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Adultery पड़ोसन की जवानी का रस
#1
पड़ोसन की जवानी का रसपान

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है। भाभी के बारे में बताऊं तो वो एक काम की देवी है। उसके बूब्स और उठी हुई गांड जो भी देखे, देखता ही रह जाए और भगवान से प्रार्थना करे कि ये सुंदरी अभी मिल जाए और इसके चूचे चूस लूं … गांड में लण्ड डाल दूं।

देखने में भाभी का रंग गोरा चिट्टा, बिलकुल चिकनी चमेली है वह. उसका नाम रूपा है. जैसा नाम है वैसे ही उसके दर्शन हैं.
पड़ोस में रहने के कारण उनके यहाँ आना-जाना तो था ही और अच्छी जान-पहचान भी है. पड़ोसी ही तो पड़ोसी के काम आता है.
जब भी भाभी से मिलता हंसी-मजाक होता रहता था. कभी कभार तो नॉनवेज मजाक भी हो जाता था। हंसी मजाक में कभी-कभी भाभी को छू भी लेता था. वो भी छू लेती थी. मतलब देवर भाभी का रिश्ता कैसा होता है, ये तो आप सब जानते ही हो. उनसे जब भी मिलता बस मन में एक ही कामना होती कि काश भाभी को चूम लूं बांहों में भर लूं और ले चलूं कहीं इस दुनिया से दूर, जहां मैं और भाभी हों और उनके हुस्न का भोग करूं।
वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. ऐसे ही एक बार वो मौका मुझे मिला, भाभी को चोदने का, उनका चूत-रस पीने का। एक बार किसी कारण मेरे पैरंट्स को नानी के यहाँ जाना था। एग्जाम होने के कारण मैं नहीं गया. घर में अकेला ही था तो मम्मी ने मेरे एग्जाम होने के कारण खाना बनाकर देने की जिम्मेदारी भाभी को सौंप दी थी.
मैं दिनभर पढाई करता रहा. शाम को भाभी खाना बनाने के लिए आई तो मैं उन्हे देखता ही रह गया। उनके लिप्स, उठे हुए चूचे, लाल रंग की साड़ी में बिलकुल क़यामत ढहा रही थी।
जब उन्होंने बोला- देवरजी क्या हुआ? कहां खो गए?
तब मुझे होश आया.
मैंने कहा- भाभी, आप बहुत ही सुन्दर लग रही हो.
यह कहकर मैंने भाभी को आँख मार दी।
भाभी- रहने दो, अकेले हो तो फ़्लर्ट कर रहे हो, आंटी को आने दो बताती हूँ तुम्हारी करतूतें.
यह कहकर भाभी हंसने लगी।
मैंने कहा- नहीं, रियली आप लाल रंग की साड़ी में अप्सरा लग रही हो भाभी जी।
भाभी- रहने दो, आप तो ये बताओ कि क्या खाना है?
मैं- जो भी आप प्यार से खिलाओ हम तो खा लेंगे। वैसे अभी तो दूध पीने की इच्छा है.
और यह कहकर मैंने फिर से आँख मार दी।
भाभी- अच्छा जी! बड़ी मस्ती आ रही है आज?
यह कहकर भाभी अपने चूचे ऊपर करती हुई मुस्कराते हुए किचन में चली गई।
मैं पीछे से रूपा भाभी के मटकते हुए चूतड़ देख रहा था. लण्ड खड़ा हो गया तो तुरंत बाथरूम में गया और मुठ मार कर बाहर आ गया।
थोड़ी देर में भाभी ने खाना बना दिया और कहा- देवर जी खाना खा लो.
मैंने कहा- आप भी मेरे साथ खा लो.
उन्होंने थोड़ा खाना खाया और कहा- बाकी मैं घर जाकर खाऊंगी अभी आपके जितना ही बनाया है, आप भूखे रह जाओगे तो मुझे दूध पिलाना पड़ेगा.
इतना कहकर भाभी फिर से हंसने लगी।
मैं- तो क्या हुआ? पिला दो ना भाभी जी।
भाभी- क्यों देवर जी? कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- है तो सही, मगर वह आप जैसी नहीं है. और न ही आपके जैसे चूचे हैं उसके …
भाभी- ये तो आपके भैया के झूठे हैं, कही और मुँह मारो. कल के एग्जाम की तैयारी करो फिर देखते हैं.
भाभी आँख मार कर चली गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मैं उस दिन तो एग्जाम के चक्कर में सो गया और दूसरे दिन मॉर्निंग में घर की चाबी रूपा भाभी को देकर एग्जाम देने चला गया।

दोपहर में आकर भाभी के घर की घंटी बजाई, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला. शायद घर पर कोई नहीं था. मैं अपने घर की तरफ चला आया और आया तो देखा दरवाजे का लॉक खुला है। मतलब भाभी खाना बनाने के लिए आई हुई थी.
मैंने डोर बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला और आज भी मैं उन्हें देखता ही रह गया. लाल रंग के सलवार सूट में बड़ी ही सेक्सी लग रही थी. उनके होंठों पर एक नशीली मुस्कान थी।
भाभी- देवर जी, ज्यादा मत देखो नजर लगाओगे? आपका देखो पैंट में तम्बू खड़ा हो रहा है.
और हाथ से उन्होंने मेरे तम्बू को टच कर लिया और अंदर चली गयी।
मैं भी दरवाजा बंद कर के भाभीजी के पीछे-पीछे अंदर आ गया।
पीछे से जाकर भाभी से चिपक गया और कहा- भाभी प्लीज आज तो मेरी मन्नत पूरी कर दो … मुझे अपने दूध पिला दो।
भाभी- आपका लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा है. चूतड़ों में दूध नहीं है मेरे.
इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैं भाभी को घुमा कर उनके होंठों को चूमने लग गया. साथ में ही मैं कुर्ते के ऊपर से उनके बोबे दबाने लग गया. भाभी भी पूरा साथ देने लगी. उससे ऐसा लग रहा था कि भाभी भी सेक्स के लिए प्यासी है।
मैं भाभी के होंठ 10 मिनट तक चूसता रहा. उनके मुंह में कभी जीभ डालता और कभी भाभी मेरे मुंह में जीभ डालती। साथ में मैं भाभी के चूतड़ भी दबा और सहला रहा था। बहुत ही मजा आ रहा था। भाभी के चूतड़ पर बीच-बीच में थप्पड़ भी मार रहा था।
जब मैंने अपना हाथ आगे करके सलवार के ऊपर से ही भाभी की चूत को सहलाया तो पता चला कि उनकी सलवार चूत की जगह पर पूरी गीली हो चुकी है। मैंने उसमें हाथ पूरा गीला करके सूंघा तो … क्या गजब की खुशबू आ रही थी! भाभी की भोसड़ी का रस बिल्कुल खट्टा और नमकीन सा फील हो रहा था।
भाभी भी बहुत उत्तेजित और कामुक हो रही थी। भाभी का जिस्म बहुत ही अकड़ रहा था, फिर मैं और भाभी अपने शयन कक्ष में गए, वहां जाकर मैंने भाभी का कुर्ता और सलवार खोल दिया। भाभी ने सफेद कलर की ब्रा और सफेद कलर की ही पैंटी पहन रखी थी। रूपा भाभी का हुस्न देख कर मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया। मेरी सांसें ऊपर नीचे होने लग गईं. उनके चूतड़ बहुत ही उठे हुए थे. उनकी चड्डी, बोले तो पेंटी पर उनकी चूत का उभार दिख रहा था। मैंने देर ना करते हुए उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर अपना मुंह रख दिया और उनकी चूत के रस से भीगी हुई पेंटी को चूसने लगा. साथ ही उनके चूत और चूतड़ की खुशबू लेने लगा।
भाभी- राजा, प्लीज मुझे चोद दे, मेरी चूत में अपना लंड पेल दे।
मैं- साली रंडी, बड़ी हवस पैदा हो रही है तेरे अंदर। थोड़ी देर और रुक रूपा रांड, मुझे तेरे हुस्न को भोगना है इस हुस्न का गुलाम बनना है। पहले मुझे तेरी ये गांड मारनी है मेरी रूपा भाभी.
और मैंने झटके से भाभी की ब्रा को खींच दिया जिससे वो फटकर मेरे हाथ में आ गयी। उनके क्या मखमली बोबे थे. मैं उन पर भूखे शेर की तरह लपक पड़ा और चूसने लगा. साथ में काटने लगा। भाभी और ज्यादा उत्तेजित हो गयी और सिसकारियां लेने लगी। साथ ही साथ गालियां भी देने लगी।
भाभी- मादर चोद, भड़वे की नस्ल, तेरी माँ को कु्त्तों से चुदवाऊं। चूस और काट मेरे बोबे … निकाल इनका रस … पी ले इनको, बड़ा ही दूध पीने का मन था न तेरा?
भाभी ने मुझे पीछे धक्का दिया और मुझे नंगा कर दिया, तुरंत मेरे लौड़े को पकड़ा और मुंह में भर कर चूसने लगी जैसे कि आप ब्लू फिल्म में देखते हैं. भाभी मेरे लौड़े को ऐसे चाट रही थी कि वह अभी इसको काट कर खा ही जाएगी।
मैंने भी उत्तेजित होकर उनके गले तक पूरा लौड़ा डालकर उनकी सांस को रोक दिया। फिर लंड को बाहर निकाला तो उसके साथ भाभी की लार भी बाहर आई. उसको मैं भाभी के मुँह से मुँह लगाकर पूरा चाट गया। उनके पूरे शरीर को कुत्ते की तरह चाटने लगा।
भाभी- चाट साले कुत्ते, चाट, आह … आह … उह … उह … की आवाजें भाभी के मुंह से निकलने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#4
ऐसे चाटते-चाटते मैंने उनकी पेंटी को उतार दिया. भाभी भी चुदने के लिए अपनी फूली हुई चूत के साथ बिल्कुल तैयार थी. जैसे ही मैं अपनी जीभ भाभी की चूत पर लगाकर चाटने लगा तो 2 से 3 मिनट में ही भाभी की चूत से अमृत रूपी रस की धार चलने लगी. मैं उस अमृत रूपी नमकीन रस को पूरा गटक गया. साथ ही थोड़ा सा मुँह में भरकर रूपा रांड के मुँह में डाल दिया. वो भी पूरा उसको निगल गई. उसने मेरे मुँह को चाट कर अपनी चूत का पूरा रस साफ़ कर दिया।

मैं- भाभी, पहले मुझे आपकी गांड मारनी है, आपकी गांड बहुत ही सुन्दर है. इसका छल्ला बहुत ही चिकना है. मस्त लग रहा है. क्या लगाती हो आप अपनी गांड के छेद में मेरी रूपा भाभी?
भाभी- चल साले लौड़े, हरामखोर, सबको मेरी गांड ही नजर आती है. तेरे भाई ने मेरी गांड मार-मार के ही इसे ऐसा बना दिया. वो भी साला गांडू है. गांड के चक्कर में मेरी झुमरी तलैया, मेरी मुन्नी, मेरी भोसड़ी प्यासी ही रह जाती है। मादर चोद भड़वे … पहले इस सुलगती भट्टी में अपना लौड़ा डाल कर इसे शांत कर दे फिर चाहे गांड मार या गांड चाट। चल पहले मैं मूत कर आती हूँ. तूने चाट कर इसको पूरा निचोड़ लिया है, देख कैसे लाल हो गई है.
मैंने भाभी को वहीं पकड़ लिया और कहा- भाभी, आप यहीं मेरे मुंह में मूत दो. मैं आपकी इस चूत का मूत पीना चाहता हूं। भाभी मुझे अपना गुलाम बना लो, मैं आपकी रोज सेवा करूंगा. मैं आपकी गांड और चूत को अच्छे से मालिश करके बढ़िया चमका कर रखूँगा। आप की चूत को कभी भी प्यासी नहीं रहने दूंगा। आप कहोगे तो मैं पानी की जगह सिर्फ और सिर्फ आपकी चूत का मूत ही पी लूंगा. भाभी मुझे आप अपनी चूत की छतरछांव में रख लो।
इतना कहकर मैं मुँह खोल कर नीचे लेट गया।
भाभी ऊकड़ू मेरे मुँह पर चूत टिका कर बैठ गयी और मूतने लगी, साथ ही गाली देते हुए बोलने लगी- ले कर ले अपने मन की मुराद पूरी साले गटर के कीड़े. तू कहे तो मूत क्या, तुझे मेरी गांड और इसका छेद अच्छा लगता है ना, तो इस छेद में से निकलने वाला गु भी खा ले फिर हरामी। इतनी हवस भरी है!
मैं भाभी का पूरा गरम-गरम मूत पी गया और चूत और चूतड़ को लेटे-लेटे ही चाटने लगा और भाभी से कहा- साली रूपा रांड, तू है ही इतनी कामुक कि कोई भी तुझे देखकर हवसी हो जाए।
मैंने उनकी गांड के छेद को काट लिया.
भाभी की सिसकारी नकल गयी और तुरंत 69 की अवस्था में आ गयी। पांच मिनट में ही भाभी अकड़ने लगी और जोर-जोर से अपनी चूत मेरे मुँह पर पटकते हुए लंड को चूसते हुए काटने लगी।
दोबारा भाभी की चूत से लावा फूट पड़ा जिसको मैं फिर पूरा पी गया। लेकिन इतनी देर की लंड चुसाई से मैं भी भाभी के मुँह में ही झड़ गया. भाभी मेरे लंड का पूरा माल खा गयी और लंड को चाट कर साफ़ कर गयी।
हम दोनों 10 मिनट तक उसी अवस्था में पड़े रहे।
फिर अचानक रूपा ने मेरे सोये हुए शेर को दोबारा मुँह में भरकर जोर से काटा और बोली- अभी तो तुझे मेरी फुद्दी में गोता मारना है, इसका भोसड़ा बनाना है।
भाभी ने मेरे लंड को चूस कर दोबारा खड़ा कर दिया। फिर हम दोनों उठे, मैंने भाभी को बेड पर लेटाकर उनके दोनों पैर अपने कंधे पर रखकर चूत पर लंड को रगड़ने लगा जिससे भाभी और उत्तेजित हो गयी.
भाभी बोली- मादरचोद, अब चोद डाल, फाड़ दे मेरी चूत को. बना ले इसे अपने लंड की रानी।
मैंने सही निशाना सेट किया और जोर से एक ही झटके में आधा लंड ही चूत में पेला था कि भाभी की जोर से चीख निकल गयी।
भाभी- बहन के लौड़े, मैं कहीं भागी थोड़े ना जा रही हूं? थोड़ा आराम से पेल. तुझे कहा तो है मैंने कि मेरी चूत कम और गांड ज्यादा मारी गयी है। थोड़ा आराम से पेल इसको।
मैं थोड़ा रुका और भाभी के होंठों को किस करते हुए धीरे-धीरे आगे-पीछे अपने लौड़े को फुद्दी में हिलाने लगा और थोड़ी देर में बड़े आराम से भाभी की चूत में जड़ तक लंड को ठोक दिया। भाभी सही कह रही थी क्योंकि उनकी चूत टाइट थी जिससे साफ़ पता लग रहा था कि बेचारी की चूत कम और गांड मराई ज्यादा होती है।
भाभी भी मेरे पूरा साथ देने लगी। उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह उह … गच-गच की आवाजें कमरे में गूंजने लगी। हम दोनों पसीने में तर हो गए।
मैं 20 मिनट तक रूपा को एक ही पोज़ में चोदता रहा। इतने में वो 2 बार और झड़ गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मैंने भाभी से पूछा- मेरी रूपा रांड, साली छिनाल, मेरा भी निकलने वाला है, बोल कहां निकालूं?

भाभी- मेरे राजा … मेरे लौड़े, मेरी मुनिया, चूत में ही निकाल दे पूरा माल, बुझा दे इसकी भी प्यास।
मैं भी जोर-जोर से शॉट मारते हुए भाभी की चूत में ही झड़ गया और उन्हीं के ऊपर गिर गया। थोड़ी देर बाद मैं भाभी के ऊपर से उठा और उनकी चूत की ओर देखा तो वो लाल होकर सूज गयी थी।
मैंने उनकी चूत को किस किया और लंड और चूत के पानी के मिश्रण को भाभी की बहती चूत से अपने मुँह में भरकर भाभी के मुँह में डाल दिया। वो उसे पूरा का पूरा पी गयी और मुझे गले से लगा कर बोली कि आज वह बहुत खुश है. उसे जन्नत मिल गयी। अब तुम्हें जब भी मौका मिले, मुझे चोदते रहना।
फिर भाभी उठी और बाथरूम की ओर जाने लगी तो मैंने देखा कि उनकी जांघें कांप रही हैं और वो थोड़ा लड़खड़ाकर चल रही है।
मैं भी उनके पीछे बाथरूम में गया. दोनों ने साथ में शावर लिया। फिर साथ में खाना खाया। तब तक शाम के 4 बज चुके थे।
भाभी- सुन मेरे राजा … मैं चलती हूँ, मेरी सास आने वाली होगी बाजार से. इतना कहकर वो अपने घर चली गयी।
उन 3 दिनों में मैंने भाभी की गांड भी मारी और अच्छा चुदाई का दौर चला। मुझे अब जब कभी भी मौका मिलता है, मैं भाभी की चुदाई करता हूँ। उनका गुलाम बनकर, कभी सेवक बनकर और कभी कुत्ता बनकर।
और जब भी मैं चुदाई करता हूँ भाभी की चूत का गोल्डन रस, मूत जरूर पीता हूँ. अब तो भाभी भी लंड का मूत पीने की आदी हो गयी है. उनको भी इसमें मजा आता है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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