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Misc. Erotica पाँच सहेलियाँ
Waiting for update sirji..
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(16-06-2022, 03:18 PM)Unknown Wrote: Very hot update

Thanks Namaskar
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(16-06-2022, 03:18 PM)Unknown Wrote: Waiting for next session
Is weekend update aayega
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(03-07-2022, 04:32 PM)raj500265 Wrote: supppppeeeeeeeeeeeeeeeerrrrrrrrrrrrrrrrrrbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbb

Thanks
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(03-07-2022, 10:31 PM)Class123 Wrote: Waiting for update sirji..

Is weekend update aayega
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(05-07-2022, 06:30 PM)Gpoint Wrote: Is weekend update aayega

Waiting sir...
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bhai, busy kya? waiting for update..
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Waiting
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(19-07-2022, 12:15 PM)Class123 Wrote: bhai, busy kya? waiting for update..

परिवार में गमी होने के कारण अपडेट नही दे पाया, इस सप्ताह अपडेट आएगा।
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(19-07-2022, 07:10 PM)Unknown Wrote: Waiting

परिवार में गमी होने के कारण अपडेट नही दे पाया, इस सप्ताह अपडेट आएगा।
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(08-08-2022, 08:12 AM)Gpoint Wrote: परिवार में गमी होने के कारण अपडेट नही दे पाया, इस सप्ताह अपडेट आएगा।

NO issues Bhai...waiting...
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शाम के 5 बज चुके थे। सभी ने गाँव से निकलने की तैयारी कर ली थी। बलवीर से मिलकर सब लोग निकल गए। रात 8.30 तक सब लोग अपने घर पहुंच गए थे। आशा ने घर पहुंच कर स्नान किया। आशा ने नहाते हुए जैसे ही अपना हाथ चुत पर रखा उसके बदन में सनसनी सी होने लगी, वजह साफ थी आज दिन भर की चुदाई लीला। आशा ने रानू को कॉल लगाया, ये जानने के लिए की उसकी अकेली की हालत ऐसी है या सबकी है। रानू ने कॉल नहीं उठाया, आशा ने बाकी को कॉल लगाने का विचार त्याग दिया और सोचा की पहले नहा लेती हूं। आशा नहा कर बाहर आई, उसने अपने बदन पर सिर्फ टॉवेल लपेट रखा था। आशा का मोबाइल बजा, कॉल नेहा का था।

नेहा: हेलो आशा, क्या कर रही हो।
आशा: कुछ नही यार, अभी नहा कर आई हूं।
नेहा: किस के साथ..?
आशा: मैं किस के साथ नहाऊंगी, घर पर ही हूं, अकेले ही नहा कर आई। तुम क्या कर रही हो?
नेहा: अपनी चुत को शांत करने की सोच रही हूं। सुबह से जो चुदाई लीला देखी है। चुत को शांति ही नही मिल रही।
आशा: अच्छे से चुदवा लो। नही तो तेरी चुत तड़पती रह जाएगी।
नेहा: काश, एक मस्त सा डिल्डो होता, अपनी चुत में घुसा कर मजे करती।
आशा: तु भी ना, पागल हो गई है, मुझे काम करने दे। चल बाय 
आशा ने कॉल बंद कर दिया, क्योंकि आशा की चुत गीली हो चुकी थी और आशा का एक हाथ चुत तक पहुंच गया था। आशा ने अपना टॉवेल निकाला और नंगी हो गई। आशा ने मोबाइल पर एक पोर्न मूवी लगाई और अपने हाथों से अपनी चुत मसलने लगी। आशा बीच बीच में अपने बूब्स भी दबा रही थी। आशा ने अपनी चुत में अपनी ऊंगली डाली और जोरो से ऊंगली को अंदर बाहर करने लगी। आशा सोच सोच कर बहुत उत्तेजित हो गई थी, अपने चरम पर पहुंच कर शांत हुए। इधर आशा से कॉल पर बात करने के बाद नेहा ने भी अपने कपड़े उतारे और खुद को नंगा किया। नेहा अपने जिस्म से खेलने लगी और अपनी चुत को अपनी ऊंगली से शांत किया। आशा और नेहा ने हस्तमैथुन किया तो सही पर जो चरमसुख मिलना था वो नही मिला क्योंकि वो सिर्फ चुदाई से ही मिल सकता था। दोनो सो गई। रानू जब अपने घर आई थी, तब उसे पता चला कि उसके दीदी और जीजू भी घर पर आए हुए है। थोड़ी देर उन लोगो से बात करने के बाद सब लोगो ने साथ में खाना खाया। दिन भर की थकान और पेट भर कर खाने के कारण रानू को नींद आने लगी, रानू सोने चली गई। रात में लगभग 3.30 बजे उसे प्यास लगी, जिस कारण उसकी नींद खुल गई। रानू किचन से पानी पी कर वापस लौटी तो उसकी नजर दीदी और जीजा जिस कमरे में सो रहे थे उसकी खिड़की में से आ रही रोशनी पर पड़ी। खिड़की बंद थी, इसलिए रानू कुछ देख नही पाई, पर उसे ये समझ आ गया था की ये रोशनी टीवी की है। उसने सोचा दीदी जीजु को नींद नहीं आ रही होगी तो टीवी देख रहे होंगे। रानू वहा से जाने ही वाली थी की टीवी बंद हो गया और उसे दीदी की आवाज सुनाई दी
दीदी: अब तुम सो भी जाओ, मेरा मूड नहीं है।
जीजु: पर मेरा तो मूड है ना, वैसे साली भी तो आधी घरवाली होती है।
दीदी: (गुस्से में) बड़ा प्यार आ रहा है अपनी साली पर। जाओ उसी के पास मेरे पास आने की जरूरत नहीं।
जीजु: मैं तो सिर्फ तुम्हारा मूड बनाने के लिए कह रहा था, पर तुम्हे बुरा लगा हो तो सॉरी। मैं ही बाथरूम में जा कर अपना लंड हिला लेता हूं।
दीदी: रुको,
जीजु: आऊच...
दीदी: तुम्हे ही मजे चाहिए थे ना, थोड़ा तो दर्द होगा।
रानू वहा से निकल गई और अपने रूम में आ गई। उसकी चुत से निकले पानी ने उसकी पैंटी को भिगो दिया था। उसने अपने नीचे के कपड़े उतारे और जीजु से अपनी चुदाई का सोच कर अपनी चुत मसलने लगी। थोड़ी देर में शांत हो कर रानू फिर से सो गई। अगला दिन रविवार था। रानू और आशा को सुबह सुबह एक प्रतियोगिता परीक्षा देने जाना था। दोनो परीक्षा दे कर बाहर आई और वहा उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई जिसका नाम सिमरन था, देखने में मॉडल से कम नही लग रही थी। सिमरन को लेने उसका बॉयफ्रेंड आने वाला था। जब तक वो आता तब तक सिमरन आशा और रानू की बात चल रही थी। बातो बातो में सिमरन को पता चला कि आशा और रानू किसी अच्छे ऑफिस में काम करके प्रशिक्षण लेना चाहते है। सिमरन का बॉयफ्रेंड आ चुका था। उसका नाम विकास था। विकास दिखने में हैंडसम था और उसकी हाइट सिमरन से कम थी, वो अमीर परिवार से था। सिमरन ने रानू और आशा का परिचय विकास से करवाया।
सिमरन: ये आशा और रानू है। इन्हे तुम्हारे ऑफिस में ट्रेनिंग मिल सकती है क्या? (सिमरन ये आशा और रानू को ये दिखाना चाहती थी की विकास उसकी हर बात मानता है)
विकास: इन्हे इंटरव्यू के लिए ऑफिस भेज दो (सीधे मना नहीं कर सकता था, इसलिए ऐसा बोला) विकास ने अपने पापा का विजिटिंग कार्ड आशा और रानू को देकर, सिमरन की तरफ देखा और बोला, अब हम चले।
सिमरन: मैने कहा था ना, चलो बाय आशा.. बाय रानू..
सिमरन और विकास चले गए।
रानू: इस लड़की को अपने हुस्न का कितना घमंड है।
आशा: छोड़ ना, अब हम भी चले। (आशा ने विकास का विजिटिंग कार्ड वही डस्टबिन में डालने लगी।)
रानू: (आशा को रोकते हुए) क्या कर रही हो?
आशा: ये किसी काम का नही है, उसके पापा का कार्ड है, वहा जा कर कुछ नही होना है। मेरी बात सुन, विकास भी कुछ नही कर पायेगा।
रानू: एक बार चल कर तो देखते है।
आशा: ठीक है, कल ही चलो।
सिमरन और विकास एक पब में पहुंचे और दोनो ने जमकर शराब पी। सिमरन और विकास दोनो एक दूसरे के होठों को चूमने लगे। सिमरन का ध्यान पब के वेटरो पर गया जो उसे गंदी नजरो से घूर रहे थे, एक वेटर तो उसके सामने पैंट के ऊपर से अपना लंड मसल रहा था। सिमरन ने विकास  को बाहर चलने का कहा, विकास बिल चुका कर बाहर आ गया। सिमरन और विकास कार में एक दूसरे को फिर से चूमने लगे। विकास ने सिमरन का टॉप निकाला और उसके बूब्स को ब्रा में से बाहर निकाल कर चूसने लगा। विकास ने सिमरन के बूब्स को चूसते हुए अपना एक हाथ सिमरन की पैंटी के अंदर डाला और उसकी चुत को मसलने लगा। सिमरन भी पूरे जोश में आ गई और उसने विकास के लंड को जींस में से बाहर निकाल कर हिलाने लगी। सिमरन ने विकास के लंड को चूमा, फिर विकास के लंड पर कंडोम लगाया और विकास के ऊपर बैठ कर लंड को अपनी चुत में फसाया। सिमरन हल्के हल्के से हिलने लगी और विकास के लंड के मजे लेने लगी। विकास ने सिमरन की कमर पकड़ कर उसे चोदना शुरू किया। विकास सिमरन को चोदते हुए बीच बीच में उसके बूब्स को मूंह में ले लेता। चुदाई के बाद विकास ने सिमरन को उसके घर छोड़ा।
अगले दिन रानू और आशा दोनो विकास के पापा के ऑफिस पहुंचे। आशा ने अपने और रानू दोनो के पेपर वहा बैठी महिला को दिए। उसने उन्हें साफ मना कर दिया की अभी कोई इंटरव्यू नही हो सकता।
आशा: (हंसते हुए) अब चले मैडम जी, मैने तो पहले ही कहा था, कुछ नही होने वाला। (आशा रानू की तरफ देखते हुए चलने लगी, तभी वो सामने से आ रहे इंसान से टकरा गई और उसके हाथ की फाइल नीचे गिर गई।)
आशा: (अपनी फाइल उठाते हुए,नजर जमीन पर ही थी) I'm so sorry.. it was my mistake.. (आशा जिस से टकराई थी वो कंपनी का HR मैनेजर था और साथ में विकास के पापा मि विनोद भी थे। मि विनोद अपने केबिन में चले गए। मैनेजर रानू के बूब्स को घूर रहा था, वो थोड़ी देर और नजारे के मजे लेना चाहता था।)
HR मैनेजर: जरा अपनी फाइल दिखाना, देखते है आप सच में इंटरव्यू के लिए आई थी। (मैनेजर दोनो को अपने केबिन में लेकर गया। मैनेजर ने आशा और रानू दोनो से कुछ सवाल किए उसे आशा के जवाब देने का तरीका पसंद आया। मैनेजर ने मि विनोद से बात कर के दोनो को ऑफिस में 3 महीने की ट्रेनिंग पर रख लिया। 3 महीने तक आशा और रानू ने खूब मेहनत की और काम सीखा। मैनेजर  रोज बड़े बड़े बूब्स और गांड देख कर खुश होता। आशा ऑफिस के काम को न सिर्फ बहुत अच्छे ढंग से करती बल्कि नए नए सुझाव भी देती। 3 महीने की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आशा और रानू ने एक पार्टी का आयोजन किया इसमें दिया, रितेश, ईशा, जॉनी, नेहा, सिमरन और विकास को बुलाया था। आशा ने विकास और सिमरन का सब से परिचय करवाया। आशा ने सबके लिए बीयर ऑर्डर की थी। बीयर पीने के बाद सब लोग नाचने लगे। जॉनी ने अपना हाथ ईशा की गांड रखा हुआ था। रितेश बार बार दिया के बूब्स से अपने सीने को चिपका रहा था। रानू अपने बूब्स हिला हिला कर नाच रही थी और आशा अपनी गांड मटका रही थी। नेहा, सिमरन और विकास सामान्य तरीके से नाच रहे थे। ये सब देख कर विकास के लंड में हलचल होने लगी थी। विकास ने सिमरन को पीछे से जा कर गले लगाया, विकास का कड़क लंड सिमरन अपनी गांड पर महसूस कर पा रही थी। सिमरन भी गरम होने लगी थी। सिमरन ने अपना हाथ विकास के लंड पर रखा। पब में खुले में तो चुदाई कर नही सकते थे। सब लोग वहा से निकले। पब के सामने एक गार्डन था। नेहा और रानू ने वहा के चौकीदार को अपनी बातो में उलझाया और तीनों जोड़ो को गार्डन में जाने का इशारा किया। सभी ने गार्डन में अपने लिए जगह देखी और प्यार करना शुरू कर दिया। ईशा ने जॉनी के लंड को बाहर निकाला और अपने घुटनों पर बैठ कर उसके लंड को चूमने लगी। ईशा ने धीरे धीरे जॉनी के लंड को चुसना शुरू किया। जॉनी आंखे बंद कर के मजे लेने लगा। ईशा ने अब अपनी गति को बढ़ाया और तेजी से जॉनी के लंड को अपने मुंह में अंदर बाहर करने लगी। जॉनी ने ईशा के सर को पकड़ा और ईशा अगर धीरे होती तो उसके सर को हिला कर गति बरकरार रखता। ईशा की सांसे फूलने लगी थी और उसका चेहरा लाल पड़ गया था। जॉनी ने ईशा के मुंह से अपना लंड निकाला। ईशा ने चैन की सांस ली।
ईशा: (जब उसकी सांसे सामान्य हुई) जॉनी मुझे तुम्हारे लंड की मलाई खानी है। 
जॉनी: (सुन कर बहुत खुश हुआ) क्या सच में तुम ये कर पाओगी?
ईशा: कोशिश करती हूं।
जॉनी: मैं धीरे धीरे तुम्हारे मूंह को चोदूंगा, और जब झड़ने वाला रहूंगा तो तुम्हारे मूंह को जोर से पकड़ कर तुम्हारे मुंह में पिचकारी छोड़ दूंगा। तुम जल्दी से मलाई गटक जाना।
जॉनी ने सिमरन के मुंह में लंड डाला और धीरे धीरे उसके मुंह की चुदाई करने लगा। जॉनी सिमरन के मुंह में झड़ने का सोच के बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था, उसका लंड पिचकारी के लिए तैयार था। जॉनी ने ईशा के मुंह को जोर से पकड़ा और अपना लंड और अन्दर घुसा दिया। जॉनी ने अपना लंड ईशा के मुंह में कुछ ज्यादा ही अंदर कर दिया। ईशा उसे सहन नही कर पाई और जॉनी को झटका देकर हटाया। जॉनी की पिचकारी भी चल पड़ी थी। थोड़ी सी मलाई ईशा के मुंह में गई और बाकी बाहर हो गई।
रितेश ने दिया का वन पीस उपर किया और दिया की चुत को चाटने लगा। दिया की चुत ने काफी पानी छोड़ दिया था। रितेश ने अपना लंड निकाला और दिया की चुत में डाला। दिया की चुदाई शुरू कर दी। रितेश ने अपना लंड बाहर निकाला और ईशा को घोड़ी बनने को कहा। ईशा घोड़ी बनी और रितेश ने उसकी गांड पर मस्त चार पांच चपट लगाई और उसकी गीली चुत में लंड डाल कर चोदने लगा। चुदाई करते करते रितेश दिया की गांड कभी जोरो से मसलता तो कभी उसकी गांड पर हथेलियों से मारता।   हर बार गांड पर प्रहार दिया की चुदाई के आनंद को बड़ा रहा था।
विकास और सिमरन दोनो एक दूसरे के होंठों को चुम रहे थे। विकास और सिमरन दोनो ऐसी जगह थे, जहा पर उन्हें दूसरे दोनो जोड़ो की चुदाई की सिसकारियां सुनाई दे रही थी। अब उन दोनो को अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो रहा था। विकास और सिमरन ने एक दूसरे के कपड़ो को उतारा और दोनो के नंगे जिस्म एक दूसरे को सहला रहे थे। विकास ने सिमरान के नंगे बदन को चुमा और उसके बाद सिमरन ने विकास के नंगे बदन को चुमा। विकास ने सिमरन को जमीन पर लिटाया और उसकी चुत में लंड डाल कर चोदने लगा। सिमरन भी पूरे मजे लेते हुए विकास का चुदाई में साथ देने लगी। दोनो की उत्तेजना चरम पर थी। दोनो साथ में झड़ चुके थे।
नेहा और रानू चौकीदार को बातो में उलझाएं हुए रखे थे। चौकीदार की नजर तो रानू के बूब्स पर से हट ही नहीं रही थी। रानू भी इस बात को समझ चुकी थी, पर मजबूरी थी की जब तक तीनों जोड़ो वापस ना आ जाए, इसे ऐसे ही उलझाए रखना है। चौकीदार की आंखों में वासना देख रानू को अपने सेक्सी बूब्स पर गर्व होने लगा था। अब रानू भी गरम होने लगी थी। उसने अपनी हाथ में जो चाबी थी उसे नीचे गिराया और चाबी उठाने के लिए नीचे झुकी। रानू की कोशिश थी की वो चौकीदार को ज्यादा से ज्यादा अपने बूब्स के दर्शन कराए। चौकीदार तो पूरी तरह से बूब्स में ही डूब गया था। अब तक तीनों जोड़े भी बाहर आ गए थे। सब लोग अपने अपने घर के लिए निकल गए। रानू और आशा नेहा के साथ उसके घर गए। नेहा रानू और आशा को अपने बेड रूम में ले कर आई, उसने अपने कपड़े उतारे और रानू के बूब्स दबा दिए। रानू तो उत्तेजित थी ही इसलिए वो नेहा की इस हरकत का ज्यादा विरोध नहीं कर पाई।
आशा: नेहा तुझे क्या हो गया, तू क्यों इसके बूब्स के पीछे पड़ गई।
नेहा: तुने देखा नही क्या, कैसे चौकीदार इसके बूब्स में डूबा हुआ था, आज तो बेचारा दो बार मुठमारे बिना दो नही पाएगा। इतने हसन बूब्स देखे है उसने, बहुत नसीब वाला है।
(रानू की उत्तेजना अपने बूब्स की तारीफ सुनकर फिर से बड़ गई थी।) नेहा ने रानू को टॉपलेस किया, रानू ने इसका कोई विरोध नहीं किया। नेहा रानू के बूब्स से खेलने लगी। नेहा ने अपनी अलमारी से डिल्डो निकाला, जिसे देख कर आशा और रानू दोनो की आंखे फटी रह गई। अब आशा भी अपने आप को रोक नहीं पाई। नेहा, रानू और आशा तीनों नंगे हो गए थे, एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे। तीनों ही डिल्डो के लिए तड़प रही थी। बारी बारी से तीनों ने एक दूसरे की मदद की और चुदाई का आनंद लिया।

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Wonderful update bhai...
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Thanks
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अगले दिन आशा को विकास का कॉल आया, उसने आशा को किसी काम से ऑफिस बुलाया था। आशा ऑफिस गई। वहा उसकी मुलाकात विकास के बड़े भाई विवेक से हुई। विवेक अपने ऑफिस की एक और ब्रांच खोलने और अपने व्यवसाय को बड़ाने के लिए 6 महीने से बाहर था। आशा का काम विवेक को बहुत पसंद आया था। विवेक ने उसे नौकरी पर रखने के लिए ऑफिस बुलाया था। आशा बहुत खुश हुई और उसने नौकरी के लिए हां कर दी।

इधर रानू एक कोचिंग क्लास में इंटरव्यू के लिए गई थी, उसे बचपन से ही पढ़ाने का बड़ा शौक था। उसका चयन हो गया था। उसी कोचिंग पर रानू का एक हमउम्र भी था, वो भी वहा पड़ता था। उसका नाम जीतेश था, सब लोग उसे जीत के नाम से बुलाते थे।
दिया, रितेश, ईशा, जॉनी और नेहा ने मिलकर इवेंट मैनजमेंट का बिजनेस शुरू किया। आशा और रानू को जब भी समय मिलता या जिस दिन उनकी छुट्टी रहती वो भी इवेंट मैनेजमेंट में अपना सहयोग देने पहुंच जाते।
आशा और रानू दोनो अपना काम मन लगाकर कर रहे थे। इधर विवेक आशा को पसंद करने लगा था। उधर जीत को रानू पसंद आने लगी थी। हालांकि आशा और रानू दोनो के दिल में अभी तक ऐसा कुछ भी नही था। विवेक और जीत दोनो ही आशा और रानू से पांचों सहेलियों और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के बारे में जान गए थे। विवेक ने अपनी कंपनी के एक कार्यक्रम के लिए इसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को काम सोपा था। कार्यक्रम बहुत अच्छे से हो रहा था। मि विनोद के ड्रिंक में किसी ने कोई दवाई मिला दी थी। नेहा मि विनोद की हालत देख कर समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है। नेहा मि विनोद को लेकर ऊपर रूम में गई।
विनोद: मेरी जाने मन संगीता (विनोद को पत्नी का नाम संगीता था) तुम आ गई।
नेहा कुछ भी नही बोली, उसने विवेक को काल करने का सोचा। इतने में मि विनोद नेहा को संगीता समझ कर उसे पीछे से गले लगाया। नेहा एकदम से घबरा गई और मि विनोद को धक्का देकर हटाने लगी। नेहा का संतुलन बिगड़ा, नेहा बिस्तर पर गिर पड़ी और मि विनोद नेहा के उपर थे। विनोद ने नेहा को संगीता समझ कर स्मूच करना शुरू कर किया और अपने हाथो से कपड़ो के उपर से बूब्स भी दबाने लगे। नेहा मि विनोद को हटाने की कोशिश करने लगी। विनोद ने नेहा के हाथो को अपने हाथो में ले लिया और जोरो से होठों को चूमने लगे। विनोद ने एक हाथ से नेहा के कपड़ो के अंदर हाथ डाला और बोबे दबाने लगे। बोबे दबाते दबाते चुचियों को दबाया। नेहा का विरोध पूरी तरह से कमजोर हो गया था। नेहा के विरोध में अब वो बात नही थी की वो मि विनोद को रोक सके। विंड ने नेहा को नंगा करना शुरू किया। नेहा मि विनोद का साथ तो नही दे रही थी, पर विरोध भी नही कर रही थी। नेहा के नंगे जिस्म को चूमने के बाद विनोद भी पूरे नंगे हो गए थे। नेहा जानती थी की अगर मि विनोद का लंड एक बार उसकी चुत में गया तो बिना झड़े रुकेगा नही और अभी यहा कंडोम भी नही है। उसने विनोद के लंड को पकड़ा अपने हाथो से हिलाने लगी। थोड़ी देर तक नेहा लंड के साथ खेलती रही, पर विनोद अभी तक झड़े नही थे। नेहा की चुत की आग शांत नहीं हो रही थी। नेहा ने विनोद को बिस्तर पर लेटाया और विनोद के ऊपर चढ़ गई। नेहा ने विनोद का लंड पकड़ कर अपनी गांड पर रखा। नेहा विनोद के लंड को अपनी गांड के अंदर नही कर पा रही थी।  विनोद ने नेहा की कमर को पकड़ कर एक जोर का झटका मारा और लंड नेहा की गांड में घुस गया। नेहा की दर्द के मारे चीख निकल गई। नेहा उछल कर लंड को अपनी गांड से बाहर निकालना चाहती थी, पर विनोद ने कमर को पकड़ रखा था और वो नीचे की और धकेल रहे थे। मि विनोद लंड के गांड में घुसते ही अपने चरम पर पहुंच चुके थे। 2–3 झटको मे ही झड़ने लगे। विनोद के लंड की पिचकारी नेहा की गांड भरती उसके पहले ही नेहा ने लंड निकाला। नेहा ने तुरंत अपने कपड़े पहने और वहा से चली गई।
अगले दिन विवेक ने दिया, रितेश, जॉनी, ईशा, नेहा और रानू को ऑफिस में बुलाया था। रानू की क्लास होने के कारण वो नही आई। सभी लोगो का विवेक ने स्वागत किया और कार्यक्रम के लिए धन्यवाद भी करा। सब लोग जा चुके थे। केबिन में सिर्फ विवेक और आशा ही थे।
विवेक: आप लोगो की दोस्ती को देख कर बहुत अच्छा लगा। आप लोगो की दोस्ती ऐसी ही रहे।
आशा: धन्यवाद सर।
विवेक: आशा..
आशा: जी सर।
विवेक: मुझे तुमसे कुछ बात करना है।
आशा: बोलिए सर
विवेक: तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुमसे ...
आशा: (विवेक ने अपनी बात पूरी खत्म भी नही की और आशा बीच में ही बोल दी) आपकी तारीफ के लिए शुक्रिया। आपकी और मेरी जीवन शैली में बहुत फर्क है, आप अमीर परिवार से हो और मैं मध्यमवर्गीय परिवार से, आपका और हमारा रहन सहन बहुत अलग है, रिश्ता बराबरी वालो में ही कीजिए सर। आपको मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो मैं आपसे माफी मांगती हुं। (आशा फाइल उठाकर बाहर आ गई और अपने काम में लग गई)
आशा रोज ऑफिस आती और अपना काम करती। विवेक से वैसे ही बात करती जैसे पहले करती थी। विवेक आशा से बात करने में असहज महसूस करता था। विवेक ने उसे नए काम देना भी बंद कर दिए थे। जो भी काम रहता आशा उसे पूरी ईमानदारी से करती और बचे हुए समय में ऑफिस के साथियों के साथ काम करती।
इधर जीत रानू पर पूरी तरह से लट्टू हो गया था। एक शाम जीत ने रानू से अपने प्यार का इजहार करने के लिए रानू को कैफे में बुलाया।
जीत: रानू मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। तुम्हे अपनी दुल्हन बनाना चाहता हुं।
रानू: पहले  प्यार, फिर शादी और उसके बाद तलाक। (रानू ने ये बात इसलिए कही की वो जानना चाहती थी, ये सिर्फ प्यार है या आकर्षण, रानू को भी जीत पसंद था)
जीत: तलाक क्यों..!!
रानू: और तुम्हे मेरे साथ अच्छा नहीं लगेगा, मेरी बाते पसंद नही आयेगी तो तलाक तो लेना पड़ेगा।
जीत: पर मुझे तो तुम पसंद हो, तुम्हारी बाते पसंद है। फिर ऐसा क्यों बोल रही।
रानू: मैं अपने पति को अपने वश में रखूंगी। लोग तुम्हे जोरू का गुलाम कहेंगे, क्या तुम ये सुन पाओगे। मैं अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहती हुं, क्या तुम्हे और तुम्हारे घर वालो को ये पसंद आएगा। एक खास बात, मैने अभी तक किसी को प्यार नही किया और मैं वर्जिन भी नही हुं। अब तुम आराम से सोचो, अपने घर वालो से इस बारे में बात करो, फिर मुझसे शादी का सोचना। मैं तुम्हारे घर वालो से मिलने के बाद ही प्यार और शादी के बारे में विचार करूंगी।
रानू की बातो ने तो जीत को सोचने पर मजबूर किया। दोनो वहा से चले गए।
जीत ने 3 दिन बाद रानू को फिर से मिलने बुलाया।
जीत: तुम्हारी बातो ने मुझे सोचने पर मजबूर किया की मैंने तुम्हे पसंद कर के शायद गलती कर दी। पर जब मैने तुम्हारी बातो को गहराई से सोचा तो मुझे समझ आया की तुम सही हो, हर बार शादी बाद औरतों ने ही तो समझोता किया है, उन्हें भी तो अपनी जिंदगी जीने का हक है। जब तक पत्नी खुश नहीं है तो पति को वो खुश कैसे रख पाएगी। तुम वो लड़की हो जो मेरे दिल में बस गई हो, तुमसे प्यार अब पहले से भी ज्यादा हो गया है। मैं चाहता हूं की तुम मुझे अच्छे से जानो, समझो और तुम्हे लगता है की मैं तुम्हारे लायक हूं तो मुझे बता देना, मैं तुम्हे घर वालो से मिलवा दूंगा। एक खास बात, तुम मेरा पहला प्यार हो और मैं अभी तक वर्जिन ही हूं।
रानू को जीत की बात ने बहुत प्रभावित किया। दोनो वहा से चल दिए। धीरे धीरे रानू और जीत करीब आने लगे थे। एक दिन रानू और जीत क्लास से घर जा रहे थे, अचानक जोरो से बारिश होने लगी। रानू और जीत भीग गए थे। जीत रानू को अपने घर लेकर गया। रानू को तोलिया दे कर जैसे ही जाने लगा, रानू को छिपकली दिखी और वो देख कर डर के मारे जीत से चिपक गई। जीत ने रानू को कस के गले लगाया। रानू को अपने सीने से चिपकाने की वजह से जीत की धड़कन बड़ चुकी थी। जीत ने उसे बस गले लगा रखा था, जीत की ओर से कोई हरकत नहीं थी। रानू ने उसकी बड़ी हुई धड़कन को महसूस किया। तभी अचानक लाइट भी चली गई। रानू ने जीत के होंठों से अपने होंठ मिला लिए। 5 सेकंड में लाइट आ भी गई।एक दम से लाइट आ भी गई।  जीत को तो जैसे झटका लग गया हो। रानू ने जीत की आंखों में देखा और एक बार फिर अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए। लंबे चुम्बन के बाद दोनो के होठ अलग हुए। रानू ने जीत के चेहरे पर चूमना शुरू कर दिया। जीत का हाथ रानू के बोबे पर आ गया। रानू ने बिना किसी विरोध के उसके होंठों पर फिर से अपने होठ रख दिए। दोनो एक बार फिर से चूमने लगे और जीत बहुत ही हल्के हाथों से रानू के बूब्स मसलने लगा। जीत का लंड कड़क हो चुका था, जिसका एहसास रानू की चुत पर ही रहा था। रानू की चुत काम रस से भीग चुकी थी। रानू ने अपना कुर्ता निकाल दिया, रानू जीत के सामने ब्रा और सलवारमे थी। रानू ने जीत का चेहरा अपनी ब्रा पर रख दिया। जीत ने ब्रा के आस पास के खुले बूब्स को चूमना शुरू किया। जीत ने एक हाथ बोबे पर रख कर मसला और दुसरे बोबे की चूची को ब्रा के उपर से ही मुंह में ले लिया और उसकी चूची को दबाया। रानू ने जीत की पैंट के ऊपर से ही जीत के लंड को पकड़ा और अपने हाथो से जीत के लंड को दबाने लगी। जीत का ये पहला अनुभव था, थोड़ी देर में ही जीत झड़ चुका था। किसी के आने की आहट ने दोनो को दूर होने पर मजबूर कर दिया, रानू वाशरूम में चली गई और जीत भी कमरे के बाहर आ गया। जीत ने देखा उसकी बहन रिचा आ रही है। उसने अपनी बहन रिचा को रानू के लिए कपड़े लाने को कहा। रिचा कपड़े लेने गई और जीत ने वाशरूम के बाहर से रानू को कहा की वो कपड़े लेकर आ रहा है। रिचा कपड़े लेकर आई और जीत को देने के बजाय खुद रानू को देने चली गई। जीत भी पीछे पीछे आने लगा। रिचा ने जीत से कहा– अब क्या कपड़े आप ही पहनाओगे उसे? जीत रिचा की बात सुनकर शर्मिंदा हो गया, उसे अहसास हुआ की उसे भी तो कपड़े बदलने है और कमरे से बाहर चला गया। रानू ने जीत के लिए वाशरूम का दरवाजा अटका रखा था, पुरा बंद नही था। रानू बहुत ही ज़्यादा  उत्तेजित हो गई थी, उसने अपने सारे कपड़े निकाल लिए थे और नंगी हो चुकी थी। रानू आंखे बंद कर के अपने बूब्स से खेल रही थी और बोल रही थी, आह जीत मेरे बूब्स को मसलों, इन्हे निचोड़ दो, तुम मेरे नंगे बदन को प्यार करो। चूंकि दरवाजा पुरी तरह से बंद नही था, रिचा दरार में से नजारा देख भी रही थी और रानू की मादक सिसकरिया और अश्लील बाते सुन भी रही थी। रिचा को भी आनंद आने लगा था, वो वही रुकी और आगे के मजे लेने लगी। रानू की सिसकियां बड़ रही थी। रानू ने अपना एक हाथ  और बोल रही थी, जीत अब मत तड़पाओ मुझे अपना लंड मेरी चुत में डालो, मुझे चोदो..। रिचा के हाथ के कपड़े नीचे गिर गए थे, रिचा कपड़े उठाने के लिए झुकी और उस से दरवाजा खुल गया। रानू की आंखे खुली और उसने रिचा को देखा। रिचा की नजर रानू की चूचियों पर थी। रानू ने भी देखा की रिचा की चूचियां कड़क है। रानू समझ गई की इसने अभी नजारे के मजे लिए है, रानू तो वासना के आगोश में ही थी। रानू रिचा के पास आई और अपना हाथ उसके बूब्स पर रखा। रिचा कुछ विरोध करती, उसके पहले ही रानू ने उसके होंठों को चूम लिया और उसके बूब्स दबाने लगी और रिचा की कड़क चुचियों को मसला। रानू की इस हरकत ने रिचा को भी उत्तेजित किया। रानू ने जब देखा कि रिचा को और अब कोई विरोध नहीं है तो उसने रिचा को नंगा करना शुरू किया। रिचा को नंगा करने के बाद रिचा को पलंग पर लेटाया। रानू रिचा की चुत से खेलने लगी।
रानू: कितनी मस्त चुत है तुम्हारी
रिचा: ओह... आ... आ....ह.... ऐसी ही करती रहो।
रानू: और दर्द के मजे लोगी
रिचा: हां, प्लीज..
रानू: प्यार से नही, गंदी बातो से मनाओ मुझे।
रिचा: मेरी चुत को मत तड़पाओ, इसे प्यार करो।
रानू: (हल्के से चुत पर चिमटी करते हुए) थोड़ा और गंदा
रिचा: मेरी चुत को रंडी की चुत बना दो। चोद चोद के चुत फाड़ दो।
रानू ने अपनी चुत को रिचा की चुत से रगड़ना शुरू किया। रिचा भी रानू का साथ देने लगी थी। रानू और रिचा एक दूसरे को बूब्स को मसलने लगे। रानू ने रिचा को अपने नीचे लेटाया और ६९ की पोजीशन बनाई। रानू रिचा की चुत चाटने लगी और रिचा रानू की। रानू उठी और रिचा की चुत में ऊंगली करने लगी और तब तक ऊंगली करी जब तक रिचा झड़ नही गई। रिचा और रानू के इस काम लीला का आनंद दो आंखे और ले रही थी, वो जीत था जो चोरी छीपे ये नजारा देख रहा था। रिचा कमरे से जा चुकी थी, रानू भी तैयार हो गई थी। जीत कमरे में आया।
रानू: तुम्हारा चेहरा लटका हुआ क्यों है। (रानू जब रिचा के साथ काम लीला के मजे ले रही थी उसने जीत को देख लिया था। वो समझ चूंकि थी की जीत को ये सब पसंद नही आया।)
जीत: (जीत ये सब देखने के बाद रानू से अपना रिश्ता खत्म करना चाहता था, पर कुछ कह नहीं पा रहा था।) कुछ नही, तुम तैयार हो जाओ, मैं तुम्हे छोड़ देता हुं।
रानू: अब तो आप मुझे छोड़ोगे ही।
जीत: (थोड़ा सा गुस्से में) कहना क्या चाहती हो!
रानू: वही जो आप नहीं कह पा रहे। मैं जानती हुं, आपने मुझे और रिचा को काम लीला करते हुए देखा है और आपको बिलकुल भी पसंद नही आया। आप मर्दों का अच्छा है, हम औरते वही करे जो आपको अच्छा लगे। हमारी तो कोई ख्वाहिश ही नहीं है।
जीत: तुम अपनी वासना को ख्वाहिश का नाम न दो।
रानू: ये सही है, तुम जब अपनी बहन और प्रेमिका की चुदाई का आनंद ले रहे थे, वो भी वासना ही थी। तुम्हारे लंड से जो रस निकाला है ना वो भी वासना का ही अंजाम है।
जीत को अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने रानू से माफ़ी मांगी। रानू ने जीत के लंड को बाहर निकाला और चूसने लगी। जीत के लिए आज का दिन उसकी जिंदगी का सबसे हसीन दिन था। इस बार रिचा दरवाजे के उस और थी और जीत की नजरे उस से मिली, जीत ने रानू को रोका नहीं और मुस्कुराते हुए रिचा को जाने को कहा। जीत ने अभी तक चुदाई का आनंद नही लिया था, पर वो खुश बहुत था।  
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Waiting for update sirji...bahut din ho gaye update aa kar...hope next update jaldi hi aayega..thanks.
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Waiting for update bhai..
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Waiting
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bhai...bahut din ho gaye...update aa kar...hope update jaldi hi milega...intezaar mein...
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