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Incest रक्षाबंधन मनाया संगीता दीदी के साथ
#61
तभी तो बोल दिया बहन तूने वादा किया था सुबह की तुम मुझे गिफ्ट दोगी मना नहीं करोगी तब समय आ गया। मैं बोली चल मांग ले जो मांगना है। उसके तुरंत कह दिया मैं एक किस करना चाहता हूँ मैं बोली बस एक किस ले लो। वो तुरंत ही मेरे करीब आ गया मैं अपना गाल आगे कर दी। उसके गाल पर किस किया और फिर मेरे होठ के तरफ बढ़ने लगा। मैं बोली ये क्या कर रहे है। पता है होठ पर किस कौन करता है। मेरा भाई बोला मैं पहले से ही जनता था की तुम मुझे गिफ्ट नहीं दोगी। मैं बोली ठीक है ले लो। इतना कहते ही वो मेरे होठ पर अपना होठ रख दिया और मेरे ग़ुलाबी होठों को चूसने लगा। मैं कुछ देर तक तो मुट्ठी बाँध कर शांत रही पर जल्द ही मैं भी टूट गयी। मैं तुरंत ही उसके बाल को पकड़ी और जोर से उसके होठ को चूसने लगी। हम दोनों ने एक दूसरे के लिप को लॉक कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
और फिर एक दूसरे ने मुँह में जीभ डालने लगे और चूमने लगे। मैं फिसल गयी उसके इस प्यार में क्यों की उसका मोटा लंड तम्बू तान दिया दिया। और उसके हाथ मेरे दोनों चूचियों प् आ गए थे। हौले हौले से दबा रहा था जिससे मेरे पुरे शरीर में हलचल और सिहरन होने लगी थी। मैं पागल हो गयी थी। मैं भूल गयी थी की वो मेरा भाई है। उसके मुझे निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी। कभी चूचियों को दबाता कभी वो मेरे जांघ को सहलाता कभी को मेरी जुल्फों से खेलता तो कभी वो मेरे गर्दन पर चूमता।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63
सने मेरे कपडे उतारने लगा तो मैं मना कर दी। बोली तुम मेरा भाई है नहीं की मेरा पति। मैं ये करने कैसे दे सकती हूँ। उसने कहा कुछ नहीं होगा ऐसा आजकल होता है। कोई बड़ी बात नहीं है भाई भी अपने बहन की चुदाई कर सकता है।

मैं समझ गयी आज ये मुझे पेल कर ही छोड़ेगा। वो अपने कपड़े उतार दिया। मैं उसके मोटे लंड को देखकर पागल हो गयी और पाने की इच्छा जागृत हो गयी। मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और तुरंत ही उसका मोटा लंड अपने मुँह में लेकर चाटने लगी। अब मैं धीरे धीरे करके अपने कपडे उतार दि और लेट गयी.

यानी की मैं अपने सगे भाई से सेक्स के लिए तैयार थी। मैं टांगो को अलग अलग कर दी वो मेरी चूत को पहले निहारा उसके बाद चाटने लगा मेरी चूत से गरम गरम पानी निकलने लगा और वो चाटने लगा मेरे मुँह से सेक्सी आवाज निकलने लगी। मैं पागल होने लगी। मुझे ऐसा ला रहा था की जैसे मैं जन्नत में आ गयी हूँ। मेरे तन बदन में सिहरन होने लगी थी गला सूखने लगा था।

करीब वो दस मिनट तक पागल कर दिया। कभी गांड चाटता तो कभी चूत और अपने दोनों हाथो से मेरी निप्पल को दो दो उँगलियों से मसलता जिससे मैं और भी ज्यादा पागल होने लगी थी।

तभी वो अपना लंड मेरी चूत पर लगाया। मेरी चूत पहले से ही गीली थी। उसने चूत के छेड़ पर लंड लगाया करीब नौ इंच का लंड एक झटका दिया तो आधा गया। मैं दर्द से कराहने लगी। मैं बोली बाहर निकालो मेरी चूत फट गयी पर वो मेरी एक नहीं माना। मेरी चूचियों को मसला मेरे होठ को चूसा और फिर से जोर से धक्का दिया और इस बार उसका मोटा नौ इंच का लंड मेरी चूत के अंदर दाखिल हो गया।

अब वो जोर जोर से धक्के देने लगा और मैं भी गांड उठा उठा कर हौले हौले से धक्के देने लगी। ओह्ह्ह्हह्ह क्या बताऊँ दोस्तों जन्नत में थी। हौले हौले से गांड को गोल गोल घूमना और उसके लंड को अंदर करना और फिर वो बिच बिच में जोर जोर से धक्के देना।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#64
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#65
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#66
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#67
Nika B






Nika B


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#68
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#69
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#70
Lucy B


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#71
[Image: 16616104_132_5ae4.jpg] Cassie B
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#72
रक्षाबंधन या सुहागरात दीदी के साथ
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#73
रक्षाबंधन या सुहागरात दीदी के साथ

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#74
मेरा नाम राज है मैं भी एक अनिवासी भारतीय हूँ और कनाडा में एक कम्पनी में जॉब करता हूँ। यहाँ आने से पहले मेरे माँ-बाप का स्वर्गवास हो गया था इसलिए दीदी, जीजाजी के सिवा मेरा और कोई नहीं है!

एक दिन मैं अपने जीजा जी के साथ फ़ोन पर बात कर रहा था तो बातों ही बातों में मैंने जीजा जी को दीदी के साथ अपने पास घूमने आने का निमंत्रण दे दिया। तभी जीजाजी ने यह कह कर टाल दिया कि उनको अभी छुट्टी नहीं मिल सकती, उन पर कम्पनी के काम का बहुत भार है।

थोड़ा रुकने के बाद जीजा जी ने कहा- मैं कुछ दिनों के लिए तेरी दीदी को तेरे पास भेज देता हूँ, उसकी नौकरी भी छुट गई है, सारे दिन भर घर में बोर हो जाती है, वो पहले से काफी उदास सी रहने लगी है, कुछ दिन पहले तुझे ही याद कर रही थी, शायद वो तुझको देखना-मिलना चाहती है। वैसे भी राखी का त्यौहार नजदीक आ रहा है, दोनों भाई-बहन मिल भी लेना और उसको कहीं घुमा भी देना, शायद इसी बहाने उसका मन ही बहल जाए!

मैंने कहा- ठीक है जीजा जी! जैसा आप कहें!

और कुछ दिन बाद वो दिन भी आ गया जब दीदी मेरे पास आने के लिए दुबई से रवाना हुई। मैं भी दीदी को लेने के लिए ठीक समय पर एयरपोर्ट पहुँच चुका था। कुछ समय बाद दीदी की फ्लाईट लैण्ड होने की घोषणा हुई। मैंने अपनी आँखें एग्जिट-गेट पर जमा दी।

कुछ समय बाद मैंने दीदी को लोगों के साथ बाहर आते देखा तो मैं दीदी को देखता ही रह गया। सच क्या लग रही थी दीदी! मैंने कभी भी दीदी को इस रूप में नहीं देखा था। उन्होंने ऊँची ऐड़ी की सेंडल पहनी हुई थी और काले रंग की फेंसी साड़ी और हाफ कट वाला ब्लैक ब्लाउज़ पहना हुआ था। ब्लाउज़ का गला काफी खुला और बड़ा होने से उनके आधे नंगे स्तन ऊपर से साफ दिखाई दे रहे थे। उनके वक्ष के ऊपर एक काला तिल था जो अलग ही चमक रहा था जैसे दूध में मक्खी!

तभी दीदी की नज़र मुझ पर पड़ी तो मैंने हाथ हिला कर उनको अपने होने का इशारा किया और दीदी ने एक हल्की सी मुस्कान देकर मेरी ओर बढ़ी और मेरे नजदीक आकर मेरे गले लगने लगी। मैंने भी मोके का फ़ायदा उठाया और दीदी की नंगी गोरी चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए जकड़ लिया। वहाँ खड़े सारे लोग शायद यही सोच रहे होंगे कि हम पति पत्नी हैं। फिर मैंने दीदी का सामान उठाया और हम दोनों घर की ओर चल दिए!

घर पहुँच कर दीदी फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई ( क्यूँकि गर्मी के दिन थे और मेरी दीदी को बहुत पसीना आता है और वो तो उस दिन पसीने से बहुत भीग चुकी थी) मैंने दीदी जी का सामान सेट कर दिया और थोड़ी देर बाद दीदी भी फ्रेश हो कर बाथरूम से बाहर आ गई!

जैसे ही मैंने उनको देखा तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। दीदी सिर्फ पेटीकोट-ब्लाउज़ में ही बाथरूम से बाहर आ गई थी। काले पेटीकोट और ब्लाउज में उनका गोरा-गोरा अंग एकदम सोने की तरह चमक रहा था। दीदी को देख कर मेरे अंदर थोड़ी अजीब सी घबराहट होनी शुरु हो गई। मैं दीदी को न चाह कर भी देखना चाहता था! मैं कभी दीदी के वक्ष के ऊपर विराजमान काले तिल को देखता तो कभी उनकी नंगी कमर को, तो कभी उनके नाड़े वाले नंगे हिस्से को!

तभी दीदी ने मेरे पास आकर मेरे सर में प्यार से हाथ फेर कर पूछा- किया हुआ भईया? कहाँ खो गए?

मैं थोड़ा घबरा कर और शरमा कर बोला- कुछ नहीं दीदी! बस मैं… आप काले कपड़ों में बहुत सुंदर लगती हो!

दीदी समझ गई कि मैं क्यों ऐसे बोल रहा हूँ। दीदी शरमा कर बोली- भाई मैं क्या करूं, बहुत गर्मी है और साड़ी में बहुत घुटन हो रही थी, इसलिए मैंने साड़ी अलग निकाल दी!

मैं बोला- दीदी कोई बात नहीं, हम दोनों के सिवा और कोई भी नहीं है यहाँ पर! और मैं बिल्कुल फ्रैंक लड़का हूँ, तुम निश्चिंत रहो, मैं तालिबानी जैसा भी नहीं हूँ कि जो अपनी इतनी सुन्दर दीदी को बुरके में पसंद करे!

दीदी हंस दी और बोली- भईया, तू तो बहुत शैतान हो गया है! चल जल्दी से तू भी नहा धो ले! आज राखी है राखी नहीं बंधवानी क्या!

फिर मैं भी बाथरूम मैं नहाने चले गया। बाथरूम में बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी। आज से पहले कभी ऐसी खुशबू बाथरूम में नहीं थी! मैं समझ गया कि यह खुशबू दीदी के बदन की है! आज मैं इस खुशबू में समां जाना चाहता था और मैंने पहली बार अपनी दीदी के बारे में कर उनके नाम की मुठ मार दी। इसका एक अलग ही आनंद आया और जब मैं बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया तो दीदी बोली- क्या बात है, बड़ी देर लगा दी तूने?

मैं बोला- क्या करूँ दीदी जी! आज मेरा तो बाथरूम से बाहर आने का मन ही नहीं कर रहा था!

दीदी बोली- क्यों?

मैं चुप रहा और मैंने दीदी को एक स्माइल दी! दीदी भी शायद मेरा इशारा समझ गई थी और वो शरमाकर बोली- लगता है अब जल्द से जल्द तेरे लिए एक लड़की तलाशनी पड़ेगी! बोल मेरे राजा भइया, तुझको कैसी लड़की पसंद है, मैं अपने राजा भइया के लिए वैसी ही लड़की लाऊँगी!

मैं दीदी से बोला- सच!
दीदी हँस कर बोली- मुच!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#75
मैंने तुंरत ही दीदी का हाथ पकड़ा और उनको शीशे के आगे ले जा कर बोला- मुझे ऐसी लड़की चाहिए!
दीदी थोड़ी शरमा कर बोली- पागल ऐसी लड़की लायेगा तो सुहागरात के बदले रक्षा बंधन मनाना पड़ेगा तुझे!
और जोर जोर से हँसने लगी!

मैं दीदी के पीछे की तरफ खड़ा था और दीदी मेरे आगे थी। हम दोनों भाई बहन एक दूसरे को शीशे में देख कर बातें कर रहे थे!

मैं बोला- दीदी अगर आप जैसी सुंदर लड़की मुझे मिल जाए तो मैं उससे राखी भी बंधवाने के लिए तैयार हूँ!
दीदी बोली- ऐसा क्या है मुझमें जो तू अपनी दीदी का इतना दीवाना हुआ पड़ा है! क्या देखा तूने मुझमें?
मैं बोला- दीदी आप गुस्सा तो नहीं होंगी ना!
दीदी बोली- मैं आज तक अपने राजा भइया से गुस्सा हुई हूँ जो अब होंऊगी!
मैं बोला- दीदी! मैं सच में तुम्हारा दीवाना हूँ! जब से मैंने तुम्हें एयर पोर्ट पर देखा है, मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ। पता नहीं क्यों मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, तुम्हें छूना चाहता हूँ, तुम्हें तुम्हारे नाज़ुक होटों के नीचे काले तिल का अहसास दिलाना चाहता हूँ!

और मैंने आव देखा न ताव! और दीदी की गर्दन के नीचे प्यार से एक किस कर दिया। दीदी मुझे शीशे में देख रही थी और वो वैसे ही खड़े रह कर मेरे गाल पर प्यार से हाथ फेरने लगी! मैंने भी दीदी को अपने दोनों हाथों से आगे से जकड़ लिया और दीदी ने अपनी दोनों आँखें बंद कर ली जिससे मेरा थोड़ा और साहस बढ़ा और दीदी के कान में मैंने हल्की सी आवाज में ‘ आई लव यू दीदी ‘ बोल दिया और बोला- अगर आप मेरी बहन न होती तो मैं आप को ज़रूर प्रपोज़ करता! आप कितनी सुंदर हो! मैंने आप सी सुंदर कोई लड़की नहीं देखी! हम भाई बहन क्यों हैं?

दीदी ने अभी तक अपनी आँखें बंद कर रखी थी क्योंकि मैं उनके पेट पर, नाभि पर हल्का-हल्का हाथ फेर रहा था। अचानक मैंने दीदी के पेटीकोट के नाड़े की तरफ हाथ बढ़ाया तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और गर्दन हिला कर मना करने लगी और बोली- भईया मैं तुम्हारी बहन हूँ!

मैंने बोला- मैं जानता हूँ! आज मैं सारे रिश्तों को भुला देना चाहता हूँ, तुम मेरी हो और मैं आज अपनी बहन की बाँहों मैं समा जाना चाहता हूँ!

दीदी बोली- किसी को मालूम चल गया तो समाज में हमारी थू-थू हो जायेगी!
मैंने कहा- हमें समाज देखने थोड़े ना आ रहा है!

दीदी चुप हो गई और कुछ सोचने के बाद मेरे से लिपट गई और रोने लगी।
मैंने पूछा- दीदी क्या हुआ? क्यों रो रही हो?
तो बोली- मैं बहुत प्यासी हूँ! तेरे जीजाजी से मुझे वो खुशी नहीं मिली जो हर औरत को शादी के बाद अपने पति से मिलती है!
मैं बोला- दीदी साफ साफ बताओ ना! मैं समझ नहीं पा रहा हूँ!
वो बोली- तेरे जीजा जी मर्द नहीं हैं!

यह सुनकर मुझे तो पसीना आ गया और मैं अंदर ही अंदर सोचने लगा- यानि कि दीदी अभी कुँवारी हैं और उनकी सील भी नहीं टूटी!

मैंने दीदी के आँसू को अपनी जीभ से चाट कर साफ किया और बोला- दीदी! तुम चिंता मत करो मैं हूँ ना! तुम बस मुझको यह बताओ कि तुम मुझको पसंद करती हो?
दीदी बोली- जान से भी ज्यादा!
क्या तुम मुझे भाई की जगह अपना पति मानोगी? मैं तुम्हें हर वो खुशी दूंगा जो तुम चाहती हो!

दीदी ने फ़ौरन मेरे होटों पर किस कर दिया और बोली- आज से तुम ही मेरे पति हो! मेरा तन-मन सब तुम्हारा है! जो तुम बोलोगे, वो मैं करूंगी!

मैंने दीदी को बोला- आज मैं तुमसे शादी करूंगा!

यह सुन कर दीदी जल्दी से सिंदूर और अपना मंगल सूत्र ले कर मेरे पास आ गई। मैंने उनकी मांग भर कर मंगल सूत्र उनके गले में पहना दिया।

दीदी बोली- भइया! मैं अपने कमरे में जा रही हूँ, तुम थोड़ी देर बाद कमरे के अंदर आ जाना! मैं तुम्हारा इन्तजार करूंगी!

और जब मैं थोड़ी देर बाद दीदी के कमरे में गया तो दीदी सज-संवर के अपने शादी के जोड़े में घूँघट ओढ़े पलंग पर बैठी मेरा बेसबरी से इंतजार कर रही थी। मैं दीदी के पास गया और प्यार से उनका घूँघट उठाया और उनकी ठुडी को अपने हाथ से ऊपर उठाने के साथ ही उनके होटों का चुम्बन ले कर बोला- ओह दीदी! आई लव यू! मैंने आज तक तुम जैसी सेक्सी लड़की नहीं देखी!

और उनके होटों के नीचे वाले काले तिल को अपने दाँतों में बुरी तरह दबोच लिया और चूसने लगा। दीदी को दर्द हो रहा था मगर दीदी मुझ से भी ज्यादा प्यासी थी, उसे दर्द में भी मज़ा आ रहा था।

तभी मैंने दीदी के ब्लाउज़ को अपने दोनों हाथों से फाड़ दिया और उनके गोरे गोरे आम के जैसे बूब्स बाहर आ गये। मैं उनको चूसने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाला और अपने कोमल गोरे हाथों से उसे सहलाने लगी। कुछ देर बाद जब मेरा लंड लौड़ा बन गया तो उसको अपनी जीभ से चाटने, सहलाने लगी और होटों से रगड़ कर उसे खड़ा कर दिया!

हम दोनों भाई बहन नंगे थे, मैंने दीदी को बिस्तर में लिटा दिया और उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।

दीदी ओह माय भईया डार्लिंग! आई लव यू! बोल रही थी।

मैंने अपनी दीदी को गीध की तरह नौचना शुरु कर दिया। कुछ देर बाद जब मैंने अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाला तो दीदी ने उई माँ! बोल कर मुझको जोर से जकड़ लिया और मुझको फ्रेंच किस करने लगी और अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर रख कर भइया और जोर से! और जोर से! बोलने लगी।

कुछ देर बाद मैंने दीदी को डौगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। दीदी के गद्देदार चूतड़ को देख मैं ललचा गया और उनके चूतड़ चाटने लगा। दीदी को मैंने सारी रात चोदा!

सुबह जब मैं जागा तो दीदी मेरे लंड को चूस रही थी, मुझको प्यासी आँखों से देख रही थी और मेरा लौड़ा खड़ा करके उसके ऊपर बैठ गई और फिर दुबारा से मैंने दीदी को चोदना शुरु कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
रक्षाबंधन के दिन बहन को चोद कर प्रेग्नेंट करा और उसका घर बसाया










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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#77
(09-09-2022, 03:18 PM)neerathemall Wrote:
रक्षाबंधन के दिन बहन को चोद कर प्रेग्नेंट करा और उसका घर बसाया










री माँ ने मेरी बहन को कई बार समझाया की तुम्हारी शादी हुए 5 साल बीत चुके है बच्चे के बिना वंश आगे नहीं चल सकता है अब तो बच्चा करलो पर वो शर्मा कर मेरी माँ की बात टाल दिया करती थी. हमें नहीं पता था की ये उनकी कोई फैमिली प्लानिंग थी या मेरी बहन या जीजाजी के अंदर सेक्स समस्या थी और शर्म हया के कारण कभी हम लोगो ने उनसे इस बारे में पूछा भी नहीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#78
मेरी बहन दुसरे शहर में रहती थी और मेरे जीजाजी फ़ौज में है इसलिए वो हमेशा पोस्टिंग पर रहते है और बहन घर पर अकेली रहती है उनके घर में और कोई नहीं है इसी लिये इस बार पर मै उनसे राखी बंधवाने उनके घर जा रहा था. मैं आज 1 साल बाद रक्षाबंधन पर अपनी संगीता बहन से राखी बंधवाने उनके ससुराल जा रहा था.

जब मै मेरी बहन के घर पंहुचा तो मैंने उन्हें देखा वो बहुत उदास थी तो मैंने उनसे उनकी उदासी का कारण पूछा तो उन्हों ने मुझे बताया के वो कभी भी माँ नहीं बन सकती है और वो ये कहते हुए रोने लगी. फिर मैंने मेरी बहन से बोला के ये तो उप्पर वाले की मर्जी है इस में कोई कुछ नहीं कर सकता.
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#79
फिर मेरी बहन ने मुझे बताया के उसने चुपके से कुछ टेस्ट करवाए थे जिसमे पता चला की मेरे जीजाजी के अंदर कमी है और वो कभी किसी औरत को प्रेग्नेंट नहीं कर सकते है. मेरी बहन ने मुझे अपनी कसम दी और बोला की भाई तुम्हे मेरी कसम है तुम किसी को भी ये बात मत बताना… मै तुम्हारे जीजाजी से बहुत प्यार करती हु यदि ये बात उन्हें पता चल गई तो उन्हें बहुत दुःख पहुचेगा. फिर मुझे मेरी बहन ने बोला की भैया मै आज के दिन क्या मनहूस बात लेकर बैठ गई चल तू फ्रेश हो जा फिर तुझे राखी बांधती हूँ मैंने बोला के ठीक है बहन. फिर मैं नहाने चला गया और रेडी हो कर आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#80
उस दिन मेरी बहन ने ग्रीन कलर की ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी थी. ब्लाउज का गला काफी बड़ा, बहन का क्लीवेज काफी आसानी से दिख रहा था. बहन की छाती में चूचियां का पहाड़ जैसा उभार था. जिसे देखकर कर किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो जाये. बहन ने साड़ी नाभि से काफी निचे बाँधी थी बिलकुल अपनी चुत से ऊपर. जिससे उनकी गोरी पतली कमर बहुत ही कामुक लग रही थी. कसी हुई साड़ी में बहन की भारी गांड कयामत लग रही थी.

यहाँ भी देंखे पत्नी प्रेग्नेंट थी तो भाभी को चोद चोद कर उसकी चूत फाड़ डाली बहन जब राखी बाँध रही थी तब मुझे उनकी चूचियां काफी नंगी दिख रही थी. थोड़ी देर बाद बहन का पल्लू सरक गया, अब मुझे उनकी चूचियां आधी से ज्यादा नंगी दिख रही थी. मेरा बहुत बुरा हाल हो रहा था. फिर मेरी बहन ने मुझसे बोला की भैया तू मुझसे कितना प्यार करता है…? तो मैंने उससे बोला की बहन मै तेरे लिये अपनी जान तक दे सकता हूँ. तो फिर मेरी बहन ने मुझसे बोला की उसे मेरी जान नहीं मेरा वीर्य चाहिये…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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