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Incest तेरी दीदी बेशर्म
#21
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
देवर के साथ छत पर रोमांस

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
पा अभी इटावा ( ससुराल ) में है तो मेरे तन की आग हमेशा ही प्रज्वलित होती रहती है और वो भी तब अधिक जब कोई मेरे लिए तड़पता है और मेरा देवर विवेक मेरे साथ पहले भी सेक्स का आनन्द ले चुका है तो दोनों एक दूसरे के साथ मौका मिलते ही मजे लेने लगते है तो मेरी सासु मां और ससुर जी थोड़े खुशमिजाज किस्म के है और वो मुझ पर कुछ खास बंधन नहीं लगाते तो आज दिन में ही देवर ने मुझे वाशरूम में चोदा और फिर चूत की सुरसुरी मुझे परेशान करने लगी तो शाम को मैंने विवेक से कहा ” विवेक मार्केट से आते वक़्त मेरे लिए कुछ सामान लेते आना ” फिर मेरे मुंह से कोल्ड बियर, गर्भनिरोधक गोलियां और हेयर रिमूवर क्रीम सुन वो समझ गया की आज रात फिर से भाभी के साथ मजे लेने हैं तो शाम को किचन का काम निपटा ली फिर छत पर टहलने चली गई। इटावा शहर में ससुर जी ने मकान बनाया था तो उपरी मंजिल पर किराएदार रहते थे लेकिन फिलहाल वो लोग अपने घर गए हुए थे तो उसके उपर की मंजिल पर सिर्फ एक सामान रखने का रूम बना हुआ था बाकी खुला छत तो आज रात मुझे छत पर ही देवर के साथ चुदाई का आनंद लेना था। रात के ०९:१५ बजे होंगे की ससुर और सासू जी को खाना खिलाया फिर अपने रूम चली गई तो कुछ देर बाद विवेक मेरे पास आया और बोला ” भाभी बियर लेकर छत पर चलें वहीं ठंडी हवा लेते हुए बियर पिया जाए ” मैं सर हिलाकर हामी भरी तो वो छत पर एक पतला सा बिस्तर साथ ही चादर, तकिया लेकर गया और मैं पीछे से दो बोतल ठंडी बियर लेकर पहुंची तो विवेक छत पर बेड लगाया फिर मुझे देख बोला ” बैठिए भाभी लेकिन इतनी गर्मी में आप क्या साड़ी पहन रखी है

( मैं मुंह फेर बोली ) तो क्या छत पर नग्न होकर घूमूं ” और विवेक दोनों बोतल को खोला फिर दोनों बियर पीने लगे तो विवेक मेरी ओर खिसका फिर मेरे कंधे पर हाथ रख बोला ” बियर पीने में मजा नहीं आ रहा है
( मैं ) तो क्या करूं ” वो मेरे हाथ से बियर की बोतल लेकर रखा फिर मुझे बेड पर लिटाया और मेरे साड़ी उतारने लगा, अब मैं सिर्फ़ ब्लाऊज और पेटीकोट में लेटी हुई थी तो उफान लेती चूचियों को सहलाता हुआ मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और कुछ देर में ही दीपा नग्न अवस्था में बेड पर लेटी हुई थी लेकिन विवेक क्या चाहता था, ये मुझे समझ नहीं आया। विवेक बियर की बोतल लिया फिर मेरे चूची से लेकर पेट तक बियर गिराने लगा और मैं ” अरे पागल ये क्या कर रहे हो
( वो मेरे बूब्स पकड़ दबाने लगा ) भाभी आज बियर से आपके तन को भिगो कर चाटूंगा ” मैं झेंप गई और अपनी हथेली चेहरे पर रख शरमाने लगी तो मेरे चेहरे से लेकर कमर तक बियर गिराकर विवेक ने मेरे तन को भिगो दिया फिर वो एक चूची को दबा रहा था तो दूसरे हाथ में बियर की बोतल लेकर पी रहा था, दीपा की दोनों जांघें एक दूसरे पर थी जिसे मैं आपस में रगड़ते हुए चूत के फांकों को गर्म कर रही थी।
विवेक बियर की बोतल रखा और अब मेरे चेहरे को जीभ से चाटने लगा लेकिन एक हाथ से मेरी चूची इस कदर दबा रहा था मानो वो आंटा गूंथ रहा हो तो मैं उसके लंबे जीभ से चेहरा चटवाई फिर वो मेरे रसीले ओंठ को चाटने लगा तो मैं मुंह खोली लेकिन विवेक अपना जीभ घुसाने की जगह मेरे बियर की बोतल लेकर मुझे पिलाने लगा तो मैं लेटे हुए में बियर पी रही थी और वो शेष बचे बियर को मेरे कमर से जांघों तक गिराकर मुझे भिगो दिया, अब मेरी जांघें फैल चुकी थी तो वो चूत पर भी बियर चुवाया और अब मेरे स्तन पर मुंह लगाकर चूची चूसने लगा, मैं अब कामुकता वश सिसकने लगी ” ओह विवेक पूरे जिस्म पर बियर, तन भिगो दिया ‘ लेकिन वो चूची चूसने में मस्त था तो उसके पीठ पर मैं हाथ फेरने लगी और वो मेरी दूसरी चूची को मुंह में भर चुभला रहा था। दीपा की चूत में खुजली होने लगी तो देवर चूची चूसने में लीन थे तभी मैं उनके चेहरे को पीछे धकेल चूची को मुंह से निकाल दी फिर भी विवेक मेरे भींगे बदन को चाटते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगा तो कमर पर उसके ओंठ का प्यार पाकर चूतड हवा में उठाने लगी और दोनों जांघें इस क़दर फैलाई मानो उसका लंड नहीं उसे ही पूरी तरीके से घुसा लूंगी और विवेक झट से अपना कपड़ा उतार नंगा हुआ फिर मेरी चूत पर मुंह लगाए चूमने लगा और कोमल जननांग पर मर्द के ओंठ का एहसास मुझे पागल कर रहा था तो उसके बाल पकड़ उसके चेहरे को चूत की ओर घुसा रही थी और देवर जी मेरे चूत को फैलाकर जीभ घुसाए चाटने लगे तो पूरा तन बियर की वजह से चिपचिपा लग रहा था, जी कर रहा था कि जाकर नहा लूं लेकिन फिलहाल तो कुत्ता बुर चाटते हुए मेरे कमर को कसकर पकड़ रखा था ” उह ओह विवेक अब नहीं प्लीज़ चोद चोद ना मुझे ” लेकिन उसकी जीभ मेरी चूत में तेजी से नाच रही थी फिर विवेक जीभ निकाल लिया और अपनी दो उंगलियों को चूत में घुसेड़ रगड़ने लगा तो मैं अब चुदासी चूत से परेशान थी, उसे अब मूसल लंड चाहिए था तो विवेक उंगली करता हुआ मेरी चूत को रसीला बनाने में लगा हुआ था ” उह ओह आउच विवेक अब बुर से रस निकलने वाली है ” और वो उंगली निकाल चूत की फांकों को ओंठो के बीच लेकर चूसने लगा फिर चूत से रस निकल पड़ी जिसे वो चूसकर चेहरा हराया….
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
शादीशुदा दीदी : जिस्मानी सम्बन्ध को जागृत किया

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#25
(11-08-2022, 05:02 PM)neerathemall Wrote:
शादीशुदा दीदी : जिस्मानी सम्बन्ध को जागृत किया


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#26
(11-08-2022, 05:03 PM)neerathemall Wrote:
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शादीशुदा दीदी : जिस्मानी सम्बन्ध को जागृत किया
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#27
(11-08-2022, 05:04 PM)neerathemall Wrote:
शादीशुदा दीदी : जिस्मानी सम्बन्ध को जागृत किया

किसी भी इंसान के लिए चूत की खुशबू बहुत मायने रखती है तो राहुल अबतक अपनी मॉम, दीदी, बुआ, मौसी, छोटी चाची के संग शारीरिक संबंध कायम कर चुका था तो वो लोग भी दिल से मेरे सामने नंगी होकर मजे लुटती रही और राहुल कि काम वासना हमेशा बढ़ती रही तो मैं राहुल मल्होत्रा, २४ साल की उम्र तो कद ६’०फीट के आसपास साथ ही कसरती बदन और मेरी बहन दीपा मुझसे दो साल बड़ी हैं तो उनकी शादी ४ साल पहले हो चुकी है और फिलहाल उनको एक दो साल की बेटी भी है तो दीपा २६ साल की उम्र में भी काफी सेक्सी लगती हैं और उनके छरहरे बदन में थोड़ा भराव सा आ गया है, उनके बूब्स की साइज़ काफी बड़ी हो चुकी है तो गोल गुंबदाकार गान्ड कुछ अधिक ही मानसल है और भाई बहन के बीच तकरीबन दो साल से कोई जिस्मानी सम्बन्ध नहीं बने हैं लेकिन अब दोनों को मौका मिलने वाला ही है क्योंकि दीदी कानपुर आने वाली है वो भी १५-२० दिनों के लिए तो मैं ये खबर सुनते ही खुश हुआ लेकिन फिलहाल नग्न आंखों से सपना नहीं देख रहा था, दीपा के साथ उनके पति भी आनेवाले हैं तो उनकी छोटी सी बेटी नताशा किस हद तक अपने मॉम को समय दे पाएगी, ये मुझे मालूम नहीं। आज सुबह मैं गहरी नींद में था कि मॉम मुझे आकर जगाने लगी ” राहुल उठो, दीदी जीजाजी आ चुके हैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#28
( मेरी आंखें खुली ) ठीक है एक कप चाय जाकर बनाओ मैं अभी आया ” फिर मैं वाशरूम जाकर फ्रेश हुआ तो वक़्त सुबह के ०७:०५ हो रहे थे फिर मैं रूम से बाहर निकला तो जीजा जी वहीं बैठकर डैड से बात कर रहे थे, मैं उनका चरण स्पर्श कर दीदी के रूम घुसा तो दीदी मुझे देख बेड पर से उठी फिर मुझे बाहों में लेकर गले मिल ली तो उनके भारी भरकम चूतड़ को मैं सहला दिया ” और क्या हाल है भाई

( मैं बेड पर बैठकर भांजी नताशा का गाल पुचकारा ) ठीक है और तुम
( दीदी ) ठीक हूं ” फिर मॉम वहीं पर आकर दोनों को चाय का कप देकर चली गईं तो मैं चाय की चुस्की लेते हुए दीपा की बूब्स को घूरने लगा और मेरी आंखों की चोरी पकड़ते हुए वो झेंप गई तो मैं मुस्कराने लगा ” काफी बड़ा हो गया है
( वो चेहरा ऊपर कर बोली ) तुम्हारी शैतानी कम नहीं हुई है ” फिर दिन और रात आराम से बित गया तो मुझे जीजा के वापस जाने का इंतजार था ताकि दीपा के साथ सेक्स का आनंद ले सकूं लेकिन भांजी के जन्म के बाद दोनों के बीच मुलाकात तो हुई थी लेकिन सेक्स नहीं हुआ था। दो दिन के बाद जीजा वापस अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए दिल्ली चले गए तो मैं उनको कानपुर जंक्शन पर छोड़कर वापस घर आने के क्रम में रास्ते में ही एक क्वार्टर वाईन लेकर पी लिया तो दिमाग में सिर्फ दीदी कि चुदाई का ही प्लान चल रहा था। घर तकरीबन ०८:०० बजे पहुंचा तो दिसम्बर की कड़क ठंड में डैड, मॉम अपने रूम में थे तो दीदी शायद अपने रूम में वैसे भी मेरा कमरा दीदी के कमरे से सटा हुआ है और दोनों के बीच का वाशरूम कॉमन है और इसी रास्ते अंदर घुसकर आज दीदी कि चुदाई करनी थी, फिलहाल हाथ पैर धोकर कपड़ा बदला और दीदी के रूम चला गया तो दीदी अपनी बेटी को गोद में लिए सुला रही थी, मुझे देख बोली ” और जीजा को ट्रेन पर बिठा दिए
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#29
मैं ) नहीं, बस प्लेटफॉर्म तक साथ गया तो ट्रेन लगभग एक घंटे बिलंब थी

( दीदी ) जीजा की ट्रेन थोड़ी देर पहले खुल चुकी है, वो मुझे फोन किए थे ” तो मैं दीपा को उसके काले रंग की नाईटी में घुर रहा था और वो अपनी बेटी को बेड पर लिटाकर मेरे करीब खिसकी और मेरे जांघ पर हाथ फेरने लगी तो मैं दीदी के बूब्स को नाईटी पर से ही पकड़कर दबाने लगा ” कितना बड़ा हो गया है
( वो बेशरम की तरह बोली ) तो क्या हमेशा एक सा रहेगा ” और दीदी तभी मेरे लंड के उभार को पैजामा के उपर से पकड़कर दबाने लगी तो दीदी की मुलायम चूची दबा दबाकर मैं मस्त हो रहा था, मेरा दूसरा हाथ उनके चेहरे से गर्दन तक को सहलाने लगे तो वो बोली ” देर रात वाशरूम के रास्ते यहां आ जाना, ढेर सारी बातें करेंगे ” फिर मैं दीपा के चेहरे को चूमने लगा तो दीदी पहले तो थोड़ा शरमाई फिर वो मेरे से लिपटकर मुझे चूमने लगी और दोनों एक दूसरे के ओंठ चूम चूमकर गर्म होने लगे, दोनों काम की ज्वाला में तड़प रहे थे कि किसी के आने की आहट सुनाई दी तो दीदी मुझसे दूर होकर बैठी और दोनों सिर्फ बातें करने लगे, मॉम आकर पूछी ” तू कब लौटा
( मैं ) १५-२० मिनट पहले, चलूं थोड़ा आराम करने
( मॉम ) खाना खाकर सो जा
( मैं ) अभी भूख नहीं है, तुम लोग खा लेना मैं बाद में खाऊंगा ” और फिर अपने रूम जाकर आराम करने लगा
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#30
घर के सभी लोग साथ में खाना खा रहे थे तो दिसम्बर के कड़ाके की ठंड में मैं कम्बल ओढ़कर लेटा हुआ आराम कर रहा था। दीपा के गोरे बदन के साथ उनके बड़े बड़े बूब्स, भारी भरकम चूतड़ के साथ बुर का क्या हाल फौजी जीजा ने किया होगा ये तो देखकर ही समझ में आएगा बाकिं मेरी दीदी चुदककड़ किस्म की औरत है तो आर्मी केंट में गैर मर्दों के संग वो शारीरिक संबंध नहीं बनाई हो इसकी गारंटी मैं नहीं दे सकता, फिर दीवार घड़ी में देखा तो रात के १०:१५ हो चुके थे और शायद डायनिंग हॉल में कोई भी नहीं था तो घर में पूर्णतः सन्नाटा, सोचा एक बार टहल कर घर का माहौल देखा जाए तो रूम से बाहर निकला और फिर मॉम के रूम की ओर गया तो दरवाजा बंद था और फिर दीदी के रूम की ओर गया लेकिन वो भी दरवाजा बंद कर चुकी थी। राहुल किचन जाकर प्लेट में खाना निकाल रूम लेता आया और फिर अपने रूम का दरवाजा बंद करके मैं वाशरूम घुसा तो दीदी के रूम की ओर का दरवाजा वाशरूम की ओर से सिर्फ सटा हुआ था, मैं दबे पांव उसके रूम में दाखिल हुआ तो दीदी रजाई तन पर डाले सो रही थी लेकिन मेरे तन की भूख बढ़ चुकी थी, मैं दीदी के पैर के पास बैठा तो दीपा अपनी बेटी को सीने से लगाए आराम से सो रही थी तभी मैं धीरे से अपना हाथ रजाई में घुसा दिया और उनके कमर से पैर तक को सहलाने लगा, मेरा हाथ उनके नाईटी को कमर की ओर करने के प्रयास में लगा हुआ था और जैसे ही मेरा हाथ उनके नाईटी के अंदर चला गया, मैं हाथ उनके जांघों के बीच लगाकर पैंटी पर हाथ फेरने लगा और गद्देदार चूत की फांकें पैंटी पर से ही गर्म लग रही थी और उसको सहलाता हुआ मजा ले रहा था कि उसकी आंखें खुल गई और वो उठकर पहले तो अपनी बेटी को थोड़ा अलग की फिर मैं अपनी भांजी को एक कम्बल ओढ़ाकर दीपा के रजाई को हटाया तो वो भी बेझिझक मेरे से लिपट गई, दोनों बेड के बीचोबीच होकर बाहों में एक दूसरे को पकड़े चुम्बन देने लगे और दीपा की रसीली ओंठ मेरे गर्दन पर थी तो मेरा हाथ उसके पीठ सहलाने में लगा हुआ था और तभी दीदी मेरे गर्दन में हाथ डाले मेरे ओंठ पर ओंठ रखकर चूमने लगी तो मेरा हाथ उनके बूब्स की गोलाई को सहलाने लगा। दीपा ब्लू रंग की नाईटी पहन रखी थी तो उसकी डोरी कमर पर बंधी हुई थी और तभी दीपा मेरे मुंह में अपना जीभ घुसाने लगी तो मैं उनके जीभ मुंह में लिए चूसने लगा तो वो मेरे पैजामा की डोरी को पकड़ खोल दी और उसकी जीभ चूसता हुआ मैं अपना पैजामा खोल दिया तो दीदी कि नाईटी भी दो हिस्सों में होकर उसकी मोटी बाहों पर थी और उसके दोनों स्तन दूध से लबालब लग रहे थे, कुछ देर के बाद उनकी जीभ निकालकर उनको बेड पर लिटाया फिर उनके उफान लेती चूचियां को पकड़ दबाने लगा, दो साल में ही दीपा की चूचियां बहुत बड़ी हो चुकी थी तो उनके तन से नाईटी उतारकर उन्हें नग्न कर दिया लेकिन पैंटी उनकी चूत को ढक रखी थी।
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#31
मैं दीपा के सीने पर चेहरा किया तो दीदी मेरे बाल सहलाते हुए मुंह में अपनी चूची घुसेड़ दी और मैं दीपा की चूची चूसने लगा, उससे थोड़ा बहुत दूध भी निकल रहा था तो गजब का आनंद मुझे आने लगा और दीपा मेरे चूतड़ सहलाते हुए ” उह ओह चूस चूस बे कुत्ते और दीदी की दूध भी पी ले

( मैं चूची निकालकर ) दूध में काफी मिठास है बेबी ” वो अपने चेहरा को दूसरी दिशा में करके शरमाने लगी लेकिन मैं दीदी की दूसरी चूची मुंह में लेकर चूसने लगा और दीपा मेरे पीठ सहलाते हुए आहें भर रही थी ” ओह राहुल बहुत खुजली हो रही है उह और नहीं ” फिर उनकी बूब्स छोड़कर मैं दीपा के छाती से पेट तक को चूमने लगा, इधर लंड महाराज चूत में जाने को तैयार था लेकिन बिना लड़की को गर्म किए चोदने का आनंद कहां है साहब! दीपा अपने दोनों पैर एक दूसरे पर चढ़ाकर रगड़ने में मस्त थी तो मैं उनके कमर चूमने लगा और धीरे धीरे नीचे की ओर जाने लगा, उनके दोनों जांघों को अलग किया तो दीदी मेरे सामने आत्मसमर्पण कर चुकी थी और फिर मैं उनके पैंटी की हूक को खोलकर चूत को नग्न किया और दीदी कि लालिमा लिए चूत के फांकों की मोटाई बढ़ चुकी थी तो नाक की भांति टाईट शिश्निका देख मैं अपने आपको रोक नहीं पाया फिर उसको सहलाने लगा ” दीपा तो पड़ोस का कोई मर्द जो तुझे चोदता हो
( वो ) अबे अपनी दीदी को रण्डी समझा है क्या
( मैं मुंह उसके चूत पर लगाकर चूमने लगा ) तुम शुरू से ही सेक्स की शौकीन रही हो समझी ” और उसकी चूत को जब उंगलियों से अलग किया तो सही में बुर का छेद काफी फैल चुका था, मैं बुर पर चुम्बन देने लगा और वो सिसकने लगी…
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#32
लगभग दो साल बाद मैं अपनी बड़ी बहन दीपा को नग्न अवस्था में देख रहा था तो उसकी मोटी चिकनी जांघों के बीच चेहरा लगाए राहुल उसकी बुर को चूमने लगा और उसकी मोटी गान्ड की वजह से चूत का हिस्सा उपर की ओर यानी मेरे चेहरे के सामने था, उसको किस्स करके मैं छेद में नाक घुसा दिया और सूंघते हुए नाक को ही बुर में रगड़ने लगा और वो कामुक होकर मेरे बाल सहलाते हुए मेरे चेहरा को बुर की ओर घुसेड़ रही थी तो फिलहाल सांस लेना भी मुश्किल था, फिर मैं चूत की खुशबू लेकर उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए उसकी कमर सहलाने लगा ” तेरी छेद बहुत फैल चुकी है डार्लिंग

(दीपा ) तो दिख नहीं रहा कि बेटी को मैंने जन्म दिया है, फैली हुई चूत उसकी ही निशानी है और तेरे जीजा का मूसल लंड जोकि हर रात चूत चोदता है ” मैं दीपा की चूत फैलाकर जीभ को अंदर घुसा दिया फिर चाटने लगा, समझ चुका था कि चूत की गहराई और फ्लक बढ़ चुकी है, खैर इसकी गान्ड ही चोदूंगा और तभी दीपा की चूत चाटने में मस्त था तो एक हाथ उसके कमर पकड़ रखा था साथ ही दूसरा हाथ उसकी गान्ड सहलाने में मस्त और दीपा ” उह ओह राहुल, चाट चाट ना साले तेरा जीजा तो बस चोदना ही जानता है
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#33
(मैं सर उठाकर बोला ) वो पता है लेकिन और किसी से चुदाई की नहीं ” वो चुप्पी साधे रही तो राहुल दीदी कि चूत के दोनों फांक को ओंठो के बीच लेकर चूसने लगा और वो सेक्सी आवाज में बोल रही थी ” उह ओह उं जान निकाल दोगे क्या ” तो मैं पल भर चूसकर बुर को छोड़ा, वैसे भी चुदककड़ दीपा की चूत से रस इतनी आसानी से निकलने वाला नहीं था तो मैं उठकर वाशरूम चला गया और अपने कमर से टॉवेल लपेटकर वापस आया तो दीदी अपने बदन पर नाईटी डालकर फ्रेश होने वाशरूम गई और मैं बेड पर लेट गया। पल भर बाद वो बेड पर आईं तो मैं उसको देख मुस्कुराने लगा, वो मेरे टॉवेल को खोलकर लंड पकड़ी फिर सहलाने लगी तो दूसरे हाथ से अपनी नाईटी उतार रही थी, दोनों नग्न हो चुके थे तो मेरा ६-७ इंच लम्बा और २ इंच मोटा लन्ड सहलाते हुए बोली ” अब तेरा लंड मुझे छोटा लगने लगा है

(मैं हंसने लगा ) अच्छा तो फिर इक़बाल को बुलाऊं क्या ” लेकिन वो चुप रही फिर झुककर लंड का चमड़ा छीलकर सुपाड़ा को चूमने लगी, मेरे लंड की अकड़ देखने लायक थी तो दीपा उसको चूमते हुए झांट में उंगली घुमा रही थी और फिर वो अपना मुंह खोलकर आधा से अधिक लंड अंदर लिए चूसने लगी तो मैं हाथ बढ़ाकर दीदी की चूची को पकड़ दबाने लगा और फिर वो अपनी काम कला को प्रदर्शित करते हुए मुखमैथुन करने लगी, मुंह में लंड लिए तेजी से सर का झटका दे देकर लंड को प्यार कर रही थी तो मैं उनके दूध से भरे स्तन को दबाने में मस्त था ” उह ओह आह सेक्सी, बस हुआ और नहीं अब चोदने दे
(वो लंड निकालकर ) साले इतनी जल्दी फटने लगी
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#34
(वो लंड पर जीभ फेरते हुए चाट रही थी ) वो तो तुम्हे चोदकर ही बताऊंगा साली रण्डी ” तभी वो दुबारा लंड को मुंह में लिए चूसने लगी तो मैं देर तक टिकने वाला नहीं था, वैसे भी एक हफ्ता पहले मुठ मारकर लंड को शांत किया था तो उसके सर का झटका काफी तेज था और मैं भी चाहता था कि साली मेरे लंड को चूस चूसकर वीर्यपात करा दे, फिर दुबारा लंड टाईट होने पर चुदाई करूंगा तो मेरे हाथ में उसकी मुलायम चूची थी और उसको पुचकारते हुए मैं मस्त था ” और तेज चूस बे रण्डी पिलाऊंगा तुझे अपने लंड का वीर्य ” लेकिन वो गीले लंड को मुंह से निकालकर मेरे बगल में लेट गई तो मैं उसकी और करवट लिए बोला ” क्यों, चूसकर वीर्यपात नहीं करा सकी

(वो शरमाते हुए अपना चेहरा फेर ली ) तो क्या अपनी चुद्कड़ बहन की चुदाई नहीं करोगे
(मैं उठकर बैठा ) जरूर लेकिन इस राउंड में सिर्फ ३-४ मिनट तक ही टिक पाऊंगा ” और फिर दीपा चित होकर टांग फैलाए लेटी रही तो मैं उसके दोनों जांघों के बीच लंड पकड़े बैठा, सुपाड़ा को छेद पर रखकर जोर से धक्का दिया तो खसखसाता हुआ आधा लंड बुर में था और फिर मैं झट से तेज धक्का दिया तो पूरा लंड उसकी गद्देदार चूत के अंदर थी और तेज रफ्तार से दीपा को चोदता हुआ उसके एक बूब्स दबाने लगा तो दीपा का चेहरा लाल हो चुका था और वो आहें भरने लगी ” उह आह उम् राहुल बहुत मजा आ रहा है और तेज चोद ना ” तो मैं उसके चीखने जिस्म पर सवार होकर दे दनादन चोदने लगा तो २६ साल की चुदासी बहन मुझे बाहों में लिए चूतड़ उछालने लगी और भाई बहन चुदाई में मशुगुल थे, उनके उपर लेट कर चोदता हुआ हांफने लगा और तभी दीपा चिनख उठी ” उह ओह अब और नहीं रस निकलेगा ” तो पल भर बाद मुझे बुर में रस का एहसास हुआ, उनके तन पर से उतरकर मुंह को बुर पर लगाया और चूत फैलाकर जीभ से रस चाटने लगा, वर्षों बाद दीदी की चूत का रस चख रहा था और दीदी बिना देर किए बेड पर ही कूतिया की तरह ही गई तो राहुल उनके चूतड़ के सामने बैठकर लंड पकड़े बुर में घुसाने लगा, सरसराता हुआ पूरा लंड एक ही सांस में अंदर घुसा कर उनकी कमर पकड़ा और चोदने लगा तो दीपा पीछे मुड़कर देखी फिर अपने कमर हिलाते हुए चुदाई का आनंद देने लगी और मैं चोदता हुआ हांफने लगा ” उह ओह दीपा अब और नहीं आह ये लो निकला ” तो मेरा लन्ड वीर्य स्खलित करके शांत पड़ गया और कुछ देर बाद दीपा मेरा लन्ड चूसकर वीर्य का स्वाद चख ली……
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#35
ये तो असमंजस में आपको डालने वाली बात हुई ना की मेरे पति के चाचा की बेटी की शादी आज है और उसकी शादी के रस्म के वक्त मेरी सुहागरात हो रही थी, आप समझ जाएंगे कि दीपा की सुहागरात किसके साथ और किस परिस्थिति में हुई, आज देर शाम स्वाति के लिए बारात आने वाली है तो पूरे घर को रोशनी से सजाया गया है,
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#36
कई जगह पर जेनरेटर लगा हुआ है जोकि दोपहर से ही काफी शोरगुल कर रही है तो शाम होते ही घर में विवाह गीत संगीत औरतों द्वारा गाया जा रहा था तो मैं अब अपने रूम से निकल वाशरूम गई और फिर फ्रेश होकर स्नान कर ली, जिस घर में मेरे रहने का इंतजाम था वहां थोड़ी चहल पहल कम थी और अधिकतर औरतें ही यहां रुकी हुई थी सो थोड़ी नाफिक्र थी। दीपा स्नान करके बदन को टॉवेल से पोंछ ली फिर पेटीकोट को स्तन के उपर से बांध एक टॉवेल गर्दन से नीचे तक डाल वाशरूम से निकली, वैसे भी मुश्किल से रूम और वाशरूम की दूरी २०-२५ फीट थी लेकिन घर के प्रथम मंजिले पर के बरामदे पर एक दूरी से नजर पड़ सकती थी, सो मैं तेजी से रूम की ओर गई फिर रूम का दरवाजा सटाकर अपने बैग से एक पीले रंग की साड़ी, साथ में पेटीकोट और ब्लाऊज़ निकाली तो ब्रा भी लगाना जरूरी था, अब मैं अपने तन पर से भींगे पेटीकोट को उतार फैंकी और फिर ब्रा लगाई साथ ही पेटीकोट फिर अपने ब्लाऊज और अंत में साड़ी पहन ली। दीपा २६ साल की मचलती जवानी थी तो उसने अपने बिन बाहों वाली बैकलेस ब्लाऊज पहन लोगो को आकर्षित करने का मूड बना रखा था साथ ही अपने बदन पर इत्र लगाकर सुगन्ध दे रही थी तो वक़्त शाम के सात बजे थे और अब मैं बेड पर बैठ सोचने लगी कि मेरी ननद तो आईं है नहीं तो फिर किसके साथ थोड़ा अटखेली करूंगी, और तभी ध्यान में मुझे रिंकी आईं जोकि बेड पर मेरे बगल में सो रही थी। मैं बेड पर लेटी थी कि मेरे पति ने मुझे कॉल किया ” तुम तैयार हो ना
( मैं ) हां तैयार हो रही हूं, क्यों
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#37
( वो ) ठीक है तुम इस आंगन में थोड़ी देर बाद आ जाना, बारात आधे घंटे में आने वाली है ” फिर मैं अकेले बोर हो रही थी कि रिंकी आईं, मुश्किल से १८ साल की होगी और मुझे देख बोली ” भाभी आप तो गजब की खूबसूरत लग रही हैं
( मै मुंह इठलाते हुए बोली ) रहने दे अब मेरा कोई वैल्यू नहीं है, समझी ” फिर दोनों रूम से निकले और सीढ़ी से उतर बगल के आंगन गए तो वहां आंगन में ही शादी का मंडप बना हुआ था तो घर और बाहर की महिलाएं साथ ही लड़कियां बारात के स्वागत की तैयारी कर रही थी, उनके लिए फूलों का इंतजाम किया गया था जोकि उनके द्वार पर आते ही उन पर बरसाया जाता तो मैं भी अपने उम्र की औरत के साथ हुई फिर बातचीत कर रही थी….. कुछ देर बाद बेंड बाजा और पटाखे की आवाज सुनाई दी तो सभी महिलाएं आंगन के द्वार तक फूलों कि थाल लिए जाने लगी, साथ में मैं और रिंकी भी थे तो द्वार पर रुक गए तो दूसरी ओर घर के मर्द लोग उनके स्वागत के लिए खड़े थे फिर दूल्हे का गाड़ी आया तो पहले कई बाराती थे जोकि शायद नशे में मस्त होकर बेंड बाजा पर डांस कर रहे थे फिर हम लोग उन सबों पर फूल बरसाने लगे तो दूल्हे का कार रुका और अब बाराती से घर के लोग गले मिलने लगे, अंत में गाड़ी से दूल्हे को गोद में लेकर लड़की का भाई आंगन घुसा फिर हम सब आंगन में तो बारातियों के लिए द्वार के पास ही नाश्ता और खाने का इंतजाम था, अब दूल्हे को गोद से उतार मंडप पर बिठाया गया तो शादी के ड्रेस में स्वाति बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। दीपा मंडप के एक किनारे नीचे बिछे गद्दे पर बैठी और फिर थोड़ी देर में शादी का रस्म शुरू हुआ तो कुछ बाराती भी मंडप के दूसरे किनारे लगे कुर्सी पर बैठकर शादी की रस्म देखते हुए कॉफी और नाश्ता कर रहे थे, इतने में मुझे अपने मोबाइल पर रिंग सुनाई दिया और मैं उस शोरगुल से थोड़ी दूर होकर कॉल रिसीव की ” हेल्लो कौन
( वो हंसने लगा ) भाभी जी आवाज तो पहचानिए फिर दिखेंगी तो पहचान ही लेंगी ” तो मैं कॉल डिस्कनेक्ट कर वापस मंडप की ओर जाने लगीं तो दुबारा रिंग होने लगा और मैं गुस्से में कॉल रिसीव कर बोली ” कौन है बदतमीज क्यों मुझे परेशान कर रहे हो
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#38
( वो ) आपका देवर और आशिक भी क्यों भाभी गुस्से में तो आपकी गाल सेव की तरह लाल लग रही है ” वो कुछ दूरी पर ही खड़ा था तो मेरी नजर उसपर गई और मैं उसके ओर गई तो भाभी और देवर के बीच बातचीत कोई भला क्या शक करेगा, तभी वक़्त रात के ०८:३० हो रहे थे तो मै विवेक के साथ ही आंगन से निकल पड़ी और संयोग अच्छा था कि मेरे पति ना तो आंगन में थे और ना ही बाहर बारातियों के साथ तो मुझे मालूम नहीं था कि मेरा देवर विवेक मुझे किधर ले जा रहा था। दीपा अब शादी के घर से ५०-६० मीटर की दूरी पर रुकी ” विवेक किधर जाना है
( वो ) यहीं पर अपनी गाड़ी लगी है उसमें बैठकर दोनों बातचीत करेंगे ” तो कुछ दूरी पर कई कार और गाड़ी लगी हुई थी, निश्चित रूप से बाराती इससे आए होंगे तभी विवेक एक बड़ी कार का गेट खोला तो वहां कोई नहीं था और दोनों कार के पिछले सीट पर बैठे तो विवेक गेट बंद कर ए सी चालू किया फिर दोनों एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे को चूमने लगे, उसकी बाहों में आकर मैं मस्त थी तो उसके गोद में अपनी गोल गद्देदार चूतड रख उसके गर्दन में हाथ डाल ओंठ चूमने लगे और विवेक मेरी पीठ सहलाते हुए ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा तो दीपा उसका साथ देने लगी, एक ओर स्वाति की शादी हो रही थी तो दूसरी ओर दीपा अपने दूसरे पति यानी देवर के साथ सुहागरात मनाने को तैयार थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
कार में विवेक के गोद में बैठ दीपा उसके मुंह में जीभ घुसाई तो देवर जी मेरे जीभ को चूसने लगे साथ ही मेरे बैकलेस ब्लाऊज की डोरी खोल चुके थे तो ब्लाऊज आगे की ओर लटक चुका था लेकिन फिलहाल तो उसके छाती से मेरी बाईं चूची ही दब रही थी और उसके मुंह में जीभ डाल ऐसा लगा मानो वो ड्रिंक्स किए हो फिर भी पल भर तक फ्रेंच किस्स का मजा ली फिर उसके गोद से उतर अपनी बलाऊज को बाहों से निकाल दी तो विवेक मेरे साड़ी को सीने से नीचे कर चूचियों के नग्न हिस्से को चूमने लगा साथ ही मेरे नग्न पीठ सहला रहा था, मेरा हाथ उसके पैंट के बटन पर था तो मेरी चूचियों को चूमता हुआ वो मेरी सपाट पेट तक को चूमने लगा और मेरी चूत में अब खुजली होने लगी तो विवेक झट से अपना पैंट खोल चढ्ढी उतार दिया और कार के अंदर बाहर से ही थोड़ी बहुत रोशनी आ रही थी, उसका गोरा लम्बा लंड पकड़ सहलाने लगी तो वो मेरी ब्रा की हूक खोल चूचियों को नंगा कर दिया। विवेक मुझसे उम्र में दो साल छोटा होगा तो उसके गोरे बदन और स्मार्ट फिगर ने मुझे उसकी ओर आकर्षित कर रखा था साथ ही दोनों के बीच कई बार संभोग क्रिया भी पहले हो चुका था, फिलहाल विवेक अपना चेहरा चूची पर लगाया और मुंह खोल मेरी चूची को अंदर लिए चूसने लगा तो उसके लंड को पकड़ मैं हिलाने लगी, दोनों सेक्स की दुनिया में खो चुके थे। दीपा के खूबसूरत जिस्म का उपरी हिस्सा नग्न था तो वो मेरी चूची चूसते हुए मेरे पीठ को सहला रहा था और अब कामुकता वश मैं उसके चेहरे को पीछे की फिर चूची मुंह से बाहर कर विवेक मेरे दूसरे स्तन को मुंह में लिए चूसने लगा ” ओह उह विवेक प्लीज़ चोद ना क्या चूची चूसने में लगे हुए हो, कितने दिनो के बाद तो तेरी बाहों में हूं ” लेकिन देवर मेरी चूची चूसता रहा और उसका लंड अब टाईट हो चुका था, बड़ी कार थी तो पिछले सीट पर आराम से टांग फैलाए चुदवा सकती थी और जैसे ही उसने मेरी चूची को छोड़ा, मैं उसके गोद से उतर गई और अपने कमर से लिपटे साड़ी को खोल अब पेटीकोट खोलने लगी तो विवेक अपना शर्ट उतार नंगा हो गया और सारा कपड़ा अगले सीट पर रख अब मैं कार के खिड़की से सर लगाए सीट पर लेटी तो विवेक मेरी जांघों के बीच चेहरा किए बुर को चूमने लगा और मैं उसके ओंठ का प्यार चूत पर पाते ही आहें भरने लगी ” ओह उह उई मां कितनी गुदगुदी बुर के अंदर हो रही है ” तो मेरी फांकों के बीच जीभ रगड़ता हुआ विवेक मेरी चूत चाटने लगा और मैं मस्ती में लेटे हुए सिसक रही थी ” उई सी इस आह ओह तुम तो बुर से पानी निकाल कर ही रहोगे ” तो भी कुत्ते की तरह विवेक मेरी चूत को चाटता रहा, हर लड़की और औरत चाहती है कि उसके योनि को मर्द चूमे / चाटे तो अब विवेक जीभ निकाल मेरी चूत में दो उंगली एक साथ घुसाए रगड़ने लगा साथ ही मेरे गोल मुलायम चूची को पकड़ मसल रहा था और मैं ” ओह उह आह अब नहीं मेरा रस निकलेगा आह चाट साले रण्डी की औलाद ” तो विवेक मुस्कुराता हुआ ” तेरी सासू मां तेरे तरह दस घाट का पानी नहीं पी रही है
( मैं गुस्से में ) सो क्या तुमसे इजाजत लेकर चुद्वाएंगी ” और मेरी चूत से रस निकलने लगा तो देवर जी जीभ बुर में डाल चाटने लगे और दीपा चुदाई को तड़प रही थी, अब मेरे बदन में मानो आग लगी हुई थी तो विवेक बुर चाट चेहरा उपर किया ” भाभी जान मेरा लंड मुंह में या फिर चूत में डालूं
( मैं झेंप के चेहरा को हथेली से ढक ली ) आपकी भाभी अपना तन आपको सौंप चुकी है, जिधर डालना हो डालिए ”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
विवेक बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसाने लगा तो मेरी रसीली चूत जब ससुर के मोटे लंड को निगलकर दो दो बार चुदवा ली तो फिर विवेक का तो उससे काफी पतला और छोटा था, पूरा लंड घुसाने के बाद विवेक मुझे चोदने लगा तो मैं अपने दोनों पैर हवा में किए चूतड को थोड़ा ऊपर उचकाए चुदाने लगी, लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की गहराई तक घुस रहा था तो विवेक मेरे पैर कंधे पर रख दे दनादन चोदता हुआ बूब्स पकड़ा फिर जोर जोर से मसलने लगा और मेरी चूत अब चुदाई का आनंद लेते हुए ओर्गास्म की ओर जा रही थी, वैसे मेरी चुदासी चूत को तृप्त करना सब मर्दों के वश का नहीं था ” ओह चोद साले शादी करेगा नहीं और इधर उधर मुंह मारेगा, मेरी ननद दीपाली को चोदता है कि नहीं
( विवेक मुस्कुराने लगा ) बहन है मेरी और उसकी ओर तो आंख उठाकर भी देखना पाप है ” इधर मेरी चूत में लंड का गपागप घुसना उसके रस को उड़ा चुका था तो बुर की गर्मी से परेशान दीपा अब चीखने लगी ” चोद चोद और तेज ओह इतनी मस्ती दस दिन के बाद ही मिल रही है उह मेरी बुर की गर्मी ” और देवर जी चोदते हुए हांफने लगे साथ ही मेरे ऊपर अब सवार होकर चोद रहे थे तो मैं भी अपने चूतड उछालते हुए उसके लंड का धक्का सहने लगी। कार में पिछले सीट पर नंगी लेटी हुई दीपा के बदन पर उसका देवर लेटकर चोदे जा रहा था तो उसका लंड राजधानी एक्सप्रेस से भी तेज गति में अंदर और बाहर हो रहा था और मै अपने गोल गद्देदार चूतड उछाल उछालकर हांफने लगी लेकिन विवेक रुकने और झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, दोनों वातानुकूलित कार में पसीना पसीना हो चुके थे तो अब मैं चूतड स्थिर की फिर विवेक १०-१२ जोर का धक्का दिया और उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ मेरी चूत को ठंडा कर दिया, बुर वीर्य से लबालब था तो चिपचिपा भी फिर वो मेरे पर से उठा तो मै अपने पेटीकोट से चूत साफ की फिर कपड़ा पहन शादी की मंडप की ओर गई, देर रात तक शादी के रस्म देख खाना खाई और फिर से सुहाग्सेज पर जाकर लेट गई…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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