Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery प्यारी भाभी
#1
प्यारी भाभी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
भैया की शादी को दो साल हो चुके हैं। मेरी भाभी की उम्र 24 साल है. मेरी भाभी कंचन बहुत ही सुन्दर है। मैं उनकी बहुत इज्जत भी करता हूँ. वो भी मुझे बहुत प्यार करती हैं. हमारी दोस्ती काफी अच्छी है और अक्सर हम दोनों एक दूसरे से हंसी मजाक करते रहते हैं.
इतना ही नहीं … भाभी पढ़ाई में भी मेरी सहायता करती हैं। मैं उनसे मैथ्स पढ़ता हूँ.

एक दिन की बात है जब भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे। रात के दस बजे का समय हो रहा था। इतने में भैया ने आवाज दी- कंचन और कितनी देर लगेगी? जल्दी आओ न!
भाभी भी मेरे पास से जाना नहीं चाहती थी लेकिन भैया के बुलाने पर उनको जाना पड़ा।
भाभी उठते हुए बोली- बाकी पढ़ाई कल करेंगे क्योंकि तुम्हारे भैया आज ज्यादा ही उतावले लग रहे हैँ.

इतना कह कर भाभी वहाँ से चली गई. मुझे भाभी की बात कुछ ज्यादा समझ में नहीं आई। मैं काफी देर तक सोचता रहा कि भाभी को ऐसी क्या जल्दी थी, फिर अचानक ही मेरे दिमाग की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात कि उतावली हो रही थी। यह सोच कर रही मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी।

इससे पहले भाभी को मेरे दिल में लेकर कोई भी बुरे विचार नहीं आये थे लेकिन भाभी के मुंह से उतावलेपन की बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे लगा कि भाभी के मुंह से हड़बड़ी में निकल गया होगा ऐसे ही। मगर फिर जब भाभी के कमरे की लाइट बन्द हो गई तो मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। मैंने भी फटाक से उठ कर अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे से कान लगाकर खड़ा हो गया.

अंदर से फुसफुसाने की आवाज आ रही थी. मगर कुछ-कुछ शब्द साफ भी सुनाई दे रहे थे।
“क्यों जी? आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?”
” मेरी जान … इतने दिन से तुमने दी नहीं मुझे, इतना जुल्म क्यों करती हो मुझ पर?”
“चलिए भी, मैंने कब रोका है आपको? आपको ही फुरसत नहीं मिलती है। रामू का कल एग्जाम है इसलिए उसको पढ़ाना जरूरी था।”

“तो श्रीमती जी, अगर आपकी इजाजत हो तो चुदाई का उद्घाटन करूं?”
“हे राम! कैसे बेशर्मी से कह रहे हो, आपको शर्म नहीं आती है क्या?”
“इसमें शर्म की क्या बात है? मैं अपनी ही बीवी को चोद रहा हूँ तो फिर उसमें शर्म की क्या बात है?”
“तुम बड़े खराब हो … आह्ह … आई … अम्म … आराम से करो, आह्ह्ह … धीरे करो न राजा, अभी तो सारी रात बाकी है!”

भैया और भाभी का ये कामुक संवाद सुनने के बाद मैं दरवाजे पर खड़ा न रह सका। मेरे पूरे कपड़े पसीने से भीग चुके थे। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया। लेटने के बाद मुझे नींद नहीं आई. सारी रात भाभी के बारे में ही सोचता रहा. एक पल के लिए भी आंख न लगी. जिंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड इस तरह से खड़ा हो गया था।

सुबह हुई तो भैया ऑफिस चले गये थे। मैं भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था. जबकि भाभी को पता भी नहीं था कि मैंने चुपके से भाभी की सेक्सी चुदाई की बातें सुन ली हैं. वो इस बात से बिल्कुल ही बेखबर थीं। मैंने देखा कि भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी जाकर किचन में खड़ा हो गया. उस दिन मैं भाभी के जिस्म को बड़े ही गौर से देख रहा था. बड़ा ही गोरा, भरा हुआ और गरदाया जिस्म था भाभी का।
उनके बाल काले और लम्बे थे जो घुटने तक लटक रहे थे। बड़ी-बड़ी आंखें थी भाभी की. गोल-गोल आम के जैसी चूचियां जिनका साइज़ 38 से कम न होगा. पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े व भारी नितम्ब।

यह नजारा देख कर एक बार फिर से मेरी दिल की धड़कन बढ़ गई थी। इस बार मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, आज मेरा एग्जाम है और आप को तो जैसे कोई चिंता ही नहीं थी मेरी. आप बिना पढ़ाई करवाये ही सोने के लिए चली गई रात को?
“कैसी बातें करता है रामू? तेरी चिन्ता नहीं करूंगी तो किसकी करूंगी फिर?”
“झूठ मत बोलो, अगर चिन्ता थी तो गयी क्यों?”
“तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था।”
“भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था? मैंने बड़े ही भोल ही स्वर में पूछा।

भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गई थी और तिरछी नजर से देखते हुए बोली- धत्त बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है … मुझे लगता है अब तेरी शादी कर देनी चाहिए। बता दे, अगर कोई लड़की पसंद है तो?
“भाभी सच कहूँ तो मुझे आप ही बहुत अच्छी लगती हो।”
“चल नालायक, भाग यहां से, जाकर अपना एग्जाम दे।”

मैं एग्जाम देने चला तो गया लेकिन एग्जाम क्या देता, सारा दिन भाभी के बारे में ही सोचता रहा। मैंने उस दिन पहली बार भाभी से इस तरह की बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज नहीं हुई। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी। मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था।

भाभी मुझे रोज देर रात तक पढ़ाती थी। मुझे ऐसा महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो-तीन बार ही चोदते थे। मैं अक्सर भाभी के बारे में सोचने लगा था कि भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाये तो मैं भाभी को दिन में तीन दफा चोदूं.

दिवाली के लिए भाभी को मायके जाना था। भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सौंपा था क्योंकि भैया को छुट्टी नहीं मिल सकी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
जब हम लोग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो वहां पर काफी भीड़ थी। मैं भाभी के पीछे रिज़र्वेशन के लिए लाइन में खड़ा हुआ था. लोगों की धक्का मुक्की हो रही थी और इसलिए हर एक आदमी दूसरे से बिल्कुल सटा हुआ था। मेरा लंड बार-बार भाभी के मोटे-मोटे नितम्बों से रगड़ रहा था. मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी थी।

हालांकि मुझे कोई धक्का भी नहीं दे रहा था फिर भी मैं भाभी के पीछे बिल्कुल चिपक कर खड़ा था। मेरा लंड फनफना कर अंडरवियर से बाहर निकल कर भाभी के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था। भाभी ने हल्के से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और जोर से उनके चूतड़ों से रगड़ खाने लगा।

ऐसा लग रहा था कि भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता चल गया था लेकिन उन्होंने सब कुछ जानने के बाद भी कोशिश नहीं की। भीड़ के कारण सिर्फ भाभी को ही रिजर्वेशन मिला। मुझे रिजर्वेशन नहीं मिल पाया. इसलिये हम दोनों को एक ही सीट पर बैठना था।

हम दोनों ट्रेन में जाकर बैठ गये. रात को जब सोने का टाइम हुआ तो भाभी ने कहा कि मैं अपनी टांगें भाभी की तरफ कर लूं. मैंने अपनी टांगें भाभी की तरफ कर ली और भाभी ने अपनी टांगें मेरी तरफ कर लीं. इस प्रकार हम दोनों आसानी से लेट गये.

बीच रात को मेरी आंख खुली तो ट्रेन की नाइट लाइट की हल्की-हल्की रोशनी में देखा कि भाभी गहरी नींद में सो रही थी। भाभी की साड़ी उनकी जांघों तक सरक गयी थी। भाभी की गोरी-गोरी नंगी टांगें और मोटी मांसल जांघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा।

उनकी साड़ी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में से बाहर गिरने को हो रही थीं. मैं मन ही मन सोचने लगा था कि साड़ी अगर थोड़ी और ऊपर उठ जाये तो भाभी की चूत के दर्शन ही हो जायें।

मैंने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साड़ी को ऊपर सरकाना शुरू किया. भाभी की साड़ी अब भाभी की चूत से सिर्फ 2 इंच ही नीचे थी लेकिन कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नहीं समझ आ रहा था कि 2 इंच ऊपर जो कालिमा सी नज़र आ रही थी वो काले रंग की कच्छी थी या भाभी की झाटें थीं।

मैंने साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठाने की जैसे ही कोशिश की तो भाभी ने करवट बदली और साड़ी को नीचे खींच लिया. मेरी सारी कोशिश बेकार हो गयी. फिर मैंने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा।

भाभी के मायके पहुंचने के बाद भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की। दस दिन वहाँ पर रुकने के बाद हम वापस लौट आये. वापस लौटते समय मुझे भाभी के साथ लेटने का मौका ही नहीं मिला।

घर पहुंचने के बाद जब भैया ने भाभी को देखा तो बहुत खुश हो गये. मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है। उस रात को मैंने पहले की तरह भाभी के दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया. भैया कुछ ज्यादा ही जोश में थे। अन्दर से आवाजें साफ सुनाई दे रही थी।

“कंचन मेरी जान, तुमने तो मुझे बहुत सताया, देखो न, हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिये कैसे तड़प रहा है। अब तो इसका मिलन अपनी चूत से करवा दो।”
“हाय राम! आज तो ये कुछ ज्यादा ही बड़ा दिख रहा है। ओह हो … ठहरिये भी, साड़ी तो उतारने दो मुझे।”
“ब्रा क्यों नहीं उतारी मेरी जान … पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने का मजा आता है। तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता है।”
“झूठ! अगर ऐसी बात है तो आप महीने में दो-तीन बार ही …”
” दो-तीन बार ही क्या?”
” ओह हो, मेरे मुंह से, गन्दी बात क्यों बुलवाना चाहते हो?”
” बोलो ना मेरी जान, दो-तीन बार क्या?”
“अच्छा बाबा, बोलती हूँ, महीने में दो-तीन बार ही चोदते हो। बस?”
“कंचन, तुम्हारे मुंह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड, अब और इंतजार नहीं कर सकता। थोड़ा अपनी टांगें और चौड़ी करो। मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है मेरी जान।”
“मुझे भी आपका बहुत … आह्ह मर गई … ओह्ह, उफ्फ … उई माँ, बहुत अच्छा लग रहा है। थोड़ा धीरे, हाँ अब ठीक है। थोड़ा जोर से …”

अन्दर से भाभी के कराहने की आवाज के साथ फच-फच जैसी आवाज भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका। बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड वहीं पर खड़े हुए ही झड़ गया. पता नहीं क्या हो गया था कि इतनी उत्तेजना हो गई थी कि मेरा पानी वहीं पर निकल गया. मैं जल्दी से बिस्तर पर आकर लेट गया.

उसके बाद तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था लेकिन चुदाई की कला से भली-भांति परिचित था। मैंने इंग्लिश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म देख रखी थी और हिन्दी व इंग्लिश के कई गन्दे नॉवल भी पढ़े थे। मैं अब उन्हीं कल्पनाओं के सहारे भाभी को नंगी करने के बारे में सोचने लगा. मेरे मन में यही ख्याल आते रहते थे कि भाभी नंगी होने के बाद कैसी लगेगी।

जिस तरह भाभी के बाल लम्बे और घने थे वैसे ही काले, घने बाल भाभी की चूत पर भी होंगे। भैया मेरी भाभी को कौन-कौन सी मुद्राओं में चोदते होंगे? एकदम नंगी भाभी टांगें फैलाए हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम-वासना दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।

वैसे मैंने अभी तक आप लोगों को अपने बारे में तो बताया ही नहीं कि मैं एक लम्बा और तगड़ा लड़का हूं. मेरा कद करीब 6 फीट है। अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चैम्पियन हूँ. रोज़ दो घंटे कसरत करता हूँ और मालिश करता हूँ. लेकिन सबसे खास चीज है मेरा लंड। मेरा लंड ढीली अवस्था में भी आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है जैसे कोई हथौड़ा लटका हुआ हो। यदि मैं अंडरवियर न पहनूं तो पैंट के ऊपर से भी उसका आकार साफ दिखाई देता है। खड़ा होने के बाद तो उसकी लम्बाई करीब आठ इंच और मोटाई तीन इंच हो जाती है।

एक दोस्त ने मुझे बताया था कि इतना लम्बा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है। मैं अक्सर बरामदे में अपनी लुंगी को घुटनों तक उठा कर बैठ जाता था और न्यूज़पेपर पढ़ने का नाटक करता था। जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती थी तो मैं अपनी टांगों को थोड़ा इस प्रकार से चौड़ा करता था कि उस लड़की को लुंगी के अंदर से झांकता हुआ लंड नजर आ जाये। मैं न्यूज़पेपर में छोटा सा छेद कर देता था। न्यूज़पेपर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
लड़कियों को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेखबर हूँ. जो भी लड़की मेरे लंड को देखती थी, वो देखती ही रह जाती थी। धीरे-धीरे फिर मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि शादीशुदा औरतों को लम्बे और मोटे का लंड का महत्व ज्यादा पता होता था.

ऐसे ही एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था कि भाभी ने आवाज़ लगाई- रामू ज़रा, बाहर कपड़े सूख रहे हैं, उन्हें अंदर ले आओ, बारिश आने वाली है।
“अच्छा भाभी!” कहकर मैं कपड़े लेने बाहर चला गया.

घने बादल छाये हुए थे। जब एकदम से तेज हवा चलने लगी तो भाभी भी मेरी हेल्प करने के लिए आ गई। बाहर बंधी रस्सी के ऊपर से जब मैं कपड़े उतार रहा था तो मैंने देखा कि भाभी की ब्रा और कच्छी भी टंगी हुई थी। मैंने भाभी की ब्रा को उतार कर उसका साइज पढ़ लिया. भाभी का साइज 38 था।

उसके बाद मैंने भाभी की कच्छी को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो कच्छी करीब-करीब पारदर्शी थी और इतनी छोटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो। भाभी की कच्छी का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छोटी सी कच्छी भाभी के विशाल नितम्बों और चूत को कैसे ढकती होगी?

मुझे लग रहा था कि शायद यह कच्छी भैया को रिझाने के लिए ही पहनती होगी भाभी। मैंने उस छोटी सी कच्छी को वहीं पर सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुछ खुशबू मैं भी ले सकूं.

तभी भाभी ऊपर आ गई और उन्होंने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और बोली- क्या सूंघ रहे हो रामू? और ये तुम्हारे हाथ में क्या है?
मेरी चोरी पकड़ी गई थी. मैंने बहाना बनाते हुए कहा- देखो न भाभी, ये छोटी सी कच्छी पता नहीं किसकी है? यहां कैसे आ गई ये?

भाभी मेरे हाथ में अपनी कच्छी देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली- लाओ इधर दो।
“किसकी है भाभी?” मैंने अनजान बनते हुए पूछा।
“तुम्हें क्या मतलब है ये किसकी है? तुम अपना काम करो।” भाभी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला।

“बता दो न, अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लौटा दूँ?”
“जी नहीं, रहने दो, लेकिन ये बताओ कि तुम इसको सूंघ कर क्या कर रहे थे?”
“अरे भाभी, मैं तो इसको पहनने वाली की खुशबू सूंघ रहा था। बड़ी ही मादक खुशबू थी। बता दो न किसकी है?”

ये सुनकर भाभी का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अन्दर भाग गयी.

फिर उस रात जब वो मुझे पढ़ाने के लिए आई तो मैंने देखा कि उन्होंने एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. भाभी जब कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे साफ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वो ही गुलाबी रंग की कच्छी पहन रखी थी।
झुकने की वजह से कच्छी की रूप रेखा साफ नज़र आ रही थी।

मेरा अंदाजा सही था। कच्छी इतनी छोटी थी कि भाभी के भारी नितम्बों के बीच की दरार में घुस जा रही थी। मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी। फिर मुझसे भी रहा न गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
स रात जब भाभी पढ़ाने आई तो उसने एक पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी. जब भाभी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे भाभी की वही गुलाबी कच्छी दिखाई दे गई जिसको मैंने छत पर सूंघा था. यह नजारा देख कर मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी थी। जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं बोल ही पड़ा- भाभी आपने तो बताया नहीं कि वो कच्छी किसकी थी लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छोटी सी कच्छी किसकी थी।
“तुझे कैसे पता चल गया कि वो किसकी थी?” भाभी ने शरमाते हुए पूछा।
“क्योंकि वही कच्छी आपने इस वक्त नाइटी के नीचे पहन रखी है।”
“हट बदमाश! तू ये सब देखता रहता है?”

“भाभी एक बात पूछूं अगर आप बुरा न मानो तो, आप इतनी छोटी सी कच्छी में फिट कैसे हो जाती हो?” मैंने हिम्मत जुटा कर पूछ ही लिया.
“क्यों, मैं क्या तुझे मोटी लगती हूँ?”
“नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुन्दर हैं, लेकिन आपका बदन इतना सुडौल और गठा हुआ है। आपके नितम्ब इतने भारी और फैले हुए हैं कि इस छोटी सी कच्छी में समा ही नहीं सकते। आप इसे पहनती ही क्यों हो? यह तो आपकी जायदाद को छुपा ही नहीं सकती है और फिर ये तो बिल्कुल पारदर्शी है, इसमें तो आपका सब कुछ दिखाई देता है।”

“लगता है कि तेरी शादी जल्दी ही करवानी पड़ेगी, तू कुछ ज्यादा ही समझदार हो गया है।” भाभी ने कहा.
“जिसकी इतनी सुन्दर भाभी हो वो भला किसी और लड़की की तरफ कैसे देख सकता है!”
“ओह हो! अब तुझे कैसे समझाऊं? देख रामू जिन बातों के बारे में तुझे अपनी बीवी से पता लग सकता है और जो चीज तुझे तेरी बीवी ही दे सकती है वो मैं नहीं दे सकती, इसलिए कह रही हूं कि तू शादी कर ले।”

“भाभी ऐेसी भी क्या चीज है जो सिर्फ मेरी बीवी मुझे दे सकती है और आप नहीं दे सकती?” मैंने अनजान बनते हुए पूछा. मेरा लंड इस वक्त फनफना रहा था।
“मैं सब समझती हूँ, चालाक बनने की कोशिश मत कर. मुझे ऐसा लग रहा है कि तुझे पढ़ना-लिखना नहीं है। इसलिए मैं अब सोने जा रही हूँ।”
“लेकिन भैया ने तो आपको नहीं बुलाया?” मैंने शरारत भरे स्वर में पूछा।

वो मुस्कराते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी। उनकी मस्तानी चाल, मटकते हुए नितम्ब और दोनों चूतड़ों के बीच में पिस रही बेचारी कच्छी को देख कर मेरा बुरा हाल हो गया था।

अगले दिन भैया जब ऑफिस चले गये थे तो भाभी और मैं बरामदे में बैठ कर चाय पी रहे थे. सामने से सड़क पर एक गाय गुजर रही थी. उसके पीछे ही एक भारी-भरकम सांड हुंकार भरता हुआ आ रहा था. सांड का लम्बा, मोटा लंड नीचे झूल रहा था.
सांड के लंड को देख कर भाभी के माथे पर पसीना आ गया. भाभी की नज़र सांड के लंड से हट ही नहीं रही थी. फिर सांड एकदम से गाय के ऊपर चढ़ गया. उसने गाय की योनि में पूरा लंड उतार दिया.

यह देख कर भाभी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गई. मैं भी भाभी को ही देख रहा था. फिर भाभी ने देखा कि मैं भी उनको देख रहा हूँ तो वो फिर शरमा कर वहां से उठ गई और भाग कर अंदर चली गई. मैं भी भाभी के पीछे ही अन्दर चला आया. भाभी उस वक्त किचन में थी.

मैंने पूछा- भाभी ये सांड क्या कर रहा था?
भाभी बोली- तुझे नहीं पता?
मैंने अनजान बनते हुए कहा- नहीं तो।
भाभी बोली- ये वही कर रहा था जो एक मर्द अपनी बीवी के साथ करता है.
मैंने पूछा- तो क्या मर्द भी अपनी बीवी पर ऐसे ही चढ़ता है?
भाभी बोली- चुप कर … बदमाश!

मैंने कहा- ओह, अब मैं समझा कि रात को भैया आपको क्यों बुलाते हैं.
भाभी बोली- चुप कर नालायक, ऐसा तो सभी शादीशुदा लोग करते हैं.
मैंने कहा- तो जिनकी शादी नहीं हुई है वो ऐसा नहीं कर सकते हैं क्या?
भाभी बोली- कर तो सकते हैं लेकिन …
मैं बीच में ही बोल पड़ा- तो फिर भाभी, मैं भी आप पर चढ़ सकता हूं न!
भाभी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और बोली- चुप कर, मुझे अपना काम करने दे। बहुत बेशर्म हो गया है तू। यह कह कर उन्होंने मुझे किचन से बाहर धकेल दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
इस घटना को हुए दो दिन बीत गये. फिर मैं छत पर पढ़ाई करने के लिए जा रहा था. मैंने भाभी के कमरे में झांक कर देखा तो भाभी कोई किताब पढ़ रही थी. उनकी नाइटी उनके घुटनों तक ऊपर चढ़ी हुई थी. नाइटी इस प्रकार से उठी हुई थी कि भाभी की गोरी टांगें, मोटी, मांसल जांघें और जांघों के बीच में सफेद रंग की कच्छी साफ नजर आ रही थी.

यह नजारा देख कर मेरे कदम एकदम से रुक गये. इस नजारे को देखने के लिए मैं छुप कर खिड़की से झांकने लगा. यह कच्छी भी उतनी ही छोटी थी और बड़ी मुश्किल से भाभी की चूत को ढक पा रही थी. भाभी की घनी काली झाटें दोनों तरफ से कच्छी के बाहर निकल रही थी.

वो बेचारी छोटी सी कच्छी भाभी की फूली हुई चूत के उभार से बस किसी तरह चिपकी हुई थी. चूत की दोनों फांकों के बीच में दबी हुई कच्छी ऐसे लग रही थी जैसे हंसते वक्त भाभी के गालों में डिम्पल पड़ जाते हैं.

उन्होंने झट से नाइटी को नीचे करते हुए कहा- क्या देख रहा है रामू?
मेरी चोरी पकड़ी जाने के कारण मैं सकपका गया.
“कुछ नहीं भाभी!” यह कहते हुए मैं ऊपर भाग गया.

उस दिन के बाद से तो मुझे रात दिन भाभी की सफेद कच्छी में छिपी हुई चूत की याद सताने लगी.

अब मेरे दिल में विचार आया कि क्यों न मैं भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन करवा दूँ. भाभी रोज सवेरे मुझे दूध का गिलास देने मेरे कमरे में आती थी. एक दिन सवेरे मैं अपनी लुंगी को घुटनों तक उठा कर न्यूज़पेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया कि सामने से आ रही भाभी को मेरी लुंगी के नीचे लटकता हुआ मेरा लंड दिख जाये.

जब मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी तो मैंने न्यूज़पेपर को चेहरे के सामने कर लिया और पढ़ने का नाटक करने लगा लेकिन मैं पीछे से सब कुछ देख सकता था. मैंने पहले ही उसमें एक छोटा सा छेद कर लिया था.

भाभी जब कमरे में दाखिल हुई तो उनकी नजर मेरी लुंगी के नीचे लटक रहे मेरे लंड पर गई, मेरे बड़े से लंड को देख कर भाभी एकदम से वहीं रुक गई. वो सकपका गई और फिर मेरे लंड को ध्यान से देखने लगी. मैंने देखा कि भाभी की आंखें आश्यचर्य के कारण फैल कर बड़ी हो गई थीं.

फिर भाभी ने मेरे पास बेड के ऊपर दूध का गिलास रख दिया और चली गई. मगर पांच मिनट के बाद ही भाभी के आने की आहट फिर से सुनाई दी.
मैं सोच रहा था कि अब क्या करने आ रही है भाभी? मैंने फिर से न्यूज़पेपर को चेहरे के सामने कर लिया और टांगों को फैला कर चौड़ी कर लिया.

भाभी के हाथ में पौंछा था. वो सामने ही बैठ कर नीचे फर्श पर कुछ साफ करने का नाटक करने लगी. उनकी नजर मेरे लंड पर लगी हुई थी. इसलिए मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी.
मैंने न्यूजपेपर हटा कर पूछा- क्या बात है भाभी, आप वहां फर्श पर क्या कर रही हो?
भाभी घबरा कर बोली- कुछ नहीं. थोड़ा सा दूध यहां पर गिर गया था. उसे ही साफ कर रही हूँ.

मैं यह सुन कर मुस्करा रहा था क्योंकि जिस तरह अब तक मुझे भाभी की चूत के सपने आते थे अब भाभी को मेरे लंड के सपने आयेंगे.
मगर भाभी अभी मुझसे एक कदम आगे थी. उन्होंने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिये थे लेकिन मैंने उनकी चूत अभी तक नहीं देखी थी. इसलिए मैंने उनकी चूत को देखने का प्लान बनाया.

मैं जानता था कि भाभी रोज घर का काम निपटाने के बाद नहाने के लिए जाती है.
उस दिन मैं जान-बूझ कर अपने कमरे को खुला छोड़ कर कॉलेज गया था. फिर मैं कॉलेज से जल्दी ही वापस आ गया. मैंने आकर देखा कि दरवाजा अंदर से बंद था. मैं खिड़की के रास्ते से अपने कमरे में घुस गया. फिर बहुत देर इंतजार करने के बाद मेरी तपस्या रंग लाई. मैंने देखा कि भाभी गुनगुनाते हुए बाथरूम की तरफ चली आ रही है. बाथरूम में घुस कर उन्होंने नाइटी उतारी दी. आसमानी रंग की ब्रा और पैंटी में भाभी कमाल लग रही थी. गोरा बदन और उस पर बड़े-बड़े चूचे और चूतड़. ब्रा तो जैसे भाभी के चूचों को संभाल ही नहीं पा रही थी.

वही छोटी सी कच्छी जिसमें भाभी के मोटे चूतड़ झूल रहे थे. बेचारी कच्छी भाभी की गांड में घुसने को हो रही थी. फिर भाभी ने पीठ मेरी तरफ कर ली और आइने के सामने खड़ी होकर ब्रा और कच्छी को उतार कर एक तरफ फेंक दिया. भाभी के नंगे मोटे चूतड़ देख कर मेरा लंड बेहाल होने लगा था.

मैं सोच रहा था कि जरूर भैया मेरी भाभी की चूत को पीछे से भी लेते होंगे. हो सकता है कि भैया ने शायद भाभी की गांड भी मारी हो। मुझे ऐसी औरत की गांड मिल जाये तो मैं स्वर्ग जाने से भी मना कर दूँ.

लेकिन मेरी योजना पर उस वक्त पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ घूमे ही एक तरफ होकर अंदर नहाने लगी. उनकी ब्रा और कच्छी वहीं फर्श पर पड़ी हुई थी बाहर।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
मैंने चुपके से जाकर भाभी की कच्छी को उठा लिया और उसको सूंघने लगा. भाभी की चूत की मनमोहक खुशबू इतनी मादक थी कि मैं वहीं पर झड़ गया. मैंने भाभी की कच्छी को अपने पास ही रख लिया. फिर सोचा कि भाभी की चूत देखने की तमन्ना तब पूरी हो जायेगी जब भाभी बाहर निकलेगी.

लेकिन मेरी किस्मत ने फिर भी मेरा साथ नहीं दिया. मैंने छुप कर देखा तो भाभी ने एक काले रंग की ब्रा और कच्छी पहनी हुई थी. फिर भाभी की नजर नीचे पड़ी हुई ब्रा पर गई लेकिन वहां पर कच्छी नहीं थी. मैं वहां से भाग गया क्योंकि शायद भाभी को शक हो गया था कि मेरे अलावा ये काम कोई नहीं कर सकता है.

भाभी नाइटी पहन कर मेरे कमरे में आई. मैं बेड पर ऐसे लेटने का नाटक कर रहा था जैसे कि मैं गहरी नींद में हूं.
भाभी मुझे हिलाते हुए बोली- रामू, तू अंदर कैसे आया?
मैंने आंखें मलने का नाटक करते हुए कहा- क्या करूं भाभी, आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया था. घर का दरवाजा बंद था. बहुत खटखटाने पर जब दरवाजा नहीं खुला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते से अंदर आ गया.

भाभी बोली- तू कितनी देर से अंदर है?
मैंने कहा- यही कोई एक घंटे से।

अब तो भाभी को शक हो गया कि कहीं शायद मैंने उनको नंगी तो नहीं देख लिया हो. उनकी कच्छी भी गायब थी.
भाभी ने पूछा- तूने मेरे कमरे से मेरी कोई चीज़ तो नहीं उठाई?
मैंने कहा- अरे हां भाभी, जब मैं आया तो मैंने देखा था कि कुछ कपड़े जमीन पर पड़े हुए थे. मैंने उनको उठा कर रख लिया था.

ये सुन कर भाभी का चेहरा सुर्ख लाल हो गया.
वो बोली- वापस कर मेरे कपड़े।

मैंने तकिये के नीचे से भाभी की कच्छी निकालते हुए कहा- भाभी, ये तो अब मैं वापस नहीं दूंगा।
भाभी बोली- क्यों, अब तू औरतों की कच्छी पहनेगा क्या?
“नहीं भाभी” मैंने कच्छी को सूंघते हुए कहा. इसकी मादक खुशबू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है।

वो बोली- अरे पगला है क्या? ये तो मैंने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे इसको!
मैंने कहा- नहीं भाभी, धोने से तो इसमें से आपकी महक निकल जायेगी. मैं इसको ऐसे ही रखना चाहता हूँ.
“धत् पागल … अच्छा ये बता कि तू घर में कितनी देर से है?”
भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैंने उसे नंगी तो नहीं देख लिया है.

मैंने भाभी की मंशा जान कर कहा- भाभी, मुझे पता है कि आप ऐसा क्यों पूछ रही हो। लेकिन इसमें मेरी गलती बिल्कुल भी नहीं है. जब मैं आया तो आप शीशे के सामने नंगी खड़ी हुई थी. आपका नंगा बदन बहुत ही सुन्दर लग रहा था. पतली कमर, भारी नितम्ब और गरदाई हुई जांघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रह्मचारी की नीयत भी डगमगा जाये.

मेरी बात सुन कर भाभी शर्म से लाल हो उठी। वो बोली- तुझे शर्म नहीं आती। मुझे तो ऐसा लगता है कि शायद तेरी नीयत भी खराब हो गई है.
मैंने कहा- आपको नंगी देख कर किसकी नीयत खराब नहीं होगी भाभी?
वो बोली- हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी। इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गई।

भाभी से इस तरह की सेक्सी बातें करने और उनकी कच्छी को उनके सामने ही सूंघने के बाद मेरे अंदर की प्यास बहुत ज्यादा बढ़ गई और मेरा लंड तन गया. फिर मुझसे रहा न गया और मैं भाभी के पीछे ही उनके रूम में चला गया.
वो अलमारी में कपड़े ठीक कर रही थी. मैंने अचानक से जाकर भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी बोली- क्या कर रहा है रामू? छोड़ दे मुझे।

लेकिन मैंने अपना खड़ा हुआ लंड भाभी के मोटे चूतड़ों पर सटा दिया. भाभी की गांड पर लंड को सटा कर मैं उनकी गांड पर लंड को ऊपर नीचे रगड़ने लगा. भाभी के भीगे बालों की खुशबू मेरी हवस को और ज्यादा बढ़ा रही थी.

फिर मैंने भाभी की गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. भाभी की नाइटी बहुत ही सेक्सी थी और मखमली थी. जिसके कारण मेरा बदन उनके बदन की गर्माहट को महसूस कर सकता था.

दो-तीन मिनट तक भाभी मुझे हटाने का नाटक करती रही लेकिन जब मेरा लंड बार-बार भाभी की गांड से रगड़ता रहा तो भाभी गर्म हो गई. मैंने भाभी के चूचों को नाइटी के ऊपर से ही दबा दिया. भाभी के मुंह से सिसकारी निकल गई.

अगले दो मिनट में मैंने भाभी को बेड पर ले जाकर पूरी नंगी कर दिया था लेकिन अभी पैंटी को नहीं हटाया था. मैं आराम से भाभी की चूत को देखना चाहता था. फिर मैंने भाभी की काली कच्छी को धीरे से खींच दिया तो भाभी के घने झाटों वाली चूत नंगी हो गई जो गीली सी लग रही थी.

मैं भाभी के ऊपर टूट पड़ा और अपने लंड को बाहर निकाल कर भाभी के चूचों को पीते हुए उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा.

भाभी कामुक हो उठी और उसने मेरे होंठों को चूस लिया. फिर मैंने भाभी की चूत पर लंड को सेट किया और उसकी चूत में अपना मूसल लंड घुसा दिया तो भाभी चीख पड़ी- आह्ह रामू … फाड़ दी तूने मेरी चूत, आह्ह्ह। बाहर निकाल अपने सांड जैसे लंड को।
लेकिन मैंने भाभी की चूत से लंड नहीं निकाला और पूरा लंड भाभी की चूत में उतार कर उसकी चुदाई करने लगा. कुछ देर कराहने के बाद भाभी को भी मजा आने लगा.

मैंने भाभी की चूत को तेजी के साथ चोदना शुरू कर दिया. भाभी मेरी चुदाई से गर्म होकर पांच मिनट में ही झड़ गई. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने भी दो-तीन धक्के लगाये और भाभी की चूत के झाटों के ऊपर अपना माल गिरा दिया.

हम दोनों हांफने लगे। फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे लेटे रहे। मैंने भाभी की चूत को चाट लिया. जिस पर मेरा माल भी लगा हुआ था. उस दिन मैंने भाभी को दो बार और चोदा.

फिर रात को मैंने दरवाजे से कान लगा कर सुना तो भाभी भैया से कह रही थी- आज बहुत दर्द हो रहा है. आपने कल जोर से चोद दी।
उस दिन भाभी ने अपनी चूत नहीं चुदवाई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: