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Incest तेरी दीदी बेशर्म
#1
तेरी दीदी बेशर्म











.....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
दीपा दीदी के घर यानी दिल्ली में मै फिलहाल था और वो मुझसे मजा लेने को आतुर थी, लेकिन मै तो दिन में उनकी सहेली राखी को जमकर चोदा और फिर थककर शाम को उसके घर चला गया, रात तो बस आराम ही करनी है, क्योंकि दीदी तो जीजा के साथ रात बिताएगी । शाम को जीजा भी काम से वापस आए और फिर तीनो साथ में बैठकर काफी पीने लगे। मेरी नजर बार बार दीदी के स्तन पट जाती थी, वो नाईट गाऊन में सेक्सी दिख रही थी और मेरी नजर उनके स्तन पर जाकर रुक जाती शायद बूब्स की ऊंचाई कोई दो पर्वत शिखर की तरह लग रही थी। कुछ देर बाद जीजा अपने रूम चले गए तो दीदी उठकर किचन चली गई, मै बालकनी में कुछ देर बैठ कर फिर बेडरूम चला गया, कुछ देर तक बिस्तर पर आराम करता रहा और फिर बाथरूम घुस गया, स्नान करता हुआ अपने थकान को दूर करने की कोशिश करने लगा और फिर तैयार होकर कपड़ा पहना और मार्केट की ओर निकल पड़ा। एक वाईन शॉप से एक बोतल बियार खरीदा और पास के एक ढाबे में बैठकर पी लिया, अब थोड़ा नशा और थोड़ी थकावट दूर हुई तो मै अब दीदी की घर की ओर चल पड़ा, दीदी के घर का दरवाजा खुला ही था तो मै अंदर घुसा और सीधे बाथरूम चला गया, फ्रेश होकर अपने रूम में जाकर कपड़ा बदला और फिर बिस्तर पर लेट गया। बियर का नशा और स्नान के कारण थकावट कम लग रही थी, लेकिन क्या दीदी को रात में चोद पाऊंगा? ये कहना मेरे लिए कठिन था । रात के ९:३० में हम तीनो साथ में खाना खाए और फिर दीदी वाशबेसिन में मेरे साथ हाथ धोते हुए बोली….. “एक घंटे में तेरे पास आऊंगी
(राहुल) लेकिन जीजा तो
(दीपा) चुपचाप अपने रूम जाओ। ”

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
मै अपने बेडरूम जाकर बिस्तर पर लेट गया, हाथ में मोबाइल थामे आज का खबर पढ़ रहा था और साथ में दीदी का इंतजार भी करने लगा। कमरे के लाल रंग के नाईट बल्ब में मै बिस्तर पर लेटा हुआ दीवाल घड़ी देखा तो आधे घंटे से ऊपर का समय बीत चुका था। अब मोबाइल को टेबल पर रखा और चित होकर लेट गया, आंखे बंद थी तो सोच में दीपा घूम रही थी। कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के खुलने की आवाज आई तो मै अपना आंख खोला, तो सामने दीपा दीदी थी, ब्लू रंग के नाईटी में मस्त माल दिख रही थी, वो दरवाजा को खुला ही छोड़ दी और बिस्तर की ओर आने लगी। वो बिस्तर पर चढ़ने के पहले थोड़ा रुकी तो मै बोला….. “दीपा दरवाजा तो बंद कर दो, लेकिन वो मुस्कुराते हुए अपना हाथ अपने नाईटी के डोरी पर लगाई और डोरी को खोलकर फ्रंट फेश नाईटी को अपने बदन से उतार दी….. “राहुल यहां मै बंद नहीं खोलने के लिए आई हूं जानू, देख ना मेरी बूब्स, जिसे तू घुर रहा था, देख मेरे मोटे मोटे जांघ और जो देखना है सब दिखाऊंगी लेकिन आज की रात तुझसे जमकर चुदूंगी । ” और वो बिस्तर पर आकर मेरे समीप बैठ गई, मै उसके हीरे की तरह चमकते बदन को सहलाने लगा और बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही थामकर दबाने लगा, तो वो मेरे और करीब खिंसकी, मेरे बदन को बाहों में लेकर वो मेरे गोद में बैठ गई। दीपा मेरे गोद में बैठे दोनों पैर को दो दिशा में रखी थी और साथ ही मेरे कमर को पैर से लपेट रखी थी, काम की मूरत दिखने वाली दीपा मेरे गले के पीछे हाथ लगाकर ओंठ पर ओंठ राखी और चूमने लगी जबकि मेरा हाथ उसके नग्न पीठ पर घूमने लगा, एक मस्त एहसास मुझे मिल रहा था तो दीपा मेरे चेहरे और ओंठ को चूमते हुए मेरे छाती से अपने चूची को रगड़ रही थी । तभी दीपा मेरे जीभ को मुंह में लेकर चूसने लगी तो मै उसके पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसके ब्रा की डोरी को खोल दिया, जैसे ही वो मेरा जीभ अपने मुंह से निकाली, मै उसके ब्रा को स्तन से अलग किया और बूब्स को दबाते हुए बोला….. “दरवाजा तो बंद कर देती कहीं जीजा जग गया न तो

(दीपा) वो सुबह ६-७ बजे के पहले उठ ही नहीं सकता है
(राहुल) सो क्या दीपा, तुझे चोदकर सो रहा है क्या ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
(दीपा) नहीं राहुल, उनके दूध की गलास में एक नींद की गोली मिला दी थी तेरा जीजा बेहोश और तेरी दीदी बेशर्म, अब तो बुर को कर दे गरम । ” दीदी मुझे बेड पर सुला दी और मेरे ऊपर लेट कर कुछ देर तक ओंठ गाल को चुमी, फिर वो मेरे मुंह के ऊपर अपने चूची को कर दी, मै मुंह खोला तो दीपा अपने बूब्स को मेरे मुंह में घुसा दी और मै चूची चूसता हुआ उसके दूसरे स्तन को मसल रहा था, वो मेरे ऊपर सवार थी और छाती का हिस्सा मुंह के करीब रखी थी, तो उसके बदन का भार सहते हुए मै चूची पी रहा था, अब दूसरी चूची चूसता हुआ उसके पीठ से कमर तक सहलाने लगा। अब दीपा के स्तन मेरे मुंह से बाहर थे तो उसके स्तन को थामकर जीभ से घुंडी को चाटने लगा और वो “आह ओह राहुल तुम तो मादरचोद मस्त चूची चाटते हो । ” और फिर वो मेरे बदन पर से उतरकर कमर के पास बैठी, वो मात्र एक पेंटी में थी, अब वो मेरे बरमूडा को कमर से नीचे की और मुझे नग्न करके मेरे मूसल लंड को सहलाने लगी। मेरा मूसल लंड दीदी के मुट्ठी में था तो वो झुककर चूमने लगी, लंड का चमड़ा नीचे करके पूरे लंड पर चुम्बन दे रही थी तो मै सिसकने लगी….. “ओह साली मेरी रण्डी दीदी आह बहुत मजा आ रहा है साली कुत्ति, अब मुंह में भर ना। “लेकिन वो सुपाड़ा को अपने चेहरे पर रगड़ने लगी तो ओंठ से मिलन करवाने लगी, वो लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी, मेरा २/३ लंड उसके गले तक जा पहुंचा था तो मै उसके बूब्स को मसल रहा था। पल भर बाद मै उसके सर के पीछे हाथ लगाया और बिस्तर पर उठकर बैठ गया और मेरी रण्डी दीदी अपने मुंह का झटका लंड पर देते हुए मुखमैथुन करने लगी, कुछ देर बाद मै नीचे से लंड का झटका उसकी मुंह में देने लगा और फिर मेरे लंड को वो जीभ से चस्ट ली।

मै और दीदी दोनों बाथरूम जाकर फ्रेश हुए, वो एक पेंटी पहने हुए थी, फिर दोनों बिस्तर पर आए। उसको लिटाकर उसके दोनों पैर को दो दिशा में किया और उसके कमर के पास हाथ लगाकर पेंटी के हुक को खोला, जैसे ही पेंटी को कमर से खिसकाने लगा वैसे ही दीदी अपनी हथेली बुर पर रखकर ढक ली। मै दीपा के गोल मान्स्ल गान्ड के नीचे तकिया लगाया और अब दोनों जांघों के बीच बैठकर सर झुकाया, उसके जांघों और हथेली को चूमने लगा तो वो सिसकते हुए जांघो को हवा में करने लगी और मुझे बुर दर्शन हुआ। अब मै दीपा की चूत को चूमने लगा जिससे कोई इत्र की खुसबु आ रही थी, लेकिन दीपा उंगली से बुर को फल्का दी तो मेरा जीभ बुर में घुसकर चाटने लगा। मै दीदी की बुर में जीभ घुसाए बुर चोद रहा था तो दीपा अपने गान्ड को हवा में करने लगी ताकि मेरा जीभ बुर की गहराई तक आसानी से जाए । कुछ देर तक कुत्ते की तरह बुर को लपालप चाटता रहा और फिर दोनों फांक को मुंह में लेकर चूसने लगा तो वो “अबे साले कुत्ते बुर चाटता ही रहेगा या चोदेगा भी । ” मै अब बुर को मुंह से निकाला और उसको बिस्तर पर कुत्तिया बना डाला, दीपा अपने बदन को कोहनी और घुटनों के बल कर राखी थी तो मै उसके गान्ड के पास बैठकर लंड को बुर में घुसाया, दीदी की बुर गरम थी तो मेरा लंड अभी पूरी तरह से अंदर नहीं गया था, तभी मै कमर थामकर तेज धक्का बुर में दे दिया तो वो चिंक्ख उठी…. “उई मां आह कितना मोटा लन्ड हो गया है तेरा, लगता है रोज अपने लंड को बुर का पानी पिलाते हो । ” मै बुर की गर्मी में ही लंड को तेजी से दौड़ा रहा था, पूरे गति से चुदाई करता रहा और कुछ देर बाद दीदी….. “आह और तेज चोदो ना मेरे बुर से पानी आने पर है. “तभी ४-५ जोर का झटका मारा और बुर रस से भर गई । मै लंड को बुर से निकाला और दीदी को चित लेटने को बोला, फिर उसके बुर पर मुंह लगाकर जीभ से रस चाटने लगा, वो बुर का द्वार खोल रखी थी और मै कुछ देर तक बुर को चाटा, उसके बाद मै उसके बुर में लंड पेला और धीरे धीरे पूरा लंड रसीले बुर में पेलकर चोदने लगा, दीदी की आंखे बंद थी तो वो अपने चुत्तार को बार -२ ऊपर की ओर कर रही थी, तभी मै उसके चिकने जिस्म पर लेटा और दे दनादन लंड पेलने लगा, दीदी के गाल और ओंठ की चूमता हुआ उसे चोद रहा था, तो दीपा मुझे जकड़ कर अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे दीपा को चोदने में काफी मजा आ रहा था और उसकी गान्ड तेजी से उछल रही थी, मै दीपा को १० मिनट से चोद रहा था और अब उसके ओंठ को चूसने लगा, पल भर के लिए लंड को बुर में स्थिर छोड़ा, और फिर चुदाई तेजी से करने लगा, दोनों चुदाई के चरम पर थे तो दोनों का आौजार गरम हो चुका था, तभी मै दीदी के ओंठ को चूमा…… “आह ऊहह दीदी मेरे लंड की पानी आ रही है आह. ” मेरा लंड उसकी बुर में वीर्यपात करा कर शांत पड़ गया लेकिन दीपा मुझे बदन से दूर करके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, लंड का पानी पीकर मेरे ओंठ चूमी….. “अब क्या बहन चोद और कुछ चाहिए । ” तो मै मुस्कुरा कर बाथरूम चला गया ।
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#5






दीपा दीदी के साथ स्नान
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#6
(11-08-2022, 02:26 PM)neerathemall Wrote:






दीपा दीदी के साथ स्नान

दीपा दीदी के साथ स्नान

दीपा दीदी के साथ स्नान
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#7
राहुल और दीपा दोनों झरना के नीचे नग्न अवस्था में होकर स्नान के साथ सेक्स का भी मजा ले रहे हैं तो कामुक दीपा के तन पर पानी की बूंदें उन्हें सेक्सी बना रही थी और मैं अब उनके पेट से लेकर कमर तक को चूमने लगा, वो दोनों जांघें फैलाए ऐसे खड़ी थी मानो कोई पोर्न स्टार चुदवाने को तड़प रही है उस पर से चूत की दोनों मोटी फांकें पेंटी पर साफ दिखने लगी आखिर भीगे हुए बदन की आग और मेरा लंड दोनों ही सेक्स में लिन थे। राहुल अब दीदी के पैर के सामने घुटने के बल बैठकर उसके पेंटी की हूक खोलकर उसके चूत को नंगा कर दिया फिर उसकी एक जांघ उठाकर अपने कंधे पर रखा, यों कहिए कि दीपा के जांघों के बीच चेहरा किए बुर को सूंघने लगा तो दीपा झरना में नहाते हुए मेरे ओंठ का प्यार अपने चूत पर पा रही थी और मैं उसके बुर की फांकों को फैलाए जीभ अंदर डाले चाटने लगा तो मेरा चेहरा उपर की ओर हो चुका था साथ ही दीपा की गुलाबी चूत में जीभ घुसाए चाट चाटकर उसे गर्म करने लगा और वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए ” उह ओह आह उई बहुत खुजली हो रही है ” बोल रही थी तो मैं उसकी चूत को चाटने के बाद उसके जांघों के बीच से चेहरा हटाया फिर उसकी मोटी चिकनी जांघों को चूमने लगा तो मेरा हाथ उसके गोल गुंबदाकार चूतड़ पर फिसलने लगा और वो खड़े होकर सेक्स का मजा ले रही थी, अब मैं उसके घुटने तक को चूमा फिर कमर पकड़कर उसे दीवार की ओर किया तो राहुल के सामने उसका नितम्ब था। दीपा झरना को बन्द की तो मैं उसके चूतड़ को चूमता हुआ गान्ड की ओर से चूत में दो उंगली पेलकर रगड़ने लगा और वो थोड़ा आगे की ओर झुककर मुड़कर बोली ” अब बदन पर शैंपू लगा दे राहुल ” और वो शैंपू की बॉटल मुझे बढ़ाई, अब
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#8
उसकी चूत कुरेदता हुआ गान्ड के छेद में जीभ घुसाए चाटने लगा तो दीपा चाउपाया जानवर की तरह हो चुकी थी फिर मैं चूत से उंगली निकाला फिर उसके पैर से चूतड़ तक को शैंपू किया फिर खड़ा होकर उसके पीठ से गर्दन तक शैंपू लगाया तो मेरा एक हाथ उसकी चूचियों को पकड़कर दबाने लगा और दीपा चेहरा पीछे किए हंस रही थी, अब उसे सामने की ओर किया फिर उसके ओंठ चूमने लगा तो मेरे टाईट लंड को वो सहलाते हुए बोली ” अभी इसे चूस चूसकर वीर्य स्खलित कराऊंगी ” तो मैं उसके बूब्स से कमर तक शैंपू लगने लगा फिर दीपा मेरे ओंठ चूमने लगी तो मेरा हाथ उसके चूतड़ पर फिसलने लगा और झाग युक्त सेक्सी बदन को सहलाने का आनंद ही कुछ अलग था, तभी दीपा मेरे छाती को चूमते हुए मेरे लंड को पकड़ हिलाने लगी तो मैं उसके गान्ड के छेद में उंगली घुसेड़ रगड़ने लगा और वो कामुकता वश मेरे पेट तक को चूमने के बाद अपना चेहरा मेरे चेहरा के सामने किए मुंह खोल दी तो राहुल समझदार की तरह अपना जीभ दीदी की मुंह में देकर चुसवा रहा था साथ ही दीपा के गान्ड की छेद को उंगली करता हुआ मस्त था और दीदी के बदन से मेरा बदन चिपककर मुझे गर्म करने लगी, फिर दीपा जीभ निकाल मेरे हाथ को पकड़े अपने गांड़ से उंगली निकाल सीधे जमीन पर बैठी, अब मुझे देखते हुए लंड के सुपाड़ा को अपने ओंठ पर रगड़ने लगी तो मैं उसके बाल पर हाथ फेरने लगा और दीपा मुंह खोल सुपाड़ा सहित आधा से अधिक लंड अंदर लिए चूसने लगी तो मैं दीपा के बाल को कसकर पकड़े उसके मुंह में ही लंड पेलने लगा और वाशरूम के अंदर की हकीकत बयां करने के लिए झरना चालू कर दिया ताकि गिरते पानी की आवाज सुनकर मॉम को लगे कि दीपा स्नान कर रही है और उसके मुंह को लंड से चोदते हुए मस्त था तो दीपा लंड को मुंह से बाहर निकाली फिर मुझे भी बैठने को बोली तो दोनों आमने सामने बैठे हुए थे और दीपा किसी चुदासी औरत की तरह मेरे लंड पर चूतड़ किए मेरे गोद में बैठ गई, अब उसका दोनों हाथ मेरे कंधे पर था तो उसके जांघों के बीच ही मेरा लंड खड़ा था फिर मैं अपना हाथ लगाकर लंड पकड़ा और दीपा की चूत में घुसाने लगा, अभी आधा लंड घुसा भी नहीं था कि वो तेजी से अपने गद्देदार गान्ड नीचे की ओर कर दी और मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में चला गया, वो मुझसे लिपटी थी तो अपने गान्ड नीचे उपर करते हुए चुदाई का आनंद ले रही थी और मेरा ६-७ इंच लम्बा लंड उसकी रसीली चूत में अंदर बाहर हो रही थी, दीदी की चूत से रज निकल चुका था तो मैं उसके कमर को थामे नीचे से तेज धक्का देता हुआ उसके चूत की कुटाई कर रहा था और वो भी अपने गान्ड उछालने में मस्त थी तो उसके गोल गोल बूब्स मेरी छाती से चिपक रही थी, सुबह की चुदाई करता हुआ दीपा का स्वागत कर रहा था फिर दोनों स्थिर हुए और वो मेरे गाल चूमने लगी तो मैं उसके पीठ सहलाने लगा, दोनों का बदन साफ था तो वो बोली ” और कितनी देर डियर
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#9
मैं उसके पीठ सहलाने लगा ) बस एक दो मिनट ” और वो मेरे कंधे में हाथ डाले चूतड़ को उछालना शुरू कर दी तो मैं चुपचाप बैठा हुआ उसकी बुर को चोद रहा था, अब मेरे लंड के झड़ने का वक़्त आ चला था और मैं दीदी कि कमर को पकड़े दे दनादन चोदने लगा, दोनों सेक्स और संभोग सूख में लिन थे तो मेरा लंड पूरी तरह से गरम हो चुका था, अब मैं हांफने लगा और वो मेरे कंधे पर सर रखकर चुदाई का आनंद ले रही थी ” उह आह ऊं ऊं अब गर्मी हो रही है

( राहुल ५-७ धक्का मारकर चिल्लाया ) ओह ये ले साली रण्डी आह निकला ” तो मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा निकल पड़ा और दोनों उसी तरह पल भर बैठे रहे फिर अलग होकर अपने अपने योनि को साफ किए और दीदी बदन पोंछकर कपड़ा पहन अपने रूम घुसी तो मैं अपने रूम……






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#10
अग्ले सवेरे दिदी सो कर उठी और चाय बनाकर मुझे भी जगा दी ! मै फ़्रेश होकर बाल्कोनी मे आया तो दिदी कुर्सी पर बैठकर चाय पी रही थी, मुझे देखकर बोली….. “राहुल चाय रसोइघर मे है, ले लो और पियो

(राहुल) ठीक है लेकिन मुझे दुध पिने का मन है दिदी

(दिपा शर्मा गयी) चाय पियो फिर दुध भी पी लेना

(राहुल) जब आप अपना चुची मुह्न मे घुसाओगी तभी तो दुध पी

(दिपा) अबे हरामी मेरे चुचि से अभी दुध कैसे निक्लेगा. ” और वो शर्म से सर झुका ली, लेकिन मेरा हाथ उसके चुची पर चला गया और मै जोर-2 से मसलने लगा! वो चुपचाप बैठी रही, मै कुर्सी और करीब किया और दोनो हाथ उनके दोनो चुचि पर लगाकर जोर-2 से मसलने लगा ! 5 मिनट तक चुचि मसलने के बाद दिपा को अपने गोद मे उठाकर कमरे मे ले आया और बेड़ पर सुला दिया, वो मुस्कुराने लगी……. “राहुल सुबह-2 तुम काम-वासना मे लग गये, खाना पीना कैसे बनेगा

(राहुल) खाना का ओर्डेर पास के रेस्तरा मे कर देगे. ”

दिदी के जिस्म से कपड़ा उत्तारा और नग्न जिस्म पर सवार होकर उनको चुमने लगा, उनके गोरे गाल पर चुमा लेता हुआ चुचि का एह्सास अपने सीने पर पा रहा था, दिदी अपने जिभ को मुख से निकाल मेरे मुह्न मे ड़ाल दी, जिभ चुसता हुआ अपने पिठ पर उनके हाथ का एह्सास पा रहा था! दिदी की सांसे तेज हो गयी, वो तड़पने लगी और उनका जिभ निकालकर अपना चेहरा उनके गोल-2 पर किया और अपना गाल चिकने चुचि पर रगड़ने लगा, फिर दिदी अपनी चुची खुद पकड़कर मेरे मुह्न मे घुसा दी, उनका 2/3 चुचि मेरे मुह्न मे था और मै जोर-2 से चुचि चुसता हुआ दुसरा चुचि दबाने लगा! दिदि के चुचि से दुध नही निकल रहा था और वो…. “राहुल बुर में खुजली हो रही है

(राहुल) अभी दुध पिना है, चुदाई बाद मे. ” दिपा के दुस्ररे चुचि को चुसता हुआ मस्त था, मेरा लंड़ 6-7 इंच कि लम्बाई और 2 इंच कि मोटाई ले कर फ़नफ़ना रही थी, अब चुचि चुसना छोड़ा! दिपा दिदी के चिकने मख्मली जिस्म पर अब चुम्बन देने लगा, उनके चिकने सपाट पेट को चुमता हुआ नाभि कि ओर गया और चुमता हुआ कमर तक पहुंचा ! दिदि तड़्प रही थी और दोनो पैर को फ़लकाकर बुर दर्शन कराने लगी, तभी दिदि की गांड़ के निचे तकिआ घुसाया और उनके मोटे-2 जण्घा को चुमने लगा, लेकिन मेरा ध्यान चुत पर ही था, वो उंग़ली से बुर को फ़लकाकर मुझे चाट्ने का न्योता दी और मेरा जिभ बुर के अंदर दौड़ने लगा, चिकने बुर को चाटता हुआ भुल चुका था की बुर दिदी की है और वो सिसकने लगी…. “राहुल अबे कुत्ते बुर चाट्ना छोड़ ना लंड़ मे जान नही है क्या चोदने के लिये

(राहुल) अभी चुसने दे ना फिर चोद कर तेरी बुर फ़ाड़ता हु. ” और मेरे ओंठो के बिच साली रांड़ की रान थी जिसको चुसता हुआ मस्त हो रहा था, पल भर बाद बुर से रस निकलने लगा और मै बुर का रस पीकर… चाट्कर बाथरूम भागा और मुतने के बाद देखा कि दिदि बुर फ़लकाकर छर-2 मुत रही है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
हमदोनो वापस कमरे मे आये और दिपा बेड़ पर कुत्तिआ कि तरह हो गयी, उनके चुत्तर के पास घुत्तने के बल बैठा और अपना लंड़ पकड़ कर बुर मे घुसाने लगा, मेरा 1/2 से ज्यादा लंड़ बुर मे था और मे कमर थामकर बुर मे जोर का झट्का दिया और मेरा मुसललंड़ दिदी कि बुर मे था, वो चिंख पड़ी….. “अरे बाप रे मेरी बुर फाड़ने पर क्यो लगे हो, इतना मोटा लंड़ तो तेरे जिजा का भी नही है. ” लेकिन मेरा लंड़ पुरे गति से उसकी बुर चोद रहा था, गिले बुर मे लंड़ गपागप दौड़ लगा रहा था और वो रांड़ अपने चुत्तर को जोर-2 से हिल्लाने लगी, दिदी को चोदने का आनंद ही अलग था ! मेरा लंड़ बुर को पुरे गति के साथ चोद रहा था तो दिपा अपने गांड़ को हिला रही थी, मेरा लंड़ पुरी तरह से गरम हो चुका था और दिपा कि बुर भी मेरे लंड़ के रगड़्न से गर्म हो चुकी थी, वो कुत्तिआ की तरह होकर चुदने मे मस्गूल थी, मुझे देखकर बोली…… ” अबे साले कुत्ते तेरा लंड़ तो झड़ेगा ही, थोड़ा जल्दी गिरा दो ना

(राहुल) सो क्या चुदक्कर बुर फटने लगी क्या. ” और मेरा लंड़ 15 मिनट के बाद विर्य गिरा दिया और दिदी पल भर बाद लंड़ बाहर कर दी और लंड़ चुसकर विर्य का स्वाद लेने लगी !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#12


मेरी बुर की मुत



राहुल को अब बुर की भुख सी लग चुकि थी, अपनी बड़ी बहन के साथ सम्भोग सुख लेने के बाद मेरा ध्यान औरतो पर ही लगा रह्ता था ! इस बिच अपनी चचेरी बहन के साथ काम वासना का आनंद लिया था लेकिन चुदाई का सुख नही ले पाया था ! मेरी छोटी चाची एक हफ़्ते कानपुर मे रुकी थी और मेरे साथ 2-4 बार चुदाई का आनंद ली थी ! मेरी बड़ी दिदि दिपा आने वाली है ये खबर सुनकर काफ़ी खुशी हुई, लेकिन जिजा भी साथ आने वाले है ये थोड़ी निराश करने वाली खबर थी ! दिदी और जिजा दोनो घर पहुंचे, फ़िर हमलोग साथ मे काफ़ी बातचित किये, दिदी हमको घुर-2 के देखा करती थी ! एक शाम वो मुझे अकेले मे मिली और बोली….. ” राहुल जिजा कल सवेरे की गाड़ी से देल्ही जायेंग़े तब तक इंतजार करो

(राहुल) जरुर दिदी. ”
अगले दिन मै कालेज गया लेकिन ध्यान दिपा पर ही लगी हुई थी, शाम को घर वापस आया तो दिपा लाल रंग़ के गाउन मे सुंदर लग रही थी ! मै अपना कपड़ा बद्ला फ़िर लेट गया, थोड़ी देर के बाद दिपा मेरे कमरे मे आई और दरवाजा बंद कर दी ! मै हड़्बड़ा कर बेड़ पर उठा और बोला…… “दिदी ये क्या कर रही हो
(राहुल) भोले मत बनो, मम्मी पापा बाजार निकले तो मै सोची लेकिन तुम कह्ते हो तो जाती हू. ” वो उठ्कर जाने लगी तो मै उसको कसकर पकड़ लिया और अपने बिस्तर पर ले आया ! दिपा बिस्तर पर बैठी और मै उसके सामने खड़ा हो गया, दिदि मेरे बरमुड़ा को कमर से निचे खिंच दी और मेरा लंड़ उनके मुह्न के सामने था! मुझसे नज़र मिलाते हुए वो मेरे लंड़ को पकड़ी और अपने मुह्न मे घुसा ली, मेरा खड़ा लंड़ उनके मुह्न मे था और वो मुह्न मे भरकर चुसने लगी, अब मेरा लंड़ पुरी तरह से खड़ा हो गया और वो उसपर अपना जिभ फ़ेरने लगी ! मै दिपा के चुत को चोदना चाह्ता था और वो फ़िर से मुखमैथुन करने लगी, अपने मुख का झट्का लंड़ पर देते हुए झांट मे उंग़ली घुमा रही थी, पल भर बाद दिपा लंड़ को अपने मुख से बाहर कर दी!
मै अब बिस्तर पर आ गया, दिदी के गाउन को उनके बदन से निकाल फ़ेंका, वो सिर्फ़ चाड़्ही मे बैठी हुए थी ! उनको बेड़ पर सुलाकर उनके जिस्म पर ओंधा और गाल पर चुमबन देने लगा, वो मेरे पिठ पर अपने हाथ फ़ेर रही थी, दिपा के गाल को चुमता हुआ अपने सिने से उसके चुची को रगड़ने लगा और दिपा तड़्प रही थी ! पल भर बाद दिदी के चुची को मुह्न मे भरकर चुसता हुआ दुसरा चुची मसलने लगा और वो सिसकने लगी…… “हाय रे मेरी बुर कितनी खुज्ली हो रही है. ” मै दिपा के दुसरे चुची को चुभलाने लगा तो वो मेरे बदन को खरोंचने लगी ! अब मै उनके कमर को चुम रहा था और उनके चिकने जाण्घ पर हाथ फ़ेरने लगा, अब मै दिपा के चध्ही को खोलकर बुर का दिदार करने लगा ! लगभग 2 महीने बाद दिपा कि बुर को निहार रहा था, एक तकिआ दिदी के चुत्तर के निचे ड़ाला और उनके दोनो जङ्हा के बिच अपना चेहरा झुकाया, उनकी चिकनी मांसल बुर लाल थी और बिन बार के सुंदर दिख रही थी ! मै दिपा कि बुर पर चुम्बन देने लगा तो वो अपने चुत्तर को उचकाने लगी, उनके बुर से सुगंध आ रहा था और मैने दिपा को बोला…. ” जानु उङ्ली की मदद से अपने बुर का मुख तो जरा खोलो. ” दिपा बुर को फ़लका दी तो मेरा जिभ उसके अंदर जाकर स्वाद लेने लगा ! दिदी की शादी के 2 साल हो चुके थे और वो चुदाई का भरपुर आनंद ले रही थी, इस्लिये उनकी बुर का हिस्सा धिला पड़ चुका था और अंदरुनी मार्ग भी काफ़ि खुल चुकी थी और ऐसे ही चुत को चाट्ने मै मजा भी आता है ! मेरा 2/3 जिभ दिदि की बुर को चोद रहा था और मेरा हाथ उनके मोटे जङ्हा को कसकर पकड़ा था, वो चिंखने लगी…… “अबे कुत्ते सिर्फ़ बुर चाट्ने मे हि वक़्त जाया करेगा या अपने लंड़ से चुदाई भी करेगा
(राहुल) फ़िल्हाल दिदि तेरे बुर की मुत पिउंग़ा
(दिदि) तो चल ना बाथरूम पिलाती हू अपनी मुत. ” पल भर बुर चुसा और दोनो बाथरूम चले आये ! अब दिदि खड़ी थी तो मै घुट्ने के बल बैठ्कर दिपा के दोनो रान को अपने मुह्न मे लिया और चुसने लगा और वो चिंख पड़ी….. ” ले बे कुत्ते पी मेरी बुर की मुत आह निकला. ” और दिदि कि बुर से पिसाब कि तेज धार मेरे मुह्न मे गिरने लगी और मै मुतपान करके मस्त हो गया !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
ससुराल में देवर संग रोमांस

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
दीपा की २२-२३ साल की कमसिन जवानी तो खूबसूरत बदन में शादी के बाद का निखार साथ ही मेरे गोल गोल बूब्स और वी शेप चूतड़, दोनों एक गाड़ी रिजर्व करके इटावा पहुंचे फिर वहां आज रात रुकना था और अगले सुबह पति के पैतृक गांव जाकर एक पूजा में शामिल होना था, शाम को इटावा पहुंची तो वहां ससुर, सासू मां और देवर जी रहते हैं तो मैं वहां पहुंचते ही पहले तो सासू मां का चरण स्पर्श की फिर रूम चली गई और ६-७ घंटे की सड़क यात्रा से बदन में काफी थकावट हो रही थी, फिर मैं अपना कपड़ा बदलने कि सोचने लगी तो बैग से एक सलवार और कुर्ती निकाल वाशरूम जाने लगी तो मेरे पति रूम में आकर बोले ” दीपा तुम फ्रेश होकर चाय पियो, वैसे घर में नौकरानी भी है और मैं एक दो दोस्त से मिलकर आता हूं ” वो चले गए तो मैं दरवाजा को सटाकर अपने साड़ी को उतारने लगी, इतने में दरवाजा कोई खटखटाने लगा तो मैं पूछी ” कौन है

( उधर से एक औरत की आवाज आई ) जी मालकिन चाय बनाकर ले आऊं
( मैं ) हां ले आ ” तो सिर्फ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने मैं बेड पर लेट गई, शाम के तकरीबन ६:०० बजे थे तो ठंड का मौसम और सूर्यास्त हो चुका था तो मैं बेड पर लेटी रही और कुछ देर बाद जब दरवाजा दुबारा से किसी ने खटखटाया तो मुझे लगा की नौकरानी ही होगी तो प्यार से बोली ” अंदर आ जाओ ” और ज्योंहि मेरी नजर दरवाजे की ओर गई मेरे देवर जी हाथ में चाय की प्याली लिए अंदर घुसे तो मैं हड़बड़ा कर अपने साड़ी को ली फिर सीने को उससे ढक ली ” चाय पी लीजिए फिर डायनिंग हॉल से लगे वाशरूम में ही फ्रेश हो लीजिए
( मैं उनकी नजर अपने चूची पर देख पा रही थी ) इस वाशरूम में क्या दिक्कत है
( देवर की गन्दी नजर मेरे छाती पर थी ) इसके नल में ही प्रॉब्लम है भाभी ” और वो बेशरम की तरह बेड पर बैठकर मेरे नग्न पेट से कमर तक को देखते हुए बोला ” चाय पीजिए भाभी ” तो देवर जी भी चाय पीने लगे, अब मैं भी बेझिझक होकर चाय के प्याला को ली फिर चाय की चुस्की लेने लगी तो मेरे सीने से साड़ी नीचे सरक कर देवर जी को उफान लेती चूचियां दिख रही थी और मेरी चौड़ी छाती पर बड़े बड़े बूब्स को घूरते हुए वो चाय पीने लगे फिर मैं बोली ” विवेक तुम कितने बेशरम हो ना
( विवेक हंसने लगा ) अच्छा लेकिन क्यों भाभी जी
( मैं उसे प्याला थमाकर बोली ) सब समझ रहे हो अब तुम यहां से जाओ वरना तेरे भैया को इसकी शिकायत कर दूंगी ” वो उठकर चला गया तो मुझे लगा कि पिछले छः महीने से एक ही मर्द के साथ सेक्स करके बोर हो रही थी तो एक अच्छा मौका गंवा बैठी, वैसे भी विवेक मुझे दुबारा नहीं घूरता या अपने जिस्म को दिखा उसे रिझा नहीं सकती हूं ये नामुमकिन है। अब मैं साड़ी लपेट कर डायनिंग हॉल वाले वाशरूम में घुसी फिर दरवाजा बंद करके कपड़ा खोलने लगी, नग्न होकर गीजर के पानी से नहाने वाली थी कि मेरी नजर वाशरूम के दूसरे दरवाजे पर गई और मैं उस दरवाजा को खींच चेक करने लगी, उसमें अंदर से कोई कुण्डी नहीं थी लेकिन बाहर से शायद ताला बन्द था। दीपा अब जमीन पर बैठकर स्नान करने लगी तो अपने सेक्सी जिस्म पर पानी डालकर भिगोए फिर अब उठकर साबुन ली और इतने में दरवाजे के खुलने की आवाज सुनाई दी, देखी तो विवेक वाशरूम घुस रहा था और मैं सहम कर बोली ” विवेक तुम अपनी सीमा लांघ रहे हो प्लीज़ चले जाओ ” वो बिना कुछ बोले मेरी ओर आया फिर मुझे बाहों में लेकर मेरे बदन को सहलाने लगा तो उसके ओंठ मेरे गर्दन चूमने लगे और मैं उससे लिपटे बोली ” अगर तेरे भैया को ये बात बता दी ना
( वो मेरे गर्दन में हाथ डाले मेरे ओंठ पर चुम्बन देने लगा ) कोई फायदा नहीं भाभी, इस वाशरूम में क्यों आप आईं बताएंगी तो आपकी पिटाई हो जाएगी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
( मैं उसके गाल चूमने लगी ) ओह झूठे तुम मुझे अपने जाल में फांस लिया ” और फिर दोनों एक दूसरे को चूमते हुए बदन को सहलाने लगे तो विवेक २२-२३ साल का जवान लड़का मेरी चूची को अब पकड़ दबाने लगा और मैं भी सोची की गैर मर्दों के साथ मजा लेने का मौका मिला है तो एंजॉय कर लिया जाए, अब मेरा हाथ विवेक के पैजामा की डोरी को खोल दिया तो मैं तो पहले से ही नंगी थी, देवर मेरी चूची चूसने लगा तो मैं उसके लंबे मोटे लंड को पकड़ दबाने लगी, यकीनन मेरे भाई से इसका लंड बड़ा और कड़ा था तो चूची चूसकर वो अब दूसरी चूची मुंह में लिए चूसने लगा तो मैं उसके लंड को आगे पीछे करने लगी और नवंबर की ठंड में भी बदन में गर्मी थी ” उह ओह आह ” तो विवेक मेरी गान्ड के दरार में उंगली रगड़ता हुआ मस्त था। मैं उसको पीछे धकेलकर बोली ” विवेक मुझे डर लग रहा है, घर में पापा मम्मी भी हैं

( वो मेरे पैर के सामने बैठकर बोला ) बगल मंदिर में भजन करने गए हैं दोनों ” फिर विवेक मेरे दोनों पैर को फैलाकर बुर को चूमने लगा ” उह भैया की क्या तकदीर है, इतनी खूबसूरत और सेक्सी बीबी जो मिली है
( दीपा ) आप शादी क्यों नहीं कर लेते ” लेकिन देवर मेरे एक पैर को पकड़ हवा में उठाए बुर को चूमने लगा तो मैं बुर के मुहाने को उंगली से फैलाकर जीभ घुसाने को बोली तो विवेक मेरी चूत चाटने लगा और मेरे बदन में सिहरन हो रही थी ” उह ओह उई मां इतनी खुजली आह ” और वो बुर के दोनों फांक मुंह में लेकर लेमनचुस की तरह चूसने लगा तो पल भर बाद मेरी चूत पानिया गई और वो बुर का रस पीकर उठा फिर मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया तो मैं जमीन पर बैठकर उसके लंड का चमड़ा छीलकर सुपाड़ा को ओंठ पर रगड़ने लगी और मुंह खोले पूरा लंड गटक गई, किसी रण्डी को मैं मुखमैथुन में हरा दूं ऐसी काम कला से निपुण हूं तो उसके कमर में हाथ डाले मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी और आज की शाम मेरे जीवन में एक नया अध्याय जोड़ चुका था तो वो सिसकने लगा ” आह ओह भाभी पल भर चूस ना फिर मेरा लंड तेरी मुंह में ही वीर्य स्खलित करेगा ” मुझे लंड चूसने में मजा तो आने लगा लेकिन असमंजस में थी कि देवर के लंड का वीर्य चखा जाए या नहीं, इतने में मेरे बाल को कसकर पकड़े विवेक मुंह में ही लंड पेलने लगा और पल भर बाद मेरे मुंह में वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी तो वीर्य पीकर मैं मस्त हो उठी, फिर दोनों फ्रेश होकर बाहर आए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16
दीपा अपने ससुराल में देवर विवेक के साथ कुछ देर तक सेक्स का मजा ली फिर थकावट के मारे आराम से लेट गई फिर रात को सब लोग साथ खाना खाए फिर मैं रूम में जाकर सो गई तो कल सुबह सभी को पैतृक गांव जाकर एक पूजा में शामिल होने था तो पति के चाहत को मैं रात को पूरा नहीं कर सकी कारण की यात्रा की थकावट साथ ही देवर के साथ वाशरूम में सेक्स का आनंद ले चुकी थी फिर अगले सुबह उठकर वाशरूम घुसी और नमन को भी जगाई तो सासू मां किचन जाकर सबों के लिए चाय बना रही थी फिर सब लोग चाय पीकर स्नान करने चले गए, स्नान करके मैं लाल रंग की साड़ी, फूल साईज ब्लाऊज साथ ही पेटीकोट और ब्रा पेंटी पहन ली, पहली बार अपने ससुराल जा रही थी तो भारतीय महिला की तरह ही वहां जाना था लेकिन अच्छी बात ये थी कि दिन भर ही वहां रहना था फिर सब लोग अपनी गाड़ी साथ ही एक भाड़े की गाड़ी से निकल पड़े तो विवेक और नमन अपने पापा के साथ एक गाड़ी में सवार थे तो मैं अपनी सासू मां के साथ दूसरी गाड़ी में और रास्ते में सासू मां बोली ” बहू, शादी के साल हो गए क्या कुछ खुश खबरी सुनने को मिलेगी

( मैं शरमाते हुए ) अभी दो साल तक नहीं, वो ऐसा चाहते हैं ” फिर अपने पैतृक गांव पहुंचकर पूजा में शामिल हुए तो कई साल बाद गांव का नजारा देखने को मिला साथ ही पूजा अर्चना दो घंटे होने के बाद हमलोग खाना खाए फिर एक घंटा आराम करने के बाद वापस इटावा की ओर निकल पड़े तो इस बार मेरे साथ गाड़ी में देवर जी विवेक थे, शायद विवेक जानबूझकर मेरे साथ आया था या फिर उनकी मर्जी से मुझे नहीं पता तो शाम के ०३:०० बजे हमलोग निकल पड़े और कार के शीशे को लगाकर ड्राइवर ए सी ऑन किया तो विवेक मुझसे दूरी बनाए बोले ” सुनो ड्राइवर पर्दा भी चढ़ा ही दो तब ए सी अच्छे से काम करेगी ” और अब बंद कार में दोनों मस्त थे तो दोनों सीट के बीच का पर्दा भी ड्राइवर चढ़ा दिया, विवेक गाड़ी के पैतृक गांव से निकलते ही मेरी ओर खिसका तो मैं भी खिसक गई लेकिन यहां तो देवर जी का मन मुझे परेशान करने का था, अंत में अब मेरे पास जगह नहीं थी तो मैं उनको इशारे से हटने को बोली लेकिन विवेक मेरे कंधे में हाथ डाले चेहरा अपनी ओर किया फिर चेहरा चूमने लगा, ये साला तो मेरे पीछे ही हाथ मुंह धोकर पड़ गया और मैं उसे बाहों में लेकर ओंठ चूमने लगी। विवेक स्मार्ट लड़का था तो उसके ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगी फिर वो मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगा और मेरी ब्लाऊज में लगे साड़ी की पिन खोलकर साड़ी को सीने से उतार दिया तो मैं उसको धक्का देकर दूर हो गई और मेरे सीने की धड़कन बढ़ने लगी लेकिन देवर झट से मेरी बूब्स पकड़ दबाने लगा तो मैं भी उसमें समाने को तड़प रही थी, अब मेरे ब्लाऊज की डोरी को खोलने लगा तो मैं उसके सामने अपनी ब्रा तक उतार फैंकी और वो मेरी बूब्स को मुंह में लिए चूसने लगा तो मेरा हाथ उसके जींस के ज़िप को खोलने लगा, वो मेरी चूची चूसता हुआ दूसरी चूची को पकड़ दबाने लगा तो मैं विवेक के चढ्ढी नीचे कर लंड को बाहर निकाली तो देवर खुद ही अपने जींस और चढ्ढी को उतार अर्ध रूप से नग्न हो गए, अब मेरे एक बूब्स को पकड़ दबाने लगे तो मैं उनके लंड को पकड़ हिलाने लगी और फिर वो मुझे देखते हुए पूछा ” क्यों भाभी सीट पर लेटिये ना, असली मजा लेना चाहता हूं ” मैं थोड़ी सहमी हुई थी फिर भी उसकी जिद्द के सामने ठंडी पड़ गई, अब कार के सीट पर लेट गई तो वो मेरे पैर के पास बैठकर मेरी साड़ी सहित पेटीकोट को कमर तक ऊपर कर दिया और मेरी नग्न जांघों पर हाथ फेरने लगा तो चूत पर पेंटी थी, विवेक आराम से मेरी पेंटी को कमर से नीचे करके चूत सहित चूतड़ को नंगा कर दिया, अब उसके निचले भाग नग्न थे तो देवर जी चुदाई बिना किए मानने वाले नहीं थे। कार हाईवे पर तेज रफ्तार से दौड़ रही थी तो विवेक अब मेरे दोनों जांघों को हवा में उठाकर पकड़े रहा तो मैं अपने पैर खुद पकड़ ली फिर वो अपना मूसल लंड। पकड़े मेरी चूत में घुसाने लगा, अभी सिर्फ चुम्मा चाटी हुई थी सो मैं उतनी गर्म भी नहीं थी फिर वो अपना गोल लम्बा सुपाड़ा चूत में घुसाने लगा तो धीरे धीरे आधा लंड बुर में जा चुकी थी तो मेरे जीवन में ये तीसरा लंड था जोकि चूत की गहराई को मापने को आतुर थी तभी विवेक मेरे कमर पर हाथ रखे एक जोर का धक्का बुर में दे मारा तो कहिए कि मेरी धीमी चीख कार में बजने वाली म्यूजिक के कारण ड्राइवर को पता नहीं चला लेकिन उसके लंबे और कड़े लंड का तेज धक्का मेरी चूत को मजा देने लगा और वो मेरे ब्लाऊज पर से ही एक चूची को पकड़ दबाने लगा, कार के डनलप सीट पर मेरी गद्देदार गान्ड आराम से थी तो विवेक चोदते वक्त बार बार अपने लंड के फिसलन से परेशान था, मेरी चूत से लंड निकाल बोला ” हो जा डॉगी की तरह ” और दीपा अब खिड़की की ओर चेहरा किए घुटने और कोहनी के बल हो गई तो मेरे चूतड़ को सहलाता हुआ देंवर जी मेरी ब्लाऊज को उतार फेंका, अब मेरी कमसिन जवानी पर मात्र एक ब्रा ही था उसे भी खोलकर पूर्णतः नग्न कर दिया तो अब विवेक की ओंठ का एहसास अपने गान्ड के मुहाने पर पा रही थी फिर वो बुर को फैलाए उसमें थूक दिया, मैं गुस्से भरी नजरों से मुड़कर उसे देखी तो वो बुर में जीभ घुसाए चाटने लगा और एक हाथ मेरी छाती पर लगाकर स्तन को पुचकारने लगा तो मैं चुदासी चूत की खुजली से तड़प रही थी फिर देवर अपना लंड चूत में घुसाने लगा, इस स्टाइल में चुदाई का आनंद ही अलग होता है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
मेरी चूत जोकि गर्म और सूखी थी को विवेक जोर जोर से चोदने में मस्त था, अब चूतड़ को स्प्रिंग की तरह हिलाने लगी ” उह ओह आह अब झड़ेगा ” तो मेरी चूत से रस से सराबोर हो गई फिर देवर जी चूत को चाटने लगे और फिर मेरी चुदाई शुरू कर दी तो चलती कार में ये एक अनोखा आनंद मिल रहा था, विवेक की मोटी गरम लंड दे दनादन चोदने में लगा था तो दीपा अपने गान्ड हिला हिलाकर हांफने लगी और कुछ देर बाद विवेक के लंड से वीर्य स्खलित होकर मेरी चूत को गीली और चिपचिपी कर दी….. दोनों अपने अपने योनि को साफ किए फिर वापस घर पहुंचे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
ससुराल में देवर के साथ छिपकर रोमांस

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#19
पा की मचलती जवानी को एक नया खिलौना मिल चुका था तो देवर जी ५’१० इंच लंबे, गोरा मुखड़ा साथ ही चौड़ी छाती तो मूसल लंड के साथ मेरे प्रति आकर्षित हो चुके थे तो कल शाम को पैतृक गांव से लौटते वक़्त वो मुझे कार में ही चोद लिए और अपने भाई राहुल, पति नमन के अलावा ये मेरे कामुक जीवन का तीसरा अध्याय बन गया तो उस रात थकावट के कारण खाना खा कर सो गई और पति नमन भी चोदने को उतने उत्सुक नहीं थे और अगले सुबह उठकर मैं फ्रेश हुई फिर रूम में ही नाईटी बदलकर साड़ी पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहनने लगी, सासू और ससुर के सामने नाईटी पहनकर जाना वर्जित था तो तैयार होकर डायनिंग हॉल आई फिर सर पर पल्लू लिए सासू मां के पास गई ” क्या चाय बना दूं

( सासू ) हां सबके लिए चाय बना दे अभी सबको उठाती हूं ” फिर मैं किचन जाकर चाय बनाने लगी और कुछ देर के बाद मैं वहीं सासू के साथ बैठकर चाय पीने लगी तो देवर और मेरे पति दोनों बालकनी में बैठकर चाय की चुस्की ले रहे थे। पल भर बाद मैं वहां से उठकर रूम चली गई तो नमन आकर बैठा ” तुम फटाफट मेरे लिए कुछ नाश्ता बना दो मैं स्नान करने जा रहा हूं
( दीपा ) कहीं जाना है क्या
( नमन ) हां दोपहर तक वापस आ जाऊंगा ” और मैं किचन जाकर उनके लिए पराठा सब्जी बनाने लगी, कुछ देर बाद कामवाली बाई आकर मेरे काम में हाथ बटाने लगी तो अभी सुबह के ०८:१० हो रहे थे, मैं नाश्ता तैयार करके रूम गई फिर देखी की नमन कपड़ा पहन रहे हैं ” आपके साथ विवेक भी जा रहा है ना
( वो मुस्कुराते हुए बोले ) तो फिर तुम्हारा ख्याल कौन रखेगा ” और मैं झेंप गई फिर पति नाश्ता करने लगे तो मैं उनके पास चुपचाप खड़ी थी, उधर विवेक सोफ़ा पर बैठे मुझे ही घुर रहा था तो बीच बीच में मैं भी उसे ताड़ रही थी और दोनों की नजरें मिलने लगी तो मेरे बदन में गुदगुदी सी हो गई फिर दोनों भाई घर से निकले तो मैं दरवाजे तक जाकर उन्हें हाथ हिलाकर बाए की और विवेक कार के घर से निकलते ही गेट लगाकर अंदर आए तो मैं अपने रूम जाकर लेट गई, सोच रही थी कि कल की हरकत दुबारा की जाए लेकिन यहां तो सासू मां भी हैं और कामवाली बाई भी, सो देवर पर ही छोड़ दिया और कुछ देर बाद मेरी सासू जैसे ही रूम में घुसी मैं उठकर खड़ी हो गई ” ऐसा है बहू, तुम आराम करो स्नान करके नाश्ता कर लेना मैं पास के मन्दिर से आती हूं ” मैं समझ गई कि मौका मिल चुका है बस विवेक मेरी ओर आकर मुझसे छेड़ छाड़ करे और उधर कामवाली बाई सुनीता घर में झाडू लगाने में जुटी थी तो मैं जानबूझकर बालकनी चली गई और वहीं कुर्सी पर बैठी, कुछ देर बाद विवेक की आवाज सुनाई दी ” क्या भाभी जी आप अकेले बोर हो रही हैं
( मैं मुंह फेरते हुए ) आपके भैया तो मेरी ख्याल रखने को आपको बोल गए हैं लेकिन आप को मेरी कोई फिक्र नहीं
( विवेक कुर्सी पर बैठा ) आदेश कीजिए भाभी जी ” और दोनों की नजरें आपस में टकराने लगी मानो प्रेमी युगल हों तो देवर जी मेरे कलाई को पकड़ बोले ” बस सुनीता काम निपटाकर चली जाए
( मैं मुंह ऐंठ बोली ) ओह उसके बाद आप काम करेंगे ” तो देवर झट से मेरी गाल को चूमकर उठा और चला गया, मैं शर्मिंदगी महसूस करने लगी फिर बैठी रही और कुछ देर बाद मेरे दिमाग में एक आइडिया आया, उठकर किचन गई और सुनीता को बर्तन मांजते देख बोली ” मैं स्नान करने जा रही हूं तुम काम निपटा कर मेन गेट सटा देना
( वो ) जी दीदी वैसे भी विवेक बाबू अपने रूम में हैं ” मैं चली गई फिर अपने रूम में वार्डरोब से दूसरी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाऊज़ निकाल बेड पर बैठी विवेक को बुलाने की सोच रही थी। कुछ देर के बाद देवर मेरे रूम आए और मुझे उदास बैठे देख पूछे ” क्या हुआ भाभी, स्नान करना है तो कर लीजिए ” मैं उसको आंख मारी और वो समझदार की तरह अपने रूम चला गया फिर आया तो मैं वाशरूम में घुसकर अपने साड़ी और ब्लाऊज उतार चुकी थी तो पेटीकोट को अपने छाती से बांधे झरना के नीचे खड़े अब झरना चालू करने वाली थी कि वाशरूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया और मैं आराम से भिंगे बदन का नुमाइश करनी लगी, दरवाजा खुलते ही देवर जी अंदर आ गए और मुझे देख वो झट से अपना बनियान और पैजामा उतार फेंके साथ ही सिर्फ चढ्ढी में वो मेरी ओर आकर मुझे बाहों के घेरे में लेकर चूमने लगे तो दोनों झरना के नीचे स्नान करते हुए चुम्मा चाटी कर रहे थे। पल भर बाद विवेक मेरे भीगे बदन पर से साया का नाड़ा खोला और नंगा कर दिया, मैं दोनों पैर जोड़े खड़ी थी मानो कोई काम की मूर्त सेक्स की भूखी हो तो वो मेरे ओंठ चूमने लगा साथ ही चूतड़ सहलाने लगा, उधर झरना का पानी दोनों के बदन पर गिरता हुआ तन में मस्ती चढ़ने लगी तो मैं अब शर्म छोड़कर उससे लिपट गई फिर वो मेरी चूतड को सहलाता हुआ जांघों को फैलाकर चूत को टटोलने लगा, इधर उसका अर्ध रूप से टाईट लंड मेरे हाथ में था तो उसे हिलाकर लंड को टाईट करने लगे। विवेक अब मेरे ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा साथ ही मेरी चूत की फांकों के बीच उंगली रगड़ता हुआ मस्त था तो दीपा अब ओंठ को निकाल अपने जीभ को उसके मुंह में डाले चुसवा रही थी और देवर जी की उंगली मेरी चूत को गान्ड की ओर से रगड़ने लगी तो मेरे बूब्स उसकी छाती से चिपककर कामुकता को बढ़ा रहे थे और मेरी जीभ को पल भर चूसने के बाद उसका लंड मेरे हाथ में टाईट हो गया। देवर मेरे जीभ निकाले मेरी चूची को पकड़ चूमने लगे तो मैं उनके पीठ को सहलाने लगी फिर क्या था, वो अपना मुंह खोल दिए तो मैं अपनी चूची उनके मुंह में डाले चुसवा रही थी और मेरी चूत गर्म हो चुकी थी तो मैं सिसकने लगी ” उह ओह आह देवर जी अब चोद दीजिए ना
( वो चूची छोड़ा ) जरूर पहले बुर तो चाट लूं ” ……
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#20
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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