करबाते । मैंने अभी तक मालकिन की चूत नहीं देखी है लेकिन विश्वास से कह सकता हूँ कि मालकिन जैसी बढिया और प्यारी चूत किसी और की नहीं होगी । 

इस हरामी ने आज लंड नहीं दिखाया था लेकिन अपनी बातों से ही हरामी ने मुझे पुरा चुदासी बना दिया था । प्यारे ने बिनोद को बेड पर लेटने के लिए कहा और पिछले दिन जैसा उसने अपना एक अंडरवियर छोड़ सब खोल दिया । पिछले दिन शुरु में अंडरवियर के उपर से लंड का कोई हलचल नहीं दिखा था । लेकिन अभी लौडा अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आना चाहता था । 

मंजु ——— ऐसे कपड़े, अंडरवियर पहनने से क्या फ़ायदा! तुम्हारा डंडा तो दिख ही रहा है । 

प्यारे——— क्या करूँ मालकिन ! मैं तो बाहरी आदमी हूँ । आप इतनी बढ़िया माल है कि आपके भाई, चाचा , घर के दूसरे मर्दों के साथ आपके बाबू जी भी आपकी चूत और चूची के नाम पर लौडा हिलाते होंगें किसी को भी चोदते होंगे तो यही सोचते होंगे कि वे किसी और को नहीं आपकी चूत में ही लौडा पेल रहे हैं । मालिक , आपका लौडा चुस दूँगा , मालकिन का चूत भी चाट दूँगा , साहब मालकिन को नंगा देखते हुए मालिश करूँगा तो आपको भी बहुत बढिया लगेगा । मालकिन की प्यारी चूत देख कर मालिश करने में ग़ज़ब का मज़ा आयेगा । 

मैं जानती थी कि अगर प्यारे ने पहले मुझे नहीं चोदा होता तो इस तरह की गंदी बातें करने की उसकी हिम्मत नहीं होती । वह बार बार मुझे माल बोल रहा था , मुझे नंगा करने की बात कर रहा था , मेरी चूत देखने की बात कर रहा था और विनोद ना उसे टोक  रहा था ना ही कुछ बोल रहा था । मैं भी चुप रही । ना मैंने प्यारे को अंडरवियर खोलने कहा और ना जाने क्यों विनोद ने भी मुझे नंगा होने नहीं कहा । मैं ने सोच लिया था कि जब तक बिनोद खुद मुझे नंगा होने , प्यारे से चुदवाने नहीं बोलेगा मैं ना नंगी होउंगी ना ही चुदवाउंगी । कल से सुबह तक ४ आदमियों का लौडा खा चुकी थी । 

विनोद को पेट के बल लेटने बोल प्यारे ने एक कटोरे में तेल लगाया । तेल को अपने दोनों हाथों में लगाया और विनोद के पीठ , पैर, जाँघों पर तेल गिराया और दोनों हाथों से बदन की मालिश करने लगा । क़रीब १५ मिनट उसने विनोद के पिछले हिस्से, पीठ , जाँघें , चुत्तर ही नहीं गॉंड में भी तेल लगी हुई अंगुली के अंदर बाहर किया । १५-१६ मिनट बाद विनोद को सीधा किया । विनोद की नज़र मुझसे मिली । 

विनोद———सच मंजु , बहुत ही बढ़िया मालिश कर रहा है। बदन बहुत हल्का लग रहा है। तुम भी करवा लो , बहुत मज़ा आयेगा । 

मैं चुप रही । 

प्यारे ने पीछे की तरह सामने भी विनोद के पैर, जाँघें, कमर, छाती , बाँहें सब पर तेल की बुंदे गिराई और दोनों हाथों से मालिश करनी शुरू की । कभी अंदरूनी जॉबों , लौडा को भी मसलता था । मुझे यह देख कर ख़ुशी हो रही थी कि इतनी दे की मालिश के बाद भी विनोद का लौडा पूरा टाइट था । दोनों बेड पर थे और मैं क़रीब ४०-४५ मिनट से टेबल पर ही बैठी थी । पिछले दिन प्यारे ने सिर्फ़ मेरे पैर और चुत्तरो को ही दवाया था वो भी बिना तेल लगाये लेकिन अभी ४५ मिनट से विनोद की तेल से ही मालिश कर रहा था । 

प्यारे———- साहब, अब आपके पूरे बदन की मालिश हो गई । अगर मालकिन मालिश नहीं करवायेंगी तो मैं हाथ धो लेता हूँ । 

मंजु ——- तुमने अभी पूरी मालिश कहॉं की । लौडा तो तुमने छुआ ही नहीं । लौडा भी बदन की ही हिस्सा है ना,  तो उसे भी मालिश चाहिए । लौडा की भी मालिश करो । 

प्यारे ने दोनों हाथों को फिर से तेल में डुबाया और दोनों हाथों से लौडा को मसलते हुए उपर नीचे करने लगा । 

प्यारे———— मालकिन, आप जो भी बोलेंगी सब करुंगा । इतने देर से कमरे में सबसे मस्त खुबसूरत औरत के इतने नज़दीक हूँ । चोदने नहीं देंगी तो कम से कम अपने खुबसूरत बदन की मालिश करने दीजिए । जब तक आप नहीं बोलेंगी तो चूत से लौडा नहीं सटाउंगा ।मालकिन आपका खुबसूरत बदन नहीं देखूँगा , नहीं छुउगॉं तो मर जाउंगा। 

विनोद——- रानी , तुम तो बहुत ही खुले दिमाग़ की औरत हो । और ये प्यारे काका तो हमारे तुम्हारे बाबू जी से भी १०-१२ साल बड़ा होगा । जैसे तुम अपने बाबू जी या मेरे बाबू जी के सामने भी नंगी रहोगी तो वे तुम्हें चोदने का सोचेंगे भी नहीं वैसे ही इस प्यारे के सामने भी नंगी रहोगी तो ये तुम्हें नहीं चोदेगा और अगर इसका लौडा तुम्हारी चूत में घुस ही गया तो क्या होगा ? इसके साथ साथ तुम्हें भी किसी नये लंड का मज़ा मिलेगा । 

२-३ मिनट मैं चुप रही । प्यारे लौडा सहलाता रहा और विनोद के लौडा ने पानी छोड़ दिया । मैंने फिर विनोद को नीचा दिखाने का फ़ैसला किया । 

मंजु ——— विनोद, तुम प्यारे के लौडा को सहलाओ , चूसो और अगर इस बुढ्ढे के लौडा ने १० मिनट के अंदर पानी नहीं छोड़ा तो मैं अभी अपनी झॉंट साफ़ करबाउंगी । चलो तुम प्यारे का लौडा चूसो , बाद में मैं दोनों का लौडा चूस दूँगी । 

मेरा इतना बोलना था कि प्यारे बेड से नीचे उतरा । मेरी तरफ़ देखा और मैं ने नॉड किया । प्यारे ने अपना अंडरवियर खोला और और उसे नीचे गिराया । लौडा देखकर मैं तो खुश हुई ही विनोद भी उठकर बैठा और एक हाथ से लौडा को पकड़ लिया । 

विनोद——- वाह , क्या मस्त लौडा है । मंजु शर्म  छोड़ो और इससे अभी यहीं चुदवा लो । जल्दी ऐसा लंड हाथ में नहीं आयेग। उफ़ प्यारे मज़ा आ गया ये मस्त लौडा देखकर । 

मंजु ——- विनोद, तुम्हारी घरवाली हूँ , जब जिससे चुदवाने बोलोगे चुदवा लुंगी लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये लौडा मेरी गर्म रसीली चूत में एक मिनट भी टाईट रह पायेगा । इसीलिए कह रही हूँ कि तुम पहले चेक कर लो । अगर तुम्हारे मुँह में दस मिनट भी टाईट रह गया तो तुम जितना बार बोलोगे चुदवा लूँगी । बोलोगे तो गॉंड भी मरवा लुंगी । देखो तो सही कितना देर कड़ा रहता है। 

प्यारे——— साहब अब देर मत करो । आप मेरा लौडा दस मिनट चूस लो फिर आप जितनी देर बोलोगे मैं आपकी पत्नी की बूर चाट दूँगा , आजतक मैंने किसी की बूर में मुँह नहीं लगाया है । 

प्यारे, चित भी मेरी पट भी मेरी , बाली बात कर रहा था । पिछले ही दिन मैं प्यारे का ताक़त देख चुकी थी । एक हाथ से उसने विनोद का माथा पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लौडा विनोद के मुँह में पेलने लगा। मैं टेबल से उतर विनोद के बिलकुल पास आ गई । उसके दोनों हाथों को पकड़ अपनी चूचियों पर रखा । विनोद ने प्यारे का लौडा चुसते हुए ब्लाउज़ के सारे बटन खोल कर ब्लाउज़ को मेरे बॉडी के बाहर निकाला । विनोद ने प्यारे का एक हाथ पकड़ कर मेरी चूचियों पर रखा । प्यारे चूची दवाने लगा । 

प्यारे——- साहब , अपनी जवान बहु को अब ५ साल से चोद रहा हूँ । उसकी चूची भी बढिया है लेकिन आपकी पत्नी की चूचियों का कोई जबाब नहीं । बहुत ही बढ़िया माल है ये । 

प्यारे चूची मसलते हुए विनोद के मुँह में लौडा अंदर बाहर करता रहा और विनोद ने पेटीकोट का नाड़ा खोल पेटीकोट भी मेरी बॉडी से बाहर निकाल दिया । 

विनोद——- रानी , पॉंव पूरा फैला कर बैठो । 

प्यारे क़रीब ५-६ मिनट लौडा चूस चूका था । मुझे नंगा देख उसने मेरी ओर देखा । मैंने माथा हिलाया । वो समझ गया । 

प्यारे ने विनोद को धक्का दिया । मुझे नीचे दवाया । 
 प्यारे ——— उफ़ साहब, मैं ने जितना  सोचा था आपकी पत्नी की चूत उससे कहीं ज़्यादा प्यारी है , अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। 

प्यारे ने लौडा को चूत के छेद से सटाया और एक ज़ोरदार धक्का । 

“ बाप रे मर गई “ 

प्यारे रुका नहीं , एक के बाद एक लगातार करारा झटका दे दे कर लौडा अंदर पेलता गया और मैं मस्ती के झूले में झूलने लगी । विनोद भी मेरे नंगे शरीर को दबाता रहा , सहलाता रहा । कपिल या अफ़ज़ल जैसा प्यारे ने विनोद का हाथ नहीं हटाया । सिवाय चूदाई की फच फच और मेरी मीठी सिसकारी के अलावा रुम में कोई और आवाज़ नहीं आ रही थी । 

पिछले  दिन जब प्यारे ने चोदा तो बहुत ही बढ़िया लगा था । कपिल की चुदाई भी पसंद आई लेकिन विनोद ने जब कहा कि उसे किसी दूसरे के साथ मेरी चुदाई देखना बहुत पसंद है तो पहले बहुत ग़ुस्सा आया था । लेकिन सिनेमा हॉल में राजीव की हरकतों ने मेरी शरम पूरी तरह से ख़त्म कर दी । अब मैं किसी के साथ भी कहीं भी आराम से चुदवा सकती थी । अब मुझे इसका भी डर नहीं  था कि विनोद मुझे छोड़ देगा । 

ख़ैर, उस समय प्यारे मुझे भी रगड़ रगड़ कर झटका दे दे कर चोद रहा था और विनोद नाराज़ होकर नहीं खुश होकर अपनी पत्नी की चुदाई अपने बाप से भी १०-१२ साल बड़े उम्र के आदमी के साथ देख रहा था । देख ही नहीं रहा था मेरी चूची , जाँघों को सहलाते हुए  मजा भी ले रहा था । 

विनोद——— प्यारे , तुम्हें अपने से इतनी छोटी उम्र की लड़की को चोदते देखना बहुत ही बढ़िया लग रहा  है । तुम इस होटल में रोज़ किसी ना किसी को चोदते हो ? 

खुब जमा कर पेलता हुए प्यारे ने वही कहा जो वो मुझे कल बता चुका था । 

प्यारे———- नहीं साहब , इस होटल में ५ साल से ज़्यादा समय से काम कर रहा हूँ लेकिन आपकी पत्नी सिर्फ़ दूसरी माल है जिसे चोद रहा हूँ । सिर्फ़ आपको गर्म करने के लिए मैं ने कहा था कि दूसरे मर्द अपने सामने अपनी औरतों को मुझसे चुदवाते हैं । 

जो कहानी प्यारे ने पिछले दिन मुझे सुनाई थी वहीं उसने विनोद को भी बताया । प्यारे की बात सुन विनोद को प्यारे की बहु पर प्यार आ गया । 

प्यारे अपनी कहानी सुनाते हुए भी दमदार धक्का लगाता रहा और साथ ही मेरे अंग अंग को सहलाता दबाता रहा । इस बुढ्ढे को बढिया से मालूम था कि मेरे जैसी कमसीन जवान माल को क्या चाहिए और कैसा मस्ती चाहिए । आख़िर ५ साल के ज़्यादा समय से अपनी जवान बहु की जवानी को खुश कर ही रहा था । 

विनोद——- हम आज रात ८ बजे ये होटल छोड़ देंगे लेकिन अगर तुम चाहो तो अपनी इस प्यारी बेटी को फिर से जल्दी चोद सकते हो । पूरी रात तुम दोनों को अकेले छोड़ दूँगा । लेकिन तुम्हें मेरी एक बात माननी होगी । 

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि विनोद कैसे कह रहा है कि रात को यहॉं से जाने के बाद भी प्यारे मुझे कैसे और कहाँ चोद पायेगा । मैंने सोचा कि कुछ दिनों बाद विनोद खुद मुझे दुबारा लेकर आयेगा । सच में प्यारे को मैं बहुत पसंद आ गई थी । 

प्यारे———- साहब, अपनी इस प्यारी बेटी को एक बार नहीं जब तक जान है तब तक मैं इस माल को, आपकी पत्नी को चोदते रहना चाहता हूँ । बोलिए मुझे क्या करना पड़ेगा ? आप जो बोलोगे सब कुछ करुंगा । ज़िंदगी भर आपका लौडा चुसता रहुंगा  लेकिन मुझे ये मस्त माल बार बार रोज़ चाहिए । 

मुझे चुदाई की मस्ती के साथ अपने पति और मुझे चोद रहे बाप से भी ज़्यादा उम्र के बीच की बातचीत भी बहुत मस्त कर रही थी । 

विनोद——- मेरा लौडा नहीं चुसना है । जैसे तुम मेरे सामने मेरी पत्नी का मज़ा लूट रहे हो आज ही मुझे अपनी बहु की जवानी का मज़ा लुटने दो , अपने सामने उसे मुझसे चुदवाओ । हम आज रात यहाँ से जा रहे हैं । तुम अपनी बहु को साथ लेकर हमारे घर आओ, कुछ दिन हमारे साथ रहो , रोज़ अपनी इस माल को चोदो , गॉंड मारो । हम वहीं तुम्हारे लिए इससे बढिया काम भी ढुंढ देंगे लेकिन तुम मुझे अपनी बहु के चोदने से कभी नहीं रोकोगे । 

मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि विनोद “ ऑंख के बदले ऑंख “ की बात करेगा । मुझे लगा कि प्यारे अपनी बहु को दूसरे से चुदवाने की बात नहीं मानेगा । लेकिन प्यारे चुप रहा । खुब जमा जमा कर चोदता रहा । प्यारे इतनी तेज़ी से चोदने लगा कि मुझे लगा कि वह अब झड़ने वाला है ।

 मंजु ———— प्यारे, बुर में पानी मत गिराना । लौडा बाहर निकाल लेना । 

विनोद के लौडा को ज़ोरों से मसलने लगी । 

मंजु ——— विनोद, तुम जब मेरी चूत चाटते हो तो मुझे बहुत मज़ा मिलता है । लेकिन चाटने चूसने से भी  चूत के अंदर की माल का मज़ा तुम्हें नहीं मिलता होगा । लेकिन प्यारे का ये आठ इंच से भी लंबा लौडा चूत के पूरा अंदर तक एक घंटा से ज़्यादा समय से खुदाई कर रहा है । लौडा के चारों तरफ़ मेरी ही चूत का माल, अंदर का माल लगा है । इस लौडा को चुसोगे तो तुम्हें मेरी चूत के अंदरूनी माल का भी स्वाद मिलेगा । प्यारे मेरी चूत की तेरे लौडा ने चटनी बना दी है अब साहब को भी मेरी चूत के अंदर का स्वाद लेने दो । 

प्यारे ने कुछ और धक्का मारा । मैं ने ऑंखों से प्यारे को इशारा किया । प्यारे ने चूत से लौडा बाहर खींचा और दोनों हाथों से विनोद को मेरा बग़ल में दबाया और २०-२५ सेकेंड के अंदर पुरा लौडा विनोद के मुँह में पेल दिया । 

मैं यह सोच रही थी कि विनोद लौडा बाहर निकालने की कोशिश करेगा लेकिन नहीं उसने लौडा को पकड़ कर सँभाला और लौडा को आराम से अंदर बाहर होने दिया । मुझे अपने पति पर दया आ गई । 

मंजु ———— विनोद, मैंने सिर्फ़ अपनी चूत के अंदरूनी माल का स्वाद लेने के लिए लौडा नहीं चुसवा रही हूँ । मैंने पढ़ा और सुना है कि मज़बूत आदमी के लौडा का रस पीने से सिर्फ़ औरत ही हर हमेशा जवान नहीं रहती आदमी भी मज़बूत और ताकतवर आदमी के लौडा का रस पीता है तो वो उसकी भी ताक़त और जवानी बड़ती जाती है। प्यारे जैसा पूरी ताक़त और ज़्यादा देर तक चोदने वाले का रस पियोगे तो तुम भी सिर्फ़ मुझे ही नहीं किसी भी माल को बहुत बहुत देर तक चोद पाओगे । जब भी मौक़ा मिले प्यारे जैसे मर्दों का रस पीते रहो । 

मैं ने सिर्फ़ बोल कर अपने पति का मन नहीं बहलाया । देखा कि विनोद का लौडा ढीला पड़ने लगा है। वो प्यारे का लौडा चूस रहा था और मैं उसकी थाती पर चूचियों को रगड़ते हुए पति का लौडा चुसने लगी । जितना सोचा था उससे जल्दी ही विनोद का लौडा टाईट हो गया । प्यारे के बदन को पकड़ कर मैं ने अपनी चूत को विनोद के लंड पर सेट किया और मैं पहली बार किसी को उपर से चोदने लगी । विनोद का लौडा भी चूत के दिवालों को बढिया से रगड़ रहा था । सच मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था । लेकिन ये मस्ती ज़्यादा देर तक नहीं रहा । जैसे ही प्यारे उसके मुँह में झड़ने लगा विनोद के लौडा ने भी पानी छोड़ दिया । 

मंजु ———- विनोद एक बूँद भी बर्बाद मत होने देना , प्यारे , साहब को पूरा रस पिलाओ , अपनी पूरी ताक़त दे कि साहब भी हर बार मुझे तुम्हारे जैसा ही खुश कर सके । 

मैंने जो कहा वो मैंने सुना. पढ़ा जरुर था लेकिन सच में लौडा का रस पीने से कोई फ़ायदा होगा या नुक़सान मालूम नही था । पिछली रात राजीव ने कहा था कि अगर ४-५ घंटा कोई नुक़सान नहीं हुआ तो फिर कुछ नहीं होगा। राजीव के लौडा का रस पिए ९-१० घंटा हो गया था और मैं बिलकुल दुरुस्त थी । 

कुछ देर रुम में शांति रही । पहले प्यारे ने विनोद के मुँह से लौडा बाहर खींचा । हमने कुछ पूछा नहीं, विनोद ने खुद पूरा मुँह खोल दिया । उसके मुँह में जो भी कुछ बूँदें बची थी हमें दिखाते हुए विमोद ने पूरा निगल लिया । 

विनोद———— तुमने ठीक कहा रानी, तुम्हारा चूत चाटता हूँ, तब तो मज़ा आता ही है , लौडा पर लगा चूत के अंदर के  रस का स्वाद सच बहुत ही बढ़िया था । अब तुम जब भी किसी से मेरे सामने चुदवाओगी तो हर बार चूत से निकला लौडा पहले मैं ही चूसूँगा । 

मेरी बूर में लौडा फिर आज एक घंटा से ज़्यादा रहा । लौडा पर ज़रूर ही चूत के अंदर का बहुत रस जमा हुआ होगा । विनोद ने लौडा को बिलकुल साफ़ कर दिया था । मैं सोच रही थी कि प्यारे का लौडा चूसा कर अपने पति की बेइज़्ज़ती करुंगा कि वो मुझे अपने सामने दूसरों से चुदवाते देखना चाहता है लेकिन यहाँ तो मेरा पति खुद ही उन सभी मर्दों का लौडा चूसना चाहता है जो मुझे चोदेगा । मैं तब भी विनोद के ढीले लौडा को चूत के अंदर ले कर  बैठी थी । 

विनोद———- काका , अब तो मेरी पत्नी की चूत को चोद भी लिया । कैसी है मेरी पत्नी की चूत ? 

प्यारे———— साहब, आपकी पत्नी की चूत सबसे प्यारी है । 

विनोद——— तुमने कहा था कि मेरी पत्नी को नंगा देखोगे तो मैं जो भी बोलुंगा सब करेंगे , मेरा लौडा भी चूसोगे ।  अब अगर तुम अपनी इस बेटी की नंगी जवानी से फिर खेलना चाहते हो तो मेरा लौडा चूसो और तब तक चुसते रहो जब तक यह पूरा टाईट ना हो जाओ और मंजु तुम भी दिखाओ कि तुम कैसे लौडा चूसती हो । तुम प्यारे का लौडा चूसो और प्यारे मेरा लंड चूस कर टाईट करेगा । 

विनोद की आवाज़ में मैंने इतना कडकपन पहले नहीं सुना था । २ मिनट हम दोनों वैसे ही बैठे रहे । 



आगे और भी है ,,,,,, 


 
‘LIVE LIFE CHAMPA STYLE
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