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Incest दीदी का प्यार और चुदाई
#1
दीदी का प्यार और चुदाई

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी माँ हर रोज की तरह काम पर गई हुई थीं.. उस दिन मेरा कॉलेज जाने का मन नहीं था.. तो मैं घर पर ही रुक गया। मॉम काम पर गई थीं और सोनिया अपने कॉलेज चली गई थी। वो फाइनल ईयर में थी और मैं फर्स्ट ईयर में था।

मॉम रात को लेट ही आती थीं इसलिए घर का सारा काम सोनिया दीदी ही करती थी कॉलेज से आने के बाद!

हम दोनों अलग अलग कॉलेज में पढ़ते थे। दीदी रोज 4 बजे आती थी और मैं 5 बजे आता था। वो आने के बाद रोज नहाती थी.. फिर घर का सारा काम करती थी। जैसे ख़ाना बनाना, सफाई करना.. ये सब उसे ही करना पड़ता था क्योंकि मॉम थकी हुई आती थीं इसलिए मॉम ज़्यादा कुछ नहीं करती थीं।

इसी तरह हमारी जिंदगी चल रही थी।

उस दिन मैं घर पर अकेला था और बोर हो रहा था। मेरा रूम अलग था और मेरी दीदी और मॉम का अलग रूम था।
मैं बोर हो रहा था तो सोचा क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए। मैंने अपने रूम में जा कर ब्लूफिल्म की सीडी टीवी पर लगा ली और देखने लगा।

लगभग 12 बजे का टाइम रहा होगा और फिर मैं कंडोम पहन कर मुठ मारने लगा।

करीब 5 मिनट बाद मैं फारिग हो गया और ऐसे ही कंडोम साइड में टेबल पर रख कर अपने कपड़े पहन कर बाहर चला गया। मैंने सोचा आकर फेंक दूँगा। बाद में जब मैं 30 मिनट बाद घर आया तो मुझको याद नहीं रहा और मैं सो गया।

मेरे घर की 3 चाभियां हैं.. मतलब सबके पास एक-एक है। मैं सो रहा था मेरी दीदी ने दरवाजे पर दस्तक दी। लेकिन मैं थका हुआ था तो गेट नहीं खोला। तो उसने ही अपनी चाभी से गेट ओपन कर लिया और अन्दर आ गई, मुझको उसके आने का पता भी नहीं चला।

उसने अन्दर आकर रोज की तरह कपड़े चेंज किए और सब्जी आदि काटी ताकि रात के खाने की तैयारी कर सके।

फिर वो सफाई करने में लग गई। इतने में मेरी नींद भी खुल गई.. तब तक वो अपने और मॉम के कमरे की सफाई कर चुकी थी। मैं उठ कर बाथरूम में गया और उसी वक्त वो मेरे कमरे में सफाई करने चली आई।

मुझको याद ही नहीं रहा कि मेरे कमरे में टेबल पर मेरे माल से भरा हुआ कंडोम रखा हुआ है। उसने पूरे कमरे की सफाई की और जब मैं आया तब तक वो रसोई में जा चुकी थी। मुझको अपने रूम में आते ही याद आया कि मेरा कंडोम तो यहीं रखा हुआ था। मैंने जल्दी से देखा तो वो वहां नहीं था। मैंने टेबल के चारों तरफ देखा और समझ गया कि मेरी बहन को वो दिख गया था और उसने फेंक दिया होगा।

यह सोच कर तो मेरी हालत खराब होने लगी। मैं डर के मारे दीदी से पूछने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहा था लेकिन पूछना भी ज़रूरी था कहीं वो ग़लती से भी मॉम को ना बता दे।

मैं डरते-डरते उसके पास गया तो वो मुझको गुस्से से देखने लगी।
मैंने पूछ लिया- क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो?
उसने कहा- भैया, आपको नहीं पता मैं क्यों देख रही हूँ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मैं अनजान बना रहा और जब मैंने 3-4 बार पूछा तो उसने वो कंडोम दिखा दिया और बोली- ये है इसकी वजह!
उस वक़्त मानो मेरे पैरों के नीचे से तो ज़मीन ही निकल गई थी। मैंने उसी वक़्त उसके पैर पकड़ लिए।

वो नहीं मान रही थी.. कह रही थी- आने दो मॉम को.. फिर वो ही तुझको माफ़ करेंगी।
मैं डर गया था.. मैंने उसको काफ़ी समझाया।

जब वो नहीं मानी तो मैं गुस्से में आ गया और उससे कहने लगा- हाँ अगर मैंने ये सब किया है तो क्या गलत किया है? सब करते हैं और तो और मॉम भी करती हैं.. तुझको क्या लगता है.. मॉम रोज किसी काम पर जाती हैं? वो रोज ये सब काम करती हैं तभी हमारे घर का गुजारा चल रहा है और जानती भी हो.. मुझको ये सब कैसे पता चला?
‘कैसे..?’

‘एक दिन मैं मॉम के ऑफिस गया था तो वहां पर मैं गेट पर खड़ा हुआ था। उधर गार्ड मॉम के बारे में बात कर रहा था.. उसको नहीं पता था कि मैं रजनी का ही बेटा हूँ। वो वहीं खड़े दूसरे गार्ड को बता रहा था कि रजनी कैसी औरत है.. पूरे स्टाफ को वो कैसे खुश रखती है और आज यहाँ के मालिक के साथ गई हुई है।’
‘फिर..?’

‘फिर मैं उनके मालिक का घर जानता था.. तो मैं वहां पहुँच गया और चुपचाप उनके घर के सामने एक पेड़ पर चढ़ कर देखा तो मॉम और उनका बॉस ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर अपने रूम में खड़े थे और मॉम ने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी। उनके मम्मे बिल्कुल नंगे थे। तब से मुझको पता है.. लेकिन मैंने कभी किसी को भी इस बात को नहीं कहा। यदि तू अब भी मॉम को बताना चाहती है.. तो बता दे।’

दीदी कुछ देर बाद शांत हो गई और उसने कहा- भैया आप ये सब क्यों करते हो.. मॉम की तो मजबूरी है।
मैंने उसको शांत किया और उससे कहा- ये तो सब करते हैं।

इस तरह धीरे-धीरे मैं दीदी से खुलने लगा और उस दिन बात यहीं ख़त्म हो गई लेकिन मेरे मन में सोनिया दीदी को चोदने का दिल करने लगा। उसका 32-28-34 का फिगर भी कमाल का था।

उसने मॉम को कुछ नहीं बताया और अब मैं रोज ही किसी ना किसी तरह उससे सेक्स की बातें करता रहता.. कभी कहता कि तू भी अपनी किसी फ्रेंड के साथ सेक्स करती होगी.. ऐसे ही उससे बातें करता रहता।

एक दिन मैं लगभग 2 बजे के आस-पास ही घर जल्दी आ गया था। उस दिन मेरा मन सोनिया को चोदने का कर रहा था। मैंने उसके कमरे में जाकर उसकी अलमारी में से उसकी ब्रा और पेंटी निकाली और उसको सूँघने लगा। आप मानो या ना मानो लेकिन उस वक़्त मैं सातवें आसमान पर था। उसमें से भीनी-भीनी सी महक आ रही थी और मैं अपनी आँखें बंद करके उसको सोचते हुए मुठ मारने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड का सारा पानी उसकी ब्रा और पेंटी में ही छोड़ दिया और वैसे ही उसकी अलमारी में रख दी.. सबसे आगे ही.. जैसे पहले पड़ी हुई थी।

शाम को मेरी दीदी जब वापिस आई तो हम दोनों थोड़ी सी बातें की और वो कहने लगी कि भैया आज मैं थकी हुई हूँ तो क्या आप घर की सफाई कर डोज?
मैंने कहा- ठीक है..

फिर वो नहाने लिए चली गई। मैं भी फटाफट मौका पा कर उसके बाथरूम की खिड़की के पास जा कर खड़ा हो गया और उसको देखने लगा। उसने अपने येलो कलर के सूट को उतारा तो मेरी आँखें चमक उठीं। दीदी की तनी हुई छाती देख कर मेरा लंड ऊपर-नीचे होने लगा। मेरे मुँह में पानी आने लगा। उसने फिर अपनी सलवार उतारी और फिर ब्रा और पेंटी.. ये देख कर तो मैं पागल सा हो गया था।

क्या बताऊं यारों.. मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहा था और वहीं अपने लंड पर थूक लगा कर मुठ मारने लगा।
पता नहीं कैसे.. मगर मेरी आहट से उसको पता चल गया कि मैं उसको देख रहा हूँ.. और उसने कहा- कौन है वहां खिड़की के पास?

इतने में मेरा पानी निकल गया था। मैंने वैसे ही अपने अंडरवियर ऊपर किया और फिर पजामा ऊपर करके दूसरी तरफ से भाग कर उसके रूम पर नॉक किया।
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#4
मैंने तेज आवाज में पूछा- क्या हुआ.. कौन है?
उसने कहा- कोई नहीं।
और जैसे ही मैं जाने लगा तो उसने फिर से आवाज़ लगाई और बाथरूम के अन्दर से ही पूछने लगी कि भैया आप मेरे रूम में गए थे क्या?
तो मैंने कहा- नहीं..

लेकिन वो समझ गई थी कि मैं ही उसके रूम में गया था और उसकी पेंटी और ब्रा पर मेरा ही माल लगा था। वो बाहर आई और उसने मेरी तरफ देखा।
बोली- आपको क्या चाहिए? आप ऐसी हरकतें क्यों करते हो.. और देखो आप का पजामा भी.. अभी भी आप ही थे ना खिड़की के पास?

तो मैंने कहा- हाँ में ही था और मैं ही तुझको देख कर मुठ मार रहा था और मैंने ही तेरी ब्रा और पेंटी पर अपना माल लगाया है।
यह बोल कर मैं रोने लगा.. उसने मुझको प्यार से अपने गले से लगा लिया और बोली- भैया मैं आपकी मदद करूँगी.. आप अपने रूम में चलो.. मैं आती हूँ।

मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये सब क्या हो रहा है और वो अब क्या करने वाली है।
मैं अपने रूम में जा कर उसके आने का इंतजार करने लगा। दीदी 10 मिनट बाद आ गई और इस वक्त उसने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी ही पहनी हुई थी।

अन्दर आते ही उसने रूम को अन्दर से लॉक कर दिया और मेरे पास आकर बैठ कर कहने लगी- भैया, मैं आप को ऐसा नहीं देख सकती।
और उसने मुझको गाल पर किस कर दिया।

मैंने भी उसको अपने गले से लगा लिया और झट से उसको लिप किस करने लगा। पहले तो उसको जरा सी झिझक सी लगी.. लेकिन कुछ ही देर में वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मैं समझ गया था कि वो भी गरम हो गई है। मैंने उसको किस करते हुए अपने सारे कपड़े भी उतार दिए और उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
वो भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ निकाल रही थी, जिससे मेरा और जोश बढ़ रहा था।

फिर मैंने उसकी ब्रा निकाल दी। उसके बड़े-बड़े बोबे अब आज़ाद हो चुके थे और मैं उन दोनों को बारी-बारी से चूसने लगा। वो मेरे बालों को पकड़ कर और ज़ोर लगा रही थी। फिर मैंने उसकी पेंटी भी निकाल दी और दीदी की गुलाबी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा। वो अब एकदम मस्त हो चुकी थी। मैं उसकी गुलाबी चुत में अपनी जीभ डाल रहा था और उसके मम्मों को दबा रहा था।

फिर मैंने उसको अपना लंड चूसने के लिए कहा.. पहले तो उसने 1-2 बार मना किया लेकिन फिर लंड के टोपे पर अपनी जीभ लगाने लगी। उस वक़्त ऐसा लग रहा था मानो अगर दुनिया में कही जन्नत है तो वो यही है।

वो लंड को अपने मुँह में लेने से डर सी रही थी.. मैंने अचानक से उसके बाल पकड़े और अपने लंड की ओर दबाव लगाकर अपना पूरा लंड उसके गले तक उतार दिया। उसकी आँखों में से आँसू निकल रहे थे.. लेकिन मेरे ऊपर तो मानो भूत सा सवार था.. मैं नहीं रुका। इस तरह एक बार तो मैंने उसके मुँह में ही अपना सारा पानी निकाल दिया।

फिर वो थोड़ी सी दूर हो गई और ज़ोर-ज़ोर से सांस लेने लगी। मैं उसको किस करने लगा और उसको सीधा लिटा कर उसकी चुत को फिर से चाटने लगा।

दीदी के मुँह से आवाजें निकल रही थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… भैया.. ओह अब और मत तड़पाओ.. मुझको प्यास लगी है.. मेरी प्यास बुझा दो.. मैं और नहीं सह सकती।
मैंने अपने लंड का निशाना सीधा अपनी बहन की चुत पर लगाया और एक ही बार में अपना लंड का टोपा सीधा उसकी चुत के अन्दर डाल दिया।
लंड घुसते ही वो चीख उठी- ओह भैया.. इसको बाहर निकालो.. मैं मर गई।
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#5
उसकी आँखों में से आँसू आने लगे.. वो रो रही थी.. लेकिन मैं नहीं रुका और धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करता रहा। जब थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो फिर मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा और मेरा 4 इंच लंड अन्दर घुस गया। उसकी आवाज़ तेज होती जा रही थी.. इसलिए मैं साथ ही साथ उसको लिप किस भी करने लगा।

फिर एक और ज़ोरदार झटका मारते ही मेरा 7 इंच लंबा लंड मेरी बहन की चुत में जड़ तक था।

वो रो रही थी , शायद मैंने ही दीदी को चोदा पहली बार… उसका यह फर्स्ट टाइम था.. इसलिए शायद उसको ज़्यादा दर्द हो रहा था। मैं अपने चरम पर था.. मैंने बिना कुछ सोचे और ज़ोर से धक्के देने लगा। करीब 15 मिनट बाद जा कर मैं उसकी चुत में ही झड़ गया और कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा। मेरा लंड उसकी चुत में ही पड़ा था।

जब कुछ मिनट बाद मैं उठा तो मेरी बहन मेरा लंड देख कर डर गई। उसने देखा कि मेरे लंड पर उसकी चुत का खून लगा हुआ था। वो ये देख कर रोने लगी। फिर मैंने उसको समझाया और हम दोनों नहाने चले गए।

उस दिन हम दोनों एक साथ ही नहाए और फिर मैंने उसको आराम करने को कहा।
तो उसने कहा- अभी सब्जी रोटी बनानी है.. मॉम आने वाली होंगी।
तो मैंने कहा- तू चिंता मत कर, मैं आज बाहर से ही ले आऊंगा।

जब रात को मॉम आईं तो मैं तब तक बाहर से खाना ला चुका था तो मॉम को लगा शायद सोनिया की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए उसने खाना नहीं बनाया। लेकिन मैंने कहा- आज हमारा मन बाहर के खाने का था.. इसलिए नहीं बनाया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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