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Incest रक्षाबंधन मनाया संगीता दीदी के साथ
#41
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#42
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#44
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#45
(11-07-2022, 12:25 PM)neerathemall Wrote:
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 संगीता  दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#46
congrats
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#47
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#48
लो दोस्तो,
आप सबों को राहुल का नमस्कार, दीपा दीदी के घर यानी दिल्ली में मै फिलहाल था और वो मुझसे मजा लेने को आतुर थी, लेकिन मै तो दिन में उनकी सहेली राखी को जमकर चोदा और फिर थककर शाम को उसके घर चला गया, रात तो बस आराम ही करनी है, क्योंकि दीदी तो जीजा के साथ रात बिताएगी । शाम को जीजा भी काम से वापस आए और फिर तीनो साथ में बैठकर काफी पीने लगे। मेरी नजर बार बार दीदी के स्तन पट जाती थी, वो नाईट गाऊन में सेक्सी दिख रही थी और मेरी नजर उनके स्तन पर जाकर रुक जाती शायद बूब्स की ऊंचाई कोई दो पर्वत शिखर की तरह लग रही थी। कुछ देर बाद जीजा अपने रूम चले गए तो दीदी उठकर किचन चली गई, मै बालकनी में कुछ देर बैठ कर फिर बेडरूम चला गया, कुछ देर तक बिस्तर पर आराम करता रहा और फिर बाथरूम घुस गया, स्नान करता हुआ अपने थकान को दूर करने की कोशिश करने लगा और फिर तैयार होकर कपड़ा पहना और मार्केट की ओर निकल पड़ा। एक वाईन शॉप से एक बोतल बियार खरीदा और पास के एक ढाबे में बैठकर पी लिया, अब थोड़ा नशा और थोड़ी थकावट दूर हुई तो मै अब दीदी की घर की ओर चल पड़ा, दीदी के घर का दरवाजा खुला ही था तो मै अंदर घुसा और सीधे बाथरूम चला गया, फ्रेश होकर अपने रूम में जाकर कपड़ा बदला और फिर बिस्तर पर लेट गया। बियर का नशा और स्नान के कारण थकावट कम लग रही थी, लेकिन क्या दीदी को रात में चोद पाऊंगा? ये कहना मेरे लिए कठिन था । रात के ९:३० में हम तीनो साथ में खाना खाए और फिर दीदी वाशबेसिन में मेरे साथ हाथ धोते हुए बोली….. “एक घंटे में तेरे पास आऊंगी
(राहुल) लेकिन जीजा तो
(दीपा) चुपचाप अपने रूम जाओ। ”
मै अपने बेडरूम जाकर बिस्तर पर लेट गया, हाथ में मोबाइल थामे आज का खबर पढ़ रहा था और साथ में दीदी का इंतजार भी करने लगा। कमरे के लाल रंग के नाईट बल्ब में मै बिस्तर पर लेटा हुआ दीवाल घड़ी देखा तो आधे घंटे से ऊपर का समय बीत चुका था। अब मोबाइल को टेबल पर रखा और चित होकर लेट गया, आंखे बंद थी तो सोच में दीपा घूम रही थी। कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के खुलने की आवाज आई तो मै अपना आंख खोला, तो सामने दीपा दीदी थी, ब्लू रंग के नाईटी में मस्त माल दिख रही थी, वो दरवाजा को खुला ही छोड़ दी और बिस्तर की ओर आने लगी। वो बिस्तर पर चढ़ने के पहले थोड़ा रुकी तो मै बोला….. “दीपा दरवाजा तो बंद कर दो, लेकिन वो मुस्कुराते हुए अपना हाथ अपने नाईटी के डोरी पर लगाई और डोरी को खोलकर फ्रंट फेश नाईटी को अपने बदन से उतार दी….. “राहुल यहां मै बंद नहीं खोलने के लिए आई हूं जानू, देख ना मेरी बूब्स, जिसे तू घुर रहा था, देख मेरे मोटे मोटे जांघ और जो देखना है सब दिखाऊंगी लेकिन आज की रात तुझसे जमकर चुदूंगी । ” और वो बिस्तर पर आकर मेरे समीप बैठ गई, मै उसके हीरे की तरह चमकते बदन को सहलाने लगा और बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही थामकर दबाने लगा, तो वो मेरे और करीब खिंसकी, मेरे बदन को बाहों में लेकर वो मेरे गोद में बैठ गई। दीपा मेरे गोद में बैठे दोनों पैर को दो दिशा में रखी थी और साथ ही मेरे कमर को पैर से लपेट रखी थी, काम की मूरत दिखने वाली दीपा मेरे गले के पीछे हाथ लगाकर ओंठ पर ओंठ राखी और चूमने लगी जबकि मेरा हाथ उसके नग्न पीठ पर घूमने लगा, एक मस्त एहसास मुझे मिल रहा था तो दीपा मेरे चेहरे और ओंठ को चूमते हुए मेरे छाती से अपने चूची को रगड़ रही थी । तभी दीपा मेरे जीभ को मुंह में लेकर चूसने लगी तो मै उसके पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसके ब्रा की डोरी को खोल दिया, जैसे ही वो मेरा जीभ अपने मुंह से निकाली, मै उसके ब्रा को स्तन से अलग किया और बूब्स को दबाते हुए बोला….. “दरवाजा तो बंद कर देती कहीं जीजा जग गया न तो
(दीपा) वो सुबह ६-७ बजे के पहले उठ ही नहीं सकता है
(राहुल) सो क्या दीपा, तुझे चोदकर सो रहा है क्या ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#49
दीपा) नहीं राहुल, उनके दूध की गलास में एक नींद की गोली मिला दी थी तेरा जीजा बेहोश और तेरी दीदी बेशर्म, अब तो बुर को कर दे गरम । ” दीदी मुझे बेड पर सुला दी और मेरे ऊपर लेट कर कुछ देर तक ओंठ गाल को चुमी, फिर वो मेरे मुंह के ऊपर अपने चूची को कर दी, मै मुंह खोला तो दीपा अपने बूब्स को मेरे मुंह में घुसा दी और मै चूची चूसता हुआ उसके दूसरे स्तन को मसल रहा था, वो मेरे ऊपर सवार थी और छाती का हिस्सा मुंह के करीब रखी थी, तो उसके बदन का भार सहते हुए मै चूची पी रहा था, अब दूसरी चूची चूसता हुआ उसके पीठ से कमर तक सहलाने लगा। अब दीपा के स्तन मेरे मुंह से बाहर थे तो उसके स्तन को थामकर जीभ से घुंडी को चाटने लगा और वो “आह ओह राहुल तुम तो मादरचोद मस्त चूची चाटते हो । ” और फिर वो मेरे बदन पर से उतरकर कमर के पास बैठी, वो मात्र एक पेंटी में थी, अब वो मेरे बरमूडा को कमर से नीचे की और मुझे नग्न करके मेरे मूसल लंड को सहलाने लगी। मेरा मूसल लंड दीदी के मुट्ठी में था तो वो झुककर चूमने लगी, लंड का चमड़ा नीचे करके पूरे लंड पर चुम्बन दे रही थी तो मै सिसकने लगी….. “ओह साली मेरी रण्डी दीदी आह बहुत मजा आ रहा है साली कुत्ति, अब मुंह में भर ना। “लेकिन वो सुपाड़ा को अपने चेहरे पर रगड़ने लगी तो ओंठ से मिलन करवाने लगी, वो लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी, मेरा २/३ लंड उसके गले तक जा पहुंचा था तो मै उसके बूब्स को मसल रहा था। पल भर बाद मै उसके सर के पीछे हाथ लगाया और बिस्तर पर उठकर बैठ गया और मेरी रण्डी दीदी अपने मुंह का झटका लंड पर देते हुए मुखमैथुन करने लगी, कुछ देर बाद मै नीचे से लंड का झटका उसकी मुंह में देने लगा और फिर मेरे लंड को वो जीभ से चस्ट ली।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#50
मै और दीदी दोनों बाथरूम जाकर फ्रेश हुए, वो एक पेंटी पहने हुए थी, फिर दोनों बिस्तर पर आए। उसको लिटाकर उसके दोनों पैर को दो दिशा में किया और उसके कमर के पास हाथ लगाकर पेंटी के हुक को खोला, जैसे ही पेंटी को कमर से खिसकाने लगा वैसे ही दीदी अपनी हथेली बुर पर रखकर ढक ली। मै दीपा के गोल मान्स्ल गान्ड के नीचे तकिया लगाया और अब दोनों जांघों के बीच बैठकर सर झुकाया, उसके जांघों और हथेली को चूमने लगा तो वो सिसकते हुए जांघो को हवा में करने लगी और मुझे बुर दर्शन हुआ। अब मै दीपा की चूत को चूमने लगा जिससे कोई इत्र की खुसबु आ रही थी, लेकिन दीपा उंगली से बुर को फल्का दी तो मेरा जीभ बुर में घुसकर चाटने लगा। मै दीदी की बुर में जीभ घुसाए बुर चोद रहा था तो दीपा अपने गान्ड को हवा में करने लगी ताकि मेरा जीभ बुर की गहराई तक आसानी से जाए । कुछ देर तक कुत्ते की तरह बुर को लपालप चाटता रहा और फिर दोनों फांक को मुंह में लेकर चूसने लगा तो वो “अबे साले कुत्ते बुर चाटता ही रहेगा या चोदेगा भी । ” मै अब बुर को मुंह से निकाला और उसको बिस्तर पर कुत्तिया बना डाला, दीपा अपने बदन को कोहनी और घुटनों के बल कर राखी थी तो मै उसके गान्ड के पास बैठकर लंड को बुर में घुसाया, दीदी की बुर गरम थी तो मेरा लंड अभी पूरी तरह से अंदर नहीं गया था, तभी मै कमर थामकर तेज धक्का बुर में दे दिया तो वो चिंक्ख उठी…. “उई मां आह कितना मोटा लन्ड हो गया है तेरा, लगता है रोज अपने लंड को बुर का पानी पिलाते हो । ” मै बुर की गर्मी में ही लंड को तेजी से दौड़ा रहा था, पूरे गति से चुदाई करता रहा और कुछ देर बाद दीदी….. “आह और तेज चोदो ना मेरे बुर से पानी आने पर है. “तभी ४-५ जोर का झटका मारा और बुर रस से भर गई । मै लंड को बुर से निकाला और दीदी को चित लेटने को बोला, फिर उसके बुर पर मुंह लगाकर जीभ से रस चाटने लगा, वो बुर का द्वार खोल रखी थी और मै कुछ देर तक बुर को चाटा, उसके बाद मै उसके बुर में लंड पेला और धीरे धीरे पूरा लंड रसीले बुर में पेलकर चोदने लगा, दीदी की आंखे बंद थी तो वो अपने चुत्तार को बार -२ ऊपर की ओर कर रही थी, तभी मै उसके चिकने जिस्म पर लेटा और दे दनादन लंड पेलने लगा, दीदी के गाल और ओंठ की चूमता हुआ उसे चोद रहा था, तो दीपा मुझे जकड़ कर अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे दीपा को चोदने में काफी मजा आ रहा था और उसकी गान्ड तेजी से उछल रही थी, मै दीपा को १० मिनट से चोद रहा था और अब उसके ओंठ को चूसने लगा, पल भर के लिए लंड को बुर में स्थिर छोड़ा, और फिर चुदाई तेजी से करने लगा, दोनों चुदाई के चरम पर थे तो दोनों का आौजार गरम हो चुका था, तभी मै दीदी के ओंठ को चूमा…… “आह ऊहह दीदी मेरे लंड की पानी आ रही है आह. ” मेरा लंड उसकी बुर में वीर्यपात करा कर शांत पड़ गया लेकिन दीपा मुझे बदन से दूर करके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, लंड का पानी पीकर मेरे ओंठ चूमी….. “अब क्या बहन चोद और कुछ चाहिए । ” तो मै मुस्कुरा कर बाथरूम चला गया ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#51
(11-04-2019, 11:16 PM)neerathemall Wrote: मैं: दीदी मैं आपके लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाया
दीदी: कोई बात नहीं भाई तू आ गया मेरे पास काफी है
मैं: नहीं दीदी आप बताओ आपको क्या चाहिए गिफ्ट में
दीदी: तू सच में मुझे कुछ देना चाहता है… तो फिर ये दे दे अपनी दीदी को

मैंने महसूस किया की दीदी का हाथ में लंड के ऊपर था. मेरी खुसी का ठिकाना नहीं था, आज संगीता दीदी मुझसे चुदना चाहती है

मैं: मैं समझा नहीं दीदी
दीदी: भाई तू बहुत शरारती है… तुझे पता है मैं क्या मांग रही हूँ… तू मेरी मुंह से सुनना चाहता है ठीक है तो फिर सुन …. विक्की अपनी दीदी को चुदाई का गिफ्ट दे दे… आजा चोद अपनी बहन को और बुझा मेरी प्यास
मैं: ठीक है दीदी… मैं भी तो कब से तुझे चोदना चाह रहा था…
कोई बहन इतनी आसानी से चोदने बोल सकती हैं क्या
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#52
(11-08-2022, 03:13 PM)Karan prakash Wrote: कोई बहन इतनी आसानी से चोदने बोल सकती हैं क्या

कहानी है लिखने वाले की समझ !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#53
[Image: Vidhwa-Mother-Sex.jpg]

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#54
राखी पर भाई ने बहन को 9 इंच का गिफ्ट दिया







वर के साथ चुदाई में होश खोई भाभी को गालियां देते हुए उसे और जोर से चोदने के लिए उकसाते हुए देखें इस इंडियन सेक्स वीडियो में. मुंह से गाली बकते हुए वो बोलती है कि, “मेरी चूत का पानी निकाल दे!” यह सुनकर देवर भी उसकी जबरदस्त ठुकाई करता है.

शुरू में भाभी पेट के बल लेटी हुई है और देवर उसके चूतड़ों के बीच में से लंड घुसाकर उसे मस्त चोद रहा है. सिंदूर सजाई, बिंदी लगाई, चूड़ियां पहनी भाभी को गंदी गालियां बकते हुए चुदते देखने का मजा ही कुछ और हैं. देवर भी अपनी इस भाभी को अलग-अलग पोज में पेल रहा है. उनकी चुदाई से बिस्तर तक हिल रहा है. मजा आ जाएगा यह देवर भाभी चुदाई वीडियो देखकर.




जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#55
(11-08-2022, 04:29 PM)neerathemall Wrote:
राखी पर भाई ने बहन को 9 इंच का गिफ्ट दिया



मैं आपको अपनी राखी की सेक्स कहानी सुनाने जा रही हूँ। इस कहानी से आपको बताउंगी कैसे मेरा भाई मुझे चोदा अपनी बहन को। एक एक बात आपको बताउंगी क्या और कैसे हुआ था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#56
पहले तो लग रहा था मैं ये बात किसी और से शेयर नहीं करूँ क्यों की ये घर की चुदाई का मामला है और वो भाई बहन भाई के सेक्स सम्बन्ध के बारे में। पहले ये भी सोच रही थी की शायद ये मैं भी गलत की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#57
मेरा नाम पलक है। मैं एक बैंक में काम करती हूँ। मैं अभी कुंवारी हूँ। मेरी शादी नहीं हुई मैं मैं किराए पर ही रहती हूँ। उत्तर प्रदेश के एक शहर में मैं इस शहर का नाम नहीं बताउंगी। और मेरे भैया नोएडा की एक कंपनी में काम करते हैं और मम्मी पापा दोनों कानपुर में रहते हैं।पिछली बार जब मैं बैंक की ट्रेनिंग में थी तब राखी नहीं बाँध पाई थी इसलिए मेरा भाई नाराज था मेरे से। तो इस बार मैं सोची की क्यों ना मैं खुद जाकर अपने भाई को सरप्राइज दूँ। और मैं खुद ही रक्षाबंधन के दिन चली गयी राखी बाँधने। मेरा भाई अकेले ही रहता है नॉएडा में। जब मैं उसके फ्लैट पर गयी तो वो दंग रह गया खुश हो गया। और मेरे से गले लगा गया और वही से उसकी नियत ख़राब हो गयी। क्यों की मेरी बड़ी बड़ी और टाइट चूचियां जब उसके बदन में सटी तो वो अपना होशोहवास खो दिया। क्यों की बार बार वो मेरी गांड को घूरता तो कभी मेरी चूचियों की घूरता। क्यों की मैं इधर एक साल में काफी गदरा गयी थी। मेरे अंग अंग जवान हो गए थे खिल गए थे। तो मेरी सुंदरता को देखकर कोई भी पागल हो जाई और मेरी चूचियों को देख ले ये गांड को देख ले तो वो पक्का ही मूठ मार कर ही सोयेगा। ऐसी मैं हो गयी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#58
राखी के दिन सुबह ही पहुंची थी तो स्नान कर के पूजा कर के राखी बाँधने के लिए तैयार हो गयी मेरा भाई भी तैयार था राखी बंधवाने के लिए। बड़े प्यार से मैं उसको राखी बांधा। मैं जब उसको अपना गिफ्ट मांगी तो उसने तुरंत ही मुझे पांच हजार निकाल कर हाथ में रख दिया और बोला की मुझे भी गिफ्ट चाहिए तुमसे। मैं बोली हां हां बोलो मैं भी कमाती हूँ मैं भी दूंगी गिफ्ट। वो बोला रात में मांगूगा। मैं भी बोली ठीक है। मुझे लगा की कुछ मांगेगा पर मुझे नहीं पता था वो मेरी चूत मांग रहा है। शाम होते ही उसके देखने का और घूरने का स्टाइल चेंज हो गया। शामको खाना बाहर से मंगवाया और । शाम को करीब आठ बजे हम दोनों ही बैठ गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#59
म दोनों एक दूसरे को अपनी अपनी बीती बात बता ही रहे थे की उसका धड़कन तेज हो गया और वो बार बार मुझे घूरता और कुछ कहने की कोशिश करता पर वो
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#60
थोड़ा थोड़ा तो समझने लगी थी क्यों की वो बार बार मेरे प्राइवेट पार्ट के तरफ घूर रहा था और अपना दांत पीस रहा था मैं समझ गयी कुछ और चाहिए इसे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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