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Incest छोटी बहन के साथ चोदा चोदी
#1
छोटी बहन के साथ चोदा चोदी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैं ग्वालियर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में हम चार लोग रहते हैं. मैं 20 साल का, मेरी छोटी बहन 18 साल, माँ और पापा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
आप यही सोच रहे होंगे कि मैं कैसा भाई हूँ कि अपनी ही बहन के साथ चोदा चोदी का खेल खेल लिया. पर ये कुछ गलत नहीं हुआ था. बल्कि दुनिया में बहुत सारे लोग अपनी माँ और बहन के साथ चोदा चोदी करते हैं. क्योंकि हमारे जीवन में शारीरिक सुख का होना बहुत जरूरी है. हर इंसान यही सुख भोगना चाहता है. फिर चाहे वो हमारे परिवार के लोग ही क्यों न हो.

जरा सोचिए कि जब आप अपने घर में ही अपनी शारिरिक इच्छाएं पूरी कर सकते हैं, तो फिर बाहर किसी गैर के साथ क्यों सम्बन्ध बनाना.
मेरी बहन पूर्वी एक भरे पूरे गोरे बदन की है. उसका जिस्म एकदम मलाई सा कोमल है. उसके स्तन किसी छोटे और ताज़े संतरे की तरह बिल्कुल कड़क और गोल हैं. उसके कूल्हों में जवानी का थोड़ा सा उभार और लचकती हुई पतली कमर उसे मानो कामुकता की देवी बना देता है.
जिस उम्र में मैं था, उसमें मुझे चुत मारने का नशा सा होने लगा था. मुझे चोदा चोदी करने का बहुत मन करता था, पर मैं अपनी बहन के बारे में ऐसा नहीं सोचता था.
जब कुछ दिन बाद मैंने किसी से सुना कि अपनी बहन को चोदा भी जा सकता है. तो मैंने इस सम्भावना पर विचार किया कि इसमें बुराई ही क्या है. आखिर इससे एक भाई और बहन के बीच प्यार ही बढ़ेगा. आखिरकार पूर्वी भी जवानी पर है … उसे भी लंड की जरूरत होगी और उसके लिए वो कहीं बाहर क्यों जाए, जब घर पर मेरा लंड उपलब्ध है. क्या एक भाई अपनी बहन की इच्छा पूरी नहीं कर सकता.
फिर मैंने घर पर पूर्वी को देखा. उसका गोरा कामुक बदन मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.
जब वो मेरे पास आती, तो उसके बदन की खुशबू मेरे सांसों में बैठने लगती. फर्श पर नीचे झुक कर झाड़ू लगाते वक़्त ढीली कुर्ती के अन्दर उसके स्तनों का गोरा गोरा उभार दिखने से मुझे मानो आग सी लगने लगी थी. उसके मक्खन से दो चूचों के बीच की लकीर मेरे मन में समाने लगी.
अब मैं अपनी बहन को रोज इस नजर से देखने लगा.
जब वो बाथरूम से नहाकर बाहर आती, तो सिर्फ कुर्ती पहने रहती. उसकी जांघों का वो दूध सा सफ़ेद गोरापन और मुलायम जांघों का अहसास बिना छुए ही मुझे वासना के भंवर में डाल देती.
फिर जब वो नहाने के बाद सलवार पहनने अन्दर रूम में जाती, तो कभी मौक़ा पाते ही मैं भी उसके पीछे पीछे चला जाता. मैं उसी कमरे में आइना के सामने तैयार होने का नाटक करता और पीछे से आइने में उसे सलवार पहनते हुए देखता.
पर मुश्किल यह थी कि क्या पूर्वी भी मेरे साथ चोदा चोदी के खेल में शामिल हो सकेगी?
लेकिन जैसा मैंने आपसे पहले भी कहा कि आखिर वो भी इंसान है. उसके पास भी चुत है और उसे भी लंड चाहिए. ये सोचते हुए मैं अपने मन को पक्का करने लगा था कि बहन की चुत जरूर मिल जाएगी.
फिर आखिर वो समय आ ही गया. मेरे एग्जाम चल रहे थे और पापा और माँ को किसी रिश्तेदार की शादी में दूर जाना था. पूर्वी मेरी देखरेख के लिए रुक गयी क्योंकि मेरे एग्जाम थे.
मैंने सुबह माँ पापा को ट्रेन में बैठाया और घर आ गया. अब दो रातों के लिए हम अकेले थे, पर मुझे काम आज रात को ही करना था.
रात को खाना खाकर में पढ़ने लगा और पूर्वी भी मेरे साथ बैठ गयी.
जब हम दोनों को पढ़ते हुए काफी देर हो गयी, तो पूर्वी से मैंने पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
उसने शर्माते हुए कहा- नहीं भैया … अभी कोई अच्छा मिला ही नहीं.
मैं चुप होकर उसको देखने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
अब उसने पूछा- भैया आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?

मैंने कहा- मुझे भी ऐसी कोई मिली ही नहीं, जो तुम्हारी ही तरह खूबसूरत हो.
पूर्वी ने शर्माते हुए कहा- क्या भैया आप भी!
मैंने उसकी खूबसूरती की तारीफ़ करते हुए कहा- ये सच है कि बहुत ही खूबसूरत हो.
उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पूछा- क्या सच में मैं खूबसूरत हूँ.
मैंने उसकी गोद में अपना सर रखकर उससे कहा- हां पूर्वी तुम हजारों में एक हो.
ऐसा कहते हुए मैं उसकी गोद में ही अपना सर ठीक से जमा कर किताब पढ़ने लगा. वो भी मुझे बड़े अच्छे से देख रही थी.
थोड़ी देर बाद उसे नींद आने लगी, तो वो ऊंघने सी लगी.
मैंने उससे कहा- यदि तुमको नींद आ रही है, तो तुम मेरी गोदी में अपना सर रखकर सो जाओ.
वो झट से मान गई और मेरी गोद में सर रख कर सो गई.
उसका मुलायम सा बदन मेरी रूह को तड़पा रहा था.
इससे पहले भी बहुत बार हम एक दूसरे की गोदी में सर रखकर सोये हैं, पर आज कुछ बात ही अलग थी. माँ और पापा का न होना, मेरे मन में उथल-पुथल मचा रहा था.
उसका खिलती हुई कली सा बदन, मेरे लंड को कठोर बना रहा था. मेरे फूलते हुए लंड से उसको शायद लंड खड़े होने का अहसास होने लगा था.
जब उसे लंड चुभने लगा, तो उसकी कच्ची नींद से आंख खुल गई. उसने पूरी तरह से अपनी आंखें खोलीं और वो उठ गई.
वो मेरे लंड की तरफ देखते हुए बोली- भैया, मुझे कुछ चुभ रहा है.
मेरा लंड पजामे में से अलग ही तंबू सा दिख रहा था.
दोस्तो आपको तो पता ही है कि इस उम्र में चोदा चोदी के बारे में तो सबको सब कुछ पता हो जाता है.
मैं समझ गया कि पूर्वी मेरे खड़े होते हुए लंड को देख रही थी.
मैंने पूर्वी से कहा- सॉरी पूर्वी … ये पता नहीं … रात में अपने आप ऐसा तन जाता है.
उसने कहा- हां भैया ऐसा होता है … आप अब कोई गर्लफ्रेंड बना लो.
अब तक मैं अपनी किताब अलग रख चुका था. मैंने कहा- ठीक है मैं कोशिश करता हूँ … अच्छा पूर्वी, मैं एक बात कहूँ?
पूर्वी ने कहा- हां भैया … बोलो ना!
“हम दोनों बचपन में साथ ही नंगे नहाते थे ना!”
उसने कहा- हां भैया … सच में कितना मज़ा आता था, जब मम्मी हम दोनों को एक साथ नहलाती थीं.
मैंने कहा- फिर हम एक दूसरे की मूतने वाली जगह देखते थे और सोचते थे … ये हम दोनों की अलग अलग क्यों है.
इस बात पर हम दोनों हंस पड़े.
फिर पूर्वी ने शरमाते हुए कहा- हां भैया बड़ा मजा आता था.
अब तक पूर्वी भी खुल चुकी थी.
मैंने आगे बढ़ते हुए कहा- चलो आज एक बार फिर हम दोनों बचपन की तरह एक दूसरे को नंगा देखते हैं.
वो इस बात पर चौंक गयी और उसने अपनी आंखें नीचे कर लीं.
उसने मुझसे कहा- भैया … पर हम तो अब बड़े हो चुके है न, क्या ये सब ठीक रहेगा?
मैंने कहा- तो क्या हो गया कि हम बड़े हो गए. आखिर हम भाई बहन तो अभी भी है न … और मैं तो सिर्फ एक दूसरे को नंगा देखने को कह रहा हूं … कोई सेक्स के लिए थोड़ी कह रहा हूँ पागल.
इस बात पर वो हंस दी और उसने अपनी आंखें बड़ी कर लीं.
मैंने कहा- अगर तुम्हें नहीं दिखाना, तो ठीक है … चलो सो जाओ.
उसने कहा- नहीं भैया … ऐसी बात नहीं है और वैसे भी हम भाई बहन के बीच आखिर शर्म कैसी.
मैंने कहा- बिल्कुल ठीक कहा तुमने.
वो बोली- तो नहाने की क्या जरूरत है, वो तो हम दोनों इधर ही एक दूसरे को समझ सकते हैं.
ये सुनते ही मैं समझ गया कि इसकी चुत में भी आग लगने लगी है. मैंने पहल करते हुए उसकी कुर्ती को उतार दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
उसने कुछ भी नहीं कहा, बल्कि कुर्ती उतारने में मुझे सहयोग किया. उसका मन देख कर मैं उसकी ब्रा खोलने लगा.

वो बोली- भैया, आप पहले अपने कपड़े उतारो.
मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ चड्डी में बैठ गया.
अब तक उसने भी अपना लोअर उतार दिया था. वो भी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में आ गयी थी.
फिर उसने कहा- भैया अब मुझे शर्म आ रही है.
मैंने कहा- हां यार मुझे भी.
उसने कहा- भैया हम एक काम करते हैं … हम दोनों अपनी आंखें बंद कर लेते हैं.
उसकी बात सुनते ही मैं राजी हो गया. अब हम दोनों ने आंखें बंद कर लीं और मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी ब्रा और पेंटी को उतार दिया.
जब उसका हाथ मेरी चड्डी उतारने में आया, तो मेरा लंड उससे टच हो गया.
वो बोली- भैया आपका ये कहीं मुझे देखकर तो खड़ा नहीं हो गया है.
मैंने कहा- नहीं … ये तो नेचुरल है कि किसी भी पुरुष का किसी महिला को नंगी देखकर अपने आप खड़ा हो जाता है. इसे थोड़ी पता है कि तुम मेरी बहन हो.
हम दोनों इस बात पर फिर हंस दिए.
पूर्वी ने कहा- चलो भैया अब हम अपनी आंखें खोल लेते हैं.
हमने एक साथ आंखें खोल दीं. अब हम बचपन की तरह वापस एक दूसरे के सामने नंगे बैठे थे.
मैंने कहा- तुम तो बहुत कामुक लग रही हो … तुम्हारी जिससे शादी होगी, वो बहुत खुशनसीब होगा.
उसकी नजरें सिर्फ मेरे 6 इंच के खड़े लंड पर ही टिकी थीं और वो उसे बड़े ध्यान से देख रही थी. जबकि मैं उसे पूरा ऊपर से नीचे तक … बल्कि उसकी कोमल छोटी सी चुत को भी देख रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
तभी हम एक साथ बोल पड़े- तुमने भी शेव किया है.

एक साथ बोलने की वजह से हम दोनों हंस दिए … क्योंकि उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था और मैं तो खुद मेरे लंड की शेव करते रहता हूं.
पूर्वी ने हिचकिचाते हुए कहा- भैया, क्या मैं इसे छू सकती हूं.
मैंने कहा- ये भी कोई पूछने की बात है … देख ले, जो तुझे देखना है.
वो मेरे लंड को उसके सुपारे को आगे पीछे करके ध्यान से देखने लगी. मैं भी उसके स्तन दबाने लगा.
वो बोली- भैया इसे छुओ … पर प्लीज दबाओ नहीं.
मैंने कहा- ठीक है.
उसके गोरे गोरे स्तनों के ऊपर वो छोटे से काले निप्पल क्या मस्त लग रहे थे. मैंने जितना सोचा था, मेरी बहन के मम्मे उससे कहीं ज्यादा मुलायम थे.
मेरा मन उसके मम्मों को ज़ोरों से दबाने और मुँह में लेकर चूसने को कर रहा था. पर मैंने जबरदस्ती नहीं की, क्योंकि वो फिर नाराज़ भी हो सकती थी.
मुझे उसे यकीन दिलाना था कि मैं उसे एक बहन की तरह कितना प्यार करता हूँ.

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#7
[Image: choda-chodi-231x300.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#8
मैंने उससे कहा- अगर तुमने ये लंड देख लिया हो, तो क्या मैं तुम्हारी चुत देख लूं?

उसने पैर खोलते हुए कहा- दिख तो रही है.
मैंने कहा- ऐसे नहीं पगली … अभी अच्छे से नहीं दिख रही है.
उसने नशीली आवाज में कहा- ठीक है … जैसे देखना हो आप देख लो.
मैंने कहा- अपनी टांगें ऊपर करके लेट जाओ.
वो झट से चूत खोल कर लेट गयी. उसकी नाज़ुक सी छोटी चुत मेरे सामने पूरी खुल गयी.
अब मैं अपनी उंगलियों को उसकी चुत पर फिराने लगा और वो वासना से भरी हुई सिसकारियां लेने लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
पूर्वी बोली- मेरे बदन में हल्की सी गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- हां यार … मुझे भी ऐसा ही हो रहा है.
ये कहते हुए मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत पर फेरते हुए धीरे से अन्दर डाल दी और आगे पीछे करके टटोलने लगा.
शायद वो अपनी चुत में उंगली करती थी इसलिए उसे मेरी उंगली से कोई दिक्कत नहीं हुई, बल्कि उसे मजा आने लगा. उसकी चुत ने लिसलिसा सा पानी छोड़ दिया था. चिकनी चुत में मेरी उंगलियों की रगड़न ने उसे मजा दे दिया और वो आहें भरने लगी.
मैंने उंगली तेज चलाना शुरू की, तो कहने लगी- भैया, आप अपनी प्लीज उंगली निकाल लो … मुझे कुछ कुछ हो रहा है.
मैंने उंगलियों को बाहर निकाल लिया. मुझे तो उसकी नाज़ुक सी छोटे से छेद वाली चुत को मुँह में भरके चूसने का बहुत मन कर रहा था. मैं उसकी इस अनछुई चुत का रस पीना चाहता था.
मैंने उससे अपने दिल की बात कही … पर उसने मना कर दिया, तो मैं वहां से हट गया. अब मैं उसकी बाजू में जाकर ऐसे नंगे ही बैठ गया.
उसने कहा- चलो भैया, हम ऐसे ही एक सेल्फी लेते हैं.
मैंने कहा- हां … ये अच्छा आईडिया है.
मैंने अपना मोबाइल का कैमरा ओपन करके उसे दे दिया और फिर साइड से उसे कसकर एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ कर सेक्सी सा पोज़ दिया. फिर दूसरा पोज़ लेने के लिए मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया. अपनी मुंडी उसकी गर्दन में रखकर उसके गोरे गालों को अपने गालों से सटा दिया. उसका एक हाथ मेरे गाल पर था … इससे बहन की नंगी गांड पर मेरा खड़ा लंड जाकर छिप गया था. उसे लंड चुभ रहा था. उसने फोटो निकाली और अपनी गांड को मेरे लंड पर घिसने लगी.
अब मैंने पीछे से ही उसके चूचों को अपने हाथों में भरा और दबाने लगा.
वो ‘आह … भैया भैया..’ बोलकर चुदासी सिसकारियां लेने लगी.
उसने कहा- भैया, ये सब ठीक नहीं है.
मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और आंखों में देखकर बोला- मेरी प्यारी छोटी बहन की कम से कम हम एक दूसरे को ऊपर से तो मज़े दे सकते है न. तुम मेरा चूस कर झड़ा दो, मैं तुम्हें झड़ा दूंगा. वैसे भी ये तो हम हफ्ते में एक बार खुद से करते ही हैं. आज हम एक दूसरे से कर लेते हैं.
वो मेरी बात मान गयी और उसने कहा- ठीक है. बस हम एक दूसरे का हस्तमैथुन ही किया करेंगे … ठीक है.
मैंने भी हां कहा … और उसे पोजीशन में आने के लिए कहा.
वो नीचे झुक गयी. वो पहली बार लंड चूस रही थी, इसलिए ऊपर ही ऊपर से चूम रही थी.
मैंने कहा- इसे पूरा अपने मुँह में लो, तभी तो मज़ा आएगा.
उसने धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा करके पूरा 6 इंच का लंड अपने मुँह में ले लिया और फिर जल्द ही बाहर निकाल दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं.
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#9
उसने वापिस लंड मुँह में भर लिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. थोड़ी ही देर बाद वो मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी, मानो उसकी सालों से प्रैक्टिस हो.

फिर मैंने कहा- रुको … अगर मैं झड़ गया तो मुझे तुम्हारी चुत चूसने में उतना मज़ा नहीं आएगा. चलो हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.
वो शायद यही चाहती थी. उसने कहा- ये आपने सही कहा भैया.
फिर हम दोनों बिस्तर पर 69 में आ गए. अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी नाज़ुक सी कोमल चुत में अपनी जीभ चला रहा था. मैं उसकी चुत के छोटे से दाने को दांतों से हल्का सा काट भी रहा था और बार बार अपनी उंगलियों से चुत की पंखुड़ियों को फैला कर गुलाबी रसीली चुत को देख भी रहा था.
आखिर वो मेरी छोटी बहन की चूत थी. मैं अपनी बहन की चुत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ ले जा रहा था.
वो बहुत देर से लंड चूस रही थी, इसलिए मैं झड़ने वाला हो गया था. मैंने कहा- मैं झड़ रहा हूँ.
उसने तुरंत अपने मुँह से मेरा लंड निकाल दिया क्योंकि वो मेरा मुठ पीना नहीं चाहती थी.
अगर आपकी बहन आपसे कुछ इंकार भी करे, तो मान लेना क्योंकि उन्हें इन सबकी आदत नहीं होती है. पर मुझे पता था, अगर मैंने बहन को चोदा, तो उसे आदत हो जाएगी.
अब मैं उसकी चुत लगातार चूसे जा रहा था. तभी उसने अपने बदन को ऐंठ लिया और झड़ने लगी. मैं अपनी बहन की चूत का रस पीने लगा. उसकी चुत से निकलने वाला उसका कोरा कामरस पीने का मज़ा ही अलग था. ऐसा लग रहा था मानो मुझे अमृत मिल गया हो. पूर्वी की चुत का रस स्वादिष्ट भी इसलिए था क्योंकि ये अभी उसकी नई जवानी का रस था.
फिर थोड़ी ही देर में पूर्वी पूरी तरह से स्खलित हो गयी.
दोस्तो, अगर आप भी अपना मुठ अपनी बहन को पिलाना चाहते हैं, तो इसी चीज़ से लड़कियों को भी मज़ा आता है कि उनकी चुत का रस भी कोई पिए. मैंने भी ऐसा ही किया था, मैं उसकी चुत से निकला सारा माल पी गया था.
कुछ देर बाद वो कपड़े पहनने लगी, तो मैंने कहा- अरे रात को यहां कौन आ रहा है … चल हम बिना कपड़ों के ही सो जाते हैं. फिर आज गर्मी भी ज्यादा है.
उसने हंसते हुए कहा- हां भैया आप सही कह रहे हो, चलो रात हो गयी है. हम अब सो जाते हैं … सुबह जल्दी उठना है.
हमने लाइट ऑफ की और एक चादर लेकर सो गए. गर्मी थी लेकिन चादर ओढ़ने की आदत होने की वजह से चादर ओढ़ ली थी.
इतना सब हो जाने के बाद अब मुझे नींद कहां आने वाली थी. सच्ची बात तो ये भी थी कि पूर्वी को भी अब नींद नहीं आ रही थी.
ये मैंने जान लिया था … क्योंकि सोते वक़्त वो हिल डुल रही थी. वो सिर्फ आंख बंद करके सोयी थी. मैं समझ गया था कि ये सिर्फ सोने का नाटक कर रही है.
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. मुझे पक्का यकीन था कि पूर्वी की भी चुत से पानी आ रहा है. मैंने सोने का नाटक करते हुए उसके पेट पर अपना हाथ रख दिया और सहलाने लगा.
मैंने धीमे से कहा- पूर्वी तुम सो गई क्या?
उसने मेरी तरफ करवट लेते हुए कहा- नहीं भैया, नींद ही नहीं आ रही.
मैंने कहा- तुम मेरे पास मेरे सीने से लगकर सो जाओ, तुम्हें नींद आ जाएगी.
उसने कहा- भैया, पर आपका लंड मुझे चुभेगा ना.
मैंने कहा- बहन हम दोनों एक दूसरे की ज़रूरत पूरी कर सकते हैं, पर हम ऐसा नहीं कर रहे हैं … ऐसा क्यों?
उसने कहा- क्योंकि भैया … हम भाई बहन हैं और हम …
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#10
बस इतना कहकर वो रुक गयी, तो मैं उसके करीब सरक गया और उसे सीने से लगाकर कहा- क्या भाई बहन का ये रिश्ता, वासना के आगे जीत गया कि हम एक दूसरे की ज़रूरत ही नहीं पूरी कर सकते?

उसने कहा- हां भैया आप सच कह रहे हैं … हम भाई बहन तो बाद में हैं, पर पहले आप एक लड़के हो और मैं एक लड़की हूँ. यदि हम एक दूसरे की जरूरत पूरी करेंगे, तो शायद इससे हम दोनों भाई बहन का प्यार ही बढ़ेगा.
बस फिर क्या था … इतना सुनते ही मैंने उसके बदन को कसकर जकड़ लिया और उसके होंठों में अपने होंठ डालकर उसे किस करने लगा. वो भी मेरे होंठों को बेइंतेहा चूस रही थी.
मैंने चादर हटा कर नीचे गिरा दी और उसके ऊपर चढ़ गया. किस करने के बाद में उसके बदन को हर जगह से चूमने लगा था. मैं उसके एक बूब को हाथों में भरकर और दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो अपने हाथों से मेरे लंड से खेलने लगी. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया.
हम दोनों का ये पहली बार बहन को चोद रहा था, इसलिए मैंने उससे कहा- तुम अपने नीचे तकिया रख लो.
उसने अपनी गांड के नीचे तकिया लगा लिया, इससे उसकी चुत और ऊपर उठ कर आ गयी.
मैंने अपने लंड को पहले पूरी चुत पर से सहलाया, तो उसने गांड उठाते हुए कहा- भैया अब सब्र नहीं होता … जल्दी से अन्दर डाल दो … अब देर न करो … अपना लंड चुत के अन्दर पेलो.
मैंने अपने लंड के सुपारे को चुत पर रखा और एक झटका दे दिया, पर मेरा लंड फिसल कर साइड में चला गया. क्योंकि मेरा पहली बार था, तो मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं था.
मैंने अपने लंड पर थोड़ा था थूक लगाया और पूर्वी ने लंड पकड़ कर अपनी चुत पर रखा. ने एक झटका दिया और मेरा सुपारा चुत में चला गया.
पूर्वी के मुँह से ‘उई भैय्या … मर गई..’ की चीख निकल पड़ी.
मैं उसकी चीख सुनते ही रुक गया.
मैंने एक पल रुकने के बाद दुबारा से झटका दे दिया. इस बार मेरा पूरा लंड पूर्वी की चुत में घुसता चला गया.
वो दर्द से कराहने लगी और कहने लगी- आह … भैया निकालो इसे … प्लीज भैया …
पर मुझे पता था कि बस थोड़ी ही देर दर्द होगा. मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसे किस करने लगा, ताकि वो नीचे का दर्द भूल जाए. उसकी चुत से खून निकल रहा था.
थोड़ी देर बाद वो नार्मल हो गयी और मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. फिर तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
वो मचलने लगी- उफ्फ्फ … उम्म्ह … अहह … हय … ओह …
मैंने उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रखा और लगातार झटके देने लगा.
वो मस्त से चूत चुदाई का मजा लेने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए. उस रात मैंने अलग अलग पोजीशन में अपनी छोटी बहन को चोदा.

सारी रात बहन को चोद चोद कर कब गुजर गई, कुछ पता ही नहीं चला. सुबह नाश्ता करके हम सो गए. दिन भर चुदाई की थकान में हम दोनों यूं ही पड़े रहे.
देर शाम को हम दोनों उठे और खाना आदि खाया. इस दूसरी रात को भी मैंने अपनी बहन को चोदा … खूब चोदा.
इस चोदा चोदी के चक्कर में हम वो खून वाली चादर साफ़ ही नहीं कर पाए और अगले दिन माँ पापा आ गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#12
(05-07-2022, 04:10 PM)neerathemall Wrote: मैं ग्वालियर का रहने वाला हूँ. मेरे घर में हम चार लोग रहते हैं. मैं 20 साल का, मेरी छोटी बहन 18 साल, माँ और पापा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
Good story
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