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Adultery तलाक के बाद
#1
तलाक के बाद

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
पिंकी को देख कर कोई सहसा विश्वास नहीं कर सकता था कि वह एक आदिवासी युवती है. इस की वजह यह थी कि पिंकी के नैननक्श और रहनसहन सब कुछ शहरियों जैसे थे. इतना ही नहीं, उस की इच्छाएं और महत्त्वाकांक्षाएं भी शहरियों जैसी ही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
https://xossipy.com/play/353500/quot-des...eepthroat/
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
https://xossipy.com/play/301696/hotwife-...neighbour/
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
https://xossipy.com/play/309770/telugu-m...desi-team/
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
https://xossipy.com/play/14368/indian-su...wcase-her/
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
https://xossipy.com/play/309429/andra-te...ouse-dick/
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
2





पार्टनर की जवान बीवी तलाक के बाद चोदी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
(28-07-2022, 05:07 PM)neerathemall Wrote:
2





पार्टनर की जवान बीवी तलाक के बाद चोदी


[Image: tits_big.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
मेरी उम्र 55 साल है और मैं एक बिजनेसमैन हूँ.

मैं एक लंबे और वजनी शरीर का आदमी हूँ, मेरा वजन 91 किलो है.
हम दो दोस्त हैं, जो मिलकर बिजनेस चलाते हैं.
मेरे बिजनेस पार्टनर का नाम अमित है और वो 35 साल का है.
ये कहानी 7 साल पहले उस समय शुरू हुई थी, जब उसकी नई नई शादी हुई थी.
शादी के बाद अक्सर मैं उसके घर जाया करता था.
उसकी बीवी का नाम सविता है और वो 25 साल की थी.
सविता दिखने में बेहद खूबसूरत और कामुक बदन की मालकिन थी. वो मुझे काफी अच्छी लगती थी.
अक्सर मैं उनके यहां खाना खाने के लिए जाता था और उसे देखने के बाद मेरे अन्दर कामवासना जाग जाया करती थी.
सच में उसका बदन काफी सेक्सी था, उसका फिगर 34-30-36 का था.
उसके तने हुए दूध और पीछे उभरी हुई गांड किसी को भी अपना दीवाना बना सकती थी.
मैं उसे देखकर बस खुश ही हो सकता था क्योंकि वो मेरे बिजनेस पार्टनर की बीवी थी.
इसके अलावा वो मुझसे आधी उम्र की थी और वो मेरी बेटी की उम्र की थी.
कई बार मैं सविता को याद करते हुए अपनी बीवी की चुदाई किया करता था.
लेकिन मेरी बीवी में वो बात नहीं थी. मेरी बीवी काफी मोटे जिस्म की थी और सेक्स में उसकी बिल्कुल भी रुचि नहीं थी.
वो किसी लाश की तरह बिस्तर पर लेटी रहती थी.
मैं अपनी बीवी से सेक्स में बिल्कुल भी खुश नहीं था इसलिए मैं कई बार होटल में कॉलगर्ल के साथ रात बिताकर अपनी प्यास बुझाया करता था … या अपने हाथों से ही काम चला लिया करता था.
कई बार तो मैंने सविता को याद करते हुए भी मुठ मारी थी.
ऐसे ही एक बार मैं और मेरा बिजनेस पार्टनर अमित बिजनेस के काम से मुंबई गए.
नई नई शादी के कारण अमित ने सविता को भी अपने साथ ले लिया.
बिजनेस का काम करने के बाद हम लोग दो दिनों तक मुंबई घूमने के लिए रुक गए.
अगले दिन हम लोग बीच पर गए, जहां वो दोनों समुद्र में मस्ती करने लगे.
मेरी नजर तो केवल सविता पर ही टिकी हुई थी.
उस वक्त सविता ने हाफ पैंट और एक सफेद रंग की टीशर्ट पहन रखी थी.
अचानक से सविता समुद्र में डुबकी लगाने लगी जिससे उसका पूरा बदन भीग गया.
वो दोनों काफी देर तक वहां नहाते रहे और मैं किनारे पर बैठे हुए सविता के बदन को देखे जा रहा था.
कुछ देर बाद दोनों बाहर आए और दोनों मेरे करीब आकर मुझसे फ़ोटो लेने के लिए बोले.
सविता मेरे काफी करीब खड़ी हुई थी और मेरी नजर उसकी भीगी हुई टी-शर्ट पर थी.
उसके अन्दर की लाल रंग की ब्रा साफ साफ दिख रही थी क्योंकि उसने सफेद रंग की पतली सी टी-शर्ट पहनी हुई थी.
टी-शर्ट भीगने से उसकी लाल रंग की ब्रा में कैद उसके मम्मे साफ़ दिखने लगे थे.
मेरी नजरें उसके नीचे गईं तो उसकी गोरी गोरी चिकनी जांघें देख कर मेरे लंड में हरकत शुरू हो गई.
मैंने उन दोनों की बहुत सारी फ़ोटो ली और सविता की कुछ क्लोजअप फ़ोटो भी ली.
फिर हम लोग 2 दिन घूमने के बाद अपने घर वापस आ गए.
अब मैं हमेशा सविता की फ़ोटो अपने फोन में रखने लगा जो मैंने मुंबई में ली थी.
मैं अक्सर उसकी फोटो को जूम करके देखा करता, जिसमें उसकी लाल ब्रा दिखती और साथ ही उसके निप्पलों की जामुनी घुंडियां भीगी हुई टी-शर्ट से दिखती थीं.
उसकी जांघों को जूम करके देखता रहता था, जिसमें 2 तिल भी मस्त दिखते थे.
मेरे अन्दर उसे चोदने का बहुत मन था लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था.
सविता मेरी किस्मत में नहीं थी, वो किसी और की बीवी थी.
समय चलता रहा और 2 साल बीत गए.
अब 2017 का साल आया और अमित ने एक दिन अचानक से कहा कि मैं कुछ दिन काम पर नहीं आऊंगा, तुम कुछ दिन काम सम्हाल लेना.
मेरे पूछने पर भी उसने गोलमोल जबाव दिया और चला गया.
करीब हफ्ते भर बाद मुझे पता चला कि अमित और सविता का तलाक हो गया है.
मैं यह सुनकर उस वक्त एकदम से सकते में आ गया था. मैं सोचने लगा कि दोनों कितने खुश रहते थे और ऐसा क्या हुआ कि उनका तलाक हो गया.
फिर मुझे धीरे धीरे पता चला कि सविता के कई मर्दों के साथ संबंध थे और अमित ने रंगे हाथ सविता को चुदाई करवाते पकड़ लिया था.
मुझे बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा था कि सविता इस तरह की लड़की थी.
क्योंकि जब भी मैं उससे मिलता, उसका व्यवहार बिल्कुल घरेलू लड़कियों की तरह ही रहता था और अमित के साथ वो काफी खुश भी थी.
कुछ दिन बाद अमित ने ऑफिस आना शुरू कर दिया मगर अब वो थोड़ा तनाव में रहने लगा था.
मैंने किसी तरह से उसे समझाया और वो धीरे धीरे नॉर्मल होने लगा.
एक दिन शाराब पीते हुए अमित ने ही मुझे बताया कि सविता उसके न रहने पर अपने पुराने दोस्त को उसके घर बुलाया करती थी और उसके कितने ही मर्दों के साथ संबंध थे.
अमित ने ये भी बताया कि उसने सविता को घर पर पूरी नंगी होकर चुदते हुए देख लिया था.
सविता को संभलने का मौक़ा ही नहीं मिला था.
मैंने अमित से कहा- अब भूल जा उसे … किसी दूसरी से शादी कर लेना.
फिर बात खत्म हो गई.
इस बात को लगभग 4 महीने बीत गए.
अब अमित भी अच्छे से अपने काम पर ध्यान देने लगा.
मैं अभी भी कभी कभी अपने फोन पर सविता की फ़ोटो देखा करता था लेकिन मुझे ये पता नहीं था कि अब वो कहां रहती है.
कुछ दिनों बाद मैं ऑफिस से घर की तरफ़ अपनी कार से जा रहा था.
अचानक एक महिला ने मेरी कार को रोकने का इशारा किया.
मैं समझ गया कि इसे लिफ्ट चाहिए होगी.
उस महिला ने अपने दुपट्टे से चेहरा ढका हुआ था.
वैसे मैं बहुत कम ही लिफ्ट देता हूँ, मगर लड़कियां और औरतें मेरी कमजोरी हैं, मैं उन्हें जरूर लिफ्ट दे देता हूँ.
मैंने उस महिला के बगल में कार रोक दी.
उसने मुझे देखा तो उसकी आंखों में एक चमक सी आ गई. उसने अपना दुपट्टा हटाया.
वो सविता थी.
पहले उसने कुछ नहीं कहा शायद ये सोचकर कि शायद मैं उसे लिफ्ट न दूँ.
मगर मैंने दरवाजा खोल दिया और पूछा- कहां जा रही हो सविता?
उसने बताया कि वो घर जा रही है.
मैंने उसे कार में बैठने का इशारा कर दिया.
वो कार में बैठ गई और मैं उससे बातें करने लगा.
उससे बात करने पर मुझे पता चला कि वो इस समय अकेली रहती है और किसी काम की तलाश में है.
मैंने उसे उसके फ्लैट तक छोड़ा और जाने लगा लेकिन उसने मुझे चाय के लिए आमंत्रित किया.
थोड़ा सोचने के बाद मैं उसके साथ उसके फ्लैट पर चला गया.
अन्दर जाकर मैं सोफे पर बैठ गया और वो अन्दर के कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
थोड़ी देर बाद वो बाहर आई.

उसने बिना बांह का एक सिल्क गाउन पहना हुआ था.
उसके नुकीले दूध उस सिल्की गाउन में बिल्कुल मस्त लग रहे थे. उसके निप्पल्स देखने से ही पता चल रहा था कि उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी.
वो किचन की तरफ जाने लगी और मैं उसकी मटकती हुई गांड को देख रहा था.
उसकी गांड की दरार में उसका गाउन घुसा जा रहा था मतलब उसने चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी.
सविता के ऊपर तो मेरा दिल तभी से आ गया था, जब वो अमित के साथ रहती थी.
आज अकेले उसके घर पर उसके साथ उसे इस रूप में देखकर मेरे लंड से पानी रिसने लगा.
कुछ समय बाद वो चाय लेकर आई और हम दोनों ने चाय पी.
चाय पीते हुए हम दोनों बातें कर रहे थे, मेरी नजर बार बार उसके तने हुए मम्मों और उसकी गोरी गोरी बांहों पर जा रही थी.
जब वो अपने बाल संवारने के लिए अपने हाथ उठाती, तो उसके अंडरआर्म देख कर मेरा लंड झटके मारने लगता.
मैंने उससे कहा- अगर मैं तुम्हारी जॉब के लिए कुछ कर सकता हूँ, तो बताओ.
वो मेरी मदद लेने के लिए तैयार हो गई.
मैंने उसका नम्बर ले लिया और अपना नम्बर उसे दे दिया.
चाय पीने के बाद मैं वहां से आ गया.
उसके बाद हम दोनों के बीच रोजाना बातें होने लगीं और रात में घंटों तक व्हाट्सएप पर चैटिंग होने लगी.
लेकिन अभी हम दोनों साधारण दोस्तों की तरह की बातें करते थे.
उसके बाद मैंने अपने एक अन्य मित्र की कंपनी में उसकी जॉब लगवा दी.
वो काफी खुश थी.
मैंने उससे कह दिया था कि किसी भी तरह से ये बात अमित को पता नहीं चलनी चाहिए.
दोस्तो, सविता के बारे में मैं सब कुछ जान चुका था कि वो अकेली रहती है और उसे सेक्स काफी पसंद है, इसलिए तो वो अमित के अलावा कई मर्दों के साथ सेक्स करती थी, जिससे उसका तलाक हुआ.
हालांकि उम्र में वो मुझसे आधी ही थी लेकिन फिर भी वो मुझे बहुत पसंद थी और मैं उसे किसी भी तरह से पाना चाहता था.
अब ये मेरे लिए आसान हो गया था.
बस किसी तरह से सविता तैयार हो जाए.
सविता जॉब पाकर मुझसे काफी खुश थी और इसके लिए कई बार मुझे धन्यवाद बोलती थी.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि सविता से किस तरह से अपनी बात बोलूं.
बस रोज हम दोनों एक दोस्त की तरह चैटिंग करते और कभी कभी फ़ोन पर भी देर तक बातें करते रहते.
फिर जुलाई 2017 में मेरी बीवी कुछ दिनों के लिए बाहर गई हुई थी और मैं घर पर अकेला ही रह रहा था.
एक दिन मैं अपने ऑफिस से थोड़ी देर से निकला.
उस दिन बारिश का मौसम था और काफी तेज बारिश हो रही थी.
मैं धीरे धीरे अपनी कार से घर की तरफ चला जा रहा था.
तभी सविता का फोन आ गया.
उसने बताया कि मैं अपने ऑफिस के पास बस स्टैंड पर हूँ और मुझे कोई साधन नहीं मिल रहा है.
मैंने उससे कहा- तुम वहीं रुको, मैं तुम्हें लेने के लिए पहुंच रहा हूँ.
मैं उसे लेने पंहुचा और वो कार में आकर बैठ गई.
वो बुरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी सलवार कमीज उसके बदन पर चिपकी हुई थी.
उसके बदन की बनावट उस वक्त बिल्कुल साफ साफ दिख रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
मैं उसे लेकर उसके फ्लैट की तरफ़ चल दिया.

कुछ ही देर में हम पहुंच गए और मैं उसे बाहर छोड़कर जाने लगा.
तभी वो चाय के लिए जिद करने लगी.
मैं भी उसकी बात मानते हुए चला गया.
कमरे के अन्दर पहुंचकर सविता कपड़े बदलने के लिए चली गई और मैं बाहर सोफे पर बैठ गया.
कुछ समय में सविता आई और उसने आज फिर से वही गाउन पहन रखा था, जो उसने उस दिन पहना हुआ था.
उसने आज भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी.
थोड़ी देर में उसने चाय बनाई और चाय पीते हुए हम दोनों में बातें होने लगीं.
इसी बीच मैंने उसे बताया कि इस समय मैं अकेला रह रहा हूँ क्योंकि बीवी बाहर गई हुई है.
इतना सुनकर सविता बोली- मैं जल्दी से खाना बनाती हूं, आप खाना यहीं खाइए.
मैंने मना किया लेकिन वो जिद करने लगी.
मैं खाना खाने के लिए तैयार हो गया.
सविता मेरे बारे में जानती थी कि मैं रात के खाने से पहले व्हिस्की पीता हूँ, इसलिए उसने कहा कि अगर आप पीना चाहते हैं, तो पास में ही वाइन शॉप है, आप अपने लिए व्हिस्की ला सकते हैं.
मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि मैं पहले भी उसके पति के साथ सविता के सामने पी चुका था.
मैं व्हिस्की लेने के लिए चला गया और सविता खाना बनाने चली गई.
जब मैं वापस आया तो सविता ने लगभग खाना तैयार कर लिया था.
उसने मेरे लिए प्लेट में काजू लाकर रख दिए.
मैं बाहर कमरे में बैठकर धीरे धीरे व्हिस्की पीने लगा और सविता किचन में खाना लगाने लगी.
तभी मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न आज सविता से अपने दिल की बात कह दी जाए.
ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, वो मना ही तो कर देगी और क्या.
कुछ समय बाद सविता आई और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई.
वो बार बार छींक रही थी शायद बारिश में भीगने के कारण उसे सर्दी लग गई थी.
मुझे अब नशा आ गया था और मैंने मजाक में उससे कहा- तुम्हें सर्दी लग गई है, एक पैग लगा लो … सब सही हो जाएगा.
उसने कहा- अगर ऐसा है, तो आप ही मेरे लिए बना दीजिए.
मैंने उसे ग्लास लाने के लिए कहा और वो ग्लास ले आई.
मैंने उसे एक पैग बनाकर दिया और उसने उसे पी लिया.
शायद उसने पहले भी कभी शराब पी थी इसलिए बिना किसी दिक्कत के वो पी गई.
इसी तरह उसने एक एक करके तीन पैग लगा लिए.
अब वो भी नशे में मस्त हो गई थी.
हम दोनों अब खाना खाने के लिए डायनिंग टेबल पर चल दिए.
बातें करते हुए हम दोनों खाना खाते जा रहे थे.
फिर बात करते हुए उसके पति अमित के बारे में बातें होने लगीं और वो काफी उदास होकर रोने लगी.
किसी तरह हम दोनों ने खाना खत्म किया और मैं उसे समझाते हुए सोफे पर आ गया.
मैं उसके बिल्कुल बगल में बैठा हुआ था और उसे समझाते हुए पुरानी बातें भूलने के लिए कह रहा था.
उसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उससे कहा- सविता, मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं. अगर तुम्हें बुरा न लगे तो क्या हम दोनों एक गहरे दोस्त बन सकते हैं?
पता नहीं कैसे, पर उसने बिल्कुल भी गुस्सा नहीं किया और अपना सर मेरे कंधे पर रखते हुए बोली- मैंने तो आपको अपना गहरा दोस्त आज से ही मान लिया है, बस हमारा रिश्ता दुनिया के सामने नहीं आना चाहिए.
मैंने कहा- बिल्कुल भी नहीं आएगा, कभी किसी को पता नहीं चलेगा.
बस क्या था अब तो मेरे दिल की ख्वाहिश पूरी हो गई थी.
सविता जैसी कम उम्र की खूबसूरत और हसीन लड़की मेरे पास थी.
मैंने उसी समय सोच लिया कि आज की रात यहीं गुजारनी है.
मैंने अपना एक हाथ उसके गले से डाला और उसली खुली हुई गोरी बांहों को सहलाने लगा.
सविता भी अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रख दिया.
अब मेरी दिल की इच्छा .................................... पूरी होने वाली थी.
जिस लड़की को याद करके मैंने कई बार मुठ मारी थी, आज मैं उसे सच में चोदने वाला था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
सविता मेरे कंधे पर सर रखकर बैठी हुई थी और मैं आहिस्ते आहिस्ते उसकी मखमली बांहों को सहला रहा था.

कुछ देर बाद मैंने और आगे बढ़ने की सोची और सविता का दमकता हुआ चेहरे को अपने हाथों से ऊपर उठाया.
वो अब हर चीज के लिए बिल्कुल तैयार लग रही थी और उसने अपनी आंखें बंद कर ली थीं.
मैं उसके गुलाब जैसे कोमल होंठों की तरफ बढ़ने लगा और जल्द ही उसके होंठों को अपने होंठों से चूमने लगा.
सविता अपने आपको पूरी तरह से मुझे सौंप चुकी थी. वो भी मेरा साथ देते हुए अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी.
मैंने उसकी कमर को अपने एक हाथ से थाम लिया और उसे अपने और करीब ले आया.
जल्द ही हम दोनों गर्म होने लगे और सविता अपने दोनों हाथों को मेरे सर पर रखकर मेरे बाल सहलाने लगी.
मैं कभी उसके होंठ चूमता, कभी उसकी जीभ अपने मुँह में भरकर चूसता.
जल्द ही मेरा एक हाथ उसके सीने पर जाकर उसके कसे हुए दूध को गाउन के ऊपर से ही सहलाने लगा.
कसम से उसके दूध इतने सुडौल थे कि उनको सहलाने का अलग ही मजा मिल रहा था.
कुछ देर हम लोग सोफे पर बैठे हुए ही एक दूसरे को चूमते रहे, फिर मैं उसे लेकर बेडरूम की तरफ़ चल दिया.
बेडरूम में जाकर खड़े होकर ही हम दोनों एक दूसरे को अपनी बांहों में भर लिया और एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे.
दोस्तो, अभी तो शुरूआत हुई थी लेकिन मैं समझ चुका था कि सविता काफी गर्म औरत थी और उसे कई दिनों से किसी मर्द का साथ नहीं मिला था.
वो मुझे बिल्कुल नोंचे जा रही थी और मैं भी उसके जोश का जवाब अपने जोश से दे रहा था.
जल्द ही मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए उसके शरीर से निकाल दिया.
अब वो चड्डी पहने हुए मेरी बांहों में झूम रही थी.
उसका दूधिया बदन किसी कयामत से कम नहीं था.
उसने भी अपने हाथों से मेरे कपड़े निकालने शुरू कर दिए और जल्द ही मैं भी केवल चड्डी में रह गया.
अब मेरा बालों से भरा मजबूत बदन सविता के कोमल चिकने बदन पर चिपक कर उसे सहलाने लगा.
मैंने अपने दोनों हाथ उसके पीठ पर ले जाकर पीठ से उसकी गांड तक उसे सहलाते हुए उसके होंठ, गोरे गाल, उसकी सुराही जैसी गर्दन पर अपने चुम्बन की झड़ी लगा दी थी.
उसके दोनों हाथों को ऊपर उठाकर उसके अंडरआर्म को अपने जीभ से मलाई की तरह चाटने लगा.
फिर मैं उससे अलग हुआ और नीचे झुककर उसके छोटे छोटे गुलाबी निप्पल्स को अपने मुँह में भर लिया.
सविता उस वक्त काफी उत्तेजित हो गई और मेरे सर को अपने दूध पर दबाते हुए कराहने लगी- सीईईई आआह मम्मीईई … चूस लो … बहुत दिनों से किसी ने चूसे नहीं हैं.
मैंने कहा- इसका मतलब तुम काफी दिनों से चुदी नहीं हो.
वो दारू के नशे में बोली- हां, काफी दिनों से मेरी चूत को लंड नहीं मिला है.
उसकी साफ़गोई से मैं भी जोश में आ गया और उसके एक निप्पल को दांत से हल्के हल्के से काटने लगा.
‘आउच्च … उऊफ्फ …’
सविता भी जोश से भर गई और मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ाते हुए मुझे अपने सीने पर चिपकाने लगी.
काफी देर तक मैंने उसके दोनों दूध को बहुत बुरी तरह से चूसा और दबाया जिससे उसके दोनों दूध लाल टमाटर की तरह दिखने लगे.
अब मैंने सविता को बिस्तर पर लेटा दिया और खुद भी बिस्तर पर चला गया.
मैं सविता के पैरों के पास बैठ गया. वो केवल चड्डी पहने मेरे सामने लेटी हुई थी.
उसका दमकता हुआ गोरा बदन मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.
मैंने अपने हाथों में उसका एक पैर उठाया और उसे चूमते हुए उसकी गदराई हुई जांघों तक उसे चूमने लगा.
ऐसे ही मैंने उसकी दोनों जांघों पर चुम्बन की झड़ी लगा दी.
इसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसकी चड्डी निकालनी शुरू की और सविता ने भी अपने चूतड़ उठाकर चड्डी निकालने में मेरी मदद की.
अब वो बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और पहली बार मैंने उसकी चूत के दर्शन किए.
उसकी हल्की गेहुंए रंग की चूत, जिस पर बिल्कुल भी झांटें नहीं थीं, उसे देख कर मेरे लंड ने भी चड्डी के अन्दर से ही उसे सलामी दी.
जल्द ही मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
सविता की ‘सीईइ सीईइ …’ की कामुक आवाजें सारे कमरे में गूंजने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#14
मैंने अपनी दो उंगलियों से उसकी चूत को फैलाया और अन्दर तक उसकी चूत को चाटने लगा.

उसकी चूत पानी से सराबोर हो गई थी. मैंने उसकी चड्डी से उसकी चूत को साफ किया और काफी देर तक उसकी चूत चाटता रहा.
सविता ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं सकी और वो झड़ गई.
मैंने उसकी चूत को फिर से पौंछा और अब मैंने भी अपनी चड्डी को निकाल दिया.
मेरा फनफनाता हुआ लंड आजाद होकर सविता के सामने था.
सविता अभी अभी झड़ी थी इसलिए मैंने उसे फिर से गर्म करने के लिए उसे अपने ऊपर ले लिया.
उसने बिना किसी शर्म के मेरे सीने को चूमते हुए नीचे हाथ बढ़ाकर मेरे लंड को थाम लिया और सहलाने लगी.
जल्द ही सविता मेरे लंड के पास पहुंच गई और मेरे लंड को आहिस्ते आहिस्ते हिलाते हुए मेरे सुपारे को गौर से देखने लगी.


मैंने अपने हाथ बढ़ाया और उसकी गोरी गांड को सहलाने लगा.
कुछ देर तक उसने मेरे लंड को चूसा और मेरे ऊपर लेट गई.
उसे मैंने अपनी बांहों में भरकर पलटा दिया और उसके ऊपर आ गया.
मैंने उसकी दोनों जांघों को फैला दिया.
दोनों जांघ फ़ैलने से उसकी चूत ने भी अपना मुँह खोल दिया और उसका छेद साफ साफ दिखने लगा.
मेरा लंड बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर सैट हो गया था.
मैं उसके चेहरे को देखते हुए इशारे से अन्दर डालने के लिए पूछा.
उसने भी अपनी आंखें बंद करते हुए अपनी सहमति दे दी.
अगले ही पल मैंने जोर लगाया और लंड फिसलता हुआ चूत में घुस गया.
‘आआह …’ की प्यारी सी आवाज सविता के मुँह से निकली.
उसने बड़े प्यार से मेरे इतने बड़े लंड को झेल लिया था.
मैं समझ गया कि इसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई और मैं इसे तेजी से चोद सकता हूँ.
मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और सविता ने भी मुझे कस कर जकड़ लिया.
मैंने अपने लंड को जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और जल्द ही अपनी पूरी ताकत से उसे चोदने लगा.
उसकी मादक आवाजें तेजी से कमरे में गूंजने लगीं.
उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं.
उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर दबा दिए थे.
हम दोनों ही पूरे जोश में थे और एक दूसरे का साथ देते हुए चुदाई का मजा ले रहे थे.
सविता अपनी गांड उचका उचका कर चुदवा रही थी और उसकी ये अदा मुझे दीवाना बना रही थी.
आज बहुत दिनों बाद मुझे सविता जैसी गर्म लड़की चोदने को मिली थी.
सविता मेरा हर तरह से पूरा साथ दे रही थी और मैं उसके कोमल बदन को अपने बदन से लपेटे दनादन चुदाई किए जा रहा था.
बीच बीच में मैं उसके गालों और होंठों को चूमता जा रहा था और वो भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे मुँह में डाल रही थी.
करीब पांच मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद मैं रुका और अपना लंड बाहर निकाल लिया.
अब मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और सविता को ऊपर आने का इशारा किया.
सविता मुस्कुराती हुई उठी औऱ अपने दोनों पैर फैलाते हुए मेरी कमर में फंसा कर मेरे लंड पर बैठ गई.
एक हाथ से मेरे लंड को उसने अपनी चूत में फंसाया और झटका लेते हुए बैठती चली गई.
उसने लंड चूत में लेकर मेरे गले में अपनी बांहें डाल दीं.
मैंने भी अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को सम्हाला और सविता अपनी कमर हिलाते हुए लंड अन्दर बाहर लेने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#15
वो बहुत मस्ती से कमर हिलाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी.

उस पोजीशन में हम दोनों ने 5 मिनट तक चुदाई की और फिर सविता अलग हो गई.
मैंने उसे फिर इशारा किया और उसे घोड़ी बनने के लिए कहा.
सविता तुरंत ही अपने घुटनों पर होकर घोड़ी बन गई.



उसके पीछे अपने घुटनों पर हो गया और पहले उसकी गांड को हाथों से सहलाते हुए अपने होंठों से चूमने लगा.

उसकी गोरी गोरी चिकनी गांड गजब की लग रही थी.
कुछ देर चूमने के बाद मैंने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैलाया और लंड चूत में लगाकर अन्दर पेल दिया.
सविता ने भी अपनी गांड हिलाकर लंड को अच्छे से सैट कर लिया.
मैंने उसके चूतड़ों को कसके पकड़ लिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
मेरे धक्कों के साथ उसके चूतड़ों में गजब की लहर बन रही थी, जो मुझे और तेज चोदने के लिए जोश दिला रही थी.
जल्द ही मैंने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसकी चुदाई शुरू कर दी.
उसके चूतड़ जल्द ही मेरे धक्कों से लाल हो गए.
फट फट की आवाज पूरे कमरे में गूंज उठी.
इस बार न वो रुकने को तैयार थी और न मैं. वो बस चिल्लाए जा रही थी.
‘आंह और तेज और तेज और करो और तेज करो.’
लगातार 15 मिनट तक उसे चोदने के बाद मैं उसके अन्दर ही झड़ गया.
इस बीच सविता भी 2 बार झड़ चुकी थी.
हम दोनों के ही बदन पसीने से भीग चुके थे और हम दोनों ही थक कर लेट गए.
मैंने एक सिगरेट सुलगा ली और उसी सिगरेट से सविता भी छल्ले उड़ाने लगी.
उसके आधा घंटा बाद हम दोनों फिर से तैयार हुए और फिर से चुदाई का खेल शुरू हुआ.

आज मेरी दिल की तमन्ना पूरी हो गई थी, जिसे मैं देखकर आहें भरता था, उसे मैं आज चोद चुका था.
दो बार की चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही सो गए.
सुबह सुबह हम जब उठे, उस वक्त 7 बज रहे थे.
उस समय फिर से हम दोनों ने चुदाई की.
इसके बाद हम दोनों ने ही अपने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली.
उसके अगले दिन तक मैं उसके साथ उसके घर पर ही रहा और हम दोनों के बीच रुक रुक कर चुदाई होती रही.
कभी बेडरूम में, कभी सोफे पर, कभी बाथरूम में नहाते वक्त, तो कभी सविता को फर्श पर लेटा कर … मैं उसे चोदता रहा.
ऐसा कोई आसन नहीं बचा था, जिस आसन में हम दोनों ने चुदाई नहीं की हो.
उसके बाद अगली सुबह मैं वापस आ गया.
.
मुझे पाकर सविता ने अपने सारे दोस्तों से रिश्ता तोड़ लिया है और अब वो केवल मुझसे चुदती है.
मैं एक दो बार काम के सिलसिले से बाहर भी गया, जहां सविता भी मेरे साथ गई और हम दोनों ने होटल में रुककर चुदाई का मजा लिया.
सविता के मेरी जिंदगी में आने से मेरी सेक्स लाइफ बिल्कुल बदल गई.

सविता कभी किसी चीज के लिए मना नहीं करती और दिल खोलकर चुदाई करवाती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
(20-07-2022, 10:58 AM)neerathemall Wrote: पिंकी को देख कर कोई सहसा विश्वास नहीं कर सकता था कि वह एक आदिवासी युवती है. इस की वजह यह थी कि पिंकी के नैननक्श और रहनसहन सब कुछ शहरियों जैसे थे. इतना ही नहीं, उस की इच्छाएं और महत्त्वाकांक्षाएं भी शहरियों जैसी ही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#17
Good story
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