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Incest खेल खेल में
#1
खेल खेल में














जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मुझे चुदाये हुए काफ़ी दिन हो गये थे। मेरा निशाना अब मेरा भाई था। अचानक ही वो मुझे सेक्सी लगने लगा था। घर पर पज़ामें में उसका झूलता लण्ड मुझे उसकी ओर आकर्षित करता था। उसे छुप कर नहाते हुए देखना मेरी आदत बन गई थी। जब कभी वो बाहर पेशाब करता था तो खिड़की से झांक कर मै उसका लण्ड देखा करती थी। वो भी मेरी नजरें पहचानने लग गया था। पर उसकी हिम्मत नहीं होती थी। वो भी मुझे नहाते हुए देखने की कोशिश करता था, उसमें मैं उसकी सहायता भी करती थी। हमेशा ऐसी जगह खड़ी हो जाती थी कि वो आराम से देख सके। आज हम दोनों एक दूसरे पर जाल डालने की कोशिश कर रहे थे। जब दो दिल राजी तो क्या करेगा काजी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
हम दोनों बिस्तर पर रज़ाई डाले बैठे थे। अपने मोबाईल से खेल रहे थे। राहुल अपने दोस्तों की तस्वीरें दिखा रहा था। इतने में एक फोटो नंगी सी लगी।
“ये कौन है राहुल … ?” ये मैं हूँ … देख मेरी बॉडी … है ना सॉलिड … !” उसने अपनी तारीफ़ की।
मैंने अंडरवियर की तरफ़ इशारा करके उसे छेड़ा,”और ये डंडा जैसा क्या है … ?”
“चल हट … ये तो सबके होता है … ” उसने झेंपते हुए कहा।
“पर इतना बड़ा … “
“है तो मैं क्या करूं … “
“ऐ … मुझे बता ना कैसा होता है ये … ” मैंने उसे उकसाया।
“शरम आती है … अच्छा पहले तू बता … ” राहुल ने शरमा कर कहा।
“हट रे … लड़कियों के ये डन्डा नहीं होता है … ” मुझे सनसनी सी हुई।
“तो मुझे दिखा तो सही … तेरे होता है, तू झूठ बोलती है … ” उसने मेरी चूत पर हाथ मारा … और हाथ फ़ेर कर बोला “अरे हां यार … ये कैसे … ” मुझे जैसे बिजली का करंट दौड़ गया। मेरा मुँह लाल हो गया। पर मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिखाया।
“तेरे पास तो है ना … ” मैंने उसके लण्ड पर हाथ फ़ेरा। उसका लण्ड खड़ा हो गया था। वो भी एक बार कांप गया। उसने और फोटो निकाले।
“ये देख … ये मेरा डन्डा है और ये देख ये रोहित का है … ” राहुल बताता जा रहा था, मेरे मन में खलबली मच रही थी।
इतने में मम्मी ने खाने के लिये आवाज लगाई … “क्या कर रहे तुम दोनों … चलो अब !”
हम दोनो रज़ाई में से निकल कर भागे … “खाने के बाद और दिखाऊंगा … !”
खाना खा कर हमने फिर से टीवी लगा दिया।
“हम सोने जा रहे हैं !”
” … बत्ती बन्द करके सोना … ” कह कर मां ने अपना कमरा बन्द कर दिया।
हमने अपना कार्यक्रम जारी रखा।
हमने रज़ाई अब एक तरफ़ रख दी थी। उसका खड़ा हुआ लण्ड साफ़ दिख रहा था। उसने जानबूझ कर के अपना लण्ड नहीं छुपाया था। उसका मन था कि मैं उसका लण्ड पकड़ कर मसल डालूँ । मुझे सब पता था फिर भी राहुल को उकसाने के लिये मैंने भोलेपन का सहारा लिया।
“मैंने उसका लण्ड को छू कर कहा – “भैया … इसे क्या कहते हैं … ?”

“ये तो सू सू है … !”
“नहीं … और क्या कहते है …? “
“वो … देख गुस्सा नहीं होना … इसे लण्ड कहते हैं !”
“हाय रे … लण्ड … ये तो गाली होती है ना … और मेरी इसको …? “
उसने मेरी चूत को छू कर और इस बार हल्का सा दबा कर कर कहा … “इसको तो चूत कहते हैं … ” चूत छूते ही मेरे जिस्म में एक बार फिर से करण्ट दौड़ गया। मुझे इच्छा हुई कि साली को जोर से दबा दे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
“हाय रे … चूत इसे कहते हैं … और ये … ” मैंने बोबे की तरफ़ इशारा किया।
“उसने मेरे चूचक पर अपना हाथ रखते हुए और थोड़ा सा दबाते हुए कहा … “ये इसे चूंची कहते हैं … ” वो जान कर मेरे अंगों को दबा दबा कर बता रहा था। मेरे शरीर में वासना दौड़ने लगी थी। राहुल का भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा था। साफ़ ही दिख रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। उसे हल्के से दबा ही दिया। राहुल सिसक पड़ा।
“बड़ा प्यारा है ना … !”
“नेहा अपनी चूंची दिखा ना …!”
“नहीं पहले तू अपना लण्ड दिखा … !”
‘ दीदी शरम आती है … अच्छा और हाथ से दबा ले … !”
“ठीक है … ” मैंने उसका फिर से लण्ड पकड लिया … और दबाने लगी। लण्ड दबाते हुये मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई। वो हाय हाय करने लगा।
“नेहा कितना मजा आता है ना …! “
“बस कर ना … अब तू चूंची दिखा।”
“नहीं तू भी हाथ लगा कर देख ले … ” उसने भी हाथ क्या रखा … मेरे बोबे दबा ही डाले। मैं सिसक उठी।
“देख अब तो लण्ड दिखा ही दे ना प्लीज॥ … ” राहुल भी तो यही चाहता था कि कुछ और आगे बात बढ़े। उसने अपना पजामा नीचे उतार दिया और अपना कड़कता हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया। मेरी तो आह निकल गई। मन मचल गया।
“पकड़ लूँ … ?” और उसके लण्ड को पकड़ लिया। एकदम गरम लोहे जैसा सख्त।
“अब तू अपनी चूत बता … !”
“धत्त … नहीं रे … !”
“प्लीज बता दे, देख मैंने भी अपना लण्ड बताया ना … ” मेरे शरीर में जैसे चींटियाँ रेंगने लगी। मैंने अपना स्कर्ट उंचा कर दिया। मुझे ऐसा करने असीम आनन्द आने लगा। शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।
“पांव फ़ैला ना।” मैंने शरमाते हुए अपने पांव फ़ैला दिए। मेरी चूत की दो फ़ाकें और बीच में एक छेद …
“हाथ लगा दूँ … !” उसने अपनी अंगुली मेरी चूत पर घुमाई और छेद में घुसा दी … मैं तड़प उठी। और झट से उसका हाथ हटा दिया पर सच में हटाना नहीं चाहती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
“चल बहुत हो गया … अब सो जा … बाकी कल करेंगे।” राहुल बत्ती बन्द करके आ गया और मेरे पास ही लेट गया।
“नेहा … चूत में लण्ड कैसे जाता है … तुझे पता है … ?” अब मुझे मौका मिल ही गया। भैया को अब ज्यादा तड़पाना ठीक नही, मैंने सोचा अब चुदवाना ही ठीक है।
“नहीं रे … तू कोशिश करेगा … करके देख … शायद लण्ड घुसेगा ही नहीं … !” मुझे पता था, शायद उसे भी पता था … कि घुसेगा कैसे नहीं।
“उसके लिये क्या करूँ … कैसे घुसाऊँ …? “
“ऐसा कर तू मेरे ऊपर आजा … और लण्ड को चूत पर रख कर जोर लगा … आजा ऊपर आजा … और कोशिश करके देख … !” मुझे सिरहन होने लगी थी … कि ये चोद डालेगा … !
वो नंगा तो था ही, मेरी टांगों के बीच में आ गया … मेरा शरीर तो वासना के मारे कांप गया। अब लण्ड अन्दर घुसेगा … इन्तज़ार था … ।
उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और जोर मारा। मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी। वो एकदम अन्दर घुस पड़ा। मैं तड़प उठी।
“पूरा नहीं गया है और जोर लगा !” अब मेरे ऊपर लेट गया और जोर लगा कर लण्ड पूरा घुसा दिया।
“दीदी इसमें तो बहुत मजा आ रहा है … !”
“हां … राहुल … मुझे भी मजा आ रहा है … और कर … अन्दर बाहर कर … ” मैं तो पहले भी चुदवा चुकी थी ये तो एक बहाना था भैया को पटाने का।
उसने मुझे चोदना शुरु कर दिया। “हाय रे दीदी … क्या मस्त है … खूब मजा आ रहा है …!”
“भैया … और धक्के मार … जोर से मार … लगा यार … हाय … बहुत मजा देता है रे तू तो … !”
“दीदी … ” उसने जोश में मेरे बोबे मसलने चालू कर दिये। उसके धक्के बढ़ते जा रहे थे … मुझे जोर से जकड़ता भी जा रहा था। मैं आनन्द से निहाल हो रही थी। अब वो तेज और जल्दी जल्दी धक्के मार रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ … मुझे और चुदाई चाहिये थी पर अपने को रोक नहीं पाई। और झड़ने लगी … इतने में राहुल भी मेरे से चिपट गया और उसके लण्ड ने माल उगल दिया। वो मेरे ऊपर ही पड़ गया।
“अरे हट ना राहुल … ये क्या कर दिया तूने …!”
“मुझे क्या पता … अपन तो कोशिश कर रहे थे ना … इसमें दीदी खूब ही मजा आता है … और करें दीदी …? “
“इसे चुदाई कहते हैं … समझा … और चोदेगा क्या … ले आजा … सुन पीछे भी तो एक छेद है … उसमें इस बार कोशिश कर !” मैंने उसके लण्ड को मसलते हुए कहा।
“कहाँ दीदी गाण्ड के छेद में …? “
” हां रे … देख उसमें घुसता है या नहीं … !” कुछ ही देर में वो फिर लोहे जैसा कड़क हो गया।
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#6
राहुल फिर एक बार और तैयार हो गया … मैंने करवट लेकर अपनी चूतड़ को उसके लण्ड से सटा दिया। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को फ़ाड़ता हुआ गाण्ड के छेद से टकरा गया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी। उसने कोशिश करके लण्ड गाण्ड में घुसा ही डाला। फिर मेरे दोनों बोबे थाम कर दबा दिये। और नीचे जोर लगा दिया। लण्ड अन्दर सरकने लगा। मुझे हल्का दर्द हुआ … पर मजा तो आ रहा था ना। उसका लण्ड अब मेरी गाण्ड चोदने लगा। मुझे मजा आने लगा। गाण्ड के तंग छेद को उसका लण्ड नहीं सह पाया। तेज घर्षण के कारण उसका वीर्य एक बार फिर से छूट पड़ा।
“हाय दीदी … मजा आ गया … ! तुझे मजा आ रहा है …? “

“भैया … तू तो मजे की खान है रे … अपन रोज़ ही ऐसा करेंगे … बोल ना … !”

“दीदी … हां रोज ही करेंगे … ! खूब मजे करेंगे … !”

“देख मम्मी पापा को नहीं बताना … वरना पिटाई हो जायेगी …!”

“अरे मरना थोड़े ही है … !”

“और चोदना है क्या ???”

“हां दीदी … खूब चोदूँगा तेरे को …! जोर जोर से चोदूंगा … !”

“ले आजा … फ़िर से चढ़ जा मेरे ऊपर … और चोद दे … !”

राहुल फिर तैयार था … …

मैंने अपनी टांगें फिर चौड़ा दी … फिर एक बार गरम गरम लोहा मेरी चूत में उतरने लगा …
मेरे दिल की इच्छा पूरी होने लगी … … मैं भैया से उस रात खूब चुदी … उसने मेरा सारा चुदाई का खुमार उतार दिया।
सुबह हमारे बदन टूट रहे थे … पर हम दोनों फिर से रात का इन्तज़ार करने लगे

शादी के एक दिन पहले में और राहुल घर कि छत पर थे॥ हम और छोटे बच्चों के साथ हाइड ऎंड सीक गेम खेल रहे थे। अनुज हम सभी लोगों कों ढूंद रहा था, में और राहुल साथ ही थे और एक दरवाजे कि पीछे छुपने पहुंच गए। राहुल मेरे पीछे और में दरवाजे के पीछे जाकर खडे हो गए। कुछ देर तक हम चुपचाप खडे रहे, और मैंने महसूस किया कि मेरे हिप्स के ऊपर कुछ कडा सा चुभ रह है। मैंने ज्यादा ध्यान नही दिया, पर जब उसकी चुभन ज्यादा होने लगी तो मुझे लगा कि कहीँ यह राहुल का वो खास अंग तो नही ?
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#7
खैर, जैसे ही हम अपनी छुपने कि जगह बदलने के लिए वहां दरवाजे से हटे तो मेरी स्किर्ट दरवाजे की कील से अटक कर एक जगह से उधाद गयी। जब मैंने देख कि स्किर्ट फट गयी है तो मुझे दर लगा कि अब मम्मी कों पता चला तो वो मरेंगी, तो मैं डर गयी, तभी राहुल बोला , तुम चिन्ता मत करो, तायीजी के कमरे में जाकर इसे सही कर लेते हैं। मुझे उसकी बात सही लगी और हम दोनो ताई जी के कमरे मैं पहुंच गए। पर वहाँ तो काफी लोग थे। पर राहुल ने चतुराई से सुई धागा ले लिया और हम लोग वापस ऊपर छत पर आ गए। वहाँ आकर राहुल बोला कि तुम्हे अपनी स्किर्ट उतार देनी चाहिऐ जभी अच्छी तरह सही हो पायेगी। मैं उस समय मम्मी के डर के कारण कुछ भी ना सोचते हुये.... स्किर्ट उतार दी। पहली बार किसी लड़के के सामने मैंने अपनी स्किर्ट खोली थी...स्किर्ट उतारने के बाद मुझे लगा कि मैंने यह क्या किया, पर तब तक राहुल के हाथ मैं स्किर्ट थी और वो सिलाई कर रहा था। अब मुझे शर्म आ रही थी, तो मैंने अपने दोनो हाथों कों अपनी दोनो जाँघों के ऊपर रख लिया। मैंने पैंटी पहन रखी थी फिर भी मेरी गोरी टाँगे बीच बीच मैं राहुल का ध्यान आकर्षित कर रही थी। जब वो मुझे देखता तो मैं मुस्करा देती। ५ मिनट में स्किर्ट सही हो गयी। मैंने तुरंत उसे पहन लिया, और हम लोग नीचे वापस आ गए।

रात कों महिला संगीत था, साड़ी औरतें इकठी होकर संगीत करने वाली थी, मैं भी वहीँ बैठी थी, पर जब ज्यादा रात होने लगी तो मैं मम्मी से पूछ कर सोने चली गयी, जब लेटने लगी तो वहां राहुल, अनुज और राखी आ गए। वो लोग भी वहीँ लेट गए। पहले तो राखी मेरे बगल मैं आ कर लेट गयी, पर कुछ देर बाद मामी ने उसे किसी काम से बुला लिया तो वो उठ कर चली गयी और मेरे बगल मैं राहुल ही था। मेरी मम्मी मुझे धुंडते हुये वहां आ गयी और दूसरी तरफ लेट गयी, मैंने मम्मी कि और करवट ली और नींद जयादा तेज आ रही थी, तो मैं सो गयी।

लगभग एक घंटे के बाद मुझे लगा कि मेरी टाँगे रजाई के अन्दर खुली हुईं है, यानी कि मेरी स्किर्ट मेरी क़मर तक छड़ी हुयी थी और दोपहर कि तरह मेरे हिप्स के बीच मैं कुछ कडा सा डंडा सा चुभ रह था। पहले तो मैं थोडा सा दर्र गयी , पर उस सब मैं एक सुखद एहसास हो रहा था। मैं जान भूझकर ऎसी बनी रह कि मुझे कुछ नही पता। और राहुल अपने अंग कों मेरे हिप्स पर रगड़ रहा था।

करीब पांच मिनट तक राहुल का यही सब चलता रहा। मैं जो अनुभव कर रही थी वो बयाँ से परे है, वो जिंदगी का पहला ऐसा एक लम्हा था जब मुझे लगा कि मैं एक लडकी हूँ और एक लड़का मेरे योवन से भरे शरीर के साथ खेल रह है। मेरी साँसे तेज चलने लगी थीं, सारा योनिस्थल रक्त से भर कर कडा हो गया था। निप्पल्स भी उत्तेजना से भर गए थे। मुझे मालूम था कि राहुल जो भी कुछ कर रह है, वो गलत है पर उस कामुक एहसास के आगे मैं उसे रोकना भी नही चाह रही थी। और उस समय तो मैं सेक्स के बारे मैं ज्यादा कुछ जानती भी नही थी।

इसके बाद राहुल ने अपने दायाँ हाथ मेरी क़मर के ऊपर से होते हुये ठीक मेरे बायें स्तन के सामने रखा। मैंने स्किर्ट और टॉप पहन हुआ था। उसका हाथ मेरे बायें स्तन के ठीक ऊपर था और निश्चित ही वो मेरे चुचूक को अनुभव कर रह होगा। ऐसे ही कुछ देर रखने के बाद उसने जब धीर से मेरे स्तन को अपनी हथेलियों मे भरा, बस....मेरी जान निकल गयी। मुझे लगा कि बस मैं उसके साथ चिपक जाऊं , पर मम्मी साथ में ही लेटी थी, उनका भी डर लग रहा था। इसके बाद उसने एक एक करके मेरे दोनो स्तन को छू कर और हल्का हल्का दबा कर देखा और मैं ऐसे बनी रही जेसे कि मैं गहरी नींद मैं हूँ। उसकी हिम्मत पल पल बढती जा रही और साथ ही रजाई के अन्दर का तापमान भी बढता जा रह था। राहुल ने धीरे धीर से अपना हाथ मेरी क़मर पर से लेजाकर मेरे हिप्स पर पहुंच गया। मेरी स्किर्ट पहले से ही मेरे हिप्स तक चढ़ चुकी थी। उसके हाथ मेरी नंगी हिप्स पर touch हो रहे थे। और मेरी सांस गले में जब अटक गयी जब उसने अपने एक हाथ कि हथेली से मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी पूसी को कस लिया। मेरे मुहं से हलकी सी आह निकल ही गयी। और पता नही क्या हुआ, मेरा मन पीन्ठ के बल लेटने का हुआ और मैं करवट लेकर सीधि होकर केट गयी। राहुल के लिए तो और आसान हो गया...कुछ देर रुकने के बाद उसके हथेलियाँ फिर से मेरी पूसी का एहसास लेने के लिए पैंटी के इर्द-गिर्द भटकने लगीं। उसकी एक उंगली मेरी पैंटी कि एलास्तिक को उंचा करके अन्दर जाने को तयार थीं और जैसे ही उसकी उँगलियों ने मेरी पैंटी के अन्दर प्रवेश ही किया था और मेरे पूसी पर उगे घने बालों से टकराईं , मेरे पूरे शरीर में बिजली का झटका सा लगा। में अब उसे और आगे नही बढ ने देना चाहती थी, और समझ नही पा रही थी कि उसे कैसे रोकुं, वो तो भला हो उसकी बहन का जो ठीक उसी समय उस कमरे में उसे जगाने आ गयी , और उसने तुरंत स्किर्ट और कपडे ठीक कर लिए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#8
...कुछ देर रुकने के बाद उसके हथेलियाँ फिर से मेरी पूसी का एहसास लेने के लिए पैंटी के इर्द-गिर्द भटकने लगीं। उसकी एक उंगली मेरी पैंटी कि एलास्तिक को उंचा करके अन्दर जाने को तयार थीं और जैसे ही उसकी उँगलियों ने मेरी पैंटी के अन्दर प्रवेश ही किया था और मेरे पूसी पर उगे घने बालों से टकराईं , मेरे पूरे शरीर में बिजली का झटका सा लगा। में अब उसे और आगे नही बढ ने देना चाहती थी, और समझ नही पा रही थी कि उसे कैसे रोकुं, वो तो भला हो उसकी बहन का जो ठीक उसी समय उस कमरे में उसे जगाने आ गयी , और उसने तुरंत स्किर्ट और कपडे ठीक कर लिए।
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#9
यह वो पहली घटना थी जब किसी ने मेरे शरीर कि अंगों को इतनी नजदीकी से छुआ था। १० मिनट बाद मैं उठ कर बैठ गयी। राहुल वहां नही था। पर मेरी नजरें उसे ढूंद रही थी।

काफ़ी देर इन्तजार करने के बाद भी जब राहुल नही लौटा तो में टॉयलेट करने के लिए उठ गयी. और जब मैंने टॉयलेट मॆं पैंटी उतारी तो देखा की पैंटी गीली हो गयी थी, और मेरी योनि से कुछ चिपचिपा द्रव निकला हुआ था. यह पहली बार थे की इतनी जायदा मात्र मॆं पैंटी गीली हो गयी थी इस द्रव से. शायद उस दिन मॆं सबसे ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी.

मैं कभी कभी जब ज्यादा चुदाने के लिए भूखी हो जाती थी तो शायद होश नहीं रहते थे और भाई का अंडरवियर लेकर उसे अपने चूत में ऊँगली से डालती थी .... मुझे पता नहीं था कि मेरा भाई मेरे बारे में क्या सोचता है। कुछ दिनों बाद मैंने नोटिस किया कि मेरी ब्रा और पैंटी कभी भी मेरे रखे हुई जगह पे नहीं मिलती थी और उन पे सिलवटें भी बहुत होती थी. मुझे शक हो गया था कि मेरा भाई भी मेरी ब्रा पैंटी प्रयोग करता है मुठ मारने के लिए ..... फ़िर भी हम चुप रहते ...अब असली कहानी ....

मैं अपने बॉस से पहले चुदवा चुकी थी और वही था मेरे एक साल में दो प्रमोशन का राज ... मेरे बॉस की उमर ४० की थी और उसका बॉस ५० का था ... मैं २६ की थी ...

क्यूँकि अभी मेरा भाई मेरे घर पे रहता था तो बॉस को बहुत दिनों से मौका नहीं मिला था मुझे चोदने का .. तो वो मुझसे काफी नाराज रहता था और मुझे कभी कभी डांटता भी था ऑफिस में ....

मेरा भाई अपने दफ्तर के काम से पुणे जा रहा था दो दिन के लिए ..

मौके का फायदा उठाते हुए मैंने अपने बॉस को कहा कि आज रूबी आपकी है, मेरा भाई दोपहर को ही घर से निकलने वाला था, मैं शाम को जब घर आई तो मुझे लगा मेरा भाई जा चुका है .. मैंने अपने बॉस को फ़ोन लगाया और बातें करने लगी ... मेरा भाई उस वक्त बाथरूम में था .. उसे मेरे बॉस की आवाज़ तो नहीं पर मेरी आवाज़ साफ साफ सुने दे रही थी ... मैंने अपने बॉस से कहा .. आज रूबी को चुदवाना है अपने डार्लिंग से.. रूबी की चूत बहुत दिनों से प्यासी है...मैं थक गई हूं अपने भाई का अंडरवीयर अपनी चूत में डाल डाल कर.. मुझे लण्ड चाहिए
प्लीज़ जल्दी से आ जाओ और मुझे जम कर चोदो...

उधर मेरा भाई मेरी बातें सुनकर गरम हो गया था.. वो नहा कर बाहर निकला तो उसका लण्ड तन कर खड़ा था टॉवेल के ऊपर से ही दिख रहा था ... मैं समझ गई कि इसने सब सुन लिया फ़िर भी नाटक कर के बोली- तुम गए नही अब तक ... तो उसने कहा नही मेरे पेट में दर्द है, मैंने कहा कुछ दवा ले लो, उसने कहा नही मम्मी ने जो तेल दिया है उस से मालिश कर के सो जाऊँगा ... फ़िर मैं समझ गई कि आज भी मेरी चूत भूखी रह जायेगी क्यूँकि मेरा भाई नहीं जाने वाला ...

मेरा भाई नाटक कर रहा था .. उसके दिमाग में सिर्फ़ मेरी बातें घूम रही थी ... वो भी अपनी प्यास मेरी चूत से मिटाना चाह रहा था ... उसने मुझसे कहा , रूबी प्लीज़ इस तेल से मेरे पेट पर मालिश कर दो ना ... मैंने कहा ठीक है .. वो अपना बनियान उतर कर बेड पर लेट गया .. मैंने उस वक्त बस नाईटी पहनी थी मैंने ना ही पैंटी ना ब्रा पहनी थी क्यूँ कि मुझे लगा था थोडी ही देर में मेरे बॉस आयेंगे और मुझे सब उतरना पड़ेगा ...
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#10
मैं उसके पेट पे तेल मालिश कर रही थी, उसके नाभि के नीचे बहुत सरे बाल थे जो जैसे जैसे नीचे जाते थे और ज्यादा थे ... मेरे थोड़ी देर मालिश करने पे वो बहुत गरम हो चुका था क्यूँकि उसके पायजामे के ऊपर से उसका तना हुआ लंड दिखाई देने लगा था फ़िर भी मैं चुप चाप मालिश करती रही ... थोडी देर बाद उसने कहा पायजामा थोड़ा नीचे सरका कर थोड़ा नीचे तक मालिश करो न ... मैंने वैसा ही किया ... अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था ... मैं भी सोच रही थी कि कब अपनी प्यास मिटाऊँ अपने सगे भाई के लंड से ... इतने में वो बोल पड़ा हाथ अंदर डाल न ... मैंने कहा कहाँ अंदर .. उसने कहा पायजामे के अंदर .. मैंने मना कर दिया .. . मन तो बहुत कर रहा था मगर वो मेरा भाई था इसलिए मैंने ना कह दिया ... उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती अपने लंड पे ले गया, मैंने एक झटके से उसका हाथ दूर कर दिया ...फ़िर वो बेड से उठ गया और मुझे जकड लिया और बोला सिर्फ़ अपने बॉस से चुदवाओगी .... कब तक तेरे ब्रा और पैंटी से मुठ मारता रहूँगा ... मेरे लंड ने क्या पाप किए हैं?.. मैं ये सब सुन कर दंग रह गई ... उसने कहा मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा .. बस तू वो कर जो मैं कहता हूँ ...
फ़िर ..... .....
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#11
छः महीने पुरानी बात है। वो कभी रात को मेरे पास भी सो जाया करती थी तो मैंने एक दिन कोशिश की। जब वो रात को गहरी नींद में सो रही थी, उसने २ पीस वाला गाऊन पहना था और अन्दर ब्रा भी पहनी थी। रात के २ बजे की बात है, मैं उठा और कमरे की लाइट जला दी। प्रियंका सो रही थी, उसके वक्ष साफ दिख रहे थे। मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि वो मुझे देख ना ले पर मैंने हिम्मत से उसके स्तन पर हाथ रखा, पहले गाऊन के ऊपर रखा। सच में ऐसा लग रहा था कि किसी गुब्बारे पे हाथ रख दिया हो। फिर मैंने उसके गाऊन के अन्दर हाथ से रखा। सच में ऐसा मज़ा आया कि जैसे मैं जन्नत से भी बहुत अच्छी जगह पे आ गया हूँ।
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#12
मैंने धीरे-धीरे उसके स्तन दबाए और फिर दोनों हाथ से दोनों स्तन को दबाने लगा। सच में बहुत अच्छा लग रहा था मुझे। फिर मैंने उसके गुलाबी होठों को चूमा। आहा ! इतना मज़ा आया। फिर उसकी गर्दन पर चूमा। इतने में मुझे लगा कि शायद वो जाग गई है और सोने का नाटक कर रही है। मुझे इससे और हिम्मत मिल गई। मैंने उसका गाऊन नीचे से ऊपर किया, उसकी गोरी और चिकनी टांगें मुझे दिख रही थी।

इतने में वो उठ गई और बोल पड़ी- यह क्या कर रहा है तू ?

मैं डर गया और एक मिनट के लिए कुछ बोल ना सका। इतने में वो बोल पड़ी- तू रुक क्यों गया ? कर ना ! मैं कब से इस सब के लिए तड़प रही थी ! आजा ! आज हम ऐसा हनीमून मनाएँगे जो आज तक किसी ने ना मनाया होगा !

मुझे यह सुनकर बहुत मजा आ गया। फिर हम चूमा चाटी करने लग गए, एक दूसरे के होठों को चिपका कर एक दूसरे की जीभ से अन्दर ही अन्दर मज़ा कर रहे थे और मैं साथ में उसके स्तन भी दबा रहा था। फिर मैंने उसके गाऊन का ऊपर का कपड़ा उतार दिया। मुझे इतना अच्छा लग रहा था, उसको ऐसा मेरा देखना उसको भी बहुत अच्छा लग रहा था। वो सिसक सिसक कर बोल रही थी- मुझे प्यार कर ! मुझे प्यार कर !

उसका ऐसा कहने से मुझे जोश चढ़ रहा था और मेरा लण्ड बिल्कुल खड़ा हो गया। मैंने उसका गाऊन पूरा उतार दिया और अब वो सिर्फ पैन्टी और ब्रा में मेरे सामने थी और मैं सिर्फ चड्डी में ! मेरी चड्डी में से मेरा लण्ड साफ़ दिखाई दे रहा था। मेरी बहन ने मेरे चड्डी उतार दी और मेरे लण्ड को देखने लगी और एक दम से उसने मुँह में ले लिया और बरफ के लड्डू जैसा चूसने लगी।

मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसके स्तन दबा रहा था। वो १५ मिनट तक उसको चूसती रही। फिर मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा। वो आऽऽ आऽऽ आ कर के सिसकने लगी और मुझे बोलने लगी- अब अन्दर डालो !

पर मैं इतनी जल्दी नहीं डालना चाहता था। मैं उसे और गरम करना चाहता था। मैं उसकी पूरी बॉडी को किस करने लगा, चाटने लगा। फिर मुझे कमरे में शहद की बोतल दिखी, मैंने उसे उठाया और उसके दोनों स्तनों पर और चूत पर डाल दिया और चेहरे पर भी और फिर उसके चेहरे को चाटने लगा जीभ से ! मुझे बहुत मजा आने लगा। फिर उसकी चूचियों को चाटने लगा क्योंकि मैंने शहद डाल दिया था इसलिए चूसने में बहुत मज़ा आने लगा और चूत को चाटने में सच में ऐसा आनंद आ रहा था कि सोचा अगर यह सब जीवन में ना किया होता और मैं मर जाता तो मेरा इस जीवन में आना व्यर्थ हो जाता।

फिर मेरी बहन इतनी गरम हो चुकी थी कि उससे रहा ना गया, उसने मेरे लण्ड को पकड़ के डालना चालू कर दिया। बस मैं इसी का इन्तज़ार कर रहा था। मैं तो पहली बार सेक्स कर रहा था पर शायद मेरी बहन किसी से करा चुकी थी। मैंने पूछा कि पहले किसके साथ सेक्स किया है तूने ?

उसने बोला- राहुल के साथ !

मैं भौंचका रह गया क्योंकि राहुल मेरी मासी का लड़का है।मैंने बोला- मजाक मत कर !
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#13
फिर मेरी बहन इतनी गरम हो चुकी थी कि उससे रहा ना गया, उसने मेरे लण्ड को पकड़ के डालना चालू कर दिया। बस मैं इसी का इन्तज़ार कर रहा था। मैं तो पहली बार सेक्स कर रहा था पर शायद मेरी बहन किसी से करा चुकी थी। मैंने पूछा कि पहले किसके साथ सेक्स किया है तूने ?

उसने बोला- राहुल के साथ !

मैं भौंचका रह गया क्योंकि राहुल मेरी मासी का लड़का है।मैंने बोला- मजाक मत कर !

उसने कहा- मैं मजाक नहीं कर रही हूँ, रानू भी राहुल के साथ सेक्स करती है !

रानू राहुल की बहन है !

मैं बोला- क्या बात है ! चलो अच्छा है !

मैंने प्रियंका को बोला- क्या रानू को पता है कि तूने राहुल के साथ किया है?

उसना बोला- हाँ !

फ़िर मैंने उसको बोला- क्या रानू दीदी मेरा साथ करेंगी ?

उसने बोला- बिल्कुल करेगी !

मैं ख़ुशी से पागल हो गया क्योंकि रानू दीदी बिपाशा बसु से भी ज्यादा सेक्सी है, सेहत, कद और फिगर सभी में !

फिर मैंने प्रियंका को चोदना चालू कर दिया। मुझे भी थोड़ा सा दर्द हो रहा था अन्दर डालने में। और अब मैंने उसके पूरा अन्दर डाल दिया था। मुझे उसने कहा- धीरे धीरे अन्दर बाहर कर !

मैं वैसे ही करने लगा, मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा। साथ में मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और चूम भी रहा था। फिर वो झ्ड़ने लगी और मैं भी ! तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने की कोशिश की पर प्रियंका ने मुझे निकालने नहीं दिया और हम दोनों झड़ गए। मेरा वीर्य उसके अन्दर ही रह गया।

मैंने उसको बोला- अब क्या होगा ? आप प्रेगनेंट हो जाएंगी !

उसने बोला- डर मत ! सब गोली आती है, मेरी आदत है।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और किस करने लगे और फिर सो गए क्योंकि हमारा मम्मी पापा बाहर रहते थे, इसलिए हमे कोई डर नहीं था।

फिर सुबह बहन पहले उठ गई थी तो उसने उठते ही मुझे उठाया और उठते ही हमने एक बार फ़िर वही कियाजो रात में किया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#14
हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने उसको बोला- चल अपन साथ में नहाते हैं !

उसने बोला- बिल्कुल !

आप जानते हैं ना चुदाई एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना हम लड़कियाँ तो बिल्कुल नहीं रह पाती। यहां मायके में भी यही हाल हुआ। ये चूत है कि लण्ड मांगे मोर...। बोबे भी फ़ड़क उठते हैं... गांड भी लण्ड दिखते ही लचकदार होकर अदाएँ दिखाने लगती है... चाल ही बदल जाती है। देखने वाला भी समझ जाता है कि अब ये लण्ड की भूखी है। बाहर से हम चाहे जितनी भी गम्भीर लगें, सोबर लगें पर हमारी नजरें तो पैन्ट के अन्दर लण्ड तक उतर जाती हैं। लड़कों का खड़ा लण्ड नजर आने लगता है।

मैं खिड़की पर खड़ी सब्जी काट रही थी की भैया आया और बिना इधर उधर देखे बाहर ही दीवार पर अपना लण्ड निकाल कर पेशाब करने लगा। मेरा दिल धक से रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड... भैया ने पेशाब किया और लण्ड को झटका और पेण्ट में घुसा लिया। मैं तुरन्त एक तरफ़ हो गयी। भैया अन्दर आ गया और मुझे रसोई में देख कर थोड़ा विचलित हो गया ... उसे लगा को शायद मैने उसे पेशाब करते हुये देख लिया है।

"ये खिड़की क्या खुली हुई थी..."

"हां क्यो, क्या बात है..."

"नहीं यू ही बस ...।"

"हां... तुम वहा पेशाब कर रहे थे न..." मैं मुस्कराई और उसकी पेन्ट की तरफ़ देखा

भैया शर्मा गया।

"धत्त , तुझे शरम नही मुझे देखते हुये"

"शरम कैसी... ये तो सबके होता है ना, बस तेरा थोड़ा सा बड़ा है..."

"दीदी..." वो शरमा कर बाहर चला गया। मुझे हंसी आ गयी। हां, मेरा दिल जरूर मचल गया हा। पर भैया भी चालू निकला, वो जब भी खिड़की खुली देखता तो वहा पेशाब करने खड़ा हो जाता था... और मुझे अब वो जान करके अपना लण्ड दिखाता था। मेरा मन विचलित होता गया। एक बार मैने उससे कह ही दिया...

"बबलू... तू रोज़ ही वहा पेशाब क्यो करता है रे..."

"मुझे अच्छा लगता है वहां"

"... या मुझे दिखाता है...अपना वो..."

"दीदी, आप भी तो देखती हो ना... फिर ये तो सबका एक सा होता है ना..."

" जा रे... तू दिखायेगा तो मैं देखूंगी ही ना... फिर..." मैं शर्मा सी उठी

"दीदी... तेरी तो शादी हो गई है...तुझे क्या..."

"अच्छा छोड़, मैं स्टूल पर चढ कर वो समान उतारती हू, तू मेरा ध्यान रखना...मैं कही गिर ना जाऊ"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
मैं स्टूल पर चढी, और कहा "बबलू... मेरी कमर थाम ले...और ध्यान रखना..."

समान उतार कर मैं ज्योही स्टूल पर से उतरी बबलू ने मुझे उतरते हुये अपनी तरफ़ खींच लिया।

"धीरे धीरे दीदी..."और उसने मुझे ऐसे उतारना चालू किया कि मेरे बोबे तक दबा डाले धीरे धीरे सरकते हुए वो मुझे नीचे उतारने लगा और मेरे चूतड़ उससे चिपकते हुए उसके लण्ड तक पहुंच गये। अब हाल ये था की मेरे दोनो बोबे उसके कब्जे में थे और उसका लण्ड मेरे पटीकोट को दबाते हुए गाण्ड में घुस गया था। उसके मोटे लण्ड का स्पर्श मैं अपने दोनो चुतड़ो के बीच महसूस कर रही थी। मैने उसे देखा तो उसकी आंखे बंद थी... और मुझे वो कस कर जकड़ा था। शायद उसे मजा आ रहा था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। पर शराफ़त का तकाजा था कि एक बार तो कह ही दू..."अरे छोड़ ना...क्या कर रहा है..."

"ओह दीदी... मुझे ना क्या हो गया था... सॉरी..."

"बड़े प्यार से सॉरी कह दिया... "मैने उसकी हिम्मत बढाई।

"दीदी क्या करू बस आपको देख कर प्यार उमड़ पड़ता है..."

"और वो जो खड़ा हो जाता है... उसका क्या"

"दीदी... वो तो पता नही , बस हो गया था" और मुस्कराता हुआ बाहर चला गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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