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Fantasy बरसात की रात
#1
बरसात की रात

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैं बिना इरादा ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक कोई मुझसे टकराया मैंने नज़र उठा कर देखा तो करीब 45-46 साल की एजेड लेडी रही होंगी, मगर मैंटैन बहुत थी.

मैं भी ख्याल में था और वो पता नहीं कैसे मुझसे टकरा गयी. मुझे अचानक होश आया तब मैं हड़बड़ा कर उनसे सोरी बोला.
उनके पोली बेग से कुछ सामान गिर गया था और वो बैठ कर उठा रही थी. उनका ब्लाउज़ काफ़ी टाइट था जिसके अंदर उनकि बड़ी-बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थी।

हालांकि उन्होंने पल्लू डाल रखा था मगर पिंक कलर की झीनी सी साड़ी से सब साफ़ नज़र आ रहा था, मैं खड़े-खड़े उनके बूब्स का नज़ारा देख रहा था तब ही जैसे मैं नींद से जागा और मैं भी उनका सामान उठाने में मदद करने लगा।

तभी मैंने कहा- सोरी आंटी, मेरी वजह से आपका सामान बिखर गया.
वो बोली- कोई बात नहीं बेटा!

और सारा सामान रखने के बाद वो मुझसे बोली- बेटा तुम नयी जेनेरेशन की यही एक प्रोब्लम है, हर कोई कहीं ना कहीं खोया रहता है।
मैं शर्मिंदा होते हुए बोला- नहीं आंटी ऐसी बात नहीं है आप गलत सोच रही है।

फ़िर उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा, क्या तुम कोफ़ी पीना पसंद करोगे?
मैंने तुरंत ही हां में जवाब दिया।

और फ़िर हम लोग वहीं पास के कोफ़ी शोप पर बैठ गये वहां ज्यादा तर कॉलेजी लड़के और लड़कियाँ ही थे।

वो उन सबको देख रही थी, फ़िर अचानक मेरी तरफ़ देख कर पूछा बेटा आप क्या करते हो?
मैंने कहा- आंटी, मैं ला कर रहा हूं।
वो बोली- बहुत खूब मगर तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब कॉलेजी लड़कों की तरह नयी तितलियों को ताक रहे थे?

उन्होंने जिस अंदाज़ में ये बात कही मुझे अज़ीब सा लगा मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है खैर आप बतायें आप कहां से आ रही थी?
तब वो हंसते हुए बोली- क्या बेवकूफ़ी भरा सवाल करा? अरे भाई शौपिंग कर के आ ही रही थी कि तुमने धक्का मार दिया. अच्छा ये बताओ घर में और कौन-कौन है आपके बेटा?

मैंने कहा- मम्मी, पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में?
'मैं और मेरी बेटी!' उनका छोटा सा जवाब मिला।
मैंने पूछा- और अंकल?
वो बोली- बेटा, वो ऐयरफ़ोर्स में हैं और मेरा बेटा भी वहीं ट्रेनिंग कर रहा है।
बहुत उदासी भरी थी उनकी बातों में!

तब ही अचानक मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी हम लोग बहुत देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे करीब 2 घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तो आंटी कुछ परेशान हो गयी.
मैंने पूछा- क्या बात है आंटी? आप कुछ परेशान सी हैं?
तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा- बेटा 8 बज रहे हैं और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा. और कोई साधन भी नहीं मिलेगा अब तो!

मैंने कहा- आंटी, मेरा घर करीब में ही है, आप चाहें तो चल सकती हैं!
तब वो बोली- बेटा, असल मे घर पर नेहा अकेली होगी और आजकल का माहौल तो तुम जानते ही हो, जवान लड़की को अकेला नहीं छोड़ना चाहिये!
मैंने कहा- आंटी, आप यहीं रुकें, मैं अभी कार ले आता हूं.
तब वो बोली- बेटा, तुम भीग जाओगे!
मैंने कहा- आंटी, जवान लोगों पर बारिश का असर नहीं होता!

और मैं भाग कर घर गया और मम्मी को बताया कि एक दोस्त के घर जा रहा हूं कोई ज़रूरी काम है.
मम्मी रोकती रह गयी कि बेटा बारिश हो रही कल चले जाना!
मगर मैं रुका नहीं और कार लेकर कोफ़ी शोप पहुंच गया.

पानी अभी भी बहुत तेज़ था वो जैसे ही शोप से बाहर मेरी गाड़ी तक आयी, काफ़ी हद तक भीग चुकी थी और मैं तो पहले ही तर था क्योंकि घर तक जाने में काफ़ी भीग चुका था.

खैर थोड़ी ही देर बाद मैं एक बड़ी सी कोठी के सामने रुका कोठी देख कर मैं हैरान रह गया.
तभी वो कार से उतरते हुए बोली- बेटा, कार पार्किंग में पार्क करके घर में चले आओ, बहुत भीगे हो, चेंज कर लो, नहीं तो सर्दी लग जायेगी.
मैंने कहा- नहीं आंटी, ऐसे कोई बात नहीं, आपको घर तक छोड़ दिया, अब मेरा काम खत्म, मैं चलता हूं, इजाजत दीजिये!
तब आंटी ने थोड़ा डांट कर कहा- जितना कह रही हूं, उतना करो! आखिर मैं तुम्हारी मां कि तरह हूं जाओ गाड़ी पार्क करके आओ!

इतनी देर की बहस में आंटी बिल्कुल तर हो चुकी थी, मैं गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं खड़ी थी. उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी, पिंक साड़ी के नीचे उनकी ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी.

हालांकि मेरे मन में अभी तक उनके लिये कोई गलत विचार नहीं थे मगर आखिर कब तक अंदर का शैतान सोया रहता. उनको इस पोज़ में देख कर मेरे औज़ार में सनसनी होने लगी.
मैं कुछ देर तक उनको निहारता रहा, तब ही वो मेरी आंखों के आगे चुटकी बजाते हुए बोली- कहां खो गये बेटे? तुम किसी डाक्टर को दिखाओ तुम्हारे में कोई मरज़ लगता है ये!
और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी.

अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की नज़र आयी जिसकी उम्र करीब 18 साल की रही होगी. वो मिडी पहने हुए थी और सूरत से बहुत परेशान नज़र आ रही थी, आंटी को देखते ही उनसे लिपट गयी- मम्मी कहां चली गयी थी आप? मैं घबरा रही थी!
आंटी ने उसको अलग करते हुए कहा- मेरी रानी बेटी, बाहर पानी बरसने लगा था इस लिये देर हो गयी और मैं फोन लगा रही थी तो एंगेज जा रहा था. खैर कोई बात नहीं अब तो मैं आ गयी हूं. मेरी बहादुर बच्ची तुमने खाना खाया?
उसने कहा- जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका खाना दे कर अपने घर चले गये हैं. अब मुझे भी बहुत नींद आ रही है मैं भी सोने जा रही हूं.

अचानक मुझे देख कर वो थोड़ा सम्भलते हुए बोली- मम्मी, ये साहब कौन हैं?
उसकी मम्मी ने कहा- बेटा, आज मैं कार नहीं ले गयी थी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ़्ट दी है, इनका नाम राजेश है!

और तब वो मुझे नमस्ते कर के अपने रूम में सोने चली गयी.

अब रूम में मैं और आंटी ही रह गये. आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा- लो ये पहन लो!
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और लुंगी बांध ली. मैंने गंजी और जोकी नहीं उतारी थी.
आंटी बोली- बेटा, सारे कपड़े उतार दो, अभी थोड़ी ही देर में सूख जायेंगे, तब पहन लेना! और बनियान भी उतार कर निचोड़ लो बहुत भीगी है.

तब मैंने झिझकते हुए बनियान उतार कर निचोड़ कर अलगनी पर टांग दी और वहीं वाशरूम में जाकर अपनी जोकी भी उतार कर सूखने को डाल दी. अब मैं सिर्फ़ लुंगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
अब मैं रूम में आया तब देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लु निचोड़ रही थी और आंचल हटा होने की वजह से पिंक बलाउज़ के अंदर ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी जिसे मैं अपलक निहार रहा था.
मुझे एक टक इस तरह देखते हुए आंटी ने कहा- क्या देख रहे हो बेटे? तुमने अपने तो कपड़े उतार लिये, अब मैं भी चेंज कर लूं!

मेरा मन अब तक आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा था पर हिम्मत नहीं हो पा रही थी.

तभी थोड़ी देर बाद आंटी एक बहुत ही झीनी सी नाइटी पहन कर आयी और वहीं सोफ़े पर बैठ गयी और कोफ़ी बनाने लगी.
वो कोफ़ी बना रही थी और मैं ललचायी नज़रों से उनकी उभरी हुई चूची देख रहा था और दिल ही दिल में सोच रहा था कि काश ये आंटी मुझसे चुदवा ले तो कितना मज़ा आयेगा!
यही सब सोच सोच कर मेरा लंड अपनी औकात में आ चुका था और मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि कब वो मेरी लुंगी को 2 पाट करके बीच से उसकी टोपी बाहर झांक रही थी और आंटी चोर नज़रों से उधर ही देख रही थी.

मेरा पूरा ध्यान आंटी की चूची की तरफ़ था और आंटी का ध्यान मेरे औज़ार की तरफ़!
तभी मैंने आंटी की नज़रों की तरफ़ देखा तो उनकी नज़र अपने औज़ार पर टिकी देख कर अंदर ही अंदर खुश हो गया और धीरे से अपनी टांगें और खोल दी ताकि आंटी और अच्छी तरह से लंड का दीदार कर सकें!
उसके बाद हम दोनों ने कोफ़ी पी.

और उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनने लगा और दिल ही दिल में सोच रहा था कि साली अगर आज रोक कर चुदवा ले तो क्या हो जायेगा. तड़प तो इसकी भी चूत रही है पर हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खायेगी गज़ भर के. मगर चुदवाने से पहले शरमायेगी इतना कि पूछो ही मत।

और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा, तब वो करीब आयी और बोली- बेटा, अभी कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं हैं, तुम ऐसा करो कि आज यहीं रुक जाओ, घर पर काल कर दो मम्मी को!
तब मैंने नाटक करते हुए कहा- नहीं आंटी, जाना है मुझे!
तब वो मेरे हाथ से कपड़े छीन कर बोली- बेटा, मैं तेरी मां जैसी हूं, जैसा कह रही हूं वैसा करो! कहीं बीमार पड़ गये तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा।
फ़िर मैंने घर पर काल कर दी कि आज पानी बहुत बरस रहा है, मैं आज यहीं दोस्त के घर रुक जाऊँगा.

और फ़िर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम यहां बेड पर सो जाना, मैं सोफ़े पर लेट जाऊँगी. वरना अगर चाहो तो गेस्ट रूम में भी सो सकते हो!
तब मैंने कहा- आंटी, मैं वहां अकेला बोर हो जाऊँगा, आप ऐसा कीजिये, आप बेड पर सो जाइयेगा, मैं सोफ़े पर सो जाता हूं।
यह कह कर मैं वहीं सोफ़े पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी.

मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और मैं आंटी की उभरी हुई चूची और फ़ूले हुए चूतड़ आंखों में बसाये कब नींद की गोद में गया मुझे पता नहीं चला।

रात को अचानक मुझे अपनी जांघ पर कुछ सरकता हुआ महसूस हुआ तो मेरी नींद खुल गयी. फ़िर मुझे आभास हुआ कि ये किसी का हाथ है और घर में 2 ही जन थे आंटी या फ़िर उसकी जवान बेटी!

थोड़ी देर मैं उसी पोज़ में लेटा रहा, तब तक हाथ सरसराता हुआ मेरी लुंगी को सरकाता हुआ ऊपर मेरी जांघों की जड़ तक पहुंच चुका था. मैं भी अब उस हाथ की सहलाहट का आनंद लेना चाहता था चाहे कोई हो, भले ही उस वक्त उसकी युवा लड़की भी होती तब भी मैंने तय कर लिया था कि उसकी कुंवारी चूत चोद ही डालूंगा.

मगर अब तक मैं जान गया था कि ये हाथ आंटी का है और अब मैं पूरी तरह से उसकी सहलाहट का मज़ा लेना चाहता था. मैं सोफ़े पर सीधा होकर लेट गया और वो मुझे करवट लेते हुए देख कर कुछ हड़बड़ा गयी मगर फ़िर नोर्मल हो गयी और मुझे नींद में देख कर उसने मेरी लुंगी के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो अभी तक शांत अवस्था में था, उसे प्यार से सहलाने लगी.

अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा और मैं भी उत्तेजित होने लगा था, मेरा मन कर रहा था कि अभी साली को बाहों में भर कर इतनी जोर से चांपू कि इसकी हड्डी तक पिस जाये. पर मैं ऐसा कर नहीं सकता था, मैं बस चुपचाप पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही देखता रहा।

और फ़िर आंटी का हाथ थोड़ा कड़ा हो गया था वो मुझे सोया जान कर पूरी तरह निश्चिंत हो गयी थी. मेरे लंड को जोर जोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठ से मेरी जांघों को चूमने लगी.
मेरे मुंह से सिसकी निकलने को हुई मगर मैंने दांत भींच कर सिसकी नहीं निकलने दी मगर अब बरदाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था।

तभी मैंने अपने लंड पर कुछ लिबलिबा सा महसूस किया कयोंकि रूम में नाइट लैम्प जल रहा था तो कुछ साफ़ नज़र नहीं आ रहा था और मैं अपनी आंख भी बंद किये था पर इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि ये साली इसकी जबान होगी जो मेरे लंड पर फ़िरा रही है.
और जबान फ़िराते फ़िराते उसने गप्प से मेरा लंड मुंह में ले लिया. अब तो मैं बरदाश्त नहीं कर पाया और झटके के साथ उठ कर बैठ गया और बोला- कौन है?

तभी आंटी ने मेरे मुंह पर हाथ रखा और धीरे से बोली- बेटा मैं हूं!
उन्होंने फ़ट से लाइट जला दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैं देख कर हैरान रह गया, आंटी पूरी तरह से नंगी थी. मैंने उनको नंगी देख कर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा- हाय आंटी, आप तो नंगी हैं.
तब उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ते हुए कहा- बेटा, तुम भी तो नंगे हो!
मैंने अपने दोनों हाथ झट से लंड पर रख लिये और छुपाने का नाटक करने लगा. मगर जानता था कि अब ये साली चुदवायेगी तो ज़रूर!
मगर फ़िर भी मैंने अपना नाटक चालू रखा, बोला- आंटी, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था, ये गंदी बात है.

तभी आंटी मेरे लौड़े को मसलते हुए बोली- और तुम जो शाम से मेरी चूचियाँ निहार रहे थे, मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से ही इस तरह देख रहे थे कि बस खा ही जाओगे. वो अच्छी बात थी? और जब मैं कोफ़ी बना रही थी तब तुम्हारी नज़रें कहां थी मुझे पता है. मुझे चोदना सिखा रहे हो? अभी कल के बच्चे हो तुम बेटा. मैं तुम्हारे जैसे ना जाने कितनों को अपनी चूत में समा कर बाहर कर चुकी हूं.

आंटी की ये सब बातें सुन कर तो मुझे बहुत ही जोश चढ़ गया. उसने यकीनन मुझे भड़काने के लिये ही ऐसे भाषा प्रयोग की थी मगर मुझे तो शुरु से ही चोदने में गाली गलौच पसंद थी और आंटी इतनी सभ्य नज़र आ रही थी कि उनके मुंह से इस तरह की बात सुनना मेरे लिये एक नया अनुभव था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
स दिन रात को मुझे सोया हुआ जानकर आंटी ने मेरा लंड मुंह में भर लिया और फ़िर मेरी आंख खुल गयी और उसके बाद हम लोग सारी लाज हया त्याग कर चुदायी करने में जुट गये आंटी तो पहले से ही नंगी थी और मैं सिर्फ़ लुंगी ही लपेटे हुए था जिसे आंटी ने सरका कर मेरा लंड बाहर निकाल कर होंठों में भरा था अब वो भी मैने उतार दी थी और पूरी तरह से मैं भी नंगा हो चुका था और आंटी मेरे फ़नफ़नाये लंड को बड़ी मोहब्बत से देख रही थी और किसी लालची बिल्ली की तरह जबान होंठों पर फ़िरा रही थी मैं वहीं सोफ़े पर बैठ गया और आंटी से कहा अब जब शरम का परदा हट ही गया है तब पूरी तरह से बेशरम होकर जवानी के मज़े लूट लो आप भी

तब आंटी ने कहा साले मादरचोद वही तो तुझे समझा रही हूं इतनी देर से मगर तू है कि लंड क्या लोहे बना हुआ इतनी देर से आखिर अब आया न औकात पर चल जल्दी से मेरे मुंह में लंड डाल कर धक्के लगा और मुझे अपने रस का पान करने दे और इतना कह कर वो मेरे लंड को चूसने के लिये जैसे ही झुकी मैने उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को बेदर्दी से मसलते हुए कहा अरे रंडी ऐसी भी क्या जल्दी है लंड चूसने की ज़रा मुझे भी तो गरमाने दो न मगर वो ज़बरदस्ती मेरा लंड पकड़ कर अपने मुंह में रख कर चूसने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और उनकी चूत को सलामी देने लगा तब वो अपनी चूत फ़ैला कर आयी और मेरे मुंह के पास करती बोली लो मेरे चोदु अब जरा इसे भी चाट कर तुम भी मेरे रस का मज़ा लो मैं उनकी झांटों भरी चूत को सहलाने लगा फ़िर बोला साली यहां तो पूरा जंगल उगा रखा है क्या चाटुं? चूत तो ढूंढे से नहीं मिल रही है यहां? तब वो अपने झांट के बालों को अपने दोनो हाथ से अलग कर के अपनी चूत देखा कर बोली राजा आज तो काम चला लो कल साफ़ कर लूंगी प्लीज़

मुझे उनके उपर तरस आ गया और मैं अपने होंठ उनकी चूत की फ़ांक पर रख कर फ़ांकों को चूमने लगा और अब तो आंटी की सिसकियों का शमां ही बंध गया था वो अपने दोनो पैर मेरी गर्दन के अगल बगल से करके पीचे सोफ़े पर टेक लगा कर अपनी चूत मेरे मुंह पर रगड़ने लगी थी और मुझे तो चूत चाटने में शुरु से ही मज़ा आता था सो मैं लग गया काम पर आंटी ईईइस्सस इस्सस आआययीई आयीई कर रही थी और मैं चपर चपर करके उनकी चूत चाट रहा था थोड़ी ही देर में वो बोली आआअह्हह्ह राजा मैं झड़ने वाली हूं अब अपनी जीभ निकाल लो मेरी चूत से तब मैने कहा हाय मेरी रंडो अभी तो कह रही थी कि मेरी चूत के रस को चखो और अब कह रही हो निकाल लो जीभ को तब उसने कहा क्या तुम सच में मेरा रस पियोगे?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
मैने कहा इसमे हैरानी कैसे इसमे तो बहुत आनंद आता है वो बोली मैं तो मज़ाक कर रही थी मुझे नहीं पता ऐसे भी किया जाता है तब मैने कहा हाय मेरी नादान बन्नो इतने सालों से चुदवा रही हो पर इतनी नासमझ बनती हो जैसे अभी कमसिन कन्या हो और इतना कहकर मैने अपनी जबान जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा और अब तो आंटी को जन्नत का मज़ा आने लगा वो मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत मेरे जीभ पर दबा रही थी और तभी उनकी चूत से ढेर सारा रस निकलने लगा जिसे मैं चूसने लगा और थोड़ी देर में ही उसका सारा रस चूस कर उसकी चूत बिलकुल साफ़ कर दी और झांटों पर जो थोड़ा बहुत रस चिपक गया था उसे उसकी नाइटी से साफ़ करने लगा तब आंटी बोली अरे!!!

अरे क्या कर रहे हो मेरी इतनी कीमती नाइटी गंदी हो जायेगी तब उसने मैने उसकी पैंटी जो वहीं पड़ी थी उसको उठा कर उससे उसकी चूत साफ़ करी और फ़िर बोला अब आप मेरा लौड़ा चूस कर खड़ा कीजिये तब आपकी चूत चोदी जाये तब वो कहने लगी जो जी में आये वो करो अब तो तुम मेरे राजा हो गये हो इतना कहकर झट से मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी मेरा लंड उनकी चूत चाटने से सिकुड़ चुका था वो धीरे धीरे सहला रही थी और मैं उनकी बड़ी बड़ी बूब्स को मसल रहा था कभी कभी बहुत जोर से दबा देता था जिससे उनकी चीख निकल जाती थी और मैं जितनी जोर से उसकी चूची दबाता वो उतनी ही जोर से मेरा लंड दबाती थी उसके सहलाने से थोड़ी देर में ही मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो गया और फ़िर उसे देख कर वो अपने होंठ पर जीभ फ़िराने लगी मैने अपने हाथ में लंड पकड़ा और घप्प से उसके मुंह में घुसेड़ दिया और उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया वो गूं गूं कर रही थी जैसे कहना चाह रही हो निकाल लो लंड को मगर मैने उसके बाल पकड़ कर एक करारा धक्का और मारा और पूरा ८" लंड उसके मुंह में समा गया

उसको पूरा लंड मुंह में लेने में काफ़ी परेशानी हो रही थी मगर मुझे मज़ा आ रहा था थोड़ी देर बाद ही आंटी को भी मज़ा आने लगा और अब वो जल्दी जल्दी अपने चेहरे को आगे पीचे कर के मेरे लंड को चूस रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था कि बस अब मैं झड़ने ही वाला हूं मैने सोचा कि आंटी की चूत मार ही ली जाये मगर सोचा कि सारी रात पड़ी है जल्दी क्या है अभी तो अपना रस इसकी मुंह में ही उड़ेल देता हूं यही सोच कर मैने तेज़ी से धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और थोड़ी ही देर में मैं उसके मुंह में झड़ गया और थोड़ी देर तक हुम लोग उसी अवस्था में लेटे रहे

फ़िर मुझे पेशाब लगने लगी तो मैने आंटी से पूछा बाथरूम किधर है? वो बोली चलो मुझे भी पेशाब लगी है साथ ही निपट लेते है जब मैं अपनी लुंगी उठाने लगा तो वो छीनते हुए बोली क्या यार इतनी से देर के लिये लुंगी बांध रहे हो तब मैने कहा आंटी कहीं आपकी लड़की न देख ले वो बोली अरे मेरे राजा वो बेचारी तो सो रही होगी तुम बेफ़िक्र रहो फ़िर हम लोग एक साथ ही बाथरूम गये वो बिल्कुल भी नहीं शरमा रही थी और मेरे सामने ही चूत पसार कर छर्र छर्र मूतने लगी मैं भी वहीं खड़े होकर मूतने लगा और उसके बाद उसने अपनी चूत पानी से साफ़ करी और मेरा लंड भी धोया उसके बाद फ़िर से रूम में आ गये और बेड पर बैठ गये वो बोली रजा चूमा चाटी और चूची चुसायी तो बहुत हो गयी अब चुदायी के बारे में क्या ख्याल है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#7
ने कहा जैसा तुम बोलो मेरी रानी अब पूरी तरह से हुम लोग बेसरम हो चुके थे और लंड चूत की बातें खुल कर कर रहे थे वो बोली राजा एक बात तो माननी पड़ेगी तुममे गज़ब की ताकत है बहुत मज़ेदार चुसायी करते हो अब देखते हैं चुदायी में कहां तक ठहर पाते हो मैने कहा चुद्दो रानी अभी आज़मा कर देख लेना कैसे बखियां उधेड़ता हूं आज तुम्हारी अगर तेरी पहली रात न याद दिला दी तो राज नाम नहीं और ये कह कर मैने उसकी टांगे पूरी तरह से फ़ैला दी जब उसकी चूत देखी तो वो मुझे ज्यादा चुदी पिटी नहीं नज़र आ रही थी मैने थोड़ी देर उसे सहलाया मेरा मन अभी फ़िर से चाटने को कर रहा था मगर रात काफ़ी हो चुकी थी और पानी भी अपने पूरे शबाब से बरस रहा था मैने सोचा साली आज तो चुदवा रही है क्या पता आगे भी चुदवाये अगर आज इसे कायदे से चोद दिया तो इसकी चूत का मालिक बन जाउंगा मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा होकर सलामी देने लगा था मैं सोच रहा था कि साली को किस एंगल से चोदूं कि मेरी गुलाम बन जाये तब ही वो बोली राजा बहुत दिन से मेरा मन किसी के लंड पर बैठ कर झूला झूलने को कर रहा है क्या तुम झुलाओगे झूला मैने कहा क्यों नहीं आंटी आप किस तरह का झूला झूलेंगी?

मैं चेयर पर बैठ जाउं या खड़े होकर आपको अपने लंड पर झूला झुलाउं? वो बोली कि चेयर पर बैठ कर तो कोई भी झूला झुला देगा मज़ा तो खड़े होकर झुलाने में है उनकी बात सुनकर मैं तुरंत जमीन पर खड़ा हो गया और अपने लंड को उपर की तरफ़ उठा कर कहा आंटी अब आप तैयार हो जाइये इस सवारी पर बैठ कर आपको बहुत देर तक झूला झूलना है और वो बेड पर खड़ी हो गयी मैने अपने लंड से उनकी चूत का सेन्टर मिलाया और उनको अपने लंड पर उठा लिया एक पल को मैं गड़बड़ा गया था बेलेन्स बिगड़ गया था क्योंकि आंटी का वेट काफ़ी था मगर मैं सम्भल गया और अब पूरी तरह से आंटी का भार मेरे उपर ही था और वो अपने चूतड़ को उचका रही थी नीचे से मैं भी धक्के मार रहा था आंटी आआअह आआआह्ह आआआआआययययीईईइ आआआयययययययीईईइ कर रही थी और उनके उछलने से उनकी बड़ी बड़ी चूचियां उछल रही थी।

मैने उनकी चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा और धक्के भी मार रहा था थोड़ी देर बाद मैं थक गया तो मैने खड़े खड़े ही धम्म से बेड पर डाई मार दी और आंटी की पीठ जानबूझ कर पीचे की तरफ़ रखी थी जिससे कि जब मैं बेड पर गिरुं तो मेरा लंड का धक्का उसकी चूत में तेज़ी से लगे एक धड़ाम की आवाज़ के साथ मैं बेड पर गिरा और आंटी के मुंह से एक जोरदार चीख निकली आअययययीई आआआह्ह राम मार डाला साले हरामीईई क्या करता है चुदायी या कुछ और भोसड़ी के मादरचोद कहीं ऐसे भी चोदा जाता है मुझे बता देते तो अराम से लेट जाती बेड पर तुम तो लगता है मेरी चूत के साथ साथ बेड भी फ़ाड़ दोगे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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