13-09-2021, 06:00 PM
मामा की बेटी की चुदाई उसी के घर में
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest मामा की बेटी की चुदाई उसी के घर में
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13-09-2021, 06:00 PM
मामा की बेटी की चुदाई उसी के घर में
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:01 PM
मामी मामा नजदीक के ही एक हाउसिंग सोसाइटी के फ्लैट में अपने दो बेटों और एक बेटी के साथ रहते थे.
मैं पहुंचा तो मामा के पूरे परिवार का सरप्राइज रिएक्शन दिखा. मुझे बहुत अच्छा लगा. सामान्य भाव से मामी मुझसे मम्मी पापा और भाई बहनों का हाल चाल समाचार पूछती रहीं. फिर मैं अपने ममेरे बहन भाइयों के साथ कनेक्ट हो गया और हम सब गप्प लड़ाने लगे. मामा जी को दोनों लड़के महंत (20) और सुमंत (19) पढ़ने में बहुत इंटेलिजेंस रहे और 22 साल की एक बेटी अर्चना, बहुत सुंदर और आकर्षक थी. अर्चना की कुंवारी चुत की चुदाई करने का स्वर्ण अवसर मामी अपने घर में सौंप चुकी थीं. तब से मामी और अर्चना दोनों ने ही मुझे चुदाई के लिए कभी भी मना नहीं किया. अर्चना के उजले जिस्म का कटाव यही कोई 32-30-34 का था और हाईट पूरे 170 सेंमी की थी. वो किसी पोर्न स्टार के जैसी, किसी भी सेक्सी मर्द के हवस की पूरी करने वाली माल लौंडिया थी. उसके उठे हुए मम्मों को तो देखते ही उसे चोदने का मन करने लगा था. उस पर उसके चूचों पर टंके हुए भूरे दाने, किसी पहाड़ की चोटी की तरह खड़े अपने आपको फतह किए जाने का इंतजार कर रहे थे. चूचों के नीचे पतली होती कमर पर तराशी हुई गहरी नाभि किसी की भी नियत खराब करती इठला रही थी. उसकी झील सी गहरी काली आंखों में तैरते लाल डोरे वासना का आमंत्रण देते लग रहे थे. गोल गोल कटोरे जैसे भारी चूतड़ और चिकनी मोटी मोटी कदली जैसी जांघों को बीच पावरोटी की तरह फूली सुनहरे रोएंदार टाईट बुर किसी भी मर्द को घायल करने की माद्दा रखती थी. कुल मिलाकर बीस साल की कचक जवान लड़की मेरे लंड की पुरानी आशिक रही थी. इशारों ही इशारों इशारे में मामी की मूक सहमति लेकर मैं शाम होते ही अर्चना के साथ ऊपर छत पर आ गया. नीचे दोनों लड़के पढ़ने में लीन हो गए. और मामा मामीजी हाल में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे. अंधेरा होते ही चुदने को बेकरार अर्चना ने छत पर एक गेस्ट रूम में जाते हुए आवाज लगा दी थी. मैं गबरू जवान लड़का उसकी चुत बजाने के लिए उतावला सा उस कमरे में आ गया था. कमरे में अन्दर जाकर मैंने कमरे को लॉक कर दिया और हम दोनों कामक्रीड़ा का भरपूर आनन्द लेने में लग गए थे. ज़मीन पर एक बड़े गद्दे पर एक दूसरे को नंगा करके एक दूसरे के गुप्तांगों को छेड़ कर उत्तेजित करने लगे. मैंने अर्चना के सुर्ख गुलाबी होंठों को चूसने लगा और उसकी चौंतीस इंच की चूचियों को मसलने लगा. फिर बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसते हुए नीचे गहरी नाभि में जीभ डाल कर चूमने लगा. जवां हुस्न की मल्लिका अर्चना मेरा भरपूर सहयोग कर मुझे मस्त मज़ा दे रही थी. अब हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे के गुप्तांगों को चुम्बन करने और चाटने लगे. गुलाब जैसे पंखुड़ियों वाली चुत का स्वाद नमकीन और कसैला सा लग रहा था. अर्चना भी पहले से ज्यादा एक्सपर्ट हो गई थी और मेरे लंड को पकड़ मस्त चुसाई कर रही थी. अब मैं देर ना करने की सोची और ब्रेड की तरह फुली रोएंदार मखमली चुत को चौड़ी करके जीभ से अन्दर चाटता रहा. जवानी से चरमराई अर्चना चुदाई से इतना मगरूर हो गई थी कि पांच मिनट में ऐंठने हुए गांड उठाने लगी और झड़ गई. अर्चना की चुत से बहुत सारा पानी निकलने लगा. उसके पानी से मेरा मुँह लिसलिसा सा हो गया था. इधर मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को अर्चना बहन ने चूस चूस कर गहरा लाल कर दिया था. वो अब सिर्फ़ और सिर्फ़ चुदाई करवाने को व्याकुल हो रही थी. मैंने नीचे पीठ के बल लेटकर अर्चना को दोनों टांगों को खोल ऊपर लहराने को कहा. उसकी बुर को फैला कर मैं अपने लंड का टोपा सैट करके अन्दर धकेलने लगा. एक बार मैंने उसकी नजरों से नजरें मिलाईं और अर्चना के मुँह से सांस खींचते खींचते लंड महाराज कसी बुर चीरते हुए आधे से अधिक समा गए. इसी के साथ अर्चना बहन एकदम से चीख मार कर मुझसे छूटने के लिए छटपटाने लगी- अहह मेरीईई ईईई … फट गई … चुत भैनचोद … साले कुत्ते … हरामी … रुक ज़ाआअ … आह बाहर निकाल लो … उम्म्ह … अहह … हय … याह … मम्मी.. बचाओ … भैन के लंड ने फाड़ दीईई … आह मेरीईई ईईई चुत … कोई ऐसी बर्बरता से चोदता है … आह बाहर निकाल इसेय माँ के लौड़े. अर्चना लंड के दर्द से फूट फूट कर रोने लगी. उसकी मदमस्त नंगी चुचियां सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. उनको मैं बारी बारी चूसने लगा. धीरे धीरे मेरी ममेरी बहन सामान्य होने लगी और मेरी पकड़ से निकलने की बेकार कोशिश करने लगी. मैं अपनी बहन को एक रफ्तार में चोदने लगा. धीरे धीरे धक्के बढ़ाने पर गुंदाज़ जांघों और उसकी चौड़ी गांड से टकरा कर मस्त पट-फट के साथ चुदाई की फचा-फच, हच-फच की मधुर आवाज़ कमरे में गूंजने लगी. बाईस साल की कमसिन बहन थोड़ी देर में सामान्य हो गई और कमर उछाल उछाल कर अपनी बुर में ज्यादा लंड की मांग करने लगी. मुझे अपने लंड पर बहुत अधिक कसाव अनुभव हो रहा था. जैसे कुंवारी कन्या की बुर चोदने के असीम आनन्द की होती है. मैं चुत की जड़ तक लंड पेलने लगा और बहन की दर्द और सिसकारियां से कमरा गूंज उठा. मेरी बहन अर्चना की सांसें तेज हो गई थी. उसकी ऐसी हालत में ताबड़तोड़ चोदते हुए मैं बुर की धज्जियां उड़ाने लगा. कचनार की कली अर्चना अपने आनन्द के उन्माद में दोनों हाथों में तकिया भींच रही थी और दोनों टांगें ऊपर हवा में लहराते हुए चुत में जड़ तक सात इंच लंबा लंड के हरेक चोट को हलक में घोंट रही थी. करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद वो दहाड़ें मार कर झड़ने लगी. उसने मुझे इतनी जोर से भींचा कि उसके हाथ में दबोचा हुआ तकिया की रुई फटकर बिखर गई थी. मैं बिना रुके रफ्तार में चुदाई करता रहा. अर्चना को ऐंठकर रज छोड़ते हुए उसके गर्म कामरस को महसूस करता रहा. फिर कुछ पल बाद कड़क चुचियों और कसी चुत की मल्लिका अर्चना मुझे फिर से भरपूर सहयोग करने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने भी चरम सुख भोगते हुए बहन की चुत में अपना लावा छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया. परम आनन्द की अनुभूति से अर्चना आंखों को बंद कर महसूस करने लगी. सांसें सामान्य होने पर हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूम कर कपड़े पहने और फ्रेश होने बाथरूम में घुस गए. अर्चना दीवार पकड़ कर चल रही थी. उसने चुत में अन्दर तक उंगली डाल कर पानी के प्रेशर से साफ किया. अर्चना की चूत की धारी फूल कर गोलाकार हो गई थी. चेहरे पर अजीब लाली लिए अर्चना किसी खजुराहो की मूर्ति की तरह कामदेवी लग रही थी. ब्रो सिस सेक्स के बाद कपड़े ठीक करके दोनों मुस्कराते हुए बाहर निकल आए. मैंने उसे अपनी बांहों में भर चूम लिया और वापस नीचे को लेकर गया जहां मामा मामीजी हाल में बैठे अब भी बातें कर रहे थे. मुझे देख कर मामी ने मुझसे आँखों के इशारे से पूछा कि हो गयी अर्चना की चुदाई? मैंने भी आँखों और होंठों से संतुष्टि का इशारा किया. तभी दोनों ममेरे भाई न्यू ईयर पार्टी के लिए मामी से इजाजत मांगने आए. तो चर्चा करते हुए मुझे मालूम़ हुआ कि तीनों भाई बहन को यहीं छोड़ कर अगले शनिवार को सगाई में शामिल होने के लिए मामी के गांव में, मामा-मामीजी दोनों ही जाने वाले थे. उनसे इजाजत मिलने पर हम चारों पार्टी की तैयारियों पर मशगूल हो गए. अर्चना के दोनों भाईयों को भी इस कामक्रीड़ा की दुनिया में पदार्पण करने के लिए एक प्लान के तहत फुफेरे भाई-बहनों और मौसेरी बहन को भी बुलाने के लिए अर्चना ने फ़ोन कर दिया. उसके बाद अपने घर जाने के लिए मैं मामी से इजाजत लेने गया, तो मामी ने अगली दोपहर में मुझे आने के लिए आदेश दिया. जहां अगले दिन घर में तैयार अकेले मामी को चोद कर मैंने मज़ा लिया. इस चुदाई का फिर कभी जिक्र करूंगा. अगले शनिवार को नियत समय पर मामा मामीजी को विदा कर दिया. एक दिन पहले ही खाने पीने और आतिशबाजी, लाईट्स की तैयारियों को शुरू कर दिया गया. आज सुमंत और महंत को अपनी रिश्तों में चुदाई की दुनिया में शामिल करने लिए उम्र के हिसाब से अर्चना ने अनु दीदी को दायित्व दे दिया था. इसलिए मामाजी के घर पहली बार अनु दीदी को लेकर मैं दोपहर को पहुंच गया. सुमंत, महंत और अर्चना, पहली बार अनु से मिलकर बहुत खुश हो गए क्योंकि अनु दीदी बहुत मिलनसार और सेक्सी माल हैं. थोड़ी ही देर में अनु दीदी ने अपने 34-32-36 के हुस्न जाल में दोनों भाइयों को दीवाना बना दिया. अर्चना आंखों में आंखें डालकर विस्मय से दोनों भाइयों को देखती रही. कभी वो दोनों अपनी बहन अर्चना की हर बात में मीन मेख निकालते थे, अभी गुलाम की तरह अनु दीदी के आदेश का अक्षरशः पालन करने लगे थे. दोपहर को सबने एकसाथ लंच किया और थोड़ी देर के लिए सब लोग आराम करने लगे मैं अर्चना को गोद में लेकर सोफे पर आराम करने लगा और अनु दीदी सुमंत महंत दोनों भाइयों को एक कमरे में लेकर समा गईं. जहां सेक्स गुरु की तरह उन दोनों को प्रशिक्षित कर रही थीं. दोनों भाइयों में अनु दीदी के चौंतीस नाप से ठोस चुचों के ज्यादा करीब आने की जल्दी मची थी. उस पर भी अगर कोई लड़की खुद आमंत्रण दे रही हो, तो फिर किसी भी लड़के को कैसे फील गुड नहीं हो सकता था. शाम होते होते अनु दीदी ने दोनों को अपने मदमस्त जवानी की वासनाओं में डुबो कर दोनों को नंगा कर दिया था और बारी बारी से दोनों भाइयों के लंड का पानी निचोड़ लिया था. जिंदगी में पहली बार वो दोनों युवा लौंडे सेक्स का पहला अनुभव पाकर अनु दीदी के मुँह में बारी बारी से झड़ गए थे. “चलो अब बस … अब रात में और मज़ा करेंगे.” ये कह कर अनु दीदी ने दोनों को अपनी बांहों में भर चूम लिया. महंत और सुमंत की सारी शर्म जाती रही. फिर घर में सारे दिन दोनों भाई आते जाते बार बार अनु दीदी को सहलाने और स्पर्श करने की कोशिश कर रहे थे. तभी अपनी मस्त दो बहनों रीना और रंजू के साथ दीपक भी हाज़िर हो गया. न्यू ईयर पार्टी के मस्त माहौल को रीना दीदी, मस्त रंजू और अनु दीदी के साथ बाईस साल की अर्चना अपनी मस्त जवानी से शाम रंगीन कर रही थी. मैं बीस साल का भगवानदास, सुमंत, महंत और 21 साल के दीपक के साथ न्यू ईयर पार्टी की पूरी तैयारी करके हम सब धीरे धीरे बीयर की चुस्कियां लेने लगे थे. सारी लाईट्स और मोमबत्तियों की झिलमिलाती रोशनी पूरे हॉल में जगमगा रही थी. तभी चारों परियां अधनंगी हालत में अपनी जवानी का जलवा बिखेरती हुई आ पहुंची. उफ़ बला की खूबसूरती हॉल में जगमगा रही थी. जवां हुस्न की खुशबू कमरे में हवा को नशीली बना रही थी. रंगीन पारदर्शी गाउन में चारों के अंत:वस्त्र दिखाई दे रहे थे. रीना के गोल गोल चूतड़ों के बीच गहरी फंसी चौंतीस इंच नाप की जालीदार लाल पैंटी में सिर्फ़ सामने एक पान बनाया हुआ था और ब्रा में कैद चुचों के सिर्फ़ चूचुकों को ढका गया था … इस जालीदार ब्रा पैंटी के सैट ने उसके पूरे नंगे जिस्म पर चार चांद लगा दिए थे. उधर अर्चना के ऊपर सिर्फ ब्रा और पैंटी के ऊपर पतली कमर में नेट की मिडी गजब कहानी बयां कर रही थी. मखमली कोटी के नीचे लक्स की बनियान और शॉर्ट्स में अनु दीदी के चौंत्तीस के चूचे और छत्तीस इंच नाप के चूतड़ साउथ इंडियन फिल्मों की लड़कियों की तरह गजब क़यामत ढा रहे थे. उसमें से सामने से फूली हुई चुत की दरार साफ़ झलक रही थी. छोटे मगर ठोस चूंचे वाली रंजू अपनी उठी हुई गांड में पैंटी के ऊपर नेट की लांग कुर्ती भर पहनी हुई थी, बिना ब्रा के उसकी नंगी नोकदार चूचियां आंखों को चुभ रही थीं. वो चारों इठलातीं बलखातीं … म्यूजिक सिस्टम पर कमर नचातीं किसी अप्सराओं के जैसी लग रही थीं. सुमंत और महंत ने कभी लड़कियों के हुस्न का इस तरह दीदार नहीं किया था. वो दोनों तो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति में बैठे हुए थे. जबकि घर में जवान बहन अर्चना भी थी. आज उसी अर्चना के साथ रीना, रंजू और अनु दीदी को दोनों भाई आंखें फाड़कर देख रहे थे. दीपक ने अनु के साथ मिलकर खाने की चीजों को सजाया और सबको बीयर पकड़ा दी थीं. चार मस्त लड़कियों के साथ चार जंवा लड़कों की पार्टी शुरू हो गई. स्नेक्स और नट्स केक के साथ थोड़ी बीयर सबने मिलकर पी, फिर म्यूजिक सिस्टम पर डांस करने लगे. दीपक ने बातों ही बातों में रीना और रंजूमुनि को नौसिखिए सुमंत महंत के साथ जोड़े बना दिए. मस्ती करने के लिए मैं भी अर्चना के साथ जोड़ी बना कर नाचने लगा. फिर दीपक और अनु दीदी का जोड़ा बन गया. ऊँची आवाज़ में ऑडियो बज रहा था. मस्ती में घंटों नाचने के बाद अब नशा की खुमारी सभी के ऊपर चढ़ने लगी थी. सुमंत महंत के साथ अर्चना की हिचक शर्म सब जाती रही थी. सबने मिलकर वोडका के साथ हल्का डिनर भी किया. रात बढ़ने के साथ साथ तन पर कपड़े भी कम होते गए. सभी लड़के और लड़कियों को ब्रा और पैंटी में कर दिया गया. शराब पर शवाब हावी हो रहा था. सुमंत के साथ रंजू चिपक कर बैठ गई थी और वो रंजू की नंगी चूचियों से खिलवाड़ कर रहा था. महंत को रीना ने दबोच लिया था और वो उसे अपने हुस्न का जलवा दिखा रही थी. दीपक के साथ अनु दीदी मस्त जवानी का मज़ा ले रहे थे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:03 PM
फुफेरी बहन की चुत चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:04 PM
जिस समय मैं इंटर में पढ़ रहा था, वो बीए कर रही थी. उसका बदन बहुत ही कामुक है. वो बिल्कुल गोरी है. उसकी हाइट कुछ कम है … मतलब यही कोई पांच फुट एक इंच है. फिगर साइज़ 30-28-32 के करीब है. उसकी जवानी को देख कर हर कोई उसे चोदना चाहेगा. मैंने खुद कई बार ये देखा था कि उसको देख कर बहुतों के लंड खड़े हो जाते थे. मैंने कई बार अपनी बहन शालिनी के नाम की मुठ मारी थी.
ये बात तब की है, जब वो मकर संक्रान्ति पर मेरे घर आयी हुई थी. चूंकि उससे उम्र का फर्क ज्यादा नहीं होने से वो मुझसे बड़ी खुली हुई थी और हम दोनों एक दूसरे से हर तरह की बातें कर लेते थे. मैं और वो साथ में लेट जाते थे लेकिन अभी तक कभी चुदाई जैसा कुछ नहीं हुआ था. एक दिन रात मैं और मेरी ताऊ जी की बेटी और शालिनी साथ में लेटे थे. हम लोग एक चादर में ही तीनों लेटे हुए थे. मैं शालिनी के बगल में लेटा था. उस दिन मैंने अन्तर्वासना पर भाई बहन की चुदाई की एक बड़ी ही मस्त सेक्स कहानी पढ़ी थी, जिस वजह से मेरा मूड बना हुआ था. उस दिन शालिनी ने भी एक छोटा सा स्कर्ट और स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था. इसमें वो काफी गदराई हुई लग रही थी. उसने एक मस्त सी महक वाला सेंट भी लगाया हुआ था. एक तो उसका नाटे कद का पूरा भरा हुआ बदन मुझे वैसे ही मस्त लग रहा था और ऊपर से मेरे दिमाग में बहन की चुत चुदाई की सेक्स कहानी घुसी हुई थी. मैं उसके बगल में लेटा हुआ उसके जिस्म से अपने जिस्म को लगभग चिपकाए हुए लेटा था. उसकी बातें तो मुझे समझ ही नहीं आ रही थीं, लेकिन उसके जिस्म से आती हुई खुशबू मुझे बड़ी लज्जत दे रही थी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:04 PM
तभी उसने अपनी जांघ को खुजाना शुरू कर दिया. उसकी कोहनी से मेरे सीने को रगड़न होने लगी. मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा दी. मुझे उसकी इस मुस्कान में एक अलग सी मस्ती महसूस हुई.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालीं, तो उसने मुझे एक आंख मार दी. उसकी इस हरकत से मैं हड़बड़ा गया. वो हल्के से हंस दी. मुझे समझ आ गया कि ये भी गरम है. मैंने अपना मोबाइल निकाला और अन्तर्वासना साईट खोल दी. उसने मोबाइल में झांका और अपनी कुहनी को मेरे हाथ से एक इशारे से रगड़ दिया. मुझे समझ आ गया कि खेल हो सकता है. मैंने उसके बगल में लेटी अपने ताऊ जी की लड़की को देखा, तो वो अपनी आंखें बंद किए सो सी रही थी. मैं अपना हाथ नीचे को ले गया और शालिनी की जांघ पर सटा दिया. मैं चौंक गया कि शालिनी ने अपनी स्कर्ट को पूरा ऊपर को उठाया हुआ था. उसकी चिकनी जांघ एकदम खुली हुई थी. मैं अभी कुछ समझता कि उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया. मैंने उसके हाथ की उंगलियों में एक अलग सी हरकत होती महसूस की, तो मैंने हिम्मत करते हुए उसकी जांघ पर हाथ रख दिया. उसने कुछ भी नहीं कहा बल्कि वो खुद भी मेरे हाथ पर अपना हाथ रखे रही. मैंने अब अपने हाथ को उसकी जांघ पर फेरना शुरू किया, तो उसने अपना मुँह ताऊ की लड़की की तरफ कर लिया और अपने जांघों को थोड़ा खोल दिया. मैं उसकी जांघ पर हाथ फेरने लगा. वो मस्ती लेती रही जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:04 PM
फिर मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ उसके मम्मों पर रख दिया. उसने कुछ नहीं कहा. मैंने करवट ले ली और नीचे वाले हाथ से उसकी जांघ को मसलना चालू किया और ऊपर वाले हाथ से धीरे धीरे उसके मम्मों को सहलाने लगा.
चूंकि बगल में ताऊ जी की लड़की लेटी थी, तो मैं ज्यादा खुल कर कुछ नहीं कर पा रहा था. मैं न तो उसके मम्मों को दबा पा रहा था और न ही उसकी चुत तक उंगली ले जाने की हिम्मत हो रही थी. हालांकि इस घटना के बाद मैंने ताऊ जी की बेटी को भी खूब चोदा था. वो सेक्स कहानी मैं बाद में लिखूंगा. मैं धीरे धीरे उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाता रहा. नीचे एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चुत को भी सहलाता रहा. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैं उसकी पैंटी में हाथ डालने ही वाला था कि ताऊ जी की लड़की ने इसी तरफ करवट ले ली और अपना हाथ शालिनी के मम्मों पर रख दिया. मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया. कुछ देर बाद शालिनी ने मुझे रोका और मेरे गाल पर एक किस करके वो मुझे सो जाने का इशारा करने लगी. मैं उस रात इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सका और लंड पर उसका हाथ रखवा कर सो गया. बस उस दिन उतना ही हो पाया. लेकिन इस घटना से हम दोनों के मन में एक दूसरे को चोदने की ललक जाग गई थी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:04 PM
मुझे बस अब इस बात का इन्तजार रहता था कि कब शालिनी अकेले में मिले और मैं उसको चोद सकूं.
मगर शालिनी इस बार सिर्फ दो दिन के लिए हमारे घर आई थी. इन दो दिनों में हम दोनों को अकेले में मिलने का टाईम नहीं मिल सका. वो अपने घर चली गई. अब हम दोनों फोन सेक्स करने लगे थे. वीडियो चैट करके एक दूसरे के लंड चुत को ठंडा कर लेते थे. इसके बाद एक बार मुझे उसके घर जाने का अवसर मिला, तो मैं उस दिन उसे चोदने की पूरी तैयारी से गया हुआ था. मगर उस दिन भी कुछ ऐसा हुआ कि उसके घर कुछ अधिक मेहमान आ गए और हम दोनों को मिलने का मौका न मिल सका. बस दो मिनट का टाइम मिला, जिसमें मैंने उसे अपनी बांहों में लेकर उसके मम्मे दबाए और उसको चूम कर छोड़ दिया. उसने भी मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही दबा कर आग लगा कर छोड़ दिया. उस दिन भी हमारे बीच इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका था. तभी एक अवसर आया. मेरे परिवार में एक शादी तय हुई. शादी की डेट अगले माह जून में निकली. मुझे जब इस बात का पता चला, तो मुझे लगा कि मेरी किस्मत खुल गयी. शादी में तो उसे आना ही था. मैं लंड सहलाते हुए शालिनी की चुत चुदाई के सपने देखने लगा. उस दिन उससे वीडियो चैट भी की और हम दोनों ने एक दूसरे के लंड चुत का रस निकाल दिया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:05 PM
फिर वो दिन भी आ गया. वो अपनी मम्मी के साथ आयी थी. उसे देख कर मुझे बहुत सुकून मिला.
दिन में तो हमारी मुलाकत नहीं हो पायी क्योंकि शादी के कामों के कारण मुझे टाईम ही नहीं मिला. शादी वाले दिन, रात में जब जयमाला का कार्यक्रम खत्म हो गया. उसके बाद मैंने उसे खोजना शुरू किया. वो मुझे दिख ही नहीं रही थी. मैं मायूस होकर अपने कमरे में गया. जैसे ही मैं कमरे के अन्दर गया, तो देखा कि शालिनी कपड़े बदल रही थी. मैंने दरवाजा बंद किया और उसके गले में पीछे से किस करने लगा. पहले तो उसने मना किया … लेकिन मैं नहीं माना. मैं उसके मम्मों को धीरे धीरे सहलाने लगा. उसको अपनी बांहों में उठा कर बेड पर ले गया और उसे सीधा लिटा दिया. अगले ही पल मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को पीने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं अपने दोनों हाथों से उसके दोनों मम्मों को मसलने लगा. धीरे-धीरे करके मैंने उसके टॉप को उतार दिया. उसने नीचे रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी. उसकी ब्रा के ऊपर से ही मैं उसके मम्मों को पीने लगा. फिर धीरे-धीरे अपने हाथ से उसके जींस के ऊपर से उसकी चुत को सहलाने लगा. शालिनी के मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं, जो मुझे और जोश दिला रही थीं. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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13-09-2021, 06:05 PM
मैंने उसकी ब्रा को उसके मम्मों से निकाल दिया … और मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा. फिर मैंने उसकी जींस निकाल दी. अपने होंठों से उसके पेट को चूमता हुआ मैं नीचे आ गया. उसकी लाल रंग की पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को सूंघने लगा. चुत से बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी.
मैं चड्डी के ऊपर से चुत पर जीभ फेरने लगा. उसका रस निकलने लगा. वो कसमसाते हुए अपनी वासना से लड़ रही थी. फिर मैंने धीरे से उसकी पैंटी निकाल दी. शालिनी की चुत पर बाल उगे थे. देख कर मुझे ऐसा लगा, जैसे उसने बहुत दिनों से चुत को साफ नहीं किया हो. मुझे चुत चूसना बहुत अच्छा लगता है. मैं उसकी चुत की फांकों में अपनी जीभ फेरते हुए चुत चाटने लगा. उसने भी मस्ती से अपनी टांगें हवा में उठा दीं. उसकी चुत पूरी खुल गई थी. मैं जीभ को चुत के अन्दर डाल कर चूसने लगा. जैसे ही मैंने उसकी चुत में जीभ डाली … वो अचानक से मेरा सर अपनी चुत में दबाने लगी. मैंने बहुत देर तक उसकी चुत चूसी. वो झड़ गई, तो मैंने उसकी चुत का पानी भी चाट लिया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:05 PM
अब मैंने पोजीशन बनाई और लंड के सुपारे को उसकी चुत की फांकों में फेरा. वो मचल गई और गांड उठाते हुए लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.
फिर धीरे से मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चुत में फंसाया और चुत के दाने को रगड़ने लगा. उसने एक मादक सिसकारी ली और फिर से मेरी कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींचा. मैंने उसकी चुत में लंड पेल दिया. उसे थोड़ा सा दर्द हुआ … लेकिन थोड़ी देर में उसका दर्द सही हो गया. अब मैं उसकी चुत में लंड को आगे पीछे करने लगा. इससे शालिनी को भी मजा आने लगा. वो अपने चूतड़ों को चलाने लगी. उसकी आवाजों में मादकता बढ़ती ही जा रही थी. करीब आधे घन्टे की चुदाई के बाद मैंने अपना पानी उसकी चुत में ही डाल दिया और उसी के ऊपर लेटा रहा. उस पूरी रात मैंने और शालिनी ने चार बार चुदाई की. जब वो सुबह उठी, तो सही से चल भी नहीं पा रही थी. मैंने उसे एक दर्द खत्म करने की दवा दी. और गर्भनिरोधक गोली का एक पैकेट भी लाकर दे दिया. मैंने उससे कहा- इसे खा लेना … नहीं तो नौ महीने बाद मेरे बेटे की मम्मी बन जाओगी. वो शर्म से लाल हो गई और मेरी छाती पर मुक्का मारने लगी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-09-2021, 06:06 PM
अब तक बारात बिदा हो गई थी. इसके बाद वो भी अपनी मम्मी के साथ अपने घर चली गयी.
उसके बाद हमने बहुत बार उसके घर में चुदाई की. एक बार जब हम दोनों चुदाई कर रहे थे, तो शालिनी की बहन ने हमें चुदाई करते देख लिया था. वो सेक्स स्टोरी मैं कभी बाद में आप लोगों के साथ शेयर करूंगा कि मैंने कैसे उन दोनों की एक साथ चुदाई की जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
14-09-2021, 02:53 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:42 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:44 PM
(25-07-2022, 02:42 PM)neerathemall Wrote: मेरा नाम आकाश है और मैं उदयपुर में रहता हूँ, मैं नौकरी और पढ़ाई दोनों करता हूँ, मैं दिखने में सांवला हूँ, सेहत भी ज्यादा नहीं है। लम्बाई 5 फ़ुट 6 इन्च है,लण्ड 6 इन्च का है। मेरे पिताजी यहाँ एक फ़ाइव स्टार होटल में काम करते हैं। बात आज से सात साल पहले की है जब मेरे पिताजी का ऑपरेशन हुआ था। मेरी माँ उनके पास अस्पताल में ही रहती थीं और घर पर खाना बनाने वाला भी कोई नहीं था। तो उन्होंने मेरे मामा की लड़की निशा को हमारे पास बुला लिया। निशा दिखने में सुन्दर है, नाक में नथनी पहनती है, उसका फिगर सामान्य ही है। तो वो हमारे लिए खाना बनाती थी और फ़िर मैं और निशा अस्पताल टिफ़िन देने जाते थे, उधर से रात को देर से घर आते थे। उसके बहुत सारे लड़के दोस्त थे और अक्सर ही वो उनसे फ़ोन पर बातें करती रहती थी। मुझे सिर्फ़ शक़ था, पर मेरा शक़ धीरे-धीरे यकीन में बदल गया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:44 PM
मैं और निशा रात को एक ही पलंग पर सोते थे। एक रात जब हम दोनों सो रहे थे तब रात को मेरी नींद खुली और मैंने देखा कि निशा का चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके होंठों को चूम लिया और उसके पीठ पर हाथ घुमाने लगा।
उस वक्त मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था। बस यही ख्याल आ रहा था कि बस अभी इसकी चुदाई कर दूँ। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:44 PM
फ़िर शायद उसकी नींद खुल गई और वो भी साथ देने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और शायद उसे भी आ रहा होगा। फ़िर मैंने उसके मम्मों पर अपना हाथ रख दिया और धीरे-धीरे उन्हें दबाने लगा। वो ‘अम्म… अम्म्ह्ह्ह’ की आवाज निकाल रही थी।
फ़िर वो अपना हाथ मेरे बालों में घुमाने लगी और एक हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया और मेरा लण्ड सहलाने लगी। मैंने भी देर ना करते हुए उसकी टी-शर्ट उतार दी। उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरु किया और थोड़ी-थोड़ी देर में उनको चूम भी रहा था। वो सेक्सी आवाजें निकाल रही थी ‘आह्ह ह्ह अम्म म्म्म आकाष्ह अब और मत तड़पा.. मेरी जान्न्न..! मैंने धीरे से उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और धीरे-धीरे जीन्स की जिप खोलने लगा। वो लगातार ‘आहें’ भर रही थी। फ़िर मैंने उसकी जीन्स उतार दी और अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैन्टी में थी। जो कि हद से भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:45 PM
फिर मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाला तो वो पूरी गीली हो चुकी थी और रह-रह कर पानी निकाल रही थी। मैंने देर ना करते हुए अपने कपड़े भी उतार दिए और 69 की पोजिशन में आ गया और उसकी पैन्टी को उतार दिया और उसकी गुलाबी चूत पर अपने होंठों को रख दिया और उसकी चूत का रसपान करने लगा। निशा पागल हुए जा रही थी- आह्ह उह्ह, पी लेएए मेरी जान्न्न, जी भर केएए पी आज्ज, साली बोहोत्त तड़पाती है…!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:45 PM
ने कहा- हाँ… मेरी जान आज तेरा सारा रस पी जाऊँगा, बहुत तड़पाती है तू मुझे..!
वो- तो चोद देता ना मेरी जान..! मैं- पर तूने कभी इशारा भी किया होता तो आज का इन्तजार नहीं करना पड़ता…साली को कब का चोद देता! वो- तो अब बची-खुची कसर पूरी कर ले ना! मैं- आज तो अपनी सारी कसर निकाल दूँगा तेरी चूत में.. आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना कर ही छोडूँगा..! वो- हाँ हाँ… मत छोड़ना मेरी जान! और मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया और मैं उसके दाने को अपने दाँतों से काटने लगा। वो सीत्कारने लगी और बोली- जान अब और मत तड़पा ना… चोद दे इस नाचीज को आज.. अपने पानी से मेरी चूत को सींच दे ना..! तो मैंने भी अब ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और बढ़ गया मैदान की ओर…! जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
25-07-2022, 02:46 PM
फ़िर मैंने अपना लन्ड उसकी चूत पर रगड़ना शुरु किया और उसकी चूत ने अपना पानी निकाला जिससे मेर लन्ड पूरा गीला हो गया। मैंने अपना लन्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक जोर से धक्का मारा। आधा लन्ड उसकी चूत में समा गया और उसने सिर्फ़ हल्की सी चीख निकाली क्योंकि वो खेली-खाई खिलाड़ी थी।
फ़िर मैंने एक और जोर का धक्का मारा तो मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में समा गया। फ़िर मैंने धक्के लगाने शुरू किए और वो बोलने लगी- आह्ह अम्म्म उह्ह्ह और जोर से चोद राजाआआ… फ़ाड़ दे आज मेरी चूत.. ऐसा मजा पहले कभी नहीं आया.. मुझे मेरी जान.. और जोर-जोर से चोद मुझे..! मैं भी बोल रहा था- हाँ.. जान.. आज तेरी चूत मैं फ़ाड़ दूँगा.. तुझे बहुत सार प्यार करूँगा.. तू मेरा प्यार लेगी ना..?? वो- हाँ.. जान तेरा सारा प्यार लूँगी.. बस तू देता जा.. आज पूरी रात चोद मुझे..! जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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