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Adultery चचेरी हॉट भाभी
#1
चचेरी हॉट भाभी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
नयी भाभी कहूं तो ज्यादा सही रहेगा. नयी इसलिए कह रहा हूं क्योंकि उन्होंने कुछ दिन पहले ही हमारे पड़ोस में नया घर बनाया है.

इसके पहले वो लोग दिल्ली में रह रहे थे. फिर किसी कारण से उनके पति यानि कि मेरे भाई साहब की नौकरी छूट गयी और वो लोग वापस अपने गांव में आ गये.

भाभी के पास दो बच्चे हैं. उनके पास एक लड़का है जो तीन साल का है. एक बेटी भी है. काफी खुशहाल परिवार है.
मेरे भाई साहब यानि कि भाभी के पति रोहतक में ही एक कम्पनी में ड्राइवर की नौकरी करते हैं.

भाई साहब सुबह 8 बजे घर से निकल जाते हैं और शाम को करीब 6 बजे के आसपास घर वापस आते हैं. रविवार को उनकी छुट्टी रहती थी. चूंकि नये नये पड़ोसी थे तो उनके घर में काफी आना जाना होता था.

इस मामले में औरतें ज्यादा आगे होती हैं. पड़ोस में उनका आना जाना लगा रहता है. मेरी मां भी अक्सर मेरी नयी भाभी के यहां चली जाती थी और कभी भाभी हमारे घर पर आ जाती थी.

अब मैं तो था ही कमीना इन्सान. छिप छिप कर भाभी की चूचियों को देखता रहता था. कई बार तो उनको दूर से ही देख कर अपने कमरे में छिप कर लंड को मसलता रहता था. उनको देख कर ही लंड में हलचल होने लगती थी.

भाभी का नाम मैं यहां पर नहीं बताना चाहता हूं फिर भी सम्बोधन के लिहाज से मैं उनको सरिता नाम दे रहा हूं. उनकी हाइट करीबन 5 फीट 4 इंच के करीब की थी. भाभी की गांड एकदम से चौड़ी थी जैसे कोई बड़े बड़े फैले हुए पहाड़ हों. उनकी चूचियों की नोक किसी पहाड़ कि चोटियों की भांति नुकीली होकर सामने निकली रहती थी.

जब भी घर में पायल की आवाज होती थी तो मैं समझ जाता था कि सरिता भाभी आ चुकी है. मेरी मां तो पायल नहीं पहनती थी इसलिए मुझे पता था कि सरिता भाभी के अलावा कोई और हो ही नहीं सकता है.

मैं भी उन्हें छिपकर देखने लगता और वहीं पर लंड को सहलाने लगता. कभी कभी तो उसका पल्लू उसकी चूचियों से उतरा होता था. उसकी चूचियों की घाटी को देख कर मुठ मारे बिना रहा नहीं जाता था.

पता नहीं कितनी ही बार मैंने भाभी की चूचियों की घाटी को देख कर अपने कमरे की दीवार और दरवाजे पर वीर्य की पिचकारी छोड़ी हुई थी. एक दिन ध्यान से देखने पर पता लगा कि जहां से छिप कर मैं भाभी को देखा करता था वहां से दरवाजा और पास की दीवार पर वीर्य के धारे बह कर निशान पड़ चुके थे.

उनकी चूचियों और भाभी के सेक्सी जिस्म को देख कर मैंने दरवाजे और दीवार को सान दिया था. ऐसा नहीं था कि मेरे पास उनके अलावा कोई और महिला मित्र नहीं थी लेकिन कई बार कुछ ऐसा दिख जाता था कि मुठ मारनी ही पड़ती थी.

मैं अक्सर अपनी महिला मित्रों से मिलता रहता हूं. रोहतक से दिल्ली और दिल्ली से रोहतक सफर करता रहता हूं. इस सफर के दौरान खूब सारी मस्ती होती रहती है.

मुझे घर से बाहर जाते देख कर भाभी कई बार पूछ लेती थी- कहां जाया करते हो? कहीं हमारी देवरानी से मिलने तो नहीं जा रहे?
ऐसा बोलकर भाभी हंस दिया करती थी. वो मुझे छेड़ती रहती थी और मुझे भी अच्छा लगता था.

भाभी के सामने तो मैं शरीफ सा लड़का था. उनके स्वभाव के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था मुझे. इसलिए उनके सामने भोला सा बन जाता था. वो नहीं जानती थी कि मैं उनको देख कर कितनी ही बार अपना माल बहा चुका हूं.

एक दिन भाभी हमारे घर पर कपड़े धोने के लिए आ गयी. उस दिन उनकी कपड़े धोने की मशीन खराब हो गयी थी. उन्होंने कपड़ों का ढेर वहीं पर मेरे रूम के सामने रखा हुआ था. कुछ कपड़े डालकर वो चली गयी. शायद और कपड़े लने के लिए गयी थी. मैंने देखा तो वो कहीं नहीं दिखी.

फिर मैंने देखा कि उसमें भाभी की ब्रा भी थी. मैंने चुपके से भाभी की ब्रा को उठा लिया और छिपा लिया. उनकी ब्रा को जेब में छिपाकर मैं अपने कमरे में लेकर घुस गया. अंदर जाकर मैंने दरवाजा बंद कर लिया और उनकी ब्रा को मुंह से लगा लिया.

ऐसा महसूस हो रहा था कि भाभी की चूचियां मेरे मुंह पर लगी हुई हैं. मैं पूरी फीलिंग ले रहा था कि भाभी मुझे अपनी चूची पिला रही है. इसी फीलिंग के साथ मैं भाभी की ब्रा को चूस रहा था.

फिर मैंने उनकी ब्रा को अपने लंड पर लपेट लिया और खड़े लंड को हिलाने लगा. बहुत मजा आ रहा था. मैं जोर जोर से लंड को हिला रहा था और मुठ मार रहा था. मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने भाभी की ब्रा में ही वीर्य छोड़ दिया.

जब मैं शांत हुआ तो देखा कि भाभी की ब्रा गंदी हो गयी थी. मैंने उसको वैसे ही मुट्ठी में भींच लिया और वापस से भाभी के कपड़ों के अंदर डालने के लिए गया.

जब मैं उनके कपड़ों के पास पहुंचा तो वापस आते हुए भाभी ने मुझे देख लिया. मेरे हाथ में उनकी ब्रा थी. मैंने मुट्ठी तो भींची हुई थी लेकिन ब्रा इतनी छोटी भी नहीं होती कि दिखाई ही न दे.

भाभी ने मेरी मुट्ठी में ब्रा को देख लिया.

मैंने हड़बड़ी में ब्रा को कपड़ों ढेर पर छोड़ा और शरमाकर वहां से सरक लिया. मैं घर से बाहर निकल गया था. मेरी गांड फट रही थी. सो रहा था कि आज तो चोरी पकड़ी गयी है.

जब तक भाभी घर में रही मैं अपने घर के अंदर नहीं आया और बाहर ही मंडराता रहा. फिर जब वो कपड़े धोकर चली गयी तब मैं अंदर गया. मैं सोच रहा था कि पता नहीं भाभी क्या करेगी. पता नहीं मेरे बारे में क्या सोच रही होगी.

उसके बाद शाम को उठ कर मैं बाहर घूमने के लिए चला गया. अब मैं भाभी के सामने नहीं आता था. मैं उनसे सामना होने से खुद को बचा लेता था.

जब भी वो हमारे घर पर होती थी मैं अपने कमरे में ही खुद को कैद कर लिया करता था. ऐसा कई दिन तक चला. एक दिन अन्जाने में भाभी मेरे सामने आ गयी. हमारी नजरें मिलीं और मैं चुपचाप निकल गया.

अब उन्होंने मुझसे बात करना बंद कर दिया था. पहले तो वो सामने से आती थी तो हंसी मजाक हो जाता था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं था. उन्होंने बात करना बिल्कुल बंद कर दिया था. अब मैं भी उनसे दूर ही रहने लगा था.

एक दिन मैं अपनी मेल चेक कर रहा था. मेरी मेल में एक भाभी का मेल आया हुआ था. भाभी ने लिखा था कि उनको मेरी कहानी बहुत अच्छी लगी. वो कह रही थी कि मैं भी आपके ही शहर में रहती हूं.

मैं सोच रहा था कि शायद कोई लड़का होगा क्योंकि आजकल हर जगह पर लड़के ही मिलते हैं. चाहे फेसबुक हो गया मेल सब जगह लड़के ही फेक आईडी बना कर बैठे रहते हैं. मेरे पास भी बहुत से फेक मेल आते हैं.

फिर भी मैंने उससे बात करनी जारी रखी. उससे बात करने पर उसने बताया कि वो लोग पहले दिल्ली में रहते थे और अब रोहतक में रहने के लिए आये हैं.

एक बार तो मुझे ऐसा लगा कि कहीं पड़ोस वाली भाभी ही तो नहीं है! मगर फिर सोचा कि ऐसा संयोग मेरी किस्मत में कहां कि मेरी पड़ोसन सेक्सी भाभी ही मुझे मेल करे. फिर मैंने सोचा कि शायद कोई और होगी.

उसके बाद मैं उनकी बातों में रूचि लेने लगा. मैंने उनसे बात की और उनके परिवार के बारे में पूछा. भाभी ने सब कुछ वही बताया जो मेरी पड़ोसन के भाभी के बारे में मैं जानता था. मैं हैरान था कि ऐसा कैसे हो सकता है. मेरी धड़कन बढ़ने लगी थी.

उसके बाद भाभी मुझसे मेरी फोटो मांगने लगी. मैंने फोटो तो उनको नहीं दी लेकिन अपना व्हाट्सएप नम्बर उनको जरूर दे दिया. कुछ देर के बाद मुझे मेरे फोन पर व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आनी शुरू हो गयी.
मैंने सोचा कि यही वो भाभी है जिससे मैं मेल पर बात कर रहा था.

मैंने अपने फोन के कैमरे पर उंगली रख दी और उनकी कॉल रिसीव की. देखा तो मैं हैरान रह गया. ये तो मेरी पड़ोसन भाभी थी. फिर वो पूछने लगी- आप कितनी फीस लेते हो?
मैंने सोचा- अगर अभी इनको सच बता दिया तो शायद भाभी मुझे देखते ही मना कर दे. इसलिए मैंने उनको मना कर दिया कि अभी मेरे पास समय नहीं है. एक दो महीने के बाद ही मिल पाऊंगा.

वो बोली- अरे देवर जी, मुझे आपके बारे में सब पता है.
मैंने हैरान होते हुए पूछा- क्या पता है आपको मेरे बारे में?
वो बोली- मैं दो साल से अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रही हूं. मुझे पता है कि आप मेरे पड़ोस में ही रहते हो. मैंने आपकी मेल आईडी देखी थी. मुझे तभी पता लग गया था. अब ये नाटक बंद करो और बताओ कि कब मिल रहे हो.

मेरी गांड गीली हो रही थी. भाभी मेरे बारे में सब जानती थी. मगर साथ ही खुशी भी हो रही थी कि ये तो पास में ही काम बन गया. मैं तो खुश हो गया कि दीपक तले अंधेरा हो रखा था.

मैंने कहा- भाभी आप कहो तो अभी आ जाता हूं.
वो बोली- नहीं, होटल में चलेंगे. वहां पर बिना किसी डर के मिला जा सकता है.
मैंने कहा- आप इसकी चिंता न करें. मैं आपसे सीधे तौर पर कभी बात नहीं करूंगा. जब भी आपसे बात होगी, अब होटल के अंदर ही होगी.
वो भी आश्वस्त हो गयी.

वो बोली- ठीक है तो फिर बुधवार को मिलते हैं. मुझे होटल का नाम और पता बता देना. इतनी बात करके भाभी ऑफलाइन हो गयी.
मैंने सोमवार के दिन ही भाभी को होटल का नाम और पता मेल कर दिया.
वो बोली- ये भी बता दो कि पैसे कितने लोगे?
मैंने कहा- मुझे पैसों की कोई जरूरत नहीं है.

भाभी ने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. अगर पैसे नहीं ले रहे तो फिर रहने देते हैं. मुझे नहीं मिलना.
मैंने कहा- ठीक है. जो आपका मन करे वो दे देना.
फिर वो ओके बोलकर दोबारा से ऑफलाइन हो गयी.

एक दूसरे के पड़ोस में रहते हुए भी हम कभी आपस में आमने सामने बात नहीं करते थे क्योंकि मैं नहीं चाह रहा था कि किसी को मेरे बारे में या भाभी के बारे में शक हो जाये.
फिर बुधवार का दिन भी आ गया.

मैंने भाभी को दस बजे से एक बजे के बीच का टाइम दिया था मिलने के लिए. उसके बाद उनके बच्चे कॉलेज से आ जाते थे. मैं तैयार होकर घर से नौ बजे ही निकल गया. दस बजे मैं होटल के अंदर पहुंच चुका था.

उसके बाद भाभी भी आ गयी. होटल के रजिस्टर में एंट्री की और हम कमरे में पहुंच गये. कमरे में जाते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये. मैं भाभी को चूमने के लिए आगे बढ़ता इससे पहले ही वो अलग हो गयी और बाथरूम में चली गयी.

मेरा लंड खड़ा हो चुका था. कुछ देर के बाद भाभी बाहर आई तो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. उसने उस दिन वही ब्रा पहनी हुई थी जिसमें मैंने अपने लंड का माल निकाला था.

वो मेरे पास तेजी से चलकर आई और मेरे बदन से लिपट गयी. अगले ही पल मैंने उसको बांहों में भर लिया. हम दोनों के होंठ अगले ही पल एक दूसरे से मिल चुके थे.

जोर से एक दूसरे के होंठों को पीते हुए हम बेड की ओर सरकने लगे.
भाभी ने मुझे बेड पर गिरा लिया.

उसने मेरे होंठों को छोड़ कर मेरी आंखों में देखते हुए कहा- राज, तुम इतनी सेक्सी कहानियां लिखते हो, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा! उस दिन जब तुमने मेरी ब्रा में अपना माल छोड़ा तभी से मेरी चूत तुम्हारे लंड के नाम से गीली होने लगी थी. अब तक तुमने मेरी ब्रा में मुठ मारी थी. आज मेरी चूत भी मार लो. मेरी जवानी को निचोड़ लो.

मैंने उठ कर अपने सारे कपड़े उतार दिये. मैं खड़ा हुआ ही था कि भाभी नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी. मैं भी उसके खुले बालों में हाथ फिराने लगा और लंड चुसवाने के मजे लेने लगा. वो काफी प्यासी लग रही थी.

फिर मैंने भाभी को रोका और उनको खड़ा कर दिया. उनकी पैंटी उतार दी. उनकी चूत पर बड़े बड़े बाल थे. मैं भाभी की चूत के बालों को चूसने लगा. भाभी ने अपनी टांगें चौड़ी कर लीं और अपनी चूत को चुसवाने लगी.

उसके बाद मैंने उससे लेटने के लिए कहा. उसने अपनी टांगें बेड से नीचे लटकी हुई छोड़ दीं और उनकी कमर और पीठ बेड पर थी. इस पोजीशन में उसकी चूत ऊपर आ गयी थी.

मैंने भाभी की चूत पर मुंह लगा दिया और उसकी चूत को चाटने-चूसने लगा. वो मदहोश होने लगी. मस्ती में अपनी चूत को चटवाने का मजा लेने लगी. भाभी की चूत का रस पीते हुए मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि उनकी चूत से शहद निकल रहा हो.

उसके बाद भाभी झड़ गयी. उसकी चूत बिल्कुल गीली हो गयी थी. उसने दोबारा से उठ कर मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. मेरा लौड़ा एकदम से सख्त हो चुका था और मेरे लंड ने कामरस छोड़ना शुरू कर दिया. भाभी ने मेरे लंड को चूस चूस कर गीला कर दिया था.

फिर मैंने भाभी से कहा कि अब वो बेड पर झुक जाये.
भाभी ने अपनी गांड को मेरी तरफ करते हुए अपनी पीठ को बेड पर झुका लिया. वो डॉगी पोजीशन में आ गयी थी. मैंने पीछे से भाभी की चूत को सहलाया और उसकी गीली चूत को एक दो बार रगड़ा.

उसके मुंह से सिसकारी निकल गई- आह्ह … बस करो देवर जी … अब डाल दो.
मैंने भाभी की चूत पर लंड लगाया और उसकी चूत में लंड से धक्का दे लिया.

मेरा लंड गच्च से भाभी की चूत में उतर गया. मैं डॉगी स्टाइल में भाभी की चूत मारने लगा. कुछ देर के बाद मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने अपनी गति धीमी कर दी.

फिर कंट्रोल होने के बाद फिर से उसकी चूत को चोदने लगा. इस तरह से मैं बार बार झड़ने के करीब पहुंच कर धक्के लगाना बंद कर देता था. मैं पहली ही बार में भाभी को पूरी संतुष्टि देना चाह रहा था. वो भी मेरे लंड से चुद कर मजे ले रही थी.

मैं पूरा लंड अंदर घुसा रहा था और फिर धीरे धीरे बाहर कर रहा था. एक झटके में ही फिर से अंदर और फिर दोबारा से धीरे धीरे बाहर. जब मैं झटका देता तो भाभी की दर्द भरी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल जाती थी. उसकी ये कामुक आहें मेरे जोश को और ज्यादा बढ़ा रही थीं.

उसके बाद मैंने भाभी की चूचियों को हाथों में दबोच लिया और तेजी से उसकी पीठ पर झुक कर उसकी चूत को चोदने लगा. तभी भाभी ने अपनी चूत में अंदर ही मेरे लंड को कस लिया. पच-पच … फच-फच की आवाज के साथ मैं उसकी चूत को चोद रहा था.

अब मैं भी झड़ने ही वाला था. अब और ज्यादा कंट्रोल नहीं कर पा रहा था मैं. मैंने पूरा लंड एक झटके में ही भाभी की चूत में घुसा दिया और मैं एकदम से उसकी चूत में झड़ने लगा.

मैंने पूरा लंड घुसा कर अपना वीर्य भाभी की चूत में उड़ेल दिया. उसके बाद हम दोनों बेड पर ही गिर पड़े. कुछ देर लेटे और फिर बातें करने लगे. थोड़ी ही देर के अंदर मेरा मन फिर से चुदाई को करने लगा.

भाभी की चूचियों को छेड़ते हुए मैं उसकी चूत को सहलाने लगा. भाभी भी चुदाई के लिए दोबारा से तैयार हो गयी. हमने दोबारा से चुदाई शुरू की. लगभग बीस मिनट तक दूसरा राउंड चला और हम दोनों इस बार एक साथ में ही झड़ गये.

उसके बाद भाभी ने समय देखा. हमारे जाने का समय हो रहा था. चलते हुए भाभी ने मुझे दो हजार रूपये दिये. उसने कहा कि मेरे लिये समय निकालते रहा करो.
मैंने भी उनको समय देने का वादा किया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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